सरगुजा

ओबीसी महासभा ने सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन
14-Dec-2024 10:02 PM
ओबीसी महासभा ने सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अम्बिकापुर,14 दिसंंबर। ओबीसी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम साहू के मार्गदर्शन में प्रदेश के सभी जिलों में कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन दिया जाना तय किया गया था। इसी प्रक्रिया में प्रदेश उपाध्यक्ष व सरगुजा संभाग के प्रभारी परशुराम सोनी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल सुभाष साहू प्रदेश सचिव ओबीसी महासभा, आदित्य गुप्ता जिला कार्य समिति सदस्य ने सरगुजा कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया है। इस दौरान प्रमुख रूप से सत्यनारायण वर्मा , कृष्णा सोनी, राम अवतार गुप्ता,  रघुनंदन, युगल किशोर, विकास ठाकुर, राजेश इनके अलावा ओबीसी महासभा के कई पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित रहे।

 ज्ञापन देते हुए ओबीसी महासभा के पदाधिकारियों ने बताया कि अधिकांश संभाग व जिलों में ओबीसी की जनसंख्या 27 प्रतिशत से अधिक होने के बावजूद भी उन्हें जनसंख्या के अनुपात में न देकर अधिकतम 27 प्रतिशत आरक्षण का सीमित प्रावधान किया गया है, जो कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में रीढ़ की हड्डी बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय के साथ अन्याय व असंवैधानिक है। तमिलनाडु, कर्नाटक व केरल जैसे राज्यों में ओबीसी को जनसंख्या के अनुपात में 50, 49 और 40 प्रतिशत तक आरक्षण लागू है।

छत्तीसगढ़ में 27 प्रतिशत आरक्षण जो राज्यपाल के पास लंबित है, उसको अविलंब पास कर पिछड़ा वर्ग के हित में कार्य करने की बात कही गई। अवगत हो कि अधिकांश संभाग, जिलों में ओबीसी की जनसंख्या 27 प्रतिशत से अधिक होने के बावजूद भी उन्हें जनसंख्या के अनुपात में न देकर अधिकतम 27 प्रतिशत प्रतिनिधित्व का सीमित प्रावधान किया गया है, जो कि प्रदेश के अर्थव्यवस्था में रीढ़ की हड्डी बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय के साथ घोर अन्याय एवं असंवैधानिक है।

अवगत हो कि तमिलनाडु, कर्नाटक एवं केरल जैसे राज्यों में ओबीसी को जनसंख्या के अनुपात में क्रमश 50, 49 और 40 प्रतिशत प्रतिनिधित्व आरक्षण लागू है। अत: इन राज्यों की भांति 42 प्रतिशत प्रतिनिधित्व आरक्षण लागू किए जाने का निवेदन किया गया है।

जनगणना फॉर्मेट में ओबीसी का कॉलम जोडक़र ओबीसी की जनगणना कराई जाए। संविधान में सामाजिक तथा शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए समुदायों को अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के रूप में 3 वर्ग बनाए गए हैं।

जनगणना में इन तीनों वर्ग की दशाओं के आंकड़े एकत्रित किए जाने चाहिए। अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनगणना तो होती है किंतु राष्ट्रीय जनगणना फॉर्मेट में अन्य पिछड़ा वर्ग का पृथक से कालम नहीं होने के कारण अन्य पिछड़ा वर्ग की जनगणना नहीं होती है। संविधान के अनुच्छेद 340 के परिपालन में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए गठित आयोग काका कालेलकर आयोग, मंडल आयोग व मध्यप्रदेश राम जी महाजन आयोग द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग की जनगणना कराए जाने बाबत अनुशंसा की गई है। तदनुसार इस हेतु संसद में बनी सहमति के आधार पर जनगणना 2011 में पृथक से अन्य पिछड़ा वर्ग के आंकड़े एकत्रित करने के प्रयास किए गए। किंतु आंकड़े जारी नहीं किए गए।ओबीसी महासभा द्वारा लंबे समय से प्रतिमाह ज्ञापन देकर राष्ट्रीय जनगणना 2021 के जनगणना फॉर्मेट में ओबीसी का कॉलम बनवाने शासन प्रशासन से निवेदन किया जाता रहा है। लेकिन पूर्व की भांति इस बार भी राष्ट्रीय जनगणना फॉर्मेट में अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी का कालम नहीं है। फलस्वरूप ओबीसी वर्ग की जनसंख्या तथा उसकी परिस्थितियों का आंकलन नहीं हो पाएगा ।

ओबीसी महासभा के द्वारा निवेदन किया गया है कि जनगणना 2021 के फॉर्मेट में कॉलम 13 में ओबीसी के लिए पृथक से कोड नंबर 3 और सामान्य के लिए कोड नंबर 4 शामिल कर जनगणना की जाए एवं गणना उपरांत आंकड़े प्रकाशित किया जाए। जिससे ओबीसी समाज भारत देश के नागरिक मतदाता होने के नाते जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी प्राप्त कर सके।

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