राजनांदगांव

उम्र की बंदिशों से भाजपा के कई दावेदार अध्यक्ष की दौड़ से बाहर
09-Dec-2024 2:47 PM
उम्र की बंदिशों से भाजपा के कई दावेदार अध्यक्ष की दौड़ से बाहर

नए चेहरों में बालू भंसाली, कोमल और शिव वर्मा का नाम उभरा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 9 दिसंबर।
संगठन चुनाव में उम्र की बंदिश के फार्मूला लागू होने से जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर नजर गड़ाए कई दावेदार पिछड़ गए हैं। वहीं नए चेहरों के लिए अध्यक्ष बनने की संभावना भी बढ़ गई है। भाजपा ने जिलाध्यक्ष के लिए 60 वर्ष और  मंडल अध्यक्ष के लिए 45 वर्ष की सीमा तय कर दी है। भाजपा जिलाध्यक्ष बनने के लिए संगठन के कई अनुभवी नेता भी कोशिश कर रहे थे। 60 वर्ष की सीमा लागू होने के बाद अध्यक्ष की दौड़ में शामिल दिनेश गांधी पीछे रह गए। 

इसी तरह संतोष अग्रवाल, सचिन बघेल भी उम्र की बंदिश के चलते दौड़ से बाहर हो गए हैं। हालांकि बघेल अध्यक्ष बनने के लिए कतई इच्छुक नहीं थे, फिर भी उनका नाम इस पद के लिए सामने आया था। इस बीच नए चेहरों के लिए अध्यक्ष बनने की राह आसान हो गई है। अध्यक्ष को लेकर बालचंद भंसाली का नाम प्रमुखता से सामने आया है। वह पूर्व में एल्डरमैन भी रह चुके हैं। साथ ही भाजयुमो के वह जिला महामंत्री भी रहे हैं। वह एक निर्विवाद चेहरे माने जाते हैं। अध्यक्ष की दौड़ में कोमल सिंह राजपूत का नाम भी सामने आया है। हालांकि वह सरकार से लालबत्ती मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। बताया जा रहा है कि राजनीतिक समीकरण में कोमल एक बेहतर चेहरा हो सकते हैं। उन्हें पूर्व वरिष्ठ नेताओं का समर्थन मिल सकता है। 

नगर निगम की राजनीति में सालों से जमे शिव वर्मा को भी अध्यक्ष बनाए जाने पर विचार हो सकता है। वर्मा करीब 2 दशक से नगर निगम में बतौर पार्षद   सक्रिय हैं। वह झुग्गी झोपड़ी के संयोजक व अध्यक्ष भी रहे हैं। इसके अलावा उन्हें निगम के नेता प्रतिपक्ष के पद पर कार्य करने का भी अनुभव है। बताया जा रहा है कि उम्र संबंधी नियम लागू होने से भाजपा में नए चेहरों पर दांव लगाने को एक रिस्क के तौर पर देखा जा रहा है। 

वजह यह है कि कम उम्र के व्यक्ति के अध्यक्ष बनने से वरिष्ठों को उनके अधीन कार्यकारिणी में काम करना पड़ सकता है, जिसे पूरी तरह से अव्यवहारिक भी माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस महीने के अंत तक जिलाध्यक्ष और बूथ अध्यक्षों की नियुक्ति हो जाएगी। उम्र की बंदिश आने से संगठन  के नए अध्यक्ष को लेकर कई तरह की दिक्कतें भी सामने आ रही है। बहरहाल नए चेहरों के लिए अध्यक्ष बनने का रास्ता नए नियम से आसान हो गया है।
 

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