‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 5 दिसंबर। श्री महामाया देवी मंदिर पुरानी बस्ती में जारी श्रीराम कथा में लाटा महाराज ने प्रभु राम के बाल्यावस्था की कथा विस्तार से बताया। शंभू शरण लाटा महाराज ने कहा कि भगवान राम का जन्म अनेकों कारणों से हुआ है। राम जन्म हेतु अनेका। वे असुरों का संहार , अहिल्या का उद्धार , अयोध्या में शिव का धनुष उठाने, संसार में सबसे सुंदर सीता से विवाह , सबका उद्धार , जगत का कल्याण, रावण व निषादराज के मुक्ति के लिए मनुष्य रूप में अवतरित हुए हैं। राम कथा सबको मुक्ति दिलाने वाली गंगा है। जटा से निकलने वाली गंगा में लोग डूब जाते हैं। लेकिन मुख से निकलने वाली कथा रूपी गंगा भवसागर से पार लगा देती है।
महाराज ने श्रद्धालुओं को बताया कि भगवान भाव कै नहीं, भावना से समझते हैं। जीवन को धन्य करना है तो भगवान से संबंध बना लो।भगवान को अपनी माता-पिता गुरु भाई मित्र पुत्र बना लो, तो इस कलयुग में आपका जीवन धन्य हो जाएगा। श्री लाटा महाराज ने शिव पार्वती संवाद का वर्णन करते हूए कहा कि राम कथा गंगा में गोता लगाने जैसा हैं। उन्होंने सती के संबंध में विस्तार से वर्णन करते हुए कहा की पत्नी वह है जो पति को पतन से बचा ले। पत्नी ऐसी होनी चाहिए जो पति को भवसागर से पार लगा दे। पति के दीर्घायु सुख शांति समृद्धि के लिए महिलाएं अनेक व्रत उपवास करती है। किंतु पति कैसे प्रसन्न हो उसका ध्यान नहीं रखती। पति प्रसन्न होंगे तो स्वयं ही सुख शांति समृद्धि की प्राप्ति होगी।
महाराज ने कहा मनुष्य के जीवन में सोना के पृथक पृथक अर्थ हैं। रावण विभीषण कुंभकरण तीनों ने वरदान में सोना मांगा था। लेकिन रावण का सोने का अर्थ स्वर्ण की लंका है, विभीषण के सोने का अर्थ ना सोना तथा कुंभकरण के सोने का अर्थ दीर्घ निद्रा है।