सोसायटियों में जाम के हालात, कभी भी खरीदी हो सकती है बंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 5 दिसंबर। जिले के सोसायटियों में किसानों से खरीदे गए धान का तय समय पर उठाव नहीं होने से जाम की स्थिति बनती दिख रही है। उठाव को लेकर प्रशासन के किए दावे की पोल खुल रही है। हालत यह है कि कई सोसायटियों में उपज खरीदी पर आंशिक असर पड़ रहा है। नौबत यहां तक आन पड़ी है कि जल्द ही उठाव नहीं होने पर कई सोसायटियों में खरीदी बंद हो सकती है।
बंपर खरीदी से जिले के 95 सोसायटियों में अब तक 20 लाख क्विंटल की धान खरीदी की गई है। इसके एवज में महज 60 हजार क्विंटल धान का परिवहन हुआ है। केंद्रों में उपज रखने के लिए जगह नहीं है। कई सोसायटियों के परिसर के लिए सीमित जगह भी है। ऐसे में किसानों को उपज बेचने के लिए आने वाले दिनों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। 14 नवंबर से शुरू हुई धान खरीदी के दूसरे पखवाड़े में ही स्थिति बिगड़ती दिख रही है।
प्रशासन की ओर से कई बड़े दावे किए जा रहे हैं। मसलन 150 ट्रकों से उठाव का भी प्रशासन ने भी दावा किया है। जिन केंद्रों में अधिक मात्रा में धान मौजूद है, वहां प्राथमिकता से उठाव के निर्देश प्रशासन की ओर से दिए गए हैं।
बताया जा रहा है कि रोजाना हो रही धान खरीदी की तुलना में सिर्फ 20 फीसदी ही उठाव हो रहा है। जिसके चलते सोसायटियों में क्षमता से अधिक धान जमा हो गया है। जिले में अब तक 41 हजार 115 किसानों से प्रशासन ने 20 लाख 55 हजार क्विंटल की खरीदी की है। इसकी तुलना में सिर्फ 60 हजार क्विंटल धान का उठाव हुआ है। यानी 19 लाख क्विंटल धान सोसायटियों में रखा हुआ है। इस बीच मौसम के उतार-चढ़ाव से समितियों को पुख्ता इंतजाम के लिए भी जोर लगाना पड़ रहा है। लगातार बदली और मौसम के बदले मिजाज से सोसायटियों में रखे धान को प्लास्टिक कवर से ढंका गया है। आने वाले दिनों में बारिश होने का भी अंदेशा है।
बताया जा रहा है कि वर्तमान में उठाव के लिए 120 वाहन लगाए गए हैं। इन गाडिय़ों से कुल 1 लाख 65 हजार क्विंटल धान का उठाव करने का निर्देश दिया गया है। इस बीच ग्रामीण इलाकों के सोसायटियों में धान का उठाव नहीं होने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जबकि लगातार किसानों को एक निर्धारित तारीख के लिए टोकन भी दिए जा रहे हैं। पूर्व में टोकन के आधार पर उपज बेचने पहुंचे किसानों से खरीदी करने में स्थिति विकट बनती जा रही है। ऐसे में अगली तारीख के लिए टोकन लेने वाले किसानों को उपज बेचने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। राजनीतिक तौर पर भी कांग्रेस ने धान की व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस के कई नेता सोसायटियों में जाकर व्यवस्था का जायजा ले रहे हैं।