अध्यक्ष के लिए अधिकतम 60 साल का उम्र तय, बूथ स्तर पर चल रही चुनावी प्रक्रिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 4 दिसंबर। राजनांदगांव भाजपा के नए अध्यक्ष की कुर्सी पर कौन काबिज होगा, इस महीने के अंत तक साफ हो जाएगा। राजनांदगांव समेत मोहला-मानपुर और खैरागढ़ जिले को भी नए अध्यक्ष मिलेगा। बूथ स्तर पर इन दिनों सांगठनिक चुनावी प्रक्रिया चल रही है।
भाजपा ने जिलाध्यक्ष के लिए 60 साल के उम्र की एक सीमा भी तय कर दी है। वहीं मंडल अध्यक्ष के लिए 45 साल उम्र तय की है। पार्टी ने पहली बार अध्यक्ष और मंडल अध्यक्ष के लिए उम्र की पाबंदी सुनिश्चित की है। इस महीने के आखिरी में तीनों जिलों में अध्यक्षों की ताजपोशी निश्चित हो जाएगी। संगठन स्तर पर चुनावी प्रक्रिया जोरों पर है। बूथों में लगातार चुनाव की विधिवत प्रक्रिया जारी है। राजनांदगांव जिले के नए सांगठनिक मुखिया के लिए उम्र की पाबंदी तय होने से कई दावेदार पीछे रह जाएंगे। अब तक अध्यक्ष के लिए उम्र की पाबंदी नहीं थी। पार्टी ने मौजूदा सांगठनिक चुनाव में उम्र को लेकर नए नियम लागू कर दिए हैं। वर्तमान में राजनांदगांव में रमेश पटेल, मोहला-मानपुर में मदन साहू और खैरागढ़ जिले में खम्मन साहू अध्यक्ष की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं। तीनों जिलों में 30 दिसंबर से पहले जिलाध्यक्ष के लिए चुनाव होंगे। इसके बाद संगठन के मुखिया के नाम सामने आएंगे।
बताया जा रहा है कि जिलाध्यक्ष के पश्चात प्रदेश अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया शुरू होगी। भाजपा लगातार हर चुनाव में नए नियमों को लागू कर रही है। उम्र की सीमा भी नए प्रयोग के तौर पर सामने आया है। उम्र निर्धारण होने के कारण कई दावेदार को अपने कदम वापस लेने पड़ेंगे। इस बीच संगठन के नए मुखिया बनने के लिए पार्टी के भीतर अलग-अलग स्तर पर लॉबिंग चल रही है। सत्तासीन होने के कारण भाजपा में पद हथियाने को लेकर आपस में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है। यह भी स्पष्ट है कि युवा मोर्चा से मुख्य विंग में कुछ पदाधिकारियों को अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। संगठन का मानना है कि युवा मोर्चे के अनुभवी व काबिल युवाओं को मुख्य संगठन में जगह देना जरूरी है, ताकि आगे वह संगठन को और मजबूत कर सके। अध्यक्ष के लिए पार्टी में काफी जोरआजमाईश भी शुरू हो गई है।
राजनंादगांव जिले के आठ मंडलों में चुनावी प्रक्रिया आखिरी दौर पर है। बताया जा रहा है कि संगठन की जिम्मेदारी हासिल करने वाले नेताओं को लालबत्ती के लिए जगह नहीं मिलेगी। ऐसे में कुछ नेताओं ने लालबत्ती की उम्मीद में अध्यक्ष की कुर्सी का मोह छोड़ दिया है।