‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 4 दिसंबर। बस्तर का यह गांव अब पर्यटन की दृष्टि से किसी से अछूता नहीं रहा। जगदलपुर शहर से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दरभा ब्लॉक के कोटमसर पंचायत में मौजूद धुढ़मारास को 27 सितंबर संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन ने 60 देशों से चुने गए 20 गांव में शामिल किया। इसे ईको टूरिज्म गांव के रूप में विकसित किया गया है।
ज्ञात हो कि धुड़मारस कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के मध्य में स्थित है। घने जंगलों में बसा धुड़मारस, जहां से कांगेर नदी बहती है, इको-टूरिज्म के लिए एक आदर्श स्थान है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता, पारंपरिक जीवन शैली और स्थानीय व्यंजनों के लिए जाना जाता है।
यहां आने वाले पर्यटकों के लिए कयाकिंग और बॉम्बुराफ्टिंग जो कि अनेक बांस को जोडक़र एक नाव का आकर देकर उसके ऊपर ही बांस की कुर्सी पर पर्यटकों को कांगेर नदी की सैर करवाते हैं, जिसका किराया 100 से 200 रुपए तक है।
गांव के लोग ही एक समिति बनकर इसका संचालन करते हैं। समिति के धनीराम बघेल से बातचीत में बताया कि उनकी समिति में 35 लोग हैं, जो उसी गांव के और हर घर से एक व्यक्ति है, जो इस समिति का सदस्य है।
धनीराम ने यह भी बताया कि पहले जब यहां रोजगार के कोई साधन नहीं थे तो गांव के लोग अपनी रोजीरोटी की तलाश में पड़ोसी राज्य में जाते थे, अब उन्हें इसकी वजह से गांव में ही रोजगार मिल गया ,सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति के सदस्य होने के नाते वे वनों की सुरक्षा भी करते हैं।
गांव में ही गुलाबफूल महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा होटल का संचालन कर अपनी आय के साधन को जुटा रही हैंं। गांव में अगर कोई पर्यटक रुकना चाहे और वहां रुक कर वहीं के पारंपरिक बस्तर के व्यंजनों का लुत्फ उठा सकते हैं, साथ ही वहां रुकने के लिए होम स्टे, धुरवा डेरा मै रुक सकता है जिसकी एक दिन का किराया 2500 रुपये है।
पर्यटक डिम्पल ठाकुर ने बताया कि मेरे लिए बस्तर में यहां अलग सा अनुभव था। प्रकृति को और करीब से जानने के लिए लोगों को यहां एक बार जरूर आना चाहिए।