‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 2 दिसंबर। टोकन की समस्या के चलते किसान काफी परेशान हैं। किसानों को टोकन के लिए चक्कर काटना पड़ रहा है। कई किसानों की फसल काटकर रखी हुई मगर टोकन के अभाव में धान नहीं बिक पाने पर कोठार में रखे धान की रखवाली के लिए उन्हें रतजगा करना पड़ रहा है। जिला व जनपद सामान्य सभा की बैठक में भी ऑनलाइन टोकन व्यवस्था में आ रही दिक्कतों का मुद्दा पंचायत प्रतिनिधियों ने भी जोरशोर से उठाया था।
ग्राम बिरझापुर निवासी कृषक अमित पाण्डेय ने बताया कि उन्होंने 16 एकड़ में धान की फसल ली थी। इसमें लगभग 300 क्विंटल धान विक्रय होना है मगर बड़ी मुश्किल से एकमात्र टोकन मिल पाया। इसमें मात्र डेढ़ सौ क्विंटल धान बिका है, बाकी आधा धान कोठार में पड़ा है, जिसकी रखवाली के लिए रतजगा करना पड़ रहा है। वहीं अब दूसरा टोकन मिल नहीं रहा है, मात्र ऑनलाइन टोकन मिल रहा है जो एप खुलते ही आधा घंटा में बुक हो जाता है। ग्राम पेण्ड्री निवासी कृषक केशव दास वैष्णव ने बताया कि उनकी साढ़े दस एकड़ जमीन में धान की फसल थी जो मिंजाई कर रखा है मगर टोकन नहीं मिलने से बेच नहीं पा रहे हैं। ऑफलाइन में टोकन मिल नहीं पा रहा है। अपने रहटादाह समिति में उन्होंने पता किया तो वहां के कर्मचारियों का कहना है कि शुरू में कुछ दिन बड़े किसानों का भी टोकन कटा फिलहाल टोकन नहीं कट पा रहा है। ग्राम साल्हेखुर्द के किसान रामचंद्र जंघेल का कहना है कि उनकी 32 एकड़ कृषि भूमि है उन्हें इसका 500 क्विंटल से अधिक धान बेचना है मगर मात्र 200 क्विंटल ही बेच पाए हैं बाकी के लिए टोकन नहीं मिल रहा है।
सहकारी समिति के एक कर्मचारी ने बताया कि सिर्फ 40 प्रतिशत ही टोकन समिति से कटता है। इसमें 30 प्रतिशत ही बड़े किसानों को देना, शेष लघु एवं सीमांत कृषकों को जारी करना होता है। समिति द्वारा भी सिर्फ ऑनलाइन टोकन जारी किया जाता है। इसमें सर्वर की समस्या तो आती है, वहीं एप खुलने पर तीन दिनों के लिए टोकन तत्काल फुल हो जाता है, इसके बाद एप बंद हो जाता है।