सूरजपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
प्रतापपुर, 25 नवंबर। प्रतापपुर विकासखंड में शिक्षा व्यवस्था एक गंभीर संकट का सामना कर रही है, जहां कई शिक्षक अपनी मुख्य जिम्मेदारी, बच्चों की शिक्षा, को नजरअंदाज कर विवादास्पद और अवैध नेटवर्क मार्केटिंग गतिविधियों में संलिप्त हो गए हैं। यह प्रवृत्ति न केवल बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है, बल्कि शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता और समाज के प्रति शिक्षकों की नैतिक जिम्मेदारी पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रतापपुर विकास खंड के कई शिक्षक इस नेटवर्किंग गतिविधियों में शामिल है जिसकी सोशल मीडिया प्लेटफार्म में उनकी गतिविधियां देखी जा सकती है।
प्रतापपुर के कई शिक्षक अब अपनी कक्षाओं को छोड़कर नेटवर्क मार्केटिंग से जुड़ी सेमिनारों और बैठकों में भाग ले रहे हैं। इन शिक्षकों का ध्यान अब बच्चों की पढ़ाई से हटकर अपनी व्यक्तिगत आय बढ़ाने और नेटवर्क का विस्तार करने पर केंद्रित हो गया है। कई शिक्षक छुट्टी लेकर इन सेमिनारों में शामिल हो रहे हैं, जिससे स्कूलों में कक्षाओं का संचालन प्रभावित हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप छात्रों की पढ़ाई पूरी तरह से बाधित हो रही है और उनके शैक्षिक प्रदर्शन पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। इस स्थिति का बच्चों के मानसिक और शैक्षिक विकास पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है।
जमा पूंजी और लोन का निवेश-
प्रतापपुर के कई शिक्षक अब अपनी नौकरी पर निर्भर नहीं रहे हैं, बल्कि उन्होंने अपनी जमा पूंजी और बैंकों से लोन लेकर नेटवर्क मार्केटिंग में निवेश किया है। उन्हें अधिक ब्याज का लालच देकर इस निवेश के लिए प्रेरित किया गया था, लेकिन अब इन योजनाओं से वादे किए गए लाभ का कोई निशान नहीं है। कुछ शिक्षक स्थानीय व्यवसाइयों को भी इस योजना में निवेश करने के लिए प्रेरित कर चुके हैं, लेकिन अब कई महीनों से उनका पैसा वापस नहीं आ रहा है। यह स्थिति शिक्षकों के व्यक्तिगत जीवन में अस्थिरता ला रही है और उनकी पेशेवर जिम्मेदारी पर भी सवाल उठा रही है।
गौरतलब है कि नेटवर्क मार्केटिंग में छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण संहिता का उल्लंघन है, छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण संहिता, 1965 के तहत सरकारी कर्मचारियों को निजी व्यापार या आर्थिक गतिविधियों में संलिप्त होने से प्रतिबंधित किया गया है। इसके तहत सरकारी कर्मचारियों को नेटवर्क मार्केटिंग जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल होने से रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, सरकारी कर्मचारियों को किसी भी प्रकार के निवेश या सट्टा लगाने की अनुमति नहीं है। इस प्रावधान का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को जोखिमपूर्ण और अवैध आर्थिक गतिविधियों से बचाना है, ताकि वे अपने कर्तव्यों में पूरी तरह से समर्पित रहें और उनकी कार्यक्षमता पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
बैंक डिटेल, आधार लिंक और सोशल मीडिया में सक्रियता से जांच की संभावना-
नेटवर्क मार्केटिंग में संलिप्तता की जांच के लिए अब बैंक डिटेल, आधार लिंक और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की गतिविधियों का उपयोग प्रभावी तरीके से किया जा सकता है।शिक्षकों के बैंक खातों से ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड्स की जांच करके यह पता लगाया जा सकता है कि उन्होंने नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियों में पैसा ट्रांसफर किया है या नहीं।जब बैंक खातों को आधार से लिंक किया जाता है, तो सभी वित्तीय लेन-देन को ट्रैक किया जा सकता है। यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कोई अनियमितता या संदिग्ध लेन-देन नहीं हो रहा है।
सोशल मीडिया सक्रियता-
सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर शिक्षकों की सक्रियता की निगरानी से यह पता चल सकता है कि वे किस प्रकार की नेटवर्क मार्केटिंग योजनाओं में संलिप्त हैं और उनकी गतिविधियों का दायरा कितना बड़ा है। सोशल मीडिया पर शिक्षक अपने नेटवर्क को फैलाने के लिए प्रचार कर रहे हैं, और ऐसे मामलों में उनकी पोस्ट और चर्चाएं प्रमाण के रूप में कार्य कर सकती हैं।
शिक्षा विभाग इस मामले में शीघ्र कार्रवाई करेगा-बीईओ
विकासखंड शिक्षा अधिकारी, प्रतापपुर, मुन्नू लाल धुर्वे ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह मामला गंभीर है और पहले भी ऐसी शिकायतें आई हैं। अगर किसी शिक्षक की संलिप्तता पाई जाती है, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा विभाग इस मामले में शीघ्र कार्रवाई करेगा और सभी पहलुओं की जांच की जाएगी।