बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 12 नवंबर। जिले की ग्राम पंचायत केसला में सार्वजनिक संपत्तियों पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। ग्रामीणों के अनुसार, ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाली मुक्तिधाम, क्रिकेट मैदान, चारागाह, तालाब और शीतला माता मंदिर के आसपास की जमीन पर अवैध कब्जे किए जा रहे हैं। आरोप है कि स्थानीय प्रभावशाली लोग इन क्षेत्रों पर अपना कब्जा जमा कर मकान, खेत-बाड़ी बनाने के लिए इन सार्वजनिक जमीनों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंप कलेक्टर से अपील की है कि वे जल्द से जल्द इस मामले की जांच कर सार्वजनिक स्थानों से अवैध कब्जे हटवाएं। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं देता है, तो वे अपने हक की लड़ाई जारी रखेंगे और इस मुद्दे को लेकर उच्च स्तर पर आवाज उठाएंगे।
इस अवैध कब्जे के विरोध में हाल ही में ग्राम पंचायत की महिला समूह और ग्रामवासियों ने एक आपातकालीन बैठक का आयोजन किया। बैठक में सभी ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से इस अतिक्रमण के खिलाफ आवाज उठाने का निर्णय लिया। इसके बावजूद कब्जाधारी अवैध निर्माण से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं, जिससे ग्रामीणों में भारी असंतोष फैल गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जिन लोगों के नाम आए हैं, वे लोग निर्धारित स्थान पर मकान बनाने की बजाय अपनी मनमानी करते हुए जहां मर्जी वहां पर निर्माण कार्य कर रहे हैं। इससे गांव में आए दिन विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर कुछ लोग सार्वजनिक स्थानों पर अपने मकान बना रहे हैं और ग्राम पंचायत की चेतावनी को नजरअंदाज कर रहे हैं। इन घटनाओं के चलते ग्रामीणों में नाराजगी बढ़ गई है।
पिछले दिनों ग्राम पंचायत के सरपंच, जनपद सदस्य, महिला समूह, और अन्य ग्रामीणों ने एकजुट होकर कलेक्टर कार्यालय का रुख किया। उन्होंने शीतला माता मंदिर के सामने एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया और इस मामले में उचित कार्रवाई की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन तत्काल इस पर कार्रवाई करे और सार्वजनिक स्थानों पर अवैध कब्जे हटवाए जाएं।
महिला समूह का विरोध और प्रशासन की उदासीनता
गांव की महिला समूहों का कहना है कि उन्होंने पहले भी इस मुद्दे पर कई बार शिकायत की थी, लेकिन प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उन्होंने कहा कि गांव की सार्वजनिक संपत्तियों को सुरक्षित रखना प्रशासन का कर्तव्य है, और यदि इस प्रकार के अवैध निर्माण कार्यों को नहीं रोका गया, तो गांव के अन्य विकास कार्यों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। महिला समूहों का कहना है कि यह मामला अब न्यायालय तक भी जा सकता है यदि प्रशासन ने जल्द से जल्द उचित कदम नहीं उठाए।