महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 8 नवंबर। शहर के महामाया घाट में आज सुबह उगते सूरज को अध्र्य देने के बाद व्रती महिलाओं ने छठ उपवास का पारण किया। आज सुबह उदयाचल सूर्य को अघ्र्य देने के बाद व्रती महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाया और सभी के संतान के दीर्घायु तथा उज्ज्वल भविष्य की कामना व परिवार की खुशहाली की कामना की।
गौरतलब है कि महामाया घाट पर गुरुवार दोपहर 3 बजे से ही भोजपुरी समाज की महिलाएं सोलह श्रृंगार कर बगैर चप्पल पहने पैदल ही अपने घरों से तालाब पहुंची थीं। उनके साथ उनके पति षष्ठी से संबंधित पूजन सामग्री अपने सिर पर लेकर पहुंचने लगे थे। सूरज अस्त होते सूर्य की उपासना की गई। शहर के पुरोहितों ने वेद मंत्रों के साथ विधि विधान से पूजन संपन्न कराया। इस तरह कल शाम नगर के महामाया तालाब के छठ घाट में मेले सा माहौल रहा।
जानकारी अनुसार छत्तीसगढ़ी भोजपुरी परिषद की ओर से यहां छठ पूजा के लिए तैयारी की गई थी। घाट को आकर्षक रोशनी से सजाया गया था। यहां गुरुवार को डूबते सूर्य की उपासना की गई और पूजन कर अघ्र्य दिया गया। फिर पूजन सामग्री व्यवस्थित कर सूर्य अस्त होने से पहले पूजा-अर्चना का दौर शुरू हुआ।
पूजन के लिए घाट पर विशेष रूप से गन्ना सजाया गया था। साथ ही कंदमूल, फूल आदि रखे हुए थे। पांच बजकर 27 मिनट पर सूर्यास्त होते ही व्रतधारी महिलाएं दीपदान के लिए तालाब में उतरकर दीप छोड़ती रहीं। तालाब में उत्तर और पूर्व दिशाओं से दीपदान किए जाने से तालाब के पानी में जगमग रौशनी बिखर गई। इसके बाद लोगों ने छठी मइया के जयकारे लगाए। बड़ों का आशीर्वाद लिया और व्रतधारी महिलाएं भजन गायन करते हुए परिवार सहित वापस अपने घरों को लौट गईं।
पूजा के दौरान तालाब के पास जमकर आतिशबाजी भी की गई। आज सुबह उगते सूर्य को अघ्र्य देकर छठ उपवास का समापन किया गया। इस तरह पूरे 36 घंटे उपवास के बाद आज उनका व्रत पूरा हुआ।
जानकारी मिली है कि पूजन में जिस कंद मूल फल का उपयोग होता है, उसे ही उपवास तोड़ते वक्त ग्रहण किया जाता है। मीठे पेड़ के रूप में गन्ना को पूजा जाता है। यह पेड़ आपसी सद्भाव को दर्शाता है।