‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़, 8 नवंबर। आज से दस वर्ष पूर्व शहर में छठ माई की पूजा गुप्ता परिवार के द्वारा किया जाता था। गुप्ता परिवार के द्वारा छठ माई और सूर्य नारायण की विशेषताएं महिलाओं को बताई गई। अब शहर के कोने कोने से व्रती महिलाएं निकलकर आ रही है। चार दिवसीय छठ महापर्व का आज महत्वपूर्ण आयाम था जब सुबह से निर्जला व्रत रखकर शांम छठ घाट पर डूबते सूरज को सैकड़ो महिलाओं ने अघ्र्य दिया। वही व्रत करने वाली महिलाओं का कहना है कि मान्यता के अनुसार पर्व को करने से घर में धन-धान्य परिपूर्ण होता है। इस कारण महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान सूर्य की आराधना करती हैं।
छठ पूजा एक प्रमुख हिंदू पर्व है जिसे खासतौर पर उत्तर भारत, बिहार, झारखंड के साथ ही साथ छग क्षेत्र में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया की उपासना के लिए मनाया जाता है। छठ पूजा सूर्य देवता को समर्पित है जो ऊर्जा के स्रोत और जीवन दायी शक्ति के रूप में पूजनीय है।
ज्ञात हो कि कई वर्षों से छठ पूजा कर रही साक्षी गुप्ता ने बताया कि छठ पूजा का पहला दिन नहाए खाए का दिन है, इस दिन व्रती पवित्रता से स्नान करते हैं और शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं। द्वितीय दिवस व्रती दिन भर उपवास रखते हैं व शांम को प्रसाद के रूप में खीर और रोटी खाकर उपवास तोड़ते हैं। व्रती तृतीय दिवस पानी में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अघ्र्य देती है और चौथा दिन उगते हुए सूरज को अघ्र्य देने के साथ व्रत का समापन होता है। इसके बाद व्रती प्रसाद और भोजन ग्रहण करते हैं। छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देवता की उपासना और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करना होता है। इस पर्व में अनुशासन, पवित्रता और आत्म नियंत्रण का विशेष महत्व होता है।