राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददातानांदगांव के 60 से ज्यादा निजी अस्पताल आयुष्मान कार्ड से इलाज के भुगतान के लिए भटक रहे
राजनांदगांव, 3 नवंबर। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के तहत गरीबों और असहाय वर्ग के नि:शुल्क इलाज करने के बाद निजी अस्पतालों को भुगतान करने से सरकार ने हाथ खींच लिया है। तकरीबन दो साल से राजनांदगांव जिले के गैर सरकारी अस्पतालों का करोड़ों रुपए का बकाया सरकार पर चढ़ा हुआ है। केंद्र सरकार की इस योजना पर भुगतान में देरी होने के चलते कई अस्पतालों ने उपचार करने से इन्कार कर दिया है। ऐसी स्थिति में गरीब तबके को इलाज के लिए भटकना भी पड़ रहा है।
राजनांदगांव जिले में करीब 65 से ज्यादा निजी अस्पताल इस योजना के अंतर्गत लोगों का इलाज कर रहे हैं। पिछले दो साल से पीएमजेएवाई के तहत किए गए उपचारों के एवज में 60 करोड़ रुपए की राशि लंबित है। स्वास्थ्य महकमे पर निजी अस्पतालों को उक्त राशि का भुगतान करने का काफी दबाव है। हालांकि राज्य सरकार की ओर से यह राशि अब तक जारी नहीं की गई है। ऐसे में स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी स्पष्ट जवाब देने की स्थिति में नहीं है।
मिली जानकारी के मुताबिक साल 2023-24 में 26 गैर सरकारी अस्पताल ने 23039 मरीजों का उपचार किया था। इसके एवज में 75 करोड़ 43 लाख 22 हजार 806 रुपए का भुगतान होना था, लेकिन अब भी 5 करोड़ 59 लाख 31 हजार 296 रुपए का भुगतान नहीं किया गया है। इस तरह साल 2023-24 में 5 करोड़ की राशि जारी नहीं की गई है।
इस योजना के तहत मरीजों को आर्थिक मदद मिली, लेकिन निजी अस्पतालों की राशि को अदा करने में काफी देरी होने से नाराजगी भी बढ़ी है। इधर 2024-25 में अब तक निजी अस्पतालों के 39 करोड़ 59 लाख 26 हजार 903 रुपए में फूटी कौड़ी जारी नहीं किया गया है। इस साल निजी अस्पतालों ने कैंसर, गुर्दा रोग, हृदय रोग, डेंगू, मलेरिया, डायलिसिस व मोतियाबिंद के अलावा अन्य मरीजों का उपचार किया। इस योजना से उक्त सत्र में 23 हजार 839 मरीज लाभान्वित हुए। निजी अस्पतालों की ओर से सरकार के कड़े निर्देशों का लगातार पालन किया जा रहा है। सरकार सिर्फ दबाव में निजी अस्पतालों को उपचार करने पर जोर दे रही है, लेकिन उनके भुगतान को लेकर तय समय नहीं होने से निजी अस्पतालों की रूचि भी घट रही है।
केंद्र सरकार के इस महत्वाकांक्षी योजना से गरीब तबके और आर्थिक रूप से पिछड़े लोग स्वस्थ हो रहे हैं, लेकिन निजी अस्पतालों की सुध नहीं ली जा रही है।