राजनांदगांव

संगीत विवि में कुलपति के निज सचिव को गुपचुप पदोन्नति
28-Sep-2021 4:31 PM
संगीत विवि में कुलपति के निज सचिव को गुपचुप पदोन्नति

कहा व्यक्ति विशेष को असंवैधानिक लाभ देना बहुसंख्यक कर्मचारियों के हितों के साथ कुठाराघात

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़,  28 सितंबर।
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में कुलपति के निज सचिव को गुपचुप तरीके से पदोन्नति देने का मामला प्रकाश में आया है। बताया जाता है कि पूरे मामले को काफी गुप्त रखा गया, फिर भी कर्मचारी संगठनों को इसकी भनक लग गई और फिर उन्होंने इसका विरोध किया। 

इस संबंध में विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्य एवं कार्यकारिणी सदस्य व क्षेत्रीय विधायक देवव्रत सिंह का कहना है कि परिनियम में पहले संशोधन हो चुका है। अलग से कुछ करना है तो राज्यपाल की अनुमति आवश्यक है। 
विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर आई डी तिवारी का कहना है कि प्रमोशन का जो चैनल है , वह 2013 में बंद हो गया था। उसे फिर से चालू करने का प्रयास किया जा रहा है । इससे कर्मचारियों को ही लाभ होगा। जिस व्यक्ति के नाम को लेकर हल्ला मचाया जा रहा है, उसने तो आवेदन तक नहीं दिया है।

इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के कुलपति के निज सचिव को पदोन्नति देने के लिए कुछ नियमों में संशोधन करने के मामलों को लेकर कर्मचारी संघ लामबंद होते हुए कार्यकारिणी बैठक के पहले इसे रोकने के लिए आग्रह किया था। कर्मचारी संघ का कहना है कि परिनियम 14 में किए जा रहे संशोधन को रोका जाना चाहिए।

 ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा एक व्यक्ति विशेष को सहायक कुलसचिव के पद पर पदोन्नत करने के लिए परिनियम 14 में आवश्यक संशोधन का प्रस्ताव पारित किया जा रहा है। 
कर्मचारी संघ ने आगे अपनी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि साल 2006 में 30 जून को वर्तमान में कुलपति के निज सचिव राजेश कुमार गुप्ता द्वारा ही जब वह स्टेनोग्राफर के पद पर कार्यरत था, तब उनके द्वारा छत्तीसगढ़ लोक सेवक पदोन्नति नियम 2003 एवं शासन के अन्य विभिन्न नियमों का हवाला देते हुए शीघ्र लेखक संवर्ग एवं लिपिक संवर्ग पृथक-पृथक करने का आग्रह किया था। 

कर्मचारी संघ ने संबंधित के पत्र की प्रति भी अपने आपत्ति पत्र के साथ कुलपति व कुलसचिव को प्रेषित की है और कहा है कि कर्मचारियों के हित को देखते हुए विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में परिनियम 14 में आवश्यक संशोधन जो किया गया था, उसे नहीं बदला जाना चाहिए। विश्वविद्यालय के परिनियम 14 के तहत कुलपति के निज सचिव को पदोन्नति नहीं मिल सकती ।

 मामले को लेकर ज्ञात हुआ है कि वर्तमान में विश्वविद्यालय में लागू परिनियम 14 के तहत कुलपति के निज सचिव राजेश कुमार गुप्ता को सहायक कुलसचिव के पद पर पदोन्नति नहीं मिल सकती। प्रावधान के अनुसार शीघ्र लेखक संवर्ग में स्टेनो टाइपिस्ट से स्टेनोग्राफर , स्टेनोग्राफर से निजी सहायक एवं निजी सहायक सचिव के पद सृजित होते हैं निजी सचिव के बाद पदोन्नति का कोई भी प्रावधान शासन में नहीं है। लेकिन निज सचिव द्वारा परिनियम 14 में संशोधन करवा कर सहायक कुलसचिव का पद प्राप्त किए जाने की जानकारी मिल रही थी, ऐसे में कर्मचारी संघ दुखी है और ऐसा होता है तो विश्वविद्यालय में कार्यरत सभी कर्मचारी के कुल सचिव के पद पर पदोन्नति के आगे के रास्ते बंद हो जाएंगे जो कि उनके नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध होगा। 

कर्मचारी संघ ने कहा है कि व्यक्ति विशेष को असंवैधानिक लाभ देकर बहुसंख्यक कर्मचारियों के हितों के साथ कुठाराघात किया जाना अत्यंत ही आपत्तिजनक है।  अगर ऐसा होगा तो संघ इसका पुरजोर विरोध करेगा। नियमों के जानकारों का यह भी कहना है की महत्वपूर्ण परिनियम 14 में परिवर्तन करने से पहले उसे ड्राफ्ट कमेटी ,शिक्षा समिति एवं कार्यकारिणी समिति की एजेंडा में शामिल किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया जो कहीं न कहीं गुप्त तरीके से काम करने की विश्व विद्यालय प्रशासन की मंशा को जाहिर करता है।
 

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