विष्णु नागर

नीरो का रोम
23-Jul-2020 12:34 PM
नीरो का रोम

-विष्णु नागर

जब रोम जल रहा था और नीरो बंसी बजा रहा था

तो मैंने ही कहा था- ‘वाह-वाह, क्या बात है सम्राट’
जब रोम जल रहा था
और गरीब रोमनों को जलाकर
उन्हें मशालों में तब्दील किया जा रहा था
तो इसके आर्तनाद और चीख के बीच
खाने -पीने का सबसे ज्यादा आनंद
मैंने ही उठाया था
जिसे दो हजार साल बाद भी भूलना मुश्किल है
मैं आज भी सुन रहा हूँ नीरो की बाँसुरी
वही गिलास और वही प्लेट मेरे हाथ में है
वैसा ही है रोशनी का प्रबंध
सम्राट ने अभी पूछा मुझसे : ‘कैसी चल रही है पार्टी
कैसा है प्रबंध, कुछ और पीजिए, कुछ और खाइये’
नीरो मरने के लिए पैदा नहीं होते
न उसकी पार्टी में शामिल होने वाले लोग
अभी कहाँ जला है पूरा रोम
अभी तो मेरा घर भी खाक होना बाकी है
बुझती मशालों की जगह
नई मशालें लाई जा रही हैं
अभी तो पार्टी और भी रंगीन होने वाली है!

अन्य पोस्ट

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news