दयाशंकर मिश्र

हारने से दूर!
12-Nov-2020 9:52 PM
हारने से दूर!

तनाव के पलों में हर पल जीतने के उन्माद से मुक्त होकर हम अपना जीवन सुकून से जी सकते हैं. हमेशा अपने को सही साबित करने से बचें, इससे जिंदगी में केवल तनाव बढ़ता है, और कुछ नहीं.

जीवन के अनेक संकट अपने आप ही दूर हो जाएं, अगर हम हर बात पर जीतने की ज़िद छोड़ दें. हारने को राजी हो जाएं. किसी एक दिन सोचकर देखें कि बस आज जीतने की ज़िद नहीं करेंगे. आज हारकर ही काम चला लेंगे. इस वादे को निभाया जा सके, तो आप पाएंगे कि दिन बड़ा ही खूबसूरत हो जाता है. दिन खूबसूरत होते ही जिंदगी पर उसका असर देखा जा सकता है.

मेरा बचपन खूब सारी कहानियों के बीच गुजरा. इनमें से एक कहानी बहुत पसंद है, जिसे आपसे साझा करने जा रहा हूं. एक बार एक राजा ने कहा कि किसी सुखी व्यक्ति को खोजकर लाओ. बहुत सारे लोग राजा के सामने खड़े कर दिए गए, लेकिन उसके चतुर मंत्री के सामने कोई भी ऐसा न टिक पाता, जिसे कोई दुख न हो. असल में लोग इनाम के लालच में सुख के मुखौटे लगाकर दरबार में आते थे. राजा और उसका मंत्री कुछ ही देर में उनकी असलियत समझ जाते.

कई दिन तक यह खेल चलता रहा. कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जिसके बारे में कहा जा सके कि वह सुखी है. एक दिन राजा ने इनाम की घोषणा करते हुए कहा, जो कोई भी किसी सुखी व्यक्ति को ले आएगा उसे भी इनाम दिया जाएगा. अब तक तो बात यह थी कि सुखी आदमी को इनाम मिलेगा, लेकिन अब तो सुखी आदमी को खोजने वाले को भी इनाम की घोषणा हो गई.

गांव के किनारे रहने वाला एक गरीब आदमी एक ऐसे व्यक्ति को जानता था, जो हमेशा अपनी मौज में रहता था. वह उसके पास पहुंचा और कहा कि आप मेरी गरीबी दूर करें. पहले तो वह राजी न हुआ, लेकिन उस जरूरतमंद की मदद के लिहाज से वह तैयार हो गया. राजा ने उससे पूछा, क्या तुम सच में सुखी हो! सुख का राज क्या है? उसने मुस्कराते हुए कहा, जीतने से मुक्ति, लेकिन केवल इससे सुख नहीं मिल जाता. मैं तो बिना लड़े ही हारने को तैयार हूं. उससे पूछा गया, क्या उसने कभी दुख को महसूस किया! उसने बड़ा सुंदर उत्तर दिया, मैंने कभी भी सुख को समझने की कोशिश नहीं की. सुख-दुख अलग-अलग नहीं हैं. एक को खोजने जाएंगे, तो दूसरा मिल ही जाएगा.

अपनी बात स्पष्ट करते हुए उसने कहा, मेरा कोई अपमान नहीं कर पाया, क्योंकि मैंने कभी अपने सम्मान की व्यवस्था नहीं की. मैं सबसे पीछे खड़े रहने को तैयार हूं. मुझे कौन पीछे करेगा. जो सबसे पीछे रहने को तैयार है, उसे कौन पीछे छोड़ेगा! राजा ने अंततः मान लिया कि सबसे सुखी व्यक्ति उसे मिल गया है.

हर दिन की भागदौड़ भरी जिंदगी में, तनाव के पलों में हर पल जीतने के उन्माद से मुक्त होकर हम अपना जीवन सुकून से जी सकते हैं. हमेशा अपने को सही साबित करने से बचें, इससे जिंदगी में केवल तनाव बढ़ता है, और कुछ नहीं. (hindi.news18.com)
-दयाशंकर मिश्र

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