राष्ट्रीय
श्रीनगर, 20 दिसंबर| आसमान में छाए बादलों के कारण जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में रात के तापमान में आंशिक रूप से सुधार हुआ है, लेकिन दोंनो केंद्र शासित प्रदेशों में शीत लहर जारी है। न्यूनतम तापमान में मामूली सुधार के बावजूद रविवार को घाटी और लद्दाख में तीव्र शीत लहर शुरू हो गई है। श्रीनगर की प्रसिद्ध डल झील के कुछ हिस्से जम गए हैं जिससे झील के ऐसे हिस्सों में नावें खड़ी करना मुश्किल हो गया है।
मौसम विभाग ने सोमवार और मंगलवार को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हल्की बारिश या बर्फबारी होने का अनुमान लगाया है। श्रीनगर में न्यूनतम तापमान माइनस 6.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो कल के माइनस 6.6 से कुछ बेहतर था।
विभाग के अधिकारी ने कहा, "पहलगाम और गुलमर्ग में क्रमश: माइनस 7.7 और माइनस 7.5 तापमान रहा, जो कल के माइनस 9.5 और माइनस 9.2 से बेहतर था।"
लद्दाख के लेह शहर में माइनस 17.0, कारगिल में माइनस 20.0 और द्रास में माइनस 27.3 न्यूनतम तापमान रहा।
वहीं जम्मू में न्यूनतम तापमान 4.2, कटरा में 5.8, बटोटे में 2.3, बनिहाल में 0.6 और भद्रवाह में माइनस 2.6 तापमान दर्ज हुआ।
40 दिन की कठोर सर्दी की अवधि 'चिल्लई कलां' सोमवार से शुरू होने वाली है जो 31 जनवरी तक रहेगी। इस दौरान होने वाली बर्फबारी से ही पहाड़ों में बारहमासी पानी के जलाशय भरते हैं। जो गर्मियों में पिछलकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की विभिन्न नदियों, झरनों और झीलों में पहुंचते हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 दिसंबर| नये कृषि कानूनों के विरोध में देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों के धरना-प्रदर्शन का रविवार को 25वां दिन है। इस आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए जगह-जगह रविवार को श्रद्धांजलि-सभा का आयोजन किया जा रहा है। देश में रविवार को गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस मनाया जा रहा है। वह सिखों के नौवें गुरु थे। भारतीय किसान यूनयिन किसान (भाकियू) से जुड़े पंजाब के किसान नेता गुरविंदर सिंह ने कहा कि अपने हकों के लिए किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को भी आज श्रद्धांजलि दी जा रही है। उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा समेत देश के अन्य प्रांतों में भी श्रद्धांजलि-सभा का आयोजन किया जा रहा है।
पंजाब में ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी मेजर सिंह पुनावाल दिल्ली में आयोजित एक श्रद्धांजलि-सभा में पहुंचे। पुनावाल ने आईएएनएस से बताया कि तीनों नये कानूनों का अध्यादेश जून में आने के बाद से किसान इसका विरोध कर रहे हैं और इस विरोध-प्रदर्शन के दौरान पूरे देश में अब तक जितने किसान शहीद हुए हैं उनकी याद में आज पूरे देश में श्रद्धांजलि-सभा आयोजित कर उनको श्रद्धांजलि दी जा रही है।
पुनावाल ने बताया कि आज दोपहर बाद किसान संगठनों की सिंघु बॉर्डर पर फिर एक बैठक होगी जिसमें आंदोलन के आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जाएगा। सरकार से बातचीत को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ''हम सरकार से बातचीत के लिए हमेशा तैयार है बशर्ते सरकार हमें यह बताएं कि वह तीनों कानूनों को वापस लेने पर विचार करेगी।''
संसद के मानसून सत्र में कृषि से जुड़े तीनों अध्यादेशों से संबंधित तीन अहम विधेयकों संसद में पेश किए गए और दोनों सदनों की मंजूरी मिलने के बाद इन्हें कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 के रूप सितंबर में लागू किए गए।
दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे किसान संगठन इन तीनों काूननों को वापस लेने की मांग कर रहो हैं जबकि सरकार इनमें किसानों के हितों से जुड़े मुद्दों को शामिल कर संशोधन का प्रस्ताव दे चुकी है।
इस बीच 17 दिसंबर को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के नाम एक पत्र लिखकर इन कानूनों से किसानों को होने वाले फायदे का जिक्र करते हुए विपक्षी दलों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया। इन पत्र के जवाब में प्रदर्शनकारी किसानों की ओर से शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री तोमर के नाम एक पत्र लिखा गया जिसमें सरकार द्वारा लगाए गए तमाम आरोपों का जवाब दिया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 दिसंबर | पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का किला ध्वस्त करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने उन दस हजार छोटे-बड़े सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं पर फोकस किया है, जिनका हिंदू मतदाताओं में काफी असर है। भाजपा ने कई ग्रुप गठित कर इन सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों से जनसंपर्क अभियान शुरू किया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल दौरे के दौरान महापुरुषों की जन्मस्थली पर जाने के साथ बुद्धिजीवियों और समाज के अन्य वर्गों के साथ गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की भेंटवार्ता हर वर्ग को पार्टी से जोड़ने की रणनीति का हिस्सा हैं। पश्चिम बंगाल में हिंदुओं में भी तमाम पंथ और वर्ग हैं, जो रामकृष्ण मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, हिंदू मिलन समाज, इस्कॉन आदि संगठनों के अनुसार अपना रुख तय करते हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को रामकृष्ण मिशन जाकर पश्चिम बंगाल का दो दिवसीय दौरा शुरू किया। उन्होंने रामकृष्ण मिशन जाकर स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर फूल चढ़ाए। बंगाल में स्वामी विवेकानंद की बेहद स्वीकार्यता है। जनता उन्हें अपना आदर्श मानती है। भाजपा के एक नेता ने आईएएनएस से कहा, पश्चिम बंगाल में रामकृष्ण मिशन के करीब 50 लाख अनुयायी हैं। स्वामी विवेकानंद ने दुनिया में भारत का मान बढ़ाया, लेकिन मौजूदा तृणमूल कांग्रेस सरकार ने न स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं और न ही रामकृष्ण मिशन के कार्य को आगे बढ़ाने की दिशा में कोई पहल की। अब भाजपा पश्चिम बंगाल के सभी महापुरुषों की विरासत को आगे बढ़ाएगी।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की चुनावी रणनीति का दारोमदार प्रशांत किशोर (पीके) के कंधे पर है। जबकि भाजपा कई थिंकटैक के माध्यम से ममता बनर्जी की हर रणनीति का काउंटर करने में जुटी है। ऐसा ही एक थिंक टैंक है- श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन। दिल्ली के अशोका रोड से संचालित यह थिंकटैंक भी पश्चिम बंगाल में भाजपा की रणनीति तय करने में अहम भूमिका निभा रहा है। गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के दौरान फाउंडेशन के डायरेक्टर अनिर्बान गांगुली भी मौजूद रहे।
भाजपा का थिंक टैंक पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के अनुरूप रणनीति बनाने में जुटा है। शुरूआत में भाजपा ने कार्यक्रमों में जय श्रीराम के नारे लगाने शुरू किए तो ममता बनर्जी ने इसे उत्तर भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बंगाल की जनता पर थोपने की बात कही थी। जिस पर भाजपा के थिंक टैंक ने तुरंत अपनी लाइन बदलते हुए बंगाल के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर जोर देना शुरू कर दिया। पश्चिम बंगाल में मां काली के अनुयायियों की भारी संख्या देख भाजपा के सभी वरिष्ठ नेता हर दौरे के दौरान दक्षिणेश्वर काली मंदिर का दौरा करते हैं। इस प्रकार श्रीराम की जगह अब मां काली पर भाजपा ने फोकस किया है।
भाजपा ने हर जिले में धार्मिक और सामाजिक संगठनों से जनसंपर्क के लिए कुछ कमेटियां बनाई हैं। ये कमेटियां पूर्व सांसद और भाजपा के नेशनल सेक्रेटरी अनुपम हाजरा के निर्देशन में कार्य कर रहीं हैं। अनुपम हाजरा बोलपुर से तृणमूल कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते निकाले जाने पर उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया था। हालांकि भाजपा के टिकट पर वह जादवपुर लोकसभा सीट से चुनाव हार गए थे।
(आईएएनएस)
मुरादाबाद (उप्र), 20 दिसंबर | पति के नए 'लव जिहाद' कानून के तहत गिरफ्तार होने के बाद आश्रय गृह में रह रही मुरादाबाद की 22 वर्षीय युवती का गर्भपात हो गया है। एक निजी लैब द्वारा किए गए अल्ट्रासाउंड टेस्ट से यह पता चला है। इसके साथ ही लव जिहाद को लेकर चल रहा ड्रामा भी समाप्त हो गया। इस महीने की शुरूआत में मुरादाबाद में पुलिस ने एक युवक और उसके भाई को नए धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया था। रशीद नाम का यह युवक उस समय कांठ में रजिस्ट्रार कार्यालय में था, जब उसे बजरंग दल के सदस्यों ने पुलिस को सौंपा था।
युवती का जबरन धर्म परिवर्तन करवाने के आरोपों को साबित करने के लिए पुलिस द्वारा सबूत पेश न किए जाने के चलते शनिवार को उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने राशिद और उसके भाई को रिहा कर दिया था।
राशिद ने करीब 5 महीने पहले देहरादून के बिजनौर की रहने वाली 22 वर्षीय पिंकी से शादी की थी। दोनों की मुलाकात देहरादून में हुई थी। वहां राशिद काम करता था और लड़की पढ़ाई कर रही थी। रशीद की गिरफ्तारी के बाद पिंकी को एक आश्रय गृह में भेज दिया गया। पिंकी ने आरोप लगाया कि चिकित्सकीय लापरवाही के कारण उसे गर्भपात हो गया। उसने यह भी कहा कि उसे नारी निकेतन में प्रताड़ित किया गया था।
अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में कहा गया कि पिंकी का गर्भपात हो गया है और उसके गर्भाशय में संक्रमण है, जिसका इलाज किया जाना चाहिए।
पिंकी ने आरोप लगाया था कि संरक्षण गृह के कर्मचारियों ने उसकी बिगड़ती हालत को नजरअंदाज किया और अस्पताल ले जाने पर वहां डॉक्टर ने एक इंजेक्शन दिया, जिससे उसका गर्भपात हो गया। अस्पताल ने आरोपों का सिरे से खंडन किया है।
मुरादाबाद जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. निर्मला पाठक ने कहा, "अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट डॉ.आर.पी. मिश्रा ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि भ्रूण दिखाई दे रहा था लेकिन दिल की धड़कन नहीं थी।"
उन्होंने आगे कहा, "पहले ही अल्ट्रासाउंड के बाद हमें संदेह था क्योंकि बच्चे की दिल की धड़कन नहीं मिली थी। दूसरे परीक्षण के लिए हमने डॉपलर अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किया, लेकिन दिल की धड़कन का पता नहीं चल सका।"
इस बीच 13 दिनों तक जेल में रहने के बाद शनिवार को अदालत के आदेश के बाद राशिद और उसके भाई को रिहा कर दिया गया। पिंकी को भी ससुराल लौटने की इजाजत दे दी गई है।
कांठ पुलिस ने एक रिपोर्ट में कहा कि पिंकी ने राशिद और उसके भाई सलीम द्वारा जबरदस्ती धर्म परिवर्तन के आरोपों से इनकार कर दिया था इसलिए हमें कोई सबूत नहीं मिले।
(आईएएनएस)
कानपुर (उत्तर प्रदेश), 20 दिसंबर | अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए सुर्खियों में रहने वाले भारतीय जनता पार्टी के उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज ने अब कहा है कि "जैसा कि पाकिस्तान से अधिक मुसलमान भारत में हैं, उनका अल्पसंख्यक दर्जा खत्म कर दिया जाना चाहिए।" साक्षी शनिवार को उन्नाव में एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान की तुलना में भारत में मुस्लिम आबादी अधिक है, इसलिए मुसलमानों के अल्पसंख्यक दर्जे को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया जाना चाहिए। मुसलमानों को अब खुद को हिंदुओं का छोटा भाई-बहन समझना चाहिए और देश में उनके साथ रहना चाहिए।"
देश की बढ़ती जनसंख्या पर बोलते हुए साक्षी ने कहा, "जल्द ही बढ़ती जनसंख्या की जांच के लिए एक विधेयक संसद में पेश किया जाएगा। जिनके दो से अधिक बच्चे होंगे, उन्हें चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया जाएगा।"
भाजपा सांसद ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के चल रहे विरोध पर विपक्षी दलों पर हमला किया, और कहा, "सरकार कृषि कानूनों के बारे में बात करने के लिए तैयार है।"
उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा, "राम मंदिर की तरह, कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों को कृषि बिल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी चाहिए न कि उन्हें भोलेभाले किसानों के कंधों से बंदूक चलानी चाहिए।"
(आईएएनएस)
हाथरस (उत्तर प्रदेश), 20 दिसंबर | सीबीआई द्वारा हाथरस मामले में दुष्कर्म और हत्या के चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किए जाने के दो दिन बाद 19 वर्षीय पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने कहा है कि वे गांव छोड़कर जाना चाहते हैं। पीड़िता के भाईयों में से एक ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, "चारों आरोपियों के परिवार गांव के प्रभावशाली लोग हैं और गांव के चार-पांच दलित परिवार 'परेशानी' से दूर रहना चाहते हैं और हमारा सहयोग नहीं करेंगे। 63 से अधिक उच्च जाति के परिवार हैं जो बात भी नहीं करते हैं। शुक्रवार को चार्जशीट दायर होने के बाद हालात और भी अधिक प्रतिकूल हो गया है।"
पीड़िता ने मरने के पहले दिए बयान में कहा था कि आरोपियों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया है लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने दुष्कर्म की बात को नकार दिया था।
14 सितंबर को वह दुष्कर्म का शिकार होने के बाद 30 सितंबर को दिल्ली के एक अस्पताल में उसकी मौत के बाद राष्ट्रीय आक्रोश पैदा हो गया था।
परिवार को सीआरपीएफ सुरक्षा प्रदान की गई है, लेकिन परिवार के सदस्यों का कहना है कि हमेशा सुरक्षाकर्मी नहीं रहेंगे।
भाई ने कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार हमें दिल्ली में एक घर दे ताकि हम यहां से दूर जा सकें और शांति से अपना जीवन जी सकें।"
पीड़िता की वकील सीमा कुशवाहा ने भी एक समाचार चैनल से कहा कि वह मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग करेंगी।
उन्होंने कहा, "यूपी के अधिकारियों पर भी मामले में लापरवाही का आरोप है। हम चार्जशीट में उनको शामिल करने की मांग करेंगे। यह निश्चित रूप से गांव में रह रहे पीड़िता के परिवार के लिए सुरक्षित नहीं है।"
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 20 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक रविवार को सुबह-सुबह यहां रकाबगंज गुरुद्वारे में पहुंच गए। उन्हें अचानक गुरुद्वारा परिसर में देखकर गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के लोग भी चौंक गए। उनके गुरुद्वारे जाने को लेकर न तो सड़कों पर सिक्योरिटी और न ही बैरेकेडिंग के इंतजाम किए गए थे। आम आदमी की तरह बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुद्वारा पहुंचकर सभी को चौंका दिया। उन्होंने इस दौरान सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर जी को नमन करते हुए शांति का संदेश दिया। किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री मोदी का अचानक गुरुद्वारा पहुंचने को महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है।
गुरु तेगबहादुर ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था। उनकी शहादत हर साल शहीदी दिवस के रूप में याद किया जाता है। बीते शनिवार को ही पूरे देश ने उनका शहीदी दिवस मनाया है। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के दौरान ध्यान रखा गया कि इस दौरान आम आदमी को किसी तरह की दिक्कत न हो। क्योंकि रविवार के दिन गुरुद्वारे में शीश नवाने जाने वालों की संख्या ज्यादा होती है। इसीलिए कहीं कोई सुरक्षा आदि की वैसी व्यवस्था नहीं हुई, जैसी आमतौर पर होती है।
गुरु तेग बहादुर ने 17वीं शताब्दी के दौरान सिख धर्म का प्रचार किया। वर्ष 1975 में उन्होंने हंसते-हंसते प्राणों का बलिदान कर दिया था। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पंजाब के किसानों की ओर से चलाए जा रहे आंदोलन के बीच अचानक गुरुद्वारा पहुंचकर एक संदेश दिया है। हालांकि, भाजपा नेताओं का कहना है कि यह शुद्ध आस्था का मामला है। इसे किसी और नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। (आईएएनएस)
हुबली (कर्नाटक), 20 दिसंबर | जहां कर्नाटक में कांग्रेस गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्तावित विधेयक का पुरजोर विरोध कर रही है, वहीं पार्टी के एक वरिष्ठ नेता सी.एम. इब्राहिम ने शनिवार को राज्य में गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के सत्तारूढ़ भाजपा के फैसले का स्वागत किया। इब्राहिम का बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य में गौ हत्या पर प्रतिबंध को लागू करने के फैसले को लेकर विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने भाजपा सरकार पर कई हमले किए हैं।
इब्राहिम ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए मुसलमानों से गोमांस नहीं खाने की अपील की और मांग की कि सत्तारूढ़ भाजपा पंचायत स्तर पर गौशाला स्थापित करे न कि तालुका स्तर पर।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, एक मुसलमान के रूप में, मुझे लगता है कि हमारे समुदाय को देश में हिंदुओं की धार्मिक भावना को आहत करने वाली किसी भी गतिविधि में लिप्त नहीं होना चाहिए। मुस्लिम समुदाय को इसका एहसास होना चाहिए और गोमांस खाने से दूर रहना चाहिए।
इब्राहिम इस वक्त राज्यव्यापी दौरे पर हैं। वो कांग्रेस छोड़ कर जनता दल (एस) में शामिल हो सकते हैं।
इब्राहिम ने कहा कि पार्टी और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उनके साथ गलत व्यवहार और अनदेखा किया।
हालांकि पिछले हफ्ते कर्नाटक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने इब्राहिम से मुलाकात की और कांग्रेस नहीं छोड़ने की अपील की थी।
लेकिन अगले ही दिन इब्राहिम ने जद (एस) सुप्रीमो एच.डी. देवेगौड़ा और उनके बेटे, एच.डी. कुमारस्वामी से उनके घर पर मुलाकात की और कांग्रेस छोड़ने का संकेत दिया।
इसके तुरंत बाद, सिद्धारमैया ने मैसूरु में स्पष्ट किया पार्टी के लिए कोई भी अपरिहार्य नहीं है।
--आईएएनएस
पश्चिम बंगाल की राजनीति से जुड़े हर शख़्स के लिए बीता सप्ताह काफ़ी उथल-पुथल और बदलावों वाला रहा.
चाहे वो राजनेता हों, पार्टी कार्यकर्ता हों, पश्चिम बंगाल की राजनीति को कवर करने वाले पत्रकार हों या फिर टीवी की बहस में बैठने वाले नियमित पैनेलिस्ट ही क्यों ना हों.
पश्चिम बंगाल की राजनीति से जुड़े इन सभी लोगों के लिए गुज़रा सप्ताह बेहद बदलाव भरा और व्यस्त रहा.
अगर टीवी न्यूज़ पर ग़ौर किया हो तो आपको बीते कुछ दिनों में पॉलिटिकल ब्रेकिंग कुछ ज़्यादा दिखाई दी होंगी.
और राजनीतिक बदलाव कई जगह होते देखे गए. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक, आसनसोल, बैरकपुर, बांकुरा, हल्दिया, मेदिनीपुर, पुरुलिया, मालदह में बड़े राजनीतिक बदलाव देखने को मिले.
कांथी कस्बा बनाम कालीघाट
पश्चिम बंगाल की राजनीति में मचे बवाल का सबसे अधिक असर या यूं कहें कि इस समय का सबसे बड़ा आकर्षण रहा - कांथी कस्बा.
तटवर्ती इलाके में स्थित कांथी कस्बे को ब्रितानी काल के दौरान कोंटाई नाम से जाना जाता था.
इसकी वजह ये है कि कांथी अब 'क' से ही शुरू होने वाले दूसरे स्थान को चुनौती दे रहा है- कालीघाट को.
कालीघाट वो इलाका है जहाँ राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रहती हैं. कांथी में शुभेंदु अधिकारी का घर है.
शुभेंदु अधिकारी साल 2007-2008 में प्रस्तावित पेट्रो केमिकल हब के ख़िलाफ़ चले नंदीग्राम के किसानों के आंदोलन का चेहरा थे.
शुभेंदु बीजेपी में शामिल हुए
नंदीग्राम आंदोलन ने साल 2011 में ममता बनर्जी के सत्ता में आने के मार्ग को प्रशस्त किया था.
इसके अलावा पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के बाद वह टीएमसी के दूसरे सबसे लोकप्रिय नेता थे.
भले ही वे पुरबा मेदिनीपुर ज़िले में नंदीग्राम से विधायक हैं लेकिन आस-पास के कई ज़िलों में भी उनका समर्थन आधार काफी है.
पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बड़ा बदलाव तब आया जब बीते हफ़्ते शुभेंदु अधिकारी ने मंत्री पद और सभी सरकारी ओहदों से इस्तीफ़ा दे दिया और शनिवार को बीजेपी में शामिल हो गए. केंद्रीय मंत्री अमित शाह की मेदिनीपुर में शनिवार को हुई एक रैली में टीएमसी के पूर्व नेता शुभेंदु अधिकारी आधिकारिक तौर पर बीजेपी में शामिल हो गए.
आसनसोल नगर निगम के प्रमुख जितेंद्र तिवारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ
दल बदल या बदलाव
ऐसा माना जा रहा है कि अधिकारी के कई समर्थक भी आने वाले दिनों में उन्हीं की राह पर चलते हुए बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
टीएमसी, सीपीआई, सीपीआईएम और कांग्रेस के कई सांसद, विधायक, पूर्व सांसद-विधायक और मंत्रियों को बीजेपी में शामिल होने की बात भी सामने आ रही है.
एक ओर जहां मीडिया के लिए यह बदलाव बड़ी ख़बर है. वहीं, राज्य में सरकारी अमला यह आकलन करने में व्यस्त है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले वो कौन होंगे जो बीजेपी में शामिल हो जाएंगे. लेकिन आशंका सिर्फ़ एकतरफ़ा नहीं हैं.
आशंका इस बात को लेकर भी हैं कि क्या टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए बाग़ी नेताओं को बीजेपी पार्टी के कार्यकर्ता और स्थानीय नेता स्वीकार करेंगे या नहीं.
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अरुंधति मुखर्जी के मुताबिक़, "आसनसोल नगर निगम के प्रमुख जितेंद्र तिवारी का उदाहरण देखिए. तिवारी ने टीएमसी और निगम के पद से इस्तीफ़ा दिया. वे बीजेपी में आने के लिए पूरी तरह तैयार थे लेकिन केंद्रीय मंत्री और आसनसोल से सांसद बाबुल सुप्रियो समेत अन्य वरिष्ठ बीजेपी नेताओं ने खुले तौर पर तिवारी का विरोध किया था. अभी जब कल तक बीजेपी तिवारी का विरोध करती रही है कि वे उन्हें अब पार्टी में कैसे स्वीकार कर सकती है?"
इसके अलावा कई अन्य मामले भी हैं जब बीजेपी कार्यकर्ताओं ने टीएमसी नेताओं के बीजेपी में शामिल होने का विरोध किया है.
क्या इससे बीजेपी में फूट पैदा होगी?
क्या इससे पुरानी बीजेपी और नई बीजेपी के बीच संघर्ष होगा?
बीजेपी नेता और आरएसएस की बंगाली में छपने वा पत्रिका स्वास्तिका के संपादक रंतिदेब सेनगुप्ता कहते हैं, "पार्टी नेतृत्व ने निश्चित तौर पर इस बारे में सोचा है और एक स्पष्ट संदेश दिया कि नए लोगों के लिए रास्ता बनाने का मतलब पुराने लोगों को दरकिनार करना नहीं."
सेनगुप्ता के अनुसार, "विभिन्न दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के हमारे साथ जुड़ने की उम्मीद है. ख़ासतौर पर टीएमसी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के शामिल होने की. यह एक भ्रामक प्रचार है कि जब नए कार्यकर्ता और नेता पार्टी में शामिल होते हैं तो पुरानों को दरकिनार कर दिया जाता है. ऐसा कुछ भी नहीं होने जा रहा है. केंद्रीय नेतृत्व ने हर किसी को यह स्पष्ट किया है."
मुखर्जी भी इस संबंध में केंद्रीय नेतृत्व की भूमिका को अहम बताती हैं.
वो कहती हैं, "बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और यह तय करेगा कि चीजों को किस तरह आगे ले जाना है. उन्होंने निश्चित तौर पर तिवारी के संबंध में उठे विरोध के स्वर को सुना होगा कि उन्हें पार्टी में आने से रोक दिया गया है. बीजेपी किसी क़ीमत पर नहीं चाहेगी कि चुनावों से पहले पार्टी में गुटबाज़ी शुरू हो जाए. हमने कोलकाता में विजयादशमी के बाद एक सभा के दौरान विभिन्न बीजेपी गुटों के नेताओं को हाथ मिलाते हुए देखा है."
मुकुल रॉय का उदाहरण
जिन नेताओं के टीएमसी छोड़ने की बात सामने आ रही है उनके संबंध में अक्सर कहा जाता रहा है कि वे देशद्रोही हैं और सत्ता के लालची हैं.
टीएमसी का आरोप है कि टीएमसी के कार्यकाल में सत्ता का आनंद लेने के बाद वे बीजेपी से टिकट पाने के लिए चुनावों के ठीक पहले पार्टी में शामिल हो रहे हैं.
रंतिदेब सेनगुप्ता कहते हैं, "उनमें से कुछ को तो निश्चित तौर पर चुनावी टिकट मिलेगा लेकिन हर किसी को तो नहीं. जो कोई भी हमारे साथ जुड़ना चाहता है, उसे पहले हमारी विचारधारा को स्वीकार करना होगा. वे हमारे एजेंडे के साथ हैं इसलिए आ रहे हैं. नेतृत्व को अच्छे से पता है कि कौन किस पद के लिए उपयुक्त है और वे उसी आधार पर फ़ैसले लेंगे."
राजनीतिक विश्लेषक बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय का उदाहरण देते हैं. बीजेपी में शामिल होने से पहले मुकुल रॉय टीएमसी में दूसरे सबसे प्रभावशाली नेता थे.
अरुंधति मुखर्जी कहती हैं, "जब मुकुल रॉय टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे, तभी यह स्पष्ट कर दिया गया था कि वे राज्य में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं होंगे. अब अगर शुभेंदु अधिकारी के समर्थक ये सपना देख रहे हैं कि बीजेपी के जीतने पर वो सीएम बनेंगे तो यह तो बिल्कुल भी नहीं होने वाला है. इस बात का फ़ैसला सिर्फ़ आरएसएस ही करेगी कि सीएम पद पर कौन होगा."
बंगाल की राजनीति
अरुंधति मुखर्जी का कहना है, "अगले कुछ महीनों में कोलकाता निगम के चुनाव होने हैं और मेयर कौन होगा यह फ़ैसला तक आरएसएस करेगी. वो जो भी होगा या होगी वो पुरानी बीजेपी पार्टी से ही होगा या होगी. कोई ऐसा तो बिल्कुल नहीं बनेगा जिसने अभी अभी पार्टी ज्वॉइन की हो."
मुखर्जी आगे कहती हैं कि यह ज़रूर है कि टीएमसी के कुछ नेताओं को टिकट ज़रूर मिलेगा लेकिन सभी को तो नहीं.
हाल के सालों में बीजेपी में अब तक का यह सबसे बड़ा दल-बदल है.
क्या यह बदलाव आने वाले चुनावों में बीजेपी को सत्तारूढ़ टीएमसी पर बड़ी बढ़त दिला पाएगा?
बंगाल की राजनीति में आज यह सबसे बड़ा सवाल है. (bbc)
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने अब तक के सियासी करियर की सबसे बड़ी उलझन में फंस गए हैं.
मुंबई की एक युवती द्वारा उनपर लगाए गए बलात्कार के कथित आरोपों के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उनसे इस्तीफ़े की मांग की है.
बीजेपी ने इन आरोपों की सीबीआई जांच कराने की भी मांग की है.
बीजेपी ने कहा है कि यह जांच इसलिए जरूरी है, क्योंकि देश के राजनीतिक इतिहास की यह पहली घटना है, जब किसी मौजूदा मुख्यमंत्री पर बलात्कार के आरोप लगे हों.
वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने कहा है कि बीजेपी 'डर्टी पॉलिटिक्स' कर रही है.
इस बीच झारखंड हाईकोर्ट में दायर कराई गई एक जनहित याचिका (पीआईएल) में बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास और दूसरे नेताओं पर झारखंड में सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है.
बाबूलाल मरांडी के आरोप
तेजी से बदलते इन घटनाक्रमों के कारण राज्य की सियासत अचानक तेज हो गई है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने दुमका में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग की.
उन्होंने कहा, "मुंबई की एक युवती ने मुख्यमंत्री पर बलात्कार का आरोप लगाया है. उसने यह भी कहा है कि हाल ही में उसका एक्सीडेंट हुआ और उसे शक है कि उसकी जान मारने की कोशिश की जा रही है. उसने इसकी शिकायत पुलिस से की है. उसकी चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. ऐसे में नैतिकता का तकाजा यह है कि हेमंत सोरेन तत्काल इस्तीफा दें और जनता को सच बताएं. वे स्वयं इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग करें और महाराष्ट्र सरकार इसकी सीबीआई जांच की सिफारिश करे. ताकि, दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ सके."
"यह गंभीर आरोप है. अगर इसकी निष्पक्ष जांच नहीं करायी गई, तो हर रसूखदार आदमी अपनी हैसियत से लोगों को प्रभावित करता रहेगा और फिर प्रलोभन या दबाव देकर से मामलों मे समझौता करा लेगा. ऐसे में तो देश में अपराध रुकेगा ही नहीं."
बाबूलाल मरांडी ने यह भी कहा, "मैं यह मानता हूं कि हर संभ्रात और कानूनपसंद व्यक्ति का दायित्व बनता है कि वह इस घटना को लेकर सड़क पर उतरे और निष्पक्ष जांच की मांग करे. यह आरोप कोई साधारण आरोप नहीं है. हमें जानकारी मिली है कि आरोप लगाने वाली युवती ने भी बॉम्बे हाईकोर्ट में दरख्वास्त देकर इसकी सीबीआई जांच कराने की मांग की है."
क्या है मामला
दरअसल खुद को बॉलीवुड की स्ट्रगलर अभिनेत्री बताने वाली एक युवती ने कथित तौर पर आरोप लगाया है कि हेमंत सोरेन ने साल 2013 के 5 सितंबर को मुंबई के एक फाइव स्टार होटल में उनके साथ बलात्कार किया था. इस दौरान उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी थी.
इसके 45 दिन बाद उस युवती ने इस कथित घटना की शिकायत मुंबई के एक मेट्रोपोलिटन कोर्ट में की, लेकिन इसके 9 दिन बाद ही उन्होंने अपनी शिकायत वापस ले ली और यह मामला बंद हो गया. हेमंत सोरेन उस दौरान भी झारखंड के मुख्यमंत्री थे.
अब उस युवती का 8 दिसंबर, 2020 का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने बांद्रा (मुंबई) पुलिस से इस पूरे मामले की शिकायत करते हुए इसकी फिर से जांच कराने की मांग की है.
मुंबई पुलिस के डीसी (जोन-9) अभिषेक त्रिमुखे ने शिकायती मेल की पुष्टि करते हुए मीडिया से कहा है कि पुलिस इसकी जांच कर रही है और हम बातों को वेरिफाई कर रहे हैं.
इस बीच राष्ट्रीय महिला आयोग ने उस वायरल पत्र को आधार बनाकर महाराष्ट्र के डीजीपी से जवाब तलब किया है. आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इस संबंधित ट्वीट्स भी किए हैं.
मुंबई पुलिस ने शिकायती मेल की पुष्टि करते हुए मीडिया से कहा है कि पुलिस इसकी जांच कर रही है और हम बातों को वेरिफाई कर रहे हैं
आरोप लगाने वाली युवती गायब
हालांकि जिस युवती के पत्र के आधार पर बीजेपी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस्तीफे की मांग की है, उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया है.
उनका फोन नंबर बंद है और वे बीबीसी के तमाम मैसेजेज का जवाब देने कि लिए भी उपलब्ध नहीं हुईं.
मुंबई पुलिस को भी उन्होंने सिर्फ एक मेल किया था, जिसके बाद उनके मेल की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.
अभी तक यह बात सार्वजनिक नहीं की गई है कि वे मुंबई पुलिस से स्वयं मिली हैं या नहीं.
बीजेपी की डर्टी पॉलिटिक्स: जेएमएम
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस पूरे प्रकरण को बेसलेस (आधारहीन) बताया है. पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि बीजेपी डर्टी पालिटिक्स कर रही है. जनता इसका जवाब देगी.
उन्होंने कहा कि क्या शिबू सोरेन का बेटा होना गुनाह है, जो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर इस तरह के गंदे आरोप लगाए जा रहे हैं. क्या यह नैतिक है कि एक बंद मामले को उखाड़ कर किसी की छवि खराब की जाए.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने बीबीसी से कहा, "यह सीधे तौर पर कैरेक्टर एसिसनेशन की कोशिश है और यह सही बात नहीं है. इसके खिलाफ लोअर कोर्ट (रांची सिविल कोर्ट) में पहले से ही मानहानि का मामला चल रहा है. मुख्यमंत्री जी ने बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ इस मामले में अपनी मानहानि का मामला दर्ज कराया था. कोर्ट उसकी सुनवाई कर रहा है. अभी उसपर कोई निर्णय आता, इससे पहले ही बीजेपी के नेताओं ने फिर से वही राग अलापना शुरू कर दिया."
"ये लोग (बीजेपी) साल भर में इतना घबरा गए हैं कि किसी भी स्तर पर जाकर कुछ भी कर सकते हैं. सात साल पुराना मामला, जिसका कहीं कोई एवीडेंस (प्रमाण) नहीं है. उसमें केवल एक चिट्ठी के आधार पर महिला आयोग का संज्ञान लेना यह साबित करता है कि बीजेपी संवैधानिक संस्थाओं का भी दुरुपयोग कर रही है. इससे उनकी मंशा पता चलती है. हाथरस के मामले में कल सीबीआई ने चार्जशीट दायर की. उस मामले में यूपी के डीजीपी ने कहा था कि रेप नहीं हुआ है. महिला आयोग ने उस मामले में क्यों नहीं संज्ञान लिया. ऐसी कई घटनाएं हो रही हैं जिन पर महिला आयोग ने कोई नोटिस नहीं लिया. लेकिन, एक ऐसा मामला जो कई साल पहले बंद हो गया और जिसका कोई आधार नहीं है, उसमें महिला आयोग ने स्वतः संज्ञान ले लिया. जनता यह सब समझ रही है. इसका जवाब भी देगी."
सरकार गिराने की साजिश
इस बीच बीजेपी के नेताओं पर सरकार गिराने की साजिश रचने के आरोप भी लगे हैं. रांची की एक सामाजिक कार्यकर्ता जहां आरा ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आरोप लगाने वाली युवती के कॉल रिकॉर्ड और बैंक स्टेटमेंट की जांच सीआईडी से कराने की मांग की है.
उनका आरोप है कि बीजेपी झारखंड में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई हेमंत सोरेन सरकार को गिराने की साजिश रच रही है. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और राज्य सरकार को प्रतिवादी बनाया है.
उनके अधिवक्ता राजीव कुमार बीबीसी से कहा, "बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कुछ समय पहले दुमका में कहा था कि वे दो माह में सरकार गिरा देंगे. उनके संपर्क में झारखंड मुक्ति मोर्चा के 10-12 विधायक हैं. तब नंदकिशोर सिंह नामक व्यक्ति ने उनके खिलाफ दुमका सदर थाना में देशद्रोह की एफआईआर भी कराई थी. इसकी जांच तेजी से कराई जानी चाहिए. इसके साथ ही यह जांच झारखंड सीआईडी से कराई जानी चाहिए कि जिस युवती ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर रेप के लगाए, वह किन-किन बीजेपी नेताओं के सपर्क में रही हैं. उसके फोन रिकार्ड और बैंक स्टेटमेंट की जांच हो, ताकि पता चल सके कि वह किसके इशारे पर ऐसे आरोप लगा रही है. क्योंकि, बीजेपी के नेता झारखंड में सरकार गिराने की कोशिश लंबे वक्त से कर रहे हैं और ये ताजा आरोप भी उसी सिलसिले में लगाए गए हैं. इसका सच सीआईडी जांच से ही सामने आ सकेगा." (bbc)
पणजी(गोवा), 20 दिसंबर | पुर्तगालियों के चंगुल से गोवा को मुक्ति मिलने के 60 साल पूरे होने पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यहां शनिवार को आयोजित गोवा लिबरेशन डे समारोह में हिस्सा लेते हुए राज्य में लागू समान नागरिक संहिता की सराहना करते हुए इसे गौरव का विषय बताया है। उन्होंने कहा कि यहां के लोगों ने, समान नागरिक संहिता को अपनाया है। ऐसा करने से, यहां की सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा मिला है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का बयान ऐसे समय आया है, जब पूरे देश में कॉमन सिविल कोड लागू करने की मांग उठ रही है।
राष्ट्रपति ने गोवा मुक्ति की लड़ाई को लेकर कहा, "आज का दिन, गोवा के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए विशेष रूप से स्मरणीय है। लगभग 450 वर्ष के औपनिवेशिक शासन के बाद 1961 में आज के ही दिन, गोवा को विदेशी शासन से मुक्त कराया गया था। आप सभी के पूर्वजों ने, आजादी की मशाल को बुझने नहीं दी। इसे जलाए रखने के लिए, अनेक स्वाधीनता सेनानियों ने अपना जीवन बलिदान कर दिया।"
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोवा के लोगों को मेहनती बताते हुए कहा, "आज, गोवा जब अपनी आजादी के 60वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है तो यह देखकर गर्व होता है कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह राज्य पहले स्थान पर है। इसका श्रेय गोवा के मेहनती लोगों, जन-प्रतिनिधियों, जन-सेवकों तथा उद्योग क्षेत्र को जाता है।"
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर गोवा में मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत की ओर से संचालित स्वयंपूर्ण गोवा पहल की सराहना की।"
उन्होंने कहा, "डॉ. प्रमोद सावंत, अपने पूर्ववर्ती और आदर्श कर्मयोगी स्वर्गीय श्री मनोहर पर्रिकर की समृद्ध विरासत को सच्चे अर्थो में आगे बढ़ा रहे हैं। आज जब पूरा देश, 'आत्मनिर्भर भारत' के मंत्र पर चलते हुए स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए आगे बढ़ रहा है, तब गोवा ने मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत के गतिशील नेतृत्व में 'आत्मनिर्भर भारत, स्वयंपूर्ण गोवा' की सराहनीय पहल शुरू की है।"
राष्ट्रपति ने गोवा को मुक्त कराने के लिए आरएसएस, आजाद गोमांतक दल, गोवा विमोचन समिति, गोवा मुक्ति सेना सहित सभी संगठनों की एकजुटता और राममनोहर लोहिया के प्रयासों को भी याद किया। उन्होंने गोवा के लोगों की अतिथि भावना की भी सराहना करते हुए कहा कि गोवा की 160 किलोमीटर लंबी तट-रेखा पर, दुनिया के कुछ सबसे खूबसूरत समुद्र-तट मौजूद हैं। गोवा की प्राकृतिक सुषमा अनूठी है और यहां के लोग 'अतिथिदेवो भव' की परंपरा के सच्चे प्रतिनिधि हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कोरोना काल में गोवा की सरकार के कार्यो की तारीफ करते हुए कहा कि राज्य वित्तपोषित स्वास्थ्य बीमा योजना और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मजबूत बुनियादी ढांचे के कारण, महामारी के दौरान, गोवा की सरकार, लोगों की समुचित देखभाल करने में सक्षम रही है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 20 दिसंबर | केंद्र सरकार द्वारा लागू नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों की तरफ से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, (एआईकेएससीसी) ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नाम एक खुला पत्र लिखकर किसानों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर सरकार की ओर से लगाए तमाम आरोपों का खंडन किया है। किसान संगठन (एआईकेएससीसी) ने पत्र में प्रधानमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री को संबोधित पत्र में लिखा है- "बड़े खेद के साथ आपसे कहना पड़ रहा है कि किसानो ंकी मांगों को हल करने का दावा करते-करते, जो हमला दो दिनों से आपने किसानों की मांगों व आंदोलन पर करना शुरू कर दिया है वह दिखाता है कि आपको किसानों से कोई सहानुभूति नहीं है और आप उनकी समस्याओं का हल करने का इरादा शायद बदल चुके हैं। निस्संदेह, आपके द्वारा कही गईं सभी बातें तथ्यहीन हैं।"
पत्र में आगे लिखा है- "उससे भी ज्यादा गंभीर बात यह है कि जो बातें आपने कही हैं, वे देश व समाज में किसानों की जायज मांगें, जो सिलसिलेवार ढंग से पिछले छह महीनों से आपके समक्ष लिखित रूप से रखी जाती रही हैं, देशभर में किए जा रहे शांतिपूर्ण आंदोलन के प्रति अविश्वास की स्थिति पैदा कर सकती है। इसी कारण से हम बाध्य हैं कि आपको इस खुले पत्र के द्वारा अपनी प्रतिक्रिया भेजें, ताकि आप इस पर बिना किसी पूर्वाग्रह के गौर कर सकें।"
नए कृषि काननोूं के संबंध में प्रधानमंत्री द्वारा शुक्रवार को मध्यप्रदेश में आयोजित किसानों के एक सम्मेलन दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए किसान संगठन ने पत्र में लिखा है- "आपने मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में आयोजित किसानों के सम्मेलन में जोर देकर कहा कि किसानों को विपक्षी दलों ने गुमराह कर रखा है, वे कानूनों के प्रति गलतफहमी फैला रहे हैं, इन कानूनों को लंबे अरसे से विभिन्न समितियो में विचार करने के बाद और सभी दलों द्वारा इन परिवर्तनों के पक्ष मे राय रखे जाने के बाद ही अमल किया गया है, जो कुछ विशिष्ठि समस्याएं इन कानूनों में थीं, उन्हें आपकी सरकार ने वार्ता में हल कर दिया है और यह आंदोलन असल में विपक्षी दलों द्वारा संगठित है। आपकी ये गलत धारणाएं और बयान गलत जानकारियों से प्रेरित हैं और आपको सच पर गौर करना चाहिए।"
किसान संगठन ने प्रधानमंत्री के बयान और केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा 17 दिसंबर को किसानों के नाम लिखे पत्र में किसानों के आंदोलन को लेकर लगाए गए तमाम आरोपों का खंडन किया है। किसान संगठन ने पत्र में कानून की कुछ खामियों का भी जिक्र किया है।
पत्र में लिखा है- "आपने कुछ विशेष सवाल उठाकर कहा है कि आप भ्रम दूर करना चाहते हैं। आपका कहना है कि किसानों की जमीन पर कोई खतरा नहीं है, ठेके में जमीन गिरवी नहीं रखी जाएगी और जमीन के किसी भी प्रकार के हस्तांतरण का करार नहीं होगा। हम आपका ध्यान ठेका खेती कानून की धारा 9 पर दिलाना चाहते हैं जिसमें साफ लिखा है कि किसान को जो लागत के सामान का पेमेंट कंपनी को करना है, उसके पैसे की व्यवस्था कर्जदाता संस्थाओं के साथ एक अलग समझौता करके पूरी होगी, जो इस ठेके के अनुबंध से अलग होगा। गौर करें कि कर्जदाता संस्थाएं जमीन गिरवी रखकर ही कर्ज देती हैं।"
किसान संगठन के मुताबिक, दूसरा यह कि ठेका खेती कानून की धारा 14(2) में लिखा है कि अगर कंपनी से किसान उधार लेता है तो उस उधार की वसूली कंपनी के कुल खर्च की वसूली के रूप में होगी, जो धारा 14(7) के अंतर्गत भू-राजस्व के बकाया के रूप में की जाएगी।
संगठन ने कहा, "अत: आपका यह कथन कि 'परिस्थिति चाहे जो भी हो किसान की जमीन सुरक्षित है', आपके कानून के हिसाब से गलत हैं। अच्छा होता कि ये बात कानून में लिखी होती और तब आप ये बात कहते।"
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 20 दिसम्बर | दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने जालसाजों के एक गिरोह को गिरफ्तार किया है, जो सेना के जवान के रूप में लोगों को मालीसियस यूपीआई लिंक भेजता था और उनकी गाढ़ी कमाई का पैसा ठगता था। शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि उसकी पत्नी ने लेडीज सूट की ऑनलाइन बिक्री का कारोबार किया। इस साल सितंबर में उनके पास एक आरोपी व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को सेना का जवान बताया और अपने आर्डर की पुष्टि की। इसके बाद, उसने शिकायतकर्ता से अनुरोध किया कि वह केवल यूपीआई मोड के माध्यम से भुगतान करेगा, क्योंकि वह सेना का आदमी है। बाद में, आरोपी ने कुछ बैंक विवरण भरने के लिए शिकायतकर्ता को एक मालीसियस यूपीआई लिंक भेजा और उसके पास से 2,45,990 रुपये ठग लिए।
अतिरिक्त डीसीपी शाहदरा संजय कुमार सेन ने कहा, "बाद में, उसने मालीसियस यूपीआई लिंक सेंड किए, जिसके बाद, जब पीड़ितों ने उक्त लिंक पर अपने बैंक विवरण भरे, तो उनके अकाउंट से सभी पैसे फेक अकाउंट में ट्रांसफर हो गए। पैसे ट्रांसफर करने के लिए आरोपी ने कई फेक बैंक अकाउंट और फेक पेटीएम अकाउंट का उपयोग किया।"
--आईएएनएस
नई दिल्ली/श्रीनगर, 20 दिसम्बर | पूर्व केंद्रीय मंत्री और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को एक बड़ा झटका देते हुए, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को जे एंड के क्रिकेट एसोसिएशन मामले में 11.86 करोड़ रुपये मूल्य की छह संपत्तियां जब्त की हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी। ईडी के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया, "हमने अब्दुल्ला की छह संपत्तियों को जब्त किया है। इसमें तीन आवासीय भवन हैं, जबकि दो प्लॉट शामिल हैं।"
उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता की संपत्तियां धनशोधन रोकथाम अधिनियम(पीएमएलए) के तहत जब्त की गई है।
अधिकारी ने कहा, "संलग्न संपत्तियों में, श्रीनगर में गुप्कर रोड स्थित निवास, तहसील कटिपोरा के तन्मर्ग में, और सुंजवान जम्मू भटिंडी गांव की संपत्ती शामिल है।"
उन्होंने आगे कहा कि जांच के दौरान, यह पता चला कि 2005-06 से दिसंबर 2011 तक जेकेसीए ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से 109.78 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे।
अधिकारी ने आगे कहा, "2006 और जनवरी 2012 के बीच, फारूक अब्दुल्ला जेकेसीए के अध्यक्ष थे और उन्होंने जेकेसीए में पदाधिकारियों की अवैध नियुक्तियां करने के लिए अपनी स्थिति और रसूख का गलत इस्तेमाल किया, जिसके लिए उन्होंने जेकेसीए फंडों की वैधता के उद्देश्य से वित्तीय अधिकार दिए।"
--आईएएनएस
श्रीनगर, 20 दिसम्बर | जम्मू-कश्मीर राज्य निर्वाचन आयुक्त (एसईसी) के. के. शर्मा ने शनिवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव के अंतिम चरण में लगभग 51 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, एसईसी ने कहा कि कश्मीर संभाग की 13 और जम्मू संभाग की 15 सहित कुल 28 डीडीसी निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान शांतिपूर्ण रहा, जिनमें कुल 50.98 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है।
एसईसी ने बताया कि 1,703 मतदान केंद्रों में मतदान हुआ, जिनमें कश्मीर संभाग में 1,028 और जम्मू संभाग में 675 मतदान केंद्र शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि जम्मू संभाग में औसत मतदान 72.71 प्रतिशत दर्ज किया गया, जिसमें से सबसे अधिक पुंछ जिले में 83.58 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके बाद रियासी जिले में 81.92 और राजौरी में 77.31 प्रतिशत मतदान हुआ।
उन्होंने कहा कि कश्मीर संभाग में कुल 29.91 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें से सबसे अधिक कुपवाड़ा जिले में 63.80 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके बाद बांदीपोरा में 56.56 प्रतिशत और बारामूला जिले में 44.60 प्रतिशत मतदान हुआ।
एसईसी ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में पहली बार 280 डीडीसी निर्वाचन क्षेत्रों के लिए चुनाव हुए थे।
उन्होंने कहा कि यह ध्यान देने योग्य बात है कि लोगों की बहुत अच्छी भागीदारी देखी गई है और लोगों में उत्साह इस चरम पर था कि इन चुनावों का ग्रामीण समुदाय में विकास के परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है।
इनके अलावा 1,088 पंचायत 'हलका' और 12153 पंच निर्वाचन क्षेत्रों में भी चुनाव हुए हैं।
राज्य चुनाव अधिकारी ने कहा कि 321,694 (169,271 पुरुष और 152,423 महिला मतदाता) लोगों ने केंद्र शासित प्रदेश में अंतिम चरण के लिए मताधिकार के अपने अधिकार का प्रयोग किया।
--आईएएनएस
गुवाहाटी, 20 दिसंबर | पिछले हफ्ते बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) की जीत के बाद, असम में सत्तारूढ़ भाजपा ने शनिवार को 36 सदस्यीय तिवा स्वायत्त परिषद (टीएसी) के चुनावों में 33 सीटों पर जीत दर्ज की। असम राज्य चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार, भाजपा के कनिष्ठ सहयोगी असोम गण परिषद (एजीपी) ने दो सीटें जीतीं, जबकि विपक्षी कांग्रेस केवल एक सीट पर सफल रही।
--आईएएनएस
लखनऊ, 19 दिसम्बर | अयोध्या में राममंदिर निर्माण के साथ ही यहां पर बनने वाली मस्जिद का डिजाइन इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने शनिवार जारी किया है। जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के आर्किटेक्ट विभाग के प्रोफेसर एसएम अख्तर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारों के सामने इसका मॉडल जारी कर दिया।
पांच एकड़ की जमीन पर मस्जिद और अस्पताल की दो इमारतें बनेंगी। मस्जिद का डिजाइन एस एम अख्तर ने तैयार किया है। परिसर में अस्पताल के साथ लाइब्रेरी, म्यूजियम और कम्युनिटी किचन भी बनाया जाएगा। ट्रस्ट की तरफ से जारी किए गए मस्जिद के अंडाकार डिजाइन में कोई गुम्बद नहीं है।
अब सोसाइटी इसका नक्शा पास कराने की प्रक्रिया में लगेगी। धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद की नीव गणतंत्र दिवस या फिर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रखी जा सकती। हालांकि, इस संबंध में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। पिछले दिनों ट्रस्ट के सचिव व प्रवक्ता अतहर हुसैन ने कहा था कि, "निर्माण शुरू करने के लिए पहली ईंट तो रखनी ही होगी, तो इसके लिये 26 जनवरी या 15 अगस्त से बेहतर दिन दूसरा नहीं हो सकता है, क्योंकि 26 जनवरी को देश के संविधान की नीव रखी गई थी, जबकि 15 अगस्त को देश आजाद हुआ और आजाद भारत की नीव रखी गई थी।"
उन्होंने कहा था कि, "अयोध्या में बनने वाली मस्जिद में बाबर या उससे जुड़ा कोई जिक्र नहीं होगा और न ही किसी भाषा या राजा के नाम पर मस्जिद का नाम होगा।"
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मस्जिद के निर्माण के लिए छह महीने पहले आईआईसीएफ का गठन किया था। परियोजना के मुख्य वास्तुकार प्रोफेसर एसएम अख्तर ने डिजाइन अंतिम रूप दिया है। अख्तर ने बताया कि मस्जिद में एक समय में 2,000 लोग नमाज अदा कर सकेंगे और इसका ढांचा गोलाकार होगा।
अख्तर के अनुसार, "नई मस्जिद बाबरी मस्जिद से बड़ी होगी, लेकिन उसी तरह का ढांचा नहीं होगा। परिसर के मध्य में अस्पताल होगा। पैगंबर ने 1400 साल पहले जो सीख दी थी उसी भावना के अनुरूप मानवता की सेवा की जाएगी।"
इसमें कितना खर्च आएगा, यह फिलहाल बताना मुश्किल है। ट्रस्ट ने बताया कि परिसर में जो मजार मौजूद है, उसके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। विशाल मस्जिद में सोलर पावर प्लांट लगाया जाएगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 19 दिसंबर | नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (नैसकॉम) ने कहा है कि भारत को कोविड -19 वैक्सीन वितरण के लिहाज से अगले एक साल के लिए धन के साथ तैयार रहना चाहिए। ट्रेड एसोसिएशन ने शुक्रवार को एक समाचार विज्ञप्ति में कहा, "इतने बड़े पैमाने पर वितरण के लिए धन की ज्यादा जरूरत होगी, और भारत को कोविड -19 वैक्सीन के वितरण के लिए अगले एक वर्ष के लिए लगभग 80,000 करोड़ रुपये की धनराशि के साथ तैयार रहना चाहिए।"
वेबिनार में भाग लेते हुए सेरम इंस्टीट्यूट के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर सतीश डी रवेतकर ने कहा, "आईटी-सक्षम आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन की स्थापना सीरम संस्थान में की जानी चाहिए क्योंकि हम सालाना 1.6 मिलियन खुराक का उत्पादन करते हैं।
उन्होंने कहा, "इसलिए, हम इस वैक्सीन को तेजी से रोल आउट कर सकते हैं। एक बार जब हमें सरकार से एक पुष्ट योजना मिल जाती है, तो हमें कमर कसने की जरूरत होती है। सभी निमार्ताओं के लिए अपने उत्पादन और चेन के सभी हितधारकों की योजना बनाना आसान हो सकता है।" (आईएएनएस)
गुवाहाटी/अगरतला, 19 दिसंबर | दो दिवसीय पूर्वोत्तर महोत्सव (नॉर्थईस्ट फेस्टिवल) का शनिवार को रंगारंग शुभारंभ हुआ। उद्घाटन समारोह में केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर रेलवे और अन्य क्षेत्रों के बीच और रेलवे लाइनों का निर्माण व संपर्क मार्ग बनाना केंद्र सरकार की प्राथमिकताएं हैं। मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में पर्याप्त धन और मानव संसाधन हैं और सरकार क्षेत्र की सर्वागीण समृद्धि के लिए इन संसाधनों व प्राकृतिक भंडार का दोहन करने की कोशिश कर रही है।
नॉर्थईस्ट फेस्टिवल के 8वें संस्करण का शनिवार को गुवाहाटी में रंगारंग शुभारंभ हुआ।
महोत्सव के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने क्षेत्र के संसाधनों का उद्देश्यपूर्ण और सकारात्मक रूप से उपयोग करने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करने और सीखने के लिए प्रोत्साहित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा, "मेहनती और एकजुट प्रयास निश्चित रूप से पूर्वोत्तर भारत के बेहतर और उज्ज्वल भविष्य के लिए सकारात्मक और लाभदायक परिणाम देंगे।"
वहीं, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने कहा, "पूर्वोत्तर क्षेत्र अपने आप में यहां के लोगों के लिए एक संपत्ति है। हमारे व्यंजनों को दुनियाभर में प्रचारित किया जा सकता है। ढोला-सादिया पुल (जिसे भूपेन हजारिका सेतु भी कहा जाता है जो असम को अरुणाचल से जोड़ता है) क्षेत्र के पर्यटन क्षेत्र को विकसित करने के लिए एक मील का पत्थर है।"
देब ने कहा कि इस क्षेत्र में उग्रवाद का विरोध करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पूर्वोत्तर क्षेत्र को विकास और समृद्धि के रास्ते पर ले जा रही है।
नॉर्थ ईस्ट फेस्टिवल पूर्वोत्तर के बारे में जागरूकता दिखाने और बनाने और उद्यमिता और पर्यटन को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। त्योहार का एक प्रमुख उद्देश्य पर्यटन और निवेश को आकर्षित करना है।
इस महोत्सव में होने वाले कार्यक्रमों का प्रसारण डिजिटल प्लेटफॉर्मो पर किया जाएगा, ताकि दुनियाभर के लोग देख सकें। (आईएएनएस)
भोपाल, 19 दिसंबर | मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मध्यप्रदेश राज्य स्तरीय महिला उद्यमी सम्मेलन को ऑनलाइन सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकार तो महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिये विभिन्न सुविधायें प्रदान कर रही है, परंतु उससे भी ज्यादा जरूरी है कि उन्हें परिवार का सहयोग मिले। इसके लिये सबसे पहले यह जरूरी है कि परिवार की महिलाओं के नाम से सम्पत्ति खरीदी जाए, जिससे महिलाएं अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त हों। उन्होंने कहा कि, "महिलाओं को अपना उद्यम शुरू करने के लिये हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुद्रा लोन जैसी सुविधा शुरू की है, जिसमें दस लाख रुपए तक का लोन दिया जाता है, परंतु व्यवसाय या उद्यम शुरू करने से पहले सबसे जरूरी है कि महिला उद्यमी को उस व्यवसाय से संबंधित ट्रेनिंग दी जाए। व्यवसाय की ट्रेनिंग देने के साथ-साथ प्रोडक्ट बेचने के लिये बाजार मिले, इसके प्रयास भी कान्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के पदाधिकारियों को करने होंगे। इंडस्ट्रियल एरिया में महिला उद्यमियों को अपना उद्यम स्थापित करने के लिये विशेष रूप से प्लॉट मिल,े इसकी व्यवस्था की ओर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि महिला उद्यमी निश्चिंत होकर अपने उद्यम को आगे बढ़ा सकें।"
राज्यपाल पटेल ने इस अवसर पर कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से शामिल महिला उद्यामियों से आग्रह किया कि वे अपने प्रयासों से साड़ी बैंक बनायें, जिससे जरूरतमंद महिलाओं को विशेष अवसरों पर पहनने के लिये अच्छी साड़ियां मिल सकें। यहां जरूरतमंदों के लिये विशेष कॉर्नर बनाये जा सकते हैं। जिनमें साड़ी के अलावा हमारे लिये अनुपयोगी अन्य वस्तुओं को रखा जा सकेगा, जहां से जरुरतमंद अपने उपयोग की वस्तुएं प्राप्त कर सकेंगे।
इस कार्यक्रम में मोना कटारिया ने अपने वेज वेंचर, अंजना खंडेलवाल ने बायो डीजल और शुभम वराडिया ने अपने ज्वेलरी से संबंधित व्यवसाय के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर 11 महिला उद्यमियों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिये सम्मान पत्र दिये गए।
कान्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिये राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ राज्य स्तरीय प्रयास भी किये जा रहे हैं तथा देश-भर के लगभग सात करोड़ उद्यमी कैट से जुड़कर काम कर रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन कैट मध्यप्रदेश की उपाध्यक्ष अंशु गुप्ता ने किया तथा आभार कैट मध्यप्रदेश की वरिष्ठ उपाध्यक्ष अलका श्रीवास्तव ने व्यक्त किया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 19 दिसंबर | आरएसएस के पूर्व अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख माधव गोविंद उपाख्य बाबूरावजी (एम जी वैद्य) के नागपुर में निधन पर सरसंघचालक मोहन भागवत ने दुख जताया है। मोहन भागवत ने कहा कि उनके शरीर छोड़ने से हम सब संघ के कार्यकर्ताओं ने अपना एक वरिष्ठ छायाछत्र खो दिया है। मोहन भागवत ने कहा कि उनके जीवन से सभी को सीख लेने की जरूरत है। एमजी वैद्य 97 वर्ष के थे। अपने जीवनकाल में उन्होंने संघ के सभी छह सरसंघचालकों के साथ कार्य किए। आरएसएस के वर्तमान में सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य के वे पिता थे।
संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और सर कार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी ने उनके निधन पर जारी शोक सन्देश में कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी, वैद्य संघ कार्य विकास के साक्षी रहे। उनका व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन संघ संस्कारों की अभिव्यक्ति करने वाला था। सरल भाषा में तर्कशुद्ध रीति से संघ को अपनी वाणी और लेखनी के माध्यम से वह जगत के समक्ष प्रस्तुत करते रहे। उनकी अगली पीढ़ी भी इसी प्रकार से जीवन जीते हुए देश हित के लिए कार्यरत है तथा उनके दो सुपुत्र मनमोहन व श्री राम संघ के वरिष्ठ प्रचारक हैं। (आईएएनएस)
जम्मू , 19 दिसम्बर | पाकिस्तान ने जम्मू एवं कश्मीर के पुंछ जिले में शनिवार को एलओसी के पास भारतीय चौकियों को निशाना बनाकर अकारण गोलीबारी की। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल देवेंद्र आनंद ने कहा शनिवार शाम को करीब पांच बजे, पाकिस्तान ने पुंछ जिले के दो सेक्टरों किरणी और मलती सेक्टरों में बिना उकसावे के छोटे हथियारों से फायरिंग की और मोर्टार दागे।
प्रवक्ता ने कहा, "भारतीय सेना ने भी हमले का माकूल जवाब दिया।"
पाकिस्तान ने इससे पहले पुंछ जिले के दो सेक्टरों में शुक्रवार को भी संघर्ष विराम का उल्लंघन किया था। (आईएएनएस)
गुवाहाटी, 19 दिसंबर | राज्य की सीमाओं के साथ सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए असम सरकार ने 100 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। बॉर्डर प्रोटेक्शन एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (बीपीडीडी) के एक अधिकारी ने कहा कि पुलिस स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिए एमओआईटीआरआई योजना के अनुरूप, असम सरकार बॉर्डर आउटपोस्ट्स (बीओपी) के ढांचागत विकास के लिए एक योजना शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
उन्होंने कहा कि योजना के पहले चरण में, 50 बीओपी को अपग्रेड किया जाएगा और इस उद्देश्य के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये रखे गए हैं। इसके बाद, राज्य के अन्य बीओपी योजना के तहत शामिल किए जाएंगे।
अधिकारी ने कहा, "असम को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ और अवैध प्रवासियों से मुक्त बनाने के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा को सील करना सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस उद्देश्य के लिए सीमा को भौतिक और अभौतिक बाधाओं से दूर किया जा रहा है।"
असम के साथ 263 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा की जा रही है, जबकि 267 किलोमीटर भारत-भूटान अंतर्राष्ट्रीय सीमा सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) द्वारा संचालित है। असम पुलिस द्वारा बचाव की एक दूसरी पंक्ति खड़ी की जा रही है।
इसके अलावा, असम सिक्किम को छोड़कर, छह पूर्वोत्तर राज्यों के साथ 2616.1 किलोमीटर अंतर-राज्य सीमाओं को साझा करता है।
अधिकारी ने कहा कि बीपीडीडी का उद्देश्य राज्य के दूरस्थ सीमावर्ती क्षेत्रों में अवसंरचनात्मक सुविधाओं का निर्माण करके और पूरे क्षेत्र को राज्य के अन्य सभी विकसित शहरी क्षेत्रों के स्तर पर लाकर सभी भौतिक सुख-सुविधाओं से परिचित कराना है। सीमा की आबादी के जीवन और संपत्तियों की सुरक्षा।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बीपीडीडी की एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि अंतर-राज्य सीमा क्षेत्रों के कुशल प्रबंधन और सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए बीओपीडी की ओर जाने वाली सड़कों को बनाने की जरूरत है। साथ ही बीओपी में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए प्रावधान किया जाना चाहिए
सोनोवाल ने कहा कि सरकार को इसकी जानकारी है कि सीमावर्ती इलाकों सहित बीओपी के संचालन में सुरक्षाकर्मियों को कितनी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 19 दिसंबर| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि सरकार द्वारा किए गए नए कृषि सुधार उपायों से किसानों को लाभ मिलना शुरू हो गया है। एसोचैम के एक कार्यक्रम में बोलते हुए, उन्होंने यह भी कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, देश सभी सेक्टरों में सुधारों के लिए प्रतिबद्ध है। उनका यह बयान तब आया है जब केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ बड़े पैमाने पर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "पिछले छह महीनों में किए गए कृषि सुधारों ने अब किसानों को लाभ देना शुरू कर दिया है।"
यह बयान ऐसे समय में आया है जब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में कृषि सुधार बिल को लेकर किसानों का आंदोलन 23 वें दिन में प्रवेश कर चुका है।
प्रधानमंत्री देश के कई हिस्सों में किसानों से मिल रहे हैं, क्योंकि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर तीन सप्ताह से अधिक समय से हैं।
शुक्रवार को भोपाल में 'किसान महासम्मेलन' को संबोधित करते हुए, उन्होंने सितंबर में लागू नए कृषि कानूनों के फायदे गिनाए। (आईएएनएस)
-सुनील प्रभु, उमाशंकर सिंह
नई दिल्ली: कांग्रेस में अंदुरुनी कलह और नेतृत्व संकट के बीच पार्टी के नए अध्यक्ष को चुनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई. इस बैठक में कांग्रेस की अंतरिंम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य व पदाधिकारी मौजूद रहे. बैठक में मौजूद सभी नेताओं ने अपनी अपनी मांग रखी. बैठक में एक बार फिर राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग हुई. शुक्रवार को कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगी. उन्होंने बताया था कि शनिवार से शुरू होने वाला बातचीत और मुलाकात का यह दौर अगले दस 10 तक चलेगा और सोनिया गांधी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकें करेंगी. सुरजेवाला ने शुक्रवार को जोर देकर कहा, "99.9 प्रतिशत" नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष के रूप में वापसी करें." सूत्रों ने कहा कि पत्र लिखकर संगठनात्मक बदलाव की वकालत करने वाले 23 असंतुष्टों नेता भी सोनिया गांधी के सामने अपने चिंताएं रखेंगे.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
कांग्रेस पार्टी के नेताओं की आज 10 जनपथ पर अहम बैठक हुई. इस बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता पहुंचे. पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ हुई इस बैठक में अशोक गहलोत, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, बीएस हुड्डा, अंबिका सोनी और पी चिदंबरम सुबह 10 बजे 10 जनपथ पहुंचे.
करीब 5 घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में मौजूद सभी नेताओं ने अपनी अपनी बात रखी. बैठक में राहुल गांधी को अध्यक्ष पद संभालने की मांग उठी. अंत में राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी जो ज़िम्मेदार देगी उसे मैं उठाउंगा. इस पर बैठक में तालियां बजीं.
बैठक के बाद कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण हमने पार्टी के भविष्य पर चर्चा की. यह एक रचनात्मक बैठक थी जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी की वर्तमान स्थिति और इसे मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की.
बता दें कि 23 अगस्त को कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे पत्र में 23 नेताओं ने हस्ताक्षर किए थे. इस विषय पर भी अपनी चिंताओं को लेकर पांच या छह नेताओं का एक कोर समूह सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकता है.
शुक्रवार को सुरजेवाला ने कहा था, “कांग्रेस जल्द ही एक नए पार्टी अध्यक्ष का चुनाव करने की प्रक्रिया शुरू करेगी. कांग्रेस का एक चुनावी कॉलेज, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य, कांग्रेस कार्यकर्ता और पार्टी सदस्य चुनेंगे कि कौन सबसे अनुकूल है. "
उन्होंने कहा था, "मेरे समेत 99.9% लोग चाहते हैं कि राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष चुना जाए." अंतिम निर्णय उनका है. राहुल गांधी, जिन्होंने 2017 में सोनिया गांधी से कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला था, लेकिन पिछले साल पार्टी के लोकसभा चुनाव में हार के बाद पद छोड़ दिया था, 2014 में सत्ता खोने के बाद से यह दूसरी हार थी.
लोकसभा चुनाव में हार के बाद से कांग्रेस की हार का सिलसिला जारी है. कांग्रेस को कर्नाटक और मध्य प्रदेश में विद्रोह के बाद से सत्ता गंवानी पड़ी. विद्रोह के लगातार खतरों के चलते राजस्थान में पार्टी संघर्ष कर रही है.
कांग्रेस ने बिहार चुनाव में खराब प्रदर्शन किया और केरल और राजस्थान जैसे राज्यों में स्थानीय निकाय चुनावों में अपने वोटों का नुकसान होते हुए देखा.
कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर शीर्ष पद पर राहुल गांधी की वापसी की मांग की है, लेकिन उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि उनके रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है. हालांकि, राहुल गांधी अभी भी सभी फैसले लेते हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर हमलों में पार्टी का चेहरा हैं.
अगस्त महीने में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी के लिए सक्रिय अध्यक्ष होने और व्यापक संगठनात्मक बदलाव करने की मांग की थी. इसे कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी नेतृत्व और खासकर गांधी परिवार को चुनौती दिए जाने के तौर पर लिया. कई नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की. (भाषा/एएनआई)