राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 22 दिसंबर | उत्तर प्रदेश के किसान नेता राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन समाप्त करने को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि सरकार आंदोलन को लंबा खींचना चाहती है, इसलिए किसान नेताओं से बातचीत करना नहीं चाहती है। वह कहते हैं कि सरकार जहां भी चाहे वहां किसान नेता बातचीत के लिए आ जाएंगे। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के साथ गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं और उनका कहना है कि सरकार जब तक नये कृषि कानून को वापस नहीं लेगी, किसान तब तक वापस नहीं होंगे।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "ये (सरकार) कह रहे हैं कि हम कानून वापस नहीं लेंगे और हमने कह दिया है हम घर वापस नहीं जाएंगे।"
राकेश टिकैत कहते हैं कि, "देश का किसान कमजोर नहीं है और वह अपने हक की लड़ाई में पीछे नहीं हटने वाला है। सरकार ने किसान संगठनों के नेताओं को उनकी सभी मांगों के संबंध में बिंदुवार प्रस्ताव भेजा है और उन्हें अगले दौर की बातचीत के लिए बुलाने के लिए उनसे तारीख बताने को कहा है।"
इस संबंध में पूछे गए सवाल पर भाकियू नेता टिकैत ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, सरकार के पास सारे तंत्र हैं वह जब जाहे बात कर सकती है, लेकिन सरकार बात नहीं करना चाहती है। उन्होंने इस संबंध में सरकार पर झूठ फैलाने का आरोप आरोप लगाया।
टिकैत से जब पूछा गया कि क्या फिक्की सभागार में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से किसान बातचीत करने को तैयार हैं। इस पर उन्होंने कहा, हमने कहा है कि हमें जहां भी कहेंगे हम वहां आ जाएंगे, लेकिन सरकार तो बात करना ही नहीं चाहती है।
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत 26 नवंबर से शुरू हुए किसानों के इस आंदोलन में लाइम लाइट में रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि वह देश में किसानों की सबसे बड़ी आबादी वाले प्रदेश से आते हैं और किसानों के हक की लड़ाई लड़ने वाले नेता की पहचान उनको विरासत में मिली है।
राकेश टिकैत के पिता और उत्तर प्रदेश में भाकियू के संस्थापक महेंद्र सिंह टिकैत की अगुवाई में 1988 में दिल्ली में हुई बोर्ट क्लब रैली, किसानों के आंदोलन के इतिहास में दर्ज है, जब केंद्र सरकार को किसानों की मागें माननी पड़ी थी।
राकेश टिकैत के बड़े भाई और इस समय भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत भी बीते दिनों किसानों के आंदोलन में हिस्सा लेने गाजीपुर बॉर्डर आए थे, लेकिन संगठन की ओर से यहां आंदोलन की कमान राकेश टिकैत ही संभाले हुए हैं। राकेश टिकैत को एक दिसंबर को विज्ञान-भवन में किसान संगठनों के साथ हुई मंत्रि-स्तरीय वार्ता में आमंत्रित नहीं किया गया, लेकिन बाद में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि भवन में उसी शाम उनको आमंत्रित किया था। हालांकि बाद की वार्ताओं में वह शामिल रहे हैं।
राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार जब फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है तो उस पर फसलों की खरीद भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि सरकार तीनों नये कानूनों का वापस ले और किसानों को एमएसपी की गारंटी के लिए नया कानून बनाए।
--आईएएनएस
तिरुवनंतपुरम, 22 दिसम्बर | केरल के बहुचर्चित नन (सिस्टर) अभया 'हत्या' मामले में 28 साल बाद यहां सीबीआई की विशेष अदालत मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगी। इस चर्चित मुकदमे का सामना कर रहे कैथोलिक पादरी थॉमस एम. कोट्टुर पहले आरोपी हैं और एक नन सेफी तीसरी आरोपी हैं।
साल 2018 में मामले के दूसरे आरोपी एक अन्य कैथोलिक पादरी जोस पूथृक्कयिल को अदालत ने बरी कर दिया था।
कोट्टायम में पायस एक्स कॉन्वेंट की एक नन अभया को 27 मार्च 1992 को परिसर के भीतर के कुएं में मृत पाया गया था।
इस मामले को क्राइम ब्रांच और सीबीआई ने शुरूआत में आत्महत्या करार देते हुए खारिज कर दिया था, लेकिन एक कार्यकर्ता जोमन पुथेनपुरकल ने एक एक्टन काउंसिल का गठन किया, जिसके बाद मामला आगे बढ़ा।
पुथेनपुरकल द्वारा मामले को दूसरी बार फिर से खोलने में कामयाब होने के बाद बदलाव आया, जिसके बाद सीबीआई अधिकारियों के 13वें बैच ने 19 नवंबर, 2008 को पूथृक्कयिल सहित तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
पूथृक्कयिल पूर्व में कोट्टायम कॉलेज में एक मलयालम प्रोफेसर थे, जहां अभया ने अध्ययन किया था, जबकि कोट्टुर कोट्टायम में कैथोलिक चर्च के डायोकेसन चांसलर थे और सेफी कॉन्वेंट निवासी थी, जहां यह घटना घटी थी।
तीनों आरोपियों को एक जनवरी, 2009 को जमानत दे दी गई थी।
--आईएएनएस
सीतापुर, 22 दिसंबर | समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान की पत्नी डॉ. ताजीन फातिमा सोमवार को जिला कारागार से रिहा की गईं। रामपुर शहर की विधायक ताजीन अपने बेटे और पति के साथ इस साल 26 फरवरी से यहां की जेल में बंद थीं। उनके खिलाफ शत्रु संपत्ति समेत 34 मामलों में कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। कोर्ट ने अब सभी मामलों में उनकी जमानत मंजूर कर ली है। हालांकि उनके पति आजम खां और बेटे अब्दुल्ला को अभी जेल में ही रहना होगा।
डॉ. ताजीन अपने पति व छोटे बेटे के साथ जेल में 298 दिन रहीं। बुजुर्ग विधायक जेल के महिला बैरक में थीं। जेल प्रशासन ने काफी सुरक्षा व्यवस्था के बीच इन्हें देर शाम को रिहा कर दिया गया। 70 वर्षीय विधायक की रिहाई पर उनकी बहन तनवीर फातिमा और बड़े बेटे अदीब आजम व बहू सिदरा के साथ दोनों पोतयिां भी सीतापुर आई थीं। हालांकि, इस दौरान परिवारजन ने मीडिया से कोई बात नहीं की।
डॉ. फातिमा की रिहाई पर गाजियाबाद के एमएलसी आशु मलिक भी जिला कारागार पहुंचे। जेल अधीक्षक डीसी मिश्र ने बताया कि कोर्ट से जमानत का आदेश मिलने के बाद प्रक्रिया पूरी की गई और डॉ. ताजीन को रिहा कर दिया गया।
उन्होंने मीडिया से कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। वह कॉलेज में प्रोफेसर थीं। 60 साल तक उनके चरित्र पर कोई दाग नहीं लगा, लेकिन उसके बाद उन पर दर्जनों मुकदमें लाद दिए गए।
उन्होंने कहा, "जेल में मुझे कोई सुविधा नहीं मिलती थी। जैसे आम कैदी रहते थे, उसी तरह खाना, पीना, रहन-सहन सामान्य कैदियों की तरह था। मैं 10 महीनों बाद जेल से रिहा हुई हूं, इसका पूरा श्रेय मैं न्यायपालिका को देती हूं, न्यायपालिका ने मेरे साथ इंसाफ किया।"
वह पति सांसद आजम खां और बेटे अब्दुल्ला आजम के साथ 26 फरवरी से जेल में बंद थीं। विधायक के खिलाफ कुल 34 मुकदमे दर्ज हैं। 32 मुकदमों में पहले ही जमानत मंजूर हो गई थी। अब जौहर यूनिवर्सिटी के लिए शत्रु संपत्ति को कब्जाने और धोखाधड़ी कर रामपुर पब्लिक स्कूल के लिए एनओसी लेने के मामले में भी जमानत मिल गई है। उनके पति आजम खां के खिलाफ 85 मामले सक्रिय हैं, जिनमें 73 में चार्जशीट लग चुकी है और 12 की विवेचना चल रही है। उनकी 13 मामलों में जमानत होना बाकी है, जबकि उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम खां के खिलाफ 44 मुकदमे दर्ज हैं। उनकी तीन मुकदमों में जमानत होना शेष है। आजम खां और उनके समर्थकों के खिलाफ पिछले साल बड़े पैमाने पर मुकदमे दर्ज हुए थे।
--आईएएनएस
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पश्चिम बंगाल के दो दिन के दौरे के आखिरी दिन क्या बाहरी का तमगा हटाने के लिए ही बीरभूम जिले में शांति निकेतन स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय पहुंचे थे?
क्या इसका एक मकसद रवींद्रनाथ टैगोर की प्रशंसा कर बीते लोकसभा चुनावों से पहले ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा टूटने से हुए नुकसान की भरपाई भी थी? शाह के दौरे से गरमाती राजनीति के बीच यहां राजनीतिक हलकों में यही सवाल उठ रहे हैं.
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की मानें तो इसका जवाब 'हां' है और बीजेपी के नेताओं की सुनें तो इसका जवाब 'ना' है.
ध्यान रहे कि ममता बनर्जी और टीएमसी के तमाम नेता बीजेपी और उसके नेताओं को बाहरी बताते रहे हैं. ममता बार-बार कहती रही हैं कि बंगाल के लोग ही यहां राज करेंगे, गुजरात के नहीं.
माना जा रहा है कि अमित शाह अपने दौरे में इस रणनीति की काट के लिए ही राज्य की तमाम विभूतियों से जुड़ी जगहों का दौरा कर रहे हैं. इनमें विश्वभारती विश्वविद्यालय का स्थान सबसे ऊपर है.
सियासी फायदे के लिए दौरा
अपने दौरे के आखिरी दिन अमित शाह ने विश्वभारती में जाकर रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी के आवासों को देखा और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
उसके बाद उन्होंने उपासना गृह का दौरा किया और बाद में अपने सम्मान में आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया. विश्वविद्यालय परिसर से बाहर निकलने से पहले पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कविगुरू की भूरि-भूरि सराहना की थी.
शाह ने पत्रकारों से कहा, "विश्वभारती में पहुंच कर दो महापुरुषों रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी के आवास को देखने और उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने का सौभाग्य मिला. उन्होंने भारतीय ज्ञान, दर्शन, कला और साहित्य की गूंज पूरी दुनिया में पहुंचाई और विश्वभारती के जरिए इनके संरक्षण और संवर्धन में अहम भूमिका निभाई."
गृह मंत्री ने कहा कि रवींद्रनाथ ने दुनिया के कई देशों की भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति के साथ भारतीय भाषाओं के सामंजस्य के लिए विश्वभारती को केंद्र बनाया.
शाह का रोड शो
वहां से निकलने के बाद उन्होंने पार्टी के कुछ अन्य नेताओं के साथ बाउल कलाकार बासुदेव दास के घर दोपहर का भोजन किया और उसके बाद रोड शो किया.
रोड शो में शाह ने दावा किया कि बंगाल में बदलाव की बयार तेज़ हो गई है और रोड शो में जुटी भीड़ इसका सबूत है. बाउल कलाकार के घर भोजन के बाद उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा, "बाउल कला बहुमुखी बांग्ला संस्कृति का सही प्रतिबिंब है."
लेकिन क्या शाह का बीरभूम दौरा बाहरी के तमगे से निजात पाने के लिए था? प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ऐसा नहीं मानते. उनका कहना है कि रवींद्रनाथ सिर्फ बंगाल के ही नहीं पूरे देश के गौरव हैं. अमित शाह का दौरा सामान्य दौरा था. पहले दिन वे मेदिनीपुर गए और दूसरे दिन विश्व भारती गए. इसका कोई सियासी निहितार्थ नहीं था.
लेकिन दूसरी ओर, टीएमसी ने कहा है कि गुरुदेव के विचारों को जाने बिना बीजेपी अपने सियासी फायदे के लिए उनका इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है.
पार्टी के नेता सुब्रत मुखर्जी कहते हैं, "बीजेपी बाहरी है. वह बंगाल के महापुरुषों का महत्व समझे बिना उनका राजनीतिक इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है. उसे बंगाल की संस्कृति की समझ नहीं है."
शांतिनिकेतन से दिल्ली
वैसे, शांतिनिकेतन से दिल्ली के लिए निकलने से पहले शाह ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो कहा उससे साफ हो गया कि पार्टी बाहरी के तमगे को हटाने के लिए जूझ रही है.
उनका कहना था, "बीजेपी अगर बंगाल की सत्ता में आती है तो मुख्यमंत्री इसी माटी का लाल बनेगा, कोई बाहरी नहीं."
शाह यहीं नहीं रुके. उन्होंने सवाल किया कि क्या ममता एक ऐसा देश चाहती हैं जहां एक राज्य के लोग दूसरे राज्य में नहीं जा सकें? क्या वे इंदिरा गांधी औऱ नरसिंह राव के बंगाल आने पर भी उनको बाहरी कहती थीं?
शाह ने कहा, "आप चिंता न करें. आपको हराने के लिए दिल्ली से कोई नहीं आएगा. बंगाल का ही कोई व्यक्ति राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनेगा और वह बंगाली ही होगा."
केंद्रीय गृह मंत्री का कहना था कि राज्य सरकार की नाकामियों से ध्यान हटाने के लिए ममता और उनकी पार्टी बाहरी और स्थानीय का मुद्दा उठा रही है. उन्होंने आंकड़ों के हवाले कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य समेत विकास के तमाम सूचकांकों पर बंगाल का प्रदर्शन दयनीय रहा है.
निराधार आरोप
लेकिन रविवार को ही तृणमूल कांग्रेस ने आंकड़ें जारी करते हुए शाह की ओर से पेश आंकड़ों को निराधार और गलत करार दिया.
पार्टी के प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने सोशल मीडिया पर जारी आंकड़ों में बंगाल में तीन सौ बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या के शाह के दावे को निराधार बताते हुए कहा है कि इनमें से ज्यादा लोग निजी दुश्मनी की वजह से मारे गए हैं. कई मामलों में तो आत्महत्या को भी हत्या में शामिल कर लिया गया है. इसके उलट 1997 से अब तक टीएमसी के 1027 कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है.
बीरभूम जिला तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष अणुब्रत मंडल कहते हैं, "बीजेपी के नेता चुनावों के समय नौटंकी करने लगते हैं. शाह का यह दौरा भी उसी नौटंकी का हिस्सा है. उनको बंगाल की संस्कृति और विभूतियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है. बीजेपी कविगुरु जैसी हस्ती को भी सियासी हित में इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है."
टीएमसी नेता सुब्रत मुखर्जी कहते हैं, "बीजेपी बाहरी है. वह बंगाल के महापुरुषों का महत्व समझे बिना उनका राजनीतिक इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है. उसे बंगाल की संस्कृति की समझ नहीं है."
शांतिनिकेतन दौरे पर विवाद
शाह के शांतिनिकेतन दौरे पर विवाद भी पैदा हो गया है. दरअसल, शाह के दौरे से पहले एक स्थानीय संगठन की ओर से जो बैनर और कट-आउट लगाए गए थे उनमें रवींद्रनाथ से ऊपर शाह की तस्वीर थी.
विश्व भारती के छात्रों के विरोध के बाद हालांकि बाद में उनको हटा लिया गया था.
लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर शाह और बीजेपी पर जम कर हमले किए.
इसके विरोध में पार्टी की ओर से कविगुरु के जन्म स्थान जोड़ासांको में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया.
शांतिनिकेतन और विश्वभारती में तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद् और गैर-शिक्षक कर्मचारी संगठन की ओर से इसके विरोध में रैली निकाली गई.
बंगाल का अपमान
टीएमसी नेताओं ने इस मुद्दे पर शाह और बीजेपी पर हमला करते हुए उन पर टैगोर का अपमान करने का आरोप लगाया है.
ग्रामीण विकास मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने पत्रकारों से कहा, "जो लोग बंगाल की संस्कृति नहीं समझते और बंगाल के गौरव विद्यासागर और रवींद्रनाथ टैगोर का सम्मान नहीं करते, वही बंगाल पर कब्जा करने का सपना देख रहे हैं."
शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम कहते हैं, "बीजेपी ने रवींद्रनाथ का ही नहीं बल्कि बंगाल की जनता का अपमान किया है. हम कविगुरु को माथे पर बिठा कर रखते हैं. लेकिन बैनरों में उनको अमित शाह के नीचे दिखाया गया है. यह बंगाल की संस्कृति का अपमान है."
उन्होंने कहा कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी कविगुरु का जन्मस्थान जोड़ासांको के बदले शांतिनिकेतन बताया था.
टीएमसी सांसद काकोली घोष दस्तीदार कहती हैं, "बीजेपी की निगाहों में बंगाल की विभूतियों का कोई सम्मान नहीं है. इसलिए कभी वह विद्यासागर की प्रतिमा तोड़ती है तो कभी अपने नेता की तस्वीर कविगुरु से ऊपर लगाती है."
स्थानीय बनाम बाहरी विवाद
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में शाह की खिंचाई करते हुए कहा कि उन्होंने अपने दौरे में झूठों का पुलिंदा पेश किया है. केंद्रीय गृह मंत्री के पद पर बैठे किसी नेता को ऐसे झूठे दावे और बयान शोभा नहीं देते.
ममता ने भी बोलपुर में 29 दिसंबर को रैली का एलान किया है.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है इस बार बीजेपी के नेता समझ गए हैं कि ममता के बांग्ला राष्ट्रवाद का मुद्दा हिंदू राष्ट्रवाद की पार्टी की अवधारणा पर भारी पड़ेगा. इसलिए पार्टी के तमाम नेता चुन-चुन कर ऐसी जगहों पर जा रहे हैं. इससे एक तो बाहरी के तमगे से निजात मिल सकती है और दूसरे पार्टी यह दिखा सकती है कि राज्य के मनीषियों के प्रति उसके मन में भारी सम्मान है.
राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रहे सुनील कुमार कर्मकार कहते हैं, "बीते लोकसभा चुनावों में बीजेपी ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा टूटने का खामियाजा भर चुकी है. आखिरी दौर के मतदान से पहले कोलकाता में शाह के रोड शो के दौरान उस प्रतिमा के टूटने की वजह से उस दौर में पार्टी का खाता तक नहीं खुल सका था. ममता ने उस मुद्दे को अपने सियासी हक में बेहतर तरीके से भुना लिया. यही वजह है कि पार्टी के नेताओं ने इस बार अपनी रणनीति में बदलाव किया है."
एक अन्य पर्यवेक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती भी कहते हैं, "बंगाल की सत्ता पर कब्जे के लिए पार्टी अब टीएमसी के बाहरी बनाम स्थानीय मुद्दे को गंभीरता से लेकर इसकी काट की रणनीति के तहत ही मनीषियों से जुड़ी जगहों का दौरा कर रही है. शायद उसने बीते साल की घटना से सबक सीखा है. क्या उसे इसका कोई फायदा मिलेगा, इस सवाल का जवाब तो आने वाले दिनों में मिलेगा. लेकिन चुनावों से पहले स्थानीय बनाम बाहरी विवाद के और गहराने की संभावना है." (bbc)
गुवाहाटी, 22 दिसंबर । दो साल पहले पांच साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोपी को सोमवार को उत्तरी असम की एक जिला अदालत ने को फांसी की सजा सुनाई। आरोपी मंगल पाइक को विश्वनाथ जिला अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायाधीश दीपांकर बोरा ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (ए) के तहत पाइक को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई। यह मामला धारा 302 (हत्या) के साथ यौन अपराधों से संबंधित है।
अदालत ने उसे प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंशन (पॉक्सो) एक्ट की धारा 6 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई और 7,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
आईपीसी की धारा 363 (अपहरण) के तहत अदालत ने आरोपी को 3,000 रुपये का जुर्माना लगाने के अलावा सात साल की जेल की सजा भी सुनाई।
इस शख्स ने छोटी बच्ची को चॉकलेट देकर बहला-फुसलाकर एक चाय बागान (सूतेना थाना क्षेत्र के अंतर्गत) एक सुनसान जगह पर ले गया था, जहां नवंबर 2018 में गला घोंटकर उसके साथ दुष्कर्म किया।
पुलिस के अनुसार निकटवर्ती सोनितपुर जिले के लोहरा बुरहागांव क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाला दोषी पीड़िता का रिश्तेदार था और कुछ कामों के लिए कभी-कभार ही उसके घर आता था।
लोक अभियोजक जाह्न्वी कलिता ने मीडिया को बताया कि ट्रायल के दौरान डॉक्टर, पुलिसकर्मी और ग्रामीणों सहित सभी 16 गवाहों से पूछताछ की गई।
--आईएएनएस
जम्मू, 22 दिसंबर | जम्मू एवं कश्मीर के चुनाव आयुक्त (एसईसी) के. के. शर्मा ने सोमवार को कहा कि जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव परिणामों को ऑनलाइन एक्सेस किया जा सकता है। वेबसाइट एचटीटीपी : सीईओजेके डॉट एनआईसी डॉट इन पर चुनाव परिणामों की उपलब्धता के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए एसईसी ने कहा कि राज्य चुनाव प्राधिकरण लोगों और मीडिया को समान रूप से एक गतिशील आधार पर चुनाव परिणामों और रुझानों तक पहुंचने की सुविधा प्रदान करेगा। जम्मू-कश्मीर में कई चरणों में हाल ही में संपन्न हुए डीडीसी चुनाव की मतगणना मंगलवार को होगी।
उन्होंने कहा कि रैंडमाइजेशन और टाइम-टेस्टिड प्रोटोकॉल के तुरंत बाद मतपेटियों को खोला जाएगा और मतगणना के लिए मतपत्रों को आपस में मिला दिया जाएगा और आगे की जानकारी वेबसाइट पर लोगों को दी जाएगी।
एसईसी ने कहा कि मंगलवार की गिनती 280 डीडीसी सीटों के लिए चुनावी मैदान में उतरे 2,178 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेगी।
उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र शासित प्रदेश में सभी आठ चरणों में कुल 51.42 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है और मंगलवार को मतगणना केंद्रों पर 30 लाख से अधिक मतों की गणना की जाएगी।
राज्य चुनाव आयोग के सचिव अनिल सलगोत्रा ने मीडियाकर्मियों को वेबसाइट के कामकाज के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मीडिया के साथ सभी 280 डीडीसी निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतगणना के रुझानों, अंतिम परिणामों और पार्टी-वार रुझानों तक लोगों की पहुंच होगी।
उन्होंने कहा कि वेबसाइट को किसी दिए गए जिले में एक विशेष निर्वाचन क्षेत्र और एक विशेष पार्टी के संबंध में रुझानों के लिए भी एक्सेस किया जा सकता है, इसके अलावा शीर्ष दो प्रमुख उम्मीदवारों के लिए जानकारी और सभी उम्मीदवारों के लिए मतदान किए गए समग्र वोट भी एक्सेस किए जा सकते हैं।
--आईएएनएस
जयपुर, 22 दिसंबर | सीबीएसई बोर्ड के 12वीं कक्षा के छात्रों को मनोवैज्ञानिकों और काउंसलरों का दौरा करना पड़ रहा है, क्योंकि अभी तक परीक्षा की तारीख, परीक्षा पैटर्न और प्रैक्टिकल परीक्षा को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।
12वीं कक्षा के लिए बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे एक छात्र की परिजन अंकिता ने कहा कि पिछले साल दिसंबर की तुलना में इस बार कोरोना महामारी के साथ चीजें काफी अनिश्चित हो गई हैं।
उन्होंने कहा कि अधिकांश समय छात्र व्हाट्सएप से जुड़े होते हैं, क्योंकि कोचिंग और अन्य अपडेट के लिए उन्हें वहां सभी लिंक मिल जाते हैं। जिस क्षण वे यह नहीं कर पाते, वे अपनी कक्षा नहीं ले पाते, जो उनके लिए बहुत बड़ा नुकसान है। अंकिता ने कहा, आखिरकार वे अपना सारा समय मोबाइल पर बिता रहे हैं, व्हाट्सएप अपडेट की जांच कर रहे हैं, कक्षाओं में भाग ले रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि जब इससे छात्रों को कुछ फुर्सत मिलती है, तब वह वेब सीरीज देख रहे होते हैं।
जयपुर की मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक डॉ. अनामिका पापारीवाल ने कहा, ऐसे कई छात्र हैं, जो काउंसलिंग के लिए हमारे पास आते हैं और वे लॉकडाउन के बाद से व्यथित हैं। पिछले 10 महीनों से वे न तो दोस्तों से मिल पा रहे हैं और न ही शिक्षकों से अपनी शंकाओं को स्पष्ट करने के लिए मिल पा रहे हैं। वह बताती हैं कि परीक्षा की तारीखों, प्रश्नपत्रों के पैटर्न और प्रैक्टिकल के बारे में अनिश्चितता उनकी परेशानी में इजाफा कर रही है, जो उनके लिए तनाव जैसी स्थिति पैदा कर रही है।
उन्होंने कहा कि कई छात्र अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं और हार मानते हुए कहते हैं, अब जो भी होगा, देखा जाएगा, 'जो उनके माता-पिता को समान रूप से चिंतित कर रहा है और वे भी काउंसलिंग सत्र के लिए आ रहे हैं।
12वीं कक्षा में गणित के विद्यार्थी अंकित ने कहा, हमारी कक्षा बारहवीं की परीक्षा की स्थिति स्पष्ट नहीं है, जबकि कई इंजीनियरिंग संस्थानों ने अगले सत्र के लिए अपने प्रवेश पत्र पहले ही जारी कर दिए हैं।
छात्र ने परीक्षा को लेकर अस्पष्टता पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सीबीएसई ने 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम को कम कर दिया है, उनके लिए महत्वपूर्ण था और एक स्कोरिंग हिस्सा था। अंकित ने कहा, अब, जब हमने किसी भी कक्षा में भाग नहीं लिया है तो एक पूर्ण सत्र में हम किस तरह से प्रैक्टिकल में भाग लेंगे और बोर्ड परीक्षा देंगे। इसके बाद वर्तमान परिस्थितियों में प्रतिस्पर्धी और अन्य प्रवेश परीक्षाओं को पास करना भी एक चुनौती है।
डॉ. अनामिका कहती हैं, हम यहां आने वाले छात्रों की काउंसलिंग कर रहे हैं और उन्हें बता रहे हैं कि हर कोई मौजूदा चुनौतियों का हल ढूंढने की कोशिश कर रहा है। इसलिए वे भी लंबे समय में विजेता बनकर उभरेंगे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने 10 दिसंबर को एक लाइव इंटरेक्टिव सत्र में छात्रों को आश्वासन दिया कि वे जल्द ही स्कूल लौटेंगे, क्योंकि देश में कोविड-19 की स्थिति में सुधार हो रहा है। वर्तमान में 17 राज्यों ने स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला किया है।
पोखरियाल अब 22 दिसंबर को शिक्षकों के साथ लाइव जुड़ेंगे।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 21 दिसम्बर | भारत में कोरोनावायरस की कई वैक्सीन परीक्षण प्रगति पर है। इस बीच भारतीय रेलवे देश के विभिन्न स्थानों पर वैक्सीन के परिवहन को लेकर सरकार के साथ बातचीत कर रही है। हालांकि इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की इच्छा जताते हुए कहा कि एक बार वैक्सीन के परिवहन के लिए निर्णय लेने के बाद, वे इसकी आधिकारिक घोषणा करेंगे।
उन्होंने कहा कि वैक्सीन और इसे आवश्यक तापमान पर रखने की बात को ध्यान में रखते हुए अन्य जरूरी चीजों के परिवहन से जुड़े कई तकनीकी मुद्दे हैं।
अधिकारी ने कहा, इन बिंदुओं पर चर्चा की जा रही है। इसलिए फैसला होने के बाद हम सभी को अपडेट करेंगे।
कोविड-19 वैक्सीन के रेफ्रिजरेटिड वैन्स के जरिए परिवहन को लेकर पूछे गए एक सवाल पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और सीईओ वी. के. यादव ने शुक्रवार को कहा था, हम सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं और हम संभावनाओं पर चर्चा कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अभी तक कोई भी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। यादव ने कहा, हम कोविड वैक्सीन के परिवहन के लिए कई मंत्रालयों के साथ निरंतर संपर्क में हैं।
भारतीय रेलवे अपनी कई मेल या एक्सप्रेस ट्रेनों में सब्जियों, फलों, डेयरी उत्पादों, मछली और मांस जैसे खराब हो सकने वाली वस्तुओं के परिवहन के लिए कई रेफ्रिजरेटिड वैन का संचालन करती है।
वैन में पांच टन फ्रोजन सामान ले जाने की क्षमता है और फल और सब्जियों जैसे खराब हो सकने वाली वस्तुओं के लिए 12 टन की अतिरिक्त क्षमता भी है।
इस वर्ष अगस्त में भारतीय रेलवे ने केंद्रीय बजट 2020-21 में किए गए वादे को पूरा करने के लिए किसान स्पेशल पार्सल ट्रेनें शुरू की थी।
रेलवे ने अत्यधिक खराब होने वाले पार्सल यातायात के परिवहन के लिए 17 टन की वहन क्षमता के साथ रेफ्रिजरेटिड पार्सल वैन की एक नई डिजाइन विकसित की है। इसकी खरीद रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला के माध्यम से की गई है।
भारतीय रेलवे के पास वर्तमान में नौ रेफ्रिजरेटिड वैन का एक बेड़ा है।
रेलवे के अनुसार, फ्रोजन कंटेनरों के साथ खराब हो सकने वाले माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर सुरक्षित पहुंचाया जा सकता है। (आईएएनएस)
पटना, 21 दिसंबर | बिहार के शहरी और आवास विकास मंत्रालय ने दावा किया है कि वह अगले तीन महीनों में 30 शहरों में हर घर में नल का जल उपलब्ध कराएगा। हर घर तक नल का पानी पहुंचाना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया कि नीतीश कुमार सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान हर घर में पाइपलाइन को जोड़ने का काम प्रमुख योजनाओं में से था।
उन्होने कहा कि, "परियोजना की समय सीमा दिसंबर 2020 थी, हालांकि, कुछ शहरों में पाइपलाइनों की स्थापना अभी भी चल रही है। उम्मीद है कि यह काम मार्च 2021 तक पूरा हो जाएगा"।
अधिकारी ने कहा कि पाइपलाइनों को जोड़ने में देरी हुई क्योंकि पटना, मुजफ्फरपुर, गया जैसे कुछ शहरों में पुरानी पाइपलाइनों को नई जगह से बदलना बहुत मुश्किल था, क्योंकि वह पुरानी हैं और अनियोजित तरीके से विकसित की गई हैं।
मुजफ्फरपुर में समस्या का हवाला देते हुए, अधिकारी ने कहा कि पहले प्रस्ताव को 98 करोड़ रुपये में पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन यह राशि पर्याप्त नहीं थी, इसलिए प्राधिकरण ने अब अधिक धनराशि जारी की है।
उन्होंने कहा, "प्रस्ताव 18 ओवरहेड वॉटर टैंक और 95 पंप हाउस को पूरा करने के लिए है और कंपनी को दी गई समय सीमा में प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कहा गया है।"
आईएएनएस के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, आरा में 10,021 घर, बगहा में 21,524, बिहारशरीफ में 24,000, हाजीपुर में 14,135, जहानाबाद में 4,900, किशनगंज में 6,320, मोतिहारी में 15,751 और सासाराम में 6,722 घरों में या तो पाइपलाइनों की स्थापना हुई है। या फिर काम पूरा हो गया है या चल रहा है।
अधिकारी ने कहा कि सीवान के लिए 37.17 करोड़ रुपये, छपरा के लिए 56.25 रुपये और जमालपुर शहर के लिए 59.30 करोड़ रुपये और ओवरहेड पानी के टैंकों के साथ-साथ बूस्टर स्टेशनों के निर्माण के लिए मंजूरी दी गई है।
परियोजना की कुल लागत 2,184 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, इन शहरों में 182.34 करोड़ रुपये की लागत से एक स्टॉर्म जल निकासी कार्यक्रम एक साथ चल रहा है।
अधिकारी ने कहा कि राज्य के शहरी और आवास विकास मंत्रालय का एक प्रस्ताव सोमवार को मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा गया, जिसमें 70 नगर पंचायतों को विकसित करने के लिए मंजूरी मांगी गई, ताकि सड़क, पानी की आपूर्ति, बिजली की आपूर्ति, स्ट्रीट लाइट जैसी समस्याओं को दुरुस्त किया जा सके।
बिहार शहरी और आवास विकास मंत्रालय कुल लागत का केवल 11 प्रतिशत वहन कर रहा है, जबकि केंद्र शेष राशि में योगदान दे रहा है। (आईएएनएस)
ठाणे, 21 दिसम्बर | लगभग 10 शताब्दियों के बाद, महाराष्ट्र के अम्बरनाथ शहर में शिव मंदिर एक विशाल मेकओवर के लिए तैयार है, जहां पर भक्तों और पर्यटकों को कई विश्व स्तरीय सुविधाएं मिलेंगी। मुंबई से लगभग 60 किलोमीटर उत्तर में शानदार पत्थर का मंदिर महाराष्ट्र का सबसे पुराने शिव मंदिर माना जाता है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले मंदिरों में सुविधाओं के उन्नयन के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को 43 करोड़ रुपये देने की घोषणा की।
ठाकरे ने परियोजना के बारे में कहा, "कई साल पहले जब मैंने मंदिर का दौरा किया था, तो मैंने देखा कि इसमें कई सुविधाओं का अभाव था। अब सुविधाओं को बढ़ाने का समय है।" (आईएएनएस)
भोपाल, 21 दिसंबर | मध्य प्रदेश में अब निजी भूमि पर लगे पेड़ों को काटने के लिए प्रशासन से अनुमति लेने की जरुरत नहीं होगी। बिना अनुमति के ही निजी भूमि पर लगे पेड़ों को काटने की छूट रहेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रस्तावित वृक्षारोपण प्रोत्साहन अधिनियम 2020 के प्रावधानों संबंधी बैठक में कहा कि, "इस अधिनियम के अंतर्गत किसानों एवं अन्य को अपने खेतों या निजी भूमि पर लगाए गए नए वृक्षों को बिना अनुमति काटने की छूट होगी तथा वे अपनी जमीन में सभी प्रजाति के वृक्ष लगा सकेंगे।"
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि, "वर्तमान में पेड़ काटने की अनुमति लेने के लिए सात कानून हैं, जिनके चलते पेड़ काटने की अनुमति में किसानों आदि को बहुत दिक्कत आती है। पेड़ काटने की अनुमति तहसीलदार द्वारा वन विभाग की अनुशंसा पर दी जाती है, वहीं इमारती लकड़ी की अनुमति वन विभाग द्वारा दी जाती है।"
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि, "किसानों द्वारा अपने खेतों पर काष्ठ उत्पादन के लिए पेड़ लगाने, पेड़ काटने व परिवहन की सुविधा देने से किसानों को लाभ होगा तथा स्वरोजगार में वृद्धि होगी। काष्ठ उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। काष्ठ उत्पादन बढ़ने से वनों पर काष्ठ चोरी का दबाव भी कम होगा।" (आईएएनएस)
गया, 21 दिसंबर | कोरोना काल के दौरान श्रद्धालुओं के लिए बंद किया गया विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर सोमवार को आम लोगों के लिए पहले की ही तरह खोल दिया गया है। अब मंदिर रोजाना सुबह पांच बजे से रात्रि नौ बजे तक खुलेगा। महाबोधि मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव एन दोरजी ने सोमवार को कहा कि मंदिर रोजाना सुबह पांच बजे से रात्रि नौ बजे तक खुलेगा। इस दौरान श्रद्धालु मंदिर के गर्भगृह में पूजा तो कर सकते हैं, लेकिन उन्हें वहां रुकने की इजाजत नहीं होगी। कोरोना संक्रमण को देखते हुए मंदिर खोलने की गाइडलाइन भी तय की गई है।
उन्होंने कहा कि महाबोधि मंदिर परिसर के निकट स्थित भगवान बुद्ध के 80 फीट के स्तूप को भी आम लोगों के लिए खोल दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि एक महीने पहले महाबोधि मंदिर को सुबह छह बजे से 10 बजे और अपराह्न् तीन बजे से रात्रि नौ बजे तक के लिए खोला गया था, लेकिन यह वक्त श्रद्धालुओं को देखते हुए कम पड़ रहा था। श्रद्धालु आम दिनों की तरह मंदिर खोलने की मांग कर रहे थे।
दोरजी ने कहा कि कोरोना का संकट अभी टला नहीं है, इसलिए कुछ शर्ते भी लगाई गई हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए मास्क व हैंड सैनेटाइजर का प्रबंध किया गया है। बिना मास्क लगाए लोगों को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी। श्रद्धालुओं को मंदिर में हर वक्त मास्क लगाए रहना होगा। दो गज की शारीरिक दूरी को बनाए रखना भी अनिवार्य है।
मान्यता है कि बोधगया में यहीं महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यहां प्रतिवर्ष देश-विदेश के लाखों बौद्ध धर्मावलंबी पहुंचते हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 दिसंबर | केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की महत्वाकांक्षी परियोजना 'भारतीय अनुवाद संघ' की शुरुआत की है। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री ने कहा, "भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है। संविधान की आठवीं अनुसूची में अभिलिखित 22 भाषाओं के अतिरिक्त अन्य भाषाएं भी हैं, जो संबंधित भाषाई समुदाय की रोजमर्रा आवश्यकताओं को स्थानिक स्तर पर पूरा करती हैं। हालांकि शिक्षा और रोजगार की भाषा के तौर पर ये भाषाएं विकसित और स्वीकृत नहीं हो पाई हैं। भारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारत की विभिन्न भाषाओं में स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा के विकल्प तैयार करने का संकल्प लिया है। यह संकल्प पूरा करने के लिए अथक प्रयत्न करने की आवश्यकता है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक तैयारी की आवश्यकता है, जिसमें शैक्षणिक संस्थाओं, शिक्षकों, बहु भाषाविदों और अनुवादविदों तथा विशेषज्ञों की बड़ी भूमिका रहने वाली है।"
उन्होंने कहा कि इस विषय को गंभीरता से लेते हुए सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए भारतीय अनुवाद एवं निर्वचन संस्थान की स्थापना का निर्णय लिया गया है। इसमें बहुभाषाविदों, विषय विशेषज्ञों तथा अनुवाद एवं निर्वचन विशेषज्ञों को जोड़ा जाएगा। अनुवाद एवं निर्वचन के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों को गति देने के लिए प्रौद्योगिकी के अधिकाधिक प्रयोग को भी सुनिश्चित किया जाएगा।
समय के साथ इस संस्थान का विस्तार भी होगा और देश के प्रमुख स्थानों तथा उच्च शैक्षणिक संस्थानों में इसके केंद्र खोले जाएंगे अथवा सहकारी गतिविधियां संयोजित की जाएंगी। यह संस्थान भारतीय और विदेशी भाषाओं की उच्च गुणवत्ता संपन्न लिखित और वाचिक ज्ञान सामग्री को सुलभ कराने का कार्य करेगा।
डॉ. निशंक ने कहा, "भारतीय अनुवाद संघ केंद्रीय विश्वविद्यालयों और इस क्षेत्र में कार्य करने वाली सार्वजनिक संस्थाओं के सहयोग से इस योजना को व्यवस्थित करेगा। इसमें राज्य विश्वविद्यालय एवं उनकी संस्थाएं भी सम्मिलित हो सकती हैं। इस दृष्टि से भारतीय अनुवाद संघ द्वारा शिक्षा विभाग, भारत सरकार के स्वयं पोर्टल पर विधि, प्रबंधन, कंप्यूटर आदि विभिन्न विद्याशाखाओं के लिए अंग्रेजी में उपलब्ध वीडियो व्याख्यानों एवं पाठों का मराठी में अनुवाद कार्य कराया जा रहा है। मुझे भरोसा है कि भारतीय अनुवाद संघ अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने में सफल होगा। भारतीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं के बीच सेतु-बंधन के द्वारा सहकार संबंध मजबूत होंगे। इससे पारस्परिक साझेदारी और समझदारी बढ़ेगी।" (आईएएनएस)
चेन्नई, 21 दिसंबर | तमिलनाडु में सत्तारूढ़ ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) 27 दिसंबर को विधानसभा चुनाव-2021 के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत करेगी। पार्टी उस दिन यहां एक जनसभा करने जा रही है। एक संयुक्त बयान में, एआईएडीएमके के समन्वयक और उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम और संयुक्त समन्वयक और मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने कहा कि रैली 27 दिसंबर को सुबह आयोजित की जाएगी जहां सरकार की उपलब्धियां बताई जाएंगी।
बयान के अनुसार, पन्नीरसेल्वम और पलानीस्वामी रैली में हिस्सा लेंगे।
दोनों नेताओं ने कहा कि 27 दिसंबर की रैली में विधानसभा चुनाव-2021 का बिगुल फूंका जाएगा।
बता दें कि पलानीस्वामी ने 19 दिसंबर को अपने चुनाव अभियान की शुरुआत सलेम जिले के पेरियासोरगई के चेनराया पेरुमल मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद अपने विधानसभा क्षेत्र एडप्पाडी से की थी।
उधर डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन चुनाव प्रचार की शुरुआत जनवरी के पहले सप्ताह से करेंगे, जबकि एमएनएम के संस्थापक कमल हासन पहले ही चुनाव प्रचार अभियान में उतर चुके हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 दिसंबर | ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका से नोवल कोरोनावायरस के म्यूटैंट संस्करण के फैलने के बाद 50 प्रतिशत भारतीय नागरिक चाहते हैं कि प्रभावित देशों के साथ उड़ानें निलंबित रहें। सोमवार को एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। ब्रिटेन में कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन (स्वरूप) का पता लगने के बाद प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने 19 दिसंबर को घोषणा की थी कि नया पहचाना गया यह वायरस 70 प्रतिशत तक अधिक संक्रामक हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने जोर देकर कहा है कि वायरस का यह नया संस्करण नियंत्रण से बाहर है।
कोविड-19 वायरस के संक्रामक म्यूटेशन ने दुनियाभर में गंभीर चिंता पैदा कर दी है। सऊदी अरब, इटली, बेल्जियम, फ्रांस, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया आदि ने उत्परिवर्ती तनाव की रिपोर्ट सामने आने के बाद ब्रिटेन से आने और जाने वाली उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
'लोकलसर्कल्स' ने 7,091 लोगों के बीच सर्वेक्षण किया, जिनकी प्रतिक्रियाओं से यह बात सामने आई है। सर्वे के नतीजे ऐसे समय पर आए हैं, जब वायरस के नए स्वरूप से कई देशों में हड़कंप मच गया है। इसकी गंभीरता को लेकर भारत में भी लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं, जहां पहले से ही एक करोड़ 50 हजार कोरोना मामले सामने आ चुके हैं।
सर्वे में शामिल लोगों से पूछा गया कि ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में कोरोनावायरस का एक नया संस्करण पाया गया है, जो अधिक संक्रामक है। ऐसे देशों से आने वाली बबल फ्लाइट के लिए भारत का दृष्टिकोण क्या होना चाहिए?
इस सवाल पर 50 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि वे चाहते हैं कि प्रभावित देशों से बबल उड़ानें निलबिंत रहनी चाहिए, जबकि 41 प्रतिशत लोगों ने अन्य देशों से आने वाले यात्रियों के लिए 14 दिवसीय क्वारंटीन अवधि की मांग की।
सर्वे में शामिल छह प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि भारत को इन देशों की उड़ानों के साथ मौजूदा नियमों को अन्य देशों की तरह ही जारी रखना चाहिए, जबकि तीन फीसदी लोगों ने इस पर कोई टिप्पणी व्यक्त नहीं की।
यह देखा जाना बाकी है कि म्यूटेंट वायरस को देश में प्रवेश करने से रोकने के लिए भारत क्या कदम उठाता है। सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अपने शीर्ष सलाहकारों की एक आपातकालीन बैठक बुलाई। (आईएएनएस)
शिमला, 21 दिसम्बर | राज्य निर्वाचन आयोग हिमाचल प्रदेश ने बताया कि आयोग द्वारा पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचन के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है। निर्वाचन कार्यक्रम के अनुसार 31 दिसम्बर, 2020, 1 व 2 जनवरी, 2021 को नामांकन पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। नामांकन पत्रों की जांच पड़ताल 4 जनवरी, 2021 को संबंधित रिटनिर्ंग/सहायक रिटनिर्ंग अधिकारी प्रात: 10 बजे के उपरांत करेंगे।
उन्होंने बताया कि इच्छुक प्रत्याशी 6 जनवरी, 2021 को प्रात: 10 बजे से सांय 3 बजे तक अपना नामांकन पत्र वापिस ले सकते हैं। चुनाव में भाग लेने वाले उम्मीदवारों को 6 जनवरी, 2021 को ही नामांकन पत्रों की वापिसी के तुरंत बाद चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाएंगे।
यह चुनाव स्वतंत्र चुनाव चिन्ह के आधार पर होगा तथा किसी भी उम्मीदवार को उनकी पसंद का चुनाव चिन्ह आवंटित नहीं किया जाएगा। मतदान तीन चरणों में 17 जनवरी, 19 जनवरी तथा 21 जनवरी, 2021 को प्रात: 8 बजे से सांय 4 बजे तक करवाया जाएगा।
प्रधान, उप प्रधान एवं पंचायत सदस्य के पद की मतगणना, मतदान के तुरंत पश्चात पंचायत मुख्यालय पर तथा सदस्य पंचायत समिति एवं जिला परिषद की मतगणना 22 जनवरी, 2021 को खंड मुख्यालय पर की जाएगी।
इस अधिसूचना के साथ ही प्रदेश के उन क्षेत्रों में जहां निर्वाचन प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई है, में आदर्श आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है।
उन्होंने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा ग्राम पंचायत के समस्त वाडरें के लिए मतदान सूचियां तैयार कर ली गई है। वर्तमान में प्रदेश में इन संस्थानों के निर्वाचन हेतु कुल 5433168 मतदाता दर्ज हैं, जिनमें से 2698709 महिला मतदाता और 2734459 पुरूष मतदाता हैं।
उन्होंने कहा कि यदि किसी मतदाता का नाम मतदाता सूची में दर्ज नहीं हुआ है, तो वह 23 दिसम्बर, 2020 तक अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज करवाने के लिए संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी (पंचायत) एवं उपायुक्त को प्रपत्र-2 पर दोहरी प्रति में मात्र दो रुपये का शुल्क अदा कर प्रस्तुत कर सकता है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 दिसंबर | आईआईटी दिल्ली द्वारा संयंत्र आधारित नकली अंडे का नवाचार किया गया है। आईआईटी दिल्ली में अविष्कार किया गया यह नकली अंडा, विकास और आहार प्रोटीन की जरूरतों को पूरा करता है। साथ ही स्वास्थ्य जागरूक के मानकों पर भी खरा उतरता है। खास बात यह है कि आईआईटी दिल्ली द्वारा बनाया गया यह नकली अंडा खाने में स्वादिष्ट है और पूरी तरह से शाकाहारी है। अपने इसी आविष्कार के लिए आईआईटी दिल्ली ने इनो वेट्स फॉर एसडीजी फॉर एसडीजी प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है। यह प्रतियोगिता यूएनडीपी (यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम) एक्सेलेरेटर लैब इंडिया द्वारा आयोजित की गई थी। यह अविष्कार आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट एंड टेक्नोलॉजी की प्रोफेसर काव्या दशोरा ने किया है।
जर्मनी के आर्थिक सहयोग और विकास की प्रमुख क्रिस्टिय ने आईआईटी दिल्ली को इस सम्मान पुरस्कृत किया। पुरस्कार में 5000 अमेरिकी डॉलर शामिल हैं। अपने इस नवाचार के लिए आईआईटी दिल्ली को ऑनलाइन सम्मानित किया गया है।
यूएनडीपी के अनुसार, "मॉक एग इनोवेशन एक परफेक्ट इनोवेशन है। नकली अंडे का विकास आहार की प्रोटीन की जरूरतों को पूरा करता है। स्वास्थ्य जागरूकता के प्रति भी सतर्क है। शाकाहारी पदार्थो से बनाया गया यह नकली अंडा भूख और अच्छे स्वास्थ्य कि अधिकांश आवश्यकताओं को पूरा करता है।"
प्रो. काव्या दशोरा ने कहा, "संयंत्र आधारित बनावट वाले खाद्य पदार्थ जो अंडे, मछली और चिकन से मिलते जुलते हैं, कुपोषण और स्वच्छ प्रोटीन के लिए लंबी लड़ाई को संबोधित करने के उद्देश्य से विकसित किए गए हैं। यह लोगों के लिए प्रोटीन भोजन युक्त है। मॉक एग को बहुत ही सरल खेत आधारित फसल से विकसित किया गया है। प्रोटीन, जो न केवल अंडे की तरह दिखता है और स्वाद होता है, बल्कि पोषण प्रोफाइल में भी अंडे के बहुत करीब है।"
अंडे के अलावा, आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों ने चिकन के लिए मांस के एनालॉग भी विकसित किए हैं। फल और सब्जियों का उपयोग कर पौधे के स्रोतों से मछली उत्पादों का परीक्षण किया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 दिसम्बर| नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सोमवार को ब्रिटेन से भारत आने और भारत के वहां जाने वाली सभी फ्लाइट्स के संचालन पर 31 दिसम्बर तक रोक लगा दी है। सरकार ने कोरोना वायरस के एक नए प्रकार के वहां पाए जाने की खबर मिलने के बाद यह कदम उठाया है।
सरकार ने कहा है कि ब्रिटेन से आने वाली फ्लाइट्स पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा और इसी तरह इस दौरान वहां जाने वाली फ्लाइट्स का भी संचालन नहीं हो सकेगा।
मंत्रालय ने ट्वीट करते हुए कहा, "ब्रिटेन में मौजूदा हालात को देखते हुए भारत सरकार ने ब्रिटेन से भारत आने वाली सभी फ्लाइट्स पर 31 दिसम्बर (23.59 बजे तक) रोक लगाने का फैसला किया है।"
साथ ही सरकार ने यह भी कहा है कि ब्रिटेन से 22 दिसंबर तक आने वाले सभी यात्रियों को आरटी-पीसीआर टेस्ट करवाना अनिवार्य है।
भारत से पहले कई यूरोपीय देश यह कदम उठा चुके हैं। (आईएएनएस)
भोपाल, 21 दिसम्बर| मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस पीड़ित चार संगठनों से जुड़े लोग सोमवार को किसान आंदोलन के समर्थन में सड़कों पर उतरे और केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानूनों को खारिज करने की मांग की। भोपाल गैस पीड़ितों के संगठन भोपाल गैस पीड़ित स्टेशनरी कर्मचारी संघ, भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा, भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन और डाव-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे नामक संगठन से जुड़े लोगों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया। उनका कहना है कि केंद्र सरकार अडानी-अंबानी उद्योगपतियों के साथ सांठगांठ किए हुए है और किसानों के खिलाफ कानून लाई है, यह ठीक वैसे ही है जैसे केंद्र सरकार ने भोपाल गैस हादसे के लिए जिम्मेदार डॉव कैमिकल्स के साथ किया है।
भोपाल पीड़ितों की किसानों के साथ समानताएं गिनाते हुए भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खान ने कहा, "किसानों पर जबरन लादे जा रहे काले कानूनों का असर हर आम भारतीय भुगतेगा, जिस तरह भोपाल हादसे के लम्बित मुद्दों का असर हर भारतीय के जीवन और स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।"
गैस पीड़ित संगठनांे का कहना है कि, "आंदोलन में शामिल किसानों की तकलीफों को जानबूझ कर तवज्जो नहीं देने का प्रधानमंत्री का रवैया वही है जो भोपाल गैस पीड़ितों के लिए अपनाया जा रहा है।"
डाव कार्बाइड के खिलाफ बच्चे संगठन के नौशीन खान ने कहा, "अब वक्त आ गया है कि देश के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रधानमंत्री का ध्यान खींचने के लिए राष्ट्रीय स्तर का अभियान चलाया जाए। इसकी शुरूआत 27 दिसम्बर से सुबह 11 बजे करें।" (आईएएनएस)
अमरावती, 21 दिसंबर| आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी सोमवार को 48 साल के हो गए, उनके जन्मदिन का जश्न मनाने के लिए राज्य भर में बैनर, पोस्टर और विज्ञापन लगाए गए और कई दिग्गज नेताओं ने उन्हें जन्मदिन की बधाई व शुभकमानाएं दी। आंध्र प्रदेश के राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन ने कहा, "वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी आपको जन्मदिन पर मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाए। भगवान जगन्नाथ और भगवान बालाजी आपकी खुशी, अच्छे स्वास्थ्य के लिए आप पर अपनी असीम कृपा बरसाएं।"
राज्यपाल ने उन्हें अपने नेतृत्व से आंध्र प्रदेश को विकास और समृद्धि के पथ पर ले जाने की सलाह दी।
राज्यपाल के निजी सचिव बी.सी. बेहरा और उनके एडीसी एस.वी. माधव रेड्डी ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और उन्हें उनकी ओर से एक पत्र और एक छोटा पौधा सौंपा।
तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विपक्षी नेता नारा चंद्रबाबू नायडू ने भी मुख्यमंत्री को जन्मदिन की शुभकामना दी।
नायडू ने कहा, "वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी गारु को जन्मदिन की शुभकामनाएं। आपको लंबा और स्वस्थ जीवन मिले।"
इसी तरह, राज्य भर के कई नेताओं ने विभिन्न समाचार पत्रों में अपनी ओर से जन्मदिन की शुभकामनाएं छपवाईं।
कई मंत्रियों, विधायकों और वरिष्ठ अधिकारियों ने व्यक्तिगत रूप से रेड्डी से कैंप कार्यालय में मुलाकात की और उन्हें गुलदस्ते भेंट किए, जहां उन्होंने केक काटा।
राज्यभर में मुख्यमंत्री के कई प्रशंसकों और समर्थकों ने उनके जन्मदिन का जश्न मनाया और बड़े पोस्टरों को लगाकर उनके प्रति स्नेह व्यक्त किया। (आईएएनएस)
करीब साल भर पहले सीएए विरोधी प्रदर्शन और हंगामे को लेकर चर्चित रहा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय मंगलवार को अपना शताब्दी समारोह मना रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस समारोह में मौजूदगी काफी चर्चा में है.
डॉयचे वैले पर समीरात्मज मिश्र का लिखा-
करीब साल भर पहले सीएए विरोधी प्रदर्शन और हंगामे को लेकर चर्चित रहा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय मंगलवार को अपना शताब्दी समारोह मना रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस समारोह में मौजूदगी काफी चर्चा में है. हालांकि कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की मौजूदगी ऑनलाइन रहेगी और वो वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए कार्यक्रम को संबोधित करेंगे.
22 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानी एएमयू के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मौदी बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे. पिछले पांच दशक के इतिहास में यह पहला मौका है जब कोई प्रधानमंत्री एएमयू के किसी कार्यक्रम को संबोधित करेगा. इससे पहले साल 1964 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने एएमयू के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समारोह को यादगार बनाने के लिए एक विशेष डाक टिकट भी जारी करेंगे. एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने बताया कि प्रधानमंत्री से शताब्दी समारोह में शामिल होने की स्वीकृति मिलने से यूनिवर्सिटी परिवार कृतज्ञ है. उन्होंने बताया, "इस कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी ऑनलाइन शिरकत करेंगे. प्रधानमंत्री की उपस्थिति से देश और दुनिया में फैले एएमयू समुदाय को एक महत्वपूर्ण संदेश मिलेगा.”
यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह के लिए जोर-शोर से तैयारियां हो रही हैं. पूरी यूनिवर्सिटी को दुल्हन की तरह सजा दिया गया है. कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर के मुताबिक, इस ऐतिहासिक वर्ष के दौरान विश्वविद्यालय का और अधिक विकास होगा, जिससे छात्रों को निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों में नियुक्ति में मदद मिलेगी.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 250 से ज्यादा पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं. सत्रहवीं शताब्दी के महान समाज सुधारक सर सैयद अहमद खां ने आधुनिक शिक्षा की जरूरत को महसूस करते हुए साल 1875 में एक स्कूल शुरू किया जो बाद में मोहम्डन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज बना.
एक दिसंबर 1920 को यही कॉलेज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बन गया. उसी साल 17 दिसंबर को एएमयू का औपचारिक रुप से एक यूनिवर्सिटी के रुप में उद्घाटन किया गया था. भारत में तमाम राज्यों के अलावा अफ्रीका, पश्चिमी एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, सार्क और कई अन्य देशों के भी छात्र यहां पढ़ने आते हैं.
विश्वविद्यालय के छात्र रहे अहमद अजीम बताते हैं, "अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद यहां के विद्यार्थी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के साथ-साथ दूसरे देशों में भी प्रधानमंत्री की भूमिका तक पहुंचे हैं. देश के तीसरे राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन और खान अब्दुल गफ्फार खान को भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है. एएमयू से पढ़े हामिद अली देश के उप राष्ट्रपति रहे तो पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने 1913 में एएमयू से उच्च शिक्षा ग्रहण की थी.”
एएमयू के गौरवशाली इतिहास से देश-दुनिया के तमाम लोगों का नाम जुड़ा है जो हर क्षेत्र से संबंध रखते हैं. पूर्व क्रिकेटर लाला अमरनाथ, कैफी आजमी, राही मासूम रजा, मशहूर गीतकार जावेद अख्तर के साथ ही फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने भी एएमयू से पढ़ाई की. इसके अलावा प्रोफेसर इरफान हबीब, उर्दू कवि असरारुल हक मजाज, शकील बदायूनी, प्रोफेसर शहरयार ने इस विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की है.
प्रधानमंत्री यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह में शामिल होंगे.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का नाता उसके गौरवशाली इतिहास के साथ-साथ विवादों से भी रहा है. कभी विश्वविद्यालय का नाम बदलने की कोशिश तो कभी कथित तौर पर नागरिकता कानून के विरोध को लेकर यह विश्वविद्यालय हाल के दिनों में भी काफी चर्चा में रहा.
दो साल पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र संघ भवन में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगे होने पर काफी विवाद छिड़ गया था. स्थिति यह हो गई कि वैचारिक विवाद हिंसक संघर्ष तक पहुंच गया और कई लोगों को चोटें तक आईं. बाद में किसी तरह से यह विवाद शांत हुआ.
पिछले साल दिसंबर महीने में ही नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कई दिनों तक अस्थिर रहा. कई दिनों तक विश्वविद्यालय के छात्र नागरिकता कानून और जामिया विश्वविद्यालय में छात्रों की कथित पिटाई के विरोध में आंदोलन करते रहे. इस दौरान कई छात्रों को हिरासत में भी लिया गया और प्रशासन को बल प्रयोग भी करना पड़ा. बाद में विश्वविद्यालय को इसी वजह से बंद भी कर दिया गया था.
एएमयू से जुड़े प्रोफेसर राहत अबरार कहते हैं कि 1920 से 1965 तक विश्वविद्यालय अच्छी तरह से चलता रहा लेकिन 1965 से 1972 के दौरान सरकारों ने कई तरह की पाबंदी लगा दीं. उनके मुताबिक, साल 1961 में अजीज पाशा नाम के एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि इसे अल्पसंख्यक संस्थान ना माना जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया और एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान मानने से मना कर दिया लेकिन बाद में 1981 में केंद्र सरकार ने फिर से कानून में संशोधन किए और विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बहाल कर दिया.
दो साल पहले जब एएमयू में जिन्ना की तस्वीर का विवाद चल रहा था उसी समय विश्वविद्यालय के नाम को लेकर भी विवाद शुरू हुआ. छपरौली से बीजेपी विधायक सहेंद्र सिंह रमाला ने एएमयू के नाम पर सवाल खड़ा करते हुए नाम बदलने की मांग की. विधायक सहेंद्र सिंह रमाला ने एएमयू का नाम बदलकर महाराजा महेंद्र प्रताप यूनिवर्सिटी रखे जाने की बात कही थी. हालांकि बाद में राज्य सरकार ने राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर राज्य विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा की. विधायक के मुताबिक, राज महेंद्र प्रताप ने अपने पूर्वजों की जमीन को विश्वविद्यालय के लिए दान में दिया था.
नई दिल्ली, 21 दिसंबर| ब्रिटेन में कोरोनोवायरस का नया स्ट्रेन सामने आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने सोमवार को स्पष्ट किया कि इसे लेकर घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार इस मामले में सतर्क है। 19 दिसंबर को, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने घोषणा की थी कि वायरस का नया स्ट्रेन 70 प्रतिशत अधिक संक्रामक है। स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक के अनुसार, नया स्ट्रेन 'नियंत्रण से बाहर' है।
हर्ष वर्धन ने इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल 2020 के दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "सरकार सतर्क है। घबराने की जरूरत नहीं है। काल्पनिक स्थिति, बातों और घबराहट में खुद को उलझने न दें।"
इससे पहले, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ब्रिटेन में कोरोनोवायरस के म्यूटेटेड स्ट्रेन के उद्भव पर चर्चा करने के लिए अपने शीर्ष सलाहकारों की एक आपातकालीन बैठक बुलाई। इससे मामलों में बड़े पैमाने पर उछाल आया और कई देशों को ब्रिटेन से आने वाली उड़ानों को रोकने के लिए प्रेरित किया।
संयुक्त निगरानी समूह की अध्यक्षता स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक ने की। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रतिनिधि और अन्य लोग भी आपात बैठक का हिस्सा हैं।
सऊदी अरब और कई यूरोपीय देशों, जिनमें इटली, बेल्जियम, फ्रांस और नीदरलैंड्स शामिल हैं, ने म्यूटेन्ट स्ट्रेन की खभर सामने आने के बाद ब्रिटेन से उड़ानों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 21 दिसंबर| एक ओर जहां केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन को विपक्ष हवा दे रहा है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) किसान आंदोलन की आग को शांत करने के लिए 'किसान चौपाल' लगा रही है। भाजपा अपने किसान चौपाल के जरिए किसानों को कृषि कानूनों से मिलने वाले लाभों से अवगत करा रही है।
इस अभियान में भाजपा ने ना केवल बिहार के मंत्रियों और सासंदों को उतारा है, बल्कि बिहार में केंद्रीय मंत्री भी 'किसान चौपाल' लगाकर कृषि कानूनों के विषय में किसानों को समझा रहे हैं। भाजपा के एक नेता ने बताया कि सांसदों और विधायकों सहित मतदान केंद्र स्तर पर कार्यकताओं को भी इसके लिए विशेष टास्क सौंपे गए हैं।
बिहार भाजपा सोशल मीडिया के प्रमुख मनन कृष्ण ने बताया कि अब तक राज्य में करीब 59 से 60 किसान चौपाल का आयोजन किया गया है। इसके तहत रविवार को ही राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, सांसद रामपाल यादव सहित राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ़ संजय जायसवाल अलग-अलग सभाओं में कृषि कानूनों के बारे में जनता को अवगत कराया।
भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा बताते हैं, "कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष किसानों को गुमराह कर रही है। कृषि कानून को समझाने के लिए पार्टी द्वारा व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। राज्य के जिला मुख्यालय सहित अन्य स्थानों पर किसान चौपाल लगाया जा रहा है, जहां कृषि कानूनों की बारीकियों और उससे किसानों को मिलने वाले लाभ की उन्हें जानकारी दी जा रही है।"
सूत्रों का कहना है कि भाजपा के शीर्ष नेताओं के निर्देश पर भाजपा के वरिष्ठ नेता से लेकर मतदान केंद्र स्तर के कार्यकर्ता जनता को अवगत करा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कृषि कानून को लेकर बिहार में विपक्षी दल आंदोलनात्मक रूख अपनाए हुए हैं। बिहार में विपक्षी दल विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इस बीच, हालांकि बिहार के अंदर किसान सड़कों पर नहीं उतरे हैं।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार में किसान राजग के साथ हैं। मोदी ने कहा कि 2006 में बिहार की पहली राजग सरकार ने सालाना 70 करोड़ के राजस्व का नुकसान उठाकर बाजार समिति अधिनियम समाप्त किया और लाखों किसानों को 1 फीसद बाजार समिति कर से मुक्ति दिलाई थी। कांग्रेस ने 2019 के घोषणापत्र में मंडी-बाजार समिति व्यवस्था खत्म करने का वादा किया था।
मोदी ने कहा कि जो मंडी व्यवस्था बिहार में 14 साल पहले खत्म हो गई और जिसे कांग्रेस 2019 में खत्म करना चाहती थी, वह काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी कानून के जरिये कर दिया, तो कांग्रेस परेशान क्यों हैं? (आईएएनएस)
जयपुर, 21 दिसंबर (आईएएनएस)| राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ब्रिटेन में कोरोनावायरस का नया स्ट्रेन सामने आने पर सोमवार को चिंता व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार से ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देशों से सभी उड़ानों पर तुरंत प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने में देरी के लिए भी केंद्र सरकार की आलोचना की जब कोरोना प्रारंभिक चरण में फैलने लगा था।
गहलोत ने एक ट्वीट में कहा, "ब्रिटेन में उभर रहा कोरोनोवायरस का नया स्ट्रेन बहुत चिंता का विषय है। सरकार को तुरंत उचित कदम उठाना चाहिए, एक आकस्मिक योजना तैयार करनी चाहिए और ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देशों से सभी उड़ानों पर तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "जब कोरोनोवायरस फैलने लगा था, तब हमें अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने में देर हो गई थी, जिसके कारण मामलों में भारी वृद्धि हुई थी।"
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, "भारत को एक योजना तैयार करने और साथ ही प्रभावित देश या अन्य देशों से किसी भी गतिविधि को प्रतिबंधित करने के लिए कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। हमारे मेडिकल विशेषज्ञों को वायरस के नए स्ट्रेन के किसी भी प्रकोप के मामले में उपचार योजना के साथ तैयार होना चाहिए। स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का भी और सख्ती से जरूर पालन करना चाहिए।"
सिंघु/गाजीपुर बॉर्डर, 21 दिसंबर | राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन 26वें दिन जारी है। दूसरी ओर सरकार पर दबाब बनाने के लिए सोमवार से किसानों ने क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर दी है। सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर 11 किसान 24 घंटे भूख हड़ताल पर बैठ चुके हैं। वहीं हर रोज अब 11 किसान भूख हड़ताल पर बैठेंगे। गाजीपुर बॉर्डर पर मिंटू बाजवा सुबह 8 बजे से 24 घंटे के लिए भूख हडताल पर बैठे। उन्होंने बताया, अगले 24 घंटे के लिए हम भूख हड़ताल पर बैठे हैं। हम सिर्फ पानी पी सकते हैं, सांस ले सकते हैं और बात कर सकते हैं। लेकिन कुछ खाएंगे नहीं। शायद प्रधानमंत्री को थोड़ा किसानों पर दया आ जाए और कानून वापस ले लें।
उधर सिंघु बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन एकता सिधुपुर के प्रधान जगजीत सिंह दलेवाल, दुआबा किसान यूनियन पंजाब जनरल सेक्रेटरी कुलदीप सिंह और प्रधान जगबीर सिंह, भारतीय किसान यूनियन पंजाब के प्रधान फुरमान सिंह संधू, जम्हूरी किसान सभा अमृतसर के किसान नेता डॉ. सतनाम सिंह अजनाला, भारतीय किसान यूनियन के नेता बूटा सिंह चकर, क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता अवतार सिंह, कीर्ति किसान यूनियन के नेता भूपेंद्र सिंह आदि भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
किसान आंदोलन में तेजी लाने के लिए किसानों ने यह रणनीति बनाई है। रविवार को सभी किसान संगठनों की बैठक हुई थी जिसमें क्रमिक भूख हड़ताल करने का फैसला लिया गया। इसके तहत हर रोज 11 किसान भूख हड़ताल पर बैठेंगे। किसानों का मानना है कि इस तरह सरकार से हम अपनी बात मनवाएंगे।
किसान पीछे हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। वहीं इस बात पर अड़े हुए हैं कि सरकार इन कानूनों को तुरन्त वापस ले। वहीं जानकरी के अनुसार किसान और केंद्र सरकार इस मसले को जल्द सुलझाने के लिए एक बार फिर बातचीत कर सकते हैं।(आईएएनएस)