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नई दिल्ली, 27 दिसंबर | प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रविवार शाम दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर जाएंगे। वह यहां शहीदी सप्ताह के मद्देनजर आयोजित कीर्तन दरबार में शामिल होंगे। केजरीवाल इससे पहले भी कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों से मुलाकात कर चुके हैं। दिल्ली-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने 27 और 28 दिसंबर को गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह का शहीदी दिवस मनाने की घोषणा की है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत पंजाब से आए किसानों ने यहां कीर्तन दरबार और लंगर की व्यवस्था की है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसकी आधिकारिक जानकारी देते हुए कहा, सीएम अरविंद केजरीवाल शाम 6 बजे सिंघु बॉर्डर पर आयोजित किए जा रहे कीर्तन दरबार में शामिल होंगे। इस दौरान वह आंदोलनकारी किसानों से भी मुलाकात करेंगे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 14 दिसंबर को किसानों के समर्थन में एक दिन का उपवास भी रखा था। केजरीवाल के मुताबिक किसान और जवान किसी भी देश की नींव होते हैं और अगर किसी देश के किसान और जवान संकट में हो तो वह देश कैसे तरक्की कर सकता। जिस किसान को खेतों में होना चाहिए वह इतनी कड़कती ठंड में सड़कों पर बैठा है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अपील पर दिल्ली सरकार के सभी मंत्रियों, आम आदमी पार्टी के विधायकों, पार्षदों एवं सैकड़ों अन्य कार्यकतार्ओं ने पार्टी मुख्यालय पर सामूहिक उपवास में बैठकर किसानों के प्रति अपना समर्थन जताया था।
यह दूसरा अवसर है जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों के बीच जा रहे हैं। इससे पहले 7 दिसंबर को अरविंद केजरीवाल आंदोलनकारी किसानों से मिलने दिल्ली के सिंघु बॉर्डर बॉर्डर पर पहुंचे थे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ इस दौरान उनके कई कैबिनेट सहयोगी भी मौजूद रहे। यहां कृषि कानूनों के खिलाफ खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को केजरीवाल ने अपना समर्थन दिया। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद को भी समर्थन दिया था, हालांकि दिल्ली में इस बंद का कोई खास असर देखने को नहीं मिला।
हरियाणा एवं पंजाब से आए ये किसान केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान चाहते हैं कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। (आईएएनएस)
लखनऊ, 27 दिसंबर | उत्तर प्रदेश में अब दोपहिया और चौपहिया वाहनों की नंबर प्लेट और विंड स्क्रीन पर अपनी जाति की पहचान के तौर पर कोई स्टीकर नहीं लगाया जा सकेगा और अगर कोई ऐसा करते पाया गया, तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। पिछले कुछ सालों में यहां अपने वाहनों के विंड स्क्रीन और नंबर प्लेट पर यादव, जाट, गुर्जर, ब्राह्मण, पंडित, क्षत्रिय, लोधी और मौर्या जैसे जातिगत नामों को लिखने के फैशन का बोलबाला देखने को मिला है। ऐसा अकसर लोग किसी पार्टी के पक्ष में या उसके आधार पर करते हैं।
अतिरिक्त परिवहन आयुक्त मुकेश चंद्र द्वारा सभी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) को भेजे गए एक आदेश में ऐसे स्टीकर लगे वाहनों को जब्त किए जाने की बात कही गई है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के निर्देश के बाद परिवहन विभाग द्वारा ऐसे वाहनों की पहचान किए जाने का काम शुरू हो चुका है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र के एक शिक्षक के तौर पर कार्यरत हर्षल प्रभु के लिखे एक पत्र के बाद पीएमओ ने इस मामले को संज्ञान में लिया है।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि किसी समाज के निर्माण में इस तरह के स्टीकर से खतरा पैदा होने की संभावना रहती है।
पत्र पर गौर फरमाने के बाद पीएमओ ने उत्तर प्रदेश सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित किया, जिसके बाद इस अभियान की शुरुआत की गई।
कानपुर के डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर डी.के.त्रिपाठी ने कहा, "हमारी टीम को हर बीस वाहनों में इस तरह के स्टीकर मिले हैं। मुख्यालय की तरफ से ऐसे वाहन मालिकों के खिलाफ हमें कार्रवाई किए जाने का आदेश दिया गया है।" (आईएएनएस)
वाराणसी, 27 दिसंबर | उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में किसान अब आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किसानी के लिए कर रहे हैं। यहां के किसान अब बीज बोने के लिए ड्रोन चलाना सीख रहे हैं। कृषि विज्ञान संस्थान, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के निदेशक रमेश चंद के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम ने हाल ही में खेती के दौरान ड्रोन के उपयोग का प्रदर्शन करने के लिए खुटहन गांव का दौरा किया।
चंद ने मीडिया को बताया, "प्रौद्योगिकी किसानों को खेती की लागत को कम करने और उनकी दक्षता बढ़ाने में मदद करेगी।"
उन्होंने कहा कि किसान इस प्रयोग से काफी संतुष्ट हैं।
उन्होंने कहा कि ड्रोन्स का इस्तेमाल 'राइस-व्हीट क्रॉपिंग सिस्टम' के खेतों में किया जा रहा है, जहां गीली मिट्टी के कारण ट्रैक्टरों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था।
चंद ने कहा कि चावल और गेहूं की खेती के लिए अलग-अलग मिट्टियों की आवश्यकता होती है। अगर चावल को स्थिर पानी की आवश्यकता होती है, तो गेहूं को नमी, हवा और थर्मल रिजाइम के साथ अच्छी तरह से चूर्णित मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसके कारण 'राइस-व्हीट क्रॉपिंग सिस्टम' की एक प्रमुख विशेषता एरोबिक से अनएरोबिक और फिर वापस एरोबिक स्थितियों में मिट्टी का वार्षिक रूपांतरण है।
उन्होंने कहा कि ड्रोन का उपयोग न केवल समग्र प्रदर्शन को बढ़ा सकता है, बल्कि किसानों को अन्य मिश्रित बाधाओं को हल करने और सटीक कृषि के लिए बहुत सारे लाभ प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निग (एमएल) और रिमोट सेंसिंग फीचर्स से लैस ड्रोन तकनीक की मांग इसके फायदों की वजह से बढ़ रही है। (आईएएनएस)
जम्मू, 27 दिसंबर (आईएएनएस)| जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में सुरक्षा बलों ने रविवार को 'जम्मू-कश्मीर गजनवी फोर्स' के 2 आतंकवादियों को पकड़ा है। आतंकियों के पास से विस्फोटक सामग्री भी बरामद हुई है। भारतीय सेना ने एक बयान में कहा है, "खुफिया सूचना के आधार पर सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संयुक्त अभियान में पुंछ जिले के मेंढर के गलुथा हरनी के पास एक गाड़ी से 2 आतंकी पकड़े हैं और विस्फोटक सामग्री बरामद की है।"
इसमें कहा गया है, "संभावना है कि पकड़े गए आतंकवादी 'जम्मू-कश्मीर गजनवी फोर्स' के हैं। इन आतंकवादियों की गिरफ्तारी के साथ सुरक्षा बलों ने एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है जो युद्ध जैसे सामानों की दुकानों और नशीले पदार्थों के काम में शामिल हैं। हथियार और विस्फोटक सामग्री की तलाश के लिए अभी भी अभियान जारी है। ये आतंकवादी राजौरी जिले में विस्फोट करने की फिराक में थे, ताकि इस क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ा जा सके।"
इससे पहले 13 दिसंबर को पुराने मुगल रोड पर डोग्रेन (पुंछ) में हुई मुठभेड़ में जेके गजनवी फोर्स के ही 2 विदेशी आतंकवादी मारे गए थे।
दिल्ली, 27 दिसंबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को जब अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए देशवासियों को संबोधित कर रहे थे तब आंदोलन की राह पकड़े किसान थाली और ताली बजाकर अपना विरोध जता रहे थे। हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने प्रधानमंत्री से दूसरों की बात सुनने की अपील की। गुरनाम िंसंह हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष हैं और किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले प्रमुख नेताओं में शामिल हैं।
हरियाणा के रोहतक जिला स्थित मकड़ोली टोल पर थाली बजाकर 'मन की बात' रेडियो कार्यक्रम का विरोध करते हुए किसान नेता सरदार गुरनाम सिंह चढूनी ने मोदी को संबोधित करते हुए कहा, ''हम आपके मन की बात से राजी नहीं हैं। आप अपने मन की बात करते हैं, लेकिन दूसरों की बात नहीं सुनते हैं।'' किसान नेता गुरनाम सिंह ने प्रधानमंत्री से दूसरों की बात सुनने की अपील की।
किसान आंदोलन का रविवार को 32वां दिन है। देश की राजधानी दिल्ली की सीमा स्थित सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसान 26 नवंबर से डेरा डाले हुए हैं। आंदोलनरत किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के विरोध में सड़कों पर हैं उनका कहना है कि ये कानून किसानों के हितों में नहीं है जबकि सरकार का कहना है कि विपक्षी राजनीतिक दल उन्हें गुमराह कर रहे हैं।
किसान और सरकार के बीच जारी गतिरोध को दूर करने के लिए कई दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन मसले का समाधान तलाशने में दोनों पक्ष विफल रहे हैं। अगले दौर की वार्ता 29 दिसंबर को प्रस्तावित है। सरकार के आग्रह पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 40 किसान संगठनों के नेताओं की ओर से अगले दौर की वार्ता की तिथि और समय बताते हुए शनिवार को एक चिट्ठी भेजी गई है जिसमें वार्ता के लिए चार मुद्दे भी सुझाए गए हैं।
ये मुद्दे इस प्रकार हैं:
1. तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि
2. सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए गए लाभदायक एमएसएपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान
3. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं, और
4. किसानों के हितों की रक्षा के लिए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे में जरूरी बदलाव।
किसान नेता डॉ. दर्शनपाल से जब आईएएनएस ने पूछा कि क्या अगले दौर की वार्ता इन शर्तों पर होगी तो उन्होंने कहा कि ये शर्तें नहीं बल्कि वार्ता का एजेंडा है जोकि उन्होंने सरकार के आग्रह पर ही दिए हैं।
आंदोलनकारी किसान संगठन केंद्र सरकार द्वारा सितंबर में लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।(आईएएनएस)
बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश), 27 दिसंबर | मिट्टी की खुदाई कर रही दो महिला और एक बच्ची की मिट्टी ढहने से मौत हो गई। यह दुर्घटना धलना गांव में शनिवार को घटी।
मृतकों में मीनाक्षी (25), कविता (18) और दीपांशी (12) शामिल हैं। ये सभी गांव के ही निवासी हैं। अस्पताल ले जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार ने कहा कि स्थानीय प्रशासन द्वारा भेजी गई एक बचाव टीम ने तीनों महिलाओं को मलबे से बाहर निकालने के लिए अर्थ मूवर्स का इस्तेमाल किया और उन्हें नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया।
उन्होंने कहा कि शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। (आईएएनएस)
दिल्ली, 27 दिसंबर | कड़ाके की ठंड और कोरोना महामारी के संकट के बीच देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर बीते एक महीने से भारी तादाद में किसान जमे हुए हैं। केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान 26 नवंबर से यहां सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि खेतीबारी का काम छोड़ सड़कों पर उतरे किसानों के इस आंदोलन को आखिर ईंधन कहां से मिल रहा है। इस सवाल पर तरह-तरह के कयास लगाए जा चुके हैं। मगर, आईएएनएस को जो जानकारी मिली है उसमें पंजाबी किसानों का जज्बा और उनका भाईचारा ही है जो इस आंदोलन को ताकत दे रहा है। भारतीय किसान यूनियन के नेता पाल माजरा से जब पूछा कि आंदोलन चलाने के लिए उनको धन कहां से मिल रहा है तो उन्होंने बताया कि पंजाब में हर कोई दिल्ली मोर्चा में अपना योगदान दे रहा है। उन्होंने बताया कि पंजाब के गावों से जब कोई दिल्ली मोर्चा के लिए रवाना होता है गांवों के लोग उनके साथ अपने सामथ्र्य के मुताबिक अपना आर्थिक योगदान भेजता है।
पाल माजरा ने बताया कि न लोग न सिर्फ आर्थिक योगदान कर रहे हैं बल्कि हर किसान परिवार से कोई न कोई रोज दिल्ली मोर्चा के लिए पहुंच रहा है। यही वजह है कि किसान आंदोलन एक महीने से ज्यादा समय से चल रहा है फिर भी दिल्ली की सीमाओं पर लाखों की तादाद में लोग जमे हुए हैं।
पंजाब के ही किसान गुरविंदर सिंह से जब पूछा कि क्या किसान आंदोलन से खेती-किसानी का काम प्रभावित नहीं हो रहा है तो उन्होंने बताया कि इस आंदोलन के बाद पंजाबियों में भाई-चारा और बढ़ गया है। गुरविंदर सिंह ने बताया, ''किसान आंदोलन 26 नवंबर से शुरू हुआ जिससे पहले गेहूं की बुवाई तकरीबन पूरी हो चुकी थी और अब तो एक पानी भी गेहूं में पड़ चुका है।'' उन्होंने बताया कि आंदोलन से खेती-किसानी का कोई काम प्रभावित नहीं है, चाहे फसलों की बुवाई हो या फसलों में खाद या पानी देने का काम हो, सब समय पर चल रहा है और गावों में लोग एक-दूसरे के काम में मदद कर रहे हैं। गुरविंदर सिंह ने बताया कि इससे पंजाबियों में भाईचारा बढ़ा है और कई जगहों पर महिलाओं ने खेती-किसानी का काम संभाल रखा है।
पंजाब सरकार के कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले साल राज्य में जहां 35.21 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई थी वहां इस साल 34.78 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती किसानों ने की है। उन्होंने बताया कि गेहूं का कुछ रकबा आलू और दूसरी फसलों में इस साल गया है। पंजाब में रबी फसलों का कुल रकबा 40.7 लाख हेक्टेयर है और अन्य फसलों में जौ, चना और मक्का शामिल है।
अधिकारी ने बताया कि किसानों के आंदोलन से आरंभ में ट्रेन नहीं चलने से उर्वरक की आपूर्ति में कठिनाई आई थी, लेकिन अब कोई दिक्कत नहीं है।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि धान की बिक्री पहले ही हो चुकी है और बागवानी की जो फसलें है उनकी सप्लाई बाजारों में लगातार हो रही है।
यही स्थिति हरियाणा में भी है। करनाल के किसान हरपाल सिंह बताते हैं कि खेती-किसानी के काम पर किसान आंदोलन का कोई असर नहीं है क्योंकि हर किसान परिवार के सदस्य बारी-बारी से दिल्ली मोर्चा के लिए पहुंच रहे हैं और जो सदस्य गांवों में रहते हैं वो खेती का काम संभालते हैं। (आईएएनएस)
बरेली (उत्तर प्रदेश), 27 दिसंबर | बरेली जिले में 2 अलग-अलग घटनाओं में मुस्लिम महिलाओं ने धर्म परिवर्तन के बाद हिंदू पुरुषों से शादी कर ली, इन महिलाओं को अब पुलिस सुरक्षा दी गई है। पहला मामला बरेली के हाफिजगंज इलाके का है, यहां पुलिस ने दोनों पक्षों के परिवारों को थाने बुलाया और बिना मामला दर्ज किए ही उनकी सुलह करा दी। वहीं बहेड़ी जिले के दूसरे मामले में महिला के परिजनों ने उसके हिन्दू पति के खिलाफ अपहरण और डकैती का मामला दर्ज करा दिया था।
एसएसपी रोहित सिंह साजवान ने संवाददाताओं को बताया, "हाफिजगंज और बहेड़ी इलाके के जोड़े वयस्क हैं। दोनों ही मामलों में हमने लड़की के बयान सुने। हाफिजगंज मामले में जोड़े ने पुलिस स्टेशन पहुंचकर सुरक्षा मांगी। हमने दोनों के परिवारों को थाने बुलाकर मामला सुलझाया। लड़की के परिवार वालों ने शादी को स्वीकार कर लिया है और कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।"
उन्होंने गुरुवार को रितोरा क्षेत्र के एक मंदिर में शादी की थी। भगवा पार्टी के सदस्य भी युगल के समर्थन में आगे आए।
वहीं बहेड़ी क्षेत्र की 29 वर्षीय मुस्लिम महिला मंगलवार को एक हिंदू व्यक्ति के साथ भाग गई थी। उसने एक वीडियो जारी कर कहा कि उसने धर्म परिवर्तन करने के बाद 4 सितंबर को एक मंदिर में शादी कर ली। उसने आरोप लगाया है कि उसके माता-पिता ने उसे जान से मारने की धमकी दी है।
महिला ने वीडियो में कहा है, "अगर मेरे पति के साथ कुछ होता है तो मेरे माता-पिता को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।"
बुधवार को उसके परिवार ने उसके पति के खिलाफ अपहरण और डकैती का मामला दर्ज करा दिया। महिला के परिवार ने यह भी मांग की है कि नए धर्मांतरण विरोधी कानून के प्रावधानों को भी एफआईआर में शामिल किया जाए।
पुलिस ने कहा कि दंपति मामले के जांच अधिकारी के संपर्क में है और उन्हें जल्द ही एक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा।
एसएसपी ने कहा, "हम हाई कोर्ट के उस निर्देश का पालन कर रहे हैं जिसमें कहा गया है कि दो वयस्कों को आपसी सहमति से अपने परिवारों के हस्तक्षेप के बिना एक साथ रहने का अधिकार है।" (आईएएनएस)
गाजीपुर बॉर्डर (नई दिल्ली/उप्र), 27 दिसंबर | जब रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2020 की आखिरी 'मन की बात' कर रहे थे, तो उसी समय दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान थाली बजा रहे थे। गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने मन की बात शुरू होते ही हाथों में ड्रम और थालियां लेकर बजाना शुरू कर दिया। किसानों का कहना है कि, मोदी जी के मन की बात का हम विरोध करते हैं। सरकार जब तक कानून वापस नहीं लेती, हम इसी तरह प्रधानमंत्री का विरोध करते रहेंगे। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रिय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आईएएनएस से कहा कि, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कोरोना थाली बजाने से भागेगा, उसी तरह किसान भी थाली बजा रहें हैं ताकि कृषि कानूनों को भगाया जाए।
उन्होंने आगे कहा कि, ये बस सरकार के लिए सुधार संकेत है कि सरकार जल्द सुधर जाए। 29 दिसंबर को हम सरकार के साथ मुलाकात करेंगे। वहीं नया साल सबके लिए शुभ हो और मोदी जी भी कानून वापस ले लें तो हम किसान भाइयों के लिए भी शुभ हो।
दरअसल किसानों ने 29 दिसंबर को सरकार के साथ बातचीत करने का प्रस्ताव रखा है। वहीं इस वार्ता में 4 मुद्दों का एजेंडा भी तय किया गया है। (आईएएनएस)
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार अंतरधार्मिक शादी करने वाले और अंतरधार्मिक रिश्तों वाले युवा गिरफ़्तारी के डर से उत्तर प्रदेश छोड़कर दूसरे राज्यों में जा रहे हैं.
अख़बार ने ऐसे कुछ प्रेमी और शादीशुदा जोड़ों से बात की है, जिन्हें डर है कि कथित लव जिहाद और धर्मांतरण क़ानून के नाम पर राज्य में उनका उत्पीड़न किया जाएगा.
हिंदू युवती से प्रेम करने वाले एक मुसलमान युवक ने अख़बार को बताया, "उत्तर प्रदेश में दक्षिणपंथी संगठन के लोग मेरे पीछे पड़े थे. अब हम दोनों यूपी से बाहर जाकर शादी करेंगे. मैं हिंदू धर्म अपना लूंगा और हम अदालत से सुरक्षा माँगेंगे."
मुसलमान युवक से प्रेम करने वाली एक युवती ने बताया, "मेरे माता-पिता को हमारे रिश्ते के बारे में पता चला तो उन्होंने मेरे फ़ोन से सिम निकाल लिया, मुझे टॉर्चर किया और मेरे बॉयफ़्रेड को जान से मारने की धमकी दी."
उसने बताया, "हम दोनों भागकर दिल्ली आ गए और हमने अदालत से सुरक्षा मांगी. मुझे नही लगता अब हम कभी वापस जाएंगे."
अख़बार लिखता है कि उत्तर प्रदेश के कड़े धर्मांतरण क़ानून ने अंतरधार्मिक रिश्तों को लेकर ख़ौफ़ बढ़ा दिया है (bbc.com/hindi)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक हिंदू युवती को उसके मुसलमान पति से मिलाते हुए कहा है कि महिला को अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जीने का अधिकार है.
अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स में छपी ख़बर के अनुसार जस्टिस पंकज नक़वी और विवेक अग्रवाल ने 18 दिसंबर को युवती के पति की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये फ़ैसला सुनाया.
युवती के पति ने अपनी अर्ज़ी में कहा था कि उनके सास-ससुर ने उनकी पत्नी को उनकी इच्छा के ख़िलाफ़ नारी निकेतन आवास में भेज दिया है.
युवक की शिक़ायत पर दोनों जजों की बेंच ने युवती से बातचीत की. बातचीत में युवती ने साफ़-साफ़ कहा कि वो अपने पति के साथ रहना चाहती है.
इसके बाद जजों ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा, "कोई भी बालिग़ महिला बिना किसी की रोकटोक के कहीं भी आने-जाने या रहने के लिए स्वतंत्र है."
अदालत ने युवती के पति पर दर्ज की गई उस एफ़आईआर को भी निरस्त कर दिया जिसमें उन पर युवकी का अपहरण करने का आरोप लगाया गया था.
इतना ही नहीं, बेंच ने चीफ़ जुडिशियल मैजिस्ट्रेट के उस आदेश को भी रद्द कर दिया जिसके तहत युवती को नारी निकेतन भेजा गया था.
अदालत ने कहा, "युवती वयस्क है और उसने अपना जन्मतिथि प्रमाण पत्र भी सौंपा था. लेकिन ट्रायल कोर्ट ने इस पर ध्यान नहीं दिया." (bbc.com/hindi)
चंडीगढ़, 27 दिसंबर | विवादास्पद तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच भाजपा और जननायक जनता पार्टी (जजपा) शासित हरियाणा में रविवार को नगरपालिका चुनावों के लिए मतदान शुरू हो गया। राज्य में अक्टूबर 2019 में भाजपा-जजपा गठबंधन के सत्ता में आने के बाद यह पहला चुनाव है।
भाजपा-जजपा गठबंधन और कांग्रेस चुनावी मैदान में हैं।
चुनाव के लिए मतदान शाम 5.30 बजे तक जारी रहेगा। यह चुनाव महापौर और अंबाला, पंचकुला और सोनीपत के नगर निगमों के वाडरें के सदस्यों के लिए और रेवाड़ी की नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष और सदस्य और सांपला (रोहतक) धारूहेड़ा (रेवाड़ी) और उकलाना (हिसार) की नगरपालिका समितियों के सदस्य के लिए है।
दो बार के मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि नगरपालिका चुनाव राज्य में राजनीति का भविष्य तय करेंगे।
उन्होंने कहा कि किसान दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं और उनकी समस्या का समाधान करने के लिए उन्हें संबोधित किए जाने के बजाय, सरकार देश के सबसे बड़े किसान आंदोलनों में से एक की अनदेखी कर रही है।
ओमप्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) ने भाजपा-जजपा सरकार द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ किए गए बल के विरोध में इन चुनावों का बहिष्कार किया है।
पंचकूला में इन चुनावों के लिए करीब 1.89 लाख लोग पूर्व मेयर और कांग्रेस उम्मीदवार उपिंदर कौर अहलूवालिया और भाजपा के उम्मीदवार कुलभूषण गोयल और चार अन्य मेयर प्रत्याशियों के अलावा 83 में से 20 पार्षदों का चुनाव करेंगे।
चुनाव अधिकारियों का कहना है कि मतदान सख्त कोविड-19 दिशानिदेशरें के साथ कराया जा रहा है। मतदान से पहले मतदान केंद्रों की अनिवार्य सैनिटाइजेशन की गई।
कोविड-19 रोगियों और कोरोनावायरस के लक्षण वाले लोगों के लिए मतदान के अंतिम एक घंटे का समय निर्धारित किया गया है।
नगरपालिकाओं के लिए चुनाव ईवीएम के माध्यम से आयोजित किए जाएंगे, जबकि महापौर और अध्यक्ष चुनाव के लिए मत पत्रों का उपयोग किया जाएगा।
मतगणना 30 दिसंबर को होगी।
--आईएएनएस
ओडीशा में एक रिटायर्ड अधिकारी ने इस साल नीट की परीक्षा पास कर एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की है. सेवानिवृत बैंक अधिकारी जयकिशोर प्रधान ने 64 साल की उम्र में ये कारनामा किया है.
वो अपनी बेटियों का सपना पूरा करने के लिए मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. प्रधान ने सिर्फ उम्र की बाधा को ही पार नहीं किया है बल्कि एक हादसे के बाद हुई अपंगता पर भी विजय पाई है. साल 2003 में एक कार हादसे के बाद उनका एक पैर नाकाम हो गया था.
पैर में लगे स्प्रिंग की मदद से वो चल तो सकते हैं लेकिन आसानी से नहीं. जयकिशोर ने बीबीसी के बताया कि डॉक्टर बनने की चाह उनके मन में बचपन से ही थी. साल 1974-75 में बारहवीं पास करने के बाद उन्होंने मेडिकल की परीक्षा दी थी लेकिन कामयाबी नहीं मिली थी.
उस समय मेडिकल की परीक्षा के लिए एक साल और गंवाने के बजाय उन्होंने बीएससी में दाख़िला लेकर आगे की पढ़ाई करना सही समझा. उन्होंने भौतिक विज्ञान (फिजिक्स) ऑनर्स के साथ ग्रैजुएशन किया और फिर स्टेट बैंक में नौकरी कर ली.
साल 1982 में प्रधान के पिता बीमार हुए तो उन्होंने उन्हें इलाज के लिए बुर्ला के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया, जहां दो बार उनका ऑपरेशन हुआ. लेकिन इसके बावजूद जब वे ठीक नहीं हुए तो उन्होंने अपने पिता को वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया जहां से वे स्वस्थ होकर घर वापस आए.
डॉक्टरी की पढ़ाई
अपने पिता के इलाज के लिए अस्पताल में रहते समय प्रधान के मन में डॉक्टर बनने की इच्छा एक बार फिर जागी. लेकिन तब तक वे डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए उम्र की सीमा पार कर चुके थे. इसलिए उस समय मन मार कर रह गए.
प्रधान खुद भले ही डॉक्टर नहीं बन पाए लेकिन 30 सितंबर, 2016 में सेवानिवृत होने के बाद उन्होंने अपनी जुड़वा बेटियों के जरिए अपना सपना पूरा करने की ठान ली. उन्होंने अपनी बेटियों को डॉक्टरी पढ़ने के लिए प्रेरित किया और उनकी तैयारी में मदद भी की. उनकी मेहनत, लगन और प्रेरणा आखिरकार रंग लाई और उनकी दोनों बेटियाँ बीडीएस (डेंटल साइंस) की परीक्षा पास कर गईं.
लेकिन साल 2019 में "नीट" की परीक्षा में आयु सीमा की चुनौती देकर दायर एक याचिका पर जब सुप्रीम कोर्ट ने मामले के अंतिम फैसले तक आयु सीमा हटा दिया, तो प्रधान ने अपना मौका ताड़ा और उसी वर्ष "नीट" की परीक्षा में बैठ गए. लेकिन उन्हें इस बार भी कामयाबी नहीं मिली.
वे कहते हैं, "सच पूछें तो मैंने पिछले साल "नीट" के लिए अलग से कोई तैयारी नहीं की थी लेकिन बेटियों की जिद के कारण मैं परीक्षा में बैठ गया. उस बार मुझे सफलता नहीं मिली, लेकिन एक फ़ायदा जरूर हुआ. मैं जान गया कि "नीट" की परीक्षा कैसी होती है, उसमें कैसे सवाल पूछे जाते हैं. इस बार मैं बेहतर तैयारी के साथ परीक्षा में बैठा और सफल हुआ."
बेटी की मौत
प्रधान ने सितंबर में "नीट" के परीक्षा दी और दिसंबर में उसका परिणाम आया लेकिन इस दौरान उनके परिवार में एक ऐसा हादसा हो गया जिसने उन्हें झंझोर कर रख दिया. पिछले नवंबर में एक दुर्घटना में उनकी जुड़वां बेटियों में से बड़ी बेटी की मौत हो गई.
वो कहते हैं, "मुझे एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए उसी ने सबसे ज्यादा प्रेरित किया आज वह ज़िंदा होती, तो वही सबसे ज़्यादा ख़ुश होती. लेकिन यह मेरा दुर्भाग्य है कि परिणाम आने से पहले ही वह चल बसी."
यह कहते हुए प्रधान भावुक हो उठते हैं और उनकी आवाज में उनकी पीड़ा साफ छलकती है. पिछले गुरुवार को प्रधान ने बुर्ला सहर स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज "वीर सुरेन्द्र साए इंस्टिट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च" यानी "विमसार" में दाखिला ले लिया.
लेकिन अभी कक्षाएं शुरू नहीं हुई हैं. संयोगवश यह कॉलेज उनके निवास स्थान अताबीरा से केवल 15 किलोमीटर की दूरी पर है. प्रधान ने अभी तय नहीं किया है कि वे घर पर रहकर पढ़ाई करेंगे या हॉस्टल में रहेंगे.
जब मैंने उनसे पूछा कि अगर उन्हें "विमसार" के बजाय कहीं दूर, किसी दूसरे राज्य के मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलता तो क्या वे तब भी एम.बी.बी.एस. की पढ़ाई करते, तो उन्होंने तत्काल कहा; "जरूर करता क्योंकि यह केवल मेरा अपना ही नहीं, मेरी खोई हुई बेटी का भी सपना था."
डॉक्टरों की तरह प्रैक्टिस करेंगे
अपने बच्चों के उम्र के नौजवानों के साथ पढ़ाई करना और अपने से कम उम्र के लोगों को अपना शिक्षक मानना क्या उन्हें थोड़ा अटपटा सा नहीं लगेगा? इस सवाल के जवाब में प्रधान ने कहा, "मैं अपनी ओर से कोशिश करूंगा कि मेरे साथ पढ़ने वाले छात्र, छात्राएं मुझे अपना क्लासमेट समझें और मेरे साथ वैसा ही बर्ताव करें. जहां तक शिक्षकों को सवाल है, वे मेरे लिए गुरु होंगे भले ही वे उम्र में मुझसे छोटे हों."
डॉक्टरी की पढ़ाई खत्म करने के बाद क्या वे दूसरे डॉक्टरों की तरह प्रैक्टिस करेंगे? इसपर प्रधान का कहना था, "इसे पेशा बनाने की मंशा लेकर मैं परीक्षा में नहीं बैठा था. बैंक की नौकरी के साथ मेरे पेशेवर जीवन समाप्त हो चुका है. डॉक्टरी से रोज़ी-रोटी कमाने का मेरा कोई इरादा नहीं है. मुझे जो पेंशन मिलता है, उसीसे मेरा गुजारा हो जाता है. मैंने डॉक्टर बनना सिर्फ़ इसलिए चाहा कि अपने इलाक़े में उन गरीबों की मदद कर सकूं, जिनके पास इलाज के पैसे नहीं होते. अगर मैं ऐसा कर पाऊँ तो अपने आप को भाग्यशाली समझूँगा."
प्रधान ने रिकॉर्ड बनाने के लिए भले ही डॉक्टर बनना न चाहा हो. लेकिन संभव है कि इस उम्र में उनकी इस अनोखी सफलता के कारण उन्हें किसी रिकॉर्ड बुक में स्थान मिल ही जाए. प्रधान ने यह ज़रूर साबित किया है कि अगर कोई किसी लक्ष्य को प्राप्त करने की ठान ले और उसके लिए पूरी लगन से मेहनत करे तो उम्र उसमें बाधक नहीं होती. (bbc)
नई दिल्ली, 27 दिसंबर | यहां के फिरोज शाह कोटला मैदान में अरुण जेटली स्टेडियम के अंदर अरुण जेटली की छह फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा 28 दिसंबर को उनकी 68वीं जयंती पर स्थापित की जाएगी।
प्रतिमा के निर्माण पर करीब 15 लाख रुपये की लागत से आई है और इसका वजन करीब 800 किलो है। सूत्रों ने कहा कि प्रतिमा की छतरी पर डेढ़ लाख रुपये खर्च हुए हैं।
जेटली 1999 से 2013 तक 14 साल तक दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के अध्यक्ष रहे और अब उनके बेटे रोहन जेटली इस पद को संभाल रहे हैं।
एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया, गृहमंत्री अमित शाह सोमवार को दोपहर करीब एक बजे प्रतिमा का अनावरण कर सकते हैं, जिसमें अरुण जेटली के परिवार के साथ केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और अनुराग ठाकुर, भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह और भारत और दिल्ली के पूर्व कप्तान वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर भी इस मौके पर मौजूद रहेंगे।
इस समय, कोविड-19 महामारी के कारण समारोह में 50 व्यक्ति ही व्यक्ति ही मौजूद रहेंगे। जो अन्य लोग मौजूद होंगे, उनमें खेल मंत्री किरण रिजिजू, 18 डीडीसीए निदेशक-और संभवत: उन सबकी पत्नी के अलावा कुछ और लोग शामिल हो सकते हैं।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, जेटली की प्रतिमा शनिवार दोपहर अरुण जेटली स्टेडियम पहुंची और तुरंत उसके चारों ओर सुरक्षा कवच बना दिया गया।
भारत और दिल्ली के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी हालांकि स्टेडियम में जेटली की प्रतिमा लगाने का पुरजोर विरोध कर चुके हैं। उनका कहना है कि किसी महान खिलाड़ी की प्रतिमा लगाई जानी चाहिए।
अरुण जेटली की प्रतिमा स्थापित करने का फैसला अक्टूबर में डीडीसीए शीर्ष परिषद की बैठक में रोहन जेटली, नए कोषाध्यक्ष और चार अन्य निदेशकों के चुने जाने के तुरंत बाद लिया गया था। यह प्रतिमा स्टेडियम के वीरेंद्र सहवाग गेट (गेट नंबर-1) के पास पार्किं ग एरिया में लगाई जाएगी।
यह ऐतिहासिक स्थल 1883 में बनाया गया था और पिछले साल 12 सितंबर तक इसे फिरोज शाह कोटला स्टेडियम कहा जाता था, जब इसका नाम बदलकर अरुण जेटली स्टेडियम रखा गया। पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री जेटली का पिछले साल 24 अगस्त को निधन हो गया।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 27 दिसंबर | भारतीट क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी ने शनिवार को दिल्ली के शीर्ष क्रिकेट निकाय को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अरुण जेटली स्टेडियम में एक स्टैंड से उनका नाम हटाने के उनके अनुरोध को अगर नजरअंदाज किया जाता है तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बेदी ने स्टेडियम में अरुण जेटली की प्रतिमा लगाए जाने के विरोध में बुधवार को यह अनुरोध किया था। जेटली 14 साल तक दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के अध्यक्ष रहे और उनके बेटे रोहन जेटली वर्तमान में उस पद पर कायम हैं।
बेदी ने शनिवार को डीडीसीए अध्यक्ष रोहन जेटली को भेजे गए पत्र में 23 दिसंबर को किए गए अनुरोध को याद दिलाते हुए पूर्व स्पिनर ने कहा कि उन्हें दुख है कि उनके पत्र का अभी तक जवाब नहीं दिया गया है।
--आईएएनएस
हैदराबाद, 27 दिसंबर। साइबराबाद पुलिस ने एक शख्स को परेशान करने और उससे पैसे ऐंठने के आरोप में आठ ट्रांसजेंडर (किन्नरों) को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने यह कार्रवाई मेड़चल जिले के प्रबोधनगर, बचपल्ली मंडल निवासी एक के बाद एक पंचांगम चलपठी ने शिकायत की कि ट्रांसजेंडर्स ने उसे परेशान किया और गाली-गलौज की। मजबूर होकर उन्हें 16,500 रुपये देने पड़े।
घटना शुक्रवार को उस समय हुई जब चैलपति और उसके परिवार के सदस्य अपने बेटे की शादी के एक दिन बाद अपने फ्लैट पर पूजा कर रहे थे। आरोपियों ने 20,000 रुपये की मांग की और शिकायतकर्ता ने मना कर दिया तो ट्रांसजेंडर्स ने उन्हें अभद्र भाषा में गाली देना शुरू कर दिया और उपद्रव पैदा कर दिया। शिकायतकर्ता डर गया और उसने अपनी जेब से 16,500 रुपये दिए। वे पैसे इकट्ठा करने के बाद एक ऑटोरिक्शा में भाग गए।
बचूपल्ली पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। उन्होंने आठ ट्रांसजेंडरों को गिरफ्तार किया जो ऑटोरिक्शा ड्राइवरों के माध्यम से विवाह, दुकान के उद्घाटन, घर वार्मिग, जन्मदिन की पार्टियों और अपने संबंधित घरों या वाणिज्यिक क्षेत्रों में जनता द्वारा शुभ दिनों पर आयोजित अन्य कार्यो की तारीखों के बारे में जानकारी जुटा लेते हैं।
जानकारी एकत्र करने के बाद आरोपी गिरोह आयोजन स्थलों पर जाकर पीड़ितों/आयोजकों से भारी पैसे की मांग करता था और यदि बाद में मना कर देता था तो ट्रांसजेंडर्स उपद्रव पैदा कर रहे थे, पीड़ितों को धमकी देकर दहशत, पीड़ितों के परिवार के सदस्यों और मेहमानों के सामने समारोहों में उनके प्राइवेट पार्ट्स को उजागर करके अपमानजनक शब्द/इशारों से उन्हें बदनाम कर रहे थे।
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ जबरन वसूली का मामला दर्ज कर उनके पास से 16,500 रुपये और सात मोबाइल फोन जब्त किए। इन सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
पुलिस ने बताया कि लोग इस तरह के उत्पीड़न और जबरन वसूली की शिकायत नजदीकी पुलिस स्टेशन या डायल 100 या वाट्सएप नंबर 9490617444 पर कर सकते हैं।
--आईएएनएस
श्रीनगर, 27 दिसम्बर | जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने शनिवार को शोपियां जिले में एक कथित 'फर्जी' मुठभेड़ में शामिल होने के लिए सेना के एक कप्तान सहित तीन लोगों के खिलाफ एक अदालत में आरोप पत्र (चार्जशीट) दायर किया। यह आरोप पत्र जम्मू एवं कश्मीर के शोपियां में हुई एक कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गए तीन नागरिकों से संबंधित मामले में दायर किया गया है।
पुलिस ने कहा कि आरोप पत्र शोपियां के प्रमुख जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में पेश किया गया है।
पुलिस उपाधीक्षक वजाहत हुसैन ने कहा, "इस मामले के तीन आरोपियों में 62 राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन भूपिंदर, पुलवामा निवासी बिलाल अहमद और शोपियां निवासी ताबिश अहमद शामिल हैं।"
हुसैन मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) का नेतृत्व कर रहे हैं।
सेना ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा था कि 18 जुलाई, 2020 में अमशीपोरा (शोपियां) मुठभेड़ के संबंध में सबूत एकत्र करने की प्रक्रिया पूरी हो गई है, जिसमें तीन मजदूर मारे गए थे, हालांकि उनका किसी आतंकवादी गतिविधि से कोई संबंध नहीं था।
सेना ने कहा कि इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए कानूनी विशेषज्ञों की सहायता लेने की बात भी कही थी।
दरअसल, सेना ने 18 जुलाई 2020 को शोपियां के अमशीपोरा में एक मुठभेड़ में तीन अज्ञात आतंकवादियों को मार गिराने का दावा किया था। सोशल मीडिया पर मारे गए आतंकवादियों की तस्वीरें आने के बाद उनके परिजनों ने इसका खंडन किया था। परिजनों के मुताबिक तीनों युवकों का आतंकवादियों से कोई संबंध नहीं था और वे शोपियां में श्रमिक के रूप में काम कर रहे थे। ये तीन लोग जम्मू संभाग (डिविजन) के राजौरी जिले से संबंध रखते थे।
परिवार की ओर से आपत्ति जताए जाने के बाद पुलिस ने तीनों परिवारों की डीएनए की जांच भी की थी और इसमें पाया गया था कि मुठभेड़ में मारे गए तीनों लोग स्थानीय ही हैं।
जिन्होंने उक्त मुठभेड़ को अंजाम दिया था, उनका दावा था कि तीनों विदेशी आतंकवादी थे, जिनके कब्जे से हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए थे।
सेना ने अब स्वीकार किया है कि मुठभेड़ में शामिल तीनों आरोपी व्यक्तियों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया था। उन्होंने सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफ्सफा) का फायदा उठाते हुए अपनी शक्तियों का गलत प्रयोग किया।
तीन मारे गए नागरिकों की पहचान अबरार अहमद (25), मोहम्मद इबरार (16) और इम्तियाज अहमद (20) के रूप में हुई है।
इन लोगों के पार्थिव शरीर को बाद में उनके परिजनों को सौंप दिया गया था।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 27 दिसंबर | कांग्रेस ने शनिवार को पश्चिम बंगाल के 70 लाख किसानों को 'किसान सम्मान निधि' योजना में शामिल न किए जाने पर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए उन्हें तत्काल धन जारी किए जाने की मांग भी की।
कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने कहा, "यह जानकर दुख होता है कि केंद्र और राज्य सरकारों के अहंकारी रवैये के कारण पश्चिम बंगाल के 70 लाख किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसान सम्मान कार्यक्रम से बाहर हैं।"
उनकी टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नौ करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खातों में 18,000 करोड़ रुपये स्थानांतरित करने के एक दिन बाद सामने आई है।
प्रसाद कांग्रेस के पश्चिम बंगाल प्रभारी भी हैं। उन्होंने कहा, "14,000 रुपये की राशि, जो किसानों के बैंक खातों में हस्तांतरित की जानी थी, वह नहीं की गई है।"
प्रसाद ने कहा, "इसके लिए कौन जिम्मेदार है? मैं मांग करता हूं कि केंद्र और राज्य सरकार को किसानों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखना चाहिए।"
कांग्रेस नेता ने मांग की कि पश्चिम बंगाल के किसानों को उनकी यह राशि हस्तांतरित की जानी चाहिए, जो उनका अधिकार है।
उन्होंने कोरोना महामारी के इस संकट के समय में किसानों को राशि दिए जाने की वकालत की।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने शुक्रवार को केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के लाभ से पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसानों को कथित तौर पर वंचित रखने को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि राजनीतिक कारणों से वह ऐसा कर रही हैं।
--आईएएनएस
रांची, 26 दिसम्बर | झारखंड की राजधानी रांची में शनिवार को एक कथित शराबी पिता ने अपनी डेढ़ साल की मासूम बेटी के लगातार रोने के चलते हत्या कर दी। पुलिस के अनुसार, रांची के चुटिया थाना क्षेत्र के मुचुंदटोली इलाके के निवासी 40 वर्षीय गौतम उस समय आग बबूला हो गया, जब उनकी बेटी रोना बंद नहीं कर रही थी, तो वह गुस्से में आकर अपनी बेटी को जमीन पर पटक दिया। इसके बावजूद जब बच्ची रो रही थी, तो उसने बेटी की गला घोंट कर हत्या कर दी।
घटना के बाद बच्चे की मां भटकने लगी और आस-पड़ोस के लोगों ने इक्ट्ठा होकर गौतम को पकड़ लिया, जिसके बाद भीड़ ने उसे जमकर पीटा और पुलिस के हवाले कर दिया।
पुलिस के अनुसार, गौतम एक आदतन शराब पीने वाला था। उन्हें नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया गया था, लेकिन शराब पीना नहीं छोड़ा।
बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और गौतम को हिरासत में ले लिया गया है।
आरोपी की पत्नी बबीता ने कहा, "मेरे पति हमारे दोनों बच्चों से प्यार करते थे। ऐसा स्टेप उन्होंने क्यों उठाया मैं बता नहीं सकती।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 26 दिसंबर | जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों को समय से देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाने में गेम चेंजर साबित हुई किसान रेल योजना को मोदी सरकार ने और विस्तार देने की तैयारी की है। इस सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 दिसंबर को महाराष्ट्र के सांगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार के बीच सौवीं किसान रेल को हरी झंडी दिखाएंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होने वाले इस कार्यक्रम में रेल मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद रहेंगे। मल्टी कमोडिटी ट्रेन सेवा में फूलगोभी, शिमला मिर्च, पत्तागोभी, मिर्च, प्याज के साथ अंगूर, संतरा, अनार, केला, सेब आदि की ढुलाई होगी। भारत सरकार ने फलों और सब्जियों के परिवहन पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी है। पहली किसान रेल का संचालन बीते सात अगस्त को महाराष्ट्र के देवलाली से बिहार के दानापुर स्टेशन के बीच हुआ था।
बाद में इस किसान रेल सेवा का मुजफ्फरपुर तक विस्तार हुआ था। किसानों के बीच से अच्छी प्रतिक्रिया मिलने पर रेल सेवा का सप्ताहिक की जगह अब हफ्ते मे तीन बार संचालन हो रहा है। मंत्रालय के अफसरों के मुताबिक, किसान रेल पूरे देश में कृषि उत्पादों का तेजी से परिवहन सुनिश्चित करने में गेम चेंजर साबित हो रही है। यह नाशपाती उत्पादन की निर्बाध आपूर्ति में मददगार साबित हो रही है। (आईएएनएस)
पटना, 26 दिसंबर | बिहार में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 2़ 50 लाख के पार पहुंच गई है। शनिवार को 474 नए मामले सामने आए हैं। राज्य में हालांकि अब तक 2,43,985 लोग कोरोना को मात दे चुके हैं। रिकवरी रेट) 97.42 प्रतिशत तक पहुंच गई है। बिहार स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार को जारी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य में पिछले 24 घंटे के दौरान 474 नए मामले सामने आए, जिससे राज्य में कुल कोरोना मरीजों की संख्या 2,50,450 पहुंच गई है।
पिछले 24 घंटों के दौरान 730 संक्रमित स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं। राज्य में अब तक 2,43,985 संक्रमित स्वस्थ हो चुके हैं। राज्य में कोरोना संक्रमित लोगों का रिकवरी रेट 97.42 फीसदी तक पहुंच गया है।
बिहार में कोविड-19 के फिलहाल 5,085 सक्रिय मरीज हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान राज्य में 1,02,055 नमूनों की जांच हुई है।
राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान 6 संक्रमितों की मौत हुई है। राज्य में अब तक 1,379 संक्रमितों की मौत हो चुकी है। पटना जिले में शनिवार को 196 मामले सामने आए हैं। पटना में अब तक कुल 47,918 संक्रमितों की पहचान हो चुकी है, जिसमें से 45,490 स्वस्थ हो चुके हैं। (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 26 दिसंबर | कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने शनिवार को कहा कि 25 नवंबर से अब तक ब्रिटेन से लौटे 2,500 यात्रियों में से 14 कोरोना पॉजिटिव पाए गए। उनके नमूने जीनोम सीक्वेंसिंग जांच के लिए भेजे गए हैं, ताकि कोरोना की नई किस्म का पता लगाया जा सके। सुधाकर ने पत्रकारों को बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने 22 दिसंबर तक 2,500 यात्रियों में से 1,638 लोगों की जांच की है।
उन्होंने कहा, "1,638 में से 14 यात्री पॉजिटिव पाए गए हैं। पॉजिटिव लोगों के सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो-साइंसेज (निमहंस) को भेजा गया है। निमहंस इन परीक्षणों का संचालन करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा चुने गए 10 संस्थानों में से एक है। निमहंस के साथ, बेंगलुरु में नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) भी परीक्षण कर सकता है।"
सुधाकर ने कहा कि जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट की रिपोर्ट आने में कम से कम तीन से चार दिनों की प्रक्रिया है।
उन्होंने कहा, "ब्रिटेन में पाए गए नए स्ट्रेन का पता चलाने के लिए 14 पॉजिटिव सैंपलों की जांच हो रही है। जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट में कुछ समय लग रहा है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 26 दिसम्बर | कृषि कानून के मसले पर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों द्वारा प्रदर्शन जारी है। ऐसे में किसान नेताओं की तरफ से कहा गया है कि, "हम सरकार के साथ बातचीत करने के तैयार हैं, वहीं किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर 2020 को सुबह 11 बजे आयोजित की जाय।" हालांकि इस बैठक के लिए किसानों द्वारा कुछ मुद्दे भी तय किये गए हैं। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को किसानों को संबोधित किया था। ठीक एक दिन बाद यानी शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर किसान नेताओं की शनिवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, इस बैठक में किसानों की अगली रणनीति क्या होगी, इस पर विचार विमर्श किया गया। वहीं शाम साढ़े 5 बजे किसान संगठनों के नेताओं ने प्रेस वार्ता आयोजित की, जिसमें भविष्य की रणनीतियों के बारे में जिक्र किया गया।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से किसान नेताओं ने लिखा है कि, केंद्र सरकार के 24 दिसंबर 2020 को मिले पत्र के जवाब में किसानों की ओर से चिठ्ठी भेजी जा रही है और इस चिट्ठी में लिखा गया है कि, "अफसोस है कि इस चिठ्ठी में भी सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है। हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की। सरकार ने इसे तोड़ मरोड़ कर ऐसे पेश किया, मानो हमने इन कानूनों में संशोधन की मांग की थी।"
इन्होंने कहा कि, "हमने पहली बातचीत से ही लगातार एमएसपी का मुद्दा उठाया, लेकिन सरकार ऐसे दिखाती है मानो हम इस मुद्दे को पहली बार उठा रहे हैं। आप अपनी चिठ्ठी में कहते हैं कि सरकार किसानों की बात को आदरपूर्वक सुनना चाहती है। अगर आप सचमुच ऐसा चाहते हैं तो सबसे पहले वार्ता में हमने क्या मुद्दे कैसे उठाए हैं, इसके बारे में गलतबयानी ना करें और पूरे सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें।"
चिट्ठी में आगे लिखा गया है कि, "सरकार किसानों की सुविधा के समय और किसानों द्वारा चुने मुद्दों पर वार्ता करने को तैयार हैं, इसलिए हम संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सभी संगठनों से बातचीत कर निम्नलिखित प्रस्ताव रख रहे हैं और हमारा प्रस्ताव है कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर 2020 को सुबह 11 बजे आयोजित की जाय।"
किसानों द्वारा बैठक का एजेंडा भी तय कर लिया गया है। इस एजेंडे के अनुसार 4 बिंदुओं को किसानों ने रखा है जिसमें पहला, तीनों कृषि कानूनों को रद्द/निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि। वहीं दूसरा सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान हों।
तीसरा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं। चौथा किसानों के हितों की रक्षा के लिए 'विद्युत संशोधन विधेयक 2020' के मसौदे में जरूरी बदलाव।
इस प्रेस वार्ता में किसान नेताओं ने कहा कि, "हम फिर दोहराना चाहते हैं कि किसान संगठन खुले मन से वार्ता करने के लिए हमेशा तैयार रहे है और रहेंगे।"
हालांकि इस दौरान किसान नेताओं द्वारा कहा गया कि, "27 और 28 दिसंबर को गुरुगोबिंद जी के छोटे साहब जादे के शहादत के उर्स को सभी बॉर्डरों पर मनाया जाएगा। वहीं 30 दिसंबर को एक बॉर्डर से दूसरे बॉर्डर तक ट्रैक्टर मार्च करेंगे। साथ ही 1 जनवरी को दिल्ली और आसपास के लोगों से अपील करते हैं कि आप हमारे साथ नया साल मनाएं और बॉर्डर पर चल रहे लंगर को आकर चखें।" (आईएएनएस)
गुवाहाटी, 26 दिसंबर | केंद्रीय गृहमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह ने शनिवार को अपनी अपील दोहराई और आंदोलनकारी किसानों से उनकी चिंताओं को सुलझाने के लिए सरकार के साथ बातचीत करने का अनुरोध किया। शाह ने यहां अमिंगॉन परेड ग्राउंड में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, "मैं किसानों से अनुरोध करता हूं कि वे अपने मुद्दों को हल करने के लिए सरकार से बातचीत करें।"
लगभग 40 किसान संगठनों से जुड़े नेताओं के नेतृत्व में किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। वे सितंबर में लागू तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।
इन कानूनों में कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020, आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन और मूल्य आश्वासन पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तीकरण) समझौता एवं कृषि सेवा अध्यादेश शामिल हैं, जिनका किसान विरोध कर रहे हैं।
गृहमंत्री ने कहा कि असम में 16 लाख किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत वित्तीय लाभ मिलता है और वित्तीय सहायता सीधे उनके बैंक खातों में जमा हो जाती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले साल फरवरी में किसान परिवारों को आय सहायता प्रदान करने के लिए पीएम-किसान योजना शुरू की गई थी।
इस योजना के तहत, लाभार्थियों के बैंक खातों में प्रत्येक वर्ष 6,000 रुपये ट्रांसफर किए जाते हैं। यह राशि तीन मासिक किस्तों में प्रत्येक किसान के खाते में सीधे भेजी जाती है।
शुक्रवार रात असम और मणिपुर की तीन दिवसीय यात्रा पर गुवाहाटी पहुंचे शाह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली असम सरकार ने 7.20 लाख चाय बागान श्रमिकों के बैंक खातों में सीधे वित्तीय सहायता राशि भेजी है। (आईएएनएस)
पटना, 26 दिसंबर | बिहार में अब किसानों से धान नहीं खरीदने वाली प्राथमिक साख सहयोग समितियों (पैक्सों) पर कार्रवाई करने का मन बना रही है। सरकार धान खरीदने में लापरवाह पैक्सों को 31 दिसंबर तक का समय देते हुए कहा कि धान नहीं खरीदने वाले पैक्सों और व्यापार मंडलों को काली सूची में डाला जाएगा। सहकारिता विभाग ने राज्य के सभी जिलाधिकरियों को पत्र भेजकर ऐसे पैक्सों की पहचानकर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। पत्र में सपष्ट कहा गया है कि धान की खरीद नहीं करने वाले पैक्स और व्यापार मंडलों को न केवल काली सूची में डाल दिया जाए, बल्कि भविष्य में भी उन्हें खरीद से अलग रखा जाए।
सूत्रों का कहना है कि राज्य में ऐसे कम से कम छह जिले ऐसे हैं, जहां कई पैक्स धान खरीदी में स्िरकय नजर नहीं आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बिहार में एपीएमसी एक्ट साल 2006 में समाप्त हुआ और उसके बाद से सरकार ने अनाज खरीद के लिए पैक्स और व्यापार मंडल को मजबूत किया गया।
पैक्स बिहार में ग्राम पंचायत और प्रखंड स्तर पर काम करने वाला सहकारी संगठन है। राज्य में धान या अन्य अनाजों की खरीद करने वाली मुख्य एजेंसी यही है।
इधर, कई इलाकों से विभाग को शिकायत मिल रही है कि किसानों की उपज की खरीददारी प्रारंभ नहीं हुई है, जिस कारण किसानों के धान 1100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से व्यापारी खरीद रहे हैं। (आईएएनएस)