राष्ट्रीय
तिरुपति, 24 दिसम्बर | तिरुमाला तिरुपति देवास्थानम (टीटीडी) के कार्यकारी अधिकारी के. एस. जवाहर रेड्डी ने बुधवार को कहा कि वैकुंठ द्वार दर्शनम के लिए केवल वही श्रद्धालु आएं, जिनके पास टिकट या टोकन हो। भगवान वेंकटेश्वर तिरुमाला के दर्शन के लिए केवल उन भक्तों को ही अनुमति दी जाएगी, जिनके पास टिकट होगी।
रेड्डी ने कहा, "टिकट रहित और टोकन रहित श्रद्धालुओं को मौजूदा कोविड की स्थिति में अपनी तीर्थ यात्रा को स्थगित करना होगा।"
उन्होंने बुधवार को तिरुमाला में व्यवस्थाओं का जायजा लेने के बाद स्पष्ट किया कि जिन श्रद्धालुओं के पास वैकुंठद्वार दर्शन के लिए टिकट और टोकन होंगे, केवल उन्हें अलीपिरी से तिरुमाला जाने की अनुमति दी जाएगी।
उन्होंने कहा, "मौजूदा कोरोना हालात के कारण हमने पहले ही ऑनलाइन दो लाख रुपये के 300 टिकट जारी कर दिए हैं और तिरुपति में 24 दिसंबर को ऑफलाइन एक लाख के टिकट जारी करने जा रहे हैं।"
कार्यकारी अधिकारी ने टिकट और टोकन के बिना श्रद्धालुओं को तिरुमाला न आने की सलाह दी।
--आईएएनएस
तिरुपति, 23 दिसम्बर | तिरुमाला तिरुपति देवास्थानम (टीटीडी) के कार्यकारी अधिकारी के. एस. जवाहर रेड्डी ने बुधवार को कहा कि वैकुंठ द्वार दर्शनम के लिए केवल वही श्रद्धालु आएं, जिनके पास टिकट या टोकन हो। भगवान वेंकटेश्वर तिरुमाला के दर्शन के लिए केवल उन भक्तों को ही अनुमति दी जाएगी, जिनके पास टिकट होगी।
रेड्डी ने कहा, "टिकट रहित और टोकन रहित श्रद्धालुओं को मौजूदा कोविड की स्थिति में अपनी तीर्थ यात्रा को स्थगित करना होगा।"
उन्होंने बुधवार को तिरुमाला में व्यवस्थाओं का जायजा लेने के बाद स्पष्ट किया कि जिन श्रद्धालुओं के पास वैकुंठद्वार दर्शन के लिए टिकट और टोकन होंगे, केवल उन्हें अलीपिरी से तिरुमाला जाने की अनुमति दी जाएगी।
उन्होंने कहा, "मौजूदा कोरोना हालात के कारण हमने पहले ही ऑनलाइन दो लाख रुपये के 300 टिकट जारी कर दिए हैं और तिरुपति में 24 दिसंबर को ऑफलाइन एक लाख के टिकट जारी करने जा रहे हैं।"
कार्यकारी अधिकारी ने टिकट और टोकन के बिना श्रद्धालुओं को तिरुमाला न आने की सलाह दी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 दिसम्बर | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को बजट 2021-22 के लिए वर्चुअल तरीके से आयोजित बजट पूर्व परामर्श बैठकों की अध्यक्षता की। इसके साथ ही 14 दिसंबर से लेकर 23 दिसंबर 2020 के बीच चली बजट पूर्व परामर्श बैठकों का समापन हो गया है। इस अवधि के दौरान निर्धारित 15 बैठकों में नौ हितधारक समूहों के 170 से अधिक आमंत्रित प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
हितधारक समूहों में वित्तीय एवं पूंजी बाजार, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं ग्रामीण विकास, पानी एवं स्वच्छता संबंधी व्यवस्था, ट्रेड यूनियन एवं श्रम संगठन, उद्योग, सेवाएं एवं व्यापार, बुनियादी ढांचा, ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र, कृषि एवं कृषि प्रसंस्करण उद्योग, उद्योगपति और अर्थशास्त्री शामिल हैं।
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, वित्त सचिव डॉ. ए. बी. पांडे, डीआईपीएएम के सचिव तुहिन कांता पांडे, व्यय सचिव टी. वी. सोमनाथन, डीईए के सचिव तरुण बजाज, मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन और वित्त मंत्रालय एवं अन्य मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस बैठक में भाग लिया।
इन हितधारक समूहों ने विभिन्न विषयों पर कई सुझाव दिए, जिनमें कराधान समेत राजकोषीय नीति, बॉन्ड बाजार, बीमा, अवसंरचना संबंधी व्यय, स्वास्थ्य एवं शिक्षा बजट, सामाजिक सुरक्षा, कौशल विकास, जल संचयन एवं संरक्षण, स्वच्छता, एमजीएनआरईजीए,सार्वजनिक वितरण प्रणाली, व्यापार करने में आसानी, उत्पादन से जुड़ी निवेश योजना, निर्यात, मेड इन इंडिया उत्पादों की ब्रांडिंग, सार्वजनिक क्षेत्र के कामकाज का तंत्र, नवाचार, हरित विकास, ऊर्जा एवं वाहनों के गैर-प्रदूषणकारी स्रोत शामिल रहे।
वित्त मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि प्रतिभागियों ने कोविड-19 के प्रसार के वक्र को क्षैतिज (समतल) करने और 2020-21 की दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास की दिशा में एक मजबूत वापसी के लिए सरकार के प्रयासों की सराहना की।
बयान में कहा गया है कि भारत उन चंद देशों में से है, जहां महामारी की वजह से होने वाली मृत्यु दर में गिरावट के साथ आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है।
इस दौरान वित्त मंत्री सीतारमण ने आश्वस्त करते हुए कहा कि बजट 2021-22 को तैयार करते समय सभी सुझावों पर ध्यान से विचार किया जाएगा। (आईएएनएस)
पटना, 23 दिसंबर | पटना के फुलवारी शरीफ इलाके में 22 वर्षीय एक महिला का अज्ञात हथियारबंद लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर बंदूक की नोक पर उसके घर से अपहरण कर लिया। मंगलवार रात करीब 8 बजे के करीब महिला को अगवा करने से पहले 12 से ज्यादा बदमाश उसके घर में घुस गए और परिवार को आतंकित किया।
जैसे ही अपहरणकर्ता लड़की का अपहरण करके उसके घर से जा रहे थे, परिवार ने लोगों से मदद मांगी। मौके पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए, लेकिन अपहरणकर्ताओं ने हवाई फायरिंग की और चार अलग-अलग कारों में भाग गए।
फुलवारी शरीफ पुलिस स्टेशन के एसएचओ आर रहमान ने कहा कि परिवार के सदस्यों ने अपनी पुलिस शिकायत में एक मोहम्मद फिरोज उर्फ अफरोज का नाम लिया है।
रहमान ने कहा, "फिरोज पड़ोस में एक निर्माणाधीन इमारत का मालिक है। वह पीड़िता के घर ट्यूशन देने के लिए जाता था। हम प्रेम संबंध के कोण की भी जांच कर रहे हैं, हालांकि परिवार का दावा है कि महिला और आरोपी के बीच कोई संबंध नहीं है।"
अधिकारी ने कहा, "कुछ आरोपियों के चेहरे सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहे हैं। उनकी पहचान का जल्द ही पता चल जाएगा।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 दिसंबर | राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने फरार खालिस्तानी आतंकवादी गुरजीत सिंह निज्जर को इंदिरा राष्ट्रीय हवाईअड्डे से गिरफ्तार किया है। एजेंसी के अनुसार, पुलिस से बचने के लिए वो अब तक साइप्रस में छिपा हुआ था और वहां से दिल्ली पहुंचते ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया। निज्जर की गिरफ्तारी पुणे में एक खालिस्तानी मॉड्यूल से जुड़े मामले में की गई है।
एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा कि गिरफ्तारी मंगलवार को की गई। एनआईए ने आरोपी हरपाल सिंह के खिलाफ पिछले साल 10 जनवरी को मामला दर्ज किया था। जांच के दौरान यह पता चला कि निज्जर इस मामले में मुख्य साजिशकर्ता है।
अधिकारी ने कहा कि निज्जर, हरपाल सिंह और मोइन खान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय थे और खालिस्तान के अलग राज्य के गठन के उद्देश्य के लिए सिख आतंकवाद को पुनर्जीवित करने के लिए आपराधिक साजिश रचने में शामिल थे।
एनआईए ने एक हरपाल सिंह के खिलाफ शस्त्र अधिनियम, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। सिंह और मोइन खान योजना का हिस्सा थे, जिसमें निज्जर मुख्य साजिशकर्ता रहा था। एजेंसी की रिपोटरें के अनुसार, तीनों ने सक्रिय रूप से तस्वीरें पोस्ट की, वीडियो विज्ञापन में जगत्तार सिंह हवारा (पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या का दोषी) सहित अन्य आतंकवादियों का महिमामंडन किया गया है।
अधिकारी ने कहा कि निज्जर ने भारत में मुसलमानों और सिखों पर कथित अत्याचारों के बारे में चर्चा करके खान को प्रेरित किया और उसे एक अलग खालिस्तान राज्य के लिए काम करने के लिए राजी किया।
अधिकारी ने यह भी कहा कि साजिश के तहत, निज्जर ने खान को 2018 में एक पिस्तौल और गोला बारूद खरीदने और अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने का निर्देश दिया।
एजेंसी ने एनआईए की विशेष अदालत में पिछले साल 23 मई को निज्जर, सिंह, खान और सुंदर पाल पाराशर के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था।
अमृतसर निवासी निज्जर 19 अक्टूबर, 2017 को यूरोप के साइप्रस भाग गया था, जिसके बाद उसके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था।
अधिकारी ने कहा कि उसकी ट्रांसिट कस्टडी प्राप्त की जाएगी और उसे आगे की जांच के लिए मुंबई ले जाया जाएगा। (आईएएनएस)
पुणे, 23 दिसंबर | केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को नेशनल डिफेंस अकादमी (एनडीए) के एक पूर्व प्रिंसिपल ओम प्रकाश शुक्ला के खिलाफ मामला दर्ज किया है। दरअसल संस्थान में टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति के लिए कथित तौर पर शैक्षणिक रिकॉर्ड को बढ़ा चढ़ा कर पेश करने के एक मामले में उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है। एक अधिकारी ने कहा कि चार्जशीट सीबीआई ने पुणे की एक अदालत में दायर की गई है।
अधिकारी ने कहा कि सीबीआई ने मई 2018 में एनडीए, खड़गवासला के तत्कालीन प्रिंसिपल, और अन्य के खिलाफ झूठे और बढ़ा चढ़ाकर पेश किए गए दावों के आधार पर एनडीए में असैनिक फैकल्टी के विभिन्न पदों पर फर्जी नियुक्तियों के आरोपों में मामला दर्ज किया था।
सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी का मामला दर्ज किया था।
एजेंसी ने जून 2018 में अभियुक्तों के परिसरों में तलाशी ली, जिससे गुप्त दस्तावेजों की बरामदगी हुई।
सीबीआई के अनुसार, यह भी आरोप लगाया गया कि 2007-08 की अवधि के दौरान, शुक्ला ने धोखे से एनडीए में अर्थशास्त्र में प्राध्यापक के रूप में नियुक्ति प्राप्त की और बाद में, 2011 में, प्रिसिंपल एनडीए के रूप में नियुक्ति पाई। उन्होंने यूपीएससी में दाखिल आवेदन में झूठे दावे किए और शिक्षा मंत्रालय के साथ ठगी की।
जुलाई 2017 में, सीबीआई ने रक्षा प्रशिक्षण संस्थान में शिक्षण स्टाफ की भर्ती में अनियमितताओं के आरोपों की प्रारंभिक जांच शुरू की थी। (आईएएनएस)
रांची, 23 दिसंबर | झारखंड के खूंटी जिले में एक गांव के निवासियों को बुधवार सुबह एक 'विशालकाय' समस्या से सामना करना पड़ा, जिन्हें संभालना उनके लिए मुश्किल हो गया। दरअसल इस गांव के एक कुएं में हाथी गिरकर फंस गया था। इसलिए, उन्हे वन विभाग के अधिकारियों से मदद लेनी पड़ी, जिन्होंने हाथी को उस कुंए से निकालने में मदद की। एक अधिकारी ने कहा कि हाथी संभवत: मंगलवार रात को उकिमारी गांव के कुएं में गिरा होगा, हालांकि ग्रामीणों ने सुबह इस जंगली जानवर को देखा।
ग्रामीणों ने क्षेत्र के वन अधिकारियों को सूचित किया, जो अपने साथ एक जेसीबी लेकर आए। रैंप बनाने के लिए एक तरफ गड्ढा किया गया। बाद में हाथी को बाहर निकाल कर पास के वन क्षेत्र में छोड़ दिया गया।
वन अधिकारियों ने कहा कि रात में भोजन की तलाश के दौरान हाथी कुएं में गिर गया होगा। (आईएएनएस)
भुवनेश्वर, 23 दिसम्बर | भारत ने बुधवार को ओडिशा तट से मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) का सफल परीक्षण किया। रक्षा सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि मिसाइल को बालासोर में एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से लगभग 3.55 बजे एक ग्राउंड मोबाइल लॉन्चर से दागा गया।
इस मिसाइल को इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्री के सहयोग से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।
जिला प्रशासन ने कहा कि मिसाइल परीक्षण से पहले आईटीआर के 2.5 किलोमीटर के दायरे में लगभग 8,100 लोगों को गांवों से स्थानांतरित कर दिया गया था। इस दौरान इन लोगों को सुरक्षा उपायों के तहत अस्थायी शिविरों में रखा गया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 दिसम्बर | केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को देश में डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेवाएं प्रदान करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने हेतु दिशानिर्देश में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है। डीटीएच के लिए लाइसेंस वर्तमान 10 वर्ष की अपेक्षा अब 20 वर्ष की अवधि के लिए जारी किया जाएगा।
लाइसेंस शुल्क को जीआर के 10 प्रतिशत से एजीआर के 8 प्रतिशत तक संशोधित किया गया है।
बयान में कहा गया है, "जीआर से जीएसटी को घटाकर एजीआर की गणना की जाएगी। लाइसेंस शुल्क वर्तमान में वार्षिक आधार के स्थान पर अब त्रिमासिक आधार पर इकट्ठा किया जाएगा। डीटीएच संचालकों को उनके द्वारा दिखाए जाने वाले कुल अनुमति प्राप्त प्लेटफॉर्म चैनलों की क्षमता से अधिकतम 5 प्रतिशत के संचालन को अनुमति दी जाएगी। एक डीटीएच संचालक से प्रति पीएस चैनल के लिए 10,000 रुपये का नॉन-रिफंडेबल पंजीकरण शुल्क लिया जाएगा।"
स्वैच्छिक आधार पर डीटीएच संचालकों के बीच बुनियादी ढांचे को साझा करने की इच्छा रखने वाले डीटीएच संचालकों को डीटीएच प्लेटफॉर्म और टीवी चैनलों की ट्रांसपोर्ट स्ट्रीम को साझा करने की अनुमति दी जाएगी। टीवी चैनलों के वितरकों को अपनी ग्राहक प्रबंधन प्रणाली (एसएमएस) और कंडीशनल ऐक्सेस सिस्टम (सीएएस) आवेदनों के लिए समान हार्डवेयर को साझा करने की अनुमति दी जाएगी।
बयान में कहा गया है, "मौजूदा डीटीएच दिशा-निर्देशों में 49 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को समय-समय पर संशोधित एफडीआई के अनुसार सरकार की वर्तमान (डीपीआईआईटी) नीति के अनुरूप संरेखित किया जाएगा। संशोधित डीटीएच दिशा-निर्देशों के अनुरूप निर्णय प्रभावी होगा और इसे सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी किया जाएगा।"
प्रस्तावित कटौती का अभिप्राय लाइसेंस शुल्क व्यवस्था को दूरसंचार क्षेत्र के अनुकूल बनाना है। यह अंतर डीटीएच सेवा प्रदाताओं को विस्तारित अभियानों में और अधिक निवेश और इसके फलस्वरूप लाइसेंस शुल्क के नियमित भुगतान में उन्हें और सक्षम बना सकता है।
प्लेटफॉर्म सेवाओं के लिए पंजीकरण शुल्क से करीब 12 लाख रुपये के राजस्व सृजन की संभावना है। डीटीएच संचालकों के द्वारा बुनियादी ढांचे को साझा करने से दुर्लभ उपग्रह संसाधनों का उपयोग और कुशल तरीके से करते हुए ग्राहकों के द्वारा अदा की जाने वाली शुल्क लागतों को कम किया जा सकता है। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 23 दिसंबर | मलयालम कवि, पर्यावरणविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और पद्म पुरस्कार से सम्मानित सुगाथाकुमारी का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। कोविड से संबंधित समस्याओं की वजह से उनका बुधवार सुबह निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार शाम 4 बजे विद्युत शवदाह गृह में किया गया। केरल के पर्यटन और सहकारिता मंत्री, कडकमपल्ली सुरेंद्रन और तिरुवनंतपुरम के जिला कलेक्टर नवजोत कोशा राज्य सरकार की ओर से प्रसिद्ध कवयित्री के दाह-संस्कार में मौजूद थे।
दिवंगत कवि(86) की बेटी लक्ष्मी, भतीजी श्रीदेवी पिल्लई, भतीजे पद्मनाभन और उनके बेटे विष्णु ने अंतिम संस्कार किया।
हालांकि सुगाथाकुमारी ने लोगों से कहा था कि उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन केरल सरकार ने पारंपरिक बंदूक की सलामी देते हुए पुलिस कर्मियों के साथ उनका पूरा राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया।
अंतिम संस्कार कार्यक्रम में कोरोना की वजह से आम जनता के शामिल होने पर पाबंदी थी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली/भोपाल, 23 दिसंबर | केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि किसान भी समाज सेवा का ही काम करता है, इसलिए वह समाजसेवी ही हैं। केंद्रीय मंत्री ने यह बात मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह द्वारा उनके 'किसान' होने पर उठाए गए सवाल पर कही। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर चार सप्ताह से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान किसान संगठनों के नाम केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा लिखे पत्र को लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने तोमर के किसान होने पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के समय चुनाव आयोग को दिए गए शपथपत्र में केंद्रीय मंत्री तोमर ने खुद को समाजसेवी बताया था, मगर अब किसान बताया है।
दरअसल, तोमर ने देश के किसानों के नाम लिखे आठ पेज के पत्र में खुद को किसान परिवार से बताया है जिस पर सवाल उठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखा है। इसी पत्र के सिलसिले में आईएएनएस के एक सवाल पर केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा, "किसान समाजसेवा का काम करता है, इसलिए वह भी समाजसेवी ही है।"
मध्यप्रदेश के मुरैना से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर केंद्र सरकार में ग्रामीण विकास, पंचायती राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विभागों के भी मंत्री हैं। मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए कृषि सुधार में तोमर की सक्रिय भूमिका रही है और नये कृषिद कानूनों के विरोध में उतरे किसानों के साथ हुई पांच दौर वार्ताओं में मंत्रि-स्तर की चार दौर की वार्ताओं की अगुवाई उन्होंने ही की है। तोमर ने बुधवार को फिर उम्मीद जताई कि प्रदर्शनकारी किसान यूनियन सरकार के साथ फिर वार्ता करेंगे और किसानों के मसले का जल्द ही समाधान होगा।
दिग्विजय सिंह ने तोमर को लिखे पत्र में कहा है- "आपका किसानों को लिखा गया आठ पेज का पत्र पढ़ा, कृषि मंत्री होने के नाते आपके द्वारा पत्र में व्यक्त संभावनाओं को समझने का मैंने प्रयास भी किया। इस पत्र को पढ़कर लगा कि इसका मजमून आपके द्वारा तैयार नहीं किया गया है, शायद किसी और की मंशा को आपके हस्ताक्षर से भेजने के लिए मजबूर किया गया है।"
पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे लिखा है, इस पत्र में आपने खुद को किसान परिवार का बताया है, जबकि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में शपथपत्र में चुनाव आयोग को संपत्ति का जो ब्यौरा आपने दिया गया था, उसमें आपकी ओर से किसी भी तरह की कृषि भूमि न होने का उल्लेख था। चुनाव आयोग को दिए गए शपथपत्र के व्यवसाय के कॉलम में किसान नहीं, बल्कि समाजसेवी होने का हवाला आपके द्वारा दिया गया था।
तोमर द्वारा किसानों को लिखे गए पत्र का जिक्र करते हुए दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि अन्नदाता को कृषि सुधारों से संबंधित आश्वासन आठ पेज के पत्र के अंत में दिया गया है, वास्तव में यदि संसद में चर्चा करके कृषि संबंधी तीनों कानूनों को संसद की प्रवर समिति को सौंप दिया गया होता तो इस आंदोलन की नौबत नहीं आती। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 दिसंबर | सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से कराने के लिए विपक्षी नेताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है। समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए, याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य की अपनी हालिया यात्रा में कहा कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सत्ता में आने के बाद पश्चिम बंगाल में 300 से अधिक भाजपा सदस्य मारे गए हैं और जांच को लेकर कोई सक्रियता नहीं दिखाई गई है।
अधिवक्ताओं विनीत ढांडा और पुनीत कौर ढांडा द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में मौलिक अधिकारों, वैधानिक अधिकारों और मानवाधिकारों का लगातार हनन चरम पर पहुंच गया है और सरकार और और इसका पुलिस तंत्र इस तरह के हनन में शामिल हैं। याचिका में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्या के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी गई है।
याचिका में कहा गया है, "स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र का सार है और पश्चिम बंगाल राज्य में अराजकता का वर्तमान परिदृश्य लोकतंत्र के सार के लिए खतरा है और पश्चिम बंगाल में अराजकता और राजनीतिक हत्याओं को नियंत्रित करने के लिए यह सही समय है।"
याचिका में दलील दी गई है कि राज्य में कानून और व्यवस्था चरमरा गया है। याचिका में सत्तारूढ़ दल और इसके सहयोगियों से संबंधित उपद्रवियों द्वारा राज्य की यात्रा के दौरान भाजपा प्रमुख जे.पी. नड्डा के काफिले पर हाल में हुए हमले का हवाला दिया गया।
इसमें कहा गया, "यह लोकतंत्र में एक गंभीर मुद्दा है जिसमें एक विशेष समुदाय यानी हिंदुओं को वोट देने की अनुमति नहीं है और फर्जी मतदाताओं द्वारा वोट दिया जाता है। पश्चिम बंगाल राज्य में फर्जी मतदान की समस्या को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जल्द से जल्द हल करने की आवश्यकता है।"
याचिका में जोर दिया गया है कि पश्चिम बंगाल में विपक्षी नेताओं की हत्याओं की विस्तृत रिपोर्ट की मांग करना समय की जरूरत है और राज्य में विपक्षी नेताओं की हत्याओं की सीबीआई द्वारा जांच की जानी चाहिए। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 दिसम्बर | रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को नई दिल्ली में एरो इंडिया 2021 के लिए योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने एरोस्पेस और रक्षा उद्योग से मेगा इवेंट में भाग लेने की अपील भी की। रक्षा मंत्रालय ने रक्षा मंत्री को बताया कि प्रदर्शनी के लिए वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों की पुष्टि की गई है और यह प्रदर्शनी व्यवसाय पर केंद्रित करने की योजना है।
जनता जो आमतौर पर हवाई प्रदर्शन देखने के लिए उत्साहित रहती है, वह इस वर्ष वर्चुअल मोड में उसे देखेगी ताकि वैश्विक एरोस्पेस और रक्षा व्यवसायों के लिए लोगों के बीच सुरक्षित बातचीत हो सके और नए वर्ष में साझेदारी कायम हो सके।
इस प्रदर्शनी की ओर लोगों की काफी दिलचस्पी देखने को मिली है, क्योंकि प्रदर्शनी स्थल की काफी जगह बिक चुकी है और प्रदर्शनी लगाने वाले 500 से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया है। कोविड-19 के कारण उत्पन्न चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए रक्षा मंत्री ने निर्देश दिया कि इस प्रदर्शनी को व्यावसायिक दिनों यानी केवल 3-5 फरवरी, 2021 को आयोजित किया जाए, जिससे एरोस्पेस और रक्षा उद्योग की तरफ लोगों का खिंचाव हो, जिसे लॉकडाउन और एम्बार्गों/प्रतिबंधों के कारण वर्ष 2020 में यात्रा संबंधी अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
नई दिल्ली में विदेशी दूतावास के वरिष्ठ प्रतिनिधियों को अक्टूबर, 2020 की शुरूआत में एरो इंडिया 2021 के बारे में जानकारी दे दी गई थी, ताकि उनके प्रमुखों और निर्णय लेने वाले वरिष्ठ लोगों की उपस्थिति को प्रोत्साहित किया जा सके और इसके बाद औपचारिक आमंत्रण दिए गए।
एरो इंडिया 2021 भारत के एरोस्पेस और रक्षा निर्माण क्षमता को प्रदर्शित करता है, साथ ही रक्षा में अनेक नीतिगत पहल करते हुए भारत में निवेश का आग्रह करता है। स्वचालित मार्ग के जरिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ाकर 74 प्रतिशत किया गया है। महामारी की अवधि 2020 के दौरान रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020 भारत में सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संशोधित ऑफसेट दिशा-निर्देश और रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्धन नीति 2020 (डीपीईपीपी 2020) का मसौदा तैयार किया गया।
रक्षा मंत्री ने एरोस्पेस और रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भारत के शीर्ष पांच देशों में रहने की प्रतिबद्धता को दोहराया।
सिंह ने कहा, "आत्मनिर्भर भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना का केंद्र बिंदु है। भारत का एरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र परिपक्व हो गया है और यह निरंतर मैत्रीपूर्ण देशों के साथ आपसी लाभकारी साझेदारी का पता लगा रहा है, ताकि भारत और विश्व के लिए देश में निर्मित रक्षा उपकरण बनाने के लिए भारत में उद्योग स्थापित किए जा सकें।"
रक्षा मंत्री ने भारतीय दूतावासों से आग्रह किया कि वह इस प्रदर्शनी के लिए समन्वित प्रयास करें और बाहर के देशों के प्रमुख लोगों व उद्योगपतियों से वरिष्ठ स्तर पर एरो इंडिया 2021 में भाग लेने का अनुरोध करें, ताकि भारत में उपलब्ध रणनीतिक और व्यावसायिक अवसरों को गहराई से अपनाया जा सके।
रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि एरो इंडिया 2021 आगे बढ़ने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करेगा और कोविड के बाद की दुनिया में हमारी ताकत को और मजबूत करेगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 दिसम्बर | केंद्र की ओर से हाल ही में लागू किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी करेंगे। मोदी लाभार्थी किसान परिवारों को 18 हजार करोड़ रुपये का हस्तांतरण करेंगे। प्रधानमंत्री शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोपहर 12 बजे राशि जारी करेंगे। यह कदम ऐसे समय सामने आया है जब, बुधवार को 28वें दिन भी किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है।
यह पीएम-किसान सम्मान निधि योजना के तहत 7वीं किस्त होगी। किसानों के लिए एक प्रत्यक्ष हस्तांतरण योजना के तहत यह किस्त जारी की जाती हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने पुष्टि की कि मोदी एक बटन दबाकर नौ करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों को 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का हस्तांतरण करेंगे।
पीएमओ के बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री छह अलग-अलग राज्यों के किसानों से बातचीत करेंगे।
इस दौरान वह किसान कल्याण के लिए सरकार की ओर से शुरू की गई पहल पर भी अपने अनुभव साझा करेंगे। कार्यक्रम में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद रहेंगे।
पीएम-किसान सम्मान निधि योजना पिछले साल फरवरी में शुरू की गई थी। यह एक केंद्रीय योजना है, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से 100 फीसदी फंड दिया जाता है।
मालूम हो कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत लाभार्थी किसानों को छह हजार रुपये प्रतिवर्ष का वित्तीय लाभ दिया जाता है। यह दो हजार रुपये की तीन समान चार मासिक किस्तों में दिया जाता है। यह राशि लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे स्थानांतरित की जाती है।
इसके तहत छोटे और सीमांत किसान परिवारों को सहायता प्रदान की जा रही है, जिनकी संयुक्त भूमि दो हेक्टेयर तक है। राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन की यह जिम्मेदारी है कि वह उन किसान परिवारों की पहचान करेंगे, जो योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार समर्थन के पात्र हैं।
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) मोड के माध्यम से राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित की जाती है।
26 नवंबर के बाद से हजारों किसान क्रमश: दिल्ली-अंबाला, दिल्ली-हिसार, दिल्ली-गाजियाबाद और दिल्ली-नोएडा मार्गो पर सिंघु, टीकरी, गाजीपुर और चिल्ला बॉर्डर पर दिल्ली से लगती सीमाओं पर आंदोलनरत हैं। (आईएएनएस)
सुमित कुमार सिंह
नई दिल्ली, 23 दिसंबर | कनाडा के टोरंटो में मानवाधिकार कार्यकर्ता करीमा बलोच की कथित तौर पर हत्या से दुनियाभर में बहस छिड़ गई है और कार्यकर्ताओं ने निष्पक्ष जांच की मांग की है।
कनाडा में असंतुष्ट पाकिस्तानी समूहों ने एक संयुक्त बयान ने करीमा की मौत को हत्या बताया और इस घटना की जांच की मांग की।
टोरंटो में रहने वाली बलूचिस्तान की निर्वासित कार्यकर्ता करीमा बलोच 20 दिसंबर को मृत पाए जाने से पहले लापता हो गई थी। बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान द्वारा किए गए अवैध कब्जे के खिलाफ अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं।
पाकिस्तानी राज्य अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न का शिकार होने के कारण साल 2016 में देश से भागने के बाद उन्होंने कनाडा में शरण ली थी।
करीमा की मौत पर जारी किए गए संयुक्त बयान में पाकिस्तान अधिकारियों द्वारा संदिग्धता की संभावना जताई जा रही है।
संयुक्त बयान में कहा गया, "टोरंटो पुलिस ने कहा है कि करीमा बलोच की मौत की जांच गैर-आपराधिक मौत के रूप में की जा रही है और इसमें किसी भी तरह के संदिग्ध परिस्थितियों की बात नहीं मानी जा रही है, हम मानते हैं कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने उसकी राजनीतिक सक्रियता के कारण उससे अपने जीवन के खतरे को देखते हुए हत्या कर दी, करीमा बलोच की हत्या की बहुत गहन जांच की जरूरत है।"
बलूच नेशनल मूवमेंट, बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-कनाडा, वल्र्ड सिंधी कांग्रेस-कनाडा, पश्तून काउंसिल कनाडा और पीटीएम समिति कनाडा वी, बलूच नेशनल मूवमेंट द्वारा संयुक्त बयान जारी किया गया था।
कनाडाई सिविल सोसाइटी ने भी हत्या की निंदा की और आगे की गहन जांच की मांग की।
करीमा ने अपनी पहचान मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में बनाई और बलूच छात्र संगठन आजाद के अध्यक्ष के रूप में काम किया।
पाकिस्तान में रहते हुए उन्होंने बलूचिस्तान के सैन्यीकरण के खिलाफ आवाज उठाई थी, साथ ही बलूच लोगों के लापता होने और असाधारण हत्याओं के खिलाफ भी आवाज उठाई थी।
बयान में आगे कहा गया, "करीमा बलोच की हत्या ने हमें पाकिस्तान में हिंसा, अपराध और उग्रवाद को कवर करने के बाद स्वीडन में निर्वासित बलोच पत्रकार साजिद हुसैन की हत्या की याद दिला दी है। वह एक महीने से अधिक समय तक लापता रहने के बाद 23 अप्रैल, 2019 को स्टॉकहोम के नॉर्थ में मृत पाए गए थे।"
करीमा को बीबीसी द्वारा 2016 में दुनिया की 100 सबसे प्रेरणादायक और प्रभावशाली महिलाओं में शामिल किया गया था।
करीमा बलोच ने कनाडा में अपनी शरण के दौरान, पाकिस्तानी राज्य अधिकारियों द्वारा बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करना जारी रखा।
विभिन्न समूहों द्वारा बयान में कहा गया है कि हम करीमा बलोच की हत्या की निंदा करते हैं और उसकी हत्या में पूरी तरह से और पारदर्शी जांच की मांग करते हैं। दोषियों को कनाडा के कानूनों के अनुसार उजागर किया जाना चाहिए और उन्हें न्याय के लिए लाया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि साल 2007 के बाद से बलूचिस्तान में हजारों लोग गायब हो गए हैं।
पाकिस्तान के सैन्य-नेतृत्व वाले अभियान की शुरुआत 2005 में जातीय बलूच समूहों द्वारा विद्रोह को दबाने के उद्देश्य से की गई थी।
निर्वासन में रह रहे पाकिस्तानी अधिकारियों के आलोचकों के लिए निर्वासन के दौरान खतरे और उन पर हमलों को लेकर लगातार भय बना रहता है। बयान में कहा गया है, "हम मानते हैं कि निर्वासित कार्यकर्ताओं की सुरक्षा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी है।"
आगे कहा गया, "हालांकि हम कनाडा में विश्व और मानवाधिकारों के खिलाफ सभी प्रकार के अपराधों के खिलाफ साहसी रुख अपनाने के विश्व रिकॉर्ड पर बहुत गर्व करते हैं और शरणार्थियों और कनाडा की छवि शरण चाहने वालों के लिए सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक है, इस मामले में किसी ठोस कार्रवाई की कमी से कनाडा की वैश्विक छवि/प्रतिष्ठा को खतरा हो सकता है।"
बयान में आगे कहा गया, "इसलिए, हम कनाडा की सरकार से तत्काल और पूरी तरह से जांच करने, अपराधियों को सामने लाने और किसी भी विदेशी देश या समूह को इस मानवाधिकार कार्यकर्ता की नृशंस हत्या के पीछे शामिल होने के मामलों में कार्रवाई करने के लिए राजनयिक और राजनीतिक कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं।"
अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ रहे बलूचिस्तान से उत्पीड़न से बचने के लिए भागे सैकड़ों बलूच राजनीतिक कार्यकर्ता और अन्य देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हैं। (आईएएनएस)
23 दिसम्बर, कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजनीति में हाई वोल्टेज का ड्रामा चल रहा है. उसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी के सांसद सौमित्र खान और उनकी पत्नी, अब तृणमूल नेता, सुजाता मंडल खान के बीच का पारिवारिक विवाद भी सार्वजनिक हो गया है. सुजाता मंडल ने सोमवार को बीजेपी छोड़कर टीएमसी जॉइन कर ली थी, जिसके बाद सौमित्र खान ने सार्वजनिक तौर पर सुजाता मंडल को तलाक देने की घोषणा कर दी थी. मंगलवार को उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक का नोटिस भेज दिया. इसपर सुजाता मंडल ने बीजेपी पर हमला किया है. उन्होंने कहा कि 'जिस पार्टी ने तीन तलाक को खत्म किया, वो मेरे पति से मुझे तलाक देने को कह रही है.'
सौमित्र खान और सुजाता मंडल 10 सालों से साथ हैं, लेकिन राजनीति में उनके अलग-अलग संबंधों के चलते उनका रिश्ता खत्म होने के कगार पर आ गया है. 34 साल की मंडल ने सोमवार को टीएमसी जॉइन कर लिया था, वो भी ऐसे मौके पर जब बड़ी संख्या में पार्टी के नेताओं ने बीजेपी जॉइन कर ली थी.
40 साल के सौमित्र खान उसी दिन कुछ घंटों बाद एक नाटकीय प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोते हुए दिखाई दिए थे, उन्होंने अपनी पत्नी से उनके नाम से अपना सरनेम हटाने को कहा और उनपर धोखा देने का आरोप लगाया. उन्होंने तलाक की बात भी कही और अगले दिन ही चार सालों की शादी खत्म करने के लिए तलाक का नोटिस भी भेज दिया.
सुजाता मंडल ने पिछले साल के लोकसभा चुनावों में अपने पति की जीत के लिए कड़ी मेहनत की थी. खान एक आपराधिक केस में जमानत पर थे, इस शर्त पर कि वो अपने चुनावी क्षेत्र बिषनुपुर नहीं जाएंगे. मंडल ने चुनावी कैंपेन अकेले संभाला था और खान की जीत हुई थी. उन्होंने पार्टी छोड़ने के बाद कहा था कि उन्हें बीजेपी में नजरअंदाज किया जा रहा था और अपने पति के लिए इतना 'त्याग' करने के बजाय भी उन्हें बदले में पार्टी ने कुछ नहीं दिया था.
उन्होंने मंगलवार को आरोप लगाया कि उनके पति को बीजेपी के नेता भड़का रहे हैं और तलाक के लिए उकसा रहे हैं. उन्होंने यह भी सवाल किया कि आखिर बीजेपी में उन्हें कोई भी तलाक देने से रोक क्यों नहीं रहा है. सौमित्र खान ने अपने डिवॉर्स नोटिस में तलाक लेने की कारण बताते हुए कहा है कि वो और उनके परिवार को 'सहनशक्ति से परे मानसिक और भावनात्मक प्रताड़ना' झेलनी पड़ी है.
सुजाता मंडल ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा, 'जब आपकी निजी जिंदगी में राजनीति घुस जाती है, तो इससे रिश्ता खराब होता है. सौमित्र बीजेपी में गलत लोगों की संगत में हैं, जो उन्हें मेरे खिलाफ भड़का रहे हैं. जिस पार्टी ने ट्रिपल तलाक खत्म किया, वो आज सौमित्र से मुझे तलाक देने को कह रही है.'
मंडल ने कहा कि वो अपने पति से 'अभी भी प्यार करती' हैं. उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता कि मुझे डिवॉर्स नोटिस कैसे मिल रहा है. कैसे मेरे पति बीजेपी सांसद और बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष हैं, और ओपन प्रेस मीट में मुझे तलाक देने की बात कह रहे हैं. यह वही पार्टी है जो तीन तलाक के खिलाफ है. और अब इसी के सांसद मुझे इसलिए तलाक दे रहे हैं क्योंकि मैंने पार्टी बदल ली है.'
मंडल ने कहा कि 'मैं बीजेपी के साथ थी तब भी समर्पित थी. अब तृणमूल के साथ भी ऐसा है. पार्टी का आलाकमान जो भी निर्देश देगा, मैं उसके हिसाब से काम करूंगी.'
किसान आंदोलन को एक महीना पूरा होने वाला है, लेकिन किसान और सरकार दोनों अपनी अपनी बात पर अड़े हुए हैं. आंदोलन के दौरान ठंड से 30 किसानों की मौत के बाद भी नए कृषि कानूनों पर बने हुए गतिरोध का अंत नजर नहीं आ रहा है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा-
दिल्ली की सीमाओं पर लगभग एक महीन से धरने पर बैठे किसानों ने आपस में मंत्रणा कर सरकार से एक बार फिर बातचीत करने का फैसला किया है. मीडिया में आई खबरों के अनुसार किसान संघों ने फैसला किया है कि वो 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस के मौके पर सरकार को आधिकारिक रूप से पत्र लिखकर कहेंगे कि वो बातचीत फिर से शुरू करने के लिए तैयार हैं.
इसके पहले सरकार के मंत्रियों और किसान संघों के बीच वार्ता के कई दौर हो चुके हैं, लेकिन इनमें दोनों पक्ष किसी सहमति पर नहीं पहुंच पाए थे. सरकार ने नए कृषि कानूनों में कुछ संशोधन करने का प्रस्ताव भी दिया था लेकिन किसानों की मांग है कि तीनों कानून वापस लिए जाएं. अभी भी किसानों का कहना है कि वो कृषि में धीरे-धीरे सुधार लाने के लिए तैयार हैं बशर्ते सरकार इन कानूनों को वापस ले ले.
हालांकि इसके बावजूद गतिरोध के अंत की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है, क्योंकि दोनों पक्ष अपनी अपनी बात पर अड़े हुए हैं. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार 22 दिसंबर को पत्रकारों के एक समूह से कहा कि जब भी किसी बड़े सुधार की शुरुआत की जाती है तो शुरू में उसका मजाक उड़ाया जाता है, फिर उसका विरोध किया जाता है और अंत में उसे मान लिया जाता है. उन्होंने कहा कि देश भी इस समय ऐसी ही स्थिति से गुजर रहा है.
उनके इस बयान को इस बात का संकेत माना जा रहा है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है और किसानों को अपनी यह मांग छोड़नी ही पड़ेगी. कृषि मंत्री ने ट्वीट भी किया कि वो मंगलवार को कुछ ऐसे किसान संघों के प्रतिनिधियों से मिले जिन्होंने नए कृषि कानूनों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया और सरकार से कहा कि उन्हें वापस नहीं लिया जाना चाहिए.
देखना होगा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत दोबारा शुरू हो पाती है या नहीं. इस बीच किसानों ने आम लोगों से अपील की है कि अगर वो उनके आंदोलन का समर्थन करते हैं तो किसान दिवस के दिन वे एक समय का भोजन त्याग कर उपवास करें.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा-
किसान आंदोलन को एक महीना पूरा होने वाला है, लेकिन किसान और सरकार दोनों अपनी अपनी बात पर अड़े हुए हैं. आंदोलन के दौरान ठंड से 30 किसानों की मौत के बाद भी नए कृषि कानूनों पर बने हुए गतिरोध का अंत नजर नहीं आ रहा है.
चारु कार्तिकेय
दिल्ली की सीमाओं पर लगभग एक महीन से धरने पर बैठे किसानों ने आपस में मंत्रणा कर सरकार से एक बार फिर बातचीत करने का फैसला किया है. मीडिया में आई खबरों के अनुसार किसान संघों ने फैसला किया है कि वो 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस के मौके पर सरकार को आधिकारिक रूप से पत्र लिखकर कहेंगे कि वो बातचीत फिर से शुरू करने के लिए तैयार हैं.
इसके पहले सरकार के मंत्रियों और किसान संघों के बीच वार्ता के कई दौर हो चुके हैं, लेकिन इनमें दोनों पक्ष किसी सहमति पर नहीं पहुंच पाए थे. सरकार ने नए कृषि कानूनों में कुछ संशोधन करने का प्रस्ताव भी दिया था लेकिन किसानों की मांग है कि तीनों कानून वापस लिए जाएं. अभी भी किसानों का कहना है कि वो कृषि में धीरे-धीरे सुधार लाने के लिए तैयार हैं बशर्ते सरकार इन कानूनों को वापस ले ले.
हालांकि इसके बावजूद गतिरोध के अंत की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है, क्योंकि दोनों पक्ष अपनी अपनी बात पर अड़े हुए हैं. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार 22 दिसंबर को पत्रकारों के एक समूह से कहा कि जब भी किसी बड़े सुधार की शुरुआत की जाती है तो शुरू में उसका मजाक उड़ाया जाता है, फिर उसका विरोध किया जाता है और अंत में उसे मान लिया जाता है. उन्होंने कहा कि देश भी इस समय ऐसी ही स्थिति से गुजर रहा है.
उनके इस बयान को इस बात का संकेत माना जा रहा है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है और किसानों को अपनी यह मांग छोड़नी ही पड़ेगी. कृषि मंत्री ने ट्वीट भी किया कि वो मंगलवार को कुछ ऐसे किसान संघों के प्रतिनिधियों से मिले जिन्होंने नए कृषि कानूनों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया और सरकार से कहा कि उन्हें वापस नहीं लिया जाना चाहिए.
देखना होगा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत दोबारा शुरू हो पाती है या नहीं. इस बीच किसानों ने आम लोगों से अपील की है कि अगर वो उनके आंदोलन का समर्थन करते हैं तो किसान दिवस के दिन वे एक समय का भोजन त्याग कर उपवास करें.
पणजी, 23 दिसंबर | गोवा की महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) ने सत्तारूढ़ भाजपा के साथ 2022 विधान सभा चुनाव के लिए चुनाव पूर्व गठबंधन करने से इनकार कर दिया है। पार्टी अध्यक्ष दीपक धवलीकर ने बुधवार को कहा कि अगर चुनाव के पहले सहयोगी चुनने की बात आती है, तो पार्टी भाजपा के खिलाफ एक विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बनना चाहेगी।
धवलीकर ने कहा, "हम ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। हम भाजपा के साथ गठबंधन के लिए नहीं जाएंगे। हम 'एकला चलो रे' का अनुसरण करेंगे।"
राज्य के सबसे पुराने क्षेत्रीय राजनीतिक दलों में से एक एमजीपी ने 2012 के चुनावों में भाजपा के साथ गठबंधन किया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार का हिस्सा थी।
2017 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी ने भाजपा-नीत गठबंधन सरकार का हिस्सा बनने के लिए अपने गठबंधन से नाता तोड़ लिया था।
पर्रिकर के निधन के बाद, एमजीपी एक बार फिर भाजपा की अगुवाई वाली गठबंधन से अलग हो गई। इसके तीन में से दो निर्वाचित विधायक पार्टी से अलग हो गए और भाजपा में मिल गए थे।
एकमात्र बचे विधायक, उपमुख्यमंत्री सुदीन धवलीकर को बाद में नवनियुक्त मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने राज्य मंत्रिमंडल से हटा दिया दिया था।
दीपक धवलीकर ने अब दावा किया है कि अगर सभी विपक्षी दल एक साथ आते हैं तो भाजपा को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
धवलीकर ने कहा, "हम अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन हम विपक्षी दलों के साथ काम करने पर विचार कर सकते हैं।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 दिसंबर| लगभग एक महीने से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को फिर से आश्वासन दिया है कि मोदी सरकार उनके कल्याण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। 'किसान दिवस' के रूप में मनाई जाने वाली पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के मौके पर तोमर ने ट्वीट कर कहा, "सभी देशवासियों को 'किसान दिवस' की शुभकामनाएं। मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को जयंती पर सलाम।"
तोमर का यह ट्वीट किसानों की मांगों को लेकर बने गतिरोध को खत्म कर किसानों के साथ बातचीत जारी रखने के सरकार के इरादे को दर्शाता है। हालांकि किसान तीनों कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं।
बता दें कि 26 नवंबर से हजारों किसान कानूनों के विरोध में दिल्ली-अंबाला, दिल्ली-हिसार, दिल्ली-गाजियाबाद और दिल्ली-नोएडा मार्गो पर सिंघू, टिकरी, गाजीपुर और चिल्ला सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 दिसंबर| पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने बुधवार को सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों से फोन पर बात की। ममता ने किसानों को उनके आंदोलन के साथ पूरी एकजुटता का आश्वासन दिया है। इसके साथ ही डेरेक ओ. ब्रायन, शताब्दी रॉय, प्रसून बनर्जी, प्रतिमा मंडल और एम.डी. नद्दीमुल हक सहित तृणमूल कांग्रेस के पांच सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों से मुलाकात की। टीएमसी नेताओं ने किसानों के आंदोलन को पूरा समर्थन देने के आश्वासन के साथ एकजुटता दिखाई।
टीएमसी ने कहा कि विरोध स्थल से छोटे समूहों में कई किसानों ने ममता बनर्जी के साथ फोन पर बातचीत की, जिन्होंने उन्हें अपने आंदोलन के साथ पूरी एकजुटता का आश्वासन दिया।
टीएमसी का कहाना है कि कुछ किसानों ने ममता से धरना स्थल पर आने का अनुरोध भी किया। किसानों ने फिर से अपनी मांग दोहराई कि केंद्र को तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूरे देश को खिलाने वाले किसान भूखे रहने को मजबूर हो रहे हैं।
पार्टी ने याद दिलाते हुए कहा कि 14 साल पहले ममता बनर्जी ने कृषि भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ 26 दिनों की ऐतिहासिक भूख हड़ताल की थी और सिंगूर के किसानों के लिए न्याय की मांग के लिए डटी हुई थीं।
पार्टी ने आश्वासन दिया है कि वह किसान विरोधी विधेयकों को निरस्त करने के लिए इस आंदोलन में किसानों की एकजुटता के साथ खड़ी रहेगी।
किसान पिछले 28 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर मनाए जाने वाले 'किसान दिवस' पर भूख हड़ताल कर रहे हैं।
किसान कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने की मांग कर रहे हैं।
इससे पहले किसानों के साथ सरकार की पांच बार की बातचीत में कोई समाधान नहीं निकल सका है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने किसानों को छठे दौर की वार्ता के लिए आमंत्रित किया है, जिसकी तारीख किसानों द्वारा तय की जाएगी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 दिसंबर | जम्मू-कश्मीर में हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव में जीत को भाजपा ने उत्साहवर्धक करार दिया है। डिस्टिक डेवलपमेंट काउंसिल चुनाव की हुई मतगणना में 74 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनके उभरी है। भाजपा ने कहा है कि जनता ने लोकतंत्र में आस्था दिखाकर अलगाववादियों के मुंह पर तमाचा मारा है। घाटी में कमल खिलने को भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों की जीत बताया। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस कर कहा, जम्मू-कश्मीर में डिस्टिक डेवलपमेंट काउंसिल चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आयी है। भाजपा को 74 सीटें मिली हैं, नेशनल कांफ्रेंस को 67 सीट, पीडीपी को 27 और कांग्रेस को 26 सीट मिली है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भाजपा को कुल 4 लाख 87 हजार 364 वोट मिले हैं, जबकि नेशनल कांफ्रेंस को 2 लाख 82 हजार 514, पीडीपी को 57 हजार 789 और कांग्रेस को एक लाख 39 हजार 382 वोट मिले हैं। उन्होंने कहा, इस प्रकार जम्मू-कश्मीर डीडीसी चुनाव में भाजपा को इतने वोट मिले हैं जो एनसी, पीडीपी और कांग्रेस इन तीनों का वोट मिला दीजिए तो भाजपा के वोट इनसे ज्यादा हैं।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, जिला विकास परिषद चुनाव में 49 निर्दलीय जीते हैं। जिसमें कई भाजपा समर्थित हैं। उन्होंने कहा, जो बार-बार गुपकार एलायंस की विक्टरी को बताया जा रहा है, तो पहली बात ये जान लें कि वो एलायंस भाजपा से अकेले नहीं लड़ने की कमजोरी के कारण बना था।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कश्मीर की जनता ने राज करने वालों और काम करने वालों के अंतर को पहचाना है। लोगों ने देखा है कि जम्हूरियत उनके दरवाजे पर विकास का दस्तक दे सकती है। लोगों की लोकतंत्र में आस्था पनपी है। भाजपा की जम्मू और कश्मीर में जीत बहुत ही उत्साहवर्धक है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की जनता ने अलगाववादियों के मुंह पर बड़ा तमाचा लगाया है। कुलगाम, शोपियां, पुलवामा आदि स्थानों पर अच्छी संख्या में जनता ने मतदान में सक्रियता दिखाई। इन स्थानों पर अलगाववादियोंका प्रभाव माना जाता रहा है। पुलवामा जहां पर जनता निकलती नहीं थी, वहां पर 7.4 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई। जबकि 2018 के पंचायती चुनाव में यहां सिर्फ 1.1 प्रतिशत वोट पड़े थे।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ये भारत की विजय है, ये भारत के लोकतंत्र की विजय है, ये जम्मू-कश्मीर की जनता की विजय है, ये आशा और विकास की विजय है। भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने जो कश्मीर के लिए सोचा, उस सोच की जीत है।(आईएएनएस)
चेन्नई, 23 दिसंबर| तमिलनाडु सरकार ने बुधवार को कहा कि अगले साल आयोजित होने वाले 'जलीकट्टू' खेल में 300 से अधिक लोग भाग नहीं ले सकते। यहां जारी एक बयान में, सरकार ने कहा कि 2021 के दौरान आयोजित होने वाले जल्लीकट्टू में 300 से अधिक व्यक्ति भाग नहीं ले सकते।
सरकार ने कहा कि सांड मालिकों को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त लैब में कोरोनोवायरस संक्रमण के लिए जांच भी कराना होगा और जब उनके वायरस से संक्रमित नहीं होने की पुष्टि हो जाएगी तो उन्हें भाग लेने की अनुमति दी जाएगी।
सरकार ने यह भी कहा कि दर्शकों की क्षमता 50 प्रतिशत तक होगी और उन्हें थर्मल स्कैन के बाद ही प्रवेश की अनुमति दी जाएगी और सभी को मास्क पहनना होगा।
जल्लीकट्टू को आमतौर पर तमिलनाडु के फसल उत्सव पोंगल के हिस्से के रूप में आयोजित किया जाता है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 दिसंबर | पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिवंगत नेता से प्रेरणा ली है और वे किसानों के हितों को चोट नहीं पहुंचने देंगे। राजनाथ ने ट्वीट्स की एक सीरीज में कहा, "मुझे याद है पूर्व प्रधानमंत्री और देश के सबसे सम्मानित नेता चौधरी चरण सिंह जी की जयंती के अवसर पर मैं उन्हें नमन करता हूं। उन्होंने पूरी जिंदगी किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए और उनके कल्याण के लिए काम किया। देश हमेशा उनके योगदान को याद रखेगा।"
उन्होंने कहा, "चौधरी चरण सिंह किसानों की आय में बढ़ोतरी, उनकी फसलों के उचित मूल्य और उनके सम्मान की रक्षा करना चाहते थे। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे प्रेरणा लेकर और किसानों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए। वे उनके हितों को चोट नहीं पहुंचने देंगे।"
रक्षा मंत्री ने आगे कहा, "आज 'किसान दिवस' के अवसर पर मैं देश के सभी किसानों को शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान की है। कुछ किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। सरकार उनसे पूरी संवेदनशीलता के साथ बात कर रही है। मुझे उम्मीद है कि वे जल्द ही अपना विरोध वापस लेंगे।"
बता दें कि तीनों कानूनों के विरोध में कई किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 28 दिनों से धरने पर बैठे हैं। केंद्र सरकार और किसान यूनियनों के बीच कई दौर की बातचीत अब तक बेनतीजा रही है। (आईएएनएस)
ग्वालियर, 23 दिसम्बर | कोरोना संक्रमण काल में बच्चों को पौष्टिक सब्जियां मिल सकें, इसके लिए मध्य प्रदेश के ग्वालियर में अनुपम पहल की गई है। यहां के लगभग डेढ़ सौ विद्यालयों में किचेन गार्डन बनाए गए हैं और यहां उगाई जाने वाली सब्जियां बच्चों के मध्यान्ह भोजन में उपलब्ध कराई जा रही हैं। बात हम करें चेतूपाड़ा के सरकारी स्कूल की तो वहां पहुंचते ही विभिन्न प्रजातियों की सब्जियों के पेड़ों पर फल और फूल नजर आते हैं। इस स्कूल का किचेन गार्डन अपनी सम्पन्नता की कहानी खुद बयां करता है। किचिन गार्डन में जैविक तरीके से पैदा हो रही लौकी, तोरई, भिण्डी, बैगन, पालक, मेथी, धनिया एवं हरी मिर्च जैसी पौष्टिक सब्जियां पकाकर यहां के बच्चों को मध्यान्ह भोजन में दी जा रही हैं। जाहिर है बच्चों के पोषण को इन किचेन गार्डन से नई संजीवनी मिल गई है।
कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल में बच्चों को पका हुआ भोजन नहीं मिल पाने पर उन्हें कच्चे राशन के साथ सब्जियां भी दी जा रही हैं। बच्चों को किचेन गार्डन में उगाई गई सब्जियों को वितरित किया जाता है।
बताया गया है कि जिला पंचायत ग्वालियर की पहल पर सरकारी स्कूलों के बच्चों के पोषण स्तर में सुधार के लिए जिले के 150 सरकारी स्कूलों में किचेन गार्डन तैयार कराए गए हैं। इनमें जनपद पंचायत मुरार के 35, घाटीगांव के 37, डबरा के 38, एवं भितरवार के 40 शासकीय स्कूल शामिल हैं।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी शिवम वर्मा बताते हैं कि जिले के इन शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में किचिन गार्डन बनाने के लिये उन्नत सब्जियों के बीज, खाद तथा कृषि उपकरण खरीदने के लिये चयनित प्रत्येक विद्यालय को पांच हजार रूपए की धनराशि दी गई है। किचेन गार्डन के संचालन में स्व-सहायता समूहों की दीदी, रसोईया एवं स्कूल के शिक्षक अहम भूमिका निभा रहे हैं।
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण जब लोग बाहर की खान-पान की वस्तुओं से बच रहे थे। ऐसे में ग्वालियर के सरकारी स्कूलों के किचेन गार्डन बच्चों के लिये वरदान साबित हुए हैं। किचेन गार्डन में जैविक तरीके से पैदा हो रहीं सब्जियां बच्चों की सेहत के लिए लाभकारी साबित हो रही हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 23 दिसंबर | पिछले लगभग एक महीने से चल रहे किसान आंदोलन के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और किसानों के कल्याण में उनके योगदान को याद किया। मोदी ने ट्वीट किया, "पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। वे जीवन भर गांवों और किसानों के विकास के लिए समर्पित रहे। इसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।"
1902 में उत्तर प्रदेश के हापुड़ में जन्मे चरण सिंह जुलाई 1979 से जनवरी 1980 के बीच भारत के प्रधानमंत्री रहे।
किसान आंदोलन को समाप्त करने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर चरण सिंह को श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने कहा, "पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को उनकी जयंती पर सलाम। उन्होंने जीवन भर देश के किसानों और ग्रामीण इलाकों के लिए पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ काम किया। उनका संघर्ष और सादगी भरा जीवन हमेशा हमारा मार्गदर्शन करेगा।" (आईएएनएस)