राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 2 जून| भारत को आठ नई फ्लाइंग ट्रेनिंग अकादमियां मिलने वाली हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार, इन संस्थानों की स्थापना भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) की उदार उड़ान प्रशिक्षण संगठन (एफटीओ) नीति के तहत की जाएगी।
ये अकादमियां बेलगावी, जलगांव, कलबुर्गी, खजुराहो और लीलाबाड़ी में स्थापित की जाएंगी।
इन आठ एफटीओ की स्थापना का उद्देश्य भारत को वैश्विक उड़ान प्रशिक्षण केंद्र बनाना और विदेशी एफटीओ में भारतीय कैडेटों के पलायन को रोकना है।
इसके अलावा, इन एफटीओ को भारत के पड़ोसी देशों में कैडेटों की उड़ान प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी डिजाइन किया जाएगा।
मंत्रालय ने कहा, इन पांच हवाईअड्डों को सावधानी से चुना गया है क्योंकि मौसम के मुद्दों और नागरिक/सैन्य हवाई यातायात के कारण न्यूनतम व्यवधान है। इस पहल से भारतीय उड़ान प्रशिक्षण क्षेत्र को आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।
मंत्रालय के अनुसार, एएआई ने नवंबर 2020 में एफटीओ की स्थापना के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं। (आईएएनएस)
सिलचर (असम), 3 जून| असम में कांग्रेस, विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों ने बुधवार को राज्य सरकार से सरकार द्वारा संचालित हिंदुस्तान पेपर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के स्वामित्व वाली दो पेपर मिलों की होने जा रही बिक्री को रोकने का आग्रह किया। हैलाकांडी जिले में एचपीसीएल की कछार पेपर मिल (सीपीएम) में उत्पादन 20 अक्टूबर, 2015 को बंद हो गया, जबकि मोरीगांव के जगीरोड में नौगांव पेपर मिल (एनपीएम) 13 मार्च, 2017 से बंद है। दोनों के 2,500 से अधिक कर्मचारियों को चार साल से अधिक समय से वेतन नहीं मिला है।
महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुष्मिता देव ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को लिखे पत्र में उनसे दो महत्वपूर्ण पेपर मिलों की बिक्री को रोकने का अनुरोध किया।
सुष्मिता ने लिखा, "केरल सरकार ने कोट्टायम में हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट लिमिटेड की इकाई का अधिग्रहण किया। आपकी सरकार ने हाल ही में गोलाघाट में नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) में असम सरकार की हिस्सेदारी को 12.5 से 26 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के सबसे बड़े निवेश को मंजूरी दी है। मुझे उम्मीद है कि असम सरकार समान भावना दिखाएगी और दो पेपर मिलों को बचाएगी और कर्मचारियों के हितों को 1,100 करोड़ रुपये की मामूली लागत पर निजी हाथों में जाने से बचाएगी।"
सुष्मिता देव ने कहा कि पंचग्राम में सीपीएम असम की बराक घाटी में एकमात्र सार्वजनिक क्षेत्र का उद्योग है और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार आश्वासन दिया था कि इन उद्योगों को असम के व्यापक हित में पुनर्जीवित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी दो मिलों को बचाने का आश्वासन दिया था।
सुष्मिता देव ने कहा, "अधिक प्रासंगिक रूप से भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में भी एनपीएम को फिर से खोलने की प्रतिबद्धता दी गई थी।"
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने हाल ही में एचपीसीएल को 30 जून को दो पेपर मिलों की ई-नीलामी आयोजित करने की अनुमति दी थी।
दो पेपर मिलों की यूनियनों की संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) के अध्यक्ष मनबेंद्र चक्रवर्ती ने कहा कि ई-नीलामी के लिए आरक्षित मूल्य 1,139 करोड़ रुपये होने के बावजूद दोनों मिलों की संपत्ति का मूल्य कम से कम 5,000 करोड़ रुपये होगा। (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 3 जून| कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने बुधवार को संकेत दिया कि निर्यात इकाइयों को सुचारु रूप से काम करने के लिए कुछ छूट दी जाएगी, लेकिन राज्यभर में प्रतिबंध जारी रहेगा, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां कोविड के मामले बढ़ रहे हैं। यहां मंत्रियों और वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ बातचीत से पहले, येदियुरप्पा ने संवाददाताओं से कहा कि निर्यात इकाइयों को गुरुवार (3 जून) से ही काम करने की अनुमति दी जाएगी, इससे पहले कि दूसरा लॉकडाउन 7 जून को समाप्त हो जाए।
उन्होंने कहा, हम कई कोणों से सोच रहे हैं और कोई भी निर्णय लेने से पहले विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रहे हैं .. इन विचारों के अनुसार, निर्यात-उन्मुख व्यवसायों जैसे कुछ क्षेत्रों को छूट दी जाएगी, जो गुरुवार से चालू हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि कोविड पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं आया है, क्योंकि यह अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है, और राज्य सरकार को इस पर विचार करना होगा कि चीजों को कैसे संतुलित किया जाए और आगे बढ़ें।
उन्होंने कहा, हम इस बारे में चर्चा करेंगे कि लॉकडाउन को कैसे बढ़ाया जाए और सख्त कदम उठाए जाएं और इस पर विशेषज्ञों की राय लेने के बाद कोई फैसला किया जाएगा।
राज्य की कोविड तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसी) ने सरकार को अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि सकारात्मकता दर 5 प्रतिशत से नीचे आनी चाहिए और मामलों की संख्या 5,000 से कम होनी चाहिए, और उसके बाद ही प्रतिबंधों में ढील दी जा सकती है।
राज्य सरकार ने शुरू में 27 अप्रैल से 14 दिनों के कोरोना कर्फ्यू की घोषणा की थी, लेकिन बाद में विशेषज्ञों द्वारा कड़े कदम आवश्यक होने पर जोर देने के बाद 10 से 24 मई तक पूर्ण तालाबंदी कर दी गई। 24 मई के बाद, राज्य ने दो सप्ताह के लिए तालाबंदी का विस्तार करने का फैसला किया, जो 7 जून को समाप्त हो जाएगा।
लगभग एक महीने के सख्त लॉकडाउन के बाद, सरकार को लगता है कि उपायों से अपेक्षित परिणाम मिल रहे हैं।
दूसरे लॉकडाउन राहत पैकेज के संबंध में एक सवाल के जवाब में, मुख्यमंत्री ने कहा कि वह एक दो दिनों में इस पर निर्णय लेंगे। (आईएएनएस)
विजयवाड़ा, 3 जून | आंध्र प्रदेश में 75 वर्षीय एक कोविड पीड़ित महिला अपने घर लौटी तो पाया कि उसके परिवार ने गलती से किसी दूसरी महिला के शव का अंतिम संस्कार कर दिया था। यह घटना बुधवार को कृष्णा जिले के जग्गैयापेट कस्बे में हुई।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, क्रिश्चियनपेट इलाके की गिरिजाम्मा नाम की महिला कोविड से संक्रमित हो गई थी। उसे 12 मई को विजयवाड़ा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद उसका पति गदय्या घर लौट आया।
पति 15 मई को उसकी हालत जानने के लिए अस्पताल गया तो पाया कि गिरिजाम्मा अपने बेड से गायब थी और अस्पताल के कर्मचारियों ने उसके पति से कहा कि उसे दूसरे वार्ड में भेज दिया गया है।
अस्पताल के सभी वाडरें की अच्छी तरह से जांच करने के बाद भी गदय्या गिरिजाम्मा का पता लगाने में असफल रहे। अंत में, अस्पताल के कर्मचारियों ने गदय्या से कहा कि वह अपनी पत्नी को शवगृह में जाकर ढूंढ ले। जब वह शवगृह में गया, तो उसे एक मृत शरीर अपनी पत्नी जैसा लगा। उसने कर्मचारी को बताया कि उसने अपनी पत्नी के मृत शरीर को पहचान लिया है। उसे मृत्यु प्रमाणपत्र के साथ शव सौंप दिया गया।
परिजन शव को घर ले गए और उसका अंतिम संस्कार कर दिया। दंपति के बेटे रमेश की भी 23 मई को कोविड के कारण मौत हो गई। गदय्या ने मंगलवार को गिरिजाम्मा और रमेश का अंतिम संस्कार एक साथ किया।
इस बीच, गिरिजाम्मा, जो अभी भी अस्पताल में थी, ठीक हो गई थी और सोच रही थी कि कोई उसे घर से लेने क्यों नहीं आया। बुधवार को वह खुद घर लौट गई।
पत्नी को देखकर गदय्या दंग रह गया। उसे यह एक झटका जैसा लगा और अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। बुजुर्ग जोड़ा अब अपने बेटे रमेश के लिए तड़प रहा है।(आईएएनएस)
चंडीगढ़, 2 जून | पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के पटियाला स्थित अपने पुश्तैनी घर में और पोस्टर लगाने के बाद बुधवार को अमृतसर (पूर्व) में अपने विधानसभा क्षेत्र से सिद्धू लापता लिखा हुआ पोस्टर सामने आया, जिसमें विधायक को ढूंढने वाले को इनाम 50,000 रुपये का वादा किया गया । शहीद बाबा दीप सिंह सेवा सोसाइटी नाम के एक एनजीओ ने 'गुमशुदा दी तलाश' शीर्षक से पोस्टर लगाए हैं। इससे पहले अमृतसर में भी ऐसे ही पोस्टर देखे गए थे।
प्रदेश कांग्रेस नेताओं ने आईएएनएस को बताया कि सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर पिछले तीन-चार महीनों से मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के गृह निर्वाचन क्षेत्र पटियाला में पूर्व के पैतृक घर में रह रहे हैं।
उनकी बेटी कथित तौर पर अमृतसर स्थित आवास में अकेली रह रही है।
सिद्धू के निर्वाचन क्षेत्र के जोड़ा फाटक क्षेत्र के निवासी, जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया था, जब एक तेज रफ्तार ट्रेन ने उन्हें कुचल दिया था, क्योंकि वे 2018 में दशहरा समारोह देख रहे थे, कांग्रेस नेता, तत्कालीन कैबिनेट मंत्री और उनकी पत्नी नवजोत कौर ने दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिवार के पात्र सदस्यों को नौकरी प्रदान करने के लिए वादा किया था।
रेलवे ने कहा था कि वह इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार नहीं है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 2 जून | कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को एक बार फिर टीकाकरण की धीमी रफ्तार को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि भारत के भ्रमित टीकाकरण कार्यक्रम के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है? कांग्रेस ने मुफ्त टीकाकरण की पैरवी करते हुए विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर स्पीक-अप फॉर फ्री यूनिवर्सल वैक्सीनेशन हैशटैग से अभियान चलाया है। प्रियंका ने इस अभियान के साथ हैशटैग करते हुए ट्वीट किया, हम दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन प्रोड्यूसर्स में से एक हैं। फिर भी हमारी आबादी का केवल 3.4 प्रतिशत ही पूरी तरह से टीका लगाया गया है। भारत के भ्रमित और दुविधा से भरे टीकाकरण कार्यक्रम के लिए कौन जिम्मेदार है?
प्रियंका ने अपना एक वीडियो भी संलग्न किया, जिसमें कहा गया है कि पिछले साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि अगले साल तक देश के प्रत्येक लोगों को टीकाकरण करने की योजना है।
प्रियंका ने कहा, अब 2021 का मध्य है, लेकिन सरकार की टीकाकरण दर प्रतिदिन 19 लाख है। हमें उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर दिन 70 से 80 लाख लोगों को टीका लगाने की आवश्यकता है। केंद्र ने पहले सारी जिम्मेदारी ली, उसके बाद जैसे ही दूसरी लहर आई, उसने राज्यों की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना शुरू कर दिया।
कांग्रेस महासचिव ने आगे कहा कि जर्मनी, अमेरिका जैसे अन्य संघीय देशों ने पूरी तरह से अलग प्रक्रिया का पालन किया है। केंद्र ने टीकों की खरीद की है और राज्यों को इसे वितरित करने की अनुमति दी है।
उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि आखिर मोदी सरकार ने ऐसा क्यों नहीं किया?
प्रियंका ने टीकाकरण प्रक्रिया को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कौन जिम्मेदार है अभियान शुरू किया है।
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा कि तीन लाख से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। दूसरी ओर, केवल तीन प्रतिशत आबादी को ही दोनों टीकों की खुराक मिली है। आज भी 97 प्रतिशत आबादी वैक्सीन से वंचित है, क्योंकि भाजपा सरकार को देशवासियों की चिंता नहीं है। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 2 जून | आंध्र प्रदेश के पूर्व सांसद मगंती बाबू के बेटे मगंती रवींद्रनाथ चौधरी हैदराबाद के एक स्टार होटल में मृत पाए गए हैं। बंजारा हिल्स के स्टार होटल में पिछले कुछ दिनों से रह रहे रवींद्रनाथ को मंगलवार शाम होटल का कमरा खाली करना था। जब वह अपने कमरे से बाहर नहीं आया तो होटल स्टाफ ने उससे संपर्क करने की कोशिश की। दरवाजे पर बार-बार दस्तक का कोई जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने पुलिस को सूचना दी, जो होटल पहुंची और दरवाजा तोड़ा।
करीब 30 साल के रवींद्रनाथ फर्श पर पड़े मिले। उसने कथित तौर पर खून की उल्टी की थी। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
पुलिस ने संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला दर्ज कर शव को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी उस्मानिया अस्पताल भेज दिया है। आगे की जांच की जा रही है।
बताया जाता है कि रविंद्रनाथ लीवर सिरोसिस से पीड़ित थे और इलाज के लिए 28 मई को हैदराबाद आए थे। उन्होंने बंजारा हिल्स रोड पर एक स्टार होटल में चेक इन किया था।
तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नेता और एलुरु से पूर्व सांसद मगंती बाबू ने इस साल मार्च में अपने बड़े बेटे मगंती रामचंद्रन (37) को खो दिया था। रामचंद्रन का संक्षिप्त बीमारी के बाद एलुरु के एक अस्पताल में निधन हो गया था। उनके दोनों बेटे देर से राजनीति में सक्रिय हो गए थे।
टीडीपी अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने रवींद्रनाथ के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने मगंती बाबू से फोन पर बात की और अपनी संवेदना व्यक्त की।
नायडू ने कहा कि चार महीने के अंतराल में दो बेटों को खोना मगंती बाबू के लिए बहुत बड़ी क्षति है। उन्होंने कहा कि दुख की इस घड़ी में पार्टी उनके परिवार के साथ खड़ी है। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 2 जून | जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक गैर-स्थानीय महिला की ओर से सामूहिक दुष्कर्म की शिकायत किए जाने के बाद मामले की जांच के लिए बुधवार को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। इस कथित घटना के 20 दिन बाद एसआईटी का गठन किया गया है। एक गैर स्थानीय महिला ने आरोप लगाया है कि सात मई की रात तीन लोगों ने उसका यौन उत्पीड़न किया।
पुलिस ने कहा कि महिला ने तीनों की पहचान जन मंजूर, इरशाद अहमद और गुरचरण सिंह के रूप में की है।
महिला ने आरोप लगाते हुए अपनी शिकायत में कहा, सात मई की रात को ये तीन लोग मेरे कमरे में घुसे और मेरा यौन शोषण किया।
महिला ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश की रहने वाली है और उसकी शादी श्रीनगर शहर के रामबाग इलाके में रहने वाले एक व्यक्ति से हुई है।
पुलिस ने कहा कि रामबाग महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और अब तक एक आरोपी को गिरफ्तार किया जा चुका है। (आईएएनएस)
मुंंबई : कोविड महामारी के दौर में ब्लड क्लॉट के कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक का ख़तरा तो है ही, अब ‘इंटेस्टिनल अटैक' के मामले भी मुंबई में दिख रहे हैं, कोविड का ज़्यादा संक्रमण शरीर में क्लॉट बढ़ाता है और क्लॉट के कारण अगर आंत तक खून नहीं पहुंचा तो मरीज़ों में गैंग्रीन की समस्या दिख रही है, दूसरे शब्दों में कहें तो कोरोना सिर्फ़ दिल-दिमाग ही नहीं आंत में भी खून के थक्के जमा रहा है. मुंबई में ऐसे दर्जनों मामले डॉक्टर देख रहे हैं. मुंबई के पांच बड़े अस्पतालों से जुड़े Interventional Radiologist डॉ अभिजीत सोनी बताते है कि इंटेस्टिनल क्लॉट और गैंग्रीन के मामले दूसरी वेव के दौरान क़रीब तीन गुना बढ़े हैं. मुंबई में इंटरवेंशनल रेडीआलॉजिस्ट डॉ. सोनी के अनुसार, कोरोना वायरस फेफड़ों के अलावा गैस्ट्रोइन्टेस्टेनल ट्रैक्ट पर भी हमला कर सकता है. ऐसे कोविड मरीज़ों की संख्या क़रीब 16-30% होती है. ऐसे मरीज़ों को सांस लेने की समस्या की शिकायत कम और पेट से जुड़ी शिकायत ज़्यादातर दिखती है. दुर्लभ मामलों में कोविड की वजह से मरीजों में आंतों में थक्के हो जाते हैं, जिसे एक्यूट मेसेन्ट्रिक इस्कीमिया (AMI) कहा जाता है.
AMI के चलते छोटी आंत के हिस्सों में खून की सप्लाई प्रभावित होती है, जिससे गैंग्रीन की समस्या होती है. पेट में दर्द,पेट का सख़्त होना, दस्त, उल्टी, बुख़ार जैसे इसके कुछ लक्षण होते हैं, कुछ मामलों में दस्त में ख़ून या काला दस्त भी हो सकता है. Wockhardt हॉस्पिटल में ऐसे 10 मरीज़ों का इलाज कर चुका है. इस अस्पताल के डॉ. इमरान शेख बताते हैं, 'कोविड के समय में mesenteric ischemia मतलब ब्लड सप्लाई ब्लड को कम हो जाना इसकी वजह से आँत का डैमेज होना, ये एक कॉमन बीमारी दिख रही है. ऐसे मामले बीते साल कम थे, लेकिन इस साल काफ़ी बढ़े हैं. कोविड में ये कॉमन क्यूँ है, इसका जवाब यह है कि जब कोविड होता है तो नॉर्मली हमारा इम्यून सिस्टम बूस्टअप हो जाता है और रिएक्ट करता है, इसके साथ ही क्लॉटिंग सिस्टम भी रिएक्ट करता है और बॉडी क्लॉट करने के लिए रेडी हो जाता है. जब संक्रमण ज़्यादा फैलता है तो क्लॉटिंग मैकेनिज़म ज़्यादा रिएक्ट करते हुए बॉडी पार्ट में क्लॉट बनाने लगता है. बॉडी-नसों के साथ साथ यह आंत में भी क्लॉट बना सकता है.' अगर आंत में थक्के जमने से जुड़े लक्षण समय पर पहचान लिए जाएं तो गैंग्रीन जैसी घातक समस्या से बचा जा सकता है. कोविड इस समस्या को तेज़ी से बढ़ाता है.
फोर्टिस हॉस्पिटल के Advanced Laparoscopic & Gastrointestinal Surgeon डॉ. हेमंत पाटिल बताते हैं, 'जब दिखता है कि मरीज का पेट ज़्यादा फूल गया है, स्टूल पास नहीं हो रहा, लगातार फ़ीवर है, पेट दर्द कम नहीं हो रहा तो, ऐसे में हम CT angiography करते हैं. पेट का सीटी स्कैन करने को बोलते हैं. स्कैन से पता चलता है कि कितने पार्ट में गैंग्रीन हुआ है, फिर कोई उपाय नहीं है. ऑपरेशन करके ये गैंग्रीन पार्ट निकलना पड़ता है. सेप्टिक क्लीन करना पड़ता है,नहीं तो जान का ख़तरा बढ़ता है. भाटिया हॉस्पिटल के Gastroenterologist डॉ. विपुलरॉय राठौड़ कहते हैं, 'रक्त वाहिनी जो आंतों को खून सप्लाई करती है. अगर ब्लड क्लॉट जम जाता है तो जो खून, आंत को मिलना चाहिए, वह नहीं मिलता. इसकी वजह से गैंग्रीन की संभावना हो सकती है तो जैसे क्लॉट की वजह से लोगों को हार्ट अटैक और स्ट्रोक आता है वैसे ही इंटेस्टिनल अटैक आ सकता है. अभी-अभी बढ़ा है पहले इतना कॉमन नहीं था.' कोविड के इस जटिल दौर में एक्सपर्ट बताते हैं कि पेट में अनजान दर्द पर भी सावधान रहें, उल्टी-दस्त जैसी तकलीफ़ साथ हो डॉक्टर से सम्पर्क बेहद ज़रूरी है! थक्के जमने की शिकायत कोविड से ठीक होने के बाद भी मरीज़ों में दिख सकती है.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत में 5जी टेक्नॉलाजी पर क्रियान्वयन के खिलाफ बॉलीवुड एक्टर जूही चावला की याचिका पर अपना आदेश आदेश सुरक्षित रखा है. इसके साथ ही कोर्ट ने अभिनेत्री जूही चावला के सरकार को प्रतिवेदन दिये बिना 5जी वायरलेस नेटवर्क तकनीक को चुनौती देने के लिए सीधे अदालत आने पर सवाल उठाए. इससेे पहले, कोर्ट ने जूही चावला से कहा कि वह देश में 5जी वायरलेस नेटवर्क स्थापित करने के खिलाफ दायर अपनी याचिका पर एक संक्षिप्त नोट दाखिल करें.जूही ने देश में 5जी वायरलेस नेटवर्क स्थापित करने के खिलाफ सोमवार को हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने इसमें नागरिकों, जानवरों, वनस्पतियों और जीवों पर इस प्रौद्योगिकी के विकिरण के प्रभाव संबंधी मुद्दों को उठाया है. बुधवार को मामले की वर्चुअल सुनवाई के दौरान उस समय अजीब स्थिति निर्मित हो गई जब एक शख्स ने जूही चावला की फिल्म का गाना गाया. इस पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने उसे हटाने को कहा और मीटिंग को लॉक करने को कहा.वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई में जूही चावला भी शामिल हुईं.
अदालत ने कहा कि वह याचिका की सुनवाई शुरू करने समेत चावला और दो अन्य याचिकाकर्ताओं की चार अर्जियों पर विचार करेगी.अदालत ने दूरसंचार विभाग का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील अमित महाजन को डेढ़ पृष्ठ का नोट दाखिल करने की अनुमति दी ताकि यह पता किया जा सके कि उस पर सुनवाई की आवश्यकता है या नहीं.
अधिवक्ता दीपक खोसला के माध्यम से दायर इस याचिका में कहा गया है कि इन 5जी योजनाओं से मनुष्यों पर गंभीर, अपरिवर्तनीय प्रभाव और पृथ्वी के सभी पारिस्थितिक तंत्रों को स्थायी नुकसान पहुंचने का खतरा है. चावला, वीरेश मलिक और टीना वचानी ने याचिका दायर करके कहा है कि यदि दूरसंचार उद्योग की 5जी संबंधी योजनाएं पूरी होती हैं तो पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति, कोई जानवर, कोई पक्षी, कोई कीट और कोई भी पौधा इसके प्रभाव से नहीं बच सकेगा.याचिका में प्राधिकारियां को यह प्रमाणित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि 5जी प्रौद्योगिकी किस तरह से मानव जाति, पुरुषों, महिलाओं, वयस्कों, बच्चों, शिशुओं, जानवरों और हर प्रकार के जीवों, वनस्पतियों के लिए सुरक्षित है. (भाषा)
नई दिल्ली, 2 जून | कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को देश के नागरिकों से सभी के लिए मुफ्त कोविड टीकाकरण के समर्थन में आवाज उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह टीका महामारी के खिलाफ सबसे मजबूत सुरक्षा प्रदान करता है।
उन्होंने ट्वीट किया, "कोविड महामारी के खिलाफ वैक्सीन सबसे मजबूत सुरक्षा है। आप सभी को मुफ्त टीकाकरण प्रदान करने और सरकार को जगाने के लिए भी आवाज उठाएं।"
राहुल ने 'स्पीकअप फॉर फ्री यूनिवर्सल वैक्सीनेसन' हैशटेग भी शेयर किया और देश में वैक्सीन की कमी को लेकर एक वीडियो भी शेयर किया।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 2 जून | आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के विशेषज्ञों ने बुधवार को घरेलू स्तर पर वैक्सीन के उत्पादन और तैनाती की खराब योजना के लिए सरकार की आलोचना की, जिसके फलस्वरूप भारत के पास लगाने के लिए पर्याप्त टीके नहीं हैं।
विशेषज्ञों ने ऑनलाइन जर्नल बीएमजे ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित एक टिप्पणी में कहा, '' हालांकि कोवैक्सिन और कोविशील्ड टीकों के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि करने की योजना है, लेकिन इस साल लगभग एक अरब लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य अभी भी पूरा नहीं किया जा सकता है।''
अब तक केवल 3 प्रतिशत आबादी को ही टीका लगाया गया है।
विशेषज्ञों ने सरकार से दुनिया भर में लगाए जा रहे विदेशी टीकों की मंजूरी में तेजी लाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, "जैसा कि कोविड -19 वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा में दोनों खुराक के बाद कम से कम दो सप्ताह लगने की उम्मीद है, और बड़ी मांगों के साथ, भारत को आने वाले दिनों और हफ्तों में संक्रमणों में मौजूदा वृद्धि को रोकने के लिए टीकों के कई और स्रोतों की आवश्यकता होगी।"
इसके अलावा, कवरेज का विस्तार करने के लिए, सरकार ने निजी अस्पतालों को टीकाकरण की अनुमति दी है, जो लगभग 220 रुपये से 1,098 रुपये तक कुछ भी चार्ज करते हैं, जिसका अर्थ है कि बहुत कम लोग इसे वहन कर सकते हैं।
उन्होंने सरकार से भारत में सभी के लिए कोरोनवायरस के खिलाफ टीके मुफ्त बनाने का आग्रह किया, जो न केवल टीकाकरण को बढ़ावा देगा बल्कि संक्रमण से होने वाली मौतों को भी रोकेगा।
केंद्र और राज्यों के बीच टीकों के अलग-अलग मूल्य निर्धारण पर, विशेषज्ञों ने कहा कि यह भारत में गंभीर संकट के समय सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और असमान वितरण और संभावित रूप से सार्वजनिक अविश्वास को बढ़ावा देगा।
विशेषज्ञों ने कहा कि वयस्कों के लिए टीकाकरण के लिए मोबाइल ऐप के माध्यम से सरकार द्वारा अनिवार्य पूर्व-पंजीकरण भी संभव नहीं है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में केवल एक तिहाई लोगों के पास इंटरनेट कनेक्शन है।
इसके बजाय, एक साधारण टीकाकरण कार्ड एक बेहतर विकल्प हो सकता है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 2 जून | रिमोट काम करने वाले लोगों को निशाना बनाने वाले कोविड-थीम हमलों में वृद्धि हुई है, वहीं ज्यादा भारतीयों (सर्वेक्षण किए गए लोगों में से 86 फीसदी) ने घर पर अपने डिजिटल उपकरणों के लिए अधिक सुरक्षा लागू की है। बुधवार को एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
साइबर सुरक्षा फर्म मैकएफी के '2021 उपभोक्ता सुरक्षा मानसिकता सर्वेक्षण' के अनुसार, लगभग 88 प्रतिशत भारतीय उपभोक्ता उपकरणों, ऑनलाइन गतिविधियों और जुड़े घरों के माध्यम से महामारी के बाद से ज्यादा डिजिटल रूप से जुड़े हुए हैं । उनमें से 57 प्रतिशत डिजिटल स्वच्छता या इसकी कमी उन्हें और उनके परिवारों को जोखिम में डाल सकती हैं।
साइबर अपराधियों ने कोविड-थीम वाले हमलों को शुरू करने के लिए फेविरिशली से काम किया है, जो कि क्यू3 2020 में 240 प्रतिशत और पिछले साल क्यू4 में 114 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसमें प्रति मिनट औसतन 648 नए खतरे थे।
मैकएफी के इंजीनियरिंग और प्रबंध निदेशक के उपाध्यक्ष वेंकट कृष्णपुर ने कहा, "अध्ययन से संकेत मिला है कि ज्यादा भारतीय महामारी के कारण डिजिटल रूप से जुड़े हुए हैं, वे अब सक्रिय रूप से खुद को ऑनलाइन खतरों से बचाने के लिए कदम उठा रहे हैं।"
कृष्णापुर ने एक बयान में कहा, "इस समय के दौरान हमारे डिजिटल पदचिह्नें में स्पाइक ने ऑनलाइन सुरक्षा के महत्व को समझना और खुद को बचाने के लिए उपाय करना महत्वपूर्ण बना दिया है।"
तीन में से दो भारतीय यह जांचते हैं कि जिस नेटवर्क से वे जुड़ रहे हैं, वह कनेक्ट होने से पहले सुरक्षित है या नहीं।
इसके अलावा, आधे से ज्यादा (53 प्रतिशत) जोखिम के प्रति ज्यादा संवेदनशील महसूस करते हैं जब कोई उनके घर आया हो और उनके इंटरनेट से जुड़ा हो।
कृष्णापुर ने कहा, "रिमोट वकिर्ंग, ऑनलाइन लनिर्ंग और घर के अंदर अधिक समय बिताने के कारण कनेक्टेड डिवाइसेज के उपयोग में वृद्धि के कारण भारतीयों के बीच डिजिटल निर्भरता बढ़ी है।"
आधे से ज्यादा भारतीय (58 प्रतिशत) अपने मोबाइल उपकरणों पर संग्रहीत डेटा की अच्छी समझ होने का संकेत देते हैं।
लगभग 81 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि 2020 से उनके घर के सदस्यों ने वर्चुअल प्लेटफॉर्म के माध्यम से दूरस्थ शिक्षा में भाग लेना शुरू कर दिया है।
निष्कर्षों से पता चलता है कि इनमें से आधे से भी कम (36 फीसदी) ने अपने परिवार और घर की सुरक्षा के लिए नई सुरक्षा/संरक्षण तकनीक खरीदी, जब दूरस्थ शिक्षा को उनकी नई जीवन दिनचर्या में शामिल किया गया था। (आईएएनएस)
लखनऊ, 2 जून | लखनऊ के बाहरी इलाके में स्थित इमालिया गांव खामोश सदमे और शोक में डूबा हुआ है।
25 अप्रैल से 15 मई के बीच 20 दिनों के भीतर एक परिवार के सात सदस्यों की मृत्यु हो गई। आठवां सदस्य लगातार मौतों के सदमे को सहन करने में असमर्थ था और हृदय गति रुकने से उसकी मृत्यु हो गई।
मृतकों में परिवार के चार भाई शामिल हैं।
परिवार के जीवित मुखिया ओंकार यादव के अनुसार, "मेरे चार भाई, दो बहनें और मां की कोविड से मृत्यु हो गई। मेरी मौसी इस सदमे को सहन नहीं कर सकीं और उनकी हृदयघात से मृत्यु हो गई।"
उन्होंने आगे कहा, "मैंने सुबह अपनी मां का अंतिम संस्कार किया और फिर उसी दोपहर तीन भाइयों का अंतिम संस्कार किया। मेरे छोटे भाई और दो बहनों की अगले दिनों में मृत्यु हो गई।"
यादव ने कहा कि उनके परिवार के सदस्यों को अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्हें ऑक्सीजन बेड और उचित इलाज नहीं दिया गया।
सोमवार को उन्होंने परिवार के पांच सदस्यों की तेहरावी रस्म अदा की। शेष तीन सदस्यों के लिए अनुष्ठान बाद में किया जाएगा।
गांव के मुखिया मेवाराम ने कहा कि सरकार की ओर से एक भी प्रतिनिधि गांव में नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि मौतों के बावजूद गांव में सैनिटाइजेशन नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा '' हमें अपना बचाव करने और इलाज के बिना मरने के लिए छोड़ दिया गया है। परिवार के बच्चे अभी तक सह नहीं पा रहे हैं कि इतने बड़े बुजुर्ग अचानक से गायब क्यों हो गए हैं।''
परिवार के एक सदस्य ने कहा, "जब शव आए तो हमने उन्हें एक पड़ोसी के घर भेज दिया। वे अब भी सोचते हैं कि लापता सदस्य जल्द ही लौट आएंगे।"
उन्होंने अपने माता पिता को खो चुके इन बच्चों के भविष्य के बारे में भी चिंता व्यक्त की।
परिवार के सदस्य ने कहा, "हमें यह भी यकीन नहीं है कि हमारे लिए कोई सरकारी सहायता होगी क्योंकि किसी ने भी हमसे संपर्क तक नहीं किया है।" (आईएएनएस)
मुंबई, 31 मई 2021: स्वापक नियंत्रण ब्यूरो ने अंडरवर्ल्ड डॉन भगोड़े दाउद इब्राहिम के सहयोगी, गैंगस्टर एवं नशीले पदार्थ के विक्रेता परवेज खान उर्फ चिंकू पठान से कथित संपर्क के आरोप में ड्रग विक्रेता हारिस खान को गिरफ्तार किया है. एनसीबी के एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि एनसीबी पिछले साल बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े ड्रग मामले में खान की भूमिका की भी जांच करेगी.
खान को मंगलवार को एनसीबी की टीम ने क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के नेतृत्व में अंधेरी, लोखंडवाला और बांद्रा में विभिन्न स्थानों पर छापे मारे जाने के बाद गिरफ्तार किया था. अधिकारी ने बताया, “फिलहाल तो एनसीबी ने चिंकू पठान ड्रग्स मामले के सिलसिले में खान को गिरफ्तार किया है, लेकिन राजपूत की मौत से जुड़े ड्रग मामले में भी उसकी भूमिका की जांच की जाएगी.”
नशीले पदार्थों की खरीद-बिक्री को रोकने वाली एजेंसी ने अभिनेता की मौत से जुड़े ड्रग्स मामले में राजपूत के साथ उनके फ्लेट में रहने वाले सिद्धार्थ पिठानी को पिछले हफ्ते हैदराबाद से गिरफ्तार किया था. एनसीबी ने रविवार को राजपूत के दो पूर्व घरेलू सहायकों नीरज और केशव से भी मामले के सिलसिले में पूछताछ की थी. राजपूत पिछले साल जून में बांद्रा स्थित अपने घर में फंदे से लटके मिले थे.
एनसीबी ने दाउद इब्राहिम के गुर्गे एवं मृत माफिया डॉन करीम लाला के रिश्तेदार पठान को, नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले गिरोह का इस साल जनवरी में भंडाफोड़ करने के बाद पड़ोस के नवी मुंबई से गिरफ्तार किया था.
मुंबई, 31 मई 2021: दहिसर पुलिस ने एक ऐसे हत्याकांड का खुलासा किया है जिसमें एक महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर ही पति की हत्या कर दी .मुम्बई के दहिसर में 27 साल की एक महिला ने अपने प्रेमी की मदद से पहले अपने पति की गला दबाकर हत्या की और फिर शव घर में ही जमीन में गाड़ दिया था. इतना ही नहीं, दूसरे दिन उसने दहिसर पुलिस थाने में पति के लापता होने की शिकायत भी दर्ज कराई और अपने छोटे बच्चों के साथ उसी घर में रह रही थी.वारदात 20 मई को देर शाम की है. पत्नी ने पति के लापता होने की शिकायत 21 मई को दर्ज कराई लेकिन उसका व्यवहार सामान्य नहीं था, इसी कारण वह पुलिस के शक के दायरे में आ गई.
दहिसर पुलिस ने रावलपाड़ा के खान कंपाउंड में घर के आसपास पूछताछ की तो पत्नी और पड़ोस के एक लड़के के बीच संबंध होने की जानकारी मिली. पता चला कि युवक अमित विश्वकर्मा भी 21 तारीख से गायब है. मुम्बई पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त दिलीप सावंत ने बताया कि शक होने पर दहिसर पुलिस की एक टीम 1 जून को पत्नी लापता रईस शेख के घर गई और शाहिदा शेख से अमित के बारे में पूछताछ की लेकिन वो ठीक से जवाब नहीं दे रही थी. इसी बीच पुलिस टीम को घर मे जमीन पर किचन के पास सीमेंट का नया प्लास्टर दिखा. पुलिस ने जब वहां खोदा तो रईस का शव उसमें गड़ा हुआ मिला.
मुम्बई पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त दिलीप सावंत ने बताया कि पत्नी और उसके प्रेमी दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है.पुलिस के मुताबिक रईस एक गारमेंट कंपनी में काम करता था. करीब 9 साल पहले उसकी शाहिदा से शादी हुई थी दोनों के 2 छोटे बच्चे हैं. शाहिदा ने दोनों बच्चों को भी धमका रखा था कि वो अपने पिता के बारे में किसी से बात न करें.
1 जून को भारत में कोविड-19 के 1,27,510 नए मामलों की पहचान हुई थी
- ललित मौर्य
पिछले 24 घंटों के दौरान देश में 132,788 नए मामले सामने आए हैं। जिनमें सबसे ज्यादा तमिलनाडु में 26,513 नए मामले दर्ज किए गए हैं। महाराष्ट्र में 14,123 और केरल में 19,760 नए मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं पिछले 24 घंटों में 3,207 लोगों के मरने की सूचना सामने आई है|
पिछले 24 घंटों में किस राज्य में सामने आए कितने नए मामले
Chart: ललित मौर्य Source: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, अंतिम आंकड़ें दिनांक 02 जून 2021, सुबह 8:00 बजे Get the data Created with Datawrapper
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 02 जून 2021, सुबह 8:00 बजे तक जारी आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में 57,61,015 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 54,31,319 ठीक हो चुके हैं। नीचे ग्राफ में देखिए कि किस राज्य में कब कितने मामले सामने आए। दूसरे नंबर पर कर्नाटक है जहाँ अब तक 26,18,735 मामले सामने आ चुके हैं।
कहां कब सामने आये कितने मामले
तीसरे नंबर पर केरल है, जहां अब तक 25,46,339 मामले सामने आ चुके हैं। तमिलनाडु में 21,23,029, आंध्रप्रदेश 17,04,388, उत्तरप्रदेश में 16,92,709, दिल्ली में 14,26,863, पश्चिम बंगाल में 13,85,801, छत्तीसगढ़ में 973,349, राजस्थान में 940,960 जबकि गुजरात में भी अब तक संक्रमण के करीब 810,730 मामले सामने आ चुके हैं। जबकि उनमें से 771,860 मरीज ठीक हो चुके हैं।
किस राज्य में कितने मामले हैं सक्रिय
मध्यप्रदेश में 781,108, ओडिशा में 773,732, हरियाणा में 757,868, बिहार में 707,935, तेलंगाना में 580,844, पंजाब में 569,756, इसके बाद असम 415,898 का नंबर आता है। वहीं दूसरी ओर देश भर में 261,79,085 मरीज इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं।
स्रोत: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार
भारत में प्रति दस लाख पर किये गए हैं 249,057 टेस्ट
भारत में प्रति दस लाख लोगों पर करीब 249,057 टेस्ट किये गए हैं। इसके साथ ही देश में अब तक वैक्सीन के 21.8 करोड़ डोज दिए जा चुके हैं।
कितने लोग अब तक हो चुके हैं स्वस्थ
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 02 जून 2021, सुबह 8:00 बजे तक जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में मामलों की संख्या बढ़कर 283,07,832 पर पहुंच चुकी है। इस संक्रमण से अब तक 335,102 लोगों की मृत्यु हो चुकी है जबकि देश भर में 261,79,085 मरीज ठीक हो चुके हैं।
स्रोत: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, अंतिम आंकड़ें दिनांक 02 जून 2021, सुबह 8:00 बजे
वैक्सीन की बौद्धिक संपदा स्वामित्व पर आईसीएमआर के विरोधाभासी बयानों से कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में मदद नहीं मिल पा रही है
कोविड-19 के खिलाफ बहुत कम देशों ने अब तक वैक्सीन बनाई है। भारत भी उनमें से एक है। इस नाते, भारत को अपनी इस उपलब्धि का जश्न मनाना चाहिए था। इसके बजाय, निजी वैक्सीन कंपनी भारत बायोटेक के साथ साझेदारी में इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा विकसित कोवैक्सिन पर विवाद है। सबसे खतरनाक पहलू तो ये है कि वैक्सीन पर बौद्धिक संपदा (आईपी) के स्वामित्व को ले कर अस्पष्टता अभी भी बनी हुई है। और आईसीएमआर के बयानों ने केवल भ्रम को और अधिक बढ़ाया ही है। भारत बायोटेक ने इस विषय पर खामोश अख्तियार करने का रास्ता ही चुना है।
भारत में सार्स-सीओवी-2 पर हुए रिसर्च की क्रोनोलॉजी (कालक्रम) और कोवैक्सीन का विकास से एक सवाल पैदा होता है कि अगर सार्वजनिक क्षेत्र की प्रयोगशालाओं द्वारा महत्वपूर्ण कार्य (रिसर्च) न किए गए होते, तो क्या भारत बायोटेक इतने कम समय में वैक्सीन विकसित कर सकता था?
घातक कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए टीकों का विकास और उसकी व्यापक पहुंच के वैश्विक अभियान में, सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा ये है कि सफल टीकों के विकास में सार्वजनिक धन की भूमिका क्या है? क्या निजी कंपनियों को जीवन रक्षक टीकों पर पेटेंट एकाधिकार देकर भारी मुनाफा कमाने की अनुमति दी जानी चाहिए, जबकि इन टीकों के विकास के लिए जरूरी धन करदाताओं का है और आवश्यक सूचनाएं सार्वजनिक अनुसंधान से निकल कर आई है?
कोवैक्सिन का मामला इसी तरह के सवाल को आगे करता है। लेकिन यहां मामला उलझा हुआ है। टीके पर अधिकार किसके पास हैं, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। जब वैज्ञानिक बिरादरी, कानूनी विशेषज्ञों और मीडिया ने कोवैक्सिन की फंडिंग और आईपी अधिकार विवरण की मांग सार्वजनिक करने की मांग की, तब इस पर पहला सार्वजनिक खुलासा 3 मई को द हिंदू में किया गया था। हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्पाद आईपी "साझा" (शेयर्ड) है। आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने बताया कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत आईसीएमआर और भारत बायोटेक के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया गया था और आईपी को "साझा" किया गया था।
अखबार को एक ईमेल जवाब में, भार्गव ने खुलासा किया कि शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान निकाय को भारत बायोटेक शुद्ध बिक्री (नेट सेल्स) पर रॉयल्टी भुगतान करेगा। उन्होंने बताया कि यह एक संयुक्त उपक्रम था और वैक्सीन बॉक्स पर आईसीएमआर और इसके नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) का नाम छपा होगा। एनआईवी आईसीएमआर का एक प्रमुख संस्थान है और दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा नामित एक रेफरेंस लैब है।
हालांकि, कुछ ही दिनों के भीतर द हिंदू बिजनेसलाइन में एक रिपोर्ट आई, जिसमें कुछ अलग बात कही गई थी। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक अनाम शीर्ष अधिकारी ने समाचार पत्र के हवाले से कहा कि भारत बायोटेक के साथ अनुबंध ओपन एंडेड था और आईसीएमआर अन्य कंपनियों के साथ टेक्नोलॉजी शेयर (प्रौद्योगिकी साझा) करने के लिए स्वतंत्र था। यह भारत बायोटेक से 5 प्रतिशत रॉयल्टी पाने का हकदार था। ध्यान दें कि यहां “अनुबंध” शब्द का इस्तेमाल है। तो क्या यह कोविशील्ड वैक्सीन बनाने के लिए एस्ट्राजेनेका के साथ सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के जैसा अनुबंध निर्माण समझौता (कॉंट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग एग्रीमेंट) था?
महामारी की दूसरी लहर के घातक फैलाव को देखते हुए, सरकार ने कोवैक्सिन बनाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के तीन वैक्सीन संस्थानों को इस कार्यक्रम में शामिल किया है। लेकिन अगर सरकार को अपनी मर्जी से लाइसेंस देने का अधिकार है, तो बड़ा सवाल यह है कि सिर्फ हाफकाइन को ही क्यों चुना जाए? यह शुरुआत में अधिकृत हुई एकमात्र कंपनी थी, जबकि देश की हर वैक्सीन कंपनी यह उत्पाद बना सकती है?
27 मई को कोवैक्सिन की कहानी में नवीनतम मोड़ आया, जब नीति आयोग ने भारत की वैक्सीन प्रक्रिया पर "मिथक" के खिलाफ एक प्रेस नोट जारी किया। नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 के सदस्य और अध्यक्ष विनोद पॉल द्वारा जारी इस प्रेस नोट में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा दूसरी लहर का अनुमान लगा पाने की विफलता के लिए की गई आलोचनाओं का गुस्से से जवाब दिया गया। इसमें कोवैक्सीन का भी जिक्र है। पॉल स्पष्ट रूप से कहते हैं, “केवल एक भारतीय कंपनी (भारत बायोटेक) है जिसके पास आईपी है।“ हालांकि, सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि तीन अन्य कंपनियां दिसंबर तक कोवैक्सिन का उत्पादन शुरू कर दें।
सवाल है कि सिर्फ तीन कंपनियां ही क्यों? जबकि भारत में टीकों की कमी है और टीकाकरण केंद्र निष्क्रिय बने हुए हैं। यह याद रखना चाहिए कि कोवैक्सिन आपूर्ति का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा ही है, जबकि बाकी का हिस्सा एसआईआई के कोविशील्ड से आता है।
कोवैक्सीन के विकास ने देश में वैक्सीन राष्ट्रवादियों (वैक्सीन नेशनलिस्ट), चीयरलीडिंग मीडिया और सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ताओं को खुराक दे दी थी। मई 2020 में आईसीएमआर ने एक पैराग्राफ के प्रेस नोट में सिर्फ इतना भर कहा था कि इसने एनआईवी, पुणे में आइसोलेटेड वायरस स्ट्रेन का उपयोग कर पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने के लिए भारत बायोटेक के साथ भागीदारी की है। यही स्ट्रेन सफलतापूर्वक भारत बायोटेक को दिया गया था।
अन्य सार्वजनिक अनुसंधान संस्थान भी हैं, जिन्होंने कोवैक्सिन निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐसा ही एक है संस्थान है, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (आईआईसीटी)। यह वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की एक घटक प्रयोगशाला है। एगोनिस्ट मॉलीक्यूल के लिए सिंथेटिक रूट आईआईसीटी द्वारा विकसित तकनीक के कारण संभव हुआ था, जिससे भारत बायोटेक को उत्पादन का पैमाना बढ़ाने में मदद मिली। सस्ती कीमत और उच्चतम शुद्धता के साथ स्वदेशी केमिकल का उपयोग करने वाली तकनीक का महत्वपूर्ण योगदान था और भारत बायोटेक भी स्वीकार करता है कि कोवैक्सिन इसके बिना संभव नहीं होता। अब यह आश्चर्य की बात है कि सार्वजनिक संस्था द्वारा विकसित तकनीक एक निजी कंपनी को कैसे दे दी गई। क्या लाइसेंस शुल्क लिया गया या यह तकनीक भारत बायोटेक को मुफ्त में ही दे दी गई?
महामारी को रोकने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की प्रयोगशालाएं अनुसंधान के काम में सबसे आगे रही हैं। मई 2020 में, हैदराबाद की एक अन्य प्रमुख शोध संस्थान, सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) ने घोषणा की कि उसने कोरोना वायरस को कल्चर कर लिया है। एक प्रेस नोट में इसने कहा है कि प्रयोगशाला में वायरस को कल्चर करने की क्षमता एक महत्वपूर्ण सफलता है, जो सीसीएमबी को वैक्सीन विकास की दिशा में काम करने और कोविड-19 से लड़ने के लिए संभावित दवाओं का परीक्षण करने में सक्षम बनाएगी।
यह सब देखते हुए आश्चर्य होता है कि क्यों भारत बायोटेक को कोवैक्सिन आईपी और वैक्सीन के निर्माण के लिए एक विशेष अनुबंध दिया गया था। निश्चित रूप से, देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट ने एक अलग दृष्टिकोण निर्मित किया? सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में, आईसीएमआर ने कोवैक्सिन विकसित करने के लिए उठाए गए शोध कदमों और परियोजना पर खर्च हुए धन के बारे में बताया है। लेकिन भारत बायोटेक के साथ समझौता ज्ञापन की शर्तों का पूरा खुलासा सार्वजनिक जांच से बाहर है।
जब सीरोलॉजिस्ट महामारी की तीसरी लहर की चेतावनी दे रहे हैं, तब सरकार को इस बात पर स्पष्ट होना चाहिए कि खतरे से निपटने के लिए टीके के उत्पादन को कैसे बढ़ाया जाए। क्या इसे विश्व व्यापार संगठन से सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट की स्थिति में पेटेंट अधिकारों को खत्म करने की बात नहीं करनी चाहिए, ताकि कोवैक्सिन की तकनीक सबको मुफ्त मिल सके? या भारत एक सीमित दायरे में ही आत्मनिर्भर हो कर खुद को सिमटाए रखना चाहता है? (downtoearth.org.in)
अगले 24 घंटों के दौरान केरल में वर्षा के और तेज होने का अनुमान है। इसी अवधि के दौरान केरल में मानसून की शुरुआत होने की संभावना जताई गई है।
-दयानिधि
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मानसून के उत्तरी सीमा से आगे बढ़ना लगातार जारी है। केरल में बारिश होने तथा इसमें लगातार वृद्धि होने के बारे में अनुमान लगाया गया है। दक्षिणी अरब सागर के ऊपर निचले स्तरों में पछुआ हवाएं तेज हो गई हैं और निचले स्तरों पर इनका प्रसार जारी है।
उपग्रह की छवि के अनुसार, केरल तट और इससे सटे दक्षिण पूर्वी अरब सागर में बादल छाए हुए हैं। उपरोक्त स्थितियों के चलते अगले 24 घंटों के दौरान केरल में वर्षा के और तेज होने का अनुमान है। इसी अवधि के दौरान केरल में मानसून की शुरुआत होने की संभावना जताई गई है।
निचले स्तर की दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के मजबूत होने के कारण, अगले 5 दिनों के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों में भारी वर्षा के आसार हैं। अगले 5 दिनों के दौरान असम और मेघालय में मूसलाधार बारिश होने का अनुमान लगाया गया है।
पश्चिमी विक्षोभ मध्य और ऊपरी ट्रोपोस्फेरिक स्तरों में जारी है, पश्चिमी हवाओं की धुरी समुद्र तल से औसतन 5.8 किमी ऊपर है। एक अन्य चक्रवाती परिसंचरण उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश के निचले ट्रोपोस्फेरिक स्तरों में स्थित है। इसके प्रभाव के चलते अगले दो दिनों के दौरान पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र के कुछ हिस्सों और उत्तर पश्चिम भारत के आसपास के मैदानी इलाकों के कुछ जगहों पर बिजली गिरने, गरज के साथ बौछारें पड़ने और तेज हवाओं के साथ भारी बारिश होने का अनुमान है।
आंतरिक तमिलनाडु पर एक चक्रवाती परिसंचरण हो रहा है जो समुद्र तल से औसतन 3.1 किमी ऊपर और पूर्व-पश्चिम क्षेत्र के समुद्र तल से औसतन 4.5 किमी ऊपर है। इसके प्रभाव में, अगले 4-5 दिनों के दौरान दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों में गरज के साथ भारी बारिश होने, बिजली गिरने और तेज हवाओं के साथ बौछारें पड़ने के आसार व्यक्त किए गए हैं।
देश में कैसा रहेगा आज का मौसम
आज, 02 जून को हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश, झारखंड, तेलंगाना, केरल और माहे में अलग-अलग स्थानों पर बिजली गिरने और 30-40 किमी प्रति घंटे की दर से चलने वाली हवाओं के साथ बौछारें पड़ने का अनुमान है।
मौसम की इसी तरह की गतिविधि मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और सिक्किम, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा, कोंकण और गोवा, बिहार, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, तटीय आंध्र प्रदेश और यनम, कर्नाटक में अलग-अलग जगहों पर, रायलसीमा, लक्षद्वीप और तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल में होने का भी पूर्वानुमान है।
मौसम विभाग के अनुसार आज दिल्ली में बादल छाए रहने तथा बूंदाबांदी होने का भी अनुमान है। आज दिल्ली का अधिकतम तापमान 36 तथा न्यूनतम 26 डिग्री सेल्सियस तक रहने का अनुमान है। आज दिल्ली में 30-40 किमी प्रति घंटे की गति से तेज हवाएं चलने का भी पूर्वानुमान लगाया गया है।
Source : IMD
ओलावृष्टि के साथ धूल भरी आंधी की चेतावनी
आज पश्चिम राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में बिजली गिरने, ओलावृष्टि होने और 40-50 किमी प्रति घंटे तक की गति से चलने वाली तेज हवाओं के साथ धूल भरी आंधी आने के आसार हैं।
आज इन जगहों पर होगी भयंकर बारिश
पश्चिम बंगाल और सिक्किम, ओडिशा, कोंकण और गोवा, मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र, तटीय आंध्र प्रदेश और यनम, तेलंगाना, रायलसीमा, कर्नाटक, असम और मेघालय, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल, लक्षद्वीप, केरल और माहे में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा होने का अनुमान है।
मछुआरों को चेतावनी
दक्षिण पश्चिम, पश्चिम मध्य और दक्षिण पूर्व अरब सागर और केरल तट, लक्षद्वीप क्षेत्र और कोमोरिन में 40-50 किमी प्रति घंटे की दर से चलने वाली तेज हवाओं के 60 किमी प्रति घंटे तक पहुंचने की आशंका हैं। मौसम विभाग ने मछुआरों को सलाह दी है कि इन इलाकों में मछली पकड़ने तथा किसी तरह के व्यापार से संबंधित काम के लिए जाने से बचें।
कल कहां हुई बारिश और कहां पड़ी बौछारें
बीते दिन यानी 1 जून को, 8:30 से 5:30 बजे के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश के अधिकांश स्थानों पर, असम और मेघालय, मध्य महाराष्ट्र और तटीय कर्नाटक में कई स्थानों पर, जम्मू, कश्मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान, और मुजफ्फराबाद, बिहार और नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में कुछ स्थानों पर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और सिक्किम, छत्तीसगढ़ में अलग-अलग स्थानों पर, पूर्वी मध्य प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर आंतरिक कर्नाटक और केरल और माहे में अलग-अलग जगहों पर बारिश हुई या गरज के साथ बौछारें पड़ी।
कल कहां कितनी वर्षा रिकॉर्ड की गई
कल यानी 1 जून को 8:30 बजे से 5:30 बजे के दौरान अगरतला में 4 सेमी, गोरखपुर में 3 सेमी और चुरू, बहराइच, महाबलेश्वर और गया सहित प्रत्येक जगह में 2 सेमी वर्षा रिकॉर्ड की गई।
कल कहां पड़ी तेज हवा के साथ बौछारें
1 जून को 8:30 बजे के दौरान जम्मू, कश्मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद में कई स्थानों पर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, पश्चिम राजस्थान, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पूर्वी मध्य प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तटीय आंध्र प्रदेश और यनम, उत्तर आंतरिक कर्नाटक और त्रिपुरा में तेज हवाओं के साथ बौछारें पड़ी, इन जगहों पर, आज 5:30 बजे के दौरान इसी तरह की गतिविधि के आसार बन रहे हैं।
कहां रिकॉर्ड किया गया सबसे अधिक तापमान
कल यानी 1 जून को देश भर में आगरा (पश्चिम उत्तर प्रदेश) में अधिकतम तापमान 43.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
कहां रिकॉर्ड किया गया सबसे कम तापमान
कल, 1 जून को देश के मैदानी इलाकों में सफदरजंग (नई दिल्ली) में न्यूनतम तापमान 17.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। (downtoearth.org.in)
भोपाल, 1 जून | मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के विधायक नारायण त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर ग्रामीण इलाकों में सेवा देने वाले झोलाछाप डॉक्टरों को भी कोरोना योद्धा का दर्जा दिए जाने की मांग की है। त्रिपाठी का मानना है कि कोरोना महामारी के दौर में झोलाछाप चिकित्सकों ने देवदूत बनकर ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सतना जिले के मैहर विधानसभा क्षेत्र से विधायक त्रिपाठी ने अपने पत्र में झोलाछाप डॉक्टर की सेवाओं को लेकर मुख्यमंत्री को लिखा है, गरीब वर्ग ने पैसे के अभाव में गांव में ही छोटी-मोटी खांसी-बुखार को इनकी दवा से ही कंट्रोल कर लिया था। ऐसे में इनको समुचित प्रशिक्षण देकर स्वास्थ्य विहीन क्षेत्रों में उपचार के लिए तैनात करना चाहिए। जो लोग इनको झोलाछाप संबोधित करते हैं, उनको अब कोरोना महामारी के बाद से देवदूत बोलना चाहिए।
विधायक ने अपने पत्र में कहा है, "हम आप सभी ग्रामीण परिवेश से हैं। साथ ही यहां की वास्तविक परिस्थितियों को बेहतर तरीके से जानते हैं। हमने महामारी के दौरान गांव-गांव जाकर करीब से देखा है कि झोलाछाप डॉक्टरों ने सर्दी, खांसी, बुखार जैसी छोटी मोटी बीमारियों पर अंकुश लगाने का काम किया है। ऐसे ग्रामीण मरीज जिनके पास शहर के अस्पताल जाने और इलाज कराने के पैसे नहीं होते, उनका सहारा यही झोलाछाप डॉक्टर बने। इनको इंजेक्शन लगाने, डिप लगाने और सामान्य दवाइयों को देने का अनुभव होता है। कई के पास छोटी-मोटी डिग्री-डिप्लोमा होता है। इनका उपयोग प्राथमिक उपचार व जागरूकता के लिए किया जाना उचित होगा।"
भाजपा के विधायक त्रिपाठी ने अपने पत्र में सुझाव दिया है कि सभी झोलाछाप डॉक्टरों का सर्वे कराया जाए, उन्हें उचित प्रशिक्षण दिया जाए। फिर इनको स्वास्थ्य विभाग के तंत्र से जोड़ा जाए। इसके बाद सही दिशा में काम लिया जाए। डिग्रीधारी शासकीय या अशासकीय चिकित्सकों ने कोरोना महामारी में जब महत्वपूर्ण निभाई तो शासन, समाज ने उनका सम्मान किया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना महामारी के दौरान सराहनीय काम करने वाले चिकित्सक सिर्फ झोलाछाप ही बने हुए हैं। "ऐसे में मेरा अनुरोध है कि 'स्वास्थ्य रक्षक' या 'स्वास्थ्य सेवक' मानकर ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था में उपयोग कर कोरोना योद्धा का दर्जा दिया जाए।"(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 जून | नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने बाबा रामदेव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। एफआईआर एनएसयूआई के राष्ट्रीय महासचिव नागेश करियप्पा ने कराई है। एनएसयूआई का कहना है कि ऐसे लोगों को बिना कार्रवाई के छोड़ना डॉक्टरों को नीचा दिखाना है। करियप्पा ने कहा, "पतंजलि ब्रांड के स्वामी बाबा रामदेव ने हाल ही में एलोपैथिक दवाओं पर सवाल उठाया था और हमारे देश के डॉक्टरों को शर्मिदा किया था।"
एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने कहा, "बाबा रामदेव ने कोरोना योद्धा एवं अग्रिम पंक्ति के सिपाही डॉक्टरों के सम्मान को ठेस पहुंचाई, जिसको कोई भी भारतीय बर्दाश्त नहीं करेगा। एनएसयूआई बाबा रामदेव के इस बयान की कड़े शब्दों में निंदा करती है और पुलिस से बाबा रामदेव पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग करती है।"
दूसरी ओर, मंगलवार को देशभर में रेजिडेंट डॉक्टरों ने अस्पतालों में बाबा रामदेव के बयान के विरोध में कालीपट्टी बांधकर प्रदर्शन किया और काला दिवस मनाया। डॉक्टरों ने रामदेव से उनके बयान के लिए माफी मांगने की मांग की है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 जून| सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से कहा कि वह कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चों की मदद के लिए हाल ही में पीएम केयर्स फंड के तहत घोषित योजना का विवरण दें और बताएं कि इस योजना को कैसे लागू किया जाएगा। न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सरकार ने महामारी के कारण अनाथ बच्चों को लाभान्वित करने के लिए 29 मई को एक योजना की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वे अभी तक नहीं जानते हैं कि इस योजना के तहत कितने बच्चे लाभार्थी हैं। हालांकि यह कहा गया है कि जिन बच्चों के माता-पिता, दत्तक माता-पिता आदि खो गए हैं, वे इसके लाभार्थी होंगे।
न्यायाधीश एल. नागेश्वर राव और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने केंद्र के वकील से पीएम केयर्स फंड के तहत किए गए पैकेज की घोषणा के संबंध में एक हलफनामा दाखिल करने को कहा। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने प्रस्तुत किया कि लाभार्थियों की पहचान सहित योजना का विवरण अदालत के समक्ष दायर किया जाएगा।
नरेंद्र मोदी सरकार के सात साल पूरे होने के मौके पर केंद्र ने हाल ही में कोरोना से माता-पिता को खोने वाले बच्चों के लिए बड़ा एलान किया है। ऐसे बच्चों को मुफ्त शिक्षा और इलाज की सुविधा मिलेगी। 18 वर्ष पूरा होने पर मासिक आर्थिक सहायता(स्टाइपेंड) और 23 वर्ष का होने पर दस लाख रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी।
योजना के अनुसार, पीएम केयर की धनराशि से अनाथ बच्चों के लिए फंड की व्यवस्था होगी। ऐसे बच्चों के लिए 10 लाख रुपये का पीएम केयर से फंड बनेगा, जिसके तहत 18 वर्ष का होने के बाद बच्चों को अगले पांच वर्ष तक जरूरतों के लिए मासिक धनराशि मिलेगी, वहीं 23 वर्ष का पूरा होने पर एकमुश्त 10 लाख रुपये का फंड मिलेगा।
पीएम केयर फंड के तहत 18 वर्ष पूरा होने पर दस लाख रुपये का फंड बनेगा। 18 वर्ष पूरा होने के बाद इस फंड से पांच वर्ष तक मासिक आर्थिक सहायता मिलेगी। यह धनराशि उच्च शिक्षा के लिए जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। 23 वर्ष की पूरी होने पर 10 लाख रुपये मिलेंगे।
इसी तरह दस वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नजदीकी केंद्रीय विद्यालय में दाखिला मिलेगा। अगर प्राइवेट स्कूल में बच्चे के दाखिला होगा तो पीएम केयर से फीस दी जाएगी। पीएम केयर से बच्चे के यूनिफॉर्म, कापी और किताब भी खरीदी जाएगी। 11 से 18 साल के विद्यार्थियों को केंद्र सरकार के अधीन संचालित सैनिक स्कूल, नवोदय विद्यालय आदि में दाखिला मिलेगा।
उच्च शिक्षा के लिए ऐसे बच्चों को ब्याज मुक्त लोन मिलेगा। लोन पर ब्याज की अदायगी पीएम केयर फंड से होगी।
कोरोना के कारण माता-पिता को खोने वाले बच्चों को आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी। 18 वर्ष तक होने तक पीएम केयर फंड से बीमा की किश्त भरी जाएगी।
शीर्ष अदालत देश भर के बाल देखभाल संस्थानों में कोविड-19 की रोकथाम पर एक स्वत: संज्ञान मामले में दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा दायर एक हलफनामे के अनुसार, महामारी ने 1,700 से अधिक बच्चों को अनाथ कर दिया है। 7464 बच्चे ऐसे हैं जिनके माता या पिता में से एक की मृत्यु हुई है और 140 बच्चों को परिवार ने छोड़ दिया है।
एनसीपीसीआर के वकील ने अदालत को सूचित किया था कि एक वेब पोर्टल बाल स्वराज लॉन्च किया गया था, जिसके माध्यम से प्रत्येक जिला महामारी के दौरान बच्चों के बारे में जानकारी अपलोड कर सकता है। शीर्ष अदालत ने पिछले हफ्ते, सभी राज्यों को मार्च 2020 से 29 मई तक डेटा अपलोड करने का निर्देश दिया था और एनसीपीसीआर को मामले में अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करने की अनुमति दी थी।
अग्रवाल के सुझाव पर कार्रवाई करते हुए, शीर्ष अदालत ने तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा, जो अनाथों की आवश्यक जानकारी के संबंध में अधिवक्ता के साथ बातचीत करेगा। शीर्ष अदालत ने नोट किया कि वर्तमान में 9,000 ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने माता-पिता (दोनों) या माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है। एनसीपीसीआर के वकील ने कहा कि राज्य सरकारें उन बच्चों के बारे में पूरी जानकारी नहीं दे पाई हैं, जिन्होंने महामारी के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 1 जून| पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने मंगलवार को कहा कि वित्तवर्ष 2020-21 चार दशकों में अर्थव्यवस्था का सबसे काला साल रहा है और सरकार को जरूरत पड़ने पर और रुपये छापने चाहिए, जैसा कि नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी सहित कई लोगों ने सुझाव दिया है। उन्होंने कहा, "हम ध्यान दे सकते हैं कि बनर्जी ने अधिक रुपये छापने और खर्च बढ़ाने का आह्वान किया है, हालांकि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में विभिन्न समाचारपत्रों को दिए साक्षात्कार में सरकार की गुमराह और विनाशकारी नीतियों का बचाव किया है।"
चिदंबरम ने इससे पहले, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को वर्चुअली संबोधित करते हुए, जीडीपी के आंकड़ों को लेकर सरकार पर हमला किया।
उन्होंने कहा, "जैसा कि अपेक्षित था, स्थिर कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद में (-) 7.3 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई, 1979-80 के बाद पहली बार भारत ने नकारात्मक वार्षिक वृद्धि दर्ज की है। 2020-21 चार दशकों में अर्थव्यवस्था का सबसे काला वर्ष रहा है। 2020-21 की चार तिमाहियों में जैसा प्रदर्शन रहा, वह सुधार की कहानी नहीं कहता है। पहली दो तिमाहियों में मंदी (-24.4 और -7.4 प्रतिशत) देखी गई। इसी तरह, तीसरी और चौथी तिमाही में भी कोई सुधार नहीं हुआ।"
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछले वर्ष की इन्हीं तिमाहियों में अनुमानित दरें 0.5 प्रतिशत और 1.6 प्रतिशत थीं, जो 3.3 और 3.0 प्रतिशत के बहुत कम आधार पर तय की गई थीं। इसके अलावा, ये दरें कई चेतावनियों के साथ आई हैं।
चिदंबरम ने आरोप लगाया कि जब पिछले साल कोविड महामारी की पहली लहर कम होती दिखाई दी, तो वित्तमंत्री और उनके मुख्य आर्थिक सलाहकार ने रिकवरी की कहानी को बेचना शुरू कर दिया।
पूर्व वित्तमंत्री ने तंज कसते हुए कहा, "उन्होंने 'हरे रंग के अंकुर' देखे, जिसे किसी और ने नहीं देखा। उन्होंने वी-आकार की वसूली की भविष्यवाणी की। यह एक झूठी कहानी थी और हमने अपना मजबूत पक्ष रखा था और चेतावनी दी थी कि रिकवरी का कोई संकेत नहीं है। हमने बताया था कि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन की एक मजबूत खुराक की जरूरत है, जिसमें सरकारी खर्च में वृद्धि, गरीबों को सीधा नकद हस्तांतरण और मुफ्त राशन का उदार वितरण शामिल है। हमारी दलीलें बहरे कानों पर पड़ीं और उसी का परिणाम है कि माइनस 7.3 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि सामने आई है।"
चिदंबरम ने कहा कि सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि प्रति व्यक्ति जीडीपी एक लाख रुपये से नीचे गिरकर 99,694 रुपये पर आ गई है। प्रतिशत के संदर्भ में यह पिछले वर्ष की तुलना में माइनस 8.2 प्रतिशत की गिरावट है। यह 2018-19 (और शायद 2017-18 भी) में हासिल किए गए स्तर से कम है। सबसे चिंताजनक निष्कर्ष यह है कि अधिकांश भारतीय नागरिक दो साल पहले की तुलना में आज अधिक गरीब हैं।
उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों और प्रसिद्ध संस्थानों की अच्छी सलाह को खारिज कर दिया गया है। विश्वव्यापी अनुभव की उपेक्षा की गई है। राजकोषीय विस्तार और नकद हस्तांतरण के सुझावों को ठुकरा दिया गया है। इसलिए आत्मनिर्भर भारत जैसे खोखले पैकेज सपाट हो गए हैं। (आईएएनएस)
लखनऊ, 1 जून 2021 : उत्तर प्रदेश में कोरोना वैक्सीन के विरोध के चलते लोगों को लोगों को तरह-तरह के लालच दिए जा रहे हैं. ताजा लालच इटावा के अफसरों ने यह कहते हुए दिया है कि शराब सिर्फ वहीं खरीद सकेंगे जिन्हें वैक्सीन लग गई है. यही नहीं,शराबखानों पर ऐसे नोटिस भी लगा दिए गए हैंं. इसके अलावा, कहीं यह ऐलान हुआ है कि वैक्सीन लगवाने पर ही तनख्वाह मिलेगी. इसी तरह कहीं-कहीं महिलाएं गाना गाकर लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए बुला रही हैं. महिलाओं का यह गाना लोगों को कोरोना वैक्सीन लगवाने का आग्रह करता है. हमारी संस्कृति में हर मौके के गीत हैं. धान रोपाई के गीत, फसल काटने के गीत, शादी के गीत, मिलन के गीत और जिंदगी के गीत....अब इसमें टीके का गीत भी शामिल हो गया है. इसी तरह शराब के शौकीनों के मनोविज्ञान से वाकिफ एक अफसर ने इटावा में शराबखानों पर नोटिस लगा दियाकि शराब उसे ही मिलेगी जिसे टीका लगा होगा.
एक शराब दुकान के मैनेजर नीलेश ने कहा, चार-छह-दस लोगों ने दिखाया है, उन्हें ही शराब दी है. यह पूछने पर कि टीकाकरण को लेकर क्या लोगों को जागरूक कर रहे हैं, उन्होंने जवाब 'हां' में लिया. उन्होंने कहा कि हम यह कहते हैं कि वैक्सीन लगवाकर आओ, उसका प्रमाणपत्र दिखाओ. लेकिन शराबखानों के होशियार सेल्स वालों को पता है कि टीमा बहुत कम लोगों को लगा है. फिर शराब कैसे बिकेगी, इसके लिए उन्होंने अपनी समझ से कुछ मजबूत तर्क तलाशे हैं. एक शराब दुकान के मैनेजर रामवीर सिंह कहते हैं कि हम शराब खरीदने आने वालों से टीका लगवाने को कहते हैं. कोई कह रहा है, कि लगवाएंगे, कोई कह रहा है लगवा लिया है लेकिन कार्ड नहीं मिला है. यूपी का फिरोजाबाद शहर सुहाग की चूड़ियों का शहर है. यहां के लोगों ने बीवी के कहने से भले ही टीका न लगवायाहो लेकिन तनख्वाह रुकने के डर से जरूर लगवा रहे हैं.
फिरोजाबाद के ,CDO चचिग्त गौर कहते हैं, 'डीएम सर ने आदेश दिए हैं कि यदि किसी विभाग के कर्मचारियों ने वैक्सीन नहीं कराया है तो उनके विभागाध्यक्ष इस बार के लिए एक्शन लेंगे और एक महीने का वेतन उनको तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक वे यह सूचित नहीं करते कि उनके विभाग'के सभी कर्मचारियों ने वैक्सीनेशन करवा चुके हैं. उधर, इटावा के सैफई में टीका लगवाने के लिए गांवों में मुनादी की जा रही है और इसके लिए इलाके के एसडीएम अपने मातहत अफसरों के साथ गांव-गां, खेत-खलिहानों की खाक छान रहे हैं. हैवेरा गांव के प्रधान नरेश यादव कहते हैं, 'गांव के लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वे टीका लगवाएं. कोई डरने की बात नहीं है. हम लोगों को समझा रहे हैं और उनके मन में टीकाकरण को लेकर जो भ्रम है, उसे दूर कर रहे हैं. '
भारत की 60% आबादी के पास इंटरनेट नहीं है, ऐप आधारित व्यवस्था से कैसे मिलेगी सबको वैक्सीन
केंद्र की दिशाहीन नीति से राज्य ग्लोबल टेंडर को मजबूर
Pfizer, Moderna जैसी कम्पनियों ने कहा कि वो वैक्सीन में केंद्र से डील करते हैं, राज्यों से नहीं
दिल्ली, 1 जून। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सरकार से सवाल पूछने वाले अभियान "जिम्मेदार कौन" के तहत वैक्सीन उत्पादन के बाद अब केंद्र सरकार की वैक्सीन वितरण नीति पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार भारत की मात्र 3% जनसंख्या का फुल वैक्सीनेशन कर पाई है, जोकि सुरक्षा कवच तैयार करने वाले वैक्सीनेशन टारगेट से बहुत पीछे है। उन्होंने कहा कि ये हैरान करने वाली बात है कि दूसरी लहर के कहर के समय जब मोदी सरकार को वैक्सीन वितरण की व्यवस्था की बागडोर और ज्यादा मजबूती से अपने हाथों में लेनी था, उस समय सरकार ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए वैक्सीन वितरण का दारोमदार राज्य सरकारों पर डाल दिया।
प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार ने अप्रैल तक लगभग 34 करोड़ वैक्सीनों का ऑर्डर ही दिया था। *अभी की गति के अनुसार मई में प्रतिदिन औसतन मात्र 19 लाख लोगों को वैक्सीन लग रही है। सरकार ने दिसंबर तक सबको वैक्सीन देने का दावा तो किया है, लेकिन इसके लिए प्रतिदिन 70-80 लाख वैक्सीन लगाने की कोई कार्ययोजना देश के लोगों के सामने नहीं रखी है*।
प्रियंका गांधी ने वैक्सीन के तीन अलग - अलग दामों पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि *जब वैक्सीन देशवासियों को ही लगनी है तो ये भेदभाव क्यों। क्यों एक देश और वैक्सीन के तीन अलग - अलग दाम*।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार की वैक्सीन वितरण की दिशाहीनता पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की दिशाहीन नीति के चलते कई राज्य वैक्सीनों के लिए ग्लोबल टेंडर निकालने को मजबूर हुए। आज Moderna, Pfizer जैसी कम्पनियों ने राज्यों से सीधे वैक्सीन की डील करने से मना कर दिया है और केंद्र से डील करने की बात कही है*। प्रियंका गांधी ने पूछा है कि आज आखिर क्यों ऐसी नौबत आई कि राज्य सरकारों को ग्लोबल टेंडर निकालकर आपस में ही प्रतिद्वंदिता करनी पड़ रही है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने केवल एप आधारित वैक्सीन वितरण प्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। *उन्होंने कहा कि भारत में 60% आबादी के पास इंटरनेट नहीं है। शहरी क्षेत्रों में भी लोगों को कोविन एप में रजिस्टर करके वैक्सीन के स्लॉट पाने में दिक्कत हो रही है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में और इंटरनेट से वंचित लोगों के लिए वैक्सीन के स्लॉट पाना तो बड़ा मुश्किल होगा। आखिर क्यों सरकार ने वैक्सीन वितरण नीति बनाते समय डिजिटल साक्षरता एवं इंटरनेट की अनुपलब्धता जैसे बिंदुओं को ध्यान में नहीं रखा।
प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार की वैक्सीन वितरण नीति एकदम ढुलमुल है। तमाम विशेषज्ञ लगातार आगाह करते रहे हैं कि कोरोना से निपटने के लिए ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन जरूरी है, लेकिन सरकार ने आज सबको वैक्सीन देने की योजना को गर्त में धकेल दिया है।