राष्ट्रीय
होशंगाबाद 15 जून | मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में एक रोचक मामला सामने आया है जहां बारात आने से पहले ही दुल्हन फरार हो गई। दूल्हे का परिवार थाने भी पहुंचा मगर शिकायत दर्ज नहीं कराई। वाकया वारासिवनी थाना क्षेत्र का है यहां के रामपुर से डोलरिया थाने के खोकसर बारात जा रही थी। बारात दुल्हन के घर पहुंचती इसके पहले दूल्हे के भाई के पास सूचना आई कि दुल्हन भाग गई है। दूल्हे के परिवार वालों से कहा गया कि वह बारात लेकर न आए।
दूल्हे का कहना है कि उसने शादी की तैयारी पूरी कर ली थी, मगर दुल्हन ने उसके साथ धोखा किया है। दूल्हे के परिवार वालों ने सिवनी मालवा के पुलिस अफसर को आपबीती सुनाई। (आईएएनएस)
दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों में तीन छात्र एक्टिविस्टों को जमानत पर रिहा करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने बिना सोचे समझे यूएपीए लगाने के खिलाफ पुलिस को और "असहमति को दबाने की बेताबी" को लेकर सरकार को चेताया है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
नताशा नारवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा तीनों छात्र एक्टिविस्ट हैं और अलग अलग मंचों के माध्यम से नागरिकता कानून के खिलाफ देश में चल रहे आंदोलन से जुड़े थे. दिल्ली पुलिस ने फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में अपनी जांच के दौरान इन तीनों पर दंगों के पीछे की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया था और उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. तीनों के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई थीं और आईपीसी की कई धाराओं के अलावा यूएपीए के तहत भी आरोप लगाए थे. यूएपीए का इस्तेमाल आतंकवादियों के खिलाफ किया जाता है.
तीनों की जमानत की अलग अलग अर्जियों को स्वीकार करते हुए जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और अनूप जयराम भंभाणी की पीठ ने कहा कि तीनों के खिलाफ प्रथम दृष्टि में यूएपीए लगाने का कोई आधार नहीं बनता है. लेकिन पीठ ने सिर्फ इतना ही नहीं कहा, बल्कि पूरे मामले के आधार बना कर विरोध करने के अधिकार, असहमति जताने के अधिकार और लोकतंत्र में पुलिस और शासन की भूमिका से जुड़ी कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं. अदालत ने कहा कि "विरोध करने का अधिकार गैर कानूनी नहीं है और वो यूएपीए के तहत 'आतंकवादी गतिविधि' की परिभाषा के तहत नहीं आता".
अदालत ने कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट में ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह साबित कर सके कि कोई 'आतंकवादी गतिविधि' हुई थी, या किसी आतंकवादी गतिविधि को अंजाम देने के लिए पैसे इकठ्ठा किए गए थे या किसी आतंकवादी गतिविधि की योजना बनाई गई थी. बल्कि अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए गए आरोप तथ्यात्मक आरोप ना हो कर अभियोजन पक्ष द्वारा निकाले गए निष्कर्ष हैं. पीठ ने यह भी कहा कि आतंकवाद तो छोड़िए, चार्जशीट हिंसा के आरोप भी साबित नहीं कर पा रही है.
यूएपीए का इस्तेमाल
पीठ ने विशेष रूप से बिना सोचे समझे यूएपीए जैसे सख्त कानून के इस्तेमाल को लेकर प्रश्न चिन्ह लगाए हैं. फैसले में स्पष्ट कहा गया है कि 'आतंकवादी गतिविधि' जैसे शब्दों का इस्तेमाल 'लापरवाही' से नहीं किया जा सकता. अदालत का मानना है कि जब गतिविधियां आईपीसी की धाराओं के तहत आती हों तो ऐसे में यूएपीए लगाने से ऐसा लगता है कि सरकार की एक एजेंसी "भेड़िया आया" चिल्ला रही है. अदालत ने कहा कि यूएपीए जैसे गंभीर प्रावधानों का अगर ऐसी लापरवाही से इस्तेमाल होगा तो ये प्रावधान महत्वहीन हो जाएंगे.
आसिफ तन्हा के मामले में जब सरकारी वकील ने कहा कि अभी 740 गवाहों का निरीक्षण और सुनवाई का शुरू होना बाकी है, तो अदालत ने पूछा कि क्या सरकार यह चाहती है कि अदालत तब तक इन्तजार करे जब तक तेज सुनवाई के अधिकार का पूरी तरह से हनन ना हो जाए? पीठ ने कहा कि उसे इस बात का एहसास है कि महामारी की वजह से सुनवाई की कार्यवाही रुकी हुई है, इसलिए इस बिनाह पर जमानत की याचिका खारिज नहीं की जा सकती. तनहा लगभग साल भर से जेल में हैं और इस दौरान महामारी की दो घातक लहरें भी आईं लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिली और ना ही उनके मामले पर सुनवाई शुरू हुई. यही हाल नताशा और देवांगना का भी है.
"आवाज दबाने की बेचैनी"
बल्कि नताशा के पिता और भाई को कोविड हो गया था. जब उनके पिता की हालत गंभीर हो गई तो उन्होंने उनसे मिलने के लिए जमानत की याचिका डाली लेकिन वो मंजूर नहीं हुई. बाद में उनके पिता के देहांत के बाद अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए उन्हें जमानत पर रिहा किया गया. वो कुछ ही दिनों पहले जेल में वापस लौट आई थीं.
विशेष रूप से उनकी जमानत की याचिका स्वीकार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को "असहमति की आवाजों को दबाने के लिए बेताब" बताया और कहा कि इस बेचैनी में "सरकार के जहन में विरोध के संवैधानिक अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच की रेखा धुंधली हो गई है." पीठ ने अंत में कहा कि अगर इस "मानसिकता को औरों ने भी अपना लिया तो वो लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन होगा." (dw.com)
राजस्थान से मवेशी खरीद कर ले जा रहे एक आदिवासी युवक को तथाकथित गौरक्षकों ने पीट पीट कर मार डाला. सवाल उठ रहे हैं कि कानून गौरक्षा के नाम पर हो रही हत्याओं के खिलाफ कुछ कर क्यों नहीं पा रहा है?
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
मध्य प्रदेश के रहने वाले 25 वर्षीय बाबू भील पर तथाकथित गौरक्षकों ने तब हमला कर दिया जब वो राजस्थान से तीन बैल खरीद कर वापस अपने घर ले जा रहा था. पुलिस के बयान के मुताबिक बाबू ने राजस्थान के चित्तौरगढ़ के एक गांव में वो बैल खरीदे थे. बाबू अपने दोस्त पिंटू भील के साथ उन बैलों को एक ट्रक में लाद कर वापस ले जा रहा था तभी आधी रात के आस पास कुछ लोगों ने उन्हें घेर लिया और बेरहमी से पीटना शुरू किया. वो उन दोनों युवकों को लगभग एक घंटे तक लाठियों से पीटते रहे और उसके बाद पुलिस के वहां पहुंचने पर वहां से भाग गए.
पुलिस ने दोनों को अस्पताल पहुंचाया लेकिन बाबू की इलाज के दौरान ही मृत्यु हो गई. 21 वर्षीय पिंटू गंभीर रूप से घायल है और अभी अस्पताल में ही भर्ती है. पुलिस का कहना है कि प्राथमिक जांच से संकेत मिले हैं कि बैलों को खेती में इस्तेमाल के लिए ही खरीदा गया था और दोनों युवकों पर हमला करने वाले गौरक्षक थे. पुलिस ने कम से कम 19 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और 10 लोगों को हिरासत में ले लिया है. पुलिस का कहना है कि दोनों युवकों के पास बैलों की खरीद के कागज भी थे लेकिन हमलावरों ने कागजों को फाड़ दिया और उनके मोबाइल फोन भी छीन लिए.
राजस्थान और देश के और भी कई राज्यों में गौ-रक्षकों द्वारा इस तरह के कई हमले हुए हैं. अप्रैल 2017 में राजस्थान के ही अलवर में पहलु खान को भी कुछ लोगों ने इसी तरह गौ तस्करी का आरोप लगा कर पीट पीट कर मार दिया था. लेकिन पूरा जुर्म कैमरे पर रिकॉर्ड होने के बावजूद खान के हमलावरों को आज तक सजा नहीं मिल पाई है. राजस्थान ने 2019 में इस तरह पीट पीट कर मार दिए जाने के खिलाफ अलग से एक कानून भी लाया गया, लेकिन उसके बावजूद ऐसी घटनाएं रुक नहीं रही हैं.
लंबित हैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश
इन हत्याओं के मामले में राजस्थान अकेला राज्य नहीं है. कुछ ही दिनों पहले असम के तिनसुकिया में भी इसी तरह कुछ लोगों ने एक 28 वर्षीय व्यक्ति को मवेशी चुराने के संदेह में पीट पीट कर मार दिया था. पुलिस ने नौ लोगों को गिरफ्तार किया है. इसके पहले पिछले कुछ सालों में झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर जैसे कई राज्यों में इस तरह की हत्याएं हो चुकी हैं. 2018 में एक्टिविस्ट तहसीन पूनावाला की याचिका पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को इन हत्याओं की रोकथाम करने के लिए कई दिशा-निर्देश दिए थे लेकिन अधिकतर राज्यों में ये अभी तक लागू नहीं हुए हैं.
इनमें इस तरह के मामलों पर तेज गति से अदालतों में सुनवाई, हर जिले में पुलिस के एक विशेष दस्ते का गठन, ज्यादा मामलों वाले इलाकों की पहचान, भीड़-हिंसा के खिलाफ रेडियो, टीवी और दूसरे मंचों पर जागरूकता कार्यक्रम जैसे कदम शामिल हैं. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने संसद से अपील भी की थी कि वो इस तरह की हिंसा के खिलाफ एक नया कानून ले कर आए, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक ऐसी कोई पहल नहीं की गई है.(dw.com)
नई दिल्ली, 15 जून : एक ओर जहां भारत के दक्षिणी, पश्चिमी, पूर्वी और पूर्वोत्तरी राज्यों में मॉनसून दस्तक दे चुका है, वहीं उत्तरी और उत्तरी पश्चिम राज्य अब भी मॉनसून के इंतजार में हैं. उत्तर के कुछ राज्यों में थोड़ी प्री-मॉनसून बारिश (Pre-Monsoon Rain) हुई है, लेकिन अब भी अधिकतर इलाकों में सूखा है. भारतीय मौसम विभाग ने मंगलवार को अनुमान जताया है कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजधानी के कई इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश के आसार हैं.
दिल्ली में प्री-मॉनसून बारिश भी नहीं
मौसम विभाग ने पहले सोमवार को दिल्ली में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के पहुंचने से पहले मध्यम दर्जे की बारिश होने का पूर्वानुमान जताया था, लेकिन बारिश नहीं हुई. राजधानी में आजकल अधिकतम तापमान 36-39 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 25-27 डिग्री सेल्सियस रह रहा है. मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में सुबह से धूप और बादल लुका-छुपी खेल रहे हैं. कभी-कभी हल्की हवा भी चल रही है. हालांकि, बारिश के आसार दोपहर तक नजर नहीं आ रहे हैं.
आईएमडी ने दिल्ली में मंगलवार को गरज के साथ बौछारें पड़ने का अनुमान व्यक्त किया है. आईएमडी ने कहा, 'अगले 48 घंटे के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून के मध्य प्रदेश के अधिकांश हिस्सों, पूर्वी उत्तर प्रदेश और दिल्ली के शेष हिस्सों, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों, हरियाणा और पंजाब में आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं.'
राजस्थान और हरियाणा सहित कई राज्यों में बारिश का अनुमान
विभाग ने बताया है कि पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में 15 जून और 16 जून को गरज के साथ बारिश होने की संभावना है. वहीं, इस दौरान जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, गिलगित बाल्टिस्तान और मुज़फ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, विदर्भ और छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में भारी बारिश हो सकती है.
मौसम विभाग ने एक ताजा ट्वीट में बताया है कि अगले दो घंटों में हरियाणा के रेवाड़ी, सिवानी, रोहतक, झज्जर, नरनौल, जींद, गोहना सहित कई इलाकों में गरज के साथ हल्की और मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है. वहीं 20 से 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल सकती है. इसके अलावा राजस्थान के कोटपूतली, महनदीपुर, बालाजी, राजगढ़ और नागर में बारिश हो सकती है.
उत्तर भारत के कई हिस्सों में करना पड़ सकता है मॉनसून का इंतजार
और सबसे बड़ी बात की मॉनसून को यहां पहुंचने में थोड़ी देरी हो सकती है. मौसम विभाग ने सोमवार को बताया था कि उत्तर भारत के कई हिस्सों को अभी मानसून के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि समीप आ रही पछुआ हवा की वजह से उसकी रफ्तार धीमी हो सकती है. विभाग ने इससे पहले पूर्वानुमान में कहा था कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के 15 जून तक राष्ट्रीय राजधानी पहुंचने की संभावना है.
विभाग ने कहा कि मॉनसून का उत्तरी छोर का प्रभाव दीव, सूरत, नंदुरबार, भोपाल, नौगोंग, हमीरपुर, बाराबंकी, बरेली, सहारनपुर, अंबाला और अमृतसर में बना हुआ है. उसने कहा, ‘‘ दक्षिण पश्चिम मानसून अब तक पूरे प्रायद्वीप (दक्षिणभारत) पूर्वी मध्य एवं पूर्वी एवं उत्तरपूर्वी भारत तथा उत्तरपश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में पहुंचा है. वहां बिना किसी रूकावट के सक्रिय मानसून परिसंचरण एवं निम्न दबाव का क्षेत्र सक्रिय है. लेकिन समीप आती मध्य अक्षांशीय पछुआ हवा के कारण उत्तर पश्चिम भारत के बाकी हिस्सों में मानसून धीमा होने की संभावना है.' (भाषा)
नई दिल्ली, 15 जून : सुप्रीम कोर्ट ने केरल के मछुआरों को वर्ष 2012 में मार डालने के मामले में आरोपी दो इतावली नौसैनिकों के खिलाफ भारत में चल रहे सभी आपराधिक मामलों को बंद करने का निर्देश दिया है. SC ने केरल के दो मछुआरों को 2012 में मार डालने के मामले में दोनों इतावली नौसैनिकों के खिलाफ दर्ज FIR रद्द की और कहा कि मामले की आगे की जांच इटली गणराज्य में की जाएगी और भारत, इटली और केरल को आपस में सहयोग करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इटली गणराज्य की ओर से दस करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की राशि को केरल हाईकोर्ट को ट्रांसफर किया जाना चाहिए. केरल सरकार ने कोर्ट को बताया कि केरल के दोनों मछुआरों के परिजनों के नाम पर चार-चार करोड़ रूपये जमा करवाए जाएंगे तथा बाकी के दो करोड़ रुपये नौका मालिक को दिए जाएंगे.
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एमआर शाह की अवकाशकालीन बेंच ने मामले में दो इतावली नौसैनिकों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और कार्यवाही रद्द कर दी है. बेंच ने कहा कि भारत द्वारा स्वीकृत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता समझौता (इंटरनेशनल आर्बिटल अवॉर्ड) के अनुरूप, केरल के दो मछुआरों की हत्या के मामले की आगे की जांच इटली गणराज्य में की जाएगी. SC ने कहा कि इटली गणराज्य की ओर से दस करोड़ रूपये की क्षतिपूर्ति दी गई है जो ‘‘उचित और पर्याप्त'' है. साथ ही कहा कि इस राशि में से, केरल के दोनों मछुआरों के वारिसों के नाम पर चार-चार करोड़ रु. जमा करवाए जाएं तथा बाकी के दो करोड़ रु. नौका मालिक को दिए जाएं.उल्लेखनीय है कि फरवरी 2012 में भारत ने आरोप लगाया था कि इटली के ध्वज वाले तेल टैंकर एमवी एनरिका लैक्सी पर सवार दो नौसैनिकों ने भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में मछली पकड़ रहे दो भारतीय मछुआरों को मार डाला.
गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल माह में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इटली मरीन मामले में सुनवाई बंद करने की मांग की थी. सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा था कि इस मामले में आदेश का पालन हो चुका है. मामला भारत और इटली के बीच बचा है, लिहाजा लंबित याचिका का निपटारा कर दिया जाए.सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा था कि अदालत के आदेश के मुताबिक पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जा चुका है. यह मामला केरल में इटली के मरीन द्वारा दो मछुआरों की हत्या का है. इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मामले की सुनवाई को बंद करने का अनुरोध किया था.केंद्र ने कहा था कि भारत ने UN Convention on the Law of the Sea (UNCLOS) के फैसले को मानने का फैसला किया है क्योंकि इसके बाद कोई अपील नहीं हो सकती और ये अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता नियमों के मुताबिक बाध्यकारी है लिहाजा अदालत इस मामले में लंबित सुनवाई को बंद कर दे. (भाषा)
पश्चिम बंगाल में चुनाव नतीजों के करीब डेढ़ महीने बाद अब पूर्व मेदिनीपुर जिले की कुछ महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर टीएमसी कार्यकर्ताओं पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया है.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट
पश्चिम बंगाल में पहले विधानसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और सत्ता की दावेदार के तौर पर उभरी बीजेपी के आक्रामक अभियान ने सुर्खियां बटोरी थीं. चुनाव नतीजों के बाद राज्य के विभिन्न इलाकों में शुरू हुई हिंसा का मुद्दा सुर्खियों में रहा था. अब यह हिंसा तो काफी हद तक थम गई है लेकिन राज्य की कुछ महिलाओं की ओर से टीएमसी कार्यकर्ताओं पर सामूहिक बलात्कार के आरोप में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद बंगाल एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है.
इन महिलाओं ने विधानसभा चुनाव के बाद टीएमसी कार्यकर्ताओं की ओर से जारी हिंसा के दौरान अपने साथ सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया है. उन्होंने इस मामले की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की मांग की है. इससे पहले बीते महीने भी बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं के परिजनों ने चुनाव बाद की हिंसा के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी. अदालत ने उस पर राज्य सरकार से भी रिपोर्ट मांगी थी. अब ताजा मामले में पीड़िताओं ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने ऐसे मामलों में या तो शिकायत दर्ज ही नहीं की या फिर हल्की धाराओं में दर्ज की है.
नाती के सामने बलात्कार
इन महिलाओं में शामिल पूर्व मेदिनीपुर जिले की खेजुरी विधानसभा क्षेत्र की एक 60 वर्षीय महिला ने याचिका में कहा है कि चुनाव के नतीजे आने के बाद टीएमसी के पांच कार्यकर्ता चार मई की रात को जबरन उनके घर में घुस गए और उनके छह साल के नाती के सामने सामूहिक बलात्कार किया. महिला के अनुसार 4 और 5 मई के बीच देर रात हुई इस घटना में उन्होंने घर की सभी कीमती चीजें भी लूट लीं. महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि पड़ोसियों ने अगले दिन बेहोशी की हालत में पाकर उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया. महिला के मुताबिक पुलिस ने इस मामले की शिकायत दर्ज करने से भी इंकार कर दिया.
महिला का कहना है कि खेजुरी विधानसभा सीट पर बीजेपी की जीत के बावजूद सौ से ज्यादा टीएमसी कार्यकर्ताओं की भीड़ ने तीन मई को उनके घर को घेर लिया था और घर को बम से उड़ाने की धमकी भी दी थी. इस घटना के बाद उनकी बहू ने अगले दिन ही घर छोड़ दिया था.
नाबालिग लड़की का भी आरोप
इसके अलावा अनुसूचित जनजाति की एक 17 साल की नाबालिग लड़की ने भी इसी आरोप में शीर्ष अदालत की शरण ली है. उसने अपनी याचिका में कहा है कि बीती नौ तारीख को टीएमसी के लोगों ने उसके साथ बलात्कार कर उसे जंगल में फेंक दिया था. उसके बाद अगले दिन टीएमसी के नेताओं ने पुलिस में इस घटना की शिकायत की स्थिति में पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी थी. उस युवती ने भी इस घटना की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की अपील की है.
इससे पहले 18 मई को भी सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग वाली एक याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया था. चुनाव के बाद हुई हिंसा में बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं की हत्या के आरोप में उनके परिजनों की ओर से याचिका दाखिल की गई थी. इसमें एक महिला ने आरोप लगाया था कि टीएमसी ने लोगों ने उसकी आंखों के सामने कुल्हाड़ी से पति की हत्या कर दी थी.
सरकार को बदनाम करने के लिए?
इस बीच राज्य में चुनाव बाद की हिंसा पर टीएमसी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप लगातार तेज हो रहा है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष का आरोप है कि चुनाव बाद हुई हिंसा में पार्टी के कम से कम 38 लोगों की हत्या की जा चुकी है और दर्जनों महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया है. उनका आरोप है कि अब भी पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता टीएमसी के आतंक की वजह से घर छोड़ कर दूसरी जगहों पर रह रहे हैं.
लेकिन टीएमसी ने इन आरोपों को निराधार बताया है. पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष कहते हैं, "बीजेपी अपनी चुनावी हार पचा नहीं पा रही है. इसलिए वह सरकार को बदनाम करने के लिए ऐसे निराधार आरोप लगा रही है. चुनावी नतीजों के बाद उसी ने फर्जी वीडियो और तस्वीरों के सहारे दंगे भड़काने का प्रयास किया था."
राजनीतिक पर्यवेक्षक प्रोफेसर समीरन पाल कहते हैं, "हिंसा और रेप के मामलों में कितनी सच्चाई है, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा. लेकिन यह तय है कि बीजेपी यहां राज्य सरकार और टीएमसी को कठघरे में खड़ा करने का कोई भी मौका नहीं चूक रही है. राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर लगातार सरकार को घेरते रहे हैं." (dw.com)
उत्तर प्रदेश में शराब माफिया से खतरे के बारे में पुलिस को आगाह करने के अगले ही दिन एक पत्रकार की संदिग्ध हालात में मौत हो गई. पत्रकार की पत्नी ने शिकायत की है कि शराब माफिया से जुड़े लोगों ने ही उनकी हत्या करवाई है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
सुलभ श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में एक राष्ट्रीय टीवी चैनल के लिए काम करते थे. उन्होंने 12 जून को ही पुलिस विभाग को एक चिट्ठी लिख कर कहा था कि उन्हें शराब माफिया द्वारा उन पर और उनके परिवार के सदस्यों पर हमले का अंदेशा है. उन्होंने प्रयागराज जोन के अपर पुलिस महानिदेशक से उनके और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए आदेश देने की अपील भी की थी.
लेकिन अगले ही दिन एक हादसे में उनकी मौत हो गई. पुलिस के बयान के मुताबिक सुलभ मोटरसाइकिल से गिर कर घायल हो गए थे और जब तक उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया तब तक उनकी मृत्यु हो चुकी थी. हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि उनकी पत्नी की शिकायत और विपक्षी पार्टियों की आलोचना के बाद प्रतापगढ़ पुलिस ने अब जा कर मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है.
उत्तर प्रदेश में अवैध शराब का व्यापार काफी बड़ा है. हाल ही में अलीगढ़ में अवैध देशी शराब पीने के बाद 35 लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस को संदेह है कि इलाके में हुई कम से कम 71 और मौतों की वजह भी अवैध शराब ही है, लेकिन इन मौतों की अभी छानबीन चल ही रही है. इसके पहले जनवरी 2021 से ही बुलंदशहर, महोबा, प्रयागराज, फतेहपुर, चित्रकूट, प्रतापगढ़, अयोध्या, हाथरस, आजमगढ़, अंबेडकरनगर आदि जैसे इलाकों से भी अवैध शराब पीकर कई लोगों के मारे जाने की खबरें आ रही थीं.
पत्रकारों पर खतरे
प्रतापगढ़ में इन मौतों के सामने आने के बाद स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने शराब माफिया के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी थी और सुलभ पुलिस के इसी अभियान पर रिपोर्ट कर रहे थे. गौर करने लायक बात है कि सुलभ ने अपनी रिपोर्टों में यह भी कहा था कि पुलिस भी शराब माफिया की जांच ठीक से नहीं कर रही है और किसी को बचाने की कोशिश कर रही है.
सुलभ की हत्या के बाद एक बार फिर भारत में, और विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में, पत्रकारों के रास्ते में आने वाले बढ़ते जोखिमों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. पिछले छह महीनों में उत्तर प्रदेश में कई पत्रकारों की हत्या हो चुकी है. पत्रकार एक तरफ अपराधियों के हमलों का शिकार हो रहे हैं तो दूसरी तरफ प्रशासन द्वारा लगाए जा रहे तरह तरह के अंकुशों का भी सामना कर रहे हैं.
पिछले साल हाथरस में हुए सामूहिक बलात्कार के मामले पर रिपोर्ट करने जा रहे एक मलयालम पत्रिका के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और बाद में उनके खिलाफ यूएपीए के तहत आरोप लगा दिए गए थे. वो अभी भी जेल में ही हैं और उनकी पत्नी का दावा है कि उनकी जान को खतरा है. इस तरह कई पत्रकार उत्तर प्रदेश और कई राज्यों में सरकार के हाथों यातना झेल रहे हैं.
इंटरनेट पर भी मीडिया पर अंकुश
इंटरनेट और सोशल मीडिया पर भी पत्रकारों की आवाज को दबाने की कोशिश चल रही है. हाल ही में ट्विटर ने कार्टूनिस्ट मंजुल और कई पत्रकारों को पत्र लिख कर बताया कि कंपनी को उनके खिलाफ सरकार से शिकायतें मिली हैं और उनके खातों के खिलाफ कदम उठाने को कहा गया है. इसके बाद मंजुल के कार्टून जिस वेबसाइट पर छप रहे थे उसने उनके साथ अपना अनुबंध खत्म कर लिया. मुंबई प्रेस क्लब जैसे मीडिया संगठनों ने इसकी निंदा की है.
इसके बावजूद पत्रकारों पर दबाव कम नहीं हो रहे हैं. अंतर्राष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने अपने 2021 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत को उन देशों की सूची में रखा जो पत्रकारिता के लिए "बुरे" हैं और पत्रकारों के लिए दुनिया में सबसे खतरनाक स्थानों में से हैं. 180 देशों के इस सूचकांक में भारत को लगातार दूसरे साल 142वें स्थान पर रखा गया. पड़ोसी देशों में से नेपाल का स्थान था 106 और श्रीलंका का 127. (dw.com)
लखनऊ, 14 जून| उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में कुल आठ प्रस्तावों पर मुहर लगी है। अयोध्या में 400 करोड़ की लागत से बस स्टैंड के निर्माण कार्य और लखनऊ में गोमती नदी को साफ-सुथरा रखने के लिए 297 करोड़ की लागत से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण को मंजूरी मिली है। अयोध्या में पीपीपी मोड पर 400 करोड़ की लागत से बस स्टैंड का निर्माण कराया जाएगा। इंटर स्टेट टर्मिनल इस बस स्टैंड पर आने वाले लोगों को जाम से बचाने के लिए एक करीब डेढ़ किलोमीटर का फ्लाईओवर भी बनेगा। अयोध्या में सुल्तानपुर मार्ग नए एयरपोर्ट को जोड़ता है। इस पर ट्रैफिक जाम से बचने के लिए यहां फोर लेन फ्लाईओवर को भी मंजूरी मिली है। यहां पर बनने वाले बस अड्डे के लिए जमीन की अड़चन दूर करने के लिए संस्कृति विभाग अपनी नौ एकड़ जमीन परिवहन विभाग को देगा। अयोध्या के अलावा बुलंदशहर के अनूपशहर में भी एक बस स्टैंड बनाने की मंजूरी दी गई है।
लखनऊ में गोमती नदी को स्वच्छ करने के अभियान के तहत दो एसटीपी का निर्माण होगा। लखनऊ में हैदर केनाल पर 120 एमलडी का एसटीपी बनाने के लिए 125 करोड़ राज्य सरकार देगी। बाकी राशि केंद्र से मिलेगी। इससे गोमती में सीवेज नहीं मिलेगा। इसके साथ ही 1090 चौराहे के पास भी एक एसटीपी बनेगा।
अब पर्यटन के विकास के लिए काम करने पर प्राधिकरण को किसी से अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी। प्रयागराज, आगरा, बनारस, आदि जिलों में प्राधिकरण पयर्टन का काम करा सकेंगे। पहले विकास प्राधिकरण के रिपेयर या मेंटनेंस के काम के लिए भी शासन से अनुमति लेनी पड़ती थी।
बुलंदशहर के अनूपशहर में बस स्टेशन के निर्माण के लिए भूमि मंत्रिपरिषद ने बुलंदशहर को अनूपशहर में बस स्टेशन के निर्माण निशुल्क भूमि दी है। बस स्टेशन निर्माण के बाद अनूपशहर-कौशाम्बी-गाजियाबाद, अनूपशहर-कौशाम्बी-दिल्ली, अनूपशहर-मेरठ-हरिद्वार, अनूपशहर-अलीगढ़, बुलंदशहर-अनूपशहर-सम्भल-हल्द्वानी,अनूपशहर-बरेलीतथा अनूपशहर-बदायूं मार्गों पर बसों का संचालन और सुदृढ़ होगा। इससे परिवहन निगम को अधिक राजस्व की प्राप्ति होगी।
प्रयागराज में जीटी रोड से एयरपोर्ट रोड निकट सूबेदारगंज रेलवे स्टेशन पर चार लेन रेल उपरिगामी सेतु एवं जीटी रोड जंक्शन पर चैफटका से कानपुर की तरफ दो लेन फ्लाईओवर सेतु के निर्माण कार्य की व्यय-वित्त समिति द्वारा अनुमोदित लागत 28421.46 लाख रुपये के व्यय के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
कैबिनेट मीटिंग के बाद मंत्रिपरिषद की बैठक में पंचायत चुनाव व कोरोना काल में मंत्रियों के कामों को लेकर भी चर्चा की गई। मंत्रियों को अपने प्रभार वाले जिले और अपने विधानसभा क्षेत्र वाले जिलों का दौरा करने को कहा गया है। इनको वहां पर एक दिन प्रवास करने के साथ ही किसी भी सीएचसी या पीएचसी का भी दौरा कर उसके हालात की रिपोर्ट शासन को देनी होगी। (आईएएनएस)
मुंबई, 14 जून| एक चौंकाने वाली घटना में मुंबई पुलिस के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने अपने दो युवा बेटों को कथित तौर पर गोली मार दी। दोनों युवा घायल हैं लेकिन एक की हालत नाजुक बताई जा रही है। नवी मुंबई पुलिस ने सोमवार को यहां बताया कि बड़े बेटे की हालत 'गंभीर' बताई जा रही है। यह घटना ऐरोली की है।
पुलिस के अनुसार पूर्व पुलिस अधिकारी, जिसकी पहचान भगवान पाटिल के रूप में हुई है, ने अपने दो बेटों, विजय और सुजय पर गोलियां चला दीं।
तीन गोलियां खाने वाले बड़े बेटे विजय पाटिल की हालत नाजुक बताई जा रही है। उसका इलाज ऐरोली उपनगर के इंद्रावती अस्पताल में चल रहा है। उसका छोटा भाई सुजय को पेट मे गोली लगी है और वह खतरे से बाहर है।
नवी मुंबई पुलिस ने पाटिल को हिरासत में लिया है और उसका हथियार जब्त कर लिया है। पाटिल ने अपने बेटों को गोली क्यों मारी, इसका मकसद अभी स्पष्ट नहीं है। एक अधिकारी ने कहा कि आगे की जांच जारी है। (आईएएनएस)
अगरतला, 15 जून| पश्चिमी त्रिपुरा में चार किशोरियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में आठ युवकों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने बताया कि इन युवकों की गिरफ्तारी मामला दर्ज होने के छह घंटे के भीतर की गई।
पुलिस के मुताबिक, चारों लड़कियों को जानने वाले आरोपियों ने शनिवार शाम को उन्हें जॉय राइड (मौज मस्ती भरी सैर) पर बुलाया था। लड़कियों को रानीबाजार इलाके में रबर के एक बागान में ले जाया गया और वहां कथित तौर पर उनके साथ दुष्कर्म किया गया।
आठ आरोपियों के घटनास्थल से जाने के बाद पीड़ित किशोरियों ने घर लौटने के लिए एक ऑटो रिक्शा किराए पर लिया और घर पहुंचकर घरवालों को आपबीती सुनाई।
पीड़िताओं के परिवारों द्वारा रविवार को मामला दर्ज करने के बाद बड़े पैमाने पर तलाशी शुरू की गई और सभी आरोपियों को कुछ ही घंटों के भीतर पकड़ लिया गया।
सोमवार को उनकी स्थानीय अदालत में पेशी हुई। अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 15 जून | कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने सोमवार को गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रहने वाले उन सभी परिवारों के लिए 1 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की, जिन्होंने कोविड -19 के कारण कमाई करने वाले वयस्क सदस्यों को खो दिया है। येदियुरप्पा ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी। येदियुप्पा ने कहा कि महामारी के कारण राज्य में कई परिवार संकट में हैं। उन्होंने कहा, इसे ध्यान में रखते हुए, हमने अपने वयस्क सदस्यों को खोने वाले प्रत्येक बीपीएल परिवार को एक लाख रुपये देने का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पैकेज का लाभ लगभग 25,000 से 30,000 परिवारों तक पहुंचेगा और इस पहल से राज्य के खजाने पर 250 करोड़ रुपये से 300 करोड़ रुपये खर्च होंगे।(आईएएनएस)
रांची, 14 जून | झारखंड के औद्योगिक शहर धनबाद में सोमवार को एक सनसनीखेज घटना सामने आई। यहां एक 21 वर्षीय युवक ने अपनी मां, सौतेले पिता और सौतेले भाई की हत्या करने के बाद आत्महत्या कर ली। घटना धनबाद जिले के धनसर थाना क्षेत्र के गांधीनगर इलाके की है। एक घर से पड़ोसियों ने खून निकलता देख पुलिस को सूचना दी। इसके बाद चार शव बरामद किए गए।
पुलिस को संदेह है कि 21 वर्षीय राहुल ने अपने सौतेले पिता मुन्ना यादव उर्फ बीरेंद्र यादव, 38 वर्षीय मां मीना देवी और 14 वर्षीय सौतेले भाई रोहित यादव की हत्या कर दी। और फिर आत्महत्या कर ली।
पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि रोहित अपनी मां की दूसरी शादी से नाखुश था। पहले पति रोहित के पिता की मृत्यु के बाद 15 साल पहले उनकी मां ने मुन्ना यादव से शादी की थी।
पुलिस ने कहा कि प्रथम ²ष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि रोहित ने अपने सौतेले पिता, सौतेले भाई और मां पर धारदार हथियार से वार किया और बाद में खुद का गला काटकर आत्महत्या कर ली।
पुलिस ने रोहित के हाथ से चाकू बरामद किया है। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 जून | केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसकी प्रमुख वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) योजना खाद्य सुरक्षा को पोर्टेबल बनाती है और इसका मुख्य उद्देश्य प्रवासी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लाभार्थियों को पोर्टेबिलिटी के माध्यम से देश में किसी भी ईपीओएस सक्षम उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस) से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) तक पहुंचने में सक्षम बनाना है। केंद्र ने प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं और दुखों से जुड़े स्वत: संज्ञान मामले में अपने लिखित हलफनामे में कहा, ओएनओआरसी योजना का उद्देश्य सभी एनएफएसए प्रवासी लाभार्थियों को बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ अपने समान/मौजूदा राशन कार्ड का उपयोग करके देश में कहीं भी अपनी पसंद के किसी भी फेयर प्राइस शॉप (एफपीएस) से अपने पीडीएस/एनएफएसए खाद्यान्न तक पहुंचने के लिए सशक्त बनाना है। संक्षेप में कहा जाए तो ओएनओआरसी खाद्य सुरक्षा को पोर्टेबल बनाता है।
केंद्र ने प्रस्तुत किया कि, देश में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के तहत चल रहे प्रौद्योगिकी संचालित सुधारों के हिस्से के रूप में, उसने एनएफएसए के तहत राशन काडरें की राष्ट्रव्यापी पोर्टेबिलिटी के लिए ओएनओआरसी योजना पेश की थी। केंद्र ने कहा, यह प्रस्तुत किया जाता है कि पोर्टेबिलिटी वह विकल्प देती है, साथ ही साथ परिवार को शेष पात्र राशन लेने में सक्षम बनाती है।
केंद्र ने दावा किया कि उसने उन सभी लाभार्थियों के लिए खाद्यान्न की योजना का विस्तार किया है, जो एनएफएसए के तहत कवर नहीं हैं और जिन्हें राज्य सरकारों द्वारा अपनी योजना के तहत 5 किलो प्रति व्यक्ति प्रति माह के लिए राशन कार्ड जारी किए गए हैं।
केंद्र ने प्रस्तुत किया कि महामारी के दौरान अतिरिक्त खाद्य सुरक्षा उपाय प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई-3) के तीसरे चरण के तहत उपलब्ध कराए गए हैं, जिसके माध्यम से सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को मुफ्त में केंद्रीय पूल से सभी एएवाई और पीएचएच लाभार्थियों को दो महीने यानी मई और जून 2021 के लिए 5 किलो/व्यक्ति/माह लागत पर खाद्यान्न का आवंटन किया जा रहा है।
केंद्र ने प्रस्तुत किया कि यह योजना 80 करोड़ लाभार्थियों को कवर करती है और एनएफएसए, 2013 के अनुसार उनके सामान्य टीपीडीएस आवंटन के अलावा सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए उपलब्ध है। नवंबर, 2021 तक इसके पांच महीने के विस्तार की भी घोषणा की गई है।
केंद्र ने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत सरकार वर्तमान संकट के दौरान खाद्य सुरक्षा की कठिनाई से निपटने के लिए उपरोक्त योजनाओं के तहत राज्यों को अत्यधिक रियायती कीमतों पर पर्याप्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है, हालांकि पहचान और वितरण की जिम्मेदारी लाभार्थी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की है।
केंद्र और राज्य सरकारों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।(आईएएनएस)
चेन्नई, 14 जून | अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम को सोमवार को अन्नाद्रमुक विधायक दल का उपनेता चुना गया। इसके बाद उनका राज्य विधानसभा में विपक्ष का उपनेता बनना तय हो गया है। पूर्व मंत्री एसपी वेलुमोनी को मुख्य सचेतक (व्हिप) चुना गया। ये सारी नियुक्तियां अन्नाद्रमुक मुख्यालय में हुई पार्टी की बैठक में की गईं। यह बैठक तीन घंटे तक चली।
अन्नाद्रमुक विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम ने एक संयुक्त बयान में कहा कि पार्टी विधायक पदों के लिए चुनाव सर्वसम्मति से हुए हैं।
अरकोणम के विधायक एस. रवि को उप सचेतक के रूप में चुना गया और पूर्व मंत्री कदंबूर सी. राजू अन्नाद्रमुक विधायक दल के कोषाध्यक्ष होंगे।(आईएएनएस)
चेन्नई, 14 जून | लोकप्रिय सोशल मीडिया कमेंटेटर और अन्नाद्रमुक और भाजपा के समर्थक किशोर के स्वामी पर चेन्नई सिटी पुलिस ने द्रमुक नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्रियों सी.एन. अन्नादुरई और एम. करुणानिधि के बारे में गलत कॉन्टेंट प्रसारित करने आरोप लगाया गया है। साथ ही मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बारे में भी सोशल मीडिया पर गलत कंटेंट प्रसारित करने के लिए किशोर को गिरफ्तार किया गया है। सोशल मीडिया पर मुख्य रूप से ट्विटर पर महिला पत्रकारों के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने के लिए उन्हें पहले दो बार गिरफ्तार किया गया था। सोशल मीडिया एक्टिविस्ट को उनकी पिछली दो गिरफ्तारियों के दौरान तुरंत रिहा कर दिया गया था।
किशोर के स्वामी को शंकर नगर पुलिस ने सोमवार को कांचीपुरम जिले के आईटी प्रभारी रविचंद्रन की शिकायत के बाद गिरफ्तार किया गया, जो 10 जून को दर्ज की गई थी। शिकायतकर्ता ने पुलिस के समक्ष अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि सोशल मीडिया कार्यकर्ता ने पूर्व मुख्यमंत्रियों और तमिलनाडु के अत्यधिक सम्मानित नेताओं, स्वर्गीय सी एन अन्नादुरई और एम. करुणानिधि के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि वर्तमान मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के लिए भी अपमानजनक कंटेंट प्रसारित किया गया है।
चेन्नई पुलिस के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि किशोर के स्वामी को आईपीसी की धारा 153, 505 (1) (बी) और धारा 505 (1) (सी) के तहत गिरफ्तार किया गया है।
उसे एक मजिस्ट्रेट के आवास में पेश किया गया और उसने किशोर के स्वामी को 28 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वह चेंगलपेट्टू उप जेल में बंद है।(आईएएनएस)
अयोध्या में जमीन का एक टुकड़ा दो करोड़ रुपयों में बिका और दस मिनट बाद राम मंदिर ट्रस्ट ने उसे 18.5 करोड़ में खरीद लिया. ट्रस्ट और उसके सचिव चंपत राय पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं.
डॉयचे वैले पर चारु चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
उत्तर प्रदेश में विपक्षी पार्टियों आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाए हैं कि कुछ जमीन व्यापारियों ने जमीन के उस टुकड़े को दो करोड़ में खरीदा और फिर 18.5 करोड़ रुपयों में ट्रस्ट को बेच दिया. इतना ही नहीं दोनों सौदों के मुद्रांक शुल्क यानी स्टैम्प ड्यूटी कागजों पर ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय का नाम बतौर गवाह लिखा हुआ है.
आरोप लगाने वाले पवन पांडेय समाजवादी पार्टी के नेता, अयोध्या के पूर्व विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री हैं. ऐसे ही आरोप आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सदस्य संजय सिंह ने भी लगाए हैं और पूरे मामले में सीबीआई जांच की मांग की है. पवन पांडेय ने यहां तक कहा है कि ट्रस्ट ने राम मंदिर के निर्माण के लिए अयोध्या में जितनी जमीन खरीदी है उन सभी सौदों की जांच की जाए.
मामले पर ट्रस्ट का बचाव करते हुए ट्रस्ट के सचिव और विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय ने किसी भी घोटाले से इनकार किया है. उन्होंने कहा है कि जमीन के इस टुकड़े की खरीद का जो पहला सौदा है उसका मूल्य 2019 में राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले के दामों पर तय हुआ था. राय का दावा है कि फैसला आने के बाद से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अयोध्या में काफी जमीन खरीदे जाने की वजह से वहां जमीन के दाम बढ़ गए. इसलिए जब ट्रस्ट ने उस जमीन को खरीदा तो उसे ज्यादा मूल्य देना पड़ा.
लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि दाम में 10 मिनट में 16 करोड़ की बढ़ोतरी कैसे हो सकती है? संजय सिंह ने यह भी आरोप लगाया है कि उस जमीन के पुराने दामों पर हुए करार को लेकर चंपत राय जो दावे कर रहे हैं वो झूठे हैं.
पूरे मामले में दोनों गवाहों की भूमिका भी संदेह के दायरे में है. इनमें से ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा आरएसएस के प्रांत कार्यवाह हैं और अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय भाजपा के स्थानीय नेता हैं. अनिल मिश्रा ने मामले पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है, बल्कि जब पत्रकारों ने उनकी प्रतिक्रिया मांगी तो वो बिना जवाब दिए वहां से चले गए. महापौर उपाध्याय ने कहा है कि बतौर महापौर वो मंदिर से संबंधित सभी जमीनी सौदों के गवाह हैं.
लेकिन इसके बावजूद भ्रष्टाचार का आरोप तूल पकड़ता जा रहा है. कांग्रेस पार्टी ने भी राम मंदिर के नाम पर घोटाले के आरोप लगाए हैं और मामले में जांच की मांग की है. देखना होगा कि मामले में राज्य सरकार या केंद्र सरकार किसी जांच के आदेश देती है या नहीं. (dw.com)
आगरा, 14 जून | पांच साल के शिवा को बोरवेल में गिरने के करीब साढ़े आठ घंटे बाद आखिरकार बचा लिया गया। बताया जा रहा है कि बच्चा स्वस्थ और होश में है और उसे मेडिकल जांच के लिए अस्पताल भेज दिया गया है।
एसडीआरएफ की टीम ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
घटना आगरा ग्रामीण के फतेहाबाद के निबोहरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत सुबह करीब साढ़े आठ बजे हुई।
एक ग्रामीण ने बचाव अभियान के दौरान कहा कि हमने बोरवेल में एक रस्सी डाली थी जिसे बच्चे ने उसे पकड़ा था और वह हमारे सवालों का जवाब दे रहा था।
अनुमंडल दंडाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि शिव को ऑक्सीजन भी उपलब्ध कराई जा रही है।
जिला प्रशासन, पुलिस और चिकित्सा दल मौके पर मौजूद थे,साथ ही वहां भारी भीड़ जमा थी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 14 जून : भारत के अधिकतर राज्यों में मॉनूसन दस्तक दे चुका है. हालांकि, उत्तर और उत्तर पश्चिमी कुछ राज्यों को अब भी मॉनसून के पहुंचने का इंतजार है. सोमवार को भारतीय मौसम विभाग (India Met Dept) ने अनुमान जताया है कि आने वाले दिनों में उत्तर पश्चिमी भारत के राज्यों के कुछ हिस्सों में मॉनसून की रफ्तार धीमी हो सकती है. विभाग ने बताया कि दक्षिण पश्चिमी मॉनसून अब पूरे प्रायद्वीपीय क्षेत्र, पूर्व मध्य और पूर्व और उत्तरपूर्वी भारत और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ा है. इसमें मॉनसून में सक्रिय गतिविधि और बिना किसी अंतराल के कम दबाव वाला क्षेत्र बनने के साथ गति आई है.
हालांकि, मध्य अक्षांशीय पश्चिमी हवाओं के आने के कारण उत्तर पश्चिम भारत के शेष हिस्सों में मॉनसून की गति धीमी होने की संभावना है. विभाग ने कहा कि वो विभाग की गति पर नजर रख रहा है.
दिल्ली में बारिश के आसार
राजधानी में भी मॉनसून के पहले में कुछ दिन बाकी हैं, इसके पहले मौसम विभाग ने सोमवार को यहां बारिश की संभावना जताई है. विभाग ने सोमवार की सुबह बताया कि दिल्ली में दक्षिण-पश्चिम मानसून के पहुंचने से पहले शहर में सोमवार को मध्यम बारिश और 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने का पूर्वानुमान है. इसके अलावा कई पड़ोसी राज्यों में भी बारिश के आसार हैं.
आईएमडी ने कहा, ‘मध्य प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में, पूर्वी उत्तर प्रदेश, दिल्ली के शेष भाग और दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा तथा पंजाब के कुछ और हिस्से में अगले 48 घंटे में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं.'
चार दिन बाद पूरे पूर्वोत्तर भारत में पहुंचा मॉनसून
पिछले हफ्ते ही पूर्वोत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में मॉनसूनी बारिश दर्ज हुई थी. मौसम विभाग ने रविवार को बताया था कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य तिथि से चार दिन बाद पूरे पूर्वोत्तर भारत में पहुंच गया है. दक्षिण पश्चिम मॉनसून ने दो दिन की देरी से तीन जून को केरल में दस्तक दी थी. तीन दिन के दौरान यह पूरे केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के हिस्सों में पहुंच गया था.
पिछले हफ्ते महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के कई अधिकतर हिस्सों में बारिश दर्ज हुई थी.(भाषा)
दिल्ली के मदनपुर खादर इलाके में रोहिंग्या शरणार्थियों के एक शिविर में आग लगने से 56 झोपड़ियां जलकर खाक हो गईं. 2018 में पास के ही एक कैंप में लगी थी तब कई लोग इस शिविर में आ गए थे.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट
दक्षिणपूर्व दिल्ली के कालिंदी कुंज मेट्रो स्टेशन के पास रोहिंग्या शरणार्थियों के एक शिविर में आग लग जाने से 56 झोपड़ियां जलकर खाक हो गईं. आग की वजह से करीब 270 लोग बेघर हो गए हैं. दिल्ली पुलिस उपायुक्त (दक्षिणपूर्व) आर पी मीणा के मुताबिक, "56 झोंपड़ियां जलकर खाक हो गईं, जिनमें करीब 270 रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे थे. अभी यह पता नहीं लग पाया है कि आग क्यों लगी और उचित कानूनी कार्रवाई की जा रही है." हालांकि आग से किसी की मौत नहीं हुई है.
दमकल विभाग को आग की सूचना शनिवार देर रात मिली, जिसके बाद दमकल विभाग की पांच गाड़ियां मौके पर पहुंची और तड़के तीन बजे तक आग पर काबू पा लिया गया. लेकिन कई परिवार आग की वजह से बेघर हो गए हैं. अग्निशमन विभाग के मुताबिक आग एक घर में शॉर्ट सर्किट या मुख्य लाइन में चिंगारी की वजह से लगी, जिसके बाद सिलेंडर फटने से आग तेजी से फैल गई.
कई परिवारों के पास जरूरी सामान नहीं है और उन्हें एनजीओ की ओर से मदद की जा रही है. अगले दिन पीड़ित परिवार खाक हुईं झुग्गियों से बचे हुए सामान तलाशते नजर आए. महिलाएं और बच्चे पास में ही टेंट में दिन बताने को मजबूर हैं. कुछ गैर-लाभकारी संगठनों ने परिवारों को साबुन, सैनिटरी पैड, चप्पल और अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराई हैं.
कोरोना महामारी में मुसीबत
शिविरों में रहने वाले लोगों के लिए आग एक नई मुसीबत बनकर टूटी. महामारी की वजह से कई पुरुष सदस्यों के पास काम नहीं है और वे किसी तरह से अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं. कई लोगों ने बताया कि आग के कारण वे जरूरी दस्तावेज और पैसे तक नहीं बचा पाए. उनका कहना है कि उन्होंने सबसे पहले अपनी जान बचाने की कोशिश की.
साल 2018 में इसी शिविर के पास आग लग गई थी. तब कई परिवार नए शिविर में जा बसे थे लेकिन शनिवार की आग ने उन्हें एक बार फिर से बेघर कर दिया है. (dw.com)
ग्वालियर, 14 जून | मध्य प्रदेश के ग्वालियर में उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर अमृत योजना के तहत बनाए जा रहे चैम्बर का निरीक्षण कर रहे थे तभी भ्रष्टाचार की पोल खुल गई। उर्जा मंत्री ने जिस दीवार पर पैर रखा तो वह ढह गई। मौके पर ही मंत्री ने निर्माण कार्य की जांच के आदेश दिए है।
मिली जानकारी के अनुसार, ग्वालियर के मानसिक आरोग्यशाला के पास रविवार को अमृत योजना के तहत चैंबर बनाया जा रहा है । रविवार को उर्जा मंत्री इस क्षेत्र से गुजर रहे थे तो उन्होंने अपनी गाड़ी रोक दी। मंत्री तोमर ने कार्य की गुणवत्ता चेक करने के लिए चैंबर की दीवार को जैसे ही पैर रखकर हिलाया तो वह दीवार ढह गई। मंत्री भी गिरते गिरते बचे। मंत्री ने इस पर सख्त नाराजगी जताई और अधिकारियों के साथ मिर्माण कंपनी को भी फटकार लगाई।
अमृत योजना में चल रहे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर कई बार सवाल उठ चुके हैं। निगम आयुक्त शिवम वर्मा ने कंपनी के अधिकारियों को फटकार लगई साथ ही कंपनी केा पत्र लिखने के निर्देश दिए। साथ ही कंपनी पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी किया है। (आईएएनएस)
रामपुर (उत्तर प्रदेश), 14 जून | उत्तर प्रदेश में 12 साल से कम उम्र के दो नाबालिग लड़कों का खतना समारोह गुप्त रूप से आयोजित कराए जाने के चलते एक मौलवी और एक नाई समेत छह लोगों को गैरकानूनी धर्मांतरण निषेध अध्यादेश, 2020 के तहत हिरासत में लिया गया है। शनिवार की यह घटना रामपुर के शाहबाद इलाके की है।
हिंदू जागरण मंच (एचजेएम) के सदस्यों को समारोह के बारे में जैसे ही पता चला, वे पुलिस के साथ ट्रक चालक महफूज के घर गए। उसके माता-पिता और नाई को गिरफ्तार कर लिया गया। इसमें शामिल हुए अन्य लोगों की तलाश की जा रही है।
अतिरिक्त एसपी (एएसपी) संसार सिंह के अनुसार, उत्तराखंड निवासी एक गैर-मुस्लिम लड़के की मां ने पिछले महीने एक सड़क दुर्घटना में अपने पति को खो दिया था, जो पेशे से एक ट्रक चालक था। वह हाल ही में महफूज और उसके परिवार के साथ शाहबाद इलाके के बैरुआ गांव में रहने आई थी। महफूज की अभी तक शादी नहीं हुई है।
महिला ने अपना नाम बदलकर गुलिस्तान रख लिया।
एएसपी ने आगे कहा, "इस मामले में हमने एक प्राथमिकी दर्ज कर ली है क्योंकि लड़के नाबालिग हैं और उनका धर्म परिवर्तन कानून के खिलाफ था, इसलिए हमने घटना के बारे में पता चलने के बाद ही उसे संज्ञान में लिया।"
उन्होंने आगे यह भी कहा, "हमने महफूज, उसके माता-पिता, समारोह का आयोजन कराने वाले उसके बहनोई, धर्मांतरण समारोह का संचालन करने वाले मौलवी और खतना करने वाले नाई के खिलाफ मामला दर्ज किया है।"
उन पर आईपीसी की धारा 324 (स्वेच्छा से खतरनाक हथियारों या साधनों से चोट पहुंचाना) के साथ-साथ धर्म के गैरकानूनी रूपांतरण अधिनियम, 2020 के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार धर्मांतरण की चाह रखने वाले व्यक्ति और धर्म परिवर्तन कराने वाले को प्रस्तावित धार्मिक रूपांतरण की अग्रिम घोषणा जिला मजिस्ट्रेट को प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है। इसके बाद जिला मजिस्ट्रेट के आदेश से रूपांतरण के कारण, इरादा इत्यादि को लेकर पुलिस की जांच कराई जाती है। हालांकि इस मामले में ऐसे किसी भी मानदंड का पालन नहीं किया गया। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 14 जून | जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में एक जेल में बंद एक आरोपी की सोमवार को कोविड से ठीक होने के बाद सामने आई स्वास्थ्य समस्याओं के चलते मौत हो गई है। 37 वर्षीय यह शख्स दुष्कर्म की घटना में आरोपी था। कुपवाड़ा जिले के जेल अधिकारियों ने कहा, "कोविड-19 की जांच में पॉजिटिव आने के बाद उसे क्वॉरंटाइन में रखा गया था। हाल ही में की गई जांच में उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। कल उसे हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया, जहां उसकी मौत हो गई।"
मृतक की पहचान सोपोर निवासी लतीफ अहमद मीर के रूप में हुई है। उसे पुलिस द्वारा दुष्कर्म करने और गलत तरीके से बंधक बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
अधिकारियों ने कहा, "वह 5 फरवरी, 2021 से कुपवाड़ा जिला जेल में न्यायिक हिरासत में था।" (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 14 जून | लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष चिराग पासवान को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग हटकर बिहार विधानसभा चुनाव लड़ना भारी पड़ गया। सूत्रों का दावा है कि लोजपा में इस मुद्दे को लेकर इस कदर आंतरिक नाराजगी उभर आई है कि छह में से पांच सांसद अलग गुट बना चुके हैं। हालांकि इस मसले पर अब तक कोई भी अधिकारिक रूप से बयान नहीं दे रहा है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी में छह लोकसभा सदस्यों में से पांच ने चिराग पासवान को नेता मानने से इंकार करते हुए उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ खडे हो गए है।
सूत्रों ने बताया कि असंतुष्ट सांसदों में प्रिंस राज, चंदन सिंह, वीणा देवी और महबूब अली कैसर शामिल हैं, जो चिराग के काम करने के तरीके से नाखुश हैं।
इस बीच लोजपा के अंधिकांश नेता दिल्ली पहुंच गए हैं या पहुंचने वाले हैं। इस संबंध में जब लोजपा के कार्यकारी अध्यक्ष राजू तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं।
इधर, कहा जा रहा है लोजपा के नेता अध्यक्ष चिराग से नाराज थे जिसमें जदयू के नेता ने आग में घी डालने का काम किया और लोजपा टूटने के कगार पर पहुंच गया है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के खिलाफ सरेआम मोर्चा खोला था। चुनाव में लोजपा एक सीट पर जीत दर्ज कर सकी थी, लेकिन एकमात्र विधायक राजकुमार सिंह भी जदयू का दामन थाम लिया है।
हाल में ही पहली टूट तब हुइ थी जब बिहार विधान परिषद में लोजपा की एकमात्र विधान पार्षद नूतन सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई थीं।
लोजपा के प्रमुख चिराग पासवान चुनाव के पूर्व से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उपर निशाना साधते रहे हैं। नीतीश कुमार ने इसपर कभी भी खुलकर प्रतिक्रिया नहीं दी। सूत्रों का दावा है कि जदयू सामने से कभी भी हमलवार नहीं हुई, लेकिन लोजपा पर लगातार निगाह बनाए रखी।
सूत्रों का कहना है कि पटना में दो दिन पहले जदयू सांसद ललन सिंह से पशुपति कुमार पारस की मुलाकात भी हुई थी। कहा जा रहा है कि पारस जदयू और भाजपा के नेताओं के साथ संपर्क में थे।
जदयू के प्रधान महासचिव के सी त्यागी कहते हैं कि यह अकुशल नेतृत्व का परिणाम है कि पार्टी में टूट हो रही है। उन्होंने कहा कि चिराग से उनकी कोई व्यक्तिगत परेशानी नहीं है, लेकिन वे राजग को ही कमजोर करने में लगे थे। ये राजद के स्क्रिप्ट पर काम कर रहे थे, जिससे उनके दल में ही असंतोष उभरा है।
चिराग के इस रवैये से पशुपति पारस समेत अन्य नेता भी नाखुश थे। कहा जा रहा है लोजपा के नेता कभी नहीं चाहते थे कि लोजपा राजग से अलग होकर चुनाव लड,े लेकिन चिराग ने यह फैसला लिया। इसके बाद से ही पार्टी में नाराजगी प्रारंभ हो गई थी, उसके बाद यह नाराजगी बढ़ती चली गई।
वैसे, यह भी हकीकत है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद लोजपा कभी स्िरकय नहीं हुई।
बहरहाल, लोजपा में टूट की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन इतना तय है कि चिराग का राजग से अलग हटकर विधानसभा चुनाव लड़ना गलत निर्णय साबित हुआ, जिससे पार्टी अूट के कगार पर पहुंच गई। अब देखना हेागा पार्टी में ही टूट होती है या परिवार में भी टूट होती है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 14 जून | उत्तर प्रदेश में संकट में घिरी भाजपा के लिए बड़ी राहत की बात सामने आई है। अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाली अपना दल ने इन अटकलों का खंडन किया है कि पार्टी अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गठबंधन बरकरार रखने के लिए कड़ा सौदा कर रही है। अपना दल (एस) 2014 के लोकसभा चुनाव से भाजपा की सहयोगी रही है।
अपना दल के कार्यकारी अध्यक्ष और अनुप्रिया पटेल के पति आशीष सिंह पटेल ने कहा, "हमने भाजपा के सामने कोई मांग नहीं रखी है। हम आगामी यूपी चुनाव में भाजपा के साथ मिलकर लड़ेंगे।"
उनका बयान उन खबरों के मद्देनजर आया है जिनमें अनुप्रिया पटेल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ अपनी हालिया बैठक के दौरान अपनी पार्टी के लिए बेहतर स्थिति की मांग की थी, जिसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल और राज्य मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व शामिल था।
दिलचस्प बात यह है कि जिस दिन अनुप्रिया ने केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात की, उनकी अलग बहन पल्लवी पटेल, जो पार्टी के अलग हुए गुट के साथ हैं, उन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की।
अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल के नेतृत्व में टूटा अपना दल गुट यूपी में कोई राजनीतिक प्रभाव डालने में विफल रहा है।
कृष्णा पटेल खुद चुनाव हार चुकी हैं। उनकी जमानत भी जब्त कर ली गई थी।
अनुप्रिया मोदी 1.0 सरकार में केंद्रीय मंत्री थीं। 2019 के संसदीय चुनावों में अपना दल ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा और दोनों में जीत हासिल की।
राज्य विधानसभा में पार्टी के पहले से ही नौ विधायक हैं।
आशीष पटेल 2018 में भाजपा के समर्थन से विधान परिषद के लिए चुने गए थे। (आईएएनएस)
मदिकेरी (कर्नाटक), 13 जून | कर्नाटक के कोडागु जिले में एक 50 वर्षीय व्यक्ति की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या करने के आरोप में आठ पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी। इन सभी पुलिसवालों पर एक हवलदार पर कथित तौर पर चाकू से हमला करने के बाद उस व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डालने का आरोप है।
पुलिस महानिरीक्षक (दक्षिणी रेंज) प्रवीण मधुकर पवार ने आईएएनएस को फोन पर बताया,विराजपेट पुलिस स्टेशन के 2 हेड कांस्टेबल और 6 कांस्टेबल सहित आठ पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है, क्योंकि पीड़ित रॉय डिसूजा की मां ने शिकायत दर्ज की थी कि उनके बड़े बेटे को पीट-पीटकर मार डाला गया था, क्योंकि उसने पुलिसकर्मी संगमेश शिवपुरा पर 8 जून को चाकू से हमला किया था और आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया था।
पवार ने कहा, कोडागु की पुलिस अधीक्षक क्षमा मिश्रा ने 10 जून को डिसूजा की मां मटिल्डा की शिकायत पर पुलिसकर्मियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, मामला 12 जून को जांच के लिए सीआईडी को सौंप दिया गया था। (आईएएनएस)