अंतरराष्ट्रीय
न्यूयॉर्क, 25 अक्टूबर | न्यूयॉर्क राज्य के माइक्रो क्लस्टर इलाकों में कोविड-19 परीक्षणों के पॉजिटिव आने की दर बढ़ रही है। यहां महामारी की स्थिति सबसे गंभीर है और एक दिन में ही पॉजिटिविटी रेट 2.31 फीसदी से बढ़कर 2.58 फीसदी हो गयी। यह जानकारी यहां के गवर्नर एंड्रयू क्यूमो ने दी है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने शनिवार को कहा, 'माइक्रो-क्लस्टर' क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में पॉजिटिविटी दर 1.13 प्रतिशत थी, जो कि गुरुवार को 0.98 प्रतिशत थी। गवर्नर ने कहा कि शुक्रवार को हुए 1,56,940 परीक्षणों में से 2,061 पॉजिटिव आए थे।
जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग के अनुसार, शनिवार तक न्यूयॉर्क में कोरोना से 33,418 मौतें हो चुकी हैं, जो देश के सभी राज्यों में से सबसे ज्यादा हैं।
कोरोना संक्रमण के केन्द्र रहे अमेरिका के न्यूयॉर्क में 4,99,000 से अधिक कोविड-19 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से 2,63,000 से ज्यादा तो न्यूयॉर्क शहर के ही हैं।
जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के अनुसार, रविवार तक दुनिया में सबसे अधिक 85,71,943 मामले और 2,24,771 मौतें अमेरिका में दर्ज हो चुकी हैं।(आईएएनएस)
चीन के शंघाई शहर में इंजीनियरों ने 7,600 टन की एक विशालकाय इमारत को उसकी जगह से खिसकाकर दूसरी जगह ले जाने का कारनामा कर दिखाया है.
उन्होंने 1935 में बनी शंघाई के लागेना प्राथमिक विद्यालय की पाँच मंज़िला इमारत को उसकी जगह से उठाया और तकनीक के इस्तेमाल से उसे कुछ दूरी पर ले गए.
स्थानीय प्रशासन के अनुसार, इस पुरानी इमारत के पास ही एक नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू होना है जिसके लिए जगह थोड़ी पड़ने पर इस बिल्डिंग को उसकी जगह से खिसकाने का निर्णय लिया गया.
चीन के इंजीनियरों के पास इस इमारत को गिराने का विकल्प भी था, मगर उन्होंने इस ऐतिहासिक इमारत को उसकी जगह से उठाकर दूसरी जगह शिफ़्ट करने का निर्णय लिया.
बिल्डिंग को मूल जगह से क़रीब 62 मीटर खिसकाया गया
चीन के सरकारी मीडिया के अनुसार, इंजीनियरों की एक टीम ने तकनीक की मदद से बिल्डिंग को उठाया और 198 रोबोटिक टाँगों की मदद से उसे कुछ दूर ले गए.
स्थानीय मीडिया के अनुसार, कंक्रीट से बनी हज़ारों टन की इस इमारत को उसकी मूल जगह से क़रीब 62 मीटर खिसकाया गया है.
चीन सरकार द्वारा नियंत्रित सीसीटीवी न्यूज़ नेटवर्क के अनुसार, इमारत को एक जगह से दूसरी जगह शिफ़्ट करने का काम 18 दिनों में पूरा किया गया. बताया गया है कि 15 अक्तूबर को बिल्डिंग शिफ़्ट करने का काम पूरा कर लिया गया था.
न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, स्थानीय प्रशासन ने अब इस ऐतिहासिक इमारत को संरक्षित रखने का निर्णय लिया है और उसी लिहाज़ से इमारत की मरम्मत का काम किया जा रहा है.
इमारतों को एक जगह से दूसरी जगह शिफ़्ट करने के यूँ तो कई तरीक़े हैं, मगर आमतौर पर इंजीनियर ऐसी इमारतों को बड़े प्लेटफ़ॉर्म की मदद से शिफ़्ट करते हैं जिन्हें ज़्यादा क्षमता वाली रेल या क्रेन से खींचा जाता है.
लेकिन इस बार चीनी इंजीनियरों ने रोबोटिक लेग्स (रोबोट द्वारा नियंत्रित मज़बूत पाये) इस्तेमाल किये जिनके नीचे पहिये लगे थे. चीनी इंजीनियरों द्वारा पहली बार इस तरीक़े को अपनाया गया है.
हालांकि, ग़ौर करने वाली बात यह है कि शंघाई के इंजीनियरों के पास बिल्डिंगों को इस तरह शिफ़्ट करने का पुराना तजुर्बा है.
साल 2017 में, 135 साल पहले बने और क़रीब दो हज़ार टन वज़न वाले ऐतिहासिक बौद्ध मंदिर को उसकी मूल जगह से लगभग 30 मीटर खिसकाया गया था और इस मंदिर को 30 मीटर खिसकाने में 15 दिन लगे थे.
इस साल की शुरुआत में भी चीन के इंजीनियरों ने बिल्डिंग निर्माण के क्षेत्र में एक कीर्तिमान स्थापित किया था. चीन के हूबे प्रांत में स्थित वुहान शहर में कोरोना संक्रमण तेज़ी से फ़ैलने के बाद चीनी इंजीनियरों ने दस दिन में हज़ार बेड का अस्पताल बनाकर दिखाया था. वुहान वही शहर है जहाँ सबसे पहले कोविड-19 संक्रमण की आधिकारिक पुष्टि की गई थी.(bbc)
काबुल, 25 अक्टूबर | अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शनिवार एक शैक्षणिक केंद्र में हुए आत्मघाती हमले में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए। स्थानीय पुलिस ने यह जानकारी दी। काबुल पुलिस के प्रवक्ता फिरदौर फरमर्ज ने यहां पत्रकारों से कहा, "विस्फोट स्थानीय समयनुसार 4.30 बजे कोवसर-ए-दानिश में एक निजी शैक्षणिक केद्र में हुआ। आत्मघाती हमलावार ने संस्थान के सुरक्षा गार्ड द्वारा पकड़े जाने के बाद खुद को उड़ा लिया।"
उन्होंने कहा, "शुरुआती जानकारी से पता चला है कि हमलावर समेत 11 लोगों की मौत हो गई है और 20 अन्य घायल हो गए हैं।"
प्रत्यक्षदर्शी मोहम्मद नबी ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ से कहा, "हमने दशटी बराची क्षेत्र में पुल-ए-खुश्क में स्थित एक शैक्षणिक केंद्र के बाहर जोरदार विस्फोट की आवाज सुनी। विस्फोट से लोग डर गए।"
अभी तक किसी ने भी इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।(आईएएनएस)
पाकिस्तान, 24 अक्टूबर | पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दामाद कैप्टन सफदर के कराची के होटल से गिरफ्तारी का सीसीटीवी फुटेज निकालने वाले पत्रकार लापता हैं.
मीडिया आउटलेट ने शनिवार को यह पुष्टि की है. जियो न्यूज के अनुसार, अली इमरान सैयद शुक्रवार शाम को अपने घर से निकले थे और परिवार को बताया कि वह आधे घंटे में लौट आएंगे, लेकिन नहीं आया.
उनकी पत्नी ने बताया कि उनकी कार घर के बाहर खड़ी है और उनका मोबाइल फोन भी घर पर ही है. परिवार ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को सैयद के लापता होने के बारे में सूचित किया गया, जिन्होंने लापता होने के संबंध में मामला दर्ज किया है.
इस बीच, जियो न्यूज प्रशासन ने कहा कि कराची के पुलिस प्रमुख और डीआईजी ईस्ट को भी उनके लापता होने की सूचना दी गई है.
जबकि मामले में संज्ञान लेते हुए सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने सिंध के इंस्पेक्टर जनरल मुश्ताक महार को पत्रकार का पता तुरंत लगाने के निर्देश दिए. मुराद अली शाह ने कहा, “पत्रकारों के खिलाफ इस तरह का कृत्य असहनीय है.”
इस बीच, पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (पीएफयूजे) ने घटना की निंदा की है और कहा कि स्टेट पत्रकारों के बीच आतंक पैदा करके प्रेस की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने की कोशिश कर रहा है. पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी सैयद की ‘तत्काल रिहाई’ का आह्वान किया है.
विपक्षी दलों ने इमरान को ठहराया जिम्मेदार
इस बीच पाकिस्तान के विपक्षी दलों ने इमरान खान सरकार को पत्रकार के लापता होने के लिए जिम्मेदार बताया है. पीपीपी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ने कहा कि पत्रकार का गायब होना अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है. उन्होंने कहा कि इस तरह से पत्रकारों के लापता होने से पाकिस्तान की पूरी दुनिया में नकारात्मक छवि बनती है. पाकिस्तानी पत्रकारों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है.(https://www.tv9bharatvarsh.com/)
दुबई, 24 अक्टूबर | दुबई में रहने वाले एक भारतीय किशोर ने अपने स्कूल के प्रोजेक्ट को पारिवारिक व्यवसाय में बदलकर अपने पिता को चकित कर दिया है। यह जानकारी शनिवार को मीडिया रिपोर्ट के हवाले से मिली। खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, दुबई के निवासी और जीईएमएस के छात्र सोलह वर्षीय इशिर वाधवा को अपनी ग्रेड 10 पाठ्यक्रम के लिए एक इनोवेटिव प्रोजेक्ट बनाना था।
इसके लिए उन्होंने रोजमर्रा की समस्या की तलाश की, जिसके बाद उन्होंने दीवार पर स्क्रू और कीलें देखीं।
इशिर ने कहा, "हालांकि स्क्रू और कील का प्रयोग बहुत लंबे समय से होता आ रहा है, और उनका प्रयोग लोगों के लिए दैनिक आधार पर समस्याएं पैदा करते हैं, जैसे कि दीवारों को नुकसान, श्रम की आउटसोर्सिग, धूल और ड्रिलिंग के अन्य खतरे।"
उन्होंने आगे कहा, "मैं अपने बड़े भाई अविक के पास पहुंच गया, जो अभी अमेरिका में पर्डयू विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। जब हमने अपने विचारों को एक साथ रखा, तो बेहतरीन विचार सामने आए।"
उनका समाधान दो स्टील टेप और एक मजबूत चुंबक को एक साथ रखना था।
उन्होंने आगे कहा, "दीवार पर चिपकने वाला स्टील टेप 'अल्फा स्टील टेप' के रूप में जाना जाता है और ऑब्जेक्ट को 'बीटा स्टील टेप' के रूप में लटका दिया जाता है। नियोडिमियम चुंबक पूरे एसेंबली को एक साथ पकड़े रखता है।"
दो चुंबकों के एक साथ आने पर उत्पन्न ध्वनि के आधार पर परिवार ने इस उत्पाद का नाम क्लैपइट रखा है।
खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इशिर के पिता ने इसे एक गेम-चेंजर प्रोजेक्ट माना है, और इसलिए सुमेश वाधवा ने अपनी अच्छी वेतन वाली नौकरी और कैरियर को छोड़ दिया और उत्पाद को अपने पारिवारिक व्यवसाय के रूप में लॉन्च करने का फैसला किया।
--आईएएनएस
सैन फ्रांसिस्को, 24 अक्टूबर| एक अमेरिकी जज ने फिर से चीनी मैसेजिंग ऐप वीचैट पर प्रतिबंध लगाने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश को रोक दिया है। द वर्ज ने शुक्रवार को बताया कि कैलिफोर्निया के एक जज ने यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के उस अनुरोध को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि चीनी कंपनी टेनसेंट के वीचैट ऐप को ऐप स्टोर पर एक्टिव रखने का निर्णय पलट दिया जाए।
जज ने कहा, "रिकॉर्ड इस निष्कर्ष का समर्थन नहीं करता है कि सरकार अपने राष्ट्रीय-सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए लेन-देन के निषिद्ध तरीकों को संकुचित कर रही है। बल्कि सबूत इस बात का समर्थन करता है कि लेन-देन की यह प्रक्रिया सरकार के वैध हितों को पूरा करने में आड़े नहीं आती है।"
ट्रंप ने 6 अगस्त को वाचैट के जरिए अमेरिकी लेन-देन पर प्रतिबंध लगाने के लिए कार्यकारी आदेश जारी किया था। इसके बाद वीचैट यूजर्स के कानूनी अधिकारों के लिए लड़ने एक गैर सरकारी संगठन यूएसडब्ल्यूयूए ने ट्रंप प्रशासन पर मुकदमा दायर किया, जो 17 सितंबर को अदालत में खुला। (आईएएनएस)
जिनेवा, 24 अक्टूबर| विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के महानिदेशक ट्रेडोस एडनहोम गेब्रेयसिस ने कहा है कि दुनिया अभी भी कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में अहम मोड़ पर है। उन्होंने कई देशों में नए मामलों की संख्या बढ़ने के मद्देनजर तत्काल कदम उठाने का आह्वान किया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगले कुछ महीने बहुत 'कठिन' होने वाले हैं और कुछ देश तो 'खतरनाक ट्रैक' पर हैं।
उन्होंने कहा, "बहुत से देशों में मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है जबकि अभी अक्टूबर ही चल रहा है।"
गेब्रेयसिस ने नेताओं से आग्रह किया है कि वो तत्काल कार्रवाई करें ताकि अनावश्यक मौतों को रोकने, आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को ढहने और स्कूलों को फिर से बंद करने से रोका जा सके।
डब्ल्यूएचओ के हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम की तकनीकी प्रमुख मारिया वान केरखोव ने कहा कि डब्ल्यूएचओ अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के एक समूह तक पहुंच गया है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में अधिक जानकारी साझा की जाएगी।
उन्होंने कहा, "चूंकि पिछले दिसंबर में चीन के वुहान में पहले मामले का पता लगा था इसलिए शुरूआती अध्ययन वहीं से शुरू किया जाएगा।"
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, शनिवार की सुबह तक दुनिया में कोरोनावायरस मामलों की कुल संख्या 4,21,14,524 और मौतों की संख्या 11,43,291 हो चुकी है।
अमेरिका 84,84,991 मामलों और 2,23,914 मौतों के साथ दुनिया में प्रभावित देशों में शीर्ष पर है। वहीं 77,61,312 मामलों के साथ भारत दूसरे स्थान पर है जबकि देश में कोरोना से 1,17,306 लोगों की मौत हो चुकी है। (आईएएनएस)
लिस्बन, 24 अक्टूबर| महिलाओं की तुलना में औसत तौर पर पुरुष कोविड -19 एंटीबॉडी का अधिक उत्पादन करते हैं। यह बात पुर्तगाली शोधकर्ताओं ने कही है। उन्होंने यह भी कहा है कि, 90 फीसदी रोगियों में सार्स-कोव-2 वायरस के संपर्क में आने के सात महीनों तक के बाद एंटीबॉडी मिली हैं।
यूरोपीय जर्नल ऑफ इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित हुए नतीजे यह भी बताते हैं कि एंटीबॉडी के स्तर के मामले में उम्र महत्वपूर्ण कारक नहीं है, लेकिन रोग की गंभीरता है।
पुर्तगाल में मेडिसिना मॉलीक्यूलर आणविक जोआओ लोब एंट्यून्स के लेखक मार्क वल्डोवेन ने कहा, "हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली सार्स-कोव-2 को हानिकारक वायरस के तौर पर पहचानती है और फिर इसके जवाब में एंटीबॉडी का उत्पादन करती है, जो वायरस से लड़ने में मदद करती है।"
इस अनुसंधान टीम ने कोविड -19 अस्पताल के 300 से अधिक रोगियों और स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ताओं के एंटीबॉडी स्तर और 200 से अधिक कोविड -19 से उबर चुके स्वयंसेवकों की निगरानी की थी।
पिछले 6 महीने के दौरान किए गए अध्ययन में कोविड -19 लक्षण आने के बाद के शुरूआती 3 हफ्तों के भीतर एंटीबॉडी के स्तर में तेजी से वृद्धि देखने को मिली लेकिन बाद में उम्मीद के मुताबिक इसमें कमी आई।
उन्होंने कहा, "इस प्रारंभिक चरण में महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक एंटीबॉडी का उत्पादन करते हैं, लेकिन कुछ महीनों के बाद महिला, पुरुष दोनों में एंटीबॉडी का स्तर समान मिला।" (आईएएनएस)
लापास, 24 अक्टूबर| बोलीविया के सुप्रीम इलेक्टोरल ट्रिब्यूनल (टीएसई) ने घोषणा की है कि मूवमेंट टवॉर्डस सोशलिज्म (एमएएस) पार्टी के उम्मीदवार लुइस अर्से कैटाकोरा ने 18 अक्टूबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव में 55.1 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, शुक्रवार को ला पास में एक समारोह के दौरान टीएसई प्रमुख सल्वाडोर रोमेरो ने कहा, "हमने एक राजनीतिक संकट के बीच एक जटिल चुनाव कराया। हमने एक पारदर्शी, सुरक्षित और सत्यापित चुनावी प्रक्रिया का अनुपालन किया है .. हम लुईस अर्से को बोलीविया के निर्वाचित राष्ट्रपति और डेविड चोकेहुआंका को निर्वाचित उपराष्ट्रपति के रूप में घोषित करते हैं।"
उन्होंने कहा कि 88 प्रतिशत योग्य मतदाताओं ने चुनावों में मतदान किया।
एमएएस ने सीनेट और चैंबर ऑफ डेप्युटीज में भी पूर्ण बहुमत प्राप्त की, हालांकि इसे संवैधानिक सुधारों को पूरा करने के लिए आवश्यक दो तिहाई बहुमत प्राप्त नहीं हुआ।
टीएसई ने राजनीतिक संगठनों, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय अवलोकन मिशनों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ मीडिया की उपस्थिति के बीच देश के नौ विभागों में मतों की गिनती में पांच दिन बिताए।
1989 के बाद यह पहली बार है जब देश ने इतने कम समय में राष्ट्रपति चुनाव के आधिकारिक परिणाम प्रकाशित किए हैं।
आधिकारिक मतों में 55.1 प्रतिशत मतों के साथ चुनाव के अर्से को विजोता दिखाया गया है।
दूसरे स्थान पर सिटीजन कम्युनिटी पार्टी के कार्लोस मेसा रहे उन्हें 28.83 प्रतिशत मत मिले और क्रीमोस (वी बिलीव) अलायंस के लुइस फर्नांडो कैमाचो 14 प्रतिशत मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 24 अक्टूबर| एक टीवी बहस के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी पर उनके प्रतिद्वंदी जो बाइडन ने कहा कि वह तेल इंडस्ट्री बंद करना चाहते हैं। इसके बाद डेमोक्रेट इस मामले पर पैदा हुए भ्रम को दूर करने में लगे हैं।
बीबीसी ने शनिवार को बताया कि बाइडन के सहयोगियों ने कहा कि वह जीवाश्म ईंधन पर मिलने वाली सब्सिडी को खत्म करने के बारे में बात कर रहे थे, न कि उद्योग को।
इस बीच डेमोक्रेट ने कोरोनावायरस को लेकर फिर से ट्रंप पर हमला करते हुए कहा, "उन्होंने इस मामले में अमेरिका को उसके हाल पर छोड़ दिया है।"
गुरुवार की रात नैशविले में बहस के दौरान ट्रंप ने अपने प्रतिद्वंदी से पूछा, "क्या आप तेल इंडस्ट्री को बंद कर देंगे?" इस पर बाइडन ने जबाव दिया, "हां, मैं तेल इंडस्ट्री से ट्रांजिशन करूंगा क्योंकि यह इंडस्ट्री बहुत प्रदूषण फैलाती है।"
बाइडन ने कहा कि जीवाश्म ईंधन को समय के साथ नवीकरण की जा सकने वाली ऊर्जा के जरिए प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए ताकि अमेरिका शून्य कार्बन उत्सर्जन की ओर बढ़ सके।
बता दें कि बाइडन चुनावों में लगातार बढ़त बनाए हुए हैं। लेकिन यह बढ़त बहुत छोटी और कुछ राज्यों में ही है, ऐसे में मतदाताओं का असल रुख 3 नवंबर को ही सामने आ सकता है। वहीं 5.3 करोड़ से अधिक अमेरिकी कोरोनावायरस के कारण पहले ही मेल के जरिए रिकॉर्ड स्तर पर मतदान कर चुके हैं। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 24 अक्टूबर | डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन ने कहा है कि अगर वह 3 नवंबर के चुनाव में जीत जाते हैं, तो अमेरिका के सभी लोगों को कोविड-19 वैक्सीन वह निशुल्क उपलब्ध कराएंगे। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, शुक्रवार को विलिमिंगटन, डेलावेयर में एक भाषण के दौरान बाइडन ने कहा, "एक बार हमारे पास सुरक्षित और प्रभावी टीका होने के बाद, यह सभी के लिए निशुल्क उपलब्ध होगा- चाहे आपका बीमा हो या नहीं हो।"
उन्होंने एक बार फिर कोरोना वायरस महामारी को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधते हुए कहा कि वह (ट्रंप) वायरस के खिलाफ लड़ाई में हार गए हैं।
पूर्व उपराष्ट्रपति ने 3 नवंबर के चुनाव से पहले आखिरी और अंतिम बार ट्रंप से बहस करने के एक दिन निशुल्क वैक्सीन उपलब्ध कराने का वादा किया।
बहस में कोरोनोवायरस महामारी एक प्रमुख विषय था।
महामारी से दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका में कोरोना के अब तक 8,484,991 मामले सामने आ चुके हैं और 223,914 लोगों की मौत हो चुकी है। (आईएएनएस)
पेरिस, 24 अक्टूबर | फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि उनके देश के अगले साल के मध्य तक कोरोनावायरस से जूझने की संभावना है। गौरतलब है कि देश में कोविड-19 के 10 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
बीबीसी के मुताबिक, फ्रांस में शुक्रवार को कोविड-19 के 40,000 से अधिक नए मामले सामने आए और 298 मौतें दर्ज की गईं। रूस, पोलैंड, इटली और स्विट्जरलैंड सहित अन्य देशों ने भी मामलों में वृद्धि दर्ज की है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि वायरस के खिलाफ लड़ाई के मद्देनजर यूरोपिय देशों में कोरोना मामलों में वृद्धि चिंताजनक है।
यूरोप में प्रतिदिन दर्ज किए जाने वाले संक्रमण के मामले पिछले 10 दिनों में बढ़कर दोगुने से अधिक हो गए हैं। इस महाद्वीप में अब तक कुल 78 लाख मामले और 247,000 मौतें दर्ज की गई हैं।
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख ट्रेडोस अडेनहोम ने संवाददाताओं को बताया, "अगले कुछ महीने बहुत कठिन होने वाले हैं और कुछ देश खतरनाक रास्ते पर हैं।"
विश्व स्तर पर कोविड-19 से 4.2 करोड़ से अधिक मामले सामने आए हैं और 11 लाख मौतें हुई हैं।
पेरिस क्षेत्र के एक अस्पताल के दौरे पर आए मैक्रों ने कहा कि वैज्ञानिक उन्हें बता रहे थे कि उन्हें यकीन है कि वायरस अगली गर्मियों तक मौजूद रहेगा।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फ्रांस में पुन: पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगाया जाएगा या नहीं अभी यह कहना जल्दबाजी होगा।
करीब 4.6 करोड़ के आबादी वाले देश में शुक्रवार रात से कर्फ्यू छह सप्ताह तक देश के लगभग दो-तिहाई हिस्सों में बढ़ाया गया है।
मैक्रों ने कहा कि जब एक दिन में 3,000 और 5,000 के बीच नए मामले दर्ज किए जाने लगेंगे, तभी कर्फ्यू में ढील दी जाएगी।
इस बीच, एपी-एचपी हॉस्पिटल ग्रुप के प्रमुख मार्टिन हर्श ने चेतावनी दी कि संक्रमण की दूसरी लहर पहले की तुलना में ज्यादा खतरनाक हो सकती है।(आईएएनएस)
नागोर्नो-काराबाख़ में आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच चल रहे भीषण युद्ध ने तुर्की में बने लड़ाकू ड्रोन विमानों को भी दुनिया की नज़र में ला दिया है. कहा जा रहा है कि तुर्की से ख़रीदे गए ड्रोन की वजह से अज़रबैजान को युद्ध में बढ़त हासिल हुई है.
नागोर्नो-काराबाख़ युद्ध शुरू होने से पहले ही तुर्की के ड्रोन विमानों की वजह से कई सैन्य विश्लेषक उसे ग्लोबल डिफेंस इंडस्ट्री क्षेत्र के शीर्ष देशों में शामिल करने लगे थे.
उन्नत लड़ाकू ड्रोन बना रहा तुर्की अपने आप को इसराइल या अमरीका के साथ जोड़कर नहीं देखना चाहता है. वो उन्नत तकनीक के नए विमान ख़ुद बना रहा है.
मानवरहित विमानों के अमरीकी सैन्य विशेषज्ञ डेनियल गेटिंगर ने बीबीसी तुर्की सेवा से कहा कि तुर्की कई तरह के ड्रोन विमान बना रहा है.
हेबरतुर्क के पत्रकार और एविएशन के विशेषज्ञ गुंते सिमसेक का मानना है कि तुर्की कई बरसों से से उड्डयन क्षेत्र में हुए अपने नुकसान की भरपाई कर रहा है.'
वो बताते हैं कि विमान निर्माता तुर्की साल 1940 में ही सिविल एविएशन ऑर्गेनाइज़ेशन का सदस्य बन गया था. हालाँकि, अगले कुछ वर्षों में तुर्की की स्थिति कमज़ोर होती गई. लेकिन अब मानवरहित विमान बनाकर उसने अपनी स्थिति मज़बूत कर ली है.
तुर्की की आलोचना
देश के भीतर ड्रोन हमलों और उनमें आम नागरिकों की मौत को लेकर तुर्की को आलोचना का सामना भी करना पड़ा है.
अमरीका के मिशेल एयरोस्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट से जुड़े डेनियल गेटिंगर कहते हैं कि यूएवी के मामले में दुनिया में सबसे आगे इसराइल और अमरीका हैं.
इसराइल और अमरीका ने 1970 और 80 के दशक में सैन्य इस्तेमाल के लिए ड्रोन विमान बनाने की शुरुआत की थी. तुर्की इस क्षेत्र में नया निर्माता है. इसके अलावा चीन और फ़्रांस भी बड़े ड्रोन निर्माता देश हैं.
गेटिंगर के मुताबिक इस समय दुनिया में कम से कम 95 देश ड्रोन विमान बनाने की कोशिश कर रहे हैं और कम से कम 60 देश 267 तरह के सैन्य ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं.
सबसे ज़्यादा ड्रोन खरीदने वाला देश-चीन
गुंते सिमसेक के मुताबिक ड्रोन डिजाइन, सॉफ़्टवेयर और इस्तेमाल के मामले में तुर्की दुनिया के शीर्ष पाँच देशों में शामिल है.
ब्रिटेन स्थित गैर सरकारी संगठन ड्रोन वॉर्स के मुताबिक ड्रोन उत्पादन के क्षेत्र में शामिल होने वाला तुर्की नई पीढ़ी का देश है. इन देशों में चीन, ईरान और पाकिस्तान भी शामिल हैं.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक़ बीते साल चीन के ड्रोन निर्यात में 1430% की वृद्धि हुई है और इस मामले में चीन सबसे आगे हो गया है.
एयरोस्पेस और डिफ़ेंस के क्षेत्र में काम करने वाली शोध फर्म टील ग्रुप के मुताबिक साल 2019 में ड्रोन का कारोबार बढ़कर 7.3 अरब डॉलर का हो गया.
अगले 10 साल में यह आंकड़ा 98.9 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है.
बेयरेकतार ड्रोन का कंट्रोल सेंटर
तुर्की की सेना अलगाववादी संगठन पीकेके के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर ड्रोन विमानों का इस्तेमाल करती है और इसी वजह से तुर्की में इनका उत्पादन बढ़ा है.
तुर्की पीकेके को आतंकवादी संगठन मानता है. ये उन कुर्दों का संगठन है जो तुर्की में कुर्दों के लिए अलग देश बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
तुर्की साल 2000 के बाद से इसराइल से ड्रोन ख़रीद रहा था लेकिन हेरोन टाइप यूएवी उड़ाने में उसे समस्याएं आ रहीं थीं. कभी वो क्रैश हो जा रहे थे कभी तकनीकी कारणों से उड़ नहीं पा रहे थे.
इसी वजह से कुछ हेरोन ड्रोन वापस इसराइल भी भेज दिए गए थे.
अमरीका की कांग्रेस ने भी प्रीडेटर और रीपर ड्रोन की तुर्की को बिक्री पर रोक लगा दी थी.
इसके बाद अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए तुर्की को अपना ड्रोन कार्यक्रम विकसित करना पड़ा.
बायकार कंपनी का बायरक्तार टीबी2 ड्रोन दुनिया के सबसे चर्चित ड्रोन विमानों में शामिल है.
ये अपने प्रतिद्वंदियों से इसलिए बेहतर है क्योंकि ये मिसाइल ले जाने में सक्षम सबसे छोटा ड्रोन है.
इसका इस्तेमाल हवाई क्षेत्र की निगरानी और जासूसी के लिए भी किया जा सकता है. ये सटीक निशाना भी लगाता है.
किन देशों के पास है ये ड्रोन?
तुर्की और अज़रबैजान के मीडिया में इस साल गर्मियों में इस ड्रोन को ख़रीदने की ख़बरें आने लगीं थीं. इसके अलावा सर्बिया, क़तर, ट्यूनीशिया और लीबिया भी तुर्की में बनें मानवरहित विमान ख़रीद चुके हैं.
नागोर्नो काराबाख़ की लड़ाई में बायरक्तार टीबी2 ड्रोन विमानों के कामयाब इस्तेमाल ने इनकी माँग भी बढ़ा दी है.
गुंते सिमसेक कहते हैं कि अब इस ड्रोन का बाज़ार बढ़ा हो गया है.
फ्रांस24 के साथ एक साक्षात्कार में अज़रबैजान के राष्ट्रपति से जब पूछा गया कि उन्होंने तुर्की से कितने ड्रोन लिए हैं तो इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि 'हमारे पास अपना मक़सद हासिल करने के लिए पर्याप्त ड्रोन विमान हैं.'
राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव ने कहा था, ''ये वो जानकारी है जिसे मैं सार्वजनिक नहीं करना चाहूंगा.''
अज़रबैजान के राष्ट्रपति ने युद्ध पर ड्रोन के प्रभाव से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए कहा था, ''ज़ाहिर तौर पर ये नए ज़माने के उन्नत हथियार हैं. मैं ये कह सकता हूं कि तुर्की से मिले ड्रोन विमानों से हमने आर्मीनिया के एक अरब डॉलर से अधिक सैन्य साज़ो-सामान बर्बाद कर दिए हैं.''
तुर्की ने सीरिया में चलाए ऑपरेशन स्प्रिंग शील्ड के दौरान भी अपने ड्रोन विमानों का इस्तेमाल किया था.
सीरिया में तुर्की के सैन्य ऑपरेशन में भी ड्रोन विमान इस्तेमाल हुए हैं
तुर्की के ड्रोन विमानों की मदद से ही लीबिया की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार विद्रोही सैन्य नेता ख़लीफ़ा हफ़्तार के बलों के ख़िलाफ़ प्रभावी कार्रवाई कर पाई थी.
साल 2019 में तुर्की ने 2.74 अरब डॉलर के हथियार बेचे. पिछले साल के मुकाबले तुर्की ने 34 प्रतिशत की बढ़त हासिल की. विशेषज्ञों के मुताबिक साल 2023 तक तुर्की का ड्रोन कारोबार 10 अरब डॉलर तक बढ़ जाएगा.
स्टॉकहोम पीस इंस्टीट्यूट के मुताबिक साल 2014-18 के बीच तुर्की ने हथियारों की बिक्री 170% बढ़ाई जबकि साल 2015-19 के बीच तुर्की के हथियारों के आयात में 48% की कमी आई.
इसकी वजहों में तुर्की का स्थानीय तकनीक विकसित करना और विदेशों से हथियार ख़रीदने में आ रही दिक्कतें शामिल हैं.
डेनियल गेटिंगर कहते हैं कि तुर्की सिर्फ़ हथियार बेचना में ही दिलचस्पी नहीं ले रहा है बल्कि वो दूसरे देशों से रिश्ते भी बनाना चाहता है.
तुर्की की विदेश नीति इतनी आक्रामक क्यों?
वो कहते हैं कि तुर्की ड्रोन के उत्पादन के मामलों में दूसरे देशों को सहयोग भी दे रहा है.
गेटिंगर के अनुसार, बायरक्तार ड्रोन टीबी2 वर्ज़न से कुछ सस्ता है और तुर्की ने इसकी बिक्री के लिए ख़ूब प्रचार भी किया है.
तुर्की के ड्रोन विमानों की एक ख़ास बात ये है कि इन्हें पूरी तरह से स्थानीय स्तर पर बनाया गया है.
ड्रोन निर्माता कंपनी बायकार ने एक बयान में कहा है कि उसका पूरा सिस्टम स्थानीय और घरेलू उत्पादन पर ही आधारित है.
हालाँकि विशेषज्ञ इससे अलग राय रखते हैं. डेनियल गेटिंगर कहते हैं कि तुर्की सेंसर डिवाइस और टार्गेट डिवाइस जर्मनी और कनाडा से हासिल करता है.
रक्षा विश्लेषकों के मुताबिक तुर्की के ड्रोन कार्यक्रम की एक कमज़ोर कड़ी ये है कि ये आयात पर निर्भर है.
अमरीका के चुनावों में तुर्की की पैनी नज़र की वजह
साल 2019 में ब्रितानी अख़बार द गार्जियन ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि तुर्की का बायरक्तार टीबी2 ड्रोन हॉर्नेट टाइप के मिसाइल लांचरों का इस्तेमाल करता है जिन्हें ब्रितानी कंपनी ईडीओ एमबीएम टेक्नोलॉजी ने बनाया है.
हालाँकि बायकार ने इन आरोपों को खारिज किया है.
रिपोर्टों के मुताबिक जर्मनी की कंपनियों ने 1.28 करोड़ यूरो के सैन्य उपकरण तुर्की को बेचे थे जिनका इस्तेमाल ड्रोन बनाने में हो सकता है.
गुंते सिमसेक का कहना है कि तुर्की ने ड्रोन विमान का इंजन बनाने में प्रगति की है और ये एक बेहद विवादित मुद्दा है.
ड्रोन वॉर्स से जुड़े सेमुएल ब्राउनसोर्ड के मुताबिक तुर्की के पास अपने ड्रोन विमानों के विकास और निर्यात का मौका है.
इस क्षेत्र में तुर्की की कामयाबी की सबसे बड़ी वजह ये है कि वो दुनिया के ऐसे चंद देशों में शामिल है जो अपनी ही ज़मीन पर ड्रोन विमानों से हमले कर रहे हैं.
अर्दोआन सरकार तुर्की के इस स्वर्णिम इतिहास को दोहराने की कोशिश में
सेमुएल ब्राउनसोर्ड ने एक लेख में ये भी कहा है कि तुर्की अपनी सीमाओं के भीतर इन ड्रोन विमानों का नियमित इस्तेमाल करता है.
मानवाधिकार संगठन और कार्यकर्ता आरोप लगाते रहे हैं कि तुर्की अपने ही देश में ड्रोन विमानों का इस्तेमाल कर आम नागरिकों को निशाना बना रहा है.
संगठनों का आरोप है कि तुर्की ने उत्तरी सीरिया में भी ड्रोन विमान इस्तेमाल किए.
ड्रोन विमानों की एक आलोचना इस बात को लेकर भी होती है कि इनके इस्तेमाल का एक ही नतीजा होता है- लोगों की मौत.
सेमुएल ब्राउनसोर्ड कहते हैं, 'ड्रोन विमान से किसी को गिरफ्तार नहीं किया जाता. जब ये इस्तेमाल होते हैं तो मौत निश्चित नतीजा होती है. ये एक गंभीर चिंता की बात है.'(bbc)
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर | भारत और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के बीच 100 वर्षों के संबंधों में एक नया अध्याय लिखा गया है। भारत ने 35 वर्षों बाद अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के गवनिर्ंग बॉडी की अध्यक्षता ग्रहण की है। श्रम और रोजगार सचिव अपूर्व चंद्रा को अक्टूबर 2020 से जून 2021 तक की अवधि के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के गवनिर्ंग बॉडी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। यह पद अंतर्राष्ट्रीय स्तर का है। गवनिर्ंग बॉडी, आईएलओ का शीर्ष कार्यकारी निकाय है जो नीतियों, कार्यक्रमों, एजेंडे, बजट का निर्धारण करता है और महानिदेशक का चुनाव का कार्य भी करता है। वर्तमान समय में आईएलओ के 187 सदस्य हैं। अपूर्व चन्द्रा नवंबर 2020 में होने वाली शाषी निकाय की आगामी बैठक की अध्यक्षता करेंगे। जिनेवा में, उनके पास सदस्य देशों के वरिष्ठ अधिकारियों और सामाजिक भागीदारों के साथ बातचीत करने का अवसर होगा। यह संगठित या असंगठित क्षेत्र में सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के सार्वभौमिकरण के बारे में मंशा स्पष्ट करने के अलावा श्रम बाजार की कठोरता को दूर करने के लिए सरकार द्वारा की गई परिवर्तनकारी पहलों के प्रतिभागियों को भी एक मंच प्रदान करेगा।
अपूर्व चंद्रा 1988 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में सात साल से अधिक समय तक अपूर्व चंद्रा ने कार्य किए हैं। चंद्रा ने महाराष्ट्र सरकार में प्रधान सचिव (उद्योग) के रूप में 2013 से 2017 के बीच चार वर्षों तक काम किया है। 1 अक्टूबर 2020 से उन्होंने श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव के रूप में पद संभाला है।(आईएएनएस)
वाशिंगटन, 24 अक्टूबर | वैश्विक कश्मीरी पंडित प्रवासी (जीकेपीडी) और अन्य सामुदायिक संगठनों ने जम्मू एवं कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से पहली बार सीमा-पार की क्रूर आक्रामकता की 73वीं वर्षगांठ के अवसर पर वाशिंगटन में पाकिस्तान के दूतावास के सामने विरोध रैली की। मास्क पहने हुए और सामाजिक दूरी के मानदंडों का पालन करते हुए, प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार को काला दिवस मनाया। उन्होंने पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद को कश्मीर के लिए खतरनाक करार देते हुए काला दिवस मनाया। इसके लिए उन्होंने डिजिटल ट्रक और कार डिस्प्ले का इस्तेमाल किया।
रैली के आयोजक और वाशिंगटन डीसी, जीकेपीडी के समन्वयक मोहन सप्रू ने कहा, "प्रदर्शनकारी पाकिस्तान की सीमा-पार आतंकवाद और कश्मीर में 73 साल लंबी स्थायी नीति की कड़ी निंदा करने के लिए एकत्र हुए हैं। पाकिस्तान ने अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया है, जिनमें कश्मीरी हिंदू, सिख, ईसाई और बौद्ध शामिल हैं।
घाटी में हिंसा और आतंक फैलाने में पाकिस्तान की भूमिका के विरोध में यह दिन मनाया गया। दरअसल 22 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तानी आक्रमणकारियों ने अवैध रूप से जम्मू-कश्मीर में प्रवेश किया और लूटपाट और अत्याचार किए।
पाकिस्तानी सेना समर्थित कबाइली लोगों के लश्कर (मिलिशिया) ने कुल्हाड़ियों, तलवारों, बंदूकों और हथियारों से लैस होकर कश्मीरी लोगों पर हमला बोल दिया था।
सीमा पार इस्लामिक आतंकवाद की क्रूरता बेरोकटोक जारी रही और इसके परिणामस्वरूप 1989-1991 के बीच स्वदेशी कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार किया गया और उसके बाद उनका जबरन पलायन हुआ। दुनिया भर में इस्लामिक आतंकवाद के खतरे को पहचानने में विश्व समुदायों को ईमानदार होने की जरूरत है। कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार किया गया है और इस अल्पसंख्यक समुदाय के मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
कार्यकर्ता सिद्धार्थ अंबरदार ने कहा, "कश्मीर लौटने और सच्ची शांति के लिए इस्लामी आतंकवाद के खतरे को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा।"
उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिंदुओं की हत्या और दुष्कर्म का शिकार हुए लोगों को न्याय मिलना चाहिए।
अंबरदार ने कहा, "घाटी में स्वदेशी कश्मीरी हिंदुओं की सुरक्षित वापसी के लिए अभी भी कोई व्यापक व्यवहार्य योजना नहीं है, जो अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए हैं।"
उन्होंने ऐसे कुछ कश्मीरी हिंदू परिवारों की पीड़ा और कठिनाइयों का भी जिक्र किया, जो भय के माहौल में अभी भी घाटी में रह रहे हैं और जिनकी ओर अभी भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
विरोध प्रदर्शन में शामिल एक अन्य कश्मीरी हिंदू समुदाय के कार्यकर्ता स्वप्न रैना ने कहा, "हम न्याय की मांग करते रहेंगे और दुनिया को इस्लामी आतंकवादियों द्वारा स्वदेशी कश्मीरियों के नरसंहार को भूलने नहीं देंगे।"
स्थानीय समुदाय (लोकल कम्युनिटी) कार्यकर्ता उत्सव चक्रबर्ती ने कहा कि 22 अक्टूबर, 1947 के काले दिन के बारे में लोगों कम लोगों को जानकारी है। उन्होंने कहा कि हमें उसे याद रखे रखना और साझा करना जरूरी है, ताकि इस तरह के घटनाक्रम को दोबारा कभी नहीं दोहराया जा सके।
पत्रकार और स्थानीय पश्तून निवासी पीर जुबैर ने कहा, "पाकिस्तान ने आदिवासियों को जिहाद के नाम पर कश्मीरियों पर हमला करने और उन पर अत्याचार करने के लिए प्रेरित किया है। इसके अलावा पाकिस्तान ने 1947 में कश्मीरी हिंदुओं और सिखों के साथ जो किया, वह अब आदिवासियों के साथ भी हो रहा है।"(आईएएनएस)
लंदन, 24 अक्टूबर | पेरिस में इजरायली दूतावास के बाहर एक पुलिस अधिकारी के साथ 'हिट एंड रन' के मामले में पाकिस्तानी मूल के सात ब्रिटिश नागरिकों को हिरासत में लिया गया है। फर्जी नंबर प्लेट वाली मर्सिडीज और बीएमडब्ल्यू में सफर करते हुए चार पुरुषों और तीन महिलाओं का मामला सामने आया है, मगर उनके नाम का उल्लेखन नहीं किया गया है। हालांकि, वे पाकिस्तानी मूल के लंदन में रहने वाले निवासी बताए गए हैं।
उनके वाहनों की एक वीडियो भी है और इस समूह को सोमवार रात को चैंप्स एलिसी के नजदीक बेहद सुरक्षित क्षेत्र में स्थित दूतावास के बाहर एक पुलिसकर्मी को धमकाते हुए देखा गया है।
वीडियो निगरानी कैमरों ने एक मर्सिडीज में तीन संदिग्धों के चेहरे और एक बीएमडब्ल्यू में तीन अन्य लोगों के चेहरे सामने आए हैं और माना जा रहा है कि ये सभी एक ही समूह में थे। इसके अलावा एक सातवें संदिग्ध का भी पता चला है, जो इन दोनों ही कार में से किसी में नहीं था।
शाम सात बजे के हमले के बाद, दोनों वाहन भागने में सफल रहे और बाद में उन्हें फ्रांसीसी राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास, एलिसी पैलेस के करीब देखा गया था।
फ्रांसीसी पुलिस की ओर से शहर में छानबीन शुरू की गई, जिसके बाद सभी संदिग्धों को मंगलवार तक पेरिस के एक पुलिस स्टेशन में हिरासत में ले लिया गया।
अभियोजकों ने बुधवार को पुष्टि की कि पुरुषों और महिलाओं में से दो नाबालिग हैं और उनकी 'सार्वजनिक प्राधिकरण में एक व्यक्ति की हत्या के लिए जांच की जा रही है। संदिग्धों को फ्रांस में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है।
यह घटना 47 वर्षीय शिक्षक सैमुअल पैटी की भीषण हत्या के बाद सामने आई है। पिछले शुक्रवार को एक शरणार्थी इस्लामी आतंकवादी द्वारा शिक्षक की ओर से कक्ष में छात्रों को पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाए जाने के बाद हत्या कर दी गई थी।(आईएएनएस)
पाकिस्तान की इमरान खान सरकार उन 27 बिंदुओं पर अमल करने में नाकाम रही है जो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ ने उसके सामने रखे थे। नतीजतन पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे सूची में ही रखा गया है। एफएटीएफ आतंकवाद पर नजर रखने वाली विश्व की सर्वोच्च संस्था है। एफएटीएफ के इस फैसले से इमरान सरकार को करारा झटका लगा है और पाकिस्तान के सामने आर्थिक संकट और गहराने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
गौरतलब है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान काफी समय से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे। उन्होंन इसके लिए एफएटीएफ के प्लेनरी सेशन में ऑनलाइन हिस्सा भी लिया था और पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर निकालने की अपील की थी। इतना ही नहीं इमरान सरकार ने इसके लिए अमेरिका के एक शीर्ष लॉबिस्ट की सेवाएं भी ली थीं। लेकिन एफएटीएफ ने कोर अपीलों पर नहीं बल्कि असली मुद्दो पर फैसला किया और पाकिस्तन को ग्रे लिस्ट में भी रखा। एफएटीएफ के मुताबिक पाकिस्तान 27 बिंदुओं में से 6 अहम बिंदुओं पर अमल करने में बिल्कुल नाकाम साबित हुआ है।
कुछ दिन पहले ही एफएटीएफ ने आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान के ढुलमुल रवैये पर सख्त नाराजगी जताई थी। एफएटीएफ ने कहा था कि “पाकिस्तान आतंक के खिलाफ हमारी 27 सूत्रीय कार्ययोजनाओं में से प्रमुख 6 योजनाओं को पूरा करने में नाकाम साबित हुआ है।“ इन 6 बिंदुओं में भारत में वांटेड आतंकवादियों मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई न करना भी शामिल हैं।
ग्रे लिस्ट से बाहर न आने के कारण पाकिस्तान को अब दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और उसकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ सकती है। इसके तहत पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलने में भी मुश्किलें आएंगी। साथ ही अन्य देश भी पाकिस्तान को आर्थिक बंद कर सकते हैं। (navjivan)
बीजिंग, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)| चीन ने शुक्रवार को हांगकांग के निवासियों को नागरिकता देने की पेशकश के खिलाफ ब्रिटेन को चेतावनी देते हुए कहा कि वह प्रतिकार उपायों से बचने के लिए तुरंत अपनी गलतियों में सुधार करे। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, चीन द्वारा हांगकांग पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के जवाब में, ब्रिटेन ने जुलाई में केवल ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज (बीएनओ) पासपोर्ट रखने वाले नागरिकों को नागरिकता देने की अपनी योजना की फिर से पुष्टि की थी।
हांगकांग में ब्रिटिश वाणिज्य दूतावास के अनुसार, लगभग 300,000 लोग वर्तमान में बीएनओ पासपोर्ट रखते हैं, जबकि अनुमानित 29 लाख लोग इसके लिए पात्र हैं।
दक्षिण चीन मॉनिर्ंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यहां मीडिया को संबोधित करते हुए, विदेशी मामलों के प्रवक्ता झाओ लिजियन से पूछा गया कि क्या बीजिंग जवाबी कार्रवाई करेगा या बीएनओ पासपोर्ट धारकों को हांगकांग छोड़ने से रोक देगा।
इस पर प्रवक्ता ने कहा, चीनी सरकार ने इस मुद्दे पर अपने मजबूत रुख को बार-बार स्पष्ट किया है, लेकिन ब्रिटिश पक्ष ने हांगकांग के मामलों और चीन के घरेलू मुद्दों पर हस्तक्षेप करने पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा, जैसा कि ब्रिटिश पक्ष ने अपने स्वयं के वादों को तोड़ दिया, चीनी सरकार बीएनओ पासपोर्ट को एक वैध यात्रा दस्तावेज के रूप में मान्यता नहीं देने पर विचार करेगी और आगे के उपायों को लागू करने का अधिकार सुरक्षित रखेगी।
शुक्रवार को जारी एक बयान में, विदेश मंत्रालय के हांगकांग कार्यालय के एक प्रवक्ता ने भी कहा कि उन्होंने ब्रिटेन के कदम का ²ढ़ता से विरोध और ²ढ़ता से आपत्ति जाहिर की है।
उन्होंने कहा, हमने ब्रिटिश पक्ष से अपनी गलतियों को तुरंत सुधारने और अपने कटती प्रदर्शन एवं राजनीतिक हेरफेर को रोकने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा नागरिकों को यह नया मार्ग को प्रदान करने को ब्रिटेन की ओर से सार्वजनिक रूप से अपने स्वयं का वादे का उल्लंघन करार दिया।
प्रवक्ता ने कहा कि ब्रिटेन ने चीन के घरेलू मुद्दों और हांगकांग के मामलों में दखल दिया है और इसके साथ ही उसने अंतराष्र्ट्ीय कानून और संबंधों के बुनियादी सिद्धांतों का भी गंभीर रूप से उल्लंघन किया है।
बीबीसी के रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन के सरकारी विश्लेषकों ने अनुमान लगाया है कि जनवरी 20121 में नया वीजा उपलब्ध होने पर दस लाख से अधिक लोग ब्रिटेन में जाने का फैसला कर सकते हैं।
बीजिंग, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)| 22 अक्तूबर को आयोजित वर्ष 2020 फूच्यांग नवाचार मंच में प्राप्त उपलब्धियों की न्यूज ब्रीफिंग में यह देखा जा सकता है कि वर्ष 2019 में चीन में कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) से जुड़े कुल 28.7 हजार पेपर जारी किये गये, जो वर्ष 2018 की अपेक्षा 12.4 प्रतिशत से अधिक रही। कृत्रिम बुद्धि के क्षेत्र में विभिन्न स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में चीन की सक्रियता और भूमिका दिन-ब-दिन बढ़ रही है। इसके अलावा गत वर्ष चीन में कृत्रिम बुद्धि पेटेंट आवेदनों की संख्या 30 हजार से अधिक पहुंच गयी, जिसमें वर्ष 2018 की अपेक्षा 52.4 प्रतिशत इजाफा हो गया। रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में हाल के पांच वर्षों में कृत्रिम बुद्धि से जुड़े पहले सौ लोकप्रिय पेपरों में 21 पेपर चीन से हैं। यह संख्या तो दूसरे स्थान पर रही। स्वचालित मशीन लनिर्ंग, तंत्रिका नेटवर्क व्याख्यात्मक तरीके, विषम संलयन मस्तिष्क जैसे कंप्यूटिंग आदि क्षेत्रों में चीन ने कुछ विश्व प्रभावित नवाचार उपलब्धियां हासिल की हैं।
इनके अलावा पेइचिंग, थ्येनचिन व हपेई, यांग्त्जी नदी डेल्टा और क्वांगतोंग-हांगकांग-मकाओ ग्रेटर बे एरिया चीन में कृत्रिम बुद्धि विकास के मुख्य तीन क्षेत्र बने। जहां कृत्रिम बुद्धि से जुड़े उद्यमों की कुल संख्या पूरे चीन के 83 प्रतिशत तक पहुंच गयी।
"नवाज़ शरीफ़ सुन लो मेरी बात, आज से मेरी पूरी कोशिश है कि तुम्हें इस मुल्क में वापस लाया जाए और तुम्हें यहाँ आम जेल के अंदर डालेंगे, वो वीआईपी जेल नहीं होगी. ग़रीब आदमी लाखों की चोरी करे, तो वो आम जेल में रहे और जो अरबों की चोरी करे, वो वीआईपीए जेल में रहे. तुम वापस आओ. तुम्हें दिखाते हैं कि कैसे रखते हैं" पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने 17 अक्तूबर को इस्लामाबाद की एक सभा में ये एलान किया था.
इमरान ख़ान काफ़ी ग़ुस्से में थे. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री को 'गीदड़' तक कह डाला और कहा कि 'वो दुम दबाकर भाग गया है और बाहर से बैठकर सेना और सेना प्रमुख के ख़िलाफ़ बोल रहा है.'
उन्होंने विपक्ष को चेतावनी देते हुए कहा, "अब तक जो ये विपक्ष है, उन्होंने एक इमरान ख़ान को देखा है, अब जो वो एक इमरान ख़ान देखेंगे, वो एक अलग इमरान ख़ान है."
दरअसल, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के इस आक्रामक तेवर की वजह है, इन दिनों उनकी सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष का एकजुट हमला.
पाकिस्तान में विपक्ष ने महँगाई, बिजली की क़िल्लत और दूसरे आर्थिक मुद्दों को लेकर इमरान ख़ान सरकार को घेरने के लिए पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) नाम का एक गठबंधन बनाया है.
पीडीएम ने इस महीने 16 और 18 अक्टूबर को दो रैलियाँ कीं, उसमें विपक्ष की ओर से सबसे ज़्यादा मुखर थे बिलावल भुट्टो ज़रदारी और मरियम नवाज़.
बिलावल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के बेटे हैं. मरियम पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) की उपाध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की बेटी हैं.
लेकिन प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने दोनों को 'बच्चा' बताते हुए कहा है कि वो उनके बारे में बात नहीं करना चाहते हैं.
उनके निशाने पर नवाज़ शरीफ़ हैं, जो इस वक़्त लंदन में हैं और अब इमरान ख़ान सरकार उन्हें वापस लाने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं.
लेकिन सवाल यही है कि क्या नवाज़ शरीफ़ को वापस लाया जा सकेगा?
"15 जनवरी से पहले लाएँगे वापस"
पाकिस्तान के विज्ञान और तकनीक मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने तो एक तारीख़ तक दे दी है, उन्होंने बुधवार को पाकिस्तान के एक टीवी चैनल से कहा, "मुझे पूरी उम्मीद है कि सरकार नवाज़ शरीफ़ को 15 जनवरी से पहले वापस लाने में कामयाब रहेगी."
पाकिस्तान सरकार ने इसके लिए ब्रिटेन सरकार को एक ख़त भी लिखा है और पाकिस्तान स्थित ब्रिटेन के उच्चायुक्त से बात भी की है.
गृह मामलों पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के सलाहकार शहज़ाद अकबर ने पाकिस्तान के एक टीवी चैनल पर बताया कि प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल को एक चिट्ठी लिखकर नवाज़ शरीफ़ को वापस भेजे जाने की माँग की है.
शाहज़ाद अकबर ने कहा, "हमने ब्रितानी हुक़ूमत को कहा है कि उनको डिपोर्ट करें, क्योंकि आपके क़ानून के मुताबिक़, वह वहाँ नहीं रह सकते क्योंकि वह विज़िट वीज़ा पर वहाँ गए हैं."
उन्होंने बताया कि ब्रिटेन सरकार के इमिग्रेशन क़ानून के मुताबिक़ चार साल से ज़्यादा की सज़ा पाए हुए शख़्स को डिपोर्ट कर दिया जाता है.
शहज़ाद अकबर ने कहा, "हमने ब्रितानी हुकूमत से कहा है कि वो ये जाँच करा लें कि क्या वो वहाँ अपना इलाज करवा रहे हैं. जहाँ तक हमारी जानकारी है, पिछले एक साल में एक एक्स-रे के अलावा उन्होंने कुछ नहीं करवाया. हमने उनसे कहा है कि वो अपने क़ानून के हिसाब से इस बात की जाँच करा लें कि ये बंदा वहाँ कैसे रह सकता है."
मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने कहा कि नवाज़ शरीफ़ का मामला ब्रिटेन में मौजूद ऐसे दूसरे लोगों से अलग है, जिन्हें उनके देशों की सरकारें वापस बुलाना चाहती हैं.
फ़व्वाद चौधरी ने कहा, "बाक़ी लोगों के तो मुक़दमे चल रहे हैं, लेकिन नवाज़ शरीफ़ चूँकि सज़ायाफ़्ता हैं, इसलिए मुझे उम्मीद है कि ब्रितानी हुकूमत इस पर बहुत जल्द फ़ैसला करेगी."
नवाज़ क्यों नहीं आ रहे वापस
हालांकि नवाज़ शरीफ़ ने ये कभी नहीं कहा है कि वो पाकिस्तान वापस जाना ही नहीं चाहते, लेकिन ये ज़रूर बताते रहे हैं कि अपनी 'ख़राब' सेहत की वजह से वो देश नहीं लौट सकते.
पिछले महीने और जुलाई में भी उन्होंने अपने वकील के माध्यम से लाहौर हाईकोर्ट को अपनी मेडिकल रिपोर्ट भेजकर बताया था कि उन्हें डॉक्टरों ने कोरोना वायरस की वजह से बाहर जाने से मना किया है.
उन्होंने बताया कि उनका प्लेटलेट्स काउंट गिरा हुआ है और उन्हें डायबिटीज़, दिल, किडनी और ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याएँ हैं.
नवाज़ शरीफ़ पिछले साल 20 नवंबर को एक एयर एम्बुलेंस से ब्रिटेन पहुँचे थे, जब लाहौर हाईकोर्ट ने उन्हें इलाज के लिए विदेश जाने की अनुमति दी थी.
तब मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा था कि सरकार नवाज़ शरीफ़ के सेहतमंद होने के लिए दुआ कर रही है.
भ्रष्टाचार के एक मामले में सात साल की सज़ा काट रहे नवाज़ शरीफ़ इसके तीन हफ़्ते पहले ही जेल से रिहा हुए थे. पिछले साल 29 अक्तूबर को इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने मेडिकल आधार पर उनकी सज़ा को छह हफ़्ते के लिए मुल्तवी कर दिया था.
इसके 20 दिन बाद वो ये कहते हुए लंदन गए कि वो चार हफ़्तों के भीतर या डॉक्टरों के उन्हें फ़िट क़रार देते ही लौट आएँगे.
नवाज़ शरीफ़ को सज़ा क्यों हुई?
नवाज़ शरीफ़ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. पहली बार 1990 से 1993 तक. दूसरी बार 1997 से 1999 तक और अंतिम बार 2013 से 2017 तक.
वो पाकिस्तान के एक अमीर उद्योगपति और कारोबारी भी हैं.
2018 में पनामा पेपर्स लीक के बाद लंदन के पॉश इलाक़े में उनके परिवार के पास अपार्टमेंट होने के मामले में उन्हें भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया गया.
उन्हें 10 साल की सज़ा हुई, लेकिन दो महीने बाद ही वो रिहा कर दिए गए, क्योंकि अदालत ने अंतिम फ़ैसला आने तक सज़ा को स्थगित कर दिया था.
लेकिन दिसंबर 2018 में उन्हें भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में सात साल की सज़ा हुई. इस बार मामला सऊदी अरब में उनके परिवार के पास स्टील फ़ैक्ट्री होने का था.
नवाज़ शरीफ़ सभी आरोपों से इनकार करते हैं और सेना पर उनके राजनीतिक भविष्य को समाप्त करने की साज़िश रचने का आरोप लगाते हैं.
नवाज़ शरीफ़ ने पिछले महीने 20 सितंबर को लंबी ख़ामोशी के बाद एक बहुदलीय बैठक में लंदन से वीडियो लिंक के ज़रिए हिस्सा लिया. उस दौरान उन्होंने कहा था कि विपक्ष की लड़ाई इमरान ख़ान से नहीं उनसे है, जिन्होंने 2018 के चुनाव के ज़रिए उन्हें सत्ता सौंपी.
नवाज़ शरीफ़ ने कहा था, "हम चंद रुपयों की ख़ातिर डाका डालने वालों के ख़िलाफ़ तो बड़ी से बड़ी सज़ा का तक़ाज़ा करते हैं, लेकिन आवाम के हक़ पर डाका डालना कितना संगीन जुर्म है, ये क्या किसी ने सोचा है."
उनकी इस तक़रीर को कई लोगों ने राजनीति में उनकी वापसी का भी नाम दिया. अब नवाज़ शरीफ़ लौटें ना लौटें, लेकिन पाकिस्तान की सियासत में लंबे समय बाद सरगर्मी लौट आई है. (bbc)
मॉस्को, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)| अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी के पूर्व कर्मी एडवर्ड स्नोडेन को रूस में स्थायी निवास की मंजूरी दे दी गई है। साल 2013 में अमेरिका की खुफिया एजेंसी से जुड़ी जानकारी को लीक करने के बाद से स्नोडेन वहां से फरार होकर रूस में शरण लिए हुए हैं। हालांकि अब उन्हें यहां स्थायी रूप से रहने की अनुमति दे दी गई है। उनके वकील ने मीडिया को इसकी जानकारी दी है।
स्नोडेन के वकील एनातोली कुचेरेना ने गुरुवार को तास समाचार एजेंसी को बताया, "स्नोडेन को आज अनिश्चित काल के लिए स्थायी निवास की मंजूरी प्रदान कर दी गई है।"
उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल के लिए स्नोडेन रूसी नागरिकता के लिए आवेदन करने की संभावनाओं पर विचार नहीं कर रहे हैं।
इससे पहले, कुचेरेना ने कहा था कि उनकी निवास परमिट 30 अप्रैल, 2020 को समाप्त हो गई थी, लेकिन कोरोनावायरस महामारी के बीच इसे अपने आप ही 15 जून तक बढ़ा दिया गया था।
लॉकडाउन के खत्म होते ही स्नोडेन ने इसकी अवधि को बढ़ाए जाने के लिए आवेदन कर दिया था।
साल 2013 में स्नोडेन ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी के इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की पद्धतियों के बारे में जानकारी लीक कर हंगामा खड़ा कर दिया था। इसमें देश-विदेश के राजनेताओं के फोन को टैप कर चोरी-छिपे उनकी बातें सुनने का भी खुलासा हुआ था।
ढाका, 23 अक्टूबर| बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए के अब्दुल मोमन को उनके चीनी समकक्ष वांग यी द्वारा फोन पर वार्ता के दौरान आश्वासन दिया गया कि म्यांमार ने बीजिंग को रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस लेने का भरोसा दिया है, जो वर्तमान में कॉक्स बाजार में शरण लिए हुए हैं। शुक्रवार को यह जानकारी दी गई। समाचार पत्र द डेली स्टार के मुताबिक, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डोनर्स कॉन्फ्रेंस के मौके पर गुरुवार शाम को फोन कॉल के दौरान यह आश्वासन मिला।
बयान में चीनी मंत्री के हवाले से कहा गया कि म्यांमार ने चीन को बताया है कि वह रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस लेने पर काम कर रहा है, क्योंकि कोविड-19 की स्थिति में सुधार हुआ है।
वांग ने मोमन को बताया कि म्यांमार अपने 8 नवंबर के आम चुनावों के बाद रोहिंग्या प्रत्यावर्तन पर नए सिरे से चर्चा शुरू करना चाहता है।
बयान में चीनी मंत्री के हवाले से कहा गया है कि पहले, राजदूत-स्तर पर एक बैठक और फिर चीन, बांग्लादेश और म्यांमार के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक होगी।
उन्होंने जल्द से जल्द ढाका में वरिष्ठ आधिकारिक स्तर की त्रिपक्षीय बैठक पर जोर दिया।
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने अपने नवीनतम अपडेट में कहा है कि वर्तमान में बांग्लादेश में 8,60,697 रोहिंग्या रह रहे हैं।
2017 में रोहिंग्या पलायन शुरू होने के बाद से कॉक्स बाजार अब दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर है।
बांग्लादेश सरकार ने रोहिंग्या को 6,500 एकड़ भूमि पर शिविर लगाने की अनुमति दी है, जो लगभग 27 वर्ग किलोमीटर है। (आईएएनएस)
काबुल, 23 अक्टूबर| अफगानिस्तान के निमरोज प्रांत में तालिबान के हमले में कम से कम 20 अफगान सुरक्षाकर्मी मारे गए। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। टोलो न्यूज के मुताबिक, हमला गुरुवार रात खाशरोड जिले में हुआ।
खशारोड के गवर्नर जलील अहमद वतनदोस्त ने कहा कि छह अन्य को तालिबान ने बंधक बना लिया है।
अफगान रक्षा मंत्रालय ने इस घटना पर अभी आधिकारिक टिप्पणी नहीं किया है।
दोहा में चल रही शांति वार्ता के बावजूद देश भर में हिंसा में तेजी से बढ़ोतरी के बीच यह नवीनतम हमला हुआ है।
रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि तालिबान आतंकवादियों ने पिछले 24 घंटों में 24 प्रांतों में अपने हमले किए हैं, जिनमें तखर, हेलमंद, उरुजगन, कुंदुज, बागलान, लगमान, पक्तिया, गजनी, लोगार, मैदान वरदक, कंधार, जाबुल, हेरात, फराह, बादगिस, फरयाब, सर-ए-पुल और बदख्शां शामिल हैं। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 23 अक्टूबर| नस्लीय समानता को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के स्वरूप अल्फाबेट और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा है कि कंपनी एक ऐसा कार्यस्थल बनने की दिशा को खुद को जिम्मेदार बनाए रखेगी, जहां सभी वर्ग के लोगों को काम करने के समान अवसर मिलेंगे। जून में गूगल की ओर से यह कहा गया था कि साल 2025 तक यह अपनी कंपनी में एक बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यक समूहों की स्थिति को सुधारने की दिशा में काम करेगी। इस समय सीमा में संस्थान में इनका कार्यभार 30 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा।
गुरुवार को अपने यहां के कर्मियों को भेजे गए एक संदेश में पिचाई ने कहा, "आज हम अपना एक और मकसद जोड़ रहे हैं कि साल 2025 तक सभी स्तरों में अश्वेत पूर्णकालिक कर्मियों की संख्या दोगुनी की जाएगी।"
कंपनी के सीईओ ने कहा कि कंपनी अफ्रीकी-अमेरिकी व्यवसायों में दस करोड़ डॉलर तक की राशि को खर्च करने का लक्ष्य बना रही है, जो कि अमेरिका में अल्पसंख्यक समूहों द्वारा संचालित व्यवसायिक कार्यक्रमों और इनके आपूर्तिकर्ताओं के साथ सौ करोड़ डॉलर की न्यूनतम राशि को खर्च करने की इसकी प्रतिबद्धता का एक हिस्सा मात्र है। (आईएएनएस)
काबुल 23 अक्टूबर (स्पूतनिक)। अफगानिस्तान के पूर्वी नांगरहार प्रांत में सेना की ओर से किए गए जवाबी हवाई हमले में छह पाकिस्तानी नागरिकों समेत तालिबान के 12 आतंकवादी मारे गए जबकि सात अन्य घायल हो गए।
नांगरहार प्रांत के गवर्नर के कार्यालय ने शुक्रवार को एक वक्तव्य में यह जानकारी दी।
वक्तव्य के मुताबिक सेना ने नांगरहार प्रांत के खोगयानी जिले के डांडो क्षेत्र में गुरुवार देर रात तालिबान के ठिकाने को निशाना बनाकर हवाई हमले किए जिसमें छह पाकिस्तानी नागरिकों समेत तालिबान के 12 आतंकवादी मारे गए जबकि सात अन्य घायल हो गए।
सुरक्षाकर्मियों ने तालिबान के इस ठिकाने से सात एके-राइफलें भी बरामद की हैं।