नई दिल्ली, 29 दिसम्बर । केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वेलफेयरिज्म मॉडल एक केस स्टडी है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आईआईएम के छात्रों से चर्चा के दौरान यह बात कही।
वह 'विकसित भारत 2047' छात्र समुदाय के साथ बातचीत कर रहे थे।
इस चर्चा का उद्देश्य वर्ष 2047 तक भारत में शैक्षिक और कौशल विकास परिदृश्य को आकार देना है।
छात्रों के साथ चर्चा सरकार के इस दीर्घकालिक दृष्टिकोण और इसकी कई पहलों के इर्द-गिर्द घूमती रही, जो शैक्षिक परिदृश्य को राष्ट्र के समग्र व्यापक लक्ष्यों को केंद्र में रखते हुए हुई।
इस अवसर पर प्रधान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन, समाज के निचले पायदान पर मौजूद लोगों के उत्थान के दृष्टिकोण, सबका साथ-सबका विकास मॉडल, मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने और भारतीयता से गौरव, प्रेरणा और आत्मविश्वास प्राप्त करने की आवश्यकता पर जोर देने के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री का वेलफेयरिज्म मॉडल एक केस स्टडी है। प्रधान ने संस्थान के छात्रों और संकाय सदस्यों को इसकी सूक्ष्मता से जांच करने और जम्मू और कश्मीर के अद्वितीय प्रस्तावों और संभावनाओं पर दीर्घकालिक केस स्टडी के साथ आने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
उन्होंने अगले 25 वर्षों के महत्व पर भी जोर दिया जब सबका प्रयास (सभी की भागीदारी) के साथ, विकसित भारत @2047 का लक्ष्य साकार होगा।
छात्रों के सवालों का जवाब देते हुए, उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहल का उल्लेख किया। जिसे सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के एक हिस्से के रूप में शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए योजना बना रही है और लागू कर रही है।
बातचीत के दौरान, प्रधान ने शिक्षा के समग्र विकास में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के महत्व का भी उल्लेख किया। अपनी यात्रा के दौरान, धर्मेंद्र प्रधान ने आईआईएम जम्मू के जगती परिसर के निर्माण की प्रगति का विस्तृत मूल्यांकन किया, जिसमें शैक्षणिक उत्कृष्टता, अनुसंधान और भविष्य के नेताओं को बढ़ावा देने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को स्वीकार किया गया।
उन्होंने संस्थान में अत्याधुनिक पुस्तकालय का भी दौरा किया और एक व्यापक शिक्षण ईकोसिस्टम प्रदान करने के लिए वहां उपलब्ध उन्नत सुविधाओं की सराहना की। (आईएएनएस)।
श्रीनगर, 29 दिसंबर । कश्मीर में सुबह घने कोहरे के कारण घाटी में जनजीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और पूरे क्षेत्र में शुक्रवार को जबरदस्त ठंड है।
शुक्रवार की सुबह कश्मीर में दृश्यता घटकर केवल कुछ मीटर रह गई। ठंड ने आम आदमी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
मौसम विभाग के एक बयान में कहा गया है कि श्रीनगर शहर में आज न्यूनतम तापमान शून्य से 3.3 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जबकि गुलमर्ग और पहलगाम में क्रमश: शून्य से 2.5 डिग्री सेल्सियस नीचे और शून्य से 5.4 डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान दर्ज किया गया।
लद्दाख क्षेत्र के लेह शहर में न्यूनतम तापमान माइनस 14.7, कारगिल में माइनस 11.6 और द्रास में माइनस 13.8 रहा।
जम्मू शहर में रात का न्यूनतम तापमान 8.6, कटरा में 7.8, बटोट में 4.4, भद्रवाह में 1 और बनिहाल में माइनस 0.8 रहा।
कड़ाके की ठंड की 40 दिनों की लंबी अवधि जिसे 'चिल्लई कलां' के नाम से जाना जाता है, 21 दिसंबर को शुरू हुई और 30 जनवरी को समाप्त होगी। (आईएएनएस)।
लखनऊ, 29 दिसंबर । यूपी की राजधानी लखनऊ के रहमान खेडा स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा विकसित की गयी अमरूद की प्रजातियां धूम मचा रहीं हैं। ये प्रजातियां न सिर्फ स्वास्थ्यवर्धक हैं बल्कि किसानों को भी मालामाल करने वाली हैं। इन प्रजातियों में सीआईएसएच नाम से जानी जाने वाली ललित, श्वेता, धवल और लालिमा प्रजातियां प्रमुख हैं।
संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुशील शुक्ला के अनुसार, इन प्रजातियों के फल, परंपरागत रूप से प्रचलित प्रजातियों से बड़े होते हैं। स्वाद और मिठास में बेहतर होने के नाते इनका बाजार भाव भी अच्छा मिलता है। इनके पौधे संस्थान की पौधशाला में विक्रय के लिए उपलब्ध हैं। अमरूद स्वास्थ्य को ठीक रखता है। इसमें पोषक तत्वों की प्रचुरता है।
कृषि वैज्ञानिक सुशील शुक्ला बताते हैं कि प्रति 100 ग्राम अमरूद में नमी की मात्रा 81.70 प्रतिशत है जबकि 5.2 प्रतिशत फाइबर, 11.2 प्रतिशत कार्बोज, 0.9 प्रतिशत प्रोटीन, 0.3 प्रतिशत वसा के अलावा कैल्शियम, फॉस्फोरस, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, आयरन आदि भी पाए जाते हैं।
ललित -- इस प्रजाति के फल भीतर से गुलाबी एवं बाहर से आकर्षक लाल आभायुक्त केसरिया पीले रंग के होते हैं। फल का गूदा सख्त एवं शर्करा एवं अम्ल के उचित अनुपात के साथ ही गुलाबी रंग का होता है। ताजे उपभोग एवं परिरक्षण दोनों की ही दृष्टि से यह किस्म उत्तम पायी गयी है। इसके गूदे का गुलाबी रंग परिरक्षण के बाद भी एक वर्ष तक बना रहता है। यह किस्म अमरूद की लोकप्रिय किस्म इलाहाबाद सफेदा की अपेक्षा औसतन 24 प्रतिशत अधिक उपज देती है। इन्हीं गुणों के कारण यह प्रजाति व्यावसायिक खेती के लिए मुफीद है।
श्वेता -- यह एप्पल कलर किस्म के बीजू पौधों से चयनित खूब फलत देने वाली किस्म है। वृक्ष मध्यम आकार का होता है। फल थोड़े गोल होते हैं। बीज मुलायम होता है। फलों का औसत आकार करीब 225 ग्राम होता है। बेहतर प्रबंधन से प्रति पेड़ प्रति सीजन करीब 90 किग्रा फल प्राप्त होते हैं।
धवल -- यह प्रजाति इलाहाबाद सफेदा से भी लगभग 20 फीसद से अधिक फलत देती है। फल गोल, चिकने एवं मध्यम आकार (200-250 ग्राम) के होते हैं। पकने पर फलों का रंग हल्का पीला और गूदा सफेद, मृदु सुवासयुक्त मीठा होता है। बीज भी अपेक्षाकृत खाने में मुलायम होता है।
लालिमा -- यह एप्पल ग्वावा से चयनित किस्म है। फलों का रंग लाल होता है। प्रति फल औसत वजन 190 ग्राम होता है। फलत भी अच्छी होती है। अमरूद के बाग किसी भी तरह की भूमि पर लगाए जा सकते हैं। उचित जलनिकास वाली बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त है।
पौधरोपण करते समय पौध से पौध और लाइन से लाइन की मानक दूरी 5 से 6 मीटर रखें। पौधों के बड़े होने तक चार पांच साल तक इसमें सीजन के अनुसार इंटर क्रॉपिंग भी कर सकते हैं। अगर सघन बागवानी करनी है तो यह दूरी आधी कर दें। इसमें प्रबंधन और फसल संरक्षण पर ध्यान देने से पौधों की संख्या के अनुसार उपज भी अधिक मिलती है।
जाड़े में मिलने वाले अमरूद के फल अपेक्षाकृत बेहतर गुणवत्ता के होते हैं। मांग अच्छी होने से दाम भी अच्छे मिलते हैं। अगर आप जाड़े में अधिक फल चाहते हैं तो मार्च अप्रैल में आने वाले फूल को शाखाओं सहित निकाल दें। इससे जाड़े की फलत और फलों की गुणवत्ता बेहतर हो जाएगी।
रोपण का उचित समय जुलाई अगस्त है। सिंचाई का साधन उपलब्ध होने पर फरवरी में भी पौधे लगा सकते हैं।
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन के अनुसार अपने खास स्वाद और सुगंध के अलावा विटामिन सी से भरपूर अमरूद में शर्करा, पेक्टिन भी होता है। साथ ही इसमें खनिज, विटामिंस और रेशा भी मिलता है। इसीलिए इसे अमृत फल और गरीबों का सेव भी कहते हैं।
ताजे फलों के सेवन के अलावा प्रोसेसिंग कर इसकी चटनी, जेली, जेम, जूस और मुरब्बा आदि भी बना सकते हैं।
संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुशील शुक्ला के अनुसार, बेहतर आय के लिए आम के साथ अमरूद के भी बाग लगा सकते हैं। इसके लिए आम के पौधों की पौध से पौध और लाइन से लाइन की दूरी 10 मीटर रखें। दो पौधों और लाइन से लाइन के बीच 55 मीटर पर अमरूद के पौधे लगाएं। इससे अमरूद के काफी पौधे लग जाएंगे। इससे बागवानों को बेहतर और अधिक समय तक आय होगी। (आईएएनएस)।
नयी दिल्ली, 28 दिसंबर । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया है कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाद्रा द्वारा वर्ष 2005-06 में हरियाणा में एक रियल एस्टेट एजेंट से जमीन के तीन भूखंडों की खरीद मामले की जांच की जा रही है। इसके अलावा, ईडी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा द्वारा किए गए जमीन के सौदे की भी जांच कर रही है।
ईडी ने हाल ही में इससे जुड़े धनशोधन मामले में दायर किए गए एक आरोपपत्र में यह दावा किया है।
ईडी ने इस मामले में नवंबर में संयुक्त अरब अमीरात स्थित अनिवासी भारतीय कारोबारी सी. सी. थम्पी के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत के समक्ष आरोप पत्र (अभियोजन शिकायत) दायर किया था। थम्पी का संबंध कथित तौर पर रॉबर्ट वाद्रा और सुमित चड्ढा से बताया जा रहा है। सुमित चड्ढा कथित बिचौलिये संजय भंडारी का एक रिश्तेदार है।
हालांकि, ईडी ने अपने आरोप-पत्र में रॉबर्ट वाद्रा और प्रियंका गांधी वाद्रा को आरोपी के रूप में नामित नहीं किया है, लेकिन यह पहली बार है जब किसी अदालत में दायर आरोप-पत्र में प्रियंका गांधी का नाम लिया गया है।
दिल्ली में धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की एक विशेष अदालत ने 22 दिसंबर को इस आरोप-पत्र पर संज्ञान लिया और मामले को अगली सुनवाई के लिए 29 जनवरी, 2024 को सूचीबद्ध किया।
भंडारी 2016 में ब्रिटेन भाग गया था और ब्रिटिश सरकार ने ईडी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के कानूनी अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए इस साल जनवरी में भारत में उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है।
दोनों केंद्रीय एजेंसियां विदेश में कथित अघोषित संपत्ति रखने के लिए कथित बिचौलिये भंडारी के खिलाफ धनशोधन और कर चोरी के आरोपों की जांच कर रही है।
ईडी ने अपने आरोप-पत्र में कहा कि 2015 में 67-वर्षीय थम्पी के खिलाफ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) का मामला दर्ज करने के बाद उसे वाद्रा दंपती द्वारा जमीन की खरीद और बिक्री से संबंधित लेनदेन का पता चला। एजेंसी ने कहा कि रॉबर्ट वाद्रा और थम्पी के बीच 'एक लंबा और गहरा रिश्ता' मौजूद था।
इस मामले में ईडी पहले भी रॉबर्ट वाद्रा से पूछताछ कर चुकी है और उन्होंने जमीन सौदे में किसी भी तरह की गड़बड़ी होने से इनकार किया था।
ईडी ने कहा कि थम्पी ने 2005-2008 के बीच दिल्ली-एनसीआर स्थित रियल एस्टेट एजेंट एच. एल. पाहवा के माध्यम से हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अमीरपुर गांव में लगभग 486 एकड़ जमीन खरीदी थी।
ईडी ने अपने आरोप-पत्र में कहा, ‘‘यह उल्लेख करना जरूरी है कि रॉबर्ट वाद्रा ने 2005-2006 तक एच. एल. पाहवा से अमीरपुर में 334 कनाल (40.08 एकड़) जमीन के तीन भूखंड खरीदे और दिसंबर 2010 में उसी जमीन को एच. एल. पाहवा को बेच दिया। इसके अलावा रॉबर्ट वाद्रा की पत्नी प्रियंका गांधी वाद्रा ने अप्रैल 2006 में एच एल पाहवा से हरियाणा के फरीदाबाद जिले के अमीरपुर गांव में 40 कनाल (पांच एकड़) की कृषि भूमि खरीदी और फरवरी 2010 में वही जमीन एच. एल. पाहवा को वापस बेच दी।’’
ईडी ने कहा, ‘‘पाहवा को भूमि अधिग्रहण के लिए बही-खातों से नकदी मिल रही थी। यह भी देखा गया कि रॉबर्ट वाद्रा ने पाहवा को पूरी धनराशि नहीं दी। इस संबंध में जांच अब भी जारी है।’’
इस मामले में थम्पी को जनवरी 2020 में गिरफ्तार किया गया था और ईडी ने एक हालिया बयान में आरोप लगाया था कि वह रॉबर्ट वाद्रा का करीबी सहयोगी है। थम्पी फिलहाल जमानत पर जेल से बाहर है।
ईडी ने आरोप-पत्र में यह भी कहा कि थम्पी ने जनवरी 2020 में एक बयान में कहा था कि उसने 10 साल से अधिक समय पहले रॉबर्ट वाद्रा से एक लैंड क्रूजर कार खरीदी थी, जिसके लिए उसने भारत में अपने एनआरई (अनिवासी बाहरी) खातों से चेक के माध्यम से रॉबर्ट वाद्रा को भुगतान किया था।
ईडी के मुताबिक, थम्पी ने 2007 में रॉबर्ट वाद्रा के साथ 10 लाख रुपये के बैंक लेनदेन की व्याख्या के लिए कोई दस्तावेज या विवरण प्रस्तुत नहीं किया है। ईडी ने कहा, ‘‘इस प्रकार, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि रॉबर्ट वाद्रा का सी. सी. थम्पी के साथ घनिष्ठ संबंध है।’’
थम्पी ने जून 2019 में ईडी को बताया था कि वह रॉबर्ट वाद्रा को 10 साल से अधिक समय से जानता है और सोनिया गांधी के निजी सहायक माधवन ने शुरुआत में उनसे मिलवाया था।
थम्पी ने ईडी को बताया कि वह रॉबर्ट वाद्रा से होटल ताज मान सिंह के लाउंज और दिल्ली के कुछ अन्य रेस्तरां और दुबई में कई बार मिला था। थम्पी ने प्रवर्तन निदेशालय को यह भी बताया कि रॉबर्ट वाद्रा लंदन के 12 ब्रयानस्टन स्क्वायर स्थित संपत्ति में तीन-चार बार रुके थे।
ईडी ने इस सप्ताह की शुरुआत में जारी एक प्रेस बयान में कहा था कि रॉबर्ट वाद्रा ने लंदन के इस घर में पुनर्निर्माण कराया और ठहरे भी, जो भंडारी के खिलाफ चल रहे धनशोधन मामले में 'अपराध से अर्जित आय से हासिल किया गया' है।
ईडी ने 2015 के काला धन निरोधक कानून के तहत भंडारी के खिलाफ दायर आयकर विभाग के आरोप-पत्र का संज्ञान लेते हुए फरवरी 2017 में भंडारी और अन्य के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया था।(भाषा)
नई दिल्ली, 28 दिसंबर। भाजपा जोर-शोर से 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी है। पार्टी की चुनावी तैयारियों और सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने सांसदों के कामकाज को लेकर सीधे जनता से फीडबैक ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं 'नमो ऐप' के जरिए जनता से सांसदों के कामकाज को लेकर फीडबैक ले रहे हैं। इसे सांसदों के कामकाज और भावी उम्मीदवारों को लेकर एक सर्वेक्षण के तौर पर भी देखा जा रहा है, जिसकी निगरानी स्वयं प्रधानमंत्री और पार्टी आलाकमान कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी 'नमो ऐप' के जरिए सीधे लोगों से जिस तरह के सवाल पूछ रहे हैं, उससे लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर उनके विजन का अंदाजा हो जाता है।
प्रधानमंत्री लोगों से पूछ रहे हैं कि, क्या आप अपने सांसद के कामकाज से संतुष्ट हैं?, क्या आपके सांसद क्षेत्र में दिखते हैं और आपके लिए उपलब्ध हैं?, क्या आप अपने सांसद की पहल (कामकाज) से अवगत हैं?, क्या आपके सांसद आपके क्षेत्र में लोकप्रिय हैं?
सबसे महत्वपूर्ण तथ्य तो यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी ऐप के जरिए कराए जा रहे 'जन मन सर्वे' में सीधे लोगों से यह भी पूछ रहे हैं कि वो अपने-अपने संसदीय क्षेत्र में भाजपा के तीन सबसे लोकप्रिय नेताओं के नाम बताएं। मकसद बिल्कुल साफ है कि अगर जनता वर्तमान स्थानीय सांसद के कामकाज से संतुष्ट नहीं है तो पार्टी के पास लोकप्रिय नेताओं के नामों का एक पैनल भी तैयार रहे।
हाल ही में राजधानी दिल्ली में हुई पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में एक बार फिर से सभी नेताओं को यह निर्देश भी दिया गया है कि वो अपने-अपने राज्यों में जाकर पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों से ज्यादा से ज्यादा पैमाने पर उनके मोबाइल में नमो ऐप डाउनलोड करवाएं।
दरअसल, इस सर्वे में तेजी लाने के लिए और सर्वेक्षण का एक बड़ा सैंपल साइज बनाने के लिए यह सारी कवायद की जा रही है। पार्टी कार्यकर्ताओं को युद्धस्तर पर नमो ऐप डाउनलोड करने और करवाने को कहा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान सांसदों को फिर से टिकट मिलने या टिकट कटने में इस 'जन मन सर्वे' के नतीजों की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है।
वैसे तो पार्टी कई स्तरों पर उम्मीदवारों को लेकर सर्वेक्षण करवाती रही है, लेकिन शीर्ष स्तर पर सीधे देश की आम जनता से इतने बड़े पैमाने पर इस तरह का फीडबैक पहली बार लिया जा रहा है और इसलिए टिकट बंटवारे में इसके नतीजों की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है।
बता दें कि इस बार पार्टी लोकसभा चुनाव की आधिकारिक घोषणा होने से पहले ही अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करना शुरू कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में भगवान श्री रामलला सरकार के श्री विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा करेंगे। अयोध्या के इस प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद जनवरी के आखिरी सप्ताह या फरवरी के पहले सप्ताह में भाजपा के लोकसभा उम्मीदवारों की पहली लिस्ट आ सकती है। (आईएएनएस)
नयी दिल्ली, 28 दिसंबर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बृहस्पतिवार को कहा कि कांग्रेस ने हमेशा ऐसे भारत के निर्माण की दिशा में काम किया है जो संसदीय लोकतंत्र और समानता पर आधारित हो।
कांग्रेस का आज 139वां स्थापना दिवस है और इसी के साथ पार्टी अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार का प्रारंभ नागपुर में विशाल रैली के साथ कर रही है।
खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा,‘‘ इंडियन नेशनल कांग्रेस का उद्देश्य जन कल्याण और भारत के लोगों की प्रगति है।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का विश्वास ऐसे भारत में है जो संसदीय लोकतंत्र पर आधारित हो, जहां समानता हो और भेदभाव के बिना सभी के लिए अवसर हों और जहां संविधान में दर्ज राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक अधिकारों का पालन हो।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ हमें गर्व है कि पिछले 138 वर्ष से हम इस प्रकार के भारत के निर्माण के लिए पूरी ईमानदारी से संघर्ष करते आ रहे हैं। कांग्रेस के स्थापना दिवस के अवसर पर प्रत्येक भारतीय को दिल से शुभकामनाएं।’’
कांग्रेस के स्थापना दिवस के मौके पर खरगे ने यहां पार्टी मुख्यालय में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा समेत वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में पार्टी के कार्यकार्ताओं को बधाई दी और कहा कि कांग्रेस जैसे संगठन का हिस्सा होने पर वह गौरवान्वित हैं जिसका आधार सत्य और अहिंसा है और प्रेम, बंधुत्व, सम्मान तथा समानता जिसके स्तंभ हैं और देशभक्ति जिसकी छत है।
कांग्रेस अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार का प्रारंभ महाराष्ट्र के नागपुर शहर में ‘हैं तैयार हम’ रैली के साथ करेगी।
पार्टी के नेताओं के अनुसार पार्टी की पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी रैली को संबोधित करेंगे। (भाषा)
कोलकाता, 28 दिसंबर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के सिलसिले में बृहस्पतिवार को कोलकाता में नौ अलग-अलग स्थानों पर एक साथ छापे मारे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि ईडी के अधिकारियों की नौ टीमों ने शहर के बड़ाबाजार इलाके, काकुरगाछी और ईएम बाईपास में विभिन्न लोगों के कार्यालयों और आवासों पर छापे मारे।
अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘यह छापेमारी प्राथमिक विद्यालय रोजगार घोटाले से संबंधित हमारी जांच का हिस्सा है। ये लोग धन की हेराफेरी में कथित तौर पर शामिल थे। हम कागजात और अन्य बैंक दस्तावेजों की तलाश कर रहे हैं।’’
गो तस्करी घोटाले में ईडी की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए एक व्यक्ति से मिली सूचना के बाद बृहस्पतिवार सुबह तलाशी अभियान शुरू किया गया। (भाषा)
नयी दिल्ली, 27 दिसंबर देश में बीते 24 घंटे में कोविड-19 के 702 नए मामले सामने आए तथा उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़ कर 4,097 हो गई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से बुधवार को सुबह आठ बजे तक अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, बीते 24 घंटों में कोरोना वायरस संक्रमण से छह लोगों की मौत हुई है।
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, बीते 24 घंटे में कोविड-19 से महाराष्ट्र में दो जबकि कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में एक-एक मरीज की मौत हुई है।
देश में 22 दिसंबर को संक्रमण के 752 नए मामले दर्ज किए गए थे।
ठंड और कोरोना वायरस के नए उपस्वरूप के कारण हाल के दिनों में संक्रमण के मामलों में तेजी आई है। इससे पहले पांच दिसंबर तक दैनिक मामलों की संख्या घटकर दोहरे अंक तक पहुंच गई थी।
वर्ष 2020 की शुरुआत से अब तक लगभग चार वर्षों में देश भर में कोरोना वायरस से लगभग साढ़े चार करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हुए तथा इससे 5.3 लाख से अधिक मौतें हुईं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, संक्रमण से उबरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 4.4 करोड़ हो गई है। स्वस्थ होने की राष्ट्रीय दर 98.81 प्रतिशत है।
मंत्रालय के अनुसार, देश में कोविड-19 रोधी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 220.67 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं। (भाषा)
नयी दिल्ली, 28 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने संसद की सुरक्षा में सेंध मामले में गिरफ्तार नीलम आजाद की याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया।
नीलम ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उसकी पुलिस हिरासत अवैध है और उसे उसकी पंसद के वकील से विचार-विमर्श करने की अनुमति नहीं दी जा रही है जो अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान उसका पक्ष रख सके।
आरोपी के वकील ने न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्ण एवं न्यायमूर्ति शैलिन्दर कौर की अवकाश पीठ के समक्ष मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया। इस पर पीठ ने कहा कि मामले में जल्दबाजी की जरूरत नहीं है।
पीठ ने कहा, ‘‘इसे तीन जनवरी को लिया जाएगा। कोई ऐसी आवश्यकता नहीं है।’’
आज़ाद के वकील ने कहा कि उनकी मुवक्किल ने हिरासत के आदेश को चुनौती दी है और उसकी पुलिस हिरासत की अवधि पांच जनवरी को समाप्त हो रही है।
अदालत ने इस अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कहा कि हिरासत की अवधि समाप्त होने से पहले सुनवाई के लिए अब भी ‘पर्याप्त वक्त’ है।
आरोपी ने अपनी याचिका में उसे उच्च न्यायालय के समक्ष पेश करने का निर्देश देने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट और साथ ही "उसे स्वतंत्र करने" का आदेश देने का अनुरोध किया है। आरोपी ने कहा कि उसकी पसंद के वकील से परामर्श करने की अनुमति न देना संविधान प्रदत्त उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और इस प्रकार से उसकी हिरासत का आदेश अवैध है।
भारतीय कानून के तहत एक बंदी या उसकी ओर से कोई व्यक्ति पेशी के लिए उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर सकता है यदि उन्हें लगता है कि किसी को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है।
यदि संबंधित अदालत पेशी पर इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि हिरासत अवैध है तो वह उसकी रिहाई का आदेश दे सकती है।
संसद पर 2001 में हुए आतंकवादी हमले की बरसी के दिन गत 13 दिसंबर को सुरक्षा में चूक की बड़ी घटना उस वक्त सामने आई थी जब लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से सागर शर्मा और मनोरंजन डी सदन के भीतर कूद गए और नारेबाजी करते हुए ‘केन’ के जरिये पीले रंग का धुआं फैला दिया था। घटना के तत्काल बाद दोनों को पकड़ लिया गया था।
इस घटना के कुछ देर बाद ही पीले और लाल रंग का धुआं छोड़ने वाली ‘केन’ लेकर संसद भवन के बाहर प्रदर्शन करने वाले दो अन्य लोगों- अमोल शिंदे और नीलम देवी को गिरफ्तार कर लिया गया था। इन लोगों ने ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ और कुछ अन्य नारे लगाये थे। (भाषा)
भुवनेश्वर, 28 दिसंबर भुवनेश्वर के नंदनकानन प्राणी उद्यान (एनजेपी) में अगले माह दुबई से चीते का एक जोड़ा, छह शेर, चिंपैंज़ी, लीमर अन्य जीव-जंतु और पक्षी लाए जाएंगे।
अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) सुशांत नंदा ने बुधवार को संवाददाताओं को बताया कि इन जीव-जंतुओं को पशु विनिमय कार्यक्रम के माध्यम से लाया जाएगा।
चिड़ियाघर के अधिकारियों ने विनिमय कार्यक्रम के माध्यम से इन जीव-जंतुओं और पक्षियों को लाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात में दुबई सफारी पार्क के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
चिड़ियाघर के अधिकारियों के अनुसार, एक नर और मादा चीते के बदले पांच मणिपुरी हिरण दिए जाएंगे, जिनमें दो नर और तीन मादा होंगे।
अधिकारी ने चार सफेद शेर (एक नर और तीन मादा), साथ ही दो अफ्रीकी शेर (एक नर और एक मादा) लाने की योजना की भी जानकारी दी। (भाषा)
तुमकुरु (कर्नाटक), 28 दिसंबर कर्नाटक सरकार में मंत्री मधु बंगारप्पा उस समय बाल-बाल बच गए जब उनकी कार तुमकुरु जिले के क्याथासंद्रा के पास एक ट्रक से टकरा गई। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग संभालने वाले मधु बंगारप्पा बुधवार देर रात शिवमोग्गा से बेंगलुरु लौट रहे थे, तभी यह दुर्घटना हुई।
उसने बताया कि दुर्घटना में कोई घायल नहीं हुआ है तथा मंत्री दूसरी कार में सवार होकर बेंगलुरु के लिए रवाना हो गए। (भाषा)
-विनीत खरे और पायल भुयन
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 'डोनेट फ़ॉर देश' नाम से ऑनलाइन क्राउडफ़ंडिंग कैंपेन की शुरुआत की है.
18 साल से अधिक उम्र के भारतीय 138 रुपए, 1380, 13,800 या फिर और ज़्यादा चंदा पार्टी को एक ख़ास डिज़ाइन की गई वेबसाइट से दे सकते हैं.
इस वेबसाइट की लॉन्चिंग के मौक़े पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "ये पहली बार है कि कांग्रेस पार्टी ने आम जनता से मदद लेकर देश को बनाने के लिए ये क़दम उठाया है."
क्राउडफ़ंडिंग वेबसाइट के लगातार अपडेट हो रहे डोनेशन डैशबोर्ड के मुताबिक़, अभियान के तहत छह करोड़ रुपये से ज़्यादा इकट्ठा हो चुके हैं और पार्टी के मुताबिक़ अब तक क़रीब दो लाख लोग इस अभियान से जुड़ चुके हैं.
बीबीसी से बातचीत में कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि कैंपेन की शुरुआत का मतलब ये नहीं है कि पार्टी के पास संसाधनों की कमी है.
वो कहते हैं, "हम ये उम्मीद नहीं कर रहे हैं कि इससे हमारा चुनाव का ख़र्चा निकल जाएगा. ये तो हमारा टारगेट भी नहीं है. ये एक राजनीतिक गतिविधि है, जिससे हम लोगों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं."
संस्था एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स के मुताबिक़, साल 2021-22 में देश की आठ प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में क़रीब 6,046.81 करोड़ की संपत्ति के साथ भाजपा सबसे आगे है जबकि कांग्रेस के पास क़रीब 806 करोड़ रुपये की संपत्ति है.
यानी भाजपा के पास कांग्रेस से सात गुना से भी ज़्यादा संपत्ति है और ये बात छिपी नहीं कि भारत में चुनाव लड़ना बेहद महंगा है.
‘डोनेट फॉर देश’
‘डोनेट फॉर देश’ कैंपेन की टाइमिंग को लेकर किए गए सवाल पर अजय माकन मानते हैं, ‘’मैं समझता हूँ कि ये पहले होना चाहिए था जितना ये पहले होता उतना हमारा जनता से बेहतर कनेक्ट हो पाता.’’
कांग्रेस के ‘डोनेट फॉर देश’ कैंपेन की शुरुआत के वक़्त को लेकर कैंब्रिज विश्वविद्यालय में पीएचडी अराध्य सेठिया कहते हैं, "अब ये बहुत लेट हो गया है. अब लोगों को लगेगा कि इनको कैंपेन चलाने के लिए इनको पैसे चाहिए और हम पैसे दे रहे हैं."
अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स के राजनीतिक संपादक विनोद शर्मा के मुताबिक, "देर आए दुरुस्त आए. पैसा आ रहा है, देर से आ रहा है, क्या फ़र्क पड़ता है."
तो वहीं सत्तारूढ़ भाजपा ने कांग्रेस के इस कैंपेन को गांधी परिवार को समृद्ध करने की एक और कोशिश बताया है.
भाजपा प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने कहा, "साठ साल 'लूट फ्रॉम देश' करते-करते आज कैंपेन ये चला रहे हैं ‘डोनेशन फ़ॉर देश’. साठ वर्षों तक ‘जीप स्कैम’ से लेकर ‘अगस्ता वेस्टलैंड स्कैम’ तक, ‘नेशनल हेरल्ड स्कैम’ तक आपने देश की पाई-पाई लूटी, लाखों करोड़ों रुपए का गबन किया, लूट फ़्रॉम देश किया और आज आप कैंपेन चला रहे है ‘डोनेशन फ्रॉम देश’."
कांग्रेस के इस कैंपेन की शुरुआत के ठीक पहले भाजपा ने तीन राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हराया था, तो वहीं कांग्रेस पर आरोप लगे कि उसकी वजह से चुनावी कैंपेन के दौरान ‘इंडिया अलायंस’ की गतिविधियां रुक सी गईं.
इस बीच तमाम सर्वे कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं.
भाजपा उनके तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने का विश्वास जता रही है और विपक्ष के सामने चुनौती है कि भाजपा को लगातार तीसरी बार संसदीय चुनाव जीतने से कैसे रोका जाए.
संसद की सुरक्षा में सेंध पर संसद में हंगामे के बाद क़रीब 150 सांसदों का संसद से निलंबन सरकार और विपक्ष के बीच टकराव का ताज़ा उदाहरण है.
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय झा के मुताबिक, विपक्ष के लिए अगले चुनाव के नतीजे 'करो या मरो' की स्थिति है.
क्या है ये कैंपेन?
जानकारों के मुताबिक़, क्राउडफंडिग का मक़सद पैसा इकट्ठा करने के अलावा समर्थकों को ये महसूस कराने का भी है कि पार्टी में उनका भी हिस्सा है.
कांग्रेस के सामने ये भी चुनौती होगी कि वो इस कैंपेन से कितनी बड़ी संख्या में लोगों को जोड़ पाती है.
अजय माकन कहते हैं, "जिस तरीक़े से भारतीय जनता पार्टी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का इस्तेमाल करती आ रही है तो ये (संसाधन जुटाना) चुनौती तो है ही, इसके बावजूद हमारी आर्थिक स्थिति ख़राब नहीं है."
विपक्ष लगातार सरकार पर सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाती रही है. सरकार ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है.
कांग्रेस इस कैंपेन के ज़रिए कितनी रक़म जुटाना चाहती है, इस सवाल पर अजय माकन कहते हैं, “क्राउडफंडिंग का कोई टारगेट नहीं रखा गया है. फ़िलहाल 80 प्रतिशत से ज़्यादा पैसा यूपीआई के माध्यम से आ रहा है. हम कैंपेन के ज़रिए जमा पैसों का 50 प्रतिशत फिक्स्ड डिपॉज़िट में डाल देंगे. इससे कमाया गया ब्याज पार्टी के कामकाज पर ख़र्च किया जाएगा. बाक़ी का पैसा राज्य इकाइयों को दे दिया जाएगा. लेकिन उसे भी कैश में नहीं दिया जाएगा.’’
नागपुर में होने वाली कांग्रेस की रैली में हर जगह क्यूआर कोड लगा कर लोगों से डोनेट कराने की योजना है. साथ ही भविष्य में पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए लोगों में मर्चेंडाइज़ बाँटने का भी प्लान है.
अजय माकन कहते हैं, "ये तो कोई सोच ही नहीं सकता कि क्राउडफंडिंग से चुनाव निकाल ले. ये संभव है ही नहीं. संसाधन तो हमें क्राउड फंडिंग के अलावा भी चाहिए होंगे."
उन्होंने बताया कि वेबसाइट पर हज़ारों मैलवेयर हमले हो चुके हैं और कई हमलों का मक़सद डेटा चुराने का था.
वो कहते हैं, "हमने एक भी हमले को कामयाब नहीं होने दिया है. हमारी वेबसाइट एक मिनट के लिए भी धीमी नहीं हुई है. हमारी क्षमता 5,000 ट्रांजैक्शन प्रति मिनट की है."
धन जुटाने की होड़
नज़दीक आते चुनावों में संसाधनों के असंतुलन की बहस के केंद्र में इलेक्टोरल बॉन्ड्स है.
इलेक्टोरल बॉन्ड्स यानी चंदा देने का वित्तीय ज़रिया, जिसे कोई भी नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से ख़रीदकर राजनीतिक दल को गुमनाम तरीक़े से दान कर सकता है.
भारत सरकार ने इस योजना की शुरुआत करते हुए कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड देश में राजनीतिक फंडिंग की व्यवस्था को साफ़ कर देगा.
लेकिन पिछले सालों में ये सवाल बार-बार उठा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिए चंदा देने वालों की पहचान गुप्त रखी गई है, इसलिए इससे काले धन की आमद को बढ़ावा मिल सकता है.
एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स के त्रिलोचन शास्त्री कहते हैं, "पूरी दुनिया में, कोई भी लोकतंत्र ले लीजिए आप, हर कहीं पाई पाई का हिसाब होता है. जनता को मालूम होता है कि किसने कितना पैसा दिया. उसमें रोक होती है. वो रोक भी हटा दी उन्होंने."
एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016-17 और 2021-22 के बीच इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले पैसे का सबसे ज़्यादा हिस्सा सत्तारूढ़ भाजपा को मिला.
कांग्रेस की लोगों तक पहुँच
हिंदुस्तान टाइम्स के राजनीतिक संपादक विनोद शर्मा कहते हैं, "कांग्रेस पब्लिक आउटरीच कर रही है और जनता को अपना मैसेज भी पहुंचा रही है और देख रही है कि कितना उसको रेस्पॉन्स मिलेगा, कितने लोग उसके साथ जुड़ेंगे."
"आज के दिन कोई भी उद्योगपति विपक्ष को पैसा देता नज़र नहीं आना चाहता. उनको क्या डर है, ये तो वो स्वयं ही बता सकते हैं."
"लेकिन हमें पता है कि वो खुले तौर पर विपक्ष को पैसा देने से घबराते हैं क्योंकि उनको लगता है कि कहीं इससे जो सत्ता में बैठी पार्टी है वो कहीं उससे नाराज़ न हो जाए."
यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैंब्रिज में पीएचडी कैंडीडेट अराध्य सेठिया के मुताबिक़, अभी भी चुनाव में ख़र्च होने वाला ढेर सारा पैसा कैश में आता है.
वो कहते हैं, ‘’क़ानून ये कहता है कि अगर डोनेशन 20 हज़ार रुपये से ज़्यादा है तो आपको बताना होगा. लेकिन वो ये नहीं कहता कि कोई कितनी बार 20 हज़ार या उससे कम का चंदा दे सकता है."
"ज़्यादातर पार्टियां जिनमें राष्ट्रीय पार्टियां भी शामिल हैं, इस चीज़ की जानकारी नहीं देती हैं. उनका तर्क है कि ये तो 20 हज़ार से कम की रकम है’’
कांग्रेस का कैंपेन
कांग्रेस का दावा है कि उसका ये अभियान आज़ादी से पहले वर्ष 1921 में असहयोग आंदोलन के लिए शुरू किए गए महात्मा गांधी के ऐतिहासिक तिलक स्वराज फंड से प्रेरित है.
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी अपनी पार्टी के गठन के बाद क्राउडफंडिंग से पैसा जुटाया था.
पश्चिमी देशों में पार्टियां क्राउड फंडिंग के ज़रिए पैसा इकट्ठा करती हैं. वहां पार्टी का सदस्य बनने के लिए भी फ़ीस होती है.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैंब्रिज में पीएचडी कैंडीडेट अराध्य सेठिया के मुताबिक अगर कांग्रेस क्राउडफंडिंग कैंपेन को किसी अंडरडॉग की तरह लेती है तो उसे बहुत फ़ायदा नहीं होगा.
वो कहते हैं कि "अगर कांग्रेस इस सोच के साथ जाएगी कि हाँ हम मज़बूत हैं, हम भाजपा के ख़िलाफ़ बड़ी ताक़त हैं और अगर आपको राजनीतिक में हिस्सा लेना है तो पैसा दीजिए" तब पैसा इकट्ठा करने की कोशिश कामयाब हो सकती है.
अराध्य सेठिया के मुताबिक़ राजनीति में पैसा महत्वपूर्ण है लेकिन कोई भी चुनाव सिर्फ़ पैसे से नहीं जीता जाता. पार्टी का चेहरा, नेतृत्व, संगठन और विचारधारा भी पार्टी के प्रदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
एक सोच ये भी है कि अगर इस क्राउड फंडिंग की कोशिश कांग्रेस के बजाए 28 विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया अलायंस की तरफ़ से होती तो शायद उसकी प्रतिक्रिया और बेहतर होती, और विपक्ष लोकतंत्र बचाने के अपने राजनीतिक संदेश को भी आगे बढ़ा पाता. (bbc.com/hindi)
चंदन कुमार जजवाड़े
बिहार की सियासत में ललन सिंह बीते कई दिनों से सियासी चर्चा के केंद्र में हैं.
ललन सिंह जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. वो फ़िलहाल बिहार की मुंगेर लोकसभा सीट से सांसद भी हैं.
मंगलवार को बिहार का सियासी पारा अचानक उस वक़्त चढ़ गया, जब ललन सिंह के पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफ़े की ख़बरें न्यूज़ चैनलों पर दिखने लगीं. इस ख़बर का खंडन करने के लिए बिहार सरकार में मंत्री विजय चौधरी को सामने आना पड़ा.
विजय चौधरी ने पत्रकारों से कहा, “ऐसी ख़बर आप लोगों को भले ही मिल रही हो, लेकिन हम लोंगों या पार्टी कार्यालय को ऐसी सूचना नहीं है. अटकलें आपलोग ख़ुद पैदा करते हैं और मार देते हैं. जेडीयू में अंदरूनी खाई की बात छोड़ दीजिए, कोई खरोंच तक नहीं है.”
यानी विजय चौधरी ने ललन सिंह के इस्तीफ़े की ख़बर को मनगढंत और काल्पनिक बताया है. उनका कहना है कि बीजेपी नेता सुशील मोदी जेडीयू की बात इसलिए करते हैं कि उनको अपनी पार्टी में कोई नहीं पूछता है, वो पार्टी के किसी कार्यक्रम में नहीं दिखते हैं.
वहीं जब पत्रकारों ने अध्यक्ष पद पर ललन सिंह से सवाल पूछा तो वो एक तरह से ग़ुस्से में नज़र आए और कहा, “राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में क्या होता है, इस पर आपसे सलाह मशवरा कर लेंगे कि क्या करना है. आप सलाह दीजिए कि क्या करना है?”
दरअसल 29 दिसंबर को दिल्ली में जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक प्रस्तावित है. उस बैठक में जेडीयू आने वाले लोकसभा चुनावों और साल 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी रणनीति पर भी विचार कर सकती है.
कौन हैं ललन सिंह
इससे पहले बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने दावा किया था कि लालू प्रसाद यादव से निकटता की वजह से ललन सिंह को जेडीयू के अध्यक्ष पद से हटाया जा सकता है.
नीतीश कुमार पर एक बार फिर से यह आरोप लगाया जा रहा है कि उनकी पार्टी में न तो नंबर दो पर कोई टिक पाता है और न ही उनको चुनौती देने वाला.
इसके लिए कभी जॉर्ज फ़र्नांडिस और शरद यादव का नाम गिनाया जाता है तो कभी प्रशांत किशोर, आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेताओं का.
ललन सिंह का असली नाम राजीव रंजन सिंह है. वो राजनीति में ललन सिंह के नाम से मशहूर हैं. जुलाई 2021 में जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था. वो पहले जेडीयू के बिहार प्रदेश के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
इससे पहले साल 2021 में जब आरसीपी सिंह पर पार्टी ने आरोप लगाया था कि पार्टी अध्यक्ष होते हुए उन्होंने केंद्र में अपने लिए मंत्री पद ले लिया, तब आरसीपी सिंह को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. उसके बाद आरसीपी सिंह को पार्टी से भी हटना पड़ा था.
ललन सिंह को नीतीश कुमार के काफ़ी क़रीबी माना जाता है. ललन सिंह ने भी अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी. वो बिहार के प्रभावी सवर्ण भूमिहार जाति से ताल्लुक रखते हैं.
जेपी आंदोलन और नीतीश के साथ क़रीबी
लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और सुशील मोदी की तरह ललन सिंह भी जेपी के छात्र आंदोलन से जुड़े हुए थे. साल 1970 के दशक में केंद्र की इंदिरा गांधी सरकार के ख़िलाफ़ जयप्रकाश नारायण ने ‘संपूर्ण क्रांति’ नारा दिया था.
इस आंदोलन के बाद बिहार में कर्पूरी ठाकुर दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे. उस समय ललन सिंह उनके क़रीबी माने जाते थे.
इसी दौरान ललन सिंह की नज़दीकी नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं से भी हुई.
बाद में ललन सिंह नीतीश के क़रीब आ गए और उनके साथ ही रहे. जनता दल में टूट और जेडीयू बनने के दौरान भी ललन सिंह नीतीश के साथ ही थे.
हालाँकि साल 2009-10 में ललन सिंह और नीतीश कुमार के बीच दूरी भी बढ़ी और ललन सिंह पार्टी से भी दूर हो गए.
वरिष्ठ पत्रकार नचिकेता नारायण कहते हैं, “उस दौरान ललन सिंह कांग्रेस के लिए प्रचार भी कर रहे थे और माना जा रहा था कि वो कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. हालाँकि ऐसा नहीं हुआ और 2013 में वो पार्टी में वापस आए और सक्रिय हो गए.”
अगस्त 2022 में बिहार में नीतीश और लालू के साथ आने के पीछे भी ललन सिंह की बड़ी भूमिका मानी जाती है. उसी समय बिहार में दूसरी बार महागठबंधन की सरकार बनी थी, जिसमें कांग्रेस और वाम दल भी शामिल हैं.
संसद के भीतर भी ललन सिंह जेडीयू की सबसे अहम आवाज़ माने जाते हैं. हाल के समय में उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर कई बार तीखा हमला बोला है. ललन सिंह विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन की भी मज़बूती से पैरवी करते रहे हैं.
इस्तीफ़े की सच्चाई
साल 2024 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले जेडीयू के अंदर इस तरह के फेरबदल की अटकलों को कई लोग बेबुनियाद मानते हैं. माना जाता है कि अगर पार्टी के अंदर इस तरह की खींचतान रही तो इससे चुनावों में जेडीयू का ही नुक़सान होगा.
राजनीतिक समीक्षक और पटना के एनएन सिंहा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल स्टडीज़ के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर कहते हैं, “मेरा मानना है कि ललन सिंह के इस्तीफ़े की ख़बरों में कोई दम नहीं है. यह केवल बीजेपी की फैलाई ख़बर है ताकि बिहार सरकार और विपक्षी गठबंधन को कमज़ोर किया जा सके.”
इससे पहले बीजेपी के कई नेता बिहार में आरजेडी और जेडीयू को लेकर लगातार बयान देते रहे हैं. बीजेपी यह भी दावा करती रही है कि जेडीयू में बड़ी टूट हो सकती है और इसके नेताओं में भगदड़ मच सकती है.
दरअसल माना जाता है कि जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के एक साथ आने से कई सांसदों के मन में यह डर हो सकता है कि आने वाले लोकसभा चुनावों में गठबंधन के बीच सीटों के बँटवारे में उनका टिकट कट सकता है.
लेकिन यह बात एनडीए पर भी लागू होती है क्योंकि एनडीए में भी बीजेपी, एलजेपी के दो धड़ों, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी के बीच लोकसभा सीटों का बँटवारा होना है.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार की 40 में से 39 सीटें जीती थीं. इनमें बीजेपी 17, जेडीयू 16 और एलजेपी को 6 सीटें मिली थीं. लेकिन अभी एक पार्टी को छोड़कर दूसरी पार्टी में जाने पर किसी को लोकसभा का टिकट मिलना निश्चित नहीं दिखता है.
डीएम दिवाकर के मुताबिक़, “बीजेपी ख़ुद से ज़्यादा लालू और नीतीश की बात करती है. यह नीतीश कुमार की सफलता है. उन्होंने बिहार में बीजेपी में ऐसा नेता उभरने नहीं दिया जो पार्टी का चेहरा बन सके. नीतीश की राजनीतिक समझ भी कहती है कि ललन सिंह को लेकर जो कुछ कहा जा रहा है उसमें ज़्यादा दम नहीं है.”
हालाँकि बिहार के सियासी गलियारों में ललन सिंह के इस्तीफ़े की ख़बरों के पीछे कुछ और वजह भी देखी जा रही है. दरअसल ललन सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और इस हैसियत से उन्हें ‘इंडिया’ की बैठक के अलावा पार्टी की बाक़ी ज़िम्मेदारियां भी संभालनी होती हैं.
क्या ललन सिंह ने खुद इस्तीफ़े की पेशकश की थी?
माना जाता है कि बीजेपी विपक्ष के सभी बड़े नेताओं को कुछ ही महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में हराने की पूरी कोशिश करेगी.
इस लिहाज से भी ललन सिंह के लिए अपनी मुंगेर की सीट पर ध्यान देना ज़रूरी होगा.
चर्चा यह भी है कि ललन सिंह को हराने के लिए बीजेपी यहाँ से केंद्रीय मंत्री और बड़े भूमिहार नेता माने जाने वाले गिरिराज सिंह को भी खड़ा कर सकती है.
नचिकेता नारायण कहते हैं, “हमें जो सूचना मिली है उसके मुताबिक़ पिछले हफ़्ते ही नीतीश कुमार के साथ एक मीटिंग के दौरान ललन सिंह ने ख़ुद को अध्यक्ष पद से मुक्त करने की बात कही थी, ताकि वो अपने लोकसभा क्षेत्र में समय दे सकें."
"लेकिन इससे नीतीश नाराज़ हो गए थे, क्योंकि लोकसभा चुनावों के ठीक पहले ऐसा करना ग़लत संदेश दे सकता है.”
वरिष्ठ पत्रकार सुरूर अहमद कहते हैं, “ललन सिंह ने ख़ुद पद छोड़ने की बात की है, इसमें थोड़ी सच्चाई हो सकती है क्योंकि मुंगेर लोकसभा सीट का जातीय समीकरण भी बताता है कि ललन सिंह को इस सीट को बचाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.”
मुंगेर सीट पर भूमिहार वोटरों का बड़ा असर माना जाता है. पिछली बार ललन सिंह भले ही जीते हों लेकिन उस वक़्त बीजेपी और नीतीश कुमार एक साथ थे.
जबकि इस सीट पर साल 2014 में सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी ने ललन सिंह को हरा दिया था. उन चुनावों में नीतीश बीजेपी से अलग हो गए थे.
सोची समझी चाल?
बीजेपी यह बताने की कोशिश कर रही है कि ललन सिंह लालू प्रसाद यादव के क़रीबी हो गए हैं, इसलिए नीतीश उनसे नाराज़ हैं. लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि ललन सिंह से लालू को कोई फ़ायदा नहीं होगा, बल्कि इससे नीतीश ही नाराज़ हो सकते हैं.
सुरूर अहमद के मुताबिक़ अगर ऐसा है तो यह लालू और नीतीश की सोची समझी चाल हो सकती है. ललन सिंह को आरजेडी के चुनाव चिह्न पर मुंगेर से चुनाव लड़ाया जाए, ताकि आरजेडी के सभी वोट पूरी तरह से ललन सिंह के पक्ष में जाएँ और उनकी जीत पक्की हो सके.
बिहार की सियासत में एक और चर्चा ज़ोरों पर है कि जातिगत जनगणना के आधार पर लोकसभा चुनावों में उतरने के लिए नीतीश ख़ुद पार्टी अध्यक्ष बन सकते हैं या रामनाथ ठाकुर को जेडीयू का अध्यक्ष बना सकते हैं.
रामनाथ ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं. वो लगातार दूसरी बार जेडीयू के राज्यसभा सांसद बने हैं. बिहार की सियासत में कर्पूरी ठाकुर को ‘जन नायक’ कहा जाता है और आज भी उन्हें राज्य की सियासत में पिछड़े वर्ग का बड़ा चेहरा माना जाता है.
इससे नीतीश कुमार को जातीय गणना के मुद्दे पर पिछड़े, दलितों और महादलितों के वोट को अपने पक्ष में करने में भी मदद मिल सकती है. लेकिन संभव है कि इस राजनीति में पार्टी का अध्यक्ष अगड़ी जाति का होना उनके दांव में फ़िट नहीं बैठ रहा हो.
बैठक में सीटों के बँटवारे पर चर्चा
हालाँकि वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी मानते हैं कि राजनीति से जुड़े लोगों को पूरी तरह कोई नहीं समझ सकता है. इन सब ख़बरों के पीछे ख़ुद नीतीश कुमार भी हो सकते हैं ताकि वो ख़ुद को विपक्षी गठबंधन का संयोजक बनाने के लिए कांग्रेस पर दबाव डाल सकें.
दरअसल विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए नीतीश कुमार ने ही पहल की थी और इसके लिए विपक्षी दलों की पहली बैठक भी बिहार की राजधानी पटना में हुई थी. इसलिए अगर बिहार में ‘इंडिया’ गठबंधन या कोई दल प्रभावित होता है तो इसका असर पूरे देश में पड़ सकता है.
इसी महीने यानी दिसंबर की 29 तारीख़ को जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी (एनई) और राष्ट्रीय परिषद (एनसी) की बैठक दिल्ली में होनी है. इसी दिन दिल्ली में ही कांग्रेस के साथ जेडीयू और आरजेडी की भी सीटों के बँटवारे पर बात होने की संभावना है.
जेडीयू के एक नेता ने नाम न लेने की शर्त पर बताया है कि आमतौर पर पार्टी की इस तरह की मीटिंग बहुत औपचारिक होती है, जिसमें हम सारा अधिकार अपने सर्वोच्च नेता को सौंप देते हैं कि वो पार्टी के हित में ख़ुद फ़ैसला करें.
वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी कहते हैं, “मेरी जानकारी में ललन सिंह इस्तीफ़ा दे चुके हैं. एनई की बैठक तो आम बात है लेकिन एनसी की बैठक विशेष स्थिति में बुलाई जाती है, जब कोई बड़ा फ़ैसला लेना हो. जैसे किसी बड़े चेहरे को पद पर लाना हो या किसी को हटाना हो.”
नीतीश की नाराज़गी?
कन्हैया भेलारी के मुताबिक़ यह सच है कि कुछ समय से नीतीश कुमार पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह से नाराज़ चल रहे हैं.
सुरूर अहमद का मानना है कि नीतीश कुमार को हाल के समय से कई बार नाराज़ होते देखा गया है, यह कई वजहों से हो सकता है. जैसे अंग्रेज़ी बोलने के मुद्दे पर हाल ही में वो ‘इंडिया’ की बैठक में नाराज़ हुए थे.
इसी साल अगस्त के महीने में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे. इस प्रस्ताव के समर्थन में जेडीयू सांसद ललन सिंह ने काफ़ी तीख़े शब्दों में केंद्र सरकार पर हमला बोला था.
कन्हैया भेलारी कहते हैं, “उस दौरान ललन सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह पर भी काफ़ी तल्ख़ टिप्पणी की थी. नीतीश कुमार उसी समय से ललन सिंह के तेवर से नाराज़ चल रहे थे. इसके अलावा हाल के दिनों पर ललन सिंह पर लालू के क़रीबी होने का आरोप भी लग रहा है.”
ऐसी ख़बरों से जेडीयू के नेता असहज ज़रूर दिखते हैं, लेकिन इन बातों में कितना दम है यह शुक्रवार को दिल्ली में जेडीयू के बैठक के बाद स्पष्ट हो जाएगा. यह नीतीश कुमार की पार्टी की बात है जिन्हें सियासत बड़ा खिलाड़ी माना जाता है.
ऐसे में उनके हर कदम पर न केवल ‘इंडिया’ के सहयोगी दलों बल्कि एनडीए की भी नज़र होगी, क्योंकि विपक्षी गठबंधन बनने के बाद पटना विपक्ष की गतिविधियों का अहम केंद्र बना हुआ है. (bbc.com)
जैसे जैसे तकनीक प्रगति कर रही है, असली तस्वीरों और डीपफेक में फर्क करना बहुत मुश्किल होता जा रहा है. भारत भी डीपफेक की समस्या से घिरता जा रहा है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
दुनिया के कई दूसरे देशों की ही तरह भारत में भी डीपफेक का इस्तेमाल कर ऐसे लोगों को निशाना बनाया जा रहा है जो सेलिब्रिटी हैं या फिर राजनीति से ताल्लुक रखते हैं. सबसे ताजा मामला भारतीय अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का है. रश्मिका मंदाना का डीपफेक वीडियो पिछले महीने में बहुत तेजी से वायरल हुआ था.
उस डीपफेक वीडियो में किसी और महिला के चेहरे पर रश्मिका मंदाना का चेहरा लगा दिया गया था. दरअसल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से महिला का चेहरा बदलकर रश्मिका मंदाना जैसा कर दिया गया था. इस वीडियो के वायरल होने के बाद मंदाना ने एक बयान में कहा था, "यह ना केवल उनके लिए बल्कि हर किसी के लिए डराने वाला है."
उन्होंने कहा था कि तकनीक का ऐसा गलत इस्तेमाल किसी के साथ भी हो सकता है. बॉलीवुड अभिनेत्री के साथ हुई घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने भी जांच शुरू की थी और चार लोगों को पकड़ा था. लेकिन पुलिस यह पता नहीं लगा पाई कि इस वीडियो को किसने बनाया है.
डीपफेक के शिकार
डीपफेक का शिकार कोई भी हो सकता है, लेकिन महिलाएं खासकर इसके निशाने पर होती हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले लोग साइबर अपराधियों का ज्यादातर निशाना बनते हैं और डीपफेक बनाने वाले सोशल मीडिया से ही लोगों के वॉयस सैंपल और तस्वीरें निकाल लेते हैं.
डीपफेक (उस ऑडियो, वीडियो, फोटो मीडिया) को कहा जाता है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए छेड़छाड़ कर किसी के चेहरे पर दूसरे का चेहरा लगा दिया जाता है. डीपफेक तकनीक में वास्तविक फुटेज के ऑडियो और वीडियो से छेड़छाड़ की जाती है. इसका इस्तेमाल ज्यादातर नेताओं और प्रसिद्ध हस्तियों की छवि को धूमिल करने के लिए किया जाता है.
सरकार की सख्ती
अब केंद्र सरकार ने इस समस्या को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है. मंगलवार को केंद्र सरकार ने सभी सोशल मीडिया कंपनियों को सूचना प्रौद्योगिकी नियमों का पालन करने की सलाह दी है. इससे पहले भी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय एक ए़डवाइजरी जारी कर चुका है.
ताजा एडवाइजरी में मंत्रालय ने कहा है सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यूजर्स को आईटी नियमों के तहत बैन कंटेंट को पब्लिश न करने के बारे में जागरूक करना चाहिए. साथ ही कहा गया है कि यूजर्स को फर्जी वीडियो, मैसेज या कंटेंट डालने से रोकने का काम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का है ताकि इससे अन्य यूजर्स को नुकसान ना हो.
एडवाइजरी के मुताबिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स यूजर्स को यह भी बताएंगे कि आईटी कानून के नियम का पालन नहीं करने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
नवंबर के महीने में भी केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी कर डीपफेक वीडियो की पहचान करने और उन्हें हटाने के लिए कहा था. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था, "डीपफेक एक बड़ा मुद्दा है. यह हम सभी के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है."
इससे पहले दिल्ली में ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जीपीएआई) को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीपफेक के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जाहिर की थी.
मोदी ने कहा था कि डीपफेक देश के सामने खड़े बड़े खतरों में से एक है. मोदी के मुताबिक एआई जेनरेटिव वीडियो और तस्वीरों में बढ़ोत्तरी के बीच लोगों को नई तकनीक से सावधान रहने की जरूरत है. (dw.com)
गुरुवार को अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट ने खबर छापी है कि अक्टूबर में फोन हैकिंग की चेतावनी वाले मैसेज जारी करने पर भारत सरकार एप्पल से बहुत नाराज थी.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट और मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक संयुक्त पड़ताल के बाद कहा है कि भारत सरकार प्रमुख पत्रकारों की जासूसी कर रही है, जिसके लिए पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है.
वॉशिंगटन पोस्ट ने गुरुवार को एक रिपोर्ट छापी है जिसमें कहा गया है कि भारत सरकार प्रमुख पत्रकारों की जासूसी कर रही है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के साथ मिलकर की एक पड़ताल के बाद यह रिपोर्ट प्रकाशित की गई है.
पेगासस एक इस्राएली सॉफ्टवेयर है जिस पर पहले भी खासा विवाद हुआ है. इसे इस्राएली कंपनी एनएसओ ग्रुप ने बनाया है और दुनियाभर की सरकारों ने इसे खरीदा था. इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किसी भी फोन पर नियंत्रण पाने के लिए किया जा सकता है.
इसके जरिए फोन के मैसेज और ईमेल पढ़े जा सकते हैं, उसमें मौजूद तस्वीरें देखी जा सकती हैं, लोकेशन ट्रैक की जा सकती है और फोन कॉल भी सुनी जा सकती हैं. यहां तक कि इस सॉफ्टवेयर के जरिए फोन से तस्वीरें भी ली जा सकती हैं.
निगरानी का खतरा बढ़ा
गुरुवार को एमनेस्टी ने कहा कि भारतीय मीडिया संस्थान ‘द वायर' के सिद्धार्थ वरदराजन और ‘द ऑर्गजाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट' के आनंद मंगनाले को हाल ही में पेगासस के जरिए निशाना बनाया गया. रिपोर्ट के मुताबिक पत्रकारों के आईफोन पर सबसे ताजा हमला अक्टूबर में हुआ था.
एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्यॉरिटी लैब की प्रमुख डोंचा ओ सियर्बहेल ने कहा, "हमारी ताजा पड़ताल दिखाती है कि सिर्फ अपना काम करने के लिए भारत में पत्रकारों पर अवैध निगरानी का खतरा बढ़ रहा है. यह कई तरह से हो रहे दमन में से बस एक है.”
भारत में मीडिया की आजादी को लेकर पहले भी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं चिंता जताती रही हैं. पिछले महीने ही भारतीय मीडिया में ऐसी खबरें आई थीं कि जांच एजेंसियां कुछ विपक्षी नेताओं की शिकायतों पर जांच कर रही हैं जिन्हें फोन बनाने वाली कंपनी एप्पल की ओर से ऐसे संदेश मिले हैं किउनके फोन पर ‘सरकार समर्थित हमले' हुए हैं.
एप्पल से नाराज थी भारत सरकार
गुरुवार को द वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इन नेताओं की शिकायतों के बाद "भारत सरकार बहुत सक्रिय हो गई थी, एप्पल के खिलाफ.”
अखबार लिखता है कि उसे मामले की जानकारी रखने वाले तीन लोगों से यह सूचना मिली है कि मोदी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने एप्पल के भारत में प्रतिनिधि को फोन किया था और "मांग की थी कि कंपनी चेतावनियों के राजनीतिक प्रभाव कम करने में मदद करे.”
रिपोर्ट कहती है, "उन्होंने एप्पल के सिक्यूरिटी एक्सपर्ट को भी विदेश से भारत में मीटिंग के लिए बुलाया जहां भारतीय अधिकारियों ने इस बात का दबाव बनाया कि कंपनी चेतावनी जारी करने की कोई वैकल्पिक वजह बताए.”
एक व्यक्ति ने द वॉशिंगटन पोस्ट से कहा, "वे बहुत ज्यादा गुस्से में थे.”
अक्टूबर में जिन 20 लोगों को एप्पल की तरफ से ये चेतावनियां मिली थीं, वे सभी सार्वजनिक रूप से मोदी सरकार या भारतीय प्रधानमंत्री के सहयोगी उद्योगपति गौतम अदाणी के आलोचक हैं.
भारत सरकार ने फोन पर किसी तरह के हैकिंग अटैक में शामिल होने से इनकार किया था और कहा था कि ऐसे अलर्ट दुनिया के कई देशों में लोगों को मिले हैं. सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने यह भी कहा था कि सरकार हैकिंग के इन आरोपों की जांच कर रही है.
क्या था पेगासस कांड?
2021 में 17 मीडिया संस्थानों की एक साझी जांच के बाद यह दावा किया गया था कि इस्राएल के सर्वेलांस सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए फोन नंबरों की जासूसी की गई. इन संस्थानों में भारत का मीडिया संस्थान द वायर भी शामिल था. द वायर ने लिखा कि इस जांच के तहत कुछ फोनों की फॉरेंसिक जांच की गई जिससे "ऐसे स्पष्ट संकेत मिले कि 37 मोबाइलों को पेगासस ने निशाना बनाया, जिनमें 10 भारतीय थे."
वेबसाइट द वायर ने खबर दी थी कि इस्राएल की निगरानी रखने वाली तकनीक के जरिए भारत के तीन सौ से भी ज्यादा लोगों के मोबाइल नंबरों की जासूसी की गई, जिनमें देश के मंत्रियों और विपक्ष के नेताओं से लेकर पत्रकार, जाने-माने वकील, उद्योगपति, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, मानवाधिकार कार्यकर्ता आदि शामिल हैं. इस्राएल की कंपनी एनएसओ ग्रुप पेगासस सॉफ्टवेयर बेचती है जिस पर कांड के बाद अमेरिका ने प्रतिबंधलगा दिया था. (dw.com)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भारतीय विदेश मंत्री ने बुधवार को मुलाकात की. इस दौरान पुतिन ने मोदी को रूस आने का न्योता दिया है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एस जयशंकर की मुलाकात को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि रूसी राष्ट्रपति आमतौर पर दौरे पर आए विदेश मंत्रियों से नहीं मिलते हैं. बुधवार को क्रेमलिन में इन दोनों नेताओं की मुलाकात हुई, जिसमें पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले साल रूस आने का निमंत्रण दिया.
पुतिन ने जयशंकर से कहा कि हमें अपने मित्र प्रधानमंत्री मोदी को रूस में देखकर खुशी होगी. पुतिन और जयशंकर के बीच व्यापार और यूक्रेन युद्ध को लेकर बातचीत हुई. समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक बैठक की शुरुआत में पुतिन ने कहा कि वह यूक्रेन में जारी लड़ाई के बारे में जयशंकर को जानकारी देंगे.
पुतिन: यूक्रेन जंग के बारे में कई बार बताया
उन्होंने कहा, "कई बार, मैंने उन्हें (मोदी को) बताया कि वहां चीजें कैसे चल रही हैं." मोदी ने यूक्रेन युद्ध को लेकर तटस्थ रुख अपना रखा है और पश्चिमी देशों के बार-बार कहने पर भी रूस की आलोचना नहीं की है.
पुतिन ने कहा, "मैं इस समस्या को शांतिपूर्ण तरीकों से सुलझाने के लिए हर संभव प्रयास करने की मोदी की इच्छा के बारे में जानता हूं." पुतिन ने कहा, "पीएम मोदी अपनी पूरी कोशिश करने को तैयार हैं ताकि मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया जा सके."
इससे पहले एससीओ की बैठक में पुतिन से मुलाकात के दौरान मोदी ने कहा था कि "आज का दौर युद्ध का दौर नहीं है." मोदी ने इसी साल जी-20 की बैठक में भी इस बात को दोहराया था.
जयशंकर ने पुतिन के साथ बैठक में कहा, "हमारी व्यापार बातचीत को और अधिक टिकाऊ बनाना बहुत महत्वपूर्ण है. हमें यह सोचने की जरूरत है कि इसे कैसे हासिल किया जाए."
तेल निर्यात के बाजार के रूप में भारत, रूस के लिए उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ के रूप में महत्वपूर्ण होता जा रहा है, क्योंकि पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस के तेल शिपमेंट में कटौती हो रही है.
कई अहम मुद्दों पर दोनों देशों के बीच चर्चा
रूस की पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर मॉस्को पहुंचे जयशंकर ने इससे पहले अपने रूसी समकक्ष सर्गेइ लावरोव से मुलाकात की थी. रिपोर्टों के मुताबिक जयशंकर ने लावरोव के साथ बैठक के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्थिति और समसामयिक मुद्दों पर बात की. जयशंकर ने लावरोव के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र, यूक्रेन संघर्ष, गाजा स्थिति, अफगानिस्तान और मध्य एशिया, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन, जी-20 और संयुक्त राष्ट्र पर भी चर्चा की.
लावरोव ने कहा कि उन्होंने जयशंकर के साथ "सैन्य-तकनीकी सहयोग की संभावनाओं" पर चर्चा की. जिसमें आधुनिक प्रकार के हथियारों का संयुक्त उत्पादन शामिल है.
वहीं जयशंकर ने कहा कि हम इस तथ्य की तारीफ करते हैं कि हमारा व्यापार अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है. उनके मुताबिक यह इस साल 50 अरब डॉलर तक पहुंच गया है और यह इस साल और बढ़ सकता है.
भारत और रूस के बीच शीर्ष नेताओं के स्तर पर सालाना सम्मेलन होता है. इस सम्मेलन के लिए एक बार रूसी राष्ट्रपति दिल्ली आते हैं तो वहीं अगले साल भारतीय प्रधानमंत्री मॉस्को जाते हैं. अब तक भारत और रूस में बारी-बारी से 21 वार्षिक शिखर सम्मेलन हो चुके हैं.
आखिरी सम्मेलन दिल्ली में हुआ था और इसमें रूसी राष्ट्रपति शामिल हुए थे. यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पीएम मोदी 2022 में रूस के दौरे पर नहीं गए थे. जी-20 सम्मेलन के लिए भी रूसी राष्ट्रपति भारत दौरे पर नहीं आए थे. आखिरी बार पीएम मोदी 2019 में रूस के दौरे पर गए थे. (dw.com)
गुना 28 दिसंबर । मध्य प्रदेश के गुना जिले में एक यात्री बस को डंपर ने टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि बस में आग लग गई। इससे बस में सवार 13 यात्री जिंदा जल गए और 15 से ज्यादा यात्री झुलस गए। राज्य के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने इस हादसे पर दुख व्यक्त करते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
बुधवार की रात गुना से आरोन जा रही बस को सामने से आ रहे डंपर ने घूम घाटी पर टक्कर मार दी। टक्कर के बाद बस पलट गई और उसमें आग लग गई। बस आग की लपटों से घिर गई और धू-धूकर जलने लगी। यात्री बचाव के लिए मदद की गुहार लगाने लगे, तो कुछ यात्रियों ने खिड़की से बाहर निकाल कर जान बचाने की कोशिश की।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार बस पूरी तरह आग की लपटों में घिर चुकी थी और कोई भी बचाव के लिए आगे नहीं आ सका। यात्री अपनी जान बचाने का प्रयास करते रहे। हादसे में 13 यात्री जिंदा जल गए, वहीं 15 बुरी तरह झुलस गए। घायलों को अस्पताल भेजा गया। प्रशासनिक अमले ने राहत और बचाव कार्य चलाया, लेकिन तब तक कई लोग अपनी जान त्याग चुके थे। बस में 30 से ज्यादा यात्रियों के सवार होने की बात सामने आ रही है।
मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव ने हादसे पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, गुना से आरोन जा रही बस में भीषण आग से यात्रियों के हताहत होने का समाचार अत्यंत दुःखद है। इस हृदय विदारक दुर्घटना में असमय मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों के परिजनों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं। दुःख की इस विकट परिस्थिति में प्रदेश सरकार पीड़ित परिवारों के साथ खडी़ है।
यादव ने आगे कहा, मैंने प्रशासन को घायल यात्रियों के समुचित उपचार की व्यवस्था करने के साथ ही दुर्घटना की जांच के आदेश भी दिए हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। बाबा महाकाल से दिवंगत आत्माओं की शांति तथा घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ। (आईएएनएस)।
सीवान, 28 दिसंबर । बिहार के सीवान जिले के बड़हरिया थाना क्षेत्र में अज्ञात बदमाशों ने एक कंपाउंडर और एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी। गश्त कर रही पुलिस को दोनों शव बाबूहाता रोड़ के पास बुधवार को देर रात मिली। पुलिस अब मामले की जांच कर रही है।
पुलिस के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि गश्त कर रही पुलिस को टीम को बाबू हाता रोड के पास सुनसान जगह पर मोटर साइकिल गिरी हुई और पुरुष, महिला घायल अवस्था में मिले। पुलिस दोनों को सदर अस्पताल ले आई, जहां चिकित्सक ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। मृतकों की पहचान गोपालगंज जिले के मांझागढ़ थाना क्षेत्र के सिपहा निवासी जफरूल हक अंसारी की पत्नी निखत परवीन और शैलेश शर्मा के रूप में की गई।
बड़हरिया के थाना प्रभारी पंकज कुमार ने गुरुवार को बताया कि दोनों शवों को पोस्टमाॅर्टम के लिए भेज दिया गया है। दोनों की गोली मारकर हत्या की गई है। शैलेश सीवान के एक चिकित्सक के निजी क्लीनिक में कम्पाउंडर का काम करता था, जबकि महिला उनके गांव की रहने वाली थी।
कुमार ने बताया कि घटनास्थल से एक मोबाइल फोन बरामद किया गया है। घटनास्थल पर खून के धब्बे काफी कम मात्रा में मिले हैं। इससे आशंका है कि हत्या कहीं अन्यत्र कर शव यहां फेंक दिया गया हो। उन्होंने प्रथमदृष्ट्या मामला प्रेम प्रसंग से जुड़े होने की संभावना जताई है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 28 दिसंबर । दिल्ली-एनसीआर के लगातार कोहरे की चपेट में रहने के कारण गुरुवार को 100 से अधिक उड़ानें प्रभावित हुईं। इसका असर रेल और सड़क यातायात पर भी पड़ा।
पारा गिरकर 8.4 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया, जो औसत से सिर्फ एक डिग्री ऊपर है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, इसमें निवासियों से कठोर मौसम की स्थिति के लिए तैयार रहने का आग्रह किया गया है। सलाह में शहर के विभिन्न हिस्सों में दृश्यता काफी कम होने के कारण एहतियाती कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया गया है।
सुबह साढ़े पांच बजे पालम में दृश्यता महज 25 मीटर दर्ज की गई, जबकि सफदरजंग स्टेशन पर दृश्यता 50 मीटर दर्ज की गई।
शीत लहर का प्रभाव सुबह की यात्रा के दौरान सबसे अधिक था। हवाई और रेल यात्रा दोनों में देरी की सूचना मिली है। खराब दृश्यता के कारण कई उड़ानों में देरी हुई या उन्हें रद्द कर दिया गया, इससे यात्रियों की यात्रा योजनाएं प्रभावित हुईं। ट्रेनों का शेड्यूल बाधित हो गया, इससे रेल परिवहन पर निर्भर यात्रियों को असुविधा हुई।
रेलवे के मुताबिक, खराब दृश्यता के कारण हावड़ा-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस, जम्मू तवी-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस, तमिलनाडु एक्सप्रेस, गोल्डन टेम्पल मेल समेत 22 ट्रेनें कई घंटों की देरी से चलीं।
आज़मगढ़-दिल्ली जंक्शन कैफियत एक्सप्रेस नौ घंटे से अधिक की देरी से, पुरी-नई दिल्ली पुरूषोत्तम एक्सप्रेस छह घंटे की देरी से, जबकि गीता जयंती एक्सप्रेस और चेन्नई-नई दिल्ली ग्रैंड ट्रंक एक्सप्रेस पांच घंटे की देरी से चलीं।
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डे पर, खराब दृश्यता के कारण 100 से अधिक उड़ानें (घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय) प्रस्थान और आगमन प्रभावित हुईं।
खराब मौसम की स्थिति को देखते हुए आईएमडी ने जनता को सावधानी बरतने की सलाह दी है।
“आईएमडी ने गुरुवार सुबह एक ट्वीट में कहा,"पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तरी राजस्थान और उत्तरी मध्य प्रदेश के लिए घने कोहरे की संभावना है। वाहन चलाते समय या किसी भी परिवहन के माध्यम से बाहर निकलते समय सावधान रहें। ड्राइविंग के दौरान फॉग लाइट का उपयोग करें। यात्रा शेड्यूल के लिए एयरलाइंस, रेलवे और राज्य परिवहन के संपर्क में रहें।
आईएमडी ने कहा कि गुरुवार को अधिकतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है, जबकि सापेक्षिक आर्द्रता 95 के आसपास रहने की उम्मीद है।
इस बीच, राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, आनंद विहार में गुरुवार को हवा की गुणवत्ता पीएम 2.5 346 और पीएम 10 236 या 'खराब' स्तर के साथ 'बहुत खराब' श्रेणी में प्रवेश कर गई।
गौरतलब है कि शून्य और 50 के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को 'अच्छा' ; 51 और 100 'संतोषजनक'; 101 और 200 'मध्यम'; 201 और 300 'गरीब'; 301 और 400 'बहुत खराब'; और 401 और 500 'गंभीर' माना जाता है।
आईजीआई हवाई अड्डे पर एक्यूआई निगरानी स्टेशन ने पीएम 2.5 को 216 पर 'खराब' श्रेणी में और पीएम 10 को 117 पर या 'मध्यम' श्रेणी में दर्ज किया। आईटीओ स्टेशन पर AQI 'बहुत खराब' श्रेणी में था, इसमें पीएम 2.5 354 और पीएम 10 203 पर 'खराब' श्रेणी में था। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 28 दिसंबर । आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ चंदा कोचर एक बार फिर कानूनी विवाद के केंद्र में हैं। उनके खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी में एक नया मामला दर्ज किया गया है, इसमें कोचर और दस अन्य पर टमाटर के पेस्ट में धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है। कंपनी को 27 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
2009 का यह मामला हाल ही में तब सुर्खियों में आया जब 9 दिसंबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जांच शुरू करने का आदेश दिया। इसके बाद, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोपों का हवाला देते हुए 20 दिसंबर को एक प्राथमिकी दर्ज की।
एफआईआर में जिन लोगों के नाम हैं उनमें चंदा कोचर, संदीप बख्शी (सीईओ और एमडी आईसीआईसीआई बैंक), विजय ज़गडे (पूर्व प्रबंधक आईसीआईसीआई बैंक), मुंबई में आईसीआईसीआई बैंक की ग्लोबल ट्रेड सर्विसेज यूनिट के अनाम अधिकारी, अतुल कुमार गोयल (एमडी और सीईओ पंजाब नेशनल बैंक), के.के. बोर्दिया (पूर्व जीएम ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स), अखिला सिन्हा (एजीएम पीएनबी और ओबीसी के तत्कालीन शाखा प्रमुख), मनोज सक्सेना (एजीएम पीएनबी और ओबीसी के तत्कालीन शाखा प्रमुख), और के.के. भाटिया (ओबीसी में पूर्व मुख्य प्रबंधक) शामिल हैं।
पी एंड आर ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड (टोमेटो मैजिक) के निदेशक शम्मी अहलूवालिया द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, आरोपी ने कथित तौर पर एक विदेशी बैंक से 'लेटर ऑफ क्रेडिट' (एलओसी) को असली दस्तावेज के रूप में पेश करने की साजिश रची। टमाटर पेस्ट के निर्यात ऑर्डर के लिए महत्वपूर्ण एलओसी, कथित तौर पर रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड (आरबीएस) द्वारा जारी किया गया था, लेकिन बाद में पता चला कि यह आरबीएस एलायंस नामक एक स्थानीय रूसी बैंक से जारी किया गया था, जो अपनी संदिग्ध प्रतिष्ठा के लिए जाना जाता है।
एफआईआर में कहा गया है: "आईसीआईसीआई बैंक ने धोखाधड़ी से रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड द्वारा जारी एलओसी को प्रमाणित किया, यह अच्छी तरह से जानते हुए कि एलओसी (एल/सी) एक स्थानीय रूसी बैंक: आरबीएस एलायंस से था। उक्त एलओसी में तीन बार संशोधन किया गया था, लेकिन सभी पर इन अवसरों पर, आईसीआईसीआई ने बार-बार मूर्खता की।"
एफआईआर में कहा गया है,"आईसीआईसीआई बैंक, जो इस मामले में सलाहकार बैंक है और उसके अधिकारियों को यह जांच करनी थी कि क्या पेश किया जा रहा एल/सी प्रामाणिक था और एक वास्तविक बैंकिंग इकाई द्वारा जारी किया गया था। जैसा कि बाद में बताया जाएगा, एल/सी पूरी तरह से धोखाधड़ी और जाली था। लेकिन आईसीआईसीआई बैंक द्वारा लीग में और एल/सी जारी करने वाले बैंक के साथ साजिश में इसे प्रामाणिक और कानूनी होने के लिए सत्यापित किया गया था।''
एफआईआर में कहा गया है कि शिकायतकर्ता कंपनी को कथित तौर पर रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड, जो एक प्रसिद्ध 'ए' श्रेणी का अंतर्राष्ट्रीय बैंक है, द्वारा जारी एल/सी प्राप्त हुआ था।
एफआईआर के मुताबिक "उक्त क्रेडिट में यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि यह दस्तावेज़ी क्रेडिट के लिए समान सीमा शुल्क और अभ्यास में निहित नियमों और शर्तों के अधीन है, एल/सी आईसीआईसीआई बैंक, मुंबई के माध्यम से प्राप्त किया गया था, जो सलाहकार बैंक है, वास्तविक द्वारा किराए पर लिया गया है एल/सी जारीकर्ता बैंक, आरबीएस अलायंस, मॉस्को, जिसने अपने दस्तावेजी क्रेडिट का सम्मान करने में अच्छी प्रतिष्ठा हासिल नहीं की।'
शिकायतकर्ता कंपनी, टोमैटो मैजिक, जो टमाटर पेस्ट की अखिल भारतीय आपूर्तिकर्ता है, को एक रूसी खरीदार से 1000 मीट्रिक टन चीनी टमाटर पेस्ट का निर्यात ऑर्डर मिला था। ईरानी मूल के टमाटर पेस्ट की अतिरिक्त आपूर्ति के लिए शुरू में ऑर्डर का मूल्य 10 लाख डॉलर था, जो बढ़कर18.48 लाख डॉलर (लगभग 8.68 करोड़ रुपये) हो गया।
भुगतान जोखिमों को कम करने के लिए, यह आदेश 'ए' श्रेणी के बैंक द्वारा जारी 100 प्रतिशत अपरिवर्तनीय एलओसी पर निर्भर था, इसमें आईसीआईसीआई बैंक सलाहकार बैंक के रूप में कार्य कर रहा था। शिकायतकर्ता ने कहा कि आईसीआईसीआई बैंक द्वारा एलओसी के बाद के गलत प्रमाणीकरण के कारण कथित तौर पर कई घटनाएं हुईं, इसके परिणामस्वरूप टोमैटो मैजिक को 27.66 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
एफआईआर में कहा गया है कि मई 2011 में, आईसीआईसीआई बैंक ने शिकायतकर्ता की चिंताओं के जवाब में जिम्मेदारी से बचने का प्रयास करते हुए "तुच्छ" और "झूठे" जवाब दिए। हैरानी की बात यह है कि ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (अब पंजाब नेशनल बैंक) ने आईसीआईसीआई बैंक के रुख को चुनौती नहीं दी, इससे जानकारी की सत्यता पर सहमति बन गई।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि कंपनी को सभी आरोपियों के हाथों धोखा दिया गया था, जिन्होंने धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और 1000,000 डॉलर की धोखाधड़ी करने के सामान्य इरादे से पहले से मिल कर एक आपराधिक साजिश रची थी। कथित तौर पर आरबीएस एलायंस द्वारा जारी किया गया जाली और धोखाधड़ी वाला क्रेडिट लेटर, न कि रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड द्वारा और उसके बाद उक्त जाली और मनगढ़ंत दस्तावेजों को असली के रूप में इस्तेमाल किया गया।
"गलती करने वाले आरोपी नंबर 1 आईसीआईसीआई बैंक ने एक जालसाज बैंक को बचाने के लिए आरबीआई दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया। शिकायतकर्ता ने इंटरनेट से जो दो चीजें उठाईं, उनके आधार पर यह तथ्य सामने आता है कि आरबीएस एलायंस, एल/सी जारी करने वाला बैंक, एक धोखेबाज था। उल्लेख करना प्रासंगिक है कि एफआईआर में कहा गया है, आईसीआईसीआई बैंक, भारत में सलाहकार बैंक होने के नाते, भारतीय व्यवसायों को ठगने के लिए आरबीएस एलायंस के साथ सहयोगात्मक संबंध रखता था।
"इसके अलावा, क्योंकि आरोपी नंबर 1 ने पहले आरबीएस एलायंस से स्विफ्ट के माध्यम से एल/सी प्राप्त किया था और फिर शिकायतकर्ता कंपनी को दिया था, यह स्पष्ट रूप से दोनों के बीच गठबंधन की पुष्टि करता है (यह अच्छी तरह से जानते हुए कि एल/सी जारीकर्ता आरबीएस एलायंस है) )...शिकायतकर्ता को कभी भी रूस में खरीदार से सीधे एल/सी प्राप्त नहीं हुआ और एल/सी का पूरा सेट और इसके 3 संशोधन आरोपी नंबर 1 आईसीआईसीआई बैंक, सलाहकार बैंक के माध्यम से भेजे गए थे। इसलिए, इसकी जांच की जा रही है आईसीआईसीआई बैंक ने एक जालसाज आरबीएस अलायंस के साथ जो समझौता किया था, उसके तौर-तरीके का पता लगाना जरूरी है, जो एफआईआर दर्ज करके आपराधिक कानून को लागू किए बिना संभव नहीं है।''
12 दिसंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने कथित वीडियोकॉन ऋण धोखाधड़ी मामले में कोचर को बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो की याचिका पर सुनवाई 3 जनवरी, 2024 तक के लिए स्थगित कर दी थी। (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 28 दिसंबर । कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को 139वें स्थापना दिवस पर पार्टी मुख्यालय में पार्टी का झंडा फहराया और कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का उद्देश्य लोक कल्याण है।
स्थापना दिवस समारोह में राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, सांसद राजीव शुक्ला, महासचिव के.सी. वेणुगोपाल समेत कई कांग्रेस नेता मौजूद रहे।
खड़गे ने एक्स पर लिखा, "भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का उद्देश्य लोक कल्याण है और भारत के लोगों की प्रगति है। हम संसदीय लोकतंत्र पर आधारित भारत में विश्वास करते हैं जिसमें बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए समानता, अवसर और राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक अधिकार निहित हैं।''
उन्होंने आगे कहा, “हमें गर्व है कि पिछले 139 वर्षों से हम ऐसे भारत के निर्माण के लिए पूरी ईमानदारी से संघर्ष कर रहे हैं। कांग्रेस स्थापना दिवस के अवसर पर प्रत्येक भारतीय को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। जय हिंद, जय कांग्रेस।”
पार्टी सदस्यों को शुभकामनाएं देते हुए राहुल गांधी ने भी लिखा, "सत्य और अहिंसा जिसकी बुनियाद है। मोहब्बत, भाईचारा, सम्मान और समानता जिसके स्तंभ हैं और देशप्रेम जिसकी छत है। मुझे फक्र है कि मैं ऐसे संगठन का हिस्सा हूं। कांग्रेस स्थापना दिवस की सभी नेतागणों, पदाधिकारियों, समर्थकों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।''
प्रियंका गांधी ने लिखा, “स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की गतिविधियों के संचालन के लिए 'तिलक स्वराज कोष' की शुरुआत की थी। इसका मकसद असहयोग आंदोलन के लिए पैसा जुटाना था ताकि 'स्वराज' की स्थापना हो सके।''
उन्होंने कहा, "आज करीब 100 साल बाद कांग्रेस ने 'डोनेट फॉर देश' अभियान शुरू किया है ताकि लोकतंत्र को बचाया जा सके, चंद अरबपतियों के लिए काम करने वाली तानाशाही सरकार के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष का गठन किया जा सके और संविधान को बचाया जा सके।" (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 28 दिसंबर । कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को 139वें स्थापना दिवस पर पार्टी मुख्यालय में पार्टी का झंडा फहराया और कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का उद्देश्य लोक कल्याण है।
स्थापना दिवस समारोह में राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, सांसद राजीव शुक्ला, महासचिव के.सी. वेणुगोपाल समेत कई कांग्रेस नेता मौजूद रहे।
खड़गे ने एक्स पर लिखा, "भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का उद्देश्य लोक कल्याण है और भारत के लोगों की प्रगति है। हम संसदीय लोकतंत्र पर आधारित भारत में विश्वास करते हैं जिसमें बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए समानता, अवसर और राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक अधिकार निहित हैं।''
उन्होंने आगे कहा, “हमें गर्व है कि पिछले 139 वर्षों से हम ऐसे भारत के निर्माण के लिए पूरी ईमानदारी से संघर्ष कर रहे हैं। कांग्रेस स्थापना दिवस के अवसर पर प्रत्येक भारतीय को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। जय हिंद, जय कांग्रेस।”
पार्टी सदस्यों को शुभकामनाएं देते हुए राहुल गांधी ने भी लिखा, "सत्य और अहिंसा जिसकी बुनियाद है। मोहब्बत, भाईचारा, सम्मान और समानता जिसके स्तंभ हैं और देशप्रेम जिसकी छत है। मुझे फक्र है कि मैं ऐसे संगठन का हिस्सा हूं। कांग्रेस स्थापना दिवस की सभी नेतागणों, पदाधिकारियों, समर्थकों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।''
प्रियंका गांधी ने लिखा, “स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की गतिविधियों के संचालन के लिए 'तिलक स्वराज कोष' की शुरुआत की थी। इसका मकसद असहयोग आंदोलन के लिए पैसा जुटाना था ताकि 'स्वराज' की स्थापना हो सके।''
उन्होंने कहा, "आज करीब 100 साल बाद कांग्रेस ने 'डोनेट फॉर देश' अभियान शुरू किया है ताकि लोकतंत्र को बचाया जा सके, चंद अरबपतियों के लिए काम करने वाली तानाशाही सरकार के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष का गठन किया जा सके और संविधान को बचाया जा सके।" (आईएएनएस)।
नई दिल्ली, 28 दिसंबर । जोमैटो को "डिलीवरी चार्जेज" के रूप में जुटाए गए पैसे पर जीएसटी अधिकारियों से 400 करोड़ रुपए का कारण बताओ नोटिस मिलने के बाद गुरुवार सुबह ज़ोमैटो के शेयर में 4 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ गई।
जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने पिछले महीने ज़ोमैटो और उसके प्रतिद्वंद्वी स्विगी को एक डिमांड नोटिस जारी किया था, जिसमें उन्हें क्रमशः 400 करोड़ रुपए और 350 करोड़ रुपए से अधिक का पेंडिंग बकाया भुगतान करने के लिए कहा गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जोमैटो को कारण बताओ नोटिस 29 अक्टूबर, 2019 से 31 मार्च, 2022 के बीच की अवधि के लिए है।
जोमैटो ने कहा कि वो कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है क्योंकि डिलीवरी चार्जेज डिलीवरी पार्टनर्स की ओर से कंपनी द्वारा एकत्र किया जाता है।
एक नियामक फाइलिंग में, ज़ोमैटो ने कहा कि नियमों और शर्तों के मद्देनजर, "डिलीवरी पार्टनर्स ने कस्टमर्स को डिलीवरी सेवाएं प्रदान की हैं, न कि कंपनी को"।
ज़ोमैटो ने कहा, "कंपनी कारण बताओ नोटिस (एससीएन) का उचित जवाब दाखिल करेगी।"
कंपनी ने कहा, "अभी तक किसी भी प्रकार का कोई आदेश पारित नहीं किया गया है और जैसा कि ऊपर बताया गया है, कंपनी का मानना है कि उसका केस मजबूत है।"
पिछले महीने जोमैटो और स्विगी को डिलीवरी चार्ज पर जीएसटी नोटिस मिला था।
ज़ोमैटो और स्विगी के अनुसार, 'डिलीवरी चार्ज' कुछ और नहीं बल्कि डिलीवरी पार्टनर्स द्वारा वहन की जाने वाली लागत है जो घर-घर खाना पहुंचाने जाते हैं।
स्विगी ने हाल ही में खाने के ऑर्डर के लिए शुल्क 2 रुपए से बढ़ाकर 3 रुपएकर दिया था।
ज़ोमैटो ने पहले ही अपना प्लेटफ़ॉर्म शुल्क शुरुआती 2 रुपए से बढ़ाकर 3 रुपए प्रति ऑर्डर कर दिया था। (आईएएनएस)।
कोलकाता, 28 दिसंबर । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पश्चिम बंगाल में स्कूल और नगर पालिकाओं में भर्ती मामलों को लेकर अपनी कार्रवाई की गति बढ़ा रहा है। ईडी की नौ अलग-अलग टीमें गुरुवार सुबह से कोलकाता में नौ अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी और तलाशी अभियान चला रही हैं। ईडी टीमों के साथ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मी भी हैं।
घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि छापेमारी उन लोगों के परिसरों पर की जा रही है जिनका स्कूल और नगर पालिकाओं की नौकरियों से जुड़े केस से संबंध है।
ईडी फिलहाल जिन नौ स्थानों पर छापेमारी कर रही है उनमें से एक सेंट्रल कोलकाता के कैनिंग स्ट्रीट में चार्टर्ड अकाउंटेंट राजेश दोशी का दफ्तर है। हालांकि, ईडी के लोग इस बात पर चुप्पी साधे हुए हैं कि इस चार्टर्ड अकाउंटेंट का इन केसों से क्या संबंध है।
वहीं, एक अन्य टीम नॉर्थ कोलकाता के मानिकतला में एक पॉश हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में दो व्यापारियों, सुबोध सच्चर और अशोक धानुका के आवासों पर समानांतर तलाशी अभियान चला रही है।
सूत्रों ने कहा कि भर्ती मामलों में पैसे के लेन-देन पर केंद्रीय एजेंसी ने चार्टर्ड अकाउंटेंट और व्यापारियों सहित कई व्यक्तियों की संलिप्तता की पहचान की है। उसी बारे में ये छापेमारी चल रही है।
सूत्रों के अनुसार, विदेशी हवाला लिंक मुख्य रूप से कोलकाता-मुंबई-दुबई मार्ग पर संचालित होते थे, जहां कोलकाता आय का स्रोत था और मुंबई के माध्यम से दुबई इसका अंतिम गंतव्य था।
सूत्रों ने कहा कि ईडी को पूरा यकीन है कि दुबई एकमात्र विदेशी हवाला लिंक नहीं है जिसका इस्तेमाल इन कथित घोटालों में पैसे के हेरफेर में किया गया। वर्तमान में अन्य विदेशी गंतव्यों पर नज़र रखने के संबंध में जांच चल रही है जहां इस पैसे को डायवर्ट और निवेश किया गया था। (आईएएनएस)।
मैसूर (कर्नाटक), 27 दिसंबर । मैसूर जिले के नंजनगुड शहर में एक जुलूस के दौरान देवता पर प्रदूषित पानी फेंकने के आरोप में पांच लोगों के खिलाफ बुधवार को पुलिस में शिकायत दर्ज की गई।
मंगलवार रात हुई इस घटना से विवाद पैदा हो गया और क्षेत्र में तनाव पैदा हो गया।
ऐतिहासिक नंजुंदेश्वर मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जगदीश ने इस संबंध में नंजनगुड टाउन थाने में बलाराजू, नारायण, नागभूषण, नतेश और अभि के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
पाँचों पर जुलूस के दौरान देवता पर बोतलबंद पानी फेंककर धार्मिक प्रथा में बाधा डालने का आरोप है। शिकायत में कहा गया है, "हमने समझाया है कि जुलूस के दौरान किसी भी व्यक्ति का अपमान नहीं किया जाता है। इसके बावजूद, कुछ लोगों ने जुलूस के दौरान देवता पर पानी फेंका, जिससे भक्तों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।"
मंदिर प्रबंधन ने मंगलवार रात 'अंधकासुर संहार' के अवसर पर एक धार्मिक जुलूस का आयोजन किया। दलित संघर्ष समिति (डीएसएस) ने जुलूस पर आपत्ति जताते हुए दावा किया कि उनका मानना है कि अंधकासुर उनका राजा था।
मंदिर प्रबंधन का कहना है कि यह अनुष्ठान सैकड़ों वर्षों से मनाया जा रहा है, जिसमें मंदिर के पास राक्षस मंडप के पास खींची गई अंधकासुर की तस्वीर को मिटाना शामिल है। नंजुंदेश्वर और पार्वती की मूर्तियों को ले जाने वाले लोग उनके पैरों पर बने चित्र को मिटा देते हैं। यह अनुष्ठान पूरे क्षेत्र में, विशेषकर गांवों में मनाया जाता है।
सूत्रों ने बताया कि आरोपियों ने भगवान पर प्रदूषित पानी फेंका था, जिससे तनाव की स्थिति पैदा हो गई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। (आईएएनएस)।