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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को अदालत की निगरानी में मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से लगी शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के सर्वे की अनुमति दे दी है.
इस मामले से जुड़े वकीलों में से एक विष्णु शंकर जैन ने बीबीसी को बताया कि अदालत ने सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति पर सहमति जताई है.
उन्होंने बताया, "अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी और अदालत सर्वे के तौर तरीकों पर सुनवाई करेगी."
मथुरा में श्रीकृष्ण मंदिर और ईदगाह मस्जिद
इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़े कई मामले लंबित है, जिसमें ये दावा किया गया है कि शाही ईदगाह हिंदुओं की है और उन्हें वहां पूजा करने की अनुमति दी जाए.
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद, भगवान कृष्ण के जन्मस्थल पर बना है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ही पिछले साल ज्ञानवापी मस्जिद के भी सर्वे का आदेश दिया था. (bbc.com/hindi)
लोकसभा से कांग्रेस के पांच सांसदों को 'खराब व्यवहार' की वजह से संसद के शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उनके निलंबन के लिए प्रस्ताव पेश किया था.
कांग्रेस सांसद टी एन प्रतापन, हिबी इडेन, जोतिमणि, रम्या हरिदास और डीन कुरियाकोस को निलंबित कर दिया गया.
प्रह्लाद जोशी ने सदन को कल संसद में हुई सुरक्षा चूक की घटना के बाद उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी. दिन में सदन स्थगति होने के बाद कार्यवही दो बजे शुरू हुई और तभी जोशी ने ये प्रस्ताव पेश किया.
जब ये प्रस्ताव पेश किया गया तो अध्यक्ष की जगह बीजद के भर्तृहरि महताब पीठासीन अधिकारी थे. (bbc.com/hindi)
कर्नाटक में कांग्रेस के एक डिनर कार्यक्रम में बीजेपी के तीन विधायकों के शामिल होने को पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने 'गंभीर मुद्दा' बताया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, विजयेंद्र ने कहा कि वो इन तीनों विधायकों से इस पर जवाब मागेंगें.
वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि इन विधायकों ने किसी बैठक में हिस्सा नहीं लिया बल्कि वो सिर्फ बुधवार रात रात्रिभोज में शामिल हुए.
भाजपा के ये तीन विधायक एस टी सोमशेखर, शिवराम हेब्बार और विधान पार्षद एच विश्वनाथ हैं. (bbc.com/hindi)
संसद की सुरक्षा में चूक के मामले में शिवसेना के उद्धव बाला साहेब ठाकरे धड़े के नेता संजय राउत ने कहा है कि देश की सुरक्षा से खिलवाड़ हुआ है.
उन्होंने कहा, "सरकार तो मुंह बंद करके बैठी है. 22 साल पहले इससे भी भयंकर हादसा हुआ था और हमको कहा गया था कि ये नया सदन फुल प्रूफ सिक्योरिटी से लैस है."
संजय राउत ने कहा, "कल हमने क्या देखा. दो-चार लड़के अंदर घुस गए. महंगाई और बेरोज़गारी के बारे में नारे लगाते हुए अंदर चले गए. यह ठीक नहीं है."
संजय राउत ने इस घटना के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, "देश के युवाओं की दिशा बदल रही है, वो निराश हैं. इसके लिए सरकार जिम्मेदार है. लेकिन सरकार सभी राज्यों में शपथ ग्रहण समारोह में व्यस्त है. देश की सुरक्षा से खिलवाड़ हुआ है और यह कोई बर्दाश्त नहीं करेगा."
हालांकि बुधवार को संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मामले में लोकसभा में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने केंद्र सरकार की ओर से आज बयान दिया. उन्होंने कहा कि जो हुआ है उसकी सभी को आलोचना करनी चाहिए.
राजनाथ सिंह ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा, "इस घटना की सबको आलोचना करनी चाहिए. इसका संज्ञान स्पीकर महोदय ने भी लिया है. संसद में एंट्री के लिए किसे पास दिए जा रहे हैं इसे लेकर हमें खासा ध्यान रखने की ज़रूरत है. हम आने वाले समय में सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाएंगे." (bbc.com/hindi)
हिन्दुस्तान की संसद पर आतंकी हमले की 22वीं सालगिरह पर लोकसभा के भीतर और संसद परिसर में एक अहिंसक हमला हुआ। इसमें सिर्फ नारों और रंगीन गैस का इस्तेमाल करते हुए कुछ लोकतांत्रिक मांगें की गईं। वैसे तो संसद पर हमले की सालगिरह का यह दिन थोड़ी सी अधिक सावधानी का रहना चाहिए था, लेकिन गैरहथियारबंद और कुछ लोकतांत्रिक किस्म के इस ‘हमले’ से बचाव और रोकथाम करना कुछ मुश्किल भी रहा होगा क्योंकि इसमें मैटल डिटेक्टर वगैरह काम नहीं आए होंगे। अब यह जरूर है कि ऐसे असाधारण विरोध-प्रदर्शन को लेकर संसद की सुरक्षा पर कई सवाल खड़े होंगे, और देश में यह भी एक फिक्र की बात हो सकती है कि महज सोशल मीडिया पर एक-दूसरे से जुड़े हुए आधा दर्जन लोग किस तरह ऐसी कार्रवाई कर सकते हैं। यह भी है कि अगर एक-दूसरे से सिर्फ सोशल मीडिया पर जुड़े हुए लोग ऐसा कर सकते हैं, तो फिर उनके हथियारबंद होने पर ऐसा कोई भी खतरा और कितना बड़ा हो सकता था। ऐसी बहुत सी बातें हैं, जिन पर सोच-विचार होना चाहिए। यह जरूर है कि संसद के भीतर सदन में बैठे सांसदों के लिए खतरनाक साबित हो सकने वाले ऐसे प्रदर्शन में जिन मुद्दों को उठाया गया है, उन पर इस मौके पर चर्चा नहीं होगी, और महज प्रदर्शन के तौर-तरीके एक आतंकी हमला करार दे दिए जाएंगे। अभी तक की जानकारी के मुताबिक गिरफ्तार पांच लोगों के साथ-साथ दो और लोगों की तलाश चल रही है, और खबर है कि इन पर यूएपीए जैसा कड़ा कानून लगाया गया है। एक राहत की बात यह है कि इसमें गिरफ्तार तमाम लोग कश्मीर, पंजाब, या उत्तर-पूर्व जैसे राज्यों के नहीं हैं, वे न मुस्लिम हैं, न सिक्ख हैं, इसलिए उन पर पाकिस्तानी या खालिस्तानी साजिश की तोहमत नहीं लग सकती। सारे के सारे नाम हिन्दू नाम हैं, और चाहे कितने ही हिन्दू पाकिस्तान के लिए जासूसी करते पकड़ाए न जा चुके हों, आज अगर संसद में इस प्रदर्शन के पीछे गैरहिन्दू होते, तो देश एक अलग किस्म से जलता-सुलगता रहता। प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि वे किसानों के आंदोलन, मणिपुर संकट, और बेरोजगारी की वजह से नाराज थे, इसलिए उन्होंने ऐसा किया है।
हम अभी इस चर्चा में संसद की हिफाजत की लापरवाही पर अधिक जोर डालना नहीं चाहते क्योंकि हमारा मानना है कि यह कोई हथियारबंद हमला नहीं था, यह एक विरोध-प्रदर्शन था, और इससे संसद के हिफाजत के इंतजाम को बेहतर करने का एक मौका भी मिला है। कल अगर रंगीन गैस के बजाय जहरीली गैस का कोई स्प्रे लिए हुए प्रदर्शनकारी आत्मघाती जत्थे की शक्ल में सदन के बीच इतना स्पे्र करते रहते, तो दर्जनों सांसद मारे जा सकते थे। इसलिए इस प्रदर्शन को एक बड़े हमले से बचाव का मौका मानकर चलना बेहतर होगा। अभी संसद और सरकार को यह नसीहत देने का मौका नहीं है कि इन प्रदर्शनकारियों के उठाए मुद्दों पर भी चर्चा की जरूरत है क्योंकि ये मुद्दे तो पहले से संसद के भीतर और बाहर लगातार चर्चा का सामान है, फिर चाहे संसद और सरकार से इन पर देश को कुछ हासिल न हो रहा हो। संसद अभी तक खत्म नहीं हुई है, और संसद के बाहर उठाए मुद्दे भी थोड़ी बहुत जगह तो पा ही लेते हैं, ऐसे में अंग्रेजी की पार्लियामेंट में भगत सिंह की तरह हथगोला फेंकने की जरूरत अभी नहीं थी, और कल का यह प्रदर्शन एक हिंसक और खतरनाक प्रदर्शन ही कहलाएगा, और सरकार और अदालतें इसे आतंकी कार्रवाई मान लेंगी, तो भी उसमें कुछ अटपटा नहीं होगा। लोकतंत्र में प्रदर्शन का यह तरीका मंजूर नहीं किया जा सकता।
अब देश की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह सोचने का एक मुद्दा है कि अलग-अलग शहरों में बसे लोग सोशल मीडिया पर आपस में जुडक़र इस तरह दिल्ली में एकजुट होते हैं, और इस तरह संसद के भीतर और बाहर देश का ध्यान खींचते हैं। ऐसे में किसी बड़े आतंकी संगठन की जरूरत भी नहीं रह जाती, और अगर वैचारिक आधार पर देश की असल दिक्कतों पर कुछ नौजवान कई बरस जेल में काटने का खतरा उठाकर भी ऐसा प्रदर्शन करते हैं, तो फिर कुछ हिंसक किस्म के नौजवानों को इसी अंदाज में और अधिक हिंसा करने के लिए भी तैयार किया जा सकता है। फिर यह भी जरूरी नहीं है कि ऐसा कोई हमला संसद जैसी महफूज समझी जा रही जगह के भीतर ही हो, यह भी हो सकता है कि देश में कहीं भी भीड़भरी जगह पर ऐसा महज रंगीन-गैस हमला किया जाए, और बिना किसी जानलेवा खतरे के भी महज भगदड़ में सैकड़ों लोग मारे जाएं। ऐसे में अगर किसी की नीयत देश में अधिक बदअमनी फैलाने की होगी, तो इसमें हमलावर को भीड़ से अलग धर्म का बताकर साम्प्रदायिक हिंसा भी फैलाई जा सकती है। कल संसद तो किसी जान-माल के नुकसान से बच गई है, लेकिन देश को एक नई किस्म के खतरे का पता चल गया है, जो कि अधिक फायदे की बात लगती है। न सिर्फ संसद, विधानसभाओं, और अदालतों को ऐसी नौबत से बचाना चाहिए, बल्कि दूसरे किस्म की गैसों के असली आतंकी हमलों की शिनाख्त और उनसे बचाव के रास्ते भी तलाश लेने चाहिए।
संसद खबरों में अधिक महत्वपूर्ण है, लेकिन मजदूरों के बाजार या गरीबों के किसी स्कूल में बच्चों की जिंदगी भी उतना ही मायने रखती है। इसलिए देश को पहली बात तो यह कि हमलों से बचाव की तरकीबें सीखनी चाहिए, और साथ-साथ देश में सामाजिक अमन-चैन, इंसाफ, और लोकतंत्र को कायम रखने की कोशिश भी करनी चाहिए।
दोनों ने प्रदेश प्रभारी को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया था
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 दिसंबर। कांग्रेस ने दो पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह और डॉ. विनय जायसवाल को पार्टी से निकाल दिया है। दोनों को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
बृहस्पत सिंह ने प्रदेश प्रभारी सैलजा और पूर्व डिप्टी सीएम टी.एस. सिंहदेव के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए हार के लिए जिम्मेदार ठहराया था।
इसी तरह डॉ.विनय जायसवाल ने प्रभारी सचिव चंदन यादव पर 7 लाख रूपए लेने का आरोप लगाया था। दोनों को नोटिस जारी किया गया था। नोटिस का जवाब भी देने के बाद प्रदेश कांग्रेस ने बड़ी कार्रवाई की है, और दोनों के जवाब को संतोषजनक न मानते हुए 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। a
कांग्रेस सरकार ने प्रदेश को आर्थिक रूप से खोखला किया-साय
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 दिसंबर। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में गुरुवार को 18 लाख पीएम आवास निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बैठक के बाद मीडिया से चर्चा में सीएम विष्णुदेव साय ने यह भी कहा कि पिछली सरकार में प्रदेश को आर्थिक रूप से खोखला कर दिया है, लेकिन मोदी की गारंटी का शत प्रतिशत पालन किया जाएगा।
मीडिया से चर्चा में श्री साय ने बताया कि मंत्रिमंडल की पहली बैठक में एकमात्र प्रधानमंत्री आवास योजना का निर्माण ही एकमात्र एजेंडा था। बैठक में 18 लाख ग्रामीण आवास निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार तेजी से चलेगी। साय ने आगे यह भी कहा कि किसानों को 25 दिसंबर को बकाया दो साल का बोनस दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पांच साल में सारी घोषणाओं को पूरा किया जाएगा।
जय वीरू फिर साथ, पर लेट हो गए
साइंस कॉलेज मैदान में सीएम के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने पूर्व सीएम भूपेश बघेल, और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव एक ही गाड़ी से गए। वापसी में वो प्रदेश प्रभारी सैलजा के अस्थाई निवास सी-9 में पहुंचे।
दोनों को एक ही गाड़ी से उतरते देख वहां मौजूद कांग्रेस के नेता हैरान रह गए। एक सीनियर नेता की टिप्पणी थी कि ऐसा तालमेल चुनाव से पहले दिखाते तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन जाती।
कांग्रेस सरकार के पांच साल में दोनों के बीच शीत युद्ध चलता रहा। इसका असर सरकारी कामकाज पर भी पड़ा। दोनों के समर्थकों के बीच टकराव देखने को मिला। जिसका सीधा असर चुनाव नतीजों पर भी पड़ा। अब हार से सबक लेते हुए जय-वीरू की जोड़ी फिर बनती है या नहीं, यह देखना है।
त्रिदेव काम पर लगे
शपथ लेने के बाद बुधवार को सीएम विष्णुदेव साय, और दोनों डिप्टी सीएम अरुण साव व विजय शर्मा पहले मंत्रालय गए, और विधिवत कार्यभार ग्रहण करने के बाद कुशाभाऊ ठाकरे परिसर पहुंचे।
तीनों नेताओं ने प्रदेशभर से आए नेताओं और कार्यकर्ताओं से मेल-मुलाकात की। इसके बाद तीनों एक साथ बंद कमरे में वहां भोजन किया। और फिर प्रशासनिक कामकाज को लेकर घंटे भर मंत्रणा हुई।
चर्चा है कि अफसरों की पोस्टिंग से लेकर कैबिनेट के विषयों पर आपस में चर्चा की। इस दौरान संगठन का कोई नेता वहां नहीं था। इसके बाद रात करीब 12 बजे तीनों निकले, और फिर कार्यकर्ताओं से मिलने के बाद रवाना हो गए।
मंत्रिमंडल और असमंजस
सीएम, दो डिप्टी सीएम के शपथ लेने के बाद मंत्रियों के शपथ को लेकर भी चर्चा चल रही है। दोनों डिप्टी सीएम पहली बार के विधायक हैं। लिहाजा, नए विधायक उत्साहित, और उम्मीद से नजर आए।
पूर्व मंत्रियों, और सीनियर विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी या नहीं, यह साफ नहीं है। चर्चा है कि कुछ पूर्व मंत्रियों ने तो अपनी संभावनाओं को लेकर पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह से भी बात की। मगर रमन सिंह भी ज्यादा कुछ कहने की स्थिति में नहीं है।
हालांकि पार्टी संगठन के एक बड़े नेता ने कुछ नेताओं से कहा है कि मंत्रिमंडल में नए के साथ-साथ पुराने अनुभवी चेहरों को भी जगह दी जाएगी।
मगर यह स्पष्ट है कि कई पुराने चेहरे ऐसे हो सकते हैं जिन्हें मंत्री न बनाया जाए। वजह यह है कि सिर्फ 10 मंत्री बनाए जा सकते हैं, जबकि 13 पूर्व मंत्री जीतकर आए हैं। देखना है कि मंत्रिमंडल में किसको जगह मिलती है।
कर्ज माफ न होने की चिंता
चुनाव अभियान की शुरुआत में ही जब तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फिर से कर्ज माफी करने की घोषणा की तो इसे मास्टर स्ट्रोक माना गया। यह भी कहा गया कि इतना बड़ा ऐलान किसी राष्ट्रीय नेता ने क्यों नहीं किया। मगर जब सरकार भाजपा की बन गई है तो फिर किसानों को कर्ज का भुगतान करना पड़ेगा। इस खरीफ सीजन में कांग्रेस सरकार ने 13 लाख से ज्यादा किसानों को करीब 6100 करोड रुपए का कर्ज देने का लक्ष्य रखा था। बघेल की घोषणा के पहले 12 लाख से कुछ कम किसानों को करीब 5800 करोड़ का ऋण दिया जा चुका था। छत्तीसगढ़ में सोसाइटी में धान बेचने वाले पंजीकृत किसानों की संख्या 25 लाख के आसपास है। यानी 50 फीसदी किसान कर्जदार हैं। पर अब जब भाजपा सरकार अस्तित्व में आ गई है तो कर्ज लेने वाले किसानों को मायूस होना पड़ा है। कई लोगों ने माफी की उम्मीद में दो लाख या उससे अधिक रकम उठा ली थी। उनको बस दो बातों से तसल्ली हो सकती है कि धान का दाम कांग्रेस के वादे के आसपास ही 3100 रुपए प्रति क्विंटल मिल जाएगा और समर्थन मूल्य से ऊपर की राशि एकमुश्त मिलेगी जो पहले चार बार में मिलती थी। फिर 2 साल का रुका हुआ बकाया बोनस भी मिलेगा। कर्ज चुकाने लायक न सही, भार कम करने के लिए तो कुछ मिलेगा।
कुर्सी मोदी की, टेबल गवर्नर की..
बात यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हो तो वे भाषण दिये बिना भी चर्चा में रह सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी सुबह भोपाल में मंच पर थे। रायपुर के शपथ ग्रहण समारोह में भी तय कार्यक्रम के अनुसार वे ठीक 3.55 मिनट पर मंच पर पहुंच गए। उनके बैठने की जगह पर एक टेबल और माइक रख दी गई थी। पर मोदी को मालूम रहा होगा कि तय प्रोटोकॉल के मुताबिक सिर्फ शपथ समारोह होगा। कार्यक्रम राजभवन का है। टेबल देखकर वे असहज हुए। वे झुके और टेबल को बगल में बैठे राज्यपाल की ओर खिसकाने लगे। जैसे ही मोदी को झुकते देखा, मंच पर खड़े बाकी नेता चौंके। जेपी नड्डा और ओम माथुर उनकी ओर बढ़े। दूसरी तरफ विष्णु देव साय थे, सभी ने टेबल खींचने में मदद की। मोदी के ठीक पीछे सेक्यूरिटी ऑफिसर खड़े थे, लेकिन जब तक वे नजदीक पहुंचते टेबल खिसकाई जा चुकी थी।
वोट बढ़े पर सीटें नहीं मिलीं...
रायपुर में हुई कांग्रेस विधायकों की बैठक में प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि हमारे वोट प्रतिशत घटे नहीं हैं। वे पिछली बार की तरह 42 प्रतिशत ही रहे। इसलिए बहुत निराश होने की जरूरत नहीं है। सबने मेहनत की थी, लोकसभा चुनाव की तैयारी करें। बात ठीक ही है, मगर वोट प्रतिशत बढऩे का फायदा हर जगह भाजपा को मिला हो, ऐसा भी नहीं है। कांग्रेस को भी मिला। सरकार इसके बावजूद नहीं बन पाई। अब बालोद जिले की ही तीन सीटों को ही ले लें। आंकड़ों को देखने से मालूम होता है कि यहां भाजपा को इस बार 38.54 प्रतिशत वोट मिले हैं। ये वोट पिछली बार ( सन् 2018) से 9.78 प्रतिशत अधिक हैं। मतलब, बालोद जिले में भाजपा को करीब 10 फीसदी ज्यादा मतदाताओं का समर्थन मिल गया। इसके बावजूद यहां से उसे तीनों में एक सीट भी नहीं मिली, क्योंकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढक़र 50.20 शून्य प्रतिशत चला गया। लोकसभा चुनाव की तैयारी करते वक्त कांग्रेस भाजपा दोनों को ही ऐसे ही आंकड़ों पर ध्यान देना पड़ सकता है।
नयी दिल्ली, 14 दिसंबर । लोकसभा ने सदन की कार्यवाही बाधित करने और आसन की अवमानना को लेकर बृहस्पतिवार को विपक्षी दलों के 14 सदस्यों को मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया।
पहले कांग्रेस के पांच सदस्यों को निलंबित किया गया और फिर कांग्रेस, द्रमुक, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कुल नौ सदस्यों को निलंबित किया गया।
सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद जब दोपहर दो बजे आरंभ हुई तो संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच कांग्रेस के टी एन प्रतापन, हिबी इडेन, जोतिमणि, रम्या हरिदास और डीन कुरियाकोस को आसन की अवमानना के मामले में शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव रखा। सभा ने ध्वनिमत से जोशी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
जोशी ने अपने प्रस्ताव में कहा कि आसन की अवमानना करने के लिए इन पांच सदस्यों का नाम आसन की ओर से लिया गया है और इन्हें शेष सत्र के लिए सदन से निलंबित किया जाए।
इस दौरान बी महताब आसन पर थे।
इसके बाद सदन की कार्यवाही अपराह्न तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
कार्यवाही फिर से आरंभ होने के बाद जोशी ने कांग्रेस के वीके श्रीकंदन, बेनी बेहनन, मोहम्मद जावेद और मणिकम टैगोर, द्रमुक की कनिमोई, एस आर प्रतिबन, माकपा के एस वेकटनेशन और पी आर नटराजन तथा भाकपा के के. सु्ब्बारायन के निलंबन का प्रस्ताव रखा। इसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
पीठासीन सभापति महताब ने दूसरी बार में नौ विपक्षी सदस्यों के निलंबन के बाद अपराह्न करीब तीन बजकर दो मिनट पर लोकसभा की कार्यवाही शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। (भाषा)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 दिसंबर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नारायणपुर जिले में हुए आईईडी ब्लास्ट में सक्ती जिले के हसौद निवासी शहीद जवान कमलेश साहू को नमन कर श्रद्धासुमन अर्पित किए हैं। मुख्यमंत्री ने शहीद जवान के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि इस दुख की घड़ी में पूरा छत्तीसगढ़ उनके परिजनों के साथ है। कमलेश साहू ने आदम्य साहस का परिचय देते हुए वीरगति प्राप्त की है।
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने आज सक्ती जिले के हसौद पहुंचकर शहीद कमलेश साहू को श्रद्धांजलि अर्पित की और परिजनों से मिलकर उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने शहीद के पिता मुंगेश्वर साहू को गले लगाकर उन्हें ढांढस बंधाया। श्री शर्मा ने शहीद कमलेश की माता श्रीमती तारा देवी साहू, पत्नी श्रीमती वृंदाबाई साहू, शहीद की बड़ी बहन श्रीमती कमलेश्वरी साहू और छोटे भाई यशवंत साहू सहित अन्य परिजनों से भी मुलाकात की और सांत्वना दी।
उन्होंने कहा कि शहीद कमलेश साहू ने देश की सेवा करते हुए वीरगति प्राप्त की है, उनकी शहादत को नमन है। विधायक केदार कश्यप, जैजैपुर विधायक बालेश्वर साहू, चंद्रपुर विधायक रामकुमार यादव सहित विभिन्न जनप्रतिनिधियों ने भी हसौद पहुंचकर शहीद कमलेश को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर सक्ती की कलेक्टर श्रीमती नूपुर राशि पन्ना, पुलिस अधीक्षक एम. आर आहिरे सहित बड़ी संख्या में नागरिकों ने भी शहीद जवान को श्रद्धांजलि अर्पित की।
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 14 दिसंबर। कोयला लेवी वसूली मामले में गिरफ्तार आईएएस रानू साहू की जमानत याचिका पर हाई कोर्ट में आज सुनवाई अधूरी रही। कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 8 जनवरी तय की है।
ज्ञात हो कि प्रवर्तन निदेशालय ने साहू को कोयला लेवी घोटाले मामले में पिछले जुलाई महीने में गिरफ्तार किया था। इस समय वह रायपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं।
गैंगस्टर एक्ट के तहत पूर्व सांसद अफज़ाल अंसारी को कसूरवार ठहराए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कुछ शर्तों के साथ उनकी सज़ा पर रोक लगा दी है.
जस्टिस सूर्य कांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुयन की बेंच ने बहुजन समाज पार्टी के पूर्व सांसद अंसारी की सज़ा पर रोक लगाते हुए कहा कि वे लोकसभा में वोट नहीं कर सकेंगे और न ही कोई भत्ता ले सकेंगे लेकिन वे सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं.
साथ ही अफज़ाल अंसारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को ये भी निर्देश दिया कि कसूरवार ठहराए जाने के फ़ैसले और सज़ा के ख़िलाफ़ उनकी क्रिमिनल अपील पर 30 जून, 2024 तक सुनवाई पूरी की जाए.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, बेंच के सदस्य जस्टिस दत्ता ने कहा कि उनकी राय बहुमत की राय से अलग है. जस्टिस दत्ता ने अपने फ़ैसले में अंसारी की अपील खारिज कर दी थी.
31 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने अंसारी की याचिका पर अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा था. इससे पहले 24 जुलाई को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अंसारी की सज़ा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था लेकिन उन्हें ज़मानत दे दी थी.
ग़ाज़ीपुर के स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट ने 29 अप्रैल को अफज़ाल अंसारी और उनके भाई मुख़्तार अंसारी को गैंगस्टर एक्ट से जुड़े एक मामले में दोषी करार दिया था.
सांसद अफज़ाल अंसारी को चार साल की जेल और एक लाख रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई गई थी. इस केस में मुख़्तार अंसारी को दस साल जेल की सज़ा सुनाई गई थी.
दोनों भाइयों के ख़िलाफ़ ये मामला ग़ाज़ीपुर से बीजेपी के तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय की हत्या और वाराणसी के कारोबारी नंद किशोर रुंगटा के अपहरण और हत्या से जुड़ा हुआ है.
कृष्णानंद राय की 29 नवंबर, 2005 को हत्या कर दी गई थी. नंद किशोर रुंगटा का मामला साल 1997 का है. (bbc.com)
बुधवार को संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मामले में लोकसभा में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने केंद्र सरकार की ओर से बयान दिया.
उन्होंने कहा कि जो हुआ है उसकी सभी को आलोचना करनी चाहिए.
बुधवार को लोकसभा की सुरक्षा में हुई बड़ी चूक को लेकर सदन में विपक्ष की पार्टियां सवाल पूछ रही थीं.
उनका सवाल है कि आखिर सदन की सुरक्षा में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई.
विपक्ष की मांग है कि दोनों सदनों में गृहमंत्री अमित शाह इस सवाल का जवाब दें.
लेकिन गुरुवार को राजनाथ सिंह ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा, "इस घटना की सबको आलोचना करनी चाहिए. इसका संज्ञान स्पीकर महोदय ने भी लिया है. संसद में एंट्री के लिए किसे पास दिए जा रहे हैं इसे लेकर हमें खासा ध्यान रखने की ज़रूरत है. हम आने वाले समय में सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाएंगे."
बुधवार को संसद की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई.
साल 2001 में संसद में हुए हमले की सालगिरह पर बुधवार को लोकसभा में दो लोग विजिटर गैलरी से सांसदों के कक्ष में कूद गए. इन लोगों ने पीले रंग की गैस स्प्रे की और नारे लगाए.
जिस समय सदन के अंदर ये वाकया हुआ उस समय शून्यकाल चल रहा था.
इस मामले में पांच लोगों की गिरफ़्तारी हुई है और केस यूएपीए की धाराओं के तहत तय किया गया है. (bbc.com)
पुलिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, सीबीआई ने जांच सही ठहराया
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 14 दिसंबर। महासमुंद जिले के किशनपुर में चार लोगों की निर्मम हत्या के पांच आरोपियों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस फैसले पर पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह ने तसल्ली व्यक्त की है।
यह घटना 31 मई 2018 को हुई थी, जिसमें एएनएम योगमाया साहू, उसके पति व उनके दो बच्चों की हत्या कर दी गई थी। तब संतोष कुमार सिंह महासमुंद के पुलिस अधीक्षक थे। उन्होंने बताया कि यह एक जघन्य अपराध था जिसके लिए उन्होंने पुलिस टीमों को अपराधियों तक हरसंभव पहुंचने का निर्देश दिया। घटना के तीन दिन बाद ही एक आरोपी धर्मेंद्र बरीहा के आधार पर 3 जून को पकड़ा गया। उसके घटनास्थल से पीड़ित का कुछ गायब सामान उसके घर से बरामद हुआ। लेकिन, सिर्फ अपनी संलिप्तता स्वीकार की और किसी के बारे में कुछ भी खुलासा नहीं किया।
अभियुक्त और न्यायालय की अनुमति के बाद कुछ महीनों बाद उसके नार्को टेस्ट से चार और लोगों के नाम सामने आए। साक्ष्य एकत्र किए गए जो नार्को निष्कर्षों की पुष्टि कर सकते थे। कई आरोप लगाए गए और पुलिस पर कुछ अन्य संदिग्धों के खिलाफ मामला दर्ज करने का दबाव बनाया गया था। जांच के बाद कुल पांच आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया गया। बाद में पुलिस की जांच व चालान के खिलाफ परिजनों के आवेदन पर माननीय हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई जांच के आदेश दिए गए। सीबीआई ने अपना प्रतिवेदन कोर्ट में प्रस्तुत किया जिसमे उन्होंने पुलिस जांच को सही ठहराया और इन पांच के अलावा किसी अन्य की संलिप्तता नहीं पाई। आखिरकार कल बड़ा फैसला आ गया और पांचों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा मिली। घटना जांच में लंबे समय तक लगी पूरी टीम ने पीड़ित को न्याय मिलने के फैसले पर खुशी जाहिर किया है।
विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश, अगली सुनवाई जनवरी में
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 14 दिसंबर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए की जा रही प्रशासन की अपर्याप्त कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि हमें यह मानना पड़ेगा कि कलेक्टर खुद ही कानून का पालन नहीं करना चाहते हैं।
मालूम हो कि रायपुर के सिंगापुर सिटी के एक नागरिक और छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति की ओर से जनहित याचिका दायर कर बताया गया था कि ध्वनि प्रदूषण की शिकायत करने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके अलावा हाई कोर्ट ने भी स्वत: संज्ञान लिया है। इनकी एक साथ सुनवाई चल रही है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सिंगापुर सिटी के मरीन क्लब में दुर्गा त्यौहार के समय डांडिया के दौरान लगातार ध्वनि प्रदूषण किया जाता रहा, पुलिस को शिकायत की गई लेकिन उसने कोई कार्रवाई नहीं की। संघर्ष समिति की ओर से भी डॉक्टर राकेश गुप्ता और विश्वजीत मित्रा ने बताया कि उनकी शिकायतों पर कार्रवाई नहीं हुई।
उल्लेखनीय है कि पूर्व की सुनवाई में हाईकोर्ट ने कई बार जिला प्रशासन को ध्वनि प्रदूषण के मामलों में कानून के मुताबिक सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
शासन की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने कोर्ट से आग्रह किया कि क्योंकि सरकार में परिवर्तन हुआ है इसलिए नहीं सुनवाई पर जवाब देने के लिए कुछ समय चाहिए। इस पर कोर्ट ने 17 जनवरी 2024 को अगली सुनवाई रखी है।
केबिनेट में भी प्रयोग किया गया तो निराश होना पड़ेगा समर्थकों को
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 14 दिसंबर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के बाद तुरंत बाद अरुण साव के उप-मुख्यमंत्री पद शपथ लेने से यह साफ हो गया है कि वे प्रदेश में दूसरे सबसे ताकतवर मंत्री रहेंगे। इसके साथ ही पुराने बिलासपुर जिले में पांच साल का खालीपन खत्म हो गया। इस चुनाव में भाजपा के चार और वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव जीता है। ऐसे में कयास लग रहा है कि अब इनमें से किसी और को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी या नहीं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और बिलासपुर लोकसभा के सांसद रहते हुए मुंगेली जिले की लोरमी सीट से प्रचंड बहुमत से जीतने वाले अरुण साव के उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेते ही बिलासपुर और मुंगेली क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई। इन जिलों से हजारों कार्यकर्ता शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने गए थे। प्रदेश मंत्रिमंडल का गठन अभी होना बाकी है। बिलासपुर में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल और विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष धर्मजीत सिंह ठाकुर भी मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए उपयुक्त हैं। इसके अलावा मुंगेली जिले की दूसरी सीट से पूर्व खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहले सातवीं बार जीते हैं। सभी नेता काफी वरिष्ठ हैं और उनके समर्थक मंत्रिमंडल में इन सभी को देखने के इच्छुक हैं। मगर प्रदेश मंत्रिमंडल में कुल 13 की जगह है। इनमें से तीन शपथ ले चुके हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि ऐसी स्थिति में इस बात की गुंजाइश कम दिख रही है कि उक्त चारों नेताओं को एक साथ मंत्रिमंडल में जगह मिल पाए। इनमें से एक या दो नाम ड्रॉप किए जा सकते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि जिस तरह से मुख्यमंत्री उप-मुख्यमंत्री पदों के लिए तीनों राज्यों में केंद्रीय नेतृत्व में नए चेहरों को मौका दिया है, इस तरह का प्रयोग मंत्रिमंडल के गठन में भी दिखाई दे सकता है। ऐसा यदि होता है तो संभव है कि बिलासपुर मुंगेली और गौरेला पेंड्रा मरवाही की पूरी कमान सिर्फ अरुण साव के हाथ में छोडक़र किसी नए चेहरे को शामिल कर लिया जाए। बिलासपुर जिले की बेलतरा से सुशांत शुक्ला और जीपीएम की मरवाही सीट से प्रणव कुमार मरपच्ची पहली बार जीते हुए बीजेपी विधायक हैं।
मंत्रिमंडल के गठन की संभावित तारीख शनिवार 16 दिसंबर बताई गई है। कार्यकर्ताओं के अलावा मतदाता भी प्रतीक्षा कर रहे हैं कि इसमें शामिल होने वाले नामों का बड़ी उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,14 दिसंबर। आज सुबह बेकाबू बाईक पेड़ से जा टकराई। हादसे में बाइक सवार दो युवक गंभीर रूप से घायल हो गए। दोनों को बागबाहरा अस्पताल पहुंचाया, जहां से दोनों को गंभीर हालत में होने के कारण रायपुर अस्पताल भेज दिया गया। बताया जा रहा है कि दोनों युवक शराब के नशे में थे।
गुरुवार की सुबह सात बजे लगभग बागबाहरा झलप रोड में कस्तूर बोर्ड के पास बाइक सवार दो युवक अनियंत्रित होकर रोड के किनारे पेड़ से टकराकर गंभीर हालत में रोड पर काफी देर तक पड़े रहे। उन्हें देखने वाले राहगीरों की भीड़ उमड़ पड़ी।
भीड़ में से ही किसी ने 112 को फोन पर सूचना दी। इसके लगभग आधे घंटे बाद 112 वहां पहुंची और दोनों गंभीर युवकों को बागबाहरा अस्पताल पहुंचाया। जहां से दोनों को गंभीर हालत में होने के कारण रायपुर अस्पताल रिफर कर दिया गया है।
बताया जा रहा है कि दोनों युवक शराब के नशे में थे और दोनों ही ग्राम धामनतोरी के बताए जा रहे हैं। युवकों के नाम पता की जानकारी सुबह 11 बजे समाचार लिखते तक नहीं मिली है।
कांग्रेस ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल पर ये आरोप लगाया कि वो संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मामले से लोगों का ध्यान भटका रही है.
कांग्रेस का ये भी कहना है कि संसद में दर्शक दीर्घा से लोकसभा के फ्लोर पर कूदने वाले लोगों को बीजेपी के एक सांसद ने पास जारी किया था.
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश का ये बयान बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय के उस सोशल पोस्ट के बाद आया है जिसमें उन्होंने एक्स पर बुधवार को संसद भवन के परिसर से गिरफ़्तार की गई महिला की तस्वीर शेयर की थी.
अमित मालवीय ने अपने सोशल पोस्ट में जो तस्वीर शेयर की है, उसमें वो महिला कथित तौर पर कांग्रेस के लिए कैम्पेनिंग करती हुई दिख रही हैं.
इस पर जयराम रमेश ने अपने बयान में कहा है,"बीजेपी आईटी सेल किसी भी तरह से दो तथ्यों से ध्यान भटकाना चाहती है. पहला, संसद की सुरक्षा में गंभीर चूक हुई थी. दूसरा, लोकसभा में खतरनाक ढंग से घुसपैठ करने वालों को मैसूर से बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा ने संसद में प्रवेश की इजाज़त दी थी."
अमित मालवीय ने अपने बयान में संसद भवन के परिसर से गिरफ़्तार की गई महिला को 'आंदोलनजीवी' और कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' का सक्रिय समर्थक बताया था. (bbc.com)
दिल्ली/रायपुर, 14 दिसंबर। सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम की उप सचिव सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका खारिज की।
लाइव लॉ के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (14 दिसंबर) को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पूर्व उप सचिव सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। छत्तीसगढ़ सिविल सेवा के अधिकारी (अब निलंबित) चौरसिया कोयला घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी हैं।
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ चौरसिया की जमानत याचिका खारिज करने के छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के 23 जून के आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी। निलंबित सिविल सेवक अब एक साल से अधिक समय से जेल में है।
सुप्रीम कोर्ट ने चौरसिया को जमानत देने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं, यह देखते हुए कि उनकी विशेष अनुमति याचिका में गलत दलीलें दी गईं, पीठ ने एक लाख का असाधारण जुर्माना भी लगाया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, यह नहीं कहा जा सकता है कि पूर्ण खुलासे किए जाने चाहिए और विशेष रूप से नामित और सीनियर वकील से कुछ हद तक व्यावसायिकता की अपेक्षा की जाती है। गुण-दोष के आधार पर भी हमें कुछ नहीं मिला। चूंकि गलत तथ्य बताए गए, इसलिए हमने एक लाख का जुर्माना सहित अपील खारिज कर दी।
यह विवाद छत्तीसगढ़ की खदानों से कोयला परिवहन करने वाले कोयला और खनन ट्रांसपोर्टरों से जबरन वसूली और अवैध लेवी वसूली के आरोपों से उत्पन्न हुआ। प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार, जांच में बड़े पैमाने पर घोटाले का खुलासा हुआ, जिसमें प्रति टन कोयले पर 25 रुपये की अवैध उगाही शामिल है, जिसकी धनराशि कथित तौर पर 16 महीनों के भीतर 500 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
केंद्रीय एजेंसी का दावा कि इस पैसे का इस्तेमाल कथित तौर पर चुनावी फंडिंग और रिश्वत के लिए किया जा रहा था। पिछले साल अक्टूबर में इसने छापे मारे, जिससे आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई, कोयला व्यवसायी सुनील अग्रवाल, उनके चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी और किंगपिन सूर्यकांत तिवारी की गिरफ्तारी हुई। दिसंबर में केंद्रीय एजेंसी ने सौम्या चौरसिया को गिरफ्तार किया था।
प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि अवैध वसूली के माध्यम से एकत्र किए गए धन का उपयोग विधायकों द्वारा चुनाव-संबंधी खर्चों और चौरसिया, कोयला माफिया सरगना सूर्यकांत तिवारी और अन्य उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारियों द्वारा बेनामी संपत्ति के अधिग्रहण के लिए किया गया। यह आरोप लगाया गया कि तिवारी ने चौरसिया के लिए एक माध्यम के रूप में काम किया, जबरन वसूली योजना को सुविधाजनक बनाने के लिए उसके और जिला स्तर के अधिकारियों के बीच एक परत के रूप में काम किया।
ईडी के रिमांड आवेदन में कहा गया कि मुख्यमंत्री कार्यालय में अपने पद के कारण चौरसिया ने महत्वपूर्ण शक्ति और प्रभाव का इस्तेमाल किया, जिससे तिवारी को विभिन्न अधिकारियों पर दबाव बनाने की अनुमति मिली। केंद्रीय एजेंसी का दावा है कि चौरसिया ने कोयला लेवी की उगाही से अवैध रूप से प्राप्त नकदी का उपयोग करके अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर संपत्तियां खरीदीं।
हालांकि, चौरसिया ने आरोपों को मनगढ़ंत और निराधार बताते हुए खुद के बेगुनाह होने की दलील दी और कथित घोटाले में अपनी संलिप्तता साबित करने वाले ठोस सबूतों की कमी पर जोर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता बघेल ने भी चौरसिया की गिरफ्तारी को राजनीतिक कृत्य बताते हुए इसकी निंदा की।
इस साल जून में बिलासपुर में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की एकल-न्यायाधीश पीठ ने चौरसिया की जमानत याचिका खारिज कर दी।
तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन को शीतकालीन सत्र के शेष हिस्से के लिए सस्पेंड कर दिया गया है.
डेरेक ओब्रायन को राज्यसभा से पूरे शीत कालीन सत्र के लिए 'निंदनीय आचार' के कारण सस्पेंड किया गया है.
राज्यसभा के सभापति के अनुसार, "डेरेक ओब्रायन सदन की वेल में घुस गए थे और वहां नारेबाज़ी की और सदन की कार्यवाही में बाधा डाली."
बुधवार को लोकसभा की सुरक्षा में हुई बड़ी चूक को लेकर सदन में विपक्ष की पार्टियां सवाल पूछ रही थीं. शोर-शराबा और हंगामा बढ़ता देख सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी.
कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियां सवाल पूछ रही हैं कि आखिर सदन की सुरक्षा में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई. कांग्रेस की मांग है कि दोनों सदनों में गृहमंत्री अमित शाह इस सवाल का जवाब दें.
बुधवार को संसद की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई. साल 2001 में संसद में हुए हमले की सालगिरह पर बुधवार को लोकसभा में दो लोग विजिटर गैलरी से सांसदों के कक्ष में कूद गए. इन लोगों ने पीले रंग की गैस स्प्रे की और नारे लगाए.
जिस समय सदन के अंदर ये वाकया हुआ उस समय शून्यकाल चल रहा था.
लगभग इसी समय सदन के बाहर संसद के परिसर में एक पुरुष और एक महिला- अनमोल शिंदे और नीलम देवी- ने 'तानाशाही नहीं चलेगी' के नारे लगाते हुए छोटे से कनस्तरों से रंगीन गैस स्प्रे किया.
गृह मंत्रालय ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक अनीश दयाल सिंह की अध्यक्षता में एक जांच कमिटी बनायी है.
गृह मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि जांच कमिटी संसद की सुरक्षा में हुई चूक और इसकी वजहों की पहचान करेगी और इसे बेहतर करने के लिए मंत्रालय को जल्द रिपोर्ट सौंपेगी. (bbc.com)
रायपुर 14 दिसंबर । आयकर विभाग की एक टीम दुर्ग, राजनांदगांव क्षेत्र में सक्रिय है। करीब सौ अधिकारी कर्मचारियों की टीम सुबह आठ बजे रवाना की गई। टीम के दुर्ग-राजनांदगांव के बीच किसी ठिकाने पर जाने की सूचना है।
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायपुर, 14 दिसंबर। पीसीसी चीफ दीपक बैज ने बघेल सरकार के मंत्री रहे जय सिंह अग्रवाल को नोटिस जारी किया है। उनसे तीन दिन के भीतर जवाब मांगा है।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 दिसंबर। रायपुर दक्षिण से पराजित कांग्रेस प्रत्याशी महंत रामसुंदर दास ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को अपना इस्तीफा दिया है।
दास ने मीडिया से चर्चा में कहा प्रदेश में सबसे ज्यादा अंतर से उनकी हार हुई है। हार के लिए वो नैतिक रूप से जिम्मेदार है। इसलिए पार्टी छोडऩे का फैसला दे दिया है।