अंतरराष्ट्रीय
लंदन, 24 दिसंबर| ब्रेक्सिट के बाद यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के बीच बातचीत जारी है और अटकलें हैं कि वे एक समझौते पर सहमत होने के करीब हैं। बीबीसी ने बुधवार को बताया कि एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा है कि दोनों पक्षों में समझौते की 'बहुत संभावना' दिख रही है। हालांकि अभी ना तो एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुए हैं और ना ही यह सील हुआ है। मछली पकड़ने के अधिकार और व्यापार प्रतियोगिता के नियमों पर विवाद अभी भी डील को अंतिम रूप देने में रुकावट बने हुए हैं।
यूरोपीय संघ के एक अधिकारी ने कहा, "अभी कम समय बाकी है, लेकिन अभी एग्रीमेंट की घोषणा को लेकर बातचीत प्रीमैच्योर है।"
वहीं डाउनिंग स्ट्रीट के सूत्र ने कहा कि ऐसी दूर की संभावना है कि बुधवार को एग्रीमेंट हो सकता है। बता दें कि दोनों पक्षों के पास 31 दिसंबर तक का समय है। उस दिन से ब्रिटेन यूरोपीय संघ के व्यापारिक नियमों का पालन नहीं करेगा। यदि तब तक वे एग्रीमेंट नहीं कर पाते हैं तो वे एक-दूसरे के सामानों पर आयात कर लगा सकते हैं और इससे संभावित रूप से कीमतें प्रभावित हो सकती हैं।
माना जा रहा है कि ब्रिटेन के मुख्य वार्ताकार लॉर्ड फ्रॉस्ट और यूरोपीय संघ टीम के एक वरिष्ठ सदस्य स्टेफनी रिसो की ब्रसेल्स में चर्चा चल रही है। यूरोपीय संघ के सूत्रों ने कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन भी क्रिसमस के दौरान बातचीत में आने वाली रुकावट से पहले गतिरोध को तोड़ने के प्रयास में एक-दूसरे के संपर्क में थे।
मामला इस बात पर अटका है कि ब्रिटेन 1 जनवरी से अपने पानी में मछली पकड़ने पर नियंत्रण रखना चाहता है और मौजूदा कोटा प्रणाली की तुलना में बड़ा हिस्सा चाहता है। लेकिन यूरोपीय संघ मछली पकड़ने की नई प्रणाली लाना चाहता है। साथ ही फ्रांस, स्पेन और अन्य सदस्य राज्यों की ब्रिटेन के पानी तक नावों के जरिए पहुंच बनाए रखना चाहता है।
यूरोपीय संघ के मुख्य वार्ताकार मिशेल बार्नियर ने मंगलवार को कहा था कि एक एग्रीमेंट को लेकर आखिरी प्रयास हो रहे हैं।
ब्रिटेन ने कहा है कि वह 31 दिसंबर तक बात करने के लिए तैयार है, लेकिन वह हर तरह के नतीजे के लिए तैयार है। वहीं यूरोपीय संघ के राजनयिकों ने सुझाव दिया है कि यदि आवश्यक हो तो वह 2021 में वार्ता जारी रखना चाहेंगे। (आईएएनएस)
ओटावा, 24 दिसंबर| कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ब्रिटेन से आने-जाने वाली उड़ानों पर 6 जनवरी तक प्रतिबंध बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने यह फैसला ब्रिटेन में मिले कोरोनावायरस के दो नए स्ट्रेन के कारण लिया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पहले ये प्रतिबंध 72 घंटों के लिए लगाए गए थे। ट्रूडो ने बुधवार को ओटावा में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "पहले से लागू उपायों के अलावा हमने ब्रिटेन की स्थिति को देखते हुए तेजी से यात्रा प्रतिबंध लगाए हैं। हमारी सरकार ने ब्रिटेन से कनाडा के लिए सभी कमर्शियल और यात्री उड़ानों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। आज मैं घोषणा कर सकता हूं कि हम अगले 2 हफ्तों के लिए उड़ानों का यह निलंबन बढ़ा रहे हैं। ताकि हम कोविड-19 के इन नए स्ट्रेन्स को कनाडा में फैलने से रोक सकें।"
वायरस के नए स्ट्रेन के कारण ब्रिटेन की उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने वालों में कनाडा भी दुनिया के कई देशों में शामिल है। ब्रिटेन में एक हफ्ते पहले कोरोना का एक ऐसा स्ट्रेन मिला है जो पहले के कोरोनावायरस के मुकाबले 70 प्रतिशत अधिक संक्रमणीय है।
वहीं ब्रिटेन के हेल्थ सेक्रेटरी मैट हैनकॉक ने इन स्ट्रेन को ध्यान में रखते हुए घोषणा की है कि अब इंग्लैंड के पूर्व और दक्षिण पूर्व के कई क्षेत्रों को टियर-4 प्रतिबंधों में रखा जाएगा। (आईएएनएस)
मॉस्को, 24 दिसंबर| रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि बाइडेन प्रशासन के दौरान रूस के लिए स्थिति बदतर नहीं होगी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पुतिन ने बुधवार को देश की स्टेट काउंसिल और काउंसिल फॉर स्ट्रेटेजिक डेवलपमेंट एंड न्यू प्रोजेक्ट्स की संयुक्त बैठक में कहा, "इस कथन के संबंध में कि संयुक्त राज्य अमेरिका में नेतृत्व बदल रहा है और यह हमारे लिए अधिक कठिन होगा, मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ होगा। हालात वही रहेंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "हमें इस पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, बल्कि समझना चाहिए कि कठिनाइयां और खतरे कहां पैदा हो सकते हैं। अर्थव्यवस्था और रक्षा दोनों क्षेत्रों में, उनके अनुसार अपने काम को अंजाम दें और व्यवस्था करें।" (आईएएनएस)
चीन, 24 दिसंबर । चीन की एक वैज्ञानिक पर अपुष्ट आरोप लगते रहै हैं कि कोरोना वायरस उनकी ही लैब से लीक हुआ। अब वो इन आरोपों की जाँच के लिए तैयार हो गई हैं।
प्रोफ़ेसर शी ज़ेंग्ली का कहना है कि वो इन आरोपों की जाँच के लिए 'किसी को भी अपने यहाँ आने की इजाज़त देने के लिए तैयार हैं।
प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली का आश्चर्यजनक बयान ऐसे समय में आया है जब विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम अगले महीने जाँच के लिए वुहान जाने की तैयारी कर रही है।
चीनी अधिकारियों ने बीबीसी की टीम का पीछा किया
चीन के दक्षिण-पश्चिमी प्रांत युनान में स्थित सुदूर जि़ले टांग्वान तक पहुँचना वैसे भी आसान नहीं है, लेकिन जब बीबीसी की एक टीम ने हाल ही में वहाँ जाने की कोशिश की तो यह बिल्कुल असंभव था।
साधारण गाडिय़ों में सादे कपड़े वाले पुलिस और अन्य अधिकारी बीबीसी की टीम का संकरे और ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर मीलों तक पीछा करते रहे। वो हमारा लगातार पीछा करते रहे और हमें पीछे लौटने को मजबूर कर दिया।
हमारे रास्ते में कई बाधाएँ आईं, जिनमें 'टूटी-फूटी लॉरी' भी शामिल थी। स्थानीय लोगों ने बताया कि हमारे आने से कुछ मिनटों पहले उसे सड़क पर रखा गया था।
चेकपॉइंट्स पर हमें कुछ अज्ञात लोग मिले, जिन्होंने हमसे कहा कि उनका काम हमें दूर रखना है।
पहली नजऱ में लगा कि ये सब हमें अपने गंतव्य पर पहुँचने से रोकने की कोशिशें हैं। हमें एक खाली और सुनसान पड़ी ताँबे की ख़दान में पहुंचना था, जहाँ साल 2012 में छह मज़दूर एक रहस्यमय बीमारी का शिकार हो गए थे। बाद में इस बीमारी से तीन मज़दूरों की मौत भी हो गई थी।
लेकिन उस समय मज़दूरों की जिस बीमारी और मौत की त्रासदी को भुला दिया गया, उसे अब कोरोना वायरस महामारी ने एक नया अर्थ दे दिया है।
उन तीन मज़दूरों की मौतें अब कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर एक बड़े बड़े वैज्ञानिक विवाद के केंद्र में हैं। अब ये सवाल भी उठ रहे हैं कि नॉवल कोरोना वायरस क्या सचमुच प्राकृतिक है या किसी लैब में बना है?
चीन ने बीबीसी की टीम को क्यों रोका?
ऐसे में चीनी अधिकारियों ने हमें जिस तरह उस खदान तक पहुँचने से रोकने की कोशिश की, उससे संकेत मिलता है कि वो इस कहानी को अपने हिसाब से दुनिया को सुनाना चाहते हैं।
चीन के युनान प्रांत में पहाड़ों से ढँके जंगल और गुफाएं पिछले एक दशक से ज़्यादा समये से वैज्ञानिक शोध के लिए आकर्षण का केंद्र रही हैं। इस शोध का नेतृत्व वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरॉलजी की प्रोफ़ेसर शी ज़ेंग्ली करती रही हैं।
प्रोफेसर ज़ेंग्ली को साल 2003 में उस वक़्त अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली जब उन्होंने सार्स नाम की बीमारी का पता लगाया। वायरस के कारण फैली इस बीमारी ने 700 से ज़्यादा लोगों की जान ले ली थी। ये वायरस संभवत: युनान प्रांत की गुफाओं में रहने वाले चमगादड़ों की एक प्रजाति से निकला था।
सार्स बीमारी की खोज के बाद से ही प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली को 'चीन की बैटवुमन' कहा जाने लगा। वो एक प्रोजेक्ट की अगुआई कर रही हैं, जो ऐसी बीमारियों का पता लगाने और उनकी भविष्यवाणी से जुड़ा है।
तब से प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली की टीम चमगादड़ों का सैंपल लेकर वुहान के लैब में जाती रही है और चमगादड़ों से मिलने वाले वायरस का पता लगाती रही है।
मगर एक सच ये भी है कि कोरोना वायरस महामारी सबसे पहले वुहान में ही फैली थी। इसलिए ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि ये दोनों चीज़ें कहीं न कहीं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरॉलजी से बीबीसी को फ़ोन आया।।।
प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली ने इन कयासों को सिरे से ख़ारिज़ कर दिया है। हालाँकि अब, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी जनवरी में वुहान जाने वाले हैं, प्रोफेसर ज़ेंग्ली ने बीबीसी के कुछ सवालों का ईमेल पर जवाब दिया है।
प्रोफेसर जेंली के मुताबिक़ उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन से दो बार बात की है। उन्होंने अपने जवाब में लिखा, मैंने उन्हें (डब्ल्यूएचओ की टीम) को कहा है कि अगर वो यहाँ आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है।
बीबीसी ने प्रोफेसर जेंग्ली से पूछा कि क्या वो अपनी तरफ़ से लैब की जाँच के आधिकारिक न्योता लिए देंगी और वहाँ के डेटा शेयर करेंगी?
इस पर उन्होंने जवाब दिया, मैं व्यक्तिगत रूप से खुले, पारदर्शी, भरोसेमंद, विश्वसनीय और उचित संवाद के आधार पर यात्रा के किसी भी रूप का स्वागत करूंगी लेकिन ये योजना मैंने तय नहीं की है।
बाद में बीबीसी को वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के प्रेस कार्यालय से एक कॉल आया, जिसमें कहा गया कि प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली व्यक्तिगत क्षमता में अपनी बात रख रही थीं और उनके जवाबों पर वुहान इंस्टीट्यूट ने मुहर नहीं लगाई है।
वुहान इंस्टिट्यूट ने बीबीसी से इस लेख के छपने से पहले इसकी एक प्रति उन्हें भेजने का अनुरोध किया था, जिसे बीबीसी ने अस्वीकार कर दिया।
कोरोना वायरस फैलने की लैब लीक थ्योरी
कई वैज्ञानिकों का मानना है कि कोविड-19 के लिए जि़म्मेदार सार्स-ष्टश1-2 वायरस चमगादड़ों से इंसानों तक प्राकृतिक रूप से पहुँचा है।
हालाँकि प्रोफेसल ज़ेंग्ली की पेशकश के बाद भी इस बात के आसार कम ही लग रहे हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना वायरस फैलने की 'लैब लीक थ्योरी' की पड़ताल करेगा।
डब्ल्यूएचओ की टीम के इंक्वॉयरी रेफऱेंस में ऐसी किसी पड़ताल का जि़क्र नहीं है।
हाँ, टीम का फ़ोकस वुहान के उस बाज़ार पर ज़रूर रहेगा जहाँ जंगली जानवरों का व्यापार होता है और जहाँ से शुरुआत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आए थे।
वुहान जाने वाली डब्ल्यूएचओ की टीम में शामिल डॉक्टर डैसेक कहते हैं, हम क्लस्टर मामलों और संपर्क में आए लोगों की जाँच करेंगे। हम देखेंगे कि बाज़ार में जानवर कहाँ से आए। अभी देखना होगा कि इस जाँच से हम कहाँ तक पहुँचते हैं।
डॉक्टर डैसेक कोरोना वायरस के लैब से फैलने की थ्योरी को बोगस मानते हैं।
पहले भी चीन की लैब से लीक हो चुके हैं वायरस
टांग्वान में तीन मज़दूरों की मौत के बाद और चमगादड़ों से भरी खदान की ख़बरें आने के बाद ही ये आशंका जताई जा रही थी कि वो 'बैट (चमगादड़) कोरोना वायरस' के कारण मरे थे।
इसके बाद वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरॉलजी के वैज्ञैनिकों ने वहाँ के चमगादड़ों की सैंपलिंग की और अगले तीन बरसों में वो कई बार वहाँ गए। लेकिन उन्होंने जो वायरस इक_े किए, उससे कम बहुत कम जानकारियाँ हासिल हो पाईं।
प्रोफ़ेसर शी ज़ेंग्ली नॉवल कोरोना वायरस के लिए जि़म्मेदार सार्स-ष्टश1-2 वायरस का सबसे पहले सीक्वेंस बनाने वाले वैज्ञानिकों में से एक हैं। उन्होंने ये साल 2020 की शुरुआत यानी जनवरी में ये उस वक़्त किया था जब उनके शहर में वायरस तेज़ी से फैल रहा था।
इसके बाद उन्होंने वायरस की लंबी स्ट्रिंग की दूसरे वायरस से तुलना की और पाया कि उनके डेटा में इससे सबसे अधिक मिलता जुलता सार्स-ष्टश1-2 वायरस है।
लैब से वायरस लीक होने के कई ऐसे मामले हैं जिनकी बाक़ायदा पुष्टि हो चुकी है। मिसाल के तौर पर, पहल सार्स वायरस साल 2004 में चीन की राजधानी बीजिंग में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरॉलजी से दो बार लीक हुआ था। इतना ही नहीं, इस पर संक्रमण फैलने के काफ़ी समय बाद ही काबू पाया जा सका था।
वायरस को जेनेटिक तौर पर मैनिप्युलेट करने (बदलने) का चलन भी नया नहीं है। ऐसा करके वैज्ञानिक वायरस को ज़्यादा ख़तरनाक और ज़्यादा संक्रामक बना सकते हैं जिससे उन्हें ख़तरे का बेहतर अंदाज़ा लग सके और वो बीमारी के इलाज के लिए प्रभावी वैक्सीन बना सकें।
लैब में म्यूटेट किया गया नॉवल कोरोना वायरस?
जबसे सार्स-ष्टश1-2 का सीक्वेंस बनाया गया है तब से इसे इंसानों को संक्रमित करने की क्षमता ने वैज्ञानिकों को हैरत में डाल रखा है।
अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के कई समूहों ने इस आशंका को गंभीरता से लिया कि हो सकता है कोरोना वायरस को भी लैब में म्यूटेट किया गया हो।
डॉक्टर डैनियल लूसी वॉशिंगटन डीसी के जॉर्जटाउन मेडिकल सेंटर में संक्रामक बीमारियों के प्रोफ़ेसर हैं। वो कई महामारियों के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने चीन में सार्स, अफ्ऱीका में इबोला और ब्राज़ील में ज़ीका जैसे वायरस पर विस्तृत अध्ययन किया है।
डॉक्टर लूसी को यक़ीन है कि चीन ने पहले ही इंसानों और जानवरों के सैंपल लेकर बीमारी के लिए जि़म्मेदार मूल वायरसों पर विस्तृत शोध कर लिया है।
उन्होंने कहा, चीन के पास संसाधन हैं, क्षमता है और उनके ज़ाहिर इरादे भी हैं। इसलिए निश्चित तौर पर उन्होंने इंसानों और जानवरों के सैंपल का अध्ययन कर लिया है।
डॉक्टर लूसी का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के स्रोत का पता लगाना न सिफऱ् विस्तृत वैज्ञानिक समझ के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि ये बीमारी भविष्य में दोबारा न फैले, ये इसके लिए भी ज़रूरी है।
उन्होंने कहा, हमें संक्रमण का स्रोत तब तक ढूँढना चाहिए जब तक ये मिल न जाए। मुझे लगता है कि इसे ढूँढा जा सकता है और शायद पहले ही ढूँढा जा चुका है। लेकिन सवाल ये है कि इस बारे में अब तक बताया क्यों नहीं गया?
हालाँकि डॉक्टर लूसी को अब भी लगता है कि कोरोना वायरस प्राकृतिक रूप से पैदा हुआ है लेकिन वो बाकी आशंकाओं को ख़ारिज भी नहीं करना चाहते हैं।
वो कहते हैं, आप सोचिए कि अगर किसी चीनी लैब में सार्स-ष्टश1-2 से मिलते-जुलते वायरस पर अध्ययन चल रहा हो तो क्या वो हमें इस बारे में बताएंगे? लैब में होने वाली हर चीज़ प्रकाशित नहीं की जाती।
कोरोना वायरस की वैक्सीन इतनी जल्दी कैसे आ गई?
अपने यहाँ वायरस के स्रोत से चीन करता रहा है इनकार
बीबीसी ने जब डॉक्टर लूसी की आशंकाओं को वुहान जाने वाली डब्ल्यूएचओ टीम के सदस्य डॉक्टर डैसेक के सामने रखा तो उनका कहना, "मैंने वुहान इंस्टिट्यूट के साथ एक दशक से ज़्यादा समय तक काम किया है। मैं वहाँ के लोगों को जानता हूँ। मैं उनकी प्रयोगशालाओं में अक्सर जाता रहता हूँ।"
उन्होंने कहा, "मैं अपने आँख-कान खुले रखकर और पूरी तरह चौकन्ना होकर काम कर रहा हूँ लेकिन मुझे ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है।"
क्या वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी से उनका पुराना सम्बन्ध और वहाँ के वैज्ञानिकों से उनकी दोस्ती इस जाँच को प्रभावित नहीं करेगी?
इस सवाल के जवाब में डॉक्टर डैसेक ने कहा, "हम जो भी रिपोर्ट प्रकाशित करेंगे वो पूरी दुनिया के सामने होगी और वुहान इंस्टिट्यूट से मेरा संबंध मुझे इस दुनिया के उन चुनिंदा वैज्ञानिकों में से एक बनाता है जिन्हें चीन में चमगादड़ों से फैलने वाले कोरोना वायरस के बारे में सबसे ज़्यादा जानकारी है।
हो सकता है कि चीन ने नॉवल कोरोना वायरस के उत्पत्ति के बारे में अपने शोध से जुड़ा सीमित डेटा ही साझा किया हो। इतना ही नहीं, वायरस की उत्पत्ति के बारे में यह अपनी थ्योरी का प्रचार-प्रसार करने में जुटा है।
चीन यूरोप में हुए कुछ अपुष्ट अध्ययनों का हवाला देकर यह साबित करने की कोशिश करता रहा है कि सार्स-ष्टश1-2 चीन से शुरू ही नहीं हुआ है। चीन की सरकारी मीडिया यह दावे भी करती रही है कि कोरोना वायरस काफ़ी पहले से अस्तित्व में रहा होगा।
वुहान इंस्टिट्यूट के उलट दावे करते शोध
हालाँकि इन सबने अटकलों को बढ़ावा ही दिया है। इनमें से कई अटकलें टांग्वान की ताँबे की ख़दान से भी जुड़ी हुई हैं। इंटरनेट पर उन पुराने अकादमिक शोधपत्रों को खोजा जा रहा है जो मज़दूरों की मौत के बारे में वुहान इंस्टिट्यूट के दावों से अलग हैं।
इन्हीं में से एक थीसिस कन्मिंग हॉस्पिटल यूनिवर्सिटी के एक छात्र की थीसिस भी है।
प्रोफ़ेसर शी ज़ेंग्ली ने बीबीसी से कहा, मैंने वो थीसिस डाउनलोड करके पढ़ी है। इसके दावों से कुछ साबित नहीं होता। थीसिस का निष्कर्ष न तो किसी प्रमाण पर आधारित है और न ही किसी तर्क पर। हाँ, कॉन्स्पिरेसी थ्योरी को बढ़ावा देने वालों ने मेरे खिलाफ़ इसका इस्तेमाल ज़रूर किया है। अगर आप मेरी जगह होते तो क्या करते?
बीबीसी ने प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली से ये भी पूछा कि वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरॉलजी की वेबसाइट पर उपलब्ध वायरस डेटाबेस अचानक हटा क्यों लिया गया?
इसके जवाब में उन्होंने कहा, हमारे व्यक्तिगत और आधिकारिक ईमेल्स पर साइबर हमला हुआ था इसलिए इस डेटा को सुरक्षा के नज़रिए से ऑफ़लाइन कर लिया गया। हमने ये डेटाबेस अंग्रेज़ी पत्रिकाओं में प्रकाशित किया है। ये पूरी तरह पारदर्शी है। हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है।
कोरोना वायरस का नया रूप कितना ख़तरनाक है?
कई सवालों के जवाब मिलने अभी बाकी हैं
हालाँकि युनान प्रांत में न सिफऱ् वैज्ञानिक मुश्किल सवाल पूछेंगे बल्कि पत्रकारों के पास भी पूछने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रश्न होंगे।
चीन के वैज्ञानिक साल 2013 से ही युनान में मज़दूरों की मौत के बाद चमगादड़ों से फैलने वाले कोरोना वायरस पर रिसर्च कर रहे हैं लेकिन लेकिन वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरॉलजी से प्रकाशित होने वाली पत्रिका के मुताबिक़ वैज्ञानिकों ने इस जानकारी से कुछ भी अहम हासिल नहीं किया, सिवाय इसका सीक्वेंस और डेटाबेस तैयार करने के।
हालाँकि प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली और डॉक्टर डैसेक इससे पूरी तरह इनकार करते हैं कि वैज्ञानिकों ने इस बारे में पर्याप्त काम नहीं किया।
डॉक्टर डैसेक ने कहां, यह कहना बिल्कुल उचित नहीं होगा कि हम असफल रहे।
प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली और डॉक्टर डैसेक दोनों इस बात पर अड़े नजऱ आए कि मौजूदा वक़्त में वायरस के स्रोत का पता लगाने से ज़्यादा ज़रूरी इसे रोकने के तरीके ढूँढना है।
प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली ने बीबीसी को भेजे ईमेल में लिखा, हम भविष्य को ध्यान में रिसर्च कर रहे हैं और ग़ैर-वैज्ञानिक पृष्ठभूमि के लोगों के लिए यह समझना मुश्किल है।
सवालों के लिए तैयार नजऱ नहीं आता चीन
विश्व स्वास्य संगठन एक पारदर्शी जाँच का वादा कर रहा है लेकिन चीन सरकार सवालों का सामना करने के लिए इच्छुक नजऱ नहीं आती। कम से कम पत्रकारों के सवालों के लिए तो बिल्कुल नहीं।
टांग्वान से निकलने के बाद बीबीसी की टीम ने उस गुफा के उत्तर में जाने की कोशिश की जहाँ प्रोफ़ेसर ज़ेंग्ली ने एक दशक पहले सार्स से जुड़ा ऐतिहासिक शोध किया था। लेकिन अब भी कई अज्ञात कारें हमारा पीछा कर रही थीं। हम फिर एक जैसी जगह पहुँचे जहाँ रास्ता बंद था और हमें बताया गया कि हम वहाँ से आगे नहीं जा सकते।
कुछ घंटों बाद हमें पता चला कि स्थानीय ट्रैफि़क को एक धूल भरे रास्ते की ओर डायवर्ट कर दिया गया है। जब हमने भी उसी रास्ते पर जाने की कोशिश की तो हमें फिर बीच सड़क पर टूटी हुई कार मिली।
हम वहाँ करीब एक घंटे तक फँसे रहे और आखऱिकार हमें एयरपोर्ट लौटने को मजबूर कर दिया गया।(https://www.bbc.com/)
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के एक अधिकारी ने संकेत दिया है कि शिनजियांग प्रांत में उइगुर मुस्लिमों पर जारी नीति नहीं रुकने वाली है और सरकार का ध्यान अब यहां उग्रवाद की जड़ों को खत्म करने पर रहेगा.
शिनजियांग मुख्य रूप से उइगुर मुस्लिम और बहु-जातीय आबादी वाला प्रांत है. वहां चीन की जारी नीतियों-कथित मानव अधिकारों के मुद्दे पर चीन और अमेरिकी और अन्य पश्चिमी देशों के बीच तकरार का अहम विषय बना हुआ है.
एसोसिएटेड प्रेस को दिए इंटरव्यू में शिनजियांग में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचार विभाग डिप्टी डायरेक्टर जनरल शू गुइश्यांग ने कहा, ''हम इस समय आत्मसंतुष्ट नहीं हो सकते क्योंकि वहां अभी भी खतरे हैं.''
विश्लेषकों का कहना है कि चीन दस लाख से अधिक लोगों को शिनजियांग के कैंपों में रख कर उन्हें उनके धर्म और उनकी मान्यताओं से दूर करने के लिए उन्हें मजबूर करता है. वहीं अधिकारियों का कहना है कि उनके प्रयास के कारण कट्टरपंथ को खत्म करने में सफलता मिली है, वे उन्हें नौकरी पाने के लिए ट्रेनिंग देते हैं और वे कहते हैं कि इस क्षेत्र में चार साल में आतंकवादी हमला नहीं हुआ है.
नीति में बदलाव नहीं करेगा चीन
गुइश्यांग ने सीधे जवाब नहीं दिए कि कड़ाई कम होगी कि की नहीं लेकिन कहा, ''आतंकवाद से मुक्त चार साल का मतलब यह नहीं है वहां कोई खतरा नहीं है या बिल्कुल खतरा नहीं है.'' उन्होंने कहा कि पार्टी शिनजियांग जैसे बहु-जातीय सीमा क्षेत्र में निरंतर स्थिरता हासिल करने के रास्ते तलाश रही है. उनके मुताबिक, ''हमें गंभीर मुद्दों के बारे में अधिक सोचने की जरूरत है जिसमें सामाजिक नींव और जमीन शामिल हैं जो अतिवाद और आतंकवाद को जन्म देती है.'' गुइश्यांग ने सरकार के उन दावों को दोहराया कि चीन और शिनजियांग में फैक्ट्रियों में जबरन मजदूरी नहीं कराया जाता है.
उनके मुताबिक वोकेशनल ट्रेनिंग लेने के बाद 1,17,000 लोग 2014 से चीन के अन्य भाग में काम के लिए गए हैं. चीनी सरकार कैंपों को वोकेशनल ट्रेनिंग केंद्र बताती है और कहती है वहां लोगों को रोजगार के अवसर देने के लिए ट्रेनिंग दिए जाते हैं. अमेरिकी कस्टम विभाग ने उइगुरों पर दमन और बंधुआ मजदूरी के आरोप में शिनजियांग प्रांत से कपड़ा और अन्य उत्पाद के आयात पर रोक लगा दिया है और ब्रिटेन के नेताओं की मांग है कि ब्रिटिश कंपनी यह सुनिश्चित करे कि उनकी सप्लाई चेन बंधुआ मजदूरी से मुक्त हो.
शिनजियांग में अधिकारी क्षेत्र में विदेशी पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से काम करने की इजाजत नहीं देते हैं. कई बार सूचनाएं मानव अधिकार कार्यकर्ताओं और विश्लेषकों के जरिए दुनिया के सामने आती है.
एए/सीके (एपी)
काठमांडू, 23 दिसंबर | नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के संसदीय नेता के पद से हटा दिया गया है। इसके बाद नेपाल में सत्तारूढ़ पार्टी के अंदर एक नया राजनीतिक संकट पैदा हो गया है। पुष्प कमल दहाल 'प्रचंड' और माधव कुमार नेपाल के बीच हुई एक बैठक के बाद ओली को पद से हटाने का निर्णय लिया गया।
इस गुट ने प्रचंड को पार्टी के संसदीय दल का नया नेता नियुक्त किया है, जिसे आमतौर पर नेपाल सरकार में शीर्ष पद का दावेदार माना जाता है।
माधव कुमार नेपाल ने प्रचंड को संसदीय दल के नेता के रूप में प्रस्तावित करते हुए कहा, "ओली ने कई गलतियां कीं .. इसलिए हम उन्हें पार्टी अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता के पद से हटाने के लिए मजबूर हुए।"
नेपाल ने कहा, "अगर वह अपनी गलती मानते हैं और माफी मांगते हैं, तो हम उन्हें पार्टी में फिर से स्वागत करने पर विचार कर सकते हैं।"
इससे पहले मंगलवार को, पार्टी के प्रचंड-माधव गुट की एक केंद्रीय समिति की बैठक में ओली को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था।
माधव कुमार नेपाल ने प्रचंड का नाम पार्टी संसदीय नेता के रूप में प्रस्तावित किया।
इस बीच, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के प्रचंड-माधव गुट ने चुनाव आयोग में ये दावा किया कि उनका गुट पार्टी में बहुमत रखता है और इसलिए उन्हें आधिकारिक मान्यता दी जाए।
ओली को चुनौती देने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड और माधव नेपाल के नेतृत्व वाले गुट ने मंगलवार को पीएम ओली के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और उन्हें पार्टी अध्यक्ष के पद से हटाने के प्रस्ताव को आगे बढ़ाया था।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) नेपाल में सत्तारूढ़ पार्टी है और इसके दो सेवारत अध्यक्ष पहले से ही हैं- ओली और प्रचंड।
सत्तारूढ़ एनसीपी में विवाद तब और तेज हो गया जब ओली ने रविवार को प्रतिनिधि सभा भंग कर दी।
प्रचंड के खेमे की केंद्रीय समिति की बैठक में ओली के सदन भंग करने के फैसले के बाद सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी पर संकट आ गया, जिसके बाद ओली को पद से हटाने का फैसला लिया गया।
अब ओली और प्रचंड-माधव गुट पार्टी में बहुमत साबित करने के लिए अलग-अलग बैठकें कर रहे हैं।
--आईएएनएस
तुर्की के वरिष्ठ पत्रकार चान डुंडार को जासूसी और एक आतंकी संगठन की मदद के आरोप में 27 साल के कारावास की सजा सुनाई गई है. डुंडार फिलहाल जर्मनी में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं.
डुंडार को तुर्की की अदालत ने सरकारी गोपनीय दस्तावेजों को राजनीतिक और सैन्य जासूसी के मकसद से हासिल करने का दोषी माना है. इसके लिए उन्हें 18 साल 9 महीने कैद की सजा सुनाई गई है. हालांकि उन्हें गोपनीय सूचनाओं को जाहिर करने के आरोपों से मुक्त कर दिया गया है. इसके अलावा उन्हें एक हथियारबंद आतंकी संगठन की मदद करने का भी दोषी करार दिया गया है. इसके लिए अतिरिक्त 8 साल और 9 महीने की सजा सुनाई गई है.
डुंडार तुर्की के प्रमुख अखबार जुमहुरियत के मुख्य संपादक थे और सरकारी उत्पीड़न के बढ़ने के डर से 2016 में भाग कर जर्मनी आ गए थे. उनकी गैरमौजूदगी में ही उन पर मुकदमा चलाया गया. जुमहुरियत ने 2015 में तुर्की की खुफिया एजेंसी के सीरिया में इस्लामी विद्रोहियों को हथियारों से भरे ट्रक भेजने की कवरेज की थी. डुंडार पर चला मुकदमा इसी खबर के इर्द गिर्द सिमटा था. अखबार ने एक वीडियो भी पोस्ट किया था जिसमें पुलिस की वर्दी पहने कुछ लोग ट्रकों और उनमें लदे बक्सों को खोलते दिखे. उसके बाद की तस्वीरों में मोर्टार से लदे ट्रक दिखाई दिए. हालांकि इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि स्वतंत्र एजेंसियों ने नहीं की है.
राष्ट्रपति के लिए प्रतिष्ठा का सवाल
अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया कि तुर्की की खुफिया एजेंसी और राष्ट्रपति ने अभियोजकों को हथियारों की तस्करी के मामले में जांच शुरू नहीं करने दिया. तुर्की के राष्ट्रपति इस खबर के सामने आने पर नाराज हो गए और उन्होंने डुंडार और अखबार के अंकारा ब्यूरो के चीफ एर्देम गुल के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दायर करवा दिया. एर्दोवान का कहना था कि ट्रकों में सीरिया के तुर्क गुटों के लिए सहायता सामग्री थी और डुंडार को "इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी." इसके बाद तुर्की सीरिया के गृहयुद्ध में सीधे कूद पड़ा और उसने सीमापार से अभियान चलाया.
डुंडार और गुल को 2015 में गिरफ्तार किया गया और उन्होंने तीन महीने जेल में रखा गया. 2016 में डुंडार को एक अदालत ने गोपनीय दस्तावेजों को हासिल करने और जासूसी के लिए जाहिर करने का दोषी माना और उन्हें 5-6 साल कैद की सजा सुनाई. बाद में जब सुप्रीम कोर्ट में इस सजा के खिलाफ अपील की गई तो कोर्ट ने अदालत को उनके मामले में दोबारा सुनवाई करने और ज्यादा कठोर सजा देने को कहा. दोबारा सुनवाई 2019 में शुरू हुई. 2016 में जर्मनी आ गए डुंडार ने मुकदमे में हिस्सा नहीं लिया.
एर्दोवान की सीरिया में खुफिया खेप
2014 में सशस्त्र अधिकारियों ने नेशनल इंटेलिजेंस सर्विस के ट्रकों को सीरिया जाते समय सीमावर्ती शहर हताय में रोक दिया था. यह काम सरकारी आदेश का उल्लंघन करके किया गया. इसके बाद इन अधिकारियों पर अमेरिका में रहने वाले मौलवी फेतुल्लाह गुलेन का समर्थक होने के आरोप लगे. 2019 में इन अधिकारियों में से कुछ को ट्रक रोकने वाली घटना के सिलसिले में जेल की सजा सुनाई गई. तुर्की की सरकार ने गुलेन पर 2016 में सैन्य अधिकारियों के एक गुट के जरिए तुर्की में विद्रोह कराने का आरोप लगाया. इसके बाद उनके अभियान को आतंकवादी संगठन करार दिया गया.
डुंडार के वकील अदालत में सुनवाई के दौरान मौजूद नहीं थे. उनका कहना है, "वो एक पहले से निर्धारित राजनीतिक फैसले को वैध बनाने की प्रक्रिया में शामिल नहीं होना चाहते."
अदालत ने डुंडार की गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण की मांग की है. इसी महीने पहले कोर्ट ने फैसला सुनाने की कार्यवाही टाल दी थी क्योंकि डुंडार के वकीलों ने मुकदमे की कार्यवाही के निष्पक्ष नहीं होने और जजों को बदलने की मांग की थी. हालांकि अदालत ने इन मांगों को खारिज कर दिया. अक्टूबर में अदालत ने डुंडार को भगोड़ा घोषित कर तुर्की में उनकी सारी संपत्ति जब्त कर ली.
2016 में तुर्की में तख्तापलट की कोशिशों के बाद बड़ी संख्या में पत्रकारों और दूसरे लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उन्हें सजा सुनाई गई है. तुर्की की सरकार पर इन मामलों में निष्पक्ष मुकदमा नहीं चलाने के आरोप लगते रहे हैं. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के 180 देशों के पत्रकारों की स्वतंत्रता सूची में तुर्की 154वें नंबर पर है.
बगदाद, 23 दिसंबर | इराक में कोरोनावायस मामलों की सख्या बढ़कर 586,503 पहुंच गई, जिसके चलते इराकी अधिकारियों ने आठ देशों में यात्रा प्रतिबंधित कर दिया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के रिपोर्ट अनुसार, इराकी प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदीमी के मीडिया कार्यालय के एक बयान में मंगलवार को कहा गया कि अल-कदीमी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद ने इराकी लोगों को कोरोवायरस के नए स्ट्रेन से बचाने के लिए नए प्रतिबंधात्मक कदम उठाने के लिए एक बैठक की।
नया कोरोनावायरस स्ट्रेन कई देशों में तेजी से फैल गया।
बयान में कहा गया है कि नए उपायों में, परिषद ने ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, नीदरलैंड, बेल्जियम, ईरान, जापान और किसी भी अन्य देश में यात्रा पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया, जो इराकी मंत्रालय द्वारा निर्धारित किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शेयर जानकारी के मुताबिक देश में कोरोनावायरस जांच रिपोर्ट में 1,158 नए मामले पाए गए हैं, जिससे यहां मामलों की संख्या बढ़कर 586,503 हो गई है।
मंत्रालय ने बताया कि इस वायरस से 15 नए मरीजों की मौत हो चुकी है, जिससे यहां कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या बढ़कर 12,725 हो गई है, वहीं इस वायरस से 1,707 नए मरीज ठीक हुए हैं, जिससे देश में इस वायरस से ठीक होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 524,344 हो गई है।(आईएएनएस)
पेरिस, 23 दिसम्बर | फ्रांस में एक बंदूकधारी ने तीन पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी। पुलिसकर्मी सेंट्रल फ्रांस में एक घरेलू हिंसा वाली जगह गए थे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। बुधवार तड़के दूरदराज के एक गांव सेंट-जस्ट में एक महिला को उसके छत पर देखा गया।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, वहां एक बंदूकधारी ने एक अधिकारी की हत्या कर दी और अन्य को घायल कर दिया। उसके बाद उसने घर में आग लगा दी और दो अन्य अधिकारियों की हत्या कर दी। महिला को वहां से हालांकि निकाल लिया गया।
पुलिस अभी भी संदिग्ध को तलाशने की कोशिश कर रहे हैं, जो संभवत: चाइल्ड कस्टडी मामले में अधिकारियों से परिचित है।
सैंट-जस्ट के मेयर फ्रांकोइस चौटर्ड ने कहा कि घर जल गया है और अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि संदिग्ध घर के अंदर था या वह भागने में कामयाब रहा।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि एक पुलिस सूत्र ने बीएफएम टीवी से कहा कि बंदूकधारी निश्चित ही भाग गया है। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 23 दिसंबर | अमेरिकी न्याय विभाग ने देश में ओपियोड संकट के कथित रूप से खुदरा बिक्री को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए वॉलमार्ट पर मुकदमा दायर किया है। न्याय विभाग के अभियोजकों ने मंगलवार को दायर मुकदमे में कहा कि "वॉलमार्ट के फार्मेसियों ने नियंत्रित पदार्थों के हजारों प्रेसक्रिप्शन भरकर कानून का उल्लंघन किया है, वॉलमार्ट के फार्मासिस्टों को पता था कि यह अवैध है।"
न्याय विभाग सिविल पेनाल्टी की मांग कर रहा है, जो अरबों डॉलर में चल सकता है।
एनबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि वॉलमार्ट ने जानबूझकर अच्छी तरह से स्थापित नियमों का उल्लंघन किया, ताकि वह सुनिश्चित कर सके कि नियंत्रित-पदार्थों के प्रेसक्रिस्पशन वैध माने जाए और आवश्यक 'फार्मासिस्ट जितनी जल्द हो सके प्रेसक्रिप्शन की अधिक मात्रा को लेकर प्रक्रिया शुरू करें।'
वहीं वॉलमार्ट ने अपने बयान में कहा कि कंपनी ने हमेशा हमारे फार्मासिस्टोंको समस्याग्रस्त ओपियोड प्रेसक्रिप्शन भरने से मना करने के लिए सशक्त बनाया है और संदिग्ध 'सैकड़ों हजारों' प्रेसक्रिप्शन भरने से इनकार किया है।
वॉलमार्ट ने कहा कि उसने ड्रग इन्फॉर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन को संदिग्ध डॉक्टरों के बारे में हजारों खोजी सुराग भेजे हैं।
कंपनी ने कहा कि उसने वॉलमार्ट फार्मेसियों के माध्यम से अपने प्रेसक्रिप्शन भरने से 'हजारों संदिग्ध डॉक्टरों को प्रतिबंधित' किया है।
हालांकि संघीय शिकायत में कहा गया है कि "वॉलमार्ट ने अपने फार्मेसियों को असामान्य रूप से बड़ी मात्रा में नियंत्रित पदार्थों को बेचने के लिए उपलब्ध कराया है और ग्राहकों तक पहुंच बनाई, क्योंकि वे सिर्फ वॉलमार्ट स्टोरों में ही उपलब्ध थे।"
वॉलमार्ट अमेरिका में अपने स्टोर में 5,000 से अधिक फार्मेसियों का संचालन करता है।
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशंस नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टेटिस्टिक्स के अनुसार, अमेरिका में मई 2019 से इस साल मई तक सिंथेटिक ऑपियोइड की अधिक मात्रा के कारण होने वाले मौतें 81,000 से अधिक दर्ज की गई।
वॉलमार्ट ने अक्टूबर में कहा था कि उसे इस तरह के मुकदमे की धमकी दी गई थी।
उस समय वॉलमार्ट ने कहा था कि अमेरिका 'अयोग्य आवश्यकताओं को लागू कर रहा है, जो किसी भी कानून में नहीं पाए जाते हैं।'
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 1999 के बाद से करीब 450,000 लोग पर्चे में लिखे गए दर्द निवारक और अवैध दवाओं से संबंधित ओवरडोज के कारण मर चुके हैं।(आईएएनएस)
कोरोना वायरस अब अंटार्कटिक महाद्वीप तक भी पहुंच गया है जो अभी तक कोविड-19 से बचा हुआ था.
अंटार्कटिक प्रायद्वीप पर मौजूद चिली की सेना ने कहा है कि वहाँ उसके बर्नार्डो ओ'हिगिन्स रिसर्च स्टेशन पर 36 मामले पाए गए हैं.
इन 36 लोगों में से 26 सैनिक हैं जबकि 10 लोग वहाँ मेंटेनेंस कर्मचारी हैं. इन सब लोगों को चिली बुला लिया गया है.
कुछ ही दिन पहले ही चिली की नौसेना ने इस बात की पुष्टि की थी कि इस रिसर्च स्टेशन पर सप्लाई और लोगों को पहुंचाने वाले एक जहाज़ पर तीन लोग कोरोना पॉज़िटिव पाए गए हैं.
इस ख़बर के बाद अब दुनिया के सातों महाद्वीपों पर कोरोना वायरस पहुँच चुका है.
सरहेंतो आल्दिया नाम का जहाज़ 27 नवंबर को रिसर्च स्टेशन पहुंचा था और 10 दिसंबर को वापस चिली लौट गया था.
चिली के टेलकुआनो शहर में नौसेना बेस पर पहुंचने के बाद इसके तीन क्रू मेंबर कोरोना पॉज़िटिव पाए गए.
चिली की नौसेना का दावा है कि अंटार्कटिक के दौरे पर जितने भी लोग गए थे उनका पीसीआर टेस्ट करवाया गया है और सभी नेगेटिव हैं.
बर्नार्डो ओ'हिगिन्स रिसर्च स्टेशन चिली के अंटार्कटिक में चार स्थायी बेसों में से एक है और इसे उसकी सेना संचालित करती है.
चिली लैटिन अमेरिका का छठा सबसे ज़्यादा प्रभावित देश है और अब तक वहां 585,000 से ज़्यादा कोरोना मामले आ चुके हैं.
अंटार्कटिक क्षेत्र में रिसर्च करने वाली संस्था ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे ने अगस्त में कह दिया था कि कोरोना वायरस की वजह से वे अपना काम कम कर रहे हैं. (bbc.com)
निखिला नटराजन
न्यूयॉर्क, 23 दिसंबर | अमेरिकी राष्ट्रपति चुने गए जो बाइडेन के राष्ट्रपति कार्यालय के डिप्टी डायरेक्टर बनाए गए गौतम राघवन अमेरिका में समलैंगिक अधिकारों के आंदोलन के एक प्रमुख सदस्य हैं। वे ओबामा-बाइडेन प्रशासन में एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी के लिए सेवाएं दे चुके हैं।
वह दूसरे ऐसे भारतीय-अमेरिकी हैं जिन्हें बाइडेन-हैरिस ने हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की सदस्य प्रमिला जयपाल के बाद अपने स्टाफ में प्रमुख नियुक्ति दी है।
इससे पहले पिछले हफ्ते ही बाइडेन ने जयपाल के पूर्व संचार सहयोगी वेदांत पटेल को सहायक प्रेस सचिव के रूप में नियुक्त किया था।
राघवन सार्वजनिक तौर पर समलैंगिक के तौर पर पहचाने जाते हैं। अपने ट्विटर हैंडल पर उन्होंने परिचय 'अप्पा, पति, समलैंगिक, अप्रवासी, प्राउड न्यूट्रलाइज्ड सिटीजन' के रूप में दिया है। बाइडेन की घोषणा में कहा गया है कि राघवन अपने 'पति और बेटी के साथ वाशिंगटन डी.सी.' में रहते हैं।
भारत में पैदा हुए राघवन ने कमला हैरिस के नाम को गलत तरीके से लिखे जाने पर चुटीले अंदाज में प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट में कहा, "मेरी परदादी का नाम कमला था। न कि कमला-माला-माला, मुझे नहीं पता, जो भी हो।"
उन्होंने आगे कहा था, "मेरा नाम गौतम है। इसका अर्थ है उज्जवल प्रकाश। यह उज्जवल प्रकाश बाइडेन-हैरिस प्रशासन का प्रतिनिधित्व करेगा। और यही कारण है कि मैं वोट करूंगा।"
मंगलवार को हुई नई भर्तियों को लेकर परिचय देते हुए बाइडेन ने अपनी टिप्पणी में राघवन द्वारा राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रशासन के समय में समलैंगिक लोगों को सेना में सेवा करने की अनुमति देने की पहल के बारे में बताया। इस पहल को 'डोंट आस्क, डोन्ट टेल' के नाम से जाना जाता था। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 23 दिसंबर| जो बाइडेन के 20 जनवरी को अमेरिका के अगले राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद ट्विटर जीरो फॉलोअर्स की शुरुआत के साथ उनके लिए ट्विटर नए सिरे से पोटस (प्रेसीडेंट ऑफ यूनाइडेट स्टेट्स-अमेरिका का राष्ट्रपति) अकाउंट बनाएगा। माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म मौजूदा पोटस फॉलोअर्स और व्हाइट हाउस फॉलोअर्स को नए प्रशासन में ट्रांसफर नहीं कर रहा है। मंगलवार को मीडिया रिपोटरे में कहा गया कि बाइडेन के डिजिटल निदेशक, रॉब फ्लेहर्टी, ने यह जानकारी दी है।
अमेरिकी राट्रपति के वर्तमान में 3.32 करोड़ फॉलोअर्स हैं, जबकि व्हाइट हाउस के ट्विटर पर 2.6 करोड़ फॉलोअर्स हैं।
द वर्ज के मुताबिक, 2017 में ट्विटर ने जो किया, उससे यह उलट है जब ट्रंप प्रशासन ने ओबामा प्रशासन से अकाउंट लिया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्विटर ने उस समय अनिवार्य रूप से मौजूदा खातों को डुप्लीकेट किया था, ओबामा के दौर के ट्वीट्स और फॉलोअर्स का एक संग्रह बनाया और आने वाले प्रशासन के लिए अकाउंट का एक नया सेट बनाया था जिसमें बिना किसी ट्वीट के उन सभी फॉलोअर्स को रखा गया था।
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने बताया कि बाइडेन टीम और ट्विटर के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि क्या फॉलोअर्स ट्रांसफर होंगे।
ट्विटर ने कहा कि यह "व्हाइट हाउस अकाउंट ट्रांसफर से संबंधित कई पहलुओं पर बाइडेन ट्रांजिशन टीम के साथ चर्चा कर रहा है।"
कंपनी ने पिछले महीने कहा था कि उन खातों पर सभी मौजूदा ट्वीट्स संग्रहीत किए जाएंगे और यह अकाउंट को रीसेट कर जीरो ट्वीट के साथ बाइडेन को ट्रांसफर करेगा। (आईएएनएस)
इस्राएली संसद द्वारा बजट पारित करने की समय-सीमा पूरी करने में विफल रहने के बाद बेन्यामिन नेतन्याहू की सरकार गिर गई है. साल 2021 के मार्च में देश चौथी बार चुनाव में जाएगा.
बुधवार को इस्राएल की संसद को उस समय भंग कर दिया गया जब बजट पारित करने की समय-सीमा पूरी करने में नेतन्याहू की गठबंधन सरकार विफल रही. सरकार गिरते ही देश पर चौथे चुनाव का साया मंडरा गया. अब इस्राएल में दो साल के भीतर चौथे चुनाव होंगे, चुनाव की तारीख 23 मार्च 2021 तय की गई है. नेतन्याहू की लिकुड पार्टी और रक्षा मंत्री बेनी गांत्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी गठबंधन सरकार चला रही थी लेकिन सरकार मजबूती के साथ नहीं चल पा रही थी. इस कमजोर गठबंधन सरकार का गठन इस साल अप्रैल में हुआ था. नेतन्याहू और गांत्ज बजट को लेकर एक दूसरे के खिलाफ बयान दे रहे थे, जिसके कारण पहले ही सरकार गिरने की आशंका जताई जा रही थी.
राजनीतिक संकट का कारण
गांत्ज ने सरकार से देश में स्थिरता बनाए रखने के लिए 2020 और 2021 के बजट को एक साथ मंजूरी देने की मांग की थी, हालांकि, नेतन्याहू ने 2021 के बजट को मंजूरी देने से इनकार कर दिया. नेतन्याहू के समर्थकों का कहना है कि गांत्ज का प्रस्ताव सरकार को अस्थिर करने की साजिश थी. वह नेतन्याहू को हटाकर खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. दोनों दलों ने आखिरकार एक बिल पारित करने की मांग की जिससे उन्हें अपना बजट पेश करने के लिए अधिक समय मिल सके. हालांकि संसद ने मंगलवार को इस बिल को खारिज कर दिया, जिससे देश में राजनीतिक संकट पैदा हो गया.
वादा तोड़ने का आरोप
इस साल बनी गठबंधन सरकार को देखते हुए नवंबर 2021 में गांत्स के नेतन्याहू की जगह लेने में सफल होने की उम्मीद जताई जा रही थी. गांत्ज ने नेतन्याहू पर अपना वादा तोड़ने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि देश में नए चुनाव कराना बेहतर होगा. गांत्ज ने इससे पहले कहा था कि सरकार के गठन के बाद से प्रधानमंत्री ने गठबंधन के लिए अपने वादे नहीं पूरे किए हैं और चीजें इतनी खराब हो गई हैं कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. गांत्ज के मुताबिक, "अब अगर किसी पर सरकार और गठबंधन को बचाने की जिम्मेदारी है तो वह नेतन्याहू हैं. उन्हें तय करना होगा कि उन्हें क्या चाहिए."
मार्च में चुनावों के साथ नेतन्याहू समस्याओं का सामना कर सकते हैं क्योंकि वे फरवरी में अपने खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में पेश होने वाले हैं. यह स्थिति उनके विरोधियों के लिए फायदेमंद हो सकती है. हालांकि अगर यही चुनाव जून में होते हैं, तो यह नेतन्याहू के लिए बहुत लाभकारी हो सकते थे, क्योंकि उस समय तक इस्राएल कोरोना वैक्सीन हासिल कर चुका होता और उसकी अर्थव्यवस्था कुछ हद तक ठीक हो गई होती.
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
ईरान की महिलाओं को घर से बाहर अपना सिर ढंका रखना पड़ता है. हाल में एक टीवी कार्यक्रम में जब बिना हिजाब पहने महिला दिखी तो अधिकारियों ने उसके प्रोड्यूसर पर प्रतिबंध लगा दिया. ईरान में औरतों का पर्दा इतना जरूरी क्यों है?
डॉयचे वैले पर कैर्स्टन क्निप का लिखा-
पश्चिमी ईरान के शहर करमानशाह के अभियोजक शहराम करामी के लिए किसी महिला का टीवी विज्ञापन में अपने बाल दिखाना "अनैतिक" है. उन्हें जैसे ही इसका पता चला उन्होंने तुरंत सुरक्षा और न्याय प्रशासन के अधिकारियों को आदेश दिया कि वो इस वीडियो को बनाने और दिखाने में शामिल सभी लोगों पर कार्रवाई करें. ईरानी भाषा के अमेरिकी प्रसारक रेडियो फार्दा ने खबर दी है कि उसके बाद चार लोगों को इस वीडियो क्लिप के सिलसिले में पकड़ा गया है.
ये गिरफ्तारियां बता रही हैं कि ईरान की सत्ता देश की महिलाओं के लिए कठोर रुढ़िवादी वेशभूषा लागू करने पर किस तरह आमादा है. सरकार के नजरिए से देखें तो इस तरह के नियमों का पालन ईरान के अस्तित्व के लिए जरूरी है. 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद आखिर समाज में महिलाओं की भूमिका ईरानी राष्ट्र की विचारधारा का एक मजबूत स्तंभ है.
ईरानी महिलाओं के बारे में खोमैनी की राय
ईरान की इस्लामी क्रांति के नेता अयातोल्लाह रुहोल्ला खोमैनी ने इस बात पर जोर दिया था कि महिलाएं शालीन कपड़े पहनें. 1979 में उन्होंने इटली के पत्रकार ओरियाना फलाची से कहा था, "क्रांति में उन महिलाओं ने योगदान दिया था या है जो महिलाएं शालीन कपड़े पहनती हैं. ये नखरेबाज औरतें जो मेकअप करती हैं और अपनी गरदन, बाल और शरीर की सड़कों पर नुमाइश करती हैं, उन्होंने शाह के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ी. उन्होंने कुछ भी सही नहीं किया. वो नहीं जानतीं कि कैसे उपयोगी हुआ जाए, ना समाज के लिए, ना राजनीतिक रूप से या व्यावसायिक रूप से. इसके पीछे कारण ये है कि वे लोगों के सामने अपनी नुमाइश कर उनका ध्यान भटकाती हैं और उन्हें नाराज करती हैं.
बहुत जल्दी ही यह साफ हो गया कि ईरान के क्रांतिकारी एक कठोर रुढ़िवादी सामाजिक व्यवस्था कायम करना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने पारिवारिक मामलों के लिए धर्मनिरपेक्ष अदालत जैसे कदमों को पलट दिया. इसकी बजाय इसे ईरान के धार्मिक नेता का एक और विशेषाधिकार बना दिया गया.
महिला अधिकार और ईरानी क्रांति
राजनीति विज्ञानी नेगार मोताहेदेह ने डीडब्ल्यू से कहा, "बहुत सारी महिलाएं इसे खारिज करती हैं." मोताहेदेह की नई किताब व्हिस्पर टेल्स अमेरिकी पत्रकार और नारीवादी कार्यकर्ता केट मिलेट को ईरान में हुए अनुभवों पर लिखी गई है. केट मिलेट ने 1979 की क्रांति के तुरंत बाद ईरान का दौरा किया था. इस किताब में "महिला वकील, छात्र और कार्यकर्ता कैसे मिलकर अपने अधिकारों पर चर्चा करते हैं," इसका ब्यौरा है. इस किताब में मोताहेदेह ने एक जगह क्रांति के बाद महिलाओं के अभियान के एक नारे का जिक्र करती हैं, "हमने क्रांति एक कदम पीछे जाने के लिए नहीं की है."
खोमैनी और उनके समर्थकों ने हालांकि महिला अधिकारों का कम ही ख्याल किया. उनके दिमाग में महिलाओं की छवि पश्चिम की उदार और समर्थ महिलाओं से बिल्कुल उल्टी है. क्रांतिकारी ईरान को ना सिर्फ अमेरिका के राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव से मुक्त करना चाहते थे बल्कि इलाके की इस्लामी संस्कृति को भी बढ़ावा देना चाहते थे.
पर्दा उनकी इसी नई, पुरानी व्यवस्था की पहचान बन गया जो ईरान के सोच समझ कर अपनाए गए पश्चिम विरोधी तौर तरीकों का प्रतीक है. अमेरिकी राजनीतिविज्ञानी हमिदेह सेदगी ने 2007 में अपनी रिपोर्ट वूमेन एंड पॉलिटिक्स इन ईरान: वेलिंग, अनवेलिंग एंड रिवेलिंग में लिखा है, "इस्लामी क्रांति एक लैंगिक प्रतिक्रांति के रूप में विकसित हुआ, महिलाओं की सेक्सुअलिटी पर हुई जंग के रूप में." वास्तव में सेक्सुअलिटी एक गंभीर राजनीतिक मुद्दा बन गया जिसका लक्ष्य पश्चिम का कड़ा विरोध था. 1979 में जो नारे गूंज रहे थे उनमें से एक था, "हिजाब पहनो नहीं तो हम सिर पर मुक्का मारेंगे," दूसरा नारा था, "गैरहिजाबी मुर्दाबाद."
शरीर पर राजनीति
खोमैनी ने 1979 के वसंत से ही औरतों से हिजाब पहनने के लिए कहने की शुरुआत कर दी. 1983 में संसद ने तय किया कि जो महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर अपना सिर ढंक कर नहीं रखेंगी उन्हें 74 कोड़ों की मार पड़ेगी. 1995 में यह तय हुआ कि गैरहिजाबी महिलाओं को 60 दिनों के जेल की सजा भी हो सकती है. जिन ईरानी महिलाओं ने इन नियमों को तोड़ा उन्हें "पश्चिमी फूहड़ औरत" कहा गया. ईरानी औरतों के आदर्श स्वरूप को इस तरह प्रचारित और लागू किया गया जिससे कि यह एक सामाजिक नियम बन जाए. नेगार मोताहदेह कहती हैं, "सलीके के कपड़े पहनने वाली महिला, जिसे सत्ता ने नियम के रूप में स्थापित किया वह ईरानी धार्मिक जीवन, सरकार और समाज की वाहक बन गई."
बड़ी संख्या में ईरानी मर्द और औरतें हालांकि इस विचारधारा को खारिज करते हैं जिसे ईरान के धार्मिक नेताओं ने थोपा है. मोताहेदेह कहती हैं, "महिलाएं ड्रेसकोड का ध्यान नहीं रखकर विरोध कर रही हैं. वे दिखा रही हैं कि वो अपने शरीर पर अपना नियंत्रण चाहती हैं. वो तय कर रही हैं कि बाल का डिजाइन कैसा हो या वे ऊंगलियों के नाखून को रंगें या नहीं, यह उनकी मर्जी है." मोताहेदेह का कहना है कि ईरानी औरतें विरोध के अपने तरीके निकाल रही हैं और इस तरह से सत्ता को प्रतिक्रिया जताने के लिए मजबूर कर रही हैं. उनके मुताबिक "इसके नतीजे में ईरानी औरतों को उकसावा मिल रहा है. महिलाओं के शरीर के इर्द गिर्द की राजनीति हमेशा से बदलती रही है." (dw.com)
हमजा अमीर
इस्लामाबाद, 22 दिसम्बर | पाकिस्तान में इमरान खान सरकार की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। सत्ता में आने से पहले जहां इमरान विपक्ष की भूमिका में बड़े आक्रामक अंदाज से विरोध प्रदर्शन का सहारा लेते थे, वहीं अब उनकी सरकार को एक साथ लामबंद हुए मजबूत विपक्ष के लंबे विरोध से गुजरना पड़ रहा है।
2018 में सत्ता में आई इमरान की सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के गठबंधन की ओर से अब इमरान के स्टाइल में ही आक्रामक तरीके से विरोध प्रदर्शन को तेज करते हुए हमले की योजना बनाई गई है।
पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम), जो कि कम से कम 11 विपक्षी दलों का एक गठबंधन है, वह पाकिस्तान भर के प्रमुख शहरों में बड़े सार्वजनिक समारोहों का मंचन कर रहा है।
विपक्षी दलों का यह गठबंधन अब इमरान से निपटने के उद्देश्य के साथ सरकार विरोधी एक लंबा मार्च शुरू करने के लिए तैयार है। विपक्ष का आरोप है कि इमरान एक कठपुतली (डमी) प्रधानमंत्री हैं और गठबंधन का अब यही उद्देश्य है कि इमरान प्रधानमंत्री की कुर्सी खाली करें। इसके लिए विपक्ष ने कमर कस ली है।
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने सरकार के खिलाफ लंबा मार्च शुरू करने के लिए अपने रुख को दोहराया है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि अब बातचीत के लिए समय नहीं बचा है।
बिलावल ने कहा, "अब कठपुतली प्रधानमंत्री इमरान खान का इस्तीफा लेने के लिए इस्लामाबाद पर एक लंबा मार्च होगा।"
उन्होंने कहा, "इमरान खान जमीनी वास्तविकताओं से अनभिज्ञ हैं और लोगों की समस्याओं का कोई समाधान नहीं है। केवल पीपीपी जानता है कि मुश्किल समय में पाकिस्तान के गरीब लोगों को राहत कैसे प्रदान की जाए।"
बिलावल ने कहा कि 11 पार्टियों का गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) अब एक लंबे विरोध प्रदर्शन (लॉन्ग मार्च) शुरू करने के लिए अंतिम आह्वान करेगा, जिसमें गरीब, नौकरीपेशा, छात्र और उत्पादक हिस्सा लेंगे। बिलावल ने इसे एक विशालकाय सरकार विरोधी मार्च बताया है।
उन्होंने कहा, "हम गरीब लोगों, बेरोजगारों, छात्रों, उत्पादकों और उन सभी लोगों को ले जाएंगे, जो इस चयनित सरकार से परेशान हैं।"
उन्होंने कहा, "इस कठपुतली प्रधानमंत्री के चले जाने के बाद संवाद आयोजित किया जाएगा। जब हम इस्लामाबाद पहुंचेंगे, तो यह कठपुतली खुद सत्ता छोड़ देगी।"
पीडीएम इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। पिछले कई महीनों से पाकिस्तान में सरकार के खिलाफ रोष बढ़ता जा रहा है। मंहगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर विपक्ष लगातार सरकार पर हमला बोल रहा है। पिछले दिनों पाकिस्तान भर में विपक्ष ने लगातार काफी रैलियां की, जिसे अब और मजबूत तरीके से आगे बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है। (आईएएनएस)
काठमांडू, 22 दिसंबर | नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) पतन के कगार पर है। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने मंगलवार को एनसीपी की केंद्रीय समिति की एक अलग बैठक की और कई फैसले लिए। प्रतिनिधि सभा को भंग किए जाने के दो दिन बाद यह बैठक हुई।
विरोधी खेमे के नेताओं को बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था।
पुष्पा कमल दहल उर्फ प्रचंड के नेतृत्व में ओली का प्रतिद्वंद्वी कैंप भी दिन में बाद में अपनी बैठक करेगा।
बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि केंद्रीय समिति की ताकत वर्तमान में 446 से बढ़कर 1,119 हो जाएगी।
यह निर्णय लिया गया है कि उस समिति में 556 सदस्यों को तुरंत शामिल किया जाएगा, जबकि 197 अन्य को बाद में शामिल किया जाएगा।
सदस्यों की संख्या बढ़ाने के निर्णय के साथ, ओली पार्टी केंद्रीय समिति में एक मजबूत बहुमत रखते हैं।
इस खेमे ने 18-23 नवंबर, 2021 को काठमांडू में पार्टी का जनरल कन्वेंशन आयोजित करने का फैसला किया है।
अपनी पार्टी में बहुमत हासिल करने में विफल रहने के बाद ओली के प्रतिनिधि सभा को भंग करने के फैसले के बाद से दोनों पक्ष समानांतर बैठकें करते रहे हैं।
इस बीच, बैठक में पार्टी प्रवक्ता के पद से नारायण काजी श्रेष्ठा को हटा दिया गया और उनकी जगह प्रदीप कुमार ग्यावली को नियुक्त किया गया।
श्रेष्ठा प्रतिनिधि सभा को भंग करने का विरोध करते थे। (आईएएनएस)
ढाका, 22 दिसंबर | बांग्लादेश की कैबिनेट ने कोरोनवायरस के खिलाफ मई या जून 2021 से पहले कम से कम 4.5 करोड़ लोगों को टीका लगाने का फैसला किया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ सोमवार को बैठक के बाद, कैबिनेट सचिव खांडकर अनवारुल इस्लाम ने पत्रकारों को बताया कि कैबिनेट ने प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है।
इस्लाम के अनुसार, वैक्सीन की 3 करोड़ खुराक जनवरी के अंत या फरवरी के पहले सप्ताह में देश में आ जाएगी, जबकि अन्य 6 करोड़ खुराक मई या जून में आएगी।
प्रत्येक व्यक्ति को दो खुराक मिलेंगे। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ 4.5 करोड़ लोग टीका प्राप्त करेंगे।
महामारी की शुरूआत के बाद से, बांग्लादेश में 501,000 से अधिक कोरोनावायरस के मामले सामने आए हैं और 7,280 मौतें हुई हैं। (आईएएनएस)
काबुल, 22 दिसंबर | काबुल में मंगलवार को हुए एक विस्फोट में कम से कम पांच लोग मारे गए और दो अन्य घायल हो गए। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, पुलिस प्रवक्ता फरदौस फरामर्ज ने कहा, "विस्फोट में डॉक्टरों को ले जाने वाली कार को निशाना बनाया गया। घटना पुलिस जिला 7 में डोगाबाद क्षेत्र में हुई।"
फरामर्ज ने पुष्टि करते हुए कहा कि इन डॉक्टरों ने अफगानिस्तान की मुख्य जेल पुल-ए-चरखी में काम किया था जहां कई आतंकवादी जेल में बंद थे।
प्रवक्ता ने कहा कि मामले में जांच चल रही है।
किसी भी समूह ने अब तक घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है।
मंगलवार को यह घटना ऐसे समय हुई है जब देश के गृह मंत्री ने रविवार को दावा किया था कि 17 से 20 दिसंबर को पूरे देश में हुए अलग-अगल विस्फोटों में 28 नागरिक मारे गए हैं। (आईएएनएस)
सुमी खान
ढाका, 22 दिसंबर | भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और बॉर्डर गार्डस बांग्लादेश (बीजीबी) के बीच डायरेक्टर-जनरल स्तर की सीमा समन्वय बैठक का 51 वां दौर मंगलवार को असम के गुवाहाटी में जारी है।
बीजीबी पीआरओ मोहम्मद शरीफुल इस्लाम ने आईएएनएस को बताया कि पांच दिवसीय वार्ता में सीमा से जुड़े मुद्दों पर दोनों सीमा सुरक्षा बलों के बीच बेहतर समन्वय को बढ़ाने के उद्देश्य से चर्चा शामिल होगी। इसके साथ ही ट्रांस बॉर्डर अपराध पर संयुक्त रूप से अंकुश लगाने और समय पर सूचना साझा करने के तंत्र को विकसित करने पर चर्चा होगी।
बीएसएफ के महानिदेशक राकेश अस्थाना 12 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जबकि बीजीबी के महानिदेशक मेजर जनरल एम डी शफीनुल इस्लाम सम्मेलन में 11 सदस्यीय बांग्लादेश के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।
इस्लाम ने कहा कि बांग्लादेश के प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय से संबंधित अधिकारी और वरिष्ठ बीजीबी अधिकारी सम्मेलन में बांग्लादेश के प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व करेंगे, जबकि बीएसएफ प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई बीएसएफ मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी, सीमावर्ती आईजी और भारतीय गृह मंत्रालय के संबंधित अधिकारी करेंगे।
पिछला बीएसएफ-बीजीबी सीमा समन्वय सम्मेलन 16-19 सितंबर को ढाका में आयोजित किया गया था।
1975 में, दोनों पक्षों ने प्रशासनिक चिंताओं पर तत्काल चर्चा करने के लिए सीमा अधिकारियों के बीच लगातार संपर्क में रहने को लेकर प्रतिबद्धता जताई थी।
तत्कालीन बीएसएफ डीजी अश्विनी कुमार के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल और पूर्व बीजीबी डीजी मेजर जनरल कुआजी गोलम दस्तगीर के नेतृत्व में एक बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल पहली बार ट्रांस-बॉर्डर समस्याओं पर चर्चा करने और हल करने के लिए 2 दिसंबर, 1975 को कोलकाता में मिले थे।
तब से 1993 तक भारत और बांग्लादेश में अल्टरनेटिव रूप से डीजी स्तर की बैठकें आयोजित की गईं।
इस बीच, मौजूदा पांच दिवसीय वार्ता में सीमा पार से होने वाली तस्करी को रोकने और सीमावर्ती क्षेत्रों में नदी के किनारे की सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जाएगा।
सम्मेलन का समापन 25 दिसंबर को एक ज्वाइंट रिकॉर्ड ऑफ डिस्कशन (जेआरडी) पर हस्ताक्षर करने के साथ होगा, जबकि बांग्लादेश का प्रतिनिधिमंडल अगले दिन स्वदेश लौट जाएगा। (आईएएनएस)
ब्रिटेन में तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि इस पर काबू पाया जा सकता है. वैज्ञानिकों के बीच भी इस बात पर लगभग सहमति है कि वैक्सीनें इसके आगे बेअसर साबित नहीं होंगी.
कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन से बचने के लिए दुनिया भर में दर्जनों देशों ने ब्रिटेन से यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसकी वजह से कई जगह यात्री हवाई अड्डों पर ही फंस गए हैं. यूरोप में कई जगह राज्यमार्गों पर लंबी कतारें भी लग रही हैं. यूरोप के अलावा भारत, पाकिस्तान, सऊदी अरब, हांगकांग और कनाडा जैसे देशों ने भी ब्रिटेन से यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिए हैं.
ब्रिटेन के विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस की यह नई किस्म 70 प्रतिशत ज्यादा तेजी से फैलती है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि नए स्ट्रेन को रोकना संभव है. संगठन के स्वास्थ्य आपात काल प्रमुख माइक रायन ने जिनेवा में एक प्रेस वार्ता में बताया, "स्थिति काबू से बाहर नहीं है लेकिन इसे अपने पर छोड़ा भी नहीं जा सकता है."
उन्होंने सभी देशों को उन सभी कदमों को उठाने को कहा जिनकी सफलता साबित हो चुकी है. संगठन के अनुसार, नए स्ट्रेन से जिन्हें संक्रमण हो जाता है वो औसतन 1.5 और लोगों को संक्रमित करते हैं , जबकि ब्रिटेन में पहले से मौजूद स्ट्रेनों की रिप्रोडक्शन दर 1.1 है. वायरस-विज्ञानियों के बीच इस बात पर लगभग सहमति भी है कि इस के आगे मौजूदा वैक्सीनें बेअसर नहीं होंगी.
यूरोप में कई जगह राज्यमार्गों पर लंबी कतारें भी लग रही हैं. यूरोप के अलावा भारत, पाकिस्तान, सऊदी अरब, हांगकांग और कनाडा जैसे देशों ने भी ब्रिटेन से यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिए हैं.
वैक्सीन बनाने वाली जर्मनी की कंपनी बायोएनटेक के प्रमुख उगुर साहीन ने डीपीए को बताया कि उनकी कंपनी ने उनकी वैक्सीन की वायरस की 20 अलग अलग किस्मों के खिलाफ जांच कर चुकी है और उन जांचों में सफल इम्यून प्रतिक्रिया देखी गई है जिसने वायरस को निष्क्रिय कर दिया. साहीन ने यह भी बताया कि नया स्ट्रेन एक और मजबूत म्युटेशन का नतीजा है और अगले दो हफ्तों तक वैक्सीन की इसके खिलाफ भी जांच की जाएगी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य कोविड-19 वैज्ञानिक मारिया वान करखोव ने बताया कि ब्रिटेन के वैज्ञानिक यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि रिप्रोडक्शन दर में आई इस बढ़ोतरी के लिए वायरस में आए बदलाव ज्यादा जिम्मेदार हैं या लोगों के बीच व्यवहारवादी फैक्टर. उन्होंने यह जोर दे कर कहा कि अभी तक इस बात का कोई प्रमाण सामने नहीं आया है कि नए स्ट्रेन से और ज्यादा गंभीर या और ज्यादा घातक बीमारियां होती हैं.
संगठन ने बताया ब्रिटेन में पाई गई वायरस की किस्म ऑस्ट्रेलिया, आइसलैंड, इटली और नीदरलैंड्स में भी कुछ व्यक्तियों में पाए गए हैं. कुछ मामले डेनमार्क में भी सामने आए हैं. यूरोपीय संघ एक संयोजित प्रतिक्रिया की दिशा में काम कर रहा है. शेंगेन इलाकों में सीमाओं को खुला रखने की भी मांग उठ रही है.
इन मुद्दों पर मंगलवार को संघ के राजदूतों के बीच चर्चा होगी. कुछ देशों ने यात्रा संबंधी प्रतिबंधों को और विस्तृत रूप से लागू कर दिया है. तुर्की ने डेनमार्क, नीदरलैंड्स और दक्षिण अफ्रीका से भी उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस्राएल ने पूरी तरह से विदेशी यात्रियों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
सीके/एए (डीपीए)
नई दिल्ली/वाशिंगटन, 22 दिसंबर| अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका के सर्वोच्च सैन्य सम्मान 'लीजन ऑफ मेरिट' से नवाजा है। मोदी को यह अवार्ड शानदार नेतृत्व और विजन के लिए दिया गया है क्योंकि उनके नेतृत्व में भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा मिला। आधिकारिक सूत्रों ने कहा, लीजन ऑफ मेरिट, डिग्री चीफ कमांडर, राष्ट्रपति की ओर से प्रधानमंत्री मोदी को दिया गया। ऐसा प्रतिष्ठित सम्मान जिसे केवल ट्रंप द्वारा दिया जा सकता है, आमतौर पर दूसरे देश के प्रमुख या सरकार के प्रमुख को दिया जाता है।
अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन से प्रधानमंत्री की ओर से अवार्ड स्वीकार किया।
पुरस्कार के साथ प्रशस्ति पत्र में कहा गया है, "मई 2014 से अगस्त 2020 तक भारतीय गणतंत्र के प्रधानमंत्री के रूप में असाधारण सराहनीय सेवा के लिए अवार्ड। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ²ढ़ नेतृत्व और दूरदर्शिता ने वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उदय को बढ़ावा दिया है और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए अमेरिका और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाया है। प्रधानमंत्री मोदी की व्यक्तिगत पहल ने रिश्ते के सभी पहलुओं में अमेरिका-भारत संबंधों का विस्तार किया, एक स्थायी साझेदारी के लिए एक मजबूत नींव स्थापित करने में मदद की जो स्वतंत्रता, सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार, लोकतांत्रिक सिद्धांतों के लिए साझा प्रतिबद्धता पर आधारित है।"
इसमें कहा गया, "भारत इंडो-पैसिफिक में अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है, जहां दोनों देश समुद्रों की स्वतंत्रता, खुले और पारदर्शी निवेश और बुनियादी ढांचे के विकास, सुरक्षित और विश्वसनीय डिजिटल नेटवर्क, और सुशासन सुनिश्चित करने के लिए सहयोग बढ़ा रहे हैं।"
एक शानदार सम्मान के तौर पर प्रशस्ति पत्र में कहा गया है, "प्रधानमंत्री मोदी की व्यक्तिगत पहल ने अमेरिका और भारत के बीच रक्षा साझेदारी को मजबूत किया, जिससे संयुक्त चुनौतियों से निपटने को लेकर संयुक्त सैन्य सहयोग को सुरक्षित करने की अमेरिका की क्षमता में वृद्धि हुई। अमेरिका के साथ भारत के आर्थिक सहयोग का विस्तार करने के उनके प्रयासों से दोनों देशों में उन्नत समृद्धि, निवेश और रोजगार सृजन हुआ है।"
इसमें आगे कहा गया है, "अमेरिका और भारत के बीच रणनीतिक सहयोग को आगे बढ़ाने और वैश्विक शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का बेहतर प्रयास, व्यक्तिगत नेतृत्व और अटूट प्रतिबद्धता, उन पर, भारतीय सशस्त्र बलों और उनके देश पर बहुत बड़ा श्रेय दर्शाता है।"
इस साल सितंबर में, एक बहुत लंबे अंतराल के बाद, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुवैत के अमीर शेख सबाह-अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह को लीजन ऑफ मेरिट, डिग्री चीफ कमांडर से सम्मानित किया था।
इसेस पहले, आखिरी बार 1991 में इस सम्मान को प्रदान किया गया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली/टोरंटो, 22 दिसंबर | बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन को लेकर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली कार्यकर्ता करीमा बलोच कनाडा में रहस्यमय परिस्थितियोंमें मृत पाई गईं हैं। करीमा बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के उत्पीड़न से बचकर कनाडा में शरणार्थी के तौर पर रह रही थीं। बीबीसी ने 2016 में उन्हें दुनिया की 100 सबसे प्रेरणादायक और प्रभावशाली महिलाओं में से एक के रूप में नामित किया था। करीमा को देश और विदेश में बलूचों की सबसे मजबूत आवाज में से एक के रूप में जाना जाता था।
बलूचिस्तान पोस्ट के अनुसार, करीमा रविवार दोपहर को लापता हो गईं थीं। इसके बाद सोमवार को उनके परिवार ने कहा कि उन्हें उनका शव मिला है। इसी तरह एक और घटना में पाकिस्तान से असंतुष्ट बलूच पत्रकार साजिद हुसैन स्वीडन में मृत पाए गए। वह भी लापता हो गए थे और बाद में उनका शव मिला।
बलूचिस्तान, पाकिस्तान का एक संसाधन-संपन्न और संघर्ष-ग्रस्त प्रांत है जहां पर पाकिस्तान सेना द्वारा गंभीर और व्यापक तौर पर मानवाधिकारों के उल्लंघन करने के आरोप हैं। यहां सैन्य दमन के कारण उग्रवाद पैदा हुआ और पाकिस्तान से आजादी के लिए आंदोलन हुआ।
करीमा बलूचिस्तान की उन हजारों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में से एक थीं जिन्होंने कनाडा में राजनीतिक शरण मांगी थी।
मंगलवार को सोशल मीडिया पर सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने कनाडा में करीमा के भाषण के वीडियो क्लिप डाले, जिसमें वे जस्टिन ट्रूडो सरकार द्वारा समायोजित किए गए बलूच लोगों के लिए पाकिस्तानी उत्पीड़कों द्वारा खतरे के बारे में चेता रहीं थीं।
कई लोगों ने टोरंटो में उनकी रहस्यमय मौत की जांच कराने की मांग की है। (आईएएनएस)
बीजिंग, 21 दिसंबर | संयुक्त राष्ट्र यूनेस्को ने 17 दिसंबर को घोषणा की कि चीन का मार्शल आर्ट थाईची को मानव जाति के गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया गया है। चीनी वुशु (मार्शल आर्ट) संघ के उपाध्यक्ष छन एनथांग ने 21 दिसंबर को कहा कि यह चीनी वुशू द्वारा विश्व को दी गयी एक मूल्यवान संपत्ति है, जो समस्त दुनिया में थाईची प्रेमियों का गर्व है। यह निश्चित रूप से दुनिया में थाईची की लोकप्रियता को बढ़ावा देगा और मानव जाति के सेहत के लिए और बड़ा योगदान देगा। वर्तमान में थाईची मार्शल आर्ट सामाजिक स्वास्थ्य संस्कृति और फैशनेबल फिटनेस का रुझान बन चुका है, जो चीनी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक बन गया है। थाईची से चीनी राष्ट्र की जीवन शक्ति जाहिर होती है, जो चीनी संस्कृति की अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव शक्ति को उन्नत करती है। इस मार्शल आर्ट से विश्व के लोगों के बीच संपर्क और सभ्यताओं के आदान-प्रदान व आपसी सीख के लिए बहुत सार्थक है। थाईची के अभ्यास वालों के लिए लिंग, आयु, शारीरिक फिटनेस आदि पर कोई परिसीमन नहीं है, यह मार्शल आर्ट लोगों की सेहत की विचारधारा, शारीरिक स्वास्थ्य, लोगों के बीच सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व, सामाजिक एकता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जानकारी के मुताबिक, 2006 में थाईची को चीन में पहली खेप वाली राष्ट्र स्तरीय गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया गया। चीनी वुशू संघ के उपाध्यक्ष छन एनथांग ने कहा कि इस मार्शल आर्ट के मानव जाति के गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल करने का बहुत दूरगामी महत्व होता है। यह चीनी वुशू विकास के इतिहास में मील का पत्थर है, जो कि नए युग में चीनी वुशू के जोरदार विकास का नया अध्याय जोड़ेगा।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (आईएएनएस)
बीजिंग, 21 दिसंबर | क्या चीन चंद्रमा पर सब्जियां उगा सकता है? जब से चीन का चांगअ-5 चंद्रयान चंद्रमा से लगभग 1,731 ग्राम नमूने एकत्र कर सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौटा है, तब से चीनी सोशल मीडिया वेइबो पर हर कोई यही सवाल पूछ रहा है। इस सवाल ने वेइबो पर ऑनलाइन चर्चा शुरू कर दी है। लेकिन विज्ञान ने उन्हें जरूर निराश किया होगा। दरअसल, पृथ्वी पर जैविक मिट्टी के विपरीत, चंद्रमा की मिट्टी में कोई आर्गेनिक पोषक तत्व नहीं होते है और यह बहुत सूखा भी होता है, जो कि न तो सब्जियां उगाने और न ही आलू उगाने के लिए उपयुक्त है।
लेकिन चीनी नेटिजेंस चंद्रमा पर सब्जियां उगाने में बहुत रुचि दिखा रहे हैं। वेइबो पर प्रसारित लूनर मिट्टी वास्तव में सब्जियां नहीं उगा सकती है विषय वाले वीडियो को 6 करोड़ 33 लाख से अधिक बार देखा गया और प्रेस समय के अनुसार 17,000 से अधिक बार चर्चा की गई।
वेइबो पर प्रसारित इस वीडियो के नीचे 8,100 से अधिक कमेंट्स किये गये। एक चीनी यूजर ने लिखा, चीनी लोग वास्तव में पूरे इतिहास में सब्जियां उगाने के विचार को मानते हैं।
वहीं, किसी अन्य यूजर ने लिखा युआन लोंगफिंग की आंखें जगमगा उठी हैं: ऐसी कोई जगह नहीं है जहां चावल न उग सकें! युआन, दुनिया के जाने-माने एक कृषि विज्ञानी है जिन्हें पहले हाइब्रिड (संकर) चावल के उपभेदों को विकसित करने के लिए जाना जाता है। उन्हें हाइब्रिड चावल के जनक भी कहा जाता है।
हालांकि, चंद्रमा पर मिट्टी सब्जियों को विकसित नहीं कर सकती है, इसका उपयोग अन्य तरीकों से किया जा सकता है। सीसीटीवी द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो के अनुसार, दीर्घकालिक सौर हवा ने बड़ी मात्रा में हीलियम-3 को चांद की मिट्टी में घोल दिया, जिसका उपयोग स्वच्छ ऊर्जा के रूप में और थर्मोन्यूक्लियर फ्यूजन के जरिए बिजली पैदा करने में किया जा सकता है।
चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (सीएनएसए) ने गत शनिवार की सुबह देश की राजधानी पेइचिंग में एक चंद्र नमूना हैंडओवर समारोह आयोजित किया, जहां चीनी विज्ञान अकादमी (सीएएस) को नमूने सौंप दिये।
सीएनएसए के उप प्रमुख वू यानहुआ के अनुसार, चांद के नमूनों को विभिन्न उद्देश्यों के लिए तीन भागों में विभाजित किया जाएगा। वैज्ञानिक अनुसंधान के प्रयोगशालाओं को कुछ दिया जाएगा, जबकि अन्य दो को राष्ट्रीय संग्रहालयों में जनता की शिक्षा के लिए प्रदर्शित किया जाएगा और चंद्र डेटा प्रबंधन नियमों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ साझा किया जाएगा।
यहां तक कि उन देशों को विशेष उपहार के रूप में दिया जा सकता है जो एयरोस्पेस मामलों पर चीन के साथ मिलकर काम करते हैं।
एक वेइबो यूजर ने कमेंट किया, अगर हम चंद्रमा पर सब्जियां नहीं उगा सकते, तो मंगलग्रह पर जाना और अध्ययन के लिए मिट्टी के कुछ नमूने लाना कैसा रहेगा?
सीएनएएसए के पिछले सप्ताह के अपडेट के अनुसार, चीन ने 23 जुलाई को देश का पहला मंगल जांच शुरू किया, जिसका नाम थ्येनवन-1 रखा गया था और वर्तमान में यह 37 करोड़ किलोमीटर की यात्रा कर चुका है और पृथ्वी से 10 करोड़ किलोमीटर से अधिक दूरी पर पहुंच चुका है।
ध्यान दें तो चीनी नौसेना के सैनिक दक्षिण चीन सागर के शीशा द्वीप के रेत में सफलतापूर्वक सब्जियां उगा चुके हैं। इसके अलावा, चीनी वैज्ञानिक अभियान दल ने अंटार्कटिका में भी सब्जियां उगाई हैं।
(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (आईएएनएस)