अंतरराष्ट्रीय
म्यांमार में लोकतांत्रिक सरकार की उम्मीद दिखाने वाली नेता आंग सान सू ची तख्तापलट के बाद से कहां हैं, किसी को पता नहीं है. दिसंबर के बाद अब एक बार फिर उन्हें तीन अलग-अलग मामलों में चार साल कैदकी सजा सुनाई गई है.
सेना के शासन वाले म्यांमार में एक अदालत ने सोमवार को अपदस्थ नेता आंग सान सू ची को चार साल जेल की सजा सुनाई है. अदालत की कार्रवाई से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सू ची को यह सजा बिना लाइसेंस के वॉकी-टॉकी रखने समेत तीन मामलों में सुनाई गई है.
कोर्ट ने सू ची को हैंडहेल्ड रेडियो रखने के लिए आयात-निर्यात कानून का उल्लंघन करने के लिए दो साल की सजा और सिग्नल जैमर का एक सेट रखने के लिए एक साल की सजा सुनाई है. सू ची को अपने चुनाव प्रचार के दौरान कोरोना वायरस नियमों से जुड़े प्राकृतिक आपदा प्रबंधन कानून के उल्लंघन के आरोप में दो साल की सजा सुनाई गई है.
76 साल की नोबेल विजेता सू ची पर म्यांमार में भ्रष्टाचार समेत दर्जनों मामलों में जांच चल रही हैं, जिनके तहत उन्हें सौ साल से ज्यादा की सजा भी हो सकती है. वह सभी आरोपों से इनकार करती हैं.
शानदार चुनावी जीत के बाद तख्तापलट
साल 2020 में म्यांमार में हुए आम चुनावों में सू ची की पार्टी को एकतरफा जीत मिली थी. इसी के साथ देश में दशकों के सैन्य शासन का अंत हुआ और राजनीतिक सुधारों की एक उम्मीद दिखी. पर यह दौर लंबा नहीं चल सका. 1 फरवरी, 2021 को सेना ने सू ची की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर दिया. सू ची की पार्टी 'नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी' के कई वरिष्ठ सदस्य भी गिरफ्तार कर लिए गए.
इसके बाद से देशभर में प्रदर्शनों और राजनीतिक उथल-पुथल का दौर जारी है, जिससे अंतरराष्ट्रीय खेमे में भी भारी चिंता है. सेना का दावा है कि सू ची को मिला जनमत फर्जी था, लेकिन स्वतंत्र चुनाव पर निगाह रखनेवाली संस्थाएं इस दावे पर ऐतबार नहीं करती हैं.
तलाशी के बाद लगाए गए ये आरोप
तख्तापलट वाले दिन ही सू ची को हिरासत में ले लिया गया था. उनके घर की तलाशी के बाद पुलिस के दस्तावेजों में बताया गया कि सू ची के घर से 6 अवैध रूप से आयात किए हुए वॉकी-टॉकी बरामद हुए हैं. अदालत में सू ची के वकीलों ने दलील दी कि ये वॉकी-टॉकी निजी तौर पर सू ची के पास नहीं थे और इनका इस्तेमाल उनकी सुरक्षा के लिए वैध तरीके से किया जा रहा था, लेकिन अदालत ने यह दलील खारिज कर दी.
सू ची पर जितने भी आरोप और मुकदमे हैं, उन्हें अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक सुर में फर्जी करार देते हुए इनकी आलोचना कर चुका है. सू ची के समर्थक कहते हैं कि सैन्य नेतृत्व ये आरोप तख्तापलट को वैधानिकता दिलाने, अपना दावा मजबूत करने और सू ची का राजनीतिक करियर खत्म करने के मकसद से लगा रहा है.
दिसंबर में भी सुनाई गई थी सजा
इससे पहले 6 दिसंबर को सू ची को अपने चुनाव प्रचार के दौरान कोरोना वायरस संबंधी नियम तोड़ने और लोगों को इसके लिए उकसाने के आरोप में चार साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, कोर्ट के यह फैसला सुनाने के कुछ ही देर बाद सैन्य शासक मिन आंग लेंग ने इस सजा को घटाकर दो साल कर दिया था.
लेंग ने यह भी कहा था कि सू ची चाहें, तो यह सजा अपने घर में नजरबंद रहते हुए भी काट सकती हैं. म्यांमार की जनता ने इस सजा के खिलाफ थाली और बर्तन बजाकर पुराने तरीकों से विरोध जताया था. पिछले सैन्य शासन के दौरान भी सू ची ने ज्यादातर समय यंगून स्थित अपने घर में नजरबंद रहते हुए बिताया था.
म्यांमार में प्रदर्शन और हालात
सू ची को हिरासत में लिए जाने के बाद से ही म्यांमार में अहिंसक विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया था. शहरी से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में तमाम लोग सड़कों पर आ गए थे, जिनमें युवाओं की संख्या भी खूब थी. लेकिन सेना के विरोध को कुचलने की कोशिशों के साथ ही ये प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिनमें अब तक 1,400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी देश में गृहयुद्ध तक की चेतावनी दे चुके हैं. ह्यूमन राइट्स वॉच से ताल्लुक रखने वाली मेनी मॉन्ग का कहना है कि सेना का आकलन है कि सू ची को सजा सुनाए जाने से लोगों में डर पैदा होगा, लेकिन इससे जनता में गुस्सा ही और बढ़ रहा है.
सभी बाहरी संपर्कों से कटीं सूची
तमाम अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद हिरासत में लिए जाने के बावजूद किसी को सू ची से मिलने नहीं दिया गया है. वह अदालत की सुनवाई से पहले सिर्फ अपने वकीलों से ही मुलाकात कर पाती हैं. अदालत की पिछली सुनवाइयों के दौरान उन्हें सफेद टॉप और भूरी लुंगी पहने हुए देखा गया, जिसे म्यांमार में कैदी पहनते हैं. सैन्य शासक लेंग ने पिछले महीने कहा था कि सू ची और अपदस्थ राष्ट्रपति विन मिंट को मुकदमा चलने तक एक ही जगह रखा जाएगा और जेल नहीं भेजा जाएगा.
राजधानी नेपीदाव में हुई अदालती कार्रवाई में भी किसी मीडियाकर्मी को शामिल नहीं होने दिया गया. पिछले साल अक्टूबर में ही सू ची के वकीलों को मीडिया और जनता से बात करने से रोक दिया गया था. म्यांमार की सदस्यता वाले 'दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ' के विशेष दूत को भी उनसे मिलने की इजाजत नहीं दी गई. इसके बाद संघ के अन्य सदस्यों ने मिन आंग को फटकराते हुए उन्हें संघ के सालाना सम्मेलन में शामिल होने से रोक दिया था.
यहां तक कि इस साल समूह की अध्यक्षता संभालने वाले और म्यांमार के सैन्य जनरलों से बातचीत की वकालत करने वाले कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन सेन जब तख्तापलट के बाद म्यांमार जाने वाले पहले राष्ट्र-प्रमुख बने, तब भी वह सू ची से मुलाकात करने में नाकाम रहे.
वीएस/एमजे (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)
साइप्रस के एक प्रोफेसर ने दावा किया है कि उन्होंने कोरोना वायरस का एक नया वेरिएंट खोजा है, जो पहले से मौजूद डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट से मिलकर बना है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा संभव है लेकिन ऐसा हुआ नहीं है.
साइप्रस यूनिवर्सिटी में जीव विज्ञान के प्रोफेसर लियनडियोस कॉसट्राइकस ने दावा किया है कि साइप्रस में कोरोना के डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट को जोड़ने वाला एक नया वेरिएंट पाया गया है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक टीवी चैनल से बातचीत में प्रोफेसर कॉसट्राइकस ने कहा, "हमने पाया है कि यह स्ट्रेन ओमिक्रॉन और डेल्टा के मिलने की वजह से बना है. डेल्टा जीनोम में ओमिक्रॉन जैसे जेनेटिक सिग्नेचर मिलने की वजह से हमने इसे डेल्टाक्रॉन नाम दिया है."
7 जनवरी को डेल्टाक्रॉन के 25 मामलों के सीक्वेंस, वायरस में बदलावों का हिसाब रखनेवाले अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस GISAID भेजे गए थे. प्रोफेसर कॉसट्राइकल कहते हैं कि यह अधिक संक्रामक है या नहीं, यह तो भविष्य में पता चलेगा, लेकिन निजी तौर पर उनका मानना है कि अधिक संक्रामक ओमिक्रॉन वेरिएंट इसकी जगह ले लेगा. डेल्टाक्रॉन के अब तक 25 मरीज मिलने की बात कही जा रही है.
साइप्रस में इस वेरिएंट के जो केस मिले, उनमें से 11 लोग अस्पताल में भर्ती थे, जबकि बाकी 14 आम जनता के बीच से मिले हैं. इस वेरिएंट को डेल्टाक्रॉन नाम प्रोफेसर कॉसट्राइकस ने दिया है. वैज्ञानिकों ने अभी तक इसे आधिकारिक रूप से कोई नाम नहीं दिया है.
दावे को खारिज कर रहे विशेषज्ञ
वहीं कुछ अन्य वैज्ञानिकों का मानना है कि यह कोई नया वेरिएंट नहीं है, बल्कि लैब में दोनों वायरस के संपर्क में आने का नतीजा है. इसके जवाब में प्रोफेसर कॉसट्राइकस का कहना है कि उन्हें डेल्टाक्रॉन संक्रमण के जो मामले मिले हैं, उनसे पता चलता है कि यह 'सिंगल रीकॉम्बिनेशन' यानी किसी एक का पुनर्संयोजन नहीं, बल्कि पिछले स्ट्रेन में हुए विकास का नतीजा है.
प्रोफेसर कॉसट्राइकस का कहना है कि कोरोना संक्रमण के अस्पताल में भर्ती मरीजों में डेल्टाक्रॉन संक्रमण के मामले ज्यादा हैं, जबकि अस्पताल में भर्ती न होने, लेकिन संक्रमित लोगों के साथ ऐसा नहीं है. इससे लैब वाला अनुमान गलत साबित होता है. अपनी बात के पक्ष में वह यह भी बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय डाटाबेस में इस्राएल ने भी एक सीक्वेंस जमा कराया है, जो डेल्टाक्रॉन जैसा है.
कोरोना वायरस पर अध्य्यन करनेवाले बर्मिंगम यूनिवर्सिटी में माइक्रोबायल जीनॉमिक्स के प्रोफेसर निक लोमन कहते हैं कि जब किसी एक रोगाणु के कई वेरिएंट्स फैल रहे हों, तो उन वेरिएंट्स के मिलने से एक नया वायरस बनना संभव होता है. लोमन मानते हैं कि डेल्टा और ओमिक्रॉन के मिलने से नया वायरस बनना आश्चर्यजनक नहीं होगा, लेकिन इस मामले में यह लैब की गतिविधियों का नतीजा लग रहा है.
इस पूरे मामले पर साइप्रस के स्वास्थ्य मंत्री माइकल हाजिपैंटला ने रविवार को कहा कि यह नया वेरिएंट चिंता का विषय नहीं है. उन्होंने इस सप्ताह प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस सिलसिले में और जानकारी देने की बात कही है.
चीन में अफगानिस्तान के राजदूत ने पद छोड़ते हुए एक लंबा-चौड़ा संदेश छोड़ा है जिसमें उन्होंने बताया है कि तालीबान द्वारा काबुल पर कब्जा किए जाने के बाद महीनों तक कर्मचारियों को सैलरी भी नहीं मिली थी.
चीन में अफगानिस्तान के राजदूत रहे जाविद अहमद काएम ने सोमवार को बताया कि तालीबान के सत्ता में आने के बाद हालात कितने जटिल हो गए थे. ट्विटर पर काएम ने लिखा कि तब हालत ऐसी थी कि फोन का जवाब देने के लिए भी कोई नहीं था और रिसेपशनिस्ट को ही सारा काम करना पड़ रहा था.
काएम ने बताया कि अपने कर्मचारियों को तन्ख्वाह देने के लिए उन्हें दूतावास के बैंक खाते को खाली करना पड़ा था. 1 जनवरी को विदेश मंत्रालय को भेजे एक पत्र में उन्होंने लिखा, "पिछले छह महीने से काबुल से तो हमें कोई तन्ख्वाह मिली नहीं, तो हमने वित्तीय संकट को हल करने के लिए अपने राजनयिकों की कमेटी बनाई.”
उन्होंने कहा कि फिर भी वह अपने उत्तराधिकारी के लिए कुछ धन छोड़कर आए थे. उन्होंने लिखा, "1 जनवरी 2022 तक खाते में करीब एक लाख डॉलर है.” काएम ने यह नहीं बताया कि अब वह क्या करेंगे.
चीन में दूतावास की खस्ता हालत को बयान करते हुए काएम ने जो लिखा है उसमें ऐसा भी है कि दूतावास की पांच कारों की चाभियां वह अपने दफ्तर में छोड़कर आए हैं और चूंकि सारे राजनयिक जा चुके हैं, इसलिए फोन का जवाब देने के लिए एक स्थानीय व्यक्ति को काम पर रखा गया.
पुराने और नए का संघर्ष जारी है
अफगानिस्तान के बहुत सारे दूतावासों की यही स्थिति है. ये दूतावास आमतौर पर पिछली सरकार के प्रति निष्ठावान रहे अधिकारी ही चला रहे हैं. हालांकि बहुत से राजनयिकों ने दूतावास छोड़ भी दिए हैं. काएम ने लिखा कि उनका इस्तीफा "सम्मानजनक तरीके से अपनी जिम्मेदारी का पटाक्षेप” है.
एक ट्वीट ने उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि जब नए नियुक्त जनाब सदात बीजिंग पहुंचेगे तो कोई अन्य राजनयिक वहां नहीं बचेगा.” उन्होंने कहा कि चीन को भी इस बात का अच्छी तरह पता है. हालांकि फिलहाल यह नहीं पता है कि काएम के उत्तराधिकारी सदात हैं कहां. इस बारे में तालीबान सरकार ने भी कोई टिप्पणी नहीं की है.
सोमवार को बीजिंग में अफगानिस्तान का दूतावास रोज की तरह ही खुला. उसके सामने दो सुरक्षाकर्मी खड़े हैं और दूतावास पर देश का पुराना तीन रंग का झंडा फहरा रहा था. काएम नवंबर 2019 से चीन में अफगानिस्तान के राजदूत थे. जुलाई में चीन के एक प्रतिनिधिमंडल के दौरे के बाद उन्होंने जुलाई में दिए इंटरव्यू में चिंता जाहिर की थी कि तालीबान की सत्ता में वापसी हो सकती है. उसके कुछ ही दिन बाद, अगस्त में तालीबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था. तब से देश भारी आर्थिक और वित्तीय संकट से जूझ रहा है. महंगाई अपने चरम पर है और बेरोजगारी के कारण लोग बेहाल हैं.
हर जगह अस्त-व्यस्त
चीन ने अफगानिस्तान को करोड़ों डॉलर की मदद दी है. तालीबान ने ज्यादातर देशों में अपने प्रतिनिधि नियुक्त नहीं किए हैं. उनकी सरकार को भी अभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली है. और बीजिंग एकमात्र दूतावास नहीं है जहां हालात अस्त-व्यस्त हो गए हैं.
पिछले हफ्ते रोम के दूतावास में तब पुलिस बुलानी पड़ी जब नौकरी से निकाले गए एक राजनयिक ने दूतावास पर हमला कर दिया. दूतावास ने कहा कि यह अधिकारी दावा कर रहा था कि उसे नया राजदूत बना दिया गया है. तालीबान के विदेश मंत्रालय ने काबुल में कहा कि इस राजनिक की नौकरी नहीं गई है और उसे हटाया जाना अवैध था.
संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान का मिशन भी इस वक्त परेशानियों से गुजर रहा है. पूर्व और मौजूदा दोनों ही सरकारें यूएन में देश को दी गई सीट पर दावा कर रहे हैं. पिछले साल सुरक्षा परिषद ने इस मसले पर कोई फैसला भविष्य के लिए टाल दिया था.
वीके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
कजाखस्तान में हिंसक प्रदर्शनों के बाद चीन ने वहां सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग देने का प्रस्ताव दिया है. साथ ही चीन ने कजाखस्तान में 'बाहरी ताकतों' द्वारा हस्तक्षेप का विरोध करने की भी बात कही है.
मदद का प्रस्ताव चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कजाखस्तान के विदेश मंत्री मुख्तार तिलुबर्दी के साथ बातचीत के दौरान दिया. चीन के विदेश मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक वांग ने तिलुबर्दी को बताया, "कजाखस्तान में हाल ही में हुई उथल पुथल दिखाती है कि मध्य एशिया में स्थिति अभी भी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है और यह एक बार फिर साबित करती है कि कुछ बाहरी ताकतें हमारे प्रांत में शान्ति नहीं चाहती हैं."
पिछले सप्ताह कजाखस्तान में ईंधन के बढ़ते दामों के विरोध में हुए प्रदर्शन हिंसक हो गए थे और प्रदर्शनकारियों ने कई सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया था. कुछ को जला भी दिया गया था. फिर प्रदर्शन जैसे जैसे जैसे पूरे देश में फैलने लगे सेना को गोली चलाने के आदेश दे दिए गए.
चीन की चिंता
सरकार ने हिंसा के लिए "चरमपथियों" को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इनमें विदेश में प्रशिक्षित इस्लामिस्ट आतंकवादी शामिल हैं. सरकार ने रूस के नेतृत्व में एक सैन्य समूह से सेना भेजने के लिए भी कहा. सरकार ने कहा कि इन सैनिकों को सामरिक दृष्टी से महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा के लिए तैनात कर दिया है. अमेरिका ने इस कदम पर सवाल उठाए हैं.
जानकारों का मानना है कि चीन की चिंता है कि अगर उसके पड़ोस में अशांति होगी तो उसका चीन के ऊर्जा व्यापार पर बेल्ट-एंड-रोड परियोजनाओं पर पड़ेगा. इसके अलावा चीन को लगता है कि इसका असर उसके शिन्चियांग इलाके पर भी पड़ेगा, जो कजाखस्तान के साथ 1,770 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है.
वांग ने यह भी कहा कि चीन "मिल कर किसी भी बाहरी ताकत के हस्तक्षेप और घुसपैठ का विरोध करने के लिए" तैयार है. चीन और रूस का मानना है कि "रंग क्रांतियां (कलर रिवोल्यूशंस) अमेरिका और दूसरी पश्चिमी ताकतों के द्वारा भड़काए जा रहे हैं ताकि देशों में सरकारों को गिराया जा सके.
सिंगापुर के एस राजरत्नम स्कूल ऑफ इंटरनैशनल स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर ली मिंगजियांग ने बताया, "चीन इस अशांति की वजह से कजाखस्तान और मध्य एशिया में अमेरिका के प्रभाव का विस्तार नहीं होने देना चाहता है. अगर पड़ोस के एक देश में रंग क्रान्ति की वजह से राजनीतिक लोकतांत्रिकरण हो जाता है, तो इससे उदारवादी झुकाव रखने वाले चीन के बौद्धिक कुलीन वर्ग को भी ऐसा ही कोई प्रयास करने के लिए बढ़ावा मिल सकता है."
वियतनाम युद्ध के बाद से चीन अपनी हस्तक्षेप विरोधी नीति के तहत पारंपरिक रूप से दूसरे देशों में सेना नहीं भेजता है. पिछले महीने उसने सोलोमन आइलैंड्स की पुलिस को प्रशिक्षण देने के लिए और वहां भड़के दंगों को खत्म करने के लिए अपने छह पुलिस अफसर भेजे थे.
सीके/एए (रॉयटर्स)
काबुल, 11 जनवरी | तालिबान ने घोषणा की है कि वे महिला कर्मचारियों को छोड़कर अफगान सरकारी कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया फिर से शुरू करेंगे। ये जानकारी मीडिया रिपोर्ट से सामने आई है।
खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के प्रशासनिक सुधार आयोग के अधिकारियों ने सोमवार को यहां मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे खुली प्रतियोगिता के जरिए सिविल सेवकों की भर्ती करेंगे।
महिला कर्मचारियों को काम पर रखने के बारे में पूछे जाने पर, अधिकारियों ने कहा कि इस मुद्दे पर निर्णय लिया जाना बाकी है और इसमें अभी समय लगेगा।
आयोग के प्रमुख किरामतुल्लाह अखुंदजादा ने कहा कि वे 'सरकारी प्रशासन में और सुविधाएं सुनिश्चित करने और प्रशासन में और सुधारों के लिए काम करने की दिशा में काम करेंगे।' (आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 11 जनवरी| न्यूयॉर्क शहर के ब्रोंक्स बोरो में एक ऊंची इमारत में आग लगने से मरने वालों की संख्या 17 है। पहले यह संख्या 19 बताई गई थी। मेयर एरिक एडम्स ने जानकारी दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को एक प्रेस वार्ता में एडम्स ने कहा कि आग में नौ वयस्क और आठ बच्चे मारे गए हैं।
न्यूयॉर्क सिटी फायर कमिश्नर डेनियल निग्रो ने कहा कि गिनती में कुछ गलती हो गई थी और यह थोड़ी अच्छी खबर है कि मरने वालों की संख्या 19 नहीं बल्कि 17 है।
नीग्रो ने कहा कि कई लोग अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं और मरने वालों की संख्या फिर से बढ़ सकती है।
निग्रो ने कहा कि हम निश्चित हैं कि आग एक दोषपूर्ण पोर्टेबल विद्युत हीटर से लगी थी, फायर मार्शल द्वारा जांच अभी भी जारी है।
मेयर के कार्यालय के अनुसार, दुखद आग में मारे गए पीड़ितों के सम्मान में न्यूयॉर्क शहर बुधवार को सूर्यास्त तक झंडा झुकाया जाएगा। (आईएएनएस)
मैड्रिड, 11 जनवरी| स्पेन में कोरोना से अब तक 90,000 से ज्यादा मौतें हुई हैं। ये आंकड़े देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने साझा किए हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने कहा, शुक्रवार से सोमवार के बीच कोरोना से 202 मौतों हुई, जिससे देश में कुल मौतों की संख्या बढ़कर 90,136 हो गई।
शुक्रवार से सोमवार तक 72 घंटे में कोरोना के 292,394 नए मामले सामने आए, जिससे संक्रमणों की कुल संख्या बढ़कर 7,457,300 हो गई।
इस बीच, कोरोना के गहन देखभाल ईकाईयों (आईसीयू) में 23.58 प्रतिशत तक मरीज भर्ती हैं जिसमें वर्तमान में 13.4 प्रतिशत तक बेड भरे हुए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि ये डेटा उसी दिन प्रकाशित किया गया जब क्रिसमस की छुट्टी के बाद बच्चे स्पेन में स्कूल लौट आए, जबकि अब तक 5 से 16 वर्ष की आयु के 3,350,000 बच्चों में से 32.1 प्रतिशत को टीका लगाया गया है।
स्पेन के प्रधानमंत्री प्रेडो सांचेज ने सोमवार को स्थानीय मीडिया को बताया कि उनकी सरकार फाइजर एंटी-वायरल दवा की 344,000 खुराक खरीदेगी, जिससे यह कोरोना संक्रमित रोगियों के अस्पताल में भर्ती होने में लगभग 88 प्रतिशत की कमी कर सकती है। (आईएएनएस)
रूस ने अमेरिका से कहा है कि उसका यूक्रेन पर हमला करने का कोई इरादा नहीं है. दोनों देशों के अधिकारियों ने जिनेवा में मुलाक़ात की है.
सोमवार को सात घंटे तक चली बैठक के बाद दोनों पक्ष तनाव कम करने पर सहमत हुए हैं. हालांकि बातचीत के दौरान कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली है.
यूक्रेन से लगती रूस की सीमा पर तक़रीबन एक लाख रूसी जवान तैनात हैं और माना जा रहा है कि वो यूक्रेन पर हमला कर सकते हैं. वहीं पश्चिम ने रूस को चेतावनी दी हुई है.
अमेरिका ने कहा है कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो उस पर प्रतिबंध लगेंगे.
वहीं रूस ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा है कि पश्चिम से उसके मुक़ाबले के ख़तरे को कम करके न आंका जाए.
रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रेयाबकोफ़ ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, “हमने अपने सहयोगियों को बताया कि हमारा यूक्रेन पर हमले का कोई इरादा नहीं है और न ही कोई योजना है.”
उन्होंने बताया कि रूसियों ने अपने अमेरिकी समकक्षियों को बताया कि ‘सैनिकों के युद्ध प्रशिक्षण के सभी उपाय और बल हमारे क्षेत्र में ही हैं’ और इस संदर्भ में ‘कोई भी ख़तरा बढ़ाने का कोई कारण नहीं है.’
अमेरिका की उप-विदेश मंत्री वेंडी शरमन ने बताया है कि बातचीत ‘स्पष्ट’ थी और दोनों पक्षों की सुरक्षा चिंताओं को बेहतर तरीक़े से समझने के लिए थी. (bbc.com)
ओमिक्रॉन वैरिएंट के फैल रहे संक्रमण के बीच अमेरिका में लोगों के अस्पतालों में भर्ती होने में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, कोरोना वायरस संक्रमण के कारण इस समय अमेरिका में 1,32,646 लोग अस्पताल में भर्ती हैं जबकि बीते साल जनवरी महीने में यह आंकड़ा 1,32,051 ही था.
बीते दिसंबर से लोगों का अस्पताल में भर्ती होना जारी है. डेल्टा वैरिएंट के बाद जैसे ही ओमिक्रॉन वैरिएंट आया है तो बीते तीन सप्ताह के दौरान भर्ती होने की संख्या दोगुनी हो गई है.
रॉयटर्स के विश्लेषण के अनुसार, डेलावेयर, इलिनोयस, मेन, मेरीलैंड, मज़ूरी, ओहायो, पेंसिल्वेनिया, प्यूर्तो रिको, वर्जीनिया, वॉशिंगटन डीसी और विस्कांसिन में रिकॉर्ड रूप से कोविड-19 मरीज़ अस्पताल में भर्ती हुए हैं.
संभावित रूप से कम गंभीर बताए जा रहे ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेतावनी दी हुई है कि अगर इस वैरिएंट से संक्रमण बढ़ता है तो अस्पताल के सिस्टम पर दबाव बढ़ेगा. अस्पतालों ने स्टाफ़ की कमी के कारण पहले ही बाक़ी सर्जरी और ऑपरेशन को स्थगति कर दिया है.
रॉयटर्स के अनुसार, अमेरिका में बीते छह दिनों में तक़रीबन 5 लाख मामले सामने आए हैं. (bbc.com)
नई दिल्ली, 10 जनवरी| पाकिस्तान की विदेश नीति अभी भी अमेरिका के प्रभाव से मुक्त नहीं है। यह बात पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद यूसुफ ने कही है।
जियो न्यूज ने एक साक्षात्कार में एनएसए के हवाले से कहा, यह अभी भी (अमेरिकी प्रभाव से मुक्त) नहीं है और मुझे संदेह है कि कोई भी देश इससे मुक्त है।
यूसुफ ने कहा कि पाकिस्तान के पास वित्तीय और आर्थिक स्वतंत्रता नहीं है। उन्होंने कहा कि देश के पास उसकी आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है और जरूरतें लगातार बढ़ रही हैं।
उन्होंने कहा, जब हम मांगों को पूरा नहीं कर सकते, तो हम विदेशी ऋण मांगते हैं। जब आप ऋण लेते हैं, तो आपकी आर्थिक संप्रभुता से समझौता होता है।
जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, यूसुफ ने कहा कि जब भी कोई देश अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) या किसी अन्य संस्थान से कर्ज मांगता है तो उसमें उसकी आर्थिक संप्रभुता शामिल होती है।
अफगानिस्तान पर पाकिस्तान की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, अब इस वजह से, यह देश की विदेश नीति को प्रभावित करता है और जब विदेश नीति प्रभावित होती है, तो आप मामलों को नहीं संभाल सकते।
यूसुफ ने कहा कि जब कोई देश अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं पर निर्भर होता है, तो वह मानव कल्याण या पारंपरिक सुरक्षा - सशस्त्र बलों और आंतरिक सुरक्षा के लिए संसाधनों का आवंटन नहीं कर सकता है।
एनएसए ने कहा, किसी देश को तब तक वित्तीय आजादी नहीं मिल सकती, जब तक वह अपने संसाधनों से सभी स्थानीय मांगों को पूरा नहीं करता। (आईएएनएस)
स्पेन में तलाक और अलग होने के फैसले अब कानूनी रूप से पालतू जानवरों के कल्याण को ध्यान में रखकर किए जाएंगे.
स्पेन से पहले फ्रांस और पुर्तगाल में इसी तरह के कदमों को उठाया जा चुका है. नए कानून के तहत स्पेन के जजों को पालतू जानवरों के एक या दूसरे साथी के स्वामित्व वाली वस्तुओं के बजाय पालतू जानवरों को संवेदनशील प्राणी के रूप में मानने के लिए बाध्य करता है. कानून अलग होने की स्थिति में जोड़े को संयुक्त हिरासत के मामले को मजबूत करेगा. नया कानून बनने से पहले इस तरह का चलन देश में पहले भी था.
वकील लोला गार्सिया कहती हैं, "जानवर परिवार का हिस्सा हैं और जब साथी अलग होने का फैसला करते हैं, तो परिवार के बाकी हिस्सों की तरह घरेलू जानवरों के अधिकारों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए." पिछले साल अक्टूबर में मैड्रिड के एक जज ने एक कुत्ते की संयुक्त हिरासत के पक्ष में फैसला सुनाया था. जब एक अविवाहित जोड़ा अलग हुआ, तो उन्होंने अदालत से कुत्ते की संयुक्त हिरासत की मांग की. कुत्ता अब उन दोनों के साथ एक-एक महीने तक रहता है, और दोनों कुत्ते के लिए कानूनी रूप से जिम्मेदार हैं.
गार्सिया के अधिकार और पशु फर्म ने मामले को अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ा. गार्रिसा इन कानूनी सुधार को एक प्रमुख पहला कदम मानती हैं, जो आने वाले दिनों में जानवरों और इंसानों के संबंधों में बदलाव लाएगा. यूरोपीय देश स्पेन में पालतू जानवरों के स्वामित्व की समस्या बहुत अधिक है. वामपंथी गठबंधन सरकार आगे और कानून बनाने का इरादा रखती है, जैसे वन्यजीवों समेत जानवरों के अधिकारों की रक्षा करना. साथ ही सर्कस और दुकानों में पालतू जानवरों की बिक्री बंद करना.
हालांकि स्पैनिश राष्ट्र का सभी जानवरों पर समान विचार नहीं है, विशेष रूप से बुलफाइटिंग के खेल पर. पशु अधिकार कार्यकर्ता इस खेल को खत्म करना चाहते हैं, लेकिन इस लोकप्रिय खेल का निकट भविष्य में कोई समाधान होता नहीं दिख रहा है.
गार्सिया के मुताबिक तलाक की स्थिति में भले ही एक जोड़े के बच्चे हों, पालतू जानवरों का स्वामित्व अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है. मैड्रिड स्थित मनोवैज्ञानिक रोड्रिगो कैस्टोविलास कानून के बारे में कहते हैं, "बच्चे पालतू जानवरों से परिचित होते हैं और उनसे अलग होने का बच्चों पर भावनात्मक प्रभाव पड़ सकता है."
एए/सीके (रॉयटर्स, एपी)
मलेरिया के मच्छरों को कीटनाशकों से मारने में इंसानों और पर्यावरण पर भी दुष्प्रभाव का खतरा रहता है. इसलिए स्वीडन में शोधकर्ता इन मच्छरों के खात्मे के लिए एक नए तरीके पर काम कर रहे हैं.
स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम की एक प्रयोगशाला में मच्छरों से भरे हुए पिंजरे रखे हुए हैं. मच्छरों को पिंजरों के अंदर बंद रखने के लिए उन पर महिलाओं के टाइट्स चढ़ाए गए हैं. मलेरिया से लड़ने की एक बड़ी योजना के तहत इन मच्छरों को रोज घातक विष मिला कर चुकंदर का जूस दिया जा रहा है.
शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि मलेरिया फैलाने वाले एनोफेलीज मच्छर को मारने के लिए उन्होंने एक ऐसा तरीका खोज निकाला है जो पर्यावरण के अनुकूल है. ये शोधकर्ता इतने आशान्वित हैं कि उन्होंने अपनी खोज को व्यावसायिक रूप से आगे बढ़ाने के लिए एक कंपनी की स्थापना कर ली है.
कैसे फंसते हैं मच्छर
इससे पहले इन मच्छरों को मारने के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन ये कीटनाशक इंसानों और पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं. 44 साल की शोधकर्ता नौशीन इमामी कहती हैं कि ये एक पालतू पशु या पक्षी रखने जैसा है, लेकिन फर्क इतना है कि पालतू पशुओं को इस तरह धोखे से जहरीले शरबत नहीं पिलाए जाते.
इमामी स्टॉकहोम विश्वविद्यालय में मॉलिक्यूलर इन्फेक्शन बायोलॉजिस्ट हैं. वो बताती हैं इन मच्छरों को धोखा देने के लिए जूस में एक ऐसा मॉलिक्यूल मिलाया जाता है जो इन मच्छरों को आकर्षित करता है.
इमामी के मुताबिक, "किसी भी सॉल्यूशन में इस मॉलिक्यूल को मिलाने से वो सॉल्यूशन मच्छरों के लिए काफी स्वादिष्ट हो जाता है. जैसे किसी भूखे व्यक्ति के लिए एक ताजा बैगेट या ओवन में से निकला हुआ पिज्जा."
दिसंबर 2021 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि 2020 में दुनिया भर में मलेरिया के 24.1 करोड़ मामले सामने आए, जो 2019 में सामने आए 21.9 करोड़ मामलों से ज्यादा हैं. 2020 में इस बीमारी ने 6.27 लाख लोगों की जान ले ली. इनमें से 96 प्रतिशत मौतें अफ्रीका में हुईं. मरने वालों में करीब 80 प्रतिशत पांच साल से कम उम्र के बच्चे थे.
असरदार तरीका
मलेरिया सिर्फ बीमार ही नहीं करता है बल्कि जिन्हें इसका संक्रमण हो जाता है वो मच्छरों के लिए और आकर्षक हो जाते हैं. मच्छर फिर उन्हें काटने के बाद और लोगों को भी संक्रमित करते हैं. 2017 में इमामी और उनके साथी शोधकर्ताओं ने पाया कि ऐसा एक विशेष मॉलिक्यूल की वजह से होता है जिसे एचएमबीपीपी कहते हैं.
यह मॉलिक्यूल तब निकलता है जब मलेरिया फैलाने वाला परजीवी शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है. इमामी एक विशालकाय फ्रिज को खोलती हैं जिसमें 27 डिग्री सेल्सियस तापमान बरकरार रखा गया है. फ्रिज में पानी से भरे हुए डिब्बे में मच्छरों के डिम्भक (लार्वा) कुलबुला रहे हैं.
इमामी समझाती हैं, "इस मॉलिक्यूल को विषों में मिला कर फिर विष को चुकंदर के जूस में मिला देने से मच्छर उसे पीते हैं और मर जाते हैं." इमामी के साथ 'मॉलिक्यूलर अट्रैक्शन' नाम की कंपनी की स्थापना करने वाले लेच इग्नाटॉविच ने बताया कि यह नया तरीका मलेरिया के खिलाफ लड़ाई को पूरी तरह से बदल सकता है.
उन्होंने बताया, "मच्छरों को मारने का सबसे अच्छा तरीका अभी भी कीटनाशक हैं, लेकिन हमें मालूम है कि कीटनाशक ना सिर्फ मच्छरों को बल्कि दूसरे कीड़ों और अन्य जीवों को भी मार रहे हैं." कीटनाशकों की प्रभावित कम होने के भी सबूत सामने आ रहे हैं.
करीब 80 देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को बताया कि 2010 से 2019 के बीच में मच्छरों में आम तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले चार कीटनाशकों में से कम से कम एक के प्रति प्रतिरोधक क्षमता देखने को मिली.
सीके/एए (एएफपी)
अफ़ग़ानिस्तान में पिछले साल अगस्त में मचे कोलाहल के बीच बहुत सारे लोग देश छोड़कर जा रहे थे. तालिबान काबुल पहुँच चुका था, लोग बदहवास काबुल हवाई अड्डे की तरफ़ भाग रहे थे, जहाँ अफ़रातफ़री मची थी. इसी भीड़ में एक दुधमुँहा बच्चा बिछुड़ गया, ये कहानी उसी बच्चे की है.
वो 19 अगस्त का दिन था, काबुल के हामिद करज़ई एयरपोर्ट पर तिल रखने की भी जगह नहीं थी, हज़ारों लोग जमा हो गए थे.
अमेरिका और दूसरे देशों के विमान लोगों को बाहर निकाल रहे थे, ख़ास कर ऐसे लोगों को जो पिछली सरकारों के लिए काम करते थे और जिन्हें अब तालिबान हुक़ूमत में ख़तरा हो सकता था.
भीड़ में अपने परिवार के साथ मिर्ज़ा अली अहमदी भी शामिल थे जो अमेरिकी दूतावास में सुरक्षा गार्ड का काम करते थे. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सबसे पहले उनकी कहानी नवंबर में छापी थी.
इसमें मिर्ज़ा ने बताया कि वो अपनी पत्नी सुरैया और पाँच बच्चों को लिए एयरपोर्ट के भीतर जाने की कोशिश कर रहे थे, दो माह का बच्चा सोहेल गोद में था.
एक-दूसरे से टकराते लोगों के बीच कहीं वो पिस ना जाए, ये सोच उसके मां-बाप ने उसे बाड़ के दूसरी ओर खड़े एक वर्दीधारी सैनिक को थमा दिया जो उन्हें लगा कि अमेरिकी सैनिक है.
उन्हें लगा कि बस 15 फ़ीट का फ़ासला बचा है जब वो एयरपोर्ट के भीतर दाख़िल हो जाएँगे और बच्चा मिल जाएगा.
मगर तभी तालिबान के सैनिकों ने भीड़ को पीछे खदेड़ दिया. मिर्ज़ा और उनके परिवार को लौटते आधा घंटा हो गया.
वो एयरपोर्ट के भीतर गए पर ना तो वो सैनिक दिखा ना कहीं उनका बच्चा.
बदहवास परिवार ने उसे हर ओर खोजा, कुछ अधिकारियों ने कहा कि हो सकता है वो विमान में ले जाया गया हो, तो आप भी निकल जाएँ, बाद में आप साथ हो जाएँगे.
और आख़िर में मिर्ज़ा और उनका परिवार अमेरिका जाने वाले विमान पर सवार हो गए और अमेरिका के टेक्सास राज्य में एक सैन्य ठिकाने पहुँच गए.
महीनों तक उन्हें कुछ पता नहीं चला कि सोहेल का क्या हुआ.
कैसे मिला सोहेल?
चार महीने बाद, नवंबर में समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने ये ख़बर छापी जिसके बाद खोज-बीन हुई और आख़िर में पता चला कि सोहेल एक टैक्सी ड्राइवर हामिद सैफ़ी के घर पर है.
29 वर्षीय हामिद ने रॉयटर्स को बताया कि उन्हें सोहेल एयरपोर्ट पर मिला. वो ज़मीन पर पड़ा था, रो रहा था.
हामिद ने उसके घरवालों को खोजने की कोशिश की, पर जब कुछ पता नहीं चला तो उन्होंने उसे अपने घर ले जाने का फ़ैसला किया और तय किया कि वो और उनकी पत्नी उसे अपने बच्चों की तरह बड़ा करेंगे.
उन्होंने बच्चे का नाम रखा - मोहम्मद आबिद. और अपने दूसरे बच्चों के साथ उसकी भी तस्वीर अपने फ़ेसबुक पन्ने पर लगाई.
चार महीने बाद सोहेल का पता चला और उसके नाना मोहम्मद क़ासिम रज़ावी उसे लेने निकले. वो काबुल से बहुत दूर पूर्वोत्तर अफ़ग़ानिस्तान के सूबे बदख़्शां में रहते हैं.
लेकिन, लंबे सफ़र के बाद जब वो हामिद के पास पहुँचे, तो उन्होंने सोहेल को वापस करने से इनकार कर दिया. रॉयटर्स के अनुसार हामिद ने शर्त रख दी कि उन्हें और उनके परिवार को भी अमेरिका ले जाया जाए.
बात इतनी बढ़ गई कि कुछ समय तक हामिद सैफ़ी को हिरासत में भी लेना पड़ा.
आख़िरकार तालिबान पुलिस ने कई हफ़्तों तक चली बातचीत के बाद दोनों परिवारों में सुलह करवाई और सोहेल को उसके नाना को सौंप दिया गया.
सोहेल के माँ-बाप अमेरिका में ही हैं, उन्होंने अपने छोटे बेटे को वीडियो चैट पर देखा.
मोहम्मद क़ासिम रज़ावी ने बताया, "हम जश्न मनाने लगे, गाने लगे, नाचने लगे, ऐसा लगा जैसे कोई शादी हो."
अब सोहेल के घरवारों को उम्मीद है कि जल्दी ही उसे अमेरिका के मिशिगन में लाए जाने का इंतज़ाम हो पाएगा, जो अब उनका नया पता है.
हालाँकि, अफ़ग़ानिस्तान में अभी तक सब अनिश्चित है. वहाँ अमेरिका का कोई दूतावास नहीं और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर भी काफ़ी दबाव है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा, "हम कोशिश कर रहे हैं कि कैसे इस परिवार को फिर से एक किया जाए." (bbc.com)
आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका के राष्ट्रपति ने चीन से वित्तीय मदद मांगी है. देश के दौरे पर आए चीन के विदेश मंत्री वांग यी से राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्सा ने गुहार लगाई.
भारी आर्थिक संकट झेल रहे श्रीलंका ने चीन से आग्रह किया है कि उसके कर्ज को पुनर्गठित कर दिया जाए और जरूरी चीजों के आयात के लिए और राहत दी जाए. चीन के विदेश मंत्री वांग यी श्रीलंका के दौरे पर थे.
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्सा ने वांग यी से कहा, "देश को बड़ी राहत होगी अगर कोविड-19 महामारी के चलते खड़े हुए आर्थिक संकट के हल के तौर पर कर्ज अदायगी की किश्तों के पुनर्गठन पर ध्यान दिया जाए.”
राजपक्सा ने वांग से जरूरी चीजों के आयात के लिए भी वित्तीय राहत मांगी है ताकि उद्योग बिना किसी बाधा के काम कर सकें. उन्होंने यह गुजारिश भी की है कि चीनी पर्यटकों को श्रीलंका की यात्रा के लिए एक विशेष बबल स्थापित कर बढ़ावा दिया जाए.
नहीं आया चीनी मदद का ऐलान
वांग यी ने राष्ट्रपति के भाई और देश के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्सा के साथ कोलंबो पोर्ट सिटी का दौरा किया. इस द्वीप को चीन ने अपने निवेश से विकसित किया है. दोनों देशों के 65 साल के कूटनीतिक संबंधों का जश्न मनाने के लिए 65 नौकाओं को समुद्र में उतारा गया.
द्वीप पर अपने भाषण में वांग यी ने कहा कि लगातार जारी महामारी ने आर्थिक पुनरोद्धार को मुश्किल बना दिया है और दोनों देशों को मिलकर काम करना होगा. हालांकि उन्होंने किसी तरह की मदद या राहत की घोषणा नहीं की.
श्रीलंका अब तक का सबसे बुरा आर्थिक संकट झेल रहा है. विदेशी मुद्रा भंडार 1.6 अरब डॉलर गिर गया है जो कुछ हफ्तों के आयात के लिए भी नाकाफी है. देश पर भारी कर्ज है और 2022 में उसे सात अरब डॉलर चुकाने हैं. 50 करोड़ डॉलर की किश्त जनवरी में जानी है जबकि एक अरब डॉलर की किश्त जुलाई में अदा करनी है.
घटते विदेशी मुद्रा भंडार की एक वजह चीन से कर्ज लेकर तैयार की गईं परियोजनाओं को बताया जा रहा है, जहां से कोई आय नहीं हो रही है. चीन ने देश में सड़कों का जाल बिछाने के अलावा दक्षिणी हंबंतोता जिले में बंदरगार और हवाई अड्डा बनाने के लिए श्रीलंका को भारी कर्ज दिया था.
तकनीकी रूप से दीवालिया
देश के केंद्रीय बैंक के आंकड़े दिखाते हैं कि श्रीलंका पर चीन का 3.38 अरब डॉलर का कर्ज है. इसके अलावा कई सरकारी कंपनियों ने अलग से कर्ज ले रखा है जिसकी मात्रा काफी बड़ी है. पॉइंट पेड्रो इंस्टीट्यूट ऑफ डिवेलपमेंट के मुख्य शोधकर्ता मुत्तुकृष्णा सर्वनाथन कहते हैं, "तकनीकी रूप से हम दावा कर सकते हैं कि हम दीवालिया हो गए हैं. जब आपका विदेशी मुद्रा भंडार लाल निशान पर पहुंच जाए तो तकनीकी रूप से आप दीवालिया हो जाते हैं.”
आर्थिक संकट का असर आम जनजवीन पर भी देखा जा सकता है. लोग दूध, गैस और केरोसीन जैसी रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े हैं. महंगाई आसमान पर है और केंद्रीय बैंक का कहना है कि नवंबर के 9.9 फीसदी से बढ़कर दिसंबर में महंगाई दर 12.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है. इस दौरान खाद्य मुद्रास्फीदी 22 प्रतिशत बढ़ गई थी.
विदेशी मुद्रा की कमी के कारण आयातक अपना सामान नहीं छुड़ा पा रहे हैं जिसमें जरूरी चीजों की सप्लाई है. साथ ही विनिर्माण कंपनियां विदेशों से कच्चा माल आयात नहीं कर पा रही हैं. विदेशों में रहने वाले नागरिकों द्वारा भेजा जा रहा धन भी कम हो गया है क्योंकि सरकार ने विदेशी मुद्रा के रेट पर नियंत्रण लगा दिया है.
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां पहले ही श्रीलंका की रेटिंग कम कर चुकी हैं जिस कारण देश की उधार लेने की क्षमता और कम हो गई है. दिसंबर में फिच रेटिंग्स ने कहा था कि कर्ज के वापस ना मिलने की संभावनाएं बढ़ गई हैं.
भारत-चीन के बीच श्रीलंका
श्रीलंका के मौजूदा हालात ने इस द्वीपीय देश को लेकर दो बड़ी दक्षिण एशियाई ताकतों भारत और चीन के बीच जारी संघर्ष को और उजागर कर दिया है. चीनी विदेश मंत्री के श्रीलंका के नेताओं से मिलने से पहले भारत के एक प्रमुख राजनयिक ने रविवार को सुबह कोलंबो से दक्षिणी हिस्सों को जाने वाली एक ट्रेन सेवा का उद्घाटन किया. इस ट्रेन के डिब्बे भारत के कर्ज द्वारा उपलब्ध कराया गया है.
भारतीय दूतावास ने विनोद जैकब के हवाले से कहा, "भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पड़ोस-प्रथम नीति के तहत श्रीलंका प्राथमिकता है.” उन्होंने कहा कि हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी बयान दिया था कि मुश्किल वक्त में भारत श्रीलंका की मदद करेगा.
राजनीतिक विश्लेषक रंगा कलनसूर्या कहते हैं, "हम देख सकते हैं कि श्रीलंका संभावित मदद के लिए भारत और चीन के बीच फंसा हुआ है. भारत कुछ समय से धीमे कदम उठा रहा है जबकि चीन इन हालात का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने की जुगत में है.” कलनसूर्या कहते हैं कि चीन के मदद देने की संभावना कम है और वह ज्यादा औद्योगिक मौकों की तलाश में होगा.
वीके/सीके (एपी, रॉयटर्स)
महिला अधिकारों के लिए बोलने वाली एक सऊदी राजकुमारी और उनकी बेटी को रिहा कर दिया गया है. मानवाधिकार संगठनों ने बताया कि वह तीन साल से बिना किसी आरोप के जेल में बंद थीं.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
57 वर्षीया बासमा बिन सऊद को तीन साल बाद जेल से रिहा कर दिया गया है. महिला अधिकारों के लिए लगातार आवाज उठाने वालीं बासमा शाही परिवार की सदस्य हैं और संवैधानिक राजशाही के खिलाफ भी बोलती रही हैं. बासमा को मार्च 2019 में हिरासत में ले लिया गया था.
मानवाधिकार संगठन अल केस्त फॉर ह्यूमन राइट्स ने ट्विटर पर लिखा, "बासमा बिन सऊद अल सऊद और उनकी बेटी सूहौद रिहा हो गई हैं. उन्हें ऐसी बीमारी है जिसमें जान भी जा सकती है लेकिन उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं और समुचित देखभाल नहीं मिल रही थी. हिरासत के दौरान किसी भी वक्त उन पर कोई आरोप दर्ज नहीं किया गया.”
परिजनों के मुताबिक प्रिंसेस बासमा को तब गिरफ्तार कर लिया गया था जब वह इलाज के लिए स्विट्जरलैंड जाने वाली थीं. हालांकि, यह कभी नहीं बताया गया कि उन्हें क्या बीमारी है. अप्रैल 2020 में उन्होंने राजा सलमान और युवराज मोहम्मद बिन सलमान से अपनी खराब सेहत की दुहाई देते हुए रिहाई की अपील की थी. आखिरकार शनिवार को यह सूचना आई कि उन्हें रिहा कर दिया गया है. सऊदी अधिकारियों ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है.
बदल रहा है सऊदी अरब?
2017 में मोहम्मद बिन सलमान को युवराज नियुक्त किया गया था जिसके बाद से देश में महिला अधिकारों की स्थिति में बदलाव के लिए कई कदम उठाए गए हैं. दशकों से देश में महिलाओं के ड्राइविंग पर लगी पाबंदी हटाना इसकी बड़ी मिसाल है. इसके अलावा बिना किसी पुरुष को साथ लिए महिलाओं के घर से बाहर निकलने जैसे नियमों में ढील दी गई है.
पिछले साल महिलाओं को किसी पुरुष अभिभावक की अनुमति के बिना सऊदी अरब के अंदर स्थित इस्लाम के सबसे पवित्र स्थलों में से एक मक्का की तीर्थ यात्रा पर जाने के लिए पंजीकरण कराने का अधिकार दिया गया. सऊदी अरब के पिछले राजा अब्दुल्ला बिन अब्दुलअजीज अल सऊद के समय से ही देश में सामाजिक परिवर्तन हो रहा है. हालांकि, हाल के कई सुधारों को तथाकथित विजन 2030 का हिस्सा माना जाता है, जिसमें देश को पर्यटन आदि के लिए आगे बढ़ाने की कोशिश है.
सख्ती भी बढ़ी है
इन बदलावों के साथ ही सऊदी अधिकारियों द्वारा असहमति पर नकेल कसने की घटनाएं भी बढ़ी हैं. संभावित राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए गए हैं. महिला अधिकारों बोलने वाले लोगों पर सख्ती बरती गई है. शाही परिवारों के सदस्यों को भी नहीं बख्शा गया है.
राजकुमारी बासमा को अल-हाएर जेल रखा गया था जहां बड़ी संख्या में राजनीतिक कैदी बंद हैं. 2020 में उनके परिवार ने संयुक्त राष्ट्र में एक याचिका दाखिल की थी जिसमें कहा गया था कि उन्हें जेल में इसलिए बंद रखा गया है क्योंकि वह आलोचकों को दी जाने वाली यातनाओं के खिलाफ बोलती हैं. इस याचिका में यह भी कहा गया कि राजुकमार बासमा को मोहम्मद बिन नाएफ का सहयोगी माना जाता है, जो युवराज बनने के दावेदार थे और जिन्हें नजरअंदाज कर मोहम्मद बिन सलमान को युवारज बना दिया गया.
नवंबर 2017 में देश में भ्रष्टाचार विरोधी एक अभियान चलाया गया था जिसमें दर्जनों लोगों को भ्रष्टाचार या बगावत जैसे संदेहों में गिरफ्तार कर लिया गया था. तब रियाद के एक चर्चित रिट्ज कार्लटन होटल को अघोषित हिरासत केंद्र में तब्दील कर दिया गया था. मार्च 2020 में शाही सैनिकों ने महाराज सलमान के भाई और भतीजे को युवराज के खिलाफ बगावत की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. (dw.com)
ढाका, 10 जनवरी | बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सोमवार को घर वापसी दिवस की 50वीं वर्षगांठ पर श्रद्धांजलि अर्पित की, जो पाकिस्तान की जेल में महीनों बिताने के बाद 1972 में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की देश वापसी का प्रतीक है।
उन्होंने ढाका के बंगबंधु स्मारक संग्रहालय में अपने पिता के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की, जिसके बाद वह कुछ देर मौन खड़ी रहीं।
प्रधानमंत्री के साथ उनकी छोटी बहन शेख रेहाना भी थीं।
बांग्लादेश लौटने के बाद, रहमान का मीडिया को दिया पहला बयान था, "सज्जनों, जैसा कि आप देख सकते हैं, मैं जीवित हूं और ठीक हूं।"
बांग्लादेश की आजादी के संघर्ष को हराने के प्रयास में, ऑपरेशन सर्चलाइट की शुरूआत में 26 मार्च, 1971 के शुरूआती घंटों में पाकिस्तानी सेना ने उनका अपहरण कर लिया था।
हालांकि, रहमान की दूरदर्शिता ने अपने भरोसेमंद जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदारियां सौंपने और लोगों में विश्वास सुनिश्चित किया कि वे न केवल स्वतंत्रता के लिए एक भीषण युद्ध छेड़ेंगे, बल्कि जीत भी सुनिश्चित करेंगे।
8 जनवरी, 1972 को बंगबंधु के रिहा होने के बाद, वह तुरंत ढाका लौटना चाहते थो, लेकिन जैसा कि भारतीय हवाई क्षेत्र में पाकिस्तानी विमानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, पाकिस्तान के नए राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने आदेश दिया कि रहमान तेहरान या किसी अन्य 'तटस्थ' स्थान के लिए उड़ान भरें, न कि भारत से।
इसके बाद उन्होंने लंदन जाने का फैसला किया, जहां उन्होंने क्लेरिज होटल में एक सनसनीखेज मुलाकात और अभिवादन में विश्व मीडिया को संबोधित किया।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बांग्लादेश की मदद के लिए तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को धन्यवाद देने के लिए दिल्ली में एक संक्षिप्त पड़ाव के बाद, वे अंतत: घर लौट आए, जहाँ लाखों लोग उनके स्वागत के लिए ढाका की सड़कों पर खड़े थे।
अपनी वापसी पर, बंगबंधु ने 10 जनवरी को रेस कोर्स (अब सुहरावर्दी उद्यान) में एक भाषण दिया जिसमें उन सिद्धांतों को रेखांकित किया गया था जिन पर बांग्लादेश एक संप्रभु राज्य के रूप में कार्य करेगा।
"मेरा बांग्लादेश आज आजाद है, मेरे जीवन की इच्छा आज पूरी हुई, मेरे बंगाल के लोग आज आजाद हुए हैं। मेरा बंगाल आजाद रहेगा।"
"मेरे राज्य में, इस बांग्लादेश में, एक समाजवादी व्यवस्था होगी। इस बांग्लादेश में लोकतंत्र होगा। बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष राज्य होगा।"
उन्होंने कहा था, "हम सब मिलकर एक नए और समृद्ध बंगाल का निर्माण करेंगे। बंगाल के लोग फिर से खुश होंगे, खुशहाल जीवन जिएंगे और खुले वातावरण में खुलकर सांस लेंगे।"
ऐतिहासिक दिन कोविड -19 प्रोटोकॉल के साथ पूरे देश में मनाया जाएगा।
सत्तारूढ़ अवामी लीग ने विभिन्न कार्यक्रमों की व्यवस्था की है। (आईएएनएस)
म्यांमार की सैन्य अदालत ने नज़रबंद की गईं नेता आंग सान सू ची को कई मामलों में चार साल जेल की सज़ा सुनाई है. सू ची पर ग़ैर-लाइसेंसी वॉकी-टॉकी रखने का आरोप है.
फ़रवरी में सेना ने नागरिक सरकार का सैन्य तख़्तापलट करते हुए सू ची को सत्ता से बाहर कर दिया था.
सू ची को दिसंबर में कोरोना वायरस प्रतिबंधों के उल्लंघन के कारण चार साल की जेल की सज़ा सुनाई गई थी. बाद में इस सज़ा को कम करते हुए ढाई साल का हाउस अरेस्ट कर दिया था.
कई रिपोर्टों के मुताबिक़ सत्ता परिवर्तन के बाद हुए हिंसक प्रदर्शनों में अब तक 1,400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
दिसंबर में सू ची को सुनाई गई सज़ा की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई थी. म्यांमार की जनता ने इस फ़ैसले पर नाराज़गी जताते हुए विरोध का पुराना तरीक़ा अपनाया था और बर्तन बजाए थे.
इस फ़ैसले पर ह्युमन राइट्स वॉच की शोधकर्ता मेनी मॉन्ग ने कहा है कि एक और सज़ा से राष्ट्रीय स्तर पर असंतोष और गहराएगा.
उन्होंने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि, “जब पिछली बार उन्हें सज़ा सुनाई गई थी तब म्यांमार में सोशल मीडिया पर सबसे अधिक चर्चा इसी मुद्दे की थी और जनता में ग़ुस्सा था.”
“सेना का आकलन है कि इससे लोगों में डर पैदा होगा लेकिन इससे जनता में सिर्फ़ अधिक ग़ुस्सा बढ़ रहा है.”
पत्रकारों को सुनवाई में शामिल नहीं होने दिया गया था जबकि सू ची के वकीलों पर मीडिया से बात करने पर रोक लगा दी गई है.
तेल संपन्न खाड़ी देशों के विदेश मंत्री सोमवार को पांच दिवसीय दौरे पर चीन की राजधानी बीजिंग पहुंच रहे हैं.
यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब चीन के पड़ोसी देश कज़ाख़स्तान में अस्थिरता पैदा हो गई है और इससे चीन की ऊर्जा सुरक्षा को लेकर चिंताएं जताई गई हैं.
सऊदी अरब, कुवैत, ओमान और बहरीन के अधिकारियों समेत गल्फ़ कॉपरेशन काउंसिल के महासचिव नायेफ़ बिन फ़लाह अल-हजराह शुक्रवार तक चीन में रहेंगे.
तेल और गैस संपन्न कज़ाख़स्तान में अस्थिरता पर चीन ने चिंताएं जताई हैं जहां पर उसका ऊर्जा उद्योग में अच्छा ख़ासा निवेश है.
कज़ाख़स्तान में हिंसा के बाद तनाव है
यह दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी के अफ़्रीका, मालदीव और श्रीलंका के ताबड़ोतड़ दौरों के दौरान हो रहा है.
चीन के विदेश मंत्रालय ने खाड़ी देशों के मंत्रियों के दौरे की अधिक जानकारी सार्वजनिक नहीं की है. यह अपनी तरह का पहला दौरा है और उम्मीद की जा रही है कि बीजिंग के साथ ऊर्जा संबंध मज़बूत करने पर चर्चा होगी.
खाड़ी देशों के साथ चीन ने हाल में अपने संबंधों को मज़बूत किया है. 2014 में शी जिनपिंग ने कहा था कि उनका उद्देश्य इस क्षेत्र के साथ 2023 तक व्यापार दोगुने से अधिक करना है.
चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि इस दौरे से चीन-GCC के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर ‘बड़ी सफलता’ मिल सकती है. (bbc.com)
काबुल, 10 जनवरी| तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार के एक विभाग ने काबुल में महिलाओं को हिजाब पहनने की याद दिलाने के लिए पोस्टर चिपका दिए हैं। खामा प्रेस ने बताया कि रविवार को राजधानी शहर में लगाए गए पोस्टरों में कहा गया है कि शरिया कानून के आधार पर, एक मुस्लिम महिला को हिजाब का पालन करना चाहिए क्योंकि यह शरिया कानून का नियम है।
पोस्टरों में दो अलग-अलग प्रकार के हिजाब दिखाते हुए दो चित्र शामिल हैं, एक काला अबाया जिसमें आंखों सहित पूरा चेहरा ढंका हुआ है, और एक पूर्ण शरीर वाला नीला परिधान (बुर्का) है जो अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए एक पारंपरिक पोशाक है।
मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि पोस्टर केवल महिलाओं को हिजाब पहनने की याद दिलाने के लिए है, लेकिन कोई जबरदस्ती नहीं है।
हाल ही में, हेरात प्रांत में महिलाओं और लड़कियों का किसी करीबी पुरुष रिश्तेदार के साथ कॉफी की दुकानों में प्रवेश करना भी प्रतिबंधित हो गया है।
प्रांत में तालिबान के एक अधिकारी के अनुसार, कॉफी की दुकानें अधिकांश नैतिक भ्रष्टाचार के लिए एक सुविधाजनक स्थान के रूप में काम करती हैं, जिसने हेरात में युवाओं को गुमराह किया है।
पिछले महीने, तालिबान ने दुकान मालिकों को पुतलों के सिर काटने का आदेश दिया, यह कहते हुए कि वे गैर-इस्लामी थे और घोषणा की कि 72 किमी से अधिक की यात्रा करने वाली महिलाओं को परिवहन से मना कर दिया जाना चाहिए, जब तक कि उनके साथ एक करीबी पुरुष रिश्तेदार न हो।
विभाग द्वारा वितरित की गई सलाह में सभी वाहन चालकों को अपनी कारों में संगीत बजाने से परहेज करने और उन महिला यात्रियों को नहीं ले जाने का निर्देश दिया गया है, जिन्होंने अपने बालों को ढंकते हुए इस्लामी हिजाब नहीं पहना है।
तालिबान ने उत्तरी शहर मजार-ए-शरीफ में महिलाओं के लिए सभी सार्वजनिक स्नानघरों को भी बंद कर दिया है। ऐसी सुविधाओं को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि कई अफगानों के पास घर पर हीटिंग या बिजली की सुविधा नहीं है। (आईएएनएस)
-मोहम्मद ज़ुबैर ख़ान
"हम लोग भारा काहू पर बड़ी संख्या में खड़े हैं. हमें न तो हमारे अपनों के शव दिए जा रहे हैं और न आगे जाने दिया जा रहा है."
राजधानी इस्लामाबाद के पास पंजाब प्रांत के पर्यटन स्थल मरी में भारी बर्फ़बारी से मारे गए 22 पर्यटकों में मरदान के रहने वाले चार दोस्त भी थे.
उन लड़कों के एक क़रीबी दोस्त फ़ैसल ख़ान ने कहा, कि "हम प्रशासन से गुज़ारिश कर रहे हैं कि उन लोगों को बचाया तो नहीं जा सका, अब उनके शव तो हमें सौंप दो. अधिकारियों का कहना है कि सुबह होने से पहले यह संभव नहीं है."
इस आपदा में मरदान के चार युवकों की मौत हो गई है, जिनमें असद ख़ान, सुहैल ख़ान, बिलाल ख़ान और कराची के रहने वाले इन्हीं के हमनाम बिलाल ख़ान शामिल हैं.
ये चारों मरदान के एक ही इलाक़े के रहने वाले हैं और सभी आपस में कज़िन थे. चारों दोस्तों में सबसे बड़े सुहैल ख़ान थे, जिनकी उम्र 25 साल बताई जा रही है. उनकी शादी हो चुकी थी और दो बच्चे हैं. बाक़ी तीनों की उम्र क़रीब 22 साल है. असद ख़ान की भी शादी हो चुकी थी और उनके भी दो बच्चे हैं.
फ़ैसल ख़ान कहते हैं, कि "असद ख़ान न सिर्फ़ मेरा बचपन का दोस्त था बल्कि मेरा बिज़नेस पार्टनर भी था. असद ख़ान और मेरी मरदान में सरिये की दुकान है. जबकि कराची के रहने वाले बिलाल के अलावा बाक़ी दोनों भी सरिये का कारोबार करते हैं. बाकी तीनों उनके रिश्तेदार हैं, इसलिए मेरी उनके साथ दोस्ती थी."
फ़ैसल ख़ान का कहना है कि हमारी बहुत गहरी दोस्ती थी. "हम कपड़े, घड़ियां, जूते, सब कुछ एक जैसा ही पहनते थे."
"हम दोनों हमेशा एक साथ घूमने जाते थे. जब बर्फ़ गिरनी शुरू हुई तो मैंने कहा कि बहरीन स्वात चलते हैं, जबकि कराची के रहने वाले बिलाल ख़ान मरी देखना चाहते थे, इसलिए वो मरी चले गए और मैं बहरीन चला गया."
"उन्होंने कहा कि वो ठीक हैं चिंता की कोई बात नहीं"
फ़ैसल ख़ान कहते हैं, कि मुझे असद ख़ान का एक मैसेज मिला था कि दुकान की चाबी फलां जगह रखी है वह ले लें.
"आज सुबह जब वह समय पर दुकान पर नहीं आया, तो मैंने फ़ोन किया और उसका नंबर किसी और ने उठाया और मुझे बताया कि असद ख़ान और उसके साथ तीनों लोगों की मौत हो गई है."
उनके एक और क़रीबी रिश्तेदार नुसरत ख़ान ने कहा, कि "जब ये लोग बर्फ़ में फंसे तो परेशान नहीं थे."
"मैंने फ़ोन किया तो सुहैल ख़ान ने फ़ोन उठाया. उसने कहा कि बर्फ़ के कारण रोड बंद हो चुका है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही दोबारा खुल जाएगा और हम लोग मरी का चक्कर लगा कर लौट आएंगे."
नुसरत ख़ान ने कहा, कि ''दो-तीन घंटे बाद दोबारा फ़ोन किया तो उन्होंने बताया कि अभी रोड नहीं खुला है.''
"लेकिन खुल जाएगा. यहां हम अकेले नहीं फंसे हुए हैं, और भी बहुत से लोग गाड़ियों में मौजूद हैं. इनमें बच्चे और महिलाएं भी हैं, चिंता की कोई बात नहीं है."
लेकिन फिर सुबह हमें ख़बर मिली कि चारों की मौत हो गई है.
बिलाल ख़ान की मरी जाने की इच्छा
मरदान में मारे गए चारों दोस्तों के क़रीबी रिश्तेदार बाबर ख़ान ने कहा, कि 'हमारे रिश्तेदार बिलाल ख़ान कुछ दिन पहले कराची से आए थे. वह बर्फ़बारी देखने के लिए मरी जाना चाहते थे. असद ख़ान ने जब बर्फ़बारी की ख़बर सुनी तो उनकी इच्छा पर उन्हें अपनी कार में ले कर गए थे.
उनका कहना है, कि "सवेरे जब वे मरी जा रहे थे, तो उन्होंने कहा था कि वे मरी में रात नहीं बिताएंगे हैं. वहां से हम एबटाबाद जाएंगे. रात को एबटाबाद या गल्यात के किसी होटल में रुकेंगे. उन्होंने ऐबटाबाद या गल्यात में रुकने के लिए किसी जगह की व्यवस्था की थी.
बाबर ख़ान का कहना है कि जब मैंने रात में उनसे संपर्क किया तो उन्होंने कहा, कि ''चिंता की कोई बात नहीं है. हम लोग ठीक हैं अगर रात कार में भी बितानी पड़ी तो ऐसी कोई बात नहीं है. कार में हीटर है हम इससे चालू कर लेंगे."
उन्होंने कहा कि जब उन्होंने आधी रात को फिर से बात की तो सुहैल ख़ान ने कहा, कि ''हम तो ठीक हैं लेकिन कई गाड़ियों में लोगों की हालत ख़राब है.'' हमारे पास खाने पीने की कुछ चीज़ें थी जो हमने लोगों को दे दी हैं.
"समझ नहीं आता कि कैसे इन महिलाओं और बच्चों की मदद करें जो फंसे हुए हैं." (bbc.com)
लंदन, 9 जनवरी| ब्रिटेन के एक वैज्ञानिक का कहना है कि अधिक संक्रामक लेकिन कम गंभीरता वाला ओमिक्रोन वेरिएंट भविष्य में कोरोना महामारी से निपटने में उम्मीद की पहली किरण हो सकता है।
भविष्य में यह सामान्य सर्दी जुकाम वाले विषाणु की तरह कम गंभीरता वाले कोरोना वायरस के रूप में अस्तित्व में रह सकता है।
वैज्ञानिक महामारी इन्फ्लुएंजा समूह मॉडलिंग (स्पि-एम) के सदस्य और वारविक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ माइक टिल्डस्ले के हवाले से समाचार पत्र "द गर्जियन " ने बताया कि ओमिक्रोन एक संकेतक हो सकता है कि लोग कोविड के साथ एक स्थानीय बीमारी के रूप में रह सकते हैं।
टाइम्स रेडियो ने उनके हवाले से बताया " लेकिन जैसा कि ब्रिटेन में कोविड के मामले बढ़ते जा रहे है और जितने लोग अस्पताल में इस समय भर्ती हैं वह लगभग एक साल में सबसे अधिक है। भविष्य में जो चीज हो सकती है, वह यह है कि आप एक नए कोरोना वेरिएंट को देख सकते है ं जो कम गंभीर हो लेकिन वह स्थानीय आबादी में लंबे समय तक बना रह सकता है। अंतत:, लंबी अवधि में, क्या होता है कि कोविड स्थानिक हो जाता है और उसकी घातकता कम हो जाती है और यह आम सर्दी जुकाम के विषाणु जैसा ही हो सकता है जिसके साथ हम कई सालों से जी रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि संभवत: ओमिक्रोन उम्मीद की पहली किरण है जो बताती है कि यह लंबी अवधि में हो सकता है। यह निश्चित रूप से डेल्टा की तुलना में बहुत अधिक संक्रामक है, लेकिन बहुत कम गंभीर है ।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार,छह जनवरी को ब्रिटेन के अस्पतालों में कुल 18,454 लोग कोविड संकमण से ग्रस्त थे और यह सप्ताह-दर-सप्ताह 40 प्रतिशत की वृद्धि है तथा पिछले वर्ष 18 फरवरी के बाद से सबसे अधिक संख्या है।
इस बीच, टीकाकरण और टीकाकरण पर संयुक्त समिति ने देश के निवासियों और 80 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की देखभाल के लिए वैक्सीन का दूसरा बूस्टर, या चौथी डोज नहीं देने की सलाह दी है, जबकि आंकड़े बताते हैं कि यह अस्पताल में प्रवेश को रोकने में 90 प्रतिशत प्रभावी था।
अब विशेषज्ञ पहली बूस्टर डोज की शुरूआत को प्राथमिकता देना चाहते हैं और उन लोगों को प्रोत्साहित करना चाहते हैं जिन्हें अभी भी पहली और दूसरी डोज नहीं दी गई है। (आईएएनएस)
काठमांडू, 9 जनवरी| नेपाल सरकार ने 17 जनवरी से सरकारी कार्यालयों, होटलों, रेस्तरां, सिनेमा हॉल, स्टेडियम, घरेलू उड़ानों, बैंकों और अन्य सार्वजनिक स्थानों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर प्रवेश करने के लिए टीकाकरण कार्ड अनिवार्य करने का फैसला किया है। तेजी से फैल रहे ओमिक्रॉन वायरस से निपटने के लिए यह फैसला लिया गया है। नेपाल में पिछले एक सप्ताह में कोविड के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है।
पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1,167 मामले दर्ज किए गए।
एक उच्चस्तरीय कोविड संकट प्रबंधन केंद्र ने देश के अंदर कोविड महामारी पर अंकुश लगाने के लिए अपने कई निर्णय जारी किए हैं।
सीसीएमसी ने फरवरी तक सभी स्कूलों को बंद करने का फैसला किया है।
रविवार को हुई सीसीएमसी की बैठक में प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों के लिए इस फैसले को प्रभावी बनाया गया। सीसीएमसी की प्रवक्ता सुनीता नेपाल ने कहा कि बैठक में 29 जनवरी तक शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने का फैसला किया गया है। नेपाल ने कहा, "इस कदम से संक्रमण की चेन टूटने की उम्मीद है।"
इसी तरह, सरकार ने भी सभी घरेलू उड़ानों में कोविड के खिलाफ टीकाकरण कार्ड ले जाना अनिवार्य कर दिया है।
नेपाल का कहना है, "कई स्कूलों ने अपने छात्रों को शीतकालीन अवकाश दिया है, इसलिए हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोई भी बच्चा ऐसे समय में घर से बाहर न जाए, जब मामले हर दिन बढ़ रहे हों। हमें उम्मीद है कि इससे हमें वायरस की चेन तोड़ने में मदद मिलेगी।"
यह भी कहा कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि विभिन्न जिले कोविड-19 को तेजी से फैलने से रोकने के लिए एक स्मार्ट लॉकडाउन लागू करेंगे।
सीसीएमसीसी ने भी सभी छात्रों से इस मौके का लाभ उठाने और टीका लगवाने का आग्रह किया है। राजधानी काठमांडू में रविवार से ही 12 से 17 साल के बच्चों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू हो गया है।
इसी तरह, सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर 25 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया है और सामूहिक सभाओं और सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। (आईएएनएस)
-हमजा अमीर
इस्लामाबाद, 9 जनवरी| जहां क्रिप्टो करेंसी तेजी से वैश्विक वित्तीय निवेशों को ओवरलैप कर रही है, वहीं लोगों को ऑनलाइन निवेश करने के लिए फुसलाया जा रहा है और घोटाला किया जा रहा है।
पाकिस्तान में एक क्रिप्टो एक्सचेंज कंपनी बिनेंस पाकिस्तान ने स्थानीय लोगों को क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने का लालच दिया, जिससे उन्हें 10 करोड़ डॉलर की भारी धोखाधड़ी का पता चला। संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने इस मामले पर ध्यान दिया है और घोटाले के संबंध में बिनेंस को नोटिस जारी किया है, जिसके परिणामस्वरूप क्रिप्टो मुद्रा विनिमय के माध्यम से देश का सबसे बड़ा घोटाला हुआ है।
एफआईए के निदेशक इमरान रियाज ने कहा, "आयोजकों ने क्रिप्टो मुद्रा का इस्तेमाल किया। हमने नौ ऑनलाइन आवेदनों का उपयोग करके अरबों रुपये की धोखाधड़ी के संबंध में शिकायतें प्राप्त करने के बाद एक जांच शुरू की है।"
विवरण के अनुसार, बिनेंस, (जिसे धोखेबाज के रूप में जाना जाता है) ने अपने निवेश पर मुनाफे के आकर्षक प्रस्तावों के माध्यम से स्थानीय लोगों को क्रिप्टो मुद्रा विनिमय में निवेश के अवसर प्रदान करने वाले मोबाइल एप का इस्तेमाल किया।
अनुमानों के अनुसार, लोगों ने 100 डॉलर और 80,000 डॉलर के बीच भेजा, जिससे प्रति व्यक्ति औसतन 2400 डॉलर तक पहुंचता है। निवेशकों द्वारा खुद को पंजीकृत करने और आवेदन से जुड़े खातों में धन हस्तांतरित करने के बाद पैसा बिनेंस वॉलेट में भेजा गया था।
धोखाधड़ी का पता तब चला, जब कई निवेशक एक दर्जन से अधिक ऐप के बारे में शिकायत लेकर अधिकारियों के पास पहुंचे, जिन्होंने अचानक काम करना बंद कर दिया था।
अधिकारियों ने कहा, "जांच के दौरान, यह पाया गया कि एमसीएक्स, एचएफसी, एचटीएफएक्स, एफएक्ससीओपीवाई, ओकेमिनी, बीबी001, एवीजी86सी, बीएक्स66, 91एफपी, टास्कटोक जैसे विभिन्न एप्लिकेशन के फर्जी खाते बिनेंस वॉलेट से जुड़े थे।"
अधिकारियों ने कहा, "प्रत्येक ऐप में कम से कम 5,000 ग्राहक थे।"
एफआईए ने हमजा खान नाम के एक व्यक्ति को नोटिस जारी किया है, जिसे पाकिस्तान में बिनेंस के प्रतिनिधि के रूप में पहचाना गया है, उसे 10 जनवरी, 2022 को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए बुलाया गया है।
एफआईए के एक अधिकारी ने कहा, "एफआईए साइबर क्राइम सिंध ने बिनेंस पाकिस्तान के महाप्रबंधक/विकास विश्लेषक हमजा खान को बिनेंस के साथ धोखाधड़ी ऑनलाइन निवेश मोबाइल एप्लिकेशन के संबंध पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए उपस्थिति का आदेश जारी किया है। इसे समझाने के लिए बिनेंस मुख्यालय केमैन आइलैंड्स और बिनेंस यूएस को एक प्रासंगिक प्रश्नावली भी भेजी गई है।"
बिनेंस होल्डिंग्स लिमिटेड को इन ब्लॉक चेन वॉलेट खातों का विवरण अलग से देने के साथ-साथ उन्हें तत्काल प्रभाव से ब्लॉक करने की सूचना देने के लिए एक पत्र भी भेजा गया है।
एफआईए ने कहा, "हमने कॉइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के साथ ऐप्स के एकीकरण के बारे में समर्थन दस्तावेज और जानकारी का भी अनुरोध किया है।"
बिनेंस नए अनियमित वर्चुअल मुद्रा विनिमय है, जिसमें पाकिस्तानियों ने लाखों का निवेश किया है। एफआईए ने चेतावनी दी है कि गैर-अनुपालन से स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के माध्यम से वित्तीय दंड लगाने की सिफारिश की जा सकती है।
एफआईए सोशल मीडिया प्रभावितों को भी नोटिस भेज रही है, जो एप्स का प्रचार कर रहे हैं।
देश में क्रिप्टो करेंसी का व्यापार प्रतिबंधित है। हालांकि, प्रतिबंध के बावजूद, रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तानियों ने क्रिप्टो संपत्ति में लगभग 20 अरब डॉलर का निवेश किया है। (आईएएनएस)
काठमांडू, 9 जनवरी | नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा अपने करीबी संपर्कों को कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद आइसोलेशन में चले गए हैं।
प्रधानमंत्री सचिवालय ने पुष्टि की कि देउबा रविवार को एक कोविड टेस्ट से गुजरेंगे।
सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल भी कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद शनिवार को आइसोशन में चले गए हैं।
देउबा और दहल दो दिन पहले बालूवतार में हुई एक उच्च स्तरीय राजनीतिक बैठक में शामिल हुए थे।
दहल के सचिवालय ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, "कल (शुक्रवार) शाम पार्टी अध्यक्ष कोरोना पॉजिटिव पाया गए।"
"चूंकि वह डॉक्टर की सलाह के अनुसार आइसोलेशन में है, इसलिए उसके सभी निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं।"
3 जनवरी को पार्टी अध्यक्ष के रूप में फिर से चुने जाने के बाद, दहल अपने आवास पर कई नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।
माओवादी पार्टी के कई शीर्ष नेता भी पॉजिटिव पाए गए हैं।
कुल 24 ओमिक्रॉन संक्रमणों के साथ, नेपाल में कोरोना मामलों में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है। (आईएएनएस)
तेहरान, 9 जनवरी| 2015 के परमाणु समझौते के लिए ईरान और अन्य पक्षों के विशेषज्ञों की भागीदारी के साथ शनिवार को ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में प्रतिबंध हटाने पर एक बैठक हुई। ये जानकारी ईरान के विदेश मंत्रालय ने दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने मंत्रालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए शनिवार को प्रतिनिधिमंडल के प्रमुखों के स्तर पर भी द्विपक्षीय और बहुपक्षीय रूप से बातचीत जारी रखी है।
पिछले दो दिनों में, ईरानी परमाणु समझौते को पुर्नजीवित करने के उद्देश्य से वार्ता हुई, जिसे संयुक्त व्यापक कार्य योजना के रूप में भी जाना जाता है, जो विभिन्न स्तरों और रूपों में आयोजित की गई है।
ईरान की तसनीम समाचार एजेंसी के अनुसार, संभावित सौदे के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए गारंटी के मुद्दे के लिए वियना वार्ता में तंत्र मेज पर हैं और इस तरह के तंत्र के विवरण के बारे में चर्चा हो रही है।
एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा प्रतिबंधों को इस तरह से हटाने का सत्यापन है कि ईरान प्रतिबंधों को हटाने से प्रभावी, व्यावहारिक और सत्यापन योग्य तरीके से लाभान्वित हो सके।
तस्नीम ने यह भी बताया कि वियना वार्ता में अमेरिकी कार्रवाई की एक सूची तैयार की जा रही है। (आईएएनएस)