अंतरराष्ट्रीय
कई उड़ानें या तो रद्द कर दी गईं या उनका समय बदला गया. हालांकि अमेरिकी सेवा प्रदाताओं ने कहा है कि वे 5जी सेवाएं एकदम शुरू नहीं करेंगे.
अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने चेतावनी जारी की थी कि 5जी सेवा उड़ानों में बाधा डाल सकती है क्योंकि इससे उड़ानों की ऊंचाई की गणना में गड़बड़ी हो सकती है. कुछ विमानों के खराब मौसम में उतरने के वक्त ऊंचाई एक अहम भूमिका अदा करती है. जानकारों का कहना है कि बोइंग 777 विमानों को सबसे ज्यादा खतरा है.
वैसे अमेरिकी कंपनियों एटी एंड टी और वेरिजोन ने ऐलान किया था कि वे एयरपोर्ट के नजदीक वाले 5जी टावर्स से सेवाएं शुरू करने में जल्दबाजी नहीं करेंगी और इसे टाला जाएगा लेकिन बहुत सी एयरलाइंस ने उड़ानें रद्द कर दीं.
डेल्टा एयरलाइंस ने कहा, "वैसे तो यह अच्छी बात है और इससे आमतौर पर विमानों की आवाजाही में होने वाली बाधाएं कम होंगी. लेकिन कुछ रुकावटें जारी रह सकती हैं.”
कई देशों से उड़ानें रद्द
बोइंग 777 इस्तेमाल करने वाली सबसे बड़ी एयरलाइंस दुबई की एमिरेट्स है. उसने कहा कि 19 जनवरी से नौ अमेरिकी शहरों को उसकी उड़ानें रद्द रहेंगी. न्यूयॉर्क, लॉस एंजेलिस और वॉशिंगटन डीसी को एमिरेट्स की उड़ानें जारी रहेंगी.
जापान की दो प्रमुख कंपनियों ऑल निपोन एयरवेज और जापान एयरलाइंस ने भी अपने बोइंग 777 विमानों की उड़ानें रोक दी हैं. एएनए ने कहा कि अमेरिका को जाने वाली उड़ानें या तो रद्द की जा रही हैं या फिर उनमें प्रयोग विमान बदले जा रहे हैं. जापान एयरलाइंस ने कहा कि जब तक सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो जाती, वह अमेरिका की उड़ानों में बोइंग 777 का इस्तेमाल नहीं करेगी.
भारत की एयर इंडिया की अमेरिकी उड़ानें भी इस कारण प्रभावित हुई हैं. एयर इंडिया चार अमेरिकी शहरों के लिए बोइंग 777 का इस्तेमाल करती है. एयरलाइंस ने कहा कि या तो ये उड़ानें रद्द की जाएंगी या फिर विमान बदले जाएंगे.
बोइंग के आल्टीमीटर पर असर
कोरियन एयरलाइंस ने कहा कि उसने अमेरिका को जाने वालीं छह यात्री और मालवाहक उड़ानों के लिए विमान बदल लिए हैं. एयरलाइंस ने कहा कि वे बोइंग द्वारा जारी एक नोटिस के चलते ऐसा कर रहे हैं. इस नोटिस में बताया गया है कि 5जी सिग्नल बोइंग 777 के आल्टीमीटर को प्रभावित कर सकता है. बोइंग ने इस बारे में फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है.
पिछले साल अमेरिका को आने जाने वाली उड़ानों में बोइंग 777 दूसरा सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला विमान था. फ्लाइटरेडार24 नाम संस्था के मुताबिक बोइंग 777 ने अमेरिका से दो लाख 10 हजार उड़ानें भरीं. इससे ज्यादा सिर्फ बोइंग 767 की उड़ानें थीं. किसी विमान का आल्टीमीटर उसकी जमीन से ऊंचाई बताता है और स्वचालित लैंडिंग में मदद करता है.
विकल्प क्या है?
लॉस एंजेलिस को लंदन से रोजाना उड़ान संचालित करने वाली ब्रिटिश एयरवेज ने कहा है कि वह एयरबस ए380 का इस्तेमाल कर रही है. फ्लाइटरेडार का कहना है कि ए350 भी इस्तेमाल किया जा सकता है. एयरबस के इन दोनों विमानों के आल्टीमीटर सुरक्षित बताए गए हैं जबकि अन्य विमानों की जांच की जा रही है.
फ्लाइटरेडार24 के एक प्रवक्ता के मुताबिक बोइंग 777 लंबी दूरी की यात्राओं लिए बेहद उपयुक्त माना जाता है. हालांकि 5जी के कारण सभी 777 विमान प्रभावित नहीं हुए हैं. एमिरेट्स ने कहा है कि वह लॉस एंजेलिस और न्यूयॉर्क लिए ए380 का प्रयोग करेगी जबकि वॉशिंगटन के लिए 777 का इस्तेमाल जारी रखेगी.
वीके/सीके (रॉयटर्स, एपी)
इंडोनेशिया ने नई राजधानी बनाने को मंजूरी दे दी है. नई राजधानी जकार्ता से 2,000 किलोमीटर दूर बोर्नियो द्वीप पर कालीमंतान के जंगलों में बनाई जाएगी.
इंडोनेशिया की संसद ने मंगलवार को उस बिल को पास कर दिया है जिसके तहत नई राजधानी बनाने की प्रक्रिया को मंजूरी मिल गई है. देश डूबते और प्रदूषित हो चुके जकार्ता से राजधानी को दूर ले जाना चाहता है.
देश की मौजूदा राजधानी जकार्ता एक भीड़-भाड़ भरा, तंग और प्रदूषित शहर हो चुका है. यहां बार-बार बाढ़ आती है और शहर अक्सर डूब जाता है. इस कारण प्रशासन के कामकाज पर भी असर होता है. यहां करोड़ लोग रहते हैं.
मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी बिल पास हो गया. इसमें राष्ट्रीय राजधानी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दी गई है. बिल में बताया गया है कि नई राजधानी बनाने के लिए सुनिश्चित 32 अरब डॉलर किस तरह खर्च किए जाएंगे.
प्रधानमंत्री सुहार्सो मोनॉर्फा ने कहा कि नई राजधानी देश की पहचान होगी. उन्होंने कहा, "नई राजधानी का मुख्य मकसद होगा कि यह देश की पहचान बनेगी. साथ ही यह आर्थिक गुरुत्वाकर्षण का केंद्र भी बनेगी.”
कब शुरु हुआ नई राजधानी का काम
नई राजधानी का प्रस्ताव सबसे पहले राष्ट्रपति जोको विडोडो ने अप्रैल 2019 में दिया था. इसका निर्माण कार्य 2020 में शुरू होना था लेकिन कोरोना वायरस महामारी की वजह से ऐसा हो नहीं पाया. अब 2022 में निर्माण कार्य जोरों से होने की संभावना है. 2024 तक सड़क और बंदरगाहों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
इंडोनेशिया के वित्त मंत्रालय का कहना है कि कुछ परियोजनाओं को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत पूरा किए जाएगा. मंगलवार के मतदान से पहले राष्ट्रपति विडोडो ने कहा, "नई राजधानी एक ऐसी जगह होगी जहां लोग हर जगह के करीब होंगे. वे साइकिल पर या पैदल भी एक जगह से दूसरी जगह जा सकेंगे और कार्बन उत्सर्जन शून्य होगा.”
विडोडो ने कहा कि राजधानी में सिर्फ सरकारी दफ्तर नहीं होंगे. उन्होंने कहा, "हम ऐसे स्मार्ट मेट्रो शहर बनाना चाहते हैं जो अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं को आकर्षित करेंगे और इनोवेशन के केंद्र होंगे.”
सरकार ने जो विजन डॉक्युमेंट जारी किया है उसमें भी कहा गया है कि नई राजधानी इंडोनेशिया को एक अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक मार्गों, निवेश और तकनीकी विकास के रणनीतिक केंद्र में लाएगी.
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)
हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला बुरांश का फूल कोरोना की रोकथाम में मददगार साबित हो सकता है. आईआईटी मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी ने यह नई रिसर्च की है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
बुरांश का वैज्ञानिक नाम रोडोड्रेंड्रॉन अर्बोरियम है. इसके फूल के अर्क का इस्तेमाल पहाड़ पर रहने वाले लोग पीने के लिए करते हैं. पहाड़ पर रहने वाले लोग फूल के जूस का इस्तेमाल तमाम अन्य प्राकृतिक इलाज के तौर पर भी करते हैं. अब इसको लेकर वैज्ञानिकों ने एक नया शोध किया है जिसमें पाया गया है बुरांश की पंखुड़ियों के अर्क ने कोविड-19 वायरस को बनने से रोका है.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी) के शोधकर्ताओं ने इस हिमालयी फूल की पंखुड़ियों में फाइटोकेमिकल्स की पहचान की है, जो संभवत कोविड-19 संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं.
फूल से इलाज
अब शोध टीम बुरांश की पंखुड़ियों से हासिल विशिष्ट फाइटोकेमिकल्स से कोविड-19 का रेप्लिकेशन रोकने की सटीक प्रक्रिया समझने की कोशिश कर रही है. आईआईटी मंडी और आईसीजीईबी के शोधकर्ताओं ने बुरांश की पंखुड़ियों में फाइटोकेमिकल्स की पहचान की है. इसमें कोविड-19 के संक्रमण के इलाज की संभावना सामने आई है. शोध टीम के निष्कर्ष हाल ही में बायोमॉलिक्युलर स्ट्रक्चर एंड डायनेमिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं.
आईआईटी मंडी स्कूल ऑफ बेसिक साइंस में एसोसिएट प्रोफेसर श्याम कुमार मसाकापल्ली के मुताबिक, "उपचार के विभिन्न एजेंटों का अध्ययन किया गया जा रहा है. उनमें पौधे से प्राप्त रसायन फाइटोकेमिकल्स से विशेष उम्मीद है क्योंकि उनके बीच गतिविधि में सिनर्जी है और प्राकृतिक होने के चलते विषाक्त करने की कम समस्याएं पैदा होती हैं. हम बहु-विषयी दृष्टिकोण से हिमालयी वनस्पतियों से संभावित अणुओं की तलाश कर रहे हैं."
पंखुड़ियों में वायरस रोधी गुण
आईआईटी मंडी और आईसीजीईबी के वैज्ञानिकों ने वायरस रोकने के मद्देनजर शोध में विभिन्न फाइटोकेमिकल्स युक्त अर्क का वैज्ञानिक परीक्षण किया. उन्होंने बुरांश की पंखुड़ियों से फाइटोकेमिकल्स निकाले और इसके वायरस रोधी गुणों को समझने के लिए जैव रासायनिक परीक्षण और कंप्यूटेशनल सिमुलेशन का अध्ययन किया.
आईसीजीईबी के रंजन नंदा ने बताया, "हमने हिमालय की वनस्पतियों से प्राप्त रोडोड्रेंड्रॉन अर्बोरियम की पंखुड़ियों के फाइटोकेमिकल का प्रोफाइल तैयार किया और परीक्षण किया. इनमें कोविड वायरस से लड़ने की उम्मीद दिखी है."
इन पंखुड़ियों के गर्म पानी के अर्क में प्रचुर मात्रा में क्विनिक एसिड और इसके डिरेवेटिव पाए गए. मौलिक मॉलिक्युलर गतिविधि के अध्ययनों से पता चला है कि यह फाइटोकेमिकल्स वायरस से लड़ने में दो तरह से प्रभावी है. यह मुख्य प्रोटीन से जुड़े जाते हैं जो एक एंजाइम है और वायरस रेप्लिका बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह मानव एनजियोटेंनिस परिवर्तित एंजाइम 2 से भी जुड़ता है जो होस्ट सेल में वायरस के प्रवेश की मध्यस्थता करता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक नतीजे आगे के वैज्ञानिक अध्ययन की तत्काल आवश्यकता का समर्थन करते हैं. (dw.com)
कारेक्स बेरहाड दुनिया की सबसे बड़ी कंडोम निर्माता कंपनी है. यह हर साल करीब साढ़े पांच करोड़ कंडोम का निर्माण करती है. एक आंकड़े के मुताबिक दुनिया में बिकने वाला हर पांचवां कंडोम इसी कंपनी का बनाया होता है.
डॉयचे वैले पर अविनाश द्विवेदी की रिपोर्ट-
दुनिया की सबसे बड़ी कंडोम निर्माता कंपनी कारेक्स बेरहाड के सीईओ गो मिया कियाट ने महामारी के दौरान कंडोम की बिक्री में समस्याएं आने की बात कही है. जापानी अखबार निक्केई को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि इस दौरान कंडोम की बिक्री 40 फीसदी तक लुढ़की. हालांकि साल 2020 के शुरुआती महीनों में उन्हें कोरोना महामारी के दौरान कंडोम की बिक्री में भारी बढ़ोतरी होने की आशा जताई थी.
महामारी के शुरुआती दौर में ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "लोगों के पास घरों पर करने के लिए सेक्स के सिवाए कुछ नहीं है." गो का यह भी मानना था कि महामारी का दौर स्वास्थ्य से जुड़ी अनिश्चितताओं का भी दौर है और यह गिरती जन्मदर से भी जुड़ेगा. ऐसे में भी कंडोम जैसे गर्भनिरोधक उपायों की मांग में बढ़ोतरी होने की आशा थी. ऐसे में उन्होंने कंडोम की मांग में दहाई अंकों में बढ़ोतरी की आशा जताई थी.
क्या रही कंडोम बिक्री में गिरावट की वजह
गोह ने बिक्री में गिरावट की तीन वजहें गिनाई हैं. बढ़े मनोवैज्ञानिक तनाव के चलते लोगों में सेक्स की इच्छा खत्म होने के अलावा वे छोटे होटलों के बंद होने, सेक्स वर्क पर लगी पाबंदियों और सरकारों की ओर से कंडोम की बिक्री में गिरावट को मांग में कमी की वजह बताते हैं.
उन्होंने कहा, "होटलों का बंद होना, खासकर गरीब देशों में बिक्री गिरने की वजह रहा. क्योंकि गरीब देशों में छोटे होटलों जैसी जगहों पर ऐसी अंतरंग गतिविधियां होती हैं. वहीं दुनिया भर में सरकारें बहुत सारे कंडोम बांटती हैं." उदाहरण के तौर पर ब्रिटेन ने अपने नेशनल हेल्थ सर्विस कार्यक्रम (एनएचएस) को आंशिक तौर पर बंद कर रखा है. सरकारें और गैर-सरकारी संगठन हर साल अरबों की संख्या में कंडोम की खरीददारी करते हैं.
हालांकि भारत जैसे देश में ग्राहकों को इस कमी का ज्यादा सामना नहीं करना पड़ा. उत्तर प्रदेश के शहर कानपुर में ड्यूरेक्स कंडोम की सप्लाई करने वाले अखिलेश ने बताया, "महामारी के शुरुआती दौर में सप्लाई से जुड़ी कुछ समस्याएं हुई थीं लेकिन यह ज्यादा दिन नहीं रहीं."
कच्चे माल और सप्लाई चेन में भी समस्या
मलयेशिया कंडोम निर्माण में अग्रणी है क्योंकि कंडोम निर्माण के लिए सबसे जरूरी कच्चा माल रबड़ यहां सबसे ज्यादा होता है. लॉकडाउन के चलते रबड़ सप्लाई में भी समस्याएं आईं क्योंकि रबड़ के काम को अति आवश्यक सेवाओं से बाहर रखा गया था. सप्लाई चेन से जुड़े ऐसे ही दुष्प्रभाव अन्य कंडोम निर्माता कंपनियों को भी देखने पड़े. कोरोना महामारी की शुरुआत में यूएन पॉपुलेशन फंड ने भी कहा था कि कोरोना के दौर में उन्हें पहले के मुकाबले 50 से 60 फीसदी कंडोम ही मिल पा रहे थे.
इस दौरान ज्यादातर कच्चे माल की तरह रबड़ के दामों में भी भारी अनियमितता देखने को मिली. अप्रैल, 2020 के मुकाबले मार्च, 2021 में रबड़ के दाम करीब दोगुने हो गए. कोरोना के दौरान अन्य रबड़ उत्पाद भी मांग में रहे. हालांकि गो साल 2022 में कंडोम की मांग में वापसी की उम्मीद जता रहे हैं. कारेक्स बेरहाड कंपनी के प्रमुख ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा है, "हमें फिर से मांग दिख रही है. कई सरकारें फिर से कंडोम का संग्रह करना चाह रही हैं." गो को मुनाफे में भी बढ़ोतरी की आशा है क्योंकि अब ग्राहक ज्यादा महंगे उत्पाद खरीद रहे हैं. (dw.com)
व्हाइट हाउस ने कहा है कि रूस ने यूक्रेन की सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिक भेजे हैं और वो 'किसी भी वक्त यूक्रेन पर हमला कर सकता है.' व्हाइट हाउस प्रवक्ता जेन साकी ने कहा कि यूक्रेन के लिए हालात बेहद ख़तरनाक बन रहे हैं.
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मंगलवार को इस मुद्दे पर अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लेवरॉव से चर्चा की है और दोनों नेताओं में जल्द जेनेवा में मुलाक़ात करने पर सहमति बनी है.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार ये मुलाक़ात शुक्रवार को होनी है. इससे पहले ब्लिंकन यूक्रेन और यूरोपीय देशों के प्रतिनिधियों से मुलाकातें कर रहे हैं.
जेन साकी ने कहा, "हमारा मानना है कि स्थिति बेहद ख़तरनाक है. हम अब उस स्टेज पर हैं जहां रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है. अपने समकक्ष से चर्चा में विदेश मंत्री इस बात पर ज़ोर देंगे कि मामले को कूटनीतिक रास्ते से हल किया जाए. अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और रूसी नागरिकों को तय करना है कि वो आर्थिक प्रतिबंध चाहते हैं या नहीं."
इधर नेटो ने चेतावनी दी है कि अगर रूस ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की तो उसे इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी.
नेटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा है कि ये सैन्य गठबंधन यूक्रेन का साथ देगा और आत्मरक्षा के उसके हक़ का समर्थन करेगा.
उन्होंने रूस को चेतावनी दी कि यूक्रेन पर हमला किया तो उस पर आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वो रूस के साथ चर्चा करना चाहते हैं और उसकी सुरक्षा चिंताओं को समझना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, "मैं रूस और नेटो के सभी सदस्य देशों को भविष्य में होने वाली नेटो रूसी काउंसिल की बैठक में शामिल होने का न्योता देना चाहता हूं. हम सुरक्षा को लेकर रूस की चिंताओं के बारे में चर्चा करना चाहते हैं और उसका पक्ष समझना चाहते हैं. हम रास्ता तलाशना चाहते हैं ताकि रूस यूक्रेन पर हमला न करे."
इसी संवाददाता सम्मेलन में जर्मनी के चांसलर ओल्फ़ शोल्ज़ भी मौजूद था. उन्होंने कहा कि ऑर्गेनाइज़ेशन फ़ॉर सिक्योरिटी एंड कोऑपरेशन इन यूरोप (ओएससीई) के सदस्य के तौर पर हम चाहते हैं कि रूस सीमा पर तनाव कम करने की कोशिशें करे.
उन्होंने कहा, "हम सकारात्मक और स्थायी संबंध चाहते हैं और तनाव बढ़ाने में किसी की कोई दिलचस्पी नहीं है. ये ज़रूरी है कि रूस समेत हर सदस्य देश ओएससीई के मूल्यों का पालन करे और इसके प्रति अपनी प्रतिबद्धा दिखाए."
तनाव को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लेवरॉव ने कहा है कि रूस को ग़लत तरीके से पेश किया जा रहा है. उनका कहना है कि सीमा के पास सैनिकों का अभ्यास चल रहा है. लेकिन अमेरिका ने कहा है कि सैनिकों की संख्या 'सामान्य से अधिक है.'
उन्होंने कहा, "यूक्रेन के मामले में जर्मनी और रूस की समझ मिंस्क समझौते के दायरे में रहकर है, इसका कोई विकल्प नहीं है. तनाव के लिए रूस को ज़िम्मेदार ठहराना ग़लत है. हमने हाल के दिनों में ऐसा देखा है कि मिंस्क समझौते का पालन न करने के लिए रूस को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है. हमें उम्मीद है कि जर्मनी यूक्रेन में अपने पार्टनर्स से कहेगा कि वो इस समझौते का पूरी तरह पालन करें."
फ्रांस और जर्मनी की मध्यस्थता से यूक्रेन के डोनबास इलाक़े में जारी तनाव को ख़त्म करने के लिए 2014 में मिंस्क समझौता हुआ था.
रूस इस बात की गारंटी चाहता है कि यूक्रेन को कभी नेटो का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा.
ग़ौरतलब है कि रूस बड़ी मात्रा में जर्मनी को पाइपलाइन के ज़रिए गैस सप्लाई करता है और ये पाइपलाइन्स यूक्रेन से होकर गुज़रती हैं. अगर तनाव बढ़ा तो सप्लाई में बाधा आ सकती है. (bbc.com)
नई दिल्ली, 19 जनवरी| दुनिया भर में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 33.35 करोड़ से ज्यादा हो गए हैं। इस महामारी से अब तक कुल 55.5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई हैं जबकि 9.68 अरब से ज्यादा का वैक्सीनेशन हुआ है। ये आंकड़े जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने साझा किए हैं। बुधवार सुबह अपने नए अपडेट में, यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने बताया कि वर्तमान वैश्विक मामले 333,596,115, मरने वालों की संख्या 5,553,993 और टीकाकरण की कुल संख्या बढ़कर क्रमश: 9,685,515,903 हो गई है।
सीएसएसई के अनुसार, दुनिया के सबसे ज्यादा मामलों और मौतों 67,581,992 और 853,951 के साथ अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित देश बना हुआ है।
कोरोना मामलों में भारत दूसरा सबसे प्रभावित देश है, जहां संक्रमितों के 37,618,271 मामले हैं जबकि 486,761 लोगों की मौत हुई है, इसके बाद ब्राजील में संक्रमितों के 23,229,851 मामले हैं जबकि 621,803 लोगों की मौत हुई हैं।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार 50 लाख से ज्यादा मामलों वाले अन्य प्रभावित देश यूके (15,501,850), फ्रांस (14,284,535), रूस (10,682,826), तुर्की (10,682,826), इटली (9,018,425), स्पेन (8,518,975), जर्मनी (8,140,498), अर्जेटीना (7,318,305), ईरान (6,227,849) और कोलंबिया (5,596,917) हैं।
जिन देशों ने 100,000 से ज्यादा लोगों की मौतों का आंकड़ा पार किया है, उनमें रूस (316,168), मेक्सिको (301,469), पेरू (203,550), यूके (153,017), इंडोनेशिया (144,183), इटली (141,825), ईरान (132,113), कोलंबिया (131,268), फ्रांस (128,629), अर्जेटीना (118,420), जर्मनी (115,916), यूक्रेन (105,059) और पोलैंड (102,686) शामिल हैं। (आईएएनएस)
कानपुर, 19 जनवरी| अमेरिका के न्यू जर्सी में एक परिवार ने सीसीटीवी फुटेज देखकर कानपुर में अपने घर में चोरी की कोशिश को नाकाम करने में कामयाबी हासिल की। सीसीटीवी में बदमाशों को घर में घुसने की कोशिश करते देखा गया था। परिवार ने तुरंत कानपुर पुलिस को सूचित किया जो घर पहुंची और चोरों को पकड़ लिया।
सोमवार की देर रात जब न्यूजर्सी में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर 38 वर्षीय विजय अवस्थी को अपने मोबाइल फोन पर अलर्ट मिला। चकेरी थाना क्षेत्र के श्याम नगर स्थित अपने पुश्तैनी घर में लगे सीसीटीवी कैमरों और सेंसर से यह संकेत मिला था।
घर में घुसकर बदमाशों की लाइव फुटेज देख उसने पुलिस को सूचना दी। विजय ने घुसपैठियों को चेतावनी देने के लिए माइक विकल्प का भी इस्तेमाल किया लेकिन चेतावनी का उन पर कोई असर नहीं पड़ा। इसके बजाय उन्होंने सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए।
पुलिस जब घर पहुंची तो बदमाशों ने फायरिंग कर दी और जवाबी फायरिंग में एक घायल हो गया और उसे पकड़ लिया गया। अन्य भागने में सफल रहे।
गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान हमीरपुर जिले के रहने वाले सोनू के रूप में हुई है।
विजय की दो बहनें पूनम और प्रीति शहर के बर्रा इलाके में रहती हैं। घर की चाबियां दोनों के पास रहती हैं। पुलिस ने तुरंत उन्हें सामान की क्रॉस चेकिंग के लिए बुलाया।
डीसीपी पूर्व प्रमोद कुमार ने बताया कि एहतियात के तौर पर घर पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। घायल बदमाश की हालत में सुधार हो रहा है।
उन्होंने कहा कि हम उससे पूछताछ करेंगे और उसके साथियों के बारे में पता लगाएंगे जिन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
पुलिस ने कहा कि विजय के घर में एक किराएदार और कार्यवाहक भी रह रहे थे। लेकिन किराएदार कुछ दिन पहले अपने गांव चला गया था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 19 जनवरी| इमरान खान के लिए मुश्किलें बढ़ने के बीच पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) ने सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के खिलाफ विदेशी फंडिंग मामले से जुड़े सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों को सार्वजनिक करने का आदेश दिया है। डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, दस्तावेज कुछ हफ्ते पहले जारी ईसीपी जांच समिति की रिपोर्ट का हिस्सा थे, जिसे गुप्त रखा गया और रिपोर्ट के साथ जारी नहीं किया गया था।
सार्वजनिक किए जा रहे दस्तावेजों में 3 जुलाई, 2018 के अपने पत्र में पाकिस्तान राज्य के माध्यम से ईसीपी द्वारा मांगे गए सभी कागजात शामिल होंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सिकंदर सुल्तान राजा ने मंगलवार को आदेश पारित किया जब याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि रिपोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण हिस्सों को गुप्त रखा गया है और उनके मुवक्किल को उन तक पहुंच से वंचित किया जा रहा है।
सीईसी ने निर्देश दिया कि रिपोर्ट के किसी भी हिस्से को गोपनीय नहीं रखा जाना चाहिए और पूरी रिपोर्ट याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 18 जनवरी | पाकिस्तान में मंगलवार को बलूचिस्तान के बोलन जिले के मशकाफ इलाके में एक रेलवे ट्रैक के पास हुए विस्फोट में कम से कम पांच लोग घायल हो गए।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
धमाका तब हुआ, जब रावलपिंडी जा रही जाफर एक्सप्रेस इलाके से गुजर रही थी। ट्रेन क्वेटा से आ रही थी।
अधिकारी ने कहा कि विस्फोट से ट्रेन भी पटरी से उतर गई, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम पांच लोग घायल हो गए, जिन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया है।
पुलिस ने अभी तक घटना पर बयान जारी नहीं किया है।
इस बीच, बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री मीर अब्दुल कद्दोस बिजेंजो ने एक बयान में विस्फोट की कड़ी निंदा की और अधिकारियों को घटना में घायल हुए लोगों को तत्काल राहत मुहैया कराने का निर्देश दिया।
स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) मोहम्मद कासिम ने कहा कि पिछले साल 2 नवंबर को बलूचिस्तान के खारन जिले में एक विस्फोट में कम से कम 13 लोग घायल हो गए थे, जिनमें चार गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
यह विस्फोट सुरक्षा बलों के एक वाहन के इलाके से गुजरने के कुछ ही देर बाद हुआ। एसएचओ ने बताया कि बम एक मोटरसाइकिल में रखा गया था।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 19 जनवरी| पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख राशिद ने मंगलवार को कहा कि इस्लामाबाद में पुलिस परिसर पर हमला 'आतंकवादी करतूत है, डकैती नहीं'। यह संघीय राजधानी में आतंकवाद की शुरुआत का संकेत देता है। एक दिन पहले, इस्लामाबाद में हुई भारी गोलीबारी में एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। पुलिस के मुताबिक, दोनों हमलावरों को मार गिराया गया है।
मंत्री ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह चालू वर्ष की आतंक की पहली घटना थी और 'हमें बहुत सतर्क रहने की जरूरत है'।
इससे पहले, मंत्री ने इस घटना की जांच के आदेश दिए, क्योंकि भारी सुरक्षा वाली राजधानी में यह एक दुर्लभ सुरक्षा उल्लंघन था, जहां दर्जनों दूतावास थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि किसी भी समूह ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन पिछले साल अफगानिस्तान में संगठन की सत्ता में वापसी के बाद देश तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के फिर से सक्रिय हाने से पैदा हुए हालात से जूझ रहा है।
संघीय सरकार ने पिछले साल के अंत में घोषणा की थी कि उसने अफगानिस्तान के तालिबान द्वारा समर्थित टीटीपी के साथ एक महीना लंबा संघर्ष विराम किया है।
टीटीपी देशभर में सैकड़ों आत्मघाती बम हमलों और अपहरणों के लिए जिम्मेदार है। यह कुछ समय के लिए देश के ऊबड़-खाबड़ आदिवासी इलाकों पर हावी हो गया और इस्लामी कानून का एक कट्टरपंथी संस्करण लागू किया। (आईएएनएस)
काबुल, 18 जनवरी| अफगानिस्तान के पश्चिमी प्रांत बड़गीस में 5.6 तीव्रता के आए भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है। एक अधिकारी ने मंगलवार को इसकी पुष्टि की। बड़गीस प्रांत के सूचना और संस्कृति के निदेशक बाज मोहम्मद सरवरी ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ को बताया, "हमारे स्थानीय स्रोतों के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि कादिस जिले में सोमवार को आए भूकंप में 22 लोगों की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए।"
अधिकारी के अनुसार, पड़ोसी मुकुर जिले के साथ-साथ प्रांतीय राजधानी काला-ए-नौ में कादिस में कम से कम 1,000 घर नष्ट हो गए।
अधिकारी ने कहा, "स्थानीय अधिकारी बड़गीस में प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं और स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। वे प्रभावित लोगों को राहत सहायता पहुंचाने के काम में समन्वय स्थापित करने का प्रयास करेंगे।"
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे ने कहा कि तुर्कमेनिस्तान की सीमा से लगे काला-ए-नौ शहर से 40 किमी पूर्व में 5.6 की तीव्रता वाला भूकंप आया था।
10.0 किमी की गहराई के साथ भूकंप का केंद्र शुरू में 34.9479 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 63.5686 डिग्री पूर्वी देशांतर पर निर्धारित किया गया था।
क्षेत्र में भूकंप के बाद भी कई झटके महसूस किए गए। (आईएएनएस)
जानकारों का कहना है कि टोंगा में जो सुनामी आई थी उसकी वजह शॉक वेव या अंतर्जलीय भूस्खलन हो सकते हैं. वही अंतर्जलीय ज्वालामुखी एक दिन पहले भी फटा था और संभव है कि उसकी वजह से सुनामी हिस्सों में आई हो.
सुनामी टोंगा के 'हुंगा टोंगा-हुंगा हापई' अंतर्जलीय ज्वालामुखी के फटने के बाद आई थी. न्यूजीलैंड के भूवैज्ञानिक खतरों के निगरानी तंत्र जीएनएएस की वेबसाइट पर सोमवार को छपे एक लेख में लिखा गया, "ज्वालामुखी की वजह से सुनामी का आना दुर्लभ जरूर है पर अभूतपूर्व नहीं है."
जीएनएस के सुनामी ड्यूटी अफसर जोनाथन हैनसन का कहना है कि हो सकता है कि यह हिस्सों में हुआ हो क्योंकि वही ज्वालामुखी एक दिन पहले भी फट पड़ा था. उन्होंने वेबसाइट पर लिखा, "संभव है कि पहले वाले विस्फोट ने ज्वालामुखी के एक हिस्से को पानी के ऊपर फेंक दिया हो, जिसकी वजह से ज्वालामुखी के बहुत ही गर्म छेद में पानी घुस गया होगा."
दुनिया से कटा टोंगा
उन्होंने आगे लिखा, "इसका मतलब है कि दिन बाद जो विस्फोट हुआ वो शुरू में पानी के नीचे हुआ और फिर पूरे महासागर में फैल गया, जिसकी वजह से दूर दूर तक सुनामी आई." विस्फोट और सुनामी के तीन दिनों बाद तक टोंगा की 1,00,000 लोगों की आबादी बाकी दुनिया से अभी भी लगभग कटी ही हुई है.
संचार व्यवस्था पंगु हो गई है और आपात राहत कोशिशें भी रुकी हुई हैं. ज्वालामुखी ने टोंगा को राख की एक परत में ढंक दिया और हवा में 20 किलोमीटर ऊपर तक राख और गैस को फैला दिया. झटकों की ऐसी तरंगें भी बनीं जिन्हें अंतरिक्ष से पूरे ग्रह में फैलते हुए देखा गया.
इसकी वजह से पूरे प्रशांत महासागर इलाके में सुनामी आई जिसकी लहरें इतनी शक्तिशाली थीं कि 10,000 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर पेरू में दो महिलाएं डूब गईं. 'हुंगा टोंगा-हुंगा हापई' तथाकथित 'आग के गोले' में स्थित है जहां सरकती हुई टेक्टॉनिक प्लेटों के बीच दरार आने से भूकम्पीय गतिविधियां बढ़ जाती हैं.
कैसे आई सुनामी
जब ज्वालामुखी फटता है तो धरती की सतह की तरफ ऊपर आते हुए मैग्मा की वजह से ज्वालामुखी की गैसें निकलती हैं जो फिर बाहर की तरफ निकलने के रास्ते तलाशती हैं. इससे एक दबाव बनता है. ये गैसें जब पानी तक पहुंचती हैं तो पानी वाष्प बन जाता है, जिससे दबाव और बढ़ जाता है.
ऑस्ट्रेलिया के मोनैश विश्वविद्यालय में ज्वालामुखी विशेषज्ञ रे कैस कहते हैं कि उन्हें संदेह है कि धमाके की तीव्रता से संकेत मिलता है कि बड़ी मात्रा में गैस उस छेद से निकली.
उन्होंने कहा, "संभव है कि पानी से हो कर आगे जा रहीं झटकों की तरंगें सुनामी का कारण बन गई हों. लेकिन ज्यादा संभावना यह है कि वो उस भूस्खलन की वजह से आई हो जो विस्फोट की वजह से ज्वालामुखी के पानी के नीचे के हिस्से पर आया हो."
असाधारण विस्फोट
एक और संभावना यह है कि चूंकि ज्वालामुखी महासागर की सतह के ठीक नीचे है इस वजह से उसके फटने का असर और खराब हुआ. ज्वालामुखी करीब 5,900 फीट ऊंचा है और उसका लगभग पूरा हिस्सा महासागर की सतह के नीचे के डूबा हुआ है. उसके मुंह के किनारे ने एक द्वीप बना दिया है जिस पर कोई रहता नहीं है.
पेरिस में रहने वाले भूवैज्ञानिक रफाएल ग्रैंडिन कहते हैं, "जब गहरे सागर में विस्फोट होते हैं तो पानी उन्हें दबा देता है. जब वो हवा में होते हैं तो उसके जोखिम तात्कालिक इलाके में केंद्रित रहते हैं. लेकिन जब ये बस सतह के ही नीचे होते हैं तब सुनामी का खतरा सबसे ज्यादा होता है."
ग्रैंडीन ने बताया कि ऐसी भी खबरें आई हैं कि उस दिन हुए विस्फोट की आवाज यहां से 9,000 किलोमीटर दूर अलास्का तक में सुनाई दी. ग्रैंडिन कहते हैं कि यह असाधारण" है.
सीके/एए (एएफपी)
चीन के सरकारी चैनल पर दिखाई जा रही इस सीरीज में भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों का कथित कबूलनामा दिखाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि किस तरह वे लाखों-करोड़ों की रिश्वत लेते थे.
चीन की राजधानी बीजिंग में एक आलीशान ठिकाना. मछलियों, केकड़ों, झींगों जैसे सीफूड के बक्सों में छुपाए गए लाखों-करोड़ों डॉलर. ये सब चीन के सरकारी चैनल सीसीटीवी द्वारा प्रसारित की जा रही एक टीवी सीरीज का हिस्सा हैं. पांच किस्तों की इस सीरीज में भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों का कथित कबूलनामा दिखाया जा रहा है. यह सीरीज चीन की सरकार द्वारा चलाए जा रही भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का हिस्सा है. इन दिनों चीन में इस सीरीज की खूब चर्चा है.
10 लाख से अधिक अधिकारियों को मिल चुकी है सजा
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले कुछ सालों से भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी मुहिम चला रहे हैं. इसके तहत कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े कई लोग गिरफ्तार किए गए हैं. खबरों के मुताबिक, जिनपिंग के कार्यकाल में अब तक भ्रष्टाचार से जुड़े आरोपों के तहत 10 लाख से अधिक अधिकारियों को सजा दी जा चुकी है. आलोचकों का कहना है कि यह भ्रष्टाचार विरोधी अभियान 2013 में सत्ता संभालने के बाद से ही जिनपिंग के लिए अपने राजनीतिक दुश्मनों और आलोचकों को हटाने का भी जरिया बन रहा है.
पूर्व मंत्री का कबूलनामा भी शामिल
टीवी सीरीज में जिन आरोपी अधिकारियों के कथित कबूलनामे दिखाए जा रहे हैं, उनमें एक नाम पूर्व जन सुरक्षा मंत्री सन लिजुन भी शामिल हैं. हांगकांग में चले विरोध प्रदर्शनों और लोकतंत्र समर्थक अभियान के दौरान वहां की सुरक्षा का जिम्मा सन लिजुन पर ही था. उनपर कई आरोप हैं. इनमें रिश्वतखोरी, स्टॉक मार्केट में गड़बड़ करना, अवैध हथियार रखना और पैसा देकर सेक्स करने जैसे इल्जाम शामिल हैं.
सीसीटीवी पर दिखाई गई सीरीज के मुताबिक, सन ने करीब 1.4 करोड़ डॉलर की रिश्वत ली. सीरीज का दावा है कि उन्हें सीफूड के छोटे बक्से में छुपाकर रिश्वत पहुंचाई गई. आरोप है कि रिश्वत पहुंचाने वाले शख्स को लिजुन ने बाद में पूर्वी ज्यांगशु प्रांत का पुलिस प्रमुख बना दिया. सीरीज के एक एपिसोड में लिजुन को कहते दिखाया गया है, "मैंने उसकी मदद की."
पहले भी दिखाए जाते रहे हैं ऐसे कार्यक्रम
यह पहली बार नहीं है जब सीसीटीवी इस तरह के आरोपियों का कथित कबूलनामा प्रसारित कर रहा हो. वह पहले भी ऐसा करता रहा है. कई बार ऐसा भी हो चुका है कि आरोपी अधिकारियों को अदालत में पेश किए जाने से पहले ही सीसीटीवी पर उनका बयान दिखा दिया जाता है. इन बयानों में आरोपी खुद पर लगे आरोप स्वीकार करते नजर आते हैं. मानवाधिकार संगठन ऐसे मामलों की निंदा करते हैं.
इसी सीरीज के एक और एपिसोड में 'चाइना असोसिएशन फॉर साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी' के चेंग गांग का भी बयान दिखाया गया. गांग अभी कैद में हैं. आरोप है कि उन्होंने गलत तरीके से पैसे कमाए और, इन पैसों से 72 हजार वर्ग मीटर में फैला एक आलीशान घर बनवाया. इसमें स्विमिंग पूल और कृत्रिम समुद्र तट भी था. इस सीरीज में रिश्वतखोरी के आरोपी और भी कई पूर्व अधिकारियों को दिखाया गया है.
मौत की भी सजा
ऐसे मामलों में जिन आरोपियों पर आरोप साबित हो चुके हैं, उनकी सारी संपत्ति छीन ली गई है. साथ ही, उनकी कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता भी खत्म कर दी गई है. ऐसे लोगों को जीवन भर जेल में रहना होगा. यह भी संभव है कि उन्हें मौत की सजा दी जाए. सीरीज के दूसरे एपिसोड में वांग फुयू नाम के पूर्व अधिकारी का कथित कबूलनामा दिखाया गया था. इस एपिसोड के प्रसारित होने के एक दिन बाद ही फुयू को मौत की सजा सुना दी गई.
दर्शकों की प्रतिक्रिया
चीन में इस कार्यक्रम को करोड़ों दर्शक देख रहे हैं. वहां सोशल मीडिया पर इस सीरीज को लेकर काफी बातें हो रही हैं. लाखों लोग सोशल मीडिया पर इस सीरीज की समीक्षा में लगे हैं. ज्यादातर लोग आरोपियों द्वारा किए गए कथित भ्रष्टाचार से गुस्से में हैं. एक आरोपी अधिकारी के बयान पर प्रतिक्रिया करते हुए एक दर्शक ने सोशल मीडिया पर लिखा, "उसे देखकर ऐसा नहीं लग रहा था कि उसको अपने किए पर कोई पछतावा था. बल्कि वह तो आलीशान जिंदगी जी रहा था." कुछ लोगों ने यह आशंका भी जताई कि आरोपियों की कहानी दिखाते हुए इतनी ज्यादा दौलत दिखाने पर शायद कुछ लोग भ्रष्टाचार के लिए आकर्षित होंगे.
एसएम/एनआर (एएफपी)
जर्मनी आपसी बातचीत के जरिये विवाद सुलझाने की कोशिश कर रहा है. वह रूस के साथ बातचीत जारी रखने के पक्ष में है. साथ ही, वह नॉरमंडी फॉर्मेट के जरिये क्षेत्रीय सुरक्षा के मसले पर सभी पक्षों को साथ लाने की भी कोशिश में है.
जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने कहा है कि यू्क्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जर्मनी हर मुमकिन कोशिश करेगा. बेयरबॉक ने यह बात बतौर विदेश मंत्री अपनी पहली यूक्रेन यात्रा के दौरान यह बात कही. यूक्रेन के विदेश मंत्री के साथ बातचीत के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस में बेयरबॉक ने कहा "यूक्रेन की सुरक्षा के लिए हम हर संभव कोशिश करेंगे. यूरोप को सुरक्षित रखने के लिए जो करना पड़े, हम करेंगे."
यूक्रेन के बाद रूस से भी चर्चा
यूक्रेन सीमा पर रूस के साथ बने विवाद के बीच जर्मनी तनाव कम करने की कोशिश कर रहा है. इसी सिलसिले में बेयरबॉक यूक्रेन के बाद आज मॉस्को में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात करेंगी. रूस के साथ पश्चिमी देशों की हालिया बातचीत बेनतीजा रही थी.
जर्मनी ने कहा था कि वह रूस के साथ वार्ता जारी रखे जाने के पक्ष में है. दोनों देशों के अपने दौरे से पहले बेयरबॉक भी कह चुकी हैं कि वह आपसी बातचीत के जरिये मौजूदा संकट का हल निकालने की कोशिश करेंगी. हालांकि उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर रूस ने सेना का इस्तेमाल कर तनाव बढ़ाया, तो उसे ठोस प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ेगा.
क्या है नॉरमंडी फॉर्मेट?
बेयरबॉक से बातचीत के बाद यूक्रेन के विदेश मंत्री दमित्रो कुलेबा ने पत्रकारों से कहा कि दोनों देश इस संकट का कूटनीतिक समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा, "हमारा साझा लक्ष्य है कि नॉमंर्डी फॉर्मेट प्रभावी तरीके से अपनी भूमिका निभाए. और, नॉरमंडी फॉरमेट के नेता मिलकर इस मामले पर सम्मेलन करें." नॉरमंडी फॉर्मेट चार देशों का प्रतिनिधित्व करती है. ये देश हैं- जर्मनी, रूस, फ्रांस और यूक्रेन.
नॉरमंडी फ्रांस का एक इलाका है. जून 1944 में इसी जगह पर दूसरे विश्व युद्ध के समय की चर्चित डी-डे लैंडिंग हुई थी. अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने हवाई रास्ते से यहां अपने सैनिकों को यहां लैंड करवाया था. उस समय फ्रांस पर नाजियों का कब्जा था. डी-डैं लैंडिंग का मकसद था जर्मनी को हराना और यूरोप को आजाद कराना. इस दिन की याद में हर साल 6 जून को डी-डे की सालगिरह का जश्न मनाया जाता है. 2014 में डी-डे की 70वीं वर्षगांठ के मौके पर नॉरमंडी में आयोजन हुआ.
इसी मौके पर जर्मनी, फ्रांस, रूस और यूक्रेन के बीच एक अनाधिकारिक मुलाकात हुई. इसका मकसद था, पूर्वी यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को आपसी बातचीत से सुलझाना. इसी पृष्ठभूमि में इन चारों देशों की आपसी वार्ता को 'नॉरमंडी फॉर्मेट' का नाम मिला.
यूक्रेन के विदेश मंत्री ने और क्या कहा?
कुलेबा ने हालांकि यह भी दोहराया कि कि यूक्रेन पश्चिमी देशों से हथियार लेना चाहता है. इससे पहले दिसंबर 2021 में यूक्रेन ने आरोप लगाया था कि जर्मनी उसके पास नाटो के हथियार नहीं आने दे रहा है.
यूक्रेन ने कहा था कि वह ऐंटी-ड्रोन रायफल और ऐंटी-स्नाइपर सिस्टम खरीदना चाहता था. मगर जर्मनी ने वीटो लगाकर खरीद की उसकी योजनाओं को ब्लॉक कर दिया है. उस समय यूक्रेन ने यह भी कहा था कि जर्मनी खुद तो नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन बना रहा है, लेकिन वह यूक्रेन की सुरक्षा से जुड़े हथियारों की खरीद रोक रहा है.
रूस का बयान
बेयरबॉक से हुई मुलाकात के बाद दमित्रो कुलेबा ने पत्रकारों से कहा कि इस मुद्दे पर जर्मनी से उनकी वार्ता जारी रहेगी. उधर रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने बेयरबॉक से मुलाकात के पहले जारी अपने बयान में कहा कि प्रस्तावित मुलाकात में मौजूदा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तृत बातचीत होगी. मगर इन सबसे ऊपर रूस ने पश्चिमी देशों से जो सुरक्षा गारंटी मांगी है, उस पर भी बात होगी.
17 जनवरी को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान लावरोव ने कहा कि रूस अपनी मांगों का ठोस जवाब मिलने का इंतजार कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि रूसी नेतृत्व देश की सुरक्षा और अपने नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित रखने में पूरी तरह समर्थ है.
एसएम/एनआर (एएफपी)
ब्रिटेन ने कहा है कि वह यूक्रेन को एंटी-टैंक हथियारों की सप्लाई कर रहा है ताकि पूर्वी-यूरोपीय देश अपनी रक्षा कर सके. नाटो का कहना है कि रूस अब भी यूक्रेन की सीमा पर अपने सैनिकों का जमावड़ा बढ़ा रहा है.
रूस से हमले की आशंका झेल रहे यूक्रेन को युनाइटेड किंग्डम कई हथियारों की सप्लाई कर रहा है. सोमवार को ब्रिटेन ने कहा कि वह यूक्रेन को टैंक रोधी हथियारों की सप्लाई भेज रहा है. पश्चिम देशों का दावा है कि रूस यूक्रेन पर हमला करने की योजना बना रहा है. हालांकि रूस ने इन्हें बेबुनियाद आशंकाएं बताया है.
रूस 2014 में एक बार यूक्रेन पर हमला कर चुका है. उसका कहना है कि वह दोबारा हमला करने की कोई योजना नहीं बना रहा. हालांकि रूस ने यह भी कहा है कि पश्चिमी देश अगर उसकी मांगें नहीं मानते तो वह किसी तरह की सैन्य कार्रवाई कर सकता है. इन मांगों यह आश्वासन भी है कि यूक्रेन को कभी भी सैन्य संगठन नाटो का सदस्य नहीं बनाया जाएगा.
मदद मांग रहा है यूक्रेन
बढ़ते तनाव के बीच यूक्रेन ने पश्चिमी देशों से हथियारों देने की अपील की है. इस बारे में ब्रिटेन के रक्षा मंच्री बेन वॉलस ने संसद को बताया कि सोमवार को हथियारों की पहली खेप यूक्रेन को भेज दी गई है. उन्होंने कहा, "हमने यूक्रेन को हल्के टैंक रोधी रक्षा उपकरण देने का फैसला किया है.” उन्होंने कहा कि कुछ ब्रिटिश सैनिक इन हथियारों को चलाने की ट्रेनिंग उपलब्ध करवाएंगे.
वॉलस ने यह तो नहीं बताया कि कितने या किस-किस तरह के हथियार यूक्रेन को भेजे जा रहे हैं लेकिन उन्होंने कहा कि ये रणनीतिक हथियार नहीं हैं. वॉलस ने कहा, "ये रणनीतिक हथियार नहीं हैं और रूस को इनसे कोई खतरा नहीं हैं. ये सिर्फ आत्मरक्षा में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार हैं.”
वॉलस ने कहा कि इन हथियारों से यूक्रेन को अपनी रक्षा करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, "ये कम दूरी तक मार करने वाले हथियार हैं. फिर भी, इनके कारण लोग रुककर सोचेंगे कि वे क्या कर रहे हैं. अगर यूक्रेन में टैंक चढ़ाई करते हैं तो ये हथियार उनके रक्षा बंदोबस्त का हिस्सा होंगे.”
शांति की उम्मीद
यूक्रेन के रक्षा मंत्री ने ब्रिटेन की इस पहल का स्वागत किया है. ओलेक्साई रेजनिकोव ने एक ट्वीट कर कहा, "यूक्रेन ब्रिटेन के उस कदम की प्रशंसा करता है जिसके तहत हल्के टैंक रोधी रक्षा हथियार उपलब्ध करवाए गए हैं.”
ब्रिटेन ने पहले भी रूस को चेतावनी दी थी कि अगर वह यूक्रेन पर हमला करता है तो उसके गंभीर परिणाम होंगे. उसने यूक्रेन को नौसैनिक रक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए वित्तीय मदद की भी पेशकश की थी. वॉलस ने कहा कि उन्होंने रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोयगू को आने वाले हफ्तों में ब्रिटेन की यात्रा के लिए आमंत्रित किया है, हालांकि उन्हें नहीं पता कि उनका निमंत्रण स्वीकार होगा या नहीं.
शांति स्थापना की उम्मीद जताते हुए वॉलस ने कहा, "मौजूदा दूरी बहुत चौड़ी है, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसे पाटा नहीं जा सकता. यह राष्ट्रपति पुतिन का चुनाव है.”
वीके/एए (एपी, रॉयटर्स)
सना, 18 जनवरी | यमन में ईरान समर्थित हाउतियों मिलिशिया ने घोषणा की है कि उसने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में हवाई अड्डों और एक तेल रिफाइनरी पर कई हमलों में पांच बैलिस्टिक मिसाइल और कई विस्फोटक से भरे ड्रोन दागे थे। हाउति सेना के प्रवक्ता येह्या सारा ने सोमवार को एक बयान में कहा, "हमलों ने अबू धाबी और दुबई में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों के साथ-साथ अबू धाबी में तेल रिफाइनरी को निशाना बनाया।"
प्रवक्ता ने कहा, "अगर हम यमन में सैन्य वृद्धि जारी रखते हैं तो हम यूएई में और अधिक महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाने का संकल्प लेते हैं।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात के राज्य मीडिया ने सोमवार को पहले बताया कि अबू धाबी में औद्योगिक क्षेत्र में तीन तेल टैंकरों में छोटे ड्रोन की चपेट में आने के बाद विस्फोट हो गया।
इसने अबू धाबी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे में भी आग लगने की सूचना दी।
यूएई ने कहा कि उसने हाउति खतरे का जवाब देने के अधिकार सुरक्षित रखे हैं।
इस हमले की अरब और विदेशी देशों ने व्यापक निंदा की थी। (आईएएनएस)
सियोल, 18 जनवरी | सुविधा स्टोरों की बढ़ती संख्या और कोरोना वायरस महामारी के कारण दक्षिण कोरियाई इंस्टेंट फूड बाजार 2020 में 145 प्रतिशत से अधिक उछल गया। मंगलवार को दिखाए गए डाटा में इसकी जानकारी दी गई। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, दक्षिण कोरिया में रेडी-टू-ईट आइटम, जिसे होम मील रिप्लेसमेंट (एचएमआर) उत्पादों के रूप में जाना जाता है, 2020 में 2.01 ट्रिलियन वोन (1.7 बिलियन डॉलर) हो गया, जो 2016 से 145.3 प्रतिशत अधिक है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 की टैली भी पिछले वर्ष की तुलना में 18.7 प्रतिशत अधिक थी।
मंत्रालय और निगम ने एचएमआर बाजार की घातीय वृद्धि के लिए अधिक सुविधा स्टोर, कोविड-19 महामारी और स्थानीय घरों में एयर फ्रायर के अधिक उपयोग को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा कि विशेष रूप से, लंबे समय तक कोरोना वायरस महामारी के कारण एशिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में खाने के लिए तैयार उत्पादों की अधिक मांग हुई है।
आंकड़ों में यह भी दिखाया गया है कि इस अवधि में एचएमआर वस्तुओं का निर्यात 323.1 प्रतिशत बढ़कर 34.93 मिलियन डॉलर हो गया।
2020 का आंकड़ा एक साल पहले की तुलना में 35.1 प्रतिशत अधिक था।
ऑनलाइन इमेजिस के माध्यम से दक्षिण कोरिया की खाद्य संस्कृति के अधिक से अधिक विदेशी प्रदर्शन और टेलीविजन के लिए बने 'मुकबैंग' की लोकप्रियता के लिए वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया गया था, यह एक कोरियाई शब्द है जो एक ऑनलाइन प्रसारण को संदर्भित करता है जिसमें किसी भी प्रकार के भोजन पर अपने मेजबान की विशेषता होती है। (आईएएनएस)
भारत के कई राज्यों के मंत्री अमेरिकी उद्योगपति ईलॉन मस्क को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. इन मंत्रियों ने ट्वीट कर अपने-अपने प्रस्ताव मस्क को भेजे हैं.
भारत के कम से कम तीन राज्यों के मंत्रियों ने ईलॉन मस्क को ट्वीट कर अपने यहां फैक्ट्री लगाने के लिए बुलाया है. अमेरिकी अरबपति उद्योगपति और टेस्ला कार के मालिक मस्क ने ट्वीट कर कहा था कि वह भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कार फैक्ट्री लगाने की प्रक्रिया में काफी चुनौतियों से गुजर रहे हैं.
टेस्ला दुनिया के सबसे बड़े बाजार भारत में अपनी कार बेचने की कोशिशों में है लेकिन आयात कर पर सौदेबाजी चल रही है जिसने इन कोशिशों को झटका पहुंचाया है. भारत में आयात कर सौ फीसदी तक हो सकता है. पिछले हफ्ते लोगों ने मस्क से ट्विटर पर पूछा था कि वह भारत में कार कब लॉन्च करेंगे. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी "सरकार के साथ बहुत सारी चुनौतियों पर काम कर रही है.”
कई मंत्रियों ने दिया जवाब
इस टिप्पणी के बाद भारत के कई राज्यों के मंत्रियों ने ट्विटर पर ही मस्क को अपने-अपने क्षेत्रों की खूबियां बताना शुरू कर दिया. बीते शुक्रवार तेलंगाना के उद्योग और वाणिज्य मंत्री केटी रामाराव ने ट्विटर पर कहा, "मैं भारतीय राज्य तेलंगाना का उद्योग और वाणिज्य मंत्री हूं. हमारा राज्य बिजनस के लिए सबसे अच्छी जगह है और हम सस्टेनेबिलीटी में भी सबसे आगे हैं.”
तीन अन्य राज्यों के मंत्रियों ने ऐसे ही ट्वीट किए हैं. पश्चिम बंगाल के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने कहा कि उनका राज्य सबसे अच्छे आधारभूत ढांचे और सोच के लिए जाना जाता है. महाराष्ट्र के विकास मंत्री ने अपने राज्य की प्रगतिशीलता का बखान किया तो पंजाब में विधायक और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने पर्यावरण के अनुकूल नौकरियों और विकास की प्रतिबद्धता जाहिर की. ईलॉन मस्क ने किसी भी मंत्री को फिलहाल कोई जवाब नहीं दिया है.
मोदी ने दिया संदेश
भारत ने विदेशी कार निर्माता कंपनियों को लुभाने के लिए नई सुविधाओं का ऐलान किया है. मंगलवार को वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम को संबोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनका देश कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर काम कर रहा है. हाल ही में ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू हो गई है. नरेंद्र मोदी ने कहा, "भारत में निवेश करने का यह सबसे अच्छा समय है क्योंकि हम ग्लोबल सप्लाई चेन के एक भरोसेमंद साझीदार बनना चाहते हैं.”
ईलॉन मस्क का कहना है कि पहले वह कारें आयात कर बाजार का जायजा लेना चाहते हैं. भारत में 40 हजार अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 30 लाख रुपये से अधिक की इलेक्ट्रिक कारों पर 100 प्रतिशत आयात कर लगता है. टेस्ला को डर है कि इतने कर के बाद कीमत ज्यादा हो जाएगी जो भारत में उसके व्यापार को प्रभावित करेगी.
13 जनवरी को ट्विटर पर एक शख्स ने मस्क से सवाल पूछा था कि भारत में टेस्ला कब आएगी. इस व्यक्ति ने लिखा, ''टेस्ला भारत में अपनी कार कब लाएगा, क्या इसपर आप कोई अपडेट दे सकेंगे? टेस्ला कारें बहुत अच्छी हैं और उन्हें दुनिया के कोने-कोने में पहुंचना चाहिए.''
इस ट्वीट का जवाब देते हुए मस्क ने लिखा, ''सरकार के साथ काफी मुश्किल आ रही है, लेकिन हम सुलझाने में लगे हैं.'' इससे पहले जुलाई 2021 में मस्क ने एक ट्वीट करके बताया था कि टेस्ला भारत में आना चाहती है, लेकिन भारत में इंपोर्ट ड्यूटी बाकी किसी बड़े देश के मुकाबले सबसे ज्यादा हैं. उन्होंने यह भी बताया था कि उनकी कंपनी टैरिफ में तात्कालिक छूट चाहती है.
डिजिटल कंसल्टेंसी टेकार्क के मुताबिक 2020-21 में भारत में बिकने वाली कुल कारों में सिर्फ 1.3 प्रतिशत इलेक्ट्रिक कारें थीं. सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश की कुल कारों में 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक हों.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी, एपी)
ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में सत्तावादी सोच बढ़ रही है और विश्व शक्तियां लोकतंत्र की रक्षा करने में विफल हो रही हैं.
ह्यूमन राइट्स वॉच के कार्यकारी निदेशक केनेथ रॉथ ने समाचार एजेंसी एएफपी को दिए इंटरव्यू में कहा है कि लोकतांत्रिक मूल्यों और अधिकारों की प्रभावी ढंग से रक्षा करने में लोकतांत्रिक नेताओं की विफलता दुनिया भर में निरंकुश लोगों के उदय को सक्षम कर रही है. रॉथ ने कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेताओं को साहसी और सैद्धांतिक नेतृत्व दिखाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
मानवाधिकार संस्था के कार्यकारी निदेशक रॉथ का कहना है, "डर है कि अगर लोकतांत्रिक शासक अपनी आवाज नहीं उठाते हैं, जो कि सबसे महत्वपूर्ण है, तो इससे दुनिया भर में निराशा और अशांति फैल जाएगी और तानाशाही को बढ़ावा मिलेगा." उन्होंने कहा कि वास्तव में ऐसा लगता है कि निरंकुशता बढ़ रही है.
दुनियाभर में अधिकारों का हनन
दुनिया भर में अधिकारों के हनन पर एचआरडब्ल्यू की 750 पन्नों से ज्यादा की सालाना रिपोर्ट पिछले हफ्ते जारी हुई थी जिसमें चीन, रूस, बेलारूस और मिस्र जैसे देशों में असंतुष्ट आवाजों पर कार्रवाई तेज करने का विवरण दिया गया है. रिपोर्ट में म्यांमार और सूडान समेत दुनिया भर में हाल ही में सैन्य तख्तापलट के बारे में तथ्यों को सूचीबद्ध किया गया है.
रिपोर्ट में उन देशों का भी उल्लेख किया गया है जिन्हें कभी लोकतांत्रिक माना जाता या वे अभी भी हैं, लेकिन रिपोर्ट पिछले कुछ सालों में निरंकुश प्रवृत्ति वाले नेताओं के उद्भव को भी उजागर करती है. इन देशों में हंगरी, पोलैंड, ब्राजील, भारत और पिछले साल तक अमेरिका शामिल हैं.
भले ही पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उनके सहयोगियों द्वारा 2020 के चुनावों के परिणामों को उलटने के प्रयास विफल रहे, रॉथ ने आगाह किया कि अमेरिकी लोकतंत्र को "आज भी स्पष्ट रूप से चुनौती दी जा रही है." उन्होंने कहा कि 6 जनवरी 2021 को कैपिटॉल हिल में ट्रंप समर्थकों द्वारा हुई हिंसा "वास्तव में सिर्फ शुरुआत थी."
तानाशाही को दें चुनौती
रॉथ ने कहा कि उन्हें डर है कि 6 जनवरी की हिंसा "चुनावों को उलटने का एक प्रयास था, और अब एक और अधिक परिष्कृत प्रयास चल रहा है, जिसका लक्ष्य अगले राष्ट्रपति चुनावों के लिए है." उन्होंने कहा, "अमेरिका में लोकतंत्र की रक्षा करने की तत्काल जरूरत है."
इन सभी खतरों को स्वीकार करते हुए रॉथ ने पारंपरिक ज्ञान को चुनौती दी है, इस बात पर जोर देते हुए कि तानाशाही बढ़ रही है और लोकतंत्र का पतन हो रहा है. लेकिन वास्तव में दुनिया में कई तानाशाह खुद को पतन के कगार पर धकेल रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि नजरबंदी या गोली मारने की धमकी के बावजूद दुनिया को म्यांमार और सूडान जैसे दमनकारी सैन्य शासन के खिलाफ बोलना चाहिए.
रॉथ ने कहा, "उन लोगों के खिलाफ महत्वपूर्ण प्रतिरोध होना चाहिए जो तानाशाही को फिर से लागू करना या बनाए रखना चाहते हैं." उन्होंने कहा कि रूस, हांग कांग, युगांडा और निकारागुआ जैसे देशों ने खुले तौर पर सभी विरोधों से छुटकारा पाने, मीडिया को चुप कराने और सार्वजनिक प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाने के बाद चुनावी रैलियों को आयोजित करने का एक बिंदु बना लिया है.
रॉथ का मानना है कि हालांकि ऐसे शासक इस तरह के "बेजान चुनाव" को जीत सकते हैं, लेकिन ऐसे चुनाव किसी भी वैधता को प्रदान नहीं करते हैं जो नेता चाहते हैं. वह कहते हैं, "विश्व स्तर पर मुझे लगता है कि हम लोकतांत्रिक नेताओं के साथ आंशिक रूप से असंतोष देख रहे हैं, क्योंकि लोकतांत्रिक समाज के महत्वपूर्ण हिस्से को लगता है कि वे पीछे छूट गए हैं." उनके मुताबिक, "लोकतंत्र के भीतर बेहतर शासन और दुनिया भर में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक अधिक सुसंगत दृष्टिकोण की तत्काल जरूत है."
एए/वीके (एएफपी)
अंटार्कटिक में जमी बर्फ की मोटी परत के नीचे की दुनिया के मुकाबले मंगल ग्रह के बारे में ज्यादा जानकारी है. एक कारण यह है कि अंटार्कटिक के हिमखंडों की परतें सैकड़ों मीटर मोटी हैं. उनके बारे में जानकारी जुटाना मुश्किल है.
अंटार्कटिक सागर का पानी बेहद ठंडा है. यह बेहद ठंडा असल में कितना ठंडा है, यह हम अब जान पाएंगे. इस पानी के तापमान को मापने के लिए वैज्ञानिकों ने एक अत्याधुनिक उपकरण बनाया है. इसका नाम है- हाई प्रिसिजन सुपरकूलिंग मेजरमेंट इंस्ट्रूमेंट.
न्यूजीलैंड, नॉर्वे और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने इसे बनाया है. यह उपकरण बताएगा कि अंटार्कटिक सागर के ऊपर जमी बर्फ के नीचे मौजूद पानी कितना ठंडा होता है. इस 'सुपरकूलिंग यंत्र' को एक छोटे, रिमोट कंट्रोल से संचालित रोबोट पर रखकर समंदर में जमी बर्फ के नीचे भेजा जा सकता है, ताकि यह वहां के पानी का ठीक-ठीक तापमान माप सके.
पहेली है अंटार्कटिक के नीचे की दुनिया
यूनिवर्सिटी ऑफ ओटागो की डॉक्टोरल छात्र मारेन रिक्टर ने बताया कि बर्फ की मोटी तहों के नीचे समंदर का पानी एक बड़ी पहेली की तरह है. रिसर्चर अभी इसके बारे में बहुत नहीं जानते हैं. रिक्टर ने कहा, "अंटार्कटिक के ऊपर जमी बर्फ की मोटी तह रॉस आइस सेल्फ के मुकाबले हम डार्क साइड कहे जाने वाले चांद के दूसरी तरफ के हिस्से के बारे में ज्यादा जानते हैं."
रिक्टर ने बताया कि अंटार्कटिक के पानी का तापमान मापने वाला नया यंत्र बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. इसकी मदद से वैज्ञानिक समझ सकेंगे कि समुद्र, उसपर जमी बर्फ और वातावरण, ये तीनों साथ मिलकर कैसे काम करते हैं. ये सभी तत्व किस तरह एक-दूसरे से जुड़े हैं, यह भी जाना जा सकेगा.
रिक्टर बोलीं, "इनकी गणना बड़े स्तर पर बनाए गए मॉडलों के माध्यम से की जाती है. मॉडल जितने अधिक सटीक होंगे, छोटे स्तर पर उनकी सटीकता जितनी ज्यादा होगी, उनसे मिलने वाली जानकारियों की सटीकता बड़े स्तर पर भी उतनी ही अधिक होगी. मसलन, भविष्य में न्यूजीलैंड का मौसम कैसा रहेगा, यह हम अधिक स्पष्टता से बता सकेंगे."
सुपरकूल: ठंडे से भी ठंडा
अंटार्कटिक में बर्फ की सतह के नीचे कई बार पानी का तापमान जमने के पॉइंट से नीचे होता है, लेकिन फिर भी यह जमता नहीं है. द्रव्य रूप में ही रहता है. इस प्रक्रिया को सुपरकूलिंग कहते हैं. ओटागो यूनिवर्सिटी की छात्रा इंगा स्मिथ ने बताया कि समुद्र का पानी आमतौर पर माइनस 1.9 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर जम जाता है. लेकिन जब बर्फ की मोटी परत के नीचे बहकर आया ताजा पानी जब खारे पानी से मिलता है, तो यह बेहद ठंडा हो जाता है. स्मिथ ने बताया, "तब यह होता तो द्रव है, लेकिन जमने वाले बिंदु यानी फ्रीजिंग पॉइंट से नीचे. "
अंटार्कटिक के ऊपर जमी बर्फ की सतह सैकड़ों मीटर मोटी है. इसके चलते समुद्र के बाकी हिस्सों की तरह इस हिस्से में पहुंचना और इससे जुड़ी जानकारियां हासिल करना बहुत मुश्किल है. जलवायु परिवर्तन के चलते हमारी धरती तेजी से गर्म हो रही है. पर्यावरण में गर्मी और उष्मा की जितनी मात्रा बढ़ी है, उसका 90 प्रतिशत से भी ज्यादा हिस्सा समुद्रों ने सोख लिया है. ऐसे में जलवायु से जुड़े शोधों के लिए समुद्र के तापमान की सटीक जानकारी बेहद जरूरी है.
शोध में चुनौती
इस दिशा में एक बड़ी चुनौती हैं, विशेष उपकरणों की कमी. हमारे पास ऐसे यंत्रों की कमी है, जो समुद्र के ऊपर तैर रहे हिमखंडों और बर्फ की तहों के नीचे गहराई में जाकर समुद्र का तापमान को माप सकें.
समुद्र पर शोध करने वाले ओशियनोग्राफर और पोलर इंजीनियर लंबे समय से इस चुनौती से जूझते रहे हैं. उम्मीद है कि अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से वैज्ञानिकों को अंटार्कटिक की सतह के नीचे की जानकारी हासिल करने में मदद मिलेगी.
एसएम/एनआर(डीपीए)
सीमा पर रूस से तनातनी, नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन 2 और यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई, जर्मन विदेश मंत्री इन्हीं मुद्दों के साए में यूक्रेन और रूस गई हैं. अनालेना बेयरबॉक पहले यूक्रेन-रूस के दौरे से क्या लेकर आएंगी?
डॉयचे वैले पर निखिल रंजन की रिपोर्ट-
रूस और यूक्रेन में चल रहे तनाव के बीच जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक सोमवार से इन देशों के दौरे पर हैं. बतौर विदेश मंत्री इस इलाके में यह उनका पहला दौरा है. राजधानी कीव में उनकी मुलाकात यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और विदेश मंत्री दमित्रो कुलेबा से होगी. यूक्रेन की सीमा पर रूसी सैनिकों के जमावड़े पर बात करने के साथ ही कीव ने जर्मनी से हथियारो की सप्लाई मांगी है. इसके अलावा दोनों देशों की बातचीत में नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन का मुद्दा भी प्रमुखता से शामिल होगा.
बेयरबॉक की यात्रा जर्मनी और यूक्रेन के बीच कूटनीतिक रिश्ते की शुरुआत की तीसवीं वर्षगांठ के मौके पर हो रही है. इस यात्रा में बेयरबॉक ऑर्गनाइजेशन फॉर सिक्योरिटी एंड कॉपरेशन इन यूरोप (ओएससीई) के जर्मन प्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेंगी. जर्मन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जानकारी दी है कि यूक्रेन की हाइड्रोजन नीति पर चर्चा करने की भी योजना है. जर्मन विदेश मंत्री कीव के मध्य में बने हैवेनली हंड्रेड स्मारक पर भी जाएंगी. यह स्मारक 2014 की यूरोपीय क्रांति में मरे लोगों की याद में बनाया गया है. दिमीत्री कुलेबा ने एक जर्मन अखबार से बातचीत में कहा है कि उनका देश,"जर्मनी की नई सरकार से उम्मीद करता है कि वह रूस की धमकियों और डराने की कोशिशों को देखते हुए यूरोप और सहयोगी देशों के साथ कड़ा रुख अपनाएगा."
एक दिन बाद ही बेयरबॉक को मॉस्को जा कर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मिलना है. इससे पहले जर्मनी में यूक्रेन के राजदूत आंद्री मेलनिक ने बेयरबॉक से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हथियारों की सप्लाई सुनिश्चित करने की मांग की. मेलनिक का कहना है कि हथियारों की सप्लाई से जर्मनी का इनकार "बहुत निराश करने वाला और कड़वा है."
क्या नतीजा होगा जर्मन विदेश मंत्री के दौरे का
अनालेना बेयरबॉक के इस दौरे से इन मामलों के किसी निर्णायक हल की उम्मीद तो नहीं है लेकिन इतना जरूर है कि इन पर बातचीत कुछ आगे बढ़ेगी. नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन का मुद्दा जर्मनी के लिए काफी अहम है. इस पाइपलाइन के जरिए रूस से जर्मनी तक गैस लाइन जानी है. इसकी दो लाइनों का निर्माण 2021 में ही पूरा हो चुका है. रूस के पास खरीदारों की कमी नहीं है लेकिन जर्मनी को इस गैस की जरूरत है. इस पाइपलाइन की मदद से यूरोप के ऊर्जा क्षेत्र में रूस की भूमिका अहम हो जाएगी और यही वजह है कि यूक्रेन और कुछ दूसरे देश इससे बहुत खुश नहीं है. कई मुद्दों पर रूस का विरोध कर रहे देश नहीं चाहते कि रूस को यह मौका मिले. जर्मनी की गठबंधन सरकार में शामिल ग्रीन पार्टी भी इसे लेकर बहुत उत्साहित नहीं है. अनालेना बेयरबॉक इसी पार्टी की नेता है. बड़ा सवाल यह है कि अगर रूस की हरकतों के कारण अगर उस पर प्रतिबंध लगता है तो क्या यह पाइपलाइन भी इसके दायरे में आएगी. जर्मन राजनीतिक दलों में इसे लेकर एक राय नहीं है.
यही हाल हथियारों की सप्लाई को लेकर भी है. जर्मनी ने संघर्ष वाले देशों को हथियार नहीं देने का फैसला कर रखा है. ऐसे में, यूक्रेन की मांग को पूरा करना आसान नहीं होगा. बेयरबॉक खुद हथियारों की सप्लाई के खिलाफ बोलती रही हैं और जर्मनी की सत्ताधारी गठबंधन ने इस मुद्दे को फिलहाल साझा कार्यक्रम से बाहर रखा है. हालांकि ग्रीन पार्टी के भी कुछ नेता मानते हैं कि यूक्रेन को आत्मरक्षा का अधिकार है और उसके इलाके में होने वाले अतिक्रमण का विरोध जरूरी है. यूक्रेन की सीमा पर रूसी सैनिक मार्च कर रहे हैं और क्राइमिया के अनुभव ने दुनिया को दिखा दिया है कि पुतिन क्या कर सकते हैं.
यूक्रेन में गैसों के परिवहन का विशाल नेटवर्क है और यूरोप के कई देश यूक्रेन की इस गैस तक अपनी पहुंच बनाना चाहते हैं. मुश्किल यह है कि इसके लिए यूक्रेन से गैसों की सप्लाई के लिए पहले वहां भारी निवेश करना होगा. सोवियत जमाने के संयंत्रों और उपकरणों में अब जंग लग चुका है और यहां से पूरी तरह नया तंत्र विकसित करना होगा. यूरोप अब हाइड्रोजन को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है और इस काम में यूक्रेन अहम भूमिका निभा सकता है बशर्ते कि वहां निवेश किया जाए. जर्मन विदेश मंत्री के दौरे में इस पर चर्चा से कुछ नई बातें सामने आ सकती हैं.
(डीपीए)
ज्वालामुखी के फटने और सुनामी के आने के बाद पैसिफिक द्वीप टोंगा में अब ज्वालामुखी की राख सबसे बड़ी चिंता का विषय बन गई है. राख के पीने को पानी को प्रदूषित करने की संभावना है और ज्यादातर लोग नहीं जानते कि यह राख जहरीली है.
ज्वालामुखी फटने और सुनामी के बाद टोंगा बाकी दुनिया से अलग थलग हो गया है. द्वीप राख की एक चादर से ढक गया है एयर ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने वहां हुए नुकसान का मूल्यांकन करने के लिए सर्विलांस विमान भेजे हैं.
ऑस्ट्रेलिया के पैसिफिक मंत्री जेड सेसेलजा ने कहा कि शुरूआती रिपोर्टों के मुताबिक बड़े पैमाने पर लोगों की जान नहीं गई है, लेकिन समुद्री तटों पर गई ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने काफी नुकसान के बारे में बताया है. पुलिस ने वहां "घरों को इधर उधर पड़े हुए" देखा.
कोविड मुक्त द्वीप
उन्होंने एक ऑस्ट्रेलियाई रेडियो चैनल को बताया, "हमें मालूम है कि काफी नुकसान हुआ है, विशेष रूप से रिजॉर्टों को." उन्होंने यह भी कहा कि टोंगा का हवाई अड्डा तुलनात्मक रूप से एक अच्छी अवस्था में लग रहा है.
सेसेलजा ने यह भी बताया कि एक ब्रिटिश महिला लापता हैं. सर्विलांस यान दूर के उन द्वीपों में हालात का जायजा लेंगे जहां संचार व्यवस्था पूरी तरह से टूट गई है. ऑस्ट्रेलिया में टोंगा के डिप्टी मिशन प्रमुख कर्टिस तुईहालानजिंजी ने कहा है कि टोंगा की सरकार मदद की प्राथमिकताएं निर्धारित कर रही है और इस समय दुनिया से धीरज की अपील कर रही है.
टोंगा को चिंता इस बात की भी है कि मदद पहुंचाने के बीच कहीं वहां कोविड-19 का प्रसार ना हो जाए. द्वीप अभी तक कोविड से मुक्त है. तुईहालानजिंजी ने बताया, "हम कोविड-19 की सुनामी के रूप में एक और लहर को बुलाना नहीं चाह रहे हैं."
उन्होंने कहा, "लोग जब इतना बड़ा विस्फोट देखते हैं तो वो मदद करना चाहते हैं" लेकिन टोंगा के राजनयिकों को चंदा इकट्ठा करने के कुछ निजी प्रयासों को लेकर भी चिंता है. उन्होंने जनता से आपदा राहत कोष की घोषणा का इंतजार करने को कहा है.
80,000 लोग प्रभावित
तुईहालानजिंजी ने कहा कि टोंगा जो भी मदद भेजी जाएगी उसे पहले क्वारंटीन करना पड़ेगा. यह भी काफी संभव है कि विदेशी कर्मियों को हवाई यानों से उतरने नहीं दिया जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि समुद्र के नीचे तार को गंभीर नुकसान पहुंचा है और इसे ठीक करने में एक हफ्ते से ज्यादा का समय लग सकता है.
टोंगा में टेलीफोन नेटवर्क को दुरुस्त कर दिया गया है लेकिन ज्वालामुखी की राख बड़ी चिंता का विषय बन गई है जो पीने के पानी को प्रदूषित कर रही है. तुईहालानजिंजी ने बताया, "अधिकांश लोग नहीं जानते हैं कि राख जहरीली है, उन्हें उसे सूंघना नहीं चाहिए और उन्हें मास्क पहनना चाहिए."
रेड क्रॉस ने इसे प्रशांत महासागर इलाके में दशकों में सबसे बुरा ज्वालामुखी विस्फोट बताया और कहा कि वो वहां राहत और मदद के लिए अपने नेटवर्क को सक्रिय कर रहा है. प्रशांत महासागर इलाके में संस्था की प्रमुख केटी ग्रीनवुड ने बताया कि सुनामी ने करीब 80,000 लोगों को प्रभावित किया है.
न्यूजीलैंड को उम्मीद है कि वो एक सैन्य ट्रांसपोर्ट यान पर पीने के पानी समेत जरूरत की कुछ चीजें मंगलवार तक भेज पाएगा. टोंगा के साथ संचार अभी भी सीमित है. द्वीप को सारी दुनिया से जोड़ने वाली अंतर्जलीय तार की मालिक कंपनी ने कहा कि संभव है कि वो तार कट गई है और उसकी मरम्मत करने में कई हफ्ते लग सकते हैं.
इस वजह से टोंगा के अधिकांश लोग इंटरनेट इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं और देश के बाहर किसी को फोन भी नहीं कर पा रहे हैं. जो लोग बाहर कुछ संदेश देने में सफल हो पाए उन्होंने बताया कि उन्होंने जब सुनामी की लहरों के शांत होने और राख के गिरने के बाद जब सफाई करना शुरू किया तो पाया कि उनका देश चांद की सतह जैसा लग रहा है.
सीके/एए (रॉयटर्स, एपी)
काला-ए-नव, 18 जनवरी| अफगानिस्तान के पश्चिमी प्रांत बादगीस में सोमवार को 5.6 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। एक स्थानीय अधिकारी ने यह जानकारी दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने जिला प्रमुख मोहम्मद सालेह पुरदिल के हवाले से कहा, "सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में प्रांतीय राजधानी काला-ए-नव के पूर्व कादिस जिले में बद्रुक, दरबंद-ए-सफेड और खाक पोलक इलाके थे।"
सूत्र ने कहा कि शाम चार बजकर 10 मिनट पर आए भूकंप से कई घर प्रभावित हुए हैं और हताहतों की संख्या बढ़ सकती है।
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे ने कहा कि तुर्कमेनिस्तान की सीमा से लगे बड़गीस प्रांत की राजधानी काला-ए-नव से 40 किमी पूर्व में 5.6 की तीव्रता वाला भूकंप आया।
10.0 किमी की गहराई के साथ भूकंप का केंद्र शुरू में 34.9479 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 63.5686 डिग्री पूर्वी देशांतर पर निर्धारित किया गया था।
क्षेत्र में भूकंप के बाद कई झटके भी महसूस किए गए। (आईएएनएस)
वाशिंगटन, 18 जनवरी| दुनिया भर में कोरोनावायरस के मामले बढ़कर 33.02 करोड़ से ज्यादा हो गए हैं। इस महामारी से अब तक कुल 55.4 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है जबकि 9.64 अरब से ज्यादा का वैक्सीनेशन हुआ है। ये आंकड़े जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने साझा किए हैं। मंगलवार सुबह अपने नए अपडेट में, यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने बताया कि वर्तमान वैश्विक मामले, मरने वालों और टीकाकरण की कुल संख्या बढ़कर क्रमश: 330,275,734, 5,544,688 और 9,649,807,641 हो गई है।
सीएसएसई के अनुसार, दुनिया के सबसे ज्यादा मामलों और मौतों 66,375,579 और 851,451 के साथ अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित देश बना हुआ है।
कोरोना मामलों में भारत दूसरा सबसे प्रभावित देश है, जहां कोरोना संक्रमितों के 37,122,164 मामले हैं जबकि 486,066 मौतें हुई है, इसके बाद ब्राजील में कोरोना के 23,015,128 मामले हैं जबकि 621,327 मौतें हुई हैं।
सीएसएसई के आंकड़े के अनुसार, 50 लाख से ज्यादा मामलों वाले अन्य सबसे प्रभावित देश यूके (15,316,457), फ्रांस (14,283,514), रूस (10,621,410), तुर्की (10,459,094), इटली (8,706,915), स्पेन (8,093,036), जर्मनी (7,991,373), अर्जेटीना (7,094,865), ईरान (6,218,741) और कोलंबिया (5,543,796) है।
जिन देशों ने 100,000 से ज्यादा मौतों का आंकड़ा पार कर लिया है, उनमें रूस (314,838), मेक्सिको (301,334), पेरू (203,376), यूके (152,483), इंडोनेशिया (144,167), इटली (141,104)), ईरान (132,044), कोलंबिया (130,996), फ्रांस (127,957), अर्जेटीना (118,040), जर्मनी (115,624), यूक्रेन (104,663) और पोलैंड (102,305) शामिल हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 17 जनवरी। अमेरिका में टेक्सास के एक धार्मिक स्थल में लोगों को बंधक बनाकर जेल में बंद पकिस्तानी आतंकवादी की रिहाई की मांग करने वाले हमलावर की मौत के बाद इस मामले में इंग्लैंड में दो किशोरों को गिरफ्तार किया गया है।
बीबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्लैकबर्न का रहने वाला ब्रिटिश नागरिक मलिक फैसल अकरम शनिवार देर रात कोलीविले में पुलिस के साथ गोलीबारी में मारा गया था।
रविवार शाम को दक्षिण मैनचेस्टर में गिरफ्तार किए गए दोनों किशोरो के बारे में अधिक खुलासा नहीं किया गया है।
ग्रेटर मैनचेस्टर पुलिस ने कहा कि वह स्थानीय समुदायों के साथ संपर्क कर रही है और अमेरिकी जांच में सहयोग जारी है।
पुलिस सूत्रों ने कहा हमले की जांच के हिस्से के रूप मेंदो किशोरों को गिरफ्तार किया गया है और पूछताछ के लिए हिरासत में रखा गया है।
अमेरिकी पुलिस सूत्रों के मुताबिक अकरम दो हफ्ते पहले न्यूयॉर्क के जेएफके अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से देश में आया था।
अकरम के भाई गुलबर ने ब्लैकबर्न मुस्लिम कम्युनिटी फेसबुक पेज पर एक बयान में उसकी मौत की पुष्टि की है और पीड़ितों से माफी मांगते हुए कहा कि उसका भाई मानसिक रूप से बीमार था।
कानूनी प्रवर्तन अधिकारियों ने स्थानीय मीडिया को बताया कि अकरम को पाकिस्तानी न्यूरोसाइंटिस्ट आफिया सिद्दीकी की रिहाई की मांग करते हुए सुना गया था। वह वर्तमान में टेक्सास के फोर्ट वर्थ की जेल में 86 साल की सजा काट रही है।
बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस बात की पुष्टि की है कि हमलावर उसकी रिहाई की मांग कर रहा था। उन्होंने कहा है कि वह हमला किसी ऐसे व्यक्ति से संबंधित था जिसे 15 साल पहले गिरफ्तार किया गया था और 10 साल से जेल में है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमलावर ने अमेरिका में आने के बाद हथियार खरीदे थे। (आईएएनएस)