अंतरराष्ट्रीय
बीजिंग. रूस ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण से अपने ही एक सैटेलाइट को 1500 टुकड़ों में बदल दिया था. इस कार्रवाई से उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नाराजगी झेलनी पड़ रही है. अब चीन अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि रूस के पुराने सैटेलाइट के मलबे से चीन की सैटेलाइट की टक्कर होते होते बची. इसके लिए चीन के वैज्ञानिकों ने कड़ी मशक्कत की और इस टक्कर को नाकाम किया. अंतरिक्ष के मलबों पर निगाह रखने वाली संस्था चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि इस मलबे से भविष्य में खतरा बना रहेगा.
चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि सिंघुआ साइंस सैटेलाइट, 14.5 मीटर लंबे अंतरिक्ष मलबे की टक्कर से बाल-बाल बची है. इस टक्कर से अंतरिक्ष में मौजूद दूसरी सैटेलाइटों को भी गंभीर खतरा पैदा हो सकता था. सरकारी मीडिया ने बताया कि नवंबर में रूस के एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण के नतीजे के बाद छोड़े गए मलबे के 1500 टुकड़ों में से एक की चीनी उपग्रह की निकट टक्कर हो सकती थी. मॉस्को ने नवंबर में एक मिसाइल परीक्षण में अपने पुराने उपग्रहों में से एक को उड़ा दिया था. इससे पृथ्वी की कक्षा के चारों ओर अंतरिक्ष मलबे बिखर गया था. इसके कारण अंतरराष्ट्रीय समुदाय उससे नाराज है. अमेरिकी अधिकारियों ने रूस पर खतरनाक और गैर-जिम्मेदार हमला करने का आरोप लगाया है.
रूस ने उन चिंताओं को खारिज कर दिया और इनकार किया कि अंतरिक्ष मलबे से कोई खतरा है लेकिन चीनी उपग्रह के साथ एक नई घटना कुछ और ही बताती है. सरकारी ग्लोबल टाइम्स ने भी बताया चीन का सिंघुआ विज्ञान उपग्रह मलबे के एक टुकड़े से 14.5 मीटर के करीब आया. यह ‘बेहद खतरनाक’ घटना मंगलवार को हुई थी.
अंतरिक्ष मलबे विशेषज्ञ लियू जिंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि मलबे और अंतरिक्ष यान दोनों बेहद करीब थे. इस बार टकराव की संभावना थी. कुछ देशों के पास एंटी-सैटेलाइट हथियार जैसी उच्च तकनीक वाली मिसाइलें हैं. इस कदम ने अंतरिक्ष में हथियारों की बढ़ती दौड़ के बारे में चिंता जताई है. इसमें लेजर हथियारों से लेकर उपग्रहों तक सब कुछ शामिल है जो दूसरों को कक्षा से बाहर धकेलने में सक्षम हैं.
लाहौर, 20 जनवरी। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में एक शक्तिशाली विस्फोट में कम से कम दो लोगों की जान चली गई और दर्जनों लोग घायल हो गए, जिसे एक लक्षित आतंकवादी हमले के रूप में देखा जा रहा है।
प्रतिबंधित बलूच नेशनल आर्मी ने हमले की जिम्मेदारी ली है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, लोहारी गेट क्षेत्र के आसपास स्थित लाहौर के थोक बाजारों का केंद्र, जो एक भीड़भाड़ वाला और घनी आबादी वाला इलाका है, एक शक्तिशाली विस्फोट से हिल गया, जिसमें एक किशोर सहित कम से कम दो लोगों की जान चली गई और कम से कम 25 अन्य घायल हो गए। घायलों में 22 पुरुष जबकि तीन महिलाएं शामिल हैं।
इलाके के एक स्थानीय दुकानदार ने कहा, विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि हम चीजों को हवा में उड़ते हुए देख सकते थे।
अधिकारियों को संदेह है कि विस्फोट एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) से किया गया है, क्योंकि विस्फोट स्थल पर एक गहरा गड्ढा बन गया है।
डीआईजी ऑपरेशन, लाहौर डॉ. मुहम्मद आबिद खान ने कहा, जांच प्रारंभिक चरण में है और जांच के बिना विस्फोट की प्रकृति का पता नहीं लगाया जा सकता है।
विस्फोट स्थल के सबसे नजदीक मेओ अस्पताल में अब तक कम से कम 27 लोग आ चुके हैं, जिनमें से कम से कम दो लोगों की मौत हो गई है, जबकि 25 अन्य का इलाज चल रहा है। अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि कम से कम 5 और लोगों की हालत गंभीर है।
विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि एक निजी बैंक सहित कम से कम नौ दुकानें और प्रतिष्ठान क्षतिग्रस्त हो गए, जबकि दर्जनों मोटरबाइक और सड़क किनारे बिक्री के मौजूद स्टॉल और अन्य चीजों को नुकसान पहुंचा और आसपास आग भी लग गई।
प्रतिबंधित समूह की ओर से हमले की जिम्मेदारी ले ली गई है, वहीं दूसरी ओर सुरक्षा बलों ने इस दुखद घटना की जांच के लिए इलाके की घेराबंदी कर दी है।
बता दें कि लोहारी गेट क्षेत्र लाहौर के पुराने शहर का हिस्सा है, जहां संकरी गलियां और भीड़भाड़ वाले इलाके हैं। बाजार में निम्न वर्ग और गरीब लोग अक्सर आते हैं, क्योंकि वे यहां से अपने लिए सस्ती चीजें खरीदने के लिए बाजार आते हैं।
विस्फोट के वक्त बाजार में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद थे। (आईएएनएस)
सियोल, 20 जनवरी | प्योंगयांग के राज्य मीडिया ने गुरुवार को कहा कि उत्तर कोरिया ने इस महीने के अंत में अपने दिवंगत नेताओं के जयंती समारोह के अवसर पर दोषी लोगों को माफी देने का फैसला किया है। स्थायी समिति द्वारा किए गए एक निर्णय में, किम इल-सुंग और किम जोंग-इल की 110 वीं और 80 वीं जयंती मनाने के लिए 'देश और लोगों के खिलाफ अपराधों' के लिए दोषी ठहराए गए लोगों को क्षमा प्रदान की जाएगी। सुप्रीम पीपुल्स असेंबली, उत्तर की आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने जानकारी दी।
योनहाप न्यूज एजेंसी ने केसीएनए के हवाले से कहा कि माफी 30 जनवरी से प्रभावी होगी, कैबिनेट और संबंधित अंग उन्हें सामान्य कामकाजी जीवन में बसने में मदद करने के लिए व्यावहारिक उपाय करेंगे।
वर्तमान नेता किम जोंग-उन के दिवंगत पिता किम जोंग-इल की जयंती 16 फरवरी को पड़ती है और उनके दिवंगत दादा किम इल-सुंग की जयंती 15 अप्रैल को होती है, जो दोनों प्रमुख उत्सव हैं। (आईएएनएस)
संयुक्त राष्ट्र, 20 जनवरी | टोंगा ज्वालामुखी आपदा के चलते राहत के लिए जरूरतों के आकलन का विस्तार हुआ है, जबकि सहायता प्रयासों में भी वृद्धि हुई है, हालांकि दूरी और राख से लदी रनवे से डिलीवरी में देरी हो रही है। मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) ने टोंगन अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा कि पानी, भोजन और संचार की बहाली जरूरतों की सूची में सबसे ऊपर है, लेकिन यह ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के नौसैनिक जहाजों के आने और डॉक करने से कुछ दिन पहले होगा।
ओसीएचए ने कहा कि 15 जनवरी के बड़े विस्फोट ने 84, 000 लोगों या 80 प्रतिशत आबादी को प्रभावित किया, साथ ही तीन लोगों मारे गए है, और अज्ञात संख्या में लोग घायल हुए हैं।
टोंगटापु पर 90 प्रतिशत बिजली का बैकअप है, लेकिन ज्वालामुखी की राख राजधानी शहर नुकु आलोफा में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रनवे को अवरुद्ध कर रही है। ओसीएचए ने कहा कि उन्हें गुरुवार तक मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
घरेलू फोन सेवा केवल टोंगटापु और 'यूआ आइलैंड्स' के भीतर ही संचालित होती है।
यह दुनिया के कुछ कोविड मुक्त देशों में से एक है।
ओसीएचए ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मैंगो, फोनोइफुआ और नोमुका के द्वीपों के बारे में चिंतित है जो गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं, हालांकि वहां बहुत कम आबादी है।
"मैंगो पर सभी घर नष्ट हो गए हैं और फोनोइफुआ पर केवल दो घर बचे हैं, नोमुका पर व्यापक नुकसान की सूचना है। मैंगो और फोनोइफुआ से नोमुका तक लोगों की निकासी का काम चल रहा है।"
ओसीएचए ने कहा कि निगरानी उड़ान के आंकड़ों से पता चला है कि मुख्य द्वीप पर 100 घर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं और यूआ पर लगभग 50 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं।
टोंगन के अधिकारी खोज और बचाव अभियान चला रहे हैं और स्वास्थ्य दल और पानी, भोजन और तंबू ले जाने वाले दो जहाजों को हापई द्वीप समूह में भेजा है, जहां मैंगो, फोनोइफुआ और नोमुका स्थित हैं।
मानवीय कार्यालय ने कहा कि टोंगन रेड क्रॉस सोसाइटी और अन्य स्थानीय साझेदार आपातकालीन पानी, भोजन राशन, आश्रय और रसोई की आपूर्ति वितरित कर रहे हैं।
यूनिसेफ ऑस्ट्रेलिया के एचएमएएस एडिलेड के साथ पानी और अन्य आपूर्ति कर रहा है, लेकिन जहाज शुक्रवार तक टोंगा के लिए नहीं रवाना होगा।
ओसीएचए ने कहा कि जापान ने राहत आपूर्ति और उपकरण भेजने की प्रतिज्ञा के साथ 1 मिलियन डॉलर से अधिक के आपातकालीन अनुदान की घोषणा की है।
रेड क्रॉस सोसाइटी ऑफ चाइना 100,000 डॉलर नकद और मानवीय सहायता प्रदान करेगी। (आईएएनएस)
अमेरिका और यूरोपीय संघ यूक्रेन के इलाके में रूसी सैन्य कार्रवाई की आशंका में रूस पर नए प्रतिबंध की चेतावनी दे रहे हैं. रूसी बैंकों को स्विफ्ट से निकालने का उपाय पहले ही खारिज हो गया है तो फिर इनके पास बचा क्या है?
डॉयचे वैले पर निक मार्टिन की रिपोर्ट-
अमेरिका और यूरोप के राजनयिक रूस पर नए प्रतिबंध लगाने की लगातार चेतावनी दे रहे हैं ताकि रूसी सेना को यूक्रेन में घुसने से रोका जा सके. हालांकि यह उलझन बनी हुई है कि आखिर रूस पर क्या कार्रवाई होगी. मंगलवार को जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने यूक्रेन और रूस की यात्रा के दौरान कहा कि अगर मौजूदा संकट का कूटनीतिक हल नहीं निकलता है तो रूस को इसकी "ऊंची कीमत चुकानी होगी."
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी पिछले महीने रूस को कुछ इसी तरह की चेतावनी देकर "गंभीर नतीजों" की बात कही थी. रूस ने यूक्रेन की सीमा पर एक लाख से ज्यादा की फौज जमा कर रखी है और सैन्य कार्रवाई की आशंका को रोकने के लिए ये नेता रूस पर दबाव बनाने की कोशिश में है. दिक्कत यह है कि वो क्या कदम उठाएंगे, यह तय नहीं हो पा रहा है.
स्विफ्ट से बाहर करने का विकल्प
कुछ दिन पहले अफवाह उड़ी कि सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलिकम्युनिकेशंस यानी स्विफ्ट पेमेंट सिस्टम से रूस के बैंकों को बाहर कर दिया जाएगा. हर दिन 3.5 करोड़ लेन देन में करीब 5 हजार अरब डॉलर का भुगतान करने वाले सिस्टम से बाहर होने का मतलब रूस की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा नुकसान होगा. रूसी बैंकों के लिए अंतरराष्ट्रीय भुगतान हासिल करना मुश्किल हो जाएगा और ऐसे में रूसी मुद्रा रुबल बहुत कमजोर हो जाएगी. इसके साथ ही रूस में ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों पर खासतौर से बहुत बुरा असर पड़ेगा.
भले ही यह उपाय पुतिन को जंग से दूर करने की दिशा में असरदार माना जा रहा हो, लेकिन जर्मन अखबार हांडेल्सब्लाट ने सरकार के सूत्रों के हवाले से बताया कि इस उपाय पर फिलहाल विचार नहीं हो रहा है. अखबार का कहना है कि इसकी बजाय रूसी बैंकों पर प्रतिबंध लगाए जा सकता है.
रूसी बैंकों पर निशाना
हांडेल्सब्लाट का कहना है कि इस उपाय को भी खारिज कर दिया गया है क्योंकि इससे वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता पैदा होगी और वैकल्पिक भुगतान तंत्र को विकसित करने के लिए पहल होगी. पश्चिमी देश इस बात की अनदेखी नहीं कर सकते. रूस और चीन ने हालांकि पहले ही अपने लिए स्विफ्ट का विकल्प तैयार कर लिया है, हालांकि इसमें स्विफ्ट की तरह पूरी दुनिया अभी शामिल नहीं है.
वहीं व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ने हांडेल्सब्लाट की रिपोर्ट को खारिज किया है. प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "ऐसा कोई विकल्प टेबल पर नहीं है. अगर रूस हमला करता है तो इसके गंभीर नतीजे क्या होंगे, इस पर हम अपने यूरोपीय सहयोगियों से चर्चा कर रहे हैं."
अखबार का कहना है कि रूसी बैंकों को इस बार कैसे निशाना बनाया जाएगा, इस बारे में बहुत कम ही जानकारी सामने आई है. हालांकि जर्मनी इस तरह की पाबंदियों से बचना चाहता है क्योंकि तब यूरोप के लिए रूस से आयात होने वाले तेल और गैस के लिए भुगतान करना मुश्किल हो जाएगा.
उत्तर कोरिया की तरह अलग थलग
मंगलवार को फाइनेंशियल टाइम्स ने खबर दी कि जिस तरह के प्रतिबंध उत्तर कोरिया और ईरान पर लगाए गए हैं, वही रूस पर भी लग सकते हैं यानी वैश्विक अर्थव्यवस्था से रूस को एक तरह से बाहर कर देना. 2012 में ईरान उस वक्त तक का दुनिया का पहला देश बना जिसे स्विफ्ट से बाहर किया गया. यह ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ पश्चिमी देशों के लगाए प्रतिबंध के तहत हुआ था.
यूरोप और अमेरिका 2014 में क्राइमिया को यूक्रेन से अलग करने के बाद रूस के बैंकों और कंपनियों पर प्रतिबंध लगा चुके हैं. इन प्रतिबंधों का लक्ष्य रूस की हथियार और ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों की यूरोपीय और अमेरिकी वित्तीय बाजारों तक पहुंच को सीमित करना था. हालांकि जर्मनी के कारोबारी नेता रूस पर लगे प्रतिबंधों को कम करने की मांग कर रहे है क्योंकि अगर और प्रतिबंध लगाए गए तो यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यानी जर्मनी का भी बहुत नुकसान होगा.
पाइपलाइन पर सहमति
उदाहरण के लिए रूस और जर्मनी के बीच बाल्टिक सागर से गुजरने वाली नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन का निर्माण पिछले साल पूरा हो गया. हालांकि अभी तक इसके काम शुरू करने के लिए जर्मन प्रशासन से मंजूरी नहीं मिली है. पाइपलाइन और ज्यादा बड़ी मात्रा में रूसी गैस को पश्चिमी यूरोप लेकर आएगी. हालांकि यूक्रेन और अमेरिका समेत इस प्रोजेक्ट का विरोध करने वाले देश कह रहे हैं कि इससे यूरोप और ज्यादा रूस की ऊर्जा पर निर्भर हो जाएगा. यूरोपीय संघ और अमेरिका जर्मनी पर नॉर्ड स्ट्रीम 2 की मंजूरी को रोकने के लिए दबाव बना रहे हैं. इस कदम को रूस पर प्रतिबंधों के रूप में पेश किया जा रहा है.
जर्मनी के विदेश मामलों की कमेटी के चेयरमैन मिषाएल रोथ ने मंगलवार को एआरडी टीवी चैनल से कहा कि पाइपलाइन का इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता के खिलाफ करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. रोथ का कहना है, "अगर हम सचमुच प्रतिबंध लगाने पर आते हैं और मुझे अब भी उम्मीद है कि हम इससे बच सकते हैं तो हम उन चीजों को खारिज नहीं कर सकते जिनकी मांग यूरोपीय संघ में हमारे सहयोगी कर रहे हैं."
जर्मनी की चुप्पी
अंतरराष्ट्रीय संबंधों की यूरोपीय परिषद के रफाएल लॉस ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि जर्मनी ने रूस को रोकने में यूक्रेन की मदद की दिशा में बहुत कम ही काम किया है. लॉस ने कहा, "पिछले कुछ दिनों में जो इस मुद्दे पर सारी बातचीत हुई है उसमें उन्हीं मुद्दों की चर्चा हुई है जो जर्मनी बातचीत की मेज पर नहीं रखना चाहता, जैसे कि नॉर्ड स्ट्रीम 2, हथियार देना और स्विफ्ट."
लॉस ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि यूरोप में यह धारणा बन रही है कि रूस और अमेरिका में बातचीत यूरोपीय नेताओं की अनदेखी करके हो रही है. उन्होंने याद दिलाया कि यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल इस बात से कितने खफा थे कि यूरोपीय संघ इस मामले में कोई अर्थपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है.
इस बीच रूस के वित्त मंत्री ने पिछले हफ्ते चेतावनी दी कि और प्रतिबंध दुखद होंगे लेकिन उनका देश उन्हें सह लेगा. उनका कहना है, "अगर यह खतरा आता है तो मेरे ख्याल से हमारी वित्तीय संस्थाएं इसे संभाल लेंगी." (dw.com)
अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को अभी तक किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है. इसका असर यह हो रहा है कि अंतरराष्ट्रीय मदद पर निर्भर यह देश आर्थिक विनाश के कगार पर पहुंच गया है.
तालिबान ने मुस्लिम देशों से अपील की है कि वो उसकी सरकार को मान्यता देने की प्रक्रिया की शुरुआत करें. तालिबान के प्रधानमंत्री मोहम्मद हसन अखुंद ने काबुल में एक प्रेस वार्ता के दौरान मुस्लिम देशों से यह अपील की. प्रेस वार्ता देश की बढ़ती आर्थिक समस्याओं पर तालिबान के विचार रखने के लिए बुलाई गई थी.
अखुंद ने कहा कि अगर मुस्लिम देश मान्यता की शुरुआत कर देते हैं तो उन्हें उम्मीद है कि अफगानिस्तान का "तेजी से विकास होगा." तालिबान नेता ने यह भी कहा, "हम मान्यता हमारे अधिकारियों के लिए नहीं चाहते हैं. हम यह हमारी जनता के लिए चाहते हैं."
नहीं मिल रही मदद
अखुंद ने इस बात पर जोर दिया कि तालिबान ने शांति और स्थिरता बहाल कर मान्यता के लिए आवश्यक जरूरतों को पूरा कर दिया है. अभी तक दुनिया के किसी भी देश ने तालिबान को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है और इसका असर यह हो रहा है कि अंतरराष्ट्रीय मदद पर निर्भर यह देश आर्थिक विनाश के कगार पर पहुंच गया है.
दुनिया के अधिकांश देश यह देखना चाह रहे हैं कि सत्ता में अपने पहले कार्यकाल के दौरान मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए बदनाम तालिबान इस बार अधिकारों को लेकर कैसे पेश आता है.
तालिबान ने इस्लामिक शरिया कानून की उसकी अपनी समझ के हिसाब से लागू किए जाने में थोड़ी नरमी के संकेत तो दिए हैं लेकिन महिलाओं की हालत को लेकर अभी भी कई चिंताएं बनी हुई हैं. सरकारी नौकरियों से महिलाएं अभी भी मोटे तौर पर बाहर ही हैं और लड़कियों के लिए माध्यमिक स्तर के स्कूल लगभग पूरे देश में बंद ही हैं.
मानवीय त्रासदी
उधर देश एक मानवीय त्रासदी की चपेट में है जो तालिबान के आने के बाद और गहरा गया है. तालिबान के सत्ता हथिया लेने के बाद पश्चिमी देशों ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली अंतरराष्ट्रीय मदद रोक दी. साथ ही विदेशों में अफगान सरकार के अरबों डॉलर मूल्य की संपत्ति को भी फ्रीज कर दिया.
अमेरिका की मदद से चल रही पिछली सरकार के तहत अफगानिस्तान लगभग पूरी तरह से विदेशी मदद पर निर्भर था. अब हालत ये है कि देश में रोजगार बिलकुल खत्म हो गया है और अधिकांश सरकारी अधिकारियों को महीनों से तनख्वाह नहीं मिली है.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का कहना है कि 2021 की तीसरी तिमाही में करीब 5,00,000 अफगान लोगों की नौकरी चली गई. अंदेशा है कि 2022 के मध्य तक यह संख्या बढ़ कर करीब 9,00,000 हो जाएगी. इसमें महिलाओं पर अनुपातहीन रूप से असर पड़ा है.
देश में गरीबी और गहरा रही है और कई इलाकों में सूखा ने कृषि को उजाड़ कर रख दिया है. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि 3.8 करोड़ लोगों में कम से कम आधी आबादी को भोजन की कमी का सामना करना पड़ रहा है.
मुस्लिम देशों का रुख
पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से अमेरिका के एक प्रस्ताव को पारित किया जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का उल्लंघन किए बिना अफगान लोगों तक कुछ मदद पहुंचाई जाएगी. लेकिन अधिकार और मदद संगठन पश्चिमी देशों से और पैसे देने की अपील कर रहे हैं.
मदद देने वालों के सामने चुनौती बिना तालिबान का समर्थन किए मदद पहुंचाने की है. लेकिन तालिबान सरकार के उप-प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनाफी ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि उनकी सरकार "मदद करने वालों की शर्तों के आगे झुक कर देश की अर्थव्यवस्था की आजादी का त्याग नहीं करेगी."
पिछले महीने ही 57 सदस्य देशों के ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) ने तालिबान सरकार को आधिकारिक रूप से मान्यता देने से इनकार कर दिया. लेकिन संगठन ने ये वादा जरूर किया कि वो विदेश में फ्रीज की हुई अरबों डॉलर मूल्य की अफगान संपत्ति पर से रोक हटाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करेगा.
इसके लिए ओआईसी ने तालिबान के नेताओं को भी महिलाओं के अधिकारों को लेकर अंतरराष्ट्रीय बाध्यताओं को मानने के लिए कहा. 1996 में जब पहली बार अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता में आया था तब पाकिस्तान, सऊदी अरब और यूएई ने उसकी सरकार को मान्यता दी थी.
सीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)
लू, बाढ़, सूखा जैसी आपदाएं, तेजी से गर्म होती धरती, विलुप्त होते जानवर और पेड़-पौधों की प्रजातियां... कितने संकट हमारे सामने एक साथ मुंह बाए खड़े हैं और हम 'बुरी तरह बीमार आदमी का प्लास्टर लगाकर इलाज करना' चाहते हैं.
विशेषज्ञों के एक समूह ने चेतावनी दी है कि जैव विविधता और कई प्रजातियों के विलुप्त होने के जिस संकट से हम गुजर रहे हैं, उससे निपटने के लिए प्रकृति संरक्षण के उपाय नाकाफी हैं. विशेषज्ञों ने यह बयान धरती पर जानवरों और पेड़-पौधों को बचाने की नीयत से किए जाने वाले उस समझौते के बारे में दिया है, जिसका मसौदा अभी तैयार किया जा रहा है.
दरअसल इस साल मई में चीन के कुनमिंग में संयुक्त राष्ट्र का जैव विविधता सम्मेलन होना है. इसमें यह कथित 'वैश्विक जैव विविधता संरक्षण समझौता' पेश किया जाएगा. इस समझौते का मुख्य लक्ष्य धरती पर जमीन और समंदर के 30 फीसदी हिस्से को 'संरक्षित इलाका' करार देकर एक किनारे रखने का है. यानी उस जगह ऐसी कोई गतिविधि नहीं की जाएगी, जिससे जैव-विविधता को खतरा हो.
क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ
50 से ज्यादा शीर्ष विशेषज्ञों ने कहा है कि इस समझौते के मसौदे में जो उपाय या लक्ष्य तय किए जा रहे हैं, वो हमारी आज की जरूरत के सामने बौने साबित होंगे. पेरिस सैकले यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और लेखक पॉल लीडली ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा, "हम जैव विविधता संकट से घिरे हुए हैं. आज लाखों प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं."
पॉल कहते हैं, "इस बात के पुख्ता सुबूत हैं कि जो फैसले तुरंत करने की जरूरत है, उनकी बजाय अगर हम इलाकों को संरक्षित करने पर बहुत ज्यादा ध्यान देते रहेंगे, तो हम इन महत्वाकांक्षी जैव विविधता लक्ष्यों को हासिल करने में फिर से नाकाम हो जाएंगे."
क्या पहले के लक्ष्य हुए हासिल?
जो मसौदा अभी तैयार किया जा रहा है, उस समझौते को लेकर करीब 200 देश बातचीत कर रहे हैं. इस समझौते में 2030 के लिए लक्ष्य तय किए जाने हैं. साथ ही, इसका मकसद है कि जैव विविधता का जो भी नुकसान हुआ है, उसे 2050 तक पूरी तरह रोक दिया जाए और इंसान प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहने लगे.
एक दशक पहले जापान के आइची में भी संयुक्त राष्ट्र के एक सम्मेलन में दुनिया के तमाम देशों ने मिलकर ऐसे ही कुछ लक्ष्य तय किए थे. हालांकि एक दशक बाद उन लक्ष्यों को हासिल करने में दुनिया लगभग पूरी तरह नाकाम रही. पॉल कहते हैं, "हम एक गंभीर रूप से बीमार शख्स को बार-बार प्लास्टर लगाकर ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं. यह बंद होना चाहिए."
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र का 'जलवायु परिवर्तन पर विज्ञान सलाहकार समूह' भी ऐसी ही चेतावनी जारी कर चुका है. पॉल और उनके सहयोगी कहते हैं कि प्रकृति को अब तक जो नुकसान पहुंचाया जा चुका है, उसे पलटने के लिए समाज में एकदम कायापलट की क्षमता रखनेवाले उपाय करने की जरूरत है. इसकी शुरुआत खाने का उत्पादन और उसका दोहन करने के हमारे तौर-तरीकों में सुधार के साथ होना चाहिए.
वजहें क्या हैं?
नीतियां बनानेवालों को यह भी समझना होगा कि तमाम जीवों के विलुप्त होने, उनका प्राकृतिक आवास छिनने और उनके बंट जाने के पीछे कई कारण हैं. जैसे खाने और मुनाफे के लिए जरूरत से ज्यादा शिकार किया जाना, प्रदूषण, हमलावर प्रजातियों का फैलना वगैरह. इन सभी समस्याओं को एक साथ साधे बिना कोई ठोस नतीजा नहीं निकलेगा.
रिपोर्ट कहती है, "जैव विविधता का संकट कई वजहों से पैदा हुआ है. इसका मतलब है कि किसी एक या कुछ समस्याओं पर कदम उठाना नाकाफी होगा और लगातार हो रहे नुकसान को रोक नहीं पाएगा." जलवायु परिवर्तन भी जमीन से लेकर समंदर तक जानवरों और पेड़-पौधों की कई प्रजातियों के लिए तेजी से बढ़ता संकट है. ये प्रजातियां खुद को हालात के अनुकूल जितनी तेजी से ढालती हैं, उससे कहीं ज्यादा तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है.
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग को डेढ़ डिग्री तक सीमित रखने की जरूरत है. हालांकि, डेढ़ डिग्री भी औद्योगिक काल से पहले के स्तर से ज्यादा ही होगा, लेकिन मसौदे में यह लक्ष्य कहीं दिखाई ही नहीं देता है. धरती की ऊपरी परत पहले ही 1.1 डिग्री गर्म हो चुकी है, जिससे तूफान, लू, सूखा और बाढ़ जैसी विनाशकारी घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है.
वीएस/एनआर (एएफपी)
अब जबकि कई देशों में ढेर सारे लोगों को वैक्सीन लग चुकी है, तो यह सवाल कई लोगों के मन में आ रहा है कि कपड़े का मास्क जरूरी है या N95 मास्क. हालांकि, इसका सही जवाब डॉक्टरों और विशेषज्ञों से ही हासिल किया जा सकता है.
(dw.com)
कोरोना महामारी का दूसरा साल चल रहा है और फिलहाल कहर मचाए ओमिक्रॉन वेरिएंट से लोगों के गंभीर रूप से बीमार की होने की खबरें नहीं आ रही हैं. कई देशों में तमाम लोगों को कोविड वैक्सीन लग चुकी है. बहुत से लोगों को तो दो वैक्सीन के बाद बूस्टर भी दिया जा चुका है. ऐसे में जायज सवाल है कि एन95 मास्क पहनना ज्यादा सही है या फिर कपड़े का मास्क पहनना बेहतर है? हो सकता है कि यह सवाल आपके मन में भी उमड़ रहा हो. सही जवाब तो विशेषज्ञ और डॉक्टर ही दे सकते हैं. तो आइए, जानते हैं.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार कोविड का ओमिक्रॉन वेरिएंट बहुत तेजी से फैलता है. इसके खिलाफ मजबूत सुरक्षा जरूरी है. ऐसे में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए आज आपको एन95 या केएन95 जैसे ज्यादा सुरक्षा देने वाले मास्क की ही जरूरत है. आज की तारीख में कई देशों में स्वास्थ्य तंत्र लचर हालत में हैं. लोगों की एक बड़ी आबादी संक्रमण की शिकार हो चुकी है या संक्रमित होने की जद में है. घरों में भी किसी एक व्यक्ति के संक्रमित होने पर बाकी पूरे परिवार के संक्रमित होने के मामले ज्यादा आ रहे हैं. वर्जीनिया टेक में वायरस पर अध्ययन करने वाली लिन्सी मार कहती हैं कि ऐसे में ज्यादा सुरक्षा वाले मास्क और जरूरी हो जाते हैं.
सीडीसी का क्या कहना है?
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन (सीडीसी ) ने हाल ही में अपने दिशा-निर्देशों में बदलाव किया है और बताया है कि स्वास्थ्यकर्मियों को कौन से मास्क पहनने चाहिए. इन्हीं दिशा-निर्देशों में आम लोगों के लिए भी सलाह दी गई है कि लोग अपने चेहरे पर अच्छी तरह फिट होने वाला मास्क ही लगाएं और इसे ज्यादा से ज्यादा वक्त तक लगाए रखें.
इससे पहले जब आपूर्ति में दिक्कतें आ रही थीं, तब इस संकट को देखते हुए सीडीसी ने कहा था कि एन95 सिर्फ स्वास्थ्यकर्मियों को ही लगाने चाहिए. वैसे एक और श्रेणी भी है, सर्जिकल एन95 मास्क, जो अमूमन आम जनता को बेचे जाने के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं.
एन95 में क्या बेहतर है?
कपड़ों से बने मास्क के मुकाबले एन95 मास्क आपके चेहरे पर अच्छी तरह और कसा हुआ फिट होता है. इसे बनाया ही ऐसी सामग्री से जाता है कि यह 95 फीसदी से ज्यादा हानिकारक कणों को आपकी नाक और मुंह में जाने से बचा लेता है. कपड़े के मुकाबले एन95 में फाइबर एक-दूसरे के बहुत करीब गुंथे होते हैं. इसमें इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्ज होता है, जो कणों को मास्क से गुजरकर आपके नाक-मुंह में जाने देने के बजाय उन्हें खुद से चिपका लेता है.
केएन95 और केएफ94 मास्क से भी आपको लगभग इसी तरह की सुरक्षा मिलती है. सीडीसी की वेबसाइट पर आप उन मास्क की लिस्ट भी देख सकते हैं, जो सुरक्षा और गुणवत्ता के अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करते हैं. वैसे इन मास्क को खरीदते समय भी आपको सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि बाजार में नकली मास्क भी खूब बेचे जा रहे हैं.
नकली मास्क से भी सावधान
सीडीसी की ही मानें, तो अमेरिका में केएन95 के नाम से बिक रहे 60 फीसदी से ज्यादा मास्क नकली हैं, जो गुणवत्ता और सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय पैमानों पर खरे नहीं उतरते हैं. आपको भी अपने देश में मास्क खरीदते समय इस बात को लेकर सावधान रहने की जरूरत है. वैसे किसी के मास्क को सिर्फ देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि यह असली या नकली. ऐसे में विशेषज्ञ सुझाते हैं कि मास्क सीधे नामी विक्रेताओं से ही खरीदे जाएं.
हां, अगर आपको कोई एन95 मास्क लगातार देर तक लगाने में दिक्कत होती है, तो विशेषज्ञ आपको अलग-अलग बनावट और आकार वाले मास्क आजमाने की सलाह देते हैं, ताकि आप खुद ही अंदाजा लगा सकें कि कौन सा मास्क आपके लिए सबसे आरामदेह है.
वीएस/एमजे (एपी, रॉयटर्स)
पाकिस्तान में एक मुस्लिम महिला को व्हॉट्सऐप के जरिए ईशनिंदा करने वाले संदेश और पैगंबर मोहम्मद के कार्टून भेजने का दोषी पाए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई गई है.
पाकिस्तान की अदालत ने बुधवार को महिला को व्हॉट्सऐप पर ईशनिंदा करने वाले संदेश और पैगंबर मोहम्मद के कार्टून भेजने का दोषी पाए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई है. मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में ईशनिंदा एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है और इसे प्रतिबंधित करने वाले कानूनों में संभावित मौत की सजा हो सकती है. हालांकि इसे अपराध के लिए कभी भी लागू नहीं किया गया है.
अदालत की तरफ से जारी संक्षिप्त विवरण के मुताबिक 26 वर्षीय अनीका अतीक को मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था और उसके व्हॉट्सऐप स्टेटस के रूप में "ईशनिंदा सामग्री" पोस्ट करने का आरोप लगाया गया था. जब उसके दोस्त ने स्टेटस हटाने को कहा था तो अतीक ने उस संदेश को अपने दोस्त को ही भेज दिया. पैगंबर मोहम्मद के चित्र बनाना इस्लाम में प्रतिबंधित है.
ईशनिंदा के मैसेज भेजने का आरोप
इसी शिकायत पर रावलपिंडी की अदालत ने अतीक को दोषी ठहराया था और उसे मौत की सजा सुनाई है. रावलपिंडी के गैरीसन शहर में सजा की घोषणा की गई, अदालत ने अतीक को "उसकी गर्दन से तब तक लटकाए रखने" का आदेश दिया जब तक कि वह मर नहीं जाए. उन्हें 20 साल की जेल की सजा भी दी गई है.
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग के मुताबिक पाकिस्तान में आज भी लगभग 80 लोग ईशनिंदा के आरोपों में जेलों में बंद हैं. उनमें से कम से कम आधे मौत की सजा या उम्रकैद पा सकते हैं जबकि कई मामलों में एक मुस्लिम पर दूसरा मुस्लिम व्यक्ति ईशनिंदा का आरोप लगाता है, अधिकार कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि धार्मिक अल्पसंख्यक विशेष रूप से ईसाई इस झगड़े में फंस जाते हैं और व्यक्तिगत विवाद को निपटाने के लिए उनके खिलाफ ईशनिंदा के आरोपों का इस्तेमाल किया जाता है.
पीट-पीटकर मारे जाते हैं आरोपी
पिछले साल दिसंबर में पाकिस्तान में काम करने वाले एक श्रीलंकाई मैनेजर को ईशनिंदा का आरोप लगाने के बाद भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था और उसे जला डाला था. पाकिस्तान के मानवाधिकर समूहों का कहना है देश में ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल निजी दुश्मनी या फिर अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के लिए होता आया है.
पाकिस्तान में इस्लामी कट्टरपंथ चरम पर है और इस तरह के आरोपों पर पीट-पीटकर हत्या या सड़क पर कानून को अपने हाथ में लेने वालों की कोई कमी नहीं है. 1980 से अब तक ईशनिंदा के करीब 75 आरोपियों की कोर्ट में सुनवाई खत्म होने से पहले ही भीड़ द्वारा हत्या की जा चुकी है.
एए/वीके (एएफपी, एपी)
अफगानिस्तान में अब मुश्किल से 140 सिख बचे हैं. इन लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि जाएं या रुकें. कुछ लोग भारत जाकर लौट आए हैं क्योंकि वहां कुछ नहीं मिला.
काबुल के जिस गुरुद्वारे में कभी विशाल संगतें हुआ करती थीं, वहां अब वीराना पड़ा है. काबुल में एक ही गुरुद्वारा है जिसकी देखरेख करने वाले गुरनाम सिंह खाली आंगन को निराशा से देखते रहते हैं. वह बताते हैं, "अफगानिस्तान हमारा देश है, हमारी सरजमीं है. पर हम पूरी निराशा के साथ इसे छोड़ रहे हैं.”
1970 में अफगानिस्तान में सिखों की आबादी एक लाख से ज्यादा थी. दशकों से जारी युद्ध, गरीबी और समाज में बढ़ी असहिष्णुता ने हालात बदल दिए हैं. पहले सोवियत संघ के कब्जे, फिर तालिबान का खूनी राज, उसके बाद अमेरिका का आक्रमण इस सिख आबादी पर ऐसा भारी गुजरा कि देश में पिछले साल मात्र 240 सिख बचे थे.
अगस्त में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद सिखों के देश छोड़ने का नया सिलसिला शुरू हो गया. गुरनाम सिंह का अंदाजा है कि अब 140 लोग बचे हैं जिनमें से अधिकतर जलालाबाद या काबुल में हैं. काबुल में बचे ये मुट्ठीभर सिख गुरुद्वारे में अरदास के लिए जमा होते हैं. हाल ही में एक सोमवार को अरदास के लिए कुल जमा 15 लोग आए थे. नवंबर में गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब की तीन प्रतियां थीं जिनमें से दो भारत ले जाई जा चुकी हैं.
खतरा अब भी है
मुस्लिम बहुल अफगानिस्तान में सिखों ने काफी भेदभाव झेला है. गरीबी की मार तो है ही, इस्लामिक स्टेट के तेजी से उभरते संगठन खोरसान का खतरा भी लगातार मंडरा रहा है.
अफगानिस्तान से भागे ज्यादातर सिख भारत गए हैं जहां दुनियाभर की कुल ढाई करोड़ आबादी का 90 प्रतिशत हिस्सा बसता है. तालिबान के सत्ता में वापसी के बाद भारत ने सिखों को प्राथमिकता से वीजा देने की योजना शुरू की है. लोग लंबे निवास के लिए वीजा भी अप्लाई कर सकते हैं लेकिन नागरिकता की फिलहाल कोई संभावना नजर नहीं आती.
फार्मासिस्ट मनजीत सिंह 40 साल के हैं. वह उन चंद लोगों में से हैं जिन्होंने अफगानिस्तान छोड़ने से इनकार कर दिया. पिछले साल जब उनकी बेटी भारत चली गई तो उनके सामने भी विकल्प था लेकिन उन्होंने कहा, "मैं भारत में करूंगा क्या? ना वहां कोई काम है न घर है.”
जो सिख अफगानिस्तान में बचे हैं उनके लिए देश छोड़ने का फैसला बेहद मुश्किल है. उनके लिए अफगानिस्तान छोड़ना अपने रूहानी घर को त्यागने जैसा है. 60 साल के मनमोहन सिंह कहते हैं, "60 साल पहले जब यह गुरुद्वारा बना था, तब सारा इलाका सिखों से भरा हुआ था. हमने अपने सुख-दुख सब एक दूसरे के साथ साझे किए थे.”
भारत नहीं जाना चाहते
बाहर से देखने पर गुरुद्वारा आसपास की किसी भी आम इमारत जैसा लगता है. लेकिन यहां सुरक्षा ज्यादा चाकचौबंद है. सबकी कड़ी तलाशी होती है, पहचान पत्र जांचे जाते हैं और तभी अंदर जाने की इजाजत मिलती है. बीते अक्टूबर में कुछ अज्ञात बंदूकधारी इमारत में घुस गए थे और यहां तोड़फोड़ की थी. तब से डर और बढ़ गया.
हालांकि यह कोई पहला ऐसा वाकया नहीं था. 2020 मार्च में आईएस-के के सदस्यों ने काबुल के शोर बाजार में हर राय साहिब गुरुद्वारे पर हमला किया और 25 सिखों को मार गिराया था. उस हमले के बाद से काबुल का करीब 500 साल पुराना वह सबसे पुराना गुरुद्वार अनाथ पड़ा है.
आईएस-के के हमले में घायल परमजीत कौर की बाईं आंख में छर्रा लगा था. उनकी बहन मरने वालों में शामिल थीं. बाद में कौर ने अपना सामान बांधा और दिल्ली चली गईं. लेकिन वह लौट आईं. वह बताती हैं, "वहां ना तो कोई काम था और रहना भी बहुत महंगा था.”
परमजीत पिछले साल जुलाई में लौटी थीं, तालिबान के सत्ता में लौटने से एक महीना पहले. अब वह, उनके पति और तीन बच्चे कारते परवान गुरुद्वारे में ही रहते हैं. उनके बच्चे स्कूल नहीं जाते और वह खुद भी गुरुद्वारे की चार दीवारी से बाहर नहीं निकलतीं. यही एक जगह है जहां वह सुरक्षित महसूस करती हैं.
परमजीत देश छोड़ने के बारे में सोचती हैं, लेकिन इस बार वह भारत नहीं कनाडा या अमेरिका जाना चाहती हैं. वह कहती हैं, "मेरे बच्चे अभी छोटे हैं. अगर हम चले जाएं तो वहां अपनी जिंदगी फिर से खड़ी कर सकती हैं.”
वीके/एए (रॉयटर्स)
चेक गणराज्य में एक लोक गायिका की कोविड से मौत हो गई है. हाना होरका नाम की इस गायिका ने जानबूझ कर खुद को कोविड से संक्रमित किया था.
चेक गणराज्य की लोकगायिका हाना होरका की कोविड से मौत हो गई है. 57 वर्षीया होरका के परिवार ने बताया है कि ‘हेल्थ पास' हासिल करने के लिए उन्होंने जानबूझ कर खुद को संक्रमित किया था ताकि वह रेस्तरां और थिएटर आदि में जा सकें.
चेक गणराज्य में नियम है कि सार्वजनिक जगहों जैसे रेस्तरां, थिएटर और सांस्कृतिक केंद्रों आदि में जाने के लिए वैक्सीनेशन का प्रमाण पत्र दिखाना होता है. हालांकि, कोविड होने पर टीका लगवाने से छूट मिल जाती है.
‘उनके हाथ खून से रंगे हैं'
होरका के पुत्र यान रेक ने बताया कि होरका की रविवार को मौत हो गई. वह जानेमाने बैंड ऐसोनांस की मुख्य गायिका थीं. रेक ने सरकारी रेडियो आईरोजहाल्त्स को बताया कि क्रिसमस से पहले होरका ने खुद को संक्रमित कर लिया था जबकि उनके पति और बेटे ने टीका लगवाया था.
रेक ने कहा, "उन्होंने हमारे साथ सामान्य रूप से ही रहने का फैसला किया. उन्होंने फैसला किया कि टीका लगवाने से बेहतर है संक्रमित होना.”
लगभग एक करोड़ लोगों की आबादी वाले चेक रिपब्लिक में मंगलवार को 20 हजार से ज्यादा संक्रमण थे. मौत से दो दिन पहले ही होरका ने सोशल मीडिया पर लिखा था, "मैं बच गई. यह बहुत गंभीर था. इसलिए अब थिएटर होगा, सॉना और कॉन्सर्ट होगा. और समुद्र की एक तुरंत जरूरी यात्रा भी.”
रेक ने होरका की मौत के लिए स्थानीय वैक्सीनेशन विरोधी आंदोलन को जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा कि उन लोगों के हाथ खून से रंगे हैं. रेक ने कहा, "मैं अच्छी तरह जानता हूं कि मेरी मां को किसने प्रभावित किया. मुझे इस बात का अफसोस है कि उन्होंने अपने परिवार के बजाय अनजान लोगों पर ज्यादा भरोसा किया.”
कोविड खत्म नहीं हुआ है
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि महामारी अभी खत्म होने के आसपास भी नहीं है. संगठन के प्रमुख तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने कहा कि ओमिक्रॉन की तरह और वेरिएंट आते रहेंगे. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, "यह महामारी खात्मे के आसपास भी नहीं है. और जिस तरह ओमिक्रॉन दुनियाभर में फैला है, बहुत संभव है कि नए वेरिएंट उभरते रहेंगे. इसलिए ट्रैकिंग और आकलन महत्वपूर्ण है.”
पिछले साल के आखिरी महीने में दक्षिण अफ्रीका में पहचाने गए ओमिक्रॉन के कारण पूरी दुनिया में एक बार फिर कोविड-19 के मामले चरम पर पहुंच गए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों ने कहा है कि भले ही ओमिक्रॉन पहले से कम खतरनाक है लेकिन इस कारण लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है और उनकी जानें भी जा रही हैं.
डबल्यूएचओ के स्वास्थ्य आपदा योजना के कार्यकारी निदेशक माइक रायन ने कहा, "इसे हल्का वायरस कहना या कम खतरनाक कहना यह भाव देता है कि इसका स्वास्थ्य व्यवस्था पर कम असर होगा. अगर यह वायरस नियंत्रण से बाहर हो जाएगा तो ऐसा नहीं होगा. इसीलिए हमारी सलाह है कि कड़े उपाय जारी रखे जाएं.”
कुछ सरकारों ने संकेत दिए हैं कि वे अब कोविड-19 महामारी को स्थानीय बीमारी के तौर पर ही मानेंगी. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि ओमिक्रॉन वायरस ने अब तक प्रतिरोधी क्षमता को सबसे ज्यादा पार किया है और यह वैक्सीन ले चुके लोगों में भी तेजी से फैसला है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी, डीपीए)
उन दोनों के बीच कोई लड़ाई नहीं थी, न मतभेद, न गुस्सा, न कोई शिकायत. दोनों लंबे समय से शादी के रिश्ते को बखूबी निभा रहे थे. उनमें प्यार था. एक-दूसरे के लिए सम्मान था. कुल मिलाकर एक बेहतर रिश्ते के साथ जी रहे थे दोनों. फिर अचानक एक रात पत्नी नींद में बड़बड़ाने लगी तो 61 साल के पति एंटोनी ने अपनी 47 साल की पत्नी रूथ फोर्ट की पुलिस से शिकायत कर दी. पुलिस भी पत्नी के खिलाफ पति के इस एक्शन से दंग थी. लेकिन जब सच सामने आया तो पुलिस ने भी उनकी सराहना की.
2010 में शादी के बंधन में बंधे रूथ और एंटोनी की ज़िंदगी अच्छी गुज़र रही थी. परिवार के सामने कुछ दिक्कतें आई तो रूथ ने केयर होम में नौकरी कर ली. वहीं की एक दिव्यांग महिला के पैसों पर बीवी को ऐश करते देख एंटोनी को उसपर शक हुआ था. जो बाद में सच साबित हुआ.
नींद में कबूल कर लिया जुर्म, पहुंच गई जेल
अपने पति के साथ सोई रूथ देर रात अचानक नींद में बड़बड़ाने लगी. एंटोनी की भी नींद टूट गई. थोड़ी देर तक बड़बड़ाने के बाद रुथ ने कुछ ऐसा कहा जिससे एंटोनी का दिल टूट गया. जिस पत्नी को वो इतना प्यार और सम्मान देता था वो चोर निकली. उसने केयर होम में जिस दिव्यांग महिला की ज़िम्मेदारी ली थी. उसी को मार्केट घुमाने के दौरान उसका एटीएम कार्ड चुरा लिया. रूथ ने ये सारी बातें नींद में कबूल कर ली. जिसके बाद एंटोनी ने उसे जगा कर फिर से सारी बातों को पुख्ता करने के लिए पूछताछ की तो रूथ ने सारा वाकया कह सुनाया. फिर कया था, एंटोनी ने पुलिस में पत्नी के खिलाफ रिपोर्ट कर दी.
उड़ाने लगी बेतहाशा पैसे तो आई शक के घेरे में
कुछ समय पहले ही दोनों परिवार समेत मैक्सिको घूमने गए थे. वहां रूथ ने जमकर पैसे उड़ाए. एंटोनी को अचानक होती पैसों की बारिश से कुछ शक हुआ लेकिन उस समय रूथ ने कोई जवाब नहीं दिया. फिर अचानक एक रात फर्श पर पड़े उसके पर्स में कुछ कैश और एक अनजान एटीएम देखकर फिर चौंका, उसके बाद तो नींद में सच कबूल करते ही सारी बात साफ हो गई. एंटोनी को इस बात का दुख है की उसकी पत्नी इतनी निर्दयी कब और कैसे हो गई कि एक व्हीलचेयर के सहारे चलने वाली बेसहारा महिला के पैसों पर उसने बुरी नज़र डाली. वहीं Preston Crown Court कोर्ट में पेश होने के बाद रूथ ने अपनी चोरी का जुर्म कबूल कर लिया, वहीं कोर्ट की जज ने एंटोनी की हिम्मत और कड़े कदम के लिए उसकी सराहना की. कोर्ट ने रूथ को 16 महीने की सज़ा सुनाई.
मिस्र में एक महिला टीचर का डांस वीडियो वायरल हो गया, जिसके बाद पति ने तलाक दे दिया और नियोक्ता ने उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया. अब देश में महिलाओं के अधिकारों को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है.
बीते दिनों प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका 30 साल की आया यूसुफ का डांस वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके कारण उसके पति ने उसे तलाक दे दिया और उसकी नौकरी चली गई. इस कदम ने महिलाओं के अधिकारों के हनन पर एक नई बहस छेड़ दी है. मोबाइल द्वारा बनाए गए छोटे से इस वीडियो में यूसुफ स्कार्फ पहनी हुई हैं और पूरी बाजू की कमीज पहने नील नदी पर एक नाव पर अपने सहयोगियों के साथ नाचती और मुस्कुराती हुई दिखाई दे रही हैं.
लेकिन ऑनलाइन वायरल हो रहे इस वीडियो ने विवाद खड़ा कर दिया है. कुछ आलोचकों ने डांस को इस्लामी समाज के मूल्यों का उल्लंघन बताया है, जबकि अन्य लोगों ने महिलाओं के साथ सहानुभूति दिखाते हुए उसका साथ दिया है. हाल के सालों में मिस्र में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिनमें महिलाओं को सोशल मीडिया पर बदनाम किया गया है. जिसके कारण जनता ने जिम्मेदार लोगों से जवाबदेही की मांग की है.
मौलिक अधिकार पर छिड़ी बहस
यह मामला ऐसे समय में आया है जब मौलिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने 2014 में राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के पदभार संभालने के बाद से रूढ़िवादी उत्तर अफ्रीकी देश में अभिव्यक्ति की आजादी पर व्यापक कार्रवाई की चेतावनी दी है.
हाल ही में एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में महिला ने कहा, ''वह अपनी ट्रिप से खुश थीं और उनका डांस उस खुशी की अभिव्यक्ति था. मेरे साथ कुछ साथी डांस कर रहे थे और कुछ हवा में हाथ लहरा रहे थे. हम सब नाच रहे थे." जब से वीडियो को ऑनलाइन साझा किया गया है तब से कुछ लोगों ने इसकी कड़ी आलोचना की और इसे "अशोभनीय" व्यवहार बताया. सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर के एक यूजर जिहाद अल-कुलुबी ने टीचर के डांस को "शर्मनाक" कहा. एक अन्य यूजर अहमद अल-बहिरा ने लिखा कि एक "शादीशुदा महिला इतने बेहूदा तरीके से कैसे डांस कर सकती है."
लेकिन एक ऐसे देश में जहां 18 से 39 वर्ष की आयु की 90 प्रतिशत महिलाओं ने 2019 में उत्पीड़न की सूचना दी थी, उन्होंने महिला का समर्थन किया है. वीडियो के वायरल होने के बाद मिस्र के शिक्षा विभाग ने शिक्षिका को काहिरा के उत्तर-पूर्व में डकाहलिया क्षेत्र में एक अनुशासनात्मक समिति के सामने पेश होने का आदेश दिया था, जहां आया यूसुफ को नौकरी से निकाल दिया गया था. लेकिन उसके बाद से जनता के कड़े विरोध के चलते यूसुफ की नौकरी बहाल हो गई.
महिला के डांस पर देश में बहस
मिस्र में महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक संगठन के प्रमुख निहद अल-कुमसान ने शिक्षिका का बचाव किया और महिला शिक्षिका को नौकरी की पेशकश की. कुमसान ने मजाकिया लहजे में कहा, "हम अदालत से डांस के संबंध में सही नियमों पर जवाब मांगेंगे ताकि महिलाएं अपने भाइयों और बेटों की शादी या जन्मदिन पर इन नियमों के मुताबिक डांस कर सकें."
मिस्र की मशहूर अभिनेत्री सामिया अल-खशाब का कहना है कि इस तरह की प्रतिक्रिया समाज के दोहरे मानकों को दर्शाती है. उन्होंने सवाल किया कि पुरुष अपनी पत्नियों का समर्थन क्यों नहीं करते. उन्होंने आगे कहा, "कई महिलाएं हैं जो अपने पति का समर्थन करती हैं और बुरी स्थिति में या जेल जाने पर भी पत्नियां उनका साथ नहीं छोड़ती हैं."
आया यूसुफ ने मिस्र की अल-वतन अखबार को बताया कि वह नहीं जानती कि सोशल मीडिया पर वीडियो किसने पोस्ट किया, लेकिन वह उन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना चाहती थी जिन्होंने बदनाम करने की कोशिश की थी. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब ऑनलाइन बदनाम करने की घटना ने मिस्र में आक्रोश पैदा किया है.
पिछले साल एक 17 वर्षीय लड़की ने जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश करने के बाद जनवरी में दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया था. लड़कों ने उसकी ऑनलाइन तस्वीरों में छेड़छाड़ करके उसे ब्लैकमेल करने की कोशिश की क्योंकि लड़की ने उनसे दोस्ती करने से इनकार कर दिया था.
जुलाई 2021 में दो महिलाओं को टिकटॉक पर अपने वीडियो पोस्ट करके सार्वजनिक नैतिकता का उल्लंघन करने के लिए मिस्र की एक अदालत ने 6 और 10 साल जेल की सजा सुनाई थी. वे मिस्र के दर्जनों सोशल मीडिया इंफ्लुएंसरों में से थीं जिन्हें 2020 में सामाजिक मूल्यों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
एए/सीके (एएफपी)
अभी केवल एक पेट स्टोर के 11 हैमस्टर कोरोना पॉजिटिव मिले हैं. मगर प्रशासन ने यहां के दो दर्जन से भी अधिक दुकानों से खरीदे गए सैकड़ों हैमस्टरों और छोटे स्तनपायी जीवों को मारने का फैसला किया है.
हांग कांग प्रशासन ने कोरोना संक्रमण की आशंका के चलते करीब दो हजार हैमस्टरों को मारने की बात कही है. यह फैसला पालतू जानवर बेचने वाली एक दुकान में 11 हैमस्टरों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद लिया गया. इसके बाद प्रशासन ने लोगों से कहा कि वे अपने हैमस्टर दे दें, ताकि उन्हें मारकर संक्रमण फैलने के खतरे को रोका जा सके. 18 जनवरी को हुए प्रशासन के इस ऐलान के चलते जानवरों के लिए काम करने वाली संस्थाएं डरी हुई हैं. उन्हें आशंका है कि कहीं लोग डरकर अपने पालतू जानवरों को छोड़ न दें.
क्यों लिया गया ये फैसला?
17 जनवरी को पालतू जानवर बेचने वाली एक स्थानीय दुकान 'लिटिल बॉस पेट स्टोर' का एक कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाया गया. इस दुकान पर आने वाला एक ग्राहक भी पॉजिटिव मिला. दोनों को डेल्टा वैरिएंट का संक्रमण हुआ था. इसके बाद प्रशासन ने दुकान के जानवरों की जांच की, जिसमें 11 हैमस्टर संक्रमित पाए गए. हांगकांग प्रशासन महामारी की शुरुआत से ही कोरोना मामलों को शून्य रखने की रणनीति अपना रहा है.
मौजूदा प्रकरण के बाद आशंका उभरी कि कहीं यह जानवरों से इंसानों में संक्रमण फैलने का मामला तो नहीं है. इसीलिए प्रशासन ने लोगों से कहा है कि जिन्होंने भी 22 दिसंबर से लेकर अब तक इस दुकान से हैमस्टर खरीदा है, वे उन्हें प्रशासन के सुपुर्द कर दें. ताकि उन्हें मारा जा सके. हालांकि केवल लिटिल बॉस पेट स्टोर के ही हैमस्टर कोरोना संक्रमित मिले हैं. लेकिन प्रशासन ने शहर के 34 पेट स्टोरों से खरीदे गए करीब दो हजार हैमस्टरों और अन्य छोटे स्तनपायी जानवरों को मारने का फैसला किया है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
दुनियाभर के कई वैज्ञानिकों और हांग कांग के वेटनरी विशेषज्ञों का कहना है कि इंसानों में कोरोना संक्रमण के पीछे जानवरों की कोई बड़ी भूमिका हो, इस बात के फिलहाल कोई साक्ष्य नहीं हैं. वनेसा बार्स हांग कांग में यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. उन्होंने कहा कि जनता के स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं के आधार पर हैमस्टरों को मारने का फैसला उचित ठहराया जा सकता है, लेकिन इसके चलते पालतू जानवरों से संक्रमण होने की आशंका को काफी तूल दे दिया गया है. वनैसा ने आगे कहा, "दुनियाभर में लाखों लोगों के पास पालतू जानवर हैं. आज तक पालतू जानवरों से इंसानों में संक्रमण फैलने का एक भी मामला साबित नहीं हुआ है."
पशु कल्याण संस्थाएं क्या कह रही हैं?
हांग कांग में जानवरों के कल्याण से जुड़ी संस्था 'दी लोकल सोसायटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स' (एसपीसीए) ने बताया कि पालतू जानवर रखने वाले कई लोग घबराकर संपर्क कर रहे हैं. एसपीसीए ने बयान जारी कर कहा, "हम पालतू जानवर रखने वालों से अपील करते हैं कि वे घबराएं नहीं और ना ही अपने जानवरों को छोड़ें."
एसपीसीए ने कुछ तरीके भी बताए, जिनका पालन करके इंसानों और जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है. इसमें जानवरों को न चूमना, उनके नजदीक ना छींकना, उन्हें छूने के बाद हाथ धोना जैसी सावधानियां शामिल हैं.
ऑनलाइन याचिकाएं
इस बीच हांग कांग में कई लोग प्रशासन से अपना फैसला बदलने की भी अपील कर रहे हैं. इससे जुड़ी कई ऑनलाइन याचिकाएं भी शेयर की जा रही हैं. मगर प्रशासन के फैसले का बचाव करते हुए स्वास्थ्य सचिव सोफिया चान ने 18 जनवरी को कहा कि वह संक्रमण फैलने की आशंकाओं को खारिज नहीं कर सकती हैं. इसके बाद स्वास्थ्य कर्मी शहर के अलग-अलग पेट स्टोरों से लाल रंग का प्लास्टिक बैग लेकर बाहर आते दिखे.
पकड़े गए जानवरों को इन्हीं बैगों में रखा गया था. इसके अलावा दर्जनों पेट स्टोरों को बंद किए जाने का भी आदेश जारी किया गया है. हालिया दिनों में इन दुकानों में जा चुके करीब 150 लोगों को क्वारंटीन में भेज दिया गया है. छोटे स्तनपायी जानवरों के आयात और बिक्री पर फिलहाल प्रतिबंध लगा दिया गया है. प्रशासन ने एक हॉटलाइन नंबर भी जारी किया है, जिसपर संपर्क करके लोग इस मामले के बारे में पूछताछ कर सकते हैं.
इसके पहले 2020 में डेनमार्क ने कोरोना संक्रमण की आशंका के चलते लाखों मिंकों को मार दिया था. बाद में सरकार ने माना कि मिंकों को मारने का कोई कानूनी आधार नहीं था. विशेषज्ञों के मुताबिक, अब तक मौजूद जानकारी कहती है कि जानवरों से इंसानों में कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका बेहद कम है.
एसएम/एनआर (रॉयटर्स)
बीजिंग विंटर ओलिंपिक में जाने वाले हर शख्स को अपने स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी अधिकारियों को देनी है. हालांकि इसके लिए बने आधिकारिक स्मार्टफोन ऐप एमवाई 2022 की कई कमजोरियां सामने आई हैं जो इसकी हैकिंग को आसान बनाती हैं.
डॉयचे वैले पर इंगो मानटॉयफेल की रिपोर्ट-
बीजिंग ओलिंपिक विंटर गेम्स के पहले एथलीट अपनी आखिरी तैयारियों में जुटे हैं. इनमें चीन के स्वास्थ्य संबंधी दिशा निर्देशों और उपायों का ध्यान रखने के लिए "एमवाई 2022" स्मार्टफोन ऐप पर लगातार नजर रखना भी शामिल है. हालांकि इनक्रिप्शन के अपर्याप्त उपायों की वजह से यह ऐप ओलंपिक खिलाड़ियों, पत्रकारों और खेल अधिकारियों को हैकरों का शिकार बना सकता है. वो उनकी निजता में खलल डालने के साथ ही उनकी निगरानी के लिए भी इस्तेमाल हो सकता है. सिटिजन लैब से डीडब्ल्यू को खासतौर से मिली साइबर सिक्योरिटी रिपोर्ट से इसका पता चला है. इसके साथ ही आईटी फोरेंसिक विशेषज्ञों ने यह भी पता लगाया है कि ऐप में कुछ शब्दों को सेंसर करने की भी सूची है.
खेलों के दौरान डिजिटल सिक्योरिटी को लेकर उठ रही चिंताओं के बीच यह जानकारी सामने आई है. जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, यूके और अमेरिका ने अपने एथलीटों और राष्ट्रीय ओलंपिक कमेटियों से आग्रह किया है कि वो अपने पर्सनल फोन और लैपटॉप यहीं छोड़ कर जाएं और जासूसी के जोखिम को देखते हुए अपने साथ अलग उपकरण रखें.
डच ओलिंपिक कमेटी ने तो निगरानी के डर से बकायदा एथलीटों के फोन और लैपटॉप ले जाने पर रोक ही लगा दी है.
कांटेक्ट ट्रेसिंग और दूसरी चीजों के लिए एमवाई 2022
4 फरवरी को शुरू हो रहे विंटर गेम्स कोविड-19 की महामारी के बीच दूसरे ओलिंपिक गेम हैं. टोक्यो समर गेम्स की तरह ही इसके लिए भी खिलाड़ियों के स्वास्थ्य पर नजर रखना जरूरी है. इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी यानी आईओसी के प्लेबुक के तहत खिलाड़ियों, कोच, रिपोर्टर और खेल अधिकारियों के साथ ही हजारों स्थानीय कर्मचारियों के लिए अपनी जानकारी एमवाई 2022 या फिर वेबसाइट पर डालना जरूरी किया गया है. चीन में विकसित यह ऐप सारे स्टाफ और मेहमानों के स्वास्थ्य पर नजर रखता है ताकि संभावित कोविड-19 के संक्रमण का पता चल सके.
पासपोर्ट और फ्लाइट की जानकारी भी इस ऐप में डाली जानी है. कोविड-19 के संक्रमण से जुड़े लक्षणों की जानकारी भी यहां डाली जानी है. जैसे कि क्या किसी को बुखार, सिरदर्द, सूखी खांसी, गले का दर्द या डायरिया तो नहीं है. जो लोग बाहर के देशों से आ रहे हैं, उन्हें चीन पहुंचने के 14 दिन पहले से ही सारी जानकारी ऐप पर डालना शुरू कर देना है.
बहुत सारे देश कांटेक्ट ट्रेसिंग ऐप का इस्तेमाल महामारी से लड़ने के लिए कर रहे हैं. एमवाई 2022 कांटेक्ट ट्रैसिंग के साथ ही दूसरी सेवाओं के लिए भी इस्तेमाल हो रहा है. यह इवेंट में जाने को नियंत्रित करता है, खेल के मैदान और पर्यटन सेवाओं से जुड़ी जानकारियां दे कर विजिटर के लिए गाइड की भूमिका निभाता है. इसके साथ ही चैट फंक्शन, न्यूज फीड और फाइल ट्रांसफर की सेवा भी इस पर मौजूद है.
एप्पल के ऐप स्टोर पर जो इसका ब्यौरा दिया गया है उसके मुताबिक, "यह अलग यूजर ग्रुपों के लिए उनकी रुचि के मुताबिक सेवाएं देता है ताकि वो एक ही ऐप पर गेम से जुड़ा हर अनुभव ले सकें."
असुरक्षित डाटा ट्रांसमिशन
टोरंटो यूनिवर्सिटी के मंक स्कूल ऑफ ग्लोबल अफेयर्स में सिटिजन लैब डिजिटल सिक्योरिटी पर रिसर्च करती है. इसी लैब ने पेगासस स्पाइवेयर की सच्चाई भी दुनिया के सामने रखी थी. सिटिजन लैब ने ऐप का परीक्षण किया है और पता लगाया है कि यह इलेक्ट्रॉनिक चोरी के लिहाज से कमजोर है.
इस ऐप के एसएसएल सर्टिफिकेट की पुष्टि नहीं हुई है. यही सर्टिफिकेट यह तय करता है कि डाटा का लेन देन केवल भरोसेमंद उपकरणों और सर्वर के बीच ही हो. इसका मतलब है कि इनक्रिप्शन के लिहाज से यह ऐप गंभीर रूप से कमजोर है. इसके नतीजे में ऐप के जरिए किसी संदिग्ध होस्ट के साथ जोड़ कर इसकी सूचनाओं तक पहुंचा जा सकता है और यहां तक कि ऐप में संदिग्ध या दुर्भावना वाली सूचनाएं भी डाली जा सकती हैं.
सिटिजन लैब के रिसर्चर जेफरी क्नॉकेल के मुताबिक उन्होंने ऐप की कमजोरी को ना सिर्फ स्वास्थ्य की जानकारियों में बल्कि ऐप की दूसरी प्रमुख सेवाओं में भी देखा है. इनमें ऐप की वॉयस ऑडियो भेजने और फाइल अटैचमेंट को प्रॉसेस करने वाली सेवाएं भी शामिल हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ सेवाओं के लिए डाटा ट्रैफिक का इनक्रिप्शन एकदम से नहीं है. इसका मतलब है कि ऐप के अपने चैट सर्विस के मेटाडाटा को भी हैकर पढ़ सकते हैं. क्नॉकेल ने रिपोर्ट में कहा है, "हमारी खोज यह साफ कर देती है कि एमवाई 22 के सुरक्षा उपाय पूरी तरह से अपर्याप्त हैं और यह संवेदनशील जानकारियों को अनाधिकृत लोगों तक पहुंचने से नहीं रोक सकते."
सेंसरशिप से उठे सवाल
सिटिजन लैब के रिसर्चरों ने ऐप में एक टेक्स्ट फाइल भी देखी है जिसका नाम है "इललीगलवर्ड्स.टीएक्सटी" इसमें 2,442 कीवर्ड्स और फ्रेज हैं. मुख्य रूप से ये सरल चाइनीज भाषा के शब्द हैं जिनका इस्तेमाल चीन में आमतौर पर होता है लेकिन इसमें एक हिस्सा उइगुर, तिब्बती, पारंपरिक चाइनीज और अंग्रेजी शब्दों का भी है.
इन शब्दों में ज्यादातर अपशब्द हैं लेकिन इसके साथ ही कुछ ऐसे शब्द भी हैं जो साम्यवादी चीन में राजनीतिक रूप से वर्जित है और जिन पर सरकार का प्रतिबंध है. इनमें चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और उसके नेताओं की आलोचना के साथ ही थियानमेन प्रदर्शन, दलाई लामा और शिनजियांग प्रांत के उइगुर मुसलमान अल्पसंख्यकों से जुड़ी बाते हैं. उदाहरण के लिए सिटिजन लैब ने जिन शब्दों की समीक्षा की है उनमें उइगुर भाषा में "पवित्र कुरान" भी है.
सिटिजन लैब के पास ऐप की सिक्योरिटी का विश्लेषण करने की खास महारत है. लैब का कहना है कि ऐप के मौजूदा संस्करण में इन कीवर्ड का इस्तेमाल सेंसरशिप के लिए सक्रिय रूप से होने के संकेत नहीं मिले हैं. फिलहाल यह भी साफ नहीं है कि इन कीवर्डों को इस ऐप में क्यों डाला गया. हालांकि क्नॉकेल का कहना है, "भले ही इललीगलवर्ड्स.टीएक्सटी का इस्तेमाल फिलहाल नहीं हो रहा हो लेकिन एमवाई 2022 में पहले से ही ऐसे कोड फंक्शन हैं जो इस फाइल को पढ़ने और सेंसरशिप के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, ऐसे में इस लिस्ट की सेंसरशिप चालू करना चुटकियों का काम है."
इस ऐप में रिपोर्टिंग फंक्शन भी मौजूद है जो यूजर को किसी चैट मैसेज के संदिग्ध या आपत्तिजनक लगने पर दूसरे यूजर की रिपोर्ट करने की सहूलियत देता है. रिपोर्ट करने के लिए जो संभावित कारण दिए गए हैं उनमें एक है, "राजनीतिक रूप से संवेदनशील सामग्री." चीन में इस विकल्प का इस्तेमाल सेंसर की गई चीजों के लिए खासतौर से होता है.
बीजिंग ऑर्गनाइजिंग कमेटी की तरफ से कोई जवाब नहीं
सिटिजन लैब का कहना है कि उसने दिसंबर 2021 के शुरुआत में ही बीजिंग ऑर्गनाइजिंग कमेटी को गोपनीयता के साथ ओलिंपिक 2022 के लिए ये सारी जानकारी दे दी थी. सुरक्षा से जुड़ी कमजोरियों की रिपोर्टिंग के लिए यह जरूरी होता है. सिटिजन लैब ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से पहले कमेटी को इसे हल करने के लिए 45 दिन का समय दिया था. क्नॉकेल ने डीडब्ल्यू को बताया, "ऑर्गनाइजिंग कमेटी ने हमारे इस पर्दाफाश का कोई जवाब नहीं दिया."
इसी बीच ऐप में अपडेट भी कर उसे एप्पल और गूगल के स्टोर पर पब्लिश कर दिया गया. सिटिजन लैब के साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों ने जब इसकी 17 जनवरी 2022 को जांच की तो पता चला कि जिन बातों को लेकर चिंता जताई गई थी उसके संदर्भ में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
कानून का उल्लंघन
इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी ने एथलीटों और टीम के अधिकारियों के लिए बने ओलिंपिक प्लेबुक में कहा है कि एमवाई 2022 ऐप अंतरराष्ट्रीय मानकों और चीन के कानून के मुताबिक है. अपनी खोज के आधार पर सिटिजन लैब का कहना है कि निजी जानकारियों का असुरक्षित प्रसार "चीन के निजता कानूनों का सीधा उल्लंघन हो सकता है." चीन के डाटा प्रोटेक्शन कानून के तहत किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियों को डिजिटल रूप से रखा जाता है और इसे सिर्फ इनक्रिप्शन के साथ ही प्रसारित किया जा सकता है.
सिटिजन लैब की खोज ने एप्पल और गूगल पर भी सवाल उठाए हैं. क्नॉकेल ने बताया, "गूगल और एप्पल दोनों की नीतिया संवेदनशील जानकारियों को बिना इनक्रिप्शन के प्रसारित करने से मना करती हैं. ऐसे में एप्पल और गूगल को यह तय करना होगा कि क्या ऐप की कमजोरियां इसे स्टोर से हटाए जाने के काबिल बनाती हैं."
डीडब्ल्यू ने गूगल और एप्पल से इस मामले में प्रतिक्रिया मांगी है. इस बीच बीजिंग ऑर्गनाइजिंग कमेटी अपने ऐप के साथ खड़ी है. उनका कहना है कि गूगल, एप्पल और सैमसंग के परीक्षणों को ऐप ने पास किया है. कमेटी ने सोमवार को शिन्हुआ न्यूज एजेंसी से कहा, "हमने निजी जानकारियों के इनक्रिप्शन जैसे उपाय किए हैं ताकि निजता की रक्षा हो सके." (dw.com)
दुनिया के कई देशों में पत्रकारों से लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और नेताओं की जासूसी के मामले में बदनाम पेगसस स्पाईवेयर पर अब आरोप लगा है कि पुलिस ने इस्राएली लोगों की ही जासूसी में इसका इस्तेमाल किया है.
एक इस्राएली अखबार के आम नागरिकों की जासूसी किए जाने की खबर छापने के बाद इस्राएली सांसदों ने पुलिस की संसदीय जांच कराने की मांग की है. अखबार की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि पुलिस ने कथित तौर पर इस्राएली नागरिकों की निगरानी करने के लिए स्पाईवेयर इस्तेमाल किया. इसमें पूर्व प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू के विरोधी भी शामिल हैं.
हिब्रू भाषा में छपने वाले बिजनेस अखबार कैलकलिस्ट की खबर है कि 2020 में पुलिस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करनेवाले नेताओं पर एनएसओ के स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया था. रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने दो ऐसे मेयर के फोन हैक किए, जिन पर भ्रष्टाचार का शक था. साथ ही, किसी अदालत के आदेश या जज की निगरानी के बगैर कई आम इस्राएलियों की जासूसी की गई.
इस्राएली पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया है. पुलिस ने कहा कि वे कानून के दायरे में रहकर कार्रवाई करते हैं. वहीं एनएसओ समूह ने कहा है कि वह अपने सॉफ्टवेयर के ग्राहकों की पुष्टि नहीं करता है.
पेगासस पर भारत में भी विवाद
एनएसओ द्वारा विकसित किए गए इस उन्नत किस्म के स्पाईवेयर का नाम भारत और सऊदी अरब से लेकर मेक्सिको तक कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और नेताओं की जासूसी में आता रहा है. अमेरिका ने इस समूह को यह कहते हुए अपनी तकनीक इस्तेमाल करने से रोक दिया था कि दमनकारी शासन इसके उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं.
कंपनी अपने बचाव में कहती है कि उसने तो यह स्पाईवेयर अपराधियों और आतंकवादियों की निगरानी और जासूसी करने के मकसद से बनाया था. अब कंपनी के ग्राहक इसका कैसे और किन लोगों पर इस्तेमाल करते हैं, इस पर कंपनी का कोई जोर नहीं है. कंपनी को नियंत्रित करनेवाले इस्राएल ने भी अभी तक यह नहीं बताया है कि इसके सुरक्षाबल इस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करते हैं या नहीं.
क्या कहती है रिपोर्ट
आम लोगों की जासूसी का आरोप लगाने वाली अखबार की रिपोर्ट में सरकार, पुलिस या एनएसओ के किसी मौजूदा या पूर्व अधिकारी का नाम नहीं लिया गया है. इसमें जासूसी के आठ ऐसे मामलों का जिक्र किया गया था, जब पुलिस की खुफिया एजेंसी ने आम लोगों की जासूसी के लिए पेगासस का इस्तेमाल किया.
इन आठ में एक मामला ऐसा है, जिसमें हत्या के एक आरोपी का फोन हैक किया गया. वहीं एक और मामले में येरूशलम प्राइड परेड का विरोध करनेवाले शख्स की पेगासस से निगरानी की गई. हालांकि, इस रिपोर्ट में ऐसे भी किसी व्यक्ति का सीधे नाम नहीं लिया गया है, जिसकी निगरानी की गई हो या फोन हैक किया गया हो.
रिपोर्ट में लिखा है, "यहां दर्ज समेत अन्य मामलों में भी पेगासस का इस्तेमाल सीधे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा किया गया. अहम बात यह है कि पेगासस के जरिए पुलिस कोर्ट की इजाजत या बिनी किसी की निगरानी के किसी के भी फोन में घुस सकती है."
बढ़ गई है सियासी हलचल
इस रिपोर्ट के आने के बाद से इस्राएल के सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई. इस मुद्दे पर विपक्ष में यहूदी चरम-राष्ट्रवादियों से लेकर अरबी लोगों तक सब एक हो गए हैं. कैबिनेट मंत्री कारीन एलहारर ने कहा कि किसी लोकतांत्रिक देश में ऐसी जासूसी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जा सकती. विपक्षी सांसद युवाल स्टाइनित्स ने कहा कि यह गलत है और आरोप सही पाए जाने पर इसकी जांच कराई जानी चाहिए.
पुलिस विभाग देखनेवाले मंत्री ओमर बारलेव ने कहा कि वह इन आरोपों की जांच कराएंगे और पता करेंगे कि क्या किसी जज ने पुलिस को पेगासस के इस्तेमाल की इजाजत दी थी. रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद पुलिस ने एक बयान में कहा है कि खबर में किए गए दावे में कोई सच्चाई नहीं है और पुलिस द्वारा किए जाने वाले सभी ऑपरेशन कानून के दायरे में रहकर किए जाते हैं.
वीए/एमजे (एपी, रॉयटर्स)
स्पेन इस समय पूरे यूरोप में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर वाला देश है. यहां भारी संख्या में युवा इतना कम कमा रहे हैं कि वे अपार्टमेंट भी किराए पर नहीं ले सकते. ऐसे में स्पेन सरकार मदद के लिए आगे आई है.
स्पेन की सरकार ने कम आय वाले युवाओं की आर्थिक रूप से मदद करने के लिए उन्हें हर महीने ढाई सौ यूरो देने का फैसला लिया है. स्पेन में ऐसे युवाओं की भारी तादाद है, जो नौकरी करने के बावजूद अपने माता-पिता के साथ रहते हैं. इनमें भी उन युवाओं की संख्या बढ़ रही है, जो किराया चुका पाने में असमर्थ हैं और इसी वजह से अपने माता-पिता के साथ रहते हैं.
मंगलवार को आवास मंत्री राकेल सांचेज ने साप्ताहिक कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि इस महीने की शुरुआत से 35 साल से कम उम्र के ऐसे स्पेनवासी, जिनकी सालाना आय 24,318 यूरो से कम है, वे अगले दो साल तक किसी अपार्टमेंट का किराया चुकाने के लिए सरकार से सब्सिडी ले सकते हैं. राकेल सांचेज ने कहा कि यह सब्सिडी बेहद अहम है और सरकार यह इसलिए दे रही है, ताकि किराए पर अपार्टमेंट लेना किसी युवा के भविष्य की राह में रोड़ा न बने.
माता-पिता के साथ रहते हैं ज्यादातर युवा
दरअसल स्पेन यूरोप के उन देशों में से एक है, जहां युवाओं की एक बड़ी संख्या माता-पिता के साथ रहती है. साल 2020 के आंकड़े बताते हैं कि 25 से 29 साल के 55 फीसदी से ज्यादा युवा अपने माता-पिता के साथ एक ही घर में रहते हैं. इसकी तुलना साल 2013 में जारी हुए आंकड़ों से करें, तो ऐसे युवाओं की संख्या साढ़े छह फीसदी बढ़ी है. हालांकि, इसका स्पेन में बढ़ती बेरोजगारी से भी सीधा संबंध है. आंकड़ों की मानें, तो स्पेन में 25 साल से कम उम्र के 29 फीसदी युवा ऐसे हैं, जिनके पास आज की तारीख में कोई काम नहीं है.
इस साल के शुरू में ही सरकार ने कमजोर वर्ग के लोगों के लिए कोविड रिकवरी फंड से सामाजिक मकानों के निर्माण के लिए 1अरब यूरो खर्च करने की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री की चिंता ये है कि बहुत से युवा तीस साल की उम्र पार कर जाने के बावजूद माता-पिता के साथ ही रह रहे हैं. यूरोस्टैट के डाटा के अनुसार युवा लोगों के माता-पिता का घर छोड़कर अपना घर बसाने की औसत आयु पोलैंड में सबसे कम 28 है जबकि क्रोएशिया में सबसे ज्यादा 32 है. स्पेन 30 की आयु के साथ इस सूची में बीच के देशों में है.
विशेषज्ञों का क्या है कहना
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के सब्सिडी देने से युवाओं की अपार्टमेंट न ले पाने की समस्या पर कोई असर नहीं पड़ेगा. स्पेन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट वेबसाइट आइडियलिस्टा के प्रवक्ता फ्रांसिस्को इनारेटा कहते हैं, "सरकार के इस कदम से फायदा इसलिए नहीं होगा, क्योंकि सरकार के पैसा देने से छोटे अपार्टमेंट या मकानों की मांग में तेजी आएगी. ऐसे में कीमतें फिर उछाल मार सकती हैं."
वह कहते हैं, "पिछले मौकों पर हमने देखा है कि इसका सीधा असर कीमतों में बढ़ोतरी के तौर पर सामने आता है." इस अनुमान के पीछे फ्रांसिस्को का यह आकलन है कि सरकार ने जितनी आय के लोगों को सब्सिडी देने का एलान किया है, उससे जरा सा भी ज्यादा कमानेवाले लोग इस फैसले को अपने साथ होने वाले भेदभाव की तरह देखेंगे, क्योंकि उन्हें ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा.
स्पेन में बेरोजगारी की सूरत
स्पेन इन दिनों 14.1 फीसदी बेरोजगारी दर से जूझ रहा है. मौजूदा वक्त में यह पूरे यूरोप में सबसे ज्यादा बेरोजगारी वाला देश है. युवा बेरोजगारी भी 38 प्रतिशत के साथ यूरोप में सबसे ज्यादा है. यूरोस्टैट के अनुसार स्पेन में 20-34 आयुवर्ग में 22 प्रतिशत से ज्यादा लोग पिछले साल न तो रोजगार में थे और न ही पढ़ाई या ट्रेनिंग कर रहे थे. नवंबर 2021 में जारी हुए आंकड़े बताते हैं कि इतने बुरे हाल के बावजूद यह मार्च 2020 से अच्छी हालत है, जब कोरोना वायरस ने स्पेन की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी थी.
तब से अब तक जॉब मार्केट तो सुधरा है, लेकिन अब भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है. यूरोप में सबसे कम बेरोजगारी की सूची में चेक रिपब्लिक (2.2 फीसदी), नीदरलैंड्स (2.7 फीसदी) और पोलैंड (3 फीसदी) शीर्ष पर हैं.
वीएस/एमजे (रॉयटर्स)
ऑस्ट्रिया में 2021 में 31 महिलाएं मारी गईं, जिनमें से अधिकांश की निर्मम हत्या उनके पुरुष पार्टनरों ने की. ऐसा क्यों हो रहा है और इसे कैसे रोका जाए इसे लेकर देश में अब गहन चिंतन हो रहा है.
ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में एक तात्कालिक स्मारक खड़ी की गई है जिस पर सुर्ख लाल रंग से 31 लिखा हुआ है. यह संख्या है उन महिलाओं की जिनकी 2021 में किसी न किसी पुरुष के हाथों हत्या कर दी गई.
कम ही समय में मीडिया में इन हत्याओं में से कुछ विशेष रूप से भयावह मामलों के बारे में बताए जाने के बाद 'फेमिसाइड' का मुद्दा अब चर्चा में है. एक छोटे से, धनी देश में जहां हिंसक अपराध आम तौर पर दुर्लभ है, वहां अब इस विषय पर आम बहस शुरू हो गई जिसमें अब ऐक्टिविस्ट भी शामिल हो रहे हैं और नेताओं को भी कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
यूरोप में सबसे बुरे हालात
महिलाओं के लिए बने आश्रयों के एक नेटवर्क की कार्यकारी निदेशक मारिया रोसलहूमर कहती हैं, "यह वाकई एक नाटकीय स्थिति है...यह समझ से बाहर है." आंकड़े बदलते रहे हैं लेकिन सरकार द्वारा कराए गए एक अध्ययन के मुताबिक 2010 से 2020 के बीच देश में 319 महिलाओं की हत्या कर दी गई.
इनमें से अधिकांश को या तो उनके पुरुष पार्टनर या पूर्व पार्टनर ने मारा. 2019 में 43 महिलाओं की हत्या कर दी गई, जो एक रिकॉर्ड संख्या है.
यूरोस्टैट के आंकड़ों के मुताबिक 2018 में ऑस्ट्रिया यूरोपीय संघ के उन तीन सदस्य देशों में से था जहां इस तरह के 'फेमिसाइड' के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए जिनमें मारने वाले परिवार का कोई न कोई सदस्य या रिश्तेदार शामिल था.
ऐक्टिविस्ट ऐना बाडहोफर कहती हैं इसके बावजूद फेमिसाइड को लेकर "आक्रोश की कमी" है. हताश हो कर उनके समूह ने ही विएना में स्मारक बनाए जाने के अभियान की शुरुआत की. वो नवंबर में हुई एक घटना का उदाहरण देती हैं जिसमें एक महिला को बेसबॉल के बल्ले से पीट पीट कर मार दिया गया.
सरकार के कदम
मार्च में नदिन डब्ल्यू नाम की 35 साल की एक महिला को उसके 47 साल के पूर्व पार्टनर ने पीटने के बाद एक तंबाकू की दुकान के अंदर तार से उसका गला घोंट दिया. उसने फिर उस पर पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी. उसके बाद वो दुकान में ताला लगा कर वहां से चला गया.
उस महिला को बचा लिया गया लेकिन एक महीने बाद उसकी भयावह चोटों ने उसकी जान ले ली. उसके हत्यारे को आजीवन कारावास की सजा दी गई और मानसिक रूप से विक्षुब्ध अपराधियों के केंद्र में भेज दिया गया.
देश की गठबंधन सरकार ने हाल ही में फेमिसाइड से लड़ने के लिए कई कदमों की घोषणा की, जिसमें ढाई करोड़ यूरो का आबंटन भी शामिल है. यूरोस्टैट के आंकड़ों के मुताबिक ऑस्ट्रिया यूरोपीय संघ में एकलौता ऐसा देश बन गया है जहां पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की हत्या होती है.
सोचने की जरूरत
रोसलहूमर कहती हैं कि देश में "महिलाओं के प्रति सामाजिक स्तर पर एक ठोस असम्मान और तिरस्कार की भावना" है जिसका मुकाबला किए जाने की जरूरत है.
विएना विश्वविद्यालय में अपराध वैज्ञानिक इसाबेल हैदर कहती हैं कि पुलिस अधिकारियों को भी यह सिखाए जाने की जरूरत है कि वो और 'संवेदनशीलता' से पेश आएं, क्योंकि कई महिलाओं को लगता है कि "पुलिस उन्हें गंभीरता से नहीं ले रही है."
काउंसिल ऑफ यूरोप की मानवाधिकार आयुक्त दुन्या मियातोविच हाल ही में ऑस्ट्रिया आई थीं और उन्होंने "महिलाओं के अधिकारों और लैंगिक बराबरी का संरक्षण करने" के लिए "एक महत्वाकांक्षी और व्यापक दृष्टिकोण" अपनाने की बात की थी.
ऑस्ट्रिया में वेतन में लैंगिक असमानता की बात करते हुए उन्होंने बताया कि यह यूरोप में सबसे ऊंचे स्तरों पर है. लेकिन ये हत्याएं रुक नहीं रही हैं. नए साल के शुरू होने के कुछ ही दिनों बाद एक और खौफनाक मामला सुर्खियों में आया. एक 42 साल की महिला के पति ने खाने की मेज पर ही उसके सिर में गोली मार कर उसकी हत्या कर दी.
सीके/एए (एएफपी)
कई उड़ानें या तो रद्द कर दी गईं या उनका समय बदला गया. हालांकि अमेरिकी सेवा प्रदाताओं ने कहा है कि वे 5जी सेवाएं एकदम शुरू नहीं करेंगे.
अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने चेतावनी जारी की थी कि 5जी सेवा उड़ानों में बाधा डाल सकती है क्योंकि इससे उड़ानों की ऊंचाई की गणना में गड़बड़ी हो सकती है. कुछ विमानों के खराब मौसम में उतरने के वक्त ऊंचाई एक अहम भूमिका अदा करती है. जानकारों का कहना है कि बोइंग 777 विमानों को सबसे ज्यादा खतरा है.
वैसे अमेरिकी कंपनियों एटी एंड टी और वेरिजोन ने ऐलान किया था कि वे एयरपोर्ट के नजदीक वाले 5जी टावर्स से सेवाएं शुरू करने में जल्दबाजी नहीं करेंगी और इसे टाला जाएगा लेकिन बहुत सी एयरलाइंस ने उड़ानें रद्द कर दीं.
डेल्टा एयरलाइंस ने कहा, "वैसे तो यह अच्छी बात है और इससे आमतौर पर विमानों की आवाजाही में होने वाली बाधाएं कम होंगी. लेकिन कुछ रुकावटें जारी रह सकती हैं.”
कई देशों से उड़ानें रद्द
बोइंग 777 इस्तेमाल करने वाली सबसे बड़ी एयरलाइंस दुबई की एमिरेट्स है. उसने कहा कि 19 जनवरी से नौ अमेरिकी शहरों को उसकी उड़ानें रद्द रहेंगी. न्यूयॉर्क, लॉस एंजेलिस और वॉशिंगटन डीसी को एमिरेट्स की उड़ानें जारी रहेंगी.
जापान की दो प्रमुख कंपनियों ऑल निपोन एयरवेज और जापान एयरलाइंस ने भी अपने बोइंग 777 विमानों की उड़ानें रोक दी हैं. एएनए ने कहा कि अमेरिका को जाने वाली उड़ानें या तो रद्द की जा रही हैं या फिर उनमें प्रयोग विमान बदले जा रहे हैं. जापान एयरलाइंस ने कहा कि जब तक सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो जाती, वह अमेरिका की उड़ानों में बोइंग 777 का इस्तेमाल नहीं करेगी.
भारत की एयर इंडिया की अमेरिकी उड़ानें भी इस कारण प्रभावित हुई हैं. एयर इंडिया चार अमेरिकी शहरों के लिए बोइंग 777 का इस्तेमाल करती है. एयरलाइंस ने कहा कि या तो ये उड़ानें रद्द की जाएंगी या फिर विमान बदले जाएंगे.
बोइंग के आल्टीमीटर पर असर
कोरियन एयरलाइंस ने कहा कि उसने अमेरिका को जाने वालीं छह यात्री और मालवाहक उड़ानों के लिए विमान बदल लिए हैं. एयरलाइंस ने कहा कि वे बोइंग द्वारा जारी एक नोटिस के चलते ऐसा कर रहे हैं. इस नोटिस में बताया गया है कि 5जी सिग्नल बोइंग 777 के आल्टीमीटर को प्रभावित कर सकता है. बोइंग ने इस बारे में फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है.
पिछले साल अमेरिका को आने जाने वाली उड़ानों में बोइंग 777 दूसरा सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला विमान था. फ्लाइटरेडार24 नाम संस्था के मुताबिक बोइंग 777 ने अमेरिका से दो लाख 10 हजार उड़ानें भरीं. इससे ज्यादा सिर्फ बोइंग 767 की उड़ानें थीं. किसी विमान का आल्टीमीटर उसकी जमीन से ऊंचाई बताता है और स्वचालित लैंडिंग में मदद करता है.
विकल्प क्या है?
लॉस एंजेलिस को लंदन से रोजाना उड़ान संचालित करने वाली ब्रिटिश एयरवेज ने कहा है कि वह एयरबस ए380 का इस्तेमाल कर रही है. फ्लाइटरेडार का कहना है कि ए350 भी इस्तेमाल किया जा सकता है. एयरबस के इन दोनों विमानों के आल्टीमीटर सुरक्षित बताए गए हैं जबकि अन्य विमानों की जांच की जा रही है.
फ्लाइटरेडार24 के एक प्रवक्ता के मुताबिक बोइंग 777 लंबी दूरी की यात्राओं लिए बेहद उपयुक्त माना जाता है. हालांकि 5जी के कारण सभी 777 विमान प्रभावित नहीं हुए हैं. एमिरेट्स ने कहा है कि वह लॉस एंजेलिस और न्यूयॉर्क लिए ए380 का प्रयोग करेगी जबकि वॉशिंगटन के लिए 777 का इस्तेमाल जारी रखेगी.
वीके/सीके (रॉयटर्स, एपी)
इंडोनेशिया ने नई राजधानी बनाने को मंजूरी दे दी है. नई राजधानी जकार्ता से 2,000 किलोमीटर दूर बोर्नियो द्वीप पर कालीमंतान के जंगलों में बनाई जाएगी.
इंडोनेशिया की संसद ने मंगलवार को उस बिल को पास कर दिया है जिसके तहत नई राजधानी बनाने की प्रक्रिया को मंजूरी मिल गई है. देश डूबते और प्रदूषित हो चुके जकार्ता से राजधानी को दूर ले जाना चाहता है.
देश की मौजूदा राजधानी जकार्ता एक भीड़-भाड़ भरा, तंग और प्रदूषित शहर हो चुका है. यहां बार-बार बाढ़ आती है और शहर अक्सर डूब जाता है. इस कारण प्रशासन के कामकाज पर भी असर होता है. यहां करोड़ लोग रहते हैं.
मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी बिल पास हो गया. इसमें राष्ट्रीय राजधानी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दी गई है. बिल में बताया गया है कि नई राजधानी बनाने के लिए सुनिश्चित 32 अरब डॉलर किस तरह खर्च किए जाएंगे.
प्रधानमंत्री सुहार्सो मोनॉर्फा ने कहा कि नई राजधानी देश की पहचान होगी. उन्होंने कहा, "नई राजधानी का मुख्य मकसद होगा कि यह देश की पहचान बनेगी. साथ ही यह आर्थिक गुरुत्वाकर्षण का केंद्र भी बनेगी.”
कब शुरु हुआ नई राजधानी का काम
नई राजधानी का प्रस्ताव सबसे पहले राष्ट्रपति जोको विडोडो ने अप्रैल 2019 में दिया था. इसका निर्माण कार्य 2020 में शुरू होना था लेकिन कोरोना वायरस महामारी की वजह से ऐसा हो नहीं पाया. अब 2022 में निर्माण कार्य जोरों से होने की संभावना है. 2024 तक सड़क और बंदरगाहों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
इंडोनेशिया के वित्त मंत्रालय का कहना है कि कुछ परियोजनाओं को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत पूरा किए जाएगा. मंगलवार के मतदान से पहले राष्ट्रपति विडोडो ने कहा, "नई राजधानी एक ऐसी जगह होगी जहां लोग हर जगह के करीब होंगे. वे साइकिल पर या पैदल भी एक जगह से दूसरी जगह जा सकेंगे और कार्बन उत्सर्जन शून्य होगा.”
विडोडो ने कहा कि राजधानी में सिर्फ सरकारी दफ्तर नहीं होंगे. उन्होंने कहा, "हम ऐसे स्मार्ट मेट्रो शहर बनाना चाहते हैं जो अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं को आकर्षित करेंगे और इनोवेशन के केंद्र होंगे.”
सरकार ने जो विजन डॉक्युमेंट जारी किया है उसमें भी कहा गया है कि नई राजधानी इंडोनेशिया को एक अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक मार्गों, निवेश और तकनीकी विकास के रणनीतिक केंद्र में लाएगी.
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)
हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला बुरांश का फूल कोरोना की रोकथाम में मददगार साबित हो सकता है. आईआईटी मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी ने यह नई रिसर्च की है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
बुरांश का वैज्ञानिक नाम रोडोड्रेंड्रॉन अर्बोरियम है. इसके फूल के अर्क का इस्तेमाल पहाड़ पर रहने वाले लोग पीने के लिए करते हैं. पहाड़ पर रहने वाले लोग फूल के जूस का इस्तेमाल तमाम अन्य प्राकृतिक इलाज के तौर पर भी करते हैं. अब इसको लेकर वैज्ञानिकों ने एक नया शोध किया है जिसमें पाया गया है बुरांश की पंखुड़ियों के अर्क ने कोविड-19 वायरस को बनने से रोका है.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी) के शोधकर्ताओं ने इस हिमालयी फूल की पंखुड़ियों में फाइटोकेमिकल्स की पहचान की है, जो संभवत कोविड-19 संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं.
फूल से इलाज
अब शोध टीम बुरांश की पंखुड़ियों से हासिल विशिष्ट फाइटोकेमिकल्स से कोविड-19 का रेप्लिकेशन रोकने की सटीक प्रक्रिया समझने की कोशिश कर रही है. आईआईटी मंडी और आईसीजीईबी के शोधकर्ताओं ने बुरांश की पंखुड़ियों में फाइटोकेमिकल्स की पहचान की है. इसमें कोविड-19 के संक्रमण के इलाज की संभावना सामने आई है. शोध टीम के निष्कर्ष हाल ही में बायोमॉलिक्युलर स्ट्रक्चर एंड डायनेमिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं.
आईआईटी मंडी स्कूल ऑफ बेसिक साइंस में एसोसिएट प्रोफेसर श्याम कुमार मसाकापल्ली के मुताबिक, "उपचार के विभिन्न एजेंटों का अध्ययन किया गया जा रहा है. उनमें पौधे से प्राप्त रसायन फाइटोकेमिकल्स से विशेष उम्मीद है क्योंकि उनके बीच गतिविधि में सिनर्जी है और प्राकृतिक होने के चलते विषाक्त करने की कम समस्याएं पैदा होती हैं. हम बहु-विषयी दृष्टिकोण से हिमालयी वनस्पतियों से संभावित अणुओं की तलाश कर रहे हैं."
पंखुड़ियों में वायरस रोधी गुण
आईआईटी मंडी और आईसीजीईबी के वैज्ञानिकों ने वायरस रोकने के मद्देनजर शोध में विभिन्न फाइटोकेमिकल्स युक्त अर्क का वैज्ञानिक परीक्षण किया. उन्होंने बुरांश की पंखुड़ियों से फाइटोकेमिकल्स निकाले और इसके वायरस रोधी गुणों को समझने के लिए जैव रासायनिक परीक्षण और कंप्यूटेशनल सिमुलेशन का अध्ययन किया.
आईसीजीईबी के रंजन नंदा ने बताया, "हमने हिमालय की वनस्पतियों से प्राप्त रोडोड्रेंड्रॉन अर्बोरियम की पंखुड़ियों के फाइटोकेमिकल का प्रोफाइल तैयार किया और परीक्षण किया. इनमें कोविड वायरस से लड़ने की उम्मीद दिखी है."
इन पंखुड़ियों के गर्म पानी के अर्क में प्रचुर मात्रा में क्विनिक एसिड और इसके डिरेवेटिव पाए गए. मौलिक मॉलिक्युलर गतिविधि के अध्ययनों से पता चला है कि यह फाइटोकेमिकल्स वायरस से लड़ने में दो तरह से प्रभावी है. यह मुख्य प्रोटीन से जुड़े जाते हैं जो एक एंजाइम है और वायरस रेप्लिका बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह मानव एनजियोटेंनिस परिवर्तित एंजाइम 2 से भी जुड़ता है जो होस्ट सेल में वायरस के प्रवेश की मध्यस्थता करता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक नतीजे आगे के वैज्ञानिक अध्ययन की तत्काल आवश्यकता का समर्थन करते हैं. (dw.com)
कारेक्स बेरहाड दुनिया की सबसे बड़ी कंडोम निर्माता कंपनी है. यह हर साल करीब साढ़े पांच करोड़ कंडोम का निर्माण करती है. एक आंकड़े के मुताबिक दुनिया में बिकने वाला हर पांचवां कंडोम इसी कंपनी का बनाया होता है.
डॉयचे वैले पर अविनाश द्विवेदी की रिपोर्ट-
दुनिया की सबसे बड़ी कंडोम निर्माता कंपनी कारेक्स बेरहाड के सीईओ गो मिया कियाट ने महामारी के दौरान कंडोम की बिक्री में समस्याएं आने की बात कही है. जापानी अखबार निक्केई को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि इस दौरान कंडोम की बिक्री 40 फीसदी तक लुढ़की. हालांकि साल 2020 के शुरुआती महीनों में उन्हें कोरोना महामारी के दौरान कंडोम की बिक्री में भारी बढ़ोतरी होने की आशा जताई थी.
महामारी के शुरुआती दौर में ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "लोगों के पास घरों पर करने के लिए सेक्स के सिवाए कुछ नहीं है." गो का यह भी मानना था कि महामारी का दौर स्वास्थ्य से जुड़ी अनिश्चितताओं का भी दौर है और यह गिरती जन्मदर से भी जुड़ेगा. ऐसे में भी कंडोम जैसे गर्भनिरोधक उपायों की मांग में बढ़ोतरी होने की आशा थी. ऐसे में उन्होंने कंडोम की मांग में दहाई अंकों में बढ़ोतरी की आशा जताई थी.
क्या रही कंडोम बिक्री में गिरावट की वजह
गोह ने बिक्री में गिरावट की तीन वजहें गिनाई हैं. बढ़े मनोवैज्ञानिक तनाव के चलते लोगों में सेक्स की इच्छा खत्म होने के अलावा वे छोटे होटलों के बंद होने, सेक्स वर्क पर लगी पाबंदियों और सरकारों की ओर से कंडोम की बिक्री में गिरावट को मांग में कमी की वजह बताते हैं.
उन्होंने कहा, "होटलों का बंद होना, खासकर गरीब देशों में बिक्री गिरने की वजह रहा. क्योंकि गरीब देशों में छोटे होटलों जैसी जगहों पर ऐसी अंतरंग गतिविधियां होती हैं. वहीं दुनिया भर में सरकारें बहुत सारे कंडोम बांटती हैं." उदाहरण के तौर पर ब्रिटेन ने अपने नेशनल हेल्थ सर्विस कार्यक्रम (एनएचएस) को आंशिक तौर पर बंद कर रखा है. सरकारें और गैर-सरकारी संगठन हर साल अरबों की संख्या में कंडोम की खरीददारी करते हैं.
हालांकि भारत जैसे देश में ग्राहकों को इस कमी का ज्यादा सामना नहीं करना पड़ा. उत्तर प्रदेश के शहर कानपुर में ड्यूरेक्स कंडोम की सप्लाई करने वाले अखिलेश ने बताया, "महामारी के शुरुआती दौर में सप्लाई से जुड़ी कुछ समस्याएं हुई थीं लेकिन यह ज्यादा दिन नहीं रहीं."
कच्चे माल और सप्लाई चेन में भी समस्या
मलयेशिया कंडोम निर्माण में अग्रणी है क्योंकि कंडोम निर्माण के लिए सबसे जरूरी कच्चा माल रबड़ यहां सबसे ज्यादा होता है. लॉकडाउन के चलते रबड़ सप्लाई में भी समस्याएं आईं क्योंकि रबड़ के काम को अति आवश्यक सेवाओं से बाहर रखा गया था. सप्लाई चेन से जुड़े ऐसे ही दुष्प्रभाव अन्य कंडोम निर्माता कंपनियों को भी देखने पड़े. कोरोना महामारी की शुरुआत में यूएन पॉपुलेशन फंड ने भी कहा था कि कोरोना के दौर में उन्हें पहले के मुकाबले 50 से 60 फीसदी कंडोम ही मिल पा रहे थे.
इस दौरान ज्यादातर कच्चे माल की तरह रबड़ के दामों में भी भारी अनियमितता देखने को मिली. अप्रैल, 2020 के मुकाबले मार्च, 2021 में रबड़ के दाम करीब दोगुने हो गए. कोरोना के दौरान अन्य रबड़ उत्पाद भी मांग में रहे. हालांकि गो साल 2022 में कंडोम की मांग में वापसी की उम्मीद जता रहे हैं. कारेक्स बेरहाड कंपनी के प्रमुख ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा है, "हमें फिर से मांग दिख रही है. कई सरकारें फिर से कंडोम का संग्रह करना चाह रही हैं." गो को मुनाफे में भी बढ़ोतरी की आशा है क्योंकि अब ग्राहक ज्यादा महंगे उत्पाद खरीद रहे हैं. (dw.com)
व्हाइट हाउस ने कहा है कि रूस ने यूक्रेन की सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिक भेजे हैं और वो 'किसी भी वक्त यूक्रेन पर हमला कर सकता है.' व्हाइट हाउस प्रवक्ता जेन साकी ने कहा कि यूक्रेन के लिए हालात बेहद ख़तरनाक बन रहे हैं.
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मंगलवार को इस मुद्दे पर अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लेवरॉव से चर्चा की है और दोनों नेताओं में जल्द जेनेवा में मुलाक़ात करने पर सहमति बनी है.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार ये मुलाक़ात शुक्रवार को होनी है. इससे पहले ब्लिंकन यूक्रेन और यूरोपीय देशों के प्रतिनिधियों से मुलाकातें कर रहे हैं.
जेन साकी ने कहा, "हमारा मानना है कि स्थिति बेहद ख़तरनाक है. हम अब उस स्टेज पर हैं जहां रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है. अपने समकक्ष से चर्चा में विदेश मंत्री इस बात पर ज़ोर देंगे कि मामले को कूटनीतिक रास्ते से हल किया जाए. अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और रूसी नागरिकों को तय करना है कि वो आर्थिक प्रतिबंध चाहते हैं या नहीं."
इधर नेटो ने चेतावनी दी है कि अगर रूस ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की तो उसे इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी.
नेटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टनबर्ग ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा है कि ये सैन्य गठबंधन यूक्रेन का साथ देगा और आत्मरक्षा के उसके हक़ का समर्थन करेगा.
उन्होंने रूस को चेतावनी दी कि यूक्रेन पर हमला किया तो उस पर आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वो रूस के साथ चर्चा करना चाहते हैं और उसकी सुरक्षा चिंताओं को समझना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, "मैं रूस और नेटो के सभी सदस्य देशों को भविष्य में होने वाली नेटो रूसी काउंसिल की बैठक में शामिल होने का न्योता देना चाहता हूं. हम सुरक्षा को लेकर रूस की चिंताओं के बारे में चर्चा करना चाहते हैं और उसका पक्ष समझना चाहते हैं. हम रास्ता तलाशना चाहते हैं ताकि रूस यूक्रेन पर हमला न करे."
इसी संवाददाता सम्मेलन में जर्मनी के चांसलर ओल्फ़ शोल्ज़ भी मौजूद था. उन्होंने कहा कि ऑर्गेनाइज़ेशन फ़ॉर सिक्योरिटी एंड कोऑपरेशन इन यूरोप (ओएससीई) के सदस्य के तौर पर हम चाहते हैं कि रूस सीमा पर तनाव कम करने की कोशिशें करे.
उन्होंने कहा, "हम सकारात्मक और स्थायी संबंध चाहते हैं और तनाव बढ़ाने में किसी की कोई दिलचस्पी नहीं है. ये ज़रूरी है कि रूस समेत हर सदस्य देश ओएससीई के मूल्यों का पालन करे और इसके प्रति अपनी प्रतिबद्धा दिखाए."
तनाव को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लेवरॉव ने कहा है कि रूस को ग़लत तरीके से पेश किया जा रहा है. उनका कहना है कि सीमा के पास सैनिकों का अभ्यास चल रहा है. लेकिन अमेरिका ने कहा है कि सैनिकों की संख्या 'सामान्य से अधिक है.'
उन्होंने कहा, "यूक्रेन के मामले में जर्मनी और रूस की समझ मिंस्क समझौते के दायरे में रहकर है, इसका कोई विकल्प नहीं है. तनाव के लिए रूस को ज़िम्मेदार ठहराना ग़लत है. हमने हाल के दिनों में ऐसा देखा है कि मिंस्क समझौते का पालन न करने के लिए रूस को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है. हमें उम्मीद है कि जर्मनी यूक्रेन में अपने पार्टनर्स से कहेगा कि वो इस समझौते का पूरी तरह पालन करें."
फ्रांस और जर्मनी की मध्यस्थता से यूक्रेन के डोनबास इलाक़े में जारी तनाव को ख़त्म करने के लिए 2014 में मिंस्क समझौता हुआ था.
रूस इस बात की गारंटी चाहता है कि यूक्रेन को कभी नेटो का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा.
ग़ौरतलब है कि रूस बड़ी मात्रा में जर्मनी को पाइपलाइन के ज़रिए गैस सप्लाई करता है और ये पाइपलाइन्स यूक्रेन से होकर गुज़रती हैं. अगर तनाव बढ़ा तो सप्लाई में बाधा आ सकती है. (bbc.com)
नई दिल्ली, 19 जनवरी| दुनिया भर में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 33.35 करोड़ से ज्यादा हो गए हैं। इस महामारी से अब तक कुल 55.5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई हैं जबकि 9.68 अरब से ज्यादा का वैक्सीनेशन हुआ है। ये आंकड़े जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने साझा किए हैं। बुधवार सुबह अपने नए अपडेट में, यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने बताया कि वर्तमान वैश्विक मामले 333,596,115, मरने वालों की संख्या 5,553,993 और टीकाकरण की कुल संख्या बढ़कर क्रमश: 9,685,515,903 हो गई है।
सीएसएसई के अनुसार, दुनिया के सबसे ज्यादा मामलों और मौतों 67,581,992 और 853,951 के साथ अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित देश बना हुआ है।
कोरोना मामलों में भारत दूसरा सबसे प्रभावित देश है, जहां संक्रमितों के 37,618,271 मामले हैं जबकि 486,761 लोगों की मौत हुई है, इसके बाद ब्राजील में संक्रमितों के 23,229,851 मामले हैं जबकि 621,803 लोगों की मौत हुई हैं।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार 50 लाख से ज्यादा मामलों वाले अन्य प्रभावित देश यूके (15,501,850), फ्रांस (14,284,535), रूस (10,682,826), तुर्की (10,682,826), इटली (9,018,425), स्पेन (8,518,975), जर्मनी (8,140,498), अर्जेटीना (7,318,305), ईरान (6,227,849) और कोलंबिया (5,596,917) हैं।
जिन देशों ने 100,000 से ज्यादा लोगों की मौतों का आंकड़ा पार किया है, उनमें रूस (316,168), मेक्सिको (301,469), पेरू (203,550), यूके (153,017), इंडोनेशिया (144,183), इटली (141,825), ईरान (132,113), कोलंबिया (131,268), फ्रांस (128,629), अर्जेटीना (118,420), जर्मनी (115,916), यूक्रेन (105,059) और पोलैंड (102,686) शामिल हैं। (आईएएनएस)
कानपुर, 19 जनवरी| अमेरिका के न्यू जर्सी में एक परिवार ने सीसीटीवी फुटेज देखकर कानपुर में अपने घर में चोरी की कोशिश को नाकाम करने में कामयाबी हासिल की। सीसीटीवी में बदमाशों को घर में घुसने की कोशिश करते देखा गया था। परिवार ने तुरंत कानपुर पुलिस को सूचित किया जो घर पहुंची और चोरों को पकड़ लिया।
सोमवार की देर रात जब न्यूजर्सी में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर 38 वर्षीय विजय अवस्थी को अपने मोबाइल फोन पर अलर्ट मिला। चकेरी थाना क्षेत्र के श्याम नगर स्थित अपने पुश्तैनी घर में लगे सीसीटीवी कैमरों और सेंसर से यह संकेत मिला था।
घर में घुसकर बदमाशों की लाइव फुटेज देख उसने पुलिस को सूचना दी। विजय ने घुसपैठियों को चेतावनी देने के लिए माइक विकल्प का भी इस्तेमाल किया लेकिन चेतावनी का उन पर कोई असर नहीं पड़ा। इसके बजाय उन्होंने सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए।
पुलिस जब घर पहुंची तो बदमाशों ने फायरिंग कर दी और जवाबी फायरिंग में एक घायल हो गया और उसे पकड़ लिया गया। अन्य भागने में सफल रहे।
गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान हमीरपुर जिले के रहने वाले सोनू के रूप में हुई है।
विजय की दो बहनें पूनम और प्रीति शहर के बर्रा इलाके में रहती हैं। घर की चाबियां दोनों के पास रहती हैं। पुलिस ने तुरंत उन्हें सामान की क्रॉस चेकिंग के लिए बुलाया।
डीसीपी पूर्व प्रमोद कुमार ने बताया कि एहतियात के तौर पर घर पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। घायल बदमाश की हालत में सुधार हो रहा है।
उन्होंने कहा कि हम उससे पूछताछ करेंगे और उसके साथियों के बारे में पता लगाएंगे जिन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
पुलिस ने कहा कि विजय के घर में एक किराएदार और कार्यवाहक भी रह रहे थे। लेकिन किराएदार कुछ दिन पहले अपने गांव चला गया था। (आईएएनएस)