अंतरराष्ट्रीय
वाशिगंटन, 2 अगस्त | वाशिंगटन डीसी में गोलीबारी एक घटना में छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, डीसी काउंसिल के सदस्य चार्ल्स एलन ने सोमवार देर रात अजीज बेट्स में 1515 एफ सेंट पर गोलीबारी की घटना को ट्वीट किया।
एलन ने एक ट्वीट में कहा, "आज रात समुदाय के लिए विनाशकारी बंदूक हिंसा।" "बड़े पैमाने पर गोलीबारी - 6 घायल, कई गंभीर।"
उम्मीद है कि पुलिस जल्द ही अपडेट मुहैया कराएगी।
गैर-लाभकारी गन वायलेंस आर्काइव के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में इस साल अब तक गोलीबारी की कम से कम 385 बड़ी घटनाएं हुई हैं।
(आईएएनएस)
(स्लग परिवर्तन के साथ लीड)
वाशिंगटन, 2 अगस्त। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने घोषणा की कि अफगानिस्तान में अमेरिकी हवाई हमले में अल-कायदा का सरगना अयमान अल-ज़वाहिरी मारा गया है।
ज़वाहिरी अमेरिकी कार्रवाई में ओसामा बिन-लादेन के मारे जाने के बाद अल-कायदा का सरगना बना था।
अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने व्हाइट हाउस में सोमवार शाम एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अमेरिकी खुफिया विभाग को ज़वाहिरी के उसके काबुल स्थित घर में अपने परिवार के साथ छिपे होने की जानकारी मिली थी।
बाइडन ने अभियान के लिए पिछले सप्ताह अनुमति दी थी और इसे रविवार को अंजाम दिया गया।
अमेरिका पर 9/11 हमलों की साजिश अल-ज़वाहिरी और ओसामा बिन-लादेन ने मिलकर रची थी। ओसामा बिन-लादेन को ‘यूएस नेवी सील्स’ ने दो मई 2011 को पाकिस्तान में एक अभियान में मार गिराया था।
बाइडन ने कहा, ‘‘ वह फिर कभी अफगानिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनने नहीं देगा, क्योंकि वह चला गया है और हम सुनिश्चित करेंगे कि ऐसा कुछ दोबारा कभी ना हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ आतंकवाद का सरगना मारा गया। ’’
अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के 11 महीने बाद एक महत्वपूर्ण आतंकवाद रोधी अभियान में अमेरिका ने यह सफलता हासिल की है।
मामले से जुड़े पांच लोगों ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर बताया कि केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) ने यह हवाई हमला किया। हालांकि, बाइडन और व्हाइट हाउस ने इसकी कोई पुष्टि नहीं की है।
बाइडन ने हालांकि अपने बयान में अमेरिका खुफिया समुदाय की सराहना करते हुए कहा, ‘‘उनकी असाधारण दृढ़ता और कौशल के लिए धन्यवाद’’ जिसकी वजह से यह अभियान ‘‘सफल’’ हुआ।
अल-ज़वाहिरी ने अल-कायद को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पहले 1998 से उसने बिन-लादेन की छत्रछाया में काम किया और बाद में उसके उत्तराधिकारी के तौर पर।
खुफिया विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अल-ज़वाहिरी जिस घर में मारा गया वह तालिबान के शीर्ष सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी के एक शीर्ष सहयोगी का है। (एपी)
(गुरदीप सिंह)
सिंगापुर, 2 अगस्त। सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन ने कहा कि श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को उनकी सरकार ने कोई विशेष लाभ, छूट या आतिथ्य-सत्कार नहीं दिया है।
गोटबाया उनकी सरकार के खिलाफ श्रीलंका में हुए व्यापक प्रदर्शनों के बीच पिछले महीने देश छोड़कर सिंगापुर आए थे। वह 13 जुलाई को मालदीव पहुंचे और वहां से अगले दिन सिंगापुर आए। सिंगापुर में ‘‘निजी यात्रा’’ पर प्रवेश की अनुमति दिए जाने के बाद 73 वर्षीय गोटबाया ने संसद के अध्यक्ष को 14 जुलाई को अपना इस्तीफा ‘ई-मेल’ कर दिया था।
बालाकृष्णन ने विपक्षी ‘वर्कर्स पार्टी’ के सदस्य एवं सांसद गेराल्ड गियाम के एक सवाल के लिखित जवाब में कहा, ‘‘सिंगापुर सरकार किसी पूर्व राष्ट्राध्यक्ष या किसी सरकार के पूर्व प्रमुख को कोई विशेष लाभ, छूट और आतिथ्य-सत्कार नहीं देती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह, पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को भी कोई विशेष लाभ, छूट या आथित्य-सत्कार नहीं दिया गया।’’
सत्तारूढ़ ‘पीपल्स एक्शन पार्टी’ के सदस्य एवं सांसद यिप योन वेंग ने चिंता जताई कि सिंगापुर ‘‘राजनीतिक भगोड़ों के लिए पनाहगाह’’ न बन जाए, इसके जवाब में गृह एवं विधि मंत्री के. षण्मगुगम ने कहा, ‘‘जिन विदेशी नागरिकों के पास वैध दस्तावेज हैं और जो देश में प्रवेश संबंधी अनिवार्यताओं को पूरा करते हैं, उन्हें ही सिंगापुर में आने की अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा, हमारे पास हमारे राष्ट्रहित के मद्देनजर किसी भी विदेशी को प्रवेश न देने का अधिकार है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि सिंगापुर आने वाला कोई विदेशी नागरिक अपने देश की सरकार के लिए वांछित है और उसकी सरकार उसे प्रत्यर्पित करने का आग्रह करती है, तो सिंगापुर सरकार अपने कानून के अनुसार उस सरकार की मदद करेगी।’’
राजपक्षे को सिंगापुर द्वारा एक नया वीजा जारी किया गया है, जिससे देश में उनका प्रवास 11 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है। (भाषा)
-रॉबर्ट प्लमर
अमेरिका ने अल-क़ायदा के नेता अयमान अल-ज़वाहिरी को अफ़ग़ानिस्तान में एक ड्रोन हमले में मार दिया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसकी पुष्टि की है. रविवार को अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी यानी सीआईए ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन चलाया था. इसी में अल-ज़वाहिरी की मौत हुई है.
बाइडन ने कहा,"ज़वाहिरी के हाथ अमेरिकी नागरिकों के ख़िलाफ़ हत्या और हिंसा के ख़ून से रंगे थे. अब लोगों को इंसाफ़ मिल गया है और यह आतंकवादी नेता अब जीवित नहीं है."
अधिकारियों का कहना है कि ज़वाहिरी एक सुरक्षित घर की बालकनी में थे तभी ड्रोन के ज़रिए दो मिसाइल दागी गई.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि ज़वाहिरी के परिवार वाले भी घर में थे लेकिन किसी को कोई नुक़सान नहीं हुआ है.
राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि उन्होंने 71 साल के अल-क़ायदा नेता के ख़िलाफ़ निर्णायक हमले की मंज़ूरी दी थी. 2011 में ओसामा बिन-लादेन के मारे जाने के बाद अल-क़ाय़दा की कमान ज़वाहिरी के पास ही थी.
अमेरिका में 9/11 के हमले की साज़िश लादेन और ज़वाहिरी ने ही रची थी. ज़वाहिरी को अमेरिका मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी मानता था.
बाइडन ने कहा कि अल-क़ायदा नेता के मारे जाने से 2001 में 9/11 के हमले के पीड़ितों के परिवार वालों को राहत मिली होगी.
ज़वाहिरी से जुड़ी ख़ास बातें
अयमान अल-ज़वाहिरी मिस्र के एक डॉक्टर थे जो बाद में इस्लामिक चरमपंथ में शामिल हो गए
1980 के दशक में अल-ज़वाहिरी मिस्र में इस्लामिक उग्रवाद में शामिल होने के कारण जेल में भी रहे थे
जेल से छूटने के बाद अफ़ग़ानिस्तान चले गए और ओसामा बिन-लादेन के साथ आ गए
2011 में ओसामा बिन-लादेन के मारे जाने के बाद अल-क़ाय़दा की कमान ज़वाहिरी के पास ही थी
ज़वाहिरी को 9/11 के हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है
राष्ट्रपति बाइडन ने ज़वाहिरी को साल 2000 में अदन में अमेरिकी जंगी पोत यूएसस कोल पर आत्मघाती हमले के लिए भी ज़िम्मेदार बताया. इसमें 17 नौसैनिकों की मौत हुई थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ''यह मायने नहीं रखता कि इतना लंबा समय लगा. यह भी मायने नहीं रखता कि अगला कहाँ छुपा है. अगर आप हमारे नागरिकों के लिए ख़तरा हैं तो अमेरिका छोड़ेगा नहीं. हम अपने राष्ट्र और नागरिकों की सुरक्षा में कभी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.''
तालिबान ने क्या कहा
तालिबान ने अमेरिका के इस अभियान को अंतरराष्ट्रीय नियमों और सिद्धांतों का खुला उल्लंघन बताया है. तालिबान के प्रवक्ता ने कहा, ''पिछले 20 सालों में ऐसी कार्रवाइयाँ नाकाम अनुभवों का दोहराव है. यह अमेरिकी हितों के ख़िलाफ़ है.''
ज़वाहिरी एक आई सर्जन थे, जिन्होंने मिस्र में इस्लामिक जिहादी ग्रुप बनाने में मदद की थी. अमेरिका ने मई 2011 में ओसामा बिन-लादेन को मारा था और उसके बाद से अल-क़ायदा की कमान अल-ज़वाहिरी के पास ही थी.
इससे पहले अल-ज़वाहिरी को ओसामा बिन-लादेन का दाहिना हाथ माना जाता था. ज़वाहिरी की पहचान अल-क़ायदा के प्रमुख विचारक के तौर पर भी थी.
अमेरिका में 11 सितंबर 2001 में हमले के पीछे अल-ज़वाहिरी का ही दिमाग़ माना जाता है.
अयमान अल-ज़वाहिरी अल-क़ायदा के वैचारिक दिमाग़ थे. मिस्र के डॉक्टर अल-ज़वाहिरी 1980 के दशक में इस्लामिक उग्रवाद में शामिल होने के कारण जेल में भी रहे.
जेल से छूटने के बाद उन्होंने मिस्र छोड़ दिया और अंतरराष्ट्रीय जिहादी अभियानों में शामिल हो गए. आख़िरकार वह अफ़ग़ानिस्तान चले गए और सऊदी अरब के एक जिहादी अमीर ओसमा बिन-लादेन के साथ आ गए.
अल-ज़वाहिरी और ओसामा ने मिलकर अमेरिका के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा की और 2001 में 11 सितंबर के हमले को अंजाम दिया. इस हमले के एक दशक बाद ओसामा को मारने में अमेरिका को कामयाबी मिली.
ओसामा के बाद अल-क़ायदा पूरी तरह से अल-ज़वाहिरी के पास आया. लेकिन ओसामा के मारे जाने के बाद अल-ज़वाहिरी के पास कुछ बचा नहीं था. कभी-कभार कुछ बयान जारी कर दिए जाते थे.
अमेरिका अल-ज़वाहिरी के मारे जाने को जीत के तौर पर देखेगा. पिछले साल ही अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान से बिना कोई ठोस लक्ष्य हासिल किए अफ़ग़ानिस्तान से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया था. लेकिन अल-ज़वाहिरी तुलनात्मक रूप से कमज़ोर हो गए थे. अब इस्लामिक स्टेट के सामने अल-क़ायदा की कोई पूछ नहीं थी.
बेशक अल-क़ायदा का कोई एक नया नेता उभरेगा लेकिन अपने पूर्ववर्ती नेतृत्व की तुलना में अल-ज़वाहिरी का कोई प्रभाव नहीं रह गया था. काबुल में अल-ज़वाहिरी के मारे जाने से इस बात का भी अंदाज़ा मिलता है कि अफ़ग़ानिस्तान की अहमियत बनी हुई है.
तालिबान के आने से यहाँ इस्लामिक समूहों को सुरक्षित ठिकाना मिल सकता है. लेकिन अमेरिका ने भी दिखा दिया है कि वह भले ज़मीन पर नहीं है लेकिन दूर से ही हमला कर सकता है.
अफ़ग़ानिस्तान से पिछले साल ही राष्ट्रपति बाइडन ने सभी अमेरिकी सैनिकों को वापस बुला लिया था. अमेरिकी सैनिकों की वापसी के ठीक एक साल हुआ है और तभी अल-ज़वाहिरी को बाइडन ने मारने की मंज़ूरी दी.
2020 में तालिबान ने अमेरिकी के साथ एक शांति समझौता किया था, जिसमें उसने वादा किया था कि वह अपने मुल्क में अल-क़ायदा को पनाह नहीं देगा. उसने किसी भी अतिवादी समूह को पनाह नहीं देने की बात कही थी.
हालाँकि तालिबान और अल-क़ायदा लंबे समय से सहयोगी रहे हैं. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि तालिबान को पता था कि अल-ज़वाहिरी काबुल में मौजूद हैं.
बाइडन ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान को वह फिर से आतंकवादियों का अड्डा नहीं बनने देंगे.
पिछले साल अफ़रातफ़री की हालत में अफ़ग़ानिस्तान से 20 सालों बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी हुई थी.
अब जब एक साल बाद बाइडन प्रशासन में ही काबुल में अल-ज़वाहिरी को मारा गया तो यह राष्ट्रपति के लिए मायने रखता है.
2011 में जब ओसामा बिन-लादेन को मारा गया था तब बाइडन उपराष्ट्रपति थे. अब उन्होंने राष्ट्रपति के तौर पर एक अल-क़ायदा के दूसरे अहम नेता के मारे जाने की घोषणा की है.
अटकलों का बाज़ार गर्म है कि क्या तालिबान को अल-ज़वाहिरी की काबुल में मौजूदगी का पता था और किस तरह की मदद दी जा रही थी.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि काबुल के जिस घर में अल-ज़वाहिरी को ड्रोन स्ट्राइक में मारा गया, उसमें बाद में तालिबान के अधिकारी गए और यह छुपाने की कोशिश की कि यहाँ कोई मौजूद नहीं था. (bbc.com)
रूस और यूक्रेन के बीच अनाज की सप्लाई को लेकर हुए अहम समझौते के बाद आज पहली बार यूक्रेन के ओडेसा बंदरगाह से अनाज से भरा जहाज़ रवाना हुआ है.
इसी के साथ रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया में गहराया खाद्य संकट कुछ हद तक कम होने के आसार हैं.
तुर्की और यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि जहाज़ सोमवार की सुबह ओडेसा के दक्षिणी बंदरगाह से रवाना हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जहाज़ की रवानगी का स्वागत किया है और समझौते को लागू करने में तुर्की की भूमिका की सराहना की है.
समझौते के तहत इस्तांबुल में स्थापित ज्वाइंट को-ऑर्डिनेशन सेंटर ने कहा कि जहाज लगभग 26,000 टन अनाज लेकर रवाना हुआ है और मंगलवार को इसकी जाँच की जाएगी.
रूस और यूक्रेन ने बीते 22 जुलाई को तुर्की के इस्तांबुल में 'ब्लैक सी ग्रेन इनिशिएटिव' समझौते पर हस्ताक्षर किया था. इसके तहत यूक्रेन से जल्द गेहूं और मक्के का निर्यात शुरू करने की बात कही गई थी.
रूस ने समझौते की शर्तों को मानते हुए कहा था कि वह समुद्र के रास्ते अनाज की ढुलाई करने वाले जहाज़ों पर हमला नहीं करेगा.
रूस ने फरवरी से ही यूक्रेनी बंदरगाहों की नाकाबंदी कर दी थी.
हालाँकि दोनों ही देशों के बीच हुआ ये समझौता केवल चार महीनों का है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि इससे खाद्य संकट का सामना करे देशों को थोड़ी राहत ज़रूर मिलेगी.(bbc.com)
तनवीर मलिक
"अब हम केवल एक ही वक़्त का खाना खा सकते हैं. महंगाई की वजह से अब दो वक़्त का खाना संभव नहीं है.''
''क्या करें, मजबूरी है. दिल तो करता है कि दोनों वक़्त का खाना बनायें या एक वक़्त में ही इतना खाना बना लें कि दोनों वक़्त खा लें, लेकिन अब जेब इसकी इजाज़त नहीं देती."
ये कहना है कराची के दाऊद गोठ इलाक़े की रहने वाली रज़िया का, जो घरों में सफ़ाई और बर्तन धोने का काम करती हैं.
50 वर्षीय रज़िया 10 से 12 हज़ार रुपए महीना कमाती हैं. उनकी चार बेटियां और दो बेटे समेत छह बच्चे हैं. पाँच साल पहले उनके पति की मौत हो गई थी.
बीबीसी ने जब रज़िया से गुज़र बसर के बारे में पूछा तो उन्होंने भर्राई हुई आवाज़ में कहा, "गुज़र बसर क्या होनी है. अब तो भूखे मरने की नौबत आ गई है."
रज़िया ने बताया कि जिन घरों में वो काम करती हैं, कभी-कभी वहाँ से बचा हुआ खाना मिल जाता है, लेकिन 'ऐसा रोज़ नहीं होता है.'
रज़िया ने बताया कि छह बच्चों के लिए, उनकी कमाई से अब केवल एक ही वक़्त का खाना बन सकता है.
उनका कहना है कि 'दूध अब इतना महंगा हो गया है कि सुबह दूध की चाय पीनी छोड़ दी है' और अब वह सुलेमानी चाय (ग्रीन टी) बनाकर बच्चों को पिलाती हैं.
खाने के ख़र्च के अलावा बिजली बिल का भुगतान करना उनकी सबसे बड़ी समस्या है. वो बताती हैं मेरा बिल 2500 रुपये आया है.
दस बारह हज़ार रुपये में से 2500 रुपये तो बिजली बिल पर ख़र्च हो जाएंगे, बाक़ी बचे पैसे से हमें पूरे महीने अपना और छह बच्चों का पेट पालना है.
रज़िया अकेली नहीं हैं. उनसे ज़्यादा कमाने वाले भी इसी तरह की मुश्किल परिस्थिति में नज़र आते हैं.
राहील बट एक मध्यम वर्गीय नौकरी पेशा व्यक्ति हैं. उनकी पत्नी भी नौकरी करती हैं. राहील भी बढ़ती महंगाई से परेशान हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया कि पहले वे काम पर जाने के लिए गाड़ी का इस्तेमाल करते थे.
पेट्रोल की क़ीमतों में भारी वृद्धि के बाद, अब वो बाइक से जाते हैं और ऑफ़िस की तरफ़ से दी गई रियायत के कारण सप्ताह में एक दो दिन घर से काम कर लेते हैं.
राहील का कहना है कि "मंहगाई के चलते परिवार की छोटी-छोटी ख्वाहिशें पूरी करना अब मुमकिन नहीं रहा है. वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ महीने में एक बार आउटिंग और बाहर डिनर कर लेते थे, लेकिन अब दो-तीन महीने से यह बंद हो गया है. घर का ख़र्च और मकान का किराया ही बड़ी मुश्किल से पूरा होता है.''
नदीम मेमन कराची में कारोबार करते हैं और एक कारख़ाने के मालिक हैं. वो भी बढ़ती हुई महंगाई की वजह से परेशान हैं.
हालांकि, उनकी समस्या यह है कि व्यापार प्रभावित हो रहा है, जिसकी वजह से उनकी आय भी प्रभावित हो रही है. उन्होंने कहा कि 'बिजली के बिलों के साथ-साथ बैंकों की तरफ़ से मार्क-अप में वृद्धि हुई है, इसके अलावा अन्य लागतों में भी बहुत ज़्यादा वृद्धि हुई है, जिसकी वजह से लेबर भी ज़्यादा वेतन की मांग करने लगे हैं.'
ये सभी कारक उनकी व्यवसायिक लागत बढ़ा रहे हैं जबकि दूसरी ओर बाज़ार की स्थिति दिन-ब-दिन ख़राब होती जा रही है. इस तरह 'ज़्यादा लागत वाली चीज़ों को कैसे बेचा जाएगा.'
रज़िया, राहील बट और नदीम मेमन पाकिस्तान के ग़रीब, मध्यम और अमीर वर्ग से संबंध रखने वाले तीन लोग हैं, जो देश में महंगाई की लहर से समान रूप से परेशान नज़र आ रहे हैं.
पाकिस्तान में महंगाई कितनी बढ़ी है, इसका संकेत सरकारी आंकड़े भी देते हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ 30 जून, 2022 को ख़त्म हुए वित्तीय वर्ष में महंगाई दर 21 प्रतिशत से ज़्यादा हो गई थी, जिसके बारे में जानकारों का अनुमान है कि इसमें और भी बढ़ोतरी होगी.
इस वृद्धि का कारण डॉलर की क़ीमत में वृद्धि के साथ-साथ पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमत में हुई वृद्धि भी है, जिसका नकारात्मक प्रभाव आने वाले दिनों में और भी ज़्यादा दिखाई देगा. पाकिस्तान ऊर्ज़ा और खाद्य ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर है, जो डॉलर महंगा होने की वजह से और भी महंगा होगा.
रज़िया के मुताबिक़, दो-तीन महीने पहले तक उन्हें दिन में कम से कम दो वक़्त का खाना तो मिल रहा था, लेकिन अब दो वक़्त का खाना भी मुश्किल हो गया है. उनके मुताबिक़ इस महंगाई के लिए मौजूदा सरकार ज़िम्मेदार है.
राहील बट का भी कुछ ऐसा ही मानना है. उनका कहना है कि "तहरीक-ए-इंसाफ़ की सरकार के दौरान भी महंगाई थी, लेकिन मौजूदा सरकार ने महंगाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.
नदीम मेमन भी मौजूदा सरकार से नाख़ुश हैं. उनके मुताबिक़, बिजली, गैस और ब्याज़ दरों में बढ़ोतरी से उनके कारोबार की लागत काफ़ी बढ़ गई है.
पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री डॉक्टर हफ़ीज़ पाशा ने बीबीसी न्यूज़ को बताया कि महंगाई का एक कारण वैश्विक स्थितियां भी हैं, जिनमें दुनिया भर में तेल, गैस और कमोडिटी की क़ीमतों में वृद्धि हुई है.
उन्होंने कहा कि "मौजूदा सरकार भी दोषी है, लेकिन पिछली तहरीक-ए-इंसाफ़ सरकार थोड़ी ज़्यादा दोषी है क्योंकि जब दुनिया में क़ीमतें नहीं बढ़ रही थीं, तब भी पाकिस्तान में पिछली सरकार के कार्यकाल में क़ीमतें बढ़ रही थीं.
अर्थशास्त्री अम्मार ख़ान ने महंगाई के लिए वैश्विक स्थिति को ज़िम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि जब दुनिया में तेल और गैस और अन्य वस्तुओं की क़ीमतें उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं, तो पाकिस्तान में भी इसका असर पड़ना ही था.
पाकिस्तान में महंगाई की वजह से आम आदमी जिस परेशानी से जूझ रहा है, उसकी बड़ी वजह तेल उत्पादों की क़ीमतों में वृद्धि के साथ-साथ खाद्य पदार्थों में होने वाली वृद्धि भी शामिल है.
तहरीक-ए-इंसाफ़ सरकार के पहले वित्तीय वर्ष के अंत में यानी जून 2019 में महंगाई की कुल दर 8 प्रतिशत थी जबकि खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में वृद्धि 8.1 प्रतिशत थी.
इससे अगले साल के अंत यानी जून 2020 में महंगाई की कुल दर 8.6 प्रतिशत और खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में बढ़ोतरी 14.6 प्रतिशत रही.
जून 2021 के अंत में महंगाई की कुल दर 9.7 प्रतिशत थी, लेकिन खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में वृद्धि 10.5 प्रतिशत थी.
अप्रैल की शुरुआत में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ की सरकार ख़त्म होने से पहले महंगाई दर के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पिछले वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में यानी जुलाई से मार्च तक महंगाई दर 10.77 प्रतिशत पर बंद हुई थी. और केवल मार्च के महीने में यह 13 प्रतिशत पर बंद हुई.
इससे पिछले साल के इन्हीं नौ महीनों में खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों के आंकड़ों के मुताबिक़ खाद्य तेल की क़ीमतों में 48 प्रतिशत, सब्ज़ियों में 35 प्रतिशत, दालों की क़ीमत में औसतन 38 प्रतिशत, चिकन की क़ीमतों में लगभग 20 प्रतिशत और मांस की क़ीमत में 23 प्रतिशत वृद्धि हुई. दूसरी तरफ़, तेल उत्पादों की क़ीमतों में 37 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के पहले महीने में यानी अप्रैल में महंगाई की दर 13.37 प्रतिशत दर्ज की गई थी, जो मई के महीने में बढ़कर 13.76 प्रतिशत हो गई, जबकि जून में महंगाई की दर 21.32 प्रतिशत तक पहुंच गई थी.
खाद्य आंकड़ों से पता चलता है कि प्याज की क़ीमतों में 124 प्रतिशत, खाद्य तेल की क़ीमतों में 70 प्रतिशत, चिकन की क़ीमतों में 47 प्रतिशत, गेहूं की क़ीमतों में 31 प्रतिशत और दूध की क़ीमतों में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
दूसरी ओर, तेल उत्पादों की क़ीमत में 96 प्रतिशत और बिजली की क़ीमत में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
इस संबंध में डॉक्टर हफ़ीज़ पाशा ने कहा कि वित्तीय वर्ष के अंत में महंगाई की दर 21 प्रतिशत से अधिक हो होने की संभावना है और अगर हम पाकिस्तान के इतिहास पर नज़र डालें तो इस तरह की उच्च दर 2008 और 1974 में दर्ज की गई थी.
उन्होंने कहा कि "अगर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के साढ़े तीन साल और मौजूदा सरकार के लगभग चार महीनों को मिलाकर चार साल में महंगाई की दर पर नज़र डालें तो खाने-पीने की चीज़ों के दाम 55 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं.
इस दौरान प्लंबर, राजमिस्त्री, मज़दूर, इलेक्ट्रीशियन, तकनीशियन, मैकेनिक आदि की आय में 24 से 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसका मतलब है कि लोगों की आय में जितनी वृद्धि हुई, क़ीमतों में उससे दोगुनी वृद्धि हुई है.
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में तेल और अन्य वस्तुओं की क़ीमतें बढ़ी हैं और पाकिस्तान अपनी ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर है.
उन्होंने कहा कि कच्चा तेल 130 डॉलर प्रति बैरल के उच्च स्तर पर पहुंच गया. इसी तरह पाम ऑयल, दवाएं और खाने-पीने की चीज़ों के दाम भी बढ़े हैं. "अब ऐसे में पाकिस्तान में भी क़ीमतों पर इसका असर होना था, जो हुआ भी और इसकी वजह से आम लोग महंगाई की चक्की में पिस गए."
हालांकि, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में शासन की कमज़ोरियों ने भी क़ीमतों में वृद्धि की, क्योंकि "प्राइस कंट्रोल सिस्टम ध्वस्त हो गया है और अवैध मुनाफ़ाख़ोरी को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर कोई प्राइस कंट्रोल सिस्टम नहीं है."
उन्होंने कहा कि पिछली चार-पांच सरकारों में क़ीमतों को नियंत्रित करने का सिस्टम पूरी तरह से ख़त्म हो चुका है. "इससे पहले स्थानीय स्तर पर किसी हद तक क़ीमतों पर नज़र रखी जाती थी."
अम्मार ख़ान ने अंतरराष्ट्रीय क़ीमतों के अलावा, स्थानीय स्तर पर रुपये की क़ीमत में कमी को भी महंगाई का मुख्य कारण बताया, जिसके कारण पाकिस्तान में तेल उत्पादों और अन्य चीज़ों का आयात महंगा हो गया और पूरा बोझ स्थानीय उपभोक्ताओं को उठाना पड़ा.
रूस के नौसेना दिवस के मौक़े पर सेंट पीटर्सबर्ग में एक समारोह में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस 'महान सामुद्रिक शक्ति' बनना चाहता है जो अमेरिकी प्रभुत्व का मुकाबला करे.
उन्होंने कहा कि नेटो के प्रसार के साथ-साथ समुद्र में "प्रभाव बढ़ाने की अमेरिका की कोशिश" रूस के लिए बड़ा खतरा हैं.
उन्होंने कहा कि रूस की आज़ादी और संप्रभुता पर हमला करने वालों के मुकाबले के लिए जल्द ही ज़िरकॉन हाइपरसॉनिक मिसाइलें सेना में शामिल की जाएंगी जो ध्वनि की गति से हमला करने में सक्षम हैं.
उन्होंने कहा, "रूस के नए मैरीटाइम डॉक्टरीन को मंजूरी दे दी गई है. हमने आर्थिक और सामरिक तौर पर अपनी सीमाओं और राष्ट्रीय हित के इलाक़ों को पूरी तरह चिन्हित किया है. सबसे पहले ये कि आर्कटिक सागर, ब्लैक सी, ओकहोत्स्क, बेरिंग और बाल्टिक सागर और साउथ कुरिल की खाड़ी हमारे हैं, और हर हर हाल में हर सूरत में उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. यहां हमारी नौसेना की ताकत महत्वपूर्ण है.जो हमारी आज़ादी और संप्रभुता का उल्लंघन करने वालों को उत्तर देने में काबिल है."
न्यूयॉर्क, 31 जुलाई | न्यूयॉर्क शहर में बढ़ते मामले के चलते मंकीपॉक्स को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया गया है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, मेयर एरिक एडम्स और शहर के स्वास्थ्य आयुक्त अश्विन वासन ने शनिवार देर रात एक संयुक्त बयान में बताया कि न्यूयॉर्क शहर में कुल 1,383 मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं।
बयान में कहा गया है, न्यूयॉर्क शहर वर्तमान में प्रकोप का केंद्र है, और हमारा अनुमान है कि वर्तमान में लगभग 150,000 न्यूयॉर्क वासियों को मंकीपॉक्स का खतरा है।
पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा न्यूयॉर्क के गवर्नर कैथी होचुल द्वारा मंकीपॉक्स को लेकर राज्य आपदा आपातकाल घोषित करने के एक दिन बाद की गई।
रविवार की सुबह तक, अमेरिका में मंकीपॉक्स के केस 5,189 दर्ज किए गए थे, यह आंकड़ा दुनिया में सबसे अधिक था। इसी अवधि में कैलिफोर्निया में 799 और इलिनोइस में 419 मामले सामने आए।
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 23 जुलाई को मंकीपाक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था।
(आईएएनएस)
वाशिंगटन, 31 जुलाई (एपी)। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन शनिवार को एक बार फिर कोविड-19 से संक्रमित पाए गए। महज तीन दिन पहले ही कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त होने के बाद उनका पृथक-वास समाप्त हुआ था।
व्हाइट हाउस ने कहा है कि एंटी वायरल दवा से इलाज के बाद बाइडन में संक्रमण का फिर से उभरना एक दुर्लभ मामला है।
व्हाइट हाउस के चिकित्सक डॉ. केविन ओ’कोनोर ने एक पत्र में कहा कि बाइडन में ‘‘इस बार कोई भी लक्षण नहीं उभरे हैं और वह अच्छा महसूस कर रहे हैं।’’
रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाइडन एक बार फिर कम से कम पांच दिनों के लिए पृथक-वास में रहेंगे। संक्रमण मुक्त होने तक वह व्हाइट हाउस में ही रहेंगे।
एजेंसी ने कहा कि संक्रमण के फिर से उभरने के ज्यादातर मामलों में लक्षण हल्के रहते हैं और इस दौरान मरीजों के गंभीर रूप से बीमार पड़ने का कोई मामला सामने नहीं आया है।
बाइडन (79) के एक बार फिर संक्रमित पाए जाने की घोषणा से महज दो घंटे पहले व्हाइट हाउस ने आगामी मंगलवार को उनके मिशिगन दौरे की जानकारी दी थी जिसमें वह घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने संबंधी विधेयक को पारित किए जाने को रेखांकित करने वाले थे। बाइडन रविवार को अपने गृह नगर वेलिंगटन भी जाने वाले थे जहां प्रथम महिला जिल बाइडन मौजूद हैं। लेकिन अब बाइडन के संक्रमित होने के कारण ये दोनों यात्राएं रद्द कर दी गई हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति बीते मंगलवार और बुधवार को हुई जांच में संक्रमित नहीं पाए गए थे। इसके बाद उनका पृथक-वास समाप्त हो गया था।
व्हाइट हाउस के कोविड-19 के समन्वयक डॉ. आशीष झा ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा,‘‘ आंकड़ों से पता चलता है कि पैक्सलोविड उपचार के बाद पांच से आठ प्रतिशत लोग फिर से संक्रमित हुए’’।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा के आईएमएफ़ से कर्ज़ के लिए अमेरिकी मदद मांगने की ख़बरें आने के बाद विवाद हो गया है.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने इसे लेकर सेना प्रमुख और सरकार पर निशाना साधाते हुए कहा कि सेना प्रमुख का ऐसा करना देश को कमज़ोर कर रहा है.
पाकिस्तान के एक टीवी चैनल एआरवाई न्यूज़ पर शुक्रवार को प्रसारित एक साक्षात्कर में इमरान ख़ान से जनरल बाजवा की अमेरिकी उप विदेशी मंत्री वेंडी शरमन से संपर्क करने को लेकर सवाल किया गया था.
इस सवाल पर जवाब देते हुए इमरान ख़ान ने मुस्कुराते हुए पूछा कि जब अमेरिका मदद करेगा, तो क्या वह बदले में कुछ नहीं मांगेगा.
इमरान ख़ान ने कहा कि इससे पता चलता है कि देश में कोई भी मौजूदा सरकार पर भरोसा नहीं करता है. ना आईएमएफ़ और ना ही देश के बाहर किसी को उन पर भरोसा है. ऐसी स्थिति में सेना प्रमुख ने इस ज़िम्मेदारी को निभाया है.
उन्होंने अपनी सरकार की नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस नीति में देश की सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक सुरक्षा पर भी ज़ोर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि अगर जनरल बाजवा ने अमेरिकी अधिकारियों से बात की है तो इसका मतलब है कि पाकिस्तान आर्थिक रूप से कमज़ोर हो रहा है. उन्होंने कहा कि ये सेना प्रमुख का काम नहीं है और देश इस तरह कमज़ोर होता रहा तो आप क्या सोचते हैं कि अमेरिका हमारी मदद और बदले में कुछ नहीं मांगेगा.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से जिस तरह की मांग की जाती है, अगर वो इस हद तक चले गए तो पाकिस्तान की सुरक्षा कमज़ोर हो जाएगी. इसे लेकर उन्होंने पाकिस्तान की गठबंधन सरकार के प्रदर्शन पर निराशा व्यक्त की और कहा कि देश के मौजूदा आर्थिक संकट से निकलने का एकमात्र रास्ता स्वच्छ और पारदर्शी आम चुनाव है.
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनाव के बाद पांच साल के लिए ऐसी सरकार बनेगी जो देश में राजनीतिक स्थिरता लाएगी और अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर लाने में मदद करेगी.
पंजाब प्रांत की 20 विधानसभा सीटों पर हाल में हुए उपचुनावों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तमाम मुश्किलों के बावजूद जनता ने तहरीक-ए-इंसाफ के पक्ष में इतनी बड़ी संख्या में वोट दिए हैं.
जनरल बाजवा को लेकर ख़बरें
शुक्रवार को इस तरह की ख़बरें थीं कि सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने आईएमएफ़ से जल्द वित्तीय मदद मिलने को लेकर वेंडी शरमन से संपर्क किया है.
इसके बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को जनरल बाजवा और वेंडी शरमन के बीच हुई बातचीत की ख़बर की पुष्टि की है लेकिन क्या बात हुई है इसकी जानकारी नहीं दी है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इफ़्तिखार अहमद ने साप्ताहिक ब्रीफ़िंग में कहा कि मंत्रालय को इस बात की जानकारी नहीं है कि जनरल बाजवा ने वेंडी शरमन के साथ पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर चर्चा की है या नहीं.
उन्होंने कहा कि ''सेना का जनसंपर्क विभाग, आईएसपीआर इस पर बयान देगा." हालांकि, आईएसपीआर ने इस लेकर अभी तक कोई बयान नहीं दिया है.
पाकिस्तान की समाचार एजेंसी एपीपी के मुताबिक जनरल बाजवा ने ''पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद करने के लिए आईएमएफ़ से जल्दी लोन मिलने को लेकर अमेरिकी मदद के लिए संपर्क किया है.''
इस ख़बर में सुरक्षा सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि ''इस हफ़्ते की शुरुआत में सेना प्रमुख ने वेंडी शरमन से फ़ोन पर बात की थी.'' इसमें हो रही देरी के चलते सेना प्रमुख को अमेरिका को इस ओर ध्यान दिलाना पड़ा.
पाकिस्तान बिगड़ते आर्थिक हालात के बीच लंबे समय से आईएमएफ़ की वित्तीय मदद के लिए कोशिश कर रहा है और इसके लिए कई शर्तों को भी पूरा किया गया है. इस वित्तीय मदद के तहत आईएमएफ़ से पाकिस्तान को 1.2 अरब डॉलर का कर्ज़ दिया जाना है.
वित्तीय मदद को लेकर पाकिस्तान का आईएमएफ़ के साथ स्टाफ़ लेवल का समझौता हो गया है लेकिन अभी पूरी तरह मंज़ूरी नहीं मिली है.
आईएमएफ़ में कार्यकारी स्तर की बैठक में पाकिस्तान को कर्ज़ दिए जाने को लेकर अंतिम फ़ैसला लिया जाएगा. ऐसे में ये समझौता अगस्त तक टल गया है.
पाकिस्तान इस समय जिन ख़राब वित्तीय हालात से गुज़र रहा है उसमें देश को बाहर से वित्तीय मदद की सख़्त ज़रूरत है.
पाकिस्तान रुपये की कीमत अब तक के सबसे निचले स्तर पर है और महंगाई आसमान छू रही है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार इस समय 9.3 अरब डॉलर है जो अगले चार-पांच हफ़्तों के लिए भी नाकाफ़ी है.
पाकिस्तान के ही मंत्री देश के डिफ़ॉल्ट होने को लेकर आगाह कर चुके हैं. स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान के कार्यकारी गवर्नर डॉक्टर मुर्तजा सैयद ने हाल ही में बताया था कि पाकिस्तान पर इस समय जीडीपी का 70 प्रतिशत कर्ज बाकी है.
ऐसे में पाकिस्तान के लिए आईएमएफ़ से मिलने वाला कर्ज़ बहुत अहम जाता है ताकि देश में पैसा आ सके.
इसे लेकर कार्यकारी गवर्नर ने कहा था, "इस साल का बजट थोड़ा टाइट होगा लेकिन हम उस पर काम कर रहे हैं. सबसे ज़रूरी ये है कि अगले 12 महीने जिन देशों के पास आईएमएफ़ प्रोग्राम होंगे वो बचे रहेंगे और जिनके पास नहीं होगा वो बहुत दबाव में होंगे. घाना, ज़ाम्बिया, ट्यूनीशिया और अंगोला के पास आईएमएफ़ प्रोग्राम नहीं है."
मुर्तजा सैयद ने कहा था, "आईएमएफ़ के साथ स्टाफ़ स्तर का समझौता भी छोटी बात नहीं है. ये एक बड़ी उपलब्धि है. इसका मतलब है कि आईएमएफ़ के स्टाफ़ को लगता है कि इस प्रोग्राम के लिए हमने जो करना था, वो कर लिया है. इसके बाद अगर आप अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करें तो बोर्ड में जाकर आपको काफ़ी आसानी होती है. उसके बाद हमें पैसे मिल जाएंगे. दुनिया देख लेगी कि पाकिस्तान ट्रैक पर है."
वहीं, डिप्टी गवर्नर इनायत हुसैन ने कहा था कि आईएमएफ़ के प्रोग्राम को अनुमति मिलने के बाद पैसे का फ्लो होने लगेगा. कुछ बहुपक्षीय एजेंसियां भी हैं, वहां से पैसा भी आ जाएगा. हमारा आकलन ये है कि पाकिस्तान की अगले साल की वित्तीय ज़रूरतें हम आसानी से पूरी कर लेंगे. इसके बाद बजट भी बढ़ जाएगा. (bbc.com)
तेहरान, 30 जुलाई | ईरान के विभिन्न प्रांतों में हाल ही में आई बाढ़ में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई है। ईरानी रेड क्रिसेंट सोसाइटी के राहत और बचाव संगठन के प्रमुख मेहदी वल्लीपुर ने शुक्रवार को अर्ध-आधिकारिकफार्स न्यूज एजेंसी को बताया कि 16 लोग अभी भी लापता हैं।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, वल्लीपुर ने उल्लेख किया कि अब तक 3,000 लोगों को आपातकालीन आवास प्रदान किया गया है और अन्य 1,300 को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि 3,000 बचाव दल लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं।
ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने शुक्रवार को देश भर के मंत्रियों, संगठनों के प्रमुखों और गवर्नर-जनरलों को राष्ट्रपति की वेबसाइट के अनुसार संभावित बाढ़ के प्रबंधन के लिए अपनी सभी सुविधाएं जुटाने का आदेश दिया।
उन्होंने कहा, "गवर्नर-जनरलों के लिए यह आवश्यक है कि वे बाढ़ वाले क्षेत्रों में सभी उपलब्ध सुविधाओं के साथ राहत प्रदान करें।"
सोमवार तक जारी रहने वाली भारी बारिश से अब तक 20 ईरानी प्रांतों में बाढ़ आ गई है, जिससे 100 काउंटियों और 300 गांवों को नुकसान पहुंचा है। (आईएएनएस)
ब्रासीलिया, 30 जुलाई | ब्राजील ने देश की पहली मंकीपॉक्स से संबंधित मौत की पुष्टि की है। इसकी जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी। यह मामला शुक्रवार को दक्षिण-पूर्वी मिनस गेरैस राज्य की राजधानी बेलो होरिजोंटे से सामने आया।
मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा, 41 वर्षीय पीड़ित का कैंसर समेत अन्य बीमारियों का इलाज चल रहा था। मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के बाद पीड़ित का स्वास्थ्य बिगड़ गया।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित को बेलो होरिजोंटे के एक सार्वजनिक अस्पताल में भर्ती कराया गया।
राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि मिनस गेरैस में मंकीपॉक्स के 44 पुष्ट मामले और 130 संदिग्ध मामले जांच के दायरे में हैं।
ब्राजील में बुधवार तक मंकीपॉक्स के 978 पुष्टि मामले थे। (आईएएनएस)
मैड्रिड, 30 जुलाई। स्पेन में शुक्रवार को मंकीपॉक्स से एक व्यक्ति की मौत हो गई और स्पेनी मीडिया के अनुसार यह देश में मंकीपॉक्स से हुई मौत का पहला मामला है।
स्पेन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने वायरस संबंधी अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया कि मंकीपॉक्स से संक्रमित 120 लोगों को अब तक अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है, जिसमें से एक व्यक्ति की मौत हो गई। स्पेन की सरकारी समाचार एजेंसी ‘एफे’ और अन्य मीडिया संस्थानों ने बताया कि यह देश में मंकीपॉक्स से हुई मौत का पहला मामला है।
मंत्रालय ने मौत के बारे में और कोई जानकारी नहीं दी। उसने बताया कि स्पेन में इस वायरस से अब तक 4,298 लोग संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से करीब 3,500 पुरुष ऐसे हैं, जिन्होंने अन्य पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाए। संक्रमण को मामलों में केवल 64 महिलाएं हैं।(एपी)
(अदिति खन्ना)
लंदन, 29 जुलाई । कंजरवेटिव पार्टी का अगला नेता और ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल ऋषि सुनक और लिज ट्रस को उनकी नीतियों को लेकर टोरी सदस्यों की तीखी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा।
उत्तरी इंग्लैंड के लीड्स शहर में बृहस्पतिवार की रात को कंजरवेटिव पार्टी के कट्टर माने जाने वाले सांसदों (टोरी सदस्यों) को संबोधित किया। ये सदस्य भी चुनाव में मतदान करेंगे।
टोरी पार्टी के एक सदस्य ने सुनक के इस महीने की शुरुआत में चांसलर पद छोड़ने के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपने पूर्व ‘बॉस’ की पीठ में ही छुरा घोंप दिया। वेस्ट यॉर्कशायर के एक टोरी सदस्य ने कहा, ‘‘आप एक अच्छे सेल्समैन हैं और आपके पास कई गुण हैं। इसके बावजूद कई लोग बोरिस जॉनसन का समर्थन करना जारी रखते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बहुत से लोगों ने देखा है कि आपने उनकी पीठ में छुरा घोंपा है, जबकि उन्होंने ही आपको राजनेता बनाया है और कुछ लोग आपको नंबर 10 में भी नहीं देखना चाहते थे।’’
आरोपों पर जवाब देते हुए ऋषि सुनक ने कहा, ‘‘मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था, क्योंकि देश की आर्थिक स्थिति पर उनके साथ काफी गहरे मतभेद थे, खासकर ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था वास्तविक चुनौतियों का सामना कर रही है। इसलिए, मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था।’’
अपने शुरुआती भाषण में, उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी लिज ट्रस की करों में तुरंत कटौती करने की योजना पर कटाक्ष करते हुए चेतावनी दी कि ‘‘हमारे जीवन को आसान बनाने के लिए हमारे बच्चों और नाती-पोतों के भविष्य को गिरवी रखना’’ ठीक नहीं है।
सुनक टोरी सदस्यों के बीच ट्रस से पीछे हैं। ये सांसद अगले सप्ताह से मतपत्रों के जरिये अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट देंगे। सुनक का वे मतदाता समर्थन कर रहे हैं, जिन्होंने 2019 के आम चुनाव में पहली बार कंजरवेटिव पार्टी को वोट दिया था।(भाषा)
(तस्वीर के साथ)
कराची, 29 जुलाई। तमाम विपरीत हालात पर जीत हासिल करते हुए पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) बनी मनीषा रूपेता अपने रिश्तेदारों की तमाम आशंकाओं को गलत साबित करके रोमांचित महसूस कर रही हैं । अब उनका एक ही लक्ष्य : नारीवादी अभियान की कमान संभाल कर ‘महिलाओं की संरक्षक’ बनना और पितृ सतात्मक समाज में लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करना है।
सुदूरवर्ती सिंध प्रांत के जैकोबाबाद की रहने वाली 26 वर्षीय रूपेता का मानना है कि कई अपराधों का निशाना महिलाएं होती हैं और वे पुरुष प्रधान पाकिस्तान में ‘‘सबसे अधिक उत्पीड़ित’’ समाज हैं।
रूपेता ने पिछले साल सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वह 152 सफल अभ्यर्थियों की मेरिट सूची में 16वें स्थान पर रहीं। वह प्रशिक्षण ले रही हैं और उन्हें ल्यारी के अपराध प्रभावित क्षेत्र में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) के रूप में तैनात किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने और मेरी बहनों ने बचपन से ही पितृसत्ता की पुरानी व्यवस्था देखी है जहां लड़कियों से कहा जाता है कि अगर वे शिक्षित होकर काम करना चाहती हैं तो वह केवल शिक्षक या चिकित्सक ही बन सकती हैं।’’
एक मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली रूपेता ने कहा कि वह इस धारणा को खत्म करना चाहती हैं कि अच्छे परिवारों की लड़कियों को पुलिस सेवा में शामिल होने या जिला अदालतों में काम करने से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘महिलाएं सबसे अधिक उत्पीड़ित हैं और हमारे समाज में वे कई अपराधों का शिकार होती हैं। मैं पुलिस में इसलिए शामिल हुई क्योंकि मुझे लगता है कि हमें अपने समाज में एक महिला रक्षक की जरूरत है।’’
महिलाओं के खिलाफ शारीरिक और यौन हिंसा, ऑनर किलिंग और जबरन विवाह के मामलों के चलते पाकिस्तान को महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे खराब देशों में से एक माना जाता है।
विश्व आर्थिक मंच के ‘ग्लोबल जेंडर इंडेक्स’ ने कुछ साल पहले पाकिस्तान को नीचे से तीसरे स्थान पर रखा था। पाकिस्तान 153 देशों 151वें स्थान पर था।
महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले एक पाकिस्तानी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘औरत फाउंडेशन’ की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, देश में लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवन में कम से कम एक बार घरेलू हिंसा की शिकार हुई हैं। यह हिंसा आमतौर उनके पतियों द्वारा की जाती है।
रूपेता का मानना है कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में उनका काम महिलाओं को सशक्त बनायेगा और उन्हें अधिकार देगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक नारीवादी अभियान का नेतृत्व करना चाहती हूं और पुलिस बल में लैंगिग समानता को प्रोत्साहित करना चाहती हूं। मैं खुद हमेशा पुलिस बल की भूमिका से बहुत प्रेरित रही हूं।’’
रूपेता की सभी तीन बहन चिकित्सक हैं और उनका छोटा बाई मेडिसिन की पढ़ाई कर रहा है। उनके पिता जैकोबाबाद में एक व्यवसायी थे। रूपेता जब 13 साल की थीं तब उनकी मृत्यु हो गई थी।
उनका पालन-पोषण उनकी मां ने किया, जो अपने पति की मृत्यु के बाद अपने बच्चों के साथ कराची चली गई थीं।
रूपेता ने कहा, ‘‘मेरे गृहनगर में लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा हासिल करना सामान्य बात नहीं थी और जब उनके रिश्तेदारों को पता चला कि वह पुलिस बल में शामिल हो रही हैं तो उन्होंने सोचा कि वह इतने कठिन पेशे में लंबे समय नहीं रह पाएगी। लेकिन मैंने उन्हें गलत साबित किया है।’’
उन्होंने कहा कि सिंध पुलिस में एक वरिष्ठ पद पर होना और ल्यारी जैसी जगह पर ‘ऑन-फील्ड’ प्रशिक्षण प्राप्त करना आसान नहीं है।
रूपेता से पहले उमरकोट जिले की पुष्पा कुमारी ने भी इसी तरह की परीक्षा उत्तीर्ण की थी और सिंध पुलिस में पहली हिंदू सहायक उप-निरीक्षक के रूप में शामिल हुई थीं। (भाषा)
मेक्सिको सिटी, 29 जुलाई। मेक्सिको के वेराक्रूज में एक राजमार्ग पर प्रवासियों से भरे एक मालवाहक ट्रेलर ट्रक को बीच रास्ते में छोड़ दिया गया, जिसके बाद उसमें मौजूद 94 प्रवासियों ने किसी तरह खुद को बचाया। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
खाड़ी तटीय राज्य वेराक्रूज में प्रवासियों संबंधी मामलों के कार्यालय के प्रमुख कार्लोस एनरिक एस्केलांटे ने बताया कि प्रवासियों ने बाहर निकलने के लिए मालवाहक कंटेनर में छेद किया और कुछ लोग कंटेनर की छत से बाहर आए। कंटेनर की छत से छलांग लगाने से कुछ प्रवासी घायल हो गए, हालांकि इसमें किसी को कोई घातक चोट नहीं आई।
एस्केलांटे ने बताया कि अकायुकान शहर के पास के स्थानीय निवासियों ने शोर सुना और मालवाहक कंटेनर को खोलने में मदद की। माना जाता है कि ट्रेलर में बड़ी संख्या में प्रवासी सवार थे और कंटेनर से निकलने के बाद कुछ प्रवासी भाग गए।
ग्वाटेमाला, होंडुरास और अल सल्वाडोर के 94 प्रवासियों को आव्रजन अधिकारियों के हवाले कर दिया गया। बुधवार को सामने आए इस मामले ने 27 जून को टेक्सास के सैन एंटोनियो में हुई उस त्रासदी की यादें ताजा कर दीं, जब एक मालवाहक ट्रक में छोड़े गए 53 प्रवासियों की मौत हो गई थी। (एपी)
कोलंबो, 28 जुलाई। श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने बृहस्पतिवार को मध्यरात्रि से संसद का सत्रावसान करने का फैसला किया।
बृहस्पतिवार शाम जारी असाधारण राजपत्र के अनुसार अगला सत्र तीन अगस्त 2022 को पूर्वाह्न 10:30 बजे से शुरू होगा।
सत्रावसान का मतलब होता है कि सदन के समक्ष सभी मौजूदा कार्य निलंबित कर दिए गए हैं और महाभियोग को छोड़कर उस समय लंबित सभी तरह की कार्यवाही को रद्द कर दिया गया है।
विक्रमसिंघे को 20 जुलाई को सांसदों ने राष्ट्रपति चुना था। (भाषा)
नयी दिल्ली, 28 जुलाई। केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को संसद में बताया कि पाकिस्तान की जेलों में चार महिलाओं सहित कुल 682 भारतीय नागरिक बंद हैं और इनमें 17 ऐसे हैं जो 10 वर्षों से अधिक समय से पड़ोसी देश की हिरासत में हैं।
राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2014 से अब तक भारत 2,214 भारतीयों को पाकिस्तान से स्वदेश ला चुका है।
भाजपा सांसद राकेश सिन्हा द्वारा पाकिस्तान की जेलों में कैद भारतीयों नागरिकों की संख्या पूछे जाने पर मुरलीधरन ने कहा कि कॉन्सुलर एक्सेस संबंधी भारत-पाकिस्तान करार के अंतर्गत एक जुलाई 2022 को पाकिस्तान के साथ आदान-प्रदान की गई कैदियों की सूची के अनुसार पाकिस्तान ने माना है कि उनकी जिलों में 633 मछुआरे और 49 नागरिक हैं, जो भारतीय हैं या जिनके भारतीय होने का विश्वास है।
उन्होंने कहा, ‘‘इन 682 कैदियों में से 4 महिलाएं हैं और 17 कैदी 10 वर्ष से भी अधिक समय से पाकिस्तान की हिरासत में है।’’
विदेश राज्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ राजनीतिक चैनलों के माध्यम से लगातार इस मुद्दे को उठा कर रही है और सजा पूरी कर चुके सभी भारतीय कैदियों की रिहाई एवं स्वदेश वापसी की मांग करती रही है।
मुरलीधरन ने कहा कि सरकार, पाकिस्तान में भारतीयों कैदी के कल्याण, सलामती और सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता देती है।
उन्होंने बताया, ‘‘जैसे ही पाकिस्तान द्वारा भारतीयों के हिरासत की सूचना दी जाती है, इस्लामाबाद स्थित भारतीय मिशन द्वारा पाकिस्तान सरकार से कॉन्सुलर एक्सेस प्राप्त करने की दिशा में तुरंत कदम उठाए जाते हैं। कैदियों को उनकी शीघ्र रिहाई एवं स्वदेश वापसी के लिए कानूनी सहायता के साथ-साथ सभी संभव सहायता प्रदान की जाती है।’’
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार के निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप वर्ष 2014 से अब तक 2,214 भारतीयों को पाकिस्तान से स्वदेश लाया जा चुका है। (भाषा)
इस दौरान उन्होंने श्रीलंका का ज़िक्र करते हुए चीन की कर्ज़ नीति को निशाने पर लिया. उन्होंने श्रीलंका के मौजूदा संकट के पीछे भारी कर्ज़ को ही ज़िम्मेदार बताया.
अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू के मुताबिक उन्होंने कहा, ''पिछले दो दशकों में चीन श्रीलंका को ज़्यादा ब्याज़ दर पर अस्पष्ट कर्ज़ देकर और बडे़-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को वित्तीय मदद करके श्रीलंका का सबसे बड़ा कर्जदाता बन गया है. ये वो प्रोजेक्ट्स हैं जिनके व्यवहारिक इस्तेमाल पर सवाल भी खड़ा होता है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या चीन अन्य द्वीपक्षीय लेनदार देशों की तरह अपने कर्ज़ का पुनर्गठन करेगा. ''
साथ ही उन्होंने ऐसा विकास मॉडल देने की बात कही जो कर्ज़ और निर्भरता पर आधारित ना हो.
सामंथा ने कहा कि आने वाले समय में अमेरिका भारत को इंडो-पैसिफ़िक का ही नहीं बल्कि दुनिया के नेता के तौर पर देखता है. सामंथा ने कहा, ''हम साथ मिलकर उभरते देशों, उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक नया विकास मॉडल दे सकते हैं, जो कर्ज़ और निर्भरता पर नहीं बल्कि आर्थिक व्यापार और एकीकरण पर आधारित हो. जो व्यक्ति और राष्ट्रीय एजेंसियों को सहयोग करता हो और जो सभी देशों को सहयाता की ज़रूरत से आगे बढ़ते हुए देखना चाहता हो.''
इसी को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा, ''एक ऐसा मॉडल जो दूसरों के साथ समान व्यवहार करता है और पूर्वनिर्धारित अवधारणाओं या रूढ़ियों के बिना समाधान पर सहयोग करता है. एक ऐसा मॉडल जो इस बात को स्वीकार करता है कि लोकतंत्र, समावेशिता और बहुलवाद स्थाई प्रगति का पक्का रास्ता देते हैं, जहां गरिमा सिर्फ़ कुछ लोगों के लिए नहीं बल्कि सभी के लिए है. इस मॉडल की जड़ें खुले दिल के साथ सहयोग में हैं. जो मॉडल मानता है कि हम सब एक परिवार हैं.''
उन्होंने भारत और अमेरिका की तरफ़ से श्रीलंका को दी जा रही मदद का भी ज़िक्र किया.
सामंथा पावर ने मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा से भी मुलाक़ात की. उन्होंने घोषणा की कि अमेरिका कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए भारत में दो करोड़ 50 लाख डॉलर का निवेश करेगा. (bbc.com)
किम जोंग उन ने दावा किया है कि उत्तर कोरिया अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता के इस्तेमाल के लिए तैयार है. कोरियाई युद्ध की बरसी पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि उनका देश अमेरिका के साथ किसी भी सैनिक संघर्ष के लिए पूरी तरह से तैयार है.
किम जोंग उन का ये बयान ऐसे वक़्त में आया है जब इस बात को लेकर चिंताएं जाहिर की जा रही हैं कि उत्तर कोरिया अपना सातवां परमाणु परीक्षण कर सकता है.
अमेरिका ने पिछले महीने ये चेतावनी दी थी कि उत्तर कोरिया किसी भी वक़्त परमाणु परीक्षण कर सकता है. उत्तर कोरिया ने अपना आख़िरी परमाणु परीक्षण साल 2017 में किया था. हालांकि कोरियाई प्रायद्वीप में अब तनाव का माहौल बढ़ता हुआ दिख रहा है.
उत्तर कोरिया के विशेष अमेरिकी प्रतिनिधि सुंग किम ने कहा है कि इस बरस प्योंगयांग ने अभूतपूर्व संख्या में मिसाइल परीक्षण किए हैं.
साल 2019 में उत्तर कोरिया ने 25 बार मिसाइल टेस्ट किए थे जबकि इस साल वो अब तक 31 परीक्षण कर चुका है. जून में दक्षिण कोरिया ने इस जवाब देते हुए अपनी आठ मिसाइलों का परीक्षण किया.
हालांकि साल 1950-53 के दौरान हुआ कोरियाई युद्ध समझौते के साथ ख़त्म हुआ था लेकिन उत्तर कोरिया इस जंग में अमेरिका के ख़िलाफ़ अपनी जीत का दावा करता है. (bbc.com)
जेम्स फिट्ज़गेराल्ड
इराक़ की राजधानी बग़दाद में बुधवार को हज़ारों प्रदर्शनकारी सुरक्षा घेरे को तोड़ संसद के भीतर घुस गए. ये प्रदर्शनकारी शिया मुस्लिम धार्मिक नेता मौलाना मुक़्तदा अल-सद्र के समर्थक थे.
प्रदर्शनकारी मोहम्मद अल-सुदानी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर नामांकन का विरोध कर रहे थे.
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया. उस समय संसद में कोई सांसद मौजूद नहीं था.
प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को बगदाद के जिस हाई सिक्योरिटी इलाक़े में धावा बोला वहाँ कई देशों के दूतावास समेत कई अहम इमारतें मौजूद हैं.
समाचार एजेंसी एएफ़पी को सुरक्षाबलों से एक सूत्र ने बताया कि सुरक्षाबलों ने शुरुआत में प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की लेकिन बाद में वो संसद में घुस गए.
विरोध प्रदर्शनकारी संसद में टेबल पर चढ़कर गाना गाने लगे और नाचने लगे. तस्वीरों में टेबल पर लेटे और कुर्सियों पर बैठे हुए दिख रहे हैं.
इराक़ के मौजूदा निवर्तमान प्रधानमंत्री मुस्तफ़ा अल-कदीमी ने विरोध प्रदर्शनकारियों से संसद से बाहर निकलने की अपील की है.
9 महीने से राजनीतिक गतिरोध
इराक़ में पिछले साल अक्टूबर में हुए संसदीय चुनाव में मुक़्तदा अल-सद्र के गठबंधन को सबसे ज़्यादा सीटें मिली थीं.
मगर देश की राजनीतिक पार्टियों के बीच पिछले नौ महीनों से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है जिसके कारण सरकार का गठन नहीं हो पा रहा है.
पिछले नौ महीने से वहाँ सांसद राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को नहीं चुन सके हैं. इस वजह से वहाँ राजनीतिक गतिरोध की स्थिति बन गई है और वहाँ ना कोई राष्ट्राध्यक्ष है ना मंत्रिमंडल.
फ़िलहाल वहाँ निवर्तमान प्रधानमंत्री मुस्तफ़ा अल-कदीमी की सरकार देश चला रही है.
अगर वहाँ पिछले चुनाव में जीती पार्टियों के बीच राजनीतिक सहमति नहीं हो पाती है तो कदीमी अगला चुनाव होने तक प्रधानमंत्री बने रह सकते हैं.
इससे पहले 2010 में भी इराक़ में ऐसी ही स्थिति बनी थी जब 289 दिनों के गतिरोध के बाद नूरी अल मलिकी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने.
गतिरोध का असर
राजनीतिक गतिरोध की वजह से इराक़ के लिए 2022 का कोई बजट नहीं है जिससे वहाँ बुनियादी ज़रूरत की परियोजनाओं और आर्थिक गतिविधियों के लिए ख़र्च रुक गया है.
इराक़ के लोगों का कहना है कि इस कारण वहाँ कई सेवाएँ रुक गई हैं और लोगों के पास नौकरी नहीं है. उनका कहना है कि ये स्थिति तब है जब वहाँ पिछले पाँच सालों से ना तो कोई लड़ाई हो रही है और दूसरी ओर कच्चे तेल की ऊँची कीमतों की वजह से भरपूर कमाई भी हो रही है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार नासिरिया शहर में रहने वाले एक रिटायर्ड नौकरशाह मोहम्मद मोहम्मद ने कहा, "कोई सरकार नहीं है, और ना ही कोई बजट है, सड़कों पर गड्ढे हैं, बिजली और पानी की किल्लत है, स्वास्थ्य और शिक्षा की हालत भी ख़राब है."
मुक़्तदा अल सद्र
शिया मौलाना मुक़्तदा अल-सद्र ने इराक़ में अमेरिकी दख़ल का विरोध किया था. उन्होंने अक्टूबर में हुए चुनाव में अपने गठबंधन की जीत का दावा किया है.
अक्टूबर 2021 में हुए चुनाव में मुक़्तदा अल-सद्र की पार्टी 73 सीटों के साथ सबसे आगे रही थी. लेकिन, 329 सीटों वाली इराक़ी संसद में सरकार बनाने के लिए 165 सीटें होना ज़रूरी है.
लेकिन, मौलाना सद्र के अन्य दलों के साथ काम करने से इनकार करने के चलते गठबंधन की सरकार का गठन नहीं हो पाया है.
उनके समर्थक मोहम्मद अल-सुदानी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने का विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि वो ईरान के करीबी हैं.
साल 2019 में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सार्वजनिक सेवाओं की स्थिति को लेकर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक उस समय सुरक्षा बलों की कार्रवाई में कई लोग मारे गए थे.
मौलाना सद्र के समर्थक एक बार पहले 2016 में भी संसद में घुस चुके हैं.
बुधवार को इराक़ में यूएन मिशन ने कहा कि कि लोगों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है हालांकि, जब तक वो शांतिपूर्ण और क़ानून के दायरे में हो. (bbc.com)
वाशिंगटन, 28 जुलाई | अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कोविड परिक्षण में संक्रमित नहीं मिले हैं, जिसके बाद उन्होंने व्हाइट हाउस में पहली बार व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति दर्ज कराई। बाइडेन ने बुधवार को रोज गार्डन से टिप्पणी में कहा, "मेरे शरीर में कोविड के हल्के लक्षण मिले थे, जिससे मैं जल्दी ठीक हो गया। मैं अब अच्छा महसूस कर रहा हूं।"
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका में कोविड-19 पूरी तरह से नहीं गया है, जिससे नागरिक टीकाकरण और उपचारों द्वारा इस गंभीर बीमारी से बच सकते हैं।
व्हाइट हाउस के चिकित्सक केविन ओ. कॉनर की एक रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति ने मंगलवार शाम और बुधवार सुबह कोविड का परीक्षण किया था, जहां वे संक्रमित नहीं मिले हैं।
राष्ट्रपति पिछले सप्ताह कोविड से संक्रमित मिले थे। उन्होंने कोविड के सभी टीकाकरण और साथ ही में बूस्टर डोज भी लगवा लिया था। (आईएएनएस)
बीजिंग, 28 जुलाई | मीडिया ने गुरुवार को बताया कि चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान में, जहां कोविड-19 महामारी पहली बार दर्ज की गई थी, लगभग एक मिलियन लोगों को चार स्पशरेन्मुख मामलों का पता चलने के बाद लॉकडाउन के तहत रखा गया है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, शहर के जियांग्जि़या जिले में तालाबंदी कर दी गई है और निवासियों को तीन दिनों के लिए अपने घरों या परिसर के अंदर रहने के लिए कहा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चार मामलों में से, दो 48 घंटे पहले नियमित परीक्षण के परिणामस्वरूप रिपोर्ट किए गए थे, जिसके बाद तीसरे और चौथे को संपर्क ट्रेसिंग के माध्यम से जल्दी से पालन किया गया था।
इसके तुरंत बाद शहर के अधिकारियों ने तालाबंदी लागू कर दी।
1.2 करोड़ लोगों का शहर वुहान दुनिया भर में उस पहले स्थान के रूप में लोकप्रिय हुआ, जहां वैज्ञानिकों ने कोविड-19 का पता लगाया था। यह पहला शहर भी था जिसे कठोर प्रतिबंधात्मक उपायों के तहत रखा गया था, क्योंकि 2020 की शुरुआत में वैश्विक महामारी फैल गई थी।
बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हफ्ते की शुरूआत में, वैज्ञानिकों ने कहा था कि सम्मोहक सबूत थे कि वुहान का हुआनन सीफूड और वन्यजीव बाजार कोविड के प्रकोप के केंद्र में था।
दो सहकर्मी-समीक्षित अध्ययनों ने शहर में प्रारंभिक प्रकोप से जानकारी की फिर से जांच की है।
इस बीच, चीन ने शून्य कोविड-19 रणनीति अपनाई है, जिसके तहत अधिकारी बड़े पैमाने पर परीक्षण करते हैं, सख्त अलगाव नियम घोषित करते हैं और स्थानीय लॉकडाउन लागू करते हैं।
जून में, शंघाई दो महीने के सख्त लॉकडाउन से उभरा लेकिन निवासी अभी भी लगातार सामूहिक परीक्षण के नए सामान्य के लिए अनुकूल हैं, बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है।
गुरुवार सुबह तक, चीन ने कुल 2,167,619 कोविड-19 मामलों और 14,647 मौतों की पुष्टि की है। (आईएएनएस)
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन आज चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से फोन पर बात करेंगे.
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी के मुताबिक दोनों नेताओं के एजेंडा में ताइवन, यूक्रेन युद्ध और दोनों देशों के बीच आर्थिक प्रतिस्पर्धा का मुद्दा होगा.
ये बातचीत ऐसे समय में होगी जब अमेरिकी कांग्रेस की स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा की खबरों को लेकर चीन गुस्से में हैं.
चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी कि अगर नैन्सी पेलोसी ताइवान की यात्रा करती हैं तो अमेरिका को इसका ख़मियाज़ा भुगतना होगा.
अमेरिका ने चीन की इस आक्रामक प्रतिक्रिया की आलोचना की है.
हालांकि विदेश मंत्रालय का कहना है कि नैन्सी पेलोसी ने किसी भी यात्रा की घोषणा नहीं की है और ताइवान के प्रति अमेरिकी रुख़ में कोई बदलाव नहीं है. (bbc.com)
चीन के वुहान शहर के एक बड़े इलाक़े में कोरोना के चार नए मामले सामने आने के बाद फिर लॉकडाउन लगा दिया गया है. वुहान में ही कोरोना वायरस का पहला मामला दर्ज किया गया था.
वुहान के जियांग्सिया इलाक़े में कोरोना के चार मामलों का पता चला जिनमें किसी में भी कोई लक्षण नहीं देखा गया.
इसके बाद इलाक़े के लोगों को तीन दिनों के लिए अपने घर के अंदर रहने का आदेश दिया गया है. जियांग्सिया में करीब 10 लाख लोग रहते हैं.
चीन कोविड वायरस से निपटने के लिए 'जीरो कोविड' रणनीति का पालन कर रहा है. इसके तहत बड़े पैमाने पर कोविड टेस्ट, सख्त आइसोलेशन और लोकल लॉकडाउन जैसे कदम उठाए जाते हैं.
ऐसा करने से कई देशों की तुलना में चीन में कोविड से मारे जाने वालों की संख्या में काफी कमी आई है.
'ज़ीरो कोविड' रणनीति को बढ़ते विरोध का सामना करना पड़ा रहा है क्योंकि लोगों और कामकाज को इसके कारण प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है.
1 करोड़ 20 लाख की आबादी वाले वुहान शहर में नियमित रूप से कोरोना टेस्ट होते हैं.
दो दिन पहले ही दो मामले सामने आए. इसके बाद उनके संपर्क में आए लोगों की भी जाँच की गई तो दो और मामलों का पता चला.
इसके कुछ देर बाद लॉकडाउन का आदेश जारी किया गया.
2020 की शुरुआत में वुहान की चर्चा पूरी दुनिया में थी क्योंकि यहां पर वैज्ञानिकों ने नए कोरोना वायरस का पता लगाया था, जिसके बाद वुहान में कठोर लॉकडाउन लगाया गया था.(bbc.com)