अंतरराष्ट्रीय
रूस ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा की तुलना रूस के ख़िलाफ़ यूक्रेन की सुरक्षा को लेकर अमेरिकी समर्थन से की है.
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने कहा है कि पेलोसी की ताइवान यात्रा से अमेरिका ये दिखाना चाहता है कि अमेरिका जो चाहे वो कर सकता है.
म्यांमार की अपनी यात्रा के दौरान लावरोफ़ ने कहा कि ये उस लाइन को दिखाता है, जो हम यूक्रेन के संबंध में लगातार बात करते रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अमेरिका अपनी कार्रवाई से चीन को चिढ़ाना चाहता है. लावरोफ़ ने कहा कि रूस वन चाइना का समर्थन करता है.
हाल के समय में चीन और रूस के रिश्ते और मज़बूत हुए हैं.
रूस के यूक्रेन पर आक्रमण से पहले चीन ने रूस का साथ देते हुए नेटो के विस्तार का विरोध किया था. हालाँकि चीन ने कभी खुलकर यूक्रेन में रूस के आक्रमण का समर्थन नहीं किया, लेकिन उसने कभी इसका विरोध भी नहीं किया.
सोमवार की रात नैंसी पेलोसी चीन की चेतावनी के बावजूद ताइवान पहुँची हैं. चीन ने इसका कड़ा विरोध किया है. रूस के अलावा पाकिस्तान ने भी चीन का समर्थन किया है.
विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करके वन चाइना नीति का समर्थन किया है. चीन ताइवान का अपना हिस्सा मानता है. लेकिन ताइवान अपने को एक स्वतंत्र देश कहता रहा है.(bbc.com)
आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे ने भारत को मदद के लिए शुक्रिया कहा है.
संसद में अपने भाषण में उन्होंने कहा, “भारत जो हमारा सबसे क़रीबी पड़ोसी है, इस आर्थिक स्थिति में उनकी की गई मदद के बारे में में बाताना चाहता हूं.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत सरकार ने हमें जीवनदान दिया है. मैं खुद और अपने लोगों की तरफ़ से प्रधानमंत्री मोदी, भारत सरकार और वहां के लोगों का आभार व्यक्त करता हूं.”
भारत ने श्रीलंका को क़रीब 3.5 बिलियन डॉलर की क्रेडिट और करेंसी-स्वैप सहायता दी है. बीते कुछ महीनों में क्रेडिट लाइन के स्तर पर भारत ने श्रीलंका को ईंधन, खाद्य और ज़रूरी चीज़ों के कई शिपमेंट्स भेजे हैं.
भारत सरकार की ओर दी गई सहायता के अतिरिक्त, भारत के तमिलनाडु राज्य सरकार ने भी श्रीलंका को खाद्य पदार्थों और दवाइयों की शिपमेंट्स सहायता के तौर पर भेजी हैं.(bbc.com)
सयुक्त राष्ट्र, 3 अगस्त | संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस अपनी एशिया यात्रा शुरू करने वाले हैं जिसके तहत वो जापान, मंगोलिया और दक्षिण कोरिया जाएंगे। उनके प्रवक्ता ने ये जानकारी दी है। महासचिव गुरुवार को जापान के लिए रवाना होंगे।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक के हवाले से कहा कि जापान में वो हिरोशिमा में शांति स्मारक समारोह में भाग लेंगे, जो हर साल 6 अगस्त को आयोजित किया जाता है।
जापान प्रवास के दौरान गुटेरेस जापान के कई वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे, जिनमें प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा भी शामिल हैं। दुजारिक ने कहा कि वह हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बमों के पीड़ितों के एक समूह से भी मिलेंगे, जिन्हें हिबाकुशा के नाम से जाना जाता है और परमाणु निरस्त्रीकरण, अप्रसार और अन्य वैश्विक मुद्दों पर पहल करने वाले युवा कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत करेंगे।
उसके बाद यूएन महासचिव मंगोलिया जाएंगे, जिसने खुद को परमाणु-हथियार-मुक्त क्षेत्र घोषित कर निरस्त्रीकरण के प्रति प्रतिबद्धता जताई है। गुटेरेस मंगोलिया की राजधानी उलानबटोर में एक वृक्षारोपण समारोह में भी हिस्सा लेंगे, जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और मरुस्थलीकरण से लड़ने के लिए मंगोलिया के प्रयासों के हिस्से के रूप में 2030 तक 1 बिलियन पेड़ लगाना है।
इसके अलावा, वह एक खानाबदोश परिवार से मिलेंगे और उनके जीवन के तरीके के बारे में जानेंगे।
मंगोलिया की अपनी यात्रा के बाद, महासचिव 11 अगस्त को दक्षिण कोरिया की यात्रा पर रहेंगे। प्रवक्ता ने कहा कि दक्षिण कोरिया की उनकी यात्रा के बारे में जानकारी बाद में दी जाएगी। (आईएएनएस)|
काहिरा, 3 अगस्त | दक्षिणी मिस्र में सोहाग प्रांत के रेगिस्तानी सड़क पर एक बस और एक ट्रक की टक्कर में कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, दुर्घटना मंगलवार देर रात हुई।
सोहाग के गवर्नर तारेक अल-फिक्की ने समाचार एजेंसी शिन्हुआ को बताया, "घायलों को सोहाग पब्लिक अस्पताल ले जाने के लिए 15 एंबुलेंस मौके पर पहुंचीं।"
उन्होंने कहा, "शुरुआती जांच में दुर्घटना के लिए माइक्रोबस चालक की तेज स्पीड को जिम्मेदार ठहराया गया, जब उसने दूसरी तरफ से आने वाले ट्रक से टक्कर से बचने का प्रयास किया।
मिस्र में सड़क दुर्घटनाएं आम हैं क्योंकि खराब सड़कों के कारण आए दिन हादसे की खबरें सामने आती रहती हैं।
पिछले कुछ वर्षों में, मिस्र अपने सड़क नेटवर्क को उन्नत कर रहा है, नई सड़कों और पुलों का निर्माण कर रहा है और यातायात दुर्घटनाओं को कम करने के लिए पुरानी सड़कों की मरम्मत कर रहा है। (आईएएनएस)|
सैन फ्रांसिस्को, 3 अगस्त | सिलिकॉन वैली स्थित ऑनलाइन ट्रेडिंग एप रॉबिनहुड ने वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल के बीच फिनटेक प्लेटफॉर्म द्वारा अपने कर्मचारियों की संख्या में 9 प्रतिशत की कमी करने के ठीक तीन महीने बाद अपने 23 प्रतिशत कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। टेकक्रंच की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी में लगभग 2,400 कर्मचारियों को छोड़कर, 23 प्रतिशत की कमी से लगभग 713 कर्मचारियों की छंटनी होगी।
एक ब्लॉगपोस्ट में रॉबिनहुड के सीईओ और सह-संस्थापक व्लाद टेनेव ने कहा कि 'सभी कार्यो के कर्मचारी प्रभावित होंगे' और छंटनी 'विशेष रूप से कंपनी के संचालन, विपणन और कार्यक्रम प्रबंधन कार्यो में केंद्रित है।'
टेनेव ने मंगलवार देर रात कहा, "एक महाप्रबंधक (जीएम) संरचना में एक व्यापक कंपनी पुनर्गठन के हिस्से के रूप में मैंने अभी घोषणा की है कि हम अपने कर्मचारियों की संख्या में लगभग 23 प्रतिशत की कमी कर रहे हैं।"
टेनेव ने मंगलवार देर रात कहा, "इस नए माहौल में हम उपयुक्त से अधिक कर्मचारियों के साथ काम कर रहे हैं। सीईओ के रूप में मैंने अपने महत्वाकांक्षी स्टाफिंग प्रक्षेपवक्र की जिम्मेदारी ली और यह मेरे ऊपर है।"
रॉबिनहुड ने अपनी दूसरी तिमाही के परिणामों का भी खुलासा किया, जिसमें 2.95 करोड़ डॉलर की शुद्ध हानि पर 3.18 करोड़ डॉलर का शुद्ध राजस्व दर्ज किया गया।
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कहा कि रॉबिनहुड पर न्यूयॉर्क के एक वित्तीय नियामक द्वारा विशेष रूप से इसकी क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग शाखा पर 3 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया गया है।
टेनेव ने कहा कि पहले 9 प्रतिशत की छंटनी के बाद से कंपनी ने मुद्रास्फीति 40 साल के उच्च स्तर पर और एक व्यापक क्रिप्टो बाजार दुर्घटना के साथ मैक्रो वातावरण में अतिरिक्त गिरावट देखी है।
उन्होंने कहा, "इससे ग्राहक व्यापार गतिविधि और हिरासत में संपत्ति कम हो गई है।" (आईएएनएस)|
काठमांडू, 3 अगस्त। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने दावा किया कि उनकी सरकार ने कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को जोड़कर नेपाल का नया नक्शा प्रकाशित किया था, जिस कारण उन्हें पिछले साल सत्ता से हटा दिया गया।
लिपुलेख दर्रा कालापानी के पास सुदूर पश्चिमी बिंदू है और यह भारत तथा नेपाल के बीच विवादित सीमा क्षेत्र भी है। भारत और नेपाल, दोनों ही कालापनी को अपना अभिन्न हिस्सा बताते हैं। भारत इसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले और नेपाल इसे धारचुला जिले का हिस्सा बताता है।
नेपाली भाषा में लिखी पुस्तक ‘चक्रव्यूह मा नेपाल को जलस्रोत’ के विमोचन के अवसर पर ओली ने कहा, ‘‘इस पर कोई विवाद नहीं हो सकता है कि कालापानी सहित ये सभी क्षेत्र नेपाल का हिस्सा हैं, क्योंकि नेपाल और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुई सुगौली की संधि में स्पष्ट लिखा है कि महाकाली नदी के पश्चिम में स्थित सभी क्षेत्र नेपाल के हैं।’’
मुख्य विपक्षी दल सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष ओली ने दावा किया, ‘‘लेकिन इन क्षेत्रों को नेपाल से हटा दिया गया और मुझे अच्छे से पता था कि इन क्षेत्रों को नेपाल में शामिल करने वाले नक्शे के कारण मुझे जबरन सत्ता से हटा दिया जाएगा।’’
ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री लोकेंद्र बहादुर चंद और पूर्व जल संसाधन मंत्री पशुपति शमशेर राणा के साथ संयुक्त रूप से इस पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक के लेखक जल संसाधन विभाग के पूर्व सचिव द्वारिका नाथ धुंगेल हैं। (भाषा)
चीन के कई बार विरोध जताने के बावजूद अमेरिकी कांग्रेस की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंच गई हैं.
स्पीकर नैंसी पेलोसी और कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने ताइवान पहुंचने पर एक बयान जारी कर कहा, "हमारे कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल की ताइवान यात्रा यहां के जीवंत लोकतंत्र का समर्थन करने के लिए अमेरिका की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है."
"ये हमारी इंडो-पैसेफ़िक यात्रा का हिस्सा है जिसमें सिंगापुर, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और जापान शामिल हैं. ये यात्रा सुरक्षा, आर्थिक साझेदारी और लोकतांत्रिक शासन के मुद्दों पर केंद्रित है."
बयान में कहा गया है कि ताइवानी नेतृत्व के साथ चर्चा खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के साथ साझा हितों को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगी.
बयान में कहा गया, "ताइवान के 2 करोड़ 30 लाख लोगों के साथ अमेरिका की एकजुटता आज पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुनिया को निरंकुशता और लोकतंत्र के बीच एक विकल्प का चुनना है और यात्रा अमेरिकी नीतियों के ख़िलाफ़ नहीं है और 1979 के ताइवान रिलेशन एक्ट और चीन के साथ हुए समझौते के अनुसार हैं"
ताइवान ने नैंसी पेलोसी की यात्रा का स्वागत किया है और इसके लिए अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल का शुक्रिया भी कहा है.
चीन ने इस यात्रा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वो ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास करेगा.
चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने एक ट्वीट में लिखा, "चीनी सेना ताइवान के चारों ओर छह जगहों पर एक महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास करेगा जिसमें लाइव फ़ायर ड्रिल शामिल होगा."
चीन की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया है, "चीन के कड़े विरोध के बावजूद अमेरिकी प्रतिनिधि मंडल और स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने चीन के ताइवान क्षेत्र का दौरा किया. यह वन चाइना पॉलिसी और चीन-अमेरिका के समझौतों का गंभीर उल्लंघन है."
"इसका चीन-अमेरिका के राजनीतिक संबंधों पर गहरा असर पड़ा है. ये चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का गंभीर उल्लंघन है. यह ताइवान में शांति और स्थिरता को गंभीर रूप से कमजोर करता है, और "स्वतंत्र ताइवान" की बात करने वाले अलगाववादी ताकतों को गलत संकेत भेजता है."
"चीन इसका पुरजोर विरोध करता है और इसकी कड़ी निंदा करता है, और अमेरिका के सामने कड़ा विरोध जताया है. दुनिया में एक चीन है. ताइवान चीन का अभिन्न हिस्सा है और सिर्फ़ चीन की सरकार उसका प्रतिनिधित्व करती है."
इसस पहले चीन के दूतावास ने कहा था कि अगर पेलोसी ताइवान जाती हैं, तो इसके परिणाम अमेरिका को भुगतने पड़ेंगे.
भारत में चीन के दूतावास के प्रवक्ता वैंग शियोज़ियान ने ट्विटर पर लिखा था, "वन-चाइना नीति चीन-अमेरिका संबंधों का राजनीतिक आधार है. चीन 'ताइवान स्वतंत्रता' की ओर अलगाववादी क़दमों और बाहरी ताक़तों के हस्तक्षेप का पूरी तरह से विरोध करता है और 'ताइवान की स्वतंत्रता' की बात करने वालों के लिए कोई जगह नहीं है."
उन्होंने लिखा, "स्पीकर पेलोसी की ताइवान की यात्रा से चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप होगा, ताइवान में शांति और स्थिरता को ख़तरा पहुँचेगा, चीन-अमेरिका संबंध कमज़ोर होंगे और इसके परिणाम गंभीर होंगे."
इसके अलावा उन्होंने लिखा कि अमेरिका को परिणाम भुगतने होंगे. अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, "लोगों की राय को दरकिनार नहीं किया जा सकता. आग से खेलने वालों को नतीजा भुगतना होगा. अगर अमेरिका वहां जाने पर अड़ा रहता है और चीन को चुनौती देता है तो उसे जवाब मिलेगा. इसके परिणाम अमेरिका को भुगतने पड़ेंगे."
अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया से डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद नैंसी पेलोसी अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की स्पीकर हैं.
वे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बाद अमेरिका की तीसरी सबसे ताक़तवर शख़्सियत हैं. अगर वे ताइवान की यात्रा करती हैं तो वे साल 1997 के बाद ऐसा करने वालीं अमेरिका की सबसे वरिष्ठ नेता होंगी.
चीन स्व-शासित ताइवान को एक अपने एक प्रांत के रूप में देखता है. चीन का मानना है कि उसे देश का हिस्सा होना चाहिए. ऐसा करने के लिए चीन सैन्य हस्तक्षेप भी कर सकता है. दूसरी ओर, ताइवान ख़ुद को एक आज़ाद मुल्क मानता है. (bbc.com)
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 2 अगस्त। बलूचिस्तान में बाढ़ राहत अभियान में तैनात पाकिस्तानी सेना का एक हेलीकॉप्टर मंगलवार को हवाई यातायात नियंत्रण (एटीसी) कक्ष से संपर्क टूटने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
सेना के अधिकारियों ने बताया कि हेलीकॉप्टर में सवार लेफ्टिनेंट जनरल और पांच वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की मौत हो गयी है।
हेलीकॉप्टर में12 वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल सरफराज अली सवार थे, जो बलूचिस्तान प्रांत में बाढ़ राहत कार्यों की निगरानी कर रहे थे।
पाकिस्तान के सशस्त्र बलों की मीडिया शाखा ‘इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस’ के महानिदेशक मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार के मुताबिक, बाढ़ राहत कार्यों में तैनात हेलीकॉप्टर का मलबा मूसा गोथ, विंदार, लासबेला में मिला। लेफ्टिनेंट जनरल सरफराज अली सहित सभी छह अधिकारियों और सैनिकों की मौत हो गई।
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक जांच के अनुसार दुर्घटना का कारण खराब मौसम हो सकता है।
पाकिस्तान के सैन्य विमानन का हेलीकॉप्टर बलूचिस्तान के लासबेला में बाढ़ राहत अभियान में तैनात था, जब सोमवार को एटीसी से उसका संपर्क टूट गया।
‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के अनुसार, जनरल सरफराज़ पिछले साल अक्टूबर में तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा महानिदेशक इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के पद के लिए दावेदारों में से एक थे।
उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में पाकिस्तान के रक्षा अधिकारी के रूप में कार्य किया है।
हेलीकॉप्टर में लेफ्टिनंट जनरल के अलावा पायलट मेजर सैयद, सह-पायलट मेजर तलहा, तटरक्षक बल के महानिदेशक ब्रिगेडियर अमजद, इंजीनियर ब्रिगेडियर खालिद और चीफ नाइक मुदस्सिर सवार थे।
अधिकारियों ने बताया कि हेलीकॉप्टर ने सोमवार को शाम पांच बजकर 10 मिनट पर उथाल क्षेत्र से उड़ान भरी थी और उसे कराची में शाम छह बजकर पांच मिनट पर उतरना था, लेकिन एटीसी से उसका संपर्क टूट गया।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने मंगलवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ से फोन पर बातचीत की और उन्हें ताजा घटनाक्रम से अवगत कराया।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की है।
शहबाज़ ने ट्वीट किया, ‘‘सेना के एक हेलीकॉप्टर के लापता होने की खबर बहुत चिंताजनक है। बाढ़ राहत कार्यों में शामिल कर्मियों की सुरक्षा और वापसी के लिए पूरा देश अल्लाह के सामने नतमस्तक है।’’
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान ने ट्वीट किया, ‘‘सैन्य हेलीकॉप्टर के लापता होने की खबर परेशान करने वाली है। हेलीकॉप्टर में सवार सभी लोगों के लिए प्रार्थना करता हूं।’’
बलूचिस्तान में आई बाढ़ में 147 लोगों की मौत हो चुकी है। (भाषा)
चीन और अमेरिका के बीच ताइवान के मुद्दे पर तल्ख़ी बढ़ती जा रही है.
ऐसी चर्चा है कि अमेरिका के हाउस ऑफ़ रिप्रेंज़ेंटेटिव्स की स्पीकर नैंसी पेलोसी आज ताइवान पहुँच सकती है.
अब व्हाइट हाउस ने चेतावनी है कि नैंसी पेलोसी की इस संभावित यात्रा के जवाब में चीन सैन्य कार्रवाई कर सकता है.
व्हाइट हाउस प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा है कि चीन ताइवान के पास मिसाइल दाग सकता है और उसकी ओर से व्यापक स्तर पर नौसैनिक या हवाई गतिविधि भी देखने को मिल सकती है.
पेलोसी रविवार से एशिया दौरे पर हैं और ताइवानी मीडिया में दावा किया जा रहा है कि वो ताइपे भी आएँगी. हालाँकि, अमेरिकी सरकार ने इस दावे की पुष्टि नहीं की है.
ताइवान को चीन उसे अपना हिस्सा बताता है.
चीन ने नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा होने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है.
सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जुन ने चेतावनी दी थी कि नैंसी पेलोसी का ताइवान दौरा अमेरिका और चीन के संबंधों को बिगाड़ सकता है.
एशिया दौरे पर पेलोसी सिंगापुर, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और जापान में रुकेंगी.
नैंसी पेलोसी ने मानवाधिकार रिकॉर्ड पर हमेशा मुखर रहकर चीन की आलोचना की है. इसी महीने उन्होंने कहा था कि 'ताइवान के लिए समर्थन दिखाना अमेरिका के लिए ज़रूरी है.'
पेलोसी पहले अप्रैल में ताइवान जाने वाली थीं लेकिन उस समय कोरोना संक्रमित होने की वजह से उनका दौरा रद्द हो गया था. (bbc.com)
इस्लामाबाद, 2 अगस्त | पाकिस्तान का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) एक साल पहले इसी महीने की तुलना में जुलाई में सालाना आधार पर 24.9 फीसदी बढ़ा, जबकि पिछले साल यह 8.4 फीसदी दर्ज किया गया था। आधिकारिक आंकड़ों में इसकी जानकारी दी गई है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो (पीबीएस) के आंकड़ों से पता चला है कि महीने-दर-महीने आधार पर, जुलाई में सीपीआई में 4.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि जून में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
आंकड़ों में कहा गया है कि उच्च मुद्रास्फीति खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से जुड़ी है, जिसमें खाना पकाने के तेल, सब्जियां, दालें, गेहूं, चावल, दूध, बिजली शुल्क, मोटर ईंधन, निर्माण इनपुट आइटम और मोटर वाहन सामान शामिल हैं।
देश में बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने रविवार को पेट्रोल की कीमत में 3.05 पीकेआर प्रति लीटर की कमी करने की घोषणा की थी।
हालांकि, आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि भारी कटौती का देश में आसमान छूती महंगाई पर बहुत कम असर पड़ेगा।
इससे पहले जुलाई में, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने महत्वपूर्ण आपूर्ति के कारण 2023 के चालू वित्तीय वर्ष के दौरान मुद्रास्फीति के उच्च रहने का अनुमान लगाया था और कहा था कि 2024 के वित्तीय वर्ष में मुद्रास्फीति की दर में तेजी से गिरावट आएगी।
(आईएएनएस)
वाशिगंटन, 2 अगस्त | वाशिंगटन डीसी में गोलीबारी एक घटना में छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, डीसी काउंसिल के सदस्य चार्ल्स एलन ने सोमवार देर रात अजीज बेट्स में 1515 एफ सेंट पर गोलीबारी की घटना को ट्वीट किया।
एलन ने एक ट्वीट में कहा, "आज रात समुदाय के लिए विनाशकारी बंदूक हिंसा।" "बड़े पैमाने पर गोलीबारी - 6 घायल, कई गंभीर।"
उम्मीद है कि पुलिस जल्द ही अपडेट मुहैया कराएगी।
गैर-लाभकारी गन वायलेंस आर्काइव के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में इस साल अब तक गोलीबारी की कम से कम 385 बड़ी घटनाएं हुई हैं।
(आईएएनएस)
(स्लग परिवर्तन के साथ लीड)
वाशिंगटन, 2 अगस्त। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने घोषणा की कि अफगानिस्तान में अमेरिकी हवाई हमले में अल-कायदा का सरगना अयमान अल-ज़वाहिरी मारा गया है।
ज़वाहिरी अमेरिकी कार्रवाई में ओसामा बिन-लादेन के मारे जाने के बाद अल-कायदा का सरगना बना था।
अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने व्हाइट हाउस में सोमवार शाम एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अमेरिकी खुफिया विभाग को ज़वाहिरी के उसके काबुल स्थित घर में अपने परिवार के साथ छिपे होने की जानकारी मिली थी।
बाइडन ने अभियान के लिए पिछले सप्ताह अनुमति दी थी और इसे रविवार को अंजाम दिया गया।
अमेरिका पर 9/11 हमलों की साजिश अल-ज़वाहिरी और ओसामा बिन-लादेन ने मिलकर रची थी। ओसामा बिन-लादेन को ‘यूएस नेवी सील्स’ ने दो मई 2011 को पाकिस्तान में एक अभियान में मार गिराया था।
बाइडन ने कहा, ‘‘ वह फिर कभी अफगानिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनने नहीं देगा, क्योंकि वह चला गया है और हम सुनिश्चित करेंगे कि ऐसा कुछ दोबारा कभी ना हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ आतंकवाद का सरगना मारा गया। ’’
अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के 11 महीने बाद एक महत्वपूर्ण आतंकवाद रोधी अभियान में अमेरिका ने यह सफलता हासिल की है।
मामले से जुड़े पांच लोगों ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर बताया कि केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) ने यह हवाई हमला किया। हालांकि, बाइडन और व्हाइट हाउस ने इसकी कोई पुष्टि नहीं की है।
बाइडन ने हालांकि अपने बयान में अमेरिका खुफिया समुदाय की सराहना करते हुए कहा, ‘‘उनकी असाधारण दृढ़ता और कौशल के लिए धन्यवाद’’ जिसकी वजह से यह अभियान ‘‘सफल’’ हुआ।
अल-ज़वाहिरी ने अल-कायद को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पहले 1998 से उसने बिन-लादेन की छत्रछाया में काम किया और बाद में उसके उत्तराधिकारी के तौर पर।
खुफिया विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अल-ज़वाहिरी जिस घर में मारा गया वह तालिबान के शीर्ष सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी के एक शीर्ष सहयोगी का है। (एपी)
(गुरदीप सिंह)
सिंगापुर, 2 अगस्त। सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन ने कहा कि श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को उनकी सरकार ने कोई विशेष लाभ, छूट या आतिथ्य-सत्कार नहीं दिया है।
गोटबाया उनकी सरकार के खिलाफ श्रीलंका में हुए व्यापक प्रदर्शनों के बीच पिछले महीने देश छोड़कर सिंगापुर आए थे। वह 13 जुलाई को मालदीव पहुंचे और वहां से अगले दिन सिंगापुर आए। सिंगापुर में ‘‘निजी यात्रा’’ पर प्रवेश की अनुमति दिए जाने के बाद 73 वर्षीय गोटबाया ने संसद के अध्यक्ष को 14 जुलाई को अपना इस्तीफा ‘ई-मेल’ कर दिया था।
बालाकृष्णन ने विपक्षी ‘वर्कर्स पार्टी’ के सदस्य एवं सांसद गेराल्ड गियाम के एक सवाल के लिखित जवाब में कहा, ‘‘सिंगापुर सरकार किसी पूर्व राष्ट्राध्यक्ष या किसी सरकार के पूर्व प्रमुख को कोई विशेष लाभ, छूट और आतिथ्य-सत्कार नहीं देती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह, पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को भी कोई विशेष लाभ, छूट या आथित्य-सत्कार नहीं दिया गया।’’
सत्तारूढ़ ‘पीपल्स एक्शन पार्टी’ के सदस्य एवं सांसद यिप योन वेंग ने चिंता जताई कि सिंगापुर ‘‘राजनीतिक भगोड़ों के लिए पनाहगाह’’ न बन जाए, इसके जवाब में गृह एवं विधि मंत्री के. षण्मगुगम ने कहा, ‘‘जिन विदेशी नागरिकों के पास वैध दस्तावेज हैं और जो देश में प्रवेश संबंधी अनिवार्यताओं को पूरा करते हैं, उन्हें ही सिंगापुर में आने की अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा, हमारे पास हमारे राष्ट्रहित के मद्देनजर किसी भी विदेशी को प्रवेश न देने का अधिकार है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि सिंगापुर आने वाला कोई विदेशी नागरिक अपने देश की सरकार के लिए वांछित है और उसकी सरकार उसे प्रत्यर्पित करने का आग्रह करती है, तो सिंगापुर सरकार अपने कानून के अनुसार उस सरकार की मदद करेगी।’’
राजपक्षे को सिंगापुर द्वारा एक नया वीजा जारी किया गया है, जिससे देश में उनका प्रवास 11 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है। (भाषा)
-रॉबर्ट प्लमर
अमेरिका ने अल-क़ायदा के नेता अयमान अल-ज़वाहिरी को अफ़ग़ानिस्तान में एक ड्रोन हमले में मार दिया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसकी पुष्टि की है. रविवार को अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी यानी सीआईए ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन चलाया था. इसी में अल-ज़वाहिरी की मौत हुई है.
बाइडन ने कहा,"ज़वाहिरी के हाथ अमेरिकी नागरिकों के ख़िलाफ़ हत्या और हिंसा के ख़ून से रंगे थे. अब लोगों को इंसाफ़ मिल गया है और यह आतंकवादी नेता अब जीवित नहीं है."
अधिकारियों का कहना है कि ज़वाहिरी एक सुरक्षित घर की बालकनी में थे तभी ड्रोन के ज़रिए दो मिसाइल दागी गई.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि ज़वाहिरी के परिवार वाले भी घर में थे लेकिन किसी को कोई नुक़सान नहीं हुआ है.
राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि उन्होंने 71 साल के अल-क़ायदा नेता के ख़िलाफ़ निर्णायक हमले की मंज़ूरी दी थी. 2011 में ओसामा बिन-लादेन के मारे जाने के बाद अल-क़ाय़दा की कमान ज़वाहिरी के पास ही थी.
अमेरिका में 9/11 के हमले की साज़िश लादेन और ज़वाहिरी ने ही रची थी. ज़वाहिरी को अमेरिका मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी मानता था.
बाइडन ने कहा कि अल-क़ायदा नेता के मारे जाने से 2001 में 9/11 के हमले के पीड़ितों के परिवार वालों को राहत मिली होगी.
ज़वाहिरी से जुड़ी ख़ास बातें
अयमान अल-ज़वाहिरी मिस्र के एक डॉक्टर थे जो बाद में इस्लामिक चरमपंथ में शामिल हो गए
1980 के दशक में अल-ज़वाहिरी मिस्र में इस्लामिक उग्रवाद में शामिल होने के कारण जेल में भी रहे थे
जेल से छूटने के बाद अफ़ग़ानिस्तान चले गए और ओसामा बिन-लादेन के साथ आ गए
2011 में ओसामा बिन-लादेन के मारे जाने के बाद अल-क़ाय़दा की कमान ज़वाहिरी के पास ही थी
ज़वाहिरी को 9/11 के हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है
राष्ट्रपति बाइडन ने ज़वाहिरी को साल 2000 में अदन में अमेरिकी जंगी पोत यूएसस कोल पर आत्मघाती हमले के लिए भी ज़िम्मेदार बताया. इसमें 17 नौसैनिकों की मौत हुई थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ''यह मायने नहीं रखता कि इतना लंबा समय लगा. यह भी मायने नहीं रखता कि अगला कहाँ छुपा है. अगर आप हमारे नागरिकों के लिए ख़तरा हैं तो अमेरिका छोड़ेगा नहीं. हम अपने राष्ट्र और नागरिकों की सुरक्षा में कभी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.''
तालिबान ने क्या कहा
तालिबान ने अमेरिका के इस अभियान को अंतरराष्ट्रीय नियमों और सिद्धांतों का खुला उल्लंघन बताया है. तालिबान के प्रवक्ता ने कहा, ''पिछले 20 सालों में ऐसी कार्रवाइयाँ नाकाम अनुभवों का दोहराव है. यह अमेरिकी हितों के ख़िलाफ़ है.''
ज़वाहिरी एक आई सर्जन थे, जिन्होंने मिस्र में इस्लामिक जिहादी ग्रुप बनाने में मदद की थी. अमेरिका ने मई 2011 में ओसामा बिन-लादेन को मारा था और उसके बाद से अल-क़ायदा की कमान अल-ज़वाहिरी के पास ही थी.
इससे पहले अल-ज़वाहिरी को ओसामा बिन-लादेन का दाहिना हाथ माना जाता था. ज़वाहिरी की पहचान अल-क़ायदा के प्रमुख विचारक के तौर पर भी थी.
अमेरिका में 11 सितंबर 2001 में हमले के पीछे अल-ज़वाहिरी का ही दिमाग़ माना जाता है.
अयमान अल-ज़वाहिरी अल-क़ायदा के वैचारिक दिमाग़ थे. मिस्र के डॉक्टर अल-ज़वाहिरी 1980 के दशक में इस्लामिक उग्रवाद में शामिल होने के कारण जेल में भी रहे.
जेल से छूटने के बाद उन्होंने मिस्र छोड़ दिया और अंतरराष्ट्रीय जिहादी अभियानों में शामिल हो गए. आख़िरकार वह अफ़ग़ानिस्तान चले गए और सऊदी अरब के एक जिहादी अमीर ओसमा बिन-लादेन के साथ आ गए.
अल-ज़वाहिरी और ओसामा ने मिलकर अमेरिका के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा की और 2001 में 11 सितंबर के हमले को अंजाम दिया. इस हमले के एक दशक बाद ओसामा को मारने में अमेरिका को कामयाबी मिली.
ओसामा के बाद अल-क़ायदा पूरी तरह से अल-ज़वाहिरी के पास आया. लेकिन ओसामा के मारे जाने के बाद अल-ज़वाहिरी के पास कुछ बचा नहीं था. कभी-कभार कुछ बयान जारी कर दिए जाते थे.
अमेरिका अल-ज़वाहिरी के मारे जाने को जीत के तौर पर देखेगा. पिछले साल ही अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान से बिना कोई ठोस लक्ष्य हासिल किए अफ़ग़ानिस्तान से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया था. लेकिन अल-ज़वाहिरी तुलनात्मक रूप से कमज़ोर हो गए थे. अब इस्लामिक स्टेट के सामने अल-क़ायदा की कोई पूछ नहीं थी.
बेशक अल-क़ायदा का कोई एक नया नेता उभरेगा लेकिन अपने पूर्ववर्ती नेतृत्व की तुलना में अल-ज़वाहिरी का कोई प्रभाव नहीं रह गया था. काबुल में अल-ज़वाहिरी के मारे जाने से इस बात का भी अंदाज़ा मिलता है कि अफ़ग़ानिस्तान की अहमियत बनी हुई है.
तालिबान के आने से यहाँ इस्लामिक समूहों को सुरक्षित ठिकाना मिल सकता है. लेकिन अमेरिका ने भी दिखा दिया है कि वह भले ज़मीन पर नहीं है लेकिन दूर से ही हमला कर सकता है.
अफ़ग़ानिस्तान से पिछले साल ही राष्ट्रपति बाइडन ने सभी अमेरिकी सैनिकों को वापस बुला लिया था. अमेरिकी सैनिकों की वापसी के ठीक एक साल हुआ है और तभी अल-ज़वाहिरी को बाइडन ने मारने की मंज़ूरी दी.
2020 में तालिबान ने अमेरिकी के साथ एक शांति समझौता किया था, जिसमें उसने वादा किया था कि वह अपने मुल्क में अल-क़ायदा को पनाह नहीं देगा. उसने किसी भी अतिवादी समूह को पनाह नहीं देने की बात कही थी.
हालाँकि तालिबान और अल-क़ायदा लंबे समय से सहयोगी रहे हैं. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि तालिबान को पता था कि अल-ज़वाहिरी काबुल में मौजूद हैं.
बाइडन ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान को वह फिर से आतंकवादियों का अड्डा नहीं बनने देंगे.
पिछले साल अफ़रातफ़री की हालत में अफ़ग़ानिस्तान से 20 सालों बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी हुई थी.
अब जब एक साल बाद बाइडन प्रशासन में ही काबुल में अल-ज़वाहिरी को मारा गया तो यह राष्ट्रपति के लिए मायने रखता है.
2011 में जब ओसामा बिन-लादेन को मारा गया था तब बाइडन उपराष्ट्रपति थे. अब उन्होंने राष्ट्रपति के तौर पर एक अल-क़ायदा के दूसरे अहम नेता के मारे जाने की घोषणा की है.
अटकलों का बाज़ार गर्म है कि क्या तालिबान को अल-ज़वाहिरी की काबुल में मौजूदगी का पता था और किस तरह की मदद दी जा रही थी.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि काबुल के जिस घर में अल-ज़वाहिरी को ड्रोन स्ट्राइक में मारा गया, उसमें बाद में तालिबान के अधिकारी गए और यह छुपाने की कोशिश की कि यहाँ कोई मौजूद नहीं था. (bbc.com)
रूस और यूक्रेन के बीच अनाज की सप्लाई को लेकर हुए अहम समझौते के बाद आज पहली बार यूक्रेन के ओडेसा बंदरगाह से अनाज से भरा जहाज़ रवाना हुआ है.
इसी के साथ रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया में गहराया खाद्य संकट कुछ हद तक कम होने के आसार हैं.
तुर्की और यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि जहाज़ सोमवार की सुबह ओडेसा के दक्षिणी बंदरगाह से रवाना हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने जहाज़ की रवानगी का स्वागत किया है और समझौते को लागू करने में तुर्की की भूमिका की सराहना की है.
समझौते के तहत इस्तांबुल में स्थापित ज्वाइंट को-ऑर्डिनेशन सेंटर ने कहा कि जहाज लगभग 26,000 टन अनाज लेकर रवाना हुआ है और मंगलवार को इसकी जाँच की जाएगी.
रूस और यूक्रेन ने बीते 22 जुलाई को तुर्की के इस्तांबुल में 'ब्लैक सी ग्रेन इनिशिएटिव' समझौते पर हस्ताक्षर किया था. इसके तहत यूक्रेन से जल्द गेहूं और मक्के का निर्यात शुरू करने की बात कही गई थी.
रूस ने समझौते की शर्तों को मानते हुए कहा था कि वह समुद्र के रास्ते अनाज की ढुलाई करने वाले जहाज़ों पर हमला नहीं करेगा.
रूस ने फरवरी से ही यूक्रेनी बंदरगाहों की नाकाबंदी कर दी थी.
हालाँकि दोनों ही देशों के बीच हुआ ये समझौता केवल चार महीनों का है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि इससे खाद्य संकट का सामना करे देशों को थोड़ी राहत ज़रूर मिलेगी.(bbc.com)
तनवीर मलिक
"अब हम केवल एक ही वक़्त का खाना खा सकते हैं. महंगाई की वजह से अब दो वक़्त का खाना संभव नहीं है.''
''क्या करें, मजबूरी है. दिल तो करता है कि दोनों वक़्त का खाना बनायें या एक वक़्त में ही इतना खाना बना लें कि दोनों वक़्त खा लें, लेकिन अब जेब इसकी इजाज़त नहीं देती."
ये कहना है कराची के दाऊद गोठ इलाक़े की रहने वाली रज़िया का, जो घरों में सफ़ाई और बर्तन धोने का काम करती हैं.
50 वर्षीय रज़िया 10 से 12 हज़ार रुपए महीना कमाती हैं. उनकी चार बेटियां और दो बेटे समेत छह बच्चे हैं. पाँच साल पहले उनके पति की मौत हो गई थी.
बीबीसी ने जब रज़िया से गुज़र बसर के बारे में पूछा तो उन्होंने भर्राई हुई आवाज़ में कहा, "गुज़र बसर क्या होनी है. अब तो भूखे मरने की नौबत आ गई है."
रज़िया ने बताया कि जिन घरों में वो काम करती हैं, कभी-कभी वहाँ से बचा हुआ खाना मिल जाता है, लेकिन 'ऐसा रोज़ नहीं होता है.'
रज़िया ने बताया कि छह बच्चों के लिए, उनकी कमाई से अब केवल एक ही वक़्त का खाना बन सकता है.
उनका कहना है कि 'दूध अब इतना महंगा हो गया है कि सुबह दूध की चाय पीनी छोड़ दी है' और अब वह सुलेमानी चाय (ग्रीन टी) बनाकर बच्चों को पिलाती हैं.
खाने के ख़र्च के अलावा बिजली बिल का भुगतान करना उनकी सबसे बड़ी समस्या है. वो बताती हैं मेरा बिल 2500 रुपये आया है.
दस बारह हज़ार रुपये में से 2500 रुपये तो बिजली बिल पर ख़र्च हो जाएंगे, बाक़ी बचे पैसे से हमें पूरे महीने अपना और छह बच्चों का पेट पालना है.
रज़िया अकेली नहीं हैं. उनसे ज़्यादा कमाने वाले भी इसी तरह की मुश्किल परिस्थिति में नज़र आते हैं.
राहील बट एक मध्यम वर्गीय नौकरी पेशा व्यक्ति हैं. उनकी पत्नी भी नौकरी करती हैं. राहील भी बढ़ती महंगाई से परेशान हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया कि पहले वे काम पर जाने के लिए गाड़ी का इस्तेमाल करते थे.
पेट्रोल की क़ीमतों में भारी वृद्धि के बाद, अब वो बाइक से जाते हैं और ऑफ़िस की तरफ़ से दी गई रियायत के कारण सप्ताह में एक दो दिन घर से काम कर लेते हैं.
राहील का कहना है कि "मंहगाई के चलते परिवार की छोटी-छोटी ख्वाहिशें पूरी करना अब मुमकिन नहीं रहा है. वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ महीने में एक बार आउटिंग और बाहर डिनर कर लेते थे, लेकिन अब दो-तीन महीने से यह बंद हो गया है. घर का ख़र्च और मकान का किराया ही बड़ी मुश्किल से पूरा होता है.''
नदीम मेमन कराची में कारोबार करते हैं और एक कारख़ाने के मालिक हैं. वो भी बढ़ती हुई महंगाई की वजह से परेशान हैं.
हालांकि, उनकी समस्या यह है कि व्यापार प्रभावित हो रहा है, जिसकी वजह से उनकी आय भी प्रभावित हो रही है. उन्होंने कहा कि 'बिजली के बिलों के साथ-साथ बैंकों की तरफ़ से मार्क-अप में वृद्धि हुई है, इसके अलावा अन्य लागतों में भी बहुत ज़्यादा वृद्धि हुई है, जिसकी वजह से लेबर भी ज़्यादा वेतन की मांग करने लगे हैं.'
ये सभी कारक उनकी व्यवसायिक लागत बढ़ा रहे हैं जबकि दूसरी ओर बाज़ार की स्थिति दिन-ब-दिन ख़राब होती जा रही है. इस तरह 'ज़्यादा लागत वाली चीज़ों को कैसे बेचा जाएगा.'
रज़िया, राहील बट और नदीम मेमन पाकिस्तान के ग़रीब, मध्यम और अमीर वर्ग से संबंध रखने वाले तीन लोग हैं, जो देश में महंगाई की लहर से समान रूप से परेशान नज़र आ रहे हैं.
पाकिस्तान में महंगाई कितनी बढ़ी है, इसका संकेत सरकारी आंकड़े भी देते हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ 30 जून, 2022 को ख़त्म हुए वित्तीय वर्ष में महंगाई दर 21 प्रतिशत से ज़्यादा हो गई थी, जिसके बारे में जानकारों का अनुमान है कि इसमें और भी बढ़ोतरी होगी.
इस वृद्धि का कारण डॉलर की क़ीमत में वृद्धि के साथ-साथ पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमत में हुई वृद्धि भी है, जिसका नकारात्मक प्रभाव आने वाले दिनों में और भी ज़्यादा दिखाई देगा. पाकिस्तान ऊर्ज़ा और खाद्य ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर है, जो डॉलर महंगा होने की वजह से और भी महंगा होगा.
रज़िया के मुताबिक़, दो-तीन महीने पहले तक उन्हें दिन में कम से कम दो वक़्त का खाना तो मिल रहा था, लेकिन अब दो वक़्त का खाना भी मुश्किल हो गया है. उनके मुताबिक़ इस महंगाई के लिए मौजूदा सरकार ज़िम्मेदार है.
राहील बट का भी कुछ ऐसा ही मानना है. उनका कहना है कि "तहरीक-ए-इंसाफ़ की सरकार के दौरान भी महंगाई थी, लेकिन मौजूदा सरकार ने महंगाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.
नदीम मेमन भी मौजूदा सरकार से नाख़ुश हैं. उनके मुताबिक़, बिजली, गैस और ब्याज़ दरों में बढ़ोतरी से उनके कारोबार की लागत काफ़ी बढ़ गई है.
पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री डॉक्टर हफ़ीज़ पाशा ने बीबीसी न्यूज़ को बताया कि महंगाई का एक कारण वैश्विक स्थितियां भी हैं, जिनमें दुनिया भर में तेल, गैस और कमोडिटी की क़ीमतों में वृद्धि हुई है.
उन्होंने कहा कि "मौजूदा सरकार भी दोषी है, लेकिन पिछली तहरीक-ए-इंसाफ़ सरकार थोड़ी ज़्यादा दोषी है क्योंकि जब दुनिया में क़ीमतें नहीं बढ़ रही थीं, तब भी पाकिस्तान में पिछली सरकार के कार्यकाल में क़ीमतें बढ़ रही थीं.
अर्थशास्त्री अम्मार ख़ान ने महंगाई के लिए वैश्विक स्थिति को ज़िम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि जब दुनिया में तेल और गैस और अन्य वस्तुओं की क़ीमतें उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं, तो पाकिस्तान में भी इसका असर पड़ना ही था.
पाकिस्तान में महंगाई की वजह से आम आदमी जिस परेशानी से जूझ रहा है, उसकी बड़ी वजह तेल उत्पादों की क़ीमतों में वृद्धि के साथ-साथ खाद्य पदार्थों में होने वाली वृद्धि भी शामिल है.
तहरीक-ए-इंसाफ़ सरकार के पहले वित्तीय वर्ष के अंत में यानी जून 2019 में महंगाई की कुल दर 8 प्रतिशत थी जबकि खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में वृद्धि 8.1 प्रतिशत थी.
इससे अगले साल के अंत यानी जून 2020 में महंगाई की कुल दर 8.6 प्रतिशत और खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में बढ़ोतरी 14.6 प्रतिशत रही.
जून 2021 के अंत में महंगाई की कुल दर 9.7 प्रतिशत थी, लेकिन खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में वृद्धि 10.5 प्रतिशत थी.
अप्रैल की शुरुआत में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ की सरकार ख़त्म होने से पहले महंगाई दर के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पिछले वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में यानी जुलाई से मार्च तक महंगाई दर 10.77 प्रतिशत पर बंद हुई थी. और केवल मार्च के महीने में यह 13 प्रतिशत पर बंद हुई.
इससे पिछले साल के इन्हीं नौ महीनों में खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों के आंकड़ों के मुताबिक़ खाद्य तेल की क़ीमतों में 48 प्रतिशत, सब्ज़ियों में 35 प्रतिशत, दालों की क़ीमत में औसतन 38 प्रतिशत, चिकन की क़ीमतों में लगभग 20 प्रतिशत और मांस की क़ीमत में 23 प्रतिशत वृद्धि हुई. दूसरी तरफ़, तेल उत्पादों की क़ीमतों में 37 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के पहले महीने में यानी अप्रैल में महंगाई की दर 13.37 प्रतिशत दर्ज की गई थी, जो मई के महीने में बढ़कर 13.76 प्रतिशत हो गई, जबकि जून में महंगाई की दर 21.32 प्रतिशत तक पहुंच गई थी.
खाद्य आंकड़ों से पता चलता है कि प्याज की क़ीमतों में 124 प्रतिशत, खाद्य तेल की क़ीमतों में 70 प्रतिशत, चिकन की क़ीमतों में 47 प्रतिशत, गेहूं की क़ीमतों में 31 प्रतिशत और दूध की क़ीमतों में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
दूसरी ओर, तेल उत्पादों की क़ीमत में 96 प्रतिशत और बिजली की क़ीमत में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
इस संबंध में डॉक्टर हफ़ीज़ पाशा ने कहा कि वित्तीय वर्ष के अंत में महंगाई की दर 21 प्रतिशत से अधिक हो होने की संभावना है और अगर हम पाकिस्तान के इतिहास पर नज़र डालें तो इस तरह की उच्च दर 2008 और 1974 में दर्ज की गई थी.
उन्होंने कहा कि "अगर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के साढ़े तीन साल और मौजूदा सरकार के लगभग चार महीनों को मिलाकर चार साल में महंगाई की दर पर नज़र डालें तो खाने-पीने की चीज़ों के दाम 55 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं.
इस दौरान प्लंबर, राजमिस्त्री, मज़दूर, इलेक्ट्रीशियन, तकनीशियन, मैकेनिक आदि की आय में 24 से 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसका मतलब है कि लोगों की आय में जितनी वृद्धि हुई, क़ीमतों में उससे दोगुनी वृद्धि हुई है.
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में तेल और अन्य वस्तुओं की क़ीमतें बढ़ी हैं और पाकिस्तान अपनी ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर है.
उन्होंने कहा कि कच्चा तेल 130 डॉलर प्रति बैरल के उच्च स्तर पर पहुंच गया. इसी तरह पाम ऑयल, दवाएं और खाने-पीने की चीज़ों के दाम भी बढ़े हैं. "अब ऐसे में पाकिस्तान में भी क़ीमतों पर इसका असर होना था, जो हुआ भी और इसकी वजह से आम लोग महंगाई की चक्की में पिस गए."
हालांकि, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में शासन की कमज़ोरियों ने भी क़ीमतों में वृद्धि की, क्योंकि "प्राइस कंट्रोल सिस्टम ध्वस्त हो गया है और अवैध मुनाफ़ाख़ोरी को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर कोई प्राइस कंट्रोल सिस्टम नहीं है."
उन्होंने कहा कि पिछली चार-पांच सरकारों में क़ीमतों को नियंत्रित करने का सिस्टम पूरी तरह से ख़त्म हो चुका है. "इससे पहले स्थानीय स्तर पर किसी हद तक क़ीमतों पर नज़र रखी जाती थी."
अम्मार ख़ान ने अंतरराष्ट्रीय क़ीमतों के अलावा, स्थानीय स्तर पर रुपये की क़ीमत में कमी को भी महंगाई का मुख्य कारण बताया, जिसके कारण पाकिस्तान में तेल उत्पादों और अन्य चीज़ों का आयात महंगा हो गया और पूरा बोझ स्थानीय उपभोक्ताओं को उठाना पड़ा.
रूस के नौसेना दिवस के मौक़े पर सेंट पीटर्सबर्ग में एक समारोह में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस 'महान सामुद्रिक शक्ति' बनना चाहता है जो अमेरिकी प्रभुत्व का मुकाबला करे.
उन्होंने कहा कि नेटो के प्रसार के साथ-साथ समुद्र में "प्रभाव बढ़ाने की अमेरिका की कोशिश" रूस के लिए बड़ा खतरा हैं.
उन्होंने कहा कि रूस की आज़ादी और संप्रभुता पर हमला करने वालों के मुकाबले के लिए जल्द ही ज़िरकॉन हाइपरसॉनिक मिसाइलें सेना में शामिल की जाएंगी जो ध्वनि की गति से हमला करने में सक्षम हैं.
उन्होंने कहा, "रूस के नए मैरीटाइम डॉक्टरीन को मंजूरी दे दी गई है. हमने आर्थिक और सामरिक तौर पर अपनी सीमाओं और राष्ट्रीय हित के इलाक़ों को पूरी तरह चिन्हित किया है. सबसे पहले ये कि आर्कटिक सागर, ब्लैक सी, ओकहोत्स्क, बेरिंग और बाल्टिक सागर और साउथ कुरिल की खाड़ी हमारे हैं, और हर हर हाल में हर सूरत में उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. यहां हमारी नौसेना की ताकत महत्वपूर्ण है.जो हमारी आज़ादी और संप्रभुता का उल्लंघन करने वालों को उत्तर देने में काबिल है."
न्यूयॉर्क, 31 जुलाई | न्यूयॉर्क शहर में बढ़ते मामले के चलते मंकीपॉक्स को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया गया है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, मेयर एरिक एडम्स और शहर के स्वास्थ्य आयुक्त अश्विन वासन ने शनिवार देर रात एक संयुक्त बयान में बताया कि न्यूयॉर्क शहर में कुल 1,383 मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं।
बयान में कहा गया है, न्यूयॉर्क शहर वर्तमान में प्रकोप का केंद्र है, और हमारा अनुमान है कि वर्तमान में लगभग 150,000 न्यूयॉर्क वासियों को मंकीपॉक्स का खतरा है।
पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा न्यूयॉर्क के गवर्नर कैथी होचुल द्वारा मंकीपॉक्स को लेकर राज्य आपदा आपातकाल घोषित करने के एक दिन बाद की गई।
रविवार की सुबह तक, अमेरिका में मंकीपॉक्स के केस 5,189 दर्ज किए गए थे, यह आंकड़ा दुनिया में सबसे अधिक था। इसी अवधि में कैलिफोर्निया में 799 और इलिनोइस में 419 मामले सामने आए।
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 23 जुलाई को मंकीपाक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था।
(आईएएनएस)
वाशिंगटन, 31 जुलाई (एपी)। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन शनिवार को एक बार फिर कोविड-19 से संक्रमित पाए गए। महज तीन दिन पहले ही कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त होने के बाद उनका पृथक-वास समाप्त हुआ था।
व्हाइट हाउस ने कहा है कि एंटी वायरल दवा से इलाज के बाद बाइडन में संक्रमण का फिर से उभरना एक दुर्लभ मामला है।
व्हाइट हाउस के चिकित्सक डॉ. केविन ओ’कोनोर ने एक पत्र में कहा कि बाइडन में ‘‘इस बार कोई भी लक्षण नहीं उभरे हैं और वह अच्छा महसूस कर रहे हैं।’’
रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाइडन एक बार फिर कम से कम पांच दिनों के लिए पृथक-वास में रहेंगे। संक्रमण मुक्त होने तक वह व्हाइट हाउस में ही रहेंगे।
एजेंसी ने कहा कि संक्रमण के फिर से उभरने के ज्यादातर मामलों में लक्षण हल्के रहते हैं और इस दौरान मरीजों के गंभीर रूप से बीमार पड़ने का कोई मामला सामने नहीं आया है।
बाइडन (79) के एक बार फिर संक्रमित पाए जाने की घोषणा से महज दो घंटे पहले व्हाइट हाउस ने आगामी मंगलवार को उनके मिशिगन दौरे की जानकारी दी थी जिसमें वह घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने संबंधी विधेयक को पारित किए जाने को रेखांकित करने वाले थे। बाइडन रविवार को अपने गृह नगर वेलिंगटन भी जाने वाले थे जहां प्रथम महिला जिल बाइडन मौजूद हैं। लेकिन अब बाइडन के संक्रमित होने के कारण ये दोनों यात्राएं रद्द कर दी गई हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति बीते मंगलवार और बुधवार को हुई जांच में संक्रमित नहीं पाए गए थे। इसके बाद उनका पृथक-वास समाप्त हो गया था।
व्हाइट हाउस के कोविड-19 के समन्वयक डॉ. आशीष झा ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा,‘‘ आंकड़ों से पता चलता है कि पैक्सलोविड उपचार के बाद पांच से आठ प्रतिशत लोग फिर से संक्रमित हुए’’।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा के आईएमएफ़ से कर्ज़ के लिए अमेरिकी मदद मांगने की ख़बरें आने के बाद विवाद हो गया है.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने इसे लेकर सेना प्रमुख और सरकार पर निशाना साधाते हुए कहा कि सेना प्रमुख का ऐसा करना देश को कमज़ोर कर रहा है.
पाकिस्तान के एक टीवी चैनल एआरवाई न्यूज़ पर शुक्रवार को प्रसारित एक साक्षात्कर में इमरान ख़ान से जनरल बाजवा की अमेरिकी उप विदेशी मंत्री वेंडी शरमन से संपर्क करने को लेकर सवाल किया गया था.
इस सवाल पर जवाब देते हुए इमरान ख़ान ने मुस्कुराते हुए पूछा कि जब अमेरिका मदद करेगा, तो क्या वह बदले में कुछ नहीं मांगेगा.
इमरान ख़ान ने कहा कि इससे पता चलता है कि देश में कोई भी मौजूदा सरकार पर भरोसा नहीं करता है. ना आईएमएफ़ और ना ही देश के बाहर किसी को उन पर भरोसा है. ऐसी स्थिति में सेना प्रमुख ने इस ज़िम्मेदारी को निभाया है.
उन्होंने अपनी सरकार की नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस नीति में देश की सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक सुरक्षा पर भी ज़ोर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि अगर जनरल बाजवा ने अमेरिकी अधिकारियों से बात की है तो इसका मतलब है कि पाकिस्तान आर्थिक रूप से कमज़ोर हो रहा है. उन्होंने कहा कि ये सेना प्रमुख का काम नहीं है और देश इस तरह कमज़ोर होता रहा तो आप क्या सोचते हैं कि अमेरिका हमारी मदद और बदले में कुछ नहीं मांगेगा.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से जिस तरह की मांग की जाती है, अगर वो इस हद तक चले गए तो पाकिस्तान की सुरक्षा कमज़ोर हो जाएगी. इसे लेकर उन्होंने पाकिस्तान की गठबंधन सरकार के प्रदर्शन पर निराशा व्यक्त की और कहा कि देश के मौजूदा आर्थिक संकट से निकलने का एकमात्र रास्ता स्वच्छ और पारदर्शी आम चुनाव है.
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनाव के बाद पांच साल के लिए ऐसी सरकार बनेगी जो देश में राजनीतिक स्थिरता लाएगी और अर्थव्यवस्था को भी पटरी पर लाने में मदद करेगी.
पंजाब प्रांत की 20 विधानसभा सीटों पर हाल में हुए उपचुनावों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तमाम मुश्किलों के बावजूद जनता ने तहरीक-ए-इंसाफ के पक्ष में इतनी बड़ी संख्या में वोट दिए हैं.
जनरल बाजवा को लेकर ख़बरें
शुक्रवार को इस तरह की ख़बरें थीं कि सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने आईएमएफ़ से जल्द वित्तीय मदद मिलने को लेकर वेंडी शरमन से संपर्क किया है.
इसके बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को जनरल बाजवा और वेंडी शरमन के बीच हुई बातचीत की ख़बर की पुष्टि की है लेकिन क्या बात हुई है इसकी जानकारी नहीं दी है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इफ़्तिखार अहमद ने साप्ताहिक ब्रीफ़िंग में कहा कि मंत्रालय को इस बात की जानकारी नहीं है कि जनरल बाजवा ने वेंडी शरमन के साथ पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर चर्चा की है या नहीं.
उन्होंने कहा कि ''सेना का जनसंपर्क विभाग, आईएसपीआर इस पर बयान देगा." हालांकि, आईएसपीआर ने इस लेकर अभी तक कोई बयान नहीं दिया है.
पाकिस्तान की समाचार एजेंसी एपीपी के मुताबिक जनरल बाजवा ने ''पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद करने के लिए आईएमएफ़ से जल्दी लोन मिलने को लेकर अमेरिकी मदद के लिए संपर्क किया है.''
इस ख़बर में सुरक्षा सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि ''इस हफ़्ते की शुरुआत में सेना प्रमुख ने वेंडी शरमन से फ़ोन पर बात की थी.'' इसमें हो रही देरी के चलते सेना प्रमुख को अमेरिका को इस ओर ध्यान दिलाना पड़ा.
पाकिस्तान बिगड़ते आर्थिक हालात के बीच लंबे समय से आईएमएफ़ की वित्तीय मदद के लिए कोशिश कर रहा है और इसके लिए कई शर्तों को भी पूरा किया गया है. इस वित्तीय मदद के तहत आईएमएफ़ से पाकिस्तान को 1.2 अरब डॉलर का कर्ज़ दिया जाना है.
वित्तीय मदद को लेकर पाकिस्तान का आईएमएफ़ के साथ स्टाफ़ लेवल का समझौता हो गया है लेकिन अभी पूरी तरह मंज़ूरी नहीं मिली है.
आईएमएफ़ में कार्यकारी स्तर की बैठक में पाकिस्तान को कर्ज़ दिए जाने को लेकर अंतिम फ़ैसला लिया जाएगा. ऐसे में ये समझौता अगस्त तक टल गया है.
पाकिस्तान इस समय जिन ख़राब वित्तीय हालात से गुज़र रहा है उसमें देश को बाहर से वित्तीय मदद की सख़्त ज़रूरत है.
पाकिस्तान रुपये की कीमत अब तक के सबसे निचले स्तर पर है और महंगाई आसमान छू रही है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार इस समय 9.3 अरब डॉलर है जो अगले चार-पांच हफ़्तों के लिए भी नाकाफ़ी है.
पाकिस्तान के ही मंत्री देश के डिफ़ॉल्ट होने को लेकर आगाह कर चुके हैं. स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान के कार्यकारी गवर्नर डॉक्टर मुर्तजा सैयद ने हाल ही में बताया था कि पाकिस्तान पर इस समय जीडीपी का 70 प्रतिशत कर्ज बाकी है.
ऐसे में पाकिस्तान के लिए आईएमएफ़ से मिलने वाला कर्ज़ बहुत अहम जाता है ताकि देश में पैसा आ सके.
इसे लेकर कार्यकारी गवर्नर ने कहा था, "इस साल का बजट थोड़ा टाइट होगा लेकिन हम उस पर काम कर रहे हैं. सबसे ज़रूरी ये है कि अगले 12 महीने जिन देशों के पास आईएमएफ़ प्रोग्राम होंगे वो बचे रहेंगे और जिनके पास नहीं होगा वो बहुत दबाव में होंगे. घाना, ज़ाम्बिया, ट्यूनीशिया और अंगोला के पास आईएमएफ़ प्रोग्राम नहीं है."
मुर्तजा सैयद ने कहा था, "आईएमएफ़ के साथ स्टाफ़ स्तर का समझौता भी छोटी बात नहीं है. ये एक बड़ी उपलब्धि है. इसका मतलब है कि आईएमएफ़ के स्टाफ़ को लगता है कि इस प्रोग्राम के लिए हमने जो करना था, वो कर लिया है. इसके बाद अगर आप अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करें तो बोर्ड में जाकर आपको काफ़ी आसानी होती है. उसके बाद हमें पैसे मिल जाएंगे. दुनिया देख लेगी कि पाकिस्तान ट्रैक पर है."
वहीं, डिप्टी गवर्नर इनायत हुसैन ने कहा था कि आईएमएफ़ के प्रोग्राम को अनुमति मिलने के बाद पैसे का फ्लो होने लगेगा. कुछ बहुपक्षीय एजेंसियां भी हैं, वहां से पैसा भी आ जाएगा. हमारा आकलन ये है कि पाकिस्तान की अगले साल की वित्तीय ज़रूरतें हम आसानी से पूरी कर लेंगे. इसके बाद बजट भी बढ़ जाएगा. (bbc.com)
तेहरान, 30 जुलाई | ईरान के विभिन्न प्रांतों में हाल ही में आई बाढ़ में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई है। ईरानी रेड क्रिसेंट सोसाइटी के राहत और बचाव संगठन के प्रमुख मेहदी वल्लीपुर ने शुक्रवार को अर्ध-आधिकारिकफार्स न्यूज एजेंसी को बताया कि 16 लोग अभी भी लापता हैं।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, वल्लीपुर ने उल्लेख किया कि अब तक 3,000 लोगों को आपातकालीन आवास प्रदान किया गया है और अन्य 1,300 को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि 3,000 बचाव दल लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं।
ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने शुक्रवार को देश भर के मंत्रियों, संगठनों के प्रमुखों और गवर्नर-जनरलों को राष्ट्रपति की वेबसाइट के अनुसार संभावित बाढ़ के प्रबंधन के लिए अपनी सभी सुविधाएं जुटाने का आदेश दिया।
उन्होंने कहा, "गवर्नर-जनरलों के लिए यह आवश्यक है कि वे बाढ़ वाले क्षेत्रों में सभी उपलब्ध सुविधाओं के साथ राहत प्रदान करें।"
सोमवार तक जारी रहने वाली भारी बारिश से अब तक 20 ईरानी प्रांतों में बाढ़ आ गई है, जिससे 100 काउंटियों और 300 गांवों को नुकसान पहुंचा है। (आईएएनएस)
ब्रासीलिया, 30 जुलाई | ब्राजील ने देश की पहली मंकीपॉक्स से संबंधित मौत की पुष्टि की है। इसकी जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी। यह मामला शुक्रवार को दक्षिण-पूर्वी मिनस गेरैस राज्य की राजधानी बेलो होरिजोंटे से सामने आया।
मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा, 41 वर्षीय पीड़ित का कैंसर समेत अन्य बीमारियों का इलाज चल रहा था। मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के बाद पीड़ित का स्वास्थ्य बिगड़ गया।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित को बेलो होरिजोंटे के एक सार्वजनिक अस्पताल में भर्ती कराया गया।
राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि मिनस गेरैस में मंकीपॉक्स के 44 पुष्ट मामले और 130 संदिग्ध मामले जांच के दायरे में हैं।
ब्राजील में बुधवार तक मंकीपॉक्स के 978 पुष्टि मामले थे। (आईएएनएस)
मैड्रिड, 30 जुलाई। स्पेन में शुक्रवार को मंकीपॉक्स से एक व्यक्ति की मौत हो गई और स्पेनी मीडिया के अनुसार यह देश में मंकीपॉक्स से हुई मौत का पहला मामला है।
स्पेन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने वायरस संबंधी अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया कि मंकीपॉक्स से संक्रमित 120 लोगों को अब तक अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है, जिसमें से एक व्यक्ति की मौत हो गई। स्पेन की सरकारी समाचार एजेंसी ‘एफे’ और अन्य मीडिया संस्थानों ने बताया कि यह देश में मंकीपॉक्स से हुई मौत का पहला मामला है।
मंत्रालय ने मौत के बारे में और कोई जानकारी नहीं दी। उसने बताया कि स्पेन में इस वायरस से अब तक 4,298 लोग संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से करीब 3,500 पुरुष ऐसे हैं, जिन्होंने अन्य पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाए। संक्रमण को मामलों में केवल 64 महिलाएं हैं।(एपी)
(अदिति खन्ना)
लंदन, 29 जुलाई । कंजरवेटिव पार्टी का अगला नेता और ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल ऋषि सुनक और लिज ट्रस को उनकी नीतियों को लेकर टोरी सदस्यों की तीखी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा।
उत्तरी इंग्लैंड के लीड्स शहर में बृहस्पतिवार की रात को कंजरवेटिव पार्टी के कट्टर माने जाने वाले सांसदों (टोरी सदस्यों) को संबोधित किया। ये सदस्य भी चुनाव में मतदान करेंगे।
टोरी पार्टी के एक सदस्य ने सुनक के इस महीने की शुरुआत में चांसलर पद छोड़ने के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपने पूर्व ‘बॉस’ की पीठ में ही छुरा घोंप दिया। वेस्ट यॉर्कशायर के एक टोरी सदस्य ने कहा, ‘‘आप एक अच्छे सेल्समैन हैं और आपके पास कई गुण हैं। इसके बावजूद कई लोग बोरिस जॉनसन का समर्थन करना जारी रखते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बहुत से लोगों ने देखा है कि आपने उनकी पीठ में छुरा घोंपा है, जबकि उन्होंने ही आपको राजनेता बनाया है और कुछ लोग आपको नंबर 10 में भी नहीं देखना चाहते थे।’’
आरोपों पर जवाब देते हुए ऋषि सुनक ने कहा, ‘‘मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था, क्योंकि देश की आर्थिक स्थिति पर उनके साथ काफी गहरे मतभेद थे, खासकर ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था वास्तविक चुनौतियों का सामना कर रही है। इसलिए, मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था।’’
अपने शुरुआती भाषण में, उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी लिज ट्रस की करों में तुरंत कटौती करने की योजना पर कटाक्ष करते हुए चेतावनी दी कि ‘‘हमारे जीवन को आसान बनाने के लिए हमारे बच्चों और नाती-पोतों के भविष्य को गिरवी रखना’’ ठीक नहीं है।
सुनक टोरी सदस्यों के बीच ट्रस से पीछे हैं। ये सांसद अगले सप्ताह से मतपत्रों के जरिये अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट देंगे। सुनक का वे मतदाता समर्थन कर रहे हैं, जिन्होंने 2019 के आम चुनाव में पहली बार कंजरवेटिव पार्टी को वोट दिया था।(भाषा)
(तस्वीर के साथ)
कराची, 29 जुलाई। तमाम विपरीत हालात पर जीत हासिल करते हुए पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) बनी मनीषा रूपेता अपने रिश्तेदारों की तमाम आशंकाओं को गलत साबित करके रोमांचित महसूस कर रही हैं । अब उनका एक ही लक्ष्य : नारीवादी अभियान की कमान संभाल कर ‘महिलाओं की संरक्षक’ बनना और पितृ सतात्मक समाज में लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करना है।
सुदूरवर्ती सिंध प्रांत के जैकोबाबाद की रहने वाली 26 वर्षीय रूपेता का मानना है कि कई अपराधों का निशाना महिलाएं होती हैं और वे पुरुष प्रधान पाकिस्तान में ‘‘सबसे अधिक उत्पीड़ित’’ समाज हैं।
रूपेता ने पिछले साल सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वह 152 सफल अभ्यर्थियों की मेरिट सूची में 16वें स्थान पर रहीं। वह प्रशिक्षण ले रही हैं और उन्हें ल्यारी के अपराध प्रभावित क्षेत्र में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) के रूप में तैनात किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने और मेरी बहनों ने बचपन से ही पितृसत्ता की पुरानी व्यवस्था देखी है जहां लड़कियों से कहा जाता है कि अगर वे शिक्षित होकर काम करना चाहती हैं तो वह केवल शिक्षक या चिकित्सक ही बन सकती हैं।’’
एक मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली रूपेता ने कहा कि वह इस धारणा को खत्म करना चाहती हैं कि अच्छे परिवारों की लड़कियों को पुलिस सेवा में शामिल होने या जिला अदालतों में काम करने से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘महिलाएं सबसे अधिक उत्पीड़ित हैं और हमारे समाज में वे कई अपराधों का शिकार होती हैं। मैं पुलिस में इसलिए शामिल हुई क्योंकि मुझे लगता है कि हमें अपने समाज में एक महिला रक्षक की जरूरत है।’’
महिलाओं के खिलाफ शारीरिक और यौन हिंसा, ऑनर किलिंग और जबरन विवाह के मामलों के चलते पाकिस्तान को महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे खराब देशों में से एक माना जाता है।
विश्व आर्थिक मंच के ‘ग्लोबल जेंडर इंडेक्स’ ने कुछ साल पहले पाकिस्तान को नीचे से तीसरे स्थान पर रखा था। पाकिस्तान 153 देशों 151वें स्थान पर था।
महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले एक पाकिस्तानी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘औरत फाउंडेशन’ की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, देश में लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवन में कम से कम एक बार घरेलू हिंसा की शिकार हुई हैं। यह हिंसा आमतौर उनके पतियों द्वारा की जाती है।
रूपेता का मानना है कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में उनका काम महिलाओं को सशक्त बनायेगा और उन्हें अधिकार देगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक नारीवादी अभियान का नेतृत्व करना चाहती हूं और पुलिस बल में लैंगिग समानता को प्रोत्साहित करना चाहती हूं। मैं खुद हमेशा पुलिस बल की भूमिका से बहुत प्रेरित रही हूं।’’
रूपेता की सभी तीन बहन चिकित्सक हैं और उनका छोटा बाई मेडिसिन की पढ़ाई कर रहा है। उनके पिता जैकोबाबाद में एक व्यवसायी थे। रूपेता जब 13 साल की थीं तब उनकी मृत्यु हो गई थी।
उनका पालन-पोषण उनकी मां ने किया, जो अपने पति की मृत्यु के बाद अपने बच्चों के साथ कराची चली गई थीं।
रूपेता ने कहा, ‘‘मेरे गृहनगर में लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा हासिल करना सामान्य बात नहीं थी और जब उनके रिश्तेदारों को पता चला कि वह पुलिस बल में शामिल हो रही हैं तो उन्होंने सोचा कि वह इतने कठिन पेशे में लंबे समय नहीं रह पाएगी। लेकिन मैंने उन्हें गलत साबित किया है।’’
उन्होंने कहा कि सिंध पुलिस में एक वरिष्ठ पद पर होना और ल्यारी जैसी जगह पर ‘ऑन-फील्ड’ प्रशिक्षण प्राप्त करना आसान नहीं है।
रूपेता से पहले उमरकोट जिले की पुष्पा कुमारी ने भी इसी तरह की परीक्षा उत्तीर्ण की थी और सिंध पुलिस में पहली हिंदू सहायक उप-निरीक्षक के रूप में शामिल हुई थीं। (भाषा)