राजनीति
एक खास इंटरव्यू में पूर्व प्रदेश कॉग्रेसाध्यक्ष ने कहा
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| राज्यसभा सांसद और पंजाब में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिह को तानाशाह करार दिया है और उनके काम करने के तरीकों पर निशाना साधा है। बाजवा ने मुख्यमंत्री पर स्मगलर और मादक पदार्थ की तस्करी करने वालों को बचाने का आरोप लगाया है।
दरअसल यह मतभेद हाल ही में जहरीली शराब पीकर 121 लोगों की मौत के बाद उभरे हैं। राज्यसभा सांसद ने कहा कि कैप्टन कुछ बाबुओं के सहारे सरकार चला रहे हैं।
यहां प्रताप सिंह बाजवा के साथ साक्षात्कार के कुछ अंश पेश हैं।
प्रश्न : आपके और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच झगड़े का क्या कारण है?
उत्तर : मेरे और कैप्टन के बीच कोई निजी दुश्मनी नहीं है। यह मैं था, जिसने चुनाव से पहले पीसीसी अध्यक्ष के रूप में काम किया। बीते 3 वर्षो में यह मेरा ही कठिन परिश्रम था, जिसके अच्छे नतीजे रहे। इसलिए कोई निजी एजेंडा नहीं है।
समस्या यह है कि चुनाव के दौरान वादे किए गए , लेकिन यह वादे पूरे नहीं किए गए और हम मूक दर्शक बने नहीं रह सकते।
अमरिंदर ने कहा था कि उन्हें चुनाव के दौरान 4 हफ्तों का समय चाहिए। उन्होंने कहा था, "मैं सबकुछ ठीक कर दूंगा और उन पांच माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करूंगा। लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं की गई और मैं उनसभी का नाम ले सकता हूं, लेकिन सभी इन माफियाओं का नाम जानते हैं।"
प्रश्न : और अन्य मुद्दे जो विवाद के केंद्र में हैं?
उत्तर : मुख्यमंत्री के साथ मतभेद के अन्य मुद्दे गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर है, क्योंकि इससे पहले की अकाली सरकार राजनीतिक स्वार्थ के लिए डेरा सच्चा सौदा के साथ हाथ मिला रही थी और गलत कार्यो में फंस गई और बड़े पैमाने पर आंदोलन हुए, जिसमें दो युवा मारे भी गए।
अमरिंदर सिंह ने मामले को देखने का वादा किया था और जिन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की थी, उन्हें कटघरे में लाने का भी वादा किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों युवाओं को न्याय दिलाया जाएगा। लेकिन वह भी नहीं हुआ।
प्रश्न : क्या आप यह संकेत दे रहे हैं कि सरकार स्मगलिंग और मादक पदार्थो की तस्करी में शामिल लोगों के साथ बराबर की भागीदार है?
उत्तर : यह वही है जो मैंने उन्हें कहा था, निश्चित तौर पर अगर आप उन्हें समाप्त नहीं करेंगे तो यह क्या दिखाता है?
मुख्यमंत्री खुद आबकारी मंत्री और गृहमंत्री हैं, और बीते तीन साल में जहरीली शराब की वजह से पंजाब को करीब 2700 करोड़ रुपये की हानि हुई है और आबकारी विभाग उस लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं।
यह पहली बार है कि इस बाबत लक्ष्य पूरा नहीं होगा और इससे खजाने में हानि होगी, जहां पहले से ही त्रासदी हुई है और इसमें 121 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
प्रश्न : इससे पहले क्या प्रक्रिया थी?
उत्तर : पहले बोली लगती थी। पहले से ही एक निश्चित लक्ष्य था-यह वह पैसा था, जिसे आप शराब से हासिल कर सकते थे। यह पहली बार है जब लक्ष्य पूरा नहीं होगा और राज्य पहले ही 2700 करोड़ रुपये की हानि झेल रहा है और राज्य में अगस्त के पहले सप्ताह में जहरीली शराब पीने से तीन जिलों में 121 लोगों की मौत हो गई। पूरी चीजें किसी आबकारी माफिया की ओर इशारा करती हैं।
प्रश्न : लेकिन पार्टी ने कहा है कि आपको पार्टी के अंदर मामला उठाना चाहिए। आप सीधे राज्यपाल के पास क्यों गए?
उत्तर : हम मामला उठाते रहे हैं। इसे कई बार उठाया गया है।
यहां तक की दो महीने पहले, कैप्टन ने पंजाब के सभी विधायकों की बैठक बुलाई। मेरे सहयोगी व विधायक शमशेर सिंह डुल्लो और मैंने यह मामला उठाया। और भी कुछ विधायक थे, जिन्होंने हमारा इस मुद्दे पर समर्थन किया और उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि सरकार इस तरह के तत्वों को समर्थन देती है।
वे कहते हैं, "आप उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते"
प्रश्न : फिर क्या हुआ?
उत्तर : जब मीडिया पंजाब के मुख्यमंत्री से हमारे पत्रों के बारे में पूछती है तो वह कहते हैं कि 'मुझे ये पत्र नहीं मिले हैं और अगर मुझे यह मिलता भी है तो इसका जवाब देना जरूरी नहीं है। यह मेरा कोई निजी काम नहीं है।' वह मीडिया को कहते हैं, 'हम एक एजेंडा सेट करने के बारे में बात करते हैं।'
हम राज्यपाल के पास क्यों गए? क्योंकि जांच के आदेश जालंधर कमिश्नर को दिए गए हैं और कैसे जालंधर के कमिश्नर उन लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दे सकते हैं जो शक्तिशाली हैं और उसका क्या हो जो मुख्यमंत्री के कार्यालय में मौजूद हैं।
हम माननीय राज्यपाल के पास सीबीआई जांच या ईडी की जांच के लिए गए थे, क्योंकि ये सर्वोच्च संस्थाएं हैं और दोषी को पकड़ा जा सकता है।
प्रश्न : तो फिर आप क्या सोचते हैं कि पार्टी आपके और मुख्यमंत्री के बीच निर्णय लेगी?
उत्तर : यह बात सही नहीं है, क्योंकि मैंने कभी नहीं कहा कि मैं मुख्यमंत्री पद का दावेदार हूं।
मुद्दा यह है कि काफी सारा समय बीत गया, जनादेश का सम्मान नहीं किया गया और पंजाब के लोग यह सोचते हैं कि हमने जनादेश का अपमान किया है।
कैप्टन वादे के ठीक विपरीत काम कर रहे हैं।
लेकिन आप अगर पार्टी को बचाना चाहते हैं तो, कांग्रेस को अमरिंदर सिंह और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष को हटाने का निर्णय लेना होगा। बदलाव के लिए ऐसे व्यक्ति को लाना होगा, जो कांग्रेसमैन है। पहले वरिष्ठता दूसरा इमानदारी और तीसरा क्षमता पर विचार करना होगा।
प्रश्न : क्या आपको लगता है कि अमरिंदर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नहीं सुन रहे हैं?
उत्तर : यह पसंद गलत थी, क्योंकि 1984 से 1998 के बीच अमरिंदर अकाली दल के साथ थे और इसलिए वह पार्टी की विचारधारा से जुड़े नहीं हैं और कांग्रेस कार्यकर्ता पूरी तरह से निराशा महसूस कर रहे हैं।
ऐसा लगता है कि पंजाब में राज्यपाल का शासन है। ऐसा लगता ही नहीं है कि राज्य में लोकप्रिय कांग्रेस शासन है।
प्रश्न : क्या आपको लगता है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व कमजोर है, जो मुख्यमंत्री को और इस तरह के विभेदों पर काबू नहीं कर पा रहा है।
उत्तर : मैं इसपर कुछ नहीं कहना चाहता हूं और हम राज्य में इस संकट पर काफी चिंतित हैं।
प्रश्न : क्या वह तानाशाही स्टाइल में काम कर रहे हैं?
उत्तर : उन्हें पटियाला के महाराज की तरह व्यवहार करना बंद करना चाहिए और अगर वह लोकतांत्रिक मुख्यमंत्री की तरह कार्य का संचालन नहीं करते हैं तो फिर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए।
वह पांच महीने बाद अपने फार्महाउस से बाहर आए, जब हमने जहरीली शराब के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। अगर कोई मुख्यमंत्री अपने घर से पांच महीने बाद बाहर आएगा तो उस राज्य की हालत क्या होगी।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राजीव गांधी की जयंती पर राजीव के हिंदुत्व और मंदिर निर्माण में बड़ी भूमिका का विज्ञापन देकर हिंदुत्व की राजनीति का रुख मोड़ दिया, कमलनाथ वैसे भी पुराने हनुमान भक्त हैं।
-कुमार दिग्विजय
हनुमानभक्त कमलनाथ राम मंदिर को लेकर इतने खुले तौर पर सामनेआयेंगे,इसकी कल्पना भाजपा ने कभी नही की होगी। दरअसल राम मंदिर को मुद्दा बनाकर सत्ता के शीर्ष तक का सफर तय करने वाली भारतीय जनता पार्टी पिछले कुछ दिनों से हैरान हैऔर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के तेवरों को देखकर परेशान भी है। राम मंदिर के भूमिपूजन के ठीक पहले 4 अगस्त को हनुमान चालीसा का उद्घोष मध्यप्रदेश के कोने कोने में सुनाई दिया।
कमलनाथ ने राम मंदिर को लेकर साफ कहा था कि इसकी शुरुआत तो राजीव गाँधी के कार्यकाल में ही हो गई थी और इसका श्रेय राजीव गाँधी को ही दिया जाना चाहिए। इसका असर पूरे मध्यप्रदेश में दिखाई दिया, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एकजुटता से गाँव गाँव समारोहपूर्वक हनुमान पाठ करवाए। इस समय मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा पर कांग्रेसने बढ़त ले ली।
अब राजीव गाँधी की जयंती पर एक बार फिर कमलनाथ की फोटो के साथ जो विज्ञापन जारी हुआ है,उसमे कांग्रेस ने राम राज्य की कल्पना को लेकर खुले तौर पर अपनी भावनाओं का इजहार किया है। विज्ञापन में राजीव गाँधी को याद करके लिखा गया है कि राजीव गांधी के समय में ही रामराज्य की नींव रखने की कवायद शुरू हो चुकी थी। उस समय ही राजीव गांधी ने भारतीयों की आस्था और धार्मिकता का सम्मान किया था। कांग्रेस ने इस बात को भी विज्ञापन में शामिल किया है कि महात्मा गांधी के रामराज्य की भावना का प्रभाव राजीव गांधी पर पड़ा था जिसके कारण ही 1985 में दूरदर्शन पर रामायण का टेलीकास्ट शुरू हुआ था।
इसके बाद ही 1986 में यूपी के तत्कालीन सीएम वीरबहादुर सिंह को राम जन्मभूमि के ताले खोले थे और 1989 में राममंदिर शिलान्यास को इजाजत मिली तथा तत्कालीन गृहमंत्री बूटा सिंह को इसके लिए भेजा गया। इतना ही नहीं यह भी बताया गया है कि चेन्नई में राजीव गांधी ने अपनी अंतिम प्रेस कांफ्रेस में कहा था कि अयोध्या में ही राममंदिर बनेगा।
कांग्रेस ने राजीव गांधी को नवोदय स्कूल खोलने का श्रेय देते हुए बताया है कि राजीव गांधी रामराज्य की गतिशील यात्रा के कुशल सारथी थे जो आधुनिक भारत में राम राज्य का सपना देखते थे। विज्ञापन को लेकर कांग्रेस का राम मंदिर और राम राज्य को लेकर खुले तौर स्वीकारोक्ति से यह भी साफ हो गया है कि अब कांग्रेस हिंदुत्व को लेकर भाजपा के सामने है।
पुराने हनुमान भक्त है कमलनाथ
ऐसा भी नही है कि कांग्रेस यह सिर्फ दिखावे के लिए कर रही है क्योंकि कमलनाथ हनुमान भक्त है और उन्होंने अपने गृह जिला छिंदवाड़ा में भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति स्थापित की हुई है। यह देश की सबसे ऊंची हनुमान प्रतिमाओं में से एक है जो प्रदेश के छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से 15 किमी सिमरिया के मंदिर में है।
इस हनुमान प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 101 फीट की है। मंदिर के रखरखाव के लिए छिंदवाड़ा मंदिर ट्रस्ट भीबनाया,जिसकी मुख्य ट्रस्टी सांसद कमलनाथ की पत्नी अलका नाथ हैं।
कमलनाथ जब मुख्यमंत्री बने तब भी उन्होंने हनुमान भक्ति को लेकर अपनी भावनाओं का खुलकर इजहार किया था और इस साल जनवरी में हनुमान जयंती पर भोपाल के मिन्टों हाल में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन कर इसका सीधा प्रसारण दुनिया के कई देशों में किया गया था।
इसके पहले 2018 विधानसभा चुनाव के समय से ही कमलनाथ को हनुमान भक्त बताया गया था और सरकार बनने के बाद राम वन गमन पथ योजना हो, गौशालाओं के निर्माण की योजना हो या मंदिरों के सौंदर्यीकरण की योजना हो, कांग्रेस ने खुद को हिंदुत्व से दूर नहीं होने दिया
नेहरू ने सोमनाथ का जीर्णोद्धार कराया, पर कांग्रेस ने कभी प्रचार नहीं किया
अभी तक कांग्रेस नेताओं का धर्म को लेकर सार्वजनिक प्रदर्शन और बयानबाज़ी नकरने का एक कारण यह भी रहा कि आज़ादी के आन्दोलन में सबकी भागीदारी रही और इसीलिए सबका सम्मान करने के लिए कांग्रेस नेताओं ने आस्था कोउदारता पूर्वक स्वयं तक सीमित रखा। महमूद गजनवी द्वारा तोड़े गये सोमनाथमंदिर का जीर्णोद्धार पंडित नेहरु के कार्यकाल में ही हो गया था,लेकिन कांग्रेस ने कभी इसे चुनावी मुद्दा नही बनाया। कुल मिलाकर अभी तक हिंदुत्व को लेकर कांग्रेस पर हमलावर रहनेवाली भाजपा हैरान है की यदि यह मुद्दा उनके हाथ से निकल गया तो मुकाबले में कांग्रेस बहुत आगे निकल जायेगी।(politics)
पटना, 20 अगस्त। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने महागठबंधन से अलग होने का निर्णय ले लिया है। महागठबंधन में लगातार नाराज चल रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने आखिरकार आज महागठबंधन छोडऩे का फैसला कर लिया। इससे पहले पटना में मांझी ने आज अपनी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के कोर ग्रुप की बैठक बुलाई थी जिसमें ये फैसला लिया गया।
पार्टी प्रवक्ता दानिश रिजवान ने न्यूज 18 से बात करते हुए इस फैसले की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि राजद का बहुत अपमान हमारी पार्टी ने सहा है। महागठबन्धन में आरजेडी की दादागिरी चल रही है। हालांकि मांझी एनडीए में जाएंगे या नहीं इसपर कोई फैसला अभी नहीं बताया गया है। इसका फैसला लेने के लिए जीतन राम मांझी को अधिकृत किया गया है। हालांकि यह साफ कर दिया गया है कि किसी भी हालत में जदयू में विलय नहीं होगा।
सीएम नीतीश देंगे मांझी को सम्मान
माना जा रहा है कि मांझी ने महागठबंधन से बाहर जाने का निर्णय सीएम नीतीश से मिले इस आश्वासन के बाद लिया है कि उनकी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को विधानसभा चुनाव में करीब 7 से 10 टिकट जेडीयू के कोटे से देंगे। सूत्र यह भी बताते हैं कि एनडीए में वापसी को लेकर जीतन राम मांझी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच फोन पर बातचीत हो चुकी है और महागठबंधन में किनारे कर दिए गए मांझी ने आखिरकार चुनाव के ठीक पहले नए विकल्प की तरफ कदम बढ़ाने का मन फिर से बना लिया। (hindi.news18.com)
साकेत कुमार
पटना, 18 अगस्त। जेडीयू और नीतीश कुमार को लेकर लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के तेवर में कोई नरमी नहीं आई है। सोमवार को उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में स्पष्ट कर दिया कि वे आगे भी राज्यहित के मुद्दे उठाते रहेंगे, अब इसे कोई आलोचना समझ ले तो उन्हें कुछ नहीं कहना। चिराग के इस तेवर के बाद पार्टी के दूसरे नेता भी नीतीश कुमार और उनके मंत्रियों पर हमलावर हो गए हैं।
चिराग पासवान ने सोमवार को वर्चुअल माध्यम से प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाई। इसमें पार्टी के सभी एमपी, एमएलए सहित जिलाध्यक्ष, प्रदेश पदाधिकारी और प्रकोष्ठों के अध्यक्ष मौजूद रहे। इस बैठक में चिराग एक बार फिर राज्य सरकार पर हमलावर दिखे। उन्होंने बैठक में कोरोना जांच में बरती जा रही लापरवाही का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने बिहार में टेस्टिंग बढ़ाने की बात कही थी, लेकिन आज भी बिहार में आरटीपीसीआर टेस्ट काफी कम हो रहे हैं। उन्होंने बैठक में ये भी कहा कि जब हमने प्रधानमंत्री की बात दोहराई तो मुझ पर ही हमले शुरू हो गए। चिराग ने बैठक में यहां तक कहा कि जेडीयू ने मेरा नहीं प्रधानमंत्री का अपमान किया है।
एलजेपी नेताओं के निशाने पर जेडीयू
चिराग पासवान के तल्ख़ तेवर के बाद पार्टी के दूसरे नेताओं ने भी नीतीश कुमार और उनके मंत्रियों पर करारा हमला बोल दिया। लोजपा प्रवक्ता अशरफ अंसारी ने नीतीश कुमार को कृपा पर बना मुख्यमंत्री बताते हुए कहा कि ये लोग जो खुद कृपा पर सीएम बने हैं, उनका बोलना अपने मालिकों के लिए जायज है। ये लोग प्रधानमंत्री का अनादर करते हैं और कोई सच बोले तो ये लोग वफादारी दिखाने में कंपीटिशन करते हैं।
बिहार के मंत्रियों का खो चुका है मानसिक संतुलन
लोजपा के प्रधान महासचिव शाहनवाज अहमद कैफी ने तो यहां तक कह दिया कि जदयू के मंत्रियों का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। मेरे राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के बारे में टिप्पणी करने से पहले कृपा पात्र अपने नेता के बारे में विजेन्द्र यादव को सोचना चाहिए। 15 वर्ष किसी का साथ लिए एक कदम न चलने वाले भी बोलने लगे हैं। चिराग समेत लोजपा नेताओं के इन बयानों से ये साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में जेडीयू और लोजपा के रिश्ते और तल्ख होने वाले हैं। (hindi.news18.com)
लखनऊ, 17 अगस्त (आईएएनएस)| ऐसे समय में जब उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण राजनीति पहले से ही उबाल पर है, सुल्तानपुर के भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी ने आगामी विधानसभा सत्र के लिए एक सवाल उठाकर अपनी ही पार्टी को शर्मिदा कर दिया है। उन्होंने पिछले तीन वर्षों में मारे गए ब्राह्मणों की संख्या को लेकर सवाल किया है। 20 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा के सत्र के लिए विधायक ने रविवार को विधानसभा सचिवालय को अपनी 'अल्पसूचित' (अल्पकालिक) प्रश्न पेश किया।
अपने प्रश्न में, द्विवेदी ने यह जानने की मांग की है कि पिछले तीन वर्षों में कितने ब्राह्मण मारे गए हैं और इस अवधि में कितने आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। उन्होंने यह जानने की भी कोशिश की है कि कितने मामलों में पुलिस आरोपियों को सजा दिलाने में सफल रही है।
विधायक ने आगे पूछा है कि क्या राज्य सरकार ने ब्राह्मणों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई योजना बनाई है या नहीं और क्या सरकार प्राथमिकता के आधार पर ब्राह्मणों को हथियार लाइसेंस प्रदान करेगी।
उन्होंने सरकार से उन ब्राह्मणों की संख्या के बारे में भी पूछा है, जिन्होंने शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन किया है और उनमें से कितने को अनुमति दे दी गई है।
विधायी इतिहास में यह संभवत: पहली बार हुआ है कि किसी विधायक ने ऐसा सवाल किया है जो पूरी तरह जातिवादी है।
सुल्तानपुर की लम्भुआ सीट से पहली बार विधायक बने द्विवेदी हाल ही में तब खबरों में आए थे, जब वह स्थानीय भाजपा विधायक राजकुमार सहयोगी के समर्थन में अलीगढ़ गए थे, जो कि पुलिस के साथ विवाद में शामिल थे।
द्विवेदी ने यहां तक कहा था कि यदि बात विधायकों के सम्मान पर आएगी तो वह अपना इस्तीफा सौंपने में भी संकोच नहीं करेंगे।
जाहिर सी बात है कि उनके द्वारा उठाया गया ये सवाल विधानसभा में राज्य सरकार पर विपक्ष के हमले को तेज करेगा।
जयपुर, 17 अगस्त (आईएएनएस)| राजस्थान को आखिरकार अजय माकन के रूप में नया कांग्रेस प्रमुख मिल गया है, जिन्होंने राज्य में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अविनाश पांडे का स्थान लिया है। राजस्थान में सियासी संकट दिल्ली के पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप से सुलझा लिया गया। पूर्व उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख सचिन पायलट हाल ही में अपने खेमे के 18 विधायकों के साथ दिल्ली गए थे और कहा था कि गहलोत सरकार अल्पमत में है। हालांकि, बाद में कांग्रेस नेताओं प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल गांधी, अहमद पटेल और वेणुगोपाल के प्रयासों से एक सुलह के बाद वे जयपुर वापस आ गए।
पायलट ने कांग्रेस आलाकमान के साथ अपनी बैठक के दौरान उन्हें उन मुद्दों से अवगत कराया जो उनके मुताबिक पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे थे।
पायलट की सिफारिश पर, उनकी और उनकी टीम द्वारा दर्ज की गई शिकायतों को देखने के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया। इस टीम में अजय माकन, अहमद पटेल और के सी वेणुगोपाल शामिल हैं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस को बताया, " अविनाश पांडे ने राज्य कांग्रेस के प्रमुख के तौर पर अपने कर्तव्यों का सही पालन नहीं किया। पार्टी राज्य प्रमुख होने के नाते वह राज्य और कांग्रेस आलाकमान के बीच नोडल अधिकारी थे। हालांकि, वह चुप रहे। पायलट और गहलोत के बीच बढ़ते मतभेद और हाईकमान को मामले की जानकारी नहीं दी।"
उन्होंने कहा कि हालांकि राज्य में संगठनात्मक और सरकारी ढांचे को संतुलित करने के लिए एक नई समिति का गठन किया गया था, लेकिन पार्टी और सरकार को परेशान करने वाले मुद्दों को हल करने के लिए कोई बैठक नहीं बुलाई गई। डेढ़ साल में कोई राजनीतिक नियुक्ति नहीं की जा सकी।
इस बीच, तीन-सदस्यीय समिति में माकन को शामिल करने के साथ कांग्रेस कार्यकर्ता उम्मीद से भरे दिखे और कहा कि माकन ने हाल के संकट के दौरान कड़ी मेहनत की और विधायकों से फीडबैक लिया जो आलाकमान को भेजा गया था। माकन का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ पुराना संबंध है क्योंकि गहलोत उस समय कांग्रेस के महासचिव थे जब माकन दिल्ली से सांसद थे।
2013 में राजस्थान की स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष होने के नाते वे राजस्थान कांग्रेस के अधिकांश विधायकों और पदाधिकारियों के संपर्क में रहे हैं।
माकन, राहुल गांधी के काफी करीबी माने जाते हैं और यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।
नई दिल्ली, 16 अगस्त। चीन से भारत की तनातनी को लेकर केंद्र सरकार पर लगातार निशाना साध रहे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर तंज कसा है। उन्होंने रविवार को ट्वीट करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा है, सभी को भारतीय सेना की क्षमता और शौर्य पर विश्वास है। सिवाय प्रधानमंत्री के, जिनकी कायरता ने ही चीन को हमारी जमीन लेने दी। जिनका झूठ सुनिश्चित करेगा कि वो चीन के पास ही रहेगी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को भी चीन मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा था। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था, भारत सरकार लद्दाख में चीनी इरादों का सामना करने से डर रही है। जमीनी हकीकत संकेत दे रही है कि चीन तैयारी कर रहा है और मोर्चा साधे है। प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत साहस की कमी और मीडिया की चुप्पी की भारत को बहुत भारी कीमत चुकानी होगी।
राहुल गांधी लगातार बड़े मुद्दों पर सरकार को समय-समय पर घेरते हैं। हाल ही में उन्होंने देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना वायरस के मामलों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था। राहुल गांधी ने ट्वीट में एक वीडियो शेयर करते हुए कोरोना का ग्राफ दिखाया था। इस ट्वीट में राहुल ने कोरोना कर्व को भयावह बताते हुए लिखा है कि ये सपाट नहीं बल्कि डराने वाला है। राहुल ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा है, अगर ये पीएम की संभली हुई स्थिति है तो बिगड़ी हुई स्थिति किसे कहेंगे।
उससे पहले राहुल गांधी केंद्र सरकार की ओर से लाए गए पर्यावरण प्रभाव आकलन मसौदे को लेकर सरकार को इस मुद्दे पर घेरा था. राहुल गांधी ने ट्विटर पर मां सोनिया गांधी का एक लेख शेयर करते हुए कहा केंद्र सरकार को पर्यावरण प्रभाव आकलन मसौदा वापस लेना चाहिए।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, प्रकृति हमें तभी बचाएगी जब वो खुद सुरक्षित होगी। भारत सरकार को देश के पर्यावरण नियमों के साथ छेड़छाड़ करनी बंद करनी चाहिए। सबसे पहला जरूरी कदम है ईआईए मसौदे को वापस लेना। (hindi.news18.com)
जयपुर, 14 अगस्त (आईएएनएस)| राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया है। इसके साथ ही सदन की कार्यवाही 21 अगस्त तक स्थगित कर दी गई है। इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा और कहा कि ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोनावायरस से लड़ रही है, बीजेपी सरकार गिराने का काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने राजस्थान को गोवा या मध्यपदेश नहीं बनने दिया। गहलोत ने कहा कि पूरी पार्टी संगठित है और एकजुट है।
आपको बता दें कि सचिन पायलट के व्रिदोह के बाद गहलोत सरकार पर संकट के बादल छा गए थे, लेकिन अब सरकार खतरे से बाहर है।
नई दिल्ली, 14 अगस्त। बिहार विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस को पार्टी की तरफ से अहम जिम्मेदारी मिल सकती है। ऐसा बताया जा रहा है कि बिहार चुनाव में फडणवीस सक्रिय भूमिका में रहेंगे। गुरुवार को बिहार कोर ग्रुप की बैठक में फडणवीस ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हिस्सा लिया था। सूत्रों की मानें तो फडणवीस को बिहार में बीजेपी का चुनाव प्रभारी बनाया जा सकता है।
वर्तमान में भूपेंद्र यादव यादव बिहार बीजेपी के प्रभारी हैं और वह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के समय वहां बीजेपी के चुनाव प्रभारी थे। बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव में अनंत कुमार चुनाव प्रभारी और धर्मेंद्र प्रधान और भूपेन्द्र यादव सहचुनाव प्रभारी थे। भूपेन्द्र यादव तब भी बिहार बीजेपी के प्रभारी थे।
इसे एक्टर सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले के मद्देनजऱ भी इसे जोड़ कर देखा जा रहा है। देवेंद्र फडणवीस ने सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच के लिए मुंबई पहुंचे बिहार पुलिस के अधिकारी को क्वॉरंटाइन करने पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि यह वास्तव में बहुत अजीब है कि महाराष्ट्र सरकार बिहार पुलिस को अपने कर्तव्यों का पालन करने की अनुमति न देकर अनावश्यक संदेह के घेरे में आ रही है। फडणवीस ने कहा था कि कोविड -19 महामारी के दौर में आधिकारिक सार्वजनिक सेवा करने वाले अधिकारियों के मूवमेंट को रोकने के लिए उन्हें क्वॉरंटाइन में नहीं रखा जा सकता है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के रहस्य को सुलझाने के बजाय, इस तरह के व्यवहार से जांच को लेकर लोगों में भारी नाराजगी और अविश्वास पैदा होगा। (khabar.ndtv.com)
नई दिल्ली, 14 अगस्त। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जानलेवा कोरोना वायरस की वैक्सीन पर सरकार को सलाह दी है। राहुल गांधी ने कहा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को वैक्सीन की उपलब्धता और उचित वितरण सुनिश्चित करने पर अभी से अपनी रणनीति बना लेनी चाहिए। राहुल ने कहा है कि वैक्सीन देश के सभी लोगों तक पहुंचनी चाहिए।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘भारत कोविड-19 वैक्सीन तैयार करने वाले देशों में से एक होगा. ऐसे में यह सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट रूप से परिभाषित, समावेशी रणनीति की जरूरत है। जिससे वैक्सीन की उपलब्धता और उचित वितरण को किफायती बनाया जा सके।’ कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार को ऐसा अभी करना चाहिए।
गौरतलब है कि दुनिया के कई देशों समेत भारत में भी कुछ स्थानों पर कोरोना वायरस के वैक्सीन का परीक्षण चल रहा है। इस बीच देश में कोरोना वायरस संक्रमण के एक दिन में 64 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए। आज संक्रमण के कुल मामले बढक़र 24 लाख 61 हजार से ज्यादा हो गए। जबकि एक दिन में करीब एक हजार मौत के साथ मरनेवालों का आंकड़ा बढक़र 48 हजार पर पहुंच गया है।
राहुल गांधी कोरोना वायरस पर सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं। महामारी की शुरुआत से ही उन्होंने सरकार को गंभीरता बरतने की सलाह देने का काम किया है। इससे पहले राहुल गांधी ने भारत में बढ़ते कोरोना के मामलों से जुड़े ग्राफ को साझा कर प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष किया था। उन्होंने ट्विटर पर लिखा था, ‘कोरोना का ग्राफ कम नहीं हो रहा है बल्कि भयावह होता जा रहा है। अगर ये पीएम की ‘संभली हुई स्थिति’ है तो बिगड़ी स्थिति किसे कहेंगे?’ (abplive.com)
जयपुर, 14 अगस्त। राजस्थान विधानसभा का सत्र शुरू हो चुका है। आज बारिश की वजह से सदन की कार्यवाही शुरू होने में थोड़ी देरी हुई। सत्र के शुरू होते ही विधानसभा को 1 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। शोक प्रस्ताव के बाद सदन की कार्यवाही को स्थगित किया गया था। 1 बजे कार्यवाही शुरू होते ही गहलोत सरकार में कानून और संसदीय कार्य मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया। सचिन पायलट ने सदन में अपने भाषण की शुरूआत करते हुए कहा, मुझे विपक्ष के पास इसलिए बिठाया गया, क्योंकि सीमा पर सबसे ताकतवर योद्धा को भेजा जाता है।
सचिन पायलट ने अपनी सीट में हुए बदलाव के बारे में बोलते हुए कहा, इस सरहद पर कितनी भी गोलीबारी हो, मैं कवच और भाला लेकर सरकार को बचाने के लिए खड़ा हूं। मुझे सरहद पर बिठाया गया है, सरहद पर सबसे मजबूत योद्धा को भेजा जाता है। पायलट ने सदन में बीजेपी के उप-नेता राजेंद्र राठौड़ को उनके भाषण के बीच में रोककर यह बात कही।
विधानसभा सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही गहलोत सरकार ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने इस दौरान कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यहां (राजस्थान) बीजेपी को छठी का दूध याद दिला दिया। यहां हमने गोवा और मध्य प्रदेश नहीं बनने दिया। इतना ही नहीं, गहलोत सरकार के मंत्री शांति धारीवाल ने राज्यपाल कलराज मिश्र को रबर स्टैंप तक बता डाला।
राजस्थान विधानसभा में सत्र के पहले दिन 4 बीजेपी और 4 कांग्रेस विधायक विश्वास प्रस्ताव पर बोलेंगे। बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, तू इधर-उधर की बात न कर, ये बता कि काफिला कहां लुटा। 35 दिन पूरी सरकार बाड़े में बंद थी। कांग्रेस में नेताओं में एक दूसरे के प्रति संदेह है। कल कुछ टूटे दिल मिले। ये तूफान से पहले की शांति राजस्थान को कहां ले जाएगी। (khabar.ndtv.com)
हमने यहां गोवा-एमपी नहीं बनने दिया-शांति धारीवाल
जयपुर, 14 अगस्त। राजस्थान में कांग्रेस के बीच मची आंतरिक कलह का पटाक्षेप हो चुका है। बीते सोमवार राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी। जिसके बाद वह एक बार फिर कांग्रेस के हाथ से हाथ मिलाते हुए नजर आए। राजस्थान में आज (शुक्रवार) से विधानसभा का विशेष सत्र शुरू हो चुका है, यानी एक ओर गहलोत सरकार के एजेंडों में कई बिलों को पास कराना होगा, तो वहीं अविश्वास-विश्वास प्रस्ताव को लेकर सियासी संग्राम भी शुरू हो गया है।
दरअसल भारतीय जनता पार्टी ने अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान किया था। जिसके बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा था कि वह सदन में विश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे। दोपहर में सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस के प्रमुख व्हिप महेश जोशी ने विश्वास प्रस्ताव को लेकर स्पीकर को नोटिस दिया। जिसके बाद गहलोत सरकार में कानून और संसदीय कार्य मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने सदन में विश्वास प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि हमने यहां (राजस्थान) गोवा, एमपी नहीं बनने दिया।
विधानसभा सत्र के पहले दिन यानी आज बीजेपी ने अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा की थी। नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा था, हम अपने सहयोगी दलों के साथ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं। बीजेपी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने की खबरों के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, हम खुद विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाएंगे।
आज बारिश की वजह से सदन की कार्यवाही शुरू होने में थोड़ी देरी हुई। सत्र के शुरू होते ही राजस्थान विधानसभा को 1 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। शोक प्रस्ताव के बात सदन की कार्यवाही को स्थगित किया गया। 1 बजे कार्यवाही शुरू होते ही गहलोत सरकार में कानून और संसदीय कार्य मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया।
मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि अशोक गहलोत ने यहां (राजस्थान) बीजेपी को छठी का दूध याद दिला दिया। यहां हमने गोवा, मध्य प्रदेश नहीं बनने दिया। गहलोत सरकार के मंत्री शांति धारीवाल ने राज्यपाल कलराज मिश्र को रबर स्टैंप बताया।
राजस्थान विधानसभा में आज 4 बीजेपी और 4 कांग्रेस विधायक विश्वास प्रस्ताव पर बोलेंगे। सदन में बीजेपी के उप-नेता राजेंद्र राठौड़ ने अपनी बात रखते हुए कहा, तू इधर-उधर की बात न कर, ये बता कि काफिला कहां लुटा। 35 दिन पूरी सरकार बाड़े में बंद थी। कांग्रेस में नेताओं में एक दूसरे के प्रति संदेह है। कल कुछ टूटे दिल मिले। ये तूफान से पहले की शांति राजस्थान को कहां ले जाएगी।
बीते मंगलवार सचिन पायलट के जयपुर पहुंचते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसलमेर के लिए निकल गए थे, जहां कांग्रेस के करीब 100 विधायकों को रखा गया था। सीएम गहलोत ने कहा था कि कांग्रेस विधायक इस राजनीतिक टकराव से स्वाभाविक रूप से परेशान हैं, लेकिन हर किसी को आगे बढऩा चाहिए।
संवाददाताओं से बात करते हुए अशोक गहलोत ने कहा, जिस तरह से ये पूरा घटनाक्रम हुआ, उससे विधायक वास्तव में परेशान थे। मैंने उन्हें समझाया कि कभी-कभी हमें सहनशील होने की आवश्यकता होती है। हमें राष्ट्र, राज्य और लोगों की सेवा करनी है और लोकतंत्र को बचाना है।
बीते दिन कांग्रेस विधायक दल की बैठक को संबोधित करते हुए सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि जो बातें हुईं, उन्हें भूल जाएं। सचिन पायलट से मुलाकात करने के बाद सीएम ने बैठक में कहा, जो बातें हुईं, उन्हें अब भूल जाओ। हम इन 19 विधायकों के बिना भी बहुमत साबित कर देते लेकिन फिर वह खुशी नहीं मिलती क्योंकि अपने तो अपने होते हैं।
सीएम गहलोत ने कहा, हम खुद विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाएंगे। जिन विधायकों को कोई समस्या है, जो रूठे हैं वो मुझसे अकेले आकर मिल सकते हैं। इसके पीछे गहलोत का संदेश बीती बातों यानी कड़वाहट को भुलाकर आगे बढऩे का रहा।
राजस्थान विधानसभा के विशेष सत्र से एक दिन पहले यानी गुरुवार को हुई बैठक में पर्यवेक्षक और कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल की मौजूदगी में सीएम अशोक गहलोत और उनके पूर्व डिप्टी सचिन पायलट की मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया और मुस्कुराए। पायलट इस बैठक के लिए सीएम गहलोत के आधिकारिक आवास पहुंचे थे।
मुख्यमंत्री आवास पर अशोक गहलोत के खिलाफ पूर्व में बागी तेवर अपनाने वाले अन्य विधायक भी पहुंचे थे। बैठक के लिए गहलोत खेमे के विधायकों को होटल से मुख्यमंत्री आवास ले जाया गया। केसी वेणुगोपाल की मौजूदगी में विधायक दल की बैठक आयोजित हुई। (khabar.ndtv.com)
नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बिहार विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी में है। उन्हें राज्य का चुनाव प्रभारी बनाया जा सकता है। यह जानकारी पार्टी सूत्रों ने दी है। बिहार चुनाव के मोर्चे पर फडणवीस को लगाने के पीछे उनकी नेतृत्व क्षमता, चुनावी रणनीति बनाने में कुशलता के साथ ही सुशांत सिंह राजपूत फैक्टर को भी अहम वजह माना जा रहा है। भाजपा की नेशनल यूनिट के एक नेता ने आईएएनएस से देवेंद्र फडणवीस को बिहार चुनाव में अहम जिम्मेदारी मिलने की पुष्टि की, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अभी औपचारिक घोषणा होनी बाकी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से सुशांत सिंह राजपूत का मामला सुर्खियों में आया है बिहार के लोग महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार से नाराज हैं और वे भावनात्मक रूप से इस पूरे मामले से जुड़े हैं। ऐसे में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के राजनीतिक प्रतिद्वंदी देवेंद्र फडणवीस को बिहार चुनाव के मोर्चे पर लगाकर पार्टी बड़ा दांव चलने की कोशिश में है। फडणवीस उद्धव ठाकरे सरकार पर लगातार हमलावर रहे हैं। बीजेपी अगर सुशांत सिंह राजपूत के मामले को चुनावी मुद्दा बनाएगी तो फडणवीस इसमें कारगर भूमिका निभा सकते हैं।
पार्टी के एक दूसरे नेता ने आईएएनएस से कहा कि राष्ट्रीय महासचिव और बिहार के प्रभारी भूपेंद्र यादव महाराष्ट्र चुनाव में भी प्रभारी रहे थे। उस वक्त देवेंद्र फडणवीस और उन्होंने मिलकर धारदार चुनावी रणनीति बनाई थी। यह अलग बात है कि गठबंधन से शिवसेना के अलग हो जाने के कारण महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन सकी। लेकिन पार्टी का प्रदर्शन और स्ट्राइक रेट अपेक्षा के अनुरूप था। ऐसे में चुनावी रणनीति बनाने में कुशल माने जाने वाले दोनों नेताओं की जोड़ी के जरिए भाजपा बिहार में सफलता हासिल करना चाहती है।
नई दिल्ली / जयपुर, 14 अगस्त (आईएएनएस)| बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने राजस्थान में फ्लोर टेस्ट के दौरान अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ वोट करने के लिए अपने पूर्व विधायकों को एक व्हिप जारी किया है। गौरतलब है कि शुक्रवार से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान फ्लोर टेस्ट आयोजित किया जा सकता है। पिछले साल बसपा के छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इसे बसपा ने अवैध करार दिया था और अदालत में चुनौती दी थी।
यह व्हिप पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा द्वारा जारी किया गया है। उन्होंने छह विधायकों को दसवीं अनुसूची के सेक्शन 2 (1) (ए) के तहत जारी व्हिप के अनुसार वोट करने या दसवीं अनुसूची के 2 (1) (बी) के तहत अयोग्यता का सामना करने के निर्देश दिए हैं।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया, लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट में यह मामला लंबित होने के कारण कोई आदेश पारित नहीं किया गया।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दावा किया कि राजस्थान में 7 दिसंबर, 2018 को हुए विधानसभा चुनाव में बसपा द्वारा जारी किए गए टिकटों पर पार्टी के छह विधायक चुने गए थे।
ये छह विधायक -- संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीणा, जोगेंद्र अवाना और राजेंद्र गुढ़ा हैं, जिन्होंने बाद में सितंबर 2019 में कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
सचिन पायलट के साथ हुए विवाद के बाद कांग्रेस सरकार विधायकों की संख्या के मामले में सुरक्षित है, क्योंकि पार्टी के पास आवश्यक बहुमत से अधिक विधायक हैं। वहीं कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में पायलट और अशोक गहलोत ने पार्टी ऑब्जर्वर की मौजूदगी में हाथ मिलाया।
वहीं सीएलपी की बैठक से पहले दोनों नेता -- अशोक गहलोत और सचिन पायलट भी मिले।
बैठक में गहलोत ने बीती बात को भुलाने का आह्वान करते हुए कहा, "अपने ताउ अपने होते हैं। हम इन 19 विधायकों के बिना भी सदन के पटल पर बहुमत साबित कर सकते थे, लेकिन तब चारों ओर खुशी नजर नहीं आएगी।"
गहलोत ने आगे कहा, "हम खुद ही अविश्वास प्रस्ताव को आगे बढ़ाएंगे। हम अपने उन विधायकों की शिकायतों को भी हल करेंगे जो हमसे नाराज हैं।"
वहीं भाजपा ने गुरुवार को घोषणा की कि वह विशेष विधानसभा सत्र शुरू होने पर गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी।
सिंधिया समर्थक मंत्रियों के विभागों में कद्दावर अफसरों की नियुक्ति कर उनके हाथ-पैर बाँध दिए गए हैं, ऐसे में कई मंत्री सिंधिया से भी नाराज, वे खुद को घुटन में महसूस कर रहे हैं
पंकज मुकाती
(राजनीतिक विश्लेषक)
शिवराज सिंह चौहान, चूकने वाले राजनेता नहीं हैं। वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के बढ़ते कद को बौना करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। सिंधिया समर्थकों को वे लम्बी पारी नहीं खेलने देंगे। चौथी बार के मुख्यमंत्री के मुँह से शहद और चेहरे पर भोलापन जरूर है, पर वे हैं भीतर उतने से ही शातिर। सिंधिया के समर्थक मंत्रियों को बड़े पद भले मिल गए हो पर उनकी कमान शिवराज ने पिछले दरवाजे से अपने हाथ में ले ली हैं। शिवराज ने अपने खास अफसरों को इन मंत्रियों के विभागों का जिम्मा दे दिया है।
ऐसे में सभी मंत्री बेहद बेचैन और गुस्सा हैं। शिवराज ने तबादले में चुन-चुनकर अफसरों की नियुक्ति की है। अब ऐसे मंत्रियों के विभागों की फाइल आगे बढऩा मुश्किल हैं। एक तरह से सिंधिया समर्थकों के विभाग शिवराज के अफसर ही चलाएंगे। ये मंत्री सिर्फ शोभा की सुपारी बने रहेंगे। सूत्रों के अनुसार भाजपा हाईकमान भी सिंधिया के जिद के आग झुक भले गया हो, पर वो पूरे अधिकार सिंधिया को नहीं देना चाहता। एक तरह से सिंधिया के मंत्रियों के बाड़ाबंदी कर दी गई है। कुछ मंत्रियों ने दबी जुबान ये भी कहना शुरू कर दिया इससे तो कांग्रेस में ही अच्छे थे।
मध्यप्रदेश में तबादलों की जो सूचियां पिछले दिनों आई उसने साबित कर दिया कि भाजपा ने सिंधिया के खिलाफ राजनीति शुरू कर दी है। कुछ बड़े और दबंग अफसरों की नियुक्ति ने इस पर मुहर लगा दी है। कई कद्दावर और शिवराज के करीबी अफसरों की नियुक्ति सिंधिया समर्थक मंत्रियों के विभागों में की गई है।
ऐसे नियुक्तियों ने मंत्रियों के हाथ-पैर बाँध दिए हैं। कई मंत्री नाराज है। खासकर तुलसी सिलावट और गोविन्द सिंह राजपूत तो अपने विभागों में कोई काम ही नहीं करा पा रहे। शिवराज इन दोनों को हर हल में नाकाबिल साबित करना चाहते हैं। इसके पीछे साफ़ रणनीति है सिंधिया के दो करीबियों को कमजोर करना। एक तरफ से मंत्रियों के विभागों में शिवराज ने जासूस नियुक्त कर दिए हैं।
देरी का फायदा उठाया
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब देखा कि सिंधिया जिद पर अड़े हैं। विभागों से लेकर ट्रांसपोर्ट कमिश्नर तक में उनकी चल रही है। ऐसे में शिवराज ने मंत्रिमंडल के साथ ही अफसरों के जरिये खुद को मजबूत कर लिया। सिंधिया सर्मथक मंत्रियों में इसे लेकर गुस्सा है। सूची देखेंगे तो साफ़ झलकता है कि शिवराज के करीबी मंत्रियों के यहां कमजोर अधिकारी नियुक्त किये गए। जबकि सिंधिया समर्थकों के विभागों की कमान ऐसे अफसरों को सौंपी गई जो हर फाइल में कोई रेड लाइन लगाकर उसे रोक सके।
नरोत्तम मिश्रा से भी तकरार सामने आया
शिवराज के सामने मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर उभर रहे नरोत्तम मिश्रा को विभाग में राजेश राजौरा की नियुक्ति कर दी गई है। नरोत्तम और राजेश राजौरा के बीच कभी भी अच्छे सम्बन्ध नहीं रहे। अफसरशाही और कैबिनेट में सभी ये बात अच्छे से जानते हैं कि राजेश राजौरा कभी भी मंत्रियों की नहीं सुनते। वे अपने हिसाब से काम करने के आदि हैं।
अब सिंधिया समर्थकों के विभाग पर नजर डालते हैं। तुलसी सिलावट के विभाग में अब एसएम मिश्रा की नियुक्ति कर दी गई है। बिसाहू लाल सिंह के विभाग में फैज अहमद किदवई जैसा नाम है। राजवर्धन सिंह दत्ती गांव के विभाग में अब विवेक पोरवाल प्रमुख रहेंगे।
क्या उपचुनाव के नतीजों तक मंत्रियों की बाड़ाबंदी की गई ?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार ऐसा कभी होता नहीं। मंत्री अपनी पसंद के अफसर रखते आये हैं। मंत्री और अफसरों के बीच सम्बन्ध अच्छे न होंगे तो कभी भी कोई काम आगे नहीं बढ़ सकेगा। भाजपा की रणनीति से जुड़े रहे लोगों का मानना है कि सिंधिया का जो कद भाजपा में बड़ा और भविष्य के लिहाज से चमकदार दिखाया जा रहा है, ऐसा है नहीं।
भाजपा नहीं चाहती कि उपचुनाव के नतीजों तक सिंधिया समर्थकों के विभागों में कोई बड़े फैसले हो सके। साथ पार्टी एक रणनीति के तहत इन मंत्रियों पर नजर रखे हुए हैं। बहुत संभव है कि चुनाव के नतीजों के बाद बड़े स्तर पर मंत्रियों के पर कतरे जाएँ। खासकर तुलसी सिलावट और गोविन्द सिंह राजपूत के कद को भाजपा कमजोर करना चाहती है। (politicswala)
मनोज पाठक
पटना, 12 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार के विपक्षी महागठबंधन में अब तक सार्वजनिक तौर पर भले ही सीटों के विभाजन का फॉमूर्ला तय नहीं हुआ है, लेकिन अंदरखाने में कहा जा रहा है कि इसके लिए गठबंधन में शामिल दलों के बीच कई दौर की बातचीत हो गई है। इस बीच हालांकि कांग्रेस ने 243 विधानसभा सीटों में से 80 सीटों पर दावा ठोंक दिया है। इधर, इसे लेकर गठबंधन में शामिल छोटे दल संशय की स्थिति में हैं।
महागठबंधन में शामिल प्रमुख दल कांग्रेस के 80 सीटों पर दावा ठांेकने के बाद अन्य छोटे दल सकते में आ गए हैं। हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि महागठबंधन इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रमुख घटक राजद और कांग्रेस के बीच 163 और 80 फॉमूर्ला बनाकर सीट बंटवारे के सौदे के करीब पहुंच गए हैं।
फिलहाल बिहार में 243 विधानसभा सीटें में से 81 पर राजद और 27 पर कांग्रेस का कब्जा है। सूत्रों का कहना है कि दोनों दल इस पर भी सहमत हो गए हैं कि राजद अपने 163 सीटों के कोटे से विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) सहित महागठबंधन के अन्य दलों को समायोजित करने की कोशिश करेगी, जबकि कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को समायोजित करेगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी कम से कम 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इससे कम सीटों पर पार्टी चुनाव मैदान में नहीं जाएगी। उन्होंने अपनी मांग से पार्टी आलाकमान को भी अवगत करा दिया है।
उन्होंने यहां तक कहा, "हमारी 80 सीटों की मांग कोई नई नहीं है। हाल में पार्टी के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के साथ हुई बैठक में भी यह मुद्दा उठाया गया था। कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर की पार्टी है। पिछले चुनाव में महागठबंधन में जनता दल यूनाइटेड भी सहयोगी था, लेकिन इस बार जदयू महागठबंधन का हिस्सा नहीं है। ऐसे में उसकी हिस्सेदारी वाली सीटों पर कांग्रेस की दावेदारी बनती है।"
इधर, राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी भी स्वीकार करते हुए कहते हैं कि सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है, लेकिन अब तक बहुत कुछ साफ नहीं है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि हमलोग एक मजबूत गठबंधन चाहते हैं।
इधर, गठबंधन में समन्वय समिति नहीं बनने पर अभी भी नाराजगी बनी हुई है। गठबंधन में शामिल छोटे दल के नेता खुलकर तो कुछ खास नहीं बोलते लेकिन एक नेता ने नाम नहीं प्रकाषित करने की षर्त पर इतना जरूर कहते हैं कि समन्वय समिति बने बिना सीट बंटवारे की बात बेमानी है। हमलोग गठबंधन में षामिल है, किसी खास दल से गठबंधन थोडे हुए है कि खास पार्टी हमें सीट देगी।
बहरहाल, बिहार में समय पर चुनाव होने के आहट के साथ ही पार्टियों में सीट बंटवारे को लेकर रस्साकसी शुरू हो गई है। अब देखने वाली बात है कि किसके हिस्से में कितनी सीटें आती हैं।
जयपुर, 12 अगस्त। राजस्थान कांग्रेस में चल रहे सियासी ड्रामे के खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को कहा कि अब विधायकों को भूल जाओ और माफ करो के रास्ते पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब भूलो और माफ करो और आगे बढ़ो। देश के हित में, प्रदेश के हित, प्रदेशवासियों के हित में, डेमोक्रेसी के हित में। उन्होंने कहा कि यह डेमोक्रेसी को बचाने की लड़ाई है। ऐसे में सभी भूलो और माफ करो की स्थिति में रहें।
उधर पहले सचिन पायलट के समर्थन में गए विधायक विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि यह टेस्ट मैच था जो ड्रॉ हो चुका है। उन्होंने कहा, हम बागी नहीं हैं। हमने पार्टी के खिलाफ कुछ नहीं कहा था। मैंने मजाकिया तौर पर कहा था कि यह एक टेस्ट मैच है। अब मैच ड्रॉ हो चुका है और हम अब फिर पवेलियन में लौट आए हैं।
अशोक गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह लड़ाई डेमोक्रेसी के हित में है। इसमें हमारे विधायकों ने इतना साथ दिया। 100 से ज्यादा विधायकों का एक साथ इतने लंबे समय के लिए रुकना, ऐसा हिंदुस्तान के इतिहास में कभी नहीं हुआ होगा। यह डेमोक्रेसी को बचाने की लड़ाई है। आगे भी जारी रहेगी हमारी लड़ाई। उन्होंने कहा, सब मिलकर चलें। प्रदेश के लोगों ने विश्वास करके सरकार बनाई थी, हमारी जिम्मेदारी है कि उसे बनाए रखें और प्रदेश की सेवा करें, सुशासन बनाए रखें और कोरोना से मुकाबला करें।
गहलोत ने कहा कि यह जीत प्रदेश के लोगों की जीत है। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेशवासियों ने हमारे विधायकों को फोन कर-करके हौसलाअफजाई की है। उन्होंने कहा कि सरकार स्थिर होनी चाहिए। ऐसे में हमें दोबारा दोगुनी शक्ति से उनकी सेवा करनी है।
गहलोत ने अपने पूरे सियासी उठापटक में अपने साथ रुके हुए विधायकों की नाराजगी की खबर पर कहा कि विधायकों की नाराजगी स्वाभाविक है। गहलोत ने कहा- उनकी नाराजगी स्वाभाविक है, जिस रूप में यह एपिसोड हुआ उन्हें इतने दिन होटलों में रहना पड़ा, उनकी नाराज होना स्वाभाविक था लेकिन मैने इन विधायकों को समझाया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब सब मिलकर राज्य के विकास के लिए काम करेंगे।
मतभेद के पूरे मामले पर विश्वेंद्र सिंह ने कहा, हम बागी नहीं हैं। हम सरकार के कामकाज को लेकर नाखुश थे। जैसा कि पायलट जी ने कहा था कि नेतृत्व के साथ कुछ समस्याएं थीं। हमने पार्टी हाई कमान से बात करने के बाद मामला साफ कर लिया है। उन्होंने कहा, जैसा कि मैंने कहा था यह एक टेस्ट मैच था, जो अब ड्रॉ हो गया है। आलाकमान के दखल के बाद अब दोनों टीमों में सुलह हो गया है और हम दोबारा पवेलियन में लौट आए हैं। (khabar.ndtv)
जयपुर, 11 अगस्त (आईएएनएस)| सचिन पायलट और उनके खेमे के कांग्रेस विधायकों के बागी तेवरों से उत्पन्न संकट का समाधान होने के बाद, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि वह उनकी शिकायतों को जानने और उनका दिल जीतने की कोशिश करेंगे। गहलोत कांग्रेस विधायक दल की बैठक की अध्यक्षता करने के लिए जैसलमेर रवाना होने से पहले मीडिया से बात कर रहे थे, जहां उनके खेमे के विधायक रह रहे हैं।
उन्होंने कहा, "बतौर मुख्यमंत्री अपने विधायकों का दिल जीतना मेरी जिम्मेदारी है, अगर उनके पास मुझसे नाराज होने का कोई कारण है। हम यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि उनसे क्या वादे किए गए थे और क्यों वे नाराज हैं।"
गहलोत ने बताया कि कांग्रेस आलाकमान द्वारा विधायकों की शिकायतों को देखने के लिए 3 सदस्यीय समिति बनाई गई है।
हालांकि, कांग्रेस में पायलट की वापसी पर जब गहलोत की राय जानने की कोशिश की गई तो वह इस सावल को टाल गए। इससे पहले, मुख्यमंत्री ने पूर्व उममुख्यमंत्री को 'निकम्मा' और 'नकारा' तक कह डाला था।
जुलाई में उपमुख्यमंत्री और पीसीसी प्रमुख के पद से बर्खास्त किए गए पायलट पार्टी नेतृत्व से मिलने के बाद सड़क मार्ग से राज्य की राजधानी जयपुर लौट रहे हैं और उनका समर्थकों द्वारा विभिन्न स्थानों पर स्वागत किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उनकी सभी योजनाएं और अनुमान बुरी तरह विफल रही हैं।
उन्होंने कहा, "उस स्थिति की कल्पना कीजिए जब उनके द्वारा हायर किए गए 3 विमान खड़े ही रह गए क्योंकि विधायकों ने एक नई जगह जाने से इनकार कर दिया था। वे कैम्पिंग के लिए भी अपने विधायकों को ले जाना चाहते थे, वह भी नहीं किया जा सका। मंगलवार को एक होटल में विधायकों की एक बैठक भी होने वाली थी, वह भी रद्द हो गया। देखिए, वे कितनी बुरी तरह से विफल हुए हैं।"
गहलोत ने कहा कि वह कांग्रेस के उन विधायकों का बहुत सम्मान करते हैं जो एक महीने तक होटलों में रहे और उनमें से एक भी प्रतिद्वंद्वी खेमे में शामिल नहीं हुआ।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार 5 साल पूरे करेगी और अगले विधानसभा चुनाव में भी सत्ता में आएगी।
तिरुअनंतपुरम, 11 अगस्त (आईएएनएस)| कांग्रेस नेता राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्निथला ने मंगलवार को कहा कि राहुल गांधी ही देश में ऐसे नेता हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प हो सकते हैं। चेन्निथला ने राहुल गांधी को एक पत्र लिख कर पार्टी का फिर से अध्यक्ष बनने की अपील की है।
चेन्निथला ने कहा, "मोदी सरकार के सत्तावादी शासन का एक मात्र विकल्प राहुल गांधी हैं। ऐसे वक्त जब कि कुछ मीडिया हाउस एक तरफा खबरें चला रहे हैं, राहुल गांधी ही एक ऐसे नेता हैं जो अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल गांधी के कांग्रेस पार्टी का फिर से अध्यक्ष बनने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो इससे पार्टी कार्यकतार्ओं में नया जोश पैदा होगा और फिर हम पुराने मुकाम पर पहुंच पाएंगे ।
उन्होंने कहा कि मौजूदा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की तबीयत खराब रहती है, ऐसे में पार्टी एक अभूतपूर्व संकट के दौर से गुजर रही है ।
चेन्निथला ने कहा, "बीजेपी की कुटिलता और मजबूती की काट के लिए आपके युवा और गतिशील नेतृत्व की काफी जरूरत है। आपने जो चुनाव की हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था उससे पार्टी की लोकतांत्रिक जड़ों को काफी मजबूती मिली है । लेकिन अब वक्त आ गया है कि आप अपने फैसले पर फिर से विचार करें । पांच राज्यों में चुनाव आने वाले हैं।"
राहुल गांधी को लिखे पत्र के अंत में चेन्निथला ने उनसे अपील की कि पूरे देश के कांग्रेस कार्यकर्ता और उदारवादी जनता की आकांक्षा के मद्देनजर आप देश को फिर से लोकतांत्रिक परम्परा की ओर ले चलें ।
जयपुर, 11 अगस्त। दिल्ली में सचिन पायलट की राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद उनकी कांग्रेस से नाराजगी दूर हो गई है। पार्टी उनकी बगावत को शांत कर राहत की सांस ले पाती कि इससे पहले राजस्थान से एक और खबर आ गई है। अब अशोक गहलोत के खेमे के विधायक जो इस समय जैसलमेर के होटल में हैं, इस नए घटनाक्रम से नाराज हो गए हैं।
दरअसल रविवार को हुई कांग्रेस विधायकों की बैठक में सीएम अशोक गहलोत के करीबी और कैबिनेट मंत्री ने कहा था कि अब बागी विधायकों की वापसी वे नहीं चाहते हैं। उनका ये बयान एक तरह से अशोक गहलोत का बयान माना जा रहा था। लेकिन सोमवार को अचानकर घटनाक्रम बदल गया तो अब ये विधायक खुद को ठगा से महसूस कर रहे हैं। विधायकों के नाराजगी को दूर करने के लिए सीएम अशोक गहलोत, संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल, संयम लोढ़ा और महेंद्र चौधरी जैसलमेर पहुंच रहे हैं।
कल रात से ही विधायकों की ओर से मुख्यमंत्री को जैसलमेर बुलाए जाने की मांग की गई थी, जिसके बाद प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री को विधायकों की भावना से अवगत कराया गया कि पायलट कैंप की घर वापसी से जैसलमेर में टिकाए गए विधायकों में नाराजगी बढ़ी है। देर रात तक विधायकों की बैठकें लेकर उन्हें मनाने का दौर चलता रहा। फिलहाल खबर है कि पायलट के कैंप विधायक अब दिल्ली से शाम 4 बजे तक जयपुर पहुंच जाएंगे।
इससे पहले देर रात सचिन पायलट ने ट्वीट कर सोनिया, राहुल, प्रियंका गांधी सहित कांग्रेस नेताओं को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि वह राजस्थान की जनता से किए गए वादों को पूरा करने के लिए खड़े हैं। इससे पहले सोमवार की शाम को उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह एक वैचारिक मुद्दा था जिसको पार्टी में हित में उठाना उचित था। (khabar.ndtv.com)
नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)| राहुल गांधी के करीबी राज्यसभा सदस्यों द्वारा 10 साल के संप्रग शासन के दौरान कांग्रेस के प्रदर्शन के बारे में आत्मनिरीक्षण की बात कहने की बहस के बीच, पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने रविवार को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बचाव किया। उन्होंने भाजपा पर हमला किया और उसे 'शकुनी' कह डाला। आनंदपुर साहिब निर्वाचन क्षेत्र के सांसद तिवारी ने ट्वीट किया, "दुर्भाग्य से संप्रग अपने खिलाफ साजिशों से पार नहीं पा सका। शकुनियों से भरी दुनिया में इसकी अगुवाई सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह जैसे सज्जन लोगों ने किया था और कर रहे हैं।"
जब आईएएनएस ने तिवारी से उनकी 'शकुनी' टिप्पणी के बारे में संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि भाजपा ने तत्कालीन संप्रग सरकार के खिलाफ भयावह अभियान का नेतृत्व किया।
तिवारी ने संकेत दिया कि भयावह अभियान 2जी और कोयला ब्लॉक आवंटन मुद्दा था, जिसमें भाजपा ने कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, जिसके कारण 2014 के चुनाव में संप्रग की हार हुई।
तिवारी ने कहा कि संप्रग सरकार की उपलब्धि को पीएमओ अभिलेखागार में देखा जा सकता है और सरकार ने आरटीआई, आरटीई, मनरेगा, खाद्य सुरक्षा और अन्य विकासात्मक कार्यों में बहुत काम किया है।
नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)| देश में तीन तलाक कानून लागू होने के एक साल पूरे होने पर शुक्रवार को मोदी सरकार के तीन केंद्रीय मंत्रियों ने देश भर की मुस्लिम महिलाओं को वीडियो कांफ्रेंसिंग से संबोधित किया। मुस्लिम महिला अधिकार दिवस पर बोलते हुए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि 1980 के दशक में कांग्रेस के पास मुस्लिम बहनों के हक में फैसला करने का मौका था, लेकिन उनके लिए वोट ज्यादा महत्वपूर्ण था मुस्लिम बहनों का जीवन नहीं। स्मृति ईरानी ने कहा कि सही जंग उन बहनों ने लड़ी, जिन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिन्होंने इस नाइंसाफी से सभी के लिए जंग लड़ी। उन्होंने कहा कि आज का दिन सिर्फ मुसलमान बहनों का दिन नहीं है, बल्कि हर महिला का दिन है, जो चाहती है कि महिलाओं को हर दिन समाज में सम्मान मिले।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि माना जाता है कि महिलाओं की लड़ाई महिलाएं लड़ती हैं लेकिन हमारे देश का इतिहास रहा है, सभ्यता और परंपरा रही है कि जब तक कोई कुरीति समाज के सामने प्रस्तुत होती है, तो भाई भी अपना योगदान देने से चूकते नहीं।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संसद और संसद के बाहर मुस्लिम महिलाओं के अधिकार के लिए जंग छेड़ दी। आज का दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देने का दिन है, जिनकी वजह से देश की मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से छुटकारा मिल सका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में 2014 से बड़े बदलाव लाने में सफल हुए हैं।
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साहसिक फैसले की वजह से तीन तलाक से मुस्लिम बहनों को छुटकारा मिल सका। तीन तलाक कानून लागू होने के बाद देश में तीन तलाक से जुड़े मामलों की संख्या में 82 प्रतिशत की कमी हुई है।
रविशंकर प्रसाद, नकवी और महिला एवं ईरानी ने इस दौरान वाराणसी, लखनऊ, मुंबई आदि स्थानों की मुस्लिम महिलाओं से वीडियो कांफ्रेंसिंग से बात की। सभी महिलाओं ने तीन तलाक कानून को लेकर अपने अनुभव साझा किए।
नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)| पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने सोमवार को लद्दाख में चीनी घुसपैठ को लेकर मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि "सच्चाई को छुपाना" और चीन को भारतीय भूमि पर कब्जा करने की अनुमति देना "राष्ट्रविरोधी" है जबकि लोगों का ध्यान इस ओर खींचना "देशभक्ति" है। गांधी ने श्रृंखला में अपना चौथा वीडियो संलग्न करते हुए एक ट्वीट में कहा, "चीनी लोगों ने भारतीय भूमि पर कब्जा कर लिया है। इस सच्चाई को छिपाना और उन्हें इसे लेने की अनुमति देना देशद्रोह है। जबकि लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित कराना देशभक्ति है।"
'चीन पर कठिन सवाल' शीर्षक वाले वीडियो में केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद ने कहा, "एक भारतीय के रूप में, मेरी पहली प्राथमिकता देश और उसके लोग हैं।"
सरकार पर हमला करते हुए गांधी ने कहा, "आप ऐसे लोगों पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं जो चीन पर प्रधानमंत्री से आपके सवाल कहते हैं?"
कांग्रेस नेता ने कहा, "अब, यह बहुत स्पष्ट है कि चीनी हमारे क्षेत्र में प्रवेश कर चुके हैं। यह चीज मुझे परेशान करती है। यह मेरे खून को उबालता है कि कुछ अन्य देश हमारे क्षेत्र में कैसे आ सकते हैं?"
उन्होंने कहा, "अब यदि आप एक राजनेता के रूप में चाहते हैं कि मैं चुप रहूं और अपने लोगों से झूठ बोलूं, जबकि मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं क्योंकि मैंने सैटेलाइन तस्वीरें देखी हैं।"
राहुल ने आगे कहा, "मैंने सेना के पूर्व अधिकारियों से बात की है। यदि आप चाहते हैं कि मैं झूठ बोलूं कि चीनियों ने इस देश में प्रवेश नहीं किया है तो मैं झूठ नहीं बोलूंगा। मैं ऐसा नहीं करूंगा। मुझे परवाह नहीं है कि इससे मेरा पूरा करियर नरक में चला जाए पर मैं झूठ नहीं बोलूंगा। मुझे लगता है कि जो लोग हमारे देश में चीनियों के घुसने के बारे में झूठ बोल रहे हैं, वे लोग राष्ट्रवादी नहीं हैं।"
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि जो लोग झूठ बोल रहे हैं और कह रहे हैं कि चीनी, भारत में नहीं हैं, वे देशभक्त नहीं हैं। इसलिए मुझे परवाह नहीं है इसकी कीमत मुझे राजनेता के तौर पर चुकानी पड़े।"
बता दें कि सर्वदलीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि चीन ने भारत की भूमि में प्रवेश नहीं किया है। इसके बाद 17 जुलाई को, गांधी ने अपना पहला वीडियो जारी किया था और सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाया।
अब अदालती नहीं राजनीतिक लड़ाई लड़ेगी कांग्रेस
नई दिल्ली, 27 जुलाई। राजस्थान में मचे सियासी घमासान के बीच बागी विधायकों के मामले में विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन इससे पहले ही स्पीकर ने याचिका वापस ले ली है। स्पीकर की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कोर्ट में ये जानकारी दी। अब कांग्रेस राजस्थान में सियासत की लड़ाई अदालत में नहीं लड़ेगी, बल्कि अब राजनीतिक लड़ाई लड़ी जाएगी।
सूत्रों का कहना है कि स्पीकर की सुप्रीम कोर्ट में जल्दबाजी में दाखिल की गई याचिका के कारण राजस्थान हाईकोर्ट को 1992 के खीटो होलहान जजमेंट का सहारा लेना पड़ा। होलोहान जजमेंट एक नजीर बन गई है और हाईकोर्ट ने इसी को ध्यान में रखते हुए स्पीकर को 19 बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोक दिया। इसलिए अब स्पीकर ने याचिका वापस ली है।
इस मामले में सचिन पायलट और अन्य बागी विधायकों की याचिका पर शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला आना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले की सुनवाई सोमवार को किए जाने के मद्देनजर हाईकोर्ट ने अपना फैसला न सुनाकर यथास्थिति बरकरार रखने को कहा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने कहा कि वो शुक्रवार को आए हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दे सकते हैं।
राजस्थान में राजनीतिक संकट के बीच राजस्थान विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए अशोक गहलोत मंत्रिमंडल ने रविवार को राज्यपाल कलराज मिश्र को संशोधित प्रस्ताव भेजा। राजभवन सूत्रों के मुताबिक अशोक गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्रा को कैबिनेट से पास करवा कर जो एजेंडा विधानसभा सत्र बुलाने के लिए भेजा है, उसमें बहुमत साबित करने का कोई जिक्र नहीं है। इसमें सिर्फ कोरोना पर चर्चा और कुछ बिल पास करवाने के अलावा, विधायी कार्यो के लिए सत्र बुलाने का निवेदन किया गया है।
दूसरी ओर, राजस्थान में बड़े घटनाक्रम के बीच बहुजन समाज पार्टी ने पिछले साल कांग्रेस में शामिल होने के लिये पार्टी छोडऩे वाले 6 विधायकों को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ मतदान करने का रविवार को व्हिप जारी किया।
इस बीच सचिन पायलट की बगावत के कारण राज्य में सियासी संकट में फंसी कांग्रेस आज सभी राज्यों में राजभवन के बाहर प्रदर्शन करने जा रही है। राजस्थान में सियासी संकट को लेकर इस मामले को लेकर कांग्रेस शुरू से बीजेपी पर हमलावर रही है। अब कांग्रेस ने ऐलान किया है कि सोमवार सुबह 11 बजे देश भर के राजभवनों यानी राज्यपालों, उप राज्यपालों के आवास के बाहर बीजेपी के खिलाफ लोकतंत्र बचाओ- संविधान बचाओ की मांग के साथ कांग्रेस कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन करेंगे। (hindi.news18.com)
जयपुर, 24 जुलाई। राजस्थान में सियासी घमासान तेज हो गया है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद सीएम अशोक गहलोत अपने समर्थकों के साथ राजभवन पहुंचे। अब विधायकों का राजभवन में धरना खत्म हो गया है। विधायक बसों के जरिए होटल फेर मोंट के लिए रवाना हो रहे हैं। आगे की रणनीति तय करने के लिए अब आज रात 9.30 बजे गहलोत कैबिनेट की एक अहम बैठक रखी गई है। राज्यपाल से चर्चा के बाद कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि सीएम गहलोत बहुमत साबित करना चाहते हैं, कोरोना संकट पर विधानसभा सत्र बुलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि गवर्नर ने हमें बताया कि वह संविधान का पालन करेंगे। सुरजेवाला ने कहा, हम राज्यपाल को मानते हैं। आज 9.30 बजे राज्य कैबिनेट की बैठक होगी। राज्यपाल के नोट पर गौर किया जाएगा और आज ही राज्यपाल को जवाब भेजा जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, गहलोत कैबिनेट की बैठक आज रात करीब 9.30 बजे होगी। सीएम अशोक गहलोत बैठक की अध्यक्षता करेंगे। बताया जा रहा है कि सीएम निवास पर होने वाली इस बैठक में विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव पारित किया जाएगा। आज ही कैबिनेट का प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा जाएगा।
विपक्ष पर साधा निशाना
वहीं, राज्यपाल से मुलाकात के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए सीएम गहलोत ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। मुख्यमंत्री गहलोत ने सभी विधायकों से कहा, गांधीवादी तरीके से पेश आना है। ये हमारे राजप्रमुख हैं संविधान के हैड हैं। हम कोई टकराव नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि ऐसा देश के इतिहास में कभी नहीं हुआ कि राज्यपाल महोदय ने विधानसभा सेशन आहूत करने के लिए मंजूरी न दी हो। राज्यपाल महोदय कैबिनेट के निर्णयों से बाउंड होते हैं। लगता है कि ऊपर से दबाव के कारण विधानसभा सत्र बुलाने के कैबिनेट के प्रस्ताव को अभी तक मंजूरी नहीं मिली है।
सीएम गहलोत ने लगाया बड़ा आरोप
सीएम अशोक गहलोत ने कहा, हमने विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की है। विधानसभा में हम बहुमत सिद्ध करेंगे। कोरोना पर चर्चा भी करेंगे। हमने गुरुवार रात को ही राज्यपाल से सत्र को लेकर निवेदन किया था। आज हमने फिर कहा है कि राज्यपाल सत्र बुलाने पर फैसला करें। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को बोल्ड डिसीजन लेना चाहिए। उम्मीद करते हैं कि जल्दी राज्यपाल अपना फैसला सुनाएंगे। फैसला आने तक हम धरना देंगे। उन्होंने कहा हमेशा विपक्ष विधानसभा सत्र बुलाने की मांग करता है। यहां सत्ता पक्ष विधानसभा सत्र बुलाने की मांग कर रहा है। ऐसा क्या षड्यंत्र है कि विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। वहीं, राजभवन घेराव बयान पर सीएम अशोक गहलोत ने कहा, यह बयान राजनीतिक बयान था। भैरोंसिंह शेखावत ने भी राजभवन में धरना दिया था। बीजेपी के नए नेताओं को इसकी जानकारी नहीं होगी।
भाजपा द्वारा राजस्थान में लोकतंत्र की हत्या के षडय़ंत्र के खिलाफ कल सुबह 11 बजे सभी जिला मुख्यालयों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा धरना प्रदर्शन किया जायेगा।
बीजेपी ने बताया पॉलिटिकल ड्रामा
इधर, कांग्रेस की पूरी कवायद को बीजेपी ने पॉलिटिकल ड्रामा करार दिया है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री में जिस भाषा का इस्तेमाल किया है वो नैतिकता और पद के आधार पर नहीं बोली जा सकती। उन्होंने जनता को उकसाने का काम किया है। पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री और गृह मंत्री ने आपराधिक कृत्य किया है। राजभवन में धरने का नाटक चल रहा है। हाउस का फ्लोर हो तय करेगा कि सरकार के पास बहुमत है या नहीं। वहीं, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राजभवन का दृश्य अमरूदों का बाग जैसा हो गया है। संविधान के प्रावधानों के प्रतिकूल है जल्द सत्र बुलाने की मांग। उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते परीक्षाएं तक स्थगित हो गई हैं। आखिर इतनी बौखलाहट क्यों?
सचिन पायलट का आरोपों से इंकार
इधर, सचिन पायलट समूह का दावा है कि हमारे ऊपर केन्द्र को पार्टी बनाने का आरोप गलत है। ये आपत्ति महेश जोशी के वकील ने कोर्ट में दर्ज की थी कि ये संविधान में बदलाव का मामला है। यदि इसमें केन्द्र पार्टी नहीं है तो याचिका डिफेक्टिव है, इसलिए हमें केंद्र को पार्टी बनाना पड़ा बार-बार केंद्र और बीजेपी के साथ नाम जोडक़र हमें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। हमारा बीजेपी से कोई संबंध नहीं, हम कांग्रेस में हैं और रहेंगे।
सीएम गहलोत का दावा- हमारे पास स्पष्ट बहुमत
सीएम गहलोत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अभी राज्यपाल से फोन पर बात की है। उन्होंने कहा कि सोमवार से हम विधानसभा सत्र चाहते हैं। हरियाणा में मौजूद विधायकों की बात करते हुए उन्होंने कहा कि किस तरह का दबाव उन पर पड़ रहा है? किस कारण से रोका गया? हमारे पास स्पष्ठ बहुमत है। हमारे साथी बीजेपी की देखरेख में बंधक है, जोकि वहां से छूटना चाहते हैं। कईयों की आँखों में आंसू आ रहे हैं, वो वापस आना चाहते है। (hindi.news18.com)