बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा जोनास का कहना है कि हॉलीवुड में जब उन्होंने अपना करियर बनाने का प्रयास किया, तो पहले उन्हें अपने अभिमान को त्यागना पड़ा। बॉलीवुड में पर्याप्त लोकप्रियता हासिल करने के बाद प्रियंका ने लगभग आठ साल पहले हॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत की थी। वैरायटी डॉट कॉम ने प्रियंका के हवाले से बताया, जब मुझे अमेरिका आकर प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला, तो मुझे उस पहली चीज के बारे में याद है जो मुझे करना पड़ा था और वह ये कि मुझे अपने अभिमान को त्यागना था।
वह आगे कहती हैं, मुझे हर बात बतानी थी कि मैं कौन हूं और मैं क्या करना चाहती हूं। अमेरिकी फिल्मों में काम कर रहे कुछ और भी बेहतरीन भारतीय कलाकार थे जैसे कि इरफान खान, तब्बू, अनुपम खेर, अमिताभ बच्चन और साथ ही मिंडी कलिंग और अजीज अंसारी जैसे कुछ इंडियन अमेरिकन, लेकिन ऐसा कोई उदाहरण नहीं था कि अमेरिकी संस्कृति में शामिल होने वाला कोई बाहर से आया भारतीय प्रवासी हो और वैश्विक मनोरंजन की दुनिया में प्रवेश करना चाहता हो।
प्रियंका ने डिज्नी के एनिमेटेड शो प्लेन्स में एक वॉयस आर्टिस्ट के रूप में अमेरिका में अपना डेब्यू किया। इसके बाद साल 2015 में टीवी सीरीज क्वांटिको में वह एक प्रमुख किरदार के रूप में शामिल हुई, जिसे लोगों द्वारा काफी पसंद भी किया गया। प्रियंका ने अपने अभिनय से अपनी गहरी छाप छोड़ी और तब से परदेस में उनका करियर सफलतापूर्वक जारी है।
बॉलीवुड एक्ट्रेस काजोल ने हाल ही में फिल्म ‘तानाजी: द अनसंग वॉरियर’ से लंबे समय बाद कमबैक किया। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही, इससे काजोल ने साबित कर दिया कि उनका चार्म स्क्रीन पर अभी तक कायम है। हालांकि, काजोल सोशल मीडिया पर थोड़ी कम एक्टिव रहती हैं और पर्सनल लाइफ के बारे में भी फैन्स को कम जानकारी देती हैं। इसी बीच उन्होंने एक पोस्ट शेयर की। अपनी क्वारंटाइन लाइफ के बारे में बताते हुए काजोल ने एक फोटो शेयर की, जिसमें वह अपने नए दोस्त बनाती नजर आईं।
काजोल को 100 दिन हो गए हैं, वह घर से बाहर नहीं निकली हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिरकार काजोल ने नए दोस्त घर पर कैसे बना लिए। तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि काजोल ने अपना यह नया दोस्त एक आर्टीफेक्ट्स के रूप में चुना। यह कोई जानवर या इंसान नहीं, बल्कि एक स्टैच्यू है, जिसे काजोल ने अपना नया दोस्त बताया है।
इससे पहले काजोल ने एक वीडियो शेयर किया था जिसमें न्यासा अपने मम्मी-पापा के बारे में बात करती नजर आई थीं। न्यासा ने अपने पापा को लेकर कहा था, 'मेरे पापा ने मुझे एक सलाह दी जिसे मैं हमेशा याद रखती हूं और वह यह है कि मेरी चुप्पी मुझे आत्मसंतुष्ट बनाती है। उन्होंने मुझे हमेशा विश्वास दिलाया है कि अगर मैं कड़ी मेहनत करूं तो कुछ भी कर सकती हूं। कई ऐसे लोग हैं जो मेरे बारे में अच्छी बातें बोलते हैं। सच कहूं तो मैं जो भी करती हूं वह मेरे मां-पापा के ऊपर रिफ्लेक्ट करता है।
काजोल ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर फैन्स के साथ बातचीत की थी। इस सेशन के दौरान एक यूजर ने उनसे पूछा कि क्या वह अपनी बेटी को बॉलीवुड में लॉन्च करेंगी तो काजोल ने कहा, नहीं। (लाइव हिन्दुस्तान)
बॉलीवुड एक्ट्रेस सेलिना जेटली ने शादी के बाद इंडस्ट्री में वापसी की है। फिल्म सीजन्स ग्रीटिंग से इन्होंने एक्टिंग की दुनिया में धमाकेदार एंट्री मारी है। हाल ही में एक इंटरव्यू में सेलिना ने बताया कि अच्छी एक्टिंग और एक टैलेंटेड एक्टर होने के बावजूद मुझे इंडस्ट्री को अलविदा कहना पड़ा। मेरे बच्चे और शादी इसके पीछे की वजह कभी नहीं रही, बल्कि मुझे अच्छे रोल्स ऑफर नहीं किए जा रहे थे यह सोचकर कि मैं एक आउटसाइडर हूं, इसलिए मैंने इंडस्ट्री को अलविदा कहा था। ब्रेक लिया था।
सेलिना ने बताया कि मैंने जानबूझकर इंडस्ट्री से ब्रेक लिया। शादी और बच्चे इसकी वजह कभी नहीं रहे। मैं थक चुकी थी। अच्छे रोल्स नहीं मिल रहे थे। एक आउटसाइडर होने की वजह से मैं अपने अंदर के एक्टर को सेलिब्रेट ही नहीं कर पा रही थी। मुझे हर बार खुद को प्रूव करना पड़ रहा था। हर किसी के आगे अच्छे रोल के लिए हाथ फैलाना पड़ रहा था। पिछले साल मेरी मां का देहांत हो गया। तब मैंने फिल्मों में वापसी करने का तय किया। मेरी मां की आखिरी ख्वाहिश थी कि मैं एक्टिंग की दुनिया में दोबारा कदम रखूं और फिल्म करूं।
एक इंटरव्यू में सेलिना ने बताया था कि माता-पिता की मौत के बाद और बेटे के जन्म के बाद वह डिप्रेशन में आ गई थीं। डिप्रेशन एक ऐसी चीज है जो किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकती है। ऐसा नहीं है कि इसे ठीक नहीं किया जा सकता। सपोर्ट सिस्टम के साथ आप इसे ठीक कर सकते हैं, बस इसे कभी इग्नोर न करें।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत से सेलिना जेटली को धक्का लगा। सुशांत ने 14 जून को अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह, डिप्रेशन से जूझ रहे थे। एक्टर की मौत पर शोक जताते हुए सेलिना कहती हैं कि बहुत दुखद खबर है यह, क्योंकि हम सभी ने एक बहुत ही शानदार एक्टर को खोया है। किसी ने अपने बेटे को खोया है, किसी ने अपने प्यार को खोया है, किसी का भाई गया है और फिल्म इंडस्ट्री का एक चमकता सितारा गया है। एक शानदार टैलेंटेड एक्टर, जो भविष्य में भारत का पहला ऑस्कर जीतने का दम रखता था, आप नहीं जानते। पता नहीं ऐसा क्या हुआ जिसने सुशांत को यह कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।
सेलिना जेटली को उनके पति ने काफी सपोर्ट किया। डिप्रेशन पर सेलिना कहती हैं कि मैं उन लोगों से घिरी थी जो मुझे बहुत प्यार करते हैं। मेरे पति ने मेरी बहुत देखभाल की। डॉक्टर्स ने मेरी मदद की। हालांकि, यह अभी तक पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है लेकिन मैं पहले से बेहतर महसूस कर रही हूं। (नवभारत टाईम्स)
नई दिल्ली, 1 जुलाई । टीवी की मशहूर अदाकारा श्वेता तिवारी और उनके पति अभिनव कोहली के बीच का मुद्दा धीरे-धारे और गरमाता जा रहा है। एक तरफ जहां अभिनव कोहली लगातार सोशल मीडिया के जरिए यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वह अपनी पत्नी श्वेता के संपर्क में हैं, तो वहीं दूसरी ओर श्वेता का कहना है कि वह पहले ही इस बात का जिक्र कर चुकी हैं कि वह अपने पति से अलग रह रही हैं। इसके बाद अभिनव ने सोशल मीडिया पर कुछ व्हाट्सऐप चैट के स्क्रीनशॉट को भी शेयर करते हुए यह बताने की कोशिश की थी कि श्वेता झूठ बोल रही हैं।
इसी बीच अभिनव ने कुछ चौंकाने वाला खुलासा किया है। अभिनव ने बताया है कि श्वेता अब उनके साथ सही बर्ताव नहीं कर रही हैं। वह अभिनव को उनके बच्चे से भी नहीं मिलने दे रही हैं। श्वेता पर इल्जाम लगाते हुए अभिनव यह भी कहते हैं कि वह मेरे साथ एक नौकर की तरह ट्रीट कर रही हैं।
उनकी मानें तो वह मई 2020 तक श्वेता के संपर्क में थे और इस दौरान वह अपने और श्वेता के बच्चों का भी पूरा ध्यान रख रहे थे। लवु (पलक) की हर जरूरतों को मैंने पूरा किया और अब श्वेता मुझे मेरे बच्चे रेयांश से भी मिलने नहीं दे रही हैं। अभिनव ने अपनी बातों को आगे जारी रखते हुए कहा कि अब वह चाहते हैं कि कोई मानवाधिकार संगठन या कोई एनजीओ उनकी मदद करे। वह कहते हैं कि बच्चों का चेहरा देखे हुए डेढ़ महीने से ऊपर हो गया है और अब वह अपने बच्चों से दोबारा मिलना चाहते हैं।(जी न्यूज)
लंबे समय के बाद टीवी और फिल्मों की शूटिंग फिर से शुरू हो गई है। टीवी सेट्स पर धीरे- धीरे हलचल बढऩे लगी है। टीवी सीरियल्स की शूटिंग के लिए कलाकार पहुंच रहे हैं। एकता कपूर के हिट शो मेें से एक नागिन-4 की शूटिंग शुरू भी हो चुकी है। नागिन के सेट से कुछ दिन पहले रश्मि देसाई की कुछ तस्वीरें सामने आई थीं। हाल ही में शो की कलाकार निया शर्मा ने कुछ ऐसी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
टीवी एक्ट्रेस निया शर्मा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। अपनी इंस्टा स्टोरी में उन्होंने कुछ तस्वीरों को शेयर किया है। निया ने अपनी इंस्टा स्टोरी पर शूटिंग के दौरान की कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिनमें वो एक बड़े से नाग को किस करती नजर आ रही हैं। इन तस्वीरों में निया शर्मा के चेहरे की खुशी देखते ही बन रही है। निया शर्मा ने इन तस्वीरों का क्रेडिट अपने को-स्टार विजेन्द्र को दिया है, जिन्होंने इन्हें खींचा है।
निया ने नाग के साथ अपनी दो तस्वीरें शेयर की हैं। पहली बार देखने में ये लगेगा कि ये असली हैं, लेकिन ये नकली है। तस्वीर में निया पीली रंग की साड़ी में नजर आ रही हैं।
कुछ दिन पहले ही नागिन 4 का एक प्रोमो भी शेयर किया गया था जिसमें निया और रश्मि नजर आ रही थीं। प्रोमो में अपकमिंग एपिसोड्स की कहानी का हिंट दर्शकों को मिल गया था। प्रोमो में एक मंदिर दिखाया गया था, जिसका राज आने वाले एपिसोड्स में खुलेगा।
एकता कपूर ने अपने सुपरनैचुरल ड्रामा नागिन 4 को जल्द बंद करने वाली हैं। नागिन 4 बंद करने के तुरंत बाद एकता नागिन 5 शुरू कर देंगी, एकता कपूर ने एक वीडियो जारी कर इस बारे में जानकारी दी थी। नागिन 5 की कहानी और कास्टिंग पर इन दिनों काम चल रहा है। (न्यूज18)।
चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच सरकार ने ञ्जद्बद्मञ्जशद्म और ष्ट क्चह्म्श2ह्यद्गह्म् समेत चीन से संबंधित 59 ऐप्स को ब्लॉक कर दिया है। सरकार ने इन ऐप्स को सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक बताया है। अब इस पर एक्ट्रेस मलाइका अरोड़ा का रिएक्शन आया है। दरअसल, हाल ही में एक्ट्रेस मलाइका अरोड़ा ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक फोटो शेयर किया है। इस फोटो को शेयर करते हुए एक्ट्रेस ने टिकटॉक को बैन करने के लिए सरकार का शुक्रिया अदा किया। मलाइका अरोड़ा ने लिखा, लॉकडाउन में अब तक की सबसे अच्छी खबर सुनी है।
मलाइका अरोड़ा ने आगे लिखा, आखिरकार अब हमें लोगों के बेकार वीडियो नहीं देखने पड़ेंगे। मलाइका अरोड़ा के टिकटॉक को लेकर इस पोस्ट पर लोग खूब रिएक्ट कर रहे हैं और अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। बता दें, टिकटॉक को अब गूगल प्ले स्टोर और एप्पल प्ले स्टोर से भी हटा दिया गया है। वहीं, भारत और चीन का सीमा विवाद 15-16 जून की दरमियानी रात को लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुए झड़प के साथ शुरू हुआ था। जिसमें कर्नल समेत भारत के 20 जवानों की जान चली गई थी। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच सीमा पर तनातनी जारी है। (एनडीटीवी)
-रवीश कुमार
मुग़ल-ए-आज़म में दो मुग़ल-ए-आज़म थे। बादशाह अकबर और करीमउद्दीन आसिफ़। जिन्हें दुनिया के आसिफ़ के नाम से जानती है।
आसिफ़ को अपने सपनों से ही प्यार नहीं था। अपने वतन से भी था। आसिफ़ के सपने एक नए मुल्क के सपने की तरह बड़े थे। ऊंची और लंबी छलांग लगाना चाहते थे। एक फि़ल्म को लेकर इस तरह के जुनून के किस्से कम हैं। शीश महल जैसे सेट बनाने के लिए एक निर्देशक एक साल इंतज़ार करता है। एक ऐसा सेट तैयार करता है जिसकी कल्पना न पहले के इतिहास में थी, न उसके बाद के इतिहास में की गई। इस किताब के ज़रिए मेरी आखें कैमरे की तरह के आसिफ़ के पीछे-पीछे चल रही हैं। अभी आधी मंजि़ल ही तय हो सकी है। जिस तरह से मुगल-ए-आज़म के संवाद वाले जोड़े में बिकने वाले कसेट की धूम थी, यह किताब भी वही मुकाम हासिल करेगी।
एक फिल्म के बनने के पीछे की फिल्म का यह किस्सा आसिफ़ के पैदा होने से शुरू होता है।
1922 में एक साथ दो घटनाएं हुईं जिनका ज़ाहिरा तौर पर एक दूसरे से कोई ताल्लुक नजऱ नहीं आता था एक तरफ़ लाहौर में बैठे एक ड्रामानिगार इम्तियाज़ अली 'ताज' ने एक नाटक लिखा 'अनारकली' तो दूसरी तरफ़ उत्तर प्रदेश के इटावा जि़ले में 14 जून 1922 को डॉक्टर फज़़ल करीम और बीबी गुलाम फ़ातिमा के घर एक बच्चे का जन्म हुआ। नाम रखा गया करीमउद्दीन आसिफ़।
पूरे 22 साल बाद जाकर इन दो घटनाओं के बीच का रिश्ता उस वक्त उजागर हुआ जब करीमउद्दीन आसिफ़, जो उस वक्त तक बम्बई पहुंचकर के आसिफ़ बन चुका था, ने 'अनारकलीÓ की कहानी सुनी और उसे अपनी जि़ंदगी का मक़सद बना लिया।
मुग़ल-ए-आज़म बनने की कहानी से पहले यह किताब एक दजऱ्ी के निर्देशक बनने की कहानी कहती है। जैसे कोई के आसिफ़ के जीवन को निर्देशित कर रहा हो, उस अंदाज़ में जिस शख्स ने इस किस्से को बयां किया है उसका नाम राजकुमार केसवानी है। आसिफ़ की ऐसी शानदार एंट्री कोई उनकी कहानी कहने निकला जुनूनी ही कर सकता है, जैसे आसिफ़ के मुग़ल-ए-आज़म के पहले सीन में हिन्दुस्तान की एंट्री होती है। वह अकबर का हिन्दुस्तान नहीं था, वह आसिफ़ का हिन्दुस्तान था, जिसने अकबर के हवाले से पूरी दुनिया के सामने पेश की थी।
मैं हिंदोस्तान हूं। हिमालिया मेरी सरहदों का निगहबान है। गंगा मेरी पवित्रता की सौगंध। तारीख़ की इब्तदा से मैं अंधेरों और उजालों का साक्षी हूं और मेरी ख़ाक पर संगे-मरमर की चादरों में लिपटी हुई ये इमारतें दुनिया से कह रही है कि ज़ालिमों ने मुझे लूटा और मेहरबानों ने मुझे संवारा। नादानों ने मुझे ज़ंजीरें पहना दीं और मेरे चाहने वालों ने उन्हें काट फेंका।
मेरे इन चाहने वालों में एक इंसान का नाम जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर था। अकबर ने मुझसे प्यार किया। मज़हब और रस्मी-रिवाज़ की दीवार से बलन्द होकर, इंसान को इंसान से मोहब्बत करना सिखाया और हमेशा के लिए मुझे सीने से लगा लिया।
लंबे समय तक यमुना नदी को पार करते वक्त अपनी कार में मुग़ल-ए-आज़म का डबल कैसेट लगा देता था। इस पहले संवाद को सुनने के लिए। सुनते सुनते संवाद अदायगी की कशिश तो न आई मगर अपने वतन को देखने और महसूस करने का पैमान बन गया। उसकी भव्यता दिलो-दिमाग़ पर हावी हो गई। आज भी जब अपने वतन के लिए प्यार उमड़ता है, यू ट्यूब में जा जाकर इस संवाद को देखता हूँ।
कुछ ऐसा ही असर किया है दास्ताने मुग़ल-ए-आज़म के कहानीकार ने।
राजकुमार केसवानी की कहानी अतीत से निकाल कर यहां नहीं लाना चाहता। उन्होंने जो कहानी अतीत से निकाल कर लाई है उसकी कीमत पर यह ठीक नहीं होगा। बस इतना कहने से ख़ुद को रोक नहीं पा रहा हूं। के आसिफ़ ने हमें मुग़ल-ए-आज़म दी तो आसिफ़ की दास्तान सुनाने के जुनून ने एक और आसिफ़ पैदा कर दिया है। इस आशिक़ और आसिफ़ का नाम है राजकुमार केसवानी।
इस किताब का हर पन्ना और हर पन्ने का हर किस्सा एक नए सीन की तरह शुरू होता है और अगले सीन के आने से पहले ख़त्म हो जाता है। इसे पढ़ते हुए आप एक बार फिर से के आसिफ़ को देखने लगते हैं। मुग़ल-ए-आज़म को बनते हुए देखने लगते हैं। बल्कि इस महान फि़ल्म को पहले से बेहतर समझते हैं।
पिछले दिनों दिल्ली में फिरोज़ ख़ान ने जब रंगमंच पर मुग़ल-ए-आज़म का मंचन किया था तब उसकी भव्यता और कलाकारों के अनुशासन और अभिनय का कमाल देखा था। लंबे समय तक अपनी आंखों की किस्मत पर इतराता रहा कि क्या ख़ूब देखना हुआ है। इस किताब को पढ़ते हुए आज वैसा ही लग रहा है। एक निर्देशक के सपनों का पीछा करते हुए और फिल्म को फिर से बनते देखने के लिए।
भोपाल के मंजुल प्रकाशन ने छापा है। दुर्लभ जानकारियां हैं। तस्वीरें हैं। हर पन्ना शानदार है। यह किताब जिस रवानगी से लिखी गई है उस लिहाज़ से इसकी कीमत बेहद मामूली है। ये बात कदरदान ही समझेंगे। नादान नहीं समझेंगे। मात्र 1599 रुपये की है।
(लेखक-एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार हैं)
शिल्पा शेट्टी को पसंद आयी सुष्मिता सेन की ‘आर्या’
मुंबई, 29 जून (वार्ता) बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी को सुष्मिता सेन की वेबसीरीज फिल्म ‘आर्या’ बेहद पसंद आयी है।
सुष्मिता सेन ने वेब सीरीज ‘आर्या ’ से अभिनय की दुनिया में वापसी की है। यह फिल्म हाल ही में ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज हुई है। शिल्पा शेट्टी को फिल्म ‘आर्या’ बेहद पसंद आयी है। शिल्पा ने सुष्मिता की तारीफ में एक पोस्ट शेयर किया है।
शिल्पा ने सुष्मिता के साथ फोटो शेयर कर लिखा, “इस लॉकडाउन ने मुझे कुछ चीजें सिखाई हैं। पहली यह कि किसी की सराहना करना कितना महत्वपूर्ण है। यदि आप किसी चीज को स्वीकृति प्रदान करते हैं तो उसकी तारीफ भी करें। मुझे लगता है कि तारीफ के मामले में हम काफी कंजूसी करते हैं...रविवार को मैंने 'आर्या' देखी और मुझे कहना ही पड़ेगा कि तुम्हारी इस धमाकेदार वापसी को देखकर मैं बेहद खुश हूं।”
शिल्पा ने लिखा, “सुष्मिता, क्या बेहतरीन काम है, क्या परफॉर्मेंस है...हर एक बात पसंद आई। तुम्हारे हर एक प्रयास में तुम्हारी सफलता की कामना करती हूं क्योंकि तुम इसकी हकदार हो। मेरी शेरनी तुम पर बेहद गर्व है...तुम जीत गई। तुम्हें ढेर सारी शुभकामनाएं मेरी दोस्त।”
शिल्पा के इस पोस्ट पर जवाब देते हुए सुष्मिता ने लिखा, “तुम वाकई में एक खूबसूरत महिला हो। हमेशा इतनी उदार और दयालु बने रहने के लिए तुम्हारा शुक्रिया।”
-प्रेम सतीश
बीते करीब तीन महीने से लॉकडाउन के कारण तमाम इंडस्ट्रीज ठप हैं। अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होते ही अब धीरे-धीरे काम शुरू हो रहा है। लेकिन इन महीनों में टीवी और फिल्म इंडस्ट्री में शूटिंग से लेकर कारोबार तक, सब बंद रहा है। इस वजह से कई ऐक्टर्स और टेक्नीशियंस आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। जाहिर है कि पेट की आग किसी महामारी की नहीं सुनती। आमिर खान की फिल्म गुलाम में काम कर चुके ऐक्टर जावेद हैदर भी कई दूसरे कलाकारों की तरह पैसों की कमी से जूझ रहे हैं। उनका एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह खर्च चलाने के लिए ठेले पर सब्जी बेचते नजर आए हैं।
जावेद हैदर लाइफ हो तो ऐसी फिल्म में भी काम कर चुके हैं। कोरोना महामारी के इस दौर में अपना पेट भरने के लिए वह सब्जियां बेचने को मजबूर हैं। टीवी ऐक्ट्रेस डॉली बिंद्रा ने जावेद का वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है। वह लिखती हैं, वह एक ऐक्टर हैं, आज वह सब्जी बेच रहे हैं- जावेद हैदर।
बिग बॉस फेम डॉली बिंद्रा ने आगे लिखा है कि लॉकडाउन के कारण किसी को काम नहीं मिल रहा है। डॉली ने एक अन्य ट्वीट में लिखा है कि जावेद ने साल 2009 में बाबर और टीवी सीरीज जीनी और जुजु में भी काम किया है।
टिकटॉक पर यह वीडियो खुद जावेद हैदर ने अपलोड किया है। वह इसमें सब्जी बेच रहे हैं, जबकि पीछे गाना बज रहा है- दुनिया में रहना है तो काम कर प्यारे, हाथ जोड़ सबको सलाम कर प्यारे। वर्ना ये दुनिया जीने नहीं देगी, खाने नहीं देगी पीने नहीं देगी।
जावेद इस गाने पर लिपसिंक करते हुए भी नजर आ रहे हैं। टिकटॉक पर जावेद हैदर अच्छे खासे ऐक्टिव हैं, उन्हें इस क्रिएटिव वीडियो प्लेटफॉर्म पर 97000 यूजर्स फॉलो करते हैं। ट्विटर पर यह वीडियो सामने आते ही यूजर्स जावेद को सलाम कर रहे हैं। यूजर्स का कहना है कि जावेद ने साबित किया है कि जीवन हारने का नहीं, हर परिस्थिति का सामने करने का नाम है।
गौरतलब है कि इससे पहले ऐक्टर सोलंकी दिवाकर को भी दिल्ली में सड़कों पर फल बेचते हुए देखा गया था। सोलंकी दिवाकर ने हवा, तितली, ड्रीम गर्ल और सोनचिड़ैया जैसी फिल्मों में काम किया है। (navbharat times)
शाहरूख ने फिल्म इंडस्ट्री में पूरे किये 28 साल
मुंबई, (वार्ता) बॉलीवुड के किंग खान शाहरूख खान ने फिल्म इंडस्ट्री में 28 साल पूरे कर लिये हैं। शाहरूख ने वर्ष 1992 में प्रदर्शित फिल्म ‘दीवाना’ से बॉलीवुड में अपने करियर की शुरूआत की थी। शाहरूख को फिल्म इंडस्ट्री में आये हुये 28 साल पूरे हो गये हैं। शाहरूख ने सोशल मीडिया पर फिल्म इंडस्ट्री में 28 साल पूरे होने पर फैंस को शुक्रिया अदा किया है।शाहरुख खान ने ट्विटर पर लिखा, “पता ही नहीं चला कि कब मेरा पैशन मेरा मकसद बन गया और फिर मेरा प्रोफेशन। आप सभी का शुक्रिया कि आपने मुझे इतने सालों तक आपको एंटरटेन करने का मौका दिया। मुझे लगता है कि मेरे प्रोफेशनलिज्म से ज्यादा मेरा पैशन वो एक अहम फैक्टर बनेगा जिसके चलते मैं आगे आने वाले सालों में भी मैं आपका मनोरंजन करता रहूंगा।”
प्रेम सतीश
अपने बेहतरीन अभिनय और हैरतअंगेज डांस से लाखों फैंस के दिलों पर राज करने वाली बॉलीवुड अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ने भी हेयर कट करना सीख लिया है। माधुरी दीक्षित ने अपने पति राम नेने का हेयरकट किया है। राम नेने ने इंस्टाग्राम पर अपनी वाइफ संग एक शानदार फोटो शेयर की है। इस फोटो का कैप्शन लिखते हुए राम नेने ने बताया है कि माधुरी दीक्षित ने उनका हेयरकट किया है। राम ने फोटो के साथ इंस्टाग्राम पर लिखा है कि, 'हैट्स ऑफ टू माइ न्यू हेयर स्टाइलिस्ट। शुक्रिया हनी।' सोशल मीडिया यूजर ने डॉक्टर नेने की इस फोटो पर अलग-अलग कमेंट किए हैं। कुछ यूजर ने माधुरी को हर चीज में एक्सपर्ट बताया है तो किसी ने डॉक्टर नेने के नए लुक की तारीफ की है। इससे पहले नुपुर सेनन, अनुष्का शर्मा जैसे कलाकार भी खुद हेयरकट कर चुके हैं।
इससे पहले माधुरी ने अपने फन में डांस और अभिनय के अलावा एक और कला को जोड़ लिया था, वह कला है, ताइक्वांडों । उन्होंने ताइक्वांडों की विधिवत ट्रेनिंग ले रखी है, वह भी पूरी फैमिली के साथ। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से एक थ्रोबैक फोटो शेयर कर इसकी जानकारी दी है। माधुरी ने अपने पति राम नेने और दोनों बेटों के साथ एक थ्रोबैक फोटो शेयर की है। इस फोटो में पूरा परिवार नीले रंग की ताइक्वांडो ड्रेस में नजर आ रहा है। माधुरी के दोनों बच्चों ने हाथ में सर्टिफिकेट लिया हुआ है। माधुरी ने इस फोटो का कैप्शन भी लिखा है।
ऐक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या से अभी तक फिल्म इंडस्ट्री और उनके फैन्स उबर नहीं सके हैं। अभी तक लोग ये अटकलबाजी लगा रहे हैं कि आखिर सुशांत ने आत्महत्या क्यों की। यह विषय लगातार मीडिया की चर्चा में बना हुआ है। अब शिवसेना के नेता संजय राउत ने पार्टी के मुखपत्र सामना में इस पर एक लंबा लेख लिखा है। अपने लेख में संजय ने सुशांत की ऐक्टिंग की तारीफ करते हुए उन्हें एक टैलंटेड ऐक्टर बताया है।
अपने लंबे लेख में संजय राउत ने बताया है कि जब उन्होंने बाल ठाकरे की बायॉपिक ठाकरे बनाई थी तभी से वह भारत के पूर्व रक्षा मंत्री रहे जॉर्ज फर्नांडिस की बायॉपिक बनाने की भी सोच रहे थे। उन्होंने बताया कि जॉर्ज की भूमिका पर्दे पर निभाए जाने के लिए 2-3 कलाकारों का चयन किया गया जिसमें से सुशांत सिंह राजपूत भी एक थे। संजय ने लिखा कि एमएस धोनी की बायॉपिक के समय से ही सुशांत उनकी नजरों में चढ़ गए थे और उन्हें बताया गया था कि वह (सुशांत) एक बेहतरीन कलाकार हैं।
हालांकि संजय राउत ने अपने लेख में खुलकर तो यह नहीं बताया है कि जॉर्ज फर्नांडिस की बायॉपिक बनेगी या नहीं, लेकिन उन्होंने इतना जरूर लिखा कि सुशांत के निधन के बाद पर्दे का जॉर्ज पर्दे के पीछे चला गया। इससे तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभी यह फिल्म ठंडे बस्ते में चली गई है। संजय राउत ने अपने लेख में मुंबई पुलिस पर पूरा भरोसा जताते हुए कहा है कि जांच में सुशांत की आत्महत्या से जुड़े कारण निश्चित तौर पर सामने आएंगे। (navbharat times)
अभिषेक ने हाल ही में एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि फिल्मों में बोल्ड सीन नहीं करने की वजह से वह कई प्रोजेक्ट्स गंवा चुके हैं। उन्होंने नो-इंटिमेट सीन ऑन-स्क्रीन पॉलिसी के बारे में खुलकर बात की, जिसका वह कई सालों से पालन कर रहे हैं। अभिषेक ने हाल ही में एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि फिल्मों में बोल्ड सीन नहीं करने की वजह से वह कई प्रोजेक्ट्स गंवा चुके हैं। उन्होंने नो-इंटिमेट सीन ऑन-स्क्रीन पॉलिसी के बारे में खुलकर बात की, जिसका वह कई सालों से पालन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वह ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे उनकी बेटी आराध्या असहज महसूस करे। उन्होंने कहा- मैं ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता जिसे देखकर मेरी बेटी थोड़ी भी असहज हो और मुझसे सवाल करे कि यहां क्या चल रहा है।
उन्होंने बताया- मैं अपने निर्देशकों से भी प्रोजेक्ट्स साइन करने से पहले कह देता हूं कि अगर कोई ऐसा सीन है जिसमें बहुत इंटिमेट सीन्स हैं तो मैं करने को तैयार नहीं हूं। आपके पास विकल्प है। अभिषेक ने बताया कि उन्होंने बोल्ड सीन नहीं करने की वजह से कई प्रोजेक्ट गंवा दिए हैं। हालांकि, उन्हें अपने फैसले पर जरा भी अफसोस नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर इंटिमेट सीन निर्देशक की कहानी का एक जरूरी हिस्सा है तो वह खुशी से प्रोजेक्ट्स से पीछे हट जाते हैं। इसका उन्हें कोई पछतावा नहीं है क्योंकि मेरा अलग नजरिया होता है और निर्माता-निर्देशक का अपना नजरिया होता है। अगर वह उस पर कोई समझौता नहीं करना चाहते तो मैं उनका सम्मान करता हूं। यह पूरी तरह से ठीक है।
फिल्म इंडस्ट्री के महानायक अमिताभ बच्चनके बेटे और एक्टर अभिषेक बच्चन को बॉलीवुड में 30 जून को 20 साल पूरे होने वाले हैं। अभिषेक बच्चन ने जेपी दत्ता की फिल्म रिफ्यूज से करीना कपूर के साथ इंडस्ट्री में अपना डेब्यू किया था। अब अभिषेक बच्चन इंस्टाग्राम के जरिए अपने इस 20 साल के सफर के बारे में बात कर रहे हैं। दरअसल, एक्टर लगातार सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर रहे हैं। हाल ही में एक्टर ने एक और वीडियो शेयर किया है, जो इंटरनेट पर छाया हुआ है। अभिषेक बच्चन ने साल 2013 में अपने करियर के बारे में इस वीडियो के जरिए बात की है।
एक्टर अभिषेक बच्चन ने वीडियो शेयर करते हुए यह भी खुलासा किया कि वह बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान के साथ फिल्मों में एक्टिंग नहीं करना चाहते। इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुए अभिषेक बच्चन ने आगे लिखा, 2013 में धूम फ्रेंचाइजी की 3 फिल्म रिलीज हुई थी। इस बार यह फिल्म मेरे जिगरी और पुराने दोस्त विकटर ने डायरेक्ट की थी। पहले की धूम की दोनों फिल्में विकटर ने लिखी थी। उन्होंने गुरू और रावण के डायलॉग भी लिखे थे। कैटरीना कैफ के साथ यह मेरी दूसरी फिल्म थी। उन्होंने अपनी सबसे पहली हिंदी फिल्म मेरे साथ सरकार की थी। धूम में मुझे आमिर खान के साथ काम करने का मौका मिला।
अभिषेक बच्चन ने आगे कहा, अगर मुझे उनके साथ काम करने का दूसरा मौका मिलेगा तो, मैं उनके साथ एक्टिंग नहीं चाहूंगा बल्कि मैं चाहता हूं कि वह मुझे डायरेक्ट करें। तो आमिर खान अगर आप इसे पढ़ रहे हैं, तो मेरी रिक्वेस्ट पर गौर फरमाइयेगा। अभिषेक बच्चन के इस वीडियो पर फैन्स खूब कमेंट कर रहे हैं और अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
बॉलीवुड एक्टर सलमान खान बीते दिनों सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद गुटबाजी और परिवारवाद को लेकर सुर्खियों में आए थे। लगातार लोग सलमान पर सवालिया निशान लगा रहे थे। लेकिन सलमान ने किसी का जवाब नहीं दिया। वहीं अब कई दिनों से नाराज सुशांत सिंह राजपूत के फैंस का पारा तब आसमान चढ़ गया जब सलमान खान ने एक वीडियो और एक फोटो शेयर किया। अब सलमान की सोशल मीडिया पर जमकर क्लास लग रही है।
दरसअल कुछ देर पहले ही सलमान खान का एक वीडियो जारी हूआ जिसमें वह सुष्मिता सेन की वेबसीरीज आर्या की तारीफ कर रहे हैं। लेकिन इस वीडियो में उनकी बात न सुनकर लोगों ने उनसे सुशांत को लेकर सवाल करने शुरू कर दिए। साथ ही लोगों ने उन्हें यह ताना भी दिया कि वह सुशांत को लेकर चुप्पी क्यों साधे हैं।
इसके पहले सुबह सलमान खान ने एक वर्कआउट की तस्वीर शेयर की थी। कैप्शन में सलमान ने लिखा, बस अभी वर्कआउट पूरा किया है। अक्सर सलमान खान के ऐसी तस्वीर को शेयर करने के बाद लोग उनकी तारीफों के पुल बांधते थे लेकिन आज मामला उल्टा ही नजर आया।
एक यूजर ने लिखा, इस बार तुम बच नहीं पाओगे। ऊपर वाला तुम्हें देख रहा है। एक अन्य यूजर ने लिखा, ...और मैंने अभी अभी तुम्हें अनफॉलो करने का काम पूरा किया है। (जी न्यूज)
20 भाषाओं में गाने की प्रतिभा रखने वाली गौहर जान हिंदुस्तान की पहली पेशेवर गायिका थीं जिनकी आवाज़ रिकॉर्ड की गई
-अनुराग भारद्वाज
इंग्लैंड की कंपनी ग्रामोफ़ोन एंड टाइपराइटर लिमिटेड के सेल्स एजेंटों के हिंदुस्तान आने पहले से कुछ अन्य कंपनियां यहां पैर पसार चुकी थीं. जुलाई 1901 में कंपनी का पहला सेल्स ऑफ़िसर आया और अगले साल रिकॉर्डिंग करने वाला अधिकारी गैस्बेर्ग कलकत्ता आया. इतना बड़ा मुल्क और संगीत का दायरा उससे भी विशाल. यह देख, दोनों का जोश काफ़ूर हो गया. उन्हें समझ ही न आया कि शुरुआत कहां से की जाए.
किस्सा है कि हैरान-परेशान गैस्बेर्ग को कलकत्ता में एक बार किसी रईस ने दावत पर घर बुलाया. इंतज़ाम से लेकर नाचने वालियों तक सब कुछ फूहड़ था. संगीत की रिकॉर्डिंग के लिए मनमाफ़िक कलाकार न मिलते देख उसने इंग्लैंड वापस जाने का मन बना लिया था कि एक रोज़ किसी और रईस ने उसे अपने घर न्यौता दिया. यह महफ़िल सभ्रांत थी. गाने वाले कलाकार की आमद होने पर महफ़िल में फुसफुसाहट होने लगी. गैस्बेर्ग ने अंदाज़ लगा लिया कि कोई नामी फ़नकार आया है.
फ़नकार बग्गी में से उतरा तो गैस्बेर्ग ने देखा कि वह शानदार लिबास और गहनों से लकदक एक बेहद ख़ूबसूरत लड़की है जो मेहमानों से बड़ी शालीनता से मिल रही है. उसके पास आने पर गैस्बेर्ग ने गौर किया कि लड़की की रंगत, चेहरा मोहरा और कद-काठी सब कुछ यूरोपियन था. वह समझ गया कि उसके हाथ खज़ाना लग गया है. लड़की ने गैस्बेर्ग से कहा, ‘हेलो जेंटलमैन’. गैस्बेर्ग ने अभिवादन में सिर झुका दिया. महफ़िल शुरू हुई, लड़की ने ठुमरी गाई कि समां ही बदल गया. महफ़िल के ख़त्म होने पर अपनी खनकदार आवाज़ में उसने कहा, ‘मैं, गौहर जान और ये मेरा गाना है’
आर्मीनियाई लड़की का गौहर जान बनना
यूरोपियन मां-बाप की यह लड़की कभी वक्त की मारी हुई थी. उसका पूरा नाम एंजेलीना योवार्ड था. मां विक्टोरिया योवार्ड को शौहर ने छोड़ दिया था. एक मुसलमान ने उसे और उसकी बच्चियों को अपना लिया. विक्टोरिया मल्लिका जान बन गईं और एंजेलीना गौहर जान बनकर बीसवीं सदी की हिंदुस्तान की सबसे बड़ी ठुमरी गायिका.
गौहर जान की पैदाइश आज़मगढ़ उत्तरप्रदेश की है. आज़मगढ़ की वाजिद अली शाह के अवध से ताल्लुकी की वजह से ठुमरी वहां की शान मानी जाती है. और कोई ताज्जुब नहीं कि गौहर जान भी इसी गायन शैली की ओर झुक गयीं. इनके बाद फैज़ाबाद से बेगम अख्तर भी इसी राह पर चली थीं.
सबसे पहली कलाकार जिसकी आवाज़ रिकॉर्ड हुई
यह गौहर के क़िस्से की शोहरत का टुकड़ा भर ही है कि उनकी आवाज़ हिंदुस्तान में सबसे पहले रिकॉर्ड की गयी. वगरना, वे इतनी मशहूर थीं कि जिस किसी महफ़िल या रईस की कोठी पर गातीं, सुनने वालों की भीड़ बाहर तक जमा हो जाती थी. वे ऐसी फ़नकार थीं जिन्हें लगभग 20 हिंदुस्तानी भाषाओं और बोलियों में गाना आता था.
शातिर व्यावसायिक
आठ नवंबर 1902 को हिंदुस्तान में पहली बार कुछ स्थानीय कलाकारों की रिकॉर्डिंग हुई थी. करने वाली गैस्बेर्ग की ही कंपनी ग्रामोफ़ोन एंड टाइपराइटर थी. तीन दिन बाद, यानी 11 नवंबर, गौहर जान कंपनी के अस्थायी स्टूडियो आईं. उनका आना इतना बड़ा दिन था कि गैस्बेर्ग ने अपने संस्मरण में कुछ यूं लिखा है, ‘जब वो रिकॉर्डिंग के लिए आयीं तो उनके साजिंदे इस कदर प्रभावशाली थे कि मेल्बा और कैल्वे (पश्चिम की दो मशहूर ऑपेरा गायिकाएं) भी शरमा जाएं. लोकसंगीत की सबसे बड़ी वारिस का आचरण बेहद गरिमामय था. वो अपनी कीमत भी जानती थीं और मेहनताना तय करने में हमें (कंपनी) को पसीना आ गया’. गौहर ने कंपनी से प्रत्येक रिकॉर्डिंग का 3000 रुपया लेना तय किया था जो उस वक़्त के हिसाब से काफ़ी ज़्यादा था.
रिकॉर्डिंग के लिए ठुमरी में बदलाव
विक्रम संपथ ‘माय नेम इज गौहर जान’ में लिखते हैं कि रिकॉर्डिंग वाले दिन गैस्बेर्ग उन्हें समझा रहा था कि किस तरह उन्हें ग्रामोफ़ोन के सामने गाना है, कोई हरकत नहीं करनी है वरना आवाज़ की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा और ठुमरी को महज़ तीन मिनट में समेटना है. गैस्बेर्ग समझा ही रहा था कि वे बोलीं, ‘रिकॉर्डिंग शुरू करें मिस्टर गैस्बेर्ग’. उने चेहरे पर ऐसा आत्मविश्वास झलक रहा था मानो वे इसी काम के लिए बनी हैं.
उन दिनों ग्रामोफ़ोन रिकार्ड्स की समस्या यह थी कि एक रिकॉर्डिंग सिर्फ़ दो या तीन मिनट की होती थी. उधर, शास्त्रीय गायन लंबा होता है. आलाप और बंदिश में लय के भी तीन हिस्से होते हैं- विलंबित, मध्य और द्रुत. तिस पर कई बातें और. संपथ लिखते हैं कि गौहर ने ठुमरी को तीन मिनट में गाने के लिए अहम बदलाव किये पर इसकी मिठास और शास्त्रीयता बरक़रार रही. इन बदलावों को बाद के कलाकारों ने जस का तस इस्तेमाल किया. ‘सा’ के स्वर के साथ एक या दो सेकंड का अलाप, फिर स्थाई का मुखड़ा. गौहर स्थाई को दो या तीन तरह से गातीं और तुरंत ही अंतरे पर कुछ देर रुककर फिर स्थाई पर आ जातीं. फिर कुछ देर तान लेकर मुखड़े पर रुकतीं और स्थाई गाकर पूरा करतीं और अंत में सिग्नेचर स्टाइल में ‘माय नेम इज गौहर खान’ कहकर रुक जातीं.
गौहर ने ठुमरी के अलावा ख्याल, ध्रुपद, दादरा भजन, होरी, तराना और चैती गाये हैं. उनके गीतों की कुल जमा गिनती है 600. उन्होंने जौनपुरी, भोपाली, मुल्तानी, भैरवी और पहाड़ी जैसे तमाम राग भी गाए हैं.
हर दर गौहर
गौहर को हम पहला भारतीय ‘इंटरनेशनल स्टार’ कह सकते हैं. संपथ बताते हैं कि ऑस्ट्रिया में बनने वाली माचिस की डिबिया पर उनकी तस्वीर होती थी. डिबिया पर ‘मेड इन ऑस्ट्रिया’ लिखा होता था और वह ऑस्ट्रिया के अलावा भारत में बिकती थी. ग्रामोफ़ोन रिकार्ड्स कंपनियां उनकी तस्वीर छाप-छाप कर अपनी बिक्री बढ़ा रही थीं. पोस्ट कार्ड्स भी उनकी तस्वीर चस्पा कर बिक रहे थे. पंजाब और राजस्थान के कठपुतली खेलों में उनका नाम लिया जाने लगा था.
हुनर शोहरत के साथ-साथ दौलत भी भरपूर लाया. तंगहाली में गुज़रे बचपन के दौरान ज़ेहन में घर कर गए अभावों की भरपाई गौहर जान ने जवानी में की. महलनुमा घर, नायाब गहने, मोटर गाड़ियां और कीमती पोशाकों वाला जीवन ही सब कुछ हो गया.
जब गवर्नर ने उन्हें झुककर सलाम किया
अक्सर शाम को सज-धज कर, घोड़ों वाली बग्गी में बैठकर कलकत्ता की गलियों में अपनी दौलत की नुमाईश करना गौहर जान का शगल था. एक रोज़ उनकी छह शानदार अरबी घोड़ों वाली बग्गी सडकों पर दौड़ रही थी कि गवर्नर की भी सवारी वहां से निकली. उनकी रंगत और शान-औ-शौकत देखकर अंग्रेज़ गवर्नर ने उन्हें बंगाल के किसी शाही परिवार का व्यक्ति समझा. उसने अपनी गाड़ी रुकवाई, हैट उतारा और झुककर अभिवादन किया. गौहर की बग्गी फ़र्राटे मारती निकल गयी. जब बाद में उसे मालूम हुआ कि जिसे उसने झुककर सलाम किया वो कोई राजसी शख्सियत नहीं बल्कि एक तवायफ़ थीं तो वह ख़ासा नाराज़ हुआ. उसने बग्गी रखने के जुर्म में गौहर पर 1000 रुपये का जुर्माना ठोक दिया. तब ऐसी सवारी सिर्फ़ शाही लोगों का अधिकार था.
दतिया के राजा और गौहर का गर्व
हिंदुस्तान की सबसे बड़ी ठुमरी और ख्याल गायिका को बड़े-बड़े राजघराने अपने यहां बुलाना शान समझते थे. एक रोज़ दतिया (मध्यप्रदेश) के राजा ने गौहर जान को बुलावा भेजा. छोटी रियासत जानकर उन्होंने मना कर दिया. दतिया के राजा ने बंगाल के गवर्नर पर दवाब डालकर उन्हें राज़ी तो करवा लिया पर गौहर ने शर्त रख दी, कि उनके लिए अलग से शाही रेल का इंतज़ाम किया जाए. दतिया नरेश मान गए. उन्होंने साथ ही गौहर जान को 2000 रुपये प्रति दिन का सम्मान देना भी तय किया. समारोह के कई रोज़ गुज़र जाने के बाद भी जब उन्हें गाने नहीं दिया गया तो उन्हें अपनी ग़लती का भान हो गया. उन्होंने दतिया नरेश से माफ़ी मांगी. व छह महीने वहां रहीं. जब विदा हुईं तो उन्हें दतिया की बेटी कहकर सम्मान दिया गया.
दिल टूटने की दास्तां
ऐसे किरदारों के जीवन में ये पल अक्सर आते हैं. गौहर जान ख़ूबसूरत थीं, कमाल की फ़नकार थीं, मशहूर थीं और दौलतमंद भी थीं. कुछ अफ़साने हुए. कहीं दिल लगा. कहीं टूट गया. कभी कोई कलाकार उनका कुछ दिनों के लिए हमनवा बना तो कभी कोई रईस ज़मींदार. पर ऐसा कोई रिश्ता नहीं रहा जिसे मुकम्मल कहा जाए. तत्कालीन गुजराती थिएटर के स्तंभ अमृत केशव नायक से भी उन्हें मोहब्बत हुई थी पर यह परवान न चढ़ी.
अपने अंतिम दिनों में गौहर जान मैसूर के राजा के यहां दरबारी गायक बनकर रहीं. 17 जनवरी, 1930 को उनका देहांत हो गया. पर खरा सोना फिर खरा सोना ही होता है. गौहर जान की आवाज का जादू अब तक कायम है. (satyagrah.scroll.in)
मुंबई, 27 जून (वार्ता)। कंगना रनौत की टीम ने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर किया है जिसमें वह सभी से चाइनीज प्रोडक्ट्स को बैन करने की मांग कर रही हैं।
कंगना ने कहा, यदि कोई हमारे हाथ से हमारी उंगलियों को काटने की कोशिश करे तो किस तरह का कष्ट होगा आपको। वही कष्ट पहुंचाया है चाइना ने हमें लद्दाख पर अपनी लालची नजरें गड़ा कर। वहां हमारी सीमा का एक-एक इंच बचाने के लिए हमारे 20 जवान शहीद हो गए हैं। क्या ये सोचना ठीक है कि सिर्फ सेना युद्ध करती है, इसमे हमारा कोई योगदान नहीं है। क्या हम भूल गए हैं वो वक्त जब महात्मा गांधी जी ने कहा था कि यदि अंग्रेजों की रीढ़ तोडऩी है तो उनके बनाए गए हर उत्पादन का बहिष्कार करना होगा। क्या ये जरूरी नहीं कि हम भी इस युद्ध में हिस्सा लें क्योंकि लद्दाख सिर्फ एक जमीन का टुकड़ा नहीं है। भारत की अस्मिता का बड़ा हिस्सा है।
कंगना ने कहा हमें चाइनीज प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करना होगा ताकि वो यहां से कमाई हुई संपत्ति से हथियार खरीदकर हमारे सैनिकों पर हमला न करे। हमें प्रतिज्ञा लेनी होगी कि हम चाइनीज प्रोडक्ट्स को बॉयकॉट करेंगे और इस युद्ध में हिस्सा लेकर भारत को जिताएंगे। जय हिंद।
मुंबई, 27 जून । हमारी बगल में जो अकेला आदमी रहता है, वो बाहर से कितना ही सख्त क्यों न दिख रहा हो लेकिन उसके अंदर कुछ और चल रहा हो सकता है वो अंदर से कमजोर हो सकता है। उससे जाकर बात कीजिए, हो सकता है आपकी कोई छोटी सी बात उसे बचा ले।
मनोज बाजपेयी जब अपनी फिल्म भोंसले के रोल के बारे में बता रहे थे तो लगा कि जैसे पार्क की बेंच पर बैठा आदमी आते-जाते हर व्यक्ति की जिंदगी पढऩा चाह रहा हो, अंदाजा लगाना चाह रहा हो कि उसकी कहानी क्या है।
भोंसले ऐसी ही एक मराठी पुलिस वाले की कहानी है। एक बीमारी की वजह से उसे रिटायरमेंट लेने पर मजबूर कर दिया जाता है। उसे नहीं पता कि वो अब क्या करेगा। वो अंदर ही अंदर जूझ रहा है अपनी बीमारी से, अकेलेपन से, उन बुरे सपनों से जहां वो बूढ़ा है, लाचार है और कोई उसकी मदद करने नहीं आता।
इस किरदार के बारे में बात करते हुए सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर उठ रहे सवालों का जिक्र भी होना ही था। उनकी मौत के बाद लोगों ने उनके अकेलेपन, मानसिक प्रताडऩा और नेपोटिज्म पर कई सवाल खड़े किए। लेकिन जब सुशांत सिंह राजपूत को लेकर मैंने उनसे सवाल पूछा तो थोड़ा असहज लगे। उनके और उनके प्रोड्यूसर संदीप कपूर के चेहरे के भाव बहुत स्पष्ट थे कि वो इस बारे में बात नहीं करना चाहते। हो सकता है कि बहुत से इंटरव्यूज में इन्हीं सवालों से उकता चुके हों और अब इन सवालों से आगे बढऩा चाहते हों। मैंने उनसे पूछा कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद सोशल मीडिया पर जिस तरह की प्रतिक्रिया आ रही है, उसे लेकर वे क्या कहना चाहते हैं।
लोग जब गालियां देने लगते हैं तो संवाद के सारे रास्ते बंद कर देते हैं। गाली देना बंद करिए और सवाल पूछिए, सवाल पूछने के भी कायदे हैं। जितने सालों में ये गाली गलौच शुरू हुआ है, ट्रोलिंग शुरू हुई है, इससे कुछ बदला नहीं है।
लोगों में गुस्सा है। सवालों का जवाब इंडस्ट्री ही देगी। इंडस्ट्री कोई संस्थान नहीं है, कोई कॉरपोरेट हाउस नहीं है। बहुत सारे लोग अपना स्वतंत्र काम करते हैं। बहुत सारी लॉबी हैं। उनके लिए इशारा है कि वे एक प्रभावशाली, प्रजातांत्रिक और लेवल प्लेइंग फील्ड बनाएं जहां टैलेंट को जगह मिले और ये टैलेंट कहीं भी पैदा हो सकता है। वो बड़े स्टार के बेटा-बेटी भी हो सकते हैं। वो किसी किसान या मजदूर का बेटा-बेटी भी हो सकते हैं। प्रतिभा का सम्मान हो, प्रतिभा का स्वागत हो। तब ये सवाल शायद बंद हो जाएंगे। इंडस्ट्री में लोगों को अपने लेवल पर कोशिश करनी चाहिए। वरना ये सवाल बार-बार उठते-दबते रहेंगे।
लेकिन प्रतिभा को लेकर उनकी क्या परिभाषा है या क्या पैमाना है क्योंकि कोई व्यक्ति ये नहीं मानता कि वो प्रतिभाशाली नहीं है। हो सकता है मनोज बाजपेयी को देखकर भी लोग कहते होंगे कि वे मनोज से ज्यादा प्रतिभाशाली हैं लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला। इस पर उन्होंने कहा कि टैलेंट का देखा जाए तो पैमाना एक्टिंग भी नहीं है, वरना तो बुरी फिल्में इतनी ना चलती।
पैमाना नहीं होता है तो फिर लोगों ने मुझे या मेरे जैसे और एक्टर्स को धीरे-धीरे क्यों सराहा, क्यों हमारे काम को सम्मान दिया। पैमाना हमारे अनुभव के आधार पर होता है। वही एक्टर सबके दिल को छूता है जिस एक्टर में ये काबिलियत होती है जो चरित्र को सबके अंदर बराबर से पहुंचाए। प्रतिभा किसी के हिसाब से सही गलत हो सकती है। लेकिन जब कास्टिंग डारेक्टर के पास आप जाते हैं तो कहते हैं कि स्क्रिप्ट के हिसाब से ऐसा एक्टर चाहिए। आप ये नहीं कहते हो कि दिखने में ऐसा चाहिए और काम ना आता हो तो भी चलेगा। तो काम आना चाहिए।
कम लोग जानते हैं कि मनोज बाजपेयी ने दूरदर्शन के एक सीरियल स्वाभिमान से शुरूआत की थी। उस वक्त ये काफी लोकप्रिय कार्यक्रम था।
मेरी टेलीविजन वाली लाइफ के बारे में कम लोग ही जानते हैं। मैंने टीवी बेमन से करना शुरू किया था क्योंकि मैं मुंबई फिल्में करने आया था। काम मिल नहीं रहा था, कई बार खाने के पैसे भी नहीं होते थे। स्वाभिमान के 12 एपिसोड करने का काम आया। मेरे दोस्त के काफी कहने पर मैं बेमन से ही गया इस काम के लिए। लेकिन लोगों ने काम देखा और फिर 250 एपिसोड हुए। तो सोचिए अगर टैलेंट नहीं होता तो 12 से 250 एपिसोड कैसे होते।
मनोज अपनी टर्निंग प्वाइंट फिल्म 1998 में आई फिल्म सत्या को मानते हैं जिसमें उनका एक गैंगस्टर भीखू महात्रे का रोल आज भी लोग नहीं भूले हैं।
सत्या ने जो मुझे सम्मान दिया जो मेरा करियर बनाया, मैं आज जो भी हूं वो उस फिल्म की वजह से हूं। लेकिन एक फिल्म है जिससे मुझे एक्टर के तौर पर संतुष्टि मिली, मुझे लगा कि मैंने कुछ हासिल किया है वो फिल्म है गली गुलियां। कोशिश कर रहे हैं कि उसे भी कोई ओटीटी प्लेटफॉर्म मिल जाए।
गली गुलियां 2018 में रिलीज हो चुकी है लेकिन इसे बहुत बड़े पैमाने पर रिलीज नहीं किया गया था और इसका क्लेक्शन भी अच्छा नहीं था। लेकिन देश-विदेश के कई फिल्म फेस्टिवल में इसे दिखाया गया है और काफी सराहना भी मिली है।
मनोज बाजपेयी ऐसे एक्टर हैं जिन्होंने बहुत अलग-अलग किरदारों में खुद को आजमाया है। चाहे वो अलीगढ़ हो, शूल हो, गैंग्स ऑफ वासेपुर हो या स्पैशल 26 हर किरदार में घुसने की एक प्रक्रिया होती होगी और कहीं ना कहीं वो जरूर इंसान के तौर पर भी एक्टर में कुछ बदलता होगा। मनोज इस बात को मानते हैं।
फिल्म हमें बदलती है। महीनों तक एक रोल को आत्मसात करके चलते हैं..फिर वही आपकी पहचान बन जाती है. उसका कोई हिस्सा छूट जाता है आपके साथ.. शायद इसलिए एक्टर मूडी भी होते है। जाते-जाते आखिरी सवाल उनसे पूछा कि मीडिया से उनकी क्या शिकायत है। उनके छोटे से वाक्य के जवाब ने बहुत कुछ कह दिया।
मेरी शिकायत कुछ नहीं है, मैं सिर्फ एक ऑब्जर्वर हूं। इतना ही कहूंगा कि पहले बहुत खबरें देखता था। दिन की शुरूआत ऐसे ही होती थी। अब उसके बिना जी लेता हूं। बस इसी में आप समझ लीजिए कि मैं क्या कहना चाहता हूं। (bbc)
बॉलीवुड एक्टर अमरीश पुरी और अनुपम खेर उन महान कलाकारों में से हैं जिन्होंने हिंदी सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद की है। बदकिस्मती से इन दोनों में से एक कलाकार आज इस दुनिया में नहीं है। अनुपम खेर और अमरीश पुरी ने हिंदी सिनेमा में विलेन के कई शानदार रोल निभाए हैं।
अनुपम खेर ने अमरीश पुरी के साथ अपने पुराने वक्त को याद करते हुए शुक्रवार को एक इंस्टाग्राम पोस्ट की है। उन्होंने एक मैगजीन के कवर पेज की तस्वीर शेयर की है जिसमें अनुपम खेर और अमरीश पुरी दोनों एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं। इस तस्वीर को कुछ ही मिनटों में लाखों लोगों ने लाइक और शेयर किया है।
तस्वीर के कैप्शन में अनुपम ने लिखा, मुझे अमरीश पुरी जी की याद आती है। वो सबसे शालीन व्यक्ति थे जिनसे दोस्ती करने का मुझे सौभाग्य मिला था। वह शांत और दयालु थे। उनमें किसी बच्चे सी मासूमियत थी। और बावजूद इसके उन्होंने सबसे खतरनाक विलेन की भूमिका भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा में निभाई थी। कुछ सबसे ज्यादा प्रोफेशनल कलाकारों में से एक। समय के पाबंद और अनुशासित।
अनुपम खेर ने पुरानी यादें ताजा करते हुए लिखा, वह अक्सर मुझसे कहा करते थे, यार! तू बड़ा नॉटी बच्चा है। मुझे बहुत ज्यादा लोगों ने बच्चा कहकर नहीं पुकारा है। ये बहुत अच्छा लगता था। और मैं जवाब में उनसे कहा करता था कि, अमरीश जी, तुस्सी ग्रेट हो। और वह किसी बच्चे की तरह खिलखिला कर हंस पड़ते थे। अमरीश जी आप हमेशा ग्रेट रहेंगे। (एजेंसी)
कोरोना वायरस ने सिर्फ आम इंसानों की जिंदगी पर ही असर नहीं डाला है। बल्कि टीवी और बॉलीवुड के भी कई ऐसे सितारे हैं जिन्होंने कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से काफी झेला है। किसी को पैसों की तंगी हो गई है तो कोई अपने परिवार से दूर चल रहा है।
चांदनी भगवनानी
टीवी की दुनिया का चर्चित चेहरा चांदनी भगवनानी लॉकडाउन की वजह से लंबे समय तक ऑस्ट्रेलिया में फंसी रह गई थीं। उन्होंने बताया था कि वो वहां सिर्फ अपनी सेविंग्स पर जिंदा थीं। उनकी मानें तो उन्होंने एक महीना होटल में भी गुजारा था।
रतन राजपूत
टीवी एक्ट्रे्स रतन राजपूत के भी लॉकडाउन में बुरे हाल हो गए थे। वो लंबे समय तक अपने गांव में ही फंस गई थीं। उनकी खराब हालत को इसी बात से समझा जा सकता है कि उनके पास ना तो देखने के लिए टीवी था और ना ही एक साफ सुथरा बाथरूम। रतन ने कई वीडियोज के जरिए दिखाया था कि वो उस गांव में अपनी जिंदगी कैसे कांट रही थीं।
शहनाज गिल
बिग बॉस का चर्चित चेहरा शहनाज गिल भी लॉकडाउन की वजह से अपने परिवार से दूर हो गई थीं। एक्ट्रेस अपने माता-पिता के पास पंजाब जाना चाहती थीं, लेकिन क्योंकि देश में लॉकडाउन लग गया था, इसकी वजह से वो मुंबई में फंस गई थीं। उनके साथ उनका भाई भी रह रहा था।
जान खान
एक्टर जान खान की कहानी काफी अलग है। उनके लिए लॉकडाउन सिरदर्दी इसलिए बन गया था क्योंकि इसकी वजह से उन्हें लंबे समय तक अपनी फीस नहीं मिली थी। वो सीरियल हमारी बहू सिल्क में काम कर रहे थे। शो से जुड़े कई आर्टिस्ट को अपनी फीस ही नहीं मिली थी। जान ने यहां तक बताया था कि कुछ आर्टिस्ट आत्महत्या करने तक की बात कह रहे थे। जान ने सोशल मीडिया के जरिए मेकर्स के खिलाफ मुहिम छेड़ दी थी।
नुपुर अलंकरा
नुपुर अलंकरा टीवी की ज्यादा जानी मानी अभिनेत्री तो नहीं हैं, लेकिन उन्होंने कई हिंदी सीरियल में बतौर सह-कलाकार काम किया है। लेकिन लॉकडाउन के बीच उनकी मुसीबत तब बढ़ गई थी जब उनकी मां की तबीयत खराब हो गई और उनके पास इलाज के पैसे नहीं थे। उनके पैसे बैंक में फंसे हुए थे। उस मुश्किल वक्त में रेणुका शहाणे ने उनकी मदद की थी। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए लोगों से पैसे डोनेट करने के लिए कहा था।
मनोज बाजपेयी
एक्टर मनोज बाजपेयी भी लॉकडाउन की वजह से उत्तराखंड में पूरे तीन महीने के लिए फंस गए थे। वो वहां गए तो एक फिल्म के सिलसिले में, लेकिन बाद में वहीं फंस गए। बताया गया कि मनोज के साथ उनकी फैमिली भी वहां फंस गई थी क्योंकि वो मनोज संग मिनी हॉलीडे मनाना चाहते थे।
संजय दत्त
अब एक्टर संजय दत्त की बात करें तो वो खुद तो लॉकडाउन में कहीं नहीं फंसे थे। लेकिन वो अपने परिवार से लंबे समय तक दूर रहे। दरअसल संजय की पत्नी मान्यता दत्त दुबई में फंस गई थीं, बच्चें भी उन्हीं के साथ थे, ऐसे में वो लोग देश आ ही नहीं पाए। संजय ने बताया था कि वो वीडियो कॉल के जरिए परिवार से जुड़े रहे थे।
रोनित रॉय
बॉलीवुड एक्टर रोनित रॉय की हालत भी लॉकडाउन के वक्त खस्ता रही थी। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि कई महीनों से वो पैसे नहीं कमा पा रहे हैं और उनका बिजनेस भी ठप पड़ गया था। रोनित ने बताया था कि वो उन 100 परिवारों की मदद कर रहे थे जो उन पर निर्भर थे। रोनित को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा था। (आजतक)
मुंबई, 26 जून (वार्ता)। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की बायोपिक का पोस्टर रिलीज कर दिया गया है। बॉलीवुड में राजनेताओं पर आधारित बायोपिक फिल्मों का चलन जोरों पर है। पीएम नरेंद्र मोदी, शिव सेना सुप्रीमो बाला साहब ठाकरे और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बाद अब उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की बायोपिक बनायी जा रही है। फिल्म का शीर्षक है मैं मुलायम सिंह यादव। फिल्म का निर्देशन सुवेंदु राज घोष कर रहे हैं।
फिल्म का पोस्टर रिलीज कर दिया गया है जिसमें मुलायम सिंह को काफी सशक्त रूप में दिखाया गया है। नए पोस्टर को रिलीज करते हुए बताया गया है मुलायम सिंह यादव वो शख्सियत हैं जिन्होंने राजनीति में कदम तब रखा जब पूंजीवाद और ब्यूरोक्रेसी का बोलबाला था। फिल्म में अमित सेठी, मिमोह चक्रवर्ती, गोविंद नामदेव, मुकेश तिवारी, जरीना वहाब और सुप्रिया कार्णिक जैसे कलाकार अहम रोल निभाते नजर आएंगे।
हर जगह है नेपोटिज्म, प्रतिभा को भी मिले सम्मान :अक्षरा सिंह
मुंबई, 25 जून (वार्ता) भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री-गायिका अक्षरा सिंह का कहना है कि नेपोटिज्म (भाईभतीजावाद) हर जगह मौजूद है लेकिन प्रतिभाओं को सम्मान दिया जाना चाहिये।
बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद देशभर में बॉलीवुड में नेपोटिज्म को लेकर आक्रोश है। वहीं, नेपोटिज्म पर अभिनेत्री कंगाना रानौत शुरू से आवाज उठाती रही हैं। इसी बीच भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री अक्षरा सिंह ने भी नेपोटिज्म पर अपनी आवाज मुखर की है। अक्षरा ने माना है कि हर जगह नेपोटिज्म है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि गैर फिल्मी बैकग्राउंड से आने वाले प्रतिभाशाली लोगों की अनदेखी हो।
अक्षरा ने कहा, “जिसके माता–पिता जिस भी क्षेत्र में होते हैं, वे चाहते हैं कि उनका बच्चा उसी क्षेत्र में कदम रखे। इन सबके बावजूद भी कई लोग गैर फिल्मी पृष्ठभूमि से आये और अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ गए। इनमें शत्रुध्न सिन्हा, मनोज वाजपेयी, सुशांत सिंह राजपूत, पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा एव अन्य कलाकार हैं। मेरे ख्याल से हर जगह प्रतिभा को सम्मान मिलना चाहिए और उसे आगे बढ़ने देना चाहिए।”
अक्षरा ने कहा “स्टार किड्स को जिस तरह का मौका और प्लेटफॉर्म आसानी से दिया जाता है, मेरे ख्याल से हम सभी कलाकारों को जो एक्टर बनने के लिए जाते हैं और प्रतिभाशाली हैं, उन्हें भी मौका मिलना चाहिए। साथ ही उसी प्रक्रिया से स्टार किड्स को गुजरना चाहिए। उन्हें भी ऑडिशन की प्रक्रिया से गुजरना चाहिए।” अक्षरा ने नेपोटिज्म से ज्यादा ग्रुपिज्म को खतरनाक बताया और कहा कि इसका शिकार हर कलाकार से लेकर छोटे टेक्निशियन तक हैं।
प्रेम सतीश
मुंबई, 25 जून । बॉलीवुड अभिनेत्री भूमि पेडनेकर ने प्रवासी मजदूरों को एक हजार फुटवियर दान दिए हैं।
कोरोना वायरस संकट के बीच सभी स्टार्स अपने-अपने स्तर पर गरीबों एवं जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। भूमि पेडनेकर विभिन्न राहत प्रयासों के कारण सुर्खियों में बनी हुई हैं। भूमि प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए सामने आईं है। भूमि जरूरतमंदों के बीच फुटवियर बांटते हुए देखी गईं।
गरीब प्रवासी मजदूर अपने घर जाने के लिए लॉकडाउन में परिवार संग नंगे पैर ही निकल पड़े हैं। ऐसे में सामने आई उनकी तकलीफ देने वाली तस्वीरों को देखकर, भूमि ने गाजियाबाद के मुराद नगर, गोविंदपुरम और विजय नगर के क्षेत्रों में वालंटियर के ग्रुप्स की मदद से एक हजार से अधिक मजदूरों को उन्हें जूते दिए और उनकी मदद की। इसके अलावा भूमि ने लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों को खाना, आवश्यक सामग्री देकर उनकी मदद भी की है। भूमि ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के इस्तेमाल से अपने फैंस से लोगों की मदद करने की रिक्वेस्ट की है।(वार्ता)
बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से बॉलीवुड में नेपोटिज्म का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है। उनकी मौत वाले दिन से ही यह बात की जा रही है कि इंडस्ट्री में काबीलियत होने के बावजूद उन्हें दरकिनार किया गया और काम न मिलने या फिर कई फिल्मों के छूटने से वे परेशान चल रहे थे। ऐसे में सोशल मीडिया पर नेपोटिज्म को लेकर कुछ बड़े एक्टर्स, प्रोड्यूसर्स और फिल्म मेकर्स पर यूजर्स लगातार निशाना साध रहे हैं। इस बीच फेमस लेखक चेतन भगत का एक ट्वीट खूब वायरल हो रहा है। चेतन भगत के ट्वीट से नेपोटिज़्म का मामला एक बार फिर गरमा गया है।
सुशांत की मौत के बाद से ही कई एक्टर और एक्ट्रेस ने बॉलीवुड में भेदभाव को लेकर खुलकर बातें की। हाल ही में सिंगर सोनू निगम ने भी इस मामले में एक वीडियो पोस्ट किया था और उन्होंने कहा था कि ऐसा लगता है कि इंडस्ट्री में इस समय जो हाल है उससे लगता है कि कहीं भविष्य में सिंगर्स के साथ भी ऐसी कोई घटना न हों। चेतन भगत के इस पुराने ट्वीट ने अब एक और सवाल को जन्म दे दिया है और ऐसा लगने लगा है कि क्या सच में सुशांत फिल्मी जगत में होने वाले भेदभाव का शिकार हुए थे।
दरअसल चेतन भगत का जो ट्वीट वायरल हो रहा है उसमें उन्होंने कहा कि मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि मोहित पुरी की अगली फिल्म हाफ गर्लफ्रेंड में नजर आने वाले हैं। ट्वीट के अनुसार हाफ गर्लफ्रेंड में सुशांत सिंह राजपूत लीड एक्टर को तौर पर काम करने वाले थे। अब यह प्रश्न उठ रहा है कि अगर ऐसा था तो फिर अचानक अर्जुन कपूर को फिल्म में क्यों लिया गया। क्या सुशांत स्टार किड नहीं थे इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा।
बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद से ही हर तरफ बॉलीवुड में नेपोटिज्म को लेकर बहस तेज हो गई है। गायक कुमार सानू का कहना है कि फिल्म जगत में भाई-भतीजावाद है, लेकिन एक कलाकार की किस्मत का फैसला सिर्फ दर्शक करते हैं। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद की बहस छिड़ी हुई है। अभिनेताओं, निर्देशकों और गायकों ने बाहरी होने की वजह से बॉलीवुड में बने रहने के लिए सामने आने वाली परेशानियों का उल्लेख किया है।
फेसबुक पर सोमवार को अपलोड की गई एक वीडियो में सानू ने कहा, उनके (राजपूत के) निधन के बाद मैं एक अलग तरह की क्रांति उभरते हुए देख सकता हूं। भाई-भतीजावाद हर जगह है। यह हमारे यहां कुछ ज्यादा है। हम जो हैं वे आप दर्शक हमें बनाते हैं। कौन कामयाब होगा और किसे फिल्म जगत से बाहर किया जाएगा, इसका फैसला आप दर्शक करते हैं।
उन्होंने कहा कि फिल्मकार या फिल्म जगत के शीर्ष लोग यह फैसला नहीं कर सकते हैं। यह आप दर्शकों के हाथ में है। गायक तीन दशक से बॉलीवुड में हैं और उन्होंने कई हिट गाने दिए हैं। गौरतलब है कि सुशांत सिंह राजपूत ने बीते 14 जून को मुंबई के बांद्रा स्थित अपने फ्लैट में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। जिसके बाद बॉलीवुड के कुछ प्रोड्यूसर्स, फिल्म मेकर्स और एक्टर्स पर सुशांत के फैंस का गुस्सा फूट पड़ा है। जिसका असर सोशल मीडिया पर साफ देखा जा सकता है।