नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | बिहार में पहले चरण के मतदान में 71 विधानसभा सीटों का भविष्य बुधवार को ईवीएम में बंद हो चुका है. पहले चरण के मतदान के दिन सुबह-सुबह पटना से प्रकाशित अख़बारों में नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की तस्वीर पहले पन्ने पर छपी हुई थी.
जनता दल यूनाइटेड की ओर से जारी इस विज्ञापन में नीतीश कुमार आगे दिखते हैं जबकि मोदी ठीक उनके पीछे. बस ये ही वो पोस्टर हैं, जहाँ नीतीश कुमार बिहार में आगे दिख रहे हैं.
पिछले दिनों के विज्ञापन में केवल नरेंद्र मोदी नज़र आए थे. बाद में जारी दूसरी तस्वीरों में पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के नेताओं के सामने सुशील मोदी और नीतीश कुमार की तस्वीर छोटी नज़र आती है.
बीजेपी बिहार का चुनाव प्रधानमंत्री मोदी को सामने रखकर लड़ रही है.
पटना की सड़कों पर पटे बीजेपी के पोस्टर के अलावा चुनावी रैलियों में ये साफ़ नज़र आता है कि एनडीए और ख़ुद नीतीश कुमार के लिए पीएम नरेंद्र मोदी कितने महत्वपूर्ण बन गए हैं.
बुधवार को दरभंगा, मुज़फ़्फ़रपुर और पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की संयुक्त रैलियाँ हुईं.
तीनों रैलियों में नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को तीन बार श्रद्धेय, छह बार आदरणीय कहा, जबकि नरेंद्र मोदी ने दो बार नीतीश कुमार को परम मित्र कहा.
मुज़फ़्फ़रपुर के मोतीपुर में नरेंद्र मोदी-नीतीश कुमार के काफ़िले के तीनों हेलिकॉप्टर समय से पहुँचे. दोपहर की सभा में हज़ारों की भीड़ थी, लेकिन बड़ा होने की वजह से मैदान आधा से ज़्यादा खाली दिख रहा था.
हालाँकि कोरोना काल में भी प्रधानमंत्री मोदी को देखने के लिए लोगों की भीड़ सोशल डिस्टेंसिंग की कोई परवाह नहीं कर रही थी.
एक युवा से जब हमने ये जानने की कोशिश की कि महागठबंधन की रैलियों में कहीं ज़्यादा भीड़ नज़र आती है, तो उस युवा का जवाब था कि 'तेजस्वी यादव की सभाएँ कहीं छोटे मैदानों में आयोजित हो रही है, तो ग्राउंड पूरा भर जाता है.'
वहीं खड़े एक दूसरे युवा ने दावा किया कि दो दिन पहले इलाक़े में तेजस्वी यादव की सभा हुई थी, जिसमें ज़्यादा लोग आए थे, हालांकि उन्होंने ये माना कि तेजस्वी ने जिस मैदान में सभा की थी, वह छोटा था.
बार-बार जंगलराज का ज़िक्र
मोतीपुर में हर शख़्स पीएम नरेंद्र मोदी की बात करता नज़र आया. नीतीश कुमार की बात पूछने पर सभा में मौजूद एक शख़्स ने कहा, "बताइए बीजेपी ने 15 साल तक नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया. अब उनको ख़ुद से ये पद छोड़कर अगले 15 साल तक बीजेपी का मुख्यमंत्री बनाना चाहिए. बीजेपी को गिरिराज सिंह को बिहार का मुख्यमंत्री बनाना चाहिए."
इस इलाक़े में सवर्ण मतदाताओं की संख्या ज़्यादा होने के चलते आम लोगों से चर्चा में बार-बार जंगलराज का ज़िक्र आता रहा. इस पहलू की ख़बर मोदी जी को भी थी, लिहाज़ा 24 मिनट के भाषण में क़रीब 13 मिनट वे बिहार में अपराध पर बोलते रहे.
हालाँकि एनसीआरबी के आँकड़ों की बात करें, तो नीतीश कुमार के समय में अपराध कम होने की कोई पुष्टि नहीं होती है.
मोतीपुर में नरेंद्र मोदी ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि जंगलराज के युवराज आए, तो बिहार में अपराध का उद्योग शुरू हो जाएगा.
सभा को छोड़कर जाती भीड़
अपने भाषण की शुरुआत में दरभंगा और मुज़फ़्फ़रपुर में नरेंद्र मोदी ने स्थानीय भाषा में 'गोर लगई छी', कहकर लोगों को लुभाने की कोशिश भी की.
लेकिन तेज़ धूप और मैदान में लगे लाउड स्पीकरों से स्पष्ट आवाज़ न आने के चलते मैदान से भीड़ तभी वापस होने लगी थी, जब मोदी ये बता रहे थे कि कैसे एनडीए के राज में बिहार का विकास हुआ है.
लौट रहे एक शख़्स ने कहा कि वो सोशल मीडिया पर मोदी जी को सुन लेगा, यहाँ रुकने का कोई फ़ायदा नहीं. हालाँकि उन्होंने बीजेपी के समर्थन की बात कही.
भीड़ को संभालने में लगे बिहार पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि आप देख ही रहे हैं कि जब मोदी जी बोल रहे हैं, तब भी जनता रुक नहीं रही है, क्योंकि वे बार-बार एक जैसी बातें ही कर रहे हैं.
नीतीश कुमार उम्मीद के मुताबिक़ ज़्यादा नहीं बोले और बिहार के विकास में मोदी जी के योगदान की प्रशंसा की.
बिहार में नीतीश कुमार जिस विकास की चर्चा करते नहीं अघाते, उनमें ज़्यादातर सड़कें केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत बनाई गई हैं, लेकिन उससे हक़ीक़त बहुत बदली हो, इसकी झलक नहीं दिखती है.
मुज़फ़्फ़रपुर के मोतीपुर से दरभंगा के कुशेश्वरस्थान के रास्ते से गुज़रने पर सड़क को लेकर विकास के नैरेटिव का सच समझ में आता है.
क़रीब 120 किलोमीटर की दूरी में चार घंटे का समय लग चुका था, लेकिन राहुल गांधी की रैली में शामिल एक एनडीए समर्थक युवा ने कहा कि बीते 15 साल में नीतीश कुमार ने बिहार का काफ़ी विकास किया है और दरभंगा से मुज़फ़्फ़रपुर पहुँचने में महज़ डेढ़ घंटे का वक़्त लगता है.
राहुल गांधी की सभा
राहुल गांधी की रैली जिस कुशेश्वरस्थान पर हो रही थी, वह बिहार के सबसे पिछड़े इलाक़े में शामिल है.
इलाक़े में पिछड़ा समुदाय और महादलितों की काफ़ी आबादी है और इसकी झलक राहुल गांधी की रैली में भी नज़र आई. लोगों में महागठबंधन की तरफ़ रुझान दिखा.
इस रुझान की सबसे बड़ी वजह बताते हुए कभी बीजेपी के सांसद रहे और मौजूदा कांग्रेसी नेता कीर्ति आज़ाद बताते हैं कि प्रवासी मज़दूरों के साथ जिस तरह का बर्ताव मोदी और नीतीश कुमार की सरकार ने किया, उससे लोगों में भारी नाराज़गी है. कीर्ति आज़ाद के मुताबिक़, ग़रीब गुरबे लोग इस बार मोदी जी के जुमलों में नहीं फँसेंगे.
राहुल गांधी की सभा में जुटी भीड़ तेजस्वी यादव के नारे लगा रही थी और उनकी नौकरी देने की घोषणा की चर्चा सबसे ज़्यादा हो रही थी.
राहुल गांधी ने भी अपनी सभा में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब अपनी सभाओं में दो करोड़ रोज़गार की बात नहीं करते हैं. राहुल गांधी ने कहा कि तेजस्वी यादव रोज़गार की बात कर रहे हैं और कांग्रेस उनके साथ खड़ी है.
रैली में आए एक बुज़ुर्ग ने कहा कि नीतीश कुमार के शासन के दौरान पूरे राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर पहुँच गया है और ग़रीब आदमी की कहीं कोई सुनवाई नहीं है.
यह वह इलाक़ा है, जहाँ जनता दल यूनाइटेड का दबदबा रहा है और रामविलास पासवान के समर्थकों की बड़ी संख्या है.
चिराग पासवान का नाम लेने पर भीड़ में शामिल एक शख़्स ने कहा कि चिराग़ युवा नेता हैं और उम्मीदों से भरे हैं, लेकिन इस बार पूँजीपतियों की राजनीति करने वालों का साथ दे रहे हैं, उन्हें ग़रीब गुरबों के साथ आ जाना चाहिए.
'लालू का राज होता तो ग़रीब ऐसे नहीं मरता'
तेजस्वी यादव की आलोचना करते हुए बीजेपी लगातार लोगों को लालू-राबड़ी शासन के 15 सालों की याद दिलाती है, इस बारे में कीर्ति आज़ाद कहते हैं कि दरअसल इन 15 सालों में इन लोगों के पास अपना कोई काम बताने को है नहीं, तो क्या करेंगे.
वहीं भीड़ में शामिल एक बुज़ुर्ग ने कहा कि लालू का राज होता तो ग़रीब ऐसे नहीं मरता, जैसे कोरोना के समय में नीतीश कुमार ने मरने के लिए छोड़ दिया है.
लेकिन मोदी की रैली की तुलना में राहुल की रैली में आने वाले लोगों की संख्या कम थी. लेकिन नीतीश कुमार की सभाओं की तुलना में ज़्यादा भीड़ है, ऐसा दावा करने वाले ढेरों लोग मिले.
बिहार का चुनाव मुख्य तौर पर एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की लड़ाई में तब्दील होता दिख रहा है. (bbc)
श्रीनगर, 29 अक्टूबर| विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने गुरुवार को समुदाय के जम्मू एवं कश्मीर में पुनर्वास की व्यवस्था होने तक बाहरी लोगों के लिए जमीन की ब्रिकी प्रतिबंधित करने की मांग की। विस्थापित कश्मीरी पंडितों के संगठन 'सुलह, वापसी और पुनर्वास' के अध्यक्ष सतीश अंबरदार ने एक बयान में कहा, "भारत सरकार ने मंगलवार, 27 अक्टूबर को जम्मू एवं कश्मीर के लिए भूमि कानून के संबंध में अधिसूचना जारी की। यह कानून जम्मू एवं कश्मीर में भारत के नागरिकों के लिए जमीन खरीदने का मार्ग प्रशस्त करेगा।"
उन्होंने कहा, "कश्मीरी पंडित ठगा महसूस कर रहे हैं। गत 31 वर्षो से हम अपनी मातृभूमि में वापसी और पुनर्वास की राह देख रहे हैं। हमें बिना फिर से बसाए, भारत सरकार ने कश्मीर की जमीन को बिक्री के लिए उपलब्ध करा दिया। क्या यह अन्याय नहीं है? 1989 से, समुदाय घाटी में जातीय नरसंहार का सामना कर रहा है।"
उन्होंने कहा, "राज्य और केंद्र में पूर्ववर्ती सरकारें घाटी में हमारे लोगों की सुरक्षा करने में विफल रही। हमारे समुदाय के साथ जो भी हुआ, सरकार मूकदर्शक बनकर देखती रही। कश्मीरी पंडितों को मारा गया, उनकी संपत्ति लूटी और जलाई गई, मंदिरों को नष्ट किया गया। कई महिलाओं का अपहरण किया गया, उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और हत्या की गई।"
उन्होंने कहा, "मजबूरी में किए गए पलायन ने हमें हमारी जड़ों से काट दिया। इससे हमारी अनूठी धार्मिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचना प्रभावित हुई। हमें महसूस होता है कि सरकार ने हमें पूरी तरह से धोखा दिया है। अगर पिछली सरकारों ने हमें कश्मीर में हमारी जमीन पाने में मदद नहीं की तो इस सरकार ने यह सुनिश्चित कर दिया कि हम हमेशा निर्वासन में ही रहें।"
उन्होंने कहा, "हम मांग करते हैं कि कश्मीर पंडितों के पुनर्वास तक किसी भी प्रकार की जमीन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाए। हम मांग करते हैं कि जिन 419 परिवारों को घाटी में बसाने का गृह मंत्रालय ने वादा किया था, उन्हें बसाया जाए। हम सभी सांसदों से अपील करते हैं कि कृपया कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास में मदद करें।"
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 'एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट कुरिकुलम' के तहत गुरुवार को एनजीओ गूंज के संस्थापक अंशु गुप्ता ने बच्चों से संवाद किया। मैग्सेसे पुरस्कार विजेता अंशु गुप्ता ने बच्चों को अपने सपने पूरा करने के लिए लगातार काम करते रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "नींद वाले सपने अलग होते हैं, लेकिन आपको सफल होना है तो जागते हुए सपने देखने होंगे, क्योंकि उस पर आपको काम करना है। आपको कहीं कचरा गिरा हुआ दिखे या पुराने कपड़ों का ढेर हो, तो उसे समस्या नहीं बल्कि अवसर समझें और समाधान ढूंढें। आज हमलोग हर साल 6000 टन पुराना मैटेरियल हैंडिल कर रहे हैं। इनमें पुराने कपड़े, चादरें, फर्नीचर जैसी चीजें होती हैं, जिन्हें हमने नई मुद्रा में बदल दिया है।"
अंशु ने कहा, "सेकेंड हैंड मैटेरियल को इतनी बड़ी करेंसी में कन्वर्ट करने में मुझे गांवों से मिली शिक्षा काफी काम आई। हमें सिर्फ किताबों तक सीमित रहने के बजाय समाज से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि वह 1990 में जनसंचार की पढ़ाई के लिए दिल्ली आए। उस दौरान उत्तरकाशी में भूकंप आने पर वहां जाकर पीड़ितों की मदद की। उन्होंने कहा, "उस दौरान मेरी गांव वालों को लेकर धारणा बदली। इसके बाद मैंने समाज में लोगों की मदद का बीड़ा उठा लिया। गूंज जैसी संस्था बनने में इसकी बड़ी भूमिका रही।"
गुप्ता ने बच्चों से संवाद करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की इस बात पर सहमति जताई कि अपने काम में आनंद आना सबसे जरूरी है। उन्होंने कहा, "हम काफी दुखी लोगों की पीड़ा से जुड़ते हैं और लोगों के दुख से हम काफी विचलित भी होते हैं। इसके बावजूद यह सोचकर चैन की नींद सोते हैं कि आज कुछ अच्छा किया।"
उन्होंने कहा, "हमें दूसरों की पीड़ा से जुड़ने का कीड़ा लग गया है और सबकी मदद करने में ही हमें आनंद आता है।" इस संदर्भ में गुप्ता ने अपनी एक कविता भी सुनाई- "बस चढ़ा ही रहा था एक और चादर मजार पर, कि नजर बाहर कांपते फकीर पर पड़ गई।"
गुप्ता ने दिल्ली की शिक्षा क्रांति की सराहना करते हुए सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा को जरूरी बताया। उन्होंने कहा, "दिल्ली में हुए काम के कारण ही जब मुझे बच्चों से इस बातचीत का आमंत्रण मिला तो काफी अच्छा लगा। दिल्ली के सरकारी स्कूलों का रिजल्ट देखकर काफी गर्व होता है।"
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, "अब तक हमने बड़े उद्यमियों से संवाद किया है। लेकिन आज हमारे बच्चे उस व्यक्ति से संवाद कर रहे हैं जो लाखों लोगों की जिंदगी में बदलाव ला रहे हैं। अपने लिए तो सभी लोग काम करते हैं, लेकिन अंशु गुप्ता ने दूसरों की पीड़ा समझकर उनके लिए अपना जीवन समर्पित किया है। इसीलिए उन्हें दुनिया का प्रतिष्ठित रेमन मैगसेसे सम्मान मिला, जिसे एशियाई देशों का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है।"
सिसोदिया ने इस संवाद को बच्चों के लिए काफी उपयोगी बताया। उन्होंने अंशु गुप्ता की तुलना फिल्म 'थ्री इडियट' के रैंचो (आमिर खान) से की। सिसोदिया ने कहा कि आमिर खान ने रैंचो के रूप में शिक्षा के उपयोग का एक अलग रूप प्रस्तुत किया है।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गुरुवार को दिल्ली में सोना तस्करी मामले में असम के गुवाहाटी और महाराष्ट्र के सांगली में चार स्थानों पर तलाशी ली। एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा कि एजेंसी ने आरोपियों और उनके संचालकों से संबंधित उन परिसरों की तलाशी ली, जहां से उनके द्वारा अपराध के संबंध में षड्यंत्र रचा जाता था।
अधिकारी ने कहा, "तलाशी के दौरान संदिग्ध दस्तावेजों के साथ-साथ तात्कालिक अपराध में संलिप्त व्यक्तियों, जिनके म्यांमार और नेपाल सहित विदेशों में भी संबंध थे, उनके दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी जब्त किया गया।"
एनआईए ने इस साल 29 सितंबर को इस सोना तस्करी मामले की जांच का जिम्मा संभाला था। एजेंसी को इसकी जांच की जिम्मेदारी 28 अगस्त को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 42.89 करोड़ रुपये के बाजार मूल्य वाले 83.621 किलोग्राम की तस्करी का सोना जब्त किया गया था। गोल्ड बार के रूप में आठ लोगों के पास से यह सोना पकड़ा गया था।
अधिकारी ने कहा, "अब तक इन आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि उन्होंने गुवाहाटी से उक्त खेप को अपने हैंडलर के निर्देश पर नई दिल्ली में इसकी अगली डिलीवरी के लिए एकत्र किया था। हैंडलर के संबंध में यह आशंका है कि उसने सोना की तस्करी म्यांमार, नेपाल और भूटान से कराई थी।"
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | आतंकी फंडिंग केस में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने अपना दायरा बढ़ाते हुए कश्मीर के बाद दिल्ली में भी छापेमारी की है. इस केस में जांच एजेंसी ने बुधवार को श्रीनगर के 10 ठिकानों और बेंगलुरू के एक ठिकाने पर छापेमारी की थी.
गुरुवार को एनआईए ने छह गैर लाभकारी संगठन, ट्रस्ट और नौ दूसरे स्थानों पर छापेमारी की जिसमें दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन जफरुल इस्लाम खान की संपत्ति भी शामिल है. जिन छह एनजीओ पर एनआईए ने छापे मारे हैं वे हैं-फलाह-ए-आम ट्रस्ट, चैरिटी एलायंस, ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन, जेके यतीम फाउंडेशन, साल्वेशन मूवमेंट और जेएंडके वॉयस फॉर विक्टिम्स. श्रीनगर के साथ-साथ जांच एजेंसी ने दिल्ली में भी छापे मारे. यह छापेमारी एक साथ की गई और बताया जा रहा है कि यह सीमा पार से होने वाली आतंकी फंडिंग की जांच के सिलसिले में की जा रही है.
एनआईए की टीम ने गुरुवार सुबह कश्मीर में अलग-अलग स्थानों पर एक साथ छापे मारे. चैरिटी एलायंस और ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन दिल्ली स्थित एनजीओ है और बाकी श्रीनगर में है. जफरुल इस्लाम खान मिल्ली गजट अखबार के संस्थापक संपादक हैं और चैरिटी एलांसय के चेयरमैन हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली के जामिया नगर में चैरिटी एलायंस के कार्यालय की तलाशी एनआईए ने ली है. जफरुल इस्लाम खान उस समय चर्चा में रहे जब सोशल मीडिया पर एक बयान को लेकर उनके ऊपर देशद्रोह का आरोप लगाया गया जिसके बाद 2 मई को दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.
गैर सरकारी संगठनों और ट्रस्टों पर धर्मार्थ गतिविधियों के नाम पर भारत और विदेशों से धन जुटाकर और फिर कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करने का आरोप है. हालांकि इस छापेमारी से घाटी के राजनीतिक दल नाराज हैं और इसकी आलोचना भी कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा कि एनआईए केंद्र की पालतू एजेंसी बन गई और असहमति जताने वाले पर कार्रवाई करती है.
बुधवार को ग्रेटर कश्मीर अखबार के दफ्तर और एक पत्रकार के घर पर भी छापे मारे गए थे. कश्मीर एडिटर्स गिल्ड ने ग्रेटर कश्मीर अखबार के दफ्तर पर छापेमारी पर चिंता जताते हुए एक बयान भी जारी किया है. कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन का कहना है कि अखबार के दफ्तर पर छापे मारकर सरकार "हमारी फुसफुसाहट को भी बंद करने की कोशिश कर रही है."
एनआईए ने बुधवार को श्रीनगर और बांदीपुर में 10 स्थानों और बेंगलुरु में एक स्थान पर छापेमारी की थी. एनआईए ने जम्मू और कश्मीर सिविल सोसाइटी के कोर्डिनेटर खुर्रम परवेज के निवास और दफ्तर में तलाशी ली थी. इसके अलावा खुर्रम परवेज के साथी परवेज अहमद बुखारी (पत्रकार), एक्टिविस्ट परवेज अहमद मटका और बेंगलुरु स्थित सहयोगी स्वाति शेषाद्री, परवीना अहंगर के ठिकानों की भी तलाशी ली थी.
एनआईए ने 8 अक्टूबर को आईपीसी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया था. उसी के तहत ये कार्रवाई की जा रही है. एजेंसी का दावा है कि छापों में कई अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं.
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा में मील का पत्थर बन सकता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला. लेकिन क्या अदालत की टिप्पणी से सरकारों की मनमानी आखिरकार थमेगी?
हाल के वर्षों में सोशल मीडिया की स्वीकार्यता और पहुंच बढ़ी है. लेकिन सरकारों और राजनीतिक दलों को इन पर होने वाली खरी टिप्पणियां बर्दाश्त नहीं होतीं. इसलिए सरकार के फैसलों की आलोचना करने वालों के खिलाफ मनमाने तरीके से दूर-दराज के शहरों में केस दर्ज कर दिए जाते हैं. अब सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला इस मामले में मील का पत्थर साबित हो सकता है. अदालत ने पश्चिम बंगाल की सरकार और कोलकाता पुलिस को आईना दिखाते हुए उनको सीमा पार नहीं करने की चेतावनी दी है. उसने कहा है कि सोशल मीडिया पर आलोचना के लिए किसी नागरिक के खिलाफ देश के दूर-दराज के हिस्से में मामले दर्ज कर उनको परेशान नहीं किया जा सकता. इसे अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है.
बोलनेकीआजादीकीरक्षा
दरअसल, रोशनी बिश्वास नामक एक 29 वर्षीय महिला ने कोरोना की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान कोलकाता के मुस्लिमबहुल राजाबाजार इलाके में इसके उल्लंघन की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी. इसके बाद कोलकाता पुलिस ने उस महिला पर अपनी पोस्ट के जरिए एक खास समुदाय के प्रति नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था. उसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने उस महिला को पूछताछ के लिए कोलकाता पुलिस के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था. इसके खिलाफ महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. उसकी अपील पर सुनवाई के बाद ही न्यायमूर्ति वाईबी चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की खंडपीठ ने सरकार और पुलिस को लताड़ते हुए उनको सीमा में रहने की नसीहत दी है. अदालत का कहना था कि सरकार की आलोचना करने वाले सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर देश के किसी दूसरे हिस्से में रहने वाले नागरिकों को परेशान नहीं किया जा सकता.
खंडपीठ ने संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत नागरिकों को दी जाने वाली बोलने की आजादी की वकालत करते हुए कहा कि अगर तमाम राज्यों की पुलिस इस तरह आम लोगों को समन जारी करने लगेगी तो यह एक खतरनाक ट्रेंड बन जाएगा, "आपको सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए. भारत को एक आजाद देश की तरह बर्ताव करना चाहिए. हम बतौर सुप्रीम कोर्ट बोलने की आजादी की रक्षा के लिए यहां हैं."
सरकारकेखिलाफलिखनेकीहिम्मतकैसे
पश्चिम बंगाल सरकार के वकील आर बसंत ने अदालत से कहा कि महिला से सिर्फ पूछताछ की जाएगी, उनको गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. लेकिन खंडपीठ ने कहा कि पुलिस उसे मेल से सवाल भेज कर या फिर वीडियो कॉनेफ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ कर सकती थी, "दिल्ली में रह रहे व्यक्ति को पूछताछ के लिए कोलकाता बुलाने का मकसद ही उसे परेशान करना है. कल को मुंबई, मणिपुर या फिर चेन्नई की पुलिस ऐसा ही करेगी. आप बोलने की आजादी चाहते हैं या नहीं." सुप्रीम कोर्ट ने बीच का रास्ता निकालते हुए कहा कि कोलकाता से जांच अधिकारी को दिल्ली आकर पूछताछ करनी चाहिए. महिला से पूछताछ में सहयोग करने को कहा गया है.
सुनवाई के दौरान महिला के वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि कोलकाता पुलिस का इरादा महिला को सामने बुलाने और उसे डराने-धमकाने का था. राज्य सरकार के वकील की दलील थी कि महिला को पुलिस के समक्ष पेश होना पड़ेगा. पूछताछ के लिए पेशी से छूट के नतीजे खतरनाक होंगे. इस आधार पर हर अभियुक्त खुद के बेकसूर होने का दावा करते हुए फायदा उठाने का प्रयास करेगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील की खिंचाई करते हुए कहा, "ऐसा लग रहा है जैसे आप उस महिला से कहना चाहते हैं कि सरकार के खिलाफ लिखने की हिम्मत कैसे हुई. हम उसे समन के नाम पर देश के किसी भी कोने से घसीट सकते हैं.”
सरकारोंकोलेना होगा सबक
सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना करने वालों के खिलाफ राज्य सरकार की सक्रियता का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले एक कार्टून फॉरवर्ड करने के मामले में जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्र को भी गिरफ्तार किया गया था. बीते साल मई में बीजेपी की युवा मोर्चा नेता प्रियंका शर्मा को भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कार्टून पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उसे 14 दिन पुलिस हिरासत में रहना पड़ा था. उस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने प्रियंका को जमानत पर रिहा करते हुए सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी. इन दोनों के अलावा भी सोशल मीडिया पोस्ट पर सरकार की आलोचना करने वाले लोगों के खिलाफ मामले दर्ज कर उनको गिरफ्तार किया जाता रहा है.
कानूनविदों का कहना है कि शीर्ष अदालत का यह फैसला और उसकी कटु टिप्पणियां अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती हैं. लेकिन इसके लिए सरकारों को इस फैसले से सबक लेना होगा. साथ ही इस प्रवृत्ति पर अंकुश के लिए मौजूदा कानून में कुछ संशोधन भी जरूरी है ताकि किसी भी नागरिक के खिलाफ मनमाने तरीके से देश में कहीं भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सके.
हथियारकेतौरपरइस्तेमाल
कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील संजीत सेनगुप्ता कहते हैं, "सरकारें अपनी आलोचना सह नहीं पा रही हैं. इसलिए किसी पोस्ट के नागवार गुजरते ही सरकार के संकेत पर पुलिस सक्रिय हो जाती है. ऐसे मामलों का अकेला मकसद संबंधित व्यक्ति को सबक सिखाना होता है. बाद में ऐसे मामले या तो खारिज हो जाते हैं या फिर पुलिस व सरकार उनको वापस ले लेती हैं. ज्यादातर मामलों में अपराध साबित नहीं होता. लेकिन सोशल मीडिया पर खुद को अभिव्यक्त करने वाले को सजा देने की पुलिस और सरकार की मंशा तो पूरी हो जाती है.”
कानून के प्रोफेसर कुशल कुमार गांगुली कहते हैं, "सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी अहम तो है. लेकिन कुछ दिनों में पुलिस और सरकारें इसको भुला देंगी. अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा के प्रति सरकारों की जवाबदेही तय करने के लिए मौजूदा कानूनों में संशोधन भी जरूरी है. इसके तहत यह अनिवार्य किया जा सकता है कि प्राथमिकी वहीं दर्ज की जा सकेगी जहां कथित अपराध हुआ है. इसके साथ ही ऐसी गलती पर सरकार या पुलिस के खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि पुलिस ऐसा करने से पहले दो बार सोचे." वह कहते हैं कि फिलहाल तो राज्य की सरकारें और पुलिस इसे एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं. इस खतरनाक प्रवृत्ति पर नकेल कसना जरूरी है. ऐसा नहीं हुआ तो केरल के व्यक्ति की किसी पोस्ट पर पूर्वोत्तर या कश्मीर में मामला दर्ज कर उसे पूछताछ का समन भेजने जैसे मामले सामने आते रहेंगे.
श्रीनगर, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को एक जेल में बदल दिया गया है, और यहां राजनेताओं, पत्रकारों और नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) के सदस्यों की आवाज दबाई जा रही है। गुरुवार को श्रीनगर में गुपकर रोड स्थित अपने निवास पर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए नए भूमि कानूनों के खिलाफ पीडीपी समर्थकों ने बुधवार को जम्मू में विरोध प्रदर्शन किया। महबूबा ने कहा कि इसके बाद गुरुवार को पीडीपी सदस्य कश्मीर में एक मार्च निकालना चाहते थे, मगर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और पीडीपी कार्यालय को सील कर दिया गया।
उन्होंने कहा, "मैंने उनसे पुलिस स्टेशन में मिलने की कोशिश की, लेकिन मुझे उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी गई।"
उन्होंने कहा कि किसी को भी कश्मीर में बोलने की अनुमति नहीं है, चाहे वह पत्रकार हो, सिविल सोसायटी या राजनेता।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "पूरी तरह से अराजकता है। जम्मू-कश्मीर को जेल में बदल दिया गया है। वे हमारे संसाधनों को लूटना चाहते हैं।"
उन्होंने कहा कि जब लद्दाख के लोगों ने विरोध किया, तो उन्हें एक विमान से दिल्ली ले जाया गया और पूछा कि उनकी क्या समस्याएं हैं, लेकिन आज लद्दाख के लोग भी पछता रहे हैं।
उन्होंने कहा, "गरीब लोगों को रोटी नहीं दी जाती है, बल्कि उन्हें जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने के लिए कहा जाता है।" उसने कहा।
महबूबा ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के लिए लाए गए नए कानूनों के खिलाफ अपनी आवाज उठाती रहेंगी।
"हम ट्विटर के राजनेता नहीं हैं, हम अंदर नहीं रहेंगे, हम बाहर आएंगे। हर दिन दिल्ली द्वारा एक नया डिक्टेट (अलोकप्रिय आदेश) जारी किया जा रहा है। अगर वे इतने मजबूत हैं तो चीन का मुकाबला क्यों नहीं कर रहे हैं, जिसने हमारे 20 जवानों को शहीद कर दिया। क्या सारा सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए ही है?"
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| गुर्जर समुदाय के सैकड़ों लोगों ने गुरुवार को अमन बैसला के लिए न्याय की मांग को लेकर दिल्ली-नोएडा-डाइरेक्टवे (डीएनडी) फ्लाइवे पर प्रदर्शन किया, जिससे लगभग 2 किलोमीटर तक जाम की स्थिति पैदा हो गई। अमन बीते माह अपने घर में मृत पाया गया था। प्रदर्शनकारी दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाले डीएनडी फ्लाईवे के पास पहुंच गए और अमन बैसला की मौत के पीछे जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी के लिए प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन को देखते हुए, दिल्ली पुलिस ने यमुना रिवर ब्रिज पर बैरिकेड्स लगा दिया, जिससे डीएनडी पर यातायात थम गया।
डीएनडी पर ट्रैफिक रुकने से नोएडा की ओर आने वाली महारानी बाग स्ट्रेच के पास भारी जाम लग गया।
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| ट्विटर ने आज (गुरुवार) देश भर में टॉपिक्स फीचर को लॉन्च कर दिया है, इसे हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में लॉन्च किया गया है। इसकी मदद से लोग अपनी रूची और अपनी पसंद के हिसाब से विषयों के बारे में आसानी से जान पाएंगे। टॉपिक्स फीचर में यूजर्स को अपने हिसाब से विषयों को चुनने में आसानी होगी। इससे उन्हें अपने टाइम लाइन पर इन्हीं विषयों से संबंधित अधिक चीजें देखने को मिलेंगी। यानि कि टॉपिक में लोगों को अपनी रूचि के विशिष्ट विषयों को न केवल चुनने की अनुमति मिलेगी बल्कि इसमें समान विचारधारा वाले व्यक्तियों से जुड़ने का भी अवसर मिलेगा।
जब कोई व्यक्ति किसी एक टॉपिक को फॉलो करने का सोचता है, तो चाहें वह उसका पसंदीदा बैंड हो या स्पोर्ट्स टीम हो या कोई शहर हो, वे अपनी टाइमलाइन पर उन अकाउंटस से किए गए सभी ट्वीट्स देख पाएंगे।
ट्विटर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष माहेश्वरी ने कहा, "फीचर में हिंदी टॉपिक्स का शामिल होना भाषाओं में संवाद की विविधताओं के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। हम भारत में ट्विटर पर लोगों के इन जीवंत वातार्लापों को देखकर बेहद रोमांचित हैं।"
हिंदी टॉपिक के तहत यूजर्स देवनागरी लिपि में ट्वीटस को देख पाएंगे और साथ ही रोमन वर्णमाला में हिंदी टाइप भी कर सकेंगे।
कोच्चि, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| केरल में मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन के पूर्व सचिव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एम. शिवशंकर की गिरफ्तारी के बाद विपक्ष ने विजयन से इस्तीफे की मांग की है। अदालत में पेश हुए शिवशंकर को सोने की तस्करी मामले में एक सप्ताह के लिए प्र्वतन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया गया है। ईडी ने धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत मामले में शिवशंकर को पांचवां आरोपी बनाया है। जबकि सोना तस्करी के मामले में मुख्य आरोपी स्वप्ना सुरेश, पी.एस. सरिथ, संदीप नायर और फैजल फरीद हैं।
शिवशंकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद ईडी ने बुधवार को उन्हें राज्य की राजधानी के एक आयुर्वेद संस्थान से हिरासत में लिया था। गुरुवार सुबह ईडी ने उन्हें एर्नाकुलम के प्रिंसिपल सेशन कोर्ट में पेश किया। अदालत में शिवशंकर ने कहा कि उन्हें ईडी परेशान कर रही है। उनसे रात 1 बजे तक पूछताछ करने के बाद सुबह साढ़े 5 बजे से फिर से पूछताछ की गई। जबकि वह दो सप्ताह से आयुर्वेदिक उपचार पर हैं।
वहीं ईडी ने कहा कि शिवशंकर जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद एक सप्ताह की पूछताछ के लिए शीर्ष आईएएस अधिकारी को ईडी को सौंप दिया। अदालत ने ईडी से कहा है कि वे तीन घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें एक घंटे का आराम दें और वकील-डॉक्टर से मिलने की अनुमति भी दी।
गुरुवार को पूरे राज्य में कांग्रेस और भाजपा दोनों के विभिन्न संगठनों ने विजयन के इस्तीफे की मांग को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन किया।
विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने कहा, "विजयन कहां हैं, वह कुछ दिनों से दिखाई नहीं दिए। वह मामलों से इस तरह से दूर नहीं जा सकते। पहले उन्होंने स्वप्ना के साथ मीटिंग को लेकर एक शब्द भी नहीं कहा। फिर बार-बार बयान बदले। विजयन को सब कुछ पता है और वह इस तरह छिपकर नहीं बैठ सकते।"
राज्य के भाजपा अध्यक्ष के.सुरेंद्रन ने यह कहकर एक और धमाका कर दिया कि उनके पास ठोस जानकारी है कि इस मामले में शिवशंकर अकेले नहीं हैं।
सुरेंद्रन ने कहा कि जब विजयन यूएई में थे तब स्वप्ना भी वहां थी। उन्होंने आगे कहा, "शिवशंकर के अलावा विजयन के कार्यालय के दो और अधिकारियों की भी इसमें भूमिका है। तस्करी करने वाला गिरोह विजयन के ऑफिस भी गया था और उनके 2 राज्य मंत्रियों के साथ भी संबंध हैं। मैं इसे पूरी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं, यह केवल राजनीतिक आरोप नहीं है।"
वहीं विजयन के करीबी नेता एम.वी. गोविंदन ने कहा कि विजयन के इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता है। उन्होंने कहा, "अगर कोई व्यक्ति नैतिक जिम्मेदारी की बात करता है तो बाप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आनी चाहिए, क्योंकि शिवशंकर केंद्रीय सेवा के अधिकारी हैं। जांच को आगे बढ़ने दें, माकपा को डरने की जरूरत नहीं है।"
इस बीच सीमा शुल्क विभाग भी शिवशंकर की हिरासत चाहता। शिवशंकर की तरफ से कोर्ट में जमानत याचिका दायर किए जाने की संभावना है।
श्रीनगर, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| जम्मू एवं कश्मीर के लिए नए भूमि कानून के खिलाफ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) द्वारा यहां गुरुवार को निकाले जाने वाले विरोध मार्च को प्रशासन ने नाकाम कर दिया। पार्टी मुख्यालय से विरोध मार्च आयोजित होना था, मगर इसी दौरान पार्टी कार्यालय के पास कई पीडीपी नेताओं और समर्थकों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पुलिस बल को यहां एहतियात के तौर पर तैनात किया गया था।
पीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक ट्वीट में कहा कि श्रीनगर में पार्टी कार्यालय को प्रशासन ने सील कर दिया है और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है।
महबूबा ने ट्वीट किया, "जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा श्रीनगर में पीडीपी के ऑफिस को जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा सील कर दिया गया है। कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है। जबकि वह शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। जम्मू में भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी गई, फिर यहां इसे क्यों विफल कर दिया गया? क्या यह 'सामान्यता' की आपकी परिभाषा है जिसे दुनिया में दिखाया जा रहा है?"
एक अन्य ट्वीट में, उन्होंने कहा कि पीडीपी जम्मू एवं कश्मीर में किसी भी जनसांख्यिकीय परिवर्तन को बर्दाश्त नहीं करेगी।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, "पीडीपी नेताओं को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने प्रदेश के लोगों पर थोपे गए उपनिवेशवादी भूमि कानूनों का विरोध करने के लिए गिरफ्तार किया है। हम अपनी आवाज को सामूहिक रूप से उठाते रहेंगे और जनसांख्यिकी को बदलने के प्रयासों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश देने संबंधी हाईकोर्ट के आदेश पर आज रोक लगा दी। दो पत्रकारों ने आरोप लगाया था कि 2016 में झारखंड के ‘गौ सेवा आयोग’ के अध्यक्ष पद पर एक व्यक्ति की नियुक्ति का समर्थन करने के लिये राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के रिश्तेदारों के खातों में धन अंतरित किया गया था।
जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री को सुने बगैर ही हाईकोर्ट द्वारा इस तरह का ‘सख्त आदेश’ देने से ‘सब भौंचक्के’ रह गये क्योंकि पत्रकारों की याचिका में रावत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध भी नहीं किया गया था।
रावत की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा की मुख्यमंत्री को सुने बगैर प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती और इस तरह का आदेश ‘निर्वाचित सरकार को अस्थिर करेगा।’
वेणुगोपाल ने पीठ से कहा, ‘एक निर्वाचित सरकार को इस तरह से अस्थिर नहीं जा सकता। सवाल यह है कि पक्षकार को सुने बगैर ही क्या स्वत: ही इस तरह का आदेश दिया जा सकता है।
नैनीताल उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ आरोपों की प्रकृति पर विचार करते हुए सच को सामने लाना उचित होगा। यह राज्य के हित में होगा कि संदेह दूर हो. इसलिए मामले की जांच सीबीआई करे।
उच्च न्यायालय ने यह फैसला दो पत्रकारों- उमेश शर्मा और शिव प्रसाद सेमवाल- की दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनाया था। इन याचिकाओं में पत्रकारों ने इस साल जुलाई में अपने खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करने का आग्रह किया था।
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर| दिल्ली में एक और दलित युवक सुशील की चाकुओं से गोदकर हुई हत्या के मामले को भारतीय जनता पार्टी ने मुद्दा बनाया है। बीजेपी ने आदर्श नगर के युवक सुशील के परिवार को किसी तरह की आर्थिक सहायता ना मिलने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। कहा है कि केजरीवाल सरकार के पास तबरेज अंसारी और अखलाक के परिवार को देने के लिए पैसा है लेकिन राजधानी में मारे गए दलित राहुल राजपूत और सुशील के परिवार के घर जाने तक का वक्त नहीं है। भाजपा ने पीड़ित परिवार को पांच लाख की आर्थिक मदद और कानूनी सहायता देने का आश्वासन दिया है। प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने आदर्श नगर में दलित युवक सुशील के घर जा कर उनके परिजनों से मुलाकात की। सुशील की भजन चलाने पर हत्या कर दी गई और उनके भाई सुनील और अनिल को घायल कर दिया गया।
आदेश गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हमेशा की तरह यहां नहीं जायेंगे, क्योंकि आरोपी उनके लिए वोट बैंक हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने केजरीवाल से पूछा, क्या आप सिर्फ एक वर्ग के मुख्यमंत्री हैं? दिल्ली के एक दलित बच्चे की हत्या हो गई और दिल्ली के मुख्यमंत्री अपना वोट बैंक बचाने में लगे हुए हैं।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली भाजपा सुशील के परिवार को तुरंत 5 लाख रुपय की आर्थिक सहायता दे रही है। इसके आलावा हर तरह की कानूनी सहायता देगी। आदेश गुप्ता ने सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास झारखंड के तबरेज और यूपी के अखलाख के परिवार को देने के लिए पैसे हैं, लेकिन दिल्ली के अंकित सक्सेना, शुभम, राहुल और सुशील के घर जाने का समय नहीं है। (आईएएनएस)
मुंगेर (बिहार), 29 अक्टूबर| बिहार के मुंगेर में दशहरे के अवसर पर मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच हुई हिंसक झड़प में एक युवक की मौत के बाद गुरुवार को लोगों का आक्रोश एक बार फिर फूट पड़ा और लोगों ने जमकर तोड़फोड़ की। मृतक के परिजनों का आरोप है कि पुलिस द्वारा चलाई गई गोली में युवक की जान गई। आक्रोशित लोग पुलिस पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आक्रोशित भीड़ गुरुवार को सड़कों पर उतर गई और वासुदेवपुर आउटपोस्ट (ओपी) तथा पूरबसराय ओपी पर पथराव किया और आग लगा दी। वासुदेवपुर ओपी में तैनात एक अधिकारी ने बताया कि 150 से 200 लोगों ने अचानक थाने पर पथराव कर हमला कर दिया और आग लगा दी। उन्होंने बताया किसी तरह हम लोगोें ने जान बचाई।
आक्रोशित लोगों ने थाने में लगे वाहनों को भी फूंक दिया। इसके अलावा, पुलिस अधीक्षक कार्यालय और अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) आवास में जमकर तोड़फोड़ की।
इसके बाद क्षेत्र का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। शहर में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि कोतवाली थाना क्षेत्र में दशहरा के मौके पर दुर्गा मूर्ति विसर्जन के दौरान लोगों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प में एक युवक अनुराग कुमार की मौत हो गई तथा कई लोग घायल हो गए। इसके बाद चुनाव के कारण कई राजनीतिक दलों ने इसे मुद्दा बनाकर सरकार पर निशाना साधा।
राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी इस मामले में कड़ी कार्रवाई के साथ ही उच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से पूरे घटना की जांच की मांग की थी। उन्होंने तो इस घटना की तुलना जालियांवाला बाग से कर दी। लोजपा के चिराग पासवान ने भी इस मामले को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर| दिल्ली-एनसीआर में कोविड-19 के मरीजों की संख्या में हाल के दिनों में उछाल देखी गई है, यहां प्रदूषण की समस्या भी देखने को मिल रही है, ऐसे में यहां के लगभग 79 फीसदी निवासी दीवाली के मौके पर पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाए जाने की चाह रखते हैं। गुरुवार को जारी एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
हर बार सर्दियों के मौसम में कोहरे के साथ यहां हवा के साथ धूल, मिट्टी और प्रदूषण के कण मिल जाते हैं, जिसे स्मॉग का नाम दिया गया है। इससे सेहत को काफी खतरा होता है। मेडिकल एक्सपर्ट्स इसे लेकर काफी चिंतित हैं क्योंकि प्रदूषण के चलते कोरोनावायरस के हवा में कुछ और देर बने रहने की संभावनाएं रह जाती हैं, ऐसे में शहर में संक्रमण के मामलों में प्रसार देखने को मिल सकता है।
'लोकलसर्कल्स' की तरफ से इस मुद्दे को समझने के लिए एक सर्वेक्षण किया गया। इसमें दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद के लोगों की एक सामान्य अवधारणा को समझने का प्रयास किया गया। उनसे यह जाना गया कि त्यौहारों के मौसम में क्या वे आतिशबाजियों के इच्छुक हैं या इनसे दूरी बरतने में ही अपनी भलाई समझते हैं।
नतीजा जो सामने आया, उसमें यह देखने को मिला कि दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले 79 फीसदी निवासी इस दिवाली नियमित पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाए जाने की चाहत रखते हैं, जबकि 32 फीसदियों ने छोटे-मोटे, आम पटाखों की बिक्री को अपना समर्थन दिया है।
47 फीसदी निवासी सभी तरह की आतिशबाजियों और पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध चाहते हैं, जबकि 20 फीसदी चाहते हैं कि सभी पटाखों की बिक्री की अनुमति दी जाए। इनमें से एक फीसदी ने मुद्दे पर अपनी कोई राय जाहिर नहीं की है। (आईएएनएस)
पटना, 29 अक्टूबर| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद मनोज तिवारी के चुनाव प्रचार के लिए जाने के क्रम में उनके हेलीकॉप्टर में गुरुवार को तकनीकी खराबी आ जाने के कारण पटना हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैडिंग करनी पड़ी। इस क्रम में 40 मिनट तक सांसद का हेलीकॉप्टर हवा में ही मंडरता रहा। सांसद मनोज तिवारी के साथ सफर करने वाले नील बख्शी ने आईएएनएस को बताया कि ''पटना एयरपोर्ट से सुबह 10.10 बजे हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी और उसके जाने के तुरंत बाद एयर ट्रैफिक कंट्रेाल (एटीसी) के साथ नियंत्रण समाप्त हो गया। इसके बाद हेलीकॉप्टर पटना हवाई अड्डे के ऊपर ही उड़ता रहा।''
उन्होंने बताया कि 40 मिनट के बाद किसी तरह एटीसी से संपर्क हो सका तब अन्य उड़ानों को रोककर हेलीकाप्टर को सुरक्षित पटना हवाई अड्डे पर उतारा गया। सांसद तिवारी पूरी तरह सुरक्षित हैं।
उन्होंने बताया कि बेतिया जाने के बाद सांसद को मोतिहारी के कल्याणपुर में एक चुनावी सभाा को संबोधित करना था। उन्होंने बताया कि अन्य एक हेलीकॉप्टर आ रहा है, सांसद उस हेलीकॉप्टर से चुनावी प्रचार के लिए रवाना होंगे।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का हेलीकॉप्टर भी हवाई अड्डे के तारों और दीवारों से टकरा गया था, जिससे हेलीकॉप्टर के पंखे क्षतिग्रस्त हो गए थे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर| राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गुरुवार को टेरर फंडिंग केस में जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर और दिल्ली में नौ स्थानों पर छापे मारे। जांच एजेंसी ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व प्रमुख जफरुल इस्लाम खान के ठिकानों पर भी छापेमार कार्रवाई कीे। कुछ गैर सरकारी संगठनों और ट्रस्टों द्वारा धर्मार्थ गतिविधियों के नाम पर भारत और विदेशों से धन जुटाने और फिर कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करने के मामले में ये छापेमार कार्रवाई की जा रही है।
जांच में शामिल एनआईए के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि एजेंसी श्रीनगर और दिल्ली में छह एनजीओ और ट्रस्टों के 9 ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
जिन ट्रस्टों और एनजीओ के ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई चल रही है उनमें फलाह-ए-आम ट्रस्ट, चैरिटी अलायंस, ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन, जेएंडके यतेम फाउंडेशन, साल्वेशन मूवमेंट और जेएंडके वॉयस ऑफ विक्टिम्स (जेकेवीवीवी) के दफ्तर शामिल हैं।
एनआईए सूत्रों के अनुसार, चैरिटी अलायंस और ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन दिल्ली में स्थित थे।
सूत्रों ने कहा कि दिल्ली के जामिया नगर में चैरिटी एलायंस के कार्यालय की तलाशी एनआईए द्वारा ली जा रही है।
चैरिटी एलायंस के प्रमुख जफरुल इस्लाम खान हैं, जो 'द मिल्ली गजट' के संपादक भी हैं।
जफरुल इस्लाम उस समय चर्चा में रहे जब सोशल मीडिया पर एक बयान को लेकर उनके ऊपर देशद्रोह का आरोप लगाया गया जिसके बाद 2 मई को दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
इससे पहले एनआईए ने बुधवार को श्रीनगर और बांदीपुर में 11 स्थानों पर और बेंगलुरु में एक स्थान पर छापा मारा था।
एनआईए ने जम्मू और कश्मीर सिविल सोसाइटी के कोर्डिनेटर खुर्रम परवेज के निवास और दफ्तर में तलाशी ली। इसके अलावा खुर्रम परवेज के साथी परवेज अहमद बुखारी, परवेज अहमद मटका और बेंगलुरु स्थित सहयोगी स्वाति शेषाद्रि, परवीना अहंगर के ठिकानों पर भी तलाश्ी ली गई।
एनआईए ने 8 अक्टूबर को आईपीसी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। उसी के तहत ये कार्रवाई की जा रही है। (आईएएनएस)
चेन्नई, 29 अक्टूबर| चेन्नई पुलिस की साइबर क्राइम विंग ने हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज सी.एस. कर्णन के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन उन्हें अभी तक एफआईआर की कॉपी नहीं दी गई है। कर्णन ने गुरुवार को आईएएनएस को बताया, "साइबर क्राइम पुलिस ने मंगलवार को मेरे खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह बात मुझे मीडिया रिपोटरें से पता चली लेकिन मुझे अभी तक एफआईआर की कॉपी नहीं दी गई है।"
उन्होंने कहा था कि वह जांच में पुलिस अधिकारियों को सहयोग करेंगे।
कर्णन के वकील पीटर रमेश कुमार ने आईएएनएस को बताया, "10 महिला वकीलों द्वारा उनके खिलाफ भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने के बाद साइबर क्राइम विंग ने रिटायर्ड जस्टिस कर्णन के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को उपयुक्त अधिकारियों से संपर्क करने के लिए कहा था।"
कर्णन ने कहा, मुझ पर आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
मद्रास हाई कोर्ट की एक अधिवक्ता एस. देविका ने कर्णन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। कर्णन ने कहा कि शिकायतकर्ता एक पीड़ित पार्टी नहीं है। सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट की जज आर. बनुमथी जो कि सीधे तौर पर पीड़ित हैं, वही शिकायत दर्ज करा सकती हैं।
कर्णन ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया था जिसमें उन्हें आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए और न्यायपालिका के अधिकारियों के खिलाफ यौन हिंसा की धमकी देते हुए सुना गया था।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों ने महिला कर्मचारियों के साथ यौन उत्पीड़न किया और उन्होंने कथित पीड़ितों के नाम भी लिए थे।
बता दें कि जब कर्णन कलकत्ता हाई कोर्ट में जज थे तब उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में अदालत की अवमानना करने के लिए 6 महीने की जेल की सजा सुनाई थी। उन्हें कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उन्होंने अपनी 6 महीने की सजा भी पूरी की थी। (आईएएनएस)
भोपाल, 29 अक्टूबर| मध्य प्रदेश में हो रहे विधानसभा के उप-चुनाव के दौरान साढ़े तीन करोड़ की नकद सहित लगभग साढ़े 19 करोड़ की सामग्री जब्त की गई है। संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मोहित बुंदस ने बताया कि विधानसभा के उप-चुनाव में प्रदेश के 19 जिलों के 28 विधानसभा क्षेत्रों में अभी तक शराब, वाहन, नकदी एवं अन्य सामग्री 19.45 करोड़ रुपए के मूल्य की जब्त की गई। आबकारी विभाग द्वारा चार करोड़ 81 लाख तथा पुलिस द्वारा तीन करोड़ 28 लाख रुपए की शराब जब्त की गई है।
इसके अलावा विभिन्न स्थानों से अब तक तीन करोड़ 66 लाख रुपए नकदी की जब्ती हुई है। शराब जब्ती के साथ वाहन, अन्य सामग्री की भी जब्ती हुई है, जिसका मूल्य छह करोड़ 33 लाख रुपए है। पुलिस एवं नारकोटिक्स विभाग द्वारा एक करोड़ 38 लाख रुपए के ड्रग्स जब्त किए गए हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर| करीब दो सप्ताह पहले फ्रांस में एक मुस्लिम अप्रवासी द्वारा एक शिक्षक का सिर कलम किए जाने की घटना के बाद कट्टरपंथी इस्लाम की निंदा कर रहे फ्रांस को भारत का समर्थन मिल गया है। सरकार ने बुधवार को एक आधिकारिक बयान में कहा कि वह "अंतर्राष्ट्रीय विमर्श के सबसे बुनियादी मानकों का उल्लंघन करते हुए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर अस्वीकार्य भाषा में व्यक्तिगत हमलों की ²ढ़ता से निंदा करते हैं।"
विदेश मंत्रालय ने भी दुनिया को चकित कर देने वाले शिक्षक का सिर कलम करने की क्रूर व भयावह आतंकवादी हमले की निंदा की।
सरकार ने उनके परिवार और फ्रांस के लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।
बयान में आगे कहा गया, "किसी भी कारण से या किसी भी परिस्थिति में आतंकवाद को लेकर स्पष्टीकरण दिए जाने का कोई औचित्य नहीं है।"
देश और विदेश में रह रहे भारतीय फ्रांस के साथ इस हमले को लेकर एकजुटता व्यक्त करते हैं। गौरतलब है कि फ्रांस में माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक सैमुअल पैटी का 18 वर्षीय अब्दुल्लाख अंजोरोव ने 16 अक्टूबर को पेरिस के पास एक स्कूल के अंदर मार दिया था।
राष्ट्रपति मैक्रों ने इस घटना को इस्लामिक आतंकवाद से जुड़ा कृत्य कहा था। साथ ही कहा कि पैटी ने अपने छात्रों को अभिव्यक्ति की आजादी का उदाहरण देते हुए पैगंबर मुहम्मद को दशार्ते हुए चार्ली हेब्दो के कार्टून दिखाए थे, जिसे मुस्लिम अप्रवासियों ने अपने अपमान के तौर पर लिया। (आईएएनएस)
कानपुर (उप्र), 29 अक्टूबर| ग्रामीण को पैसे देते हुए कैमरे में कैद होने के बाद घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. कृपा शंकर संखवार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है। संखवार को नोटिस जारी किया गया है। इस सीट पर 3 नवंबर को उपचुनाव होने हैं। बुधवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया जिसमें गांव में चुनाव प्रचार के दौरान उम्मीदवार संखवार एक व्यक्ति को नोट देते हुए नजर आ रहे हैं।
इस वीडियो के सामने आने के बाद प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों ने आरोप लगाया गया है कि कांग्रेस उम्मीदवार निर्वाचन क्षेत्र में पैसे बांटकर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।
घाटमपुर के उप-मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अरुण कुमार ने कहा, "कथित वीडियो पर संज्ञान लेते हुए हमने कांग्रेस उम्मीदवार को नोटिस जारी किया है।"
वहीं भाजपा अध्यक्ष (ग्रामीण) कृष्ण मुरारी शुक्ला ने कहा, "वीडियो में उम्मीदवार को एक व्यक्ति को पैसे देते हुए स्पष्ट रूप से देखा गया है। वह मतदाताओं को पैसे देकर उन्हें प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे। यह साफ तौर पर चुनाव आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। हमने चुनाव आयोग को शिकायत भेजी है। "
हालांकि संखवार ने आरोप से इनकार किया और कहा, "मैं चुनाव प्रचार के दौरान एक ग्रामीण को अपना विजिटिंग कार्ड दे रहा हूं। यह एक साजिश है और किसी ने मुझे ब्लैकमेल करने के लिए वीडियो बनाया है।" (आईएएनएस)
मथुरा (उप्र), 29 अक्टूबर | मथुरा में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, यहां 17 वर्षीय लड़के ने गुस्से में अपने पिता की हत्या कर दी और सबूत नष्ट करने के लिए टीवी धारावाहिक 'क्राइम पेट्रोल' से आइडिया लिया। कक्षा 12वीं के छात्र को जब बुधवार को गिरफ्तार किया गया और पुलिस ने उसके मोबाइल फोन की जांच की तो पता चला कि उसने 'क्राइम पेट्रोल' सीरीज 100 से ज्यादा बार देखी थी।
खबरों के अनुसार, पिता के डांटने पर बेटे ने 2 मई को अपने 42 वर्षीय पिता मनोज मिश्रा की हत्या कर दी। लड़के ने पिता के सिर पर लोहे की छड़ से वार किया और जब वह बेहोश हो गए, तो उसने कपड़े के टुकड़े से उनका गला घोंट दिया।
बाद में उसी रात लड़के ने अपनी मां की मदद से शव को लगभग 5 किलोमीटर दूर जंगल में ले गया और पहचान मिटाने के लिए उसे पेट्रोल से जला दिया और फिर टॉयलेट क्लीनर की मदद से सबूत मिटा दिए।
3 मई को पुलिस को आंशिक रूप से जला हुए शरीर मिला लेकिन वह उसकी पहचान नहीं कर सकी क्योंकि किसी भी पुलिस स्टेशन में किसी भी व्यक्ति की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई थी।
आखिरकार इस्कॉन के अधिकारियों के दबाव में परिवार ने 27 मई को मनोज मिश्रा की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई, क्योंकि मनोज मिश्रा वहां दान इकट्ठा करने का काम करते थे और गीता का प्रचार करने के लिए अक्सर यात्राएं करते थे। इसी कारण उनकी लंबी अनुपस्थिति से किसी को संदेह नहीं हुआ था। बाद में उनके कुछ सहयोगियों ने चश्मे के जरिए उनकी पहचान कर ली।
मथुरा के पुलिस अधीक्षक (शहर) उदय शंकर सिंह ने कहा कि पुलिस जब भी मनोज के बेटे को पूछताछ के लिए बुलाती है, वह आने से बचता और पूछता कि वे कानून के किन प्रावधानों के तहत उससे पूछताछ करने की कोशिश कर रहे हैं।
हालांकि, जब पुलिस ने उसके मोबाइल फोन की जांच की तो उन्होंने पाया कि उसने कम से कम 100 बार क्राइम पेट्रोल के ऐपिसोड्स देखे थे। कई दौर की पूछताछ के बाद लड़का आखिरकार टूट गया और उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया।
पुलिस ने लड़के और उसकी 39 वर्षीय मां संगीता मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया है। उन पर हत्या और सबूत नष्ट करने के लिए मामला दर्ज किया गया है। आरोपी की 11 वर्षीय बहन को दादा-दादी को सौंप दिया गया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर| राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गुरुवार को टेरर फंडिंग केस में जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर और दिल्ली में नौ स्थानों पर छापे मारे। जांच एजेंसी ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व प्रमुख जफरुल इस्लाम खान के ठिकानों पर भी छापे मारे। कुछ गैर सरकारी संगठनों और ट्रस्टों द्वारा धर्मार्थ गतिविधियों के नाम पर भारत और विदेशों से धन जुटाने और फिर कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों के लिए उपयोग करने के मामले में यह छापेमार कार्रवाई की जा रही है।
जांच में शामिल एनआईए के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि एजेंसी श्रीनगर और दिल्ली में छह एनजीओ और ट्रस्टों के 9 ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
जिन ट्रस्टों और एनजीओ के ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई चल रही है उनमें फलाह-ए-आम ट्रस्ट, चैरिटी अलायंस, ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन, जेएंडके यतेम फाउंडेशन, साल्वेशन मूवमेंट और जेएंडके वॉयस ऑफ विक्टिम्स (जेकेवीवीवी) के दफ्तर शामिल हैं।
एनआईए सूत्रों के अनुसार, चैरिटी अलायंस और ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन दिल्ली में स्थित थे।
सूत्रों ने कहा कि दिल्ली के जामिया नगर में चैरिटी एलायंस के कार्यालय की तलाशी एनआईए द्वारा ली जा रही है।
चैरिटी एलायंस के प्रमुख जफरुल इस्लाम खान हैं, जो 'द मिल्ली गजट' के संपादक भी हैं।
इससे पहले एनआईए ने बुधवार को श्रीनगर और बांदीपुर में 11 स्थानों पर और बेंगलुरु में एक स्थान पर छापा मारा था।
एनआईए ने जम्मू और कश्मीर सिविल सोसाइटी के कोर्डिनेटर खुर्रम परवेज के निवास और दफ्तर में तलाशी ली। इसके अलावा खुर्रम परवेज के साथी परवेज अहमद बुखारी, परवेज अहमद मटका और बेंगलुरु स्थित सहयोगी स्वाति शेषाद्रि, परवीना अहंगर के ठिकानों पर भी तलाश्ी ली गई।
एनआईए ने 8 अक्टूबर को आईपीसी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। उसी के तहत ये कार्रवाई की जा रही है।
यहां तक कि शिक्षक ने मुस्लिम छात्रों को उनकी कक्षा में उपस्थित न होने का विकल्प भी दिया था।
हालांकि बाद में पुलिस ने अंजोरोव की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना को पिछले दो दशकों में फ्रांस के कई इस्लामी आतंकवादी हमलों में से एक माना गया।
मैक्रों ने पैटी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए बच्चों को पढ़ाने के लिए देश के नाम शहीद के रूप में वर्णित किया। इसके बाद ही देश में कट्टरपंथी इस्लाम के बारे में एक बड़ी बहस शुरू हो गई है।
फ्रांस में कट्टरपंथी इस्लाम के खिलाफ कई बड़ी विरोध रैली आयोजित की गईं। हालांकि दुनिया भर के इस्लामिक प्रतिनिधियों ने मैक्रों और फ्रांसीसी अधिकारियों को ऑनलाइन भला बुरा कहते हुए अपशब्द भी कहे।
एक जनमत सर्वेक्षण के अनुसार, फ्रांस में 87 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उनका धर्मनिरपेक्ष समाज खतरे में है और 79 प्रतिशत का मानना है कि इस्लाम धर्म ने फ्रांसीसी गणतंत्र के खिलाफ युद्ध की घोषणा की है।
पिचाई ने जोर देकर कहा, "हम बिना किसी राजनीतिक पूर्वाग्रह के काम करते हैं।" (आईएएनएस)
अमेरिका ने इंटरनेट के इतिहास की शुरूआत में ही धारा 230 को अपना लिया था। यह कंटेन्ट बनाने और उसे साझा करने की स्वतंत्रता भी देती है और सभी प्लेटफार्मों और सेवाओं को यह बताने की क्षमता भी देती है कि यह सामग्री हानिकारक है।
पिचाई ने कहा, "आखिर में हम सभी का एक ही लक्ष्य है कि हम हर किसी को सूचनाओं तक पूरी पहुंच दें और लोगों के डेटा की सुरक्षा की जिम्मेदारी लें।"
बता दें कि अमेरिकी सीनेट की सुनवाई गूगल के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग के मुकदमे के बमुश्किल एक हफ्ते बाद हुई है।
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तेज हमला करते हुए कहा 'शहजादेÓ को भारत की किसी भी चीज पर विश्वास नहीं है, तो वे अपने 'सबसे भरोसेमंद देश पाकिस्तान की ही सुन लें।
श्री नड्डा ने आज ट्वीट कर कांग्रेस पर जोरदार प्रहार करते हुए कहा, कांग्रेस के शहजादे को भारत की किसी भी चीज पर विश्वास नहीं है, चाहे वह सेना हो, सरकार हो या हमारे लोग हों। तो वे अपने 'सबसे भरोसेमंद देश पाकिस्तान की ही सुन लें। उम्मीद है कि अब तो उनकी आंखें खुलेंगी...।
उन्होंने आगे लिखा, कांग्रेस अपने ही सशस्त्र बलों को कमजोर करने की मुहिम में लगी रही। कभी उनका मजाक उड़ाती रही तो कभी वीरता पर संदेह जाहिर करती रही। हर प्रकार की चालबाजी की ताकि सेना को अत्याधुनिक राफेल न मिल सके। लेकिन देशवासियों ने ऐसी राजनीति को नकारकर कांग्रेस को कड़ा सबक सिखाया है। (univarta.com )
लखनऊ 29 अक्टूबर । कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुनकरों की समस्या को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है और सरकार से बुनकरों के हितों की रक्षा की मांग की है।
श्रीमती वाड्रा ने गुरूवार को ट््वीट किया 'दुनिया में बनारस का नाम मशहूर करने वाले बुनकरों को फ्लैट रेट पर बिजली न देना, नए रेट पर बिजली बिल वसूली के लिए उन्हें प्रताड़ति करना बेहद गलत है। भाजपा सरकार को अविलंब फ्लैट रेट पर बिजली व पुराने दर पर बकाया भुगतान लागू कर बुनकरों की रक्षा करनी चाहिए।
कांग्रेस महासचिव ने पत्र में लिखा है 'पिछले कुछ समय से वाराणसी के बुनकर हताश और परेशान है। पूरी दुनिया में मशहूर बनारसी साड़यिों के बुनकरों के परिवार दाने दाने को मोहताज हो गये हैं। कोरोना महामारी और सरकारी नीतियों के चलते उनका पूरा कारोबार चौपट हो गया है जबकि उनकी हस्तकला ने सदियों से उत्तर प्रदेश का नाम रोशन किया है। सरकार को इस कठिन दौर में उनकी सहायता करनी चाहिए।
उन्होने लिखा 'यूपीए सरकार ने 2006 में बुनकरों के लिए फ्लैट रेट पर बिजली देने की योजना लागू की थी मगर आपकी सरकार यह योजना समाप्त करके बुनकरों के साथ नाइंसाफी कर रही है। मनमाने बिजली के रेट के खिलाफ हड़ताल पर गये बुनकरों को सरकार ने बातचीत के लिये बुलाया और आश्वासन दिया कि उनकी मांगे मान ली जायेंगी मगर समस्यायों के समाधान का कोई प्रयास नहीं हुआ।
श्रीमती वाड्रा ने मांग की कि बुनकरों को फ्लैट रेट पर बिजली देने की योजना को बहाल किया जाये। फर्जी बकाया के नाम पर बुनकरों का उत्पीडऩ बंद किया जाये और बुनकरों के बिजली कनेक्शन न काटें जायें बल्कि जो कनेक्शन काटे गये हैं, उन्हे तत्काल बहाल किया जाए।(univarta.com )