नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| राज्य सभा सांसद अमर सिंह के निधन से खाली हुई सीट के लिए 11 सितंबर को उपचुनाव होगा। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। अमर सिंह उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सांसद थे। चुनाव आयोग के मुताबिक, चुनाव के लिए अधिसूचना 25 अगस्त को जारी होगी और वोटिंग 11 सितंबर को होगी।
अमर सिंह का देहांत लंबी बीमारी के बाद 1 अगस्त को हुआ था। उनका कार्यकाल जुलाई 2022 में समाप्त होने वाला था। अमर सिंह समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद चुने गए थे। लेकिन वो बाद में बीजेपी की ओर चले गए थे।
हाल ही में बेनी प्रसाद वर्मा के निधन के बाद राज्यसभा के लिए हुए उपचुनाव में बीजेपी के जय प्रकाश निषाद निर्विरोध चुने गए थे।
हैदराबाद, 21 अगस्त (आईएएनएस)| तेलंगाना के नागारकुर्नूल जिले में श्रीसैलम लेफ्ट बैंक केनाल में स्थित टीएस गेनको के हाइडल पावर स्टेशन में लगी भीषण आग के बाद वहां फंसे छह लोगों के शव बरामद किए गए हैं। इससे पहले वहां मौजूद 17 व्यक्तियों में से आठ व्यक्यिों को बचा लिया गया था और बांकियों को बचाने के प्रयास किए जा रहे थे। घटना गुरुवार देर रात की बताई गई है।
आगरा, 21 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के आगरा में बस अपहरण के पीछे की असली कहानी ने मुख्य आरोपी प्रदीप गुप्ता की गिरफ्तारी के साथ एक नया मोड़ ले लिया है। बस का अपहरण बुधवार को किया गया था और ठीक एक दिन बाद गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस ने आरोपी प्रदीप गुप्ता को आगरा के फतेहाबाद इलाके में एक मुठभेड़ के बाद हिरासत में लिया। मुठभेड़ के दौरान उसके पैर में गोली लगी थी।
आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), बबलू कुमार के अनुसार, बस के अपहरण का कारण धन विवाद था और ईएमआई भुगतान में देरी नहीं था, जैसा कि पहले बताया गया था। वहीं बस के मालिक का अधिकार ग्वालियर से पवन अरोड़ा के पास था।
ऐसा कहा जा रहा है कि प्रदीप गुप्ता का पवन अरोड़ा के पिता अशोक अरोड़ा के साथ पैसे को लेकर विवाद चल रहा था।
अशोक अरोड़ा की मंगलवार को कोविड -19 की वजह से मौत हो गई और आरोपी प्रदीप गुप्ता ने अरोड़ा से बकाया धन पाने के लिए बस का अपहरण किया।
सरकार के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा था कि श्रीराम फाइनैंस कंपनी ने ऋण के किस्तों का भुगतान नहीं करने के कारण 34 यात्रियों के साथ बस का अपहरण कर लिया था।
जिला अधिकारी ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि इस घटना से जुड़ी कुछ गलत जानकारी दी गई थी।
इसी बीच श्रीराम फाइनैंस कंपनी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि वाहन "हमारे द्वारा या हमारे किसी भी प्रतिनिधि द्वारा जब्त नहीं किया गया है। कंपनी का इस घटना से कोई लेना देना नहीं है। हमारी ग्वालियर शाखा से इस वाहन के लिए लिया गया ऋण साल 2018 में ही निपट चुका है। हमने आज सुबह ही एसएचओ हरि पर्वत और आगरा के एसपी सिटी से मुलाकात की है और इस मामले से संबंधित जानकारी दी है।"
आगरा एसएसपी ने कहा कि प्रदीप गुप्ता की पहचान बुधवार को टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी फुटेज से हुई थी, क्योंकि उसने ही बस के अपहरण कांड का नेतृत्व किया था।
अशोक अरोड़ा के परिजनों ने टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी फुटेज से प्रदीप गुप्ता की पहचान की। वह कथित अपहरणकतार्ओं द्वारा इस्तेमाल की गई एसयूवी कार में था।
आगरा के न्यू दक्षिणी बाय-पास पर बुधवार को बस का अपहरण किया गया था। ड्राइवर, कंडक्टर और हेल्पर को बस से नीचे उतार दिया गया था और यात्रियों को दूसरी बस में जाने के लिए कहा गया था। अपहृत बस को बाद में इटावा जिले में बरामद किया गया था।
पूछताछ के दौरान गुप्ता ने पुलिस को बताया कि उसका अशोक अरोड़ा और उनके परिवार के साथ 2012 से व्यापारिक संबंध थे। उसने कहा कि अरोड़ा ने बसों के पंजीकरण और परमिट के लिए उससे 67 लाख रुपये लिए थे। इस राशि की व्यवस्था उसने इटावा से की थी और बार-बार याद दिलाने के बावजूद वे वापस भुगतान नहीं कर रहे थे। उसने कहा कि उसने राशि वसूलने के लिए उसने बस के अपहरण की योजना बनाई।
कानपुर, 21 अगस्त (आईएएनएस)| कानपुर के शातिर अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद भी इस केस में रोज नए मामले सामने आ रहे हैं। पुलिस को जांच में पता चला है कि विकास दुबे के फोइनेंसर का काम संभालने वाले जय वाजपेयी के एक मकान में तीन पुलिसकर्मी रहते थे। आईजी रेंज के आदेश पर तीनों को निलम्बित किया गया है। इसके अलावा तीनों की विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डा़ प्रितिंदर सिंह ने बताया, "विकास दुबे प्रकरण मामले में जय बाजपेयी उसका साथी है। वह उसी मुकदमे में जेल में है। उसके अन्य साथी पर गैंगेस्टर एक्ट के तहत मुकदमा किया गया है। कुछ अन्य साथियों को गिरफ्तारी का प्रयास चल रहा है। सूत्रों से संज्ञान में आया है कि तीन पुलिस कर्मी जय बाजपेई के मकान में रहते पाए गये हैं। तीनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा इनके संबधों की जांच की जा रही है। इसके अलावा अन्य पुलिसकर्मियों का अगर अपराधियों के साथ गठजोड़ करता पाया गया तो उसके साथ सख्ती से कार्रवाई होगी।"
ज्ञात हो कि शिकायत के बाद आइजी मोहित अग्रवाल ने सीओ नजीराबाद गीतांजलि को जय बाजपेयी के ब्रह्मनगर स्थित मकान नंबर 111-481 में छापा मारने के निर्देश दिए। जांच के दौरान घर पर कर्नलगंज में तैनात उप निरीक्षक राजकुमार, अनवरगंज में तैनात उप निरीक्षक उस्मान और रायपुरवा में तैनात उप निरीक्षक खालिद वहां रहते पाए गए।
आइजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि जिस मकान में दारोगा रहते मिले, वह केडीए से विवादित है। मगर वहां पर पुलिस कर्मी रह रहे हैं जिसके कारण उस मकान पर कार्रवाई करने में मुश्किलें आ रही हैं। इस शिकायत को अधिकारी ने गम्भीरता से लिया और सीओ नजीराबाद गीतांजलि सिंह को मामले की जांच सौंपी। आईजी से निर्देश मिलने के बाद सीओ ने ब्रह्मनगर स्थित जय के विवादित मकान में छापेमारी की। छापेमारी के दौरान पाया गया कि यह तीनों वहां रह रहे हैं। तीनों से पूछताछ और जांच में पता चला कि पुलिस कर्मी मुफ्त में वहां रह रहे थे। सीओ ने रिपोर्ट आईजी को सौंप दी। इसके बाद उन्होंने तीनों को निलम्बित करने और विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए।
मनोज पाठक
गया, 21 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार में 'मोक्षस्थली' गया में इस साल पितृपक्ष के मौके पर श्रद्घालु अपने पुरखों को मोक्ष दिलाने के लिए नहीं आएंगे। कोरोना संक्रमण काल में आने वाले श्रद्घालुओं की भीड़ को देखते हुए सरकार ने इस साल पितृपक्ष मेले का आयोजन स्थगित करने का निर्णय लिया है। सरकार के इस आदेश के बाद पंडा समाज ने नाराजगी जताई है।
हिंदू धर्मावलंबी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष में गयाजी आते हैं और विभिन्न पिंडस्थलों पर पिंडदान और तर्पण कर अपने पूर्वजों को मोक्ष की कामना करते थे।
बिहार राज्य राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने निर्णय लिया है कि जनहित में इस साल पितृपक्ष मेला स्थगित किया जा रहा है। इस साल दो सितंबर से पितृपक्ष मेला प्रारंभ होने वाला था, जिसमें 10 लाख श्रद्घालुओं के पहुंचने की संभावना व्यक्त की जा रही थी।
विभाग ने अपने आदेश में कहा है, "कोविड-19 के कारण पितृपक्ष मेला में आने वाले पिंडदानियों द्वारा सामाजिक दूरी का अनुपालन में होने वाले कठिनाइयों एवं संभावित संक्रमण को देखते हुए जनहित में विभाग द्वारा पितृपक्ष मेला 2020 स्थगित करने का निर्णय लिया गया है।"
इधर, इस आदेश के बाद पंडा समाज एवं आम लोगों में नाराजगी है। गया के पंडा समुदाय से लेकर आम लोग तक पूरे साल पिंडदानियों का इंतजार करता है। बड़ी संख्या में लोग पितृपक्ष में यहां रहकर पिंडदान करते हैं। ऐसे में यहां व्यापार भी बढ़ता है और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता है। लेकिन, इस साल मेला आयोजित नहीं किए जाने से हजारों लोगों का रोजगार छिन जाएगा।
तीर्थवृत सुधारिनी सभा के अध्यक्ष गजाधर लाल कटियार ने कहा कि तीर्थ पुरोहितों को सरकार की ओर कोई सहयोग नहीं मिला है। ऐसी विकट स्थिति में पितृपक्ष में नियम-कानून के अनुसार पिंडदान कराने की अनुमति देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए वे अन्य पंडा समुदायों से इस संबंध में विचार कर आगे का निर्णय लिया जाएगा।
इधर, गयापाल पंडों का कहना है कि पितृपक्ष की आय पर ही उन लोगों के साथ ही ब्राह्मण और विष्णुपद मेला क्षेत्र के दुकानदार आश्रित हैं। इस बार पितृपक्ष में पिंडदान नहीं होने से सभी लोगों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो जाएगी। कोरोना काल में पिछले छह माह सभी लोग परेशान हैं।
इस बीच, गया के विधायक और मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि इसके लिए वे प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अनुमति देने का आग्रह करेंगे। उन्होंने कहा कि मेला पर यहां के लोगों का रोजगार निर्भर रहता है, ऐसे में इसे स्थगित करने से लोगों को आर्थिक रूप से नुकसान होगा।
उल्लेखनीय है कि सालों भर पिंडदान के लिए पिंडदानी गया आते हैं, लेकिन आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष में लगने वाले 15 दिनों के पितृपक्ष में यहां बडी संख्या में देश और विदेश के श्रद्घालु आकर अपने पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान और तर्पण करते हैं। पितृपक्ष में एक दिन, तीन दिन, सासत दिन, 15 दिन और 17 दिनों का पिंडदान होता है।
अवमानना मामले में दोषी पाए जाने के बाद वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अपने दो ट्वीट के लिए माफी मांगने से इंकार कर दिया है। प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्हें अदालत की अवमानना मामले में सजा मिलने का डर नहीं है। वहीं, दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि, प्रशांत भूषण न्यायपालिका पर किए गए दो ट्वीट को लेकर अदालत की अवमानना मामले में दोषी करार दिए गए हैं।
इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री, पत्रकार और लेखक अरुण शौरी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अगर कोर्ट प्रशांत भूषण के ट्वीट से नाराज़ है तो कानून के मुताबिक उन्हें अदालत में अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए। बता दें कि, अरुण शौरी ने पत्रकार एन राम और प्रशांत भूषण के साथ मिलकर सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होने कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट की धारा 2(सी) (आई) को चुनौती दी थी। हालांकि, बाद में याचिका वापस ले ली थी।
द इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी से पूछा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि प्रशांत भूषण के दो ट्वीट सुप्रीम कोर्ट में लोगों के विश्वास को कम करने का काम करेंगे और यह हमारे देश में ‘लोकतंत्र के केंद्रीय स्तंभ’ को कमजोर करते हैं। ऐसे में आप किसकी तरफ हैं?
इस पर शौरी ने कहा कोर्ट ने कहा है कि भूषण के ट्वीट निचली न्यायपालिका को भयभीत करेंगे। जब सुप्रीम कोर्ट खुद की रक्षा नहीं कर सकती तो हमारी रक्षा क्या करेगी? इसके अलावा ये दो ट्वीट विदेशों में भारत की छवि को कम कर देंगे। भारत को एक लोकतंत्र के रूप में देखा जाता है और ये ट्वीट उस लोकतंत्र के केंद्रीय स्तंभ को कमजोर करते हैं। ट्विटर का विज्ञापन करने वाली कंपनी को इससे बेहतर विज्ञापन नहीं मिल सकता ‘आइये और ट्विटर से जुडिय़े, यह फ्लैटफॉर्म कितना ताकतवर है कि सिर्फ दो ट्वीट से आप दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के केंद्रीय स्तंभ को कमजोर कर सकते हैं।’
इस फैसले से यह साबित होता है कि न्यायतंत्र खोखला हो चुका है। केंद्रीय स्तंभ इतना कमजोर और नाजुक हो चुका है कि मात्र दो ट्वीट इसे संकट में डाल सकते हैं। इस तरह की टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों से आएगी तो लोगों का सच में सुप्रीम कोर्ट से भरोसा उठ जाएगा। ऐसे में लोग कहेंगे ‘अरे यार, तुम सुप्रीम कोर्ट के पास भाग रहे हो कि वो तुम्हें बचाए जबकी वो खुद कह रहे हैं कि वो तो इतने कमजोर हो गए हैं कि दो छोटे से ट्वीट सारे ढांचे को गिरा देंगे।’
शुक्रवार (14 अगस्त) को जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने प्रशांत भूषण को उनके दो ट्वीट्स के लिए कोर्ट की अवमानना का दोषी करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ये ट्वीट्स तोड़े-मरोड़े गए तथ्यों पर आधारित थे और इनसे सुप्रीम कोर्ट की बदनामी हुई। (jantakareporter)
अनंत प्रकाश
नई दिल्ली, 21 अगस्त। केंद्र सरकार ने बीते बुधवार सरकारी क्षेत्र की तमाम नौकरियों में प्रवेश के लिए एक राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी गठित करने का फैसला किया है।
सरकार का दावा है कि ये एजेंसी केंद्र सरकार की नौकरियों में प्रवेश प्रक्रिया में परिवर्तनकारी सुधार लेकर आएगी और पारदर्शिता को भी बढ़ावा देगी।
इस एजेंसी के तहत एक कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी समान योग्यता परीक्षा आयोजित की जाएगी जो कि रेलवे, बैंकिंग और केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए ली जाने वाली प्राथमिक परीक्षा की जगह लेगी।
वर्तमान में युवाओं को अलग अलग पदों के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में भाग लेने के लिए भारी आर्थिक दबाव और अन्य तरह की मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करके कैबिनेट के इस फ़ैसले की प्रशंसा की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा है, राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी करोड़ों युवाओं के लिए एक वरदान साबित होगी। सामान्य योग्यता परीक्षा (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) के जरिये इससे अनेक परीक्षाएं ख़त्म हो जाएंगी और कीमती समय के साथ-साथ संसाधनों की भी बचत होगी। इससे पारदर्शिता को भी बड़ा बढ़ावा मिलेगा।
कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट क्या है?
भारत में हर साल दो से तीन करोड़ युवा केंद्र सरकार और बैंकिग क्षेत्र की नौकरियों को हासिल करने के लिए अलग अलग तरह की परीक्षाओं में हिस्सा लेते हैं।
उदाहरण के लिए बैंकिंग क्षेत्र में नौकरियों के लिए ही युवाओं को साल में कई बार आवेदन पत्र भरना पड़ता है। और प्रत्येक बार युवाओं को तीन-चार सौ रुपये से लेकर आठ-नौ सौ रुपये तक की फीस भरनी पड़ती है।
लेकिन नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी अब ऐसी ही तमाम परिक्षाओं के लिए एक कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट का आयोजन करेगी।
नई शिक्षा नीति क्या लड़कियों की स्कूल वापसी करा पाएगी?
इस टेस्ट की मदद से एसएससी, आरआरबी और आईबीपीएस के लिए पहले स्तर पर उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग और परीक्षा ली जाएगी।
प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के मुताबिक, कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट एक ऑनलाइन परीक्षा होगी जिसके तहत ग्रेजुएट, 12वीं पास, और दसवीं पास युवा इम्तिहान दे सकेंगे।
ख़ास बात ये है कि ये परीक्षा शुरू होने के बाद परीक्षार्थियों को अलग अलग परीक्षाओं और उनके अलग-अलग ढंगों के लिए तैयारी नहीं करनी पड़ेगी।
क्योंकि एसएससी, बैंकिंग और रेलवे की परीक्षाओं में पूछे जाने वाले सवालों में एकरूपता नहीं होती है। ऐसे में युवाओं को हर परीक्षा के लिए अलग तैयारी करनी पड़ती है।
कैसे होगी ये परीक्षा?
इन परीक्षाओं को देने के युवाओं को कम उम्र में ही घर से दूर बनाए गए परीक्षा केंद्रों तक बस और रेल यात्रा करके जाना पड़ता था।
सरकार की ओर से ये दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रीय भर्ती परीक्षा युवाओं की इन मुश्किलों को हल कर देगी क्योंकि इस परीक्षा के लिए हर जिले में दो सेंटर बनाए जाएंगे। इसके अलावा इस परीक्षा में हासिल स्कोर तीन सालों तक वैद्य होगा। और इस परीक्षा में अपर एज लिमिट नहीं होगी।
इस परीक्षा से क्या बदलेगा?
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ये एक ऐसा सुधारवादी कदम है जिसकी काफी समय से प्रतीक्षा की जा रही थी।
करियर काउंसलर अनिल सेठी मानते हैं कि सरकार के इस कदम अच्छा है और इसका असर भी दीर्घकालिक होगा लेकिन ये बात नहीं भूलनी चाहिए कि ये सुधार की दिशा में पहला कदम है।
वे कहते हैं, अगर आपको अलग अलग बहुत सारे दरवाजों पर जाना है, बहुत सारी जगह फॉर्म भरने हैं और अलग अलग जगह स्क्रूटनी होनी है तो ये एक लंबी प्रक्रिया है। इसमें लोगों को बहुत दिक्कतें होती हैं। ये मेरी व्यक्तिगत राय है कि ये बहुत साल पहले हो जाना चाहिए था।
एसएससी, बैंक और रेलवे ये तीन रास्ते हैं जहां से सरकारी नौकरियों में प्रवेश होता है। ऐसे में व्यक्ति जब ये इम्तिहान देगा तो इसका स्कोर तीन साल तक वैध रहेगा। इसके बाद युवा एसएससी, बैंक और रेलवे में से किसी भी परीक्षा में बैठ सकेगा। मेरे ख्याल से ये एक बेहतर कदम है।
अब सवाल उठता है कि ये कदम परीक्षार्थियों पर कैसा असर डालेगा।
बीबीसी से बात करते हुए ऐसे ही एक परीक्षार्थी पूर्वेश शर्मा बताते हैं कि ये कदम उन जैसे तमाम स्टूडेंट्स के लिए कुछ दुश्वारियों को कम कर देगा।
नेशनल रिकू्रटमेंट एजेंसी लेगी सरकारी नौकरियों की परीक्षा
वे कहते हैं, अब तक जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक ये अच्छा होगा। क्योंकि अब तक आप एक पेपर दिया करते थे। लेकिन अगर आपकी तबियत खराब होने या किसी अन्य वजह से आप वह पेपर नहीं दे पाते थे तो आपका पूरा साल खराब हो जाता था। अब सरकार ने जो बताया है, उसके मुताबिक ये पेपर साल में दो बार होगा।
एक बड़ी बात ये भी है कि पहले आपको हर पेपर के लिए अलग अलग फॉर्म भरने होते थे। एसएससी में क्लर्क और सीजीएल दोनों का पेपर देना होता था तो दोनों के लिए फॉर्म अलग से भरने पड़ते थे। ऐसे में गऱीब छात्रों के लिए बड़ी दिक्कत हो जाती है क्योंकि आईबीपीएस का एक फॉर्म ही जनरल कैटेगरी के लिए आठ सौ रुपये का होता है। और अब बच्चों को ऐसे कई फॉर्म भरने होते हैं, ऐसे में बच्चों पर काफ़ी बोझ पड़ जाता है। अब कम से कम प्री की परीक्षा एक ही हो जाएगी जिसके बाद आप अपनी इच्छा से जिस भी सेक्टर में जाना चाहें, उसके मेंस परीक्षा की तैयारी करवा सकते हैं।
तैयारी कर रहे बच्चों की प्रतिक्रिया साझा करते हुए पूर्वेश बताते हैं, मैं खुद तैयारी कर रहा हूँ और कुछ बच्चों को पढ़ा भी रहा हूँ। जब से ये ख़बर आई है तब से कुछ बच्चों के फोन आ रहे हैं कि अब क्या होगा। मैं मानता हूँ कि ये एक अच्छा कदम है लेकिन अब तक हमें सारी जानकारी नहीं है कि ये इम्तिहान 2021 से होगा तो इसमें साल 2020 की परीक्षा ही होगी या 2021 की होगी क्योंकि अगर 2021 वाली परीक्षा सीईटी के तहत आयोजित की जाएगी तो 2023 तक ये परीक्षा नहीं हो पाएगी। ऐसे में लब्बोलुआब ये है कि सीईटी को लेकर ज़्यादा जानकारी सामने आनी चाहिए। (bbc.com/hindi)
श्रीनगर, 21 अगस्त (वार्ता)। जम्मू-कश्मीर के उत्तरी कश्मीर जिले बारामूला में सोमवार तडक़े हुए हमले की आतंकवादियों ने शुक्रवार को वीडियो जारी की है।
पुलिस ने हालांकि कहा कि यह घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया गया और सुरक्षा बलों ने वीडियो में शामिल एक कमाण्डर समेत चार कमांडरों को 72 घंटों के भीतर ढेर कर दिया था।
आतंकवादियों की तरफ से सोशल मीडिया पर डाली गयी वीडियो में आतंकवादी, सुरक्षा बलों पर गोलीबारी करते दिखाई दे रहे है और माना जा रहा है कि यह वीडियो हमले में शामिल एक आतंकवादी ने ही बनाया है।
वीडियो को लेकर कश्मीर ज़ोन पुलिस ने ट्वीट कर कहा, इस वीडियो के जरिए आतंकवादी, आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहते है लेकिन वे ऐसे करने में कभी सफल नहीं होंगे। हमने वीडियो में दिखाई दे रहे चार शीर्ष कमांडर सज्जाद, हैदर, तैमूर खान और अबू उस्मान को जवाबी कार्रवाई में 72 घंटों के भीतर मार गिराया।
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में सोमवार तडक़े केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल नाका पर हमले में दो जवान और एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) शहीद हो गये जबकि सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में लश्कर ए तैयबा का शीर्ष कमांडर सज्जाद समेत दो आतंकवादी भी मारे गये थे।
इस हमले के बाद बारामूला जिले के क्रिरी पाटन में सुरक्षाबलों ने मंगलवार तडक़े दोबारा घेराबंदी एवं तलाश अभियान चलाया जिसके बाद मुठभेड़ फिर शुरू हो गयी जिसमें एक और आतंकवादी मारा गया। इस मुठभेड़ में अब तक तीन आतंकवादी मारे गए और कुल पांच सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे।
हैदराबाद, 21 अगस्त (आईएएनएस)| तेलंगाना के नागारकुर्नूल जिले में श्रीसैलम लेफ्ट बैंक केनाल में स्थित टीएस गेनको के हाइडल पावर स्टेशन में भीषण आग लगने की जानकारी सामने आई हैं। वहां फंसे नौ लोगों को बचाने के लिए प्रयास जारी हैं। घटना गुरुवार देर रात की बताई गई है। प्रारंभिक रिपोटरें से मिली जानकारी के अनुसार, आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है, जिससे घटनास्थन पर घना धुआं उठता देखा गया।
घटनास्थल पर मौजूद 17 व्यक्तियों में से आठ व्यक्ति सुरंग के रास्ते सुरक्षित स्थान पर निकल आए। वहीं फंसे लोगों में छह टीएस गेनको कर्मचारी और तीन निजी कंपनी के कर्मचारी शामिल हैं।
घटनास्थल पर दमकलकर्मी पहुंच चुके हैं और फंसे हुए डिप्टी इंजीनियर और सहायक इंजीनियर्स को बचाने की कोशिश की जा रही है। दमकलकर्मियों का कहना है कि धुआं बचाव कार्य में बाधा बन रहा है।
तेलंगाना के मंत्री जगदीश रेड्डी और टीएस गेनो के सीएमडी प्रभाकर राव मौके पर पहुंच चुके हैं और बचाव प्रयासों की निगरानी कर रहे हैं।
रेड्डी ने कहा कि पावर स्टेशन की पहली इकाई में दुर्घटना हुई और चार पैनल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। उन्होंने कहा कि बचाव कर्मी घने धुएं के कारण सुरंग में प्रवेश करने में असमर्थ थे।
बचाव अभियान में सहायता के लिए सिंगारेनी कोलियरी से बचाव कर्मियों को लाया जा रहा है।
घटना के बाद पावर स्टेशन पर बिजली उत्पादन संचालन बंद कर दिया गया है।
श्रीसैलम बांध कृष्णा नदी के पार स्थित है जो तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच की सीमा के रूप में कार्य करता है।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोना संकट में लगे लॉकडाउन के दौरान हजारों प्रवासी मजदूर अपने-अपने घर लौट गए थे, लेकिन काम की तलाश में एक बार फिर प्रवासी मजदूर यूपी, बिहार और झारखंड से वापस लौटने लगे हैं। दिल्ली के आनंद विहार बस स्टैंड पर रक्षाबंधन के बाद से ही रोजाना हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घरों से वापस आ रहे हैं। किसी के मालिक, तो किसी के ठेकेदार ने बुलाया, तो कोई नौकरी की तलाश में दिल्ली वापस आ रहा है।
राम चन्दर आजमगढ़ से फिर दिल्ली वापस आए हैं। 5 महीने पहले कोरोना की वजह से अपने घर चले गए थे, लेकिन गांव में काम न होने की वजह से दिल्ली वापस आना पड़ा है। उन्होंने बताया, "जिस कंपनी में वो काम करते थे, उसके मालिक ने फोन करके वापस बुलाया है। गांव में ज्यादा काम नहीं है, कमाने के लिए तो बाहर निकलना ही पड़ेगा। मेरी दो लड़कियां और एक लड़का है, इनका पेट कौन पालेगा।" राम चन्दर दिल्ली के नांगलोई में जूते की कंपनी में काम करते थे। अब फिर से उसी कंपनी में काम करेंगे।
आनंद विहार बस स्टैंड पर बसों के ड्राइवर और कंडक्टर 20 से ज्यादा सवारी नहीं बैठाते। लेकिन पहले जाने की होड़ में सवारियों में ही आपस में झगड़ा हो जाता है और एक साथ बसों में लोग चढ़ना शुरू कर देते हैं। जिसकी वजह से सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन भी हो रहा है और जान पर खतरा भी बढ़ रहा है।
फिलहाल जब से प्रवासी मजदूर वापस लौटने लगे हैं, तब से दिल्ली के आनंद विहार बस स्टैंड पर बस रूट नम्बर- 236, 165, 534, 469, 473, 543 से जाने वाली सवारियों की संख्या में इजाफा हो गया है। ये सभी बसें नांगलोई, महरौली, और कापसहेड़ा बॉर्डर की ओर जाती हैं। हालांकि बस स्टैंड के बाहर भी सैंकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर मौजूद रहते हैं।
संभल के रहने वाले दीपक दिल्ली में फल की ठेली लगाते थे। होली पर त्यौहार मनाने अपने गांव चले गए। उसके बाद लॉकडाउन लग गया, जिसकी वजह से वहीं फंसे रहे गए। उन्होंने बताया, "होली पर घर गया था, उसके बाद वहीं रह गया। इधर मकान मालिक 5 महीने का किराया मांग रहा है। अब जाकर वापस आए हैं तो फिर से फल की ठेली लगाएंगे।"
यूपी के बिजनौर के रहने वाले शादाब पहले हिमाचल प्रदेश में पुताई का काम करते थे। फिर लॉकडाउन में रोजगार चले जाने की वजह से घर चले गए। अब गुड़गांव नौकरी की तलाश में आए हैं। पूछे जाने पर उन्होंने बताया, "यूपी के बीजनौर से गुड़गांव नौकरी की तलाश में आया हूं। ठेकेदार ने बुलाया है। घर पर कोई काम नहीं मिला। राज मिस्त्री का भी काम किया।"
भारत में अब एक दिन में कोविड-19 के नौ लाख टेस्ट हो रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, WHO के परामर्श के अनुरूप, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हर रोज़ प्रति 10 लाख व्यक्ति 140 से ज़्यादा टेस्ट हो रहे हैं.
दुनिया भर में कोरोना संक्रमण के मामले दो करोड़ 25 लाख से ज़्यादा, अब तक सात लाख 89 हज़ार लोगों की मौत
अमरीका में कोरोना संक्रमण के मामले 55 लाख 60 हज़ार से ज़्यादा, अब तक एक लाख 74 हज़ार लोगों की मौत
भारत में गुरुवार को 69 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले, कुल मामलों की संख्या 29 लाख के क़रीब, अब तक संक्रमण से 54 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत
संक्रमण के लिहाज से ब्राज़ील दूसरे पायदान पर, 34 लाख 56 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले, अब तक एक लाख 11 हज़ार लोगों की मौत
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| सितंबर के दूसरे सप्ताह में संसद के मानसून सत्र की शुरूआत के संकेत के साथ सरकार पर 11 अध्यादेशों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का दबाव है।
संसद का यह सत्र पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच होने वाला है, जिसमें 20 भारतीय सैनिकों ने अपनी शहादत दी थी।
दिसंबर में होने वाले शीतकालीन सत्र से पहले ही इन 11 अध्यादेशों को संसद के आगामी सत्र में पारित किया जाना जरूरी है।
इनमें से प्रमुख अध्यादेशों का जिक्र करें तो इनमें संसदीय कार्य मंत्रालय से जुड़ा मंत्रियों का वेतन और भत्ते (संशोधन) अध्यादेश शामिल है, जिसे नौ अप्रैल, 2020 को जारी किया गया। ये अध्यादेश मंत्रियों का वेतन और भत्ते एक्ट, 1952 में संशोधन करता है।
इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय के महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश को 22 अप्रैल 2020 को जारी किया गया। ये अध्यादेश महामारी रोग एक्ट 1897 में संशोधन करता है। इसमें खतरनाक महामारी की रोकथाम से संबंधित प्रावधान है।
वहीं अगर तीसरे संशोधन की बात करें तो यह उपभोक्ता मामले एवं खाद्य वितरण मंत्रालय का अनिवार्य वस्तुएं (संशोधन) अध्यादेश, 2020 है, जिसे पांच जून 2020 को जारी किया गया था। उक्त अध्यादेश अनिवार्य वस्तुएं एक्ट 1955 में संशोधन करता है।
इसके अलावा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का ही किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 को पांच जून, 2020 को जारी किया गया था, जिसे पारित किया जाना है।
इसके बाद कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020 को पांच जून 2020 को जारी किया गया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल (संशोधन) अध्यादेश 2020 को 24 अप्रैल, 2020 को जारी किया गया। उक्त अध्यादेश होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल एक्ट 1973 में संशोधन करता है।
सरकार ने वित्त मंत्रालय के टैक्सेशन और अन्य कानून (विभिन्न प्रावधानों में राहत) अध्यादेश, 2020 को 31 मार्च, 2020 को जारी किया था, जिसे पारित किया जाना है।
वहीं दिवालियापन संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को छह जून को घोषित किया गया था और 26 जून को घोषित बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अध्यादेश को रखा गया है।
इन अध्यादेशों का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है और साथ ही कृषि और संबद्ध गतिविधियों में लगे किसानों के कल्याण के माध्यम से ग्रामीण भारत को सशक्त बनाना है।
मानसून सत्र में पारित नहीं होने पर इनमें से लगभग पांच से छह अध्यादेश समाप्त हो जाएंगे।
अध्यादेश अस्थायी कानून हैं, जिन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर प्रख्यापित किया जाता है, जिसका संसद के अधिनियम के समान प्रभाव होगा। अध्यादेश का छह महीने का जीवन होता है और जिस दिन से सत्र शुरू होता है, उसे एक विधेयक द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए, जिसे छह सप्ताह के भीतर संसद द्वारा पारित किया जाना चाहिए, अन्यथा यह समाप्त हो जाता है।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| आम आदमी पार्टी की ओर से उत्तराखंड में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा पर भाजपा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। पार्टी ने कहा है कि आम आदमी पार्टी की सरकार को डूबती दिल्ली नहीं, उत्तराखंड की चिंता है। वह दिल्ली को अधर में छोड़कर भाग जाना चाहते हैं।
उत्तर पूर्व दिल्ली के सासंद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा, अरविंद केजरीवाल को डूबती दिल्ली की नहीं, उत्तराखंड के चुनाव की चिंता है। उनके राजनैतिक इतिहास पर नजर डालें तो उन्होंने किसी भी कार्य को पूरा नहीं किया है और एक बार फिर दिल्ली को अधर में छोड़ कर भाग जाने की फिराक में है। मुख्यमंत्री को जिम्मेदारी से भागने नही देंगे।
दिल्ली बीजेपी के मीडिया रिलेशंस हेड नीलकांत बख्शी ने भी कहा कि कोरोना के बाद बारिश के मौसम में डूबती दिल्ली को छोड़कर फिर मुख्यमंत्री केजरीवाल पलायन करने के मूड में हैं।
भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने आईएएनएस से कहा कि बनारस से लेकर पंजाब तक अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़कर देख चुके हैं। 2014 में उन्होंने सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा था। भ्रष्टाचार समाप्त करने की बात कहकर दिल्ली की सत्ता में आए अरविंद केजरीवाल से पूछना चाहता हूं कि वह दिल्ली का कोई एक जिला बता दें, जो भ्रष्टाचार मुक्त हो गया हो।
चेन्नई, 20 अगस्त। तमिलनाडु सरकार ने कोविड -19 महामारी और केंद्र सरकार द्वारा धार्मिक मण्डलों पर प्रतिबंध लगाने का हवाला देते हुए गुरुवार को लोगों को अपने घरों के अंदर ही गणेश चतुर्थी मनाने की सलाह दी है। सरकार द्वारा जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर गणेश प्रतिमाओं की स्थापना करने और उन्हें जुलूस में ले जाने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए गए हैं।
बयान में कहा गया है कि मद्रास उच्च न्यायालय ने भी इस मामले पर याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि सरकार के इस आदेश का पालन किया जाना चाहिए।(IANS)
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण की उस मांग को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही में सजा तय करने संबंधी दलीलों की सुनवाई शीर्ष अदालत की दूसरी पीठ द्वारा की जाए। न्यायाधीश अरुण मिश्रा, बी. आर. गवई और कृष्ण मुरारी ने भूषण की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे से कहा कि वह न्यायालय से अनुचित काम करने को कह रहे हैं कि सजा तय करने संबंधी दलीलों पर सुनवाई कोई दूसरी पीठ करे।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि इस धारणा से बचना चाहिए कि इस पीठ से बचने का प्रयास किया जा रहा है।
इस पर दवे ने जवाब दिया, पीठ यह धारणा क्यों दे रही है कि यह पीठ न्यायमूर्ति मिश्रा के सेवानिवृत्त होने से पहले सब कुछ तय करना चाहती है।
दवे ने आग्रह किया कि सजा के मामले पर एक अलग पीठ द्वारा विचार किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि अनुरोध स्वीकार नहीं किया जा सकता। दवे ने जोर देकर कहा कि अगर इस सुनवाई को समीक्षा तक टाल देंगे, तो कोई आसमान नहीं गिर जाएगा। हालांकि, न्यायमूर्ति गवई ने मामले को दूसरी पीठ को स्थानांतरित (ट्रांसफर) करने से इनकार कर दिया।
मामले को अलग पीठ को दिए जाने की मांग पर पीठ ने कहा कि यह उचित नहीं है और यह स्थापित प्रक्रिया और मानदंडों के खिलाफ है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने जवाब दिया, "मान लीजिए अगर मैं पद से सेवानिवृत्त नहीं हो रहा हूं, तो क्या इसके बारे में कभी सोचा जा सकता है?"
पीठ ने भूषण को विश्वास दिलाया कि जब तक उन्हें अवमानना मामले में दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर निर्णय नहीं आ जाता, सजा संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
अवहेलना या अवमानना मामले में उक्त व्यक्ति को छह महीने तक के साधारण कारावास या 2,000 रुपये तक के जुमोने या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने भूषण को 14 अगस्त को न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक ट्वीट्स के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था।
भूषण ने अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होते हुए कहा कि उन्हें गलत समझा गया है।
उन्हें कहा कि वह दया नहीं मांग रहे हैं और न ही वह अदालत से उदारता की अपील कर रहे हैं। भूषण ने कहा, "मेरे ट्वीट जिनके आधार पर अदालत की अवमानना का मामला माना गया है, दरअसल वो मेरी ड्यूटी हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं।" वहीं शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि ट्वीट विकृत तथ्यों पर आधारित थे।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ अदालत की अवमानना मामले में सजा पर सुनवाई के दौरान कहा कि हर चीज की एक लक्ष्मण रेखा होती है, जो कि परंपराओं या तय नियमों पर आधारित है, जिसे कभी नहीं तोड़ा जाना चाहिए। न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को भूषण से कहा कि अगर आप अपनी टिप्पणियों को संतुलित नहीं करते हैं, तो आप संस्थान को नष्ट कर देंगे और अदालत इतनी आसानी से अवमानना की सजा नहीं देती है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, संतुलन होना ही चाहिए। संयम तो होना ही चाहिए। हर चीज के लिए एक लक्ष्मण रेखा होती है। आप रेखा को क्यों पार करना चाहते हैं?
सुनवाई के दौरान भूषण ने दावा किया कि उन्होंने शीर्ष अदालत में कुछ व्यक्तिगत और व्यावसायिक मुद्दों पर जनहित के लिए मुकदमे लड़े हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके ट्वीट गैरहाजिर रहने की स्थिति में नहीं किए गए।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि अदालत जनहित में अच्छे मामलों को लड़ने का स्वागत करती है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, मैंने एक न्यायाधीश के रूप में 20 वर्षों में किसी को अवमानना का दोषी नहीं ठहराया। यह मेरा पहला ऐसा आदेश है।
भूषण का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने अदालत के समक्ष दलील दी कि इस बात की कोई पुष्टि नहीं है कि दोनों ट्वीट्स ने शीर्ष अदालत की महिमा को कम किया हो।
धवन ने पीठ से पूछा कि वह बताएं कि अदालत को ऐसा क्यों लगा कि भूषण के ट्वीट अपमानजनक थे।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में जांच की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुधवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को दिए जाने के एक दिन बाद एजेंसी की विशेष जांच दल मुंबई के लिए रवाना होगी। सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार शाम को एसआईटी की टीम मुंबई के लिए रवाना हो सकती है और यह टीम सम्भवत: इसी दिन मुम्बई पहुंचकर जांच का काम औपचारिक तौर पर अपने हाथ में ले लेगी।
सूत्र ने कहा कि मुंबई जाने वाली टीम की अगुवाई सीबीआई की पुलिस अधीक्षक (एसपी) नूपुर प्रसाद करेंगी। कोविड-19 से जुड़ी मेडिकल रिपोर्ट के साथ वे मुंबई पहुंचेंगे जिसके चलते हफ्ते भर पहले बिहार पुलिस की टीम को परेशानियों का सामना करना पड़ा था।
सूत्र ने यह भी कहा कि सीबीआई की टीम द्वारा मुंबई पुलिस से सारे दस्तावेजों का संग्रह किया जाएगा और वे जांच अधिकारी से भी मिलेंगे जिन्होंने सुशांत मामले को संभाला था।
जरूरत पड़ी तो टीम, मुंबई पुलिस के डीसीपी से भी बात करेगी, जिनके साथ सुशांत के परिवार ने इस साल फरवरी में अभिनेता की जान को खतरा होने का हवाला देते हुए एक व्हाट्सअप चैट साझा किया था।
एजेंसी के अधिकारी बांद्रा में स्थित सुशांत के घर पर भी जा सकते हैं जहां 14 जून को वह मृत पाए गए थे और साथ ही टीम द्वारा उन पांच लोगों को भी बुलाए जाने की संभावना है जो मौत के बाद वहां पहुंचे हुए थे।
अधिक जानकारी जुटाने के लिए टीम की सुशांत की बहन मीतू सिंह से भी मिलने की संभावना है।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| कोविड -19 महामारी के कारण लगे झटके से कृषि क्षेत्र को बचाने के प्रयास में सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से किसानों को रियायती दरों पर ऋण देने के लिए एक विशेष संतृप्ति अभियान शुरू किया है। इसके तहत 17 अगस्त तक 1.22 करोड़ केसीसी को 1,02,065 करोड़ रुपये की क्रेडिट सीमा के साथ मंजूरी दी जा चुकी है।
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए और कृषि विकास में तेजी लाने के लिए यह कदम एक लंबा रास्ता तय करेगा।
बता दें कि "आत्मनिर्भर भारत" पैकेज के हिस्से के रूप में सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपये के रियायती ऋण का प्रावधान करने की घोषणा की थी। यह घोषणा करते हुए उम्मीद जताई गई थी कि इससे मछुआरों और डेयरी किसानों सहित 2.5 करोड़ किसानों को लाभ होने की संभावना है।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के स्वास्थ्य में हल्का सुधार हो रहा है। आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल ने गुरुवार को यह जानकारी दी। इससे पहले फेफड़े में संक्रमण की वजह से उनकी हालत बिगड़ने लगी थी। वह बीते 10 दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं और ब्रेन सर्जरी के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।
अस्पताल के अधिकारियों ने कहा, ' प्रणब मुखर्जी के श्वास पैरामीटर में सुधार हो रहा है, हालांकि वह लगातार वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।"
अधिकारियों ने यह भी कहा कि उनके महत्वपूर्ण और क्लिनिकल पैरामीटर स्थिर बने हुए हैं और विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा करीब से उसका अवलोकन किया जा रहा है। बुधवार को, अधिकारियों ने कहा था कि पूर्व राष्ट्रपति की तबीयत बिगड़ रही है।
प्रणब मुखर्जी को 10 अगस्त को ब्रेन क्लॉट की आपात सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, हालांकि जांच में वह कोविड-19 से संक्रमित पाए गए थे।
सीबीआई ने 7 अगस्त को बिहार सरकार द्वारा केंद्रीय एजेंसी की जांच के लिए सिफारिश किए जाने के बाद केंद्र सरकार के आदेश पर 34 वर्षीय अभिनेता की मौत की जांच की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली थी।
25 जुलाई को बिहार पुलिस के पास सुशांत के पिता केके सिंह द्वारा दर्ज शिकायत के आधार पर सीबीआई ने सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती, उनके पिता इंद्रजीत, मां संध्या, भाई शोविक, सुशांत के पूर्व मैनेजर श्रुति मोदी और फ्लैट मेट सैमुअल मिरांडा सहित कई अन्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
सीबीआई ने सुशांत के पिता और उनकी बड़ी बहन रानी सिंह का बयान भी दर्ज किया है। एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, बयान में उनके परिवार का यही कहना है कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या है।
संदीप पौराणिक
बैतूल, 20 अगस्त (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की पुलिस ने अवैध शराब के खिलाफ अनूठी जंग छेड़ी है। पुलिस इस कारोबार में लिप्त लोगों के नजरिए में बदलाव लाने का अभियान चला रही है जिसके तहत अवैध शराब बनाए जाने वाली जगह का गाय के गोबर से शुद्धिकरण किया जा रहा है और रंगोली उकेरी जा रही है।
बैतूल जिले के कई हिस्सों में अवैध शराब का कारोबार चलता है, इसे रोकने के साथ इस कारोबार में लगे लेागांे की सोच और नजरिए में बदलाव लाने के प्रयास तेज किए गए हैं। जिन स्थानों पर अवैध तरीके से शराब बनाई जाती है उन क्षेत्रों और कारोबार से जुड़े लोगों पर कार्रवाई तो हो रही है, साथ में उन्हें इस कारोबार से दूर रखने की शपथ भी दिलाई जा रही है।
पुलिस को इस अभियान के तहत जहां भी अवैध शराब बनाने की जानकारी मिलती है, वहां पुलिस मौके पर पहुंचती है और सभी सामग्री को नष्ट करने की कार्रवाई करती है। उसके बाद शराब बनाने वालों से संकल्प पत्र भरवाए जाते हैं और शपथ दिलाई जाती है कि दोबारा वह शराब नहीं बनाएंगे। इसके अलावा पुलिस द्वारा जिस स्थान पर शराब बनाई जा रही थी उस स्थान को बाकायदा गाय के गोबर से लिपाई-पुताई कर शुद्ध करवाती है और उस पर रंगोली भी उकेरी जा रही है ताकि शुद्धता बनी रह सके ।
इस अभियान का नेतृत्व बैतूल के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) संतोष पटेल कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए जा रहे इस अभियान से निर्भया, संगवारी मोबाइल, महिला सेल और ग्राम रक्षा समिति की महिला सदस्यों को जोड़ा गया है। यह दल उन इलाकों का दौरा करता है जहां कच्ची महुआ शराब बनाने और बेचे जाने की जानकारी मिलती है। मौके पर पहुंचकर दल के सदस्य पहले तो अवैध कच्ची शराब और उसे बनाने के लिए उपयोग किये जाने वाले साधनों को नष्ट करते हैं।
पुलिस के मुताबिक अवैध शराब बनाते पकड़े गए परिवारों को मौके पर समझाया जाता है, संकल्प दिलाया जाता है और गोबर से लिपाई-पुताई कराने के बाद रंगोली बनवाई जाती है। उसके बाद भी अगर वह फिर से इस अवैध काम में लिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डीएसपी संतोष पटेल ने बताया है कि इस अभियान के तहत दल ने कोतवाली थाना इलाके के गांव गौठान के इलाको में सर्च अभियान चलाया। यहां पर एक चूल्हे पर कच्ची शराब बनाते हुए एक महिला को पकड़ा गया। मौके पर बनाया गया चूल्हा और बर्तन नष्ट कर स्थान का शुद्धिकरण किया गया। इसके साथ ही यह दल शहर में भी अवैध शराब और जुए के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चला रहा है।
डीएसपी पटेल ने आगे बताया कि अभियान के तहत उन स्थलों और गांवों को चिन्हित किया गया है। जहां शराब बनाने की सामाजिक बुराई ज्यादा है। वहा ग्रामीणों को इस बुराई से हटाने के लिए सामाजिक रीति परम्पराओ का सहारा लिया जा रहा है।
विवेक त्रिपाठी
लखनऊ, 20 अगस्त (आईएएनएस)| खादी -फैब्रिक ऑफ फ्रीडम, जंगे आजादी और स्वदेशी का प्रतीक। वैश्विक महामारी कोरोना के इस दौर में अपनी नयी भूमिका में है। खादी के मास्क जिंदगी बचाने से लेकर लाखों लोगों की जीविका का जरिया बन चुके हैं।
खादी के मास्क से कितनों की जिंदगी बची यह तो नहीं बताया जा सकता है, पर उत्तर प्रदेश में -- स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी करीब छह लाख महिलाओं को रोजगार मिल चुका है। अब तक करीब छह लाख मीटर खादी के कपड़ों से बने 5.7 मिलियन मास्क वाजिब दाम प्रति मास्क 10 रुपये पर लोगों को दिये जा चुके हैं। यह क्रम अभी जारी है।
खास बात यह है कि जिन महिलाओं को अभूतपूर्व संकट के इस दौर में रोजगार मिला है, वे ग्रामीण क्षेत्रों की हैं। यह समाज का वह तबका है जो 25 मार्च को घोषित लॉकडाउन से सर्वाधिक प्रभावित रहा। इस तबके को न केवल प्रतिदिन 200 रुपये के औसत से रोजगार मिला बल्कि जहां जरूरत हुई वहां मास्क की गुणवत्ता के अनुपालन के लिए इनको प्रशिक्षण भी दिया गया। आज स्थिति यह है कि खादी के मास्क कोरोना के खिलाफ जारी जंग के प्रमुख हथियार - सोशल डिस्टेंसिंग, हैंडवॉश-सैनीटाइजर में से एक है।
इस तरह खादी के मास्क के लिए पहल करने वाला उत्तर पद्रेश पहला राज्य बन गया है।
अप्रैल 2020 में घर से निकलने पर मास्क को अनिवार्य किए जाने के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में इसके लिए पहल शुरू कर दी गयी। तय हुआ कि खादी विभाग कपड़े मुहैया कराएगा। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं का सेल्फ हेल्प ग्रुप (एसएचजी) इसको बनाएंगी। मानक के अनुसार मास्क की गुणवत्ता सुनिश्चित कराने के लिए जहां जरूरी होगा वहां महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
अपर प्रमुख सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग नवनीत सहगल ने कहा, खादी के मास्क की कई खूबियां हैं। यह पूर्णत: स्वदेशी है। पूरी तरह इकोफ्रेंडली होने के साथ इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। दुबारा उपयोग और बायोग्रेडिवल होना इसकी अतिरिक्त खूबियां हैं। यही वजह है कि लोग इसे पसंद भी कर रहे हैं। मास्क लोगों को वाजिब दाम पर मिले इसके लिए सरकार कोविड फंड से अनुदान भी दे रही है।
मनोज पाठक
पटना, 20 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार के गोपालगंज जिले के कई इलाकों में अब बाढ़ का पानी कम जरूर हुआ है लेकिन बाढ़ से हुई बर्बादी का मंजर देख ग्रामीणों को आने वाली जिंदगी को फिर से बसाने की चिंता सताने लगी है। ऐसे लोग गांव में पहुंचकर बाढ़ के मंजर को देख कर आए लेकिन अभी वे गांव में रहने के लिए जाना नहीं चाहते। वे अभी भी सड़कों के किनारे और बांध पर अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं।
सिधवलिया प्रखंड के सकला गंडक नहर पर सकला और बुचेया गांव के 35 से 40 परिवार शरण लिए हुए हैं, कुछ दिन तो इन्हें सरकार की ओर से भोजन मिला लेकिन अब वह भी बंद हो गया। आज भी ये लोग सरकार की ओर से मिले तिरपाल से झोपड़ी बनाकर दिन और रात गुजार रहे हैं। कई लोगों के तिरपाल भी फट गए हैं।
इनके सामने बाढ़ और बारिश से दोहरी मार परेशानी का सबब बनी हुई है। भादो महीने की अंधेरी रात और सड़कों पर जीवन गुजाराना इनके लिए मुश्किल हो गया है। सकला गांव के राजेंद्र राम कहते हैं कि प्रशासन द्वारा जो तिरपाल दिया गया था, वह भी फट गया है। किसी तरह कपड़ों के सहारे फिर से झोपड़ी बनाकर सिर और तन ढंक रहे हैं। बारिश में तो यह भी सिर और तन छिपाने में असफल हो जा रहे हैं।
इसी गांव की रहने वाली प्रमिला देवी कहती है, गरीबों को देखने वाला कोई नहीं है, बाबू। सबलोग आपना फायदा देखता है। एक महीना से हमलोग यहां हैं। गांव में जितना कच्चा मकान था, सब बाढ़ के पानी में ढह गया है। बाढ़ का पानी तो उतर रहा है, लेकिन अब हमलोग जांएगें तो कहां जाएंगें?
एक बाढ़ पीड़ित कहते हैं, मैंने खेत में फसल लगा रखी थी, वो बर्बाद हो गई थी, लेकिन मुआवजा नहीं मिला। कब मिलेगा कोई नहीं जानता।
इधर, बरौली प्रखंड के बरौली बाजार में बाढ़ ने सबकुछ बर्बाद कर दिया है। सिधवलिया बाजार पहुंचने के लिए सभी ओर की सड़कें बाढ़ के पानी में तबाह हो चुकी हैं। बाजार तो खुल रहे हैं लेकिन ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं। व्यवसायी पहले से ही कोरोना से परेशान थे, अब बाढ़ के चलते उनकी कमर ही टूट गई है। अब तो स्थिति इनके सामने बैंक से लिए गए ऋण चुकाने की चिंता है।
बिहार में ऐसे तो 16 जिले बाढ से प्रभावित हैं, लेकिन गोपालगंज में इस साल गंडक ने काफी तबाही मचाई है। फिलहाल गंडक के जलस्तर में उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी है।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा/दि प्रिंट)। कांग्रेस ने प्रियंका गांधी की ओर से पार्टी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी नेहरू-गांधी परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को सौंपने की पैरवी किए जाने के दावे की पृष्ठभूमि में बुधवार को कहा कि यह टिप्पणी एक साल पुरानी है और पार्टी के हर कार्यकर्ता की यह भावना है कि राहुल गांधी ही एक बार फिर से कांग्रेस की कमान संभालें।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह आरोप भी लगाया कि प्रियंका गांधी की एक साल पुरानी टिप्पणी को भाजपा के इशारे पर तूल दिया जा रहा है।
दरअसल, हाल ही में आई एक पुस्तक ‘इंडिया टुमॉरो’ में दावा किया गया है कि प्रियंका गांधी ने राहुल गांधी की उस बात का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि गांधी परिवार के बाहर के व्यक्ति को कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया जाना चाहिए।
सुरजेवाला ने इस पर ट्वीट किया, ‘नेहरू-गांधी परिवार ने सत्ता के मोह से दूर, सदा सेवाभाव से कांग्रेस को एक सूत्र में बांधे रखा है। 2004 में सोनिया गांधी ने सत्ता के बजाए पार्टी की सेवा चुनी। 2019 में राहुल गांधी ने भी दृढ़ विश्वास की हिम्मत दिखाई और कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।’
उन्होंने दावा किया, ‘हम प्रियंका गांधी की एक वर्ष पुरानी टिप्पणी (1 जुलाई, 2019) में अचानक उपजी मीडिया के एक धड़े की रूचि (सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर) के खेल को समझते हैं। आज समयज् मोदी-शाह द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर किए जा रहे बर्बरतापूर्ण हमले का सामना करने और निडरता से इससे लोहा लेने का है।’
सुरजेवाला ने कहा, ‘लाखों कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल गांधी के उस अथक संघर्ष व संकल्प के गवाह हैं, जिससे उन्होंने इस लड़ाई का नेतृत्व किया है। न तो उन्होंने विपरीत परिस्थितियों की परवाह की और न ही मोदी सरकार के वीभत्स हमलों की। यही वह निडरता और अदम्य साहस है जिसकी कांग्रेस को ही नहीं, बल्कि देश को सबसे ज्यादा जरूरत है।’
पुस्तक में किए गए दावे के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा, ‘नेहरू-गांधी परिवार का बड़प्पन है कि उसने हमेशा निजी हितों से ऊपर पार्टी और देश के हित को रखा है। उन्होंने कई मौकों पर बड़े त्याग किए।’
उन्होंने कहा, ‘आज देश के युवा और कार्यकर्ता चाहते हैं कि राहुल गांधी ही कांग्रेस का नेतृत्व करें। लेकिन इस बारे में निर्णय लेने का अधिकार कांग्रेस कार्यसमिति और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को है।’
नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)| भारत में जीमेल और ड्राइव जैसी गूगल की सर्विसेज में गुरुवार सुबह से ही रुकावट आ रही है। यूजर्स ने सोशल मीडिया पर शिकायत की कि उन्हें गूगल के कई सर्विसेज में कनेक्ट करने संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर जीमेल में यह दिक्कत सबसे ज्यादा आ रही है। आउटेज मॉनिटर पोर्टल डाउन डिटेक्टर के मुताबिक, 62 फीसदी लोगों को अटैचमेंट से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ा और लॉग-इन से जुड़ी 25 फीसदी शिकायत दर्ज की गई।
हालांकि ऐसा सभी के साथ नहीं हुआ है। सेवाओं में रुकावट आने की वजह का पता अभी तक नहीं लग पाया है।
गूगल ऐप्स के स्टेटस पेज ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्हें जीमेल और गूगल ड्राइव से संबंधित शिकायत प्राप्त हुए हैं।
जीमेल पर 11 प्रतिशत से अधिक यूजर्स ने मैसेज मिलने से संबंधित दिक्कतों को लेकर शिकायत की है।
एक यूजर द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किया गया, "हैशटैगजीमेल का सर्वर डाउन हो गया है, डाक्यूमेंट्स को अटैच करने में परेशानी हो रही है।"
गूगल ने आधिकारिक तौर पर इस पर अब तक अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
नई दिल्ली, 20 अगस्त। वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि 3-जजों की बेंच, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस अरुण मिश्रा ने की है, उसके फैसले पर पुनर्विचार किया जाए, जिसमें अधिवक्ता प्रशांत भूषण को दो ट्वीट्स के कारण अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया गया है। जयसिंह ने मामले की सुनवाई के लिए 32 न्यायाधीशों की एक पूर्ण अदालत की मांग की है। उन्होंने यह टिप्पणी भारतीय-अमेरिकियों द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कीनोट स्पीच के दौरान की है। भारतीय-अमेरिकियों के समूह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भूषण के साथ एकजुटता का प्रदर्शन किया है और उनके खिलाफ अवमानना के आरोपों पर रोष प्रकट किया है।
उल्लेखनीय है कि 14 अगस्त को जस्टिस अरुण मिश्रा, बीआर गवई, और कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के बारे में प्रशांत भूषण द्वारा किए गए दो ट्वीटों के मामले अवमानना का दोषी ठहराया। बेंच उन्हें 20 अगस्त को सजा सुनाएगी। इस संदर्भ में, जयसिंह ने कहा, अगर मैं अपने मन की बात कहती हूं, इसलिए मेरा अस्तित्व है। लेकिन, अगर यह अधिकार खतरे में पड़ता है, तो मेरी अस्तित्व भी नहीं बच पाएगा।
उन्होंने कहा कि एक अदालत, जिसके पास जनहित याचिका की सुनवाई की शक्ति है, वह असंतोष के स्वरों को सुनने से खुद को रोक नहीं सकती। उन्होंने कहा, आधुनिक उदारवादी लोकतंत्रों में, एक स्वतंत्र न्यायपालिका की आवश्यकता है, और एक स्वतंत्र न्यायपालिका को पारदर्शी होने की आवश्यकता है। जयसिंह ने कहा, हमारा कर्तव्य है कि यदि हम न्यायालय को उसके रास्ते से भटकते हुए देखें तो बोलें। जयसिंह ने आपराधिक अवमानना के अपराध के अस्तित्व पर भी सवाल उठाया।
उन्होंने कहा, हमारा नागरिक के रूप में एक कर्तव्य है कि हम जीवंत आलोचना करें। लेकिन, बोलने की आज़ादी की नींव को झकझोर दिया गया है। हमें स्वतंत्र रूप से बोलने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है? सत्ता के समक्ष सत्य। उन्होंने कहा कि न्याय देने का सुप्रीम कोर्ट मुख्य कार्य सभी के लिए है, और वो बड़े पैमाने पर जनता के प्रति जवाबदेह होना है। यह जवाबदेही अवमानना के भय के बिना, स्वतंत्र भाषण के साथ ही इस्तेमाल की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जनता का सहयोगी है और एक भारतीय नागरिक का सार्वजनिक क्षेत्राधिकार सार्वजनिक है इसलिए, नागरिकों को असहमति का अधिकार है। जयसिंह ने फैसले की विसंगतियों पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, अदालत निष्पक्ष आलोचना के पहलू को संबोधित करने में विफल रही है और यह दिखाने में विफल रही कि ट्वीट न्याय में हस्तक्षेप कैसे हो सकता है। उन्होंने फैसले के उस बयान का मुद्दा भी उठाया, जिसमें कहा गया था कि न्यायालय पर से जनता का विश्वास हिल जाएगा। जयसिंह ने कहा, कहा गया है कि जनता का विश्वास न्यायालय पर से हिल जाएगा। क्या जनता से सलाह ली गई थी? या क्या तीन न्यायाधीश ही जनता हैं? उन्होंने कहा कि कई संपादकीय और फैसले के खिलाफ आए बयानों ने से स्पष्ट है कि लोग बोलने की आजादी के पक्षधर हैं। जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट से फैसले पर पुनर्विचार करने के साथ अपना भाषण समाप्त किया।
उन्होंने कहा, मैं सुप्रीम कोर्ट के 32 जजों की एक पूर्ण अदालत द्वारा फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करती हूं। क्या यह पूरे न्यायालय का दृष्टिकोण है? हम यह जानना चाहते हैं। मुझे अपनी बात कहने का मौका देने के लिए धन्यवाद। प्रशांत भूषण के मामले में ही सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, जस्टिस कुरियन जोसेफ ने एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया कि सुओ मोटो अवमानना मामलों में अंतर-न्यायालयीय अपील की सुनवाई प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि न्याय के गर्भपात की दूरस्थ संभावना से बचने के लिए अंतर-न्यायालयीय अपील की सुरक्षा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जस्टिस सीएस कर्णन के खिलाफ अवमानना मुकदमे का फैसला 7 जजों की पीठ द्वारा पारित किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के महत्वपूर्ण मामलों को प्रत्यक्ष सुनवाई में विस्तार से सुना जाना चाहिए, जहां व्यापक चर्चा और व्यापक भागीदारी की गुंजाइश है। (hindi.livelaw)