हैदराबाद, 20 अक्टूबर | हैदराबाद और तेलंगाना के अन्य हिस्सों में हुई भारी बारिश और बाढ़ के मरने वालों की संख्या बढ़कर 70 हो गई है। वहीं दो और लापता लोगों के शव सोमवार को राज्य की राजधानी में मिले हैं। पुलिस ने कहा कि हैदराबाद के सबसे पुराने शहर ए-जुबैल कॉलोनी में दो शव पाए गए हैं। यहां 5 दिनों से भरा बाढ़ का पानी बह गया है, जिसके बाद ये शव मिले हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि ये दोनों व्यक्ति मेलार्डेवपल्ली में 13 अक्टूबर को हुई भारी बारिश के बाद बाढ़ के पानी में बह गए थे।(आईएएनएस)
श्रीनगर, 20 अक्टूबर | दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले के चांदपोरा बिजबेहरा इलाके में सोमवार को आतंकवादियों ने एक पुलिस इंस्पेक्टर को गोली मार दी। पुलिस ने बताया कि शहीद हुए इंस्पेक्टर का नाम मोहम्मद असरफ भट है। वह चांदपोरा कनेलवां के रहने वाले थे। उन्हें घर के पास ही गोली मार दी गई।
पुलिस के मुताबिक, गोली लगने से जख्मी हुए अधिकारी को पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली।
इस वारदात का मामला पुलिस ने दर्ज कर लिया है।
अनंतनाग के डीपीएल में शहीद अधिकारी के पार्थिव शरीर पर आईजीपी विजय कुमार व अन्य सैन्य अधिकारियों ने पुष्पचक्र अर्पित किया।(आईएएनएस)
गांधीनगर, 20 अक्टूबर | गुजरात में सोमवार को तीन महीने में पहली बार कोरोना संक्रमण के नए मामले हजार से कम, 996 आए। संक्रमितों की कुल संख्या अब 1,60,722 हो गई। फिर 8 मरीजों की मौत के साथ राज्य में कोरोना से अब तक 3,646 मरीजों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, इससे पहले 20 जुलाई को 998 नए मामले आए थे।
सोमवार को 1,147 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया, जिसके साथ कोरोना से उबरने वालों की कुल संख्या 1,42,799 तक जा पहुंची।
सुरत में 227, अहमदाबाद में 178, वडोदरा में 112, राजकोट में 83 और जामनगर में 66 नए मामले सामने आए।(आईएएनएस)
कोलकाता, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)| कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के सभी दुर्गा पूजा पंडालों को लोगों के लिए 'नो-एंट्री जोन' बनाने का निर्देश दिया। बंगालियों के सबसे बड़े पांच दिवसीय पर्व की शुरुआत से ठीक कुछ दिन पहले यह आदेश आया है। अदालत ने कहा कि छोटे पंडालों के लिए पांच मीटर का क्षेत्र और बड़े पंडालों के लिए 10 मीटर क्षेत्र को भी नो-एंट्री जोन में शामिल किया गया है।
हाईकोर्ट के आदेश में आगे कहा गया है कि छोटी पूजा के मामले में 15 से अधिक और बड़ी पूजा के मामले में 25 पहले से आइडेंटिफाइड किए गए लोगों को बफर जोन या पंडालों के अंदर अनुमति दी जाएगी।
सूत्रों ने बताया कि इन लोगों को आयोजकों द्वारा पहले से पहचाना जाना होगा, जिसकी एक सूची को सख्ती से बनाए रखना होगा। सूची अस्थायी नहीं हो सकती।
अदालत ने कहा कि कोरोनोवायरस महामारी को देखते हुए, पंडाल क्षेत्रों को बैरिकेडिंग करना होगा और नो-एंट्री जोन के रूप में सीमांकन करना होगा, सिवाय उन लोगों को छोड़कर जिन्हें आयोजकों द्वारा पहले से आइडेंटिफाइड किया गया है।
यह आदेश राज्य भर में लागू है, जिसमें सभी पूजा शामिल हैं, जिसके लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले राज्य प्रशासन से 50,000 रुपये मिले हैं।
कोलकाता पुलिस नियमावली में उल्लिखित सभी प्रमुख पूजाओं को बड़े पंडालों में होने वाली पूजा के रूप में माना जाएगा।
चल रहे कोरोनावायरस महामारी को ध्यान में रखते हुए, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को भी निर्देश दिया कि वह लोगों से सोशल डिस्टिेंसिंग दिशानिर्देशों को बनाए रखने के लिए जागरूकता अभियान चलाने का अनुरोध करे।
इस बीच, 26 पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) वैन और 13 एडिशनल हैवी रेडियो फ्लाइंग स्क्वॉड के साथ कम से कम 600 पुलिसकर्मियों को कोलकाता और इसके आसपास के क्षेत्रों में तैनात किया गया है ताकि उत्सव के दौरान भीड़ का प्रबंधन किया जा सके।
इनके अलावा, 31 रैपिड-सिटी पेट्रोल बाइक, 16 एम्बुलेंस और 73 अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरों को भी दुर्गा पूजा के दौरान निगरानी के काम में लगाया गया है।
पुलिस सूत्रों ने कहा कि उत्सव के दिनों में कोलकाता के विभिन्न इलाकों में अतिरिक्त बलों को तैनात किया जाएगा।
नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर (वार्ता)। उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के नांदेड़ साहिब में जुलूस और शोभा यात्रा की इजाजत का मामला राज्य सरकार के मत्थे छोड़ दिया है, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि राज्य सरकार के निर्णय पर नांदेड़ गुरुद्वारे को कोई आपत्ति हो तो वह बॉम्बे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को स्वतंत्र हैं।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अवकाशकालीन पीठ ने सोमवार को नांदेड़ सिख गुरुद्वारा साहिब बोर्ड की याचिका की सुनवाई की, जिसमें उसने दशहरा उत्सव और गुरुग्रंथ साहिब जुलूस की इजाजत दिये जाने की मांग की थी। खंडपीठ ने कहा कि कोरोना काल में उत्सव और शोभा यात्रा को कितनी सीमित करके इजाजत दी जा सकती है इसका फैसला राज्य सरकार करेगी, लेकिन अगर उससे नांदेड़ गुरुद्वारे को कोई आपत्ति हो तो वह उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।
सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कोरोना काल में किसी जुलूस की इजाजत नहीं दी गई है। सुनवाई के दौरान गणपति महोत्सव का भी जिक्र आया और न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या नांदेड़ गुरुद्वारा में दशहरा उत्सव और गुरु ग्रंथ साहिब जुलूस को शाम पांच बजे तक सीमित रखने की अनुमति दी जा सकती है? न्यायालय ने कहा कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कोरोना की स्थिति को देखते हुए फैसला लिया जाये।
न्यायमूर्ति राव ने राज्य के अधिकारियों को गुरुद्वारा समिति की याचिका सुनने का कहा।
गौरतलब है गुरु गोबिंद सिंह जी के निर्वाण स्थल नांदेड़ साहिब में निकलने वाली शोभा यात्रा और अन्य उत्सवों की इजाजत लेने को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
याचिका में कहा गया थ कि केंद्र के दिशानिर्देशों के अनुसार 50 फीसदी लोगों के साथ इजाजत दे दी जानी चाहिए, लेकिन इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि कार्यक्रम से कोरोना संक्रमण का खतरा हो सकता है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कहा कि राज्य सरकार वास्तव में कोरोना की प्रकोप को लेकर चिंतित है।
महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि राज्य के लिए गणपति सबसे बड़ा त्योहार है, लेकिन उसमें भी राज्य सरकार ने मंजूरी नहीं दी थी।
नयी दिल्ली 19 अक्टूबर (वार्ता)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों को आगाह करते हुए आज कहा कि कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ संक्रमण के नये मामलों में आयी कमी को देखकर लापरवाही बरतने से इस त्योहारी मौसम में स्थिति गंभीर हो सकती है।
डब्ल्यूएचओ की दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने सोमवार को कहा कि इस क्षेत्र में हाल में कोरोना संक्रमण के ताजे मामलों में हल्की गिरावट आयी है लेकिन इससे निश्चिंत होने की जरूरत नहीं है। इस क्षेत्र में अब भी कोरोना संक्रमण के अधिक मामले हैं। कोरोना महामारी का कहर अब भी जारी है और इसके प्रसार को रोकने के लिए लगातार सावधानी भी जरूरी है।
उन्होंने कहा कि आगामी त्योहारी मौसम और सर्दी के मौसम में हमारे लापरवाही बरतने से कोरोना संक्रमण की स्थिति और गंभीर हो सकती है। संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लगातार प्रयास आवश्यक है। उन्होंने कहा,“ त्योहारी मौसम में हमें एक व्यक्ति के रूप में अपनी जिम्मेदारी उठानी चाहिए कि हम शारीरिक दूरी का पालन करेंगे तथा हाथों की स्वच्छता का ख्याल रखेंगे। हम मास्क पहनेंगे और छींकनें तथा खांसने के समय कोविड-19 अनुकूल व्यवहार का पालन करेंगे। लोगों को भीड़भाड़ वाली जगहों को नजरअंदाज करना चाहिए और जिस जगह पर हवा की आवाजाही ठीक न हो या वो जगह खुली न हो और ताजी हवा न आ पाये, वहां नहीं रहना चाहिए।”
डॉ खेत्रपाल ने कहा कि सदस्य देश कोरोना टेस्ट की क्षमता बढ़ाने का सम्मिलित प्रयास कर रहे हैं ताकि संक्रमित व्यक्तियों का पता जल्द चल पाये और उनके संपर्क में आये लोगों की समय पर ट्रैकिंग हो पाये तथा संक्रमित व्यक्ति का समुचित उपचार शुरु हो जाये। इसी जज्बे के साथ हमारा प्रयास बरकरार रखने की जरूरत है।
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में भाजपा की महिला प्रत्याशी इमरती देवी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी के मामले में भाजपा ने राष्ट्रीय महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया है। राष्ट्रीय सचिव विजया रहाटकर के नेतृत्व में भाजपा की महिला नेताओं ने आयोग पहुंचकर अध्यक्ष रेखा शर्मा को शिकायत पत्र सौंपकर, कार्रवाई की मांग की। भाजपा की राष्ट्रीय सचिव विजया रहाटकर ने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष को सौंपे पत्र में कहा है कि, "मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव हो रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने मध्य प्रदेश में डबरा विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी इमरती देवी को अपशब्द कहा।"
18 अक्टूबर को डबरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने दलित महिला प्रत्याशी इमरती देवी को 'आइटम' कहकर संबोधित किया था।
विजया रहाटकर ने कहा कि, "वह अपने कथन पर आज भी अडिग हैं। इससे प्रमाणित होता है कि कमलनाथ ने जानबूझकर इमरती देवी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की। जनसभा के वीडियो में अभद्र टिप्पणी का प्रमाण है।"
विजया रहाटकर ने कहा कि, "इमरती देवी के खिलाफ बयान से कमलनाथ की महिलाओं के प्रति सोच पता चलती है। इसलिए उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।"
कोलकाता, 19 अक्टूबर | कोरोना महामारी के कारण पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं को जाने की इजाज़त नहीं होगी.
बीबीसी के सहयोगी प्रभाकर मणि तिवारी ने बताया कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा है कि पंडाल में सिर्फ आयोजकों को जाने की अनुमति दी जाएगी.
बड़े पंडालों में एक समय में अधिकतम 25 आयोजकों को जाने की इजाज़त होगी और छोटे पंडालों में 15 आयोजकों को.
पश्चिम बंगाल में 37,000 से अधिक दुर्गा पंडाल हैं और वहा कोरोना के मामले अभी भी बढ़ रहे हैं. इससे पहले राज्य सरकार ने सभी दुर्गा पूजा समितियों को 50,000 रुपये देने का ऐलान किया था. (bbc)
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)| गूगल ने कहा है कि वह अपने इमरजेंसी लोकेशन शेयरिंग ऐप-ट्रस्टेड कांट्रेक्ट्स को दिसम्बर से बंद कर रहा है। गूगल के इस घोषणा के बाद से अब यह एप प्लेस्टोर पर दिखाई नहीं दे रहा है।
तीन साल पहले लॉन्च किया गया यह ऐप लोगों को अपने प्रियजनों और विश्वस्थ जनों को जोड़ने की आजादी देता था, जिससे कि आपात स्थिति में वे उनकी मदद ले सकें।
अगर आप काफी प्रयास के बावजूद रेस्पांस नहीं कर रहे हैं तो यह ऐप स्वत: ही आपका अंतिम ज्ञात लोगेशन आपके प्रियजनों से शेयर कर देगा, जिसकी मदद से वे आपकी खोज शुरू कर सकते हैं।
भोपाल, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ की कथित तौर पर मंत्री इमरती देवी को 'आइटम' बताए जाने वाली टिप्पणी से सियासी बवाल मचा हुआ है। मुखयमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ पर कार्रवाई की मांग करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को खत लिखा है। सोनिया गांधी को सोमवार को लिखे पत्र में शिवराज ने कहा है कि "मध्यप्रदेश कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष कमल नाथ ने कैबिनेट मंत्री और अनुसूचित जाति वर्ग की महिला नेत्री इमरती देवी पर अभद्र एवं अशोभनीय टिप्पणी की है। जब उन्होंने यह टिप्पणी की, तब ठहाके भी लगाए। यह टिप्पणी इतनी अभद्र है कि मैं उसका उल्लेख अपने पत्र में करना किसी भी महिला का पुन: अपमान करने जैसा मानता हूं।"
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है, "मुझे इस बात की उम्मीद थी कि आप स्वयं महिला होने के नाते कमल नाथ के इस बयान को लेकर प्रकाशित हुई खबरों के आधार पर संज्ञान लेंगी तथा संवैधानिक पद पर आसीन एक महिला के अपमान का प्रतिकार करते हुए अपनी पार्टी के नेता की टिप्पणी की निंदा करेंगी और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगी, लेकिन आपने अब तक ऐसा नहीं किया है।"
चौहान ने आगे लिखा है कि कमल नाथ की टिप्पणी के बाद आपने अपने महासचिवों के साथ बैठक की, जिसमें महिलाओं के सम्मान पर चर्चा की गई, लेकिन आपने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा की गई टिप्पणी पर संज्ञान लेने की कोई जरूरत महसूस नहीं की, वहीं दूसरी ओर कमल नाथ की धृष्टता देखिए कि अपनी अशोभनीय व निंदनीय टिप्पणी को भी वे सही ठहरा रहे हैं।
शिवराज ने सोनिया से आग्रह किया है एक दलित महिला के प्रति अभद्र व अशोभनीय टिप्पणी करने वाले और उसे जायज ठहराने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी के सभी पदों से हटाएं। साथ ही उनकी कड़ी निंदा भी करें, ताकि महिलाओं का अपमान करने वाले आपकी पार्टी के नेताओं को सबक मिले।
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)| 'द इंडियन फार्मर्स परसेप्शन ऑफ द न्यू एग्री लॉज' ने पाया है कि देश में हर दूसरा किसान संसद से हाल ही में पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ है, जबकि 35 प्रतिशत किसान इन कानूनों का समर्थन करते हैं। ये खुलासा हुआ है गांव कनेक्शन के एक सर्वे में। हालांकि, यह भी पाया गया कि कृषि कानूनों का विरोध करने वाले 52 फीसदी किसानों में से 36 प्रतिशत से अधिक इन कानूनों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते। इसी तरह, कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले 35 प्रतिशत किसानों में से लगभग 18 प्रतिशत को उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता।
गांव कनेक्शन ने ये सर्वेक्षण 3 अक्टूबर से 9 अक्टूबर के बीच देश के 16 राज्यों के 53 जिलों में करवाया था।
सर्वेक्षण के अनुसार, 57 प्रतिशत किसानों में इस बात का डर है कि नए कृषि कानून लागू होने के बाद खुले बाजार में उनको अपनी फसल कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। जबकि 33 प्रतिशत किसानों को डर है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को खत्म कर देगी।
दिलचस्प बात है कि इन कृषि कानूनों का विरोध करने वाले आधे से अधिक (52 प्रतिशत) किसानों में से 36 प्रतिशत को इन कानूनों के बारे में विशेष जानकारी नहीं है। लगभग 44 प्रतिशत किसानों ने कहा कि मोदी सरकार 'प्रो-फार्मर' (किसान समर्थक) है, जबकि लगभग 28 फीसदी ने कहा कि वो 'किसान विरोधी' हैं।
इसके अलावा, सर्वेक्षण के एक अन्य प्रश्न में, अधिकांश किसानों (35 प्रतिशत) ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों के लिए अच्छा काम किया है, जबकि लगभग 20 प्रतिशत ने कहा कि सरकार निजी कंपनियों के समर्थन में है।
बता दें कि किसान और किसान संगठनों का एक वर्ग नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहा है। इन नए कानूनों पर किसानों की राय जानने के लिए, गांव कनेक्शन ने देश के सभी क्षेत्रों में फैले 5,022 किसानों का सर्वेक्षण किया।
सर्वेक्षण में पाया गया कि कुल 67 प्रतिशत किसानों को इन तीन कृषि कानूनों के बारे में जानकारी थी। दो-तिहाई किसान देश में चल रहे किसानों के विरोध के बारे में जानते थे। विरोध के बारे में जागरूकता सबसे ज्यादा देश के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र (91 प्रतिशत) के किसानों में थी, जिसमें पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश शामिल है। पूर्वी क्षेत्र (पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़) में किसानों के विरोध के बारे में सबसे कम (46 प्रतिशत) जागरूकता देखी गई।
भोपाल/अनूपपुर, 19 अक्टूबर। मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के लिए चल रहे प्रचार अभियान के दौरान बयानों का स्तर गिराए जाने का सिलसला जारी है। नया विवादास्पद बयान शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्री बिसाहू लाल सिंह का सामने आया है। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार की पत्नी को ‘रखैल’ कह दिया।
कांग्रेस ने मंत्री बिसाहू लाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता सैयद जाफर ने बिसाहू लाल के एक बयान का वीडियो ट्वीट किया है। इस वीडियो में बिसाहूलाल सिंह अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार विश्वनाथ सिंह के नामांकन में दिए गए ब्यौरे पर टिप्पणी कर रहे हैं। मंत्री कह रहे हैं कि विश्वनाथ ने अपनी पहली पत्नी का नहीं, बल्कि रखैल का ब्यौरा दिया है।
कांग्रेस प्रवक्ता सैयद जाफर ने ट्वीट कर इस पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि इसे कहते हैं महिला का अपमान। भाजपा के मंत्री बिसाहू लाल सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी की पत्नी को कहा रखैल, क्या महिलाओं के लिए ऐसे ही शब्दों का इस्तेमाल करती है भाजपा? मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तत्काल इस पर संज्ञान लेते हुए मंत्री को पद से हटाएं और प्रदेश की महिलाओं से माफी मांगें।
बिसाहू लाल सिंह उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने कांग्रेस छोडक़र भाजपा का दामन थामा था और कमल नाथ की सरकार गिराई थी। बिसाहू लाल अनूपपुर से विधानसभा उपचुनाव लड़ रहे हैं। अपने क्षेत्र के सबसे अमीर उम्मीदवार बिसाहू लाल हाल ही में एक वीडियो में नोट बांटते नजर आए थे। उन्होंने हालांकि इसे पुराना वीडियो बताया था। (आईएएनएस)
अहमदाबाद, 19 अक्टूबर (भाषा)। महात्मा गांधी के पौत्र गोपालकृष्ण गांधी ने कहा है कि अगर भारत ने अलग आर्थिक नीति अपनाई होती तो भारत कोरोना वायरस महामारी से बेहतर तरीके से निपट सकता था। उनका कहना है कि वर्तमान आर्थिक नीति के कारण बड़े पैमाने पर शहरीकरण हो रहा है और किसान शहरों का रुख करने के लिए बाध्य हैं।
वह गुजरात विद्यापीठ के 101वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। गांधी ने देश की आर्थिक नीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया क्योंकि इससे औद्योगिकीकरण और शहरीकरण को बढ़ावा मिला है जिससे ‘बड़ी आबादी इधर से उधर’ हुई है और बड़ी संख्या में किसान शहरों की तरफ जाने के लिए बाध्य हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘उदारीकण, निजीकरण या वैश्वीकरण की आर्थिक नीति से बड़ी संख्या में आबादी इधर से उधर हुई है न कि उसका पुनर्वास हुआ है। जिस तरीके से शहरों की आबादी बढ़ रही है उसने आज महामारी (कोविड-19) का तेजी से प्रसार किया है।’
उन्होंने कहा, ‘क्या शहरों की तरफ आबादी के जाने से महामारी नहीं बढ़ेगी? हमें अपनी आर्थिक नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।’ सेवानिवृत्त राजनयिक और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल ने कहा, ‘अगर हमने अलग नीति अपनाई होती तो हमारे पास ज्यादा संख्या में अस्पताल, नर्सों के लिए हॉस्टल, प्रयोगशाला तकनीशियन होने चाहिए थे न कि सरकारी स्तर पर बड़ी औद्योगिक परियोजनाएं और सामाजिक स्तर पर बड़ी संख्या में मंदिर, मस्जिद होने चाहिए थे।’
उन्होंने कहा, ‘यह महामारी 100 वर्षों के बाद आई है लेकिन कौन जानता है कि हर वर्ष एक नया वायरस आ जाए।’ उन्होंने कहा कि इस कारण गरीब लोगों को उन लोगों के कारण भुगतना पड़ता है जो महामारी के दौरान त्योहार के नाम पर सामाजिक दूरी के नियम, मास्क पहनने और साफ-सफाई आदि की बात भूल जाते हैं। गांधी ने कहा कि किसानों ने हमारे देश की खाद्य सुरक्षा के मुद्दे का समाधान किया लेकिन सरकार की तरफ से अपनाई गई नीतियों के कारण वे शहरों की तरफ जाने के लिए बाध्य हुए।
हैदराबाद, 19 अक्टूबर| मुसी नदी पर बने मशहूर पुराने पुल के एक खंभे में दरार आने के बाद इसे ट्रैफिक के लिए बंद कर दिया गया है। पुलिस ने कहा कि एक तरफ हुसैनी आलम और बहादुरपुरा की तरफ से आने वाले ट्रैफिक और दूसरी तरफ के करवन और जियागुड़ा से आने वाले ट्रैफिक को डायवर्ट कर दिया गया है। ट्रैफिक पुलिस ने पुल के दोनों सिरों पर बैरिकेडिंग कर दी है। यहां पर पुल से गुजरने वाले कुछ यात्रियों ने इसमें कंपन होने की शिकायत भी की थी।
पुराना पुल पुराने शहर और करवन, धूलपेट, जियागुड़ा, मेहदीपटनम, आसिफनगर और तपचबुत्रा जैसे क्षेत्रों को जोड़ने वाला अहम जरिया है। अब पुल के बंद होने से नदी के दोनों ओर सड़कों पर ट्रैफिक जाम हो गया है। हालांकि ट्रैफिक को पुराना पुल के समानांतर बने मुसल्लम जंग पुल की ओर मोड़ दिया गया है, जिससे थोड़ी आसानी हुई है।
पुराना पुल मुसी नदी पर बना तीसरा पुल है जिसे पिछले एक सप्ताह में शहर में हुई भारी बारिश और बाढ़ के बाद बंद किया गया है।
बता दें कि हिमायत सागर जलाशय से पानी छोड़े जाने के कारण मुसी नदी पहले से ही उफान पर है। उस पर भारी बारिश के कारण स्थिति और बिगड़ गई है।
हैदराबाद मेट्रो जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के अनुसार, हिमायत सागर का स्तर 1762.80 फीट पहुंच गया है, जबकि इस का पूरा स्तर ही 1763.500 फीट है।
अधिकारियों का कहना है कि 20 साल बाद यह पहला मौका है जब मुसी में इस तरह बाढ़ आई है। इतिहासकारों का कहना है कि 28 सितंबर, 1908 में हजारों लोग मारे गए थे, उस समय भारी बारिश के कारण मुसी नदी में आई बाढ़ ने तबाही मचा दी थी, जिसके बाद हैदराबाद राज्य के निजाम ने बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए हिमायत सागर और उस्मान सागर का निर्माण कराया था। ये जलाशय कुछ साल पहले तक पीने के पानी के एकमात्र स्रोत थे। (आईएएनएस)
आइजोल, 19 अक्टूबर| मिजोरम के अधिकारियों द्वारा प्रतिबंधात्मक आदेश खत्म करने के बाद करीब पखवाड़े भर से चल रहा त्रिपुरा-मिजोरम सीमा पर तनाव आखिरकार खत्म हो गया। दोनों राज्यों के अधिकारियों ने सोमवार को ये जानकारी दी। रविवार की देर शाम पश्चिमी मिजोरम के ममित जिला प्रशासन ने धारा 144 के तहत लगी निषेधाज्ञा आदेश को रद्द कर दिया। धारा 144 एक स्थानीय संगठन द्वारा त्रिपुरा क्षेत्र में एक मंदिर के प्रस्तावित निर्माण के बाद हुए हंगामे के मद्देनजर शुक्रवार को फूलदुंगसेई, जाम्पुई और जोमुनतलंग गांवों में लगाई गई थी।
त्रिपुरा गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव अनिंद्य कुमार भट्टाचार्जी ने 17 अक्टूबर को मिजोरम गृह विभाग के उप सचिव डेविड एच. ललथंगलिआना को जोरदार शब्दों में अपने पत्र में कहा कि ममित के जिलाधिकारी ने त्रिपुरा क्षेत्र के कुछ हिस्सों को भी गलती से शामिल कर लिया जब उन्होंने मिजोरम सीमावर्ती क्षेत्रों में निषेधात्मक आदेशों को लागू किया।
उत्तर त्रिपुरा जिले के पुलिस अधीक्षक भानुपद चक्रवर्ती ने कहा कि हालांकि मिजोरम प्राधिकरण ने निषेधात्मक आदेश को रद्द कर दिया, लेकिन त्रिपुरा स्टेट राइफल्स और पुलिस के जवान कुछ और समय तक फूलदुंगसेई गांव में रहेंगे। चक्रवर्ती ने सोमवार को आईएएनएस को बताया, "एक मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर विवादों को देखते हुए सुरक्षा बलों की तैनाती की गई। हालांकि, अभी तक कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है या हमारी तरफ किसी भी तरह का तनाव नहीं है।"
इस बीच, लुसाई (मिजो) के एक संगठन मिजो कन्वेंशन ने सोमवार को 19 और 20 अक्टूबर को फुलदुंगसेई और आस-पास के इलाकों में अपने दो दिवसीय बंद का आह्वान किया।
मिजो कन्वेंशन के अध्यक्ष जीरमतिआमा पचू ने मीडिया को बताया कि मौजूदा स्थिति के मद्देनजर वे सोमवार और मंगलवार को स्ट्राइक पर नहीं जाएंगे।
त्रिपुरा के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते मिजोरम के साथ अंतर-राज्य सीमा के साथ विवादित फुलदुंगसेई गांव में एक मंदिर के पुनर्निर्माण को रोकने का आदेश दिया था।
उत्तरी त्रिपुरा के कंचनपुर की सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) चांदनी चंद्रन ने ब्रू सोंग्रोंगमा मेथो के उपाध्यक्ष बाबूजॉय रिएंग को लिखे एक पत्र में मंदिर के पुनर्निर्माण को रोकने का निर्देश दिया था।
त्रिपुरा और मिजोरम 109 किलोमीटर की इंटर-स्टेट पहाड़ी सीमाओं को साझा करते हैं। (आईएएनएस)
प्राग, 19 अक्टूबर | चेक गणराज्य में लागू किए गए कोविड-19 प्रतिबंधों के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान दंगा करने और अधिकारियों पर हमला करने के संदेह में प्राग में 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी शहर के ओल्ड टाउन स्क्वायर में रविवार को आयोजित प्रदर्शन, प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प के बाद खत्म हो गया।
दरअसल, आधिकारिक तौर पर प्रदर्शन में सिर्फ 500 लोगों के एकत्र होने की अनुमति सीमा से अधिक लोगों के उपस्थित होने के कारण इसे खत्म कराया गया।
प्रदर्शन खत्म होने के बाद कुछ प्रदर्शनकारी चौक पर ही रहे।
उन्होंने गुस्से में पुलिस पर बीयर की बोतलें, पत्थर और अन्य वस्तुओं को फेंका, जबकि कुछ ने सुरक्षा घेरा तोड़कर भागने का प्रयास भी किया।
पुलिस ने हिंसक प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसूगैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया।
समाचार एजेंसी चेक न्यूज ने प्राग पुलिस के प्रवक्ता ईवा क्रोपाकोवा के हवाले से बताया कि कुछ 20 पुलिस अधिकारियों को प्रदर्शन के दौरान चोटें आई हैं।
विरोध प्रदर्शन में करीब 2,000 प्रदर्शनकारी शामिल हुए थे।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर | भारत ने पूर्वी लद्दाख में विवादित सीमा के पास डेमचोक सेक्टर में एक चीनी सैनिक को हिरासत में ले लिया। स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार, उसे औपचारिकताओं के पूरा होने के बाद चुशुल- मोल्दो बैठक बिंदु पर वापस भेज दिया जाएगा। उसकी पहचान चीनी सेना में सिपाही कॉरपोरल के तौर पर हुई है। भारतीय सेना ने चीन के इस सैनिक से पूछताछ की और पता लगाने की कोशिश की कि क्या वह एक जासूसी मिशन पर तो नहीं आया था।
भारतीय सेना ने एक बयान में कहा कि एक पीएलए सैनिक 19 अक्टूबर 2020 को रास्ता भटककर पूर्वी लद्दाख के डेमचोक सेक्टर में पहुंच गया था, जिसकी पहचान कॉरपोरल वांग या लांग के रूप में हुई है।
चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सिपाही ने भारतीय एजेंसियों को बताया कि उसने भारतीय सीमा में भटके हुए याक को वापस लाने के लिए विवादित सीमा पार कर ली थी।
भारतीय सेना ने बताया कि पीएलए के सैनिक को सर्दी के मौसम को देखते हुए भारतीय सुरक्षा बल ने उसे गर्म कपड़े और खाना दिया। इसके साथ ही अत्यधिक ऊंचाई और कठोर जलवायु के बीच चीनी सैनिक को चिकित्सा सुविधा देने के साथ ही ऑक्सीजन भी प्रदान की गई।
चीन सेना की तरफ से भी भारतीय सेना को बताया गया है कि उनका एक सैनिक लापता है।
भारत और चीन के बीच चार दशकों में सबसे अधिक तनाव बना हुआ है। दोनों देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर आमने-सामने हैं और दोनों पक्षों ने एहतियात के तौर पर भारी सैन्य बल और हथियारों को भी सीमा के पास तैनात किया है। वरिष्ठ सैन्य कमांडरों, राजनयिकों और मंत्रियों के बीच कई दौर की बातचीत भी तनाव को कम करने में विफल रही है।
हिमालय में सर्दियां का आगमन हो चुका है और अब सैनिकों को यहां शून्य से भी 30 डिग्री सेल्सियस कम तापमान पर देश की रक्षा करनी है।(आईएएनएस)
श्रीनगर, 19 अक्टूबर| जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को सोमवार को श्रीनगर में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। उन्हें जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष होने के दौरान फंड का कथित रूप से दुरुपयोग करने के मामले में बुलाया गया है। जानकारी के अनुसार, ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री को समन जारी किया था और उन्हें जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में 43 करोड़ रुपये की कथित हेराफेरी के संबंध में पूछताछ के लिए बुलाया।
बीसीसीआई ने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन को कथित तौर पर जम्मू-कश्मीर में क्रिकेट के प्रचार के लिए अनुदान के रूप में 2002 से 2011 तक धन दिया था, जिसमें से कथित रूप से 43.69 करोड़ रुपये का घपला कर लिया गया।
फारूक अब्दुल्ला के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला के घर पर कोई छापे नहीं मारे जा रहे हैं और ईडी द्वारा उनके पिता को तलब किया जाना महज एक राजनीतिक प्रतिशोध है।
उमर ने ट्वीट किया, "पार्टी जल्द ही ईडी के समन का जवाब देगी। गुपकर घोषणा के लिए पीपल्स अलायंस के गठन के बाद आने वाले दिनों में यह राजनीतिक प्रतिशोध से कम नहीं है। रिकॉर्ड के लिए बता दूं कि डॉ. साहब के आवास पर कोई छापेमारी नहीं की जा रही है।" (आईएएनएस)
भोपाल, 19 अक्टूबर| मध्य प्रदेश के उप-चुनाव के बीच कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के 'आइटम' वाले बयान को भाजपा ने महिलाओं और दलित वर्ग का अपमान करार देते हुए सोमवार को दो घंटे का मौनव्रत रखा। साथ ही कमल नाथ से बयान पर माफी मांगने की मांग की। वहीं कांग्रेस ने भाजपा पर असल मुददों से भटकाने की राजनीति करने का आरोप लगाया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने ग्वालियर के डबरा में बगैर किसी का नाम लिए कहा था कि इस क्षेत्र से जो विधायक रहे हैं वह आइटम है। इस बयान को मंत्री इमरती देवी से जोड़कर देखा गया, भाजपा के नेताओं ने चौतरफा हमला बोला और सोमवार को मौन व्रत रखा। भाजपा ने राज्य में एक साथ कई स्थानों पर मौत व्रत रखा।
राजधानी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुरानी विधानसभा के करीब स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने दो घंटे का मौनव्रत रखा। इस मौके पर चौहान के साथ सरकार के मंत्री नरोत्तम मिश्रा, भूपेन्द्र सिंह, विश्वास सारंग, कमल पटेल के अलावा पार्टी के पदाधिकारी भी मौजूद रहे। इसी तरह इंदौर में राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में भाजपा कार्यकतार्ओं ने रीगल चैराहे पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के समझ मौन व्रत रखा। क्षेत्रीय सांसद शंकर लालवानी, मंत्री तुलसी सिलावट सहित अनेक नेता मौजूद रहे।
इसके अलावा ग्वालियर में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की अगुवाई में दो घंटे का मौन व्रत फूलबाग क्षेत्र में रखा गया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पूर्व सांसद प्रभात झा, पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया सहित अनेक नेता मौजूद रहे।
भाजपा ने कमल नाथ के बयान को नारी का अपमान और गरीब व अनुसूचित जाति का के खिलाफ बताया तो कांग्रेस ने भाजपा की इस राजनीति पर ही सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री जीतू पटवारी का कहना है कि राज्य में बालिका और महिला अपराध बढ़ रहे हैं, कोरोना का असर बढ़ते क्रम में है, चुनाव में 15 साल का शासन बनाम 15 माह सामने है। जनता के सामने भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा उजागर हो चुका है, भाजपा और शिवराज को अब सिर्फ कमल नाथ ही नजर आ रहे हैं। वे क्या खाते हैं, क्या पीते हैं, क्या पहनते हैं और क्या बोलते हैं। वास्तव में आम जनता के असल मुददों से ध्यान भटकाने में भाजपा लगी हुई है मगर उसे इसका कोई लाभ नहीं होने वाला। ऐसा इसलिए क्योंकि जनता भाजपा को जान गई है। (आईएएनएस)
भदोही (उत्तर प्रदेश), 19 अक्टूबर| जेल में बंद विधायक विजय मिश्रा, उनके बेटे विष्णु मिश्रा और एक अन्य रिश्तेदार के खिलाफ भदोही में सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने यह जानकारी दी। एक महिला ने रविवार को गोपीगंज पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि मिश्रा ने 2014 में बंदूक की नोक पर उसका कई बार यौन उत्पीड़न किया। उसने कहा कि उनके बेटे विष्णु मिश्रा और उनके रिश्तेदार विकास मिश्रा ने भी उसके साथ दुष्कर्म किया।
गोपीगंज पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर कृष्णानंद राय ने कहा कि विजय मिश्रा, उनके बेटे विष्णु मिश्रा और रिश्तेदार विकास मिश्रा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 376 डी (सामूहिक दुष्कर्म), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कथित पीड़िता को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि वाराणसी की रहने वाली महिला ने आरोप लगाया कि उसे 2014 के आम चुनाव के दौरान भदोही में चुनाव प्रचार के लिए बुलाया गया था। उसने आरोप लगाया कि जब उसने दुष्कर्म का विरोध करने की कोशिश की, तो आरोपी ने उसे जान से मारने की धमकी दी।
अधिकारी ने कहा कि विधायक के डर से महिला मुंबई चली गई, लेकिन मामला दर्ज करने के लिए राज्य वापस आ गई जब उसे पता चला कि वह एक अन्य मामले में जेल में हैं।
विजय मिश्रा को अगस्त में संपत्ति हड़पने के एक कथित मामले में गिरफ्तार किया गया था और वह वर्तमान में आगरा जेल में हैं।
मिश्रा ने 2017 का विधानसभा चुनाव निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीता था। (आईएएनएस)
कराची, 19 अक्टूबर। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने सोमवार को कहा कि उनके पति और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दामाद व सेवानिवृत्त कैप्टन मोहम्मद सफदर को कराची के एक होटल से गिरफ्तार किया गया है। मरियम नवाज ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए कहा, "कराची में जिस होटल में मैं ठहरी थी, वहां पुलिस ने मेरे कमरे का दरवाजा तोड़ दिया और कैप्टन सफदर को गिरफ्तार कर लिया। जब वे अंदर आए, तब मैं भी कमरे में थी और सोई हुई थी।"
जानकारी के साथ उन्होंने होटल के अपने कमरे के दरवाजे का ताला दिखाते हुए एक वीडियो भी पोस्ट किया, जो पुलिस द्वारा तोड़े जाने के बाद फर्श पर गिरा था।
डॉन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, सफदर ने रविवार को पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के कराची में दूसरे पावर शो से पहले मुहम्मद अली जिन्ना की समाधि पर सरकार विरोधी नारे लगाए थे।
मकबरे की पवित्रता का उल्लंघन करने के लिए मरियम नवाज, सफदर और अन्य 200 के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
वहीं फेडरल मिनिस्टर फॉर मेरीटाइम सैयद अली हैदर जैदी ने पीएमएल-एन उपाध्यक्ष के इन दावों का खंडन किया है।
उन्होंने कहा, "मजार-ए-कायद का अपमान करने वाले गुंडों के खिलाफ आईजी सिंध द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई की सराहना करें। कानून को अपना काम करना चाहिए। मरियम एक बार फिर झूठ बोल रही है कि होटल का दरवाजा टूटा हुआ था। वीडियो दिखाने से क्या होगा। क्या आपने कोई हथकड़ी लगी देखी है? क्या ऐसा लगता है जैसे उन्हें बलपूर्वक गिरफ्तार किया गया था?"
हालांकि पुलिस ने अभी गिरफ्तारी की पुष्टि या इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। (आईएएनएस)
कानपुर, 19 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में एक दलित महिला के साथ गांव के पूर्व मुखिया सहित दो लोगों द्वारा कथित तौर पर बंदूक की नोक पर दुष्कर्म करने की घटना सामने आई है। हालांकि यह घटना एक सप्ताह पहले हुई थी, लेकिन पुलिस को रविवार को इसके बारे में सूचित किया गया।
पुलिस अधीक्षक (कानपुर देहात) केशव कुमार चौधरी ने कहा, "पीड़िता के माता-पिता द्वारा दायर एक शिकायत के अनुसार, आरोपी उनके घर में उस समय घुस आए थे जब 22 वर्षीय महिला घर पर अकेली थी और उन्होंने बंदूक की नोक पर उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके साथ ही उन्होंने पीड़िता को किसी से भी घटना के बारे में बोलने की हिम्मत करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी।"
उन्होंने आगे कहा, "आईपीसी और अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम, 1989 के संबंधित धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया है। फरार आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए एसएचओ डेरापुर, सर्कल अधिकारी और अतिरिक्त एसपी के अलावा स्वाट टीम के साथ तीन पुलिस टीमों का गठन किया गया है।"
गौरतलब है कि इससे पहले 19 सितंबर को हाथरस जिले में एक दलित महिला के साथ मारपीट करने और कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म होने के एक महीने बाद यह घटना घटी है। हाथरस मामले पर देशभर में लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। (आईएएनएस)
लखनऊ, 19 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने पार्टी विधायक सुरेंद्र सिंह को चेतावनी दी है और उनसे विभिन्न मुद्दों पर बेवजह बयान नहीं देने के लिए कहा गया है। बलिया गोलीकांड मामले के आरोपियों का खुलेआम बचाव कर रहे विधायक सुरेन्द्र सिंह को रविवार शाम को उत्तर प्रदेश भाजपा प्रमुख स्वतंत्र देव सिंह और पार्टी के संगठन सचिव सुनील बंसल से मिलने के लिए राज्य की राजधानी बुलाया गया।
स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) द्वारा बलिया की घटना में लखनऊ से मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह को गिरफ्तार करने के कुछ घंटों बाद ऐसा किया गया।
हालांकि, सुरेन्द्र सिंह को पार्टी कार्यालय के बाहर इंतजार कर रहे मीडियाकर्मियों से मिलने की 'अनुमति' नहीं थी और पार्टी कार्यकर्ता उन्हें कार तक ले गए लेकिन सूत्रों ने कहा कि उन्हें राज्य के नेतृत्व द्वारा 'चेतावनी' दी गई है।
पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, "उन्हें स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि अगर वह नहीं सुधरे और विवादित बयान देना बंद नहीं किया तो पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करेगी।"
विवादास्पद टिप्पणी करने के लिए पहजाने जाने वाले सुरेंद्र सिंह ने कहा कि वह मामले में अपना पक्ष रखने करने के लिए पार्टी कार्यालय आए थे। उन्होंने बैठक के बाद टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
सिंह, जिन्होंने आरोपी धीरेंद्र सिंह का खुले तौर पर बचाव किया था, ने दावा किया था कि इस घटना का सही तरीके से मीडिया द्वारा प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है।
बलिया के दुर्जनपुर गांव में दो दुकानों के आवंटन पर विवाद के बाद गुरुवार को धीरेंद्र प्रताप सिंह ने अधिकारियों की मौजूदगी में खुली बैठक में 46 वर्षीय एक व्यक्ति की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी थी।
शुक्रवार को बलिया जिले के बैरिया विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा विधायक ने कहा था कि धीरेंद्र ने आत्मरक्षा में गोली चलाई थी। उन्होंने दावा किया था कि अगर धीरेंद्र ने गोली नहीं चलाई होती तो घटना में उनके परिवार की दर्जनों महिलाएं मारी गई होती।
इस बीच, जय प्रकाश पाल के परिवार के सदस्यों, जिनकी कथित तौर पर धीरेंद्र सिंह ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, ने कहा कि आरोपियों के समर्थक उन्हें एक मामले में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।
पाल के बड़े भाई सूरज पाल ने कहा, "कुछ लोग हमें मामले में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। चाहे वह स्थानीय विधायक हो, या मुख्य आरोपियों के समर्थक, वे हमारे परिवार को एक मामले में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए। जय प्रकाश परिवार का खर्चा उठाते थे। सरकार को परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देनी चाहिए या आर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए।" (आईएएनएस)
मेरठ (उत्तर प्रदेश), 19 अक्टूबर। मेरठ जिले में एक युवक ने पिता द्वारा पबजी खेलने से मना करने पर चाकू से उनका गला रेत दिया। गौरतलब है कि चीनी गेमिंग ऐप पबजी भारत में केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है। घटना की जानकारी पुलिस ने सोमवार को दी। घटना में पिता गंभीर रूप से घायल हो गए, वहीं आरोपी आमिर ने भी पिता पर वार करने के बाद खुद को चाकू से घायल कर लिया। पिता और पुत्र दोनों को मेरठ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।
खबरों के अनुसार, यह घटना जिले के खरखौदा शहर के जमनानगर में गुरुवार को हुई थी, लेकिन पुलिस को घटना की सूचना तुरंत नहीं दी गई थी।
युवा ने अपने पिता इरफान पर इसलिए हमला किया, क्योंकि उन्होंने बेटे को लंबे समय तक गेम खेलने से मना किया था। अपने पिता की आलोचना से परेशान होकर आमिर ने चाकू उठाया और अपने पिता के गले पर कई बार वार किया। बाद में उसने खुद के गले पर भी वार किया।
सर्कल ऑफिसर देवेश सिंह ने कहा कि युवा के पिता ने जब उसे गेम नहीं खेलने के लिए कहा तो उसने अपने पिता का गला रेत दिया। युवा भी गंभीर हालत में है।
इंस्पेक्टर अरविंद मोहन शर्मा ने कहा कि युवक के परिवार ने बताया कि वह नशे का आदी था और उसका इलाज चल रहा था।(आईएएनएस)
भारत में कोरोना महामारी के दौर में बिहार पहला राज्य है जहाँ विधानसभा चुनाव होने जा रहा है.
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले पंद्रह साल के शासन को चुनौती देने के लिए विपक्षी महागठबंधन चुनाव मैदान में है, इतना ही नहीं कुछ और नए गठबंधन भी इस बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
एक नज़र बिहार विधानसभा चुनाव की उन बातों पर जो जानना आपके लिए ज़रूरी हैं.
बिहार में चुनाव कब हैं?
- मतदान 28 अक्तूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को होगा.
- 28 अक्तूबर को पहले चरण में 16 ज़िलों की 71 सीटों पर मतदान होगा.
- 3 नवंबर को दूसरे चरण में 17 ज़िलों की 94 सीटों पर मतदान होगा.
- 7 नवंबर को तीसरे चरण में 15 ज़िलों की 78 सीटों पर मतदान होगा.
- मतों की गणना 10 नवंबर को होगी. बिहार में इस बार कुल वोटर की संख्या करीब 7 करोड़ 30 लाख है.
2015 की बिहार विधानसभा की तस्वीर
बिहार की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो रहा है. बिहार में विधान सभा की कुल 243 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए मैज़िक नंबर 122 है.
बिहार में फ़िलहाल जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. जदयू नेता नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री हैं जबकि बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी उप-मुख्यमंत्री हैं.
2015 में नीतीश कुमार की अगुआई में जदयू ने लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ चुनाव लड़ा था. उस समय जदयू, राजद, कांग्रेस और अन्य दलों को मिलाकर एक महागठबंधन बना था. इन लोगों ने मिलकर सरकार बनाई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बने और उप मुख्यमंत्री बने लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव.
लेकिन 2017 में नीतीश कुमार ने राजद से गठबंधन तोड़ लिया और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई. तब बीजेपी के पास 53 विधायक थे.
कांग्रेस ने पिछला चुनाव राजद, जदयू और अन्य दलों के महागठबंधन में साथ मिलकर लड़ा था और उसे 27 सीटें मिली थीं. बीजेपी की सहयोगी लोकजनशक्ति पार्टी 2 सीटें ही जीत सकी थी.
2020 में गठबंधन की तस्वीर
इस बार के चुनाव में चार गठबंधन मैदान में हैं. एनडीए और महागठबंधन के अलावा बिहार में इस बार ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट और प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन ऐसे हैं, जो चुनाव से ठीक पहले बने हैं.
सत्ता में वापसी की कोशिश में लगी राजद ने पिछले चुनाव में ही महागठबंधन बनाया था. भाजपा और जदयू को कुर्सी से हटाने के लिए महागठबंधन में इस बार वामपंथी दलों को भी साथ लिया गया है. कांग्रेस उनके साथ पहले से ही है. महागठबंधन में राजद 144 सीटों पर, कांग्रेस 70 सीटों पर और लेफ्ट पार्टियाँ 29 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही हैं.
एनडीए गठबंधन में इस चुनाव में बीजेपी और जदयू के अलावा वीआईपी के मुकेश साहनी, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी भी शामिल हो गए हैं. लोजपा इस बार गठबंधन का हिस्सा नहीं है. इन पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा हो चुका है.
जदयू 122 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और बीजेपी 121 सीटों पर. जदयू ने अपने खाते से 7 सीटें जीतन राम मांझी की हम पार्टी को दिया है, वहीं भाजपा मुकेश सहनी की वीआईपी को अपने हिस्से से 11 सीटें दे रही है.
महागठबंधन और एनडीए के अलावा एक तीसरा गठबंधन भी है. रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा, बहुजन समाजवादी पार्टी की मायावती, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, जनवादी पार्टी सोशलिस्ट के संजय चौहन और सोहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भी गठबंधन बनाया है, जिसे ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट का नाम दिया गया है.
जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन यानी पीडीए बनाने की घोषणा की है. इस गठबंधन में चंद्रशेखर आजाद की अध्यक्षता वाली आजाद समाज पार्टी, एमके फैजी के नेतृत्व वाली सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी एसडीपीआई और बीपीएल मातंग की बहुजन मुक्ति पार्टी शामिल हैं. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग अब इस गठबंधन का हिस्सा नहीं है.
चुनावी मैदान में अहम चेहरे
महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव राघोपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे. वहीं उनके बड़े भाई तेज प्रताप ने अपना विधानसभा क्षेत्र महुआ से बदलकर हसनपुर कर लिया है. इन दोनों की जीत-हार पर सबकी नज़रें होंगी.
दूसरी तरफ़ एनडीए ने साफ़ किया है कि वो नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेंगे. जदयू की तरफ़ से जो सबसे चर्चित नाम चुनाव मैदान में हैं उनमें लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के ससुर चंद्रिका राय सबसे अहम हैं.
चंद्रिका राय इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल में रह चुके हैं. वो राजद से मंत्री भी रहे थे. चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या की शादी तेज प्रताप से हुई थी. राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के बेटे को भी जनता दल यूनाइटेड ने अपना उम्मीदवार बनाया है.
जदयू ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले से चर्चा में आईं मंजू वर्मा को भी उम्मीदवार बनाया है. बालिका गृह मामले में मंजू वर्मा को मंत्री पद गंवाना पड़ा था. अब इन्हें चेरियाबरियारपुर से फिर टिकट मिला है.
बिहार डीजीपी के पद से वीआरएस लेकर जनता दल (यूनाइटेड) से राजनीतिक पारी शुरू करने वाले गुप्तेश्वर पांडे को बक्सर सीट से टिकट नहीं मिला. पहले इस सीट से उनके चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही थी.
बिहार चुनाव में इस बार एक चर्चित चेहरा पुष्पम प्रिया चौधरी का भी है. खुद को बिहार का सीएम उम्मीदवार बताने वालीं पुष्पम प्रिया चौधरी पटना के बांकीपुर और मधुबनी के बिस्फी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी. पुष्पम प्रिया जदयू से एमएलसी रह चुके विनोद चौधरी की बेटी हैं.
पुष्पम प्रिया की 12वीं तक की पढ़ाई दरभंगा में हुई जिसके बाद वो विदेश पढ़ने चली गईं. लंदन से पढ़कर लौटीं तो सीधे बिहार चुनाव में उतर गईं. इस चुनाव में उन्होंने प्लूरल्स नाम की एक पार्टी बनाई है.
राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक विजेता श्रेयसी सिंह जमुई विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. श्रेयसी, बिहार की राजनीति में दादा के नाम से मशहूर दिग्विजय सिंह की बेटी हैं.
इस बार के चुनाव की ख़ासियत
उम्मीदवारों के अलावा रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान पर भी इन चुनावों में सबकी नज़र होगी. चिराग इस समय बिहार की जमुई लोकसभा सीट से सांसद हैं, लेकिन उनके नेतृत्व में लोक जनशक्ति पार्टी कैसा प्रदर्शन करती है, ये देखना अहम होगा. उनके राजनीतिक करियर के लिए ये चुनाव काफ़ी अहम माना जा रहा है.
चुनाव से ठीक बीस दिन पहले लोजपा के नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन हो गया. चिराग पासवान ने इस बार एनडीए में शामिल ना होकर अलग चुनाव लड़ने का फ़ैसला लिया है. पिता की विरासत को चिराग आगे कैसे बढ़ाते हैं, ये देखना दिलचस्प होगा.
बिहार विधानसभा का ये चुनाव इसलिए भी अहम होगा क्योंकि लालू यादव प्रचार से दूर रहेंगे. लालू यादव फ़िलहाल जेल में हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के समय वे काफ़ी सक्रिय थे और माना जाता है कि गठबंधन में नीतीश कुमार को लाने में उनकी अहम भूमिका थी.
वहीं, बिहार चुनाव में पहली बार गांधी मैदान में लाखों लोगों की भीड़ को संबोधित करने वाली चुनावी रैलियां नहीं होंगी. डिज़िटल रैलियों के साथ चुनाव प्रचार का तरीका पूरी तरह बदल गया है .
इन मुद्दों पर लड़ा जा रहा है चुनाव
कोरोना महामारी के बीच होने वाला ये पहला विधानसभा चुनाव है. जनता महामारी के डर से पोलिंग बूथ पर कितना पहुंचती है यह भी देखना होगा. राज्य सरकार ने बिहार में बीमारी फैलने से रोकने के लिए कितने इंतज़ाम किए हैं और जनता उनके काम से कितनी खुश है, नतीजों से यह भी ज़ाहिर होगा.
नीतीश सरकार 15 साल से सत्ता में है, ऐसे में वो सत्ता विरोधी लहर भी झेल रहे हैं.
प्रदेश के अस्थायी शिक्षकों में 'समान काम समान वेतन' ना देने को लेकर ग़ुस्सा है. बेरोज़गारी, शिक्षा और स्वास्थ्य के अलावा प्रवासी मजदूरों का मुद्दा भी इन चुनावों में जोर-शोर से उठाया जा रहा है.
लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर कोरोना की वजह से प्रदेश में लौट कर आ गए हैं. उनके पास काम-धंधा नहीं है. उनकी राय भी इस चुनाव में काफ़ी अहम मानी जा रही है.
एक कोशिश फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले को भुनाने की भी दिखी थी.
इस चुनाव का राष्ट्रीय महत्व
देश की राजनीति में बिहार की अहमियत किसी से छुपी नहीं है. केंद्र में कांग्रेस की जड़ें हिला देने वाले जेपी आंदोलन की शुरुआत भी यहीं से हुई थी. यहाँ राज्य और राष्ट्रीय स्तर के चुनाव में वोटिंग पैटर्न में जमीन-आसमान का अंतर देखने को मिलता है.
2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 40 में से 39 सीट पर जीत दर्ज की थी. क्या एनडीए गठबंधन इस चुनाव में भी वही प्रदर्शन दोहरा पाएगा, इस पर सबकी नज़रें होंगी.
जेपी नड्डा के बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ये दूसरा विधानसभा चुनाव है. इससे पहले दिल्ली में चुनाव हुए थे, जिसमें बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में उनकी किस्मत भी दांव पर हैं.
सीएए-एनआरसी का विरोध, 370 हटाया जाना, नए कृषि बिल का विरोध - एनडीए के दूसरे कार्यकाल में केंद्र सरकार के लिए इन तमाम विवादित फ़ैसलों को जनता कैसे देख रही है, इसका असर भी चुनाव में देखने को मिलेगा.
सबसे बड़ी बात यह है कि पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार ने कोरोना महामारी को जिस तरह से हैंडल किया उससे जनता खुश है या नहीं, इस चुनाव के नतीजे इस बात की भी गवाही देंगे.
कोरोना से जुड़े दिशानिर्देश
बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनाव आयोग द्वारा दिए गए कोरोना दिशानिर्देश का भी परीक्षण होगा. ये दिशानिर्देश सितंबर के महीने में जारी किए गए थे. इनके मुताबिक :
1. नामांकन दाख़िल करते वक्त उम्मीदवार के साथ केवल दो व्यक्ति मौजूद होंगे. उम्मीदवार अपना नामांकन ऑनलाइन कर सकते हैं और वो चुनाव लड़ने के लिए लगने वाली ज़मानत राशि भी ऑनलाइन जमा कर सकते हैं.
2. रोड शो के दौरान कोई भी उम्मीदवार अधिकतम पाँच वाहनों का इस्तेमाल कर पाएँगे.
3. मतदान के दिन अगर किसी मतदाता में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए, तो उन्हें एक टोकन दिया जाएगा और उस टोकन के माध्यम से वे मतदान के अंतिम घंटे में अपना वोट डाल पाएँगे.
4. ईवीएम मशीन में मतदान करने से पहले मतदाताओं को दस्ताने दिए जाएँगे.
5. एक मतदान केंद्र पर अधिकतम एक हज़ार मतदाता वोट दे सकेंगे. पहले मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1500 थी.
6. सभी मतदाताओं के लिए मास्क पहनना अनिवार्य होगा, जिसे पहचान ज़ाहिर करने के लिए थोड़ी देर के लिए उन्हें हटाना होगा.
7. कोरोना संक्रमित और क्वारंटीन में रह रहे मरीज़ों को स्वास्थ्य अधिकारियों की मौजूदगी में मतदान के अंतिम घंटे में वोट डालने की इजाज़त होगी. इस दौरान संक्रमण की रोकथाम के लिए तमाम उपाय किए जाएँगे.
8. महामारी की वजह से मतदान का समय एक घंटे बढ़ा दिया गया है. अब अति संवेदनशील क्षेत्रों को छोड़कर ज़्यादातर मतदान केंद्रों पर मतदान सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक होगा.
हालाँकि, दिशानिर्देशों में वर्चुअल रैली और डिजिटल कैंपेन को लेकर कुछ नहीं कहा गया है. लेकिन, राज्य के नौ विपक्षी दलों ने बीजेपी के डिज़िटल कैंपेन पर सवाल उठाते हुए जुलाई महीने में चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा था.(bbc)