नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिवंगत केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक राम विलास पासवान का अंतिम संस्कार शनिवार को पटना में होगा। इससे पहले उनका पार्थिव शरीर आखिरी दर्शन के लिए दिल्ली में उनके आवास 12 जनपथ पर शुक्रवार को रखा गया। पासवान के बेटे चिराग पासवान ने कहा कि शुक्रवार शाम 5 बजे स्वर्गीय राम विलास पासवान का पार्थिव शरीर दिल्ली से पटना ले जाया जाएगा। पटना हवाई अड्डे से पार्थिव शरीर सीधा विधानसभा भवन ले जाया जाएगा जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को पटना पार्टी कार्यालय में देर रात 10.30 बजे तक अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।
शनिवार सुबह 8 बजे से स्वर्गीय राम विलास पासवान के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए उनके बोरिंग रोड एसके पुरी स्थित आवास पर रखा जाएगा।
शनिवार को 1.30 बजे जनार्दन घाट दिघा में अंतिम संस्कार किया जाएगा। बेटे चिराग पासवान स्वर्गीय राम विलास पासवान को मुखाग्नि देंगे।
बता दें कि केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान का गुरुवार को दिल्ली में एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।
राम विलास पासवान के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत दूसरे केंद्रीय मंत्रियों व राजनीति दलों के नेताओं ने शोक जताया है।
राम विलास पासवान ने वर्ष 2000 में जनता दल (यूनाइटेड) से अलग होकर लोजपा का गठन किया था। पिछले साल पार्टी की अपने पुत्र कमान चिराग पासवान को सौंपने से पहले वह लोजपा के संस्थापक अध्यक्ष रहे।
राम विलास पासवान केंद्र सरकार में उपभोक्ता मामले, खाद्य एंव सार्वजनिक वितरण मंत्री थे। बीमार होने के कारण वह बीते एक महीने से ज्यादा समय से अस्पताल में भर्ती थे और हाल ही में उनके हृदय का ऑपरेशन हुआ था।
बांदा, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक भयावह घटना में, एक शख्स ने अवैध संबंधों के शक में अपनी पत्नी का सिर काट दिया और कटा सिर लेकर थाने पहुंच गया। उसे पड़ोसी के साथ अपनी पत्नी का अवैध संबंध होने का संदेह था। घटना बांदा जिले के नेतनगर इलाके में शुक्रवार को हुई। पति ने पत्नी के कटे सिर के साथ पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
पुलिस के अनुसार, इस भयावह घटना से पहले, चिनार यादव का अपनी पत्नी विमला के साथ झगड़ा हुआ था।
गुस्से में, यादव ने तेज धार वाले हथियार से उसका सिर काट दिया और बबेरू पुलिस स्टेशन लेकर पहुंच गया, जहां उसने आत्मसमर्पण कर दिया।
पुलिस अधीक्षक, महेंद्र प्रताप सिंह चौहान ने कहा, " पुलिस ने यादव को गिरफ्तार कर लिया है और हत्या में इस्तेमाल हुए हथियार को बरामद कर लिया है। महिला के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।"
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा 'नबन्ना चलो' के आह्वान के एक दिन बाद राज्य में तृणमूल के नेतृत्व वाली सरकार को टक्कर देने के लिए कांग्रेस कोलकाता में एक रैली आयोजित करने जा रही है। यह रैली शनिवार को आयोजित होगी।
बंगाल में पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश प्रभारी जितिन प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस राज्य में लोगों के मुद्दे को अधीर रंजन चौधरी के नेतृत्व में उठाएगी। अधीर रंजन कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
प्रसाद ने कहा, "पार्टी की शनिवार को आयोजित होने वाली रैली में मूल्य वृद्धि, बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, बिजली के बढ़ते बिल पर ध्यान आकर्षित किया जाएगा, यह राज्य सरकार की विफलता के कारण है, राज्य में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है।"
कांग्रेस भी राज्य में विपक्षी कार्यकतार्ओं और नेताओं के उत्पीड़न को लेकर सावधान है। भाजपा भी यह मुद्दा पिछले कुछ समय से उठा रही है।
एक ओर जहां भाजपा राज्य में ममता बनर्जी को साधने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है, वहीं कांग्रेस को अपने संगठन का पुनर्गठन करना पड़ेगा।
जितिन प्रसादा ने कहा, "कांग्रेस जल्द ही राज्य समितियों की घोषणा करेगी।"
टीएमसी के साथ मौजूदा गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पार्टी राज्य में खुद को मजबूत कर रही है और वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।
वहीं पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "कांग्रेस केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से लड़ रही है। जब ब्रिटिश शासकों ने देश के किसानों पर अत्याचार किया था, कांग्रेस तब भी किसानों के साथ खड़ी थी। आज भी स्थिति अलग नहीं है, जहां भी अन्याय होता है, जहां भी उत्पीड़न होता है, कांग्रेस हमेशा उनके लिए खड़ी रहेगी।"
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के एक दिन बाद, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया है। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, "प्रधानमंत्री की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति ने निर्देश दिया है कि कैबिनेट मंत्री पीयूष गोयल को उनके मौजूदा विभागों के अलावा, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा जाए।"
इससे पहले, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पासवान के निधन पर शोक व्यक्त किया, और दिवंगत नेता की स्मृति में दो मिनट का मौन भी रखा।
कैबिनेट ने पासवान के लिए एक राजकीय अंतिम संस्कार को मंजूरी दी और प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया कि, "कैबिनेट केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करता है। उनके निधन से राष्ट्र ने एक प्रख्यात नेता, एक प्रतिष्ठित सांसद और एक योग्य प्रशासक को खो दिया है।"
जयपुर, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| राजस्थान में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक मंदिर के 50 वर्षीय पुजारी को राज्य के करौली में छह दबंगों द्वारा पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया। उसने मंदिर अधिकारियों की जमीन पर अतिक्रमण करने के प्रयास का विरोध किया था, जिसके बाद इस खौफनाक वारदात को अंजाम दे दिया गया। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
बुरी तरह जले पुजारी ने एसएमएस अस्पताल में गुरुवार शाम को दम तोड़ दिया।
करौली के एसपी मृदुल कच्छवा के अनुसार, पुलिस ने बुकना गांव में हुए अपराध के 24 घंटे के भीतर मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
पुजारी बाबूलाल वैष्णव ने अपने बयान में कहा कि वह और उनका परिवार गांव में राधा कृष्ण मंदिर की देखरेख कर रहे थे और मंदिर के नाम पर आवंटित भूमि का उपयोग उनके द्वारा खेती के लिए किया जा रहा था।
गुरुवार को सुबह करीब 10 बजे आरोपी कैलाश कुछ लोगों के साथ आया और जमीन पर टिन शेड लगाने लगा। जब वैष्णव ने विरोध किया, तो उन्होंने उस पर पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी।
अपराध की गंभीरता को देखते हुए, एसपी ने टीमों का गठन किया है और अपराधियों का पता लगाने के लिए जांच शुरू की है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन इस मामले में अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए उनकी तलाश की जा रही है।
अपनी प्राथमिकी में पुजारी के भतीजे ने कहा कि छह लोग इस अपराध में शामिल हैं, जिन्होंने पुजारी को पेट्रोल डालकर आग के हवाले कर दिया।
इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने बयान में कहा कि यह एक अत्यंत निंदनीय अपराध है। बढ़ती अपराध की घटनाओं को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि दलित, महिलाएं, व्यापारी, बच्चे, राज्य में कोई भी सुरक्षित नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार को नींद से जागने और आरोपियों को इस मामले में सख्त सजा देने की जरूरत है।
कोच्चि, 9 अक्टूबर (आईएएनएस) केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के पूर्व प्रधान सचिव शिवशंकर शुक्रवार को कस्टम कार्यालय में सोने की तस्करी मामले में पूछताछ के लिए हाजिर हुए। शिवशंकर कस्टम अधिकारियों के समक्ष दूसरी बार उपस्थित हो रहे हैं।
उनसे पहले ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पूछताछ कर चुकी है।
सोने की तस्करी के मामले का खुलासा तब हुआ, जब यूएई वाणिज्य दूतावास के एक पूर्व कर्मचारी पी.एस. सरित को कस्टम विभाग ने 5 जुलाई को गिरफ्तार किया था, वह दुबई से तिरुवनंतपुरम जाने के लिए राजनयिक के सामान में 30 किलोग्राम सोने की तस्करी कर रहा था।
यह मामला सुर्खियों में तब आया, जब वाणिज्य दूतावास की एक पूर्व कर्मचारी स्वप्ना सुरेश का नाम सामने आया। वह राज्य के आईटी विभाग में काम कर रही थी और उसके साथ शिवशंकर के संबंध उजागर हुए थे।
सोने की तस्करी के मामले के अलावा आरोपियों के विजयन के दूसरे प्रोजेक्ट से भी गहरे संबंध हैं। यह परियोजना त्रिशूर की 'लाइफ मिशन' प्रोजेक्ट है और इस परियोजना के तहत बन रहे फ्लैट यूएई आधारित चैरिटी ऑर्गनाजेशन 'रेड क्रिसेंट' के फंड से बनाए जा रहे थे।
ईडी द्वारा बुधवार को दायर किए गए 303 पन्नों की प्रारंभिक चार्जशीट, जो स्वप्ना की गवाही पर आधारित है, उससे खुलासा हुआ कि विजयन को उसके स्पेस पार्क में पोस्टिंग की जानकारी थी, साथ ही शिवशंकर के साथ उसके संबंध के बारे में भी उन्हें पता था। जानकारी के अनुसार शिवशंकर स्वप्ना के मेंटॉर हैं और विजयन उनसे छह बार मिल चुके हैं।
वहीं विजयन ने कहा था कि उनके आईटी विभाग के तहत स्वप्ना की नौकरी के बारे में वे नहीं जानते थे।
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सीपीआई-माओवादी के एक सदस्य को गिरफ्तार किया है, जो आतंकवादी गतिविधियों के लिए एक सहयोगी के माध्यम से धन प्राप्त करता था और भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार आरोपियों के संपर्क में भी था। एनआईए के एक अधिकारी ने कहा कि इसने गुरुवार रात झारखंड की राजधानी रांची से स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया। वह सीपीआई (माओवादी) का सक्रिय सदस्य है।
उसे शुक्रवार को मुंबई लाया जा रहा है।
अधिकारी ने कहा कि स्वामी ने माओवादी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए एक सहयोगी के माध्यम से धन भी प्राप्त किया।
अधिकारी ने बताया कि स्वामी सीपीआई (माओवादी) के फ्रंटल संगठनों पीपीएससी का संयोजक है।
अधिकारी ने कहा, "तलाशी के दौरान सीपीआई (माओवादी) की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए कम्युनिकेशन से जुड़े दस्तावेज और सीपीआई (माओवादी) की प्रचार सामग्री और साहित्य उसके कब्जे से जब्त किए गए।"
अधिकारी ने कहा कि नक्सली गतिविधियों को बढ़ाने के लिए वह कुछ षड्यंत्रकारियों जैसे सुधीर धवले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गडलिंग, अरुण फरेरा, वर्नोन गोंसाल्वेस, हनी बाबू, शोमा सेन, महेश राउत, वरावारा राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलक्खा और आनंद तेलतुम्बडे के संपर्क में पाया गया।
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने आधिकारिक गोपनीयता कानून (ओएसए) के तहत ट्रायल का सामना कर रहे भारतीय वायु सेना के एक पूर्व अधिकारी को 'देश के लिए खतरनाक' बताया। साथ ही पूर्व अधिकारी की जमानत याचिका खारिज कर दी। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और वी. रामासुब्रमण्यन ने रंजीत के.के. द्वारा दायर दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
रंजीत कथित रूप से पाकिस्तान की खुफिया सेवा के साथ संवेदनशील सूचनाओं को साझा करने के लिए ट्रायल का सामना कर रहे हैं।
पीठ ने कहा, "आप पूरे देश के लिए खतरनाक हैं। आप जहां हैं, अभी वहीं रहिए।"
रंजीत के वकील ने पीठ के समक्ष दलील दी कि उनके मुवक्किल ने केरल में रह रही अपनी मां को पांच साल से नहीं देखा है, क्योंकि वह ओएसए के तहत जेल में रह रहे हैं। इस पर पीठ ने जवाब दिया, "आपको यह सब करने से पहले सोचना चाहिए था।"
कोर्ट ने कहा, "विशेष अवकाश याचिका को खारिज कर दिया गया है। यदि कोई लंबित आवेदन हो तो उसका भी निपटारा किया जाएगा।"
रंजीत ने पहले हाईकोर्ट से उन्हें जमानत देने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि उनकी गिरफ्तारी के समय वह युवा थे और उनके खिलाफ लगे आरोप की धारा के तहत अधिकतम 14 साल की सजा का प्रावधान है।
उन्होंने लीडिंग एयरक्राफ्टमैन के तौर पर आईएएफ ज्वॉइन किया था।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में उल्लेख किया था कि उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और आदेश के अनुसार उन पर जो आरोप लगाए गए हैं, उससे पता चलता है कि याचिकाकर्ता पर उन व्यक्तियों को संवेदनशील डेटा देने का आरोप है, जो देश की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा पैदा करना चाहते थे।
पुलिस ने आरोप लगाया था कि उन्होंने हनीट्रैप में फंसने के बाद पाकिस्तान की सीक्रेट सेवा के साथ संवेदनशील जानकारी साझा की थी।
जमानत से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने यह भी ध्यान में रखा कि उनके खिलाफ विभिन्न दस्तावेज बरामद किए गए हैं, जिसमें व्हाट्सएप चैट हिस्ट्री, वायु सेना का नक्शा आदि शामिल हैं।
मुंबई, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि एमपीसी ने रेपो रेट को चार फीसदी पर बरकार रखने का फैसला लिया है। इसके साथ ही रिवर्स रेपो रेट में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है। रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर बरकरार रहेगी।
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में प्रवेश परीक्षाओं को सुचारू रूप से कराए जाने के चलते दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डीएसडीयू) के 500 छात्र स्वयंसेवक (वोलंटियर) अपनी सहायता प्रदान करेंगे। ये परीक्षाएं 12 अक्टूबर से शुरू होंगी। डीएसडीयू के अध्यक्ष अक्षत दहिया ने कहा कि छात्र संघ ने छात्र स्वयंसेवकों के एक सेल के गठन का निर्णय लिया है, जिनके द्वारा पहले वर्ष के विद्यार्थियों की आगामी प्रवेश परीक्षाओं की प्रक्रिया में प्रशासन की सहायता की जाएगी। उन्होंने कहा, "विश्वविद्यालय की प्रवेश समिति के साथ एक बैठक आयोजित की गई, जहां हमने समिति को अपना समर्थन प्रदान किया है।"
दहिया ने आईएएनएस को बताया कि स्वयंसेवकों को प्रवेश कक्ष में तैनात किए जाने से पहले उनकी एक ट्रेनिंग कराई जाएगी। वह कहते हैं, "हमने स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है। शुक्रवार और शनिवार को उनके लिए इस पर एक मॉक ट्रेनिंग आयोजित की जाएगी, जहां उन्हें बताया जाएगा कि भावी छात्रों और प्रवेश समिति के सदस्यों की सहायता कैसे की जाए।"
दहिया ने आगे बताया, "हमारे नंबर और ईमेल-आईडी विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर दिखाई देंगे और अगर भावी छात्रों को प्रक्रिया में कहीं कोई परेशानी होती है, तो वे हमसे सीधे तौर पर संपर्क कर सकते हैं।"
इस बीच, छात्र संघ ने प्रशासन से मार्कशीट अपलोड करने की अंतिम तिथि को बढ़ाने का भी अनुरोध किया है और त्रुटि मुक्त प्रक्रिया के लिए छात्रों के लिए एक उचित वेबिनार का संचालन सुनिश्चित करने की भी बात कही है।
कोविड-19 महामारी के चलते उत्पन्न हुई इस स्थिति की वजह से इस साल पहली बार विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा की संपूर्ण प्रक्रियाएं ऑनलाइन होंगी।
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन पर शुक्रवार को शोक स्वरूप राष्ट्रध्वज आधा झुका रहेगा। गृह मंत्रालय के बयान के अनुसार, दिवंगत राम विलास पासवान के सम्मान में शुक्रवार को देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रध्वज आधा झुका रहेगा। जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा वहां अंतिम संस्कार के दिन भी राष्ट्रध्वज झुका रहेगा। राम विलास पासवान का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। पासवान का गुरुवार को यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 74 वर्ष के थे।
लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक राम विलास पासवान का अंतिम संस्कार शनिवार को पटना में होगा। इससे पहले उनका पार्थिव शरीर आखिरी दर्शन के लिए अस्पताल से सीधे यहां उनके आवास 12 जनपथ पर शुक्रवार को लाया गया। यह जानकारी लोजपा की ओर से दी गई। जानकारी के अनुसार, राम विलास पासवान का पार्थिव शरीर शुक्रवार को ही पटना ले जाया जाएगा। पटना में उनका पार्थिव शरीर लोजपा कार्यालय में रखा जाएगा। अगले दिन शनिवार को पटना में ही उनका अंतिम संस्कार होगा।
पासवान के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत दूसरे केंद्रीय मंत्रियों व राजनीति दलों के नेताओं ने शोक जताया है।
पासवान ने वर्ष 2000 में जनता दल (यूनाइटेड) से अलग होकर लोजपा का गठन किया था। पिछले साल पार्टी की कमान अपने पुत्र कमान चिराग पासवान को सौंपने से पहले वह लोजपा के संस्थापक अध्यक्ष रहे।
राम विलास पासवान केंद्र सरकार में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री थे। बीमार होने के कारण वह बीते एक महीने से ज्यादा समय से अस्पताल में भर्ती थे और हाल ही में उनके हृदय का ऑपरेशन हुआ था।
चर्चित सोशल एक्टिविस्ट फ़ादर स्टेन स्वामी राँची में गिरफ़्तार कर लिए गए हैं. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की मुंबई से आई एक टीम ने गुरुवार की देर शाम उन्हें गिरफ़्तार किया.
उनकी गिरफ्तारी 'बगईचा' स्थित उनके दफ्तर से की गई. 83 साल के स्टेन स्वामी अपने दफ्तर के ही एक कमरे में अकेले रहते हैं.
उन पर भीमा कोरेगांव मामले में संलिप्तता का आरोप है. एनआईए ने उन पर आतंकवाद निरोधक क़ानून (यूएपीए) की धाराएं भी लगाई हैं.
केंद्र की मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 1967 में बने इस क़ानून (यूएपीए) में पिछले साल संशोधन किया था.
तब विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इसका कड़ा विरोध किया था क्योंकि, इस संशोधन के जरिये न केवल संस्थाओं बल्कि व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकता है.
आदिवासियों के अधिकारों के लिए मुखर रहे स्टेन स्वामी पर यूएपीए के साथ भारतीय दंड विधान (आइपीसी) की कई और संगीन धाराएं लगाई गई हैं.
एनआईए ने इस गिरफ़्तारी को मीडिया के लिए सार्वजनिक नहीं किया है लेकिन बीबीसी के पास वह आधिकारिक पत्र (मेमो) है, जिसमें एनआईए के इंस्पेक्टर अजय कुमार कदम ने स्टेन स्वामी को गिरफ़्तार किए जाने की पुष्टि की है. इसकी एक प्रति स्टेन स्वामी को भी दी गई है.
उनके सहयोगी पीटर मार्टिन ने बीबीसी से इसकी पुष्टि की.
पीटर मार्टिन ने कहा, "एनआईए के अधिकारियों ने हमें उनके कपड़े और सामान लाने का निर्देश दिया है. हमें ये सारा सामान रात में ही पहुंचा देने की सलाह दी गई है."
"अभी यह नहीं बताया गया है कि एनआईए की टीम उन्हें रांची कोर्ट में हाज़िर कराएगी या वे सीधे मुंबई ले जाए जाएंगे. हम लोग इसे लेकर चिंतित हैं. क्योंकि, फादर स्टेन स्वामी की उम्र काफी अधिक है और वो बीमार भी रहते हैं."
कैसे हुई गिरफ़्तारी?
झारखंड जनाधिकार महासभा से जुड़े सिराज दत्ता ने बीबीसी को बताया कि गुरुवार की देर शाम स्टेन स्वामी के दफ्तर पहुंची एनआईए की टीम ने उनसे करीब आधे घंटे तक पूछताछ की.
टीम में शामिल लोगों ने इस दौरान सामान्य शिष्टाचार भी नहीं बरता. उन लोगों ने गिरफ़्तारी या सर्च करने का कोई वारंट भी नहीं दिखाया.
बातचीत के दौरान और उसके बाद की कार्रवाईयों को लेकर पारदर्शिता भी नहीं बरती गई.
वे स्टेन स्वामी को लेकर एनआईए के कैंप कार्यालय चले गए और कई घंटे बाद उनकी गिरफ़्तारी का आधिकारिक पत्र सौंपा.
जबकि उन्होंने (स्टेन स्वामी) दो दिन पहले ही एक बयान जारी कर कहा था कि एनआईए उन पर झूठे आरोप लगा रही है.
स्टेन स्वामी का बयान
स्टेन स्वामी ने छह अक्टूबर को कहा था कि एनआईए ने 27-30 जुलाई और 6 अगस्त को उनसे करीब 15 घंटे तक पूछताछ की थी. इसके बाद भी वे मुझे मुंबई बुलाना चाहते थे.
यूट्यूब पर झारखंड जनाधिकार महासभा द्वारा जारी किए गए इस वीडियो में स्टेन स्वामी ने कहा था, "एनआईए के अधिकारियों ने पूछताछ के दौरान मेरे सामने कई वैसे दस्तावेज रखे, जो कथित तौर पर मेरे संबंध माओवादियों से होने का खुलासा करते हैं."
उन्होंने कहा था, "उन लोगों ने दावा किया कि ये दस्तावेज और जानकारियां एनआईए को मेरे कंप्यूटर से मिली हैं. तब मैंने उन्हें कहा कि यह साजिश है और ऐसे दस्तावेज चोरी से मेरे कंप्यूटर में डाले गए हैं. इसलिए मैं इन्हें खारिज करता हूं."
"एनआईए की ताज़ा जांच का उस भीमा कोरेगांव मामले से कोई संबंध नहीं है, जिसमें मुझे आरोपी माना गया है. एनआईए मेरा संबंध माओवादियों से होने का झूठा आरोप साबित करना चाहती है. मैंने इसका खंडन भी किया है."
"मेरा सिर्फ इतना कहना है कि जो आज मेरे साथ हो रहा है वैसा कई और लोगों के साथ भी हो रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, लेखक, पत्रकार, छात्र नेता, कवि, बुद्धिजीवी और अन्य अनेक लोग, जो आदिवासियों, दलितों और वंचितों के लिए आवाज उठाते हैं और देश की वर्तमान सत्तारुढ़ ताकतों की विचारधाराओं से असहमति जताते हैं, उन्हें विभिन्न तरीकों से परेशान किया जा रहा है."
रांची पुलिस को जानकारी नहीं
एनआईए ने अपनी कार्रवाई के बाबत झारखंड पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी थी. लोगों से मिली जानकारी के बाद रांची पुलिस की एक टीम स्टेन स्वामी के दफ्तर पहुंची.
तब तक एनआईए अधिकारी स्टेन स्वामी को लेकर वहां से निकल चुके थे.
रांची के एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने गुरुवार रात पौने दस बजे बीबीसी को बताया कि स्टेन स्वामी को ले जाए जाने की जानकारी उन्हें उनके अधिकारियों ने दी है. उन्होंने कहा, "एनआईए ने इससे संबंधित कोई आधिकारिक सूचना हमसे साझा नहीं की है. हमें इसकी पूर्व सूचना भी नहीं दी गई थी."
कौन हैं स्टेन स्वामी?
पिछले तीन दशक से झारखंड में काम कर रहे फादर स्टेन स्वामी की पहचान देश के जाने-माने सोशल एक्टिविस्ट के तौर पर है.
मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले स्टेन स्वामी ने शादी नहीं की है.
भारत और फिलीपींस के कुछ नामी संस्थानों में समाज शास्त्र की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने बंगलुरू स्थित इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट के साथ काम किया.
इस दौरान उन्हें आदिवासियों के बारे में जानने-समझने का मौका मिला. फिर वो झारखंड (तब बिहार) आ गए और यहीं रहने लगे.
शुरुआती दिनों में उन्होंने यहां के सिंहभूम इलाक़े में बतौर पादरी काम किया. इसके साथ ही वो आदिवासी अधिकारों की लड़ाई लड़ने लगे और पादरी का काम छोड़ दिया.
उन्होंने विस्थापन के ख़िलाफ़ बड़ी लड़ाई लड़ी और झारखंड की जेलों में बंद उन हजारों आदिवासियों का मामला कोर्ट में उठाया, जिन्हें विचाराधीन कैदियों तौर पर बंद रखा गया है.
वो मौजूदा केंद्र सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण क़ानून में संशोधन, वनाधिकार क़ानून लागू करने को लेकर कथित सरकारी उदासीनता, झारखंड की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा लैंड बैंक के निर्माण, आदिवासियों को नक्सल बताकर उनके ख़िलाफ़ लगाए जा रहे देशद्रोह के आरोपों के ख़िलाफ़ मुखर रहे हैं.
उन्होंने संविधान की पांचवी अनुसूची के तहत आदिवासियों को मिले विशेषाधिकार की रक्षा, समता जजमेंट, पेसा कानून आदि को लेकर कई लड़ाइयां लड़ी हैं.
साल 2018 में बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि सरकार मुझे देशद्रोही कहती है क्योंकि मैं वंचितों के अधिकारों की बात करता हूं.
उन्होंने अपने ताज़ा बयान में भी खलिल जिब्रान की इन पंक्तियों का उल्लेख किया है-
'जीवन और मृत्यु एक है,
जैसे नदी और समुन्दर एक है.'(bbc)
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिवंगत केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक राम विलास पासवान का अंतिम संस्कार शनिवार को पटना में होगा। इससे पहले उनका पार्थिव शरीर आखिरी दर्शन के लिए अस्पताल से सीधे यहां उनके आवास 12 जनपथ शुक्रवार को सुबह 10 बजे लाया जाएगा। यह जानकारी लोक जनशक्ति पार्टी की ओर से मिली। जानकारी के अनुसार, राम विलास पासवान का पार्थिव शरीर शुक्रवार को ही दोपहर दो बजे दिल्ली से पटना ले जाया जाएगा। पटना में उनका पार्थिव शरीर लोजपा कार्यालय में रखा जाएगा। अगले दिन शनिवार को पटना में ही उनका अंतिम संस्कार होगा।
केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान का गुरुवार को यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। यह जानकारी उनके पुत्र और लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने एक ट्वीट के जरिए।
राम विलास पासवान के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत दूसरे केंद्रीय मंत्रियों व राजनीति दलों के नेताओं ने शोक जताया है।
राम विलास पासवान ने वर्ष 2000 में जनता दल (यूनाइटेड) से अलग होकर लोजपा का गठन किया था। पिछले साल पार्टी की अपने पुत्र कमान चिराग पासवान को सौंपने से पहले वह लोजपा के संस्थापक अध्यक्ष रहे।
राम विलास पासवान केंद्र सरकार में उपभोक्ता मामले, खाद्य एंव सार्वजनिक वितरण मंत्री थे। बीमार होने के कारण वह बीते एक महीने से ज्यादा समय से अस्पताल में भर्ती थे और हाल ही में उनके हृदय का ऑपरेशन हुआ था।
प्रयागराज, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाथरस की सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता के परिवार की याचिका को खारिज कर दिया है। पीड़ित परिवार ने आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी कि जिला प्रशासन ने उनको घर पर अवैध रूप से कैद कर दिया है।
न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया और न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार को पहले ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूरे मामले में अपना रुख स्पष्ट करते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया था।
न्यायधीशों ने कहा, "मामले के उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए न्यायिक स्वामित्व की मांग है कि इस कोर्ट के लिए मेरिट के आधार पर वर्तमान याचिका पर सुनवाई करना उचित नहीं होगा, खासकर तब, जब मृतक पीड़िता के परिवार के 1 से 6 सदस्यों को और परिवार के अन्य सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुरक्षा प्रदान की गई हो।"
कोर्ट ने आगे कहा कि इसी तरह का निर्देश हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक अक्टूबर को पहले ही जारी कर दिए थे।
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश राज्य को पहले से ही एक हलफनामा दायर करने के लिए निर्देशित किया गया है, ताकि उसके रुख को स्पष्ट किया जा सके।
कोर्ट ने यह भी कहा, "यदि याचिकाकतार्ओं को कोई शिकायत है, तो वे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उचित याचिका / आवेदन दायर करने के लिए स्वतंत्र हैं।"
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करते हुए, डिवीजन बेंच ने आगे कहा, "उपरोक्त टिप्पणियों के साथ मामले के मेरिट में प्रवेश किए बिना, याचिका खारिज कर दी जाती है।"
गौरतलब है कि हाथरस दुष्कर्म पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि जिला प्रशासन ने उन्हें अपने घर में अवैध रूप से कैद कर दिया है और उन्हें स्वतंत्र रूप से बाहर आने-जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
इसलिए, कोर्ट से जिला प्रशासन को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि "परिवार के सदस्यों को अवैध कैद से मुक्त किया जाए और उन्हें अपने घर से बाहर निकलने और लोगों से मिलने की अनुमति दी जाए।"
पीड़िता के पिता ओमप्रकाश की ओर से अखिल भारतीय वाल्मीकि महापंचायत के राष्ट्रीय महासचिव एक सुरेंद्र कुमार ने याचिका दायर की थी।
जयपुर: राजस्थान पुलिस ने राज्य के पूर्व उप-मुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट के मीडिया मैनेजर और एक पत्रकार के खिलाफ विधायकों के फोन टैप करने संबंधी झूठी खबर चलाने के आरोप में मामला दर्ज किया है.
आरोप है कि इन लोगों ने अगस्त महीने में राज्य में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व तत्कालीन उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चली राजनीतिक खींचतान के दौरान एक जगह रुके कांग्रेस विधायकों व मंत्रियों के फोन टैप करने संबंधी झूठी खबर चलाई थी.
राजस्थान में 35 दिनों तक चली राजनीतिक खींचतान के बीच पायलट खेमे ने गहलोत सरकार पर विधायकों के फोन टैप करने का आरोप लगाया था. हालांकि पुलिस ने इस आरोपों से इनकार किया था.
जयपुर के विधायकपुरी थाने में एक अक्टूबर को दर्ज इस मामले में ‘राजस्थान तक’ (आज तक समाचार चैनल) के शरत कुमार और पायलट के मीडिया मैनेजर तथा एक्सवाईजेड न्यूज एजेंसी के लोकेंद्र सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
हालांकि पायलट ने इस ताजा घटनाक्रम पर टिप्पणी से इनकार किया है.
गहलोत व पायलट खेमे के बीच राजनीतिक खींचतान के दौरान गहलोत खेमे के विधायक अगस्त महीने में जैसलमेर के एक निजी होटल में रुके थे.
प्राथमिकी के अनुसार, इस बारे में एक परिवाद सात अगस्त को उपनिरीक्षक सत्यपाल सिंह ने दिया कि होटल में रुके विधायकों व मंत्रियों की फोन टैपिंग के बारे में भ्रामक समाचार सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा है.
एक अक्टूबर को दर्ज एफआईआर के मुताबिक, जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के पुलिस कंट्रोल रूम के ड्यूटी ऑफिसर सत्यपाल सिंह ने सूचना दी थी कि सात अगस्त को कॉन्स्टेबल सुरेंद्र यादव ने उन्हें इस भ्रामक खबर की जानकारी दी थी, जिसे वॉट्सऐप पर शेयर किया गया था. इस खबर के अनुसार जैसलमेर में रुके विधायकों के फोन रिकॉर्ड किए जा रहे हैं.
एफआईआर के अनुसार, साइबर थाने की जांच में प्रथम दृष्टया इस बारे में भ्रामक व तथ्यहीन समाचार एक्सवाईजेड न्यूज एजेंसी के लोकेंद्र सिंह व राजस्थान तक (आजतक) के शरत कुमार द्वारा तैयार किए जाने का मामला सामने आया है.
इस बारे में जब सचिन पायलट से संपर्क किया गया तो उन्होंने टिप्पणी से इनकार किया जबकि लोकेंद्र सिंह ने इस प्रकरण को ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया.
उधर, भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने ट्वीट किया, ‘लोकतंत्र पर खतरे की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले अशोक गहलोत लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के दमन पर उतर आए हैं. कारण है विगत दिनों पत्रकारों ने वंचितों और अबलाओं की रक्षा के लिए आवाज बुलंद की है. सरकार का यह कृत्य तो ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ जैसा ही होगा.’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एफआईआर में कहा गया है कि इसकी जांच विशेष अपराध और साइबर अपराध पुलिस स्टेशन के एसएचओ सुरेंद्र पंचोली ने की थी. पंचोली ने लोकेंद्र सिंह और शरत कुमार के बयान दर्ज किए. आजतक के राजस्थान संपादक शरत कुमार ने टैपिंग के आरोपों पर एक टीवी रिपोर्ट बनाई थी.
सूत्रों ने कहा कि गहलोत द्वारा विश्वास मत जीतने के छह दिन बाद लोकेंद्र सिंह का बयान 20 अगस्त को पायलट के आवास पर दर्ज किया गया था.
एफआईआर में कहा गया है, ‘वे फर्जी खबर के स्रोत के बारे में पूछे जाने पर कोई तार्किक जवाब नहीं दे सके. जांच में यह स्पष्ट हो गया कि लोकेंद्र सिंह और शरत कुमार भ्रामक और फर्जी खबर फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं.’
लोकेंद्र सिंह को उनके मोबाइल और कंप्यूटर के साथ पूछताछ के लिए बुलाया गया था, जिसके माध्यम से उन्होंने कथित तौर पर समाचार प्रसारित किया था.
शरत कुमार ने कहा, ‘सभी समाचार चैनलों ने सुबह से शाम तक इस खबर को चलाया था. सिर्फ एक चैनल को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?’
एफआईआर में लोकेंद्र सिंह और शरत कुमार पर फर्जी खबर बनाने का आरोप लगाया गया है. कहा गया है कि कुमार ने सोशल मीडिया पर शेयर हो रहीं खबरों की सत्यता की पुष्टि किए बिना इसे 7 अगस्त को प्रसारित किया.
एफआईआर में कहा गया है कि पुलिस इस खबर को चलाने वाले अखबार राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर से भी पूछताछ की तो अखबारों ने कहा कि उन्होंने एक्सवाईजेड और आजतक की शुरुआती रिपोर्टों के बाद इसे प्रकाशित किया था.
सिंह और कुमार के खिलाफ जयपुर के विधायकपुरी पुलिस थाने में धारा 505 (1) (कोई बयान, अफवाह या रिपोर्ट बनाना, प्रकाशित या प्रसारित करना), 505 (2) (ऐसा बयान जो विभिन्न वर्गों के बीच दुश्मनी या घृणा को बढ़ावा देता हो) के तहत दर्ज किया गया. इसके अलावा भारतीय दंड संहिता की 120बी (आपराधिक साजिश) और आईटी अधिनियम की धारा 76 भी एफआईआर में जोड़ी गई है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 7 अगस्त को पायलट खेमे ने मुख्यमंत्री पर पुलिस की मदद से जैसलमेर के होटल सूर्यगढ़ में उनके छह विधायकों के फोन टैप करने का आरोप लगाया था. उन्होंने विधायकों को किए गए कॉल की एक सूची भी साझा की थी.
पायलट खेमे ने बयान में दावा किया था, ‘सूर्यगढ़ होटल में चार जैमर लगाए गए हैं और पूरे होटल में सिर्फ एक जगह है जहां से कॉल की जा सकती है.’
इन आरोपों को खारिज करते हुए पुलिस ने कहा था कि राजस्थान पुलिस की कोई भी इकाई किसी भी विधायक या सांसद के फोन टैपिंग में शामिल नहीं है. इसके अलावा दूरसंचार पर बातचीत की रिकॉर्डिंग का आरोप भी असत्य और काल्पनिक है.
बता दें कि बीते जुलाई-अगस्त में राजस्थान में करीब एक महीने तक सियासी खींचतान चली थी. कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने बगावत कर दी थी.
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने 18 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करते हुए 12 जुलाई को दावा किया था कि उनके साथ 30 से अधिक विधायक हैं और अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में है.
इसके बाद अशोक गहलोत ने दो बार विधायक दल की बैठक बुलाई थी, जिसमें पायलट और उनके समर्थक विधायक नहीं आए. इसके बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री पद के साथ-साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया था.
आखिर में 14 अगस्त को अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)(thewirehindi)
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिल्ली हाईकोर्ट दो नवंबर को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता वृंदा करात की एक याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें एक ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। वृंदा करात ठाकुर और वर्मा के इस साल की शुरुआत में राष्ट्रीय राजधानी में हिंसा के दौरान कथित घृणित भाषणों को लेकर एफआईआर दर्ज कराने की मांग कर रही हैं।
वकील तारा नरुला, आदित एस. पुजारी और अपराजिता सिन्हा के माध्यम से दायर याचिका को न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया। न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने दलीलें सुनने के बाद दोनों पक्षों यानी वृंदा के वकील और दिल्ली पुलिस को अपनी दलीलों के समर्थन में संबद्ध निर्णय दाखिल करने को कहा। इसके बाद अदालत ने मामले को 2 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
करात ने अपनी याचिका में ट्रायल कोर्ट द्वारा 26 अगस्त को दिए गए आदेश को चुनौती दी, जिसमें दोनों नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को खारिज कर दिया गया था। वृंदा ने अदालत में दावा किया कि ठाकुर और वर्मा के खिलाफ एक सं™ोय अपराध का मामला बनता है।
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, करात की ओर से पेश अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने अदालत को बताया कि निचली अदालत ने मामले को लगभग नौ महीने तक लंबित रखा और यहां तक कि उन्होंने मामले के गुण-दोष पर भी विचार नहीं किया और इसे खारिज कर दिया।
माकपा नेता वृंदा करात और के.एम. तिवारी ने निचली अदालत में शिकायत दायर कर संसद मार्ग पुलिस थाने को ठाकुर और भाजपा नेता प्रवेश वर्मा के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। हालांकि, निचली अदालत ने कहा था कि शिकायत पूर्व अनुमति के बगैर स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है।
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| गृह मंत्रालय ने गुरुवार को दिशानिर्देशों में संशोधन करते हुए राजनीतिक दलों को 15 अक्टूबर से पहले रैलियां आयोजित करने की अनुमति दे दी है। ये अनुमति उन 12 राज्यों को दी गई है, जहां चुनाव होने हैं। यह आदेश चुनाव आयोग द्वारा बिहार के विधानसभा चुनाव और 11 राज्यों में उपचुनावों की घोषणा करने के बाद आया है। राज्यों में 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को ये चुनाव होने हैं।
एक अधिसूचना में गृह मंत्रालय ने कहा कि खुले स्थानों में 15 अक्टूबर के पहले राजनीतिक सभाएं हो सकती हैं। इनमें मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा।
आदेश में कहा गया है, "आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 10 (2) (आई) के तहत दी गई शक्तियों के उपयोग से यह तय किया जाता है कि संबंधित राज्य सरकारें 15 अक्टूबर से पहले किसी भी दिन 100 व्यक्तियों की मौजूदा सीमा से अधिक संख्या के साथ राजनैतिक सभाओं को अनुमति दे सकती हैं।"
आदेश में बंद और खुले स्थानों के लिए दिशानिर्देशों का भी उल्लेख किया गया है। जैसे हॉल में सभाएं करने के लिए अधिकतम क्षमता 50 प्रतिशत हो। वहीं खुली जगहों पर जमीन या स्थान के आकार को ध्यान में रखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सभाएं आयोजित हों।
केंद्रीय गृह सचिव और राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के अध्यक्ष अजय कुमार भल्ला ने कहा, "राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस तरह के राजनीतिक समारोहों के आयोजन के लिए विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करेंगे और इसे सख्ती से लागू करेंगे।"
इससे पहले 30 सितंबर को गृह मंत्रालय ने 15 अक्टूबर के बाद 100 से ज्यादा व्यक्तियों के लिए सामाजिक, शैक्षणिक, खेल, मनोरंजन, सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक कार्यों के आयोजन की अनुमति दी थी।
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)| केरल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से भारतीय जनता पार्टी तैयारियों में जुट गई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बीते छह अक्टूबर को नए पदाधिकारियों के साथ पहली बैठक में जिन चुनावी राज्यों पर चर्चा की, उनमें केरल का नाम प्रमुख रहा। दक्षिण के इस प्रमुख राज्य में चुनाव से पहले अपनी जमीनी स्थिति मजबूत करने के लिए भाजपा एक्शन मोड में है। प्रदेश इकाई को लगातार जनता के बीच जाकर मुद्दे उठाने के लिए कहा गया है। केरल की पी विजयन सरकार के राज में सामने आए गोल्ड स्मगलिंग जैसे मुद्दों को भाजपा लगातार उठा रही है। पार्टी सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि भाजपा का फोकस केरल में ईसाइयों के 20 प्रतिशत वोट बैंक पर है।
दरअसल, केरल की सियासत में धार्मिक वोटबैंक हावी हैं। 30 प्रतिशत मुस्लिम हैं तो 20 प्रतिशत ईसाई हैं। दोनों धर्मों के 50 प्रतिशत वोट बैंक मिलकर राज्य की सियासत का रुख तय करते हैं। केरल में जिस तरह से लव जेहाद मुद्दा बन रहा है और इसकी चपेट में इसाई समुदाय की कई लड़कियां भी आई हैं, उससे भाजपा को लगता है कि मेहनत करने पर ईसाई समुदाय का भरोसा हासिल हो सकता है। अगले साल मई 2021 में विधानसभा चुनाव संभावित हैं। पार्टी केरल के प्रदेश नेतृत्व से लगातार राज्य के माहौल की रिपोर्ट लेने में जुटी है।
केरल के नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने आईएएनएस से कहा, "केरल में भाजपा का जनाधार लगातार बढ़ रहा है। लेफ्ट के शासन से जनता परेशान है। गोल्ड स्मगलिंग, हाउसिंग घोटाले के खुलासे से जनता में सरकार को लेकर नाराजगी है। राज्य का ईसाई समुदाय भी भाजपा की तरफ आकर्षित हो रहा है। आने वाले चुनाव में भाजपा की स्थिति बहुत बेहतर होगी।"
राष्ट्रीय टीम में भी बढ़ा केरल का कद
बीजेपी की नई राष्ट्रीय टीम में केरल के दो नेताओं को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जगह दी है। मुस्लिम चेहरे अब्दुल्ला कुट्टी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है, तो ईसाई चेहरे टॉम वडक्कन को राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी है। खास बात है कि ये कि दोनों नेता इससे पूर्व कांग्रेस में रहे हैं। केंद्र सरकार की बात करें तो प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मंत्रिपरिषद में केरल के नेता वी मुरलीधरन को बतौर विदेश राज्य मंत्री जगह दी है। इस प्रकार देखें तो भाजपा ने सरकार और संगठन दोनों जगह केरल को उचित भागीदारी देकर राज्य में पकड़ बनाने की कोशिश की है।
राज्य में बढ़ रहा भाजपा का जनाधार
राज्य में बीजेपी का जनाधार लगातार बढ़ रहा है। चुनावी आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं। 2011 के विधानसभा चुनाव में जिस बीजेपी को सिर्फ छह प्रतिशत वोट मिले थे, उसे मई 2016 में दोगुने से ज्यादा 15 प्रतिशत वोट प्रतिशत मिले। भाजपा 2016 के विधानसभा चुनाव में अपना खाता भी खोलने में सफल रही थी। यानी कि वोटों में सौ प्रतिशत से ज्यादा का उछाल आया। भाजपा को उम्मीद है कि 2021 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति और बेहतर होगी। 2016 के विधानसभा चुनाव में लेफ्ट नेतृत्व वाले एलडीएफ ने 140 विधानसभा सीटों में से 83 सीटों पर जीत दर्ज की थी तो कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ को 47 सीटें और भाजपा तथा निर्दलीय को एक एक सीट मिली थीं।
पटना, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| बिहार चुनाव के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के उपाध्यक्ष रहे रघुवंश प्रसाद सिंह के पुत्र सत्य प्रकाश ने गुरुवार को जनता दल (युनाइटेड) का दामन थाम लिया। जदयू के प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने सत्य प्रकाश को जदयू की सदस्यता ग्रहण कराई। सत्य प्रकाश ने इस दौरान पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि वे अपने पिताजी के अधूरे कार्यो को पूरा करने के लिए राजनीति में आए हैं।
उन्होंने कहा, "हमारी पृष्ठभूमि राजनीति रही है, लेकिन हमारे पिताजी कहते थे कि किसी भी परिवार में एक ही सदस्य को राजनीति में जाना चाहिए, यही समाजवाद है।"
सत्य प्रकाश ने कहा, "पिताजी महान समाजवादी कर्पूरी ठाकुर जी के आदर्शो को मानते थे। पिताजी ने मरते समय जो पत्र लिखा, उसमें उन्होंने इशारा किया था कि मैं राजनीति में आऊं । मेरी कोशिश रहेगी कि उनके जो बचे हुए कार्य हैं, वो मैं जदयू में शामिल होकर अपने तन, मन, धन से पूर्ण करूंगा।"
उन्होंने कुछ बातों को याद करते हुए कहा, "पिताजी को इसका बहुत दुख था कि राजद और लालू यादव जी के परिवार के लोग उनकी बातों को नहीं सुन रहे हैं, यही कारण है कि उन्होंने राजद से इस्तीफा दे दिया।"
उन्होंने कहा कि उनके पिता ने इन मुद्दों को लेकर पार्टी को भी पत्र लिखा था।
सत्य प्रकाश ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 में राजद के घोषणापत्र में शामिल ऊंची जाति के गरीब लोगों को 15 प्रतिशत आरक्षण देने की बात थी, लेकिन बिना उनसे विचार-विमर्श किए उसको बदल दिया गया।
उन्होंने कहा कि बाद में उनके पिता ने लालू प्रसाद से बात करने के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस कर बताया था कि वे गरीब सवर्ण आरक्षण के पक्ष में हैं, लेकिन राजद के कुछ नेताओं ने और उनके परिवार वालों ने बार-बार इसका विरोध किया। सत्य प्रकाश ने कहा, "पिताजी इस बात से भी काफी आहत थे।"
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| आम आदमी पार्टी किसानों के मुद्दों को लेकर हर बार केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश करती है, हाल में कृषि से जुड़े विधेयकों को लेकर भी आप ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा था। वहीं आज आम आदमी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा कि, "केंद्र में बैठी भाजपा सरकार ने पिछले 5 वर्षों में दिल्ली के एक भी किसान से एमएसपी पर फसल की उपज नहीं खरीदी है, जो यह साबित करता है कि वह किसान विरोधी है। एफसीआई ने 2015 के बाद से दिल्ली के बाजारों से एक रुपए की भी कोई खरीद नहीं की है। हमारे अधिकारियों, मंडी अध्यक्षों, और हमारे मंत्रियों ने लगातार केंद्र को पत्र लिखे हैं और यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह किसानों से फसल की उपज एमएसपी पर खरीदे।" उन्होंने कहा, "पिछले पांच वर्षों में किसी भी संस्था ने हमारे किसानों की मदद नहीं की है, जिससे किसान को अपनी उपज कम कीमत में बेचनी पड़ रही है।"
उन्होंने कहा कि, "देश के प्रधानमंत्री ने कुछ ही हफ्तों पहले देश के किसानों से कहा था कि रिफॉर्म बिल किसानों और मंडियों के खिलाफ नहीं है, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का फायदा मिलता रहेगा और मंडियां भी अपना कामकाज करती रहेंगी, लेकिन दिल्ली के किसानों को तो एमएसपी का कोई फायदा ही नहीं मिला। दिल्ली का गरीब किसान जो दिन-रात कड़ी मेहनत करता है, ताकि थाली में अनाज पहुंच सके, उसके साथ यह धोखा है। केंद्र सरकार ने दिल्ली के किसानों को बिचैलियों के हाथों में लुटने के लिए छोड़ दिया है और दिल्ली के किसान एमएसपी से कम भाव पर अपना अनाज बेचने को मजबूर हैं।"
"देश के प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री को किसानों को हुए इस भारी नुकसान पर जवाब देना चाहिए, क्योंकि उनकी सरकार की उदासीनता से ही किसानों को लगातार नुकसान झेलना पड़ रहा है।"
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) ने हिंदी समाचार चैनल आजतक पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई सुशांत सिंह राजपूत से जुड़े फर्जी ट्वीटों के प्रसारण की वजह से की गई है। चैनल को ऑन एयर माफी मांगने के लिए भी कहा गया है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को रेगुलेट करने वाले एक स्व-नियामक निकाय एनबीएसए ने कहा कि आजतक ने ट्वीटों को प्रसारित करते वक्त उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया। माफीनामे की तारीख, टेक्स्ट और समय अथॉरिटी तय करेगी, जिसके बारे में न्यूज चैनल को बता दिया जाएगा।
एनबीएसए ने कहा कि आजतक को माफीनामा का सबूत एक कॉम्पैक्ट डिस्क में सात दिनों के अंदर पेश करना होगा।
आजतक के 'हिट-विकेट' टैगलाइन का उल्लेख करते हुए, प्राधिकरण ने कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि सवाल सुशांत सिंह राजपूत से पूछे जा रहे हैं, जो अब नहीं हैं, इसलिए टैगलाइन आक्रामक है और यह गोपनीयता का उल्लंघन करती है, मृतक की गरिमा को प्रभावित करती है।"
एनबीएसए ने कहा कि जबकि समाचार रिपोर्ट करना समाचार चैनल का कर्तव्य है, उसे मृतकों की निजता का उल्लंघन नहीं करना चाहिए और न ही किसी दुखद घटना को सनसनीखेज बनाना चाहिए।
6 अक्टूबर को दिए गए अपने आदेश में एनबीएसए ने कहा, "आजतक ने ट्वीट प्रसारित करने और राजपूत को जिम्मेदार ठहराने से पहले अपेक्षित प्रक्रिया का संचालन नहीं किया।"
आगे कहा गया है कि अगर उस प्रोग्राम के वीडियो ब्रॉडकास्टर की वेबसाइट, यूट्यूब या दूसरे लिंक डाले गए हैं, तो उसे तुरंत हटा लिया जाना चाहिए।
आजतक ने अभिनेता के मुंबई में अपने घर में मृत पाए जाने के दो दिन बाद 16 जून को राजपूत के अंतिम ट्वीट्स पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। आजतक ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से भी लेख को ट्वीट किया था। दिवंगत अभिनेता ने कथित तौर पर अपनी जान लेने का संकेत देते हुए ट्वीट करने के बाद उसे हटा दिया था।
आजतक ने हिट विकेट संबंधी कुछ टैगलाइन दी थी। इनमें कहा गया था, "ऐसे कैसे हिट विकेट हो गए सुशांत?", "सुशांत जिंदगी की पिच पर हिट-विकेट कैसे हो गए।" और "सुशांत इतने अशांत कैसे?"
एनबीएसए ने कहा कि समाचार चैनल ने 'विशिष्ट दिशानिर्देश कवरिंग रिपोर्ट' का उल्लंघन किया
छतरपुर, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने बुंदेलखंड दौरे के दौरान कांग्रेस की पूर्ववर्ती कमल नाथ सरकार पर 15 माह में प्रदेश को 'गर्त में ले जाने, झूठे वादे करने और बुंदेलखंड का हक छीनने' का आरोप लगाया। शर्मा ने गुरुवार को बड़ा मलेहरा में होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों की समीक्षा की और मंडल सम्मेलनों कों संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने प्रदेश को 15 वर्षो में उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में संवारा और विकसित किया, लेकिन कांग्रेस की कमल नाथ सरकार ने 15 महीने में इसे गर्त में धकेल दिया।
शर्मा ने कहा, "मुख्यमंत्री रहते कमल नाथ ने बुंदेलखंड को मिलने वाले एग्रीकल्चर कॉलेज और सिंचाई परियोजनाओं को छिंदवाड़ा ले जाने का काम किया। उनके लिए छिंदवाड़ा ही पूरा प्रदेश था। उन्हें बुंदेलखंड के विकास से कोई लेनादेना नहीं था। कमल नाथ सरकार ने 15 महीने तक लगातार बुंदेलखंड की अवहेलना की।"
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में जनता को भ्रमित कर और किसानों से झूठ बोलकर सत्ता हासिल की थी। किसानों से कर्जमाफी का झूठा वादा किया, युवाओं को 4000 रुपये भत्ता देने का झूठा वादा किया।
शर्मा बोले, "हर कदम पर झूठ बोलने का काम कमल नाथ सरकार ने किया, लेकिन झूठ के दिन ज्यादा नहीं होते और यही कारण था कि कमल नाथ सरकार जनता से बोले गए झूठ के कारण गिरी। झूठ बोलने वाली यह कांग्रेस की मंडली फिर उपचुनाव में बुंदेलखंड की जनता को भ्रमित कर रही है। हर रोज नए-नए झूठ का जाल बुन रही है, लेकिन बुंदेलखंड की जनता इनके बहकावे में नहीं आने वाली।"
प्रदेश के मंत्री गोपाल भार्गव ने सम्मेलन में कहा कि कमल नाथ सरकार में भाजपा के जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं पर लगातार अत्याचार हुए। उन पर झूठे मुकदमे दर्ज किए गए। लेकिन भाजपा का निष्ठावान कार्यकर्ता न झुका, न रुका। पार्टी कार्यकर्ताओं ने 15 महीने तक डटकर जनविरोधी कमल नाथ सरकार का विरोध किया।
उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार और भी मजबूती के साथ जनता के लिए काम करे, इसके लिए भाजपा को जिताएं। बुंदेलखंड की धरती पर भाजपा ने विकास की इबारत लिखी है। विकास का क्रम कांग्रेस की सरकार आते ही 15 महीने के लिए रुक गया था।
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर | आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एक बार फिर मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान पर सवाल उठाते हुए कहा कि कहीं यह संरक्षणवाद में न बदल जाए जिसका हमें पहले अच्छा परिणाम नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि पहले भी इस तरह की नीतियां अपनाई गई लेकिन उसका कोई लाभ नहीं मिला। आर्थिस शोध संस्थान इक्रियर के ऑनलाइन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रघुराम राजन ये बात कही।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि उन्हें अब तक यह साफ नहीं है कि आखिर सरकार का ‘आत्मनिर्भर भारत’ से मतलब क्या है? अगर यह उत्पादन के लिए एक परिवेश बनाने को लेकर है, तब यह ‘मेक इन इंडिया’ की तरह पेश करने जैसा ही है।
उन्होंने आगे कहा कि अगर यह संरक्षणवाद को लेकर जैसा है, तो मैं कहना चाहता हूं कि दुर्भाग्य से भारत ने बीते दिनों शुल्क दरें बढ़ाई, तो मेरी समझ से यह रास्ता अपनाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि हमने पहले इसको लेकर कोशिश कर ली है।
रघुराम राजन ने कहा कि भारत को वैश्विक स्तर के मैन्युफैक्चरिंग व्यवस्था की जरूरत है और इसका मतलब है कि देश के विनिर्माताओं के लिए सस्ते आयात तक पहुंच हो। यह वास्तव में मजबूत निर्यात के लिए आधार बनाता है।(navjivan)
कोलकाता, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल भाजपा के युवा मोर्चा द्वारा गुरुवार को राज्य सचिवालय नबान्न के सामने आयोजित विरोध मार्च ने बाद में हिंसक रूप ले लिया। कथित तौर पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने बम फेंके और कोलकाता में पुलिसकर्मियों पर पथराव किया। आंदोलनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसूगैस के गोले भी छोड़े। ये आंदोलनकारी नबान्न बिल्डिंग की ओर जा रहे थे, जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कार्यालय है। यह बिल्डिंग हालांकि सैनिटाइजेशन के लिए बंद थी।
भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष व बेंगलुरु दक्षिण से सांसद तेजस्वी सूर्या ने हावड़ा मैदान से एक रैली का नेतृत्व किया।
सूर्या ने इसे राज्य की राजनीति का काला दिन करार देते हुए कहा, "यह एक शांतिपूर्ण विरोध मार्च था। लेकिन तृणमूल कांग्रेस के साथ मिली पुलिस ने राजनीतिक कार्यक्रम को विफल करने की कोशिश की। रैली के दौरान 1,000 से अधिक भाजपा कार्यकर्ता घायल हो गए हैं और 500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। क्या बंगाल में इसे लोकतंत्र कहा जाएगा?"
झड़प में राज्य के भाजपा उपाध्यक्ष राजू बनर्जी सहित कई भाजपा कार्यकर्ता घायल हो गए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष भी लाठीचार्ज में घायल हो गए। पार्टी के नाराज कार्यकर्ताओं ने विरोध करते हुए टायरों में आग लगा दी।
कैलाश विजयवर्गीय, अर्जुन सिंह, लॉकेट चटर्जी और मुकुल रॉय समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेता विरोध मार्च में शामिल थे।
राज्य में कानून और व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए पार्टी के युवा मोर्चा ने 7 मांगे रखते हुए 4 अलग-अलग क्षेत्रों से नबान्न तक मार्च का आयोजन किया।
यह विरोध रैली पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से हटाने की भाजपा की रणनीति का एक हिस्सा है। राज्य में अगले साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने वाला है।
इस बीच ममता बनर्जी सरकार ने बुधवार को घोषणा की थी कि कोविड-19 सैनिटाइजेशन के लिए 8 और 9 अक्टूबर को दो दिन सचिवालय यानी नबान्न बिल्डिंग बंद रहेगी।
राज्य भाजपा नेतृत्व ने कहा कि नबान्न को बंद करना तृणमूल कांग्रेस के डर को दर्शाता है।
उधर, भाजपा पर पलटवार करते हुए तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सांसद सौगत राय ने कहा कि ममता बनर्जी भाजपा से डरने वाली नहीं हैं। वह भाजपा से डरने वाली अंतिम व्यक्ति होंगी।
मुंबई, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| सारेगामा ने गुरुवार को 'कारवां मिनी किड्स' लॉन्च किया है। यह एक ब्लूटूथ स्पीकर है जिसे 2-10 साल की उम्र के बच्चों के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी कीमत 2,990 रुपये है। कारवां मिनी किड्स में कविताएं, कहानियां, मंत्र के मोड दिए गए हैं, जिन्हें बच्चे खुद बेहद आसानी से ऑपरेट कर सकते हैं।
राइम्स मोड में 80 से ज्यादा क्लासिक अंग्रेजी और हिंदी की कविताएं हैं। कहानियों में 300 से अधिक हिंदी-अंग्रेजी की कहानियां हैं। इसमें अकबर-बीरबल से लेकर पंचतंत्र की कहानियां भी शामिल हैं।
सारेगामा इंडिया के प्रबंध निदेशक विक्रम मेहरा ने एक बयान में कहा, "जहां बड़े बच्चे अपने माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी को कारवां गिफ्ट करते हैं, वहीं इस मिनी कारवां को माता-पिता और दादा-दादी बच्चों को तोहफे में दे सकते हैं।"
इसमें ब्लूटूथ, यूएसबी, औक्स-इन/आउट जैसे कई अतिरिक्त फीचर होंगे। 6 घंटे से ज्यादा देर तक चलने वाली बैटरी है, जिसे किसी भी एंड्रॉइड चार्जर से चार्ज किया जा सकता है। प्रोडक्ट की 6 महीने की वारंटी है। इसे चलाने के लिए इंटरनेट की भी जरूरत नहीं होती।