राष्ट्रीय
मुंबई, 23 अगस्त (वार्ता)। स्वर्ण भंडार में दो अरब डॉलर से अधिक की गिरावट से देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 2.94 अरब डॉलर घटकर 535.25 अरब डॉलर रह गया।
लगातार सात सप्ताह बढऩे के बाद विदेशी मुद्रा भंडार घटा है। इससे पहले 07 अगस्त को समाप्त सप्ताह में यह 538.19 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर रहा था।
रिजर्व बैंक द्वारा जारी साप्ताहिक आँकड़ों के अनुसार, 14 अगस्त को सप्ताह के दौरान स्वर्ण भंडार 2.19 अरब डॉलर कम होकर 37.60 अरब डॉलर का रह गया। इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पीली धातु के दाम में भारी गिरावट के कारण देश के सोने के भंडार के मूल्य में यह कमी आई है।
आलोच्य सप्ताह में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 74.3 करोड़ डॉलर घटकर 491.55 अरब डॉलर पर आ गई। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास आरक्षित निधि 40 लाख डॉलर की गिरावट के साथ 4.63 अरब डॉलर और विशेष आहरण अधिकार 20 लाख डॉलर कम होकर 1.48 अरब डॉलर पर रहा।
मुंबई, 23 अगस्त (वार्ता)। वैश्विक स्तर पर कीमती धातुओं पर बने दबाव का असर पिछले सप्ताह घरेलू वायदा बाजार पर हुआ जिससे दोनों कीमती धातुओं में गिरावट दर्ज की गयी।
इससे पिछले सप्ताह में भी कीमती धातुओं मे गिरावट रही थी। बीते सप्ताह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में सोना और चाँदी में एक फीसदी से अधिक की गिरावट रही।
एमसीएक्स में सोना सप्ताहांत पर पिछले सप्ताह की तुलना में 570 रुपये टूटकर 51841 रुपये प्रति दस ग्राम पर आ गया। इसी तरह से सोना मिनी भी 636 रुपये उतरकर 52010 रुपये प्रति दस ग्राम पर रहा।
समीक्षाधीन अवधि में चाँदी 695 रुपये फिसलकर 67700 रुपये प्रति किलोग्राम बोली गयी। चाँदी मिनी 759 रुपये लुढक़कर 67741 रुपये प्रति किलोग्राम बोली गयी।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व बदले जाने की चर्चाओं के बीच पार्टी की नीति बनाने की सर्वोच्च संस्था कांग्रेस कार्य समिति (सी डब्ल्यू सी) की सोमवार को एक अहम बैठक होने वाली है। बता दें कि कई कांग्रेसी नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था जिसमें नेतृत्व परिवर्तन की मांग की गई थी, हालांकि पार्टी ने इस तरह के किसी भी पत्र से इनकार किया है। पार्टी ने कहा है कि कार्य समिति की बैठक में मौजूदा राजनीतिक हालातों पर चर्चा होगी। इसके बावजूद नेतृत्व परिवर्तन पर चर्चाओं का बाजार गर्म है।
कांग्रेस के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि 24 अगस्त को सी डब्ल्यू सी की बैठक सुबह 11 बजे बुलाई गई है जो वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए होगी।
पिछली बैठक में जिस तरह से 2019 के आम चुनाव में पार्टी की हार को लेकर कुछ सांसदों ने मुद्दा उठाया था और तीखी बहस हुई थी, उससे सोमवार को कार्य समिति की बैठक काफी महत्वपूर्ण हो गई है। इसके बाद कुछ नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर नेतृत्व परिवर्तन और कार्य समिति के लिए चुनाव कराने की मांग कर डाली थी।
पार्टी से निलंबित प्रवक्ता संजय झा ने कहा था कि सांसदों समेत कांग्रेस के 100 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिख कर नेतृत्व परिवर्तन की मांग की थी। उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष की जगह फुल टाइम अध्यक्ष बनाने की मांग की थी जो कि पार्टी को फिर से जीवित करे।
कांग्रेस के कई नेता इस बात से खफा है कि पार्टी दिशाहीन हो गई है।
कुछ नेता राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाए जाने की भी मांग कर रहे हैं लेकिन दूसरे नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी और उनकी टीम के लोग राजनीतिक रूप से अपरिपक्व हैं जो चुनाव में जीत नहीं दिला सकते।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (भाषा)। कांग्रेस कार्य समिति की सोमवार को होने वाली बैठक से पहले एक बड़ी खबर आ रही है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी में बड़े बदलाव की मांग की है। खबर है कि इन नेताओं ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में कांग्रेस के 20 ज्यादा शीर्ष नेताओं ने पार्टी आंतरिक संकट का जिक्र करते हुए नेतृत्व के मुद्दे पर सोनिया गांधी के साथ चर्चा की मांग की है। ऐसा बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में मौजूदा स्थिति पर सवाल उठाते हुए सामूहिक नेतृत्व की मांग की है।
इस चिट्ठी में कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव को लेकर हो रही देरी पर भी सवाल उठाए गए हैं। चिट्ठी लिखने वाले नेताओं ने इस बारे में बात करने के लिए सोनिया गांधी से वक्त भी मांगा है। चिट्ठी लिखने वालों में आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, विवेक तनखा, पृथ्वीराज च्वहाण, वीरप्पा मोइली, शशि थरूर, भूपेंद्र हुड्डा, राज बब्बर, मनीष तिवारी, मुकुल वासनिक समेत कई पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी शामिल हैं।
कांग्रेस में नेतृत्व के मुद्दे पर चल रही चर्चा के बीच पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक आगामी सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से होगी। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के मुताबिक, सीडब्ल्यूसी की बैठक सोमवार को सुबह 11 बजे आरंभ होगी।
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में मौजूदा राजनीतिक मुद्दों, अर्थव्यवस्था की स्थिति और कोरोना वायरस संकट समेत कई मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। वैसे, सीडब्ल्यूसी की बैठक उस वक्त हो रही है जब अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी एक साल की अवधि पूरा कर चुकी हैं। राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद उन्हें अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
पिछले कुछ हफ्तों के दौरान कांग्रेस के कई नेता खुलकर यह मांग कर चुके हैं कि एक बार फिर राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपी जाए। हाल ही में कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि कांग्रेस के 100 फीसदी कार्यकर्ताओं की यह भावना है कि राहुल गांधी फिर से पार्टी का नेतृत्व करें।
हालांकि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का कहना है कि कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का बनना चाहिए। फिलहाल कांग्रेस में इस समय काफी उहापोह की स्थिति है क्योंकि सिर्फ रणदीप सुरजेवाला ही नहीं, शशि थरूर सहित कई नेता इस मुद्दे पर मीडिया में बयान में दे चुके हैं।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय खुफिया एजेंसियों ने भारत के मोस्ट वांटेड दाऊद इब्राहिम का एक नया डोजियर (फाइल) तैयार किया है, जो कि मोस्ट वांटेड अपराधी के ग्लोबल ऑपरेशन में महत्वपूर्ण व गहरी जानकारी मुहैया कराता है। यह न सिर्फ मोस्ट वांटेड के कार्यों के विस्तृत परतों और उसकी कंपनियों के नामों का खुलासा करता है, बल्कि यकीनन यह उसके ड्रग्स व्यापर में शामिल कर्मियों से लेकर जुआ/सट्टेबाजी और आतंकवाद से जुड़े नेटवर्क का भी पदार्फाश करता है।
दाऊद की कंपनियों की सूची का भी इस डोजियर में उल्लेख है। हालांकि वो रहता तो पाकिस्तान में है, लेकिन उसकी सभी जानी मानी कंपनियों का पता दुबई के हैं। उसकी कंपनियों के नाम ओएसिस ऑइल एंड लुब एलसीसी, दुबई, अल-नूर डायमंड्स, दुबई, ओएसिस पावर एलसीसी, दुबई, डोल्फिन कंस्ट्रक्शन, ईस्ट वेस्ट एयरलाइंस (फिलहाल बंद है), किंग वीडियो, दुबई, मोइन गारमेंट्स, दुबई है।
यह सूची, ड्रग्स से लेकर आतंकी अपराध तक सभी जानकारी अलग-अलग नामों और संबंधित व्यक्तियों की जिम्मेदारियों का विवरण भी देता है। डी-कंपनी को चलाने वाले उसके परिवार के सदस्य और गुर्गों के नाम भी इसमें दिए गए हैं।
यहां फिर से आश्चर्यचकित करने वाला नाम डॉक्टर या यू कहें कि जावेद चुटानी का सामने आ रहा है। वह आपराधिक कांडों में बराबर का भागीदार माना गया है। इसके बाद दाऊद का भाई अनीस और छोटा शकील का स्थान है, जो कि अंडरवल्र्ड डॉन के सबसे भरोसेमंद सहायकों में से हैं।
जावेद चुटानी उर्फ डॉक्टर-
यह पाकिस्तान का निवासी है, जो लगातार दाऊद के संपर्क में है। वहीं दुबई में भी उसका निवास-स्थान है। विवरण के अनुसार, जावेद चुटानी पेशे से सट्टेबाज भी हैं, साथ ही रियल एस्टेट में भी उसकी दिलचस्पी है। वह दाऊद का बहुत करीब है और उसके साथ पारिवारिक संबंध भी हैं। संभावना है कि वह कराची के उसी इलाके में रह रहा है, जहां दाऊद रहता है।
जावेद चुटानी की बेटी संभवत: ब्रिटेन में रह रही है, क्योंकि उसे ब्रिटेन के फोन नंबर का प्रयोग करते हुए पाया गया था। उसके वर्तमान जुए का खाता 'कामरान' के नाम से चलता है। वह दिलीप दुबई (दुबई में बसा एक भारतीय) और शोएब (दुबई में बसा एक भारतीय) के संपर्क में है। चुटानी तारिक (दुबई निवासी) और दाऊद के बीच संदेशवाहक का काम भी करता है।
अनीस इब्राहिम-
यह दुबई के नंबर का इस्तेमाल करता है। छोटा शकील की बेटी की शादी के लिए उसे एक अज्ञात व्यक्ति को होटलों की बुकिंग के बारे में सूचित करते हुए पाया गया है। हालांकि बुकिंग करने में मुश्किल (शायद आमंत्रितों की अधिक संख्या होने से) होने के कारण उसने होटल की बुकिंग की सुविधा के लिए मुंबई के एक चौधरी से बात की थी।
हालांकि दोनों की बातचीत कोडवर्ड में हुई थी, क्योंकि अनीस को 'समझ गया ना' कहता हुआ पाया गया था। इससे पहले अनीस ने दाऊद की बहन हसीना पारकर की मौत के 40वें दिन किसी कलीम के जरिए अली शाह को पैसे भेजे थे।
छोटा शकील-
दाऊद का करीबी सहयोगी और प्रमुख गुर्गा छोटा शकील वर्तमान में पाकिस्तान में रह रहा है। हाल ही में उसने एक अज्ञात व्यक्ति (दुबई का निवासी) से संपर्क किया और उसे दाऊद के जन्मदिन समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था (स्थान का खुलासा नहीं किया गया)। वह डोजियर में उल्लेख डी-कंपनी के सभी सदस्यों के संपर्क में है।
जावेद भाई-
यह मोस्ट वांटेड का एक करीबी सहयोगी है, जिसे ज्यादातर मौकों पर दाऊद के साथ देखा जाता है। वह दाऊद के निजी नंबरों पर फोन कॉल भी लेते हुए पाया गया है। उसे जवार भाई और मोती भाई भी कह के बुलाया जाता है।
उसे दाऊद की जगह बैंकिंग और भुगतान से जुड़े निर्देश देते देखा गया है। वहीं इसे मुंबई के एक नंबर पर संपर्क करते हुए पाया गया है। यह जावेद भाई जाहिर तौर पर दुबई में दाऊद द्वारा बनाए गए सोसायटीज/अपार्टमेंट की देखरेख करता है।
हाल ही में किसी अमर जेबी (एक भारतीय; तब दुबई में था) ने फोन पर जावेद को सूचित किया था कि उसने सोसायटी/अपार्टमेंट में एक फ्लैट/विला खरीदने के लिए तारिक से बात की थी, लेकिन तारिक ने उसे बताया था कि इसके लिए उसे जावेद भाई की अनुमति की आवश्यकता है। इससे स्पष्ट होता है कि जावेद भाई डी-कंपनी के व्यावसायिक मामलों की देखरेख करता है।
तारिक-
यह दाऊद का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है, जो दुबई में रहता है। वह छोटा शकील और गिरोह के अन्य सदस्यों के संपर्क में है। वह दुबई में दाऊद के संपत्ति और कारोबार को संभालता है। 6 सितंबर, 2014 को एक सूचना के अनुसार, तारिक ने पाकिस्तान में किसी से संपर्क किया था और दाऊद के भाई अनीस भाई के बारे में बात की थी। इस बातचीत के अनुसार अनीस शारजाह (दुबई) में रहता है।
उसने किसी सिराज से भी संपर्क किया था और छोटा शकील की बेटी की शादी के लिए किए जा रहे प्रबंधों के बारे में बातचीत की थी। उसकी एक गर्लफ्रेंड भी है, जो वर्तमान में नेपाल में रह रही है। यह नेपाली महिला पहले मुंबई की रहने वाली थी और एक ब्यूटी पार्लर में काम करती थी।
तारिक वही व्यक्ति है जिसने दाऊद को ब्रिटेन के उसके दोस्त (संभवत: नदीम-श्रवण के संगीतकार जोड़ी का नदीम) की गिरफ्तारी के बारे में सूचित किया था। वह वही व्यक्ति है, जिसने दाऊद के लिए 2009/10 मॉडल टोयोटा लैंडक्रूजर्स खरीदा था और उसे पाकिस्तान भेजा था। ये वाहन बुलेट प्रूफ है। वह दाऊद गिरोह के अधिकांश सदस्यों के संपर्क में रहता है। वहीं तारिक के सहयोगी का नाम अल्ताफ है।
इकबाल-
यह दाऊद का एक और सहयोगी है। इकबाल कांगो देश के नंबर का उपयोग कर रहा है और दुबई और पाकिस्तान में कंस्ट्रक्शन का कारोबार कर रहा है। एक सूचना के अनुसार, इकबाल दाऊद के घर का नवीनीकरण करा रहा है और इसके के लिए कश्मीर से श्रमिकों को लाया गया है।
इकबाल ने दाऊद के घर का दौरा किया है और संभवत: कराची में उसका घर है। वह कांगो सहित अफ्रीकी देशों में डी-कंपनी के कामों को संभाल रहा है। एक कॉल के अनुसार, इकबाल तंजानिया में रहता है, जबकि उसका परिवार पाकिस्तान में रहता है। उसके बड़े बेटे का नाम यासिर उर्फ आसिफ है। दूसरे बेटे का नाम मुस्तफा है। उसकी बेटी का नाम सना है। वहीं मोहसिन पाकिस्तान में इकबाल का ड्राइवर और सुपरवाइजर है। वह दुबई के तारिक के संपर्क में भी रहता है।
अहमद जमाल
यह कराची में रहने वाला दाऊद का करीबी सहयोगी है। उसकी बेटी की शादी 2014 में हुई थी। दाऊद ने इकबाल को 9 और 13 अगस्त 2014 को शादी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। इस शादी के लिए, अहमद जमाल ने सऊदी अरब के किसी माजिद बाबा को भी आमंत्रित किया था। यह माजिद बाबा पहले छोटा शकील के संपर्क में था और उसकी भाषा से लगता है कि माजिद एक भारतीय है।
फिरोज
यह मोस्ट वांटेड के व्यवसाय का एक महत्वपूर्ण सदस्य है। यह छोटा शकील के संपर्क में है और दुबई में रहता है। फिरोज दाऊद गिरोह के कवर बिजनेल को संभाल रहा है। संभवत: फिरोज ही दाऊद की कंपनी ओएसिस ऑइल एंड लुब एलसीसी को संभालता है, वहीं उसे फिरोज ओएसिस कह कर संबोधित किया जाता है।
ऐसी संभावना है कि वह एक दक्षिण भारतीय है और बहुत शिक्षित है। वह तमिल, अरबी, अंग्रेजी और हिंदी बोल सकता हैं। फिरोज के दक्षिण भारत और मुंबई में संपर्क हैं। जानकारी के अनुसार, फिरोज ही अल नूर डायमंड्स की देखरेख कर रहा है। वह अफ्रीका से हीरे की तस्करी भी करता है।
वहीं एक रहमत नामक व्यक्ति अफ्रीकी सेल नंबर का उपयोग करता है और दुबई में सेफ डिलिवरी के लिए एमिरेट्स एयरलाइंस का उपयोग करके अफ्रीका से हीरों का परिवहन करने में अफ्रीकी नागरिकों को शामिल करता है। प्रत्येक ट्रिप में करीब 4/5 लाख डॉलर के हीरे दुबई में तस्करी किए जाते हैं और कूरियर शुल्क के रूप में अफ्रीकी कूरियर को 10,000 डॉलर का भुगतान किया जाता है। उसकी दो पत्नियां हैं, एक भारतीय और एक पाकिस्तानी। उसकी मुंबई में भी संपत्ति है।
सिराज
यह पाकिस्तान में रहता है और दाऊद, छोटा शकील और तारिक का सहयोगी है। उसने तारिक से संपर्क कर 600-650 मुद्रा (शायद दाऊद के 60वें जन्मदिन के उत्सव से जुड़ा) के लिए नाश्ते की पार्टी की व्यवस्था के बारे में बात की थी।
अहमद
यह छोटा शकील के लिए काम कर रहा है। इसका प्रमुख काम विभिन्न व्यवसायियों से पैसों का कलेक्शन करना है। हाल ही में छोटा शकील ने अहमद से काम के बारे में बातचीत की थी, जिस पर अहमद ने बताया था कि एक कंपनी (शायद डीडी ग्रुप) के मालिक विनोद, जॉन और राजीव, (शायद इस कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी) वर्तमान में मुंबई में नहीं हैं। इसके बाद अहमद ने इस कंपनी के कुछ अन्य कर्मचारियों जैसे संतोष और सुरेश से बात की थी और छोटा शकील को सूचित किया कि उनका 50 प्रतिशत काम 'हो गया है'। इसके बाद छोटा शकील ने उससे कहा था कि उन्हें पूरा पैसा देने के लिए कहो (शायद प्रोटेक्शन मनी)।
फहीम
इसका पूरा नाम संभवत: फहीम मचमच है। वह छोटा शकील के साथ कराची में रह रहा है। वह एक जवाहर और रमेश के बीच पैसे के विवाद को सुलझाने के बारे में श्याम केशवानी के संपर्क में पाया गया है।
प्रयागराज, 23 अगस्त (आईएएनएस)| दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपने के बाद अब संतों ने भी पालघर भीड़ हिंसा के मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग उठाई है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) ने कहा कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच सीबीआई को सौंपने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मुंबई पुलिस को अक्षम साबित कर दिया है।
एबीएपी ने मांग की है कि 16 अप्रैल को महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं के साथ हुई भीड़ हिंसा की जांच भी सीबीआई से कराई जाए।
परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने कहा, "एबीएपी 26 अगस्त को हरिद्वार में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित करने जा रहा है जिसमें अगले साल कुंभ की तैयारियों पर चर्चा करने के अलावा पालघर में हुई हत्याओं की सीबीआई जांच के लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया जाएगा और अगर जरूरत पड़ी तो अखाड़ा परिषद द्वारा कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा।"
16 अप्रैल की रात को देशव्यापी लॉकडाउन के बीच दो साधू एक कार में सवार होकर ड्राइवर संग मुंबई के कांदिवली से गुजरात के सूरत में एक अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जा रहे थे। इस बीच गडचिनचाइल गांव में एक भीड़ ने पुलिस टीम की मौजूदगी में उन पर हमला किया और बेहद ही बर्बरता के साथ उनकी हत्या कर दी गई।
कल्पवृक्ष गिरि महाराज और सुशील गिरि महाराज संग उनके ड्राइवर को नीलेश यालगडे को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला और पुलिस कथित तौर पर मूक दर्शक बनी रही।
नरेंद्र गिरि ने कहा, "प्रस्ताव पारित करने के बाद अखाड़ा परिषद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हत्याओं की सीबीआई जांच की मांग करेगा।"
लखनऊ, 23 अगस्त (आईएएनएस)| भाजपा ने अपने नेता संजीव गुप्ता को निलंबित कर दिया है, जिनका बेटा सचिन गुप्ता 35 करोड़ रुपये की एनसीईआरटी की किताबों की डुप्लीकेट प्रिटिंग कराने के मामले में आरोपी के रूप में नामजद होने के बाद से फरार है। वहीं, इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गुप्ता फररा बना हुआ है। सचिन गुप्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
स्पेशल टास्क फोर्स के उप-निरीक्षक संजय सोलंकी ने भी सचिन गुप्ता और पांच अन्य के खिलाफ परतापुर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया है।
इस घोटाले का भंडाफोड़ मेरठ जिले में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) द्वारा किया गया था।
एसटीएफ के डीएसपी ब्रजेश कुमार सिंह ने कहा कि सचिन गुप्ता परतापुर के अछोंडा में एक गोदाम का और मोहकमपुर में एक प्रिंटिंग प्रेस का मालिक है।
उन्होंने कहा, "वह फिलहाल फरार है और उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। छापे के तुरंत बाद, पुलिस अधिकारियों ने सचिन से फोन पर बात की और उसने कहा कि वह किताबों के कागजात लेकर आ रहा है, लेकिन बाद में नहीं आया और मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ कर दिया।"
अब तक की जांच में पता चला है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली सहित सात राज्यों में डुप्लीकेट किताबें छापी और आपूर्ति की गई थीं।
फर्जी एनसीईआरटी की किताबें लगभग 364 प्रकार की थीं, जिनमें कक्षा 9 से 12 तक की भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित की किताबें शामिल थीं।
इससे पहले भी, सचिन गुप्ता त्तर प्रदेश बोर्ड की नकली किताबें छापने में शामिल रहा है। यह स्पष्ट नहीं है कि क्या पिछले मामले में कोई कार्रवाई की गई थी।
एनसीईआरटी की वास्तविक पुस्तकें केवल दिल्ली में छपी हैं, और खुदरा विक्रेताओं को 15 प्रतिशत के कमीशन पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा, वास्तविक पुस्तकों की खरीद के लिए, खुदरा विक्रेताओं को अग्रिम में पूरी राशि का भुगतान करना होगा।
दूसरी ओर, नकली पुस्तकें 30 प्रतिशत कमीशन पर उपलब्ध हैं और इन्हें खरीदने के लिए किसी अग्रिम भुगतान की आवश्यकता नहीं है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस बीच, ट्विटर पर भाजपा से अपने नेताओं को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाने के लिए कहा है।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रविवार को कोरोनावायरस महामारी के कारण कई महीनों से बंद पड़ी फिल्म और टीवी प्रोडक्शन इंडस्ट्री को फिर से खोलने की घोषणा की है। मंत्री ने हालांकि कहा है कि संचालन के दौरान कोविड-19 से जुड़े निर्देशों का पालन अनिवार्य होगा। जावड़ेकर ने कहा, "नया एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) मीडिया प्रोडक्शन इंडस्ट्री के लिए एक 'संजीवनी' की तरह होगा। सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क इसके अभिन्न अंग होंगे। इस मानक संचालन प्रक्रिया के पीछे सामान्य सिद्धांत यही है कि यह कलाकारों और क्रू दोनों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने में मदद करे।"
एसओपी शूटिंग स्थलों और अन्य कार्यस्थलों पर पर्याप्त सोशल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित करता है। साथ ही इसमें उचित स्वच्छता, भीड़ प्रबंधन और सुरक्षात्मक उपकरणों के प्रावधान जैसे उपाय भी शामिल हैं।
मंत्री ने कहा कि इस एसओपी का मूल सिद्धांत 'संपर्क को कम से कम' करना है। एसओपी का सुझाव है कि कॉस्ट्यूम, सेट की सामग्री, विग, मेकअप जैसी चीजों को कम से कम साझा किया जाए और ऐसा करने वाले लोग ग्लब्स पहने रहें।
रिकॉडिर्ंग स्टूडियो और एडिटिंग रूम आदि में छह फीट की दूरी का पालन किया जाएगा। एसओपी यह भी कहता है कि शूटिंग के दौरान कम से कम कलाकार और क्रू मौजूद रहें।
इसके अलावा नई एसओपी में शूटिंग स्थलों पर दर्शकों और आगंतुकों के प्रवेश को भी प्रतिबंधित किया गया है।
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| एक दिन में कोरोनावायरस के 69,000 से अधिक मामलों के साथ भारत में संक्रमित मरीजों का आंकड़ा रविवार को तीस लाख के पार पहुंच गया है जबकि कोविड-19 से अब तक देश में 56,706 मौतें हुई हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है। कुल 30,44,941 मामलों में से 7,07,668 सक्रिय मामले हैं। अधिकतम 22,80,566 मरीज ठीक हो चुके हैं जिन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
आंकड़ों के मुताबिक, मृत्यु दर 1.86 फीसदी तक आ गई है जबकि रिकवरी दर 74.90 तक पहुंच गया है। बीते 24 घंटे में देश में 57,989 मरीज ठीक हो चुके हैं और 912 मरीज वायरस की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं।
6,71,942 मामलों और 21,995 मौतों के साथ महाराष्ट्र अब भी महामारी से प्रभावित राज्यों की सूची में पहले नंबर पर है जिसके बाद तमिलनाड़ु दूसरे स्थान पर है जहां 3,73,410 मामले और 6,420 मौतें दर्ज हुई हैं। इसके बाद सूची में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्य हैं।
दिल्ली में कोरोनावायरस महामारी के मामलों की संख्या 1,60,016 है जिनमें 4,284 मौतें शामिल हैं। बीते 24 घंटे में यहां 168 नए मामले सामने आए हैं जबकि 14 मरीजों की जानें गई हैं और इस दौरान 1,230 लोग संक्रमण से स्वस्थ हुए हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के आंकड़ों के मुताबिक, शनिवार को 8,01,147 नमूनों की जांच की गईं जिसे मिलाकर देश में अब तक 3,52,92,220 नमूनों की जांच की जा चुकी है।
देश में 1,515 प्रयोगशालाओं में कोरोना की जांच की जा रही है जिनमें से 983 सरकारी और 532 निजी हैं। आंकड़ों के हिसाब से 780 प्रयोगशालाओं में रियल-टाइम आरटी-पीसीआर टेस्ट किए जा रहे हैं, 617 प्रयोगशालाओं में ट्रू नेट टेस्ट किए जा रहे हैं और 118 प्रयोगशालाओं में सीबीएनएएटी टेस्ट हो रहे हैं।
नई दिल्लीः वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार की आलोचना तब तक राजद्रोह नहीं है, जब तक वह हिंसा को भड़काने वाली नहीं हो.
विनोद दुआ राजद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे हैं. उनके एक यूट्यूब कार्यक्रम को लेकर हिमाचल प्रदेश में भाजपा के एक स्थानीय नेता ने उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज कराया है.
स्क्रॉल की रिपोर्ट के मुताबिक, दुआ ने अदालत के समक्ष कहा कि अगर मैं प्रधानमंत्री की आलोचना करता हूं तो यह सरकार की आलोचना के दायरे में नहीं आता.
दरअसल जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस विनीत सरन की पीठ हिमाचल प्रदेश में भाजपा के एक नेता द्वारा दुआ पर दर्ज कराए गए एक मामले को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
दुआ पर अपने एक यूट्यूब कार्यक्रम के जरिए फरवरी में दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर अफवाह फैलाने और गलत सूचना देने का आरोप है.
दुआ की ओर से उनके मामले की पैरवी कर रहे वकील विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के 1962 के केदारनाथ मामले के फैसले का उल्लेख करते हुआ कहा कि एक नागरिक होने के नाते यह दुआ का अधिकार था कि वह सरकार के बारे में जो भी कहना चाहते हैं, उसे कह या लिख सकते हैं. सरकार की आलोचना या उस पर टिप्पणी कर सकते हैं.
सिंह ने कहा कि हालांकि सरकार की आलोचना या उस पर टिप्पणी ऐसी होनी चाहिए कि उससे लोग सरकार के खिलाफ किसी तरह की हिंसा के लिए न उकसे.
सिंह ने कहा, ‘अगर हमारे प्रेस को स्वतंत्र रूप से कामकाज करने की अनुमति नहीं दी गई तो सच्चे अर्थों में हमारा लोकतंत्र खतरे में है.’
उन्होंने कहा कि दुआ को भारतीय दंड संहिता की धारा 505(2) और 153ए के तहत लगाए गए आरोपों के लिए दुआ को दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि उन्होंने पत्रकार के रूप में किसी धर्म, नस्ल, भाषा, क्षेत्रीय समूह या समुदाय के खिलाफ कुछ नहीं किया है.
सिंह ने यूट्यूब कार्यक्रम के ट्रांसक्रिप्ट का उल्लेख करते हुए कहा, ‘कार्यक्रम में जो कहा गया था, एफआईआर में उसके विपरीत तोड़-मरोड़कर पेश किया गया. दोनों मामलों में यह न तो राजद्रोह है और ना दुश्मनी, घृणा या बदनीयत को पैदा करने वाला या बढ़ावा देना वाला बयान है.’
दुआ ने अपनी याचिका में कहा था, ‘मीडिया के खिलाफ एक नया ट्रेंड शुरू हुआ है, जहां राज्य सरकारें अपनी राजनीतिक विचारधाराओं से मेल नहीं खाने वाले विशेष रूप से प्रसारित कंटेट को लेकर मीडिया के लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराती हैं, जो विशेष रूप से उन्हें प्रताड़ित करने के लिए और उन्हें डराने के लिए होता है ताकि वे सरकार के समक्ष झुक जाएं या पुलिस की कार्रवाई का सामना करें.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दुआ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने पीठ को बताया कि यूनाइटेड स्टेटस बिल ऑफ राइट्स में नागरिकों और प्रेस दोनों का उल्लेख है लेकिन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) में प्रेस का कोई उल्लेख नहीं है.
सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 19 (1) के तहत प्रेस को भी वही अधिकार प्राप्त हैं, जो नागरिकों को हैं. हालांकि नागरिक दैनिक आधार पर रिपोर्ट नहीं करते लेकिन सोशल मीडिया के आने से आम नागरिक भी लगातार लिख रहे हैं.
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि स्वतंत्र प्रेस का नहीं होना लोकतंत्र के लिए हानिकारक साबित होगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई दो सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी.
बता दें कि भाजपा के स्थानीय नेता अजय श्याम की शिकायत पर छह मई को शिमला के कुमारसेन थाने में विनोद दुआ के खिलाफ राजद्रोह, मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने और सार्वजनिक क्षति करने जैसे आरोपों में आईपीसी के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
हिमाचल प्रदेश पुलिस 12 जून को दुआ के आवास पर पहुंची थी और उन्हें अगले दिन सुबह दस बजे दूरवर्ती कुमारसेन पुलिस थाने पहुंचने के आदेश दिए थे. इसके बाद दुआ ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 14 जून को मामले की तत्काल वर्चुअल सुनवाई की थी और छह जुलाई तक उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा दी थी.
अगले दिन अदालत ने गिरफ्तारी से उनकी सुरक्षा की अवधि बढ़ाकर 15 जुलाई और फिर 20 जुलाई कर दी थी.(thewire)
नयी दिल्ली 23 अगस्त (वार्ता) देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है और शनिवार देर रात तक संक्रमण के 65 हजार से अधिक नये मामले सामने आने से कुल संक्रमितों का आंकड़ा 30.38 लाख के पार हो गया तथा 881 कोरोना मरीजों की मौत से मृतकाें की संख्या 57 हजार के निकट जा पहुंची।
वायरस के बढ़ते कहर के बीच राहत की बात यह है कि मरीजों के स्वस्थ होने की दर में लगातार सुधार हो रहा है और आज यह 75 फीसदी के करीब पहुंच गयी।
महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु समेत विभिन्न राज्यों से मिली जानकारी के अनुसार आज देर रात तक 65,212 नये मामले सामने आने से संक्रमितों का कुल आंकड़ा 30,38,581 तथा मृतकों की संख्या 56,809 हो गयी है।
स्वस्थ होने वालों की अपेक्षा नये मामलों में निरंतर वृद्धि के कारण सक्रिय मामलों भी बढ़ते जा रहे हैं। आज 9,545 और मरीज बढ़ जाने से कुल सक्रिय मामले 7,06,875 हो गये।
इस दौरान 53,546 लोगों के स्वस्थ होने से संक्रमण मुक्त हाेने वालों का आंकड़ा 22,74,345 पर पहुंच गया जिससे स्वस्थ होने वाले मरीजों की दर गत दिवस के 74.64 प्रतिशत से आज सुधरकर 74.84 फीसदी पर पहुंच पहुंच गयी। मृत्यु दर भी घटकर 1.88 फीसदी रह जाने से राहत मिली है।
राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में सबसे अधिक 14,492 मामले सामने आये। इसके बाद आंध्र प्रदेश में 10276, कर्नाटक में 7330, तमिलनाडु में 5980, उत्तर प्रदेश में 5217, पश्चिम बंगाल में 3 232, ओडिशा में 2819, बिहार में 2238, केरल में 2172, दिल्ली में 1412, पंजाब में 1316, मध्य प्रदेश में 1226 और हरियाणा में 1161 नये मामले दर्ज किये गये।
कोरोना महामारी से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के रिकॉर्ड 14,492 मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या आज रात तक बढ़कर 6,61,942 हो गयी। चिंता की असली वजह यह है कि राज्य में आज सक्रिय मामलों में 4,954 की वृद्धि दर्ज की गयी जिससे कुल सक्रिय मामलों की संख्या 1,69,516 हो गयी।
राज्य में इस दौरान 9,241 मरीजों के स्वस्थ होने से संक्रमण से मुक्ति पाने वालों की संख्या भी 4,80,114 पहुंच गयी है। इस दौरान 297 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 21,995 हो गयी है। राज्य में अब तक स्वस्थ होने वालों की कुल संख्या 4,80,114 हो गयी है।
राज्य में मरीजों के स्वस्थ होने की दर आज आंशिक वृद्धि के साथ 72.53 फीसदी पहुंच गयी जो शुक्रवार को 71.62 प्रतिशत थी जबकि मरीजों की मृत्यु दर आंशिक गिरावट के साथ 3.32 प्रतिशत पर आ गई।
कोई भी इंसान नहीं चाहता कि उसके परिवार में कलह हो. लेकिन हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे हैं जो अपने पति से इसलिए तलाक लेना चाहती हैं, क्योंकि उसके पति उससे झगड़ा नहीं करते. मामला उत्तर प्रदेश के संभल जिले का है.
यहां एक बीवी ने कोर्ट में अपने पति से तलाक के लिए अर्जी लगाई है. बीवी का कहना है कि उनकी शादी को 18 महीने हो चुके हैं, लेकिन वह अपने पति ने एक बार भी नहीं लड़ी हैं. यहां तक कि उनके पति ने कभी उनसे बहस तक नहीं की है. बीवी का कहना है कि उसे ऐसा पति नहीं चाहिए जो उसकी हर बात को माने और कभी झगड़े नहीं.
इसी बात को लेकर बीवी ने पति से तलाक की मांग की है. बीवी ने तलाक की अर्जी शरई अदालत में दी है. हालांकि इस अर्जी को उलेमा ने खारिज कर दिया. इसके बाद भी बीवी नहीं मानी औऱ उसने पंचायत में तलाक की अर्जी दी. हालांकि पंचायत में भी उसे निराशा हाथ लगी. पंचों ने मामले को निजी बताकर पल्ला ही झाड़ लिया.
बीवी ने पंचों के सामने कहा कि उसका पति बहुत अच्छा, शरीफ और नेकदिल है. उसकी जबसे शादी हुई है, पति ने कभी ऊंची आवाज़ में बात भी नहीं की. यहां तक कि पिछले 18 महीनों में मियां-बीवी के किसी विवाद को परिवार के लोगों ने नहीं सुना. जिन्होंने तलाक की इस अर्जी को सुना वह हैरत में पड़ गए.
शौहर का ज्यादा प्यार बर्दाश्त नहीं
बीवी का कहना है कि उसके शौहर का ज्यादा प्यार उसे बर्दाश्त नहीं है. शौहर उस पर कभी चिल्लाता नहीं, न ही कभी उसे उदास होने दिया. बीवी का कहना है कि इस तरह के माहौल में लगातार रहने से वह घुटन महसूस करने लगी हैं. यहां तक कि शौहर बीवी के लिए कभी-कभी खाना पकाना और घर का काम भी करता है.
बीवी ने कहा कि कई बार वह झगड़े के लिए जानबूझकर गलती करती हैं, इसके बाद भी उसके पति न उसे डांटते हैं और न ही कोई लड़ाई करते हैं. बीवी ने कहा कि यदि वह कोई गलती करती हैं तो उसके पति हमेशा माफ कर देते हैं. बीवी ने कहा कि मुझे ऐसी जिदगी नहीं चाहिए, जिसमें मेरा पति मेरी हर बात माने. (catch)
स्मृति शेष…..बाबूलाल गौर प्रदेश के सबसे सक्षम और लौह मुख्यमंत्री में से एक, आज के भाजपाई नेताओं के लिए वेएक सबक की तरह हैं, जिन्होंने जीवन में कभी जाति कार्ड नहीं खेला न कभी विपक्ष को दुश्मन समझा
जयराम शुक्ल
बाबूलाल गौर खुद को कृष्ण का वंशज मानते थे। संयोग देखिए कि हलषष्ठी के दिन उनके जीवन का अंतिम संस्कार हुआ। जब वे मुख्यमंत्री थे तब बलदाऊ जयंती मनाने का कार्यक्रम शुरू किया था, हलषष्ठी को बलदाऊ जी का जन्मदिन माना जाता है। गोसंवर्धन के लिए गोकुल ग्राम योजना आज भी लोगों को याद होगी।
गौर साहब यथार्थ के धरातल में जीने वाले ऐसे बेजोड़ नेता थे, जिनके बिंदास राजनीतिक जीवन और रिकार्डतोड़ जनाधार से उनके साथी और प्रतिद्वंदी भी रस्क करते थे। गौर साहब के सदाबहार रोमांटिक अंदाज पर दिग्विजय सिंह सबसे ज्यादा तंज कसते थे, तब जवाब वे कहते थे- सुन लो दिग्गीराजा मैं किशन-कन्हैया का वंशज हूँ मेरे भाग्य से ईर्ष्या मत करो।
गौर साहब जाति से ग्वाले(अहीर)थे। मुख्यमंत्री बनने पर यह खुलासा उन्हीं ने किया और उनका परिवार यूपी के प्रतापगढ़ जिले से भोपाल रोजी-रोटी की तलाश में आया था। यह मध्यप्रदेश की भूमि का प्रताप और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का संस्कार था कि जमाने ने एक मजदूर को मुख्यमंत्री बनते देखा।
बाबूलाल गौर की राजनीति जिस दौर में चरम उत्थान पर थी वह अगड़े-पिछड़े और जातीय उद्भाव का समय था, लेकिन गौर साहब ने न तो पिछड़ों की राजनीति की और न ही उन्हें कभी यह सुहाया कि पिछड़ों के नेता के तौर पर उन्हें जाना जाए। बावजूद इसके कि वे उमाभारती के उत्तराधिकारी मुख्यमंत्री बने और शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें स्थानापन्न किया।
इनमें से अभी भी एक को लोधी और दूसरे को किरार की जातीय पहचान के साथ जाना जाता है..और वह इसलिए भी के ये दोनों अपने गाढ़े वक्त पर पिछड़ों की राजनीति का ट्रंप कार्ड अपने ऊपरी जेबों में रखते हैं।गौर साहब में सर्वस्पर्शी और समावेशी राजनीति के गुण श्रमिक राजनीति की वजह से मिले। बीएचईएल में भारतीय मजदूर संघ की राजनीति करते हुए वे राजनीति में खुद को ऐसे घोला जैसी कि मिश्री की डली पानी में घुलती है। जीवन की ऐसी विविधता शायद ही कहीं देखने को मिले जो गौर साहब में थी।यही वजह भी थी कि वे जीवन के आखिरी सांस तक जमीन से जुड़े अपराजेय राजनेता रहे, हर बार खुद की ही जीत का कीर्तिमान रचते हुए।
उम्र के पैमाने पर जब उन्हें मंत्रीपद से हटा दिया गया तो वे संभवतः जिंदगी में पहली बार इतने भावुक हुए और मीडिया को शायराना अंदाज में अपनी प्रतिक्रिया दी-
हमें अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था,
मेरी किश्ती वहां डूबी, जहां पानी कम था।
गौर साहब को चाहने वालों के लिए यह वाकई व्यथित करने वाला क्षण था। एक बिंदास नेता जिसकी हर साँस में राजनीति उच्छ्वास करती है, जिसके ह्रदय में उसके क्षेत्र की जनता देवी-देवताओं की भाँति बसती है, उसे इस योग्य नहीं माना गया कि बल्लभभवन के दफ्तर में बैठकर काम कर सके..! जबकि उम्र के इस पड़ाव में भी उनका अंदाज युवाओं से भी युवा था।
पर गौर साहब तो गौर साहब, पल में तोला, पल में मासा। पार्टी के फैसले को नियति मान ली..और मंत्री पद से हटने के कुछ महीने बाद ही जंबूरी मैदान में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आमना-सामना हुआ, तो न कोई गिला, न शिकवा। वही ठहाकेदार अंदाज स्वागत करने का..। मोदीजी ने चुहल की..गौर साहब एक बार और..गौर साहब ने ठहाके के साथ जवाब दिया क्यों नहीं मैं तो हर क्षण तैयार..!
कम से कम मैं तो यह मानता हूँ कि यदि गौर साहब को विधानसभा में ग्यारहवां मौका मिला होता तो संभवतः वे हमारे बीच कुछ दिन और होते। आखिरकार राजनीति अनंत जिजीविषा का नाम है वह कभी बुढ़ाती नहीं, राजनीति अक्षतयौवना है, उसका समापन श्मशानघाट में ही होता.।राजनीति में बाबूलाल गौर न किसी के अनुगामी थे न ही किसी राजनेता की शैली का अनुशरण किया। उन्होंने खुद अपनी लकीर खींची, अपनी चौहद्दी तय की।
वह सन् 74 का दौर था। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन की हुंकार से देश का युवा उद्वेलित था। इसी बीच जबलपुर में लोकसभा और भोपाल दक्षिण की सीट से विधानसभा के उपचुनाव की स्थिति बनी। जबलपुर में सेठ गोविंददास का निधन हुआ था और भोपाल में इलेक्शन पिटीशन के फैसले के चलते सीट रिक्त हुई थी। इन दोनों उप चुनावों पर देश भर की नजर थी क्योंकि इनके नतीजों के आधार पर गैर कांग्रेसवाद की बुनियाद रखी जानी थी।
जबलपुर में तब के तूफानी छात्रनेता शरद यादव को विपक्ष का साझा उम्मीदवार तय किया गया और इधर भोपाल दक्षिण की विधानसभा सीट से मजदूर नेता बाबूलाल गौर। गौर जनसंघ से एक चुनाव लड़ चुके थे। जेपी आंदोलन में नानाजी देशमुख की अगुवाई में जनसंघ बढ़चढ़कर भाग ले रहा था। हवा इंदिरा गाँधी और कांग्रेस के खिलाफ थी। जबलपुर और भोपाल दोनों ही कांग्रेस के मजबूत गढ़ थे, इस चुनाव ने एक झटके में ही कांग्रेस के तिलस्म को तोड़ दिया।
यह इंदिरा गांधी की तानाशाही के खिलाफ चुनावी लिटमस टेस्ट था, जिसमें साझा विपक्ष पास हो गया। फिर जल्दी ही जून 1975 आया। इंदिरा गांधी के चुनाव इलाहाबाद हाईकोर्ट फैसले के बाद देश में आपातकाल लगा। सभी बड़े नेताओं की भाँति बाबूलाल गौर भी जेल में डाल दिए गए। पर इस उपचुनाव ने बाबूलाल गौर को राष्ट्रीय बना दिया था।
77 की मध्यप्रदेश जनतापार्टी सरकार अपने ही अंतर्विरोध में फँसी रही। तीन साल में तीन मुख्यमंत्री बने-बिगड़े। यह बाबूलाल गौर को स्वयं को गढ़ने का दौर था। इसका परिणाम सन् 80 में सामने नजर आया जब विपक्ष की बेंच से प्रदेश ने बाबूलाल गौर को गरजते-बरसते सुनना शुरू किया। इस एक दशक में विपक्ष की तिकड़ी में सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी और बाबूलाल गौर थे।
भोपाल से विधायक होना और ऊपर से श्रमिकों का नेतृत्व, गौर साहब की धार को निरंतर तेज करता गया।पटवा जी की तरह गौर साहब भी अर्जुन सिंह के अंतरंग मित्र थे, पर इस एक दशक में चुरहट लाटरी, आसवनी कांड और केरवा महल पर विधानसभा में जितने तेज हमले बाबूलाल गौर ने बोले उसके चलते वे भाजपा के हरावल दस्ते के स्वाभाविक सेनापति बनकर उभरे।
गौर साहब ने शायद ही कभी जोड़-तोड़ और लाबिंग पर भरोसा किया हो। इसलिए उन्होंने कभी भी खुद को मुख्यमंत्री की रेस में नहीं रखा। कद्दावर होने के बावजूद 90 में खुदको लो प्रोफाइल पर रखते हुए पटवा जी को अपने आगे रखा। सही मायने में पूछा जाए तो 90 से 93 के भाजपा शासनकाल को मुख्यमंत्री पटवा जी के नहीं अपितु बाबूलाल गौर के नाम से जाना जाता है। गौर ने मंत्री के तौरपर प्रदेश ही नहीं देश के सामने अपनी लौह छवि प्रस्तुत की, मीडिया की सुर्खियां बटोरी।
80 से 90 का दशक अर्जुन सिंह के नेतृत्व में वोटों के लिए कांग्रेस की परमतुष्टीकरण की राजनीति का दौर था। झुग्गियों को पट्टा, एक बत्ती कनेक्शन की घोषणा ने रातोंरात समूचे प्रदेश को स्लम में बदल दिया। विद्युतमंडल देखते ही देखते कंगाल हो गया। ऐसे में जब 90 में भाजपा के हाथों सत्ता आई तो ‘हर खेत को पानी, हर हाथ को काम’ जैसे आदर्शवादी नारे से इतर यथार्थ में कुछ कर दिखाने की चुनौती सामने थी।
इस चुनौती से दो-दो हाथ करने के लिए स्थानीय निकाय मंत्री बाबूलाल गौर सामने आए। इसकी शुरुआत भोपाल से ही की। उस समय के पहले तक लिली टाकीज के पहले और बाद के भोपाल में एक विभेदक रेखा थी। गौर साहब ने इसे मिटाने की ठानी। और बुलडोज़र लेकर निकल पड़े। हर उन गलियों में नगरनिगम का दस्ता बुलडोज़र लेकर घुसा जहां पुलिस को भी घुसने में कई कई बार सोचना पड़ता है। गौर साहब के इस अभियान से हाहाकार मच गया। कांग्रेस तो विपक्ष में था ही भाजपा के नेता भी खिलाफत पर उतर आए।
अतिक्रमण और झुग्गियों की राजनीति पर गौर साहब का बुलडोज़र निर्बाध चलता रहा। नजीर प्रस्तुत करने के लिए एक नेता ने अपना ही शहर चुना जहाँ से उसे कल फिर चुनाव लड़ना है इससे बड़ा दुस्साहस और क्या हो सकता है..पर गौर साहब ने यह दुस्साहस न सिर्फ भोपाल में किया इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रायपुर सभी शहरों का हुलिया महीनों के भीतर ही बदलकर रख दिया। इस अभियान में गौर साहब ने अपने पार्टी के नेताओं की भी नहीं सुनी..इसी अनसुनी से उन दिनों यह बात मशहूर हो चली थी कि गौर साहब बहरे हो गए हैं।
गौर साहब काँटे से काँटा निकालना जानते थे। भोपाल शहर में जब उन्होंने बुलडोज़र चलवाया तो उसकी कमान दो मुसलमान अफसरों को सौंपी। उस समय भोपाल के कलेक्टर और निगमायुक्त दोनों ही यही थे। ऐसा लगता है कि राजनीति की कलाबाजियां और सार्वजनिक जीवन की अदाएँ दोनों ही उन्हें यदुकुल से मिले..जिसकी वे सगर्व घोषणा किया करते थे।अयोद्धा कांड के बाद पटवा सरकार गिरा दी गई। चुनाव हुआ तो अतिक्रमण और झुग्गियों पर बुलडोजर चलाने वाले बाबूलाल गौर प्रदेश में सर्वाधिक/कीर्तिमान मतों के साथ विजयी हुए।
गौर साहब ने सस्ती लोकप्रियता के लिए तुष्टिकरण के मिथक को तोड़ते हुए ऐसा कंटकाकीर्ण मार्ग चुना जिसे राजनीतिक सफतला की दृष्टि से संदिग्ध माना जाता है। गौर साहब की नीति और नियति दोनों साफ थी, इसलिए उनके नेतृत्व पर उनके मतदाताओं का अटूट विश्वास था। शहरों में भाजपा के पाँव जमाने और मध्यवर्ग को जोड़ने की शुरुआत गौर साहब ने की।
90-93 के दौर में गौर साहब मध्यवर्ग के हीरो बनकर उभरे। गौर साहब ने अपनी इच्छाओं का दायरा उतना ही बढ़ाया जहां तक पाँव ढ़कने के लिए चादर का छोर पहुँचे, इसलिए उन्होंने न कभी लोकसभा की टिकट चाही न ही केंद्र की राजनीति के बारे में सोचा..जबकि वे अपने समकालीन शरद यादव से बड़े ही थे। 93 से 2003 के कार्यकाल में उन्हें महज कुछ महीनों के लिए ही नेता प्रतिपक्ष की भूमिका मिली।
गौर साहब ने कभी भी पद को अपनी प्रतिष्ठा के साथ नहीं तौला, इसीलिए जगहँसाई की परवाह किए बगैर वे मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद शिवराजसिंह चौहान मंत्रिमंडल में मंत्री पद स्वीकार कर लिया। यद्यपि यह अपवाद नहीं था, 90-93 के दौर में यही कैलाश जोशी ने भी यही किया था। प्रशासन की दृष्टि से बाबूलाल गौर का लगभग एक वर्ष का कार्यकाल बेमिसाल था।
राजनीतिक प्रेक्षकों के लिए एक यक्ष प्रश्न आज भी कौंधता है..कि उमा भारती के बाद जब इन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया और उस काल में प्रदेश की कानून व्यवस्था और प्रशासन अपेक्षाकृत बेहतर था तब ऐसी क्या आफत आन पड़ी थी कि इन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाना पड़ा?
नए भोपाल के आर्किटेक्ट कहे जाने वाले प्रतिष्ठित नौकरशाह एमएन बुच ने एक इंटरव्यू में कहा था- प्रशासन की दृष्टि से मुझे यदि प्रदेश के अबतक के श्रेष्ठ मुख्यमंत्री चुनने को कहा जाए तो मेरे जेहन में सिर्फ़ दो ही नाम हैं एक अर्जुन सिंह और दूसरे बाबूलाल गौर। इनके मुकाबले अन्य कहीं दूर-दूर तक नहीं हैं। मैं अर्जुन सिंह के प्रशासन के बारे में सिर्फ़ सुना है पर एक पत्रकार के नाते बाबूलाल गौर को देखा है। उन्हें मैं अबतक का ऐसा विजनरी मुख्यमंत्री मानता हूँ जो अपने विजन को हर हाल यथार्थ के धरातल पर उतारकर ही दम लेता था।
गौर साहब राजनीति में आने वाली पीढ़ी के लिए…आदर्श नहीं, सबसे व्यवहारिक और यथार्थवादी उदाहरण के तौर पर अध्ययन के विषय बने रहेंगे।उनकी स्मृतियों को नमन्।(politics)
शनिवार को ग्वालियर में भाजपा के सदस्यता अभियान में ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेसी गमछे में दिखना चर्चा में रहा, लोगों का कहना है कि भाजपा के कट्टर विरोधियों को भी सिंधिया इसके जरिये इस गफलत में रखना चाहते थे कि भाजपा के भगवा रंग में मैं भी पूरा नहीं डूबा
कुमार दिग्विजय
कभी बादशाह बनकर सत्ता के सरताज कहलाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया बहुरंगे कमल की संयोग और प्रयोग की राजनीति में ऐसे उलझ गए है कि उनकीअपनी पहचान का संकट गहरा गया है।
दरअसल ग्वालियर में ज्योतिरादित्य सिंधिया,कथित भाजपाई पहचान से अलग गले में तिरंगे वाला पारंपरिक कांग्रेस कागमछा डाले कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को विश्वास मे लेने का खेल खेल रहे थे उस समय कथित कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की फौज के गद्दार के नारों से पूरा ग्वालियर गूंज रहा था।
भाजपाई दिग्गजों के सामने उनके अपने घर में उनकी इस प्रकार भद्द पिटेगी इसकी सिंधिया ने शायद ही कभी कल्पना कि होगी। लेकिन इतना तो तय है कि ज्योतिरादित्य को यह एहसास तो ही ही गया होगा की कांग्रेस से अलग होकर और सरकार को गिराकर उन्होने जो दांव खेला था,उसकी आंच में उनकी व्यक्तिगत छवि को गहरा नुकसान हुआ है और इसके कारण वह कलंक भयंकर रूप में सामने आ गया है जिसका सामना करने से सिंधिया घराने की रूह काँप जाती है।
राजनीति के भी अजब गजब खेल है। ग्वालियर के धुरंधर नेता और भाजपा के दिग्गज नेता जयभानसिंह पवैया ने सिंधिया परिवार के विरोध को सदैव मुखर किया औरउन्हे गद्दार कहने से कभी भी परहेज नहीं किया।
इस समय ग्वालियर मे सिंधिया का जो मुखर विरोध देखा गया है उसमे ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि वह सिर्फ कांग्रेस का विरोध ही था,उसमें ग्वालियर कि जनता भी बड़ी संख्या में शामिल थी और हम सब जानते है कि जनता का कोई एक दल नहीं होता।
यहां यह भी प्रतीत होता है कि खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया असमंजस में थे और ऐसा भी लगता है कि उन्होने भाजपाई गमछा न डालकर कांग्रेस जैसा गमछा पहनकर डेमेज कंट्रोल करने कि कोशिश की क्योंकि उन्हें विरोध का आभास हो गया था। बहरहाल महाराज की आबरू को सड़कों पर आज जिस प्रकार जमीदोंज किया गया,वैसा किसी भी सरकार में ग्वालियर में कभी भी देखा नहीं गया।
अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने कई चुनौतियाँ है, पहले तो उन्हें भाजपा के प्रदेश और देश के नेतृत्व के सामने अपनी उपयोगिता को बरकरार रखना है,दूसरा उन्हें स्थानीय खाँटी भाजपाइयों का विश्वास जीतना है जो मुश्किल नजर आता है और अंत में उन्हें गद्दार होने का कलंक मिटाना है।
यह सब वह तभी कर पाएंगे जब कांग्रेस को वे जवाब देने की स्थिति में होंगे,लेकिन कांग्रेस के आक्रामक तेवर और उन्हें मिलता हुआ जनता का सहयोग ज्योतिरादित्य सिंधिया को आशंकित कर रहा होगा की आने वाले समय में वे शतरंज की बिसात पर बादशाह कि पारंपरिक स्थिति से गिरकर कहीं गुलाम की स्थिति में न पहुँच जाएँ।(politics)
ग्वालियर में शनिवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ जो प्रदर्शन हुआ, उसने ये साबित कर दिया कि ग्वालियर-चम्बल में राह आसान नहीं, हार की स्थिति में सिंधिया तो दिल्ली दरबार में राज करेंगे, समर्थकों का क्या होगा
इतिहास खुद को दोहराता है। ग्वालियर में यही होता दिख रहा है। गद्दारी की सजा देश निकाला पहले भी ग्वालियर की जनता ने दिया है। इस बार फिर वैसे ही हालात बन रहे हैं। आज़ादी के पहले देश से गद्दारी कर ब्रिटिश हुकूमत के क़दमों में पाला बदलने वाले सिंधिया घराने को घुटने टेककर विदेश जाकर शरण लेनी पड़ी थी।
आज़ादी के बाद जनता ने फिर इस परिवार को अपना लिया सिर माथे पर बैठाया। पर नई पीढ़ी के युवा श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक बार फिर हुकूमत के क़दमों में झुकने के लिए अपनी मातृ पार्टी कांग्रेस से गद्दारी की। जब सिंधिया शनिवार को भाजपा के सदस्यता अभियान के लिए ग्वालियर पहुंचे तो हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने गद्दार सिंधिया वापस जाओ के नारे लगाए।
इसके पहले सिंधिया के करीबी तुलसी सिलावट और राजयवर्धन सिंह दत्तीगांव, गिरिराज दंडोतिया को अपने-अपने इलाकों में जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा है। लगता है इस बार सिंधिया को ग्वालियर छोड़कर न जाना पड़ जाए।
ग्वालियर में भाजपा का तीन दिवसीय सदस्यता समारोह आज से शुरू हुआ । सिंधिया से नाराजी के चलते कांग्रेस के कई नेता और आम लोगों ने सिंधिया के सामने काले झंडे दिखाकर सड़क पर करीब एक घंटे तक प्रदर्शन किया। गद्दार सिंधिया वापस जाओ के नारों की गूंज सिंधिया महल तक सुनाई दी।
मालूम हो कि ज्योतिरादित्य सिंधिया पूरे तीन महीने बाद अपने गृह नगर आये हैं।कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद से वे यहां नहीं आये। कांग्रेस उन्हें बार बार ग्वालियर-चम्बल आने की चुनौती देती रही है। इसके पहले इंदौर में चिंटू चौकसे ने सिंधिया को काले झंडे दिखाने की कोशिश की थी। उस वक्त के पुलिस की क्रूरता के फोटो और वीडियो बड़े चर्चा में रहे।
तीन दिन बीजेपी की सदस्यता, कांग्रेस का धरना
कांग्रेस भाजपा के इस सदस्यता अभियान का विरोध कर रही है कांग्रेस का कहना है कि कोरोना काल चल रहा है। ऐसे में भाजपा का सदस्यता अभियान लोगों की जान को खतरे में डाल सकता है।
विरोध के चलते तीन दिनों तक कांग्रेस ने धरना देने की घोषणा की है। आज पहले दिन सुबह गांधी प्रतिमा के नीचे फूलबाग पार्क में धरना देने की कांग्रेस ने घोषणा की है लेकिन पुलिस ने कांग्रेस नेताओं को रास्ते में बैरिकेट लगाकर रोक लिया। इस दौरान पुलिस और कांग्रेस नेताओं की हल्की झड़प भी हुई।
जिसके बाद पुलिस ने धरना स्थल पर बढ़ रहे बहुत से कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि ग्वालियर चंबल संभाग के हजारों कांग्रेस कार्यकर्ताओं को घर से उठाकर थाने में बैठाने की खबर है। शिवराज जी मध्यप्रदेश में घोषित आपात काल लगाया है या अब जयचंदी इतनी अधिक सवार हो गई कि जनता से डर लग रहा है।(politics)
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| केंद्र सरकार सर्वनिष्ठ पात्रता परीक्षा यानी कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) अब हिंदी और अंग्रेजी में ही नहीं, बल्कि अन्य 10 भारतीय भाषाओं में भी आयोजित करने की योजना बना रही है। इससे ऐसे युवाओं को बराबर अवसर प्राप्त होंगे, जो बैंकिंग, कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) और रेलवे जैसी नौकरियों की तैयारी करते हैं।
कार्मिक मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि आठवीं अनुसूची में अन्य भाषाओं के लिए सीईटी या सामान्य पात्रता परीक्षा के दायरे को धीरे-धीरे विस्तारित करने की योजना है।
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं हैं। जानकारी के अनुसार, सीईटी परीक्षा शुरू में 12 भाषाओं के साथ शुरू होगी और फिर इसकी परीक्षा प्रक्रिया के भाग के रूप में अन्य भाषाओं को शामिल किया जाएगा।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश नौकरी के चयन के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) द्वारा आयोजित की जाने वाली सामान्य पात्रता परीक्षा का लाभ उठा सकते हैं, जिसके लिए निर्णय बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पारित किया गया था।
एक योजना यह भी है कि सीईटी स्कोर राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) और बाद में निजी क्षेत्र के साथ भर्ती एजेंसियों के साथ साझा किया जाएगा। कार्मिक मंत्रालय ने भी शनिवार को एक बयान में इसकी पुष्टि की।
इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के बयान का हवाला देते हुए मंत्रालय ने कहा कि सीईटी वास्तव में भर्ती पर खर्च होने वाली लागत और समय को बचाने के लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों सहित भर्ती एजेंसियों की मदद करेगी। इसके साथ ही यह नौकरी के इच्छुक युवाओं के लिए भी सुविधाजनक और लागत प्रभावी होगी।
सरकार की योजना के हिस्से के रूप में, इन एजेंसियों और इन संगठनों द्वारा सीईटी स्कोर का उपयोग करने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) के रूप में एक व्यवस्था रखी जा सकती है। वहीं मंत्रालय का भी कहना है कि सीईटी नियोक्ता (एम्पलोयर) और कर्मचारी दोनों के लिए बेहतर व्यवस्था साबित कर सकती है।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) और मंत्री जितेंद्र सिंह कई राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के संपर्क में हैं, जिन्होंने सीईटी स्कोर की साझा व्यवस्था का हिस्सा बनने के लिए अपनी रुचि व्यक्त की है।
पता चला है कि अधिकांश मुख्यमंत्री भी इसे लेकर काफी उत्साही हैं और इस सुधार को अपनाने के पक्ष में हैं, जिसे केंद्र सरकार एक क्रांतिकारी निर्णय कहती है। इसका उद्देश्य संघर्षरत युवाओं के लिए जीवनयापन में आसानी लाना और नौकरी के इच्छुक युवाओं के लिए एक बड़ा सुधार करना है।
लखनऊ, 23 अगस्त (आईएएनएस)| बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विधानसभा में दिए बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि "भाजपा द्वारा केवल रामराज्य की बात करने से यूपी की गरीब जनता का विकास व उत्थान होने वाला नहीं है।" मायावती ने विधानमंडल का सत्र समाप्त होने के तुरंत बाद चार ट्वीट किए और सरकार पर हमला बोला। बसपा मुखिया ने कहा, "भाजपा द्वारा केवल रामराज्य की बात किए जाने से यूपी की गरीब जनता का विकास व उत्थान आदि होने वाला नहीं है और न ही उन्हें जुल्म-ज्यादती से निजात ही मिलने वाला है, बल्कि श्रीराम के उच्च आदर्शो पर चलकर सरकार चलाने से ही यह सब संभव हो सकता है, जिस पर यह सरकार चलती हुई नजर नहीं आ रही है।"
उन्होंने कहा, "खासकर ब्राह्मण समाज के प्रति भाजपा की जातिवादी कार्यशैली से दुखी होकर अब इस पार्टी से अलग होकर व बसपा में जुड़ते हुए देखकर इन्हें यह कह रहे हैं कि तिलक, तराजू की बात करने वाले अब परशुराम की बात कर रहे हैं। लेकिन यह समाज काफी बुद्धिमान है। इनके बहकावे में नहीं आएगा।"
बसपा मुखिया ने कहा, "जबकि जग-जाहिर तौर पर तिलक, तराजू आदि की बात बसपा ने कभी नहीं कही और ना ही बाबरी मस्जिद के स्थान पर कभी शौचालय बनाने की ही बात कही है। ये सब घृणित आरोप विरोधियों ने केवल बसपा को नुकसान पहुंचाने के लिए इन्हें जबरन हमारी पार्टी से जोड़ दिया है, जो अति-निंदनीय है।"
उन्होंने कहा, "यदि इस आरोप में थोड़ी भी सत्यता होती तो फिर बसपा अपनी पिछली सरकार में खासकर ब्राह्मण समाज के विधायकों को बड़ी संख्या में मंत्री व अन्य उच्च पदों पर क्यों रखती? वैसे यह समाज सब कुछ जानता है। वे बिल्कुल गुमराह नहीं होंगे। पार्टी को इन पर पूरा भरोसा है।"
938 करोड़ रुपये के एसबीआई ऋण धोखाधड़ी मामला
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में 938 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को दिल्ली और मध्य प्रदेश के पांच स्थानों पर छापेमारी की। छापेमारी मध्य प्रदेश के मुरैना और दिल्ली के बाराखंभा रोड पर केएस ऑयल्स लिमिटेड के कार्यालय परिसर में की गई। केएस ऑयल्स लिमिटेड के कार्यालय के मैनेजिंग डायरेक्टर और प्रमोटर्स के घर पर भी छापेमारी की गई।
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि "छापेमारी मुरैना में चार स्थानों पर की गई, जिसमें मैनेजिंग डायरेक्टर रमेश चंद गर्ग और प्रमोटर सौरभ गर्ग के आवासीय और आधिकारिक परिसर शामिल हैं।"
अधिकारी ने कहा कि " एजेंसी ने एसबीआई से 938.81 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी के आरोप में मुरैना स्थित केएस ऑयल्स और उसके एमडी, प्रमोटर, निदेशक और अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।"
नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| भारत-बांग्लादेश सीमाओं पर मानव तस्करी दोनों देशों के अधिकारियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने इस साल अगस्त के मध्य तक दोनों देशों के बीच अवैध रूप से सीमाओं को पार कर रहीं 915 महिलाओं को पकड़ा है।
गिरफ्तार लोगों में वे महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने भारत में प्रवेश करने की कोशिश की और साथ ही वह महिलाएं, जिन्होंने एक जनवरी से 15 अगस्त के बीच दलाल या गुप्त सूचना मुहैया कराने वालों की सहायता से सीमा पार करने की कोशिश की थी। गृह मंत्रालय के आंकड़ों से इसका पता चला है।
यह संख्या महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह 2020 के अंत तक पिछले कुछ वर्षों के रिकॉर्ड को तोड़ सकती है।
एक अनुमान के अनुसार, अगर तस्करी के दौरान पकड़ी गई महिलाओं की संख्या साढ़े सात महीने में ही 900 को पार कर गई है, तो यह इस साल के अंत तक 1,400 का आंकड़ा पार कर सकती है।
भारत और बांग्लादेश के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पकड़ी गई महिलाओं की संख्या 2019 में 936, 2018 में रिकॉर्ड 1,107 और 2017 में 572 थी।
इस साल सीमाओं पर पकड़ी गई कुल 915 महिलाओं में से सबसे अधिक 888 दक्षिण बंगाल से पकड़ी गई हैं। इसके बाद त्रिपुरा से 14, असम में गुवाहाटी से छह, उत्तर बंगाल से चार, मिजोरम और कछार से दो और मेघालय से एक महिला पकड़ी गई है।
भारत और बांग्लादेश 4,096.7 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं। इसमें से पश्चिम बंगाल (2,216.7 किमी), असम (263 किमी), मेघालय (443 किमी), त्रिपुरा (856 किमी) और मिजोरम (318 किमी) शामिल है।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि अधिकतम महिला तस्करी के मामले दक्षिण बंगाल से दर्ज किए गए हैं, जहां से 850 महिलाओं को बांग्लादेश में पार करते समय या भारत में प्रवेश करते समय पकड़ा गया। यह संख्या 2018 में 620 और 2017 में 462 थी।
आंकड़ों से पता चलता है कि महिला तस्करी में 2019 में त्रिपुरा दूसरे स्थान पर रहा है, जहां तस्कीर के 52 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं 2018 में यहां 47 जबकि 2017 में 14 महिलाएं सीमा पार करते हुए पकड़ी गईं हैं।
असम में गुवाहाटी दक्षिण बंगाल के बाद 2018 में दूसरे स्थान पर रहा, जहां सीमा पार करते समय 394 महिलाओं की गिरफ्तारी हुई। वहीं 2019 में यह आंकड़ा आठ जबकि 2017 में छह था।
उत्तर बंगाल सीमा के माध्यम से महिलाओं की तस्करी के मामलों में हालांकि पिछले कुछ वर्षों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। 2017 में यह आंकड़ा 87 था, लेकिन 2018 में 39 हो गया। वहीं 2019 में यह संख्या 12 रही और इस साल 15 अगस्त तक केवल चार महिलाएं सीमा पार करते हुए पकड़ी गईं।
मेघालय सीमांत क्षेत्र से इस वर्ष 15 अगस्त तक केवल एक महिला पकड़ी गईं, जबकि पिछले साल 11 महिलाओं को पकड़ा गया था। 2018 में यहां से छह और 2017 में तीन महिलाओं को सीमा पार करते हुए पकड़ा गया।
मिजोरम और असम के कछार से सबसे कम महिला तस्करी के मामले दर्ज किए गए हैं। इस साल 15 अगस्त तक इन क्षेत्रों से केवल दो महिलाओं को पकड़ा गया है। वहीं 2019 में यहां से तीन, 2018 में एक महिला सीमा पार करते हुए पकड़ी गई थी। इस क्षेत्र से 2017 में ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था।
नई दिल्ली, 22 अगस्त। दिल्ली विश्वविद्यालय ने मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिए ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी की प्रवेश परीक्षा की तारीखों का एलान कर दिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय में 6 सितंबर से 11 सितंबर तक प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी।
कोरोना संक्रमण के बावजूद डीयू में इस बार पहले से ज्यादा छात्रों ने अलग-अलग पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन किया है। अभी तक 4 लाख से अधिक छात्रों ने इस प्रक्रिया में हिस्सा लिया है। इनमें से 2 लाख 83 हजार छात्रों ने अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए आवेदन किया है। 1 लाख 59 हजार छात्रों ने पोस्टग्रेजुएट से जुड़े कार्यक्रमों में दाखिले के लिए आवेदन किया है।
इस बार पिछले साल के मुकाबले ज्यादा छात्रों ने अपने आवेदन भेजे हैं। पिछले साल अंडर ग्रेजुएट कोर्स के लिए कुल 2 लाख 58 हजार छात्रों ने आवेदन किया था।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी दिल्ली विश्वविद्यालय में 10 अंडरग्रेजुएट, 86 मास्टर्स, एमफिल और पीएचडी की प्रवेश परीक्षाएं आयोजित कराएगी। परीक्षाएं दिल्ली, एनसीआर और देशभर के 24 अन्य शहरों में बनाए गए केंद्रों पर करवाई जाएंगी।
डीयू प्रशासन ने कहा, "परीक्षाएं सुबह 8, दोपहर 12 बजे और शाम 4 बजे से तीन अलग-अलग शिफ्ट में होंगी। सभी श्फ्टिों में परीक्षा दो घंटे की होगी। 6 सितंबर को पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी की परीक्षा होगी। 21,699 एमफिल और पीएचडी कार्यक्रमों के लिए रजिस्ट्रेशन हुआ है। इसी दिन दोपहर 12 बजे से दो बजे तक बीएमएस, बीबीए, बीए ऑनर्स बिजनेस इकोनॉमिक्स की परीक्षा होगी।"
ग्रेजुएट प्रवेश परीक्षा तीन मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों, पत्रकारिता, शिक्षा और कुछ विशेष कार्यक्रमों के लिए आयोजित की जा रही हैं। इन कोर्सेज के लिए उन छात्र-छात्राओं ने अप्लाई किया है, जो बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में 90 प्रतिशत से कम अंको के साथ पास हुए हैं।
ग्रेजुएशन के अन्य पाठ्यक्रमों के लिए छात्रों के बारहवीं कक्षा में हासिल अंकों की मेरिट तैयार की जाएगी। इसी मेरिट के हिसाब से डीयू के अलग-अलग कॉलेजों में कटऑफ लिस्ट के जरिए छात्रों को दाखिला मिलेगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) ने परीक्षा कार्यक्रम के बीच कॉलेज फीस में रियायत मांगी है। डीयू के कुछ कॉलेजों ने कॉलेज फीस जमा कराने हेतु नोटिस जारी किया है। डूसू ने ऑनलाइन मोड में क्लासेज शुरू होने के चलते संसाधनों का छात्रों के उपयोग न किए जाने पर उनकी फीस नहीं लिए जाने की बात कही है।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू ) के अध्यक्ष अक्षित दहिया ने कहा कि, "डीयू ने पिछले 10 अगस्त से क्लासेज ऑनलाइन मोड में शुरू कर दी हैं। कुछ कॉलेजों ने फीस डिपाजिट करने का नोटिस भी जारी कर दिया है। छात्र बिजली, पानी, स्पोर्ट्स जैसी जिन सुविधाओं का उपयोग नहीं कर रहे हैं, उनका शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए, साथ ही कुल फीस में वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखकर रियायत देने का प्रावधान होना चाहिए।"(IANS)
नई दिल्ली, 22 अगस्त। केंद्र द्वारा शनिवार सभी राज्यों को अनलॉक 3.0 के नियमों का पालन किए जाने का निर्देश दिया गया है, जिसके चलते अंतर्राज्यीय और राज्य के अंदर व्यक्तियों व सामान के आवागमन पर कोई प्रतिबंध नहीं होनी चाहिए और साथ ही यह भी कहा गया कि इन गतिविधियों के लिए अलग से कोई अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला द्वारा सभी मुख्य सचिवों का ध्यान अनलॉक 3.0 के दिशानिर्देशों के पैरा 5 पर आकर्षित करने के लिए एक पत्र लिखा गया है, जिसमें कहा गया है कि किसी भी राज्य के भीतर या एक राज्य से दूसरे राज्य में व्यक्तियों व सामानों के आवागमन पर किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं होगा।
पत्र में यह भी लिखा गया कि पड़ोसी देशों के साथ समझौते के तहत सीमा पार व्यापार के लिए व्यक्तियों या सामान के आवागमन के लिए अलग से अनुमति, मंजूरी या ई-परमिट की जरूरत नहीं पड़ेगी।
गृह सचिव के पत्र में इस बात का जिक्र किया गया कि ऐसी खबरें मिली हैं कि स्थानीय स्तर पर विभिन्न जिलों व राज्यों द्वारा गतिविधियों पर पांबदियां लगाई जा रही हैं।
पत्र में लिखा गया कि ऐसी पाबंदियों से माल और सेवाओं के अंतर्राज्यीय आवागमन में दिक्कतें आती हैं और इससे आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होती हैं जिससे आर्थिक गतिविधि व रोजगार में अवरोध पैदा होता है।
पत्र में लिखा गया, "ऐसे प्रतिबंध आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के प्रावधानों के तहत गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के समान हैं। कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन हो।"
केंद्र द्वारा 29 जुलाई को देश में अनलॉक 3.0 की प्रक्रिया जारी की गई है। देशभर में कोरोनोवायरस से चलते लगाए गए प्रतिबंधों में ढील देने के इस तीसरे चरण में अंतर्राज्यीय और राज्य के अंदर व्यक्तियों व सामान के आवागमन में राहत दी गई है। 31 अगस्त तक लागू इस मौजूदा प्रक्रिया में सरकार ने रात के वक्त कर्फ्यू को हटा दिया है और योग संस्थानों को फिर से खोलने की अनुमति दी।
सरकार ने कहा कि इस नई प्रक्रिया में अगस्त महीने के अंत तक मेट्रो रेल संचालन और बड़े समारोहों में प्रतिबंध लगा रहेगा और स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान भी बंद रहेंगे।(IANS)
नई दिल्ली, 22 अगस्त। नीट और जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में 27 लाख से अधिक छात्रों को अपनी पसंद का परीक्षा केंद्र चुनने का अवसर दिया गया है। इससे कोरोना संक्रमण के इस दौर में कई छात्रों को प्रवेश परीक्षाएं देने के लिए दूसरे शहरों में नहीं जाना पड़ेगा। हालांकि छात्र इस विकल्प से बहुत ज्यादा संतुष्ट नहीं हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक छात्रों को अपनी पसंद का केंद्र चुनने का विकल्प इसलिए दिया गया, ताकि उन्हें लंबी यात्रा न करनी पड़े और वो अपनी सुविधा के अनुसार परीक्षा केंद्र का चुनाव कर सकें।
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के कारण बड़ी संख्या में छात्र इन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग कर चुके हैं। ऐसे ही एक छात्र देवव्रत चतुर्वेदी ने कहा कोरोना के इस दौर में हमें परीक्षा केंद्रों तक पहुंचकर, प्रवेश परीक्षा में शामिल होना होगा। इस दौरान छात्रों को कोरोना से संक्रमित होने का भय है।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानि एनटीए ने इस विषय में एक आधिकारिक सूचना जारी की थी। इस सूचना में एनटीए के महानिदेशक ने कहा नीट परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र परीक्षा केंद्र व परीक्षा के शहर का विकल्प चुन सकते हैं। इस बदलाव के लिए एनटीए ने वेबसाइट पर 15 जुलाई तक का समय दिया था।
नीट प्रतियोगी परीक्षा के लिए 16.84 लाख छात्रों ने फॉर्म भरा है। सभी 16.84 लाख छात्र अपनी सुविधा अनुसार फार्म में बदलाव के पात्र हैं।
इसी तरह जेईई की प्रवेश परीक्षा में भी ये सुविधा प्रदान की गई है। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी यानी एनटीए ने इसके लिए जरूरी प्रावधान किए हैं। इसके अंतर्गत लगभग 10 लाख छात्रों को ये सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
एनटीए के मुताबिक छात्रों को परीक्षा केंद्रों की मौजूदगी के आधार पर उनका नजदीकी परीक्षा केंद्र आवंटित किया जाएगा।
कोरोनावायरस के कारण देशभर में जेईई और नीट की परीक्षा देने वाले लाखों छात्रों की अनिश्चितताओं को विराम देते हुए, इन परीक्षाओं की नई तिथियां भी घोषित की गई हैं।
जेईई मेन परीक्षा 1 से 6 सितंबर के बीच होंगी। नीट की परीक्षा 13 सितंबर को होगी। जेईई एडवांस की परीक्षा 27 सितंबर को होगी। पहले जेईई की परीक्षा 18 जुलाई से 23 जुलाई के बीच और नीट की परीक्षा 26 जुलाई को होने वाली थी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कहा, "इस महामारी के दौरान हमारी प्राथमिकता छात्रों के स्वास्थ को सुरक्षित रखना है। हम ये सुनिश्चित करेंगे कि परीक्षा आयोजित करवाते समय, गृह मंत्रालय और स्वास्थ मंत्रालय द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का पालन सख्ती से किया जाए, ताकि छात्रों को इस महामारी की चपेट से दूर रखा जाये।"
मंत्रालय ने कहा परीक्षा केंद्रों में सोशल डिस्टेसिंग का भी पूरा पालन किया जायेगा और बाकि सभी ऐहतियाती इंतजाम भी किये जायेंगे।(IANS)
मुंबई, 22 अगस्त। सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच कर रही सीबीआई की विशेष जांच दल (एसआईटी) शनिवार को अभिनेता के बांद्रा स्थित फ्लैट पर पहुंची, जहां उन्हें 14 जून को फोरेंसिक टीम, उनके फ्लैटमेट सिद्धार्थ पिठानी और कुक नीरज सहित अन्य लोगों ने मृत पाया था। सूत्रों ने कहा, इससे पहले सीबीआई की एक और टीम ने कूपर हॉस्पिटल व बांद्रा पुलिस स्टेशन का दौरा किया। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विभिन्न टीमें अलग-अलग कोण से मामले की छानबीन कर रही है।
एसपी नुपूर प्रसाद की नेतृत्व वाली सीबीआई की एसआईटी फॉरेंसिक टीम के साथ बांद्रा में स्थित मोंट ब्लैंक अपार्टमेंट पहुंची। यहां क्राइम सीन को रीक्रिएट करने के साथ ही टीम पिठानी, नीरज और सुशांत के स्टाफ दीपेश सावंत से 13 व 14 जून के घटनाओं के संदर्भ में पूछताछ भी करेगी।
फोरेंसिक टीम दिवंगत अभिनेता के बांद्रा वाले फ्लैट से सभी साक्ष्य का संग्रह करेगी। एजेंसी के एक सूत्र ने कहा कि विश्लेषण के लिए फॉरेंसिक टीम के साथ फ्लैट और ऑटोप्सी रिपोर्ट की तस्वीरें साझा की जाएंगी।
यह कार्रवाई इसी दिन सीबीआई द्वारा पिठानी और नीरज के बयान दर्ज करने के बाद हुई है। नीरज और पिठानी को आईएएफ के गेस्टहाउस में पूछताछ के लिए लाया गया था, जहां संघीय एजेंसी के अधिकारी ठहरे हुए हैं। शुक्रवार को सीबीआई ने नीरज, सुशांत के हाउस मैनेजर सुमैअल मिरांडा और सावंत से भी पूछताछ की थी।
मिरांडा से पांच और नीरज से दस घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई। सूत्र ने कहा कि पिठानी से 13 व 14 जून की घटनाओं को क्रमबद्ध ढंग से बताने से संबंधित सवाल पूछे गए और यह भी पूछा गया कि उस वक्त फ्लैट में किन-किन लोगों की मौजूदगी थी।
बांद्रा फ्लैट में पिठानी से सीबीआई इस बारे में पूछताछ करेगी : सुशांत के कमरे का लॉक खोलने के लिए किसने चाबी वाले को कॉल किया? बॉडी को किसने नीचे उतारा? पुलिस से किसने सबसे पहले बात की? इत्यादि।
इस बीच सीबीआई की एक और टीम बांद्रा पुलिस स्टेशन में उन पुलिस कर्मियों से बात करने के लिए पहुंची, जो 14 जून को ड्यूटी पर थे और कॉल आने के बाद दिवंगत अभिनेता के फ्लैट का दौरा किया था।
एक अलग टीम कूपर हॉस्पिटल पहुंची हुई है, जहां अभिनेता के शव का परीक्षण तीन डॉक्टरों द्वारा किया गया था।(IANS)
नई दिल्ली, 22 अगस्त। मुखौटा कंपनियों के माध्यम से आम आदमी पार्टी(आप) को दो करोड़ रुपये का चंदा देने के मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से दो लोगों की गिरफ्तारी पर भाजपा हमलावर हो गई है। भाजपा ने मुख्यमंत्री केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कालेधन से चलने वाली पार्टी कहा है। पार्टी ने दावा किया है कि आम आदमी पार्टी के कालेधन से रिश्तों को लेकर अभी और खुलासे होंगे। पुलिस अधिकारियों ने शुक्रवार को चंदा मामले में गंगा विहार निवासी मुकेश कुमार और लक्ष्मी नगर निवासी सुधांशु बंसल की गिरफ्तारी की थी। सुधांशु बंसल पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट बताए जाते हैं। प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने पार्टी कार्यालय पर शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस कर कहा, "जब केजरीवाल ने पार्टी बनाई थी उससे पहले उन्होंने भ्रष्टाचार पर बड़ा जन आंदोलन किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद पता चल रहा है कि वो सिर्फ एक दिखावा था और यह पार्टी काले धन को सफेद करने के लिए बनाई गई थी।"
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने दावा किया कि आने वाले दिनों में और ऐसे खुलासे होंगे जिससे आम आदमी पार्टी के और ऐसे काले धन के मामले सामने आएंगे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने दावा किया, "जिन चार फर्जी कम्पनी के चंदे के 2 करोड़ रुपये केजरीवाल की पार्टी को दिए, उसमें इनके सीए सुधांशु बंसल ने आप के राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता, विधायक शिवचरण गोयल की कंपनी में भी पैसे लगाए हैं।"
आदेश गुप्ता ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इस मामले में खामोशी पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या इसी घोटालों की राजनीति को अलग तरह की वह राजनीति कहते थे।
नेता प्रतिपक्ष रामवीर विधूड़ी ने कहा कि 2015 के बाद जो भी चंदा आम आदमी पार्टी के पास आया है उसके ऊपर टैक्स लगना चाहिए। क्योंकि उस पैसे का दुरुपयोग किया गया है। जो फर्जी कम्पनी से पैसे आए हैं वो ईडी को तुरंत जब्त करने चाहिए और तीन सौ प्रतिशत पेनाल्टी लगनी चाहिए।(IANS)
नई दिल्ली, 22 अगस्त। ब्लूम्सबरी इंडिया ने दिल्ली दंगे से जुड़ी किताब के प्रकाशन से अपने हाथ खींच लिए हैं.
पब्लिशर के मुताबिक़ उनकी जानकारी के बिना किताब के बारे में एक ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें बीजेपी के नेता और दिल्ली दंगे से पहले भड़काऊ भाषण देने के आरोप झेल रहे कपिल मिश्रा को मुख्य अतिथि बनाया गया था.
प्रकाशक ब्लूम्सबरी इंडिया ने एक प्रेस रिलीज़ जारी करके कहा है कि "फरवरी में हुए दिल्ली दंगों के बारे में इस साल सितंबर में वह 'डेल्ही रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी' प्रकाशित करने वाला था लेकिन लेखकों ने ऐसे लोगों को प्री-लॉन्च इवेंट आमंत्रित किया जिन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता."
ब्लूम्सबरी इंडिया ने अपने बयान में कपिल मिश्रा का नाम लिए बग़ैर कहा, "हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्के हिमायती हैं लेकिन समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को लेकर भी उतने ही सचेत हैं."
किताब को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, सांसद और वरिष्ठ नेता भूपेन्द्र यादव ने लाँच किया.
किताब को मोनिका अरोड़ा, सोनाली चितालकर और प्रेरणा मलहोत्रा ने लिखा है.
किताब के लेखकों की प्रतिक्रिया अभी नहीं मिल पाई है.
दिल्ली में 23 से 27 फ़रवरी के बीच दंगे हुए थे जिसमें आधिकारिक तौर पर 53 लोग मारे गए थे.
13 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस के हलफ़नामे के मुताबिक मरने वालों में से 40 मुसलमान और 13 हिंदू हैं. पुलिस ने दंगों की 751 एफआईआर दर्ज की हैं.(BBCNEWS)