राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| पूर्वोत्तर दिल्ली की मंडोली जेल से कथित तौर पर चलाए जा रहे एक उगाही (जबरन वसूली) रैकेट का दिल्ली पुलिस ने भंडाफोड़ किया है और इस सिलसिले में जेल के 50 वर्षीय मुख्य जेल वार्डन सहित पांच को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने कहा कि नंदू गैंग का एक सक्रिय सदस्य जो जबरन वसूली कर धंधे में शामिल होने के कारण कुख्यात है, उसकी पहचान विकास के रूप में हुई है जो रैकेट का मास्टरमाइंड है और कथित तौर पर जेल से इसका संचालन करता है, जहां वह वर्तमान में बंद है।
जहां मुख्य वार्डन की पहचान राजेंद्र सिंह के रूप में की गई है, वहीं अन्य चार आरोपी जगमोहन (23), विकास (28), प्रमोद कुमार (30) और हनी राजपाल (35) हैं।
प्रमोद, जो न्यायिक हिरासत में था, को हाल ही में अंतरिम जमानत मिली थी, जबकि राजपाल हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं।
पूछताछ के दौरान, प्रमोद ने कबूला कि जेल में उसकी मुलाकात राजपाल से हुई, जो इस समय एक हत्या के मामले में मंडोली जेल में है।
जब उसे अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया, तो राजपाल ने प्रमोद को जेल में 10 सिम कार्ड देने और मुख्य वार्डन राजेंद्र के माध्यम से जेल भेजने के लिए बुलाया, जिसके लिए उसे 2000 रुपये प्रति सिम देने का वादा किया गया था।
द्वारका के डीसीप एन्टो अल्फोंस ने कहा, "इस पर, उसने अपने नाम पर 4 सिम जारी कराए और अपने भाई जगमोहन के नाम पर 6 सिम जारी कराए और अलग-अलग मौकों पर मुख्य वार्डन राजेंद्र को मंडोली जेल और खजुरी खास चौक पर सौंप दिया।"
जांच के दौरान, सिम कार्ड डीलरों की जांच की गई, उनका रिकॉर्ड चेक किया गया और 50 वर्षीय आरोपी राजेन्द्र सिंह को गिरफ्तार किया गया।
उसके खुलासे और व्हाट्सएप चैट के आधार पर, टीम ने दिल्ली के गांव बक्करवाला निवासी हनी राजपाल और इस रैकेट के मास्टरमाइंड विकास उर्फ पीके को गिरफ्तार कर लिया।
भुवनेश्वर, 28 अगस्त (आईएएनएस)| ओडिशा में फिर एक बार एक दिन में सबसे अधिक 3,682 कोरोनावायरस के मामले सामने आए। इसके साथ ही राज्य में इस वायरस से संक्रमितों की संख्या 94,668 हो गई है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को ये जानकारी दी। पिछले 24 घंटों में कोविड-19 से आठ लोगों की मौत हुई है। इसके साथ ही इस राज्य में मरने वालों की कुल संख्या 456 हो गई है।
भुवनेश्वर और गंजम जिलों में दो-दो मौतें हुई हैं। इसके अलावा भद्रक, बलांगीर, बारगढ़ और रायगादा जिलों में एक-एक मौत दर्ज हुई है।
नए मामलों में 2,241 क्वारंटीन सेंटर से मिले हैं जबकि 1,441 लोकल इंफेक्शन हैं।
राज्य में एक्टिव मामलों की कुल संख्या 28,836 है, जबकि 65,323 मरीज ठीक हो कर घर जा चुके हैं।
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने शुक्रवार को सुशांत सिंह राजपूत के पिता के के सिंह और बहन रानी सिंह से भेंट कर कहा है कि उन्हें जल्द इंसाफ मिलेगा। केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने सुशांत सिंह के जीजा ओपी सिंह के फरीदाबाद स्थित पुलिस कमिश्नर आवास पर करीब आधे घंटे तक परिवार से बात कर सांत्वना दी। इस दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि सीबीआई की जांच से दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। सीबीआई की जांच से बॉलीवुड का माफिया बेनकाब होगा। बॉलीवुड में एक पूरा गैंग काम करता है, जो प्रतिभाओं को दबाने की कोशिश करता है। रामदास अठावले ने कहा कि वो घटना की शुरूआत से ही इस संगीन मामले की सीबीआई जांच के पक्षधर थे। पिता के के सिंह ने सुशांत की मौत के पीछे गहरी साजिश का अंदेशा जताया। उन्होंने मुंबई पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए। बहन रानी सिंह ने भी सुशांत की संदिग्ध मौत को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए।
रामदास अठावले महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य भी हैं। ऐसे में सुशांत सिंह राजपूत के पिता और बहन से उनकी इस मुलाकात के काफी मायने हैं। रामदास अठावले सुशांत सिंह राजपूत केस में शुरूआत से उच्चस्तरीय जांच की मांग करते रहे हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि जल्द ही सीबीआई के हाथ सभी दोषियों के गिरेबान तक पहुंचेगे। सुशांत सिंह राजपूत की हत्या की आशंका है।
मनोज पाठक
पटना, 28 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एक बार फि र से राजनीतिक दलों द्वारा 'दोस्तों' की खोज प्राारंभ हो गई है। इस बीच विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल घटक दलों के बीच जहां एक ओर नाराजगी की बातें सामने आ रही हैं, वहीं वामपंथी दलों की राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन से नजदीकियां बढ रही हैं।
राजग को टक्कर देने के लिए वामपंथी पार्टियां महागठबंधन के नेताओं के संपर्क में हैं और इसे लेकर बैठकों का दौर भी शुरू हो गया है।
वामपंथी दलों के नेताओं ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से बुधवार को मुलाकात की और इस मामले को लेकर चर्चा की। बैठक में सभी दलों में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने पर सहमति बनी है, हालांकि अभी सीट बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का एक संयुक्त शिष्टमंडल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से मिला और इस बारे में चर्चा की।
भाकपा के प्रदेश सचिव रामनरेश पांडे ने बताया कि दलों में इस बात पर सहमति बनी कि राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, भाकपा, माकपा, अन्य वामपंथी दल एवं अन्य पार्टियां मिलकर सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि सभी दलों के बीच सम्मानजनक तरीके से सीटों के बंटवारे पर जल्द ही सहमति बना ली जाएगी।
उन्होंने कहा, "किसी भी परिस्थिति में व्यापक गठबंधन के बीच किसी प्रकार की अड़चन नहीं आने दी जाएगी। सभी पक्ष आपसी समझदारी और व्यापक राजनीतिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ेंगे।"
उल्लेखनीय है कि अन्य पार्टियों से समझौता के लिए राजद ने अपने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को अधिकृत किया है।
वैसे इससे पहले भी भाकपा और माकपा, राजद या जनता दल के साथ गठबंधन में रह चुकी है, लेकिन यह पहली बार होगा जब भाकपा (माले) भी राजद के इस गठबंधन में होगी।
भाकपा (माले) के फि लहाल तीन विधायक हैं।
भाकपा (माले) के कार्यालय सचिव कुमार परवेज कहते हैं कि हमलोग राजद के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास पहले से ही तीन सीटें हैं और भोजपुर, पटना, अरवल और सीवान जिले में एक दर्जन से अधिक सीटों पर हमारी अच्छी पकड़ है।
उन्होंने कहा, "यह एक अच्छे संकेत की तरह दिखता है कि तीनों वामपंथी दल बिहार में महागठबंधन का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि वामपंथी दलों की इच्छा विपक्ष मजबूत और एकता के साथ चुनाव में उतरने की है और नीतीश कुमार के गठबंधन को शिकस्त देने की।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में भी वामपंथी दलों को कुछ सीटों पर समझौता हुआ था, लेकन बेगूसराय सीट पर जेएनयू छात्र संघ के पूर्व नेता कन्हैया कुमार के प्रत्याशी बनने के बाद वहां समझौता नहीं हो सका था।
बहरहाल, राजद और वामपंथी दलों के इस चुनाव में समझौता होने के बाद चुनाव प्रचार में तेजस्वी और कन्हैया मंच साझा करेंगे या नहीं यह देखना दिलचस्प होगा।
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पीएनबी घोटाले के आरोपी मेहुल चोकसी द्वारा नेटफ्लिक्स के आगामी सीरीज 'बैड बॉय बिलियनेयर्स : इंडिया' के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति नवीन चावला की अगुवाई वाली हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने दी।
अपने आदेश में, न्यायाधीश चावला ने कहा, "याचिकाकर्ता की याचिका का समाधान सिविल सूट (दीवानी न्यायालय) में होगा क्योंकि जैसा कि याचिकाकर्ता द्वारा आरोप लगाया गया है कि यह उसके निजी अधिकार का हनन है। दुरुपयोग को लेकर पेश की गई प्रस्तुतियों के मद्देनजर, वर्तमान याचिका को खारिज किया जाता है और याचिकाकर्ता के पास दूसरे उचित कानूनी उपाय का विकल्प खुला है।"
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 (कोरोनावायरस) चुनाव स्थगित करने का आधार नहीं हो सकता, और उसने बिहार के कोरोना मुक्त होने तक विधानसभा चुनाव स्थगित कराने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। न्यायाधीश अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि कोविड-19 चुनाव स्थगित करने का आधार नहीं हो सकता है और अदालत चुनाव आयोग को यह नहीं बता सकती है कि इस मुद्दे पर क्या किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत के समक्ष तर्क दिया कि उसे चुनाव की अधिसूचना को रोकना चाहिए।
पीठ ने जवाब दिया, "हम चुनाव आयोग से चुनाव नहीं कराने के लिए कैसे कह सकते हैं?"
याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून कहता है कि असाधारण परिस्थितियों में चुनाव स्थगित किए जा सकते हैं।
पीठ ने जवाब दिया कि यह फैसला चुनाव आयोग को करना है न कि शीर्ष अदालत को। पीठ ने दोहराया कि वह चुनाव आयोग को चुनाव नहीं कराने का निर्देश नहीं दे सकती है।
याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि मानव जीवन सर्वोपरि है न कि चुनाव, क्योंकि लोग कोरोनोवायरस संक्रमण के कारण पीड़ित हैं।
पीठ ने कहा कि वह ऐसा आदेश पारित नहीं कर सकती। यह भी कहा कि याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है क्योंकि राज्य चुनाव की अधिसूचना अभी तक जारी नहीं की गई है और यह समय से पहले है।
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से चुनाव आयोग और राज्य में बीमारी को लेकर जमीनी हालात के संबंध में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से रिपोर्ट मांगने का अनुरोध किया।
पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग स्थिति के बारे में देखेगा और मामले पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
मनोज पाठक
पटना, 28 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार में विपक्षी दलों के गठबंधन में शामिल घटक दलों के बीच नाराजगी के बाद प्रमुख घटक दल राष्ट्रीय जनत दल (राजद) इस साल के अंत में होने वाले संभावित विधानसभा चुनाव में कम से कम 150 से 160 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर 'आत्मनिर्भर' बनने की इच्छा रखती है। राजद को अपने बलबूते सरकार बनाने की चाह है।
राजद के एक नेता ने दावा करते हुए कहा कि राजद पिछले विधानसभा चुनाव वाली गलती दोहराने के मूड में नहीं है, कि गठबंधन में शामिल किसी एक दल के समर्थन वापस लेने से वे सरकार से ही बाहर हो जाए।
राजद का मानना है कि इस चुनाव में भी पार्टी अपने पुराने वोटबैंक एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण के जरिए बहुमत के करीब पहुंचना चाहती है। यही काराण है कि राजद अपने इस मजबूत आधार को फि र से साधने की कोशिश करेगी।
सूत्रों का दावा है कि टिकट वितरण में भी इस समीकरण का खास ख्याल भी रखा जाएगा। सूत्र बताते हैं कि राजद इस चुनाव में कुल 243 सीटों में से 150 से 160 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाह रही है।
उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में राजद ने 101 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे जबकि उसकी सहयोगी जदयू 101 और कांग्रेस को 41 सीटों पर चुनाव लड़े थे। चुनाव के बाद राजद 80 सीटों पर जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, जबकि जदयू को 71 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। इसके बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे और उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदाराी राजद के नेता तेजस्वी यादव को मिली थी।
इसके बाद 2017 में जदयू और राजद की दोस्ती बिखर गई और जदयू गठबंधन से बाहर निकल गया, जिससे राजद-कांग्रेस की भगीदारी वाली सरकार गिर गई। इसके बाद जदयू ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली।
सूत्रों का कहना है कि राजद, कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) वाले महागठबंधन में कांग्रेस दूसरी सबसे पार्टी होगी। कांग्रेस फिलहाल 80 सीटों पर अपना दावा पेश कर रही है। महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा गठबंधन से बाहर निकल गई है।
राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी हालांकि कहते हैं कि अभी सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कहीं कोई मतभेद नहीं है। पार्टी के सभी नेता बैठकर इसे तय कर लेंगे। राजद के एक अन्य नेता कहते हैं कि राजद का अपना वोट बैंक है और फिलहराल राजद सबसे बडी पार्टी है ।
कानपुर, 28 अगस्त (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश पुलिस के एक निलंबित सब-इंस्पेक्टर पर सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस के अनुसार, सब-इंस्पेक्टर विजय प्रताप ने एक धर्म विशेष के खिलाफ भी अपमानजनक टिप्पणी की थी।
कोतवाली पुलिस स्टेशन में जिला भाजपा अध्यक्ष अजय प्रताप धाकरे और अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष शैलेंद्र चौधरी की शिकायतों के बाद मामला दर्ज किया गया है।
अधिकारी (सिटी) वैभव पांडेय ने कहा कि दोषी पुलिस अधिकारी पर आईपीसी और आईटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
विजय प्रताप ने तब सुर्खियां बटोरी थीं, जब उन्होंने नवंबर 2019 में बिठोली पुलिस स्टेशन में अपने स्थानांतरण के विरोध में 65 किलोमीटर की दौड़ लगाई थी।
उन्होंने तब एक ट्वीट भी पोस्ट किया था, जिसमें लिखा था, "आरआई (पुलिस के रिजर्व इंस्पेक्टर) के तानाशाही रवैये के कारण मेरा तबादला किया जा रहा है। मुझे एसएसपी द्वारा आरक्षित पुलिस लाइनों में वापस रहने के लिए कहा गया था, लेकिन मुझे आरआई द्वारा जबरन बिठोली में स्थानांतरित किया जा रहा है। आप इसे मेरा गुस्सा समझे या दुख, लेकिन मैं बिठोली दौड़ कर जाऊंगा।"
इटावा के एसपी (सिटी), राम यश सिंह ने कहा, "सब-इंस्पेक्टर को रिजर्व पुलिस लाइंस से बिठोली में स्थानांतरित किया गया था। किसी भी अनुशासित अधिकारी की तरह ट्रांसफर ऑर्डर को स्वीकार करने के बजाय, उन्होंने सोशल मीडिया पर एक संदेश पोस्ट किया।"
संदीप पौराणिक
भोपाल/दतिया, 28 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोना संक्रमण के विस्तार को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को बड़ा हथियार माना गया है और इसी के चलते देश के अन्य हिस्सों की तरह मध्य प्रदेश में भी स्कूल बंद हैं और बच्चों का खेलना कूदना भी कम है। इन स्थितियों में बाल कथाएं बच्चों के लिए बड़ा सहारा बन गई है।
मध्यप्रदेश के दतिया जिले में बच्चों को मनोरंजक और ज्ञानवर्धक कहानियां उपलब्ध कराने के लिए जिला बाल अधिकार मंच के तहत गठित विद्यालय स्तरीय बाल अधिकार मंच ने पुस्तकालय शुरू किए हैं। यह पुस्तकालय जिले के दो गांव सेमई और दुर्गापुर में चलाए जा रहे हैं। इन पुस्तकालयों में उपलब्ध पुस्तकों की बाल कथाओं के जरिए बच्चे अपना मनोरंजन और ज्ञानार्जन करने में लगे हैं।
गैर सरकारी संगठन स्वदेश ग्रामोत्थान समिति के मुख्य कार्यकारी रामजी राय ने आईएएनएस को बताया है कि जिले में चाइल्ड राइट ऑब्जर्वेटरी द्वारा बच्चों में अपने अधिकारों के प्रति जागृति लाने के लिए राज्य के पच्चीस जिलों में जिला बाल अधिकार मंचों का गठन किया गया है। इसी के तहत दतिया में विद्यालय स्तर पर 11 बाल अधिकार मंच बनाए गए है। इन्हीं में से दो -- गांव सेमई और दुर्गापुर में विद्यालय स्तर पर बने बाल अधिकार मंच ने बच्चों के लिए कोरोना काल में बाल कथाओं की पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए पुस्तकालय शुरु किए हैं।
उन्होंने आगे बताया कि दोनों ही गांव में मंच के एक-एक सदस्य के घर 25-25 बाल कथाओं पर आधारित पुस्तकें पुस्तकालय के तौर पर रखी गई हैं, जिन्हें बच्चे अपनी रूचि के अनुसार संबंधित सदस्य के यहां से हर रोज बदल-बदल कर अपने घर पुस्तकें ले जाते हैं। जब वे उस किताब की कहानी पढ़ लेते है या दूसरी किताब की जरुरत महसूस करते है तो उसे बदल कर ले लेते है।
सेमई गांव की छात्रा बृज कुंवर पांचाल कोरोना के समय मिली बाल कथाओं की किताबों से बड़ी खुश है। उनका कहना है कि स्कूल बंद हैं और खेलना कूदना भी लगभग बंद ही है, इन स्थितियों में यह किताबें जहां मनोरंजन कर रही हैं वहीं कई ज्ञानवर्धक जानकारियां भी दे रही हैं।
इसी तरह दुर्गापुर में बच्चों को बाल कथाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी मंच के बृजेंद्र पटवा पर है। वह बताते है कि गांव के हम सभी बच्चों के लिए यह बाल कथाओं की किताबें बड़ी उपयोगी हो गई हैं। कोरोना के कारण घर से निकलना बंद है ऐसे में स्कूल की पढ़ाई पूरे समय तो हो नहीं सकती और टीवी भी देखें तो कितनी देर, ऐसे में यह बाल कथाएं पढ़कर नई-नई जानकारियां हासिल कर रहे हैं।
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में इन दिनों संगठन चुनाव की मांग तेज हो गई है। कई वरिष्ठ नेता इसको लेकर मुखर हैं। राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि एक प्रतिशत लोग भी इस बात के समर्थन में नहीं हो सकते हैं कि अध्यक्ष पद पर किसी को बिना चुनाव के नियुक्त कर दिया जाए। आजाद उन नेताओं में से हैं, जिन्होंने कांग्रेस के अंदर संगठन चुनाव की मांग करते हुए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी।
आजाद ने आगे यह भी कहा कि अगर संगठन का चुनाव जीत कर आने वाले लोग कांग्रेस का नेतृत्व नहीं करेंगे तो पार्टी अगले 50 वर्षों तक विपक्ष में बैठी रहेगी।
गुलाम नबी आजाद ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया, "जब आप चुनाव लड़ते हैं तो कम से कम 51 प्रतिशत लोग आपके साथ होते हैं और आप पार्टी के भीतर केवल 2 से 3 लोगों के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं। एक व्यक्ति जिसे 51 प्रतिशत वोट मिलेंगे, अन्य को 10 या 15 प्रतिशत वोट मिलेंगे। जो व्यक्ति जीतेगा वह अध्यक्ष बनेगा, इसका मतलब है कि 51 प्रतिशत लोग उसके साथ हैं। चुनाव का लाभ है कि जब आप चुनाव लड़ते हैं, तो कम से कम आपकी पार्टी के 51 प्रतिशत लोग आपके साथ खड़े होते हैं। अभी अध्यक्ष बनने वाले व्यक्ति के पास एक प्रतिशत समर्थन भी नहीं हो सकता है। यदि CWC के सदस्य चुने जाते हैं, तो उन्हें हटाया नहीं जा सकता। ऐसे में समस्या क्या है।"
चुनाव की मांग को दोहराते हुए उन्होंने कहा, "जो दूसरे, तीसरे या चौथे स्थान पर रहेंगे, वे सोचेंगे कि हमें कड़ी मेहनत करते हुए पार्टी को मजबूत करना होगा और अगली बार जीतना होगा। लेकिन, अभी जो अध्यक्ष चुना गया है, उसे पार्टी के एक प्रतिशत कार्यकर्ताओं का समर्थन भी नहीं है।" उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी को भी राज्य में पार्टी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त कर रही है। यै वैसे व्यक्ति होते हैं, जिनका दिल्ली आना-जाना लगा रहता है और जिसकी सिफारिश पार्टी के बड़े नेताओं द्वारा की जाती है।
गुलाम नबी आजाद ने आगे कहा, "हमें यह भी नहीं पता है कि ऐसे व्यक्तियों को एक या 100 प्रतिशत का समर्थन प्राप्त है। कई ऐसे हैं जिनके पास एक प्रतिशत समर्थन भी नहीं है। ऐसा राज्य, जिले, सीडब्ल्यूसी में नेतृत्व के चुनावों में होता है। नियुक्त व्यक्ति को हटाया जा सकता है, लेकिन एक निर्वाचित व्यक्ति को नहीं हटाया जा सकता है। इसमें गलत क्या है।"
उन्होंने उन नेताओं की कड़ी आलोचना की जो कांग्रेस पार्टी में संगठन चुनाव का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग वफादारी का दावा कर रहे हैं, वे वास्तव में सस्ती राजनीति कर रहे हैं और पार्टी और राष्ट्र के हितों के लिए हानिकारक हैं। आजाद ने कहा, "जो पदाधिकारी या राज्य इकाई के अध्यक्ष या ब्लॉक जिला अध्यक्ष हमारे प्रस्ताव पर हमला करते हैं, वे जानते हैं कि चुनाव होने पर वे कहीं नहीं होंगे। मैंने कहा है कि पार्टी के राज्य, जिला और ब्लॉक अध्यक्ष का चुनाव पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाना चाहिए।”
उन्होंने पिछले कई दशकों से पार्टी में चुनाव नहीं कराने के लिए अफसोस जताया और कहा, "पिछले कई दशकों से हमारे पास पार्टी में निर्वाचित निकाय नहीं हैं। हो सकता है कि हमें 10-15 साल पहले इसके लिए प्रयास करना चाहिए था। अब हम चुनाव पर चुनाव हार रहे हैं। अगर हमें वापस आना है तो हमें चुनाव के जरिए ही अपनी पार्टी को मजबूत करना होगा।' आगे उन्होंने कहा कि अगर मेरी पार्टी अगले 50 वर्षों के लिए विपक्ष में रहना चाहती है, तो पार्टी के भीतर चुनाव की कोई आवश्यकता नहीं है।(ani)
देश में कुल संक्रमितों की संख्या 33,10,235 हो गई है। इसमें 7,25,991 मामले सक्रिय हैं। वहीं, 25,23,772 लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा चुका है। कोरोना की चपेट में आकर अब तक 60,472 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
देश में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के अब तक के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। 24 में रिकॉर्ड 75,760 नए केस सामने आए हैं और 1023 लोगों की मौत हो गई है।
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 33 लाख के पार पहुंच गई है। कुल संक्रमितों की संख्या 33,10,235 हो गई है। इसमें 7,25,991 मामले सक्रिय हैं। वहीं, 25,23,772 लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा चुका है। कोरोना की चपेट में आकर अब तक 60,472 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
देश के अलग-अलग राज्यों से कोरोना के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वह बेहद चिंताजनक हैं। महाराष्ट्र में अब तक कोरोना के 7,18,711 केस सामने आ चुके हैं। कोरोना प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है। राज्य में कोरोना के 1,72,873 मामले सक्रिय हैं। अब तक 5,22,427 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है और 23,089 लोगों की मौत हो चुकी है।
कोरोना प्रभावित राज्यों में तमिलनाडु दूसरे नंबर पर है। तमिलनाडु में कोरोना के अब तक 3,97,261 मामले सामने आ चुके हैं। राज्य में 52,362 सक्रिय केस हैं और 3,38,060 लोगों को अस्पताल से इलाज के बाद छुट्टी दी जा चुकी है। अब तक 6,839 लोगों की मौत हो चुकी है।
वहीं, आंध्र प्रदेश कोरोना प्रभावित राज्यों में तीसर ने नंबर पर है। राज्य में अब तक कोरोना के 3,82,469 केस सामने आ चुके हैं। इनमें 92,208 मामले सक्रिय हैं और 2,86,720 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है। राज्य में अब तक कोरोना से 3,541 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
कोरोना प्रभावित राज्यों में कर्नाटक चौथे नंबर पर पहुंच गया है। कर्नाटक में अब तक कोरोना के 3,00,406 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 83,608 केस सक्रिय हैं और 2,11,688 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है। राज्य में कोरोना से अब तक 5,091 लोगों की जान जा चुकी है।
उत्तर प्रदेश कोरोना प्रभावित राज्यों में पाचंवें नंबर पर है। यूपी में कोरोना के अब तक 2,03,028 मामले सामने आए हैं। प्रदेश में कोरोना के 51,325 सक्रिय मामले हैं। अब तक 1,48,562 लोगों को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है। कोरोना की चपेट में आकर अब तक 3,141लोगों की मौत हो चुकी है।(navjivan)
एमपी, 28 अगस्त. मध्यप्रदेश के महिदपुर में सवर्णों ने श्मशान घाट पर दलित का शव जलाने से रोका परिवार के सदस्यों को अपशब्द कहे, जान से मारने की धमकी दी
दो दिन से थाने में रिपोर्ट के बावजूद दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं
इंदौर। मध्यप्रदेश में दलितों पर अत्याचार बढ़ने के रोज नए मामले सामने आ रहे हैं। गुना में एक दलित परिवार की पिटाई सहित कई मामले पिछले तीन महीने में सामने आये। शुक्रवार को मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया। महिदपुर में एक दलित के अंतिम संस्कार को दबंगों ने रोक दिया।
सवर्णों ने सार्वजनिक श्मशान घाट पर दलित का अंतिम संस्कार नहीं करने दिया। प्रदेश सरकार को इस मामले में अपनी बात सामने रखकर दोषियो पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
भीम आर्मी के विरोध के बावजूद अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया। श्मशान घाट के कर्ताधर्ताओं ने दलित परिवार के सदस्यों को जान से मारने की धमकी भी दी और अपशब्दों के साथ कहा कि मुंह खोला तो परिणाम बुरा होगा। बुधवार को इस घटना की थाने में रिपोर्ट के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
करीब दो घंटे तक पूरे विवाद के बाद भी श्मशानघाट का संचालन करने वाली समिति के अध्यक्ष नहीं माने। ऐसे में अंतिम संस्कार शिप्रा नदी के तट पर करना पड़ा। यहमामला बुधवार शाम महिदपुर के सत्याघाट श्मशान पर हुआ। इस घाट का संचालन एक समिति करती है।
जमालपुरा टोड़ी के रहने वाले विमल परमार के पिता जगदीश परमार देवास में भर्ती थे। वहीं उनकी मौत हो गई थी। उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव थी। अंतिम संस्कार के लिए परिजन उनका शव महिदपुर लाए थे।
इसे लेकर वह सत्या श्मशान घाट पहुंचे तो संचालक ने शव जलाने देने से इनकार कर दिया। थाना प्रभारी शंकरसिंह चौहान ने बताया कि मोहनलाल परमार ने शिकायत दर्ज कराई है कि श्मशान घाट का संचालन करने वाली समिति के अध्यक्ष प्रकाश दुबे ने अंतिम संस्कार कराने से यह कहते हुए मना कर दिया कि इस श्मशान घाट पर दलितों का अंतिम संस्कार नहीं करने देंगे।
आरोप है कि दुबे ने मोहनलाल परमार सहित विमल परमार को अपशब्द कहे और गाली-गलौच करते हुए जान से मारने की धमकी दी। वहीं आरोपी दुबे का कहना है कि अंतिम संस्कार कराने से पहले अनुमति लेनी चाहिए थी, जो नहीं ली गई थी।
हरिजन का शव नहीं जलाने दूंगा
समाज के जीवनलाल, रतनलाल, मुकेश और अशोक ने दुबे से आग्रह किया कि हम महिदपुर के रहने वाले हैँ, आप हमें जानते हो, हमें अंतिम संस्कार करने दो। लेकिन दुबे बोला, तुम हरिजनों के शव नहीं जलाने दूंगा। तुम लोग यहां से नहीं गए तो तुम लोगों को जान से खत्म कर दूंगा। समस्या का हल न निकलते देख अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के लिए शव को शिप्रा नदी किनारे ले जाया गया। वहीं अंतिम संस्कार किया गया।
प्रदर्शन के बाद थाने में दर्ज हुई रिपोर्ट
घटना से नाराज दलित परिवार के लोग भीम आर्मी के सदस्यों के साथ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने गए। लेकिन पुलिस आनाकानी करती रही। इस पर भीम आर्मी ने थाने पर प्रदर्शन किया। करीब दो घंटे तक लोग थाने का घेराव करते रहे। इसके बाद पुलिस ने श्मशान घाट संचालक प्रकाश दुबे के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया। टीआई चौहान ने बताया कि इस मामले में अभी प्रकाश दुबे की गिरफ्तारी नहीं की गई है। गिरफ्तारी के बाद ही सही स्थिति पता चलेगी।(politics)
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने दो दिन पहले भाजपा के सदस्यता अभियान में जुटी भीड़ को कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन मानते हुए, भिंड प्रशासन को दोषियों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं
इंदौर। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और मंत्रियों द्वारा लगातार कोरोना प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर अदालत सख्त हुआ है। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने ग्वालियर में हुए भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता अभियान पर दो दिन पहले कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
क्या भिंड के एसपी और कलेक्टर इस आयोजन में शामिल बड़े नेताओं पर कार्रवाई की हिम्मत दिखा सकेंगे। इस आयोजन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए थे।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता हेमंत राणा की याचिका पर सुनवाई करते हुए भिंड कलेक्टर और एसपी को कोरोना के तहत केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने वाले संबन्धित लोगों के खिलाफ कारवाई करने के आदेश दिए हैं।
मालूम हो कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में भाजपा ने ग्वालियर के सदस्यता अभियान में 76000 कोंग्रेसियों को भाजपा में शामिल करवाने का दावा किया गया है। इस आयोजन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा सहित कई बड़े नेता शामिल हुए थे।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भिण्ड के कलेक्टर और एसपी को कार्रवाई करने का 15 दिन का समय दिया है। कोर्ट ने नियमों का उल्लघंन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर कोर्ट के रजिस्ट्री कार्यालय में जमा करने के आदेश दिए हैं। क्या भिंड के एसपी और कलेक्टर मुख्यमंत्री सहित बड़े नेताओं पर कार्रवाई का साहस कर पाएंगे ?
अदालत ने कहा -जब अंत्येष्टि शादी में निश्चित संख्या तो
ऐसे राजनीतिक आंदोलन की अनुमति क्यों ?
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जब शादी, अंत्येष्टि में निश्चित संख्या से ज़्यादा व्यक्तियों के शामिल होने की अनुमति नहीं है। तो ग्वालियर में इतने बड़े स्तर पर वो भी बिना किसी शारीरिक दूरी को सुनिश्चित किए कार्यक्रम के आयोजन को आखिर अनुमति कैसे मिल गई?
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी ने कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक और दिन का समय मांगा था। लेकिन कोर्ट ने महा महाधिवक्ता की मांग को खारिज करते हुए सुनवाई जारी रखी।
राजनीतिक दल को सार्वजनिक कार्यक्रम की अनुमति कैसे मिल गई?
याचिकाकर्ता हेमंत राणा के वकील राजीव शर्मा ने कहा कि ग्वालियर में प्रतिदिन कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है। लेकिन यहां पर तीन दिन तक पूरी भीड़ भाड़ में सदस्यता कार्यक्रम चलाया गया। राजीव शर्मा ने कहा कि अगर यहां के निवासियों के बीच कोरोना का भयंकर विस्फोट होता है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
हेमंत राणा द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि ऐसे समय में जब चुनाव आयोग ने चुनावों को लेकर कोई दिशा निर्देश जारी नहीं हुए हैं तो किसी भी राजनीतिक दल को सार्वजनिक कार्यक्रम की अनुमति कैसे मिल गई? याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में चुनाव आयोग द्वारा दिशा निर्देश की घोषणा तक किसी भी राजनीतिक कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की है।(politics)
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| शेयर बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 73.80 के स्तर पर बंद हुआ, जिससे यह पिछले तीन महीनों में सबसे मजबूत मुद्रा रहा है, जो पांच महीने के उच्च स्तर पर बंद हुआ। रुपये की मजबूती मजबूत पोर्टफोलियो इनफ्लो और शेयर बाजारों में मार्च की नीचे के स्तर से हुई मजबूत रिकवरी से जुड़ी है।
हालांकि कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियां बाधित हुई हैं और आर्थिक संकेतक अभी भी धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं। इस वास्तविकता के विपरीत, शेयर बाजार सरपट दौड़ रहा है।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया गुरुवार को बड़े स्तर पर 49 पैसे या 0.66 फीसदी की बढ़त के साथ 73.81 पर बंद हुआ, जो 11 मार्च के बाद से इसका सबसे ज्यादा बंद होने का रिकॉर्ड है।
अप्रैल में रुपये अपने सर्वकालिक निम्न स्तर 76.91 पर पहुंच गया था, जिसमें अब 3.43 प्रतिशत की रिकवरी हुई है। लेकिन इस वर्ष अब तक अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले यह 4.03 प्रतिशत लुढ़का है।
हाल ही में अग्रणी बैंकों ने क्यूआईपी के जरिए फंड जुटाया है।
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) ने मार्च में घबराहट के दौरान, 65,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। अब मई-अगस्त के दौरान सकारात्मक देखने को मिला और इसने अकेले अगस्त में 37,000 करोड़ रुपये की भारी खरीद के साथ 75,000 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के तकनीकी विश्लेषक चंदन तापारिया ने कहा कि निफ्टी ने अगस्त महीने में सकारात्मक संकेत दिए हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगस्त सीरीज में इंडिया वीआईएक्स में 23.59 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह 24.73 से बढ़कर 18.89 के स्तर पर पहुंच गया।
वहीं विदेशी ब्रोकरेज नोमुरा ने हालिया रिपोर्ट में कहा कि आर्थिक सुधार की धीमी गति बताती है कि कुछ क्षेत्रों में रिकवरी पूर्व-महामारी के स्तर तक पहुंचने से बहुत पहले स्थिर हो सकती है।
प्राइम डाटाबेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, जून में समाप्त तिमाही के दौरान घरेलू म्यूचुअल फंडों का शुद्ध आउटफ्लो 1,944 करोड़ रुपये रहा।
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| भारत सरकार द्वारा घोषित एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्च र फंड को लेकर विचार-विमर्श के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ गुरुवार को हुए संवाद के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार द्वारा किसानों के हक में किए गए कार्यों का ब्योरा पेश किया तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फसल बीमा व अन्य मसलों पर अपने सुझाव दिए। योगी ने कहा कि उप्र सरकार 'आत्मनिर्भर भारत पैकेज' को लेकर किसानों के हित में पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम करेगी। केंद्रीय योजनाओं की उप्र में प्रगति की जानकारी देते हुए योगी ने कहा कि राज्य में 2.14 करोड़ से ज्यादा किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) का लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि 1.44 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड पहले से थे और 12 लाख नए बनाए हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय से इस संवाद के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार, योगी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 450 एफपीओ पहले से ही हैं और अब हर विकासंखड (कुल 825) में एक-एक एफपीओ बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश में 45 कृषि उत्पादों को मंडी शुल्क से मुक्त कर दिया गया है। किसानों के लिए 30 दिनों तक भंडारण नि:शुल्क रखा गया है, उससे ज्यादा अवधि के लिए रखने पर शुल्क में 30 प्रतिशत छूट मिलेगी। 8.50 लाख मीट्रिक टन अनाज भंडारण के लिए कार्ययोजना बनाई गई है, जहां रखे अनाज पर किसान ऋण भी ले सकेंगे।"
मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार लाने और एफपीओ में सदस्यों की संख्या अधिकतम 100 रखने के सुझाव दिए।
ठाकरे ने कहा, "हमारे कृषि प्रधान देश में अन्नदाता की सुख-समृद्धि के सपने अब हकीकत में बदल रहे हैं, महाराष्ट्र भी इसमें सहभागी है। महाराष्ट्र सरकार ने किसानों का कर्ज माफ किया है, लेकिन कर्ज मुक्ति एक प्राथमिक उपचार है। हमें किसान को उनके पैरों पर खड़े करने के लिए ठोस उपाय करने की जरूरत है। एक लाख करोड़ रुपये के एग्री इंफ्रा फंड सहित अन्य योजनाओं में इस तरह के प्रावधान हैं।"
उन्होंने राज्यों में किसानों की कमेटी बनाकर संवाद करने और केंद्र स्तर पर हर महीने बैठक करने का भी सुझाव दिया।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा घोषित एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रकचर फंड को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर मुख्यमंत्रियों और राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ लगातार संवाद कर रहे हैं। गुरुवार को भी आयोजित संवाद में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों के अलावा कई राज्यों के कृषि एवं सहकारिता मंत्री शामिल हुए।
तोमर ने कहा, "सरकार का मकसद कृषि अधोसंरचना निधि के माध्यम से गांवों और खेतों तक निजी निवेश पहुंचाकर छोटे किसानों की भलाई करना है। फसल कटाई के बाद भंडारण, प्रसंस्करण जैसी स्थायी व्यवस्थाओं के लिए ही एक लाख करोड़ रुपये की राशि प्रधानमंत्री ने दी है।"
तोमर ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत महाराष्ट्र में भारी बारिश से प्रभावित 75 लाख किसानों को 5,000 करोड़ रुपये की भरपाई की गई है।
इस परिचर्चा में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री परुषोत्तम रूपाला और कैलाश चौधरी, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रवींद्र चौबे, तेलंगाना के कृषि मंत्री एस. निरंजन रेड्डी, राजस्थान के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया व सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना और केरल के कृषि मंत्री वी.एस. सुनील कुमार ने भी अपने विचार रखे।
कई घायल की खबर
गुजरात के अहमदाबाद में दो मंजिला शॉपिंग कॉम्प्लेक्स ढह गया है। कुबेरनगर इलाके में हुई इस घटना में एक की मौत हो गई है। 'आजतक' के मुताबिक 2 लोगों को बचा लिया गया। बचाव जारी है।
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित करने के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगा। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम.आर. शाह की खंडपीठ कर रही थी। पीठ ने 18 अगस्त को फैसला सुरक्षित रखते हुए सभी पक्षों से तीन दिन के अंदर लिखित रूप से अपनी अंतिम दलील दाखिल करने को कहा था।
दरअसल, यूजीसी ने छह जुलाई को देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में यूजी (स्नातक) और पीजी (परास्नातक) पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को अनिवार्य रूप से 30 सितंबर 2020 तक पूरा करने से संबंधित एक सर्कुलर जारी किया था। हालांकि कोरोनावायरस महामारी के बीच छात्रों और विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से इस फैसले का विरोध किया जा रहा है।
यूजीसी के इस कदम को लेकर देशभर के अलग-अलग संस्थानों के कई छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की गई। मगर सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा रद्द संबंधी याचिका खारिज कर दी थी।
अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर यूजीसी की गाइडलाइन जारी होने के बाद से ही परीक्षा कराए जाने को लेकर लगातार विरोध हो रहा है। कांग्रेस के नेतृत्व में तमाम विपक्षी दल केंद्र को इस मुद्दे पर घेर रहे हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने की मांग कर चुके हैं। वहीं इस मुद्दे पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी भी पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, झारखंड समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात कर चुकी हैं और इन राज्यों के मुख्यमंत्री भी परीक्षा स्थगित किए जाने पर सहमत हैं।
शिवसेना की युवा शाखा ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सितंबर तक परीक्षा कराए जाने के निर्णय को चुनौती दी है।
वहीं इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि अंतिम वर्ष, डिग्री वर्ष है और परीक्षा को खत्म नहीं किया जा सकता है। मेहता ने कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित परीक्षाओं के उदाहरणों का भी हवाला दिया और कहा कि कई शीर्ष स्तर के विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन परीक्षा का विकल्प चुना है। मेहता ने जोर देकर कहा कि विदेशी विश्वविद्यालय और आगे की शिक्षा के लिए डिग्री की आवश्यकता होती है।
यूजीसी के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि ये दिशानिर्देश केवल उपदेश भर नहीं है, बल्कि ये अनिवार्य हैं। मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत के सामने जिन दिशा-निर्देशों को चुनौती दी गई है, वह वैधानिक है।
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| वित्तमंत्री सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि जीएसटी मुआवजे को अनावश्यक रूप से मुद्दा बनाकर विपक्ष राजनीति करना चाहता है। वित्तमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच अविश्वास का माहौल पैदा करने के लिए उनकी ही (संप्रग) पूर्व की सरकार दोषी है। खासतौर से विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों के आरोपों का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि पूर्व सरकार ने केंद्रीय बिक्री कर के मुआवजे को लेकर अपना वादा नहीं निभाया, जिससे अविश्वास का माहौल पैदा हुआ।
इन राज्यों का आरोप है कि राज्यों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजा का भुगतान करने के संबंध में केंद्र सरकार अपनी प्रतिबद्धता से मुकर गई।
उन्होंने कहा कि इस अविश्वास के चलते शुरुआत में जीएसटी लागू करने में कठिनाई आई।
जीएसटी मुआवजे के मसले को लेकर जीएसटी परिषद की करीब पांच घंटे तक बैठक चली।
बैठक के बाद सीतारमण ने कहा, "लेकिन मैं राज्यों का शुक्रगुजार हूं कि आज जीएसटी परिषद की बैठक में उन्होंने मुआवजे को लेकर किसी प्रकार की राजनीति करने की कोशिश नहीं की। मौजूदा हालात को लेकर उनकी चिंता थी और मुआवजे की समस्या का समाधान चाहते थे।"
सीतारमण को बुधवार को सख्त लहजे में लिखे पत्र में पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री अमित मित्रा ने कहा, "लगता है हमारी आशंका अब सच साबित होने जा रही है। हैरानी की बात यह है कि राज्यों को दी गई संवैधानिक गारंटी की व्याख्या इस तरह से की जा रही है कि राज्यों को मुआवजा देना केंद्र का दायित्व नहीं है।"
जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक में यह तय हुआ कि जीएसटी मुआवजे को लेकर केंद्र सरकार द्वारा दिए गए दो विकल्पों पर राज्य अपनी राय देंगे।
भोपाल, 28 अगस्त (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के चिरायु अस्पताल में कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए भर्ती हुई महिला कमला रावत की मौत के बाद उनके सोने-चांदी के जेवरात गायब हो गए। उनके परिजनों ने इसकी शिकायत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से भी की है। सागर जिले के मकरोनिया में रहने वाले अनिल रावत जो कतर में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करते हैं, उन्होंने आईएएनएस से कहा कि उनकी मां कमला रावत की जब तबीयत बिगड़ी, तो उन्हें पहले सागर के शासकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, वहां हालत में सुधार न होने पर भोपाल के चिरायु अस्पताल में भर्ती कराया गया।
अनिल रावत का कहना है कि उनकी मां को जब चिरायु अस्पताल में भर्ती कराया गया तो ऑक्सीजन का उपयोग करने के लिए जेवरात उतारने को कहा गया।
उन्होंने आगे बताया कि 17 अगस्त को चिरायु अस्पताल में ही उनकी मां की मृत्यु हो गई। उनका अंतिम संस्कार भोपाल में ही कराया गया। वह कतर से मुंबई होते हुए सागर पहुंचे। उसके बाद से वह लगातार अस्पताल प्रबंधन से मां के जेवरात के संदर्भ में संपर्क कर रहे हैं, मगर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है।
रावत ने बताया कि उनकी मां के हाथ में सोने की तीन चूड़ियां, सोने का एक मंगलसूत्र, कान के दो टॉप्स, सोने की अंगूठी के अलावा पायल और बिछिया जो अस्पताल के कर्मचारियों ने उपचार के दौरान उतारे थे, उसके बारे में अब कोई कुछ भी बताने को तैयार नहीं है।
अनिल ने बताया कि इस बारे में उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन को ई-मेल किया, जिस पर उनका जवाब आया कि पुलिस में शिकायत करें। उन्होंने भोपाल पुलिस महानिरीक्षक को शिकायत भेजी हुई है, मगर अब तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अनिल ने अस्पताल प्रबंधन को भी ईमेल भेजा है।
अनिल की ओर से लगाए गए आरोप के संदर्भ में आईएएनएस ने चिरायु अस्पताल के प्रबंधन से संपर्क करने की कोशिश की, मगर कोई उपलब्ध नहीं हुआ।
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मामले की छानबीन में सीबीआई, ईडी, नारकोटिक्स ब्यूरो के जुटने के बाद अब नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की मांग भी उठने लगी है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पी. मुरलीधर राव ने कहा कि एक साथ कई कनेक्शन के कारण दिनोंदिन पेचीदा होते जा रहे इस मामले की जांच एनआईए से भी कराने पर जोर दिया है। मुरलीधर राव भाजपा के ऐसे नेता हैं, जो शुरुआत से ही सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग उठाते रहे हैं।
मुरलीधर राव ने गुरुवार को अपने बयान में कहा, "सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाने और अप्राकृतिक मौत की सीबीआई जांच कर रही है। ईडी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है। एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) एनडीपीएस अधिनियम के तह ड्रग मामले की जांच कर रही है। केस लगातार बड़ा होता जा रहा है। एक साथ कई केस और नेटवर्क जुड़ रहे हैं। इसमें एनआईए को भी शामिल होना पड़ सकता है।"
राव ने कहा कि इस मामले को पूरा भारत और भारत के लोग उत्सुकता और भावनात्मक रूप से देख रहे हैं। जो कोई भी इस केस में मदद कर रहा है, वह न केवल सुशांत सिंह राजपूत को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहा है, बल्कि स्वच्छ बॉलीवुड मुहिम में भी योगदान दे रहा है।
भाजपा महासचिव ने इस अभियान का श्रेय अभिनेत्री कंगना रनौत को दिया। उन्होंने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत को न्याय दिलाने और बॉलीवुड की स्वच्छता के लिए उठाई गई आवाज अब मूवमेंट बन गई है।
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया है कि केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के लिए समाजसेवी अन्ना हजारे का साथ मिला है। प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने गुरुवार को अन्ना हजारे का एक ऑडियो जारी कर यह दावा किया है, जिसमें समाजसेवी अन्ना हजारे कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार का सबूत मिलने पर वह किसी के खिलाफ भी आंदोलन करने को तैयार हैं। प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने कहा, "दिल्ली में चल रहे अरविंद केजरीवाल के गोरखधंधे के खिलाफ भाजपा की लड़ाई में अन्ना हजारे का भी समर्थन मिला है। जनता को अंधेरे में रखकर सरकार चला रहे लोगों को अब सच का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।"
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की ओर से जारी कथित ऑडियो में अन्ना हजारे कह रहे हैं कि वे अब तक भ्रष्टाचार के खिलाफ 20 बार अनशन कर चुके हैं। जहां-जहां भी भ्रष्टाचार दिखाई दिया, वहां उन्होंने अनशन किया। वह हमेशा देश और समाज के बारे में सोचते हैं। अन्ना ने कहा कि "भ्रष्टाचार के खिलाफ अगर सबूत मिलता है तो आंदोलन करूंगा, चाहे केजरीवाल हों या कोई दूसरा हो।"
बता दें कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने बीते 24 अगस्त को समाजसेवी अन्ना हजारे को पत्र लिखकर दिल्ली आकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और आंदोलन चलाने के लिए आमंत्रित किया था। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था कि स्वच्छ राजनीति का दावा कर बनी आम आदमी पार्टी ने जिस तरह से दिल्ली की जनता को ठगा, उसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। अब केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे को दिल्ली में आंदोलन कर जनता को इंसाफ दिलाने की जरूरत है।
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| दिल्ली टैक्सी-टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन ने करोना महामारी की वजह से टैक्सी बस मालिकों में आई बेरोजगारी, भुखमरी को देखते हुए गुरुवार को केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखा है। एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सम्राट ने दिल्ली-एनसीआर के अंदर पंजीकृत ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट (एएटीपी) की डीजल टैक्सी बसों के परमिट 2 साल और बढ़ाने की मांग की है। साथ ही जिन डीजल टैक्सी के परमिट अभी खत्म हो रहे हैं, उन्हें भी 2 साल और बढ़ाने की मांग की है।
पत्र में आगे लिखा गया है कि "कोरोना महामारी से देश में पर्यटन उद्योग बिल्कुल खत्म हो चुका है। पूरे भारत के अंदर टूरिस्ट जनवरी से ही आना बंद हो गए थे। साथ ही मार्च में लगे लॉकडाउन के बाद हालत और भी खराब हो गए हैं। देश के अंदर जितनी भी टूरिस्ट टैक्सी बस हैं वह सभी पार्किं ग में ही खड़ी हुई हैं।"
एसोसिएशन की तरफ से चिंता जताते हुए कहा गया कि आने वाले 1 साल तक भारत में टूरिस्ट का आना जाना भी मुश्किल है और हालात ये हो गई है कि "हमारे पास गाड़ी की किस्त जमा करने के भी पैसे नहीं हैं। हम आपसे अनुरोध करते हैं कि हमारे ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट को 2 साल और बढ़ाया जाए।"
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| देशभर में कोरोना महामारी को देखते हुए मोहर्रम पर ताजिये के जुलूस नहीं निकाले जाएंगे और न ही सड़कों पर ढोल-नगाड़े बजेंगे। धर्मगुरुओं और प्रशासन ने भी लोगों से मुहर्रम का त्योहार घर पर ही कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए मनाए जाने की भी अपील की है।
कोरोना के चलते मोहर्रम, ईद, बकरीद, रक्षाबंधन, गणेश चतुर्थी, जन्माष्टमी गुरुगोविंद जयंती सभी त्योहारों पर बंदिशें रहीं, सभी त्योहारों में होने वाले रिवाजों में भी बदलाव दिखा। वहीं कोरोना काल की वजह से त्योहारों में कई सौ सालों की परंपराएं भी टूटीं। इस मसले पर आईएएनएस से कई बड़े मौलानाओं ने अपनी बात रखी।
ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के मुखिया इमाम उमर अहमद इलयासी ने आईएएनएस से कहा, "सरकार ने जो फैसला लिया है वो कोरोना को देखते हुए लिया है ये एक मजबूरी है। सरकार जब फैसला लेती है तो वो एक धर्म विशेष के लिए नहीं लेती। सभी का ख्याल करते हुए लिया जाता है।"
उन्होंने कहा कि जन्माष्टमी पर भी परंपरा टूटी है। जन्माष्टमी पर इस्कॉन मंदिर को बंद कर दिया गया। मंदिर बंद होने की वजह से पूजा नहीं हो पाई। रमजान के महीने में भी परंपरा टूटी, हिंदुस्तान क्या पूरी दुनिया मे एक ऐसे परंपरा टूटी की मस्जिदें बंद हो गईं, नमाज नहीं हो सकी।
इलयासी ने कहा कि इसी तरह नवरात्रों पर भी मंदिरों को बंद कर दिया गया। ईसाइयों में कभी चर्च बंद नहीं होते थे, लेकिन ये एक परंपरा टूटी। वहीं गुरुद्वारे 24 घंटे खुले रहते थे, लेकिन वे भी इस महामारी में बंद रहे। सभी धर्मों में मनाए जाने वाले त्योहारों पर होने वाले रिवाजों में बदलवाव हुआ, सभी त्योहारों की परंपरा टूटी।
उन्होंने कहा, "जहां मजबूरी हो, जब महामारी फैली हो, वहां पर सरकार सबको देखते हुए फैसला लेती है। हम बचेंगे तभी तो सारी चीजें बचेंगी। परंपराओं को देखें या अपनी जान? पहले जान को बचाना जरूरी होता है। सरकार के फैसलों का विरोध नहीं करना चाहिए, बल्कि सहयोग करना चाहिए।"
रिनाउंड इस्लामिक स्कॉलर एंड सोशल रिफॉर्मर डॉ. सयैद कल्बे रुशेद रिजवी ने आईएएनएस से कहा, "ताजिया जब निकलेगा, वो अपने साथ भीड़ लेकर निकलेगा और कोरोना बीमारी से रोजाना रिकॉर्ड टूट रहे हैं। कहीं भीड़ से ये बीमारी ऐसे व्यक्ति में न चले जाएं, जो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहा हो। उसकी मौत का जिम्मेदार कौन होगा? इसे इस नजरिए से देखा जाना चाहिए। 700 800 सालों में जो परंपरा टूटी, इन्हें इस नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि ताजिया, अजादारी और जुलूस ये हमारे दिल में रहता है।"
उन्होंने कहा कि अजादारी एक ऐसी ताकत है, जिससे इंसानियत को बचाया जाएगा, न कि ऐसी अजादारी, जिससे दुनिया में ये बीमारी फैले।
रिजवी ने कहा कि चीजों को डिजिटलाइज करें, भीड़ बाहर नहीं निकलनी चाहिए, चाहे वो किसी भी धर्म की हो। क्या अभी तक कोई भीड़ निकली है जिसमें 10 हजार लोग शामिल हुए हों? क्या किसी को इजाजत दी गई है? इस महामारी में आप नहीं निकल सकते।
उन्होंने कहा, "मेरी गुजारिश हिंदुस्तान की सरकार से ये है कि अगर गांव का मुसलमान या हिंदू अपने सिर पर एक फीट का ताजिया लेकर अपने गांव की कर्बला में दफ्न करना चाहता है तो पुलिस उसका इंतजाम करे। डंडे का इस्तेमाल न करे, उसे ये काम करने दिया जाए, एक या दो आदमी के जाने से आपकी धारा 144 का उल्लंघन भी नहीं होगा।"
रिजवी ने कहा कि ताजिया रस्म नहीं है, त्योहार और ईद नहीं है। ताजिये का खुशी से कोई लेना-देना नहीं है। जब मुर्दे के लिए आपने 20 आदमी जाने की इजाजत है तो ये भी एक शोकसभा है, आप ऐसा कदम उठाएं जिससे धारा 144 बनी रहे।
लखनऊ में मौलाना कल्बे जवाद ने मुहर्रम के महीने में मातम, मजलिसें और ताजियों के जुलूस पर सरकार की ओर से रोक लगाए जाने पर नाराजगी जाहिर की थी और लखनऊ के इमामबाड़ा में धरने पर बैठ गए थे। वहीं, अब योगी सरकार ने घरों में ताजिए रखने की इजाजत दे दी है, जबकि सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मजलिसों का आयोजन भी हो सकेगा।
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने आईएएनएस से कहा, "जबसे दुनिया बनी है, तबसे लेकर अब तक पहली बार हुआ है कि रमजान में और ईद में नमाजें नहीं हुईं। वो बड़ी परंपरा है या जुलूस की बड़ी परंपरा है?"
उन्होंने कहा, "कोरोना बीमारी किसी के कंट्रोल में नहीं है, दुनिया में कहीं पर भी, ईद बकरीद, रक्षाबंधन गणेश चतुर्थी, गुरुगोविंद जयंती सभी त्यौहारों पर बंदिशें लगीं। कोरोना का प्रोटोकॉल का ध्यान रखना चाहिए। मुसलमानों में रमजान और ईद से बढ़ कर कोई चीज नहीं। लिहाजा, इस मौके पर भी अपने घरों में करें या डिजिटल प्रोग्राम करे।"
हालांकि जब आईएएनएस ने फिरंगी महली से सवाल किया कि जो हाल ही में धरना-प्रदर्शन किया गया क्या वो सही था? इस सवाल के जवाब में मौलाना महली ने कहा, "वो कदम बिल्कुल गलत था। जब नमाज के लिए हमने कोई धरना-प्रदर्शन नहीं किया। जहां भी भीड़ जमा होगी, वहां बीमारी फैलेगी या कम होगी? जो कम पढ़े लिखे लोग हैं, उन्हें भी इस बात का इल्म है। किसी भी तरह का पब्लिक प्रोग्राम करना गलत है।"
रविकिशन ने मांगा इस्तीफा
लखनऊ, 28 अगस्त (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर की सीट से भाजपा विधायक डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल को पार्टी ने 'कारण बताओ' नोटिस जारी किया है। वहीं, सांसद रविकिशन ने विधायक से इस्तीफा मांगा है। उन्होंने कहा, "अगर विधायक होने पर आपको गुस्सा आता है तो इस्तीफा दे दीजिए।" भाजपा विधायक डॉ. अग्रवाल ने पिछले दिनों ट्वीट कर यूपी में कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए खुद को विधायक होने पर शर्म आने की बात कही थी। इसे पार्टी ने अनुशासनहीनता मानते हुए उनसे एक सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है।
भारतीय जनता पार्टी की रीति-नीति व सिद्धांतों के विरुद्ध आचरण करने के आरोप में गोरखपुर शहर के विधायक डॉ. अग्रवाल को 'कारण बताओ' नोटिस जारी किया गया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर ने डॉ. अग्रवाल को नोटिस जारी करते हुए कहा, "पार्टी आचरण के विरुद्ध आपके द्वारा सरकार व संगठन की छवि को धूमिल करने वाली पोस्ट सोशल मीडिया पर डाली जा रही है। आपका यह कृत्य अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। उक्त के संदर्भ में आप अपना स्पष्टीकरण एक सप्ताह के भीतर पार्टी कार्यालय भेजने का कष्ट करें।"
गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों से गोरखपुर में एक सहायक अभियंता के तबादले का मुद्दा गर्म है। इसको लेकर भाजपा विधायक डॉ. अग्रवाल और सांसद रविकिशन आमने-सामने हैं। इस मामले में जहां सांसद के पक्ष में चार विधायक आए, वहीं इस वैचारिक युद्ध में बांसगांव के सांसद कमलेश पासवान नगर विधायक के समर्थन में कूद पड़े हैं। वहीं सांसद के इस संदेश पर नगर विधायक डॉ. अग्रवाल ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी है। नगर विधायक ने कहा है, "बहुत-बहुत धन्यवाद। कोई तो न्याय और सम्मान के लिए है।"
दरअसल, विधायक अग्रवाल ने कार्य में लापरवाही के लिए सहायक अभियंता के.के. सिंह की उपमुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिकायत की है, जिसके बाद अभियंता को मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया। वहीं, मौजूदा सांसद रविकिशन शुक्ला ने अभियंता को कर्मठ, विश्वसनीय बताते हुए तबादले को रोकने के लिए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को पत्र लिखा।
गोरखपुर के सांसद रविकिशन ने डॉ.अग्रवाल से कहा, "अगर पार्टी की नीतियों व सिद्धांतों से आपको इतनी दिक्कत हो रही है तो आप पार्टी से इस्तीफ दे दें।" उन्होंने आगे कहा कि विधायक राधामोहन हमेशा पार्टी विरोधी बातों को तूल पकड़ाकर जनता को भ्रमित करने का काम करते रहे हैं। वह गोरखपुर में हो रहे विकास कार्यो में बाधा पहुंचाते रहे हैं। वह अनाप-शनाप बयानों से पार्टी की छवि धूमिल करने का प्रयास करते रहे हैं।
रविकिशन के पीआरओ से जब उनका बयान सांसद के लेटरहेड पर मांगा गया तो उन्होंने रात हो जाने का हवाला देते हुए लिखित बयान देने से मना कर दिया।
समीरात्मज मिश्र
झांसी, 27 अगस्त। उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में दो पक्षों के बीच पानी भरने का विवाद इतना बढ़ गया कि एक पक्ष ने दूसरे पक्ष के लोगों पर तेजाब से हमला कर दिया जिसमें तीस से ज़्यादा लोग झुलस गये। इस घटना में पाँच लोगों की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। सभी घायलों को झांसी के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।
झांसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी ने बीबीसी को बताया कि मामले में छह अभियुक्तों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया जिनमें से दो लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। एसएसपी दिनेश कुमार पी का कहना था कि इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जायेगा। सभी को गिरफ़्तार कर जेल भेजा जाएगा।
झांसी जिले के उल्दन थाना स्थित बासार गाँव में मंगलवार की रात एक हैंड पंप पर पानी भरने को लेकर कुछ लोगों में विवाद हुआ था। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, राजेश सोनी नाम के एक व्यक्ति ने कुछ लोगों को हैंड पंप से पानी भरने से रोका, तो झड़प हो गई।
दोनों तरफ़ से भारी संख्या में लोग आमने-सामने आ गये और देखते ही देखते मारपीट शुरू हो गई।
इस दौरान एक पक्ष के कुछ लोगों ने छत पर चढक़र दूसरे पक्ष पर तेजाब फेंक दिया जिससे कई लोग झुलस गए।
घटना के बारे में झांसी के नगर पुलिस अधीक्षक राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि दोनों पक्षों में पानी भरने के विवाद के बाद एक पक्ष जो सोने-चांदी का काम करता है, उसने छत पर चढक़र जेवर साफ करने वाला केमिकल दूसरे पक्ष के लोगों पर फेंक दिया। पुलिस की ओर से घायल पक्ष के लोगों को उपचार के लिए भेज दिया गया है और पीडि़त पक्ष की तहरीर पर छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर चार लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है। बाकी लोगों की तलाश की जा रही है।
घटना के बाद गाँव में तनाव बढ़ गया और बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात कर दिया गया। हालांकि पुलिस का दावा है कि अब स्थिति शांतिपूर्ण है, लेकिन पुलिस बल की तैनाती बनी हुई है।
तेजाब के इस कथित हमले में कुछ ऐसे लोग भी घायल हो गये जिनका विवाद से कोई वास्ता नहीं था, बल्कि वो विवाद होता देख वहाँ दोनों पक्षों को समझाने के लिए गये थे।
घायलों में कई महिलाएं भी शामिल हैं। ज़्यादातर लोगों के चेहरे और हाथ पर तेज़ाब पड़ा है।
हरगोविंद नाम के एक घायल व्यक्ति का कहना था, हमारे मोहल्ले में पानी की कोई सुविधा नहीं है। यहाँ पर सबमर्सिबल लगा था। हम लोग यहाँ पानी लेने आये थे। ये लोग पानी लेने से मना करने लगे और फिर तेज़ाब फेंक दिया गया।
ग्रामीणों के मुताबिक़, गाँव में दो हैंडपंप लगे हैं जिनमें सबमर्सिबल लगाकर पानी भरा जाता है।
बुधवार की रात बिजली नहीं आने से सबमर्सिबल नहीं चल रहा था। इसके बाद एक पक्ष के लोग हैंड पंप से पानी भरने आये। मौक़े पर ही दोनों पक्षों में जमकर वाद विवाद हुआ। इसके बाद सैकड़ों की तादाद में ग्रामीणों ने एक घर को घेर लिया।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, जब दूसरे पक्ष के लोगों ने चारों ओर से इन्हें घेर लिया तो राजेश सोनी और उनके परिजन अपनी छतों पर चढ़ गए और वहाँ से उन्होंने एसिड फेंक दिया। एसिड फेंकने के बाद भगदड़ मच गई और जिनके ऊपर भी एसिड पड़ा, वो झुलस गए।
घटना की सूचना गाँव के ही कुछ लोगों ने पुलिस को दी।
मौक़े पर पहुंची पुलिस ने एसिड अटैक में घायल ग्रामीणों को इलाज के लिए झांसी मेडिकल कॉलेज भेजा। पाँच ग्रामीणों की आँख पर तेज़ाब पडऩे से उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। कुछ लोगों की आँख में भी तेज़ाब चला गया है। कुछ बच्चे भी इस हमले में घायल हुए हैं।