राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| भारतीय निर्वाचन आयोग शुक्रवार को दोपहर साढ़े 12 बजे बिहार विधानसभा चुनाव का ऐलान कर सकता है। चुनाव आयोग की प्रवक्ता शेफाली शरण ने बताया कि आयोग की प्रेस कांफ्रेंस बिहार विधानसभा चुनाव के संबंध में शुक्रवार को आयोजित हो रही है। माना जा रहा है कि चुनाव कई चरणों में कराए जाएंगे। इसके साथ ही मध्यप्रदेश में 28 सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव की भी घोषणा हो सकती है।
कोरोना के कारण सोशल डिस्टैंसिंग मेंटेन करने के लिए चुनाव आयोग विज्ञान भवन के हॉल नंबर पांच में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करेगा। सोशल डिस्टैंसिंग के मद्देनजर सिर्फ पीआईबी एक्रिडेटेड पत्रकारों को ही एंट्री मिलेगी। कोरोना काल में विधानसभा चुनाव कराने को लेकर आयोग पहले ही गाइडलाइंस जारी कर चुका है। हर मतदान केंद्र पर सिर्फ एक हजार मतदाता ही वोट देंगे। मतदान केंद्रों पर सैनिटाइजर से लेकर सभी तरह की व्यवस्थाएं रहेंगी।
बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होगा। 2015 में राजद और जदयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था। जिसके कारण भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को हार का सामना करना पड़ा था। तब राजद, जदयू, कांग्रेस महागठबंधन ने 178 सीटों पर बंपर जीत हासिल की थी। राजद को 80, जदयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटें मिलीं थीं। जबकि एनडीए को 58 सीटें हीं मिली। हालांकि लालू यादव की पार्टी राजद के साथ खटपट होने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार चलाना शुरू किया। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार एनडीए का चेहरा हैं।
बिहार में पिक्षी पार्टियां कोरोना के चलते चुनाव टालने की मांग कर रही थी, लेकिन आयोग ने इस मांग को खारिज कर दिया।
वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो रहा है।
संसद के दोनों सदनों से पारित कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ आज किसान संगठन देशभर में चक्का जाम करेंगे.
सरकार ने इन विधेयकों को किसान हितैषी बताते हुए दावा किया है कि इनसे किसानों की आय बढ़ेगी और बाज़ार उनके उत्पादों के लिए खुलेगा.
वहीं किसान संगठनों का कहना है कि ये विधेयक कृषि क्षेत्र को कार्पोरेट के हाथों में सौंपने की कोशिशों का हिस्सा हैं.
इन विधेयकों के ख़िलाफ़ सबसे व्यापक प्रदर्शन पंजाब और हरियाणा में हो रहे हैं.
पंजाब में तो गुरुवार को ही रेल रोको अभियान भी चलाया गया है.
किसान संगठनों का कहना है कि शुक्रवार को पूरे देश में इन विधेयकों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन होगा.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने उत्तर प्रदेश में आज चक्का जाम करने की तैयारियां की हैं.
बीकेयू से जुड़े किसान नेता धर्मेंद्र सिंह ने बीबीसी से बात करते हुए कहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी ज़िलों में आज सुबह दस बजे से लेकर शाम चार बजे तक चक्का जाम किया जाएगा.
वहीं किसान संगठनों के संगठन अखिल भारतीय किसान आंदोलन समन्वय समिति ने आज देशभर में पूर्ण बंद का आह्वान किया है.
इस समिति में देश के 12 किसान संगठन शामिल हैं और ये किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ी है. यूपी, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा में इन संगठनों की व्यापक उपस्थिति है.
समिति की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि शुक्रवार को होने वाले बंद में भारतीय किसान यूनियन, कर्नाटक राज्य किसान एसोसिएशन, तमिलागा विवासियगल संगम जैसे बड़े किसान संगठन शामिल होंगे.
राजनीतिक दल भी होंगे शामिल
सिर्फ़ किसान संगठन ही नहीं राजनीतिक दल भी अब इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं.
पंजाब में बीजेपी को छोड़कर बाकी सभी दल इन विधेयकों के विरोध में हैं. कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह किसानों के प्रदर्शन में शामिल होगी.
पार्टी प्रवक्ता रणदीव सुरजेवाला ने एक बयान में कहा है कि पार्टी के लाखों कार्यकता किसान संगठनों के साथ खड़े रहेंगे.
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी विधेयकों का विरोध कर रही है. पार्टी चक्का जाम में शामिल होगी.
समाजवादी पार्टी भी हर ज़िले में प्रदर्शन करेगी और ज़िलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौपेंगी. पार्टी के सांसदों ने संसद भवन के बाहर भी विधेयकों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया है.
पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, 'पार्टी सभी जनपदों में ज़िलाधिकारी के माध्यम से किसान विरोधी बिलों के ख़िलाफ़ ज्ञापन सौपेंगी.'
सबसे ज़्यादा प्रभावित होगा पंजाब
शुक्रवार को बंद का सबसे ज़्यादा असर पंजाब और हरियाणा में ही दिख सकता है जहां हाल के दिनों में किसानों ने कई बड़े प्रदर्शन किए हैं.
भारतीय किसान यूनियन की पंजाब ईकाई से जुड़े हरिंदर सिंह लखोवाल ने बीबीसी से कहा, "पंजाब में न रेल चलने दी जाएगी और ना ही बसे. सभी हाईवे पर चक्का जाम होगा. पूरे पंजाब में 200-250 जगह प्रदर्शन होंगे. जगह-जगह ट्रेन भी रोकी जाएगी.
उन्होंने कहा, "जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी के लिए क़ानून नहीं बनाया जाएगा, किसानों के प्रदर्शन जारी रहेंगे. आगे ये प्रदर्शन और तेज़ होंगे."
लखोवाल का कहना है कि पंजाब के गांवों में बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को न घुसने देने के तैयारी भी चल रही है और जल्द ही बीजेपी नेताओं का विरोध शुरू होगा.
भारतीय किसान यूनियन ने हरियाणा में भी चक्का जाम करने की तैयारियां की है. बीकेयू का कहना है कि प्रदेश में सभी किसान संगठन एकजुट होकर विरोध करेंगे.
विरोध कर रहे किसानों का तर्क है संसद में पारित विधेयक मंडी व्यवस्था को ख़त्म कर देंगे और किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे.
किसान संगठनों का ये भी कहना है कि सरकार इन विधेयकों के ज़रिए कृषि क्षेत्र को कॉर्पोरेट जगत को सौंपना चाहती है.
सरकारों ने भी की तैयारियां
हरियाणा सरकार ने बंद के दौरान क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैयारियां की हैं. राज्य के गृहमंत्री अनिल विज ने गृह विभाग और पुलिस विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की है.
सरकार ने पुलिस को संयम बरतने के निर्देश भी दिए हैं. पंजाब सरकार ने भी बंद के मद्देनज़र क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैयारियां की हैं.
दिल्ली पुलिस भी अलर्ट पर है और हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से लगने वाली सीमाओं पर चौकसी बढ़ाई गई है. हालांकि किसान संगठनों ने दिल्ली कूच न करने का ऐलान किया है.(bbc)
नागपुर, 25 सितंबर (आईएएनएस)| एक महत्वपूर्ण फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने फैसला सुनाया है कि मार्च में दिल्ली स्थित तबलीगी जमात मरकज में शामिल होने वाले म्यांमार के नागरिकों का एक समूह कोविड-19 के प्रसार के लिए जिम्मेदार नहीं है। अदालत ने इसके साथ ही माना कि म्यांमार का यह समूह धर्म के प्रचार को प्रेरित करता हुआ भी प्रतीत नहीं हो रहा है।
यह जमातियों के मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट का दूसरा बड़ा फैसला है। जमातियों पर खिलाफ कोरोनावायरस फैलाने का आरोप है।
अदालत ने नागपुर पुलिस की ओर से तब्लीगी जमात के सदस्यों के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर अपनी टिप्पणी करते हुए माना कि जमात के सदस्यों के खिलाफ ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली है कि जिससे यह कहा जा सके कि वे धार्मिक विचारधारा का प्रचार कर रहे थे। न्यायमूर्ति वी.एम. देशपांडे और न्यायमूर्ति ए. बी. बोरकर ने यह फैसला सुनाया।
अदालत ने यह भी फैसला सुनाया कि चूंकि उनकी कोविड-19 रिपोर्ट नेगेटिव थी, जिससे संक्रमण फैलने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि आरोपपत्र (चार्जशीट) में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है, जिससे यह बात प्रमाणित हो सके, जैसा कि पुलिस ने माना है।
अदालत ने कहा, "यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है कि आवेदक ऐसे किसी कार्य में लिप्त थे, जिससे कोविड-19 का संक्रमण फैलने की संभावना है।"
पीठ ने कहा, "जांच अधिकारियों ने प्राथमिकी दर्ज करने में क्षेत्राधिकार के बिना काम किया है।"
पिछले महीने, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कुल 29 विदेशी नागरिकों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था, जिनके खिलाफ आईपीसी, महामारी रोग अधिनियम, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और विदेशी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
उन पर कथित तौर पर दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात में शामिल होकर अपने टूरिस्ट वीजा की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप था। एफआईआर को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि तबलीगी जमात के सदस्यों को 'बलि का बकरा' बनाया गया था। कोर्ट ने उनके खिलाफ किए गए 'मीडिया प्रचार' की आलोचना की थी।
जून में मद्रास हाईकोर्ट ने भी तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया था। जून में ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बांग्लादेश के छह नागरिकों को अंतरिम जमानत दे दी थी।
कोलकाता, 25 सितंबर (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 22 से 26 अक्टूबर तक मनाए जाने वाले दुर्गा पूजा त्योहार के लिए गुरुवार को दिशा-निर्देशों की घोषणा की। ममता ने यहां नेताजी इंडोर स्टेडियम में राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, पुलिस और पूजा समिति के आयोजकों से मुलाकात की।
कोविड-19 महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ममता ने पूजा आयोजकों को बताया कि राज्य सरकार इस साल अन्य मुफ्त सुविधाओं के साथ प्रत्येक पूजा समिति को 50,000 रुपये देगी। 2,500 से अधिक दुर्गा पूजन तो केवल कोलकाता पुलिस क्षेत्र में ही आयोजित किए जाते हैं। यह संख्या लोगों के घरों या परिसरों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों से अलग है।
ममता बनर्जी ने कहा कि इस साल कोरोनावायरस महामारी के कारण दुर्गा पूजा समितियों के लिए चंदा इकट्ठा करना मुश्किल होगा। दुर्गा पूजा के आयोजन में राज्य की पूजा समितियों को आर्थिक परेशानी नहीं हो, इसके लिए सरकार ने प्रदेश की सभी पूजा समितियों को 50-50 हजार रुपये देने का फैसला किया है।
ममता ने कहा, "हमने हर पंडाल में मुफ्त अग्नि-सुरक्षा व्यवस्था जैसी अन्य सुविधाओं के साथ प्रत्येक पूजा समिति को 50,000 रुपये देने का फैसला किया है। इस साल पूजा समितियों को नगर निगम और स्थानीय निकायों को कोई कर नहीं देना होगा।"
इसके अलावा ममता बनर्जी ने पंडालों को बिजली बिल में भी राहत दी है। ममता बनर्जी ने कहा कि इस साल पूजा समितियों को बिजली बिल में 50 प्रतिशत की छूट मिलेगी।
त्योहार के दौरान कोविड-19 सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए राज्य के सभी निवासियों से अनुरोध करते हुए ममता ने कहा कि इस वर्ष समारोह अलग तरह से होंगे और लोगों को शारीरिक दूरी को लेकर वास्तव में सतर्क रहना होगा। उन्होंने हालांकि कहा कि उन्हें पंडाल जाने की अनुमति होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, "त्योहार मनाते समय हमें वास्तव में सावधान रहने की जरूरत है। मैं सभी आयोजकों से अनुरोध करती हूं कि वे अपने पंडालों को अलग-अलग प्रवेश और निकास बिंदुओं के साथ जितना संभव हो उतना खुला रखें।"
उन्होंने कहा कि पंडालों में प्रवेशद्वार पर सैनिटाइजर होना चाहिए और मास्क पहनना अनिवार्य रहेगा। नए नियमों के मुताबिक, इस साल दुर्गा पूजा पंडाल में किसी भी तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं होगी। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी होगा। पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा में अब करीब एक महीने का समय बचा है। ऐसे में कोविड-19 महमारी के मद्देनजर सादगी से उत्सव मनाने की तैयारियां पूरे शहर में शुरू हो गई हैं।
बेंगलुरु, 25 सितंबर (आईएएनएस)| कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा की बेटी अरुणा उदयकुमार गुरुवार को अखिल भारत वीराशैवा महासभा की महिला शाखा की अध्यक्ष नियुक्त की गईं। अखिल भारत वीराशैवा महासभा लिंगायत समुदाय का प्रतिष्ठित संगठन है। इस समुदाय का राज्य की 150 विधानसभा सीटों पर दबदबा है।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों के खिलाफ आज देश भर के किसानों ने भारत बंद का ऐलान किया है। पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार समेत तमाम राज्यों ने इस बंद को कामयाब बनाने के लिए कमर कस ली है। स्वराज इंडिया, भारतीय किसान यूनियन और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने दो दिन पहले ही 25 सितंबर को भारत बंद का ऐलान कर दिया था।
मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ और संसद में लाए गए कृषि विधेयकों के खिलाफ पहले से ही कई राज्यों में किसान सड़कों पर हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस बंद को समर्थन दिया है और देश भर में प्रदर्शन की योजना बनाई है। इस दौरान हरियाणा में पानीपत से दिल्ली जा रहे किसानों को सीमा पर ही रोका गया। इन्हें रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने बल प्रयोग किया और आंसू गैस के गोले छोड़े।
किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा लाये गये कृषि से संबंधित तीनों विधेयकों को खेती किसानी को बरबाद करने की साजिश करार दिया है।
इस बीच गुरुवार को कृषि विधेयकों के खिलाफ सैकड़ों किसानों ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में विरोध मार्च निकाला। टप्पल में एक चौराहे पर भारी संख्या में तैनात पुलिस प्रदर्शनकारियों को यमुना एक्सप्रेस-वे पर प्रवेश करने से रोक दिया।
वहीं समाजवादी पार्टी ने शुक्रवार को पूरे उत्तर प्रदेश में जिलाधिकारियों के माध्यम से राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन सौंपने का ऐलान किया है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश के किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि कृषि विधेयकों के विरोध में पूरे देश में 25 सितंबर को चक्का जाम रहेगा। जिसके तहत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक समेत तकरीबन पूरे देश के किसान संगठन इस बंद को सफल बनाने का प्रयास करेंगे।(navjivan)
नयी दिल्ली, 24 सितंबर (वार्ता) देश में कोरोना वायरस के सक्रिय मामले गत छह दिन से लगातार कम हो रहे हैं और पिछले 24 घंटों के दौरान इन मामलों में 1,995 की कमी दर्ज की गयी जिससे मरीजों की कुल संख्या 9,66,382 रह गयी।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 86,508 नये मामले सामने आये हैं जिससे संक्रमितों की कुल संख्या 57,32,519 पर पहुंच गयी है। इसी अवधि में 87,374 मरीज स्वस्थ हुए हैं जिसके साथ ही अब तक कोरोना मुक्त होने वालों की संख्या 46,74,988 हो गयी है। संक्रमण के नये मामलों की तुलना में स्वस्थ होने वालों की संख्या अधिक होने से पिछले 24 घंटों में सक्रिय मामलों की संख्या में 1,995 की कमी आयी है। सक्रिय मामले शनिवार को 3790, रविवार को 3140, सोमवार को 7525, मंगलवार को 27,438 और बुधवार को 7,484 कम हुए थे। छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 2,348 और त्रिपुरा में सबसे कम 48 सक्रिय मामले घटे हैं।
इसी अवधि में 1,129 मरीजों की मौत हो गयी जिससे संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या 91,149 पर पहंच गयी है।
देश में सक्रिय मामले 16.86 प्रतिशत और मृत्यु दर 1.59 फीसदी रह गये हैं जबकि, रोगमुक्त होने वालों की दर 81.55 प्रतिशत हो गयी है।
कोरोना महामारी से सबसे अधिक प्रभावित महाराष्ट्र में सक्रिय मामले 1,074 बढ़कर 2,73,883 हो गये हैं जबकि 479 लोगों की और मौत होने से मृतकों की संख्या 33,886 हो गयी है। इस दौरान 19,476 लोग संक्रमणमुक्त हुए जिससे स्वस्थ हुए लोगों की संख्या बढ़कर 9,56,030 हो गयी।
दक्षिणी राज्य कर्नाटक में पिछले 24 घंटों के दौरान मरीजों की संख्या में 1,499 की वृद्धि हुई है और राज्य में अब 94,671 सक्रिय मामले हैं। राज्य में मरने वालों का आंकड़ा 8,266 पर पहुंच गया है तथा अब तक 4,37,910 लोग स्वस्थ हुए हैं।
आंध्र प्रदेश में इस दौरान मरीजाें की संख्या 1,108 कम होने से सक्रिय मामले 70,357 रह गये। राज्य में अब तक 5506 लोगों की मौत हुई है। वहीं कुल 5,70,667 लोग संक्रमणमुक्त हुए हैं।
यामिनी, रवि
जारी वार्ता
नई दिल्ली, 24 सितंबर | भारत में 1977 की इमरजेंसी से जुड़ा ये प्रसिद्ध क़िस्सा है. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने अपने फ़ेसबुक पर इमरजेंसी से जुड़े तीन पार्ट के ब्लॉग में साल 2018 में उस क़िस्से के बारे में लिखा भी था. उसी के तीसरे भाग का ये अंश है :
"बात 2 फ़रवरी 1977 की है. बाबू जगजीवन राम, हेमवंती नंदन बहुगुणा और नंदिनी सत्पथी ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था और 'कांग्रेस फ़ॉर डेमोक्रेसी' का गठन किया था. उन्होंने जनता पार्टी का साथ देने का फ़ैसला किया.
6 फ़रवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान में जनता पार्टी ने एक रैली का आयोजन किया था. उस रैली को इन तीनों नेताओं ने भी संबोधित किया था. एक छात्र नेता के तौर पर और जनता पार्टी गठबंधन का युवा चेहरा होने के नाते, मैंने भी रैली को संबोधित किया.
मुझे रैली की शुरुआत में ही वहाँ आए लोगों में जोश भरने के लिए भाषण देने को कहा गया था. मेरे बाद जगजीवन राम और हेमवंती नंदन बहुगुणा ने भी भाषण दिया. मैंने अपने जीवन में इतने बड़ी भीड़ के सामने कभी भाषण नहीं दिया था.
इंदिरा गांधी ने जगजीवन राम पर धोखा देने का आरोप लगाया था. इंदिरा गांधी ने जगजीवन राम पर इमरजेंसी में क्या कुछ ग़लत हो रहा है, ये उनको नहीं बताने का आरोप लगाया. रामलीला मैदान में भाषण देते हुए जगजीवन राम ने कहा, "कैसे बता देते? बता देते तो जगजीवन कहीं होते और राम कहीं."
उस रैली में जितनी बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए, उससे पूरे देश में एक संदेश गया कि जनता पार्टी की लहर चल रही है. वीसी शुक्ल तब सूचना प्रसारण मंत्री थे. उन्होंने एक चाल चली. रैली के ठीक पहले उन्होंने एलान किया कि उस समय कि हिट फ़िल्म 'बॉबी' दूरदर्शन पर दिखाई जाएगी.
लेकिन पूरे देश में कांग्रेस विरोधी ऐसी लहर थी कि लोगों ने सुपरहिट फ़िल्म बॉबी को छोड़ कर रामलीला मैदान में रैली में हिस्सा लिया. लोग कई किलोमीटर पैदल चल कर रैली में पहुँचे, क्योंकि बस सेवा भी बंद थी.
इस क़िस्से का ज़िक्र कूमी कपूर की किताब "द इमरजेंसी: ए पर्सनल हिस्ट्री" में भी पृष्ठ संख्या 219 पर भी है.
संयोग या फिर प्रयोग का सवाल क्यों?
अब आप सोच रहें होंगे - इमरजेंसी का ये क़िस्सा मैं अब क्यों लिख रही हूँ? जवाब भी सुन लीजिए.
दरअसल फ़िल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने पूछताछ के लिए समन जारी किया है. इस सिलसिले में उन्हें 25 सितंबर यानी शुक्रवार को एनसीबी दफ़्तर जाना होगा.
दीपिका के अलावा अभिनेत्री श्रद्धा कपूर, रकुल प्रीत सिंह और सारा अली ख़ान को भी एनसीबी ने पूछताछ के लिए समन भेजा है. न्यूज़ एजेंसी एएनआई और पीटीआई ने इसकी पुष्टि की है. ये पूरा मामला अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जाँच से जुड़ा है.
लेकिन सोशल मीडिया पर दीपिका से एनसीबी की पूछताछ की टाइमिंग को लेकर कई लोग सवाल पूछ रहे हैं.
एनसीबी की दीपिका से पूछताछ की तारीख़ बुधवार को आई है. जबकि देश भर में नए कृषि बिल को लेकर किसान पिछले कुछ समय से आंदोलन कर रहे हैं. उसी कड़ी में किसान संगठनों ने 25 सितबंर को बड़े प्रदर्शन का एलान किया है.
दोनों की टाइमिंग का ज़िक्र करते हुए इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने बुधवार को एक ट्वीट किया और इस क़िस्से को दोहराया है. हालाँकि गुहा साल लिखने में थोड़ा ग़लती कर गए. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, "मार्च 1975 में जब जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नीतियों के ख़िलाफ़ एक पब्लिक रैली का आयोजन किया जा रहा था, उस वक़्त सरकार ने दूरदर्शन को हिट फ़िल्म 'बॉबी' प्रसारित करने को कहा था."
यानी सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में बॉलीवुड का सहारा लेना कोई नया चलन नहीं है. कांग्रेस ने भी अपने ज़माने में ऐसा किया है.
इतनी ही नहीं, दीपिका को एनसीबी ने समन भेजा है, ये ख़बर भी उसी वक़्त आई जब बुधवार को विपक्षी पार्टी के नेता बिल के विरोध में राष्ट्रपति से मुलाक़ात करने के बाद प्रेस को संबोधित कर रहे थे.
लोग इसमें भी टाइमिंग को लेकर सवाल खड़ा कर रहे हैं. शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने ट्विटर पर लिखा है, "ये संयोग नहीं बल्कि प्रयोग है जो सरकार हर फंसाऊ मौक़े पर करती रहती है."
इसके अलावा पत्रकार राजदीप सरदेसाई, सबा नक़वी, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण जैसे कई दूसरे लोगों ने भी इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं.
एनसीबी का गठन
इसमें कोई दो राय नहीं कि ये एक महज़ इत्तेफ़ाक़ भी हो सकता है. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के 'संयोग और प्रयोग' वाले जुमले पर लोग चुटकी क्यों ले रहे हैं, इसके लिए एनसीबी को जानने की भी ज़रूरत है.
एनसीबी यानी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की स्थापना 1986 में हुई थी. ये भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है. इसका उद्देश्य समाज को ड्रग के चंगुल से आज़ाद कराना है, जिसके लिए एनसीबी 'न्यायपूर्ण' 'दृढ़' और 'निष्पक्ष' तरीक़े से काम करती है. एनसीबी की आधिकारिक बेवसाइट पर भी इस बात का ज़िक्र है.
एनसीबी के डीजी इस समय राकेश अस्थाना हैं. राकेश अस्थाना इससे पहले सीबीआई में भी रह चुके हैं और सीबीआई में नंबर एक की पोज़िशन के लिए आलोक वर्मा के साथ उनकी लड़ाई काफ़ी चर्चा में भी रही थी.
उनकी गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के क़रीबी नौकरशाहों में होती है.
राकेश अस्थाना ने अपने करियर में कई अहम मामलों की जाँच की है. इन मामलों में गोधरा कांड की जाँच, चारा घोटाला, अहमदाबाद बम धमाका और आसाराम बापू के ख़िलाफ़ जाँच शामिल है. ये है एनसीबी और उनके डीजी का छोटा सा परिचय.
वैसे इतिहास भी गवाह है, जैसे इमरजेंसी के समय लोगों ने 'बॉबी' फ़िल्म का मोह छोड़ कर सरकार के सामने विपक्ष का साथ दिया, वैसे आप भी किसान आंदोलन से जुड़ी ख़बर बीबीसी हिन्दी पर पढ़ सकते हैं.
25 सितंबर को किसान क्या करने वाले हैं?
अब बात किसान आंदोलन की. नए कृषि बिल का पूरे देश के कई हिस्सों में किसान विरोध कर रहे हैं और कई राजनीतिक पार्टियाँ भी इसके विरोध में हैं.
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने संसद से पास किए गए नए कृषि बिल के विरोध में 25 सितंबर को देश भर में विरोध सभाएँ, चक्का जाम और बंद का एलान किया है.
एआईकेएससीसी का दावा है कि उनकी संस्था के साथ देश भर के छोटे-बड़े 250 किसान संगठन जुड़े हैं. केवल पंजाब, हरियाणा ही नहीं उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और बिहार के किसान भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले हैं.
हर राज्य में किसान संगठन अपने हिसाब से तैयारी कर रहे हैं- कहीं चक्का जाम तो कही विरोध सभाएँ, तो कहीं रेल रोको आंदोलन होगा. लेकिन चक्का जाम का एलान पूरे देश के लिए किया गया है.
किसानों की माँग क्या है?
बीबीसी से बातचीत में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने कहा, "9 अगस्त से ही हम इसका विरोध कर रहे हैं. पहले हमने संसद सत्र के पहले दिन पूरे देश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किए. उसके बाद भी संसद में बिल पास किया गया. हमारी बात बस इतनी सी है कि बिल में किसानों के प्रोटेक्शन की कोई बात नहीं है. इसके बाद हमने 25 तारीख़ का दिन विरोध प्रदर्शन के लिए 17 सितंबर को ही तय कर लिया था."
प्रधानमंत्री कह रहे हैं फ़सलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा. लेकिन आज भी धान 1000 रुपए में बिक रहा है जबकि एमएसपी 1855 रुपए है, मक्का भी 900 रुपए का बिक रहा है जबकि एमएसपी 1760 रुपए है. ये बिल आज नहीं आए हैं. 5 जून को आप अध्यादेश लेकर आए. तब से अब तक सरकार ने क्या किया? सरकार ने कितना ख़रीदा? फ़सल पैदा करने के लिए लगने वाले सामान जैसे डीज़ल, खाद, बीज सबकी क़ीमतें बढ़ती जा रही हैं.
ये नेताओं और पार्टियों की लड़ाई नहीं है. जो समर्थन देना चाहते हैं वो दे सकते हैं. लेकिन ये लड़ाई किसानों की है.
"हम चाहते हैं कि सरकार एमएसपी से कम पर ख़रीद को अपराध घोषित करें और एमएसपी पर सरकारी ख़रीद लागू रहे. बस मूलत: हमारी यही दो माँगें हैं."
इस बीच #25sep5baje25minute भी ट्विटर पर ख़ूब ट्रेंड कर रहा है. नए कृषि बिल के विरोध में किसानों का साथ देने के लिए लोग इस हैशटैग को ख़ूब ट्वीट कर रहे हैं.
ज़ाहिर है कल किसान आंदलोन कर रहे होंगे और टीवी पर ज़्यादातर जगह दीपिका के एनसीबी दफ़्तर जाने की ख़बरें चल रही होंगी. हालाँकि समन के बाद दीपिका की तरफ़ से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
दीपिका पादुकोण को समन और किसान आंदोलन एक दिन होने पर प्रतिक्रिया देते हुए वीएम सिंह ने कहा, "सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर मैं भी दुखी हूँ, मुझे भी इसका अफ़सोस है. लेकिन इसी देश में 42480 किसान मज़दूरों ने आत्महत्या की, एक साल में उसकी क्यों नहीं जाँच कराते? क्यों नहीं पता लगाते कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? जो किसान पूरे देश को खिला रहा है वो अब पीड़ा में है. पूरे देश को किसानों ने कोरोना में खिलाया है. आज देश के लिए एक इंसान ज़्यादा अहमियत रखता है या फिर वो किसान जो देश को खिलाता है, ये देश को तय करना है."(BBCNEWS)
भुवनेश्वर, 24 सितम्बर (आईएएनएस)| ओडिशा में एक दिन में कोरोनावायरस के सबसे ज्यादा 4,340 नए मामले सामने आए, जिसके बाद यहां संक्रमितों की संख्या 1,96,888 हो गई है। राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने गुरुवार को ये जानकारी दी। राज्य में एक दिन में कोविड-19 से 16 मौतें हुई जिसके बाद कुल मौतों की संख्या 752 हो गई हैं।
राज्य में सक्रिय मामलों की संख्या 38,818 है, जबकि 1,57,265 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं।
राज्य के खोरधा जिले में सबसे ज्यादा पांच मौतें हुई, जबकि तीन मरीज भुवनेश्वर में कोविड-19 से जान गवां बैठे।
नए मामलों में 2,517 मामले क्वारंटीन सेंटर से पाए गए। पिछले 24 घंटों में 17 जिलों में 100 से ज्यादा मामले सामने आए हैं।
राज्य में अब तक 29.56 लाख नमूनों की जांच की गई है।
--आईएएनएस
पटना, 24 सितंबर (आईएएनएस)| बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल घटक दलों के सुर और ताल बदलने लगे हैं। गठबंधन के प्रमुख घटक दल राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) ने भी गुरुवार को बुलाई गई पार्टी की बैठक में राजद के एकतरफा फैसला लेने की निंदा की गई। बैठक में गठबंधन संबंधी फैसला लेने के लिए पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को अधिकृत किया गया है।
बैठक में कहा गया कि राजद के एकतरफा फैसले लेने के कारण महागठबंधन में शामिल दलों में नेतृत्व को लेकर भी मतभिन्नता बरकरार है। साथ ही सीट बंटवारे को लेकर भी अभी तक अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।
बैठक में यह भी कहा गया कि ऐसा कर परोक्ष या अपरोक्ष रूप से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को लाभ पहुंचाया जा रहा है।
राजद पहले ही तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव में जाने और मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर रखा है।
रालोसपा की इस बैठक में राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राज्य कार्यकारिणी के सदस्य तथा राष्ट्रीय, प्रदेश के सभी पदाधिकारी और जिला के अध्यक्षों ने भाग लिया।
बैठक में गठबंधन का फैसला लेने के लिए उपेंद्र कुशवाहा को अधिकृत किया गया है। बैठक में गठबंधन बचाने को लेकर किए गए प्रयासों की चर्चा भी की गई। बैठक में कहा गया कि लगातार कोशिशों के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल रहा है।
इससे पहले, रालोसपा के प्रधान महासचिव माधव आनंद ने कहा कि महागठबंधन आईसीयू में चला गया है। आईसीयू से निकालने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अब बातचीत भी सही से नहीं हो रहा है।
गौरतलब है कि राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन में कांग्रेस के अलावा रालोसपा और विकासशील इंसान पार्टी है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा महागठबंधन को छोड़कर राजग के साथ आ गई है।
उल्लेखनीय है कि रालोसपा भी पहले राजग का हिस्सा थी, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव से पहले यह महागठबंधन का हिस्सा बन गई।
--आईएएनएस
नई दिल्ली, 24 सितम्बर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस याचिकाकर्ता पर 10,000 का जुर्माना लगाया, जिन्होंेने आईआईटी कैंपस में आत्महत्या के बढ़ते मामलों की समस्या से निपटने के लिए एक कार्यक्रम तैयार करने और इसे लागू करने तथा इस बाबत केंद्र व आईआईटी को निर्देश देने की मांग की थी। न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन, नवीन सिन्हा और इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि यह पूरी तरह से बेकार याचिका है। साथ ही पीठ ने याचिकाकर्ता गौरव कुमार बंसल से पूछा, "हम आपपर कितना जुर्माना लगाएं?"
पीठ ने पाया कि केंद्र स्थिति से अच्छी तरह से अवगत है और पूरे देश के आईआईटी कैंपसों में आत्महत्या का मामला उठाने वाली इस याचिका को खारिज कर दिया।
मामले पर सुनवाई के दौरान, बंसल ने कहा कि बीते 5 वर्षो में करीब 50 छात्रों ने आत्महत्या की है। उन्होंने इस मामले में शीर्ष अदालत को हस्तक्षेप करने और शिक्षा मंत्रालय व आईआईटी को छात्र कल्याण कार्यक्रम बनाने और इसे लागू करने के लिए निर्देश देने की मांग की। अदालत ने हालांकि मामले पर सुनवाई से इनकार कर दिया।
मामले में केंद्र की प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए, कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा प्रशासन के पास यह मामला संज्ञान में है।
पीठ ने कहा, "हम इसे खारिज करते हैं। साथ ही कानूनी सेवा प्राधिकरण को 10,000 रुपये देने का आदेश देते हैं।"
--आईएएनएस
दिल्ली दंगों की चार्जशीट में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, वकील प्रशांत भूषण और एक्टिविस्ट कविता कृष्णन समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के नाम सामने आए हैं। इन लोगों के नाम आरोपियों के बयानों के आधार पर शामिल किए गए हैं, लेकिन सिर्फ इस आधार पर इन्हें आरोपी नहीं बनाया जा सकता।
ऐशलिन मैथ्यू
नई दिल्ली, 24 सितम्बर। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, सीपीआई-एमएल की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, वकील प्रशांत भूषण, छात्र नेता कंवलप्रीत कौर और वैज्ञानिक और शायर गौहर रज़ा के नाम दिल्ली दंगों की चार्जशीट के उस हिस्से में शामिल किए गए हैं, जिसमें आरोपियों के बयानों का जिक्र है। दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट एफआईआर संख्या 59/2020 के तहत दाखिल की है। एफआईआर में यूएपीए भी आरोपियों पर लगाया गया है।
चार्जशीट के मुताबिक सलमान खुर्शीद और प्रशांत भूषण के नाम आरोपी खालिद सैफी और इशरत जहां के बयान के आधार पर शामिल किए हैं। प्रशांत भूषण और गौहर रजा के नाम खुरेजी में दिए गए एक भाषण के संदर्भ में शामिल हुए हैं। पुलिस के मुताबिक इन लोगों ने अपने भाषणों से कथित तौर पर भड़काव बातें कही थीं।
वहीं कंवलप्रीत कौर का नाम खालिद सैफी के 25 मई को दिए बयान के आधार पर सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि वह कंवलप्रीत और अन्य लोगों के संपर्क में रहते हुए आंदोलन की आगे की योजना बना रहे थे। इनपर अपने ट्वीट के माध्यम से भड़काव संदेश भेजने का आरोप है।
इसके अलावा एफआईआर में नामजद कुल 38 लोगों में से गिरफ्तार 15 आरोपियों में शामिल शादाब अहमद के बयान के आधार पर कविता कृष्णन, कंवलप्रीत कौर और उमर खालिद के पिता एस क्यू आर इल्यास के नाम भी चांदबाग के प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने के तौर पर शामिल हुए हैं। कविता का नाम देवांगना कलिता और नताशा नरवाल के बयानों से भी लिया गया है। कलिता और नरवाल दोनों को ही इस एफआईआर में आरोपी बनाया गया है।
एक वादामाफ गवाह के बयान में कहा गया है कि गौहर रजा ने 'सीएए, एनआरसी और सरकार के विरोध में भाषण दिया और मुसलमानों को भड़काया।' गौर रज़ा का इस मामले पर कहना है कि वे आज भी सीएए का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि 'यह देश के संविधान पर हमला है। मैं हमेशा से किसी भी किस्म की हिंसा का विरोधी रहा हूं, ऐसे में मैं कभी भी किसी को किसी के खिलाफ नहीं भड़का सकता।'
हालांकि चार्जशीट में इनमें से किसी को भी अभी आरोपी नहीं बनाया गया है, लेकिन इन पर इस मामले में आरोपी बनने की तलवार तो लटक ही रही है क्योंकि धारा 120 बी के तहत इन पर साजिश रचने के आरोप लगा जा सकते हैं। चूंकि आरोपियों के बयानों को अदालत में पेश नहीं किया जा सकता है और इस विषय में कोई सबूत भी नहीं है, ऐसे में इन पर मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता।
दिल्ली पुलिस का आरोप है कि जो भी लोग सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे थे, वे आंदोलन को दिल्ली में दंगे भड़काने की योजना के लिए कर रहे थे।
खालिद सैफी के वकील हर्ष बोरा का कहना है कि आरोपियों के बयान अदालतम साक्ष्य के तौर पर पेश नहीं किए जा सकते क्योंकि हिरासत के दौरान आरोपी के बयान पुलिस के दबाव में दिए गए होते हैं। बोरा ने कहा कि 'वैसे भी ये आरोप झूठे हैं।'
वहीं प्रशांत भूषण ने भी इन आरोपों को गलत करार दिया है। उन्होंने कहा, “मेरे भाषण न तो भड़काऊ थे और न ही हिंसा के लिए उकसाने वाले थे। मैं सरकार की कड़ी आलोचना करता रहा हूं, लेकिन यह कोई हिंसक कदम नहीं है। यह सरकार उसके खिलाफ किए जाने वाले किसी भी आंदोलन का समर्थन करने वालों पर मुकदमा करना चाहती है।” कंवलप्रीत कौर ने भी अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद और झूठा करार दिया है।
चार्जशीट पर सवाल उठाते हुए कविता कृष्णन ने कहा, 'दिल्ली पुलिस दावा कर रही है कि दिल्ली में आमतौर पर होने वाले भाषण और सभाएं एक साजिश का हिस्सा है।' गौरतलब है कि चार्जशीट में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव, अर्थशासत्री जयति घोष, दिल्ली के प्रोफेसर अपूर्वानंद और फिल्म मेकर राहुल रॉय के नाम भी सामने आए हैं। (navjivanindia)
पलक्कड़ (केरल), 24 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रख्यात मलयालम कवि अक्खितम अच्युतन नंबूतिरी को गुरुवार को केरल के संस्कृति मंत्री ए.के. बालन द्वारा अपने निवास स्थान 'देवयानम' पर ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राज्य सचिवालय में अपने कार्यालय से मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से 93 वर्षीय अक्किथम के जीवन और कार्यों की सराहना की।
अपने घर पर एक आरामकुर्सी में बैठे अक्किथम को यह पुरस्कार मिला और वो इस प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार से सम्मानित होने वाले छठे केरलवासी बन गए हैं।
अक्किथम की रचनाओं में इरुपथम नुट्टिंटि इतिहासम, बालीदरशणम और धर्म सूर्यन शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने 45 से अधिक कविताएं, नाटक और लघुकथा शामिल हैं।
ज्ञानपीठ सम्मान के लिए उनका चयन पिछले साल ही हुआ था।
कोच्चि, 24 सितम्बर (आईएएनएस)| केरल के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के पूर्व सचिव एम. शिवशंकर और केरल में सोना तस्करी मामले की प्रमुख आरोपी स्वप्ना सुरेश संग गुरुवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए के अधिकारियों द्वारा उनके कार्यालय में पूछताछ की जा रही है। यह चौथी दफा है, जब शिवशंकर से एनआईए पूछताछ कर रही है, लेकिन स्वप्ना संग उनकी कंपनी में की जा रही यह पूछताछ पहली दफा है।
सोने की तस्करी का मामला पहली बार 5 जुलाई को तब सामने आया जब यहां यूएई वाणिज्य दूतावास के पूर्व कर्मचारी पी.एस. सरिथ को सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों ने 30 किलो सोना दुबई से केरल लाने में मदद दिलाने के आरोप में पकड़ा था।
मामले में बाद में जाकर स्वप्ना का नाम भी जुड़ा, जो पहले यूएई के वाणिज्य दूतावास की एक पूर्व कर्मचारी थीं और बाद में जाकर वह केरल सरकार की आईटी डिपार्टमेंट से जुड़ी। जांच के दौरान शिवशंकर के साथ उनके संबंध का पता चला और आगे खुलासा हुआ कि वह उनके गुरू थे।
स्वप्ना के साथ उनकी जान-पहचान होने के तथ्य का खुलासा होने के बाद विजयन ने पहले उन्हें अपने सचिव और राज्य के आईटी सचिव के पद से हटाया और बाद में उन्हें सेवा से निलंबित कर दिया।
नई दिल्ली, 24 सितम्बर (आईएएनएस)| उत्तरी पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के सिलसिले में दायर चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने सलमान खुर्शीद और अधिवक्ता प्रशांत भूषण का नाम शामिल किया है। इसके अलावा चार्जशीट में कई नेता, वकील और एक्टिविस्ट के नाम भी सामने आए हैं। उनके नाम कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां और एक आरोपी खालिद सैफी ने अपने प्रकटीकरण बयान में लिया। इस तरह के बयान भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 के तहत स्वीकार योग्य नहीं है।
अपने प्रकटीकरण बयान में, इशरत जहां ने कहा कि कई दिग्गजों जैसे पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, अधिवक्ता प्रशांत भूषण, एक्टिविस्ट हर्ष मंदर, योगेंद्र यादव ने प्रदर्शनों में भाग लिया।
खालिद सैफी और अन्य गवाहों ने भी ऐसे ही बयान दिए।
16 सितंबर को, पुलिस ने यूएपीए, भारतीय दंड संहिता, आर्म्स एक्ट और लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम के विभिन्न धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल किया था। चार्जशीट की कॉपी उनके वकीलों को सोमवार को भेज दी गई है।
उत्तरपूर्वी दिल्ली में इस वर्ष फरवरी में हुई हिंसा के मामले में दर्ज एफआईआर के सिलसिले में 200 दिन से कम समय में यह चार्जशीट दाखिल की गई।
नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच झड़प काफी हिंसक हो गई थी, जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 लोग घायल हो गए थे।
चार्जशीट में ताहिर हुसैन, सफूरा जारगर, गुलफिशा खातून, दवांगना कलिता, शफा-उर-रहमान, आसिफ इकबाल तन्हा, नताशा नरवाल, अब्दुल खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरन हैदर, शबाद अहमद, तलसीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान और अतहर खान का नाम है।
ताहिर हुसैन का नाम चार्जशीट में मुख्य अभियुक्त के रूप में शामिल है। चार्जशीट में हालांकि उमर खालिद, शरजील इमाम, मो. परवेज अहमद, मोहम्मद इलयास, दानिश और फैजल खान के नाम नहीं हैं।
इनके नाम को पूरक आरोपपत्र में जोड़ा गया है।
पटना, 24 सितंबर (आईएएनएस)| कांग्रेस के नेता और प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने गुरुवार को यहां केंद्र सरकार और बिहार सरकार पर कृषि विधेयकों को लेकर मोर्चा खोलते हुए कहा कि मोदी जी और नीतीश बाबू कसम किसानों की खाते हैं और दोस्ती मुट्ठीभर पूंजीपतियों से निभाते हैं। सुरजेवाला ने यहां कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि तीन काले कानून के माध्यम से हरितक्रांति को हराने की यह भाजपा की साजिश है।
उन्होंने कहा, "आज देशभर में 62 करोड़ किसान, मजदूर और 250 से अधिक किसान संगठन इन काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी और जदयू सरकार देश को बरगला रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने खेती को बर्बाद करना शुरू किया और आज पूरी तरह से तबाह कर दिया है। सुरजेवाला ने कहा कि देश में कोरोना, सीमा पर चीन और खेती पर मोदी सरकार हमलावर है। किसान विरोधी यह तर्जरुबा नीतीश बाबू के नेतृत्व में साल 2006 में बिहार में प्रारंभ किया गया था।
रणदीप सुरजेवाला ने सवालिया लहजे में कहा, "अगर अनाज मंडी, सब्जी मंडी व्यवस्था यानी एपीएमसी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी, तब कृषि उपज खरीद प्रणाली भी पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। ऐसे में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य कैसे मिलेगा, कहां मिलेगा और कौन देगा?"
उन्होंने कहा कि ये तीनों अध्यादेश संघीय ढांचे पर सीधे-सीधे हमला हैं। खेती और मंडियां संविधान के सातवें शिड्यूल प्रांतीय अधिकारों के क्षेत्र में आते हैं, लेकिन मोदी सरकार ने प्रांतों से राय लेना तक उचित नहीं समझा। खेती का संरक्षण और प्रोत्साहन स्वभाविक तौरे से प्रातों का विषय है, लेकिन उनकी कोई राय नहीं ली गई।
इधर, राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह ने पत्रकार वार्ता के बाद आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा कि महामारी की आड़ में मोदी सरकार 'किसानों की आपदा' को 'पूंजीपतियों के अवसर' के रूप में उपलब्ध करवाकर किसानों के साथ जो व्यवहार कर रही है, उसे देश के किसान कभी नहीं भूलेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस किसानों के हक की लड़ाई संसद से प्रारंभ कर सड़कों पर ले आई है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है और इस लड़ाई को अंतिम दम तक लड़ेगी।
संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह तथा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा भी उपस्थित रहे।
चेन्नई, 24 सितंबर (आईएएनएस)| मद्रास उच्च न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे पेरारीवलन को गुरुवार को 30 दिन की पैरोल दी है। पेरोलिवलन की मां अर्पुथमल ने अपनी स्वास्थ्य स्थिति का हवाला देते हुए याचिका दायर की थी, जिस पर यह पैरोल दी गई है। साथ ही पैरोल ऐसे समय में दी गई है, जब पुझाल जेल में कैदियों का कोरोनावायरस परीक्षण पॉजिटिव आया है।
राजीव गांधी की हत्या के मामले में 7 लोगों को दोषी ठहराया गया था। इनके नाम हैं -- ए.जी. पेरारिवलन, वी.श्रीहरन उर्फ मुरुगन, टी. सुतेन्द्रराज उर्फ संथान, जयकुमार, रॉबर्ट पायस, रविचंद्रन और वी. श्रीहरन की पत्नी नलिनी श्रीहरन।
ये सभी अपराधी 1991 से जेल में हैं। उसी साल चेन्नई के पास एक चुनावी रैली में लिट्टे की एक महिला आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ा दिया था, जिसमें राजीव गांधी की मौके पर ही मौत हो गई थी।
तमिलनाडु सरकार ने इन सभी दोषियों की रिहाई के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है, जिस पर अभी राज्यपाल का निर्णय आना बाकी है।
नई दिल्ली, 24 सितम्बर (आईएएनएस)| फिटनेस और विराट कोहली का चोली-दामन का नाता है। कोहली देश के सबसे फिट खिलाड़ियों में से एक हैं। यही कारण है कि फिट इंडिया मूवमेंट की पहली वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोहली से पूछ ही लिया कि उनकी फिटनेस का राज क्या है और क्या वह भी अपना यो-यो टेस्ट कराते हैं? प्रधानमंत्री गुरुवार को भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए इस अभियान की पहली वर्षगांठ पर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान कोहली से मुखातिब थे। इस दौरान दोनों के बीच रोचक संवाद हुआ। कोहली अभी संयुक्त अरब अमीरात में अईपीएल खेल रहे हैं और इस अभियान के एक साल होने पर वब खासतौर पर पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रधानमंत्री से मुखातिब हुए।
इस संवाद के दौरान प्रधानमंत्री ने कोहली से यो-यो टेस्ट और थकान के बारे में सवाल पूछा, जिसका विराट कोहली ने अपने अंदाज में जवाब दिया। कोहली ने कहा कि आजकल लाइफ की डिमांड ज्यादा हो गई है। फिटनेस को नहीं इंप्रूव करेंगे तो खेल में पीछे छूट जाएंगे। खेल में सफलता के लिए सिर्फ स्किल ही नहीं शरीर और दिमाग कितना तंदरुस्त है, ये भी मायने रखता है।
प्रधानमंत्री ने कोहली से पूछा कि आपको कभी थकान नहीं लगती? जिस पर कोहली बोले, ईमानदारी से कहूं तो थकान हर किसी को होती है। अगर आप शारीरिक मेहनत करेंगे तो थकान लगेगी। लेकिन अगर आपका लाइफस्टाइल अच्छा है, अच्छा खा रहे हैं, नींद अच्छी है तो आपकी रिकवरी तेज होगी। अगर मैं थक रहा हूं और एक मिनट में दोबारा तैयार हो जाता हूं, यह मेरा प्लस प्वाइंट है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आजकल टीम के लिए यो-यो टेस्ट हो रहा है। क्या कैप्टन को भी ये टेस्ट कराना पड़ता है? इस पर भारत और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर टीम के कप्तान कोहली ने फिटनेस के लिहाज से यो-यो टेस्ट को बहुत जरूरी बताया।
कोहली ने कहा, " इससे टीम का फिटनेस लेवल बढ़ता है। टेस्ट मैच में फिटनेस बहुत जरूरी है। टी-20 और वन डे की तुलना में टेस्ट मैच पांच दिन खेलना होता है। इसमें फिटनेस स्टैंडर्ड ज्यादा मायने रखता है। इसीलिए यो-यो टेस्ट में मैं भी भाग लेता हूं। अगर मैं भी फेल हो जाऊंगा तो सलेक्शन के लिए उपलब्ध नहीं रहूंगा। स्किल हमारे पास हमेशा से रही है, लेकिन फिटनेस भी जरूरी होता है। फिटनेस की वजह से अब हमारे रिजल्ट बेहतर आ रहे हैं।
विराट कोहली ने कहा, जिस पीढ़ी में हमने खेलना शुरू किया, चीजें बहुत तेजी से बदलीं। हमारे स्किल में प्राब्लम नहीं थी, लेकिन फिटनेस में प्रभाव पड़ रहा था। फिटनेस प्रायरिटी होनी चाहिए। प्रैक्टिस मिस हो जाए तो मुझे खराब नहीं लगता। लेकिन फिटनेस छूट जाए तो खराब लगता है।
चंडीगढ़, 24 सितंबर (आईएएनएस)| संसद के दोनों सदनों से पारित हुए तीनों कृषि विधेयकों के विरोध में किसानों ने तीन दिवसीय 'रेल रोको' अभियान शुरू किया है। रेलवे के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर फिरोजपुर रेलवे डिवीजन ने 26 सितंबर तक विशेष ट्रेनों का परिचालन रद्द करने का फैसला किया है।
इस फैसले के तहत जिन ट्रेनों को निलंबित किया गया है उनमें स्वर्ण मंदिर मेल (अमृतसर-मुंबई सेंट्रल), जन शताब्दी एक्सप्रेस (हरिद्वार-अमृतसर), नई दिल्ली-जम्मू तवी, सचखंड एक्सप्रेस (नांदेड़-अमृतसर) और शहीद एक्सप्रेस (अमृतसर-जयनगर) शामिल हैं।
बता दें कि भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ता बरनाला और संगरूर कस्बों में रेल पटरियों पर धरना दे रहे हैं।
अब तक के इतिहास में पहली बार पार्टी लाइन से हटकर एकजुटता दिखाते हुए पंजाब के 31 किसान संगठनों ने शुक्रवार को संयुक्त राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। संगठनों ने पूर्ण पंजाब बंद का भी आह्वान किया है। उन्होंने 25 सितंबर के बाद विरोध प्रदर्शन जारी रखने की भी रणनीति भी बनाई है।
लखनऊ , 24 सितंबर (आईएएनएस)| बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने केंद्र सरकार के कृषि विधेयक पर एक बार फि र सवाल खड़े किये हैं। उन्होंने कहा है कि केन्द्र सरकार किसानों को विश्वास में लेकर निर्णय लेती तो बेहतर होता। मायावती ने गुरूवार को ट्विटर के माध्यम से लिखा कि, बसपा ने उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार के दौरान कृषि से जुड़े अनेकों मामलों में किसानों की कई पंचायतें बुलाकर उनसे समुचित विचार-विमर्श करने के बाद ही उनके हितों में फैसले लिए थे। यदि केंद्र सरकार भी किसानों को विश्वास में लेकर ही निर्णय लेती तो यह बेहतर होता।
इससे पहले मायावती ने लिखा था कि संसद में किसानों से जुड़े दो बिल, उनकी सभी शंकाओं को दूर किये बिना ही, पास कर दिये गये हैं। उससे बसपा कतई भी सहमत नहीं है। पूरे देश का किसान क्या चाहता है? इस ओर केन्द्र सरकार जरूर ध्यान दे तो यह बेहतर होगा।
ज्ञात हो कि कृषि सुधार बिल के विरोध में कई विपक्षी दल लामबंद हैं। बीते रविवार को विपक्षी दलों ने इसके विरोध में राज्यसभा में हंगामा भी किया था। हालांकि विपक्षी दल होने के बावजूद बसपा ने इस हंगामें से स्वयं को दूर रखा था, लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती लगातार इस मुद्दे पर पार्टी की राय रखते हुए इसका विरोध कर रही हैं।
किसान संगठनों ने कृषि विधेयकों के विरोध में शुक्रवार को चक्का जाम करने का भी निर्णय किया है।
नई दिल्ली, 24 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को फिट इंडिया मुहिम की पहली वर्षगांठ के अवसर पर फिटनेस जगत की हस्तियों से संवाद किया। ताकि, देश के लोगों को फिट रहने के लिए प्रेरित किया जा सके। इस दौरान एक्टर और 'आयरन मैन' मिलिंद सोमन ने अपनी 81 वर्षीय मां को फिटनेस की मिसाल बताया। मिलिंद सोमन ने कहा कि उनकी मां ने 60 वर्ष की उम्र में ट्रैकिंग शुरू की। मिलिंद सोमन ने बताया कि वह फिट रहने के लिए जिम जाने में विश्वास नहीं करते। वह आठ बाई दस फुट की जगह में भी फिट रह सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक सवाल के जवाब में मिलिंद सोमन ने बताया, "मेरा कोई रुटीन नहीं है। मुझे एक्सरसाइज करना पसंद है। दिन में जितना समय मिलता है, चाहे तीन मिनट हो या तीन घंटा हो, मैं एक्टिविटीज करता रहता हूं। मैं कभी जिम नहीं जाता। मैं कभी मशीन यूज नहीं करता। अगर सामान्य रूप से फिट रहना है, हेल्दी बनना है तो घर पर भी आसान चीजों को लेकर भी फिट और हेल्दी रह सकता हूं। मैं लोगों से कहता हूं कि आठ बाई दस फुट की जगह में भी मैं फिट रह सकता हूं।"
मिलिंद सोमन ने कहा, "मैं 2012 में दिल्ली से बांबे दौड़ा था। मेरी मां 81 साल की हैं, वो जो आज कर सकती हैं, मुझे उनकी उम्र में वैसा ही बनना है। मां मेरी मिसाल है। मिलिंद सोमन ने कहा कि हमारे दादा लोग 40-40 किमी पैदल चलते थे। देश के कई हिस्सों में महिलाएं पानी लेने के लिए 40-40 किमी चलती हैं।
मिलिंद सोमन ने कहा कि मैं मैराथॉन दौड़ सकता हूं। इसकी तैयारी कर सकता हूं। लोगों को समझ होनी चाहिए कि हमें कितना फिट रहना चाहिए। मैराथान, पर्वत चढ़ने के लिए या सामान्य जीवन के लिए फिट रहने के अलग-अलग मापदंड होते है। फिट इंडिया मूवमेंट के जरिए यह समझ विकसित होगी। लोगों को समझना चाहिए कि 40 की उम्र में जिंदगी खत्म नहीं होती, यहां से शुरूआत हो सकती है।
बीजेपी सरकार पिछले 6 महीने से जनता से मास्क लगाने की अपील कर रही है। जो लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं पुलिस उनसे जुर्माना वसूल रही है। उसी पुलिस विभाग के मुखिया अगर सार्वजनिक स्थान पर इस तरह की बातें करें तो कोरोना महामारी से लड़ने की मुहिम का क्या होगा?
देश में कोरोना का कहर चरम पर है। केंद्र की मोदी सरकार यह जताने की कोशिश कर रही है कि सबकुछ ठीक है। लेकिन असल में देश में स्थिति कैसी है यह किसी छिपी नहीं है। देश में कोरोना की दस्तक से लेकर अब तक पीएम मोदी कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर दर्जनों बार मास्क लगाने को लेकर जनता से अपील कर चुके हैं, लेकिन आलम यह है कि उनकी पार्टी के नेता और मंत्री ही लगातार उनकी अपील और नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं। ताजा मामला मध्य प्रदेश का है, जहां के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सार्वजनिक कार्यक्रम में बिना मास्क के दिखाई दिए।
#WATCH Madhya Pradesh Home Minister Narottam Mishra says, "I don't wear it" when asked why is he not wearing a mask at an event in Indore. (23.09.2020) pic.twitter.com/vQRyNiG3ES
— ANI (@ANI) September 24, 2020
हैरानी की बात तो यह है कि इंदौर में एक कार्यक्रम में नरोत्तम मिश्रा से जब मास्क नहीं लगाने की वजह पूछी गई तो उन्होंने बिन झिझक सरेआम कह दिया कि मैं कार्यक्रमों में मास्क नहीं लगाता। उन्होंने कहा कि मैं किसी कार्यक्रम में मास्क नहीं लगाता। उन्होंने कहा कि इसमें क्या होता है, मैं नहीं पहनता। जरा सोचिए जो बीजेपी सरकार पिछले 6 महीने से जनता से मास्क लगाने की अपील कर रही है। जो लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं पुलिस उनसे जुर्माना वसूल रही है। उसी पुलिस विभाग के मुखिया अगर सार्वजनिक स्थान पर इस तरह की बातें करें तो कोरोना महामारी से लड़ने की मुहिम का क्या होगा? सवाल यह है कि क्या पीएम मोदी की बातें और अपली उन्हीं की पार्टी के नेता और मंत्री नहीं सुनते? ऐसे में आप आम जनता से क्या उम्मीद लगाकर बैठे हैं।
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का यह बयान जब मीडिया की सुर्खियां बनीं तो उनकी नींद टूटी है। आनन फानन में उन्होंने अब मास्क नहीं पहनने को लेकर माफी मांगी है। उन्होंने कहा, “मास्क नहीं पहनने पर मेरा बयान कानून का उल्लंघन प्रतीत होता है। यह पीएम की भावना के अनुरूप नहीं था। मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूं और खेद व्यक्त करता हूं। मैं मास्क पहनूंगा। मैं सभी से मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाए रखने की अपील करता हूं।” (navjivanindia.com)
हाथरस (उत्तर प्रदेश), 24 सितंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में एक 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ ऊंची जाति के चार लोगों द्वारा कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किए जाने की घटना सामने आई है। आरोपियों ने पीड़िता का गला घोंटने की भी कोशिश की। पीड़िता को अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में आईसीयू में भर्ती कराया गया है। हालांकि पीड़िता ने घटना के बाद के दिनों में पुलिस को अपना बयान दर्ज करा दिया था और उसने कहा कि 14 सितंबर को जब वह जानवरों के लिए चारा इकट्ठा करने गई थी, तब ऊंची जाति के चार पुरुषों ने उसके साथ दुष्कर्म किया।
इससे पहले पीड़िता के भाई की शिकायत के आधार पर पुलिस ने हत्या के प्रयास और एससी / एसटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत संदीप के तौर पर पहचाने गए एक आरोपी पर मामला दर्ज किया है। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पीड़िता के परिवार ने आरोप लगाया कि आरोपी ने पुरानी दुश्मनी को लेकर लड़की को मारने की कोशिश की थी।
लड़की के बयान के बाद मंगलवार को एफआईआर में दुष्कर्म के आरोप जोड़े गए और तीन और लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। हाथरस के एसपी विक्रांत वीर ने कहा, "एक और आरोपी को पकड़ लिया गया है और अन्य को भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।"
एडिशनल एसपी प्रकाश कुमार ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 161 के तहत लड़की का बयान जांच अधिकारी द्वारा पहले दर्ज नहीं किया गया था, क्योंकि लड़की को हाथरस जिला अस्पताल से अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में रेफर करने के बाद वह आईसीयू में थी। उन्होंने कहा कि चार्जशीट जल्द ही दाखिल की जाएगी।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष दीपक कुमार ने पीड़िता से मुलाकात की और आरोप लगाया कि परिवार को आरोपी के साथ-साथ पुलिस द्वारा धमकी दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि वह पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी और पार्टी के राज्य प्रमुख अजय कुमार लल्लू को इस मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट देंगे।
पीड़िता के परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए बुधवार को हाथरस पहुंचे कांग्रेस नेता श्योराज जीवन वाल्मीकि ने बयान दर्ज करने में देरी के लिए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, साथ ही कहा कि दलित समुदाय के सदस्यों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
श्रीनगर, 24 सितम्बर (आईएएनएस)| जम्मू और कश्मीर के बडगाम में आतंकवादियों के हमले में घायल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान की मौत हो गई है। गुरुवार को मोटरसाइकिल सवार आतंकवादियों ने सीआरपीएफ के जवान पर नजदीक से गोली चला दी थी जिसमें जवान घायल हो गया था। उसे श्रीनगर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसकी मौत हो गई। अधिकारियों ने जवान की मौत की पुष्टि की।
आतंकवादियों ने जवान की रायफल भी छीन ली थी।
पुलिस और सुरक्षा बलों ने मिलकर आतंकवादियों को पकड़ने के लिए सर्च अभियान शुरू कर दिया है।
-जेके कर
छत्तीसगढ़ देश के उन राज्यों में शामिल है जहां आबादी के अनुपात में कोरोना के कम टेस्ट हो रहें हैं। देश में कोरोना के सबसे कम टेस्ट राजस्थान में हुये हैं जहां मात्र 1.16 फीसदी आबादी का ही टेस्ट किया गया है। इसके बाद मध्यप्रदेश आता है जहां आबादी के मात्र 2.2 फीसदी का ही टेस्ट हुआ है। उसके बाद नंबर आता है पश्चिम बंगाल का जहां 2.93 फीसदी आबादी का ही कोरोना का टेस्ट कराया गया है। इन तीनों राज्यों के बाद छत्तीसगढ़ है जहां आबादी के 3.26 फीसदी आबादी का ही कोरोना का टेस्ट कराया गया है।
उल्लेखनीय है कि खुद राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में 1 सितंबर को कोरोना से संक्रमितों की कुल संख्या 33,017 थी जो 23 सितंबर को बढक़र 93,351 की हो गई है। इस तरह से सितंबर माह के महज 22 दिनों में ही कोरोना के मरीजों की संख्या तकरीबन तिगुनी हो गई है।
बता दें कि हमने राज्यों की 31 मई, 2020 तक की अनुमानित जनसंख्या यूनिक आइडेंटिटी ऑथारिटी ऑफ इंडिया से लिया है। इसी तरह से किन-किन राज्यों में कोरोना के कितने टेस्ट हुये हैं उसके लिए कोविड19 इंडिया डॉट ओआरजी से आकड़ें लिये हैं। आंकड़ों की जांच करने के लिए हमने छत्तीसगढ़ जनसंपर्क द्वारा जारी आंकड़ों से इसकी तुलना भी की है। छत्तीसगढ़ जनसंपर्क के आंकड़ों के अनुसार 23 सितंबर 2020 तक राज्य में कुल 10,50,165 कोरोना टेस्ट की जानकारी दी गई है तथा कोविड19 इंडिया डॉट ओआरजी के अनुसार राज्य में 9,60,000 टेस्ट ही बताया जा रहा है। जाहिर है कि सरकारी आंकड़े समय के साथ अपडेट किए जाते रहते हैं। इस तरह का अंतर अन्य राज्यों का भी होगा जो अपडेट न होने के कारण पिछले दिनों का हो सकता है। बहरहाल, तुलना करने के लिये हम इन उपलब्ध आंकड़ों को ही प्रस्थान बिंदु मानकर चलेगें। नतीजा कमोबेश एक सा ही होगा।
गौरतलब है कि जानकारों तथा विश्व-स्वास्थ्य-संगठन द्वारा ज्यादा से ज्यादा टेस्ट कराने पर जोर दिया जा रहा है ताकि जल्द से जल्द कोरोना संक्रमितों की
पहचान करके उनका ईलाज़ किया जा सके तथा संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। कुछ जानकार कोरोना के कुल कितने टेस्ट हुये हैं उस पर जोर देते हैं तो कुछ प्रति दस लाख में से कितने लोगों का टेस्ट कराया गया है उस पर ध्यान देते हैं। जबकि यहां पर हम किस राज्य की कितनी आबादी है तथा उसके कितने फीसदी लोगों का टेस्ट कराया जा चुका है उसके आधार पर विश्लेषण कर रहें हैं। इसी के साथ जुड़ा हुआ एक तथ्य यह भी है कि कोरोना का टेस्ट कोरोना के लक्षण होने पर तथा पुष्ट संक्रमितों के संपर्क में आने वालों का ही किया जाता है।
अभी तक देश की कुल आबादी के 4।81 फीसदी का ही टेस्ट कराया गया है। देश में सबसे ज्यादा टेस्ट गोवा, अरुणाचल प्रदेश तथा दिल्ली में कराया गया है। गोवा में 15.13 फीसदी, अरुणाचल प्रदेश में 14.64 फीसदी तथा दिल्ली में 14.43 फीसदी आबादी का टेस्ट कराया गया है। जम्मू-कश्मीर में 10.73 फीसदी, आंध्रप्रदेश में 9.83 फीसदी, त्रिपुरा में 8.87 फीसदी, असम में 8.48 फीसदी, मणिपुर में 7.11 फीसदी आबादी का कोरोना टेस्ट कराया गया है।
जबकि तमिलनाडु में 8.64 फीसदी, केरल में 7.14 फीसदी, हरियाणा में 6.24 फीसदी, तेलंगाना में 6.68 फीसदी, गुजरात में 6.24 फीसदी, ओडिशा में 6.27 फीसदी, पंजाब में 5.47 फीसदी, उत्तराखंड में 5.68 फीसदी आबादी का टेस्ट कराया गया है।