विचार / लेख

क्राइसिस में भी लालफीताशाही
05-May-2021 7:11 PM
क्राइसिस में भी लालफीताशाही

-गिरीश मालवीय
विदेश से जो मेडिकल मदद आ रही है उसको लेकर मोदी सरकार कितनी लापरवाह है ये भी समझ लीजिए  25 अप्रैल को मेडिकल हेल्प पहली खेप भारतीय बंदरगाहों पर पुहंच गयी थी उसके वितरण के नियम यानि SOP स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2 मई को जारी किए। यानी एक हफ्ते तक आई मेडिकल मदद एयरपोर्ट, बंदरगाहों पर यूं ही पड़ी रही।  यानि केंद्र में बैठी मोदी सरकार को इस बारे में SOP बनाने में ही सात दिन लग गए कि इसे कैसे राज्यों और अस्पतालों में वितरण करे जबकि अगर आमद के साथ ही यह राज्यों में पहुंचना शुरू हो जाती तो कई मरीजों की जान बचाई जा सकती थी।

एक ओर बात है भारत सरकार विदेशों से आ रही मेडिकल मदद रेडक्रॉस सोसायटी के जरिए ले रही है, जो एनजीओ है। मेडिकल सप्लाई राज्यों तक न पहुंच पाने के सवाल पर रेडक्रॉस सोसायटी के प्रबंधन का कहना है कि उसका काम सिर्फ मदद कस्टम क्लीयरेंस से निकाल कर सरकारी कंपनी एचएलएल (HLL) को सौंप देना है। वहीं, HLL का कहना है कि उसका काम केवल मदद की देखभाल करना है। मदद कैसे बांटी जाएगी, इसका फैसला केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय करेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय इस बारे में चुप्पी साधे हुए है......

अभी भाई Dilip Khan की पोस्ट पर पढ़ा कि गुजरात के गांधीधाम के SEZ में जहा देश के कुल दो तिहाई ऑक्सीजन सिलेंडर बनते हैं वहा पिछले 10 दिनों से SEZ के सभी प्लांट्स में ताला बंद है. वजह ये है कि सरकार ने औद्योगिक ऑक्सीजन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई थी. लेकिन, आदेश में इन सिलेंडर निर्माता ईकाइयों को भी शामिल कर लिया गया. अभी हालत ये है कि सरकार विदेशों से भीख मांग रही है या फिर दोगुने-चौगुने दाम पर ऑक्सीजन सिलेंडर ख़रीद रही है. जो अपने कारखाने हैं, वहां ताला जड़कर बैठी हुई है.

मतलब आप सिर पीट लो कि ऐसे क्राइसिस में भी लालफीताशाही किस तरह से हावी है।  

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