सामान्य ज्ञान
चर्खी झूला यानी फेरिस व्हील सदियों से मनोरंजन के साधन के रूप में लोकप्रिय रहा है। दुनिया में सबसे पहले चर्खी-झूले का निर्माण सन् 1893 में शिकागो में विश्व मेले के अवसर पर एक अमरीकी इंजीनियर जॉर्ज फेरिस द्वारा किया गया था। इन्हीं के नाम पर इस झूले का नाम फेरिस व्हील रखा गया है।
आजकल दुनिया का सबसे ऊंचा चर्खी-झूला एशिया में है। उड़ता सिंगापुर नामक इस चर्खी-झूले की ऊंचाई 165 मीटर है। दुनिया के पांच सबसे ऊंचे चर्खी-झूलों में चीनी शहर नैनचांग, लंदन, मेलबोर्न और जापानी शहर फुकुओका में बने झूले शामिल हैं। आम तौर पर चर्खी-झूले पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते हैं। जैसे कि लंदन आई नामक चर्खी-झूला प्रतिवर्ष 30 लाख से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस झूले में बैठकर ब्रिटिश संसद की इमारत और टेम्स नदी को देखा जा सकता है।
आधुनिक चर्खी-झूले बहुत विचित्र होते हैं। उदाहरण के लिए, जॉर्जिया के नगर बतूमी में एक ऐसा ही झूला 100 मीटर ऊंची एक गगनचुंबी इमारत की छत पर बनाया गया है। स्टॉकहोम का स्काई व्यू नामक फेरिस झूला एक संगीत-सदन ग्लोबेन अरेना की गुंबदनुमा छत पर दो केबिनों के रूप में बना हुआ है। ये दोनों केबिन पटरियों पर चलते हैं। टोकियो में एक ऐसा चर्खी-झूला बनाया गया है जिसकी कोई सलाखें नहीं हैं। इसके मध्य में सबसे बड़ा रोलर कोस्टर बना है जो 130 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार से चलता है।
रूस की राजधानी मास्को में दुनिया के सबसे बड़े चर्खी-झूले (फ़ेरिस व्हील) के निर्माण की तैयारियां चल रही हैं। इस चर्खी-झूले की ऊंचाई 220 मीटर और इसकी मीनार की ऊंचाई 275 मीटर होगी। मास्को में पहला चर्खी-झूला इज़्माइलवा पार्क में सन् 1958 में बनाया गया था। आज भी यह झूला काम कर रहा है। मास्को के सबसे ऊंचे चर्खी-झूले का निर्माण इस नगर की स्थापना की 850-वीं वर्षगांठ के अवसर पर अखिल रूस प्रदर्शनी केन्द्र में किया गया था। इसकी ऊंचाई 70 मीटर है।
हुर्मुज
हुर्मुज ईरान का एक द्वीप है। तीन मई वर्ष 1515 ईसवी को पुर्तगाली युद्धपोत ने ईरान के द्वीप हुर्मुज़ पर आक्रमण करके इसे अपने नियंत्रण में ले लिया और इसके साथ ही मध्य पूर्व में पश्चिमी साम्राज्य के हस्तक्षेप का काल आरंभ हो गया।
यह द्वीप फ़ार्स की खाड़ी को ओमान सागर से मिलाता है। उस समय तक चूंकि ईरान की नौसेना अनुभवी तथा आधुनिक शस्त्रों से लैस नहीं थी इसलिए पुर्तगाली साम्राज्य ने 1521 ईसवी तक ईरान के फ़ार्स की खाड़ी में स्थित अन्य द्वीपों पर भी नियंत्रण जमाए रखा। पुर्तगाली साम्राज्य के इस क़ब्ज़े और उसकी ओर से किए जाने वाले षड्यंत्रों के विरुद्ध ईरान के विभिन्न क्षेत्रों में जनता के मध्य घृणा फैल गई और जनता ने इस के विरुद्ध आवाज़ उठाई। अंतत: ईरान की नौसेना के गठन और उसके सशक्तिकरण के बाद वर्ष 1652 ईसवी तक ईरान के समस्त द्वीप धीरे-धीरे पुर्तगाली वर्चस्व के चंगुल से छुड़ाए गए।