सामान्य ज्ञान
खम्भात एक बंदरगाह है। खम्भात पश्चिम-मध्य भारत के गुजरात राज्य के पूर्व-मध्य में खंभात की खाड़ी के सिरे पर माही नदी के किनारे स्थित है।
मोरक्को का यात्री इब्नबतूता ने खम्भात की यात्रा की थी। उसने अपने ग्रंथ रेहला में लिखा था कि मुहम्मद बिन तुगलक के समय में यह महत्वपूर्ण बंदरगाह और व्यापारिक नगर था। 1420 ईं. में इटालियन यात्री निकोलोकोण्टी ने भी खम्भात की यात्रा की थी। 15वीं शताब्दी में खंभात पश्चिमी भारत के हिंदू राजा की राजधानी था। जेनरल गेडार्ड ने 1700 ई. में इस नगर को अधिकृत कर लिया था, किंतु 1783 ई. में यह पुन: मराठों को लौटा दिया गया। 1803 ई. के बाद से यह अंग्रेजी राज्य के अंतर्गत रहा। सोलहवीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने खम्भात पर अधिकार कर लिया था।
जैन अनुश्रुति के अनुसार, इस स्थान का नामकरण स्तंभन-पाश्र्वनाथ के नाम पर हुआ है। यहां रत्न निर्मित मूर्ति भी प्राप्त हुई है। इस स्थान से हाल ही में पूर्व-सोलंकीकालीन (10वीं शती ई.) मंदिर के अवशेष उत्खनन द्वारा प्रकाश में लाए गए हैं, जिसका श्रेय कलकत्ता विश्वविद्यालय के निर्मल कुमार बोस तथा बल्लभ विद्यानगर के अमृत पांड्या को है।
खंभात 15वीं सदी के उत्तराद्र्ध तक मुस्लिम शासन के अंतर्गत एक समृद्ध बंदरगाह था, किन्तु खाड़ी में गाद जमा हो जाने की वज़ह से इस बंदरगाह का महत्व समाप्त हो गया। यह नगर खंभात रियासत की राजधानी था, जिसे 1949 में खैरा, कालान्तर में खेड़ा जि़ले में मिला दिया गया।
कपास, अनाज, तंबाकू, वस्त्र, क़ालीन, नमक और पत्थर के अलंकरणों के लिये खंभात वाणिज्यिक और औद्योगिक केन्द्र है। इस क्षेत्र में पेट्रोल की खोज हो चुकी है और सन 1970 से यहां पेट्रो-रसायन उद्योग का विकास हो रहा है। खंभात सडक़ और रेलमार्ग द्वारा अन्य स्थानों से जुड़ा हुआ है।
खंभात की खाड़ी गुजरात और काठियावाड़ प्रायद्वीप के मध्य में स्थित है। इस खाड़ी में तृतीयक (ञ्जद्गह्म्ह्लद्बड्डह्म्4) युग के निक्षेप मिलते हैं। भूगर्भिक क्रियाओं का प्रभाव इस क्षेत्र पर रहा है, इसलिए यहां अनेक भ्रंश स्नड्डह्वद्यह्लह्य पाए जाते हैं। बाद के युग में यह क्षेत्र ऊपर की ओर उठ गया। तटीय क्षेत्र में नदियों की पुरानी घाटियां तथा झीलें आज भी नजर आती हैं। नर्मदा, ताप्ती, माही, साबरमती तथा काठियावाड की अन्य नदियों के वेगवान निक्षेपण के कारण विस्तृत तटीय क्षेत्र दलदल से परिपूर्ण हो गए हैं और खाड़ी के बीच कुछ द्वीप बन गए हैं।