सामान्य ज्ञान
रात्रिकालीन विकिरण द्वारा शीतलीकृत तलों पर संचित जल की बूंदों को ओस कहते हैं। ओस वायु में उपस्थित जलवाष्प के धरातल पर संघनित होने से उत्पन्न होती है। ओस मुख्तया स्वच्छ और शांत रातों में ,धरातल के विकिरण द्वारा तीव्र गति से ठंडा होने पर उत्पन्न होती है। रात्रि में आकाश में बादल छाये रहनेे पर हरित गृह प्रभाव के कारण धरातल पूरी तरह से ठंडा नहीं हो पाता जिससे ओस नहीं पड़ती। इसलिए बादलों वाली रातों में ओस की उत्पत्ति नहीं होती है।
शीतकाल में लंबी रातें धरातल को ठंडा करने में सहायक होती है जिससे तापमान कई बार हिमांक से नीचे भी गिर जाता है। ऐसी स्थिति में वायु में उपस्थित जलवाष्प बिना द्रव में परिवर्तित हुए सीधे हिमकणों के रूप में धरातल पर निक्षेपित हो जाता है, इसे पाला कहते हैं। पाला फसलों के लिए हानिकारक होता है। छोटे पौधों को रात्रि में ढंककर रखने से उन्हें पाले से सुरिक्षत रहा जा सकता है। पाले से सुरक्षा के लिए फसलों की सिंचाई भी की जाती है। सिंचाई से कृषि क्षेत्रों में वायु में आद्र्रता बढ़ जाती है और वायु में उपस्थित जलवाष्प अपने में संचित ऊष्मा के कारण वायु को और धरातल को अत्यधिक ठंडा नहीं होने देता।
इक्ष्वाकु
इक्ष्वाकु अयोध्या के राजा थे । पुराणों में कहा गया है कि प्रथम सूर्यवंशी राजा इक्ष्वाकु वैवस्वतमनु के पुत्र थे। उन्होंने ही अयोध्या में कोशल राज्य की स्थापना की थी। इनके सौ पुत्र थे। इनमें से पचास ने उत्तरापथ में और पचास ने दक्षिणापथ में राज्य किया। कहते हैं कि इक्ष्वाकु का जन्म मनु की छींक से हुआ था। इसीलिए इनका नाम इक्ष्वाकु पड़ा। इनके वंश में आगे चलकर रघु, दिलीप, अज, दशरथ और राम जैसे प्रतापी राजा हुए। इस वंश में राजा पृथु, मांधाता, दिलीप, सगर,भगीरथ, रघु,अंबरीष, नाभाग, त्रिशंकु, नहुष और, सत्यवादी हरिश्चंद्र जैसे प्रतापी व्यक्तियों ने जन्म लिया ।