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ममता बनर्जी पर चुनाव आयोग ने क्यों लगाई पाबंदी
13-Apr-2021 10:12 PM
ममता बनर्जी पर चुनाव आयोग ने क्यों लगाई पाबंदी

चुनाव आयोग के फैसले से नाराज ममता बनर्जी मंगलवार को धरना देती हुई दिखाई दीं. इस बीच चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठ रहे हैं

 डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट- 

कथित उत्तेजक बयानों की वजह से चुनाव आयोग की ओर से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनाव प्रचार पर चौबीस घंटे की रोक ने आयोग को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. आयोग के फैसले के विरोध में ममता बनर्जी कोलकाता में गांधी प्रतिमा के पास धरने पर बैठीं. ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी की प्रतिक्रिया तो स्वाभाविक है लेकिन विपक्षी सीपीएम और कांग्रेस ने भी आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाया है. शायद इसी वजह से आयोग ने मंगलवार को बीजेपी नेता राहुल सिन्हा के प्रचार पर 48 घंटे की रोक लगा कर और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष को 'कारण बताओ नोटिस' भेज कर अपने दामन पर लग रहे दाग को धोने का प्रयास किया है.

क्यों लगी ममता बनर्जी पर रोक

दरअसल अल्पसंख्यकों के एकजुट होने और महिलाओं की ओर से केंद्रीय बलों का घेराव करने जैसी टिप्पणियों के लिए आयोग ने पहले ममता को दो बार नोटिस भेजा था. लेकिन उनके जवाब से संतुष्ट नहीं होने की वजह से ही आयोग ने रोक लगाई है. ममता बनर्जी पर लगी रोक सोमवार रात आठ बजे से लागू है. चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा था, "आयोग पूरे राज्य में कानून व्यवस्था की गंभीर समस्याएं पैदा कर सकने वाले ऐसे बयानों की निंदा करता है और ममता बनर्जी को सख्त चेतावनी देते हुए सलाह देता है कि आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने के दौरान सार्वजनिक अभिव्यक्तियों के दौरान ऐसे बयानों का उपयोग करने से बचें."

टीएमसी ने आयोग के फैसले को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बताते हुए इसे लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया था. ममता ने कहा, "मैं तो पहले से ही कहती रही हूं कि आयोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है. अब यह बात पूरी तरह साफ हो गई है." ममता बनर्जी ने कई मौकों पर चुनाव आयोग पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है. चौथे चरण के मतदान के दौरान कूचबिहार हिंसा के बाद आयोग ने पांचवें चरण के लिए प्रचार 72 घंटे पहले खत्म करने का आदेश दिया था.

10 अप्रैल को मतदान के दौरान हुई हिंसा में पांच लोगों की मौत के बाद ममता बनर्जी ने एलान किया था कि वे रविवार को कूचबिहार जाकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात करेंगी. लेकिन आयोग ने तीन दिनों तक राजनेताओं के इलाके में जाने पर पाबंदी लगा दी थी. ममता बनर्जी ने तब चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा था कि चुनाव आयोग को आदर्श आचार संहिता का नाम बदलकर 'मोदी आचार संहिता' कर लेना चाहिए. अब वे 14 अप्रैल को कूचबिहार जाएंगी.

ममता ने मंगलवार को दोपहर बारह बजे से धरने पर बैठने का एलान किया था. लेकिन वे उससे करीब आधे घंटे पहले ही व्हीलचेयर पर वहां पहुंच गईं. उस समय उनके साथ पार्टी का कोई नेता या कार्यकर्ता नहीं था. धरना स्थल पर टीएमसी के झंडे या बैनर भी नहीं लगाए गए. ममता जहां धरने पर बैठीं, वह इलाका सेना के अधीन है. टीएमसी ने आज सुबह धरने की अनुमति के लिए सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय को एक पत्र भेजा था. लेकिन सेना ने इसकी अनुमति नहीं दी.

बीजेपी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई

ममता बनर्जी को आज चार रैलियों को संबोधित करना था लेकिन पाबंदी की वजह से दो रैलियां रद्द कर दी गईं. अब रात आठ बजे पाबंदी की मियाद खत्म होने के बाद वे कोलकाता के आस-पास दो रैलियों को संबोधित करेंगी.

विपक्षी सीपीएम और कांग्रेस ने ममता के चुनाव प्रचार पर रोक के फैसले का तो स्वागत किया है लेकिन आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए हैं. सीपीएम नेता सूर्यकांत मिश्र कहते हैं, "आयोग को बीजेपी नेताओं के भड़काऊ बयानों पर भी उसी तरह कार्रवाई करनी चाहिए थी." कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर चौधरी ने आयोग के फैसले को जरूरी लेकिन मुख्यमंत्री के लिए अपमानजनक करार दिया है. उनका कहना है कि ममता पर पाबंदी तो ठीक है लेकिन इस मामले में आयोग निष्पक्ष नहीं नजर आ रहा है.

शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी एक ट्वीट के जरिए कहा है कि बीजेपी के इशारे पर ही ममता के खिलाफ कार्रवाई की गई है. राउत ने अपने ट्वीट में कहा है, "यह भारत में स्वतंत्र संस्थानों की संप्रभुता और लोकतंत्र पर सीधा हमला है. मैं बंगाल की शेरनी के प्रति एकजुटता व्यक्त करता हूं."

ममता के चुनाव प्रचार पर पाबंदी लगाने के मुद्दे पर विपक्षी राजनीतिक दलों के सवालों के घेरे में खड़े चुनाव आयोग ने अब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को 'कारण बताओ नोटिस' भेज कर चौबीस घंटे के भीतर जवाब देने को कहा है. इसके साथ ही आयोग ने राहुल सिन्हा के चुनाव प्रचार पर अड़तालीस घंटे की पाबंदी लगा दी. यह कार्रवाई शीतलकुची कांड पर इन नेताओं के बयानों के आधार पर की गई.

दिलीप घोष ने कहा था कि अगर हालात नहीं सुधरे तो जगह-जगह शीतलकुची कांड हो सकता है. राहुल सिन्हा ने तो एक कदम आगे बढ़ाते हुए कहा था कि शीतलकुची में चार की बजाय आठ लोगों की मौत होनी चाहिए थी.

ममता बनर्जी के धरने की आलोचना

बीजेपी ने ममता बनर्जी के धरने की आलोचना की है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, "ममता संसद, संविधान और सुप्रीम कोर्ट समेत तमाम संवैधानिक संस्थाओं के फैसलों के खिलाफ सड़क पर उतर रही हैं. किसी मुख्यमंत्री को यह सब शोभा नहीं देता. उनको फौरन अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए." उनका कहना था कि चुनाव आयोग ने पहले बीजेपी के कई नेताओं के प्रचार पर भी पाबंदी लगाई है. लेकिन पार्टी के किसी नेता ने इसके खिलाफ धरना प्रदर्शन नहीं किया था.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि ममता को चुनाव आयोग के इस रुख से ममता बनर्जी को फायदा मिल सकता है. ममता और टीएमसी के तमाम नेता पहले से ही चुनाव आयोग पर पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाते रहे हैं. ऐसे में इस पाबंदी से लोगों में यह संदेश जाएगा कि ममता बनर्जी को हराने के लिए बीजेपी किसी भी हद तक जाने को तैयार है. टीएमसी अगले चार चरणों के मतदान के दौरान इसे मुद्दा बना सकती है.

एक पर्यवेक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, "ममता बनर्जी को इसका फायदा मिल सकता है. लेकिन यह टकराव स्वस्थ चुनाव और लोकतंत्र के हित में नहीं है. दोनों पक्षों को इस टकराव से बचने का प्रयास करना चाहिए. इसके साथ ही भड़काऊ बयानों से भी परहेज किया जाना चाहिए." वरिष्ठ पत्रकार तापस मुखर्जी भी मानते हैं कि टीएमसी को इसका फायदा मिल सकता है. वह कहते हैं, "पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में आयोग की छवि पर दाग तो लगे ही हैं. अब इस स्थिति को नियंत्रण से बाहर नहीं जाने देना चाहिए. इसके लिए तमाम राजनीतिक दलों का साझा प्रयास जरूरी है." (dw.com)

 

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