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दमोह विधानसभा उपचुनाव में कवायदों का ज़ोर!
31-Mar-2021 11:38 AM
दमोह विधानसभा उपचुनाव में कवायदों का ज़ोर!

-सुसंस्कृति परिहार

दमोह विधानसभा उपचुनाव जो प्रदेश का इकलौता उपचुनाव है, मैं नित ये प्रयास चल रहे हैं कि कितने कांग्रेसी भाजपा में शामिल होते हैं यह बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। दरअसल कांग्रेस का रिजेक्ट माल जिसकी पार्टी में पूछ परख कम हो जाती है या कोई भाजपा से टेढ़ा मेढ़ा काम ठीक कराना होता है वे ही दलबदल करते हैं। बंगाल से लेकर असम तक अब भाजपा विपक्षी खेमे से आए लोगों पर निर्भर है। भाजपा के वर्तमान प्रत्याशी राहुल सिंह की जीत हार से यूं तो सरकार को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है फिर दलबदल का राज मेडीकल कॉलेज में नहीं है इसमें बहुत गहरी राजनीतिक  साज़िश है और वह है राहुल के ज़रिए पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया का पूरी तरह क्षेत्र से खात्मा करना है। सोचिए इस काम को अचानक सामने लाने का ध्येय और क्या हो सकता है ? इसीलिए राहुल को मेडिकल कालेज और पथरिया फाटक ओवरब्रिज से नवाजा गया।उसे मंत्री का दर्जा दिया गया।इतनी बड़ी कृपा आखिरकार क्यों? दोनों काम मलैया को निजी क्षति पहुंचाने के लिए है। इसीलिए ना केवल मुख्यमंत्री , भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, सांसद प्रह्लाद पटेल आदि वचनबद्ध हैं राहुल की नैया पार लगाने।जितने दल बदल हुए हैं उसमें इनकी बी टीम का हाथ है। जयंत मलैया ने पहले जिस तरह का रौब गालिब किया, दिल्ली भोपाल की दौड़ की बाद में उन्हें सारा कथानक समझ आ गया उन्होंने समझदारी दिखाते हुए समर्पण कर दिया। बेटे सिद्धार्थ की तमाम तैयारियों पर पानी फिर गया। उन्हें जबेरा विधानसभा प्रत्याशी वाली वह घटना याद रखनी चाहिए जब प्रह्लाद पटेल भाजपा प्रत्याशी बनके फार्म भरने दमोह आए थे तब मलैया जी ने उनकी उपेक्षा करते हुए दशरथ सिंह लोधी को प्रत्याशी बनाया था यह खुन्नस साफ दिखाई देती है। शिवराज तो उनके बढ़े कद से सदैव खार खाते रहे हैं। उसमें तड़का बी डी शर्मा का है ही। 

पर ये खेला आज जिस राजनैतिक मोड़ पर है वह राहुल के पक्ष में नज़र नहीं आ रहा है । मलैया का आम लोगों से लगाव रहा है, राहुल बहुत बौने है ।वे पिछला चुनाव कांग्रेस की एकजुटता की वजह से जीत गए थे। अब मुश्किल में हैं उनके साथ कार्यकर्ता नहीं हैं बेमन से जो साथ हैं वे मज़बूरी में है। तभी तो आज मंच पर जयंत मलैया मुख्यमंत्री के सामने ये कह जाते हैं मैं जीतने की बात नहीं करता वे 28000 मतों से जीतेंगे। करारा व्यंग्य ही लगता है।वे खुद अल्प मार्जिन से ही जीतते रहे हैं। कांग्रेस भले विभाजित रही हो वोट लगभग-लगभग बराबरी की ही लेती रही तब जब वित्त मंत्री जैसा प्रदेश का महत्वपूर्ण पद उनके पास रहा। राहुल की लोधी वोट काटने उमा सिंह शक्ति चेतना  मंच से जयंत की पत्नी सुधा मलैया ने उतरवाया है वे इस कार्य को अंजाम देने शक्ति पीठ भी गईं।लोधी वोट पर दूसरा डाका डालने राहुल के चचेरे बड़े भाई एड०वैभव सिंह भी निर्दलीय मैदान में उतरे हैं जिनके साथ पिछड़े वर्ग के भी जुड़ने की संभावना है ।

वस्तुस्थिति यह है कि रहली के विधायक और वर्तमान में केबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव और जयंत मलैया दोनों शिवराज सिंह से ख़फ़ा हैं तथा राहुल को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी मान परास्त करने की ठोस इबारत पहले ही लिख चुके हैं जयंत और सिद्धार्थ तीन-चार महिने पहले अपने मतदाताओं को सतर्क कर चुके हैं। कुल मिलाकर फायदा कांग्रेस उम्मीदवार अजय टंडन के पक्ष में जाता नज़र आ रहा है बशर्ते ग्रामीण वोटर जो फूल का जाप करते रहे हैं उन्हें बदलाव की दास्तान से रूबरू कराया जाए।दूसरा ई वी पर नज़र रखी जाए। दलबदलू राहुल पर जनता को एतबार तो दूर की बात शक्ल से भी नफरत है यह प्रचार के दौरान नागरिकों खासकर महिलाओं ने जाहिर भी कर दिया है।मलैया और टंडन की दोस्ती राजनैतिक नहीं है वे पारिवारिक सदस्य हैं सुधा मलैया के प्रिय भाई हैं अजय टंडन। इसलिए इस बार वे अजेय नज़र आ रहे हैं।क्यों ना हों बहिन के संकट में भाई काम आता है ?

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