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दुबई में आंख की पुतली करेगी पासपोर्ट का काम
08-Mar-2021 9:51 PM
दुबई में आंख की पुतली करेगी पासपोर्ट का काम

दुबई एयरपोर्ट पर अब यात्रियों की आंखें उनके पासपोर्ट का काम करेंगी. देश में आने या फिर वहां से जाने वालों की आंखों की पुतलियों से ही उनकी पहचान हो जाएगी और उन्हें अधिकारी के सामने पहचान साबित करने की जरूरत नहीं होगी.

    (dw.com)

अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए सबसे ज्यादा व्यस्त दुबई एयरपोर्ट पहले से ही अपनी शानदार ड्यूटी फ्री दुकानों, कृत्रिम ताड़ के पेड़ों, चमचमाते टावरों और अत्यधिक ठंडा रखने वाली एसी के लिए विख्यात है. अब इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक नया आयाम भी जुड़ गया है. कोरोना महामारी के दौर में संयुक्त अरब अमीरात इंसानों के संपर्क को रोकने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है. पुतलियों की पहचान करने वाले उपकरण और आइरिस स्कैनर का इस्तेमाल इसी कोशिश की ताजा कड़ी है. सरकार इसके जरिए वायरस के फैलाव को रोकने की कोशिश में है.

हालांकि इन कोशिशों ने सात अमीरातों में बड़े पैमाने पर लोगों की सर्विलांस के सवाल को भी उठाया है. संयुक्त अरब अमीरात प्रति व्यक्ति सर्विलांस कैमरों की संख्या के मामले में पहले से ही दुनिया में सबसे ऊपर है. दुबई एयरपोर्ट ने पिछले महीने ही यात्रियों को इस बारे में जानकारी देनी शुरू की. बीते रविवार यात्रियों ने चेक इन करने के बाद आइरिस स्कैनर का सामना किया. पासपोर्ट कंट्रोल की तुलना में यह इस लिहाज से ठीक है कि कुछ सेकंडों के भीतर ही यात्रियों को आगे जाने की अनुमति मिल गई. ऐसा लग रहा है कि कागज पर छपी टिकटों या मोबाइल ऐप के दिन चले गए हैं.

हाल के वर्षों में दुनिया भर के एयरपोर्ट समय बचाने के लिए फेशियल रिकॉग्निशन की तकनीक का इस्तेमाल यात्रियों को उनके विमानों तक पहुंचाने में कर रहे हैं. दुबई में आइरिस स्कैनर इसे एक कदम और आगे ले गया है. अब बात कॉमन एरिया के स्वचालित दरवाजे खुलने से आगे बढ़ गई है. अधिकारियों का कहना है कि फेशियल रिकॉग्निशन डाटाबेस में आइरिस के आंकड़े जोड़ने के बाद यात्रियों को किसी भी पहचान बताने वाले दस्तावेज या बोर्डिंग पास की जरूरत नहीं रहेगी. इसके लिए दुबई के सोवरेन वेल्थ फंड के स्वामित्व वाले एमिरेट्स एयरलाइंस और दुबई के एमिग्रेशन ऑफिस ने डाटा जमा करने के लिए करार हुआ है. इस तरह यात्री चेक इन से विमान तक बड़ी आसानी से पहुंच जाएंगे. निवास और विदेश मामलों के महानिदेशालय में उपनिदेशक मेजर जनरल ओबैद मेहायर बिन सुरूर का कहना है, "भविष्य आ रहा है. अब सारी प्रक्रियाएं स्मार्ट हो गई हैं और पांच से छह सेकंड में हो जाएंगी."

प्राइवेसी में सेंध का डर 
उधर फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक के उलट इस नई व्यवस्था में लोगों की प्राइवेसी में सेंध लगने का डर है. पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के लिए पहले से ही संयुक्त अरब अमीरात की अंतरराष्ट्रीय आलोचना होती रही है.

एमिरेट्स के बायोमेट्रिक प्राइवेसी स्टेटमेंट के मुताबिक एयरलाइन यात्रियों के चेहरे को उनकी पहचान बताने वाले निजी आंकड़ों से जोड़ेगा जिनमें पासपोर्ट और फ्लाइट की जानकारी होगी. एयरलाइन इस जानकारी को, "जिस मकसद से इसे जमा किया गया है उसके लिए जब तक अपने पास रखना उचित रूप से जरूरी होगा, तब तक रखेगा."

इन आंकड़ों का किस तरह इस्तेमाल हो गया या इन्हें कैसे रखा जाएगा, इस बारे में काम ही जानकारी दी गई है. यह भी कहा गया है कि कंपनी यात्रियों के चेहरे की कॉपी नहीं बनाती लेकिन दूसरे आंकड़े एमिरेट्स के सिस्टम में रखे जा सकते हैं. बिन सुरूर ने इस बात पर जोर दिया कि दुबई का एमिग्रेशन ऑफिस यात्रियों के निजी डाटा को पूरी तरह से सुरक्षित रखता है और इसे कोई तीसरा नहीं देख सकता.

हालांकि आंकड़ों का कैसे इस्तेमाल होगा और उन्हें कैसे स्टोर किया जाएगा, इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं होने से इनके दुरूपयोग को लेकर आशंकाएं उठ रही हैं. मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में पीएचडी कर रहे जोनाथान फ्रैंकल का कहना है, "किसी भी तरह की सर्विलांस टेक्नोलॉजी खतरे की घंटी बजाती है, अब वह चाहे किसी तरह का देश हो. लेकिन एक लोकतांत्रिक देश में अगर सर्विलांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है तो वहां कम से कम इस पर सार्वजनिक बहस करने का मौका होता है.

कैसे काम करता है आइरिस स्कैनर
आइरिस स्कैन के लिए लोगों को कैमरे की तरफ उसी तरह देखना होता है जैसे कि वे अपनी उंगलियों से फिंगरप्रिंट देते हैं. बीते सालों में यह पूरी दुनिया में बहुत मशहूर हुआ है. हाल के दिनों में फेशियल रिकॉग्निशन के सटीक होने को लेकर भी सवाल उठे हैं. आइरिस बायोमेट्रिक को सर्विलांस कैमरों की तुलना में ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है. यह लोगों के चेहरे को दूर से ही स्कैन कर लेते हैं और लोगों को ना तो इसका पता चलता है ना ही उनकी अनुमति लेने की जरूरत होती है.

यूएई में अत्यधिक सर्विलांस को लेकर चिंता बढ़ने के बावजूद फेशियल रिकॉग्निशन नेटवर्क का विस्तार बढ़ता जा रहा है. पिछले महीने प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन राशित दल मक्तूम ने कहा कि नई फेशिलय रिकॉग्निशन तकनीक कागजी कार्रवाइ को निजी क्षेत्र की कई सेवाओं में घटा देगी. 

महामारी के दौर में गगनचुंबी इमारतों से भरा शहर तकनीक हथियार बना कर महामारी से लड़ रहा है. इनमें डिसइंफेक्टैंट फॉगर, थर्मल कैमरा और फेस स्कैन शामिल हैं. ये स्कैन मास्क के बारे में बताने के साथ ही इंसान का तापमान भी बता देते हैं. यह सिस्टम उन्हीं कैमरों का इस्तेमाल करते हैं जो देश के विशाल बायोमेट्रिक सिस्टम के लिए डाटा जमा कर उसे अपलोड करते हैं. एनआर/एके(एपी)

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