विचार / लेख
-रमेश अनुपम
आज इस बात पर यकीन कर पाना थोड़ा मुश्किल साबित हो सकता है कि एक ऐसा जीनियस कभी इस शहर की शान हुआ करते थे ,जिनकी प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया मानती थी।
ऐसे जीनियस थे अद्भुत प्रतिभा के धनी महान भाषाविद हरिनाथ डे।
कोतवाली से कालीबाड़ी चौक की ओर जाने वाले मार्ग पर आज भी डे भवन अपना सिर ऊंचा कर खड़ा हुआ है। इसी डे भवन में इस जीनियस का बचपन और किशोरावस्था व्यतीत हुआ है ।मुख्य सडक़ पर स्थित डे भवन में भीतर घुसते ही बाईं ओर जो पत्थर लगा हुआ है उसमें उन छत्तीस भाषाओं का उल्लेख आज भी पढ़ा जा सकता है, जिसके ज्ञाता महान जीनियस हरिनाथ डे थे।
क्या आप किसी ऐसे शख्स की कल्पना कर सकते हैं जिसे मात्र चौंतीस वर्षों का छोटा सा जीवन मिला हो और जो दुनिया की छत्तीस भाषाओं का ज्ञाता हो। जिसकी शिक्षा-दीक्षा ,लालन-पालन रायपुर शहर में हुआ हो तथा जो रायपुर नगर के गौरव रायबहादुर भूतनाथ डे जैसे विद्वान पिता के मेधावी संतान हों।
लैटिन, ग्रीक, हिब्रू, स्पेनिश, फ्रेंच, जर्मन, इटालियन, रशियन, पुर्तगीज, पोलिश, जापानी, टर्किश, अरबिक, पर्शियन,चीनी जैसी दुनिया की छत्तीस मशहूर और क्लिष्ट भाषा में निष्णात होना अपने आप में कोई कम दुष्कर या असंभव कार्य नहीं है।
आज इस बात पर यकीन कर पाना मुश्किल हो सकता है कि एक ऐसा ही जीनियस का संबंध रायपुर शहर से रहा है।
रायबहादुर भूतनाथ डे के इस महान प्रतिभाशाली सुपुत्र हरिनाथ डे की कीर्ति गाथा के लिए शायद मेरे पास उस तरह के शब्द या भाषा नहीं है जिसके महान हरिनाथ डे उत्तराधिकारी हैं।
ऐसे महान शख्शियत पर कुछ लिखते हुए कलम भी कुछ देर ठहर कर सोचने लग जाती है कि क्या ऐसा संभव है ? क्या कोई ऐसा शख्स भी कभी कोई रहा होगा ? जिसकी वाणी से छत्तीस भाषाएं कभी फूल की पंखुड़ी की तरह झरती रहीं होंगी?
जिस महान जीनियस से यह शहर, यह छत्तीसगढ़ राज्य पूरी तरह से अपरिचित है ,उस महान जीनियस के विषय में तत्कालीन गवर्नर जरनल इंडिया, लॉर्ड कर्जन तथा एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल डॉ.ए.ए. सुहरावर्दी ने क्या कहा था, उसे भी जानना आवश्यक है। बिना जाने हम उस महान शख्शियत के अवदान को नहीं जान पाएंगे।
लॉर्ड कर्जन ने कहा था ‘इस समय भारत में जो ढाई जीनियस हैं उनमें से में एक पूरा जीनियस मैं हरिनाथ डे को मानता हूं। ‘डॉक्टर ए.ए.सुहरावर्दी ने कहा था कि " महाराजा आते-जाते रहते हैं, पर हरिनाथ डे जैसे जीनियस हमेशा जीवित रहेंगे।आज, कल और सदियां उन जैसे जीनियस को याद करेगी। ’
महान जीनियस हरिनाथ डे की ऐसी प्रतिभा से प्रभावित होकर अंग्रेज सरकार द्वारा उन्हें कोलकाता स्थित प्रसिद्ध लाइब्रेरी इंपीरियल लाइब्रेरी ( वर्तमान में नेशनल लाइब्रेरी ) का लाइब्रेरियन नियुक्त किया गया।
यह उसी हरिनाथ डे की विरल गाथा है जो मां श्रीमती एलोकेशी डे की गोद में लेटे हुए मात्र छ: माह के शिशु थे जब रायबहादुर भूतनाथ डे अपने मित्र विश्वनाथ दत्त और उसके पूरे परिवार को जिसमें, ग्यारह वर्षीय नरेंद्रनाथ दत्त भी शामिल थे जो कालांतर में स्वामी विवेकानन्द के नाम से विश्व प्रसिद्ध हुए, उन्हें बैलगाडिय़ों में लेकर नागपुर से रायपुर आए थे।
इसी शिशु को अपनी गोद में लेकर किशोर नरेंद्र डे भवन में घूमा करते थे।
शेष अगले रविवार... महान जीनियस हरिनाथ डे की शिक्षा - दीक्षा और जीवनी.