सामान्य ज्ञान
बबूल के पेड़ से जिस गोंद की प्राप्ति होती है, उसे बबूल का गोंद (द्दह्वद्व शद्घ ्रष्ड्डष्द्बड्ड) कहा जाता है। इसका रंग हल्के पीले रंग का होता है। स्वाद में यह हल्का मीठा होता है। बबूल का गोंद बहुत प्रसिद्ध होता है। इसका निर्माण बबूल के सूखे हुए दूध से होता है। इसकी तासीर ठंडी होती है।
कतीरा और बिहीदाना के साथ इसका उपयोग नहीं किया जाता है। पलास की गोंद बबूल के गोंद के दोषों को दूर करती है। इसकी मात्रा सेवन के लिए 6 ग्राम के बराबर होनी चाहिए। इस गोंद का उपयोग करने से छाती मुलायम होती है। यह यह आमाशय को शक्तिशाली बनाता है। और आंतों को मजबूत करता है। यह सीने के दर्द को समाप्त करता है और गले की आवाज को साफ करता है। इसका प्रयोग फेफड़ों के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसके शरीर में धातु की पुष्टि होती है और वीर्य बढ़ाता है। इसके छोटे-छोटे टुकड़े घी, खोवा और चीनी को साथ भूनकर खाने से शरीर शक्तिशाली होता है। विभिन्न रोगों के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है। बवासीर या अर्श की बीमारी में बबूल के गोंद का सेवन लाभकारी होता है।