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भारत v इंग्लैंड: ‘दो दिन का टेस्ट - टेस्ट क्रिकेट इस तरह नहीं खेला जाना चाहिए’
27-Feb-2021 4:05 PM
भारत v इंग्लैंड: ‘दो दिन का टेस्ट - टेस्ट क्रिकेट इस तरह नहीं खेला जाना चाहिए’

-जोनाथन एग्नीव

इंग्लैंड की टीम अहमदाबाद में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में दूसरे दिन दस विकेट से हार गई. टेस्ट क्रिकेट खेलने का ये कोई तरीक़ा नहीं है.

मैंने भारत और इंग्लैंड के बीच चेन्नई में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में पिच की आलोचना की थी. मैं एक बार फिर वही बात कहने जा रहा हूँ.

ये ज़रूरी नहीं है कि हर टेस्ट मैच अपने आख़िरी लम्हे तक पहुंचे. लेकिन टेस्ट मैच पाँच दिनों का होता है, ऐसे में आपकी ये ज़िम्मेदारी होती है कि आप ऐसी स्थितियां पैदा करें जिससे मैच पाँच दिनों तक चलना संभव हो सके.

जैसा कि मैंने पिछले हफ़्ते कहा था कि इंग्लैंड में अब लोगों के पास फ्री टू एयर टेलीविज़न पर मैच देखने का अवसर है.

ऐसे में दूसरों की तरह मुझे भी खेल के लिए अपनी आवाज़ उठाने की ज़रूरत है.

मुझे ये स्वीकार करना चाहिए कि ये पिच चेन्नई टेस्ट मैच जितनी ख़राब नहीं थी, जहां मैच शुरू होते ही पिच में उभार आना शुरू हो गया था.

86 सालों में सबसे छोटा टेस्ट
लेकिन ये साल 1935 के बाद सबसे छोटा टेस्ट मैच था, पूरे मैच में सिर्फ़ 140.2 ओवर फेंके गए.

ये टेस्ट क्रिकेट के हित में नहीं है कि मैच इतनी जल्दी ख़त्म हो जाए और इस तरह खेला जाए जहाँ रन बनाना और बचाव करना इतना मुश्किल हो.

मैंने पिछले हफ़्ते ये भी कहा था कि आईसीसी को कार्रवाई करनी चाहिए. अगर ऐसी पिचें बनाई जाती हैं जो कि टिकने लायक न हों तो वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप में से टीम अंकों में कटौती करनी चाहिए.

लेकिन ऐसा लगता है कि आईसीसी हाथ पर हाथ रखकर बैठी है और इस पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं कर रही है.

मैच में कुल तीस विकेट गिरे होंगे जिनमें से 19 खिलाड़ी एक अंक में ही रन बना सके. सिर्फ दो विकेट सीमर्स को गए.

पार्ट टाइम ऑफ़ स्पिनर जो रूट जिनका इस मैच से पहले औसत 47 रन था. क्या वह सच में ऐसे गेंदबाज हैं जिन्हें आठ रन देकर पाँच विकेट लेने चाहिए?

इंग्लैंड के कप्तान ने जो आँकड़े दिए, उससे ये स्पष्ट हो गया कि भारत के बेहतरीन स्पिनर रविचंद्रन अश्विन और अक्षर पटेल के होते हुए दूसरी इनिंग में भी इंग्लैंड के खिलाड़ियों के लिए रन बनाना आसान नहीं होगा.

इंग्लैंड ने भारत को 145 रन पर ऑल-आउट करके मैच में वापसी करने की माद्दा दिखाया और पहली पारी में हुए नुकसान को 33 रन तक सीमित कर दिया.

लेकिन ये स्पष्ट था कि इंग्लैंड के खिलाड़ी दूसरे मैच के ज़ख़्मों को अपने साथ लेकर आए थे.

कई मामलों में ये स्पष्ट रूप से दिखा कि वे पिछले हफ़्ते 317 रन की शर्मनाक हार से उबरे नहीं हैं. इंग्लैंड के बल्लेबाज़ भारतीय स्पिनर की ओर से फेंकी गई सीधी गेंदों के शिकार बनते रहे.

और लेफ़्ट आर्म स्पिनर अक्षर पटेल ने 70 रन देकर 11 विकेट लिए और अश्विन ने 72 रन देकर सात विकेट लिए.

मैच की पहली इनिंग में कुछ गेंदें घूम रही थीं. लेकिन आप ये मानकर चलते हैं कि गेंद इतनी तेज़ी से घूमने नहीं जा रही है. और आप न घूमने वाली गेंद के लिए तैयारी करते हैं.

इंग्लैंड ने अपने दूसरे मैच में थर्ड एंपायर के फ़ैसलों पर निराशा ज़ाहिर की है.

मैच के पहले दिन दो बार ऐसे मौक़े आए- बेन स्टोक्स द्वारा किया गया स्लिप कैच जिसे ये माना गया कि वह ज़मीन से छू गया था. और रोहित शर्मा की स्टंपिंग अपील जिसमें टीवी एंपायर ने सभी उपलब्ध कोणों की जाँच नहीं की.

लेकिन इंग्लैंड थर्ड एंपायर की शिकायत लेकर मध्यस्थ के पास गए जिनका थर्ड एंपायर के काम से कोई लेना देना नहीं है. ये व्यवहार काफ़ी अजीब है.

विराट कोहली का एंपायर को घेरना
ये काफ़ी ख़राब दृश्य है कि क्रिकेटर एक एंपायर के आसपास भीड़ लगाकर खड़े हो जाएं, उनकी आलोचना करें. मैं दूसरे टेस्ट में भी भारतीय कप्तान विराट कोहली के इस व्यवहार के प्रति आलोचनात्मक था.

इंग्लैंड की टीम के चयन को लेकर काफ़ी बात की गई है. वे अपनी सभी उम्मीदें पिंक बॉल पर टिकाए थे कि ये फ़्लड लाइट्स में स्विंग करेगी. ऐसे में वे ऐसी टीम के साथ गए जो कि सीम बॉलिंग का सामना कर सकें.

मैं टीम के चयन और सिर्फ़ एक फ्रंटलाइन स्पिनर जैक लीच के चयन को लेकर उनकी आलोचना नहीं कर रहा हूं. इंग्लैंड की सबसे मज़बूत टीम में आपके पास जेम्स एंडरसन, स्टुअर्ट ब्रॉड और जोफ्रा आर्चर जैसे तेज़ गेंदबाज होंगे.

इस मैच की योजना बनाते हुए, उन्हें लगा होगा कि इस मैच में बॉल स्विंग ज़्यादा होगी और स्पिन कम होगी.

लीच का प्रदर्शन अच्छा रहा. वह इस टूर के साथ ज़्यादा नियमित होने के साथ लय में आ रहे हैं. ऐसे में इंडिया की पहली पारी में 48 रन के नुक़सान पर चार विकेट लेना बनता था.

लेकिन बैटिंग ऑर्डर में गहराई नहीं होना एक बड़ा मसला था क्योंकि जब आपके पास आर्चर नंबर आठ पर उतर रहे हों तो छह विकेट गिरते ही आप एक तरह से ऑल आउट हो जाते हैं.

इसी मैदान पर चौथा टेस्ट गुरुवार से शुरू हो रहा है. अब तक हुए तीन मैचों में से इंग्लैड ने सिर्फ़ एक मैच जीता है. ऐसे में उसे काफ़ी सोच-विचार की ज़रूरत है.

क्या वे ऑफ़ स्पिनर डॉम बेस को वापस लेकर आएंगे? उन्हें पहले टेस्ट के बाद आराम दिया गया था, कुछ लोग कहेंगे कि वो उचित नहीं था. वह एक मज़बूत शख़्स हैं, उनमें कुछ बात है. और वह बैटिंग भी कर सकते हैं.

इंग्लैंड की टीम को उन्हें वापस बुलाने से पहले उनकी मन स्थिति ठीक करने की ज़रूरत है. उन्हें ये विश्वास दिलाने की ज़रूरत है कि टीम के कप्तान को उनमें एक गेंदबाज के रूप में भरोसा है.

और किसी अन्य चीज से ज़्यादा इंग्लैंड टीम को अपने मन से नकारात्मकता निकालने की ज़रूरत है. वे किसी तरह रीसेट बटन दबाएं और इस सिरीज़ में बराबरी करने की ओर ध्यान लगाएं. (bbc.com)

(बीबीसी स्पोर्ट्स की कल सजद की जोनाथन एग्नीव से बातचीत पर आधारित)

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