सामान्य ज्ञान
गुलमोहर एक सुगंधित पुष्प है, जिसे स्वर्ग का फूल भी कहा जाता है। गुलमोहर मैडागास्कर का पेड़ है। सोलहवीं शताब्दी में पुर्तग़ालियों ने मैडागास्कर में इसे देखा था। प्रकृति ने गुलमोहर को बहुत ही सुव्यवस्थित तरीक़े से बनाया है, इसके हरे रंग की फर्न जैसी झिलमिलाती पत्तियों के बीच बड़े-बड़े गुच्छों में खिले फूल इस तरीक़े से शाखाओं पर सजते है कि इसे विश्व के सुंदरतम वृक्षों में से एक माना गया है।
फ्रांसीसियों ने गुलमोहर को सबसे अधिक आकर्षक नाम दिया है। उनकी भाषा में इसे स्वर्ग का फूल कहते हैं। वास्तव में गुलमोहर का सही नाम स्वर्ग का फूल ही है। भारत में इसका इतिहास कऱीब दो सौ वर्ष पुराना है। संस्कृत में इसका नाम राज-आभरण है, जिसका अर्थ राजसी आभूषणों से सज़ा हुआ वृक्ष है। गुलमोहर के फूलों से श्रीकृष्ण भगवान की प्रतिमा के मुकुट का शृंगार किया जाता है। इसलिए संस्कृत में इस वृक्ष को कृष्ण चूड भी कहते हैं।
रगुलमोहर में नारंगी और लाल मुख्यत: दो रंगों के फूल ही होते हैं। परंतु प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली प्रजाति फ्लेविडा पीले रंग के फूलों वाली होती है। मियामी में तो गुलमोहर को इतना पसंद किया जाता है कि वे लोग अपना वार्षिक पर्व भी तभी मनाते है जब गुलमोहर के पेड़ में फूल आते हैं। गुलमोहर के फूल मकरंद के अच्छे स्रोत हैं। इसके बीज भूरे रंग के बहुत सख्त होते हैं। कई जगहों पर इसे ईधन के काम में भी लाया जाता है। जब हवाएं चलती हैं तो इनकी आवाज़ झुनझुने की तरह आती है, तब ऐसा लगता है जैसे कोई बातें कर रहा है इसीलिए इसका एक नाम औरत की जीभ भी है।
गुलमोहर की छाल और बीजों का आयुर्वेदिक महत्व भी हैं। सिरदर्द और हाजमे के लिए आदिवासी लोग इसकी छाल का प्रयोग करते हैं। मधुमेह की कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में भी गुलमोहर के बीजों को अन्य जड़ी-बूटियों के साथ मिला कर भी उपयोग किया जा चुका है। गुलमोहर की छाल का उपयोग मलेरिया की दवा में भी किया जाता है। ऐसी बहुत-सी दवाएं आज बाज़ार में उपलब्ध हैं जिनमें गुलमोहर के बीज या छाल को किसी न किसी रूप में डाला गया है। होली के रंग बनाने में गुलमोहर फूलों का प्रयोग किया जाता है।
कोयला नियामक
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने कोयला नियामक की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। कोयला नियामक का गठन एक प्रशासनिक आदेश के द्वारा किया जाएगा।
कोयला नियामक को कच्चे कोयले, धुले हुए कोयले और धुलाई के दौरान मिलने वाले किसी अन्य पदार्थ के मूल्य तय करने के सिद्धान्त और तौर तरीके निर्धारित करने का अधिकार प्राप्त होगा।
यह नियामक कोयले की श्रेणी या किस्म की घोषणा के लिए परीक्षण के तरीकों का नियमन भी करेगा। इसके अलावा वह कोयले के नमूने की कार्यविधि तय करेगा और उसे सम्बद्ध पक्षों के बीच मध्यस्थता करने का अधिकार भी प्राप्त होगा।